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ट प : कहानी के कछ

ु ह से ब च व कशोर के पठन पाठन के उपयु नह ं. वतनी क


ग़ल तयाँ संभा वत ह य क पाठ को वचा लत प रवतक के ज रए फ़ॉ ट पांतरण
कया गया है.
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कहानी

े न म वह लड़क

-सोमेश शेखर च

आज से स ताइस अ ठाइस साल पहले क बात है। एक दन हआ ु यँू था क म


अपनी छु टयाँ ख म करके अपनी डयट
ू पर जा रहा था। माघ का मह ना था और उसी
साल संगम पर हर बारह वष के बाद लगने वाला महाकु ं भ भी लगा था। कु ं भ के चलते
वहाँ से गजरने
ु वाल सभी े नो म इतनी भीड़ ठ◌ॅ
ु सी चल रह थी क ऐसे तमाम लोग
को, िज ह ने अपनी बथ रजव करवा रखा था उन तक का अपनी सीट पर बैठना तो दरू,
अपने ड ब म घस
ु लेना तक काफ मश कत भरा काम था। सामान के नाम पर मेरे
पास सफ एक एयर बैग था िजसम मेरे दो तीन सेट कपड़े थे और चलते समय रा ते के
लए माँ, कछ
ु खाना, एक ट फन कै रयर म रखकर मेरे बैग म डाल द थी, वह था, इसके
अलावे मेरे पास यादा सामान नह ं था।
े न जब लेट फाम पर आकर खड़ी हईु थी तो इसम ठ◌ॅ
ु सी भीड़ दे खकर, पहले तो
मेरे छ के ह छटू गए थे ले कन उस भीड़ म घस
ु लेने के सवा मेरे सामने दसरा
ू , कोई
चारा नह ं था, इस लए लोग के साथ ठे ल पेल और ध का मु क करके, म कसी तरह
एक ड बे के गेट तक पहँु चने म कामयाब हो गया था। और वहाँ से भीड़ के साथ उसी
तरह ध का मु क और गाल गलौज करते ड बे के एकदम भीतर पहँु च गया था। वहाँ
पहँु चकर अपने बैठने का कोई जगाड़
ु बैठाने के लए सीट पर बैठे एक बजग
ु ु स जन से
नवेदन करने पर वे अपनी दोन टाँगे सकोड़कर ऊपर कर लए थे और मेरे बैठने के
लए थोड़ी सी जगह बना दए थे।
गाड़ी छटने
ू के कर ब डेढ़ दो घंटे बाद, मझे
ु बाथ म जाने क ज रत पड़ गई थी।
ड बे म िजस तरह क भीड़ थी वेसे म बाथ म तक पहँु चना काफ मश कत भरा काम
था ले कन मेर यह ज रत ऐसी थी क उसे म यादा दे र तक टाले नह ं रख सकता था
ऐसे म कसी भी सरत
ू म मझे
ु बाथ म पहँु चना ज र था इस लए म रा ते के लोग मे
से कसी से बनती अरदास करके तो कसी से लड़ झगड़ कर कसी तरह बाथ म तक
पहँु चने म कामयाब हो गया था। वहाँ पहँु चने पर मेर नगाह गेट से थोड़ा अंदर क
तरफ, द वाल से सटकर खड़ी उस लड़क पर पड़ गई थी। लड़क को वहाँ खड़ी दे ख, म
बरु तरह हैरान रह गया था। है रानी मझे
ु इस बात को लेकर हई
ु थी क, उस समय ड बे
म जैसी भीड़ थी वैसी भीड़ म, कसी लड़क का, उसम सफर करना कसी बड़ी अनहोनी से
कम नह ं था। ऊपर से वह लड़क वदे शी थी और वदे शय के बारे म मेरा याल यह
था क, वे लोग काफ पैसे वाले होते ह इस लए या तो वे हवाई जहाज म सफर करते है
या े नो के ऊँची ेणी के ड बो म। अपने इस याल के चलते म कसी वदे शी लड़क
के, इतनी भीड़-भाड़ वाले जनरल ड बे म, सफर करने क बात कभी सोच भी नह ं सकता
था।
लड़क , उस भीड़ म खड़े खड़े िजतना परे शान थी उससे यादा परे शान उसके इद
गद खड़े चार पाँच लड़को ने उसे कर रखा था। लड़के उसे चारो तरफ से अपने घेरे म
लेकर, उसके साथ फहड़
ू तथा भ दे मजाक कर करके ठ ठे लगा रहे थे और उसक दे ह से
नोच खसोट करके उसे बरु तरह तंग कर रखे थे। अपनी दोन बाह, अपने सीने पर लपेट
कर वह कसी तरह अपनी छा तयाँ नचने
ु से बचाने म कछ
ु हद तक तो कामयाब थी
ले कन अपने सर से लेकर पाँव तक क दसर
ू कइयो नाजक
ु जगह बचा लेना उसके बस
म नह ं था। अपने उन नाजक
ु ह सो के नचने
ु पर दद से वह िजस तरह बल बला उठती
थी और अपना नचला ह ठ, दांतो से दाबकर और जबड़े भीचकर और मँह
ु बनाकर जब
तक दद उसके बदा त के भीतर होता था वह उसे, बदा त कर लया करती थी। ले कन
जब दद उसके बदा त के बाहर हो उठता था तो उ अ आ ह आ � � � क आवाज
नकालकर वह गहारसी
ु लगाने लगती थी। दद से बगड़ उठा उसका चेहरा और िजबह
होते मेमने जैसी उसक छटपट और कराह कसी को भी बच लत कर दे ने के लए
काफ था। ले कन हैरान कर दे ने वाल बात तो यह थी क, वहाँ मौजद
ू उस भीड़ म
स तर साल के बजग
ु ु से लेकर नई उ के छोकरो तक, सबके सब, लड़क के साथ चलते
उस खेल के तमाशबीन नह ं बि क एक अहम खलाड़ी क तरह उसम शा मल थे।
य क जब जब लड़के, लड़क के साथ कोई भ द मजाक करके ठ ठा लगाते थे तो वहाँ
मौजद
ू लोग भी हँस हँस कर दोहरे होने लगते थे और जब वह अपने नचने
ु का दद
बदा त करने के लए अपना नचला ह ठ अपने दाँत से भींच लया करती थी या दद के
बदा त न होने पर कराह उठती तो उस समय लोग के चेहर पर ऐसी खु शयाल खेल
जाया करती थी जैसे लड़क क जाँघ के बीच उनके खद ु के हाथ पहँु च लए ह । इसके
अलावे वे सभी लोग जो इस खेल को दरू से दे ख रहे थे उनक भी लड़क के साथ कोई
हमदद नह ं थी बि क उस खेल म शा मल न हो पाने का उनके मन म गहर मसोस सी
थी।
लड़क के साथ, उस समय जैसा तमाशा चल रहा था और उसक जैसी हाल थी,
उसे दे खकर, ोध, से मेरे दमाग क नस फटने लग गई थी। ले कन इस तरह के मौक
पर, दसरे
ू तमाम लोग, िजस तरह यह कहकर, क लड़क जब अपनी आन पर उतर आएगी
तो वह खद
ु से, चंडी प धरकर बदजात लड़को क बदतमीिजय का मजा चखा दे गी। या
उनके दमाग म, ह द फ म का कोई ऐसा संग, िजसम ह रो, अपने मु क और घस

के हार से, बदमाश क बड़ी सी बड़ी गोल क कचमड़
ू नकाल कर, ह रोइन को उनके
क जे से छड़ा
ु लेता है , का य घमकर
ू , उसी क तरह का एक ह रो, उस भीड़ से नकाल,
अपने मन को तस ल दे कर वहाँ से भाग लेते ह। या यह कहकर क लड़क ह साल
बदमाश है अगर वह बदमाश नह ं होती तो इतनी भीड़ म अकेल , इस जनरल ड बे म
चढ़ती कभी? जैसे बहान क आड़ लेकर, वहाँ से फट
ू लेते है उसी तरह म भी अपने मन
को यह समझाकर क इस समय तम
ु या ा पर हो, और अकेले भी हो और उस तरफ चार
पाँच लड़के है और वे सबके सब मंु टडे है सोच लो। फर जब यहाँ मौजद
ू इतने लोग म
से कोई कछ
ु नह ं बोल रहा है तो तु हे भला इन बदमाश से भड़कर शह द होने क
इतनी शौक यो चरा आई है ? सोच लो। लड़के बदमाश है य द उनके पास चाकू हआ
ु और
वे उसे तु हार अंत ड़य म घसे ु ड़ परू क परू अंतड़ी ह बाहर खींच लए या उठाकर
ड बे के बाहर फक दए तो? सोच लो....... सोच लो......। थोड़ी दे र तक यह सब और
इसी तरह क दसर
ू तमाम बात सोच सोचकर, म भी लड़को से भड़ लेने का अपना
इरादा बदलकर वहाँ से हट गया था।
ले कन बाथ म के भीतर, अपनी िजप नीचे खसकाकर खड़ा हआ ु था तो जब म
सातवीं या आठवीं दज म पढ़ता था, उस समय हमारे अं ेजी के सर ने एक दन अपनी
लास म, हम एक क सा सनाया
ु था, वह क सा मझे
ु याद आ गया था। क सा कछ
ु यँू
था क, भारत के एक स जन, अपने कसी काम से जापान गए हए ु थे। वहाँ पर, एक दन
वे े न से एक शहर से कसी दसरे
ू शहर को जा रहे थे। े न का उनका सफर काफ लंबा
था। सबह
ु वे थोड़ा ह का फु का ना ता ह करके घर से नकले थे इस लए दोपहर होते
होते उ ह काफ भख
ू लग गई थी। उनक े न जब बीच के एक टे शन पर क थी तो
लेटफाम पर उ ह एक केले वाला दखा, जो ढे र सारे केले एक ठे ले म लगाकर बच रहा
था। गाड़ी उस टे शन पर काफ कम समय के लए कती थी। ड बे से उतरने पर गाड़ी
के छट
ू जाने का डर था, इस लए स जन अपनी खड़क से ह केले वाले को आवाज दे ना
शु कए थे। ले कन शोर के चलते या तो केले वाले तक उनक आवाज ह नह ं पहँु ची
थी या य द पहँु ची भी हई
ु होगी तो वह उसक समझ म ह नह ं आई थी। कारण जो भी
रहा हो, गाड़ी जब तक लेटफाम पर क रह थी, स जन, केले वाले को आवाज दे ते रह
गए थे ले कन केला उ ह नह ं मला था। थोड़ी दे र म गाड़ी जब चल पड़ी थी तो वे दे खते
या ह क एक जापानी यवक
ु , केले का एक गु छा अपने हाथ म लए उनक खड़क के
साथ दौड़ रहा है। सर आप केले खर दना चाहते थे ना? ल िजए पक ड़ए सर। स जन
उसके हाथ से केले ले लए थे ले कन जब वे, उसके पैसे दे ने लग गए थे तो वह उनसे
पैसा लेने से इनकार कर दया था।
नो सर नो, केले के पैसे दे ने क ज रत नह ं है थ स सर।
भारतीय स जन को, युवक के पैसे लेने से इ कार कर दे ने पर बड़ी है रानी हई
ु थी।
पैसे नह ं लेना था तो तु हे इतनी दरू दौड़ लगाने क या ज रत थी? स जन ने यवक ु
से च लाते हए
ु पँूछा था तो उसने उ ह जबाब दया था इसक ज रत थी सर इसक
बहत
ु बड़ी ज रत थी वह इस लए, क, जब आप यहाँ से लौटकर वापस अपने वतन जाएँ
तो वहाँ लोग को यह न बताएँ क जापानी इतने बेतहजीब होते है क म टे शन पर
केले के लए च लाता रह गया ले कन लेटफाम क इतनी भीड़ म से एक भी आदमी
मझे
ु केले लाकर नह ं दया। स जन के य का, इतना जबाब दे कर यवक
ु ने उनसे हाथ
जोड़कर नम ते कया था और े न अपनी र तार पकड कर लेटफाम से आगे नकल गई
थी।
अं ेजी सर का सनाया
ु यह क सा याद पड़ते ह मेरे भीतर भी मेरा रा जाग
उठा था और म भी उस जापानी यवक
ु क तज पर सोचा यह था क इतने लोग क
आँख के सामने लड़के िजस तरह के फहड़
ू और गंदे मजाक करके और अस य तथा
बेहू द हरकते कर करके लड़क को तंग कए हएु है उसे दे खकर, उस भीड़ म से कोई,
लड़को के वरोध म कछ ु बोलने या आगे बढ़कर लड़क क मदद करना तो दरू , सबके सब
गल के कु तो क तरह उस बेचार के पीछे ह पड़े हए ु ह। लड़क यहाँ से वापस लौटने
पर, जब यह वाकया, अपने दे श के लोग से बताएगी तो वहाँ के लोग भारत के बारे म
या स चेगे? यह सोचकर, म उस लड़क को, लड़को के चंगुल से छड़ाने
ु का न चय करके
बाथ म से बाहर आया था और भीड़ के बीच खड़ा होकर, बड़ी नडरता से लड़क को
अपने पास चले आने को कहा था। अरे , आप वहाँ खड़ी ह......? आइए इधर आ आइए.......
आप इतनी भीड़ म वहाँ य खड़ी है ? लडक को म अं ेजी म और कछ
ु इस अंदाज म,
भीड़ से नकलकर अपने पास चले आने के लए कहा था जैसे म उसे बहत ु पहले से
जानता होऊँ या वह मेरे ह साथ थी, ले कन भीड़ के चलते, मझसे
ु बछड़ गई हो। अं ेजी
भाषा का ऐसा दबदबा क इसमे बोलने मा से ह िजस तरह आज, अ छे अ छो पर
वाब गॅठ जाता है उस जमाने म तो इसका दबदबा और भी यादा था। मेर कड़कदार
आवाज, और अं ेजी भाषा का इतना तेज असर हआ ु था क उसे सनते
ु ह वहाँ खड़े सारे
के सारे लोग, सचेत होकर भले मानष
ु क मु ा आि तयार कर लए थे और वे लड़के तो
लड़क को छोड़, ऐसी भोल सरत
ू बना लए थे जैसे वे बेहद शर फ घर से हो। लड़को क
याद तयो से मु त हो लेन,े पर लड़क के चेहरे पर ऐसी गहर राहत झलक आई थी जैसे
वह गहरे पानी म डब
ू रह हो और म उसे डबने
ू से बचाने के लए अपने हाथ बढ़ाकर उसे
बाहर नकाल लया होऊँ।
लड़क के पास एक बैग था िजसे वह अपनी दोन टॉग के बीच दाब रखी थी। म
उसका बैग उसके हाथ से थाम लया था और उसे अपने साथ लेकर अपनी सीट पर आ
गया था। आते समय लड़को ने पीछे से मझपर
ु टांट कया था भाई साहब आप यह
अ छा नह ं कर रहे ह हम लोग का माल है वह, आप उसे अकेले उड़ाना चाहते ह ना?
लड़को का यह टांट और उस पर वहाँ मौजद
ू लोग का ठ ठा मारकर हँसना सनकर
ु मेरा
पारा सांतवे आसमान पर चढ़ गया था ले कन काफ कछ
ु आगे पीछे क सोचकर म
उनके ठठो पर तब जो दे ना ठ क नह ं समझा था।
अपनी जगह पहँु चकर लड़क को म अपनी सीट पर बैठा दया था और खद ु लोग
क भीड़ म खड़ा हो गया था। मेर वह द रया दल दे ख, खड़क के पास बैठे दो तीन
लड़के अपनी सीट छोड़कर खड़े हो गए थे, आइए भाई साहब, आप यहाँ आकर बैठ जाइए।
अरे नह ं भाई म यह ं ठ क हँू आप लोग अपनी सीटे छोड़कर इतनी तकल फ काहे
क रएगा। दरअसल अगले ह टे शन पर लड़क को उतर जाना था इस लए वे अपनी सीटे
हमारे लए छोड़ दए थे।
लड़क क उ उस समय जो भी रह हो ले कन चेहरा उसका इतना कम सन था
क वह मझे
ु चौदह-प ह साल से यादा उ क नह ं लगी थी। उसक बड़ी बड़ी
खबसरत
ू ू आँखो और म खन के रं ग के और वेसे ह ि न ध तथा कोमल उसके चेहरे पर
बचपन क अबो धता और भोलापन अभी भी व मान था। हालां क अब वह परू तरह
नरापद थी ले कन थोड़ी दे र पहले जो कछ
ु उसके साथ घटा था, उसके सदमे से वह अभी
तक उबर नह सक थी, और अपनी जगह गमसम ु ु और उदास बैठ हई ु थी। थोड़ी दे र तक
तो म यह सोचकर खामोश बैठा रहा था क लड़क धीरे धीरे खद
ु ह सदमे क ि थ त से
उबर कर व थ हो लेगी ले कन लंबे इंतजार के बाद भी जब वह खामोश और उदास ह
बैठ रह थी तो म सोचा उससे कछ
ु बात क जाए, िजससे उसका मन ह का हो और वह
खद
ु को सहज कर सके।
आप कहाँ से आ रह है ? मने उससे पँूछा था?
इलाहाबाद से। थोड़ी दे र तक मेरे चेहरे पर ताकने के बाद बड़ी उदासीनता से उसने
मझे
ु जबाब दया था।
इलाहाबाद से....?
हाँ आ � � �..... इस दफा जबाब दे ने के पहले वह थोड़ा सतक थी।
घमने
ू के लए आई थी।
जी..........
आपको इस भीड़ के समय इधर नह ं आना चा हए था। दरअसल महाकंु भ का मेला चल
रहा है न इस लए े न म इस समय बड़ी भीड़ हो जाती है।
लड़क क भीड़ म जो दगु त हईु थी उससे म काफ य थत था और अपने भीतर बहत ु
गहरे मझे
ु ऐसा महसस
ू हो रहा था जैसे उसक इस हाल के लए म भी कम गनहगार

नह ं हँू । इसी लए उसे समझाते समय मेर आवाज मे, मेरे भीतर का अपराध बोध, लरज
कर बाहर आ गया था और मै उसे समझाने क बजाए उससे माफ सा माँगा था। मेर
बात पर लड़क चौक नी होकर बैठ गई थी और मेरे चेहरे पर थोड़ी दे र ताकने के बाद
मसकरा
ु ु द थी।
उसे मसकराती
ु ु दे ख मझे
ु बड़ी राहत महसस
ू हईु थी। मझे
ु लगा था जैसे मेरे सीने पर लदा
कोई बड़ा बोझ वहाँ से हट गया हो। समय गज
ु रने के साथ लडक के चेहरे से दद क
सार सलवटे धीरे धीरे छट गई थी, और वह परू तरह व थ और सहज हो गई थी।
आप कस दे श से है?
अमे रका से।
अमे रका से...?
जी...।
अमे रका का नाम सनते
ु ह मेरे भीतर अचानक जैसे कोई वालामखी
ु सा भड़क उठा था।
दरअसल उस समय म अमे रका से बड़ी खार खाया करता था। उससे खार खाने के पीछे ,
वेसे तो कइय कारण थे ले कन उसम सबसे बडा कारण यह था क, उसने अपना सातवाँ
बेड़ा 1971 के यु के दौरान, भारत के खलाफ, हं द महासागर म भेज चका
ु था, इस बात
को लेकर म उसे अभी भी माफ नह ं कर सका था।
दरअसल अमे रकन भारत को अपना पछल गू बनाकर रखना चाहते ह। वे चाहते है क
भारत उनक जी हजर
ु ू करता रहे । म लड़क को चीख, चीख कर सनाने
ु लगा था। वे हमे
अपना दो त नह ं समझते। हम अपने बराबर का दजा नह ं दे ते। वे समझते है वे राजा है
और हम लोग उनक जा है। इतना ह नह ं, भारत पर अपनी दादागीर और घ स जमाने
के लए उसने अपना सातवाँ बेड़ा तक भारत भेज दया था। मेरे गु से ने जैसा चंड प
कर लया था उसे दे ख कर लड़क एकदम से सहम गई थी।
लड़क को इतना सनाने
ु के बाद म उसक त या जानने के लए थोड़ा का था
ले कन उसक तरफ से इस पर कोई त
या नह ं हई
ु थी और वह पहले क ह तरह
अपनी जगह सटक
ु सहमी बैठ मझे
ु दे खे जा रह थी।
या अमर का क यह दादा गर कोई भतासं
ु प न दे श और उसके बा सद िजनम थोड़ा
सा भी स मान होगा कभी बदा त करे गा? म कर ब कर ब च लाते हए ु लड़क से न
कया था। लड़क थोड़ी दे र हैरान मझे
ु ताकने के बाद, बड़ा मसकराते
ु ु हए
ु , मझसे
ु प◌ॅ
ू छा
था, आप सारे अम रकन क बात कर रहे ह या अमे रकन गवनमट क ? लड़क का त
न सनकर
ु म बरु तरह झेप गया था। सच कहती है यह, अगर अमे रका कह ं कछ

करता है तो वह अपने लोग से प◌ॅ
ू छकर तो करता नह ं। कसी भी दे श क सरकार, कछ

करने के पहले, अपने लोग से कहाँ कभी कछ
ु प◌ॅ
ू छती है ? भारत म भी ऐसा नह ं होता है
फर म इस बेचार को इतना उलटा पलटा
ु य सनाने
ु लग गया, अमे रका भारत के
साथ जो कुछ कया उसम भला इस बेचार का या दोष है?
माफ क रएगा म आपको बहत ु उलटा पलटा
ु बोल गया। मझे
ु आपके साथ इस तरह पेश
नह ं आना चा हए था। इसके लए म सचमच ु बहत
ु श मदा हँू ।
आप बेवजह श मदा हो रहे ह मझे
ु आपक बात एकदम बर
ु नह ं लगी। उसने यह बात
मसकराकर
ु ु और इस तरह कहा था क उससे मेर श मदगी कम होने क बजाए और
यादा गहर हो गई थी। थोड़ी दे र पहले जब म उस लड़क को डॉट रहा था और वह
सकड़ी
ु बैठ , मझे
ु सन
ु रह थी उस समय अगल बगल बैठे लोगो के चेहर पर गहरा दं भ
उतर आया था और म उनके बीच खद
ु को कसी बड़े ह रो क तरह महसस
ू कर रहा था,
ले कन लड़क इतनी ज द मझे
ु पीटकर रख दे गी इसक उ ह कतई उ मीद नह ं थी
इस लए अगल-बगल बैठे लोग के चेहर के भाव पढ़ा था तो सब मझे
ु चढ़ाते हए
ु से दे ख
रहे थे।
आप हं द जानती है? अपनी झेप और श मदगी से उबरने के लए म इस वषय को बदल
दे ने के उ दे य से उससे पँछ
ू ा था।
थोड़ा थोड़ा....।
आप भारत पहल दफा आई ह क इसके पहले भी आ चक
ु है ? म उससे यह सवाल हं द
म पँछ
ू ा था।
म भारत म ह रहती हँू जबाब दया था उसने।
आप हं द बहत ु अ छा बोल लेती है।
कहाँ रहती है ?
बंबई म।
कतने दन से?
दो साल से।
या करती है ?
पढ़ती हँू ।
या ?
भारत का ाचीन इ तहास।
कब तक रहे गी यहाँ?
बस म वापस अमे रका जाने वाल हँू । पढ़ाई मेर परू हो गई है।
अ छा...... जब आप इतने दन से भारत म ह तो इस दे श को तो बहत
ु अ छे से समझ
गई होगी?
नह ं कह सकती ई � � � ........ बड़ा हॅसते हए
ु उसने मझे
ु जबाब दया था।
ठ क है म आपसे दो बाते जानना चाहता हँू । पहल बात तो यह क यहाँ पर, मेरा मतलब
भारत म आपको कौन सी बात सबसे अ छ लगी और दसर
ू बात क यहाँ आपको सबसे
यादा खराब या लगा?
यहाँ क पा रवा रक यव था मझे
ु सबसे अ छ लगी।
और खराब या लगी?
यहाँ क भीड़।
यहाँ क तर क आपको कैसी लगी?
नह ं कह सकती। शायद मेरे न का जबाब, सचमच
ु उसके पास न रहा हो। या क वह
मझे
ु , मेरे इस न का जबाब दे ना ह नह ं चाहती थी। वैसे मझे
ु अपने इस न का
जबाब उससे चा हए भी नह ं था। यह न मने उससे खास उ दे ◌े य से प◌ॅ
ू छा था और
उ दे य मेरा यह था क थोड़ी दे र पहले जो मझे
ु उस लड़क से परा त होना पड़ गया था
उसका दं श अभी भी मेरे भीतर ट स रहा था। उसी दं श से उबरने के लए मने उससे यह
न कया था।
सचमच
ु यह न काफ टे ढ़ा है। मने उसे समझाने क गरज से कहा था। ले कन एक
बात जो म दावे से कह सकता हँू वह यह क, अगले प चीस वष म भारत तर क के
मामले म, अमे रका से आगे नह ं तो, इसके बराबर ज र हो जाएगा। अपना यह मत य
सनाते
ु हए
ु मेरे चेहरे पर दं भ उतर आया था। अपने इस दावे क पिु ट के लए अपनी
गदन तानकर अगल बगल बैठे लोग के चेहर को तलाशा था म, तो, वे भी मेर बात से
परू तरह सहमत दखे थे।
नह ं ई ई � � .......। नह को लंबा खींचकर लड़क मेरे दावे पर िजस तरह क अपनी
ठोस असहम त दज क थी उसे सनकर
ु म तल मला उठा था ले कन इस वषय पर म
उससे बहस म उलझ कर फर से अपनी भ द नह ं पटवाना चाहता, इस लए इसे कड़ऐ

घ◌ॅ
ू टे क तरह, नगलकर चप
ु लगा गया था।
गाड़ी इस बीच कइयो टे शन पार कर चक
ु थी। बीच के टे शन पर काफ लोग उतर
गए थे ड बे म अब वैसी भीड़ नह ं रह गई थी। जब तक ड बे म भीड़ थी भीतर काफ
गम महसस
ू हो रह थी ले कन भीड़ के छट जाने से ठं डी अपना असर दखाने लग गई
थी। इतनी ठं ड म लड़क क शर र पर एक ह के ट -शट के अलावे कछ
ु भी नह ं था ऐसे
म उसे ठं ड मार सकती है यह सोचकर म परे शान हो उठा था। आपने सफ एक ट -शट
पहन रखा है आपको ठं ड नह ं लग रह है ?
नह ं म एकदम ठ क हँू मेरे पँछ
ू ने पर एकदफा उसने मझे
ु भरपरू नजर से दे खा था और
मसकरा
ु द थी वह।
रात के दस बज चक
ु े थे। मझे
ु उस समय तक काफ भख
ू लग गई थी। घर का खाना
मेरे साथ था और म उसे खा लेना चाहता था।
आपको भख
ू नह ं लगी ह?
नह .ं .........। उसने भखी
ू होने से इनकार तो कया था ले कन उसके चेहरे और आवाज से
लगा था क भख
ू , उसे भी लग चक
ु है। म अपने बैग से ट फन का ड बा नकाला था,
और उसे खोलकर बैठ गया था। मझे
ु संकोच हो रहा था, उस लड़क से फर से खाने को
पँूछने का, फर भी मने उससे प◌ॅ
ू छ लया था। या आप थोड़ा सा भी, इसम से नह
लेगी? मेरे अनरोध
ु पर उसक आँख म भीषण आ मीयता उतर आई थी। उसने मझे

दलराती
ु नजर से दे खा था मसकरा
ु ु द थी।
ल िजए......। म उसक मसकराहट
ु ु से गदगद हो ट फन उसक तरफ बढा दया था। इस
पर वह परा
ू ट फन मेरे हाथ से लेकर अपनी बैग से, दो तीन साफ कागज के टकड़े

नकाल थी और कछ
ु पराठे और स जी ड बे से नकालकर, कागज पर रख, मझे
ु खाने के
लए पकड़ा द थी।
अरे यह या ......... आप खाइए ना.........।
आप खा ल िजए उसके बाद म खाऊँगी। उसक इस बात का मने जो मतलब नकाला था
वह यह क े न म आए दन जहर खरानी
ु क घटनाएँ होती रहती है , इस बात से लड़क
आगाह है इस लए वह कसी अजनबी का दया खाने से बचना चाहती है यह सोचकर म
बना उससे और कछ
ु कहे , उसे व वास दलाने के लए, क खाने मे जहर जैसी कोई
चीज नह ं है , अपने हाथ के पराठ मे से तीन चार नवाले खा गया था।
अब तो आप खाइए.....? म समझा था मझे
ु खाता दे ख, उसके मन का भय नकल चका

होगा, इस लए म उससे बे झझक होकर खा लेने का अनरोध
ु कया था।
नह ं आपके खाने के बाद ह म खाऊँगी।
य ........ आप कसी चीज से डर रह है या?
नह ं।
तब?
भारत म, औरते मद को खला लेने के बाद ह खाती ह, बड़ी आ मीयता से मेरे चेहरे पर
ताक उसने जबाब दया था। उसक यह बात सनकर
ु मेर दे ह म सनसनी दौड़ गई थी।
यह या कह दया इसने? चौक कर म उसके चेहरे को दे खा था। उसक आँख म उस
समय अजीब तरह क कोमलता तर आई थी। वह मझे
ु दलराती
ु हई
ु सी नहार रह थी।
वह कोमलता और दलार
ु सफ उसक आँख म ह नह ं था बि क उसके चेहरे और परू
दे ह से झर रह थी। उसे दे खकर म भीषण रोमांच और पलक
ु से भर उठा था।
मझे
ु परू तरह खला चकने
ु के बाद भी जब वह, मठाई के और दो टकड़े
ु मेर तरफ बढ़ा
द थी तो म अपना हाथ पीछे खींचकर, उसे लेने से मना कर दया था। नह ं म अब और
नह ं खा सकता, मेरे पेट म अब और क जगह नह ं है। इस पर वह अपनी आँखे तरे र
मझे
ु धमकाती हई ु सी मठाई के दोन टकड़े
ु मेरे हाथ म ठ◌ॅ
ू स द थी। उसे खा लेने के
बाद, थोड़ी ह दे र म, एक टे शन पर गाड़ी क थी तो म उतरकर टे शन के बंबे पर
पानी पया था। और ट फन के एक ड बे म पानी उसके लए भी ले आया था। वापस
आया तो दे खा वह अपने ह से का खाना बड़े इि मनान से खाने म जट
ु हई
ु थी। खाना
ख म कर वह ड बे बाथ म म ले गई थी और उ ह अ छ तरह धो पोछकर वापस आ
गई थी।
ड बे से अब तक काफ लोग उतर चक
ु े थे और जो थे अपनी सीट पर बैठे बैठे या तो
सो गए थे या ऊँघ रहे थे। वह जब अपनी सीट पर इि मनान से बैठ गई थी तो मौका
दे खकर मने उससे पँछ
ू ा था। तमने
ु जो बात अभी थोड़ी दे र पहले कहा था उसका असल
मतलब भी समझती हो या य◌ॅ
ू ह .......?
समझती हँू...... जबाब दे ते समय, उसका चेहरा, अलौ कक कां त से दमक उठा था।
सचमच
ु ? उसक आँखो म अपनी आँखे डाल मने उससे पँू छा था।
हॉ......।
इस दफा वह शरमा गई थी और अपनी नजर मेर तरफ से खींचकर जमीन मे गाड़ कर
बैठ गई थी।
यह जानकर क, इस बात का उसे सफ मतलब ह पता नह ं है बि क मेरे पँछ
ू ने का
असल आशय भी वह समझ गई है, मेरा अंतर रोमाच से भर उठा था। मन म आया था
शरम से पानी हआु उसका चेहरा, अपने दोन हाथ म लेकर, उससे एक बात और पँछू ू,
या म तु हारे कहने का मतलब वह समझँ ू जो म समझ रहा हँू ? ले कन म उससे ऐसा
नह ं पँूछ सका था, कारण इसका यह था क इस बीच सामने क सीट पर बैठे एक
स जन जग गए थे। उ ह बाथ म जाना था। जब वे अपनी सीट से उठकर बाथ म चले
गए थे तो मझे
ु मौका मल गया था और मने उससे पँछ
ू लया था। यह बात ठ क है क
भारत म पि नयाँ, अपने मद को खाना खलाने के बाद ह खाती ह ले कन तम
ु .........? म
इसके आगे कहना चाहता था क, तम
ु तो मेर प नी नह ं ह फर तमने
ु ऐसा य कया?
ले कन म उससे यह नह ं पँछ
ू सका था। शायद मेर , उससे ऐसा कछ
ु प◌ॅ
ू छने क ह मत
ह नह ं पड़ी थी, या क, मझे
ु लगा था क, िजतना तक वह कह चक
ु है उसके बाद उससे
इस तरह का न करने का कोई मतलब ह नह ं है।
ट फन का ड बा अभी भी उसक दोन जाँध के बीच, सीट पर था और वह उसे अपने
दोन हाथ से पकड़े हए
ु थी। ड बा उठाने के बहाने म उसके हाथ अपने हाथ म दाब
लया था तो उसने इसका कोई वरोध नह ं कया था बि क अपने दोन हाथ मेरे हाथ म
स प दया था और म उ ह धीरे -धीरे सहलाने लग गया था।
रात काफ गहर हो गई थी फर भी न तो लड़क म रात के गहरा जाने क कोई थकान
या उबासी थी न मझमे
ु । गाड़ी अपनी परू र तार म भागती चल जा रह थी और हम
दोन एक दसरे
ू को अपलक नहारते बैठे रहे थे।
तम
ु काफ थक गई होगी............ सो जाओ। मेरे कहने पर उसने अगल-बगल दे खा था
वहाँ जगह नह ं थी
य क एक स जन सीट पर पहले से ह पसरे हए
ु सो रहे थे और
उ ह ने काफ जगह घेर रखा था।
आओ इधर, चल आओ, यहाँ काफ जगह है। म खड़क क तरफ खसक कर उसके
बैठने, भर के लए काफ जगह बना दया था। वह अपनी सीट से उठकर मेर बगल
आकर बैठ गई थी। काफ थक गई हो। लेट जाओ यहाँ, मने उसे अपने जंघ पर लेट
जाने के लए कहा था और उसके वेसा करने के पहले ह उसे खींचकर अपनी जांघो पर
लटा लया था। उस दन, सार रात वह मेर जॉघो पर अ◌ॉखे म◌ॅ
ू दे पड़ी रह थी और म
उसका खबसरत
ू ू चेहरा अपनी नजर से सहलाता सार रात बैठा रहा था। बीच बीच म,
खड़क के रा ते, हवा का कोई झोका आकर, उसके बाल उसके चेहरे पर वखेर दे ता तो,
बादल के बीच से झॉकते, चाँद से खबसरत
ू ू उसके चेहरे से बड़ा संभाल संभाल कर उ ह
अपनी चट
ु कयो म पकड़ आ ह ते आ ह ते वहाँ से हटाता रहता। अगला टे शन आ रहा
था। गाड़ी क र तार कम होने लग गई थी। हम दोन को इसी टे शन पर उतरना था।
िजस तरह नि चत वह मेर जॉघो पर आँखे म◌ॅ
ू दे पड़ी हई
ु थी म समझा था वह गहर
नींद म है।
सनती
ु हो...... हम लोग का टे शन आ गया उठो। उसके कोमल चेहरे पर अपनी
उग लयॉ फराकर मने उसे उठाया था।
ले कन वह सोई नह ं थी। मेरे उठाने पर वह ब च क तरह मचलते हए
ु , मेरा हाथ अपने
दोन हाथ से जोरो से पकड़ ल थी। नह ं म आपको छोड़कर कह नह ं जाऊँगी, नह ं
जाऊँगी म। ले कन अपना टे शन आने पर िजस तरह सबको उतर लेना होता है उसी
तरह हम भी उतरना पड़ गया था। ड बे से उतरकर हम दोन लेटफाम पर कछ
ु दरू
चले भी थे ले कन इस बीच, अधेड़ उ का एक आदमी, जो शायद लड़क का पता रहा
होगा, उसे मल गया था और वह उसके साथ चल गई थी।
या कोई कभी यह सोच भी सकता है क जो लड़क , स ताइस अ ठाइस साल पहले, मझे

े न म उस दन मल थी इतने सालो बाद, फर कसी दन, वह लड़क मझसे
ु टकरा
जाएगी? नह ं ना? ले कन आज क रात वह लड़क फर मझसे
ु टकरा गई थी। और हैरानी
क बात तो यह क, जो कछ
ु और जैसा मेरे साथ उस दन घटा था ठ क वह और वेसा ह
कल क रात भी सब कछ
ु घटा था। महाकंु भ तो इस साल नह ं लगा था ले कन मह ना
वह था और शायद दन भी वह रहा हो। े न म ठ क वैसी ह भीड़ थी। लड़क उसी
तरह बाथ म क जगह सटक
ु खडी थी। तीन चार लड़के उसे उसी तरह नोच खसोट रहे
थे। मै उसी तरह ड बे म घसा
ु था। दो घंटे बाद बाथ म गया था तो उसी तरह लड़क
पर मेर नजर पड़ गई थी। लड़क वह थी एकदम वह िजसे म तब दे खा था। म उसे
उसी तरह वहाँ से नकालकर अपनी सीट पर ले आया था। आते समय लड़को ने पीछे से
वैसा ह मझ
ु पर टांट कया था। दो तीन लड़क ने िज ह अगले टे शन पर उतरना था,
उसी दन क तरह ह वे अपनी सीटे , हम लोग के बैठने के लए खाल कर दए थे।
हाँ उस समय म और आज म कछ
ु अंतर ज र था और वह अंतर यह था क म, अब
उस दन क तरह छ रं दा नह ं रह गया था। लड़क को दे ख इस बात को लेकर म बेहद
च कत था क आज से कइय वष पहले, िजस तरह से सब कछ
ु घटा था ठ क वैसे ह ,
एकदम उसी तरह, सब कछ
ु घट कैसे रहा था? म इस बात को लेकर िजतना च कत था
उससे भी यादा, यह दे खकर हैरान था क वह लड़क , जो मझे
ु वष पहले ठ क इसी तरह
े न म मल थी वह आज फर कैसे यहाँ आ पहँु ची है ? ठ क वैसा ह चेहरा मोहरा वह ं
आँख,े वह खबसरती
ू ू और सबसे बड़ी बात तो यह क वह ठ क उसी जगह खड़ी भी थी
जहाँ उस दन खड़ी थी। म अवाक था लड़क को दे खकर। मझे
ु अपनी आँख पर व वास
ह नह ं हो रहा था। यह कैसे संभव है? िजतना कछ
ु जो कछ
ु मेर आँख के सामने गजरा

था और गजर
ु रहा था, सब कछ
ु एकदम अचं भत कर दे ने वाला था, एकदम अ व वसनीय
था। ले कन िजस बात को लेकर म बरु तरह है रान था वह यह थी क इतने वष के बाद
भी वह लड़क वैसी क वैसी ह कैसे बनी हई ु है। छ बीस, स ताइस साल के बाद भी वह
वैसी क वैसी टटक , और ताजी कैसे है ? उसक उ का अंदाज लगाया था म। इसक उ
इस समय पता लस सता लस साल से कम नह ं होना चा हए ले कन इस लड़क का चेहरा
तक उसी क तरह ह कम सन था। वेसी ह बड़ी बड़ी अ◌ॉखे वेसी ह खबसरत
ू ू और
सबसे बड़ा ता जुब तो यह क िजस उ क वह स ताइस अ ठाइस साल पहले थी
उसक उ भी कर ब कर ब वह थी।
मझे
ु दे खकर आपको काफ अचंभा हो रहा है न? मझे
ु हैरानी म पड़ा दे ख, लड़क बड़ा
मसकराते
ु ु हए
ु मझसे
ु प◌ॅ
ू छ थी।
सचमच ु म बरु तरह अचं भत हँू ,
आप उमाकांत जी है न.........?
हाँ � � आँ।
आपका घर शवहर है न?
हाँ � � � अ◌ॉ आ............. अपने सारे न का उ तर मझसे
ु हाँ म पाकर वह
एकदम से खल उठ थी। ले कन यह लड़क इतना कछ
ु , मेरे बारे म जानती कैसे है? मेरा
नाम और गाँव तक इसे कैसे पता है ? छ बीस, स ताइस साल पहले म िजस लड़क से
मला था, न तो मने उसे अपना नाम बताया था और न ह उसको अपना पता ह दया
था। उससे भी म, उसका नाम पता कहाँ पछा
ू था। फर इस लड़क को मेरे बारे म इतना
सब कैसे पता है? ज र या तो वह लड़क मायाबी है या इ जाल जैसी कोई व ा जानती
है। नह तो भला कसी के बारे म कोई इतना कछ
ु कैसे जान सकता है?
ले कन तुम मेरे बारे म इतना कछ
ु कैसे जानती हो?
म आपके बारे म और भी बहत ु कछ
ु जानती हँू । मेरे पँछ
ू ने पर मेर अ◌ॉखो म अपनी
आँखे डाल बड़ी शरारत से मसकराते
ु ु हए
ु जबाब दया था उसने।
दे खो, तम
ु मझे
ु पहले ह काफ परे शान कर चक
ु हो, इसके आगे अब अगर तमने
ु मझे

अपनी परू अस लयत नह ं बताया तो समझ लो।
ठ क है अब म आपको और यादा परे शान नह ं क ◌ॅगी। बताती हँू म आपको कैसे
जानती हँू और मझे
ु बताने के लए उसने अपनी बैग से कागज का एक बड़ा बंडल
नकाला था और उसे खोलकर मेरे सामने फैला द थी।
यह आप है न .......?
हाँ .......... आँ � � �
और यह कौन है......?
यह ........? यह तम
ु हो....... कागज म काफ बड़ा एक चबनाया हआ
ु था िजसम म
उस दन क तरह े न क खड़क क बगल बैठा हआ ु था और मेर जॉघ पर वह लड़क
सोई हई
ु थी। उसके बाल उसी तरह उसके चेहरे पर छतराए हए
ु थे और म उ ह अपनी
चट
ु कय म पकड़कर वहाँ से हटा रहा था और मेर नजर लड़क के चेहरे पर टक उसे
बड़े यार से नहारे जा रह थी। मेरे वेसा बताने पर, दखावट गु से म, अपनी चबु रयाँ
बांधकर उसने मझे
ु तरे रा था इस आशय म क जो लड़क आज से छ बीस स ताइस
साल पहले आपक जांघो पर लेट हई
ु थी वह म कैसे हो सकती हँू ?
बड़ा मिु कल है। इस च मे साफ है क यह तम
ु ह हो फर भला म.......।
नह ं पहचाना आपने , यह म नह ं हँू , वह अपनी सीट से उठकर मेरे बगल आकर मझसे

एकदम सॅटकर बैठ गई थी। जरा इसे फर से यान से दे खए।
म इसे यान से ह दे ख रहा हँू यह लड़क तु ह तो हो। च दे खकर मेरे जेहन म उस
दन का वह य, एकदम जीवंत हो उठा था, और ऐसा म महज उसे चढ़ाने के लए कहा
था।
अब आप बदमाशी कर रहे ह उसने मेर बॉह पर दो तीन मु के जड़ दए थे। यह मेर
माँ है छ बीस स ताइस साल पहले, वह मेर ह उ क थी। मेर माँ का चेहरा और मेरा
चेहरा कर ब कर ब एक जैसा है।
ले कन यह च कसने बनाया?
मेर माँ ने...........।
कहाँ है तु हार माँ अभी..........?
अटलांटा म....... अब आप पहचान गए?
मने उसे कोई जबाब नह ं दया था।
या तु हार माँ, अभी भी मझे
ु याद करती है? लड़क से म उसक माँ के बारे म यह और
इसी तरह क और ढे र सार बात प◌ॅ
ू छना चाहा था ले कन यह सोचकर क इतने दन म
तो उसे मेरा चेहरा तक भल
ू चका
ु होगा ऐसे म भला उसक बेट मझे
ु या बताएगी। मने
उससे कछ
ु नह ं पँूछा था।
आपके लड़के अटलांटा मे है न?
हॉ है तो ......।
दरअसल एक दन मेर माँ क , आपके लड़के से मलाकात
ु हो गई थी, उ ह ं से उसने,
आपका नाम और पता लया था। मेरे लड़के के साथ अपनी माँ क मलाकात
ु क बात
बताने पर, मझे
ु याल आया था, क पछल दफा मेरा लड़का जब घर आया हआ ु था तो
उसने मझसे
ु पँछ
ू ा था, आपको कोई अमे रकन औरत कभी े न म मल थी? हाँ मल तो
थी। वह औरत तो पागल है। उसने एक च बनाया था िजसम म े न क सीट पर बैठा
हआ
ु हँू और सोलह स ह साल क एक लड़क मेरे जंघ पर अपना सर रखकर लेट हई ु
है। च मझेु दखाकर उसने मझसे
ु पछा
ू था कछ
ु याद आया तु हे ? नह ं मझे
ु तो कछ
ु भी
नह ं याद आ रहा है। मेरे इनकार करते ह वह एकदम से च ला उठ थी। तम
ु मझे

इतनी ज द कैसे भल
ू गए म तो तु ह अभी तक नह ं भल
ू । उसक बात और च लाना
दे खकर पहले तो म समझा था क वह सचमच
ु क कोई पागल है या मझे
ु इसने वह
लड़का समझ बैठ है िजसका उसने च बनाया है। ले कन थोड़ी ह दे र म वह एकदम
नामल होकर मझसे
ु बड़ा हॅसते हए
ु और यार से प◌ॅ
ू छना शु क थी क वष पहले जब
म इलाहाबाद से े न के जनरल ड बे म सफर कर रह थी तो आप भी बीच के कसी
टे शन पर उसी बोगी म चढ़े थे और मझे
ु भीड़ से नकालकर अपनी सीट पर ले गए थे।
उस दन हम दोन साथ साथ खाना खाए थे और आप मझे
ु सार रात अपनी जॉघ पर
सलाए
ु रखे थे उसम से आपको कछ
ु भी याद नह ं है?
जब उसने इलाहाबाद का हवाला दे कर यह बताया था क घटना काफ वष पहले क है
तो मने अनमान
ु लगाया था क हो न हो, े न मे उसक मलाकात
ु , आपसे हई
ु हो। आपका
और मेरा चेहरा कर ब कर ब एक ह जैसा है और िजस समय क यह बात थी उस समय
आपक उ और चेहरा वेसा ह रहा होगा जैसा वह च म दखाई थी इस लए वह भल

से मझे
ु च का लड़का समझ बैठ है।
मैडम आप िजस समय क बात कर रह है उस समय तो म पैदा भी नह ं हआ ु रहा
हँू गा। वेसे म प क तौर पर तो नह ं ले कन आपक बात से और च से मझे
ु लगता है
क े न म आपक मलाकात
ु मेरे पता जी से हई
ु होगी य क उस समय उनक उ
और चेहरा कर ब कर ब ऐसा हो रहा होगा।
दे खो म भी कतनी बड़ी पागल हँू क म इतनी छोट सी बात नह ं समझ सक और
बेवजह तमसे
ु उलझ गई, अपने माथे पर जोर का चटकना मारकर थोड़ी दे र पहले मेरे
साथ के अपने पागलो जैसे यवहार पर शं मदा होते हए
ु उसने मझसे
ु कहा था।
सॉर , माई सन, आई ऐम वेर सॉर ।
इटस आल राइट मैम, कभी कभी आदमी क याददा त इसी तरह उसके साथ धोखा कमा
जाती है।
ले कन मेर याददा त मझे
ु अ सरहॉ धोखा ह दे ती रहती है अब यह दे खो न िजस
समय क यह बात है उस समय तम ु पैदा भी नह ं हए
ु रहे ह गे, ले कन म तु हे ह वह
आदमी समझ बैठ थी। उसके बाद थोड़ी दे र सोचती बैठे रहने के बीच वह मझसे
ु आपका
नाम और पता मांगने लग गई थी। तमने
ु ठ क कहा उस दन े न म मेर मलाकात

तु हारे पता से ह हई
ु थी। तम
ु ऐसा करो मझे
ु उनका नाम और पता दो म भारत जाकर
उनसे मलँ गू ी।
य ...... कछ
ु खास बात है या...... य आप उनसे मलना चाहती है?
तम
ु वह बात नह ं समझोगे........।
म सोचा यह पागल तो हई है। कह ं आपसे मलने के लए आपके पास पहँु च गई..... तो
एकदम से गजब हो जाएगा, इस लए मने उसे रोक दया था। ऐसी गलती कभी भलकर

भी मत क रएगा। अगर आप मेरे पताजी से मलने उनके पास पहँु च गई, तो आपको
दे खकर या तो मेर माँ खद
ु जहर खाकर आ म ह याकर लेगी या आपको गोल मार
आपक जान ले लेगी।
जानती हँू , द ु नया क सार औरत एक जैसी जलककड़ी
ु होती है। ठ क है तम
ु मझे
ु उनका
नाम पता दे दो मै ा मज करती हँू क भारत नह ं जाऊँगी। उस लड़क ने जब, मेरे
लड़के का हवाला दया था तो मझे ु सार बात समझ म आ गई थी और म अपने
वतमान से दौड़ लगाता अतीत के उस काल खंड म पहँु च उसी म मगन हो गया था।
दरअसल मेर माँ पागल है।
या सचमच
ु वह पागल हो गई है? अपने लड़के क बात पर तो नह ं ले कन उसक बेट
के मँुह से वह बात सनकर
ु मझे
ु तगड़ा झटका सा लगा था।
अरे नह ं, वह कपड़े फाड़कर रोड पर नंगी घमने
ू वाले पागलो क तरह क पागल नह ं
हई
ु है। वह बहतु अ छ च कार है और समझदार भी है। ले कन उसक कछ ु बात ऐसी
होती है िजसे सफ वह करे गा, िजसके दमाग का कोई पजा
ु ढ ला हो गया होता है।
अ छा आ � � � ।
हाँ आ � � ... अब यह दे खए न, वह कहती है क मेरे पता जॉन नह ं है बि क आप
है, जब क म जानती हँू क जान ह मेरे पता है। उ ह ं के साथ मेर माँ क शाद हई
ु थी
और म उ ह ं से ज मी हँू । इस तरह आप मेरे पता हो ह नह ं सकते, आपह बताइए हो
सकते है आप मेरे पता।
नह ं हो सकता।
तो ऐसी बात कोई पागल ह करे गी न.....?
हाँ इसे तो तु हार माँ का पागलपन ह कहा जाएगा।
दोन क शाद होने के साल भर के भीतर ह म पैदा हईु थी और मेरे पैदा होने के बाद
ह माँ ने मेरे पताजी पर यह इ जाम लगाकर उनसे तलाक ले लया था क वे नहायत
मतलबी और ू र आदमी है। जब क म जानती हँू क मेरे पता वैसे नह ं थे। वे नहायत
शर फ और नेक दल आदमी थे। यह नह ं मॉ से तलाक के बावजद ू वे मझसे
ु बेहद यार
करते थे और मझसे
ु यादा वे मेर माँ को यार करते थे। अब आप ह बताइए जो
आदमी इतना भला ह , उसे कोई ू र और मतलबी कहे तो वह पागल नह ं तो या है ? है
कनह आप ह बताइए?
हाँ ऐसी बात तो कोई पागल ह करे गा।
इतना ह नह ं पताजी से संबंध व छे द के बाद, मेर माँ फर कसी से शाद करने को
कौन कहे , उसने कसी मद से कभी कोई र ता ह नह ं रखा जैसे मद जा त से ह उसे
चढ़ हो। हमारे यहाँ प चीस छ बीस साल क औरत बना मद के अकेल रहने क बात
कभी सोचती तक नह ं ले कन मेर माँ पताजी से तलाक लेने के बाद से एकदम अकेल
ह रह रह है।
उसका एक पागलपन और सु नए, थोड़ी दे र ककर कछ
ु सोचने के बाद वह खल खलाकर
जो हॅसना शु क थी तो उसक हॅसी बंद होने का नाम ह नह ं ले रह थी। उसका एक
और पागलपन यह सु नए क जब म छोट थी, तो वह मझे
ु कइयो दफा भारत यह
कहकर लाई थी क चलो म तु हारे असल पता से तु हार भेट करवा दे ती ह◌ॅ
ू , और
भारत हमेशा वह माघ के मह ने म ह मझे
ु लेकर आती थी और इसी तरह के भीड़ वाले
ड बे म घस
ु जाती थी, सार रात ऐसे ह बाथ म के पास खड़ी रहती थी और सबह
ु चार
बजने के समय जो टे शन आता था ड बे से उतर कर मझे
ु घसीटती बदहवास सी
लेटफाम के एक सरे से दसरे
ू तक तब तक दौड़ लगाती रहती जब तक समचा

लेटफाम या य से खाल नह ं हो जाता था। आप बताइए ऐसी औरत को कोई पागल
नह ं तो और या कहे गा?
सचमच
ु वह पागल ह है लड़क से उसक माँ का पागलपन का क सा सनकर
ु मेर
अ◌ॉखे भर आई थी। वह मझे
ु उस कातर ि थ त म न दे ख ले इसके लए म अपना
चेहरा खड़क क तरफ मोड़, बाहर दे खने लग गया था। खोजा तो म भी उसे बहत
ु दन
तक था। जब भी कोई वदे शी लड़क मझे
ु दख जाती झपटकर म उसके पास पहँु च जाया
करता था और जब दे खता था, यह लड़क वह नह ं है, िजसक मझे
ु तलाश है, तो म काफ
उदास हो जाया करता था।
इतना ह नह ं पढ़ने के लए मझे
ु भारत उसी ने भेजा था। आते समय यह च दे कर
उसने मझसे
ु कहा था, भारत जाकर अपने पता से ज र मलना। ले कन उनसे मलने के
लए तम
ु उनके घर कदा प नह ं जाओगी।
तो म उनसे मलँ ग
ू ी कैसे? मेरे प◌ॅ
ू छने पर उसने मझसे
ु कहा था क जब म तझे
ु उनसे
मलवाने के लए भारत लेकर जाती थी तो िजस टे शन से तझे
ु लेकर े न म चढ़ती थी
उसी टे शन से, उसी तरह के भीड़ भरे ड बे म घसकर
ु बाथ म क बगलवाल द वार से
सॅटकर खड़ी रहना वे तु ह खद
ु ह तलासते हए
ु तेरे पास पहँु च जाए◌ॅगे।
अपनी माँ क ऐसी बेतकु और बचकानी सलाह पर म उससे लड़ बैठ थी और उसे बरु
तरह लताड़ द थी। अपनी तरह तू भी मझे
ु पागल समझ रखी है या, म तो सीधा उनसे
उनके घर जाकर ह मल◌ॅ
ू गी।
दे ख पयि वनी (मेर मॉ ने ह मेरा नाम पयि वनी द थी) म तझे
ु साफ बता दे ती हँू
अगर तू मेर बात नह ं मानी और अपने मन क , क तो, लौटने पर तू मेरा मँह
ु नह ं
दे खेगी।
मेर माँ िजस तरह क पागल है वेसे म उसक बात नह ं मानने पर वह कछ
ु भी कर
गजर
ु सकती थी इस डर से और दसरा
ू यह क बचपन से ह उसे अपनी झख को
बंद रया के मत
ृ ब चे क तरह अपने सीने से चपकाए दे खते दे खते मझे
ु उसके वे झठ

भी सच जैसे लगने लगे थे इस लए भी म उसक ऐसी बचकानी सलाह मानकर जैसा
उसने कहा था, माघ मह ने क इस भीड़ भरे े न के ड बे म घसकर
ु , आपके आने क राह
तकती खडी रहती थी। और इसे म संयोग कहँू या चम कार या क अपने माँ का ढ़
व वास क वह जैसा कहती थी, ठ क उसी तरह आज आप मझे ु तलासते हए
ु खदु से मेरे
पास पहँु च भी गए।
िजतनी दे र तक लड़क अपनी माँ के पागलपन के क से सनाती
ु रह थी म इस गमान

ये भला
ू बैठा रहा क िजस तरह वष पहले उसक माँ टे शन आने पर आम मसा
ु फरो
क तरह अपनी राह और म अपनी राह पकड़ कर एक दसरे
ू से जदा
ु हो लए थे उसी
तरह उसक बेट का और मेरा साथ भी हम दोन के े न के सफर तक का ह है इसके
बाद वह अपना रा ता पकड़ लेगी और म अपना और इस तरह मेर इस कहानी का यह ं
अंत हो जाएगा। ले कन जब मझे
ु उसक बात से पता चला था क यह तो मेरे गले ह
पड़ने क ठानकर अपने घर से नकल है तो दो दो बे टय को लेकर मेर जैसी टॉड़ना थी
और म लोग के बला कार सर खी जैसी जैसी याद तयाँ बदा त करने को मजबरू था,
वह मझे
ु याद पड़ गया और उसके याद पड़ते ह म बरु तरह घबरा उठा था।
मझे
ु पाकर खशी
ु से पागल हई
ु थोड़ी दे र तक इस अपे ा म चहकती बैठ रह थी क म
एक बाप क तरह, अहककर उसे , अपने सीने से लगा लँ ूगा, ले कन लंबे इंतजार के बाद भी
जब मेर तरफ से वेसी कोई पहल नह ं हई
ु थी और म परू तरह बेगाना और खदगज

बनकर ह बैठा रह गया था तो मझे
ु मेरे उस नए प म दे खकर वह एकदम से भ क
रह गई थी। अवाक सी वह मझे
ु कछ
ु इस तरह दे खने लग गई थी जैसे उसके सामने क
सीट पर बैठा उसका बाप, एकाएक वहाँ से गायब हो गया था और उसक जगह उसी के
चेहरे का नहायत ह मतलबी और धोखेबाज यि त आ बैठा हो। वह मझे
ु थोड़ी दे र कछ

इस तरह ताकती बैठ रह थी जैसे उसे यह तय कर पाना मिु कल हो रहा था क मेरा
जो चेहरा थोड़ी दे र पहले उसने दे खा था वह असल था या यह िजसका म बड़ी बेहयाई से
सबके सामने नमाइश
ु करता हआ
ु बैठा था। ले कन जब उसे इस बात का प का यक न
हो गया था क मेरा मौजदा
ू चेहरा ह असल चेहरा है तो वह एकदम ठगी सी रह गई
थी।
इतने अस तक म समझती रह थी क मेर माँ पागल नह है ले कन वह सचमच
ु क
पागल है। अपने जबड़े भींच, अ
य मे घरते
ू हए
ु यह बात उसने मझसे
ु या कसी दसरे
ू से
नह ं बि क खद
ु से कहकर दोन हाथ अपने धटनु पर दाब गहरे आवे श म लंबी लंबी
साँसे बैठ रह थी।
थोड़ी दे र म कोई छोटा सा टे शन आया था ऐसा टे शन जहाँ न तो कोई उतरने वाला
था न ह चढ़ने वाला था। घने जंगल और पहाड़ के बीच के उस टे शन क बि डंग
परू तरह अ◌ॅधेरे म डबी
ू हई
ु थी। लेटफाम के एक कोने म सर से लेकर पॉव तक, काले
लबादे म एक आदमी जो शायद उसका टे शन मा टर रहा हो एक हाथ म लालटे न और
दसरे
ू म लाल और हर रोशनी वाल कंद ल, हला हलाकर खद
ु के आदमी होने क मनाद

करता खड़ा था। इसके अलावे बाहर चारो तरफ धु प अ◌ॅधेरा और स नाटा गसा हआ
ु था।
टे शन पर गाड़ी खड़ी होते ह लड़क अपना बैग उछालकर अपनी पीठ पर डाद ल थी
और आगे बढ़ने से पहले मेरे पास खड़ी होकर मेरे चेहरे पर गहर हकारत से ताक
च लाई थी। य-ू यू रा क स जो अपनी बे टय को पैदा होने के पहले ह मार दे ता है , और
य द वे भल
ू से पैदा भी हो गई तो उ ह तंदरू म भजकर
ू और नह ं तो करा सन तेल
छड़क कर जला दे ता है ऐसा बवर और जंगल , कभी मेरा बाप हो हो ह नह ं सकता?
तु हारे इस घनौने चेहरे पर कोई थकना
ू तक नह ं चाहे गा ले कन म थकती
ू हँू आक
थ◌ू
ू ....... आक थू और वह ढे र सारा थक
ू पचाक पचाक मेरे चेहरे पर थक ू धड़धड़ाती वहाँ
से चल थी और ड बे के गेट पर पहँु चकर बाहर के स नाट म छलांग लगा द थी।

सोमेश शेखर च
संपक :
ी आर ए म
2284 / 4 शा ी नगर
सलतान
ु परु उ
228001

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