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िशव के तीन नेत नही है |

तयमबकं यजामहे सुघिं धम पुिषवधरनम , उवारकिमव बंधत मृतयोमोकीय मा मामृतात |


अजानी पुरष मृतुनजय मंत मे पयुकत तयमबकं को तीन नेत समझते है |
वेद मे अमब को दावा कहा गया है |
"शतं वो अमब धामािन ...इमं मे अगदम कृत "
अथाथा हे अमब |मुझे आरोगय कीिजये | यहा रोगी आरोगय होने के िलए कहता है |

दूसरी जगह उकत तीन अमबाओ का होम करना िलखा गया है


सहा सवसतामिबकया तं जुषसव | यजु o ३ | ५७

इस से सपष कहा गया है की अिमबका की बहेनो के साथ हवन करो|


यजुवेद ३|६० कहता है "तयमबकं यजामहे सुघिं धम पुिषवधरनम"
यजुवेद सपष करता है ये तीन ओषिदया है
आंबे अिमबकेअमबािलके न मा नयित कशन|
ससससतयाशावाकाह सुिभदकाम किमपलवािसिनम|| यजुवेद २३||१८

उकत तीनो एक ही सथान पर कहे िदए गए है |


पमाण पािणिन का तयमबक पद सूत अषाधयायी ५|१|५८

ये औषधीय किमपल मे होती है | कािमपल से महाभारत का कुछ समबनध नही था |


वे काशी नरेश की कनयाये थी और हिसतनापुर मे बयाह कर आई थी, अतः यह फरखाबाद वाला किमपला नही है |
कािमपल नाम एक ओषिध का है , िजसके साथ ही अिमबका आिद ओषिध उगती है |
वैिदक शाशत मे भी इसका पमाण िमलता है
मािचका पिषकमबष तथामबािमबकामबािलका| भाव o हिरतकयिदवागा १७०
अतः उकत पमाणो से िसद हो गया की तीन अमबा ना िशव के तीन नेत है ना ही महाभारत कालीन कनयाये और रािनयो की चचाये है
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यह लेख वैिदक समािपत पंिडत रघुननदन शमा सािहतयभूषण दारा िलिखत पुसतक की सहायता से गया है |

आयो से छमा िनवेदन है की वेद मंतो की मानताओ का दोष है छमा करे कयो की येहे संगडक(computer) यनत का दोष है |
कयो की वेद मंतो मे थोड़ी भी तुटी बदासत नही की जानी चािहए |

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