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रोटी कै से बनती है

मैडम जी ये नह
जानत

भूखे ह हम, नह
मानती
भूखे पेट, भरे गोदाम
मैडम चबा रही बादाम

आओ तुमको िसखला द हम
भूख है !या, "दखला द हम
गोल गोल सी, छोटी छोटी
इतनी पतली, इतनी मोटी

आपका िचकन %ाई है


अपनी रोटी (ाई है
नमक )याज़ भी िमले नह
ह
िमलती बस महंगाई है

मं,ी जी का नाम है
भरा -आ गोदाम है
ग.ं क/ बन रही है खाद
ज़ोर से बोलो, 0जदाबाद

आपक/ तन1वाह ितगुनी हो गई


भूखी अपनी जुगनी सो गई
ि3वस बक भर जाएंगे
हम भूखे मर जाएंग|े

(5े6कग 7यूज़-5े6कग 7यूज़ ............. आज बाज़ार म एक आम आदमी हरी


सि8ज़य9, दाल9 और दूध क/ थैिलय9 को हसरत भरी नज़र9 से देखता -आ पाया गया| उसे
रं गे हाथ िगर>तार कर िलया गया है|)

िप?ज़ा बग@र हंसते ह


ब3ते उनसे स3ते ह
िमड डे मील अधूरा है
चने क/ घुघरी, चूरा है

जबतक सूरज चांद रहेगा


ग. तेरा नाम रहेगा
पर नसीब है कै सा अपना
रोटी का आता है सपना

राशन वाला भाई है


गुंडा हाई फाई है
राशन मांग9, मार िमलेगी
माई रे ,,,...माई रे

नेता सारे भूखे ह


"कतने सूखे सूखे ह
उनसे जब बच पाएगी
तभी तो जनता खाएगी

(पहला ि--- अरे , सुना है अपने देश म इतना अनाज है "क बोरी पर बोरी रखो तो
चांद तक प-ँच सकते ह. ये अनाज लोग9 को िमले तो भुखमरी कु पोषण तो खGम समझो.
दूसरा ि---- अरे मूख. @ ... अगर ये अनाज आम लोग9 म बांट "दया तो हमारा देश
चांद तक कै से प-ँचेगा.)

मन मन मन, मन मोहन भोग


हम भूख9 को लगते रोग
देश क/ िमIी सोना है
"फर "कस बात का रोना है

पोषण दो, आहार दो


सबको यह अिधकार दो
यही तुJहारा फज@ है
देने म !या हज@ है

पािणिन आनंद
28 अग3त, 2010
"दKली
(रोटी का अिधकार अिभयान और खाL सुरMा के देशNापी संघष@ के िलए)

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