ागणेश़य नमः
ाज़नकवलभो ऽवजयते
शाऱमचरतम़नस
सम सोप़न
ईरक़ड
ोक
केककठ़भनालंस रवरऽवलसऽप़द़जऽचनं
शोभ़यंपातवंसरऽसजनयनंसव द़ स सम्।
प़णौ ऩऱचच़पंकऽपऽनकरय तंबध ऩ से म़नं
नौमांज़नकशंरघ वरमऽनशंप पक़ढऱमम्।।
1
।।
मोर के कठ क अभ़ के सम़न (हरत़भ) नालवण
,
दे वत़ मे
,
़ण (भु ग जा) के चरणकमल के ऽचन सेसशोऽभत
,
शोभ़ सेपी ण
,
पात़बरध़रा
,
कमलने
,
सद़ परम स
,
ह़थ मब़ण और धन ष ध़रण कये
ए व़नरसमी ह सेय भ़इ
लमणजा सेसे ऽवत त ऽत कयेज़नेयोय
,
ाज़नकजा के
पऽत रघ कल े प पक
-
ऽवम़न पर सव़र ाऱमचजा को
म ऽनरतर नमक़र करत़ ू।।
1
।।
कोसले पदकंजमजं लौ कोमल़वजमहेशवऽदतौ।
ज़नककरसरोजल़ऽलतौ ऽचतकय मनभु ं गसं गनौ।।
2
।।
कोसलप रा के व़मा ाऱमचजा के स दर और कोमल दोन चरणकमल
़जा और ऽशवजा के ़ऱ वऽदत ह
,
ाज़नकजा के करकमल से
द लऱयेए हऔर ऽचतन करने
व़लेमनपा भरे के ऽनय सं गा ह
ऄथ़ त्ऽचतन करनेव़ल
क़ मनपा मर सद़ ईन चरणकमल मबस़ रहत़
है।।
2
।।
कदआद रगौरस दरं ऄऽबक़पऽतमभाऽसऽदम्।
क़णाककलकंजलोचनंनौऽम शं करमनं गमोचनम्।।
3
।।
कद के फील
,
चम़ और शं ख के सम़न स दर गौरवण
,
जगनना
ाप़व ताजा के पऽत
,
व़ं ऽित फलके दे ने व़ले
,[
द ऽखयपर सद़] दय़
करने व़ले
,
स दर कमलके सम़न ने व़ले
,
क़मदे व सेि़ने व़ले
, [
कय़णक़रा] ाशंकरजाको म नमक़र करत़ ू।।
3
।।
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