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गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का दस बर- 2010

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गु व योितष प का दस बर 2010
संपादक िचंतन जोशी
गु व योितष वभाग

संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in,

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प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी


फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट
हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल)

 या आपको उ च अिधकार से परे शानी ह?


 या आपक अपने सहकमचार से अनबन होती ह?
 या आपके अिधन थ कमचार आपक बात नह मानते?
य द आपको अपने उ च अिधकार , सहकमचार , अिधन थ कमचार से परे शानी ह। आपके अनूकुल काय नह ं करते या
आपको करने नह ं दे त?े वह आपक बात नह ं मानत? बना वजह आपको परे शान करते ह? अन आव यक काय आपसे
करवाते ह। आपका मोशन कवादे ते ह। उिचत काय करने पर भी आपके काय म नु श िनकालते ह? य द आप इसी
तरह क कसी सम या से त ह तो आप उन अिधकार , सहकम , अिधन थकम या अ य कसी य वशेष के नाम
से गु व कायालत ारा शा ो विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं
एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर-ओ फस म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर
सकते ह। य द आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक कर।

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3 दस बर 2010

वशेष लेख
ज म कुंडली से जाने ववा हत-अ ववा हत योग 6 कुंडली म कह ं यिभचार जीवनसाथी 12
िमलने के योग तो नह ?ं
ववाह के बाद भा योदय 8 कुंडली से जाने ववाह का सह समय 14

आपक बहू-बेट क कुंडली म वषक या योग तो नह ं 9 ेम ववाह योग 17

ह?
क या क कुंडली म वधवा बनाने वाले योग। 11 ववाह से संबंिधत व न 21

अनु म
संपादक य 5 दस बर -2010 मािसक त-पव- यौहार 53

शा के अनुसार ववाह के कार 23 ह चलन दस बर -2010 55

ववाह से पूव कुंडली िमलान म अ पायु-द धायु योग भी नव बर-२०१०- वशेष योग 56
25
दे ख ल।

योितष से जाने जीवनसाथी क दशा? 29 दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 56

रािश से जािनये उ म जीवन साथी 30 दन-रात के चौघ डये 57

आपका जीवन साथी कह ं नशे का आद तो नह ?ं 31 दन-रात क होरा 58

सात फेरे और सात वचन 32 मािसक रािश फल 59

िसफ कुंडली िमलान सफल ववाह क गारं ट नह ं होती? 34 वा तु परामश 61

ववाह हे तु उिचत माह कौन सा होता ह? 36 योितष परामश 62

मंगली दोष वाले जातक थोड़े गु सैल व िचड़िचड़े होते ह? 37 सूचना 70

दांप य जीवन म मंगल, गु एवं शु का भाव 40 हमारा उ े य 72

योितष और ववाह योग 42

ववाह समय िनधारण 43

ववाह के कुछ शा ो िनयम 45

वा तु दोष से बढते ह अवैध संबंध 47

शी मनोनुकूल पित-प ी ाि के उपाय 48

दस बर 2010 मािसक पंचांग 51


4 दस बर 2010

लघु कथाएं
भ भाव 20

हमारे उ पाद
ई-ज म प का/ E-Horoscope 4 मं िस यापार वृ कवच 46
सव काय िस कवच 10 वा तु दोष िनवारक यं 47
मं िस फ टक ी यं 13 ादश महा यं 48
ाण ित त दगा
ु बीसा यं 20 या आप कसी सम या से त ह? 50
ादश महा यं 24 गणेश ल मी यं 52
भा य ल मी द बी 26 मंगल यं से ऋण मु 52

पित-प ी म कलह िनवारण हे तु 28 तं र ा कवच 52


Full Astrological Analysis Report 35 धन वृ ड बी 54
या आपके ब चे कुसंगती के िशकार ह? 36 मं िस ा 60
मंगल यं 37 सव रोगनाशक यं /कवच 63
मं िस मंगल गणेश 41 मं िस कवच 65
कुबेर यं 44 YANTRA LIST 66
कनकधारा यं 45 GEM STONE 68
नवर ज ड़त ी यं 46
BOOK PHONE/ CHAT 69
CONSULTATION
अ ल मी कवच 46

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5 दस बर 2010

संपादक य
य आ मय

बंधु/ ब हन

जय गु दे व
मानव स यता म हं द ू स यता पूरातन स यताओं म से एक ह। हमार हं द ू सं कृ ित म य के सोलाह
सं कार कये जाते ह। य के गृ ह थ जीवन म वेश के िलए आव यक होता ह ववाह सं कार। ववाह सं कारको
ंथ म सं कार क सं ा द गई ह जसका मु य उ े य वर-क या अपने जीवन को संयिमत बनाकर संतानो प
करके जीवन के सभी ऋण से उऋण होकर मो के िलये यास कर। ववाह का ता पय होता ह क ी-पु ष को जीवनभर
के एक प व र ते म बांधा जाय। हमारे सामाज म ववाह को प व बंधन माना जाता ह।

यादातर माता- पता अपने पु -क या केके माता- पता को यह िचंता सताती रहती ह। क उनके बेट -बेटे का
ववाह ज द से ज द यो य पा से कैसे हो जाय। जब लडके-लडक के िलये र ते ह न आये तो अिधक परे शानी का
सामना करना पडता ह। य द र ते आते ह पर बात ना बने तो भी परे शानी। य द एक से यादा र ते आते हो, तो
कौन सा पा सह रहे गा और कोन सा नह ं इसका पता कैसे लगाया जाये?

इन सब सम याओं का हल ह योितष के पास। ववाह म होने वाले वलंब एवं उसके िनवारण के उपाय और
ववाह हे तु आने वाला पा यो य ह या नह ं यह तो कोई कूशल योितष बता सकता ह।

यद ववाह हो गया ह, और बेटे-बेट को कोई ितकूल वभाव वाला जीवन साथी िमल जाए तो उसका
पा रवार क जीवन दखमय
ु हो जाता ह। यो कं दांप य जीवन म उिचत तालमेल म कमी होने पर पित-प ी दोनो
तनाव से त रहते ह। दोन म छोट -छोट बातो पर ववाद इ याद लेश होते रहते ह ज से उनके दांप य जीवन
म और पार प रक संबंधो के दौरान पूण संतु ा नह ं हो पाती। तो भी माता- पता को िचंता सताती रहती ह।
ववाह तो हो गया ह। एसे म अब या कर? या तो तलाक िलया जाय या जीवन क गाड जैस-े तैसे करके खचा
जाय? कभी-कभी सम याएं छोट होती ह परं तु य अपने अहं कार को लकर चलते ह जसके फल व प वह बड बन
जाती ह और एक वराट प धारण कर लेती ह।

एसी छोट -छोट सम याओं के िनराकरण हे तु कसी जानकार य से सलाह अव य करले। छोटे उपायो या
योगो के मा यम से भी य को जीवन म पूण सफलता ा होती ह।

जीवन म कभी-भी कड़वी बात नह ं बोलनी चा हए। कसी भी बात को मधुरता से एवं अपने दय का ेम उसम िमलाकर
मृ दु ता से कहना चा हये। य को जीवन म कठोर वाणी का सवथा याग कर दे ना चा हए। वा ण के भाव से आप सभी
भलीभांित परिचत ह। वाणी का यह दोष य के जीवन को पितत करवाता ह। इस िलये अपनी वाणी पर पूण िनयं ण
रख। पित-प ी दोनो को अपने वाथ के िलये दसरे
ू को क दे ना न प ी के िलए ठ क होता है न पित के िलए ठ क होता ह।

िचंतन जोशी
6 दस बर 2010

ज म कुंडली से जाने ववा हत-अ ववा हत योग


 िचंतन जोशी
ववाह योग
 स म भाव का वामी शुभ ह हो या अशुभ ह य द वह अपने भाव
स म म ह थत हो या कसी अ य म थत होकर अपने भाव
को दे ख रहा हो और स म भाव पर कसी पाप ह का भाव या
ी नह तो जातक का ववाह अव य होता ह।
 स म भाव म कोई पाप ह थत नह ं हो और नाह ं ी
हो, तो ववाह अव य होता ह।
 स म भाव म सम रािश हो या स मेश और शु भी सम
रािश म थत ह या स मेश बली हो, तो ववाह होता
ह।
 स म भाव म कोई ह नह , न कसी पाप ह क
हो व स मेश बली होतो ववाह अव य होता ह।
 य द दसरे
ू , सातव और बारहव भाव के वामी के या
कोण म ह ,और गु से हो, तो ववाह अव य
होता ह।
 कुंडली म स मेश से दसरे
ू , सातव और यारवे भाव म
सौ य ह थत हो तो ी सुख अव य िमलता ह।
 शु वभाव रािश म होने पर ववाह अव य होता
ह।

ववाह बाधा योग योग


 स म म बुध और शु दोनो हो, तो ववाह के ताव
आते रहते ह पर ववाह अधेड उ म होता ह।
 शु एवं मंगल दोनो पंचम या नव भाव म ह , तो ववाह
बाधा योग होता ह।
 स म भाव म मंगल ह उस पर शिन क ी ह , तो ववाह
बाधा योग होता ह।
 स मेश अशुभ होकर 6,8,12 वे भाव म अ त या नीच का हो कर
थत हो, तो ववाह बाधा योग होता ह।
 स म भाव म शिन या गु थत हो, तो शाद दे र से करवाते ह।
7 दस बर 2010

 स म भाव पर शिन क ी ववाह म वलंब करवाती ह।


 च मा से स म म गु थत हो, तो शाद दे र से करवाता ह।
 कक ल न म स म म गु थत हो, तो शाद दे र से करवाता ह।
 स म म 6,8,12 वे भाव का वामी थत ह उस पर कसी शुभ ह क ी या युित नहो शाद दे र से करवाते ह।
 क या क कु डली म स मेश के साथ शिन थत होने से ववाह अिधक आयु म होता ह।
 सूय, मंगल, बुध लगन म थत हो और गु बारहव भाव म बैठा हो तो ववाह बड आयु म होता ह।
 लगन, स म, बारहव तीनो भाव म पाप ह थत ह तथा पंचम भाव म च मा कमजोर हो, तो ववाह नह होता य द
होता ह तो संतान क संभावना कम होती ह।
 राहु क महादशा या अंतदशा म ववाह हो, या राहु स म भाव को द ू षत कर रहा हो, तो दमागी म के कारण शाद
ू जाती ह या साथी से अलगाव होता ह।
होकर टट

अ ववा हत योग
 ज म कुंडली म स मेश अशुभ थान 6,8,12 वे भाव पर थत ह और स मेश पर एक से अिधक पाप हो का भाव हो
तो जातक अ ववा हत रहता ह।
 लगन या चतुथ भाव म मंगल थत हो, स म मभाव म शिन थत हो तो क या क िच शाद म नह होती ह।
 स मेश छ: आठ या बारहव थान पर अ त या नीच रािश का होकर बैठा हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
 स मेश बारहव भाव म हो और लगनेश या रािश का वामी स म म बैठा हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
 च शु साथ थत ह , उ से स म थान पर मंगल और शिन थत हो अथात चं और शु क युित से स न भाव
म मंगल शिन क युित हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
 शु और मंगल दोन स म म हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
 शु कसी पाप ह के साथ पंचम या स म या नवम भाव म युित हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह। और य द हो जाये
तो जातक जीवन साथी के वयोग से पी डत रहता ह।
 स म और बारहवे भाव म दो या दो से अिधक पाप ह थत हो और पंचम भाव म चं थत हो, तो जातक का
ववाह नह ं होता
 ज म कुंडली म शु , बुध, शिन तीनो ह नीच ह , तो जातक का ववाह नह ं होता।
 सूय प और स म प बराबर का होने पर भी जातक का ववाह नह ं होता।

संपूण ज म कुंडली परामश


ज म कुंडली म उप थत अ छे -बुरे योग तथा दोष के बारे म संपूण जानकार ा कर इन योग अथवा दोष से होने वाले
लाभ-हािन के बारे म जानकार ा कर उन दोष के िनवारण के उपाय से संबंिधत व तृ त जानकार ा करने हे तु
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8 दस बर 2010

ववाह के बाद भा योदय


 िचंतन जोशी
 तो कुछ य अपने कम ारा भा यवान बनाते
हमारे जीवन मे घटने वाली तमात छोट -बड
ह।
घटनाए ज म समय पर होक थती के अनु प िन त
 तो कुछ य ववाह के बाद भा यवान बनाते
हो जाती ह। अतः मनु य से ज म के समय पर ह
ह।
उसका भा य केसा रहे गा वह िन त होता ह, य क
ज म कुंडली म नवम भाव को भा य भाव कहा जाता ह, योितष और ववाह के प यात भा योदय कारक
एवं भा य भाव को योितष मे वषेष मह व दया जाता योग
ह। यो क नवम भाव से य का भा य केसा रहे गा
इसका अ दाजा लगायाजा सकता ह।  जस य क कुंडली म स म भाव, स म भाव
का कारक ह, एवं स मेश क थित के बलवान
ववाह के पूव एवं ववाह के बाद मे पित-प
होने पर य का भा योदय ववाह के प यात
दोन क ज म कुंडली को दे खने पर जो योग बनता ह,
होता ह।
उसके अनु प भा य का आंकलन कया जासकता ह।
 जस य क कुंडली म शु , स मेश नवमांश
म बली हो। स मेश नवम भाव म नवमेश के
योितष शा के मुख ंथो म से एक
साथ हो अथवा दशमेश या ल नमेश या चतुथश
'मानसागर ’ के अनुशार
के साथ हो तो भी ववाह के बाद भा योदय होता

वहाय सव गणकै विच यो भा यालय: केवलम य ात।्


ह।

आयु माता च पता च ब धुभा या वतेनैव भ व त ध याः॥  जस य क कुंडली म स मेश उ चरािशगत,


वारािशगत या मूल कोण रािश म हो, स म
य या त भा यं स नर: कुलीन: स प डत: स ुितमान ् गुण ः। भाव को कोई शुभ ह दे खते ह तो य क
ए एव व ा स च दशनीयो भा या वत: सवगुण पेतः॥
तर क ववाह के बाद िन त है ।
कुंडली म स म भाव का कारक शु बलवान, शुभ
अथात: जो य भा यवान होता ह वह कुलीन, सुव ा,

थित म हो एवं ष वग म बलवान हो, स मेश
व ान एवं सव गुण संप न होता ह, यो क उसे यह जो
गु अथवा शु के साथ शुभ हो। शु ल न,
सब ा हवा
ु ह वह भा य के हसाब से िमला ह।
पंचम, नवम, एकादश भाव म हो तो ववाह के बाद
य क आयु, भाई, बहन, माता, पता क थित भा योदय होता ह।
इ या द का अंदाजा इस भा य भाव से कया जाता ह।
* केवल उपरो योग के होने से भा योदय संभव नह ं ह
आज के भौितकता भरे युग म भा य बना संसार म कुछ
योितष म अ य योग अपना मह व रखते ह, उसे भी
भी संभव नह ं ह।
दे खना आव यक होता ह।
 संसार म कुछ य ज म से भा यवान होते ह। * ववाह के प यात भा योदय कारक योग और भी ह।
9 दस बर 2010

आपक बहू-बेट क कुंडली म वषक या योग तो नह ं ह?


 व तक.ऎन.जोशी

भारतीय सं कृ ित म दांप य जीवन को सुखमय-


शांितमय एवं मंगलमय बनाने के िलए वर-वधू क ज म
कुंडली म गुण का िमलान कया जाता ह।
भारतीय योितषशा के अनुसार कसी क या
क ज म कुंडली म वष क या योग होने पर जीवन म
दांप य सुख का अभाव होता ह। अथात पित-प ी के
आपसी संबंध म अिधक मधुरता एवं धिन ता नह ं
रहती ह। कसी ह वशेष क - थितय के
अनुशार कुंडली म वष क या दोष अिधक भावशाली
नह ं होता ह। वष क या योग कैसे बनता ह।
व ानो के मत से वष क या योग वचार ज म  कसी लड़ क क कुंडली म ल न ( थम भाव) म शिन,
कुंडली, नवमांश और चं कुंडली से कया जाना चा हये।
पंचम भाव म सूय एवं नवम भाव म मंगल हो ने से
य द क या का ज म वषक या जेसे अशुभ योग म
वषक या योग बनता ह।
होता ह तो उस योग के भाव से वह जीवन भर दःखी
ु रहती
 कसी लड़ क का ज म र ववार को अ ेषा न एवं
ह। एसा दे खा गया ह, क वष क या योग के भाव वाली
तीया ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वष
लड़क का वयं का दभा
ु य उसके पित के अ छे भा य
क या योग बनता ह।
अथात सौभा य को दभा
ु य म बदल दे ता ह।
 कसी लड़ क का ज म र ववार को वशाखा न एवं
भारतीय योितष शा के अनुसार वष ादशी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वष क या
क या योग अशुभ ितिथय , ुर न एवं पाप योग बनता ह।
ह के दन म ज म लेने से बनता है ।  कसी लड़ क का ज म शिनवार को कृ ितका न एवं
स मी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वष क या
वष क या योग म उ प न लड़क का वभाव: योग बनता ह।
ज म समय के उ न अशुभ ितिथय , एवं पाप हो के  कसी लड़ क का ज म मंगलवार को शतिभषा न
भावके कारण ज द ह गु सा होने वाली कसी क बात न एवं ादशी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वष
मानने वाली अ यािधक ज , हं सक वभाव क होती ह। क या योग बनता ह।
वष क या योग म ज म लेने वाली लड़ कयां यवहार
कुशल नह ं होती इनम क णा-दया-माया इ याद भावनाओं
शी ववाह कर कवच
शाद म आने वाले व न-बाधाओं के िनवारण हे तु
क कमी होती ह।
मू य मा : 640/-
10 दस बर 2010

सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।

कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के द:ु ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दसरे
ू य ओ पर भाव बना रहता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म अ ल मी कवच के िमले होने क वजह से य पर मां महा


सदा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द
ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय
ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का अशीवाद ा होता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दरू
होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म श ु वजय कवच के िमले होने क वजह से श ु से संबंिधत


सम त परे शािनओ से ु
वतः ह छटकारा िमल जाता ह। कवच के भाव से श ु धारण कता
य का चाहकर कुछ नह बगड सकते।

अ य कवच के बारे मे अिधक जानकार के िलये कायालय म संपक करे :

कसी य वशेष को सव काय िस कवच दे ने नह दे ना का अंितम िनणय हमारे पास सुर त ह।

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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


11 दस बर 2010

क या क कुंडली म वधवा बनाने वाले योग।

 िचंतन जोशी
 कसी लड़ क का ज म र ववार या शिनवार को अ ेषा वधवा होने क संभावना बनी रहती ह। इस िलये नाड़
न एवं तीया ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे दोष का भी अव य यान रख।
वै य योग बनता ह।  कुंडली िमलाने म य द क या और वर दोन क आद
 कसी लड़ क का ज म शिनवार को कृ ितका न एवं नाड़ ह , तो उनका ववाह होजाने पर दोन के
स मी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वै य योग वैवा हक संबंध अिधक दन तक सुखमय नह ं रहता
बनता ह। अथात दोन म अलगाव हो ने क बल संभावना
 कसी लड़ क का ज म मंगलवार को शतिभषा न एवं बनती ह।
स मी या ादशी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे  कुंडली िमलाने म क या और वर दोन क कुंडली म
वै य योग बनता ह। म य नाड़ हो, तो उनका ववाह हो जाने पर दोन
 कसी लड़ क का ज म र ववार को वशाखा न एवं क मृ यु हो सकती ह।
ादशी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वै य योग  कुंडली िमलाने म क या और वर दोन क कुंडली म
बनता ह। अं य नाड़ हो, तो उनका ववाह हो जाने पर दोन
 इसके अलावा लड़का या लड़क कसी क भी कुंडली म का जीवन द:ु खमय यितत होता ह।
स म थान पर य द सूय, राहु, मंगल, शिन, हो तो उसे नोट: कुंडली िमलाने म वर-क या दोन क उ व णत
जीवन साथी से िनराशा होती ह। तीन म कोई भी एक समान ना ड़यां हो, तो ववाह
 कसी भी कारण से उनका ववाह संबध व छे द हो जाने के व जत है ।
योग बल होते ह। य द कसी क या क कुंडली म एसी थतीयां बन रह ह
 ितपदा (एकम) ितिथ के दन मूल न , पंचमी तो उ से डरने के बजाय उसके िनवारण के उपाय करने
ितिथ के दन भरणी न , अ मी ितिथ के दन चा हये।

कृ ितका न , नवमी ितिथ के दन रो हणी न , उपाय


दशमी ितिथ के दन अ ेषा न एवं एकादशी ितिथ  भगवान िशव पावती का पूजन करने से अशुभता म
के दन मघा न म ज म लेने वाले य कमी आती ह।
वालामुखी योग से यु होने के कारण दांप य जीवन  महामृ युंजय मं का जप अनु ान कसी यो य
सुखमय नह ं होता ह। ा ण से संप न करवाय।
 कु भ ववाह करने से भी अशुभ भाव दरू होते ह।
ववाह हे तु कुंडली िमलान करवाते समय नाड़ दोष को
 कसी दे वी ितमा से िसंदरु लेकर रोज अपने ललाट पर
भी अव य दे खले यो क योितष व ानो के अनुशार
लगाने से अशुभता म कमी आती ह।
य द वर-क या के न म नज़द कयां ह , तो ववाह के
 अपने माता- पता एवं बडे बुजुग का आिशवाद ल।
एक वष के भीतर क या क मृ यु हो सकती ह अथवा
 अपना च र साफ रख एवं अनौितक कम से बच।
तीन वष के अंदर उसके पित क मृ यु होने से क या
 ेम ववाह करने से बच।
12 दस बर 2010

कुंडली म कह ं यिभचार जीवनसाथी िमलने के योग तो नह ?



 िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी

गुण िमलान एवं कुंडली िमलान के उपरांत जानकार प के कये क कार होता ह। मंगल के अशुभ
योितषी से यह भी अव य ात करवाले क कह ं लडका भाव के कारण पित-प ी म द ू रयां बढ़ती ह।
या लड़क ं क कुंडलीम अ य ी-पु ष से नाजायज संबंध  ादश भाव म मंगल शै या सुख, भोग, म बाधक होता
बनने के योग तो नह ं ह। ह इस दोष के कारण पित प ी के स ब ध म ेम
पित-प ी के झगड़े तो आम बात बनगये ह। पित- एवं सामंज य का अभाव रहता ह। य द मंगल पर
प ी म सामा य न क-झ क से तो ेम और बढ़ता ह। ह का शुभ भाव नह ं ह , तो य म चा र क
ले कन नाजायज संबंध के कारण उ प न होने दोष और गु रोग उ प न कर सकता ह।
वाले झगड़े दोनो के बच म गाली गलोच- य जीवनसाथी को घातक नुकसान
मारपीट, अलगाव, कोट कचेर के भी कर सकता ह।
च कर एवं तलाक, आ मह या,  य द ज म कुंडली म स म भाव
क ल तक पहंु च जाती ह। कई म शु थत य को
लडके-लड़क को ऐसा जीवन अ याअिधक कामुक बनाता
साथी िमलता ह, जो अपने ह जससे ववाहे र स ब ध
नाजायज संबंध के कारण बनने क संभावना बल
अपने पित-प ी को विभ न रहती ह। ज से वैवा हक
तरह क यातनाएं दे ता है । जीवन का सुख न होता ह।
एसी सम याओं को  ज म कुंड़ली मे स म भाव

भारतीय योितष शा के म सूय हो, तो अ य ी-


पु ष से नाजायज संबंध बनाने
मूल िस ांतो से ात कया
वाला जीवनसाथी िमलता है ।
जा सकता ह। लडका या लड़क
ज म कुंड़ली मे श ु रािश म
को कैसा पित-प ी िमलेगी ? मंगल या शिन हो, अथवा ू र रािश
 ज म कुंडली म शु उ च का होने पर म थत होकर स म भाव म थत हो,
य के कई ेम संगहो सकते ह, जो क ववाह के तो ू र, मारपीट करने वाले जीवनसाथी क ाि होती
बाद भी जार रहते ह। ह।
 मारपीट करने वाला कई ी-पु ष से नाजायज संबंध  ज म कुंड़ली मे स म भाव म च मा के साथ शिन
रखने वाला जीवनसाथी िमलने के योग होने पर उ ह क युित होने पर य अपने जीवनसाथी के ित
मं -यं -तं , र इ या द उपाय करके ऐसे योग का ेम नह ं रखता एवं कसी अ य से ेम कर अवैध
भाव कम कया जा सकता ह। संबंध रखता है ।
 स म भाव म मंगल चा र क दोष उ प न करता ह  ज म कुंड़ली मे स म भाव म राहु होने पर
ी-पु ष के ववाहे र संबंध भी बनाता है । संतान जीवनसाथी धोखा दे ने वाला कई ी-पु ष से संबंध
13 दस बर 2010

रखने वाला यिभचार होता ह व ववाह के बाद अवैध ऐसे अशुभ ह योग का भाव कम करने के
संबंध बनाता है । िलए लड़ कयां यह उपाय कर:
उ ह दोष के कारणा ऐसा जीवनसाथी िमलता ह
 ित दन िशव-पावतीजी का पूजन कर।
जसके कई ी-पु ष के साथ अवैध संबंध होते ह। जो
पूरे विध- वधान से ह रतािलकातीज का त रख।
अपने दांप य जीवन के ित अ यंत लापरवाह होते ह।
 सोमवार का त रख।
ज म कुंड़ली मे स मेश य द अ म या ष म भाव
 मोती क अंगुठ धारण कर।
म ह , तो यह पित-प ी के म य मतभेद पैदा होता ह।
 माता- पता का दय कभी ना दखाएं
ु और उनका
इस योग के कारणा पित-प ी एक दसरे
ू से अलग भी हो
या अ य कसी बड़े य का अनादर ब कुल ना
सकते ह। इस योग के भाव से पित-प ी द नो के
कर।
ववाहे र संबंध बन सकते ह। इस िलये जन पु ष और
 मं दर म गु दान द।
क या क कुंडली म म इस तरह का योग बनरहा ह
 हनुमान चालीसा एवं बजरं ग बाण का पाठ कर।
उ ह एक दसरे
ू क भावनाओं का स मान करते हवे
ु  ित दन पीपल के वृ को जल चढ़ाएं और सात
अपने अंदर समपण क भावना रखनी चा हए।
प र मा कर।

मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ
फ़लदयी यं है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए
फायदे मंद सा बत होता है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये
" ी यं " अ य त फ़लदायी िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे
समाई अ ितय एवं अ यश मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका
जीवन से हताशा और िनराशा दरू होकर वह मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं
उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं
नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के
थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं
ऐ य क ि होती है ।

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14 दस बर 2010

कुंडली से जाने ववाह का सह समय


 िचंतन जोशी
अ सर ब च के बड़े होते ह माता- पता को उनक शाद के िलए िचंता होने लगती ह। क उनके
ब च क शाद कब होगी। इ र ारा िनिमत इस सृ ी म य के हर काय अपने िन त समय
पर होते ह। इसी कार य क शाद कब होगी, होगी भी या नह ं यह ई र ने पहले से िलख
कर रखा होता ह। इस इ र ारा िलखे इस समय को य द य चाहे तो कसी जानकार
योितषी से अपनी ज म कुंडली दखवाकर ववाह के समय के बारे म जान सकता ह। य द
ज म कुंडली ववाह से संबंिधत भाव म शुभ ह कअ छ थती या ह , ज म कुंडली
म अ छे योग हो तो शी ववाह के योग बनते ह। ज म कुंडली म ववाह से संबंिधत भाव म
अशुभ ह का भाव हो, तो शाद वलंब से होती ह।

 य द कसी य क कुंडली म गु स म भाव म थत ह कर कसी शुभ ह से ्


संबंध बना कर स म भावम उ च का ह , तो य का ववाह 21 वष क आयु म होने क
अिधक संभावनाएं बनती ह।
 कुंडली म स म भाव म वगृ ह शु हो और तीय भाव म ल न ारा ह , तो कशोर अव था या युवान अव था म
ह य का ववाह होने के योग बनने लगते ह।
 य द कसी य क कुंडली म शुभ ह से ल नेश व स मेश का आपस म थान प रवतन या हो, वशेष कर गु
का थान प रवतन या संबंध होने से क या का ववाह योग 18 से 20 वष के म य होने क संभावना बनाता ह एवं
पु ष का ववाह योग 21 से 23 वष के म य होने क संभावना बनाता ह।
 य द कसी य क कुंडली म स मेश और ल नेश दोन जब िनकट भाव म थत ह तो य का ववाह योग 21 व
वष म होने क संभावना बनाता ह।
 य द कसी य क कुंडली म ल नेश बलशाली हो और ल नेश तीय भाव म थत हो तो य का ववाह शी होने
के योग बनाता ह।
 य द कसी क या क कुंडली म च उ च अंश का थत होने से क या व उसके जीवनसाथी क आयु म अिधक अंतर
होने क संभावना बनती ह।
 य द स मेश व हो एवं मंगल ष भाव म थोत होने से य का ववाह वल ब से होने क संभावना बनती ह।
स मेश के व होने से वैवा हक जीवन सुखी नह ं होता ह।
 यदच स म भाव म अकेला तथा शुभ ह से ह तो य का जीवनसाथी सुंदर होता ह। स म च वैवा हक
जीवन म आनेवाली अशुभता म कमी करता ह।
 य द ल न, स म भाव, ल नेश और शु चर रािश म थत ह एवं च मा चर रािश म थत ह तो य का ववाह
वल ब से होने के योग बनता ह।
15 दस बर 2010

 य द स मेश छठे , आठव और बारहव भाव, ल न भाव या स म भाव म थत ह तो य का ववाह दे र से होने के


योग बनते ह।
 य द शिन और शु ल न से चतुथ भाव म थत ह एवं च मा छठे , आठव या बारहव भाव म थत ह तो य का
ववाह तीस वष के बाद होने क संभावना बनती ह।
 य द कुंडली म राहु और शु थम भाव (ल न) म थत ह एवं मंगल स म भाव म थत ह तो य का ववाह 28
से 30 वष क आयु म होने क संभावनाएं बनाता ह।
 य द शु कक, वृ क या मकर रािश का होकर स म भाव म थत ह एवं च मा व शिन क युित ल न, तीय,
स म या एकादश भाव म ह तो य का ववाह 32 वष के बाद होने क संभावना बनती ह।
 य द कुंडली म स मेश बलह न हो एवं शिन और मंगल एक साथ थम, तीय, स म या एकादश म थत ह तो य
का ववाह 30 वष क आयु के बाद होने के योग बनता ह।
 य द कुंडली म मंगल और शु एक साथ पंचम या स म भाव म थत हो एवं द नो के पर गु क ह , तो य का
ववाह वय क आयु म होने क संभावना बनती ह।
 य द ज म कुंड़ली म शिन छठे भाव म हो एवं सूय भाव म और स मेश कमज़ोर अथवा पाप ह से पी ड़त होता हो
उनक शाद म भी काफ बाधाएं आती ह।
 य द ज म कुंड़ली म शिन और राहु क युित स म भाव म होती ह तो ववाह सामा य से अिधक आयु म होता ह।
 य द ज म कुंड़ली म शिन और राहु क युित ल न म होती है और स म भाव पर डालते ववाह वलंब से होता ह।
 ज मप ी म शिन और राहु क युित कसी भी भाव म ह स मेश एवं शु य द कमज़ोर ह , तो भी ववाह अित वल ब
से होता ह।

ववाह के िलये स म भाव, स मेश और शु का वचार कया जाता ह। स म भाव, स मेश और शु शुभ थित म ह तो
ववाह शी होता है तथा वैवा हक जीवन भी सुखमय रहने क अिधक संभावनाएं होती ह।
इसके वपर त य द स म भाव, स मेश और शु तीन कसी भी कार के पाप ह के भाव म ह तो ववाह म वल ब
होने क संभावना बनती ह। ववाह के समय का िनधारण करने के िलये कुंडली म बन रहे योग वशेष भूिमका िनभाते ह।
कसी य को जीवन म कतना वैवा हक सुख िमलेगा यह सब कुंडली म बन रहे योग पर िनभर करता ह। य द शुभ ह,
शुभ भाव के वामी होकर जब शुभ भाव म थत ह ता हो, और अशुभ ह िनबल होकर अशुभ भाव के वामी होकर, अशुभ
भाव म थत ह तो य को अनुकुल फल दे ते ह।

कुंडली के योग ववाह समय को कस कार भा वत करते ह।


 य द ज म कुंडली म अ मेश पंचम भाव म ह तो य का ववाह वल ब से होने क संभावना बनती ह।
 य द ज म कुंडली म सूय एवं च का शिन से पूण संबंध रखते ह तो य का ववाह दे र से होने के योग बनते ह।
 य द स म भाव का वामी सूय या च दोन म से कोई हो तभी इस कार क संभावना वशेष बनती ह।
 य द ज म कुंडली म शु के म थत ह और शु से स म भाव म शिन थत ह तो य का ववाह वय क आयु
म वेश के बाद ह होने क संभावना बनती ह।
 य द ज म कुंडली म शिन स मेश होकर एकादश भाव म थत ह और एकादशेश दशम भाव म थत ह तो य का
ववाह 21 से 23 वष म होने क संभावना बनती ह।
16 दस बर 2010

 य द ज म कुंडली म शु से स म भाव म च त ह तो भी य का ववाह शी होने क संभावना बनती ह।


 य द ज म कुंडली म स मेश और शुभ ह तीय भाव म ह तो य का ववाह 21 वष म हो होने क संभावना बनती
ह।
 य द ज म कुंडली म शुभ ह थम, तीय या स म भाव म ह तब य का ववाह 21-22 वष के आसपास होने के
योग बनते ह।
 य द ज म कुंडली म बुध से स म भाव म च थत ह और अ मेश पंचम भाव म थत ह तो य का ववाह 22
व वष म होने क संभावना बनती ह।
 य द शु तीय भाव म थत ह और मंगल अ मेश के साथ ह तो य 22 से स27 वष क आयु म ववाह होने क
संभावना बनती ह।
 च शु से स म म और ल नेश शु एकादश भाव म थत ह तो य का ववाह 27 व वष म होने क संभावनाएं
बनती ह।
 य द कुंडली म स मेश नवम भाव म थत ह , शु तीसरे भाव म थत ह तो य का ववाह 27 से 30 के म य क
आयु म होने के योग बनाता ह।
 य द अ मेश व-रािश म थत ह और ल नेश शु के साथ थत ह तो य का ववाह वल ब से होने क
संभावना बढ़ जाती ह।
 य द स मेश कोण भाव म ू र ह के साथ ह और शु भी पाप ह से पी ड़त होकर तीय भाव म थत ह तो
30 वष के बाद ववाह होने क संभावना बनती ह।
 य द ल नेश या स मेश वरािश म थत होकर पंचम या छठे भाव से दरू थत हो तो य क शाद दे र से होने क
संभावना बनती ह।

स म भाव के वामी ह के अनुसार ववाह समय का िनणय:-


1. स म भाव का वामी सूय ह तो य का ववाह 24 से 26 वष के म य होने क संभावना होती ह।
2. च स मेश होने पर य का ववाह 21 से 22 व वष के म य होने क संभावना होती ह।
3. मंगल स मेश हो तो 24 से 27 के म य क आयु म ववाह होने क संभावना होती ह।
4. बुध स मेश होने पर 28 से 30 क आयु म ववाह होने क संभावना होती ह।
5. जस य क कुंडली म गु स मेश हो उस य का ववाह 22 से 24 वष क आयु म होने क संभावना होती ह।
6. शु के स मेश होने पर 21 से 23 वष क आयु म ववाह होने क संभावना होती ह।
7. शिन स मेश होने पर 30 वष के प ात ववाह होने क संभावना होती ह।
इन योग म ह क एवं थित अपना वशेष मह व रखती ह इस िलये उपरो योग होते हवे
ु भी अ य योगो के भाव के
कारण ववाह समय म प रवतन हो सकता ह। अगर स मेश उ च हो, बलवान हो, शुभ ह के भाव म हो एवं अशुभ ह
भाव से मु हो तो ववाह क आयु म प रवतन होना संभव ह।

सवजन वशीकरण कवच


मू य मा : Rs.1050
17 दस बर 2010

ेम ववाह योग
 िचंतन जोशी
योितष शा के अनुसार ह क थती एवं  य द ज म कुंड़ली म पंचम भाव का स म भाव
लड़के और लड़क के बीच ेम को ववाह के प र णत से स ब ध होता ह, त य का ेम वैवा हक
सू बांधने म अहम भूिमका िनभाते ह। सू म बंधता ह।

जब कसी लड़के और लड़क के बीच ेम होता ह  ज म कुंड़ली म नवम भाव और ल न का शुभ


और वे दोन एक साथ अपना जीवन बीताने के व न स ब ध होने से य अपने ेम को वैवा हक
दे खते ह और ववाह करना चाहते ह। इसी िलये ेम म सू म बंध कर सफल बनाये रखने का यास
कोई व अपनी मं जल पाने म करता ह।
सफल होगा या असफल  इन योग का
अथात उसक शाद उ से कुंडली म होने से
होगी या नह ं। य अपने ह य का
ेम को ववाह के बंधन म केवल ेम ववाह
कामयाब होगा नाकामयाब ? सफल होगा एसा नह ं
एसी थतीओं म योितष व ा समजना चा हये।
के जानकार इसके िलए ह योग को
 य द कसी क कुंडली म यह
ज मेदार मानते ह।
योग नह ं होने पर अ य योगो क
वै दक योितष म शु को ेम का थित के होने से भी आपका ेम
कारक ह माना गया ह। वैवा हक सू म बंध कर सफल हो
सकता ह।
व ानो के मत से ज म कुंडली म शु का
भाव ल न, पंचम, स म तथा एकादश भाव पर होने पर  ज म कुंड़ली म पंचम भाव का वामी और शु
य ेमी वभाव का होता ह। य द स म भाव म थत ह , तो ेम ववाह क
बल संभावनाएं बनती ह।
य का ेमी वभाव का होना एक अलग बात
ह और ेम का ववाह म प रणत होना दसर
ू बात ह।  य द ज म कुंड़ली म शु अगर अपने घर म
योितष शा के अनुसार पंचम भाव ेम का भाव होता अथात वगृ ह ह , तो ेम ववाह का योग बनता
ह और स म भाव ववाह का भाव होता ह। पंचम भाव ह।
का स ब ध जब स म भाव से होता है तब दो ेमी  य द ज म कुंड़ली म शु ल न म थत ह और
वैवा हक सू म बंधते ह। नवम भाव से पंचम का शुभ च शु से नवम भाव म थत हो अथात
स ब ध होने पर भी दो ेमी पित प ी बनकर दांप य च से शु पंचम हो, तो ेम ववाह का योग
जीवन का सुख ा करते ह। बनता ह। (शु एवं चं का नवम पंचम योग ह )
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19 दस बर 2010

 ज म कुंडली म शु पंचम भाव या नवम भाव म के साथ संबंध ह , तो इस योग म म ववाह होने क
थत ह अथवा शु चं कुंडली म पंचम भाव संभावना अिधक होती ह।
थत ह , तो ेम ववाह के योग बनते ह। योितष शा के अनुसार ेम ववाह से संबंिधत तीन
 ज म कुंडली म पंचम भाव म मंगल थत ह कारक ह सूय, बुध और शु होते ह। एसा माना जाता ह
और पंचमेश एवं एकादशेश का रािश प रवतन इन तीन ह के कारण ह कोई य को कसी से ेम
योग ह , तो ेम ववाह के योग बनते ह। होता ह।

 ज म कुंडली म पंचमेश एवं एकादशेश क युित ज म कुंडली म सूय, बुध और शु तीनो क युित ह , तो
कुंडली के कसी भी भाव म ह , तो ेम ववाह य के ेम ववाह होने क संभावना अिधक होती ह।
होने के योग होते ह।  ज म कुंडली म सूय, बुध और शु मशः अलग-
 ज म कुंडली म पंचमेश एवं स मेश क युित अलग भाव म थत होने से ेम होता ह ले कन
कुंडली के कसी भी भाव म ह , तो ेम ववाह ववाह नह ं होता।
होने के योग बनते ह।  ज म कुंडली म सूय, बुध और शु तीनो ह म
 ज म कुंडली म स मेश एवं एकादशेश क युित से कसी दो ह क युित बन रह ह एवं दोनो
कुंडली के कसी भी भाव म ह , तो ेम ववाह के साथ म अ य एक ह थत ह तो बड
होने के योग होते ह। क ठनाईय के बाद म ेम ववाह होने क

 ज म कुंडली म स म भाव म शिन एवं केतु क संभावना होती ह।

युित ह , तो य का ेम ववाह करने क  ज म कुंडली म सूय, बुध क स म भाव म युित


संभावना होती ह। बन रह ह , तो य का ववाह अपने से अिधक

 ज म कुंडली म ल नेश एवं पंचमेश क युित ह उ के साथी के साथ होता ह।

अथवा द नो का संबंध ह , तो ेम ववाह ज म कुंडली म सूय-बुध कमजोर होने पर स चा

करने क संभावना बढ़ती ह। ेम नह ं िमलता या ेमी से धोखा िमलता ह।

 ज म कुंडली म ल नेश एवं नवमेश क युित ह  ज म कुंडली म शु स म भाव म थत हो और

अथवा द नो का संबंध ह , तो ेम ववाह राहु क महादशा चल रह हो तो य घर वालो

करने क संभावना रहती ह। से िछपाकर या घर से भागकर भागकर शाद


करता ह। उनका वैवा हक जीवन या तो असफल
 ज म कुंडली म ादश भाव म ल नेश और
या क दायी रहता ह।
स मेश क युित ह एवं भा येश क इस पर
ह , तो ेम ववाह होने के योग होते ह।  ज म कुंडली म सूय, बुध, गु क युित स म भाव
म ह , और राहु क महादशा हो तो पु ष अपने से
 ज म कुंडली म अशुभ भाव का वामी होकर
बड उ क ी से ेम ववाह करता ह और
शिन का मंगल, स म भाव या स मेश से युित या
क या अपने से दोगुनी उ के पु ष के साथ ेम
संब ध होने से ेम ववाह होने के योग
ववाह करती है ।
बनते ह।
 सूय स म ह , तो ेम ववाह होने से भी िन त
स मेश म नवमेश क महादशा या अ तरदशा का पंचमेश
तलाक होता ह।
20 दस बर 2010

भ भाव

 िचंतन जोशी
कसी गांव म एक कु हार भगवान का क तन करते थे। क तन करते-करते अपनी सुध-बुध भूल गये। िम ट र दते-
र दते िम ट के साथ उनका बालक भी र दा गया। उ ह पता नह ं चला। उनक प ी क नजर पड़ ।

प ी बोल उठ ः आज से आप मुझे पश मत करना।

कु हार बोले: अ छा ठ क ह...।

भगवान म भ भाव था इस कारण से प ी नाराज हो गई, फर भी उसके दल को ठे स नह ं पहँु ची। प ी का पश


नह ं करना... तो नह ं करगे। इस पर प ी को बड़ा प ाताप हआ
ु क गलती हो गई। अब आगे वंश कैसे चलेगा ? अपने पता को
मनाकर अपनी बहन क शाद अपने पित से करवाई। सब विध स प न करके जब वह-वधू वदा हो रहे थे, तब पता ने अपने
दामाद कु हार से कहाः

आपने मेर पहली बेट को जैसे रखा है , ऐसे ह इसको भी रखना।

कु हार बोले: हाँ ठक ह जो आ ा।

भगवान के ित जसक जसका भ भाव है , वह तो सरलता से सब वीकार कर लेगा। कु हार दोन प य को समान
भाव से दे खने लगे। दोन प याँ दःखी
ु होने लगीं। अब इनको कैसे समझाएँ ? तक वतक दे कर पित को संसार म लाना चाहती थीं
ले कन कु हार का भ भाव भगवान म जुड़ चुका था।

आ खर दोन बहन ने एक रा को अपने पित का हाथ पकड़कर जबरद ती अपने शर र तक लाया। कु हार ने सोचा क मेरा हाथ
अप व हो गया। कु हार ने अपने हाथ को सजा कर द ।

भगवान ने भ भाव होना चा हए। भ भाव माने जैसे पित ता ी और कसी पु ष को पित भाव से नह ं दे खती, ऐसे ह भ
या साधक भी और कसी साधना से अपना क याण होगा और कसी य के बल से अपना मो होगा, ऐसा नह ं सोचता।

ाण ित त दगा
ु बीसा यं
शा ो मत के अनुशार दगा
ु बीसा यं दभा
ु य को दरू कर य के सोये हवे
ु भा य को जगाने वाला माना
गया ह। दगा
ु बीसा यं ारा य को जीवन म धन से संबंिधत सं याओं म लाभ ा होता ह। जो य
आिथक सम यासे परे शान ह , वह य य द नवरा म ाण ित त कया गया दगा
ु बीसा यं को थाि कर
लेता ह, तो उसक धन, रोजगार एवं यवसाय से संबंधी सभी सम य का शी ह अंत होने लगता ह। नवरा के दनो
म ाण ित त दगा
ु बीसा यं को अपने घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म था पत करने से वशेष लाभ ा होता
ह, य शी ह अपने यापार म वृ एवं अपनी आिथक थती म सुधार होता दे खगे। संपूण ाण ित त एवं
पूण चैत य दगा
ु बीसा यं को शुभ मुहू त म अपने घर-दकान
ु -ओ फस म था पत करने से वशेष लाभ ा होता
ह। मू य: Rs.550 से Rs.8200 तक
21 दस बर 2010

ववाह से संबंिधत व न

 िचंतन जोशी
कुछ कार के व न एक वशेष कार का फल दे ते ह।  व न म सुंदर कलाकार वाले व दे खना सुंदर और
आपके माग दशन के िलये योितष के ंथो म उ ले खत सुशील जीवन साथी ा होने का संकेत ह।
दांप य जीवन एवं ेम- संग से स बंिधत व न फल का  व न म वयं को नाचते दे खना शी ववाह होने का
वचार यहा दशाएं गएं ह। और वैवा हक सुख म वृ होने का संकेत ह।
 व न म सुंदर ी क साड़ दे खना अपने ेम पा से
 व न शा के अनुसार नींद म दखाई दे ने वाले शी िमलने का संकेत ह।
सपन से भी ेम ववाह होने या ना होने के संकेत  व न म सुंदर लड़क से म ती करते दे खना और
ा होते ह। लड़क को हं सते दे खना भोग वलास ा होने का
 लडक का व न म कसी िच डय़ा को चहचहाती हई
ु संकेत ह।
दे खना ेम ववाह होने का संकेत ह।  सपने म कपड़े खोलते दे खना ेम और ी सुख ी
 लड़क का व न म वयं को ब तर पर च र सुख ा होने का संकेत ह।
बछाते हए
ु दे खना कसी से ज द ेम होने का या  व न म वयं को शहद का सेवन करते दे खना शी
अपना ेम ववाह होने का संकेत ह ह ववाह होने का संकेत ह।
 व न म वयं को संगीत सुनते हए
ु दे खना ेम संबंध  व न म वयं को हवाई जहाज चलाते हए
ु दे खना
म सफलता ाि का संकेत ह। ववाह होने का संकेत ह।
 व न म सकस जेसी कलाबाजी दे खना उसके ेम म  व न म वयं को केला खाते दे खना ेम एवं
कोई तीसरा य दखल दे ने का संकेत ह। वैवा हक जीवन के िलये अशुभ संकेत ह।
 व न म णय य दे खना म
े संबंध म परे शािन  व न म वयं को कंगन पहनने दे खना शी
आने के संकेत ह। वैवा हक बंधन म बंधने का संकेत ह।
 व न म ह रे -जवाहरात या ह रे के आभूषण उपहार  व न म वयं को मं दर अथवा पूजा थान पर
म ा होते दे खना दांप य जीवन म परे शािनयां पूजा-अचना करते दे खना ेम ववाह म सफल होने
आसकती ह। का संकेत ह।
 व न म सोने के आभूषण दे खना समृ प रवार म  ू
व न म अपनो से संबंध टटते दे खना शी ह ववाह
ववाह होने का संकेत ह। होने का संकेत ह।
 व न म बाजार म घुमते दे खे दे खना मनपसंद जीवन  व न म कसी भवन या महल से बाहर आते दे खना
साथी ा होने का संकेत ह। ू ने का संकेत हो सकता ह।
सगाई टट
 व न म शव दे खना गृ ह थ जीवन म संकट के आने  व न म अपने ेमी, पित-प ी को अ य के साथ म
का संकेत ह।
अनैितक संबंध बनाते दे खना अ छे च र के जीवन
व न म वयं को सुरंग म दे खना ेम संबंध अथवा
साथी ा होने का संकेत ह।

वैवा हक जीवन परे शािनयां आसकती ह।
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23 दस बर 2010

शा के अनुसार ववाह के कार

 वजय ठाकुर

सभी धम म ववाह क अलग-अलग विधयां होती ह। आश ववाह :


ववाह का ता पय होता ह क ी-पु ष को जीवनभर के एक शा के अनुशार आश ववाह ाचीन काल म स यािसय
पव र ते म बांधा जाय। हं द ू शा के अनुसार ववाह क तथा ऋ षय म गृ ह थ बनने क इ छा जागृ त होने पर उ ह
मुख आठ विधय का वणन कया गया ह। इन आठ विधय ववाह क वीकृ ती दजाती थी। आश ववाह के अंतगत
म 4 विधय को े और नैितक माना गया ह। और अ य 4 स यािस या ऋ ष अपनी पस द क क या के पता को गाय
विधय को पूण तः अनैितक माना गया ह। और बैल का एक जोड़ा भट व प दे ता था अथात क या-प
शा म ा ववाह, दे व ववाह, आश ववाह और वाल को क या का मू य दे कर (गौदान करके) ववाह ताव
ाजा य ववाह को े मानागया ह। रखे जाते थे। य द क या के पता को यह र ता मंजूर होता
शा म असुर ववाह, गंधव ववाह, रा स ववाह था, तो वह गाय और बैल के जोडे क भट वीकार कर लेता
और पशाच ववाह को अनैितक मानागया ह। था और अपनी सुपु ी का ववाह कर दे ता था। ले कन र ता
मंजूर नह ं होने पर गाय और बैल के जोडे क भट सादर लौटा
भारतीय समाज म े और नैितक विधय से ह द जाती थी।

ववाह कराये जाते ह।


जाप य ववाह :
ववाह : शा के अनुशार जाप य ववाह ववाह का एक कम

ह द ु समाज म ववाह ( ा ववाह) आदश, सबसे व तृ त, संशोिधत प था। दोन म मूल अंतर स प ड
ब ह ववाह के िनयम तक सीिमत था। ा ववाह म पता
लोक य और ित त ववाह का व प माना जाता ह
क तरफ से सात एवं माता क तरफ से पांच पी ढ़य तक जुड़े
यो क ववाह दोनो प क सहमित से कया जाता ह।
लोग से ववाह संबंध िनषेध होता था। ले कन जाप य
ववाह म क या का पता अपनी क या के िलए व वान,
ववाह म पता क तरफ से पांच एवं माता क तरफ से तीन
साम यवान एवं उ म च र वाला सबसे सुयो य वर को
पी ढ़य के स प ड म ह ववाह िनषेध होता था। जाप य
अपनी क या से ववाह के िलए आमं त कर अपनी पु ी का
ववाह म पता अपनी क या क सहमित के बना उसका
क यादान करता ह। ववाह आजकल सामा जक ववाह
ववाह अिभजा य वग के वर से कर दे ना ' जाप य ववाह'
या क यादान ववाह कहा जाता ह।
कहलाता था।
दे व ववाह :

शा के अनुशार दे व ववाह के अंतगत क या का पता आसुर ववाह :

अपनी सुपु ी का ववाह य ( वशेषतः धािमक अनु ान) शा के अनुशार आसुर ववाह ववाह से वपर त क या
कराने वाले पुरो हत को सेवा काय के मू य के प अपनी के पता को दान या क या का मू य दे ख उसे खर दा जाता
क या को दान म दे दे ता था। दे व ववाह को ािचन काल म था या ववाह म क या के भाई और वर क बहन क अदला-
एक आदश ववाह माना जाता था। आजकल दे व ववाह आज बदली क जाती थी। ववाह म क या मू य लेना क या
लु हो गया है । के पता के िलए िन ष होता था। ववाह म क या के
24 दस बर 2010

भाई और वर क बहन का ववाह (अदला-बदली) भी िन ष द था। पौरा णक काल म राजाओं और दवािस कबील ने
होता है । यु द म हारे राजा तथा सरदार ने मै ी संबंध बनाने के उ े य
गंधव ववाह : से उनक पु य से ववाह करने क था चलायी थी। रा स

शा के अनुशार गंधव ववाह को आधुिनक युग के ेम ववाह म ी को यु द म जीत के तीक के प म प ी

ववाह का पारं प रक प था। पौरा णक काल म गंधव ववाह बनाया जाता था। यह वीकृ त था परं तु आदश नह ं माना

के अंतगत अपने प रवार वाल क सहमित के बना वर और जाता था।

क या का बना कसी र ित- रवाज के आपस म ववाह कर लेते पैशाच ववाह :

थे। उस काल म गंधव ववाह क कुछ वशेष प र थितय एवं शा के अनुशार पैशाच ववाह को ववाह का िनकृ तम प
वशेष वग म वीकृ ित थी पर तु परं परा म इसे आदश ववाह माना गया ह। जस के अंतगत क या क मदहोशी, गहन
नह ं माना जाता था। िन ा, मानिसक दबलता
ु इ या द का लाभ उठा कर जबरद ती
रा स ववाह : से शीलहरण कर उससे शार रक स बंध बना लेना और लड़क

शा के अनुशार रा स ववाह को पौरा णक काल म क या के अिधकार क र ा के िलए अंितम वक प के प म उसे

क सहमित के बना उसका अपहरण करके जबरद ती ववाह ववाह प म वीकार कया जाता था। इस ववाह से

कर लेना जो लोक य हरण ववाह के प म चलन म रहा उ प न संतान को वैध संतान के सारे अिधकार ा होते थे।

ादश महा यं
यं को अित ािचन एवं दलभ
ु यं ो के संकलन से हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाया गया ह।
 परम दल
ु भ वशीकरण यं ,  सह ा ी ल मी आब यं
 भा योदय यं  आक मक धन ाि यं
 मनोवांिछत काय िस यं  पूण पौ ष ाि कामदे व यं
 रा य बाधा िनवृ यं  रोग िनवृ यं
 गृ ह थ सुख यं  साधना िस यं
 शी ववाह संप न गौर अनंग यं  श ु दमन यं

उपरो सभी यं ो को ादश महा यं के प म शा ो विध- वधान से मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु


कये जाते ह। जसे थापीत कर बना कसी पूजा अचना- विध वधान वशेष लाभ ा कर सकते ह।

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25 दस बर 2010

ववाह से पूव कुंडली िमलान म अ पायु-द धायु योग भी दे ख ल।

 िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी

अ पायु योग
योितष से जाने कतना जीएँगा आपका साथी जीवन-मृ यु ई र क ह इ छानुसार होती ह। परं तु एक कुशल योितष मनु य
के अ पायु-द धायु योग से उसक आयु क जानकार दे सकता ह। योग के आधार पर आयु से संबंिधत जानकार दे ने का उ े य
केवल सचेतना एवं पूव सूचना मा होता ह। य द अ प आयु के योग बन रह हो तो उ से बचाव के इ आराधना आराधना के
उपाय करने चा हये जससे द धायु क ा ी हो सके। यो क अ पायु योग के कारणा वर को वदरु और क या को वधवा होने
क नौबत आजाती ह। यो क मृ यु तो िन त होती ह उसे कोई नह ं टाल सकता क तु य द कुंडली िमलान म वर या वधु क
कुंडली म एसे योग पाये जाये तो सोच समझ कर ह ववाह करना उिचत होता ह।
योितष िस ांतो के आधार पर केवल य के जीवन पर उसक ज म कुंडली का ह नह ,ं उसके संबंिधय क ज म कुंडली के
योग का भी असर अव य पड़ता ह। जैसे कसी य क कुंडली म कोई वष वशेष मारक हो परं तु उसके प ी क कुंडली म
पित का योग बलवान हो, तो उपाय इ याद करने पर यह मारक योग केवल वा य क , अक मात दधट
ु ना म छोट -मोट
चोट इ या द का योग मा बन जाता ह। अतः आयु िनधारण हे तु इन सब बात का यान अव य रखना चा हये। हमारे व ानो
ने आयु िनधारण के द धायु, म यमायु, अ पायु के कुछ सामा य िनयम बताते ह।

अ पायु योग
आयु िनधारण हे तु ज म कुंडली म ल न के वामी क थती का अिधक मह व मान गया ह। य द ल नेश ष म, अ म या
ादश भाव म थत ह , तो जातक वा य से संबंिधत परे शानी से त होता ह। जातक अपने जीवन म वा य से संबंिधत
विभ न सम या, आक मक दघटना
ु इ या से से अिधक समय स मुखीन होता ह। य को अपने ल नेश को अनुकूल बनाने
हे तु उपाय करना चा हये।
 कुंडली म सभी पाप ह शिन, राहू, सूय, मंगल, केतु और चं मा क सूय से यु होकर तृ तीय, ष म, ादश भाव म थत
ह , तो आयु प कमजोर होता ह।
 कुंडली म ल नेश और सूय ल न भाव म थत हो और उस पर पाप ह क हो तो आयु योग कमजोर होता ह।
 कुंडली म अ मेश ष म या ादश भाव म पाप ह के साथ या पाप ह के भाव म हो, तो आयु प कमजोर होता ह।
 कुंडली म ल नेश िनबल हो और सभी पाप हक म थत हो, और उस पर शुभ न हो अशुभ ह क हो तो आयु
योग कमजोर होता ह।
 कुंडली म ल नेश कमजोर हो एवं धन ( तीय) और यय ( ादश) भाव म पाप ह थत हो तो आयु कम होती ह।
 कुंडली म गुर एवं शु क युित ह और मंगल पंचम भाव म थत हो तो आयु कमजोर होती ह।
 कक ल न क कुंडली म च मा अ त हो, नीच का हो या हण योग बन रहा हो, तो आयु प कमजोर होता ह।
 कुंडली म ल नेश और अ मेश दोन थर रािश म थत हो अथवा एक चर रािश म और दसरा
ू वभाव रािश म हो तो
आयु प कमजोर होता ह।
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27 दस बर 2010

कुंडली से जान द घायु योग


कुंडली म कुछ योग ऐसे होते है जो मनु य को द घायु बनाते है ।
 योितष शा के अनुशार कुंडली म अ म थान आयु का होता ह और अ म से अ म अथात तीसरा थान भी आयु का
माना जाता ह।
 द घायु योग उन जातको क कुंडली मे होते ह जनका ल नेश अथात ल न का वामी ह का बलाबल होना एवं शुभ
ह के भाव म होना अित आव य होता ह।
 कुंडली म ल नेश बल बलवान ह एवं अ य सभी ह बलवान हो, तो जातक द घायु होता ह।
 कुंडली म पंचम भाव म चं मा, नवम भाव म गु , दशम भाव म मंगल थत होने पर द घायु योग होता ह।
 कुंडली म ल नेश, अ मेश और दशम थान का वामी शिन के साथ क म थत हो, तो द घायु योग बनता ह।
 कुंडली म गु कक, धनु या मीन रािश का होकर क म थत हो, कोई शुभ ह बली होकर क म थत हो और िलए
सूय एकादश भाव म थत हो, त द घायु योग होता ह।
 कुंडली म राहू तृ ितय, ष म या एकादश भाव म थत हो कर अ य शुभ ह के भाव म ह , त द घायु योग होता ह।
 कुंडली म अ म भाव म वगृ ह शिन थत हो, या गु के अलावा अ य कोई ह थत ह , त द घायु योग होता ह।
 कुंडली म ल नेश बलवान ह और सभी ह वषम रािशय म थत ह अथवा सभी ह अपनी वरािश या िम ह क
रािश म थत ह , त द घायु योग होता ह।
 कुंडली म ल न भाव शुभ हो के भाव म हो, और चं मा पर शुभ ह क हो, तो द घायु योग बनता ह।
कुंडली म ल नेश बलवान ह और नवम भाव म च मा वरािश का हो, त द घायु योग होता ह।

पूणायु योग
 कुंडली म ल नेश और अ मेश दोन चर रािश म थत ह , या एक वभाव रािश म दसरा
ू थर रािश म ह तो द धायु
योग होता ह।
 कुंडली म ल न और च दोन चर रािश म थत ह , या एक वभाव रािश म दसरा
ू थर रािश म ह तो द धायु
योग होता ह।
 कुंडली म ल न और होरा ल न दोन चर रािश म थत ह , या एक वभाव रािश म दसरा
ू थर रािश म ह तो
द धायु योग होता ह।
 कुंडली म ल नेश और शुभ ह पणफर भाव म थत ह , या अ मेश और सभी पाप ह पणफर भाव म ह तो द धायु
योग होता ह।
 कुंडली म अ मेश उ च का होकर के म थत ह , या कोण म शुभ ह से युत हो तो द धायु योग होता ह।
 कुंडली म ल नेश ल न म थत ह , और अ मेश अ म भाव म थत ह , तो द धायु योग होता ह।
 कुंडली म ल नेश, पंचमेश और अ मेश बली हो और वरािश म थत ह , वयं के नवमांश म ह , या िम ा भाव म ह
तो द धायु योग होता ह।
 कुंडली म ष मेश या ादशेश ल न, ष म या ादश भाव म थत ह , तो द धायु योग होता ह।
 कुंडली म ल नेश उ च का हो च एकादश भाव म थत ह और बृ ह पित अ म भाव म थत ह , तो द धायु योग
होता ह।
 कुंडली म शिन अ म भाव म हो तो द धायु योग होता ह।
28 दस बर 2010

महाद घायु योग


 कुंडली म सूय, बृ ह पित और मंगल नवम भाव म थत ह , वग म म ह , मकर या कुंभ रािश म ह जब क च बली
होकर ल न म ह तो यह योग होता है ।
 कुंडली म शिन और बृ ह पित ल न से दशम अथवा नवम भाव म थत ह और नवमांश म भी ऎसा ह हो, शुभ ह से
ह एवं सूय ल न म थत हो तो महाद घायु योग बनता ह।
 ल न म कक रािश हो च या बृ ह पित ल न म थत ह और शु और बुध के म ह और शेष ह एकादश, ष म
और तृ तीय भाव म ह तो महाद घायु योग बनता ह।
 कुंडली म कोण म कोई पाप ह न हो के भी शुभ ह से वह न हो और अ म भाव म पाप ह ह तो महाद घायु
योग बनता ह।
 कुंडली म ल न से ह का म म शिन सबसे पहले और मंगल सबसे बाद म हो तो महाद घायु योग बनता ह।
 कुंडली म बृ ह पित और शु मीन रािश म थत ह या च वृ ष रािश म और वृ ष रािश के नवमांश म हो या मंगल
उ चका हो तो महाद घायु योग बनता ह।
 कुंडली म धनु ल न हो, एवं ल न म बृ ह पित थत हो तथा मेष रािश म नवमांश उ दत ह रहा हो जब क शु स म
भाव म थत हो तथा च क या रािश म हो थत तो महाद घायु योग बनता ह।

वशेष : कुंडली िमलान करते समय इनम से कोई एक योग कुंडली म ह , तो जातक पूण आयु ा करता ह एसा योितष
व ानो का कथन ह। पूण आयु के योग बनने पर भी सावधानी आव य होती ह। यो क अनउिचत यवहार एवं सोच के कारण
य यसन या गलत खान-पान के चलते उ का शर र बीमा रय का घर बन सकता ह। गलत कम से आयु योग ीण हो
जाता ह। आक मक घटनाओं को भी अव य यान म रखते हवे
ु आयु िनधारण कर। अतः कोई भी भ व यव ा इस बारे म
घोषणा न कर ऐसा गु ओं का िनदश होता है । हाँ, खतरे क द जा सकती है । कए जा सके।

पित-प ी म कलह िनवारण हे तु


य द प रवार म सुख-सु वधा के सम त साधान होते हए
ु भी छोट -छोट बातो म पित-प ी के बच मे
कलह होता रहता ह, तो घर के जतने सद य हो उन सबके नाम से गु व कायालत ारा शा ो
विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं गृ ह कलह नाशक
ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म बना कसी पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर
सकते ह। य द आप मं िस पित वशीकरण या प ी वशीकरण एवं गृ ह कलह नाशक ड बी
बनवाना चाहते ह, तो संपक आप कर सकते ह।

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29 दस बर 2010

योितष से जाने जीवनसाथी क दशा?


 िचंतन जोशी
ज म कुंडली म जीवनसाथी से संबंिधत जानकार दे ने वाला मुख थान स म भाव होता ह । स म भाव क बल और
िनबल होने के आधार पर जातक का ववा हत और अ ववा हत रहना। वैवा हक जीवन म सफलता या असफलता के बारे म
जाना जाता ह।
ज म कुंडली म स म भाव से जीवन साथी क दशा और थान का अंतर िनधा रत कया जाता ह।
ज म कुंडली म स म भाव म थत ह और स म भाव के वामी अथात स मेश क बलता या शुभ हो के साथ म
या भाव म अ छ थित म होने से इस ह क रािश क दशा के अनुसार जीवन साथी के िमलने क दशा के बारे म पता
लगाया जा सकता ह।
इसके उपरांत स म भाव म थत ह के बल और भाव का भी अवलोकन कर।

 य द ज म कुंडली म स म भाव म थत ह स मेश के वामी से


अिधक बलवान हो, तो इस ह क दशा के अनुसार साथी क
दशा माननी चा हये।
 य द ज म कुंडली म स म भाव म थत ह और स मेश दोनो
समान प से भावशाली होने पर दोन हो के म य क दशा
जाननी चा हए।
 य द ज म कुंडली म ह कमजोर हो, और स मेश बलशाली ह , तो
स मेश के अनुशार ह जीवनसाथी क दशा मानना चा हए।
यहां विभ न ह क दशा द जा रह है :-
सूय : पूव दशा मंगल : द ण दशा गु : उ र दशा शिन : प म दशा
च : वाय य दशा बुध : ईशान दशा शु : आ नेय दशा राहू-केतु : नैऋ य दशा

कतनी दरू होगा लडके-लड़क का ससूराल?

 ज म कुंडली म स म भाव म वृ ष रािश, कुंभ रािश अथवा वृ क रािश का भाव हो, तो उसके घर या पैत ृ क
िनवास से जीवनसाथी के घर या पैत ृ क िनवास क दरू 0-90 कलोमीटर के कर ब हो सकती है ।

 ज म कुंडली म स म भाव म िमथुन रािश, क या रािश, धनु रािश अथवा मीन रािश का भाव हो, तो उसके
घर या पैत ृ क िनवास से जीवनसाथी के घर या पैत ृ क िनवास क दर
ू 90-190 कलोमीटर के कर ब हो सकती
है ।

 ज म कुंडली म स म भाव म मेष रािश, कक रािश, तुला रािश अथवा मकर रािश का भाव हो, तो उसके घर
या पैत ृ क िनवास से जीवनसाथी के घर या पैत ृ क िनवास क दर
ू 190 या उ से से अिधक कलोमीटर क दरू
पर हो सकता है ।
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31 दस बर 2010

आपका जीवन साथी कह ं नशे का आद तो नह ?



 िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी

भारतीय समाज म नशेको खराब माना गया ह। यो क नशे क लत या बूर आदत के कारण य तन, मन,
धन, प रवार सब कुछ दाँव पर लगा दे ने से पीछे नह ं हटता। आज यादातर य कसी न कसी नशे क लत का
िशकार होता ह।
शौ खया तौर पर शु कया गया नशे का अ यास समय के साथ-साथ य को लत का िशकार बना दे ता ह।
ज से उसका आने वाला उ जवल भ व य नशे के कारण भ व य के गत अंधेरे क और अ त कर दे ता ह। य के
नशे के आ द होने का एक बड़ा कारणा उसके आस-पास का माहौल होता ह। यो क य अपने आसपास म जो
महौल दे खता ह उसी महौल के अनु प वह ढलने लगता ह।
ज म कुंडली म ह क थती के अनुशार जातक क िच नशा करने म रहे गी या नह ं। य द रहे गी तो
जातक कस तरह का नशा करे गा। इसका पूवानुमान योितषी संकेतो के आधार पर सरलता से जान सकते ह। य द
उिचत मागदशन और उिचत उपायो से कोई भी माता- पता या अ य कोई य अपने वजनो को नशेक लत म
पडने से पहले बचा सकता ह।

 ज म कुंडली म ल न म पाप ह थत हो तो य कसी ना कसी नशे का िशकार रखता ह।


 ज म कुंडली म ल नेश कमजोर हो कर पाप ह के भाव म हो, तो य नशे का आ द होता ह।
 ज म कुंडली म ल नेश नीच का हो, श ु रािश म थत ह और चं भी कमजोर हो तो य नशे का आ द
होता ह।
 ज म कुंडली म ल नेश पर मंगल का भाव हो तो य क यसन म िच रहती ह।
 ज म कुंडली म ादश ( यय) भाव पर पाप ह हो, तो य यसन म धन यय कराता है ।
 ज म कुंडली म बृ ह पित कसी भी भाव म नीच का हो, तो य क यसन म िच रहती है ।
 ज म कुंडली म शु -राहु या शु -केतु के साथ थत हो और ल नेश और चं कमजोर हो या पाप भाव म
हो, तो य क यसन म िच होती ह।
 ज म कुंडली म ल न म शिन हो, शु अ म भाव म थत होकर शिन से होने से य अ यािधक नशे
का आ द होता ह।
 ज म कुंडली म ल न पर कसी भी कार से सूय क होने पर य को माँस-म दरा का आ द होता ह।
 ज म कुंडली म ल न पर कसी भी कार से शिन क होने पर य को िसगरे ट-गांजा आ द धुंवे वाले
यसनो का आ द होता ह।
 ज म कुंडली म ल न पर कसी भी कार से मंगल क होने पर य को शराब जेसे जलीय नशे का
आ द बनाती ह।
 ज म कुंडली म य द पतृ दोष लग रहा हो, तो उसक शांित अव य करले यो कं पतृ दोष के कारण घर-
प रवार के सद यो के बच म नशे के कारण अ यािधक अशांित बनी रहती ह।

नोट : संबंिधत ह क शांित कराने व उपाय करने से क कम हो जाते ह।


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33 दस बर 2010

हं द ु सं कृ ित म वरवधू प व अ न के सात फेरे लेते है । फेरे लेते समय वधू वर से सात वचन और वर वधू से पांच वचन मांगता ह।

क या ारा वर से िलये जाने वाले सात वचन इस कार ह।

 थम वचनः य द य ं कुया म मम स मितं गृ हणीयात


अथातः य ा द शुभ काय मेर स मित से ह करगे।
 तीय वचनः य द दानं कुया म न प मम स मित गृ ह णयात
दाना द मेर स मित से ह करगे।
 तृ तीय वचनः अव था ये मम पालनां कुयात
अथातः युवा, ौढ़ और वृ तीन अव थाओं म मेरा पालन करगे।
 चतुथ वचनः धना दगोपने मम स मितं गृ हणीयात
अथातः गु प से धना द संचय मेर स मित से ह करगे।
 पंचम वचनः गवा द पशु य- व ये मम स मितं गृ हणीयात।
अथातः गाय, बैल, घोडा आ द पशुओं (वतमान म वाहना द) के य व य म
भी मेर स मित लगे।
 ष म वचनः बस ता द षटऋतुषु मम पालनं कुयात
अथातः वस त, ी म, वषा, शरद, हे म त, िशिशर इन छह ऋतुओं म मेरा पालन
करगे।

 स म वचनः सखी य मम हा यं कटवा यम न वदे त न कुयात! त हं भवतां वामांग आग छािम
अथातः मेरे साथ क सखी सहे िलय के सामने मेर हँ सीं न उडाएं और न ह कठोर कटु वचन का योग कर।

इन वचनो म क या कहती ह य द आप उपरो सात वचन का पालन करगे तो ह म आपके वामांग म आ सकती हँू ।

वर ारा क या से िलये जाने वाले वचन इस कार ह।

उ ाने म पाने च पतागृ हगमनेन च


आ ा भंगो न कत यं वरवा यचतु यकम!!
अथातः िनजन थान, उ ान, वना द म न जाए, म (शराब) पीने वाले मनु य के सामने न जाए, अपने पता के घर भी
मेर आ ा के बना न जाए, धम शा ोिचत कभी भी मेर आ ा भंग न करे तो ह तुम मेरे वामांग म थान हण कर
सकती हो।

शाद संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार
ा कर।
34 दस बर 2010

िसफ कुंडली िमलान सफल ववाह क गारं ट नह ं होती?


 िचंतन जोशी
ववाह से पूव कुंडली िमलान करवाना एक सामा य चलन ह।

ले कन केवल 36 गुण के आधार पर कया गया कुंडली िमलना सफल ववाह क गारं ट नह ं होता ह। वै दक योितष
अनुसार 36 गुण के अलावा अ य बहत
ु सारे कारण होते ह जो लडके-लडक के वैवा हक जीवन को सफल या असफल
बनाने म अपना भाव रखते ह।

भारतीय समाज म लडके-लडक क शाद के िलये दोनो क ज म कु डिलयो का


िमलान कया जाता ह। जसमे ज म राशी और न के आधार पर 36 गुणो का
िमलान और मंगलीक दोष मुख माने जाते ह। दोनो क ज म कु डिलयो के िमलान म
18 या उ से अिधक गुण िमलने पर दोनो क कुंडली ववाह के िलए उपयु मान ली जाती
ह। जो योितष शा के जानकार और व ानो के मत से अनौिचत और िनथक
यास मा होता ह।

यो क क हमने वयं हमारे हमारे वष के अनुभवो से पाया ह। लडके-लडक क


ज म कुंडली म ३० से अिधक गुण िमलने पर भी दोनो का जीवन तनाव पूण होता ह जबक दसर
ू और ज म कुंडली
म १८ से कम गुण िमलने पर जीवन सुखमय और आनंदमय होता ह।

ऎसा य होता ह?
इसका मु या कारण होता ह आज आधुिनकता का कुछ एसा दौर चला ह, जहा ायः हर गली महो ले म
योितष से संबंिधत पु तके प -प काए उप ध हो जाती ह, जसे एक दो पार आिध-अधूर पढे ना पढे य
योितष से संबंिधत उिचत जानकार एवं यो य योितषी िश ण के अभाव के कारण वयं को योितष का बहोत बडा
जानकार और व ान मान लेता ह।

आजकल ायः हर छोटे -बडे शहरो म योितष से संबंिधत िश ा के िलये लास खूलने लगे ह जसमे कुछ
व ान योितष व ानो के ारा चलाये जाते ह तो कुछ धन लोभ के कारण आधे-अधूरे िश ण से दसरो
ू को योितष
का पाठ पढाने लगते ह। आधे-अधूरे िश क से योितष व ा ा होन ह ं सकती इ से तो हर य भली भाती
प रिचत ह, एसे म योितष िश ा क मोट फस दे कर य को योितष म अमुक अमक ड ीया ा हो जाती ह।

कुछ य व ान योितष के पास िश ण ा करने के उपरांत भी योितष व ा के समपण भाव नह ं रख


कर केवल धनोपाजन के ल य को साधने म लग जाते ह जहा उनका पूण ान ा करने के उपरांत भी उ हे वह
सफलता ा नह ं हो पाती जो एक कूशल योितष को ा होनी चा हये। एसी थती म कया गया कुंडली िमलान
यादातर मामलो म असफल हो जाता ह।
35 दस बर 2010

दसरा
ू कारण
यादातर लडके-लडक के माता- पता शाद म हजारो लाखो पये खच कर दे ते ह परं तु व ान एवं कूशल
योितष के पास न जाकर उसका उिचत पा र िमक न दे कर पैसे बचाने के च कर म या तो कम जानकार य से
कुंडली िमलान करवा लेते ह या वयं अपने कं युटर पर लडके-लडक क ज म दनांक, समय एवं थान दे कर िमलान
कर के 18 या उ से अिधक गुण दे ख कर ववाह कर दे ते ह। एसी थतीओं म लडके-लडक का वैवा हक जीवन
क मय और दःख
ू मय हो सकता ह। यो क केवल 18 या उ से अिधक गुण िमलने पर ह ववाह सफल नह ं होता।

यो क कम जानकार योितष का स पूण यान न पर ह के त होता ह। जानकार के अभाव म वहं ज म


ल न, होक ी एवं थती इ याद क पूण प से अवहे लना करता ह। है .

कं युटर पर कुंडली िमलान करने पर उसम केवल वण, योिन, नाड इ या द गुणो के आधार ह िमलान होता ह।
यो कं कुंडली िमलान न ो क बजाए हो क थित के आधार पर करना उिचत होता ह यो क न तो एक ह ह सा ह
और मनु य पर सबसे अिधक भाव नव हो का होता ह। जसे कं युटर या कम जानकार योितष बताने म असमथ होते
ह जसके आधार पर ववाह सफल नह ं हो पाते ह और कभी कभी गुण िमलने पर भी असफल हो जाते ह।

तीसरा कारण
कुछ लडके-लडक के माता- पता अ छा प रवार म र ता या धनी प रवार दे ख कर अथवा अपने लडके-लडक
क उ अिधक हो जाने पर अपने पु -पु ी क ज म कुंडली गलत बनवा दे ते ह ताक कसी भी कार से ववाह
संप न हो जाये परं तु अ ानता के कारण उ ह कहा ात होता ह क वह जो बड गलती से ववाह को संप न करना
चाहते ह वह अनौिचत मेल को उिचत म बदलने के उपरांत भी दोनो का वैवा हक जीवन क मय या दःखमय
ु रहे गा।
ऎसी थतीओं म भी वैवा हक जीवन सुखमय नह ं होता फर दोषका सारा ठकरा मढ दया जाता ह योितष पर क
उिचत मेल होने पर भी हमारे लडके-लडक का ववाह क जीवन सुखी नह ं हवा।

गु व योितष के ववाह पेशयल अंक म हमने कुंडली िमलान के अलावा

ववाह से संबंिधत अ य बहोत से पहलू से आपका मागदशन करने का यास कया ह।

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GURUTVA KARYALAY
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36 दस बर 2010

ववाह हे तु उिचत माह कौन सा होता ह?

 िचंतन जोशी
भारतीय सामाज म ववाह को प व बंधन माना जाता ह। इस िलये हं द ू सं कृ ित म तलाक जैसे श द का कोई
नह ं ह। योितष शा म ववाह सं कार हे तु मुख चार माह िनधा रत कये ह। इस िलये एसा मानाजाता ह क इन
चार माह म ववाह होने पर भावी ववा हत द पित का जीवन खुिशय भरा रहता ह।

व ानो के मत से इन चार माह म ववाह होने पर अलग-अलग फल ा होते ह।

कस माह म ववाह या फल दे ते ह?

शा के अनुसार
माघे धनवती क या, फा गुने शुभगा भवेत,
वैशाखे तथा ये े पित उ य तव लभा।
मागिशष म प छती, अ यये मासा व जता।।
अथातः जस क या का ववाह माघ मास म होता ह, वह अित धनवान होती ह, फा गुन मास म ववाह होने पर क या
सौभा यवती होती ह। वैशाख और ये मास म ववाह होने पर क या पित को अिधक यार होती ह। अक मात
प र थतीओं म अित आव यक होने पर ह मागिशष मास म ववाह कर सकते है । अ य सभी माह ववाह हे तु व जत
होते ह।
इसके अलावा मलमास या अिधमास होने पर, सूय धनु एवं मीन रािश म थत होने पर, गु या शु तारा
अ त होने पर ववाह िनषेध माना गया ह।

 या आपके ब चे कुसंगती के िशकार ह?

 या आपके ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?

 या आपके ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?


घर प रवार म शांित एवं ब चे को कुसंगती से छुडाने हे तु ब चे के नाम से गु व कायालत ारा शा ो विध-
वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर
म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह।

य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।

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37 दस बर 2010

मंगली दोष वाले जातक थोड़े गु सैल व िचड़िचड़े होते ह?


 िचंतन जोशी
ज म कुंडली म मंगली होना अथवा मंगल दोष होना कसी जातक के िलये अमंगलकार नह ं ह। मंगली होना कोई दोष
नह ं ह यह एक वशेष योग होता ह जो कुछ वषेश ज म कुंडली म पायेजाते ह। मंगली जातक कुछ वशेष गुण िलये हवे
ु ितभा
संप न होते ह। हमारा उ े य यहा मंगल दोष के भाव को नकारना नह ं ह, उ से जुडे म को दरू कर, उ से जुडे शा ीय
िनयमो से आपको प रिचत करना और उसके िनवारण के उपाय बताना ह।

मंगली-दोष वचार कैसे कया जाता ह। इ से जुडे शा ो िनयम इस कार ह।


अग य सं हता के अनुसार:
धने यये च पाताले जािम े चा मे कुजे।
भाया भतु वनाशाय भतु ी वनाशनम्॥

मानसागर के अनुसार:
धने यये च पाताले जािम े चा मे कुजे।
क या भतु वनाशाय भतु ः क या वन यित॥

बृ हत् योितषसार के अनुसार:


ल ने यये चतुथ च स मे वा अ मे कुजः।
भतारं नाशये भाया भताभाया वना येत॥

भावद पका के अनुसार:


ल ने यये च पाताले जािम े चा मे कुजे।
ीणां भतु वनाशः यात ् पुंसां भाया वन यित॥

बृ हत् पाराशर होरा के अनुसार:


ल ने यये सुखे वा प स मे वा अ मे कुजे।
शुभ ग ् योग ह ने च पितं ह त न संशयम॥्

उपरो ोक का भावाथ है क ज म ल न से थम, तीय, चतुथ, स म, अ म या ादश थान मे मंगल


थत होने पर मंगल दोष या कुज दोष बनता ह। कुछ आचाय के अनुसार ल न के अित र मंगली दोष च ल न,
शु या स मेश से इ ह ं थानो म मंगल थत होने पर भी होता ह।

मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र
य को ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के
क याण के िलए मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550
38 दस बर 2010

मंगली दोष का फल
मंगली दोष वैवा हक जीवन को विभ न कार से भा वत करता है - ववाह मे व न, वल ब, यवधान या धोखा,
ववाहोपरा त द पित मे से कसी एक अथवा दोनाको शार रक, मानिसक अथवा आिथक क , पार प रक मन-मुटाव, वाद-
ववाद तथा ववाह- व छे द। अगर दोष अ यिधक बल हआ
ु तो दोना अथवा कसी एक क मृ यु भी हो सकती है ।
कुंडली म य द मंगली दोष हो तो उ से भयभीत या आतं कत नह ं होना चा हये। यास यह करना चा हये क मंगली
जातक का ववाह मंगली जातक से ह हो या क मंगल-दोष सा य होने से वह भावह न हो जाता ह तथा दोनासुखी रहते ह।

द प योज मकाले ययधन हबुके स मे ल नर े।


ल ना च ा च शु ाद प भवित यदा भूिमपु ो योव॥
त सा या पु िम चुरधनपतां दं पती द घ-काला।
जीवेतामेकहा न भवित म त रित ाहर
ु ा मु याः॥
अथातः य द वर और क या के ज मांग मे मंगल तीय, ादश, चतुथ,
स म अथवा अ म भाव मे ल न, चं मा अथवा शु से समभाव मे थत
हो तो समता का मंगल दोष होने के कारण वह भावह न हो जाता है ।
पर पर सुख, धनधा य, संतित, वा य एवं िम ा द क उपल ध होती
ह।
कुज दोष व ी दे या कुजदोषवते कल।
ना त दोषो न चािन ं द प यो सुखवधनम॥्
अथातः मंगल दोष वाली क या का ववाह मंगल दोष वाले वर के साथ
करने से मंगल का अिन दोष नह ं होता तथा वर-वधू के म य दांप य-
सुख बढ़ता है ।

मंगल के भाव वाले जाताक आकषक, तेज वी, िचड़िचड़े


वाभाव, सम याओं से लडऩे क श वशेष प से भावमान होता ह। वकट से वकट सम याओं
म िघरे होने के बावजूद जातक अपना धैय नह ं छोड़ते ह। योितष थो म मंगल को भले ह ूर ह
बताया गया ह, मंगल केवल अमंगलकार ह नह ं ह यह मंगलकार भी होता ह।

मंगल क उ प ी कैसे हइ
ु ?
शा म मंगल ह क उ प िशव से मानी गई ह। मंगल को पृ वी का पु माना गया ह। मंगल क उ प
भारत के म य दे श के उ जैन म मानी गई ह।

 जेसे मंगल का रं ग लाल या िसंदरू के रं गके समान ह।, इस िलये भगवान गणेश को भी िसंदरू चढाया जाता ह। इस
िलये गणेशजी को मंगलनाथ या मंगलमूित भी कहाजाता ह।
39 दस बर 2010

 मंगल कुमार को गणेशजी न मंगलवार के दन दशन दे कर उनहे मंगल ह होने का वरदान दया था इसी के
कारण ह भगवान गणेश को मंगल मूित कहा जाता ह और मंगलवार के दन मंगलमूित गणेश का पूजन कया
जाता ह।

 व ानो ने दे वी महाकाली जी का पूजन भी मंगलवार को े फल दे ने वाला माना ह।

 योितष शा के अनुसार मंगल का भाव मनु य के र और म जा पर होता है । इसी से मंगली कुंडली वाले
जातक थोड़े गु सैल और िचड़िचड़े वभाव के होते ह।

मंगली होने के लाभ


मंगली कुंडली वाले जातक म अपनी ज मेदार को पूण िन ा से िनभाने का वशेष गुण होता ह। मंगली य
यादातर क ठन से क ठन काय को समय से पूव ह कर लेने समथ होते ह। एसे य म नेत ृ व करने क मता
ज मजात पाई जाती ह। एसे य ज द कसी से िम ता नह ं करते और ज द कसी से घुलते-िमलते नह ं ह। एसे
य जब िम या या संबंध बनाते ह तो पूण त: िनभा ने का यास अव य करते ह।

एसे य अ यािधक मह वाकां ी होने के कारण इनके वभाव म ोध पाया जाता ह। एसे य उ
वभाव के होने पर भी वह बहत
ु दयालु, शी मा करने वाले तथा मानवतावाद होते ह।

एसे य सह ं को सह ं और गलत को गलत कहने म नह ं हच कचाते। य कसी गलत के आगे झुकते


नह ं और खुद भी गलत नह ं करते। कसी क खुशामत करना इ ह यादा रास नाह ं आता। मंगली जातक ायः
यवसायी, उ च पद आसीत, राजनीित, डॉ टर, इं जीिनयर, अिभभाषक, तं का जानकार और सभी े म इ ह वशेष
यो यता ा होती ह। य वप रत िलंग के ित वशेष संवेदनशील होते ह उनक और वशेष झुकाव रखते ह।

योितष शा के अनुशार मंगली लडके-लडक अपने जीवन साथी से वशेष अपे ाएं रखते ह और अपने जीवन
साथी के मामले म अिधक संवेदनशील होते ह। इस कारण शा म मंगली का ववाह मंगली से ह करने पर जोर दया
गया ह। कुछ व ानो का मत ह क लड़के क कुंडली म मंगल हो और लड़क क कुंडली म 1, 4, 7, 8, 12 थान म
शिन थत हो अथवा मंगल के साथ गु थत हो तब मंगल का भाव समा माना जाता ह। एसा माना जाता ह
क मंगली जातक का ववाह वलंब से होता ह और अ छ जगह होता ह।

इसी िलये मंगली कुंडली वाले य का ववाह मंगली से करना शुभ माना जाता ह।

योितष मह व: योितष म मंगल ऋण, भूिम, भवन, मकान, झगड़ा, पेट क बीमार , ोध, मुकदमे बाजी और भाई का
कारक होता ह। मंगल हम साहस, स ह णुता, धैय, क ठन, प र थितय एवं सम याओं को हल करने क यो यता दान
करता ह और खतर से सामना करने क श दे ता ह।

मंगल के शांित के उपाय:

भगवान िशव और गणेश क उपासना कर। तांबा, सोना, गेहूं , लाल व , लाल चंदन, लाल फूल, केसर, क तुर , लाल बैल,
मसूर क दाल, भूिम आ द का दान कर और योितष क सलाह पर मूंगा र धारण कर।
40 दस बर 2010

दांप य जीवन म मंगल, गु एवं शु का भाव


 िचंतन जोशी
कसी भी कुंडली से दांप य का वचार करने के िलये मंगल, गु एवं शु इन तीन ह क थित और
भाव को दे खना आव य ह।

वैवा हक जीवन म गु का भाव


 सुखी दांप य जीवन के िलये वर-वधू दोन क कुंडली म गु शुभ भाव यु होना चा हये। माना जाता ह गु कशुभ
स म भाव पर ् ह तो वैवा हक जीवन परे शािनय व द कत के उपरांत भी दोन म अलगाव जेसी थित नह ं
बनती ह।
 गु का शुभ भाव वर-वधू को एक साथ एवं उनके वैवा हक जीवन को सुखमय बनाये रखती ह। गु क शु भता दांप य
जीवन क बाधाओं को दरू करने के साथ-साथ, संतान का कारक ह माना जाता ह।
 य द कसी य क कुंडली म गु पी डत ह तो सबसे पहले तो जातक के ववाह म वल ब होता ह। य द ववाह हो
गया तो संतान ाि म परे शािनयां होती ह।
 यद लडके-लडक कसी क भी कुंडली म गु कसी पाप ह के भाव म ह तो संतान ाि म बाधाएं आती ह। यद
गु पर पाप भाव ह या गु पापी ह क रािश म थत ह तो िन त प से दांप य जीवन म अनेक कार क
परे शािनयां आती ह।

वैवा हक जीवन म शु का भाव


 पूण वैवा हक सुख क ाि के िलये ववाह और वैवा हक संब ध का कारक ह शु ज म कुंडली म शुभ भाव म
होना अित आव यक माना जाता ह।
 वर-वधू दोन क कुंडली म शु शुभ भाव यु होने पर दांप य जीवन म सुखो क ाि होती ह। इसके िलये शु का
पूण बली एवं होना भी आव यक होता ह।
 वर-वधू दोन क कुंडली म शु का कसी भी कार से अशुभ थित म होना पित-प ी म से कसी के अपने साथी के
अलावा अ य अवैध संब ध क ओर झुकाव होने के युग बनाता ह। इसिलये दांप य जीवन म सुख ाि हे तु शु क
शुभ थित आव यक होती ह।
 कुंडली म शु य द वयं बली ह, व रािश या उ च रािश म थत तो दांप य जीवन म सुख क ाि होती ह।
 कुंडली म शु य द के या कोण म ह तो दांप य जीवन म सुख क ाि होती ह।
 कुंडली म शु यद क भाव, नीच का अथवा श ु भाव म बैठा ह तो जीवन म दांप य सुख म कमी आती ह।
 कुंडली म शु य द अ त अथवा कसी पापी ह से ् अथवा पापी ह के साथ म बैठा ह तो जीवन म दांप य सुख म
कमी आती ह।
 शु के अशुभ होने पर पित-प ी के अलगाव क थित भी उ प न हो सकती ह।
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42 दस बर 2010

योितष और ववाह योग


 िचंतन जोशी
कुंडली ारा य का ववाह कब होगा इस का वचार करने के िलये कुंडली म तीय, स म और
एकादश भाव म कौन से ह उप थत ह, उसी ह क थती से ववाह का वचार कया जाता ह।

योितष म ववाह का वचार स म भाव के साथ-साथ कुंडली म तीय भाव और एकादश भाव से भी वचार
कया जाता ह। स म भाव जीवनसाथी एवं साझेदार का भाव होता ह। अत: ववाह से संबंिधत का वचार इस
भाव से कया जाता ह। भारतीय योितष म वैवा हक स ब ध म शुभता का वचाह एकादश भाव से कया जाता ह।

इस भाव के न कौन सा न थत ह, इस भाव के वामी के न म ह क थती एवं इस भावो के


वामी एवं उन ह के म य और युित स ब ध को भी दे खा जाता ह। योितष म सबसे अिधक मह व न ो
को दया जाता ह।

योितष ारा ववाह के िलए शुभ योग


योितष म ववाह का कारक ह पु ष क कुंडली म शु और क या क कुंडली मे गु होता ह। योितष
से ववाह का वचार करते समय पु ष क कुंडली म च और शु क थती को दे खा जाता ह और क या क कुंडली
म सूय और मंगल क थती को दे खा जाता ह।

 कुंडली के अनुशार च मा तृ तीय, पंचम, ष म, स म और एकादश भाव म थत ह और च मा पर गु , सूय


एवं बुध क ी होतो ववाह क थती उ म होती ह।

 कुंडली के अनुशार कोण थान अथवा के थान अथात थम, चतुथ, स म एवं दशम भाव शुभ भाव म
हो तो ववाह शी होने के योग बनते ह।

 कुंडली के ल न म यद ी ह थत हो अथवा ल न और नवम भाव म ी रािश हो या च एवं शु इन


भाव म थत होकर एक दसरे
ू को दे खते ह , तो ववाह योग बनते ह।

 कुंडली म ल नेश एवं चं या शु स म भाव म थत हो और स मेश ल न म थत हो, तो शी ववाह


योग होते ह।

 कुंडली के ल न म गु और स म भाव म बुध थत हो अथवा चं मा वागृ ह हो, सूय दशम भाव म और


शु तीय भाव म थत हो, तो ज द ववाय के योग बनते ह।

 ेम ववाह से कुंडली का वचार

 कुंडली म च मा तृ तीय, ष म, स म, दशम या एकादश भाव म शुभ थित म हो और च मा पर सूय, बुध


और गु क शुभ ी ह , तो ेम ववाह म सफलता के योग बल होते ह।

 कुंडली म ल नेश और स मेश रािश प रवतन कर रहे हो, तो ेम ववाह के िलये शुभ संकेत ह।

 कुंडली म ल नेश और ादश रािश प रवतन कर रहे हो, तो ेम ववाह के िलये शुभ संकेत हो सकता ह।
43 दस बर 2010

ववाह समय िनधारण


 िचंतन जोशी
ववाह का समय िनधारण करने से पहले कुंडली म ववाह योग उप थत है या
नह ं यह दे खा जाता ह। ववाह संबंिधत योग, ववाह म बाधा, अ ववा हत योगो
का वणन आपके मागदशन के िलये इस अंक म दया गया ह।

ज म कुंडली म स म भाव, स मेश एवं शु जतने अिधक शुभ ह के


भाव म हो उतना ह शुभ होता ह। ज म कुंडली म स म भाव, स मेश एवं शु
तीनो पर अशुभ ह का भाव जतना कम हो या नह ं हो, उतना शुभ ववाह का
समय पर होने म रहता ह। यो क एसा मानाजाता ह, अशुभ/ पापी ह भाव
ज म कुंडली म स म भाव, स मेश एवं शु तीन को या इन म से कसी एक
को भा वत करते हो, तो ववाह क अविध म वलंब होता ह।
ज म कुंडली म योग के आधार पर ववाह क आयु िनधा रत हो जाने पर
ववाह के कारक ह शु एवं ववाह के मु य भावईवं सहायक भाव क
महादशा- अ तदशा म ववाह होने क संभावनाये अिधक बनती ह।
स मेश क महादशा-अ तदशा म ववाह योग
ज म कुंडली म बल योग ववाह क संभावनाएं बना रहे ह , तथा य क ह दशा म स मेश का शु से संब ध हो
त इस दशा म ववाह हो सकता ह। इसके अलावा जब स मेश जब तीयेश के साथ ह दशा म संब ध बना रहे ह
उस थित म भी ववाह होने के योग बनते ह।
 जातक क ह दशा का संब ध जब स मेश व नवमेश का हो रहा ह और ज म कुंडली म स मेश व नवमेश का
पंचमेश से भी संब ध ह , तो इस ह दशा म ेम ववाह होने क संभावनाये होती ह।
 ज म कुंडली म स म भाव म शुभ ह थत हो, स मेश शुभ ह होकर शुभ भाव म थत ह , तो य का
ववाह संब धत ह दशा के आर भ होने के समय म ववाह होने क संभावनाये बनाती ह।
 ज म कुंडली म शु अथवा स म भाव म थत ह या स मेश जब शुभ ह होकर अशुभ भाव या अशुभ ह क
रािश म थत हो, तो अपनी महादशा-अ तदशा के म य भाग म ववाह क संभावनाये बनाता ह।
 ज म कुंडली म वयं स मेश स म भाव म थत ह या कोई अशुभ ह बली होकर स म भाव म थत ह , तो
इस ह क दशा के अ तम भाग म ववाह क संभावनाये बनाता ह।
 ज म कुंडली म ववाह कारक ह शु नैसिगक प से शुभ ह , शुभ रािश, शुभ ह से यु या ह , गोचर म
शिन अथवा गु से संब ध बनाने पर अपनी महादशा-अ तदशा म ववाह क संभावनाये बनाता ह।
 जातक क ववाह यो य आयु होगई हो, ज म कुंडली म महादशा का वामी स मेश का िम ह ह , शुभ ह ह
और महादशा का वामी ह स मेश या शु से स म भाव म थत ह , तो इस महादशा म ववाह होने के योग
बनते ह।
 जातक क ल नेश क महादशा म स मेश क अ तदशा चलरह हो, तो ववाह होने क संभावनाये बनती ह।
44 दस बर 2010

 ज म कुंडली म स म भाव या स मेश से कोई बली ह संब ध बनात हो, तो उस ह क दशा अविध म
ववाह क संभावनाये बनती ह।
 जातक क कुंडली म जब शु शुभ ह क रािश अथवा के , क ण, शुभ भाव म थत ह , तो शु का संब ध
अ तदशा या य तर दशा से हो रहा हो, तो इस दशाम जातक का ववाह हो सकता ह।
 कुंडली म शु पर जतना शुभ भाव म हो, ववाह उतना शी होने के योग बनाता ह और शु जतना पाप
भाव म हो उतना ववाह म वलंब होता ह।
 कुंडली म शु के साथ थत ह, स मेश का िम ह या कोई बली ह का कसी के साथ संब ध बना रहा
ह , उन सभी ह क दशा- अ तदशा म ववाह होने क संभावनाये बनती ह।
 ज म कुंडली म शु जस ह के न म थत ह , उस ह क दशा अविध म ववाह होने क संभावनाये अिधक
बनती ह।

कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना करने वाले य
के िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक ो से
धन का ा होकर धन संचय होता ह।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज मू य साईज मू य साईज मू य
2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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45 दस बर 2010

ववाह के कुछ शा ो िनयम


 वजय ठाकुर

य के गृ ह थ जीवन म वेश के िलए आव यक होता ह ववाह सं कार। ववाह सं कारको ंथ म सं कार क


सं ा द गई ह जसका मु य उ े य वर-क या अपने जीवन को संयिमत बनाकर संतानो प करके जीवन के सभी
ऋण से उऋण होकर मो के िलये यास कर। इसिलए ववाह व जतकरने के िलये भी हमार ऋ ष-मुिनओं ने कुछ
आव यक िनयम िनधा रत कये ह।
 य द वर-क या दोन सगो ीय अथात द नो एक गो के नह ं होने चा हए। एसा हो, तो ववाह व जत ह।
 क या का गो एवं वर के निनहाल प का गो एक नह ं होने चा हए। एसा हो, तो ववाह व जत ह।
 दो सगे भाइय से का ववाह दो सगी बहन से करना व जत ह।
 दो सगे भाइय या दो सगी बहन अथवा दो सगे भाई-बहन का ववाह 6 मास के िभतर करना शा म व जत
माना गया ह।
 अपने कुल म ववाह के 6 माह के भीतर मुंडन, य ोपवीत (जनेऊ सं कार) चूड़ा आ द मांगिलक काय व जत
माने गये ह।(य द 6 मास के भीतर संव सर हं द ू वष बदल जाता है तो काय कए जा सकते ह)
ववाह जेसे अ य मांगिलक काय के म य म ा आ द अशुभ काय करना भी शा म व जत है ।
वर-क या के ववाह के िलए गणेश जी का पूजन हो जाने के प ात य द दोन म से कसी के भी कुल म कसी क
मृ यु हो जाती ह, तो वर, क या तथा उनके माता- पता को सूतक नह ं लगता और तय कगई ितिथ पर ववाह काय
कया जा सकता है ।

कनकधारा यं
आज के युग म हर य अितशी समृ बनना चाहता ह। धन ाि हे तु ाण- ित त कनकधारा यं के सामने
बैठकर कनकधारा तो का पाठ करने से वशेष लाभ ा होता ह। इस कनकधारा यं क पूजा अचना करने से ऋण
और द र ता से शी मु िमलती ह। यापार म उ नित होती ह, बेरोजगार को रोजगार ाि होती ह।

ी आ द शंकराचाय ारा कनकधारा तो क रचना कुछ इस कार क ह, जसके वण एवं पठन करने से आस-
पास के वायुमंडल म वशेष अलौ कक द य उजा उ प न होती ह। ठक उसी कार से कनकधारा यं अ यंत दलभ

यं ो म से एक यं ह जसे मां ल मी क ाि हेतु अचूक भावा शाली माना गया ह।

कनकधारा यं को व ानो ने वयंिस तथा सभी कार के ऐ य दान करने म समथ माना ह। जग ु शंकराचाय ने
दर ा ण के घर कनकधारा तो के पाठ से वण वषा कराने का उ लेख ंथ शंकर द वजय म िमलता ह।

कनकधारा मं :- ॐ वं ीं वं ऐं ं- ीं लीं कनक धारयै वाहा'


मू य: Rs.550 से Rs.8200 तक

गु व कायालय संपक :
91+ 9338213418, 91+ 9238328785
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46 दस बर 2010

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।

अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता
ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज
ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का
वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050

मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर बार-
बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं िस पूण
चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं िनत तर लाभ ा
होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730

मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550

GURUTVA KARYALAY
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47 दस बर 2010

वा तु दोष से बढते ह अवैध संबंध

 िचंतन जोशी
दांप य जीवन म य द हर दन झगड़े हो तो इसका कारण िसफ आपसी मतभेद ह नह ं वा तु दोष भी हो सकता ह।
 भवन के नैऋ य कोण(प म-द ण) अथवा वाय य कोण (उ र-प म) के िनमाण म य द दोष हो, तो पित-
प ी के संबंध अ य ी-पु ष होने क संभावनाएं बढाता ह और य एक से अिधक अवैध संबंध बनाने के
िलये यास रत रहता ह। ज से प रवार म लड़ाई-झगड़े होते ह। य द उिचत परामश ा कर इन दोष को दर

कर दया जाए तो पित-प ी के अ य म हलाओं से संबंध सवतः ह समा हो जाते ह।
 नव ववा हत द प के भवन के वाय य कोण(उ र-प म) के कमरे म सोने से दांप य जीवन म नीरसता
आती ह ज से पित-प ी के संबंध अ य ी-पु ष से अवैध संबंध हो सकते ह।
 कशोर उ के ब चो का कमरा भवन के वाय य कोण (उ र-प म) म होने से ब चे क च उ म ेम
च कर इ या द के मोह म बंध जाने क संभावनाएं बनती ह एवं ब चे एक से अिधक संपक रखने का यास
भी कर सकते ह। वाय य कोण म अ यािधक नकारा मक भाव होने पर ब चे घर से भाग जाना या भाग कर
ववाह करने क संभावनाएं बनी रहती ह।
 भवन के आ नेय कोण म द प का बेड म हो, तो दोनो का गु सा सातव आसमान पर रहता ह ज से दोनो
के बच म आपसी ताल-मेल का अभाव रहता ह। इससे मानिसक अशांित रहती ह।
 भवन के द ण म मु य ार हो और प म क रसोई हो तो उस घर म आपसी मतभेद रहते ह।
ईशान म रसोई एवं शौचालय ह तो गृह लेश रहे गा।
 आईने म सोते समय दं प का बेड या शर र दखता हो, तो दोनो के बच म कसी का या दोनो का कसी
अ य से अवैध बनने क संभावनाएं बढजाती ह।
वा तु अनुसार कुछ उपाय कर पित-प ी के बीच हर दन होने वाले झगड़े दरू कए जा सकते ह।
नोट:- केवल ववाह यो य ब चो का कमरा ह वाय य कोण म रखना उिचत रहता ह कशोर उ के ब चो का कमरा
वाय य कोण म उपयु नह ं होता ह।
य द आपके घर म एसी थतीयां बन रह ह तो उ से डरने के बजाय उसके िनवारण के उपाय करने चा हये। अवैध
संबंध बनने के और भी बहोत सारे कारण हो सकते ह। दं प का कमरा वाय य कोण म होने का मतलब यह नह ं ह
क दोनो या दोनो म से एक यिभचार ह कसी वशेष प र थती के कारण य द ऎसा नह ं ह तो ऎसा होने क
संभावना बन सकती ह। इस िलये अ ीम जानकार ा कर सचेत रहना उिचत होता ह।

वा तु दोष िनवारक यं
भवन छोटा होया बडा य द भवन म कसी कारण से िनमाण म वा तु दोष लगरहा हो, तो शा म उसके िनवारण हे तु
वा तु दे वता को स न एवं स तु करने के िलए अनेक उपाय का उ लेख िमलता ह। उ ह ं उपायो म से एक ह वा तु यं
क थापना जसे घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म था पत करने से संबंिधत सम त परे शानीओं का शमन होकर वा तु
दोष का िनवारण होजाता ह एवं भवन म सुख समृ का आगमन होता ह। मू य मा Rs : 550
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51 दस बर 2010

दस बर 2010 मािसक पंचांग


चं
द वार माह प ितिथ समाि न समाि योग समाि करण समाि समाि
रािश

दशमी-
1 बुध मागशीष कृ ण 08:33:39 ह त 22:54:17 आयु मान 24:54:17 व 14:02:53 क या
एकादशी

2 गु मागशीष कृ ण ादशी 28:04:26 िच ा 21:23:11 सौभा य 21:53:11 कौलव 11:24:14 क या 10:08:00

3 शु मागशीष कृ ण योदशी 26:05:11 वाती 20:00:30 शोभन 19:00:30 गर 08:30:35 तुला

4 शिन मागशीष कृ ण चतुदशी 24:22:49 वशाखा 18:53:45 अितगंड 16:19:04 व 15:58:30 तुला 13:09:00

5 रव मागशीष कृ ण अमाव या 23:05:45 अनुराधा 18:09:30 सुकमा 13:55:27 चतु पद 13:02:04 वृ क

6 सोम मागशीष शु ल एकम 22:20:34 जे ा 17:55:15 धृ ित 11:55:15 क तु न 10:21:33 वृ क 17:55:00

7 मंगल मागशीष शु ल तीया 22:10:02 मूल 18:14:44 शूल 10:22:14 बालव 08:06:22 धनु

8 बुध मागशीष शु ल तृतीया 22:39:49 पूवाषाढ़ 19:11:42 गंड 09:16:23 तैितल 17:50:15 धनु 25:32:00

9 गु मागशीष शु ल चतुथ 23:47:06 उ राषाढ़ 20:46:09 वृ 08:42:24 व णज 17:13:31 मकर

10 शु मागशीष शु ल पंचमी 25:31:51 वण 22:56:14 ुव 08:37:29 बव 17:23:40 मकर

11 शिन मागशीष शु ल ष ी 27:43:47 धिन ा 25:32:32 याघात 08:57:51 कौलव 18:20:41 मकर 12:12:00

12 रव मागशीष शु ल स मी 30:12:35 शतिभषा 28:26:39 हषण 09:36:02 गर 07:05:31 कुंभ

13 सोम मागशीष शु ल अ मी 32:44:11 पूवाभा पद 31:24:30 व 10:24:30 व 09:01:37 कुंभ 24:40:00

14 मंगल मागशीष शु ल नवमी 08:44:50 पूवाभा पद 07:24:12 िस 11:13:53 बव 11:22:05 मीन

15 बुध मागशीष शु ल नवमी 11:05:09 उ राभा पद 10:11:42 यितपात 11:53:54 कौलव 13:53:49 मीन

16 गु मागशीष शु ल दशमी 13:02:00 रे वित 12:36:42 व रयान 12:16:04 गर 16:22:44 मीन 12:37:00

17 शु मागशीष शु ल एकादशी 14:26:59 अ नी 14:31:40 पर ह 12:13:51 व 18:36:39 मेष

18 शिन मागशीष शु ल ादशी 15:13:30 भरणी 15:49:07 िशव 11:42:33 बालव 07:35:34 मेष 22:03:00

19 रव मागशीष शु ल योदशी 15:19:41 कृ ितका 16:30:00 िस 10:41:15 तैितल 09:11:03 वृष

20 सोम मागशीष शु ल चतुदशी 14:48:21 रो ह ण 16:32:25 सा य 09:10:51 व णज 10:16:32 वृष 28:22:00

21 मंगल मागशीष शु ल पू णमा 13:44:11 मृगिशरा 16:03:52 शुभ 07:13:15 बव 10:52:01 िमथुन

22 बुध पौष कृ ण एकम 12:11:52 आ ा 15:08:07 26:10:00 कौलव 10:57:30 िमथुन


52 दस बर 2010

23 गु पौष कृ ण तीया 10:17:03 पुनवसु 13:51:44 इ 23:16:07 गर 10:37:40 िमथुन 08:12:00

24 शु पौष कृ ण तृतीया 08:07:12 पु य 12:21:16 वैध ृ ित 20:12:49 व 09:54:24 कक

चतुथ -
25 शिन पौष कृ ण 27:25:27 अ े षा 10:43:16 वषकुंभ 17:03:53 कौलव 08:50:30 कक 10:43:00
पंचमी

26 रव पौष कृ ण ष ी 25:06:11 मघा 09:03:22 ीित 13:54:56 गर 07:31:37 िसंह

27 सोम पौष कृ ण स मी 22:52:31 पूवाफा गुनी 07:25:20 आयु मान 10:49:43 व 17:03:20 िसंह 13:02:00

28 मंगल पौष कृ ण अ मी 20:48:13 ह त 28:36:01 सौभा य 07:50:05 बालव 15:07:53 क या

29 बुध पौष कृ ण नवमी 18:57:00 िच ा 27:30:45 अितगंड 26:20:26 तैितल 13:03:02 क या 16:01:00

30 गु पौष कृ ण दशमी 17:20:46 वाती 26:40:27 सुकमा 23:53:35 व 10:50:42 तुला

31 शु पौष कृ ण एकादशी 16:03:16 वशाखा 26:08:53 धृ ित 21:40:46 बालव तुला

गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती ह
एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का संयु
आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक

मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य
को ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के
िलए मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह।
ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक,
पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर
इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550
तं र ा कवच
तं र ा कवच को धारण करने से य के उपर कगई सम त तां क बाधाएं दरू होती ह, उसी के साथ ह धारण
कता य पर कसी भी कार क नकार मन श यो का कु भाव नह ं होता। इस कवच के भाव से इषा- े ष रखने
वाले सभी लोगो ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह। मू य मा : Rs.730
53 दस बर 2010

दस बर -2010 मािसक त-पव- यौहार


द वार माह प ितिथ समाि मुख त- योहार

दशमी-
1 बुध मागशीष कृ ण 08:33:39 उ प ना एकादशी, वैतरणी एकादशी,
एकादशी

2 गु मागशीष कृ ण ादशी 28:04:26 उ प ना एकादशी (वै णव)

3 शु मागशीष कृ ण योदशी 26:05:11 दोष त., संत ाने र समािध उ सव,

4 शिन मागशीष कृ ण चतुदशी 24:22:49 िशव चतुदशी, मािसक िशवरा त, ित पित बालाजी उ सव,

नान-दान- ा हे तु उ म अमाव या, बकुला अमावस,


5 रव मागशीष कृ ण अमाव या 23:05:45
गौर तपो त

6 सोम मागशीष शु ल एकम 22:20:34 ध य त, मात ड (म ला र) भैरव ष ा ारं भ, त,

7 मंगल मागशीष शु ल तीया 22:10:02 नवीन चं दशन, यितपात महापात दन 1.40 से रा 2.04 तक

8 बुध मागशीष शु ल तृ तीया 22:39:49

9 गु मागशीष शु ल चतुथ 23:47:06 वनायक चतुथ त (चं.रा.8.45)

10 शु मागशीष शु ल पंचमी 25:31:51 ववाह पंचमी, ी पंचमी, ीसीता-राम ववाहो सव,

च पा ष ी, मा ड भैरव उ थापन, मूलक पणी ष ी,


11 शिन मागशीष शु ल ष ी 27:43:47
सु यम ष ी, क द (कुमार) ष ी त, पंचक ारं भ (12.2),

भानु-स मी, िम स मी, सूय-पूजन, व णु-न दा-भ ा स मी,


12 रव मागशीष शु ल स मी 30:12:35
का यायनी महापूजा ारं भ, नरिसंह मेहता जयंती,

13 सोम मागशीष शु ल अ मी 32:44:11 ीदगा


ु मी त, ीअ नपूणा मी त, कुमा रका-पूजन

14 मंगल मागशीष शु ल नवमी 08:44:50

15 बुध मागशीष शु ल नवमी 11:05:09 न दनी नवमी, का यायनी महापूजा पूण,

दशा द य त, धनु-सं ा त ात: 7.59 बजे, पु यकाल दन


16 गु मागशीष शु ल दशमी 13:02:00
2.23 तक, धनु (खर) मास ारं भ,

17 शु मागशीष शु ल एकादशी 14:26:59 मो दा एकादशी त, बैकु ठ एकादशी, ीम गव ता जयंती,


54 दस बर 2010

दोष त, शिन दोष त (पु ाि हे तु उ म), अख ड


18 शिन मागशीष शु ल ादशी 15:13:30
ादशी, केशव ादशी, यंजन ादशी, धरणी त,

19 रव मागशीष शु ल योदशी 15:19:41

पशाच मोचन ा चतुदशी, पू णमा त, द ा ेय जयंती,


20 सोम मागशीष शु ल चतुदशी 14:48:21
ीस यनारायण पूजा-कथा,

नान-दान हे तु उ म मृ गिशरा न यु अ हायणी पू णमा,


ब ीसी पूनम, पुरभैरवी महा व ा जयंती, अ नपूणा जयंती,
21 मंगल मागशीष शु ल पू णमा 13:44:11 छ पन भोग, का यायनी पूजा पूण, सूय सायन मकर म शेष रा
5.08 बजे, अयन-पु यकाल आगामी दन, वैध ृ ित महापात ात:
8.20 से दे र रात 2.05 तक

मातृ का पूजा, सायन मतानुसार सूय उ रायन, अयन-पु यकाल


22 बुध पौष कृ ण एकम 12:11:52
दन भर, क र दन, सौर िशिशर ऋतु ारं भ

23 गु पौष कृ ण तीया 10:17:03 कसान दवस, गौना उ सव

24 शु पौष कृ ण तृ तीया 08:07:12 संक ी ीगणेश चतुथ त, सौभा य सुंदर त (चं.रा.8.43)

चतुथ -
25 शिन पौष कृ ण 27:25:27 समस डे
पंचमी

26 रव पौष कृ ण ष ी 25:06:11

27 सोम पौष कृ ण स मी 22:52:31 शारदा माता जयंती,

काला मी त, अ का ा , मणी अ मी त, ीहनुमान


28 मंगल पौष कृ ण अ मी 20:48:13
अ मी,

29 बुध पौष कृ ण नवमी 18:57:00 अ व का ा

30 गु पौष कृ ण दशमी 17:20:46

31 शु पौष कृ ण एकादशी 16:03:16 सफला एकादशी, सु पा ादशी, यितपात महापात रा 10.42

धन वृ ड बी
धन वृ ड बी को अपनी अलमार , कैश बो स, पूजा थान म रखने से धन वृ होती ह जसम लाल- पीला-
सफेद ल मी कारक हक क (अक क), ल मी कारक फ टक र , 3 पीली कौड , 3 सफेद कौड , गोमती च , सफेद
गुंजा, र गुंजा, काली गुंजा, इं जाल, माया जाल, इ याद दलभ
ु व तुओं को शुभ महत
ु म तेज वी मं ारा
अिभमं त कय जाता ह। मू य मा Rs-550
55 दस बर 2010

ह चलन दस बर -2010
द Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 07:14:39 05:12:58 08:00:43 08:05:58 10:29:44 06:06:23 05:20:32 08:08:57 02:08:57 11:02:40 10:02:03 08:10:13

2 07:15:40 05:27:15 08:01:28 08:07:00 10:29:47 06:06:50 05:20:38 08:08:54 02:08:54 11:02:39 10:02:04 08:10:15

3 07:16:41 06:11:28 08:02:13 08:07:58 10:29:49 06:07:18 05:20:43 08:08:50 02:08:50 11:02:39 10:02:05 08:10:17

4 07:17:42 06:25:33 08:02:58 08:08:51 10:29:52 06:07:48 05:20:48 08:08:47 02:08:47 11:02:39 10:02:06 08:10:19

5 07:18:42 07:09:26 08:03:43 08:09:39 10:29:56 06:08:20 05:20:53 08:08:44 02:08:44 11:02:39 10:02:07 08:10:21

6 07:19:43 07:23:04 08:04:28 08:10:21 10:29:59 06:08:53 05:20:58 08:08:43 02:08:43 11:02:39 10:02:08 08:10:23

7 07:20:44 08:06:23 08:05:14 08:10:56 11:00:03 06:09:27 05:21:03 08:08:42 02:08:42 11:02:39 10:02:09 08:10:25

8 07:21:45 08:19:23 08:05:59 08:11:24 11:00:06 06:10:03 05:21:08 08:08:42 02:08:42 11:02:39 10:02:10 08:10:27

9 07:22:46 09:02:04 08:06:44 08:11:43 11:00:10 06:10:41 05:21:13 08:08:43 02:08:43 11:02:39 10:02:11 08:10:29

10 07:23:47 09:14:28 08:07:30 08:11:53 11:00:15 06:11:19 05:21:17 08:08:45 02:08:45 11:02:39 10:02:12 08:10:31

11 07:24:48 09:26:38 08:08:15 08:11:53 11:00:19 06:11:59 05:21:22 08:08:46 02:08:46 11:02:40 10:02:13 08:10:33

12 07:25:49 10:08:38 08:09:01 08:11:43 11:00:23 06:12:40 05:21:26 08:08:47 02:08:47 11:02:40 10:02:14 08:10:36

13 07:26:50 10:20:31 08:09:46 08:11:21 11:00:28 06:13:22 05:21:31 08:08:48 02:08:48 11:02:40 10:02:15 08:10:38

14 07:27:51 11:02:23 08:10:32 08:10:47 11:00:33 06:14:05 05:21:35 08:08:48 02:08:48 11:02:41 10:02:16 08:10:40

15 07:28:52 11:14:19 08:11:18 08:10:02 11:00:38 06:14:50 05:21:39 08:08:47 02:08:47 11:02:41 10:02:17 08:10:42

16 07:29:53 11:26:23 08:12:03 08:09:06 11:00:44 06:15:35 05:21:44 08:08:47 02:08:47 11:02:41 10:02:19 08:10:44

17 08:00:54 00:08:39 08:12:49 08:08:01 11:00:49 06:16:21 05:21:48 08:08:45 02:08:45 11:02:42 10:02:20 08:10:46

18 08:01:55 00:21:11 08:13:35 08:06:47 11:00:55 06:17:09 05:21:52 08:08:44 02:08:44 11:02:43 10:02:21 08:10:48

19 08:02:56 01:04:01 08:14:21 08:05:28 11:01:01 06:17:57 05:21:56 08:08:44 02:08:44 11:02:43 10:02:23 08:10:50

20 08:03:57 01:17:10 08:15:07 08:04:06 11:01:07 06:18:46 05:21:59 08:08:43 02:08:43 11:02:44 10:02:24 08:10:53

21 08:04:58 02:00:38 08:15:53 08:02:43 11:01:13 06:19:36 05:22:03 08:08:43 02:08:43 11:02:45 10:02:25 08:10:55

22 08:06:00 02:14:24 08:16:39 08:01:23 11:01:19 06:20:27 05:22:07 08:08:43 02:08:43 11:02:45 10:02:27 08:10:57

23 08:07:01 02:28:24 08:17:25 08:00:07 11:01:26 06:21:18 05:22:10 08:08:43 02:08:43 11:02:46 10:02:28 08:10:59

24 08:08:02 03:12:35 08:18:11 07:28:59 11:01:32 06:22:10 05:22:14 08:08:43 02:08:43 11:02:47 10:02:30 08:11:01

25 08:09:03 03:26:53 08:18:57 07:27:59 11:01:39 06:23:03 05:22:17 08:08:43 02:08:43 11:02:48 10:02:31 08:11:03

26 08:10:04 04:11:13 08:19:43 07:27:10 11:01:46 06:23:57 05:22:20 08:08:43 02:08:43 11:02:49 10:02:33 08:11:05

27 08:11:05 04:25:31 08:20:29 07:26:31 11:01:53 06:24:51 05:22:24 08:08:43 02:08:43 11:02:50 10:02:34 08:11:08

28 08:12:06 05:09:45 08:21:15 07:26:02 11:02:01 06:25:46 05:22:27 08:08:43 02:08:43 11:02:51 10:02:36 08:11:10

29 08:13:07 05:23:51 08:22:02 07:25:44 11:02:08 06:26:42 05:22:30 08:08:43 02:08:43 11:02:52 10:02:38 08:11:12

30 08:14:08 06:07:49 08:22:48 07:25:36 11:02:16 06:27:38 05:22:33 08:08:43 02:08:43 11:02:54 10:02:39 08:11:14

31 08:15:10 06:21:37 08:23:34 07:25:38 11:02:24 06:28:35 05:22:35 08:08:44 02:08:44 11:02:55 10:02:41 08:11:16
56 दस बर 2010

दस बर -२०१०- वशेष योग


काय िस योग
दनांक योग अविध गु -पु यामृ त योग
1 सूय दय से रा 10:54 तक दनांक योग अविध
10 सूय दय से रा 10:55 तक 23 दोपहर 1:50 से रातभर
14 ात: 7:24 से रातभर पु कर योग
16 स पूण दन-रात 13 ात: 4:25 से सूय दय तक
17 सूय दय से दोपहर 2:30 तक सवदोषनाशक र व योग
20 स पूण दन-रात 8 सं या 7:11 से 9 तो रा 8:46 तक
23 स पूण दन-रात 10 रा 10:55 से 11/12 रा 1:32 तक
31/1 जनवर रा 2:08 से सूय दय तक 14 ात: 7:23 से 17 दोपहर 2:30 तक

अमृ त योग 19 सं या 4:28 से 20 सं या 4:32 तक


20 सं या 4:32 से रातभर 26 ात: 9:02 से 27 ात: 7:24 तक
23 दोपहर 1:50 से रातभर

योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ दोगुना होता ह। एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ तीन गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका


गुिलक काल यम काल राहु काल
(शुभ) (अशुभ) (अशुभ)
वार समय अविध समय अविध समय अविध
र ववार 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोमवार 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
मंगलवार 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
बुधवार 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गु वार 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शु वार 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शिनवार 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
57 दस बर 2010

दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल


07:30 से 09:00 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
09:00 से 10:30 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
10:30 से 12:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
03:00 से 04:30 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
04:30 से 06:00 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल

रात के चौघ डये


समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ


07:30 से 09:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
09:00 से 10:30 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
10:30 से 12:00 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
03:00 से 04:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल
04:30 से 06:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
शा ो मत के अनुशार य द कसी भी काय का ारं भ शुभ मुहू त या शुभ समय पर कया जाये तो काय म सफलता
ा होने क संभावना यादा बल हो जाती ह। इस िलये दै िनक शुभ समय चौघ ड़या दे खकर ा कया जा सकता ह।
नोट: ायः दन और रा के चौघ ड़ये क िगनती मशः सूय दय और सूया त से क जाती ह। येक चौघ ड़ये क अविध 1
घंटा 30 िमिनट अथात डे ढ़ घंटा होती ह। समय के अनुसार चौघ ड़ये को शुभाशुभ तीन भाग म बांटा जाता ह, जो मशः शुभ,
म यम और अशुभ ह।

चौघ डये के वामी ह * हर काय के िलये शुभ/अमृ त/लाभ का


शुभ चौघ डया म यम चौघ डया अशुभ चौघ ड़या चौघ ड़या उ म माना जाता ह।
चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह
शुभ गु चर शु उ ेग सूय * हर काय के िलये चल/काल/रोग/उ े ग
अमृ त चं मा काल शिन का चौघ ड़या उिचत नह ं माना जाता।
लाभ बुध रोग मंगल
58 दस बर 2010

दन क होरा - सूय दय से सूया त तक


वार 1.घं 2.घं 3.घं 4.घं 5.घं 6.घं 7.घं 8.घं 9.घं 10.घं 11.घं 12.घं

र ववार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन


सोमवार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
मंगलवार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
बुधवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
गु वार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
शु वार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
शिनवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु

रात क होरा – सूया त से सूय दय तक


र ववार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
सोमवार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
मंगलवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु
बुधवार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन
गु वार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
शु वार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
शिनवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
होरा मुहू त को काय िस के िलए पूण फलदायक एवं अचूक माना जाता ह, दन-रात के २४ घंट म शुभ-अशुभ समय
को समय से पूव ात कर अपने काय िस के िलए योग करना चा हये।

व ानो के मत से इ छत काय िस के िलए ह से संबंिधत होरा का चुनाव करने से वशेष लाभ


ा होता ह।
 सूय क होरा सरकार काय के िलये उ म होती ह।
 चं मा क होरा सभी काय के िलये उ म होती ह।
 मंगल क होरा कोट-कचेर के काय के िलये उ म होती ह।
 बुध क होरा व ा-बु अथात पढाई के िलये उ म होती ह।
 गु क होरा धािमक काय एवं ववाह के िलये उ म होती ह।
 शु क होरा या ा के िलये उ म होती ह।
 शिन क होरा धन- य संबंिधत काय के िलये उ म होती ह।
59 दस बर 2010

मािसक रािश फल

 िचंतन जोशी
मेष : इस माह मानिसक अशांित एवं शार रक ह। इस माह वा य उ म रहे गा। पा रवा रक सुख म
अ व थता अनुभव करे ग। अिधक प र म म कमी रहे गी वृ एवं धन सं ह के अवसर ा होग।
ज से अिधक लाभ ा नह ं होगा,पूण प र म से
काय को पूरा करने का यास कर। नौकर यवसाय म िसंह : पुरानी सम याओं और परे शािनय से छुटकारा
के हवे
ु काय म सफल ह गे। िम एवं पा रवा रक सुख िमलेगा। आिथक थित म सुधार होगा। नौकर म
म वृ होगी। वा य संबंधी िचंता समय पर रख। पदौ नती एवं यापार म उ नित के अवसय ा होग।
भूिम-भवन-वाहन के सुखो म वृ होने के योग ह।
वरोिध एवं श ु प से परे शानी हो सकती ह सावधान
वृ ष : इस माह म भाग-दौड क अिधकता एवं वप रत
रह। भौितक सुख साधनो क ाि होगी। खच पर
प र थितओं के कारण मानिसक अशांित रहे गा। प र म
िनयं ण रखने का यास कर।
के बाद भी उिचत लाभ ाि का अनुभव नह कर
पायेग। मह व पूण धन से संबंिधत लेन-दे न म परे शानी
हो सकती ह। वा य कमजोर रहे गा एवं वा य के क या : इस माह मानिसक अशांित एवं शार रक
ित सचेत रहने से वा य सुख म वृ होगी। प रवार अ व थता अनुभव करे ग। प रवार के सद यो का
के सद य के बच म मदभेद रहे गा। वा य िचंताजनक रहे गा। वभाव म उ ता एवं उतेजना
क थित पर िनयं ण रखने का यास कर।
अनआव यक खच बढगा। श ु प से परे शानी संभव ह।
िमथुन : इस माह आय क तुलना म यय क अिधकता
मह व पूण धन से संबंिधत लेन-दे न म अित र
रह सकती ह। खच पर िनय ण रखने का यास करे ।
सावधानी बरते अ यथा परे शानी हो सकती ह।
भूिम-भवन-वाहन के सुखो म वृ होने के योग ह।
ह गे। िम एवं पा रवार क सहयोग से नौकर यवसाय
तुला : इस माह आपके उ साह फुित मे वृ होगी।
म लाभ ा होगा। वभाव म ोध एवं उतेजना पर
नौकर यवसाय म के हवे
ु काय म सफल ह गे। पूरानी
िनयं ण रखने का यास कर अ यथा बने बनाये काम
परे शानीओं से छुटकारा पाने म सफल ह गे। िम एवं
बगड़ सकते ह। वप रत प र थितओं के चलते आपको
पा रवार क सहयोग से नौकर यवसाय म लाभ ा
मानिसक परे शानी का सामना करना पडे गा।
होगा। वा य उ म रहे गा। पा रवा रक सुख म वृ
एवं धन सं ह के अवसर ा होग। भूिम-भवन इ याद
कक : इस माह आपके उ साह फुित मे वृ होगी।
म पूं ज िनवेश करने से बचे।
पूरानी परे शानीओं से छुटकारा पाने म सफल ह गे। िम
एवं पा रवार क सहयोग से नौकर यवसाय म लाभ
ा होगा। श ु एवं वरोधी पर आपका दब-दबा रहे गा। वृ क : पूण प र म से कये गये काय म सफलता
दसर
ू पर िनभर रहकर काय करना नुकशान दे सकता ा होगी। नौकर म पदौ नती एवं यापार म उ नित
के अवसय ा होग। िम एवं प रवार क के सद यो के
60 दस बर 2010

सहयोग से आिथक लाभ ा होगा। साझेदार के काय थती रहे गी। नौकर - यवसाय म श ु प से क
को थिगत कर। श ु एवं वरोिध प पर अपना भाव संभव ह सावधान रहे ।
बनाने म आप सफलता ा करे ग। पूराने ऋण का
भुगतान करना पड सकता ह। कुंभ : पा रवा रक सुख म वृ एवं धन सं ह के अवसर
ा होग। भूिम-भवन-वाहन के सुखो म वृ होने के
धनु : इस माह आ म व ार एवं उ साह फुित मे वृ योग ह। थोडे से प र म से नौकर यवसाय म गित
होगी। आिथक थित म सुधार होगा। नौकर यवसाय होगी। आक मक धन ाि के योग ह। आिथक थती
के काय म गित होगी। मह व पूण धन से संबंिधत म सुधार होगा। वा य प कमजोर रहे गा। भाग-दौड
लेन-दे न के काय म भी सफलता ा करगे। प रवार क अिधकता एवं वप रत प र थितओं के कारण
म भौितक सुख -साधनो म वृ हो सकती ह ज स के मानिसक अशांित रह सकती ह।
फल व प प रवार म खुशी का माहौल रहे गा। श ु एवं
वरोधी पर आपका दब-दबा रहे गा। मीन : इस माह नौकर यवसाय के काय म परे शानी
संभव ह अित र सावधानी बत। कसी भी कार के
मकर : इस माह सभी मह व पूण काय म अित र वाद- ववाद से बचने का यास कर। भौितक सुख
सावधानी बरते अ यथा परे शानी हो सकती ह। ऋण लेने साधनो क ाि होगी। खच पर िनयं ण रखने का
से बचे, अ यािधक खच पर िनयं ण करने का यास यास कर। म हला वग से अिधक लाभ ाि के योग
कर। मह व पूण योजनाओंन को थिगत करने का बन रहे ह। वभाव म ती ता एवं उ ता रह सकती ह।
यास कर। प रवार एवं िम वग के बच म तनाव क वा य सामा य रहे गा।

मं िस ा
एकमुखी ा -Rs- 1250,2800 छह मुखी ा -Rs- 55,100 यारहमुखी ा -Rs- 2800
दो मुखी ा -Rs- 100,151 सात मुखी ा -Rs- 120,190 बारह मुखी ा -Rs- 3600
तीन मुखी ा -Rs- 100,151 आठ मुखी ा -Rs- 820,1250 तेरह मुखी ा -Rs- 6400
चार मुखी ा -Rs- 55,100 नौ मुखी ा -Rs- 820,1250 चौदह मुखी ा -Rs- 19000
पंच मुखी ा -Rs- 28,55 दसमुखी ा -Rs- ........ गौर षंकर ा -Rs-

GURUTVA KARYALAY
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Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
61 दस बर 2010

वा तु परामश
गु व योितष प का के पाठको के सुझाव एवं अनुरोध पर गु व कायालय ारा दस बर-2010 से वा तु से
संबंिधत िनःशु क सेवा ारं भ क जारह ह।

 य द आपका घर, दकान


ु , कायालय, उ ोग इ या द थान य द वा तु दोष यु ह,

 आप शार रक, मानिसक एवं आिथक सम याओं से परे शान ह।

 आपको उिचत महे नत करने पर भी उिचत फल क ाि नह ं हो रह


हो, आप बार-बार लाभ के थान पर हानीं उठा रह हो, तो संभ वत
आपका भवन वा तु दोष से यु ह।

 वा तु दोष के बार मे जानने और उसके समाधान के िलये गु व


योितष प का के मा यम से आप हमारे कुशल एवं अनुभवी वा तु
वशेष से िनःशु क परामश ा कर सकते ह।

 िनिमत भवन क थित उसक बाहर एवं भीतर सजावट आपके अनुकूल ह या नह ं। जससे आप भवन म
बना तोड-फोड कये इनके सरल उपायो से केवल फेर-बदल कर के वशेष लाभ ा कर सकते ह। वा तु
परामश हे तु फाम भर।

नोट: जो य ई मेल से िनजी प म परामश ा करना चाहते ह वह कृ या हमार भुगतान परामश सेवा का लाभ
उठाने का क कर। गु व कायालय म फोन से संपक करने पर आपको ई मेल से िनजी प म परामश ा होगा।
अ यथा आपको गु व कायालय लोग के मा यम से परामश ा होगा। कृ या य द आप कसी सम या से त हो,
तो इस िनःशु क परामश सेवा का लाभ उठाये। नये भवन के िनमाण एवं बना कसी सम या के परामश नह ं दया
जायेगा।

गु व योितष वा तु परामश
नाम:

पता:

ई-मेल पता
फोन नंबर

सम या:
* साथ म भवन का दशा िलखा कर न शा भेजे ।
वा तु परामश फम इस पत पर भेजे या ई-मेल कर या हमारे लोग http://gurutvajyotish.blogspot.com/ पर
जाकर ओनलाईन फाम जमा करवा सकते ह। भवन का न शा इस ई-मेल पर भेज:े -
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com,

गु व कायालय ारा नये भवन के िनमाण एवं संपूण वा तु परामश सु वधा उ ल ध ह।


62 दस बर 2010

योितष परामश
योितष से संबंिधत कसी भी कार क सम यओ का गु व कायालय लोग के मा यम से आप अपने का
िन:शु क उ र एवं समाधान ा कर सकते ह।

नोट: जो बंधु केवल अपना भ व य, वषफल या रािशफल इ या द जानना चाहते ह। जो य कसी सम या से त


नह ं ह, वह कृ या भुगतान कर हमार वशेष सेवाये ा करने का क कर।

योितष परामश
नाम:
पता का नाम
माता का नाम
पता:

ई-मेल पता:
फोन नंबर:
ज म दनांक:
ज म समय:
ज म थान( जला):

एक /सम या:

योितष परामश फम इस पत पर भेजे या ई-मेल कर या हमारे लोग http://gurutvajyotish.blogspot.com/ पर


जाकर ओनलाईन फाम जमा करवा सकते ह।

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सूचना :
गु व कायालय से जुडे बंधुगण हो, िनयिमत पाठक हो या जो य आिथक से धन दे कर
सेवा ा करने म असमथ हो एसे य चाहे वह कायालय म आते हो, फ़ोन पर हो, ई-मेल ारा
हो या ऑन लाइन हो, उन बंधु के िलये हमार यादातर सेवा िन:शु क ह।
िन:शु क सेवा दान करने का अथ यह कतई नह ं ह क हमारे पास कोई काय नह ं ह। इस िलये
वयं का एवं हमार समय न करने के बजाय िनःशु क सेवा का लाभ उ ह ा करने का मौका
द, जो य वा तव म परे शान ह । यो क बना सम या के िन:शु क सेवा का लाभ उठाने के
कारण अ य लोग को सेवा ा करने म वलंब होता ह। तो कृ या अपना सहयोग बनाये रखे।
63 दस बर 2010

सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।

उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।

भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दरू करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।

योितष व ा के कुशल जानकर भी काल पु षक गणना कर अनेक रोगो के अनेको रह य को उजागर कर


सकते ह। योितष शा के मा यम से रोग के मूलको पकडने मे सहयोग िमलता ह, जहा आधुिनक िच क सा शा
अ म होजाता ह वहा योितष शा ारा रोग के मूल(जड़) को पकड कर उसका िनदान करना लाभदायक एवं
उपायोगी िस होता ह।
हर य म लाल रं गक कोिशकाए पाइ जाती ह, जसका िनयमीत वकास म ब तर के से होता रहता ह।
जब इन कोिशकाओ के म म प रवतन होता है या वखं डन होता ह तब य के शर र म वा य संबंधी वकारो
उ प न होते ह। एवं इन कोिशकाओ का संबंध नव हो के साथ होता ह। ज से रोगो के होने के कारणा य के
ज मांग से दशा-महादशा एवं हो क गोचर म थती से ा होता ह।

सव रोग िनवारण कवच एवं महामृ युंजय यं के मा यम से य के ज मांग म थत कमजोर एवं पी डत


हो के अशुभ भाव को कम करने का काय सरलता पूव क कया जासकता ह। जेसे हर य को ांड क उजा एवं
पृ वी का गु वाकषण बल भावीत कता ह ठक उसी कार कवच एवं यं के मा यम से ांड क उजा के
सकारा मक भाव से य को सकारा मक उजा ा होती ह ज से रोग के भाव को कम कर रोग मु करने हे तु
सहायता िमलती ह।
रोग िनवारण हे तु महामृ युंजय मं एवं यं का बडा मह व ह। ज से ह द ू सं कृ ित का ायः हर य
महामृ युंजय मं से प रिचत ह।
64 दस बर 2010

कवच के लाभ :
 एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
 पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
 ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
 कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
 आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
 येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
 जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
 जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।

नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।

Declaration Notice
 We do not accept liability for any out of date or incorrect information.
 We will not be liable for your any indirect consequential loss, loss of profit,
 If you will cancel your order for any article we can not any amount will be refunded or Exchange.
 We are keepers of secrets. We honour our clients' rights to privacy and will release no information
about our any other clients' transactions with us.
 Our ability lies in having learned to read the subtle spiritual energy, Yantra, mantra and promptings
of the natural and spiritual world.
 Our skill lies in communicating clearly and honestly with each client.
 Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.

Our Goal
 Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door
step.
65 दस बर 2010

मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महतू म शुभ दन को तैयार कये जाते है अलग अलग कवच तैयार करने केिलए अलग अलग तरह के
. - -

मं ो का योग कया जाता है . .

 य चुने मं िस कवच?
 उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
 कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
 कोई बुरा भाव नह ं
 कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु

कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700-/ ऋण मु कवच – 730/- वरोध नाशक कवचा– 550/-
सवजन वशीकरण कवच – 1050/-* नव ह शांित कवच – 730/- वशीकरण कवच- 460/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच – 1050/- तं र ा कवच – 730/- प ी वशीकरण कवच – 460/-*
आक मक धन ाि कवच – 910/- श ु वजय कवच – 640/-* नज़र र ा कवच – 460/-
भूिम लाभ कवच – 910/- पद उ नित कवच – 640/- यापर वृ कवच- 370-/
संतान ाि कवच – 910/- धन ाि कवच – 640/- पित वशीकरण कवच – 370/-*
काय िस कवच – 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच – 640/- दभा
ु य नाशक कवच – 370/-
काम दे व कवच – 820/- म त क पृ वधक कवच – 640/- सर वती कवक – 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच – 550/- सर वती कवक -280 / - क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच – 730/- व न बाधा िनवारण कवच – 550/- वशीकरण कवच – 280/-* 1 य के िलए

*कवच मा शुभ काय या उ े य के िलये


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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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66 दस बर 2010

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
67 दस बर 2010

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 190, 280, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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68 दस बर 2010

GURUTVA KARYALAY
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
69 दस बर 2010

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
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GURUTVA KARYALAY
Call Us:- 91+9338213418, 91+9238328785.
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com, chintan_n_joshi@yahoo.co.in,
70 दस बर 2010

सूचना
 प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।

 लेख कािशत होना का मतलब यह कतई नह ं क कायालय या संपादक भी इन वचारो से सहमत ह ।

 ना तक/ अ व ासु य मा पठन साम ी समझ सकते ह।

 प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।

 कािशत लेख योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत होने के कारण


य द कसी के लेख, कसी भी नाम, थान या घटना का कसी के वा त वक जीवन से मेल होता ह तो यह मा
एक संयोग ह।

 कािशत सभी लेख भारितय आ या मक शा से े रत होकर िलये जाते ह। इस कारण इन वषयो क


स यता अथवा ामा णकता पर कसी भी कार क ज मेदार कायालय या संपादक क नह ं ह।

 अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।

 योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत लेखो म पाठक का अपना


व ास होना आव यक ह। कसी भी य वशेष को कसी भी कार से इन वषयो म व ास करने ना करने
का अंितम िनणय वयं का होगा।

 पाठक ारा कसी भी कार क आप ी वीकाय नह ं होगी।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।

 यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हई
ु ह।
 पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।

 अिधक जानकार हे तु आप कायालय म संपक कर सकते ह।

(सभी ववादो केिलये केवल भुवने र यायालय ह मा य होगा।)


71 दस बर 2010

FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का दस बर -2010
संपादक

िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग

गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA

फोन

91+9338213418, 91+9238328785
ईमेल
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,

वेब
http://gk.yolasite.com/
http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
72 दस बर 2010

हमारा उ े य
य आ मय

बंध/ु ब हन

जय गु दे व

जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दलभ
ु मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

सूय क करणे उस घर म वेश करापाती है ।


जीस घर के खड़क दरवाजे खुले ह ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


73 दस बर 2010

Dec
2010

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