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वा तु एवं रोग ह त रे खा
एवं रोग
रोग िनवारण के
सरल उपाय
संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
gurutva.karyalay@gmail.com,
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ई- ज म प का E HOROSCOPE
अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
उ कृ भ व यवाणी के साथ Excellent Prediction
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हं द / English म मू य मा 750/-
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
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3 मई 2011
वशेष लेख
महामृ युंजय-अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु 7 व न और रोग 34
उ म वा य लाभ के िलये करे सूय तो का पाठ 29 ज म कुंडली म नीच ल नेश से रोग और परे शानी? 43
अनु म
संपादक य 4 दन-रात के चौघ डये 68
मं िस साम ी 53 मं िस कवच 73
मं िस साम ी 66 हमारा उ े य 80
संपादक य
य आ मय
बंधु/ ब हन
जय गु दे व
हमारे ऋ ष-मुिन और योितषाचाय ने बड ह सरलता से हर बीमार का संबंध हो के साथ होने का उ लेख योितष ंथो मे
कया ह।
य क ज म कुंडली म ज म समय म थत हो क थती, हो क महादशा, अंतर दशा एवं हो के वतमान समय के हो
क थित से य के वा य एवं रोग का आंकलन होता ह।
आपने ायः दे खा होगा व थ य भी कभी-कभी अचानक बीमार पड़ जाता ह। जो दरसल खान-पान म बरती गई कोई
लापरवाह हो सकती ह। कभी-कभी य को आनुवांिशक यानी माता- पतासे ा रोग हो सकते है ।
योितष व ान के मत से य के ज म समय पर ह क थित एवं भाव से य को उ के कस मोड़ पर उसे कोनसी
बीमार हो यह सुिन त कर सकते ह। य द समय से पहले पता चल जाये य कब कस रोग से पी ़डत हो सकता ह, तो पहले
से सचेत होकर रोग का से बचाव हे तु या उसका िनदान कया जा सकता ह। यो क समय से पूव रोग के बारे म पता चलने से
य खान-पान म परहे ज कर बीमार को कम करने या टालने का यास कर सकता ह।
ज म कुंडली मे रोग का िनणय कुंडली के छठे भाव म थत ह, छठे भाव के वामी क थित छठे भाव पर ह क , छठे
भाव का कारक ह के आधार पर जान सकते ह, क भ व य म जातक कस रोग से पी डत हो सकता ह।
कुछ मु य बात को समझ कर आप कसी भी य क ज म कुंडली से होने वाले रोग के बारे म सचेत कर सकते ह। वैसे भी
आकाश म मण करते सभी ह और न रोग उ प न कर सकते ह।
आजकल जरा-जरा से रोग- बमार म त काल ऑपरे शन क सलाह दे द जाती ह?, य द आपके कसी वधुत उपकरण या
वाहन को ठक करने वाला मैकेिनक भी य द कह इस उपकरण या वाहन का यह पुजा बदलने पर भी आपका उपकरण या
वाहन ठ क होगा क नह ं इस क कोई गार ट नह ं ह? तो कोई भी य उस मैकेिनक के यहां अपने उपकरण क
मर मत नह ं करवाता। परं तु कसे सजन-डॉ टर के मामले मे यह बात लागू नह ं होती। हर सजन-डॉ टर ार ऑपरे शन
क गार ट न दे ने पर भी हम लोग ऑपरे शन करवा ने के िलए मजबूर हो जाते ह !
आयुवद एवं अ य अनेको िच क सा प ित के वशेष क माने तो बहोत से मामलो म ऑपरे शन के ारा शर र के अशु
य को िनकालने क अपे ा ाकृ ितक िच क सा जैसे जल, िम ट , सूय करण और शु वायु क मदद से उ ह बाहर िनकालना
एक सुर त और सु वधाजनक उपाय ह। कसी अनुभवी िच क सक क सलाह लेकर अनुकूल आहार एवं व ाम करके भी पूण
वा य-लाभ पाया जा सकता ह।
5 मई 2011
स चा वा य सुख य द कसी दवाइय से िमलता तो कोई भी सजन, डॉ टर, कैिम ट या उनके प रवार का कोई भी सद य
कभी बीमार नह ं पड़ता।
इसी िलये लोगो को दवाइय क गुलामी से बचकर, अपना आहार- वहार शु , रहन-सहन िनयम से, वचारो से उदार एवं
स न बने रहगे। आदश आहार- वहार और वचार- यवहार ये चारो और से मनु य के वा य सुख म वृ होती ह।
सद -गम सहन करने क श , काम एवं ोध को िनयं ण म रखने क श , क ठन प र म करने क यो यता, फूित,
सहनशीलता, हँ समुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहर नींद – ये स चे वा य के मुख ल ण ह।
दवाईयो के वषय म एक सामा य बात दे खने को आती ह, क कसी य को पहले कोई एक बमार हई।
ु जैसे
मानल कसी को मधुमेह(सुगर, डायां ब टस) हो गया डॉ टर को दखाने से डॉ टर ने कहां मधुमेह का हवां
ु ह तो आपको
अमुक-अमुक दवाईयां जीवन भर लेनी पडे गी।
दवाईयां चलती रह कुछ दन-स ाह-म हने बते दवाईय के उपरांत भी वा य लाभ नह ं मधुमेह क जांच क तो
उसम और इजाफा हो गया पूरानी दवाईयां काम नह ं कर रह ह। डॉ टर ने दवाइय का पावर बढा दया पहले से
अिधक पावर वाली दवाई िलखद । उस के साथ-साथ दवाईयां और २-४ रोग ले आई जैसे उ च र चाप (हाई.बी.पी),
इ याद बमार यां सामनी आितगई दवाओं क सं या कम होने क अपे ा बढती गई।
दो दवाइ-दो क चार-चार क आठ और नजाने कतनी, फर समय आया डॉ टर साहाब ने बताया मधुमेह क दवाइया
अब आपके डायां ब टस को कं ोल म नह ं कर पारह ह। आपको अब ई युलीन लेना होगा। डॉ टर क सलाह पर
ई युलीन लेना शु कया कुछ दन बाद, ई युलीन क मा ा 5mg से बढकत 7mg हई
ु फर कुछ दन बाद 7mg से
10mg हो गई अभी भी डायां ब टस कं ोल म नह ं हो रहा उसक वजह से दनो- दन रोग क सं या म वृ होती
गई। अब करे तो या कर?
य क दनचाया म कोई वशेष अंतर नह ं ह। उ टा दवाईयो के भाव व डॉ टर साहब के कहने से पहले से भोजन
क मा ा कम हो गई िमठा खाना भी छोड दया अभी भी डायां ब टस कं ोल म नह ं हो रहा, अब या कर?
6 मई 2011
कसी बडे डॉ टर के पास गएं उ ह ने दवाई बदली/ई युलीन क कंपनी बदल द । पहले से दवाईयां महे गी हो गई
कुछ दन ठक रहा डायां ब टस कं ोल म रहा फर से दसर
ू बमार ने सताया जाचं क पायां सुगर कं ोल म ह। अब
हाई.बी.पी हो गया ह। कं ोल म नह ं आरहा पुरानी दावाई से और अिधक पावर वाली दवाईयां लेनी पडे गी।
यह म चलता ह रहता ह। दवाईय से रोग कम होने क अपे ा अ य रोगो म वृ होती गई। 5-10 पहले य क
जो दवाई थी या उसक मा ा थी उसम कई गुना वृ होगई।
का यास कर जसम नु शान क संभावना नह ं हो और बमार जड़से िनकल जाएं। उसी के साथ संयम और िनती-
िनयमो का भी पालन कर।
नोट: उपरो जानकार केवल अनुभवो एवं हमारे -बंधुबांधवो से ा जानकार के आधार पर हमारे पाठको के मागदशन
हे तु दगई ह। इस जानकार का उ े य कसी य - वशेष, सं था, या संबंिधत े से जुडे यवसायीक लोगो को
नु शान पहचाना
ु नह ं ह केवल जानकार मा ह। इस को मानना न मानना य के िनजी वचारो और आव य ा
पर िनभर ह।
भगवान ने जतने डॉ ट-वै -सजन बनाएं ह। डॉ टर बनने के साथ ह उतने रोगी भी भगवान ने तय कर दये ह, नह ं
तो उनक दकान
ु -घर कैसे चलेगा। आजके आधुिनक डॉ टर और िच क सको को आधुिनक ान के साथ-साथ
ाकृ ितक िच क सा पर जोर दे ना चा हए इसी उ े य से उपरो जानकार यां द गई ह। अनेक मामलो म आधुिनक
डॉ टर और िच क सको क अपनी वशेषताएं भी कम नह ं ह। योक आक मक धटनाओं एवं आपातकालीन समय
पर आधुिनक डॉ टर और िच क सको क मह वता कम नह ं ह। यो क य द कसी का ए सीडे ट हो गया ह, गोली
लग गई ह, हाटएटे क आया ह, इ याद अवसरो पर आधुिनक िच क सा का कोई सानी नह ं ह। योक एसी अव था म
केवल आधुिनक िच क सा ह पी डत का शी बचाव कर सकती ह। आयुवद या अ य ाकृ ितक िच क सा यहां काम
नह ं आती। आपातकालीन थती म य क जान बचाने म आधुिनक िच क सा प ित ह उ म होती ह।
िचंतन जोशी
7 मई 2011
महामृ युंजय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु के िलये शी भा व उपाय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु के िलये शी भा व उपाय
महामृ युंजय
मानव शर र म जो भी रोग उ प न होते ह उसके बारे म शा ो म जो उ लेख ह वह इस कार ह
"शर रं यािधमं दरम ्" अथात ् ांड के पंच त व से उ प न शर र म समय के अंतराल पर नाना कार क आिध-
यिघ पीडा़ए उ प न होती रहती ह।
योितष शा एवं आयुवद के अनुसार मनु य ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य के शर र म विभ न
रोग के प म गट होत ह।
ह रत स हं ता के अनुशार:
महामृ युंजय मं का मह व:
मृ यु विन जतो य मात ् त मा मृ युंजय: मृ त: या मृ युंजयित इित मृ युंजय,
अथात: जो मृ यु को जीत ले, उसे ह मृ युंजय कहा जाता है ।
मं जप के िलए वशेष:
यः शा विध मृ सृ य वतते काम कारतः। न स िस मवा नोित न सुखं न परांगितम॥् ( ीम भगव गीता:षोडशोऽ याय)
योितषशा के अनुशार दख
ु , वप या मृ य के दाता एवं िनवारण के दे वता शिनदे व ह, यो क शिन य
के कम के अनु प य को फल दान करते ह। शा ो के अनुशार माक डे य ऋ ष का जीवन अ यंत अ प था, परं तु
महामृ युंजय मं के जप से िशव कृ पा ा कर उ ह िचरं जीवी होने का वरदान ा हवा।
ु भगवान िशवजी शिनदे व के
गु भी ह इस िलए महामृ युंजय मं के जप से शिन से संबंिधत पीडा़ए दरू हो जाती ह।
जो मनु य पूण विध- वधान से महामृ युंजय मं का जप व अनु ान संप न करने म असमथ हो! वह य
संपूण ाण ित त अमो महामृ युंजय कवच व साम ी गु व कायालय ारा बनवा सकते ह।
नोट: य अपने कूल ा ण/पुरो हत ारा भी पूण विध- वधान से मं जप व अनु ान संप न करवा सकते ह।
य द आप अनु ान से संबंिधत यं व अ य साम ी ा करना चाहते ह तो गु व कायालय म संपक कर।
?
ले कन य द बमार होने पर वा य म ज द सुधार नह ं होता तो, तरह-
तरह क िचंता और मानिसक तनाव होना साधारण बात ह। क वा य म सुधार
कब आयेगा?, कब उ म वा य लाभ होगा?, वा य लाभ होगा या नह ?ं , इ या द
उठ खडे हो जाते ह।
मनु य क इसी िचंताको दरू करने के िलए हजारो वष पूव भारतीय
योितषाचाय न कुंडली के मा यम से ात करने क व ा हम दान क ह।
जस के फल व प कसी भी य के वा य से संबंिधत ो का योितषी गणनाओं के मा यम से सरलता से समाधन
कया जासकता ह!
कुंडली के मा यम से वा य से संबंिधत जानकार ा करने हे तु सव थम कुंडली म रोगी के शी वा य
लाभ के योग ह या नह ं यह दे ख लेना अित आव यक ह।
आपके मागदशन हे तु यहां वशेष योग से आपको अवगत करवा रहे ह।
च मा से रोग मु के योग
यदच वरािश या उ च रािश मे बलवान हो कर कसी शुभ ह से यु हो या हो तो रोगी को शी वा य लाभ
होते दे खा गया ह।
10 मई 2011
यद कुंडली म वा य लाभ म वलंब होने के योग बन रहे हो तो िचंितत होने के बजाय शा ो उपाय
इ या द करना लाभदायक िस होता ह। एसी थती म व ानो के मत से महामृ युंजय मं -यं का योग शी
रोग मु हे तु रामबाण होता ह।
कुंडली का अ ययन करते समय यह योग भी दे खले क रोगी को उिचत उपयार ा हो रहा ह या नह ं।
कुंडली दे खते समय शर र के विभ न अंगो पर हो के भाव एवं बमार य को जानना भी आव यक होता ह।
योितषी िस ांतो के अनुशार कुंडली के बारह भाव शर र के विभ न अंगो को दशाते है ।
थम भाव : िसर, म त क, नायु तं .
तीय भाव: चेहरा, गला, कंठ, गदन, आंख.
तीसरा भाव : कधे, छाती, फेफडे , ास, नसे और बाह.
चतुथ भाव : तन, ऊपर आ , ऊपर पाचन तं
पंचम भाव : दय, र , पीठ, र संचार तं .
ष म भाव : िन न उदर, िन न पाचन तं , आत, अंत डयाँ, कमर, यकृ त.
स म भाव : उदर य गु हका, गुद.
अ म भाव : गु अंग, ावी तं , अंत डयां, मलाशय, मू ाशय और मे द ड.
नवम भाव : जॉघ, िनत ब और धमनी तं .
दशम भाव : घुटने, ह डयां और जोड़.
एकादश भाव : टागे, टखने और ास.
ादश भाव : पैर, लसीका तं और आंख.े
मं िस दलभ
ु साम ी
ह था जोड - Rs- 370 घोडे क नाल- Rs.351 माया जाल- Rs- 251
िसयार िसंगी- Rs- 370 द णावत शंख- Rs- 550 इ जाल- Rs- 251
ब ली नाल- Rs- 370 मोित शंख- Rs- 550 धन वृ हक क सेट Rs-251
12 मई 2011
अंक योितष और वा थ
िचंतन जोशी
मूलांक : अथात ज म ितथी या ज म ता रख
भा यांक: अथात ज म ता रख + माह + वष का जोड = भा यांक
भा य ल मी द बी
सुख-शा त-समृ क ाि के िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
वृ , वशीकरण, कोट कचेर के काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता क बाधा, श ु भय,
चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य
ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
सफ़ेद-लाल गुंजा, इ जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ
ु साम ी होती है ।
मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल
गु व कायालय संपक : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
14 मई 2011
GURUTVA KARYALAY
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16 मई 2011
िचंतन जोशी
म य पुराण के अनुशार दे वताओं और रा स ने जब समु मंथन कया था धन तेरस के दन धनवंतर नामक
दे वता अमृ त कलश के साथ सागर मंथन से उ प न हए
ु थे। धनवंतर धन, वा थय व आयु के अिधपित दे वता ह। धनवंतर
को दे व के वैध व िच क सक के प म जाना जाता ह।
योितष के अनुशार हर ह और रािश मानव शर र पर अपना वशेष भाव रखते ह, इस िलए उसे जानना भी
अित आव यक ह। सामा यतः ज म कुंडली म जो रािश अथवा जो ह छठे , आठव, या बारहव थान से पी ड़त हो
अथवा छठे , आठव, या बारहव थान के वामी हो कर पी ड़त होरहे हो, तो उनसे संबंिधत बीमार क संभावना अिधक
रहती ह। ज म कुंडली के अनुसार येक थान और रािश से मानव शर र के कौन-कौन से अंग भा वत होते ह, उनसे
संबंिधत जानकार द जा रह ह।
ह रत स हं ता के अनुशार:
एक ह स चत कम
दसरा
ू ह ार ध कम
तीसरा ह यमाण
जसे य ार ध के प म भोगता ह।
ज म कुंडली से रोग व रोगके समय का ात करने हे तु ज म कुंडली म ह क थित, ह गोचर तथा दशा-अ तदशा का
शू म अ ययन अित आव यक होता ह। ज म प का के शू म अ ययन के मा यम से य के ारा पूव ज म म
कये गये सभी शुभ-अशुभ कम फल को बताने म स म होती ह जसका फल य इस ज म म भोगता ह।
यदपिचत
ु म य ज मिन शुभाशुभं त य कमण: ाि म ।
यं यती शा मत तमिस या ण द प इव॥
( फिलत मात ड )
18 मई 2011
योितष थ माग म रोग का दो कार से वग करण कया ह। 1 सहज रोग 2 आगंतुक रोग
1 सहज रोग: माग म ज म जात रोग को सहज रोग के वग म रखा गया ह। य क अंग ह नता, ज म से
ी हनता, गूंगापन, बहरापन, पागलपन, व ता एवं नपुंसकता आ द रोग सहज रोग होते ह। जो य म ज म से
ह होते ह। सहज रोग का वचार करने हे तु कुंडली म अ टमेश (अ म भाव का वामी) तथा आठव भावः म थत,
िनबल ह से कया जाता ह। एसे रोग ाय: द घ कािलक और असा य हो जाते ह।
ज म कुंडली से रोग का िनणय करने हे तु कुंडली म भाव और रािश से संबंिधत शर र के विभ न अंग पर हो का
भाव एवं रोग को जानना आव यक ह।
योितष के अनुशार बारह भाव एवं रािश से संबंिधत शर र के अंग और रोग इस कार ह।
पहला मेष अ न िसर, म त क, िसर के केश, जीवन म त क रोग, िसर पीडा, च कर आना, िमग , उ माद,
श , गंजापन, वर, गम , म त क वर इ या द।
दसरा
ू वृ ष पृ वी मुख, ने , चेहरा, नाक, दांत, जीभ, ह ठ, मुख के रोग, आंत, ने , दांत, नाक, सं मण, आ द के रोग
ास नली आ द।
तीसरा िमथुन वायु कंठ, कण, हाथ, भुजा, क धा, ास नली, खांसी, दमा, गले मे पीड़ा, बाजु मे पीड़ा, कण पीड़ा आ द ।
र नली,
चौथा कक जल छाती, फेफड़े , तन, दय, मन, पसिलयाँ, दय रोग, ास रोग, मनो वकार, पसिलय का रोग, अ िच
र संचार, आ द।
पांचवा िसंह अ न उदर, जगर, ित ली, कोख, मे द ड, बु , उदर पीडा, अपच, जगर का रोग, पीिलया, बु ह नता,
श , दय, पीठ, मे दं ड, आमाशय, आंत, गभाशय मे वकार आ द।
छठा क या पृ वी कमर, आ त, नािभ, उदर के बाहर भाग, द त, आ दोष, हिनया, पथर , अप ड स, कमर मे दद,
ह ड , आंत, मांस दघटनाआ
ु द ।
सातवाँ तुला वायु मू ाशय, गुद, काम, ास या, गुद मे रोग, मू ाशय के रोग, मधुमेह, दर, पथर , मू छ
आद ।
19 मई 2011
आठवां वृ क जल गुदा, अंडकोष, जननै य, िलंग, योिन, अश, भगंदर, गु रोग, मािसक धम के रोग, दघटना
ु इ या द।
र संचार,
नवां धनु अ न जांघ , िनतंब वात वकार, कु हे का दद, ग ठया, सा टका, म जा रोग,
यकृत दोष इ या द।
दसवां मकर पृ वी घुटने, जांघ, घुटन के जोड़, ह ड , मांस, वात वकार, ग ठया, सा टका इ या द ।
यारहवां कु भ वायु टखने, पंड िलयां, घुटने, जांघ के जोड़, काफ पेन, नस क कमजोर , एंठन इ या द।
ह डय -नस ,
बारहवां मीन जल पांव, पांव क उं गिल, नस , जोड़ , र पोिलयो, आमवात, रोग वकार, पैरम पीडा इ या द।
संचार
सूय ने ,िसर दय अ थ वर, दय रोग, पेट, अ थ रोग प , जलन, िमग , दांयीं आंख, श से आघात, ेन फ वर,
घाव, जलने का घाव, िगरना, र वाह म बाधा आ द।
च ने , मन, कंठ, र शर र के तरल पदाथ, बायीं आंख, जलोदर, ने दोष, िन न र चाप, छाती, अ िच, मनोरोग, र
फेफडे क कमी, कफ म दा न, अिन ा, पीिलया, खांसी -जुकाम, म हलाओं म मािसक च ।
बुध हाथ, वाणी, कंठ वचा दोष, पा डु रोग, बहम, कंठ रोग, कु , वचा रोग, वाणी वकार, फेफड़े , नािसका रोग, बुरे सपने
गु जघन दे श, वसा यकृत, शर र म चब , मधुमेह, आं वर, गु म, हिनया, सुजन, कफ दोष, मृित भंग, कण पीडा,
आंत मूछा इ या द
शु गु ांग वीय मधुमेह, ने वकार, मू रोग, सुजाक, पथर , सटट लां स क वृ , शी पतन, व न दोष,
ऐ स एवम जनन अंग से स बंिधत रोग इ या द
शिन जानू दे श, पैर नायु थकन, वात रोग, संिध रोग, प ाघात, पोिलयो, कसर, कमजोर , पैर म चोट, लिसका तं ,
लकवा, उदासी, थकान,
च २४ व, गु १६ व, राहु ४४ व,
मंगल २८ व, शु २५ व, केतु ४८ व,
रोग शा त के उपाय
ह क वंशो र दशा तथा गोचर थित से वतमान या भ व य म होने वाले रोग को समय से पूव अनुमान लगा कर
पीडाकारक ह से संबंिधत दान, जप, हवन, यं , कवच, व र इ या द धारण करने से हो के अशुभ भाव को कम
कर रोग होने क संभावनाए दरू सकते ह अथवा रोग क ती ता म कम क जा सकती ह। व ानो के मतानुशार हो
के उपचार से िच क सक क औषिध के शुभ भाव म भी वृ हो जाती ह।
माग के अनुसार औषिधय का दान दे ने से तथा रोगी क िन वाथ सेवा करने से य को ह से संबंिधत रोग
पीड़ा नह ं दे ते। द घ कािलक एवं असा य रोग क शांित के िलए सू का पाठ, ी महा मृ युंजय का मं जप तुला
दान, छाया दान, ािभषेक, पु ष सू का जप तथा व णु सह नाम का जप लाभकार िस होता ह ।
महामृ युंजय यं
संपूण ाण ित त चैत य यु महामृ युंजय यं मनु य के िलए अ त
ु कवच क तरह काय करता ह। शा ो
वधान के अनुशार महामृ युंजय मं -यं -कवच के पूजन से साधारण रोग से लेकर असा य रोगो तक का
िनवारण कया जा सकता ह। उसके अलावा उिचत विध- वधान से कये गये पूजन से आक मक दघटना
ु
इ या द को टालकर अकाल मृ यु से बचाव हो सकता ह। मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना
कसी सा य या असा य रोग से त होता ह। उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल
जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या हो जाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते
ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया
अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू
डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह। एसी अव था म रोगो के िनदान हे तु भगवान िशव के पूण
आिशवाद से यु महामृ युंजय कवच एवं यं से उ म और कोई मं -यं -कवच नह ं ह।
िचंतन जोशी
॥ इित महामृ युंजय जप विधः ॥
व ानो के अनुशार महामृ युंजय मं के जप और उपासना साधक को अपनी आव यकता के अनु प करने से वशेष
लाभ द होते ह। आव य ा के अनुशार जप के िलए अलग-अलग मं का योग होता ह। मं के अ र म सं या के
कारण मं म व वधता हो जाती ह।
मं िन न कार से है -
वेदो मं -
महामृ युंजय का वेदो मं िन न िल खत ह।
मं वचार :
महामृ युंजय मं के येक श द को प करना अित आव यक ह। य क श द से ह मं है और मं से ह श
ह।
महामृ युंजय मं म योग कए गए येक श द अपने आप म एक संपूण अथ िलए हए
ु होता ह और इसी म दे वा द
का बोध कराता है ।
श द बोधक
' ' ुव वसु 'ग' श भु 'वा' थाणु 'मृ' वव वान
'यम' अ वर वसु ' धम' िगर श ' ' भग ' यो' इं ा द य
'ब' सोम वसु 'पु' अजैक 'क' धाता 'मु' पूषा द य
'कम'् व ण ' ' अ हबु य 'िम' अयमा ' ी' पज या द य
'य' वायु 'व' पनाक 'व' िम ा द य 'य' व ा
'ज' अ न 'ध' भवानी पित 'ब' व णा द य 'मा' व णुऽ द य
'म' श 'नम'् कापाली ' ध' अंशु 'मृ' जापित
'हे ' भास 'उ' दकपित 'नात' भगा द य 'तात' वषट
'सु' वीरभ
उ बोधक को दे वताओं के नाम माने जाते ह।
श द क श -
महामृ युंजय मं म योग हए
ु श द क श िन न कार से मानी गई ह।
श द श
' ' य बक, -श 'म' महाश 'व' वा कनी 'मृ' मृ युंजय
तथा ने 'हे ' हा कनो 'ध' धम ' यो' िन येश
'य' यम तथा य 'सु' सुग ध तथा सुर 'नं' नंद ' ी' ेमंकर
'म' मंगल 'गं' गणपित का बीज 'उ' उमा 'य' यम तथा य
'ब' बालाक तेज 'ध' धूमावती का बीज 'वा' िशव क बा श 'मा' माँग तथा म ेश
'कं' काली का 'म' महे श ' ' प तथा आँसू 'मृ' मृ युंजय
क याणकार बीज 'पु' पु डर का 'क' क याणी 'तात' चरण म पश
'य' यम तथा य ' ' दे ह म थत 'व' व ण
'जा' जालंधरे श षटकोण 'बं' बंद दे वी
'ध' धंदा दे वी
मं िन निल खत ह-
तां क बीजो मं :
ॐ भूः भुवः वः। ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।्
उवा किमव ब धना मृ योमु ीय माऽमृ तात्। वः भुवः भूः ॐ॥
संजीवनी मं :
ॐ जूं सः। ॐ भूभ वः वः। ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।् उवा किमव ब धनां मृ योमु ीय माऽमृ तात्।
वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ॐ ।
कब कर महामृ युज
ं य मं जाप?
यद नान करते समय शर र पर पानी डालते समय महामृ युंजय मं का जप करने से वा य-लाभ होता
ह।
दध
ू को दे खते हए
ु महामृ युंजय मं का जप करके वह दध
ू पी िलया जाए तो यौवन क सुर ा म भी लाभ
होता ह।
महामृ युंजय मं का जप करने से अनेको व न-बाधाएँ वतः दरू हो जाती ह, इस िलए महामृ युंजय मं का
यथासंभव जप करना अ यािधक लाभ द होता ह।
कुछ वशेष थितय म महामृ युंजय मं का जाप कया या कराया जाता ह, जो इस कार ह।
भयंकर महामार से लोग मर रहे ह , तो जाप कर अपिन और अपने प रवार क सुर ा हे तु।
भूतशु ः
विनयोगः
ॐ त सद े या द मम अमुक योगिस यथ भूतशु म ् ाण ित ां च क र ये। ॐ आधारश कमलासनायनमः।
इ यासनम ् स पू य। पृ वीित मं य। मे पृ ऋ ष; सुतलं छं दः कूम दे वता, आसने विनयोगः।
आसनः
ॐ पृ व वया धृ ता लोका दे व वं व णुना धृ ता। वं च धारय माँ दे व प व ं कु चासनम।्
ग धपु पा दना पृ वीं स पू य कमलासने भूतशु ं कुयात्। अ य कामनाभेदेन। अ यासनेऽ प कुयात।्
पादा दजानुपयतं पृ वी थानं त चतुर ं पीतवण दै वतं विमित बीजयु ं यायेत।् जा वा दना िभपय तमस थानं
त चा चं ाकारं शु लवण प लांिछतं व णुदैवतं लिमित बीजयु ं यायेत।्
॥ इित भूतशु ः॥
26 मई 2011
अथ ाण- ित ा
विनयोगः अ य ी ाण ित ामं य ा व णु ा ऋषयः ऋ यजुः सामािन छ दांिस, परा ाणश दवता, ॐ बीजम,्
ं श ः, क लकं ाण- ित ापने विनयोगः।
डं . कं खं गं घं नमो वा व नजलभू या मने दयाय नमः। ञं चं छं जं झं श द पश परसग धा मने िशरसे वाहा।
णं टं ठं डं ढं ी वड़ नयन ज ा ाणा मने िशखायै वष । नं तं थं धं दं वा पा णपादपायूप था मने कवचाय हम
ु ।्
मं पं फं भं बं व यादानगमन वसगान दा मने ने याय वौष । शं यं रं लं हं षं ं सं बु मानाऽहं कार-िच ा मने अ ाय फ ।
एवं कर यासं कृ वा ततो नािभतः पादपय तमआँ
् नमः। दयतो नािभपय तं ं नमः। मू ा दयपय तं नमः।
ततो दयकमले यसेत।् यं वगा मने नमः वायुकोणे। रं र ा मने नमः अ नकोणे। लं मांसा मने नमः पूव ।
वं मेदसा मने नमः प मे । शं अ या मने नमः नैऋ ये। ओंषं शु ा मने नमः उ रे । सं ाणा मने नमः द णे।
हे जीवा मने नमः म ये एवं हदयकमले।
अथ यानम:्
र ा भा थपोतो लसद णसरोजाङ ि ढा करा जैः पाशम ् कोद डिम ूदभवमथगुणम यड़ कुशम ् पंचबाणान।्
व ाणसृ कपालं नयनलिसता पीनव ो हाढया दे वी बालाकवणां भवतुशु भकरो ाणश ः परा नः ॥
॥ इित ाण- ित ा ॥
जप
अथ महामृ युंजय जप विध
संक पत सं योपासना दिन यकमान तरं भूतशु ं ाण ित ां च कृ वा ित ासंक प कुयात ॐ त सद े या द
सवमु चाय मासो मे मासे अमुकमासे अमुकप े अमुकितथौ अमुकवासरे अमुकगो ो अमुकनाम मम शर रे वरा द-
(अमुक के थान पर वतमान मास-प -ितिथ-वास- का उचारण कर और अमुक गो ो व नाम के थान पर जसके
िलये जप कया जा रहा हो उस य के गो व नाम का उचारण करना चा हए)
विनयोग
अ य ी महामृ युंजयमं य विश ऋ षः, अनु ु छ दः ी य बक ो दे वता, ी बीजम,् ं श ः, मम अनी सहियथ
ू
जपे विनयोगः।
अथ य या द यासः
ॐ विस ऋषये नमः िशरिस। अनु ु छ दसे नमो मुखे। ी य बक दे वतायै नमो द।
ी बीजाय नमोगु े। ं श ये नमोः पादयोः।
॥ इित य या द यासः ॥
27 मई 2011
अथ कर यासः
ॐ ं जूं सः ॐ भूभु वः वः य बकं ॐ नमो भगवते ायं शूलपाणये वाहा अंगु ा यं नमः।
ॐ ं जूं सः ॐ भूभु वः वः यजामहे ॐ नमो भगवते ाय अमृ तमूत ये माँ जीवय तजनी याँ नमः।
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः सुग ध पु व नमओं
् नमो भगवते ाय च िशरसे ज टने वाहा म यामा याँ वष ।
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः उवा किमव ब धनात्ॐ नमो भगवते ाय पुरा तकाय हां ं अनािमका याँ हम
ु ।्
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मृ योमु ीय ॐ नमो भगवते ाय लोचनाय ऋ यजुः सामम ाय किन का याँ वौष ।
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मामृ ताम्ॐ नमो भगवते ाय अ नवयाय वल वल माँ र र अघारा ाय
करतलकरपृ ा याँ फ ।
॥ इित कर यासः ॥
अथांग यासः
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः य बकं ॐ नमो भगवते ाय शूलपाणये वाहा दयाय नमः।
ॐ ओं जूं सः ॐ भूभु वः वः यजामहे ॐ नमो भगवते ाय अमृ तमूत ये माँ जीवय िशरसे वाहा।
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः सुग ध पु व नम ् ॐ नमो भगवते ाय चं िशरसे ज टने वाहा िशखायै वष ।
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः उवा किमव ब धनात् ॐ नमो भगवते ाय पुरांतकाय ां ां कवचाय हम
ु ।्
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मृ यामु ीय ॐ नमो भगवते ाय लोचनाय ऋ यजु साममं याय ने याय वौष ।
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मामृ तात् ॐ नमो भगवते ाय अ न याय वल वल माँ र र अघोरा ाय फ ।
॥ इ यंग यासः ॥
अथा र यासः
यं नमः द णचरणा े। बं नमः,कं नमः, यं नमः, जां नमः द णचरणस धचतु केषु । मं नमः वामचरणा े ।
ह नमः, सुं नमः, गं नमः, िधं नम, वामचरणस धचतु केषु । पुं नमः, गु े। ं नमः, आधारे । वं नमः, जठरे ।
नमः, दये। नं नमः, क ठे । उं नमः, द णकरा े। वां नमः, ं नमः, कं नमः, िमं नमः, द णकरस धचतु केषु।
वं नमः, बामकरा े। बं नमः, धं नमः, नां नमः, मृ ं नमः वामकरस धचतु केषु। य नमः, वदने। मुं नमः, ओ योः।
ीं नमः, ाणयोः। यं नमः, शोः। माँ नमः वणयोः। मृ ं नमः वोः । तां नमः, िशरिस।
॥ इ य र यास ॥
अथ पद यासः
य बकं शरिस। यजामहे ुवोः। सुग धं शोः । पु वधनं मुखे। उवा कं क ठे ।
िमव दये। ब धनात ् उदरे । मृ योः गु े। मु य उव :। माँ जा वोः। अमृ तात् पादयोः।
॥ इित पद यास ॥
मृ युंजय यानम्
ह ता याँ कलश यामृ तसैरा लावय तं िशरो, ा याँ तौ दधतं मृ गा वलये ा याँ वह तं परम।्
अंक य तकर यामृ तघटं कैलासकांतं िशवं, व छा भोगतं नवे दमु
ु कुटाभातं ने भजे ॥
मृ युंजय महादे व ा ह माँ शरणागतम ,् ज ममृ युजरारोगैः पी ड़त कमब धनैः ॥
तावक व त ाण व च ोऽहं सदा मृ ड, इित व ा य दे वेशं जपे मृ युंजय मनुम॥्
28 मई 2011
अथ बृ ह म ः
ॐ जूं सः ॐ भूः भुवः वः। य बकं यजामहे सुग ध पु वधनम्।
उ वा किमव ब धना मृ योमु ीय मामृ तात्। वः भुवः भू ॐ। सः जूं ॐ॥
समपण
एतद यथासं यं ज प वा पुन यासं कृ वा जपं भग महामृ युंजयदे वताय समपयेत।
गु ाितगु गोपता व गृ हाणा म कृ तं जपम।् िस भवतु मे दे व व सादा महे र ॥
राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग से धन लाभ
होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती ह। राम र ा यं सभी
कार के अशुभ भाव को दरू कर य को जीवन क सभी कार क क ठनाइय से र ा करता ह। व ानो के
थान पर राम र ा यं को अव य थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन
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29 मई 2011
तो :
सूय दे व के २१ नाम :
' वकतन, वव वान, मात ड, भा कर, र व, लोक काशक, ीमान, लोकच ,ु महे र, लोकसा ी, लोकेश, कता, ह ा,
तिम ाहा, तपन, तापन, शुिच, स ा वाहन, गभ तह त, ा और सवदे व नम कृ त-
सूय तो का िनयमीत सूय दय एवं सूया त के समय पाठ करने से य सब पप से मु होकर, उसका शर र
िनरोगी होता ह, एवं धन क वृ कर य का यश चर और फेलाने वाला ह। इसे तो राज भी काहा जाता ह। सूय
तो को तीन लोक म िस ा ह।
संपूण ाण- ित त सूययं को पूजा थान मे थापीत कर के िन य यं को धूप-द प करने से वशेष लाभ ा होता
ह।
सूय यं
सूय के अशुभ भाव को दरु करने के िलए अपने पूजन थान म वै दक मं ारा ाण ित त सूय यं को
था पत करना लाभ द होता ह। जससे रोग, आिध- यािध क पीडाएं शांत होती ह। मू य 280 से 5500 तक
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30 मई 2011
( आचारमयूखः व कम काश )
'त वै र ांिस भु ञते ' पूव क ओर मुख करके भोजन करने से य क आयु
(पाराशर मृ ित १।५९) बढ़ती ह। द ण क ओर मुख करके भोजन करने से
ेत त व क ाि होती ह। प म क ओर मुख करके
अ ािलतपाद तु यो भु के द णामुखः ।
भोजन करने से य रोगी होता ह। उ र क ओर
यो वे तिशरा भु े ेता भु ञ त िन यशः ॥
मुख करके भोजन करने से य क आयु तथा धन
( क दपुराण, भास० २१६ । ४१)
क ाि एवं वृ होती ह ।
अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृपा एवं आशीवाद बना रहता ह।
ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज ल मी, (५)-संतान
ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का वतः अशीवाद ा होता
ह। मू य मा : Rs-1050
32 मई 2011
एसा करने से आपके शार र क उजा जा त होकर उस मं का जप जब पानी म हाथ डू बा हो तब 5-10 िमनट
जल भर पा म सकारा मक उजा के त होती ह। से अिधक न कर अ यथा हाथ म पसीना होने लगेगा
सकारा मक उजा भर इस जल को पीने से शर र के और पा के जल म उसका िम ण अिधक मा ा म होने
सम त रोग, आिध- यािधयां वतः नाश हो जाती ह। पर वा य के िलये नु शानदे ह हो सकता ह।
व न और रोग
िचंतन जोशी
व न म य द अमलतास के फूल दखे तो पीिलया या कोढ़ का रोग होने क संभावना होती ह।
व न म य द अंजन अथात काजल दखे तो ने रोग होने क संभावना होती ह।
व न म य द अरहर खाते दे खना पेट दद का सूचक ह।
व न म य द अचार, पपीता, अरबी, कद ू दे खना िसर दद और पेट दद होने के संकेत ह। य द अपना पेट बढाहआ
ु
नझर आये तो पेट से संबंिधत परे शानी का सूचक ह।
व न म य द अंग र क दखे तो गंिभर चोट लगने का खतरा होता ह।
यद व न म जलती हई
ु अगरब ी, वयं को उड़ते, कोई कारखाना दे खना आक मक दघटना
ु का संकेत ह।
व न म यद अंगार पर चलते, आक का पौधा या फूल, फंसा हआ
ु चूहा, उड़ती हई
ु वा प दे खना शार रक क होने
के संकेत ह।
यद व न म कसी कार क पु डया बंधते, फूट आँख दखे तो यहं शार रक क म वृ के संकेत ह।
यद व न म इ मूित चोर दखना मृ युतु य क होने के संकेत ह।
यद व न म दखे तो उपवन, कली, क बल, कसरत करते, पोशाक पहनना, रोट खाना या पकाना, वासागर सूखता,
छ से िगरते सांप, नकाब लगाते, गम पानी का झरना, पीले रं गका झंडा, द ू हा /द ु हन बारात, पंजीर खाना, वषैले
जीव, खाली खाट दे खना बीमार क पूव सूचना के संकेत ह।
चंचल आँखे दे खना
यद व न म दखे तो कंघी दे खना दांत या कान म दद और आक मक चोट लगने का संकेत ह।
यद व न म घर म आग, तराजू म तुलता सामान, बादाम खाता, हक म-वै , वयं को भूिम पर, मखमल पर बैठे,
सोना, शर र क मािलश, आईना, गीली व तु, दखे तो बीमार बढने के संकेत ह।
यद व न म सेवा करवाना, सोलह ृ ं गार, पीला रं ग, पजरा दे खना, पालक दखे तो वा य खराब होने के ल ण
ह।
यद व न म अपना कद ल बा दखे या सूय च आ द का वनाश होता दखे तो मृ युतु य क होने का संकेत ह।
यद व न म कमंडल दखे तो प रवार के कसी सद य से वयोग होने का संकेत ह।
यद व न म पीले रं ग क गाय या बैल दे खना भयंकर महामार आने के ल ण ह।
यद व न म गरम पानी दे खना बुखार या अ य बीमार आने के ल ण ह।
व न म आकाश, ुव तारा, हण, सूय दशन और वण दखे तो शार रक क होने के संकेत ह।
यद व न म शर रबडे से छोटा व छोटे से बडा होते दखे, हाथ से चलना, जानवर क तरह चलना, मनु य के
थान पर पशु या प ी आवाज सुनना, जंगली प -े घास खाते दे खना वा य से संबंिधत सम याओं से समु खन होने
का संकेत ह।
यद व न म कोई व तु फूटते दे खना, चीर-फाड आिध दखाई दे तो श य या अथात ऑपरे शन का संकेत ह।
35 मई 2011
व न और उ म वा य के संकेत
यद व न म अंगूर, अजवाईन, चूरन, सरस का साग, स ठ खाते दे खना बमार से छुटकारा और व य लाभ होने
का संकेत ह।
यद व न म शर रका कोई कटा अंग, खर च, खुजली, तालाब म तैरना, तोिलया, दवा का िगरना, दप
ु टा, दे वी दशन,
नमक, नीम का , पर , साद बाँटना, ु
बटआ दे खना, अपने भाई को दे खना, यमराज दे खना, हर रं ग के कपडे ,
शरबत दे खना, मा-दान करते, साबुन, ह ड दे खना रोग से छुटकारा िमलने का संकेत ह।
यद व न म चूहे दानी से चूहा िनकलते दे खना रोग, क से मु के संकेत ह।
दधायु योग
यद व न म अपहरण, आ मह या, कफन, नर कंकाल, मीनार, शमशान-क तान, ह या या अपने पर हमला होते
दे खना आयु वृ के संकेत ह।
नोट: व न का फल दे खते समय केवल रा के उ रा के उपरांत दखाई दे ने वाले व न को ह भ व य का संकेत
समझना चा हये।
मं िस मंगल गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन
के िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और मानिसक श य का
वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त करने हे तु भी मूंगा गणेश क
पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत करने से भगवान गणेश क कृ पा
श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह, ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं
सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह। ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से
भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन
श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर, तूफान, आग,
बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से मु िमलती ह।जो य
उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह। मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने
से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण
होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
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36 मई 2011
िचंतन जोशी
घरम सभी कार क दवाईयां ऎर टाइट ड बो म बंध कर के रख। यो क खूली दवाईया नकारा मक उजा पैदा
करती ह जससे रोगो क वृ होती ह जो घर के व य य को भी शी रोगी बनादे ता ह।
अपने बैड प म कसी भी कार के िमरर या अ य साम ी जससे शर र का र ले शन होता ह जैसे आईना,
ट वी इ या द व तुओ उसे ढक कर रखे या बैड म से िनकाल द।
भवन के ऊपर से बजली के हाई वो टे ज वाले तार का गुजरने से वा य सम याएं घेरे रहती ह।
जस भूिम आ नेय, ईशान व वाय य से ऊंची, वाय य व आ नेय से नीची और नैऋ य से नीची हो, एसे लाट को
वमुख भूखंड कहाजाता ह। वमुख म िनवास करने वाले य सदै व रोग त रहते ह और धन का नाश भी होता
है ।
िनवास हे तु जो थान से नीचा व अ य सभी दशाओं से ऊंचा हो उसे नागपृ वा तु कहा जाता ह। नागपृ भूिम
पर िनवास करने वाले क पु ी को अिधक क होते ह व प रवार म रोग क वृ होती ह।
िनवास हे तु उ र से ऊंची व द ण से नीची भूिम हो उसे यमवीथी भूखंड कहा जाता है । यमवीथी भूिम पर वास
करने से भवन म िनवास करने वाले रोग त होता है ।
िनवास थान हे तु असमान आकार वाली अथात भुजाओं व असमान कोण वाले भूखंड रोगकारक, शोककारक होते ह।
जस भूखंड का आकार घड़े के समान हो वहां िनवास करने वाले य य को कु का रोग होने क संभावना अिधक
रहती है ।
य द लाट क द ण दशा अगर द ू षत या अिधक खुली हो तो िनवास कता को श ु भय व रोग दान करने वाले
ोती ह।
य द घर का वाय य कोण सबसे बड़ा या यादा गोलाकार है तो गृ ह वामी को गु रोग होने क संभावना होती ह।
उ म वा य हे तु
िनवास हे तु उ म भवन द ण से ऊंचा व उ र से नीचा होना शुभ होता ह उसे गणवीथी भूखंड कहा जाता ह।
गणवीथी भूखंड पर िनवास करने से उ म आरो य क ाि होती ह व घर म रोग यदा दन नह ं रहता।
अब इन रं गो के पंचभूत त व पृ वी, जल, अ न, वायु और आकाश के बारे म जाने और उ ह समझ कर उनका योग
कर वशेष लाभ ा कर सके।
जल त व:- केसर या नारं गी एंव आसमानी रं ग का संचालन करता ह।
अ न त व:- लाल एवं पीले रं ग का संचालन करता ह।
वायु त व:- जामुनी रं ग का संचालन करता ह।
आकाश त व:- नीले रं ग का संचालन करता ह।
पृ वी त व:- हरे रं ग का संचालन करता ह।
मनु य के शर र मे उ प न होने वाले दोष भी इसी कार सात रं ग के कारण पैदा होते ह।
आयुवद म वायु दोष वायु त व नीले और जामुनी रं ग से उतप न होती ह।
प अ न त व के लाल रं ग से उतप न होता ह। कफ जल त व के केसर या नारं गी से उतप न होता ह।
पृ वी त व हरे रं ग से उतप न होता ह। पृ वी त व का ितिनिध व करने वाला हरा रं ग बा क सब रं गो म
सबसे ठं डा होता है । इसी िलए हमे कसी पेड़ या हरे रं ग के छपरे के नीचे होने से हमे कम गरमी लगती ह।
शायद इसी अनुसंधान के से आजकल ल टक के हर रं गके छपरे या ला टक लेट ( ीन इफे ट) वाली च र
क ब जोरो पर ह।
39 मई 2011
यादातर लोगो को गरमी म काला कपड़ा पहनने से अिधक गरमी भाव को कम करता ह।. प न
महसूस होती ह और सफेद कपड़ा पहनने से ठं डक महसूस होती ह गणेश के भाव से यापार और धन
म वृ म वृ होती ह। ब चो क
आपने भी अपने जीवन म कभी ना कभी यह ज र महसुश कया होगा
पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
क कसी रं ग वशेष के कपडे या अ य साम ी से आपको लाभा हो रहा
प ना गणेश इस के भाव से ब चे
ह या नु शान हो रहा ह।
क बु कूशा होकर उसके
कसी वशेष रं ग के कपडे पहनेते ह आपको यादा गु सा आजाता ह
आ म व ास म भी वशेष वृ होती
तो कभी कसी रं ग के कपडे पहने होने पर आपको गु सा बहोत कम ह। मानिसक अशांित को कम करने म
मा ा म या नह ं के बराबर आता ह यह भाव तो आपने सहज म ह मदद करता ह, य ारा अवशो षत
महसूस कया होगा।।यह सब खेल रं गो क माय का ह। हर व करण शांती दान करती ह,
नोट: उपरो सभी जानकार हमारे िनजी एवं हमारे ारा कये गये योगो एवं य के शार र के तं को िनयं त
करती ह। जगर, फेफड़े , जीभ,
अनुशंधान के आधार पर दगई ह।
म त क और तं का तं इ या द रोग
कृ या कसी भी कार के योग या रं ग या र का चुनाव करने से पूव
म सहायक होते ह। क मती प थर
वशेष क सलाह अव य ले।
मरगज के बने होते ह।
य द कोइ य वशेष क सलाह नह लेकर उपरो जानकार के योग
करता ह तो उसके लभा या हानी उसक वयं क ज मेदार होगी। इ से के Rs.550 से Rs.8200 तक
िलये कायालय के सद य या सं थपक ज मेदार नह ं ह गे।
हम उपयो लाभ का दावा नह ं कर रहे यह महज एक जानकार दान करे ने हे तु इस लोग पर उपल ध कराइ ह।
रं गोका भाव िन त ह इसमे कोइ दो राय नह ं क तु र एवं रं गो का चुनाव अ य उस क गुणव ा एवं सफाई पर
िनभर ह अ पतु वशेष क सलाह अव य ले ध यवाद।
40 मई 2011
वा तु एवं रोग
िचंतन जोशी
भवन के उ र-प म भाग(वाय य कोण) का संबंध वायु त व के साथ होता ह। वायु का ाण के साथ संबंध ह।
इस िलये भवन के वाय य कोण के यादा से यादा थानको खु ला राखना चा हये। इस कोने म भार सामन न हं
रखना चा हये या भार भवन का िनमाण न हं करना चा हये अ यथा ास से संबंिधत परे शानी, वायु वकार तथा
मानिसक रोग होने क संभावना अिधक बढ़ जाती ह।
जस भवन के वाय य कोण क सतह उ र-पूव क सतह से थोड ऊचाई पर एवं द ण-प म क सतह से थोड नीची
हो वह भवन िनवास हे तु शुभ होता ह।
जस भवन म उ र दशा क जगह अिधक होतो प रवार म म हला वग म वचा संबंधी रोग ए झमा, एलज इ या द
होने का खतरा बढ जाता ह।
य द भवन के प म म जगह उ र से अिधक होतो पु ष वग के िलये शार रक क होने का खतरा बढ जाता ह।
भवन के उ र-पूव (ईशान कोण) का संबंध जल त व के साथ होता ह।
जस भवन का ईशान कोण भार हो तो भवन म रे हने वाले लोगो के शर र म जल त व के असंतुलन के कारण विभ न
कार के रोग एवं परे शािनयां उतप न होती ह।
य द भवन का ईशान कोण जतना होसके खुला एवं हलका रखा जाये उतना शुभ होता ह।
य द भवन म ईशान कोण म रसोई घर होतो घरके सद यो म पेट से संबंिधत रोग एवं प रवार के सद यो के बचम
तनाव होता ह।
ईशान कोण म भूिमगत जल भंडार या घरम आनेवाले पानी क लाइन इस दशा मे होतो अित उ म होता ह।
य द घरम बीमार घर कर गई हो, तो रोगी को घर के ईशान कोण क और मुख करके दवाई का सेवन कराने से रोग
ज द थीक होजाता ह।
य द भवन का ईशान कोण कटा हो तो भवन म िनवास करने वाले लोग र - वकार एवं यौन रोग हो सकता ह एवं
य क जनन मता कमजोर होसकती ह।
य द ईशान कोण से उ र का भाग ऊंचा होय तो प रवार म ी वग का वा य पर खराब असर होता ह।
य द ईशान कोण से पूवनुं का भाग ऊंचा होय तो प रवार म पु षो के वा य पर खराब असर होता ह।
भवन के पूव -द ण (अ न कोण) का संबंध अ न त व के साथ होता ह।
जस भवन के अ न कोण म रसोई घरको वा तु क से शुभ मानागया ह।
जस भवन के अ न कोण म जल भंडार या ोत हो तो िनवास करने वाले उदररोग एवं प वकार होता ह।
भवन के द ण-पूव मे य द द ण का थान यादा होतो प रवार के पु ष सद यो म मानिसक परे शानी होती ह।
वा तुशा के अनुसार भवन का के थान( थान) को यदा मह व हया गया ह। जो वा तु म आकाश त व से
संबंध रखता ह। इस िलये इस थान को यथा संभव खाली रखना आव यक ह ज से प रवार के लोगो का वा य
उ म होता ह एवं प रवार का वकास शी होता ह।
भवन के थान पर कसी कार क अ व छता होने से प रवार के सद यो के वा य पर बुरा असर दे खा गया ह।
भवन के थान पर शौचालय, पगिथयां (सीड ), गटर, से ट टे क आ द होने से सद यो म कान क परे शानी,
बदनामी, धन हािन एवं प रवार के वकास म कावट होते दे खा गया ह।
41 मई 2011
ह त रे खा एवं रोग
िचंतन जोशी
य क हथेली म विभ न कार क रे खाऎ, पवत एवं उन पर उभर कर आने वाले तरह तरह के िच के बदलाव से य को
होने वाली बीमा रय का अंदाजा लगाया जासकता ह। हर ह के कुछ िन त िच होते ह। इन िच ो का भाव हथेली म ह के
पवत पर ह ने के अनु प शुभ-अशुभ फल क ाि होती ह।
ह त रे खा से जाने रोग
* दय रे ख पर काला बंद ु होना, या आयु रे खा पर नीला ध बा हो, या हाथ म वा ू -फूट हो, या म तक
य रे खाटट
रे खा के म य म काला ध बा हो तो य को वर से पीड़ा होती ह।
* य द चं ू
पवत पर गहर धा रयां ह , या म तक रे खा धुमावदार या टट हई
ु हो, या म तक रे खा पर ॉस का िच ह
हो, या म तक रे खा का शिन पवत के िनकट अंत होती ह , तो य क मानिसक बीमार से िसत होता ह।
ू कर ख म होती हो, चं
* म तक रे खा शिन पवत के नीचे टट पवत पर टे ढ -मेढ रे खाए ह , दय रे खा जंजीर के
समान ह कर अ प हो, तो य को पथर रोग होने क संभावना रहती ह।
* य द हथेली क रे खाएं पीली हो, या गु पवत अिधक उ नत हआ
ु हो, या नख लंबे एवं काले हो,म तक रे खा और शिन
पवत के नीचे क रे खा जंजीरनुमा हो, तीन मु य रे खाओं को कोई रे खा काट रह हो, तो य को य रोग एवं फेफड़
से संबंिधत रोग हो जाता ह।
* शिन पवत पर जाली हो, या कोई रे खा आयु रे खा एवं म तक रे खा को काटकर जाली को छुती हो, या चं मा पवत पर
ॉस हो, चं मा पवत पर अ त- य त रे खाएं ह , वा य रे ख धुमती हइ
ु शु पवत से जुडती हइ
ु कोई रे खा आयु रे खा
को काटकर म तक रे खा को काटती हुई दय रे खा से िमलती हो, तो य मधुमेह से पी ड़त रहता ह।
* य द हथेली अिधक पतली एवं लंबी हो, अंगुिलयां भी अिधक लचीली हो, या हथेली से थो ड बड़ हो, या म तक रे खा
तथा दय रे खा के बीच म अिधक अंतर हो, ह पवत क मुडने वाली ऊ वागामी रे खाएं अिधक हो, तो य म तक
वर से पी ड़त होता ह।
* य द चं पवत काफ उ नत हो चं पवत के नीचे का भाग पर काफ रे खाएं ह , आयु रे खा को छुती हई
ु कोई रे खा
चं पवत क ओर जा रह हो, तो य य को मू संबंधी बीमा रयां पी ड़त करती ह।
ह त रे खा से लकवा से पी ड़त होने के ल ण?
* य द दोन हाथ म शिन पवत पर न जेसा िच ह ।
* चं पवत पर जालीदार रे खाएं ह ।
* नख क आकार कोण जेसा ितत होरहा ह ।
* शिन पवत पर ॉस का िच ह ।
* दोन हाथ म आयु रे खा के अंत म न जेसा िच या भा य रे खा के अंत म शिन पवत पर न जेसा िच ह ।
* म तक रे खा म से कोई रे खा िनकलकर शिन पवत तक जाती ह या वहां तीन शाखा वाली रे खा ह ।
ु
* या तीन टकड़ म शु मु ा ह । म तक रे खा म शिन या सूय पवत के नीचे यव का िच ह ।
ु
* नाखून टकडो म बटे हवे
ु दखाई दे तो ह ।
उपरो ल ण म से य द एक भी ल ण य के हाथ म दखाई दे , तो य को लकवा रोग पी ड़त होने क संभावनाएं अिधक
होजाती ह।
नोट: उपरो सभी वणन पूण तः िस ा त पर आधा रत ह। उपरो ल ण यद य क हथेली म हो, तो उसके सू म
पर ण से य के शर र म पीड़ा दे ने वाली परे शानी या भ व य म होने वाली बीमार का पता लगाया जा सकता ह। इस
िमथुन ल न: िमथुन ल न म ज म लेने वाले जातक क कुंडली म ल नेश बुध ल न भाव और चतुथ भाव का वामी होता ह।
कुंडली म दशम म बुध नीच का होने, पर य सांस क नली, आंत ड़याँ, दमा, कफ जनीत रोग, गु रोग, गैस, सांस फूलना,
उदर रोग, वातरोग, कृ रोग, मंदा न, शूल, फेफड़े इ याद के रोग से पी ड़त हो सकता ह। य को यापार, नौकर , साझेदार
से भी परे शानी उठानी पड़ सकती ह। य को खासकर अपने पता से संबंधो म क ठनाईया आसकती ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को बुध ह क शांित हे तु बुधवार को हरा प ना, मूँग, घी, हरा कपड़ा, चाँद , फूल,
िसंह ल न : िसंह ल न वाले जातक का सूय तृ तीय म होगा तो नीच का होगा या ने , दय एवं ह ड से संबंिधत
बीमार अव य होगी। ऐसा जातक कुं ठत होगा। परा मह न होगा व बुरे काय म बल दखाने वाला होगा। ऐसा जातक
यथ क बात को लेकर झगड़े म पड़ने वाला होगा। इनके छोटे भाई-बहन नह ं ह गे। य द कसी कारणवश हए
ु भी तो
उनसे लड़ता-झगड़ता रहे गा, ले कन ये वयं भा यशाली ह गे य क भा य पर उ च पड़े गी।
शांित के उपाय: अिन भाव को कम करने के िलए मा णक वण म बनवाकर शु ल प को 9 से 10 के बीच पहन
व सूय दे व को ातः दध
ू िमला जल चढ़ाएँ। उपरो परे शानी होने पर य को सूय ह क शांित हे तु गेहूँ , ताँबा, घी,
गुड़, मा ण य, लाल कपड़ा, मसूरक दाल, कनेर या कमल के फूल, गौ दान करने से शुभ फल क ाि होती ह
क या ल न :क या ल न वाले जातक का बुध दशमेश होकर स म भाव म नीच का होने से दै िनक यापार- यवसाय
म हािन, पाटनर से धोखा, बेवफा प ी या पित िमलता है । ऐसा जातक शार रक से भावी होता है , ले कन नौकर
म सदै व परे शािनय से गुजरने वाला तथा शासन से अपयश ह िमलता है ।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को प ना पहनना चा हए। सवा कलो हरे खड़े मूँग बहते पानी म बहाएँ
व ित बुधवार मूँग क दाल का सेवन अव य सेवन कर, कोई भी एक हरा कपड़ा अव य पहन या माल या पेन रख।
नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य
को अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह।
नव ह को ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह।
गले म होने के कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को
लगते ह, वह गंगा जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे
अमृ त से उ म कोई औषिध नह ं, उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा
शा ो वचन ह। इस कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके
बनावाए जाते ह। GURUTVA KARYALAY
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45 मई 2011
तुला ल नतुला ल न वाल का वामी शु अ मेश होकर ादश भाव म होगा, जो नीच का होगा। ऐसे जातक द ु यसन
म खच करने वाले ह गे एवं इ ह अनैितक काय म जेल भी जाना पड़ सकता है । ऐसा य नशीले पदाथ का सेवन
करने वाला, अनेक य से संपक रखने वाला व त कर भी हो सकता है ।
शांित के उपाय: ऐसे जातक को ह रा तजनी म चाँद म जड़वाकर शु वार को धारण करना चा हए। उपरो परे शानी
होने पर य को शु ह क शांित हे तु ेत र , चाँद , चावल, दध
ू , सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरब ी, इ ,
सफेद चंदन दान करने से शुभ फल क ाि होती ह
वृ क ल न :वृ क ल न वाले जातक को ष ेश होकर नवम भा य भाव म नीच का मंगल होगा। ऐसे जातक को
भा यो नित म बाधा आती है । धम के ित लापरवाह होते ह। इ ह अनेक बार िगरने से चोट लगती है एवं ऑपरे शन
भी करना पड़ सकता है । लड ेशर के िशकार भी हो सकते ह। इनको भाइय से उ म सहयोग िमलता है । वह ं ये
परा मी भी होते ह। माता से श ुता रखने वाले भी हो सकते ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को मूँगा पहनना े य कर होता है । इनके िलए गुड़ का सेवन व गुड़
दान करना शुभ होता ह।
धनु ल न: धनु ल न वाले जातक को चतुथश होकर तीय भाव म नीच का गु होगा। ऐसे जातक को आँख क
बीमार , मोितया ब द भी होगा य कोगच मा भी लग सकता है । इनक वाणी कभी-कभी दसरे
ू लोगो को थोड
अ यवहारपूण लग सकती ह। इ ह प रवार से हािन तथा असहयोग िमलता रहता है । ऐसा जातक शी नशे के आिध
हो सकते ह।
शांित के उपाय: जातक के िलए पुखराज पहनना शुभदायक रहे गा। चने क दाल दान कर व गु वार को केले क जड़
म पानी सीच व पीले व अव य धारन कर।
मकर ल न: मकर ल न वाले जातक को तीयेश होकर चतुथ भाव म नीच का शिन होने से जातक का वभाव
अ यंत कठोर हो जाता ह। घुटन म दद व छाती म दद क िशकायत हो सकती है । य क अपनी माता से नह ं
बनेगी या बचपन से ह माता का साथ छूट जाएगा। मकान, भूिम, संप व वाहन से संबंिधत काय या िनवेश से हािन
पाएगा अथवा ल बे समय तक जमीन-जायदाद के मुकदम म फँसा रह सकता है । राजनैितक काय से परे शान रहे गी।
शांित के उपाय: ऐसे जातक को िनलम पहनना शुभ रहे गा। काले उड़द बहते पानी म बहाएँ व सरस के तेल, लोहे के
तवे का दान व को ढ़य को खाना खलाना शुभदायक रहे गा।
कुंभ ल न: कुंभ ल न वाले जातक को ादशेश होकर तृ तीय भाव म नीच का शिन होगा। ऐसे जातक को छोटे भाई-
बहन का सुख कम िमलता ह या नह ं िमलता। वह ं संतान से स ब धत क भी बना रहता ह। व ा म कमजोर
रहता है । हाथ म चोटे लग सकती ह। ु
वभाव भी कटता भरा होता है । जोड़ म दद, र ढ़ क ह ड बढ़ने का खतरा
रहता है । नाक, कान, गले क बीमार हो सकती है ।
शांित के उपाय: ऐसे जातक को िनलम या कटै ला पहनना शुभ रहे गा। काले उड़द बहते पानी म बहाएँ व सरस के
तेल, लोहे के तवे का दान व को ढ़य को खाना खलाना शुभदायक रहे गा।
46 मई 2011
मीन ल न: मीन ल न वाले जातक को दशमेश होकर एकादश भाव म नीच का गु होगा। ऎसा य थोडे यसनी,
घमंड , कटु वचन बोलने वाला हो सकता है । जातक के बड़े भाई-बहन का सुख पूण नह ं िमलता। ऐसे जातक को
पीिलया, दल म छे द, जगर क बीमार होती है । लोहे क व तु से हािन भी हो सकती है । प ी व संतान से पूण सुख
म कमी रहती है । िश ा उ म होती है ।
शांित के उपाय: जातक के िलए पुखराज पहनना शुभदायक रहे गा। चने क दाल दान कर व गु वार को केले क जड़
म पानी सीच व पीले व अव य धारन कर।
उपरो ल न वाले जातक को अिन भाव हो तो उनके बचाव हे तु साथ म दए गए अनुभूत उपाय
करने से क म अव य कमी आएगी। य को अपने कये गए कम का फलतो भोगना ह पडता
ह।
वशेष यं
िचंतन जोशी
अगर मनु य कुछ बात को जान ले तो वह अपने जीवन काल म सदै व व थ रह सकता है ।
आजकल बहत
ु से रोग का मु य कारण नायु-दबलता
ु और मानिसक तनाव होते ह। जसे दरू करने म अ यािधक लाभ द ह
इ ाथना ?
इसी कार ाणायाम मानिसक तनाव से होने वाले रोग से बचने के िलए लाभदायी ह।
ाणायाम
ित दन ाणायाम करने से शर र श शाली बनता है और मानिसक-शार रक रोग से र ा करता ह।
ाणायाम के साथ शु -सा वक वचारो से मानिसक एवं शार रक दोन कार के रोग से बचाव होता ह य द रोग हो, तो
छुटकारा िमलता ह।
सावधानीः
ाणायाम करते समय जतना समय धीरे -धीरे ास िभतर भरने म लगाया जाये, उससे दगु
ु ना समय वायु को धीरे -धीरे बाहर
िनकालने म लगाना चा हए।
भीतर ास रोकने को आ यांतर कुंभक व बाहर रोकने को बा कुंभक कहां जाता ह। रोगी और दबल
ु य के िलए
आ यांतर व बा दोन कुंभक करना लाभ द रहता ह।
ऐसे बा व आ यांतर कुंभक को पाँच-छः बार करने से नाड़ शु व रोगमु म अदभुत सहायता िमलती है ।
48 मई 2011
बार-बार वाद अथात जीभ के गुलाम होकर बना भूख के बार-बार खाने को, ठु स-ठु स कर आव य ा से अिधक मा ा म
कये गये भोजन को भी असंयम कहते ह।
बार-बार कुछ-न-कुछ खाते रहने के कारण य को अपच, म दा न, क ज, पेिचश, जुकाम, खाँसी, िसरदद, उदरशूल आ द रोग
होते ह। य द य जीवन म संयम का मह व न समझ तो जीवनभर दबलता
ु , बीमार , िनराशा से संमुखीन होता ह।
उ म वा य हे तु
ए यूिमिनयम के बतन का भोजन पकाने और खाने से बचे योक ए यूिमिनयम के बतन का भोजन ट .बी, दमा आ द कई
बीमा रय को आमं त करता है ।
मं िस ा
एकमुखी ा -Rs- 1250,2800 छह मुखी ा -Rs- 55,100 यारहमुखी ा -Rs- 2800
दो मुखी ा -Rs- 100,151 सात मुखी ा -Rs- 120,190 बारह मुखी ा -Rs- 3600
तीन मुखी ा -Rs- 100,151 आठ मुखी ा -Rs- 820,1250 तेरह मुखी ा -Rs- 6400
चार मुखी ा -Rs- 55,100 नौ मुखी ा -Rs- 820,1250 चौदह मुखी ा -Rs- 19000
पंच मुखी ा -Rs- 28,55 दसमुखी ा -Rs- ........ गौर षंकर ा -Rs-
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49 मई 2011
िचंतन जोशी
लाल कताब के उपाय
कसी य कत को य द ल बे समय से कोई बीमार हो, या एक बीमार समा होने के बाद दसर
ू कोई बीमार से त हो जाता हो
और यथा संभव य करने के उपरांत भी बीमार से छुटकारा नह ं िमलता हो , तो इसके िलए लाल कताब के यह उपाय कर।
1. ल बी बीमार से छुटकारा पाने के िलए शिनवार क रात को बेसन अथवा मकई क रोट बनाकर सरस के तेल से चुपड़कर रोगी
के िसर से सात बार उतारकर रोट को काले कु े को खलाएं। ऐसा करने से रोगी क तबीयत म सुधार होने लगता ह। इस उपाय
से ल बे समय से चली आ रह बीमार से भी मु िमल सकती ह।
3. य द कसी भी कार से रोगी क तबीयत म सुधार नह ं हो रहा हो, तो 43 दन लगातार रात के समय २ तांबे के िस के अपने
िसरहाने रखकर सोएं और ात: काल वह पैसे कसी सफाई कमचार को दे द।
4. गु सहायता के प म कभी भी क तान या शमशान घाट से गुजरते समय वहां पर कुछ पैसे िगरा द।
अ य उपाय:
5. येक शिनवार को ातः पीपल को तीन बार पश करके रोगी के शर र पर हाथ फेरले तथा एक लोटे म क चा
दध
ू , जल तथा गुड़ तीन डाल कर पीपल पर चढ़ाने से भी लाभ ा होता है ।
6. य द दवा आ द से रोग शांत न हो रहा हो तब- शिनवार को सूया त के समय हनुमानजी के मं दर जाकर हनुमान
जी को सा ांग द डवत ् णाम कर उनके चरण का िसंदरू घर ले आय।
घर लाकर इस मं से उस िस दरू को अिभमं त कर-
य द कोई य ायः बमार रहता ह उसे कसी व थ य (अथात जस य को कोई वशेष रोग न हआ
ु हो)
के व से पहनले तो उसे शी वा य लाभ ा करता ह।
50 मई 2011
सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।
कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के द:ु ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।
सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दसरे
ू य ओ पर भाव बना रहता ह।
सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दरू
होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।
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राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग
से धन लाभ होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती
थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन सुखमय यतीत हो सके
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52 मई 2011
व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं
आज के आधुिनक युग म िश ा ाि जीवन क मह वपूण आव यकताओं म से एक है । ह द ू धम म व ाक
अिध ा ी दे वी सर वती को माना जाता ह। इस िलए दे वी सर वती क पूजा-अचना से कृ पा ा करने से बु कुशा एवं
ती होती है ।
आज के सु वकिसत समाज म चार ओर बदलते प रवेश एवं आधुिनकता क दौड म नये-नये खोज एवं
संशोधन के आधारो पर ब चो के बौिधक तर पर अ छे वकास हे तु विभ न पर ा, ितयोिगता एवं ित पधाएं
होती रहती ह, जस म ब चे का बु मान होना अित आव यक हो जाता ह। अ यथा ब चा पर ा, ितयोिगता एवं
ित पधा म पीछड जाता ह, जससे आजके पढे िलखे आधुिनक बु से सुसंप न लोग ब चे को मूख अथवा बु ह न
या अ पबु समझते ह। एसे ब चो को ह न भावना से दे खने लोगो को हमने दे खा ह, आपने भी कई सैकडो बार
अव य दे खा होगा?
ऐसे ब चो क बु को कुशा एवं ती हो, ब चो क बौ क मता और मरण श का वकास हो इस िलए
सर वती कवच अ यंत लाभदायक हो सकता ह।
सर वती कवच को दे वी सर वती के परं म दलभ
ू तेज वी मं ो ारा पूण मं िस और पूण चैत ययु कया जाता
ह। ज से जो ब चे मं जप अथवा पूजा-अचना नह ं कर सकते वह वशेष लाभ ा कर सके और जो ब चे पूजा-
अचना करते ह, उ ह दे वी सर वती क कृ पा शी ा हो इस िलये सर वती कवच अ यंत लाभदायक होता ह।
मं िस प ना गणेश
भगवान ी गणेश बु और िश ा के कारक ह बुध के अिधपित दे वता ह। प ना गणेश बुध के
सकारा मक भाव को बठाता ह एवं नकारा मक भाव को कम करता ह।. प न गणेश के
भाव से यापार और धन म वृ म वृ होती ह। ब चो क पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
प ना गणेश इस के भाव से ब चे क बु कूशा होकर उसके आ म व ास म भी वशेष
वृ होती ह। मानिसक अशांित को कम करने म मदद करता ह, य ारा अवशो षत हर
व करण शांती दान करती ह, य के शार र के तं को िनयं त करती ह। जगर, फेफड़े ,
जीभ, म त क और तं का तं इ या द रोग म सहायक होते ह। क मती प थर मरगज के बने
होते ह।
Rs.550 से Rs.8200 तक
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53 मई 2011
फ टक गणेश
फ टक ऊजा को क त करने म सहायता मानागया ह। इस के भाव से यह य को नकारा मक उजा से बचाता ह
एवं एक उ म गुणव ा वाले फ टक से बनी गणेश ितमा को और अिधक भावी और प व माना जाता ह।
मू य Rs.550 से Rs.8200 तक
तं र ा
कवच को धारण करने से य के उपर कगई सम त तां क बाधाएं दरू होती ह, उसी के साथ ह
धारण कता य पर कसी भी कार क नकार मन श यो का कु भाव नह ं होता। इस कवच के
भाव से इषा- े ष रखने वाले सभी लोगो ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।
मू य मा : Rs.730
श ु वजय कवच
श ु वजय कवच धारण करने से य को श ु से संबंिधत सम त परे शािनओ से वतः ह छुटकारा िमल जाता ह।
कवच के भाव से श ु धारण कता य का चाहकर कुछ नह बगड सकते। मू य मा :Rs: 640
मं िस मूंगा गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन
के िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और
मानिसक श य का वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त
करने हे तु भी मूंगा गणेश क पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत
करने से भगवान गणेश क कृ पा श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह,
ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह।
ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार,
चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला,
चोर, तूफान, आग, बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से
मु िमलती ह।
जो य उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह।
मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि
होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण होजाता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
54 मई 2011
नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।
अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता
ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज
ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का
वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050
मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर बार-
बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं िस पूण
चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं िनत तर लाभ ा
होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730
मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550
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55 मई 2011
गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती ह
एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का संयु
आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को ऋण
मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए मंगल
यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क कमी,
गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय,
वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550
कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना करने वाले य के
िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक ो से धन का
ा होकर धन संचय होता ह।
मािसक रािश फल
िचंतन जोशी
मेष: 1 से 15 मई 2011 :पूण प र म एवं कड़ मेहनत से कये गये काय म सफलता
ा कर सकते ह। आ म व ास के बल पर अपनी आय म वृ कर सकते ह। कोट-
कचहर के काय म वलंब हो सकता ह। अनाव यक िच तामु पर से मु होकर अपने
काय पर यान लगाना उिचत होगा। हताशा और िनराशा वाले वचारो को यागदे । पता या
अ य बुजुग य से अनबन हो सकती है ।
16 से 31 मई 2011 : अपनी आिथक थित को सुधार के िलये कये गये उपाय कारगर
िस ह गे। आपको पा रवा रक या िम के साथ साझेदार ार धन लाभ ा हो सकता
ह। आपके साहिसक काय एवं ित पधा मक काय म सफलता ा होगी। वा य के ित सचेत रहे एवं अपने खान-
पान एवं आराम का वशेष यान रखे। आपके यास से नये िम ो से संबंध बना सकते ह।
कक:
1 से 15 मई 2011 : दरू थ थान से ितयोिगता के काय म बु मानी व चतुरता से शी लाभ और सफलता ा
करगे। यवसाियक या ा म सफलता ा हो सकती है । वा य सुख म वृ होगी फर भी
खाने- पीने का वशेष यान रखना हतकार रहे गा। पा रवा रक मतभेद हो सकते ह और
आपके वा य म िगरावट हो सकती ह। अपने प रवार के लोग एवं िम वग का पूण
सहयोग ा नह ं हो पायेगा।
िसंह:
1 से 15 मई 2011 : समय अनुकूल नह ं ह इस दौरान मह वपूण िनणय न ले और न
ह कोई नयी प रयोजना क शु आत कर। ऋण संब धत काय को थिगत करना
शुभ रहे गा। अ ात थानो क या से आिथक और मानिसक क हो सकता ह।
वरोिध एवं श ु प से मानहािन होने क संभावनाएं बन रह ह अतः उनसे दरू बनाएं
रखे। आप मानिसक तनाव और िच ता से त रह सकते ह।
क या:
तुला:
1 से 15 मई 2011 : नये काय एवं योजनाओं को थिगत करना अिधक लाभ द हो
सकता ह। आपके पूव से चलरहे काय कुछ समय के िलये क सकते ह। काय करते
व सावधान रहे उचाई से िगरने से या उपर से कसी व तु के िगरने से आपको चोट
लगने क संभावना ह। य- व य के िलये समय उपयु नह ं ह। वरोिध एवं श ु
प से सावधान रह अनाव यक कोई ववाद खडा हो सकता ह।
धनु:
1 से 15 मई 2011 : यह अविध आपके िलये ितकूल सा बत हो सकती ह। आक मक
काय हे तु भार मा ा म धन खच हो सकता ह। पुराने ऋण का भुगतान करने का यास
करे । आपक पदौ नती हो सकती या यवसाय म आक मक धन लाभ ा हो सकते
ह। अ यािधक लाभ के च कर म गैरकानूनी काय करने से बच बुरे लोगो क संगत से
दरू रह।
मकर:
1 से 15 मई 2011 : इस दौरान आपको अनुकूल प रणामो क ाि होगी। आपका
मन अ यािधक संवेदनशील रह सकता ह। आपक मह वपूण योजनाओं से भ व य को
बेहतर बनाया जा सकता है । सामा जक मान-स मान और पद- ित ा म वृ होगी।
मानिसक नता बढे गी। आव यकता से अिधक संघष करना पड सकता है । प रवार और
िम का सहयोग ा होगा। वा य म सुधार होगा।
कुंभ:
1 से 15 मई 2011 : इस दौरान नौकर यवसाय म बदलाव हो सकता ह या
थानांतरण हो सकता ह। ित पधा मक काय एवं पूं ज िनवेश के काय म हानी होने
के योग बन रह ह। आपको बकाया भुगतान एवं आक मक धन क ाि हो सकती ह।
आपक मानिसक िचंताएं दरू होगी आपका मन शांत एवं स न रहे गा। वाहन सावधानी
से चलाये या वाहन से सावधान रहे ।
मीन: 1 से 15 मई 2011 : इस दौरान आपको अपनी योजनाओं म अनुकूल फल क ाि होगी। नयी प रयोजना क
शु आत करने हे तु समय लाभ द रहे गा। इस अविध म बना कसी बाधा के आप
अपने ल य को ा कर सकते ह। आप अपनी िनयित के अनुसार कुशलता और
बु मानी से मह वपूण काय को पूण करने म समथ होगे। भूिम-भवन से संबंिधत
मामलो म य- व य करना लाभदायक रहे गा।
रािश र
मूंगा ह रा प ना मोती माणेक प ना
Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.
तुला रािश: वृ क रािश: धनु रािश: मकर रािश: कुंभ रािश: मीन रािश:
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61 मई 2011
1 रव वैशाख कृ ण योदशी 08:12:46 रे वित 23:30:35 वषकुंभ 16:42:46 व णज 08:12:46 मीन 23:31:00
ीित
सोम वैशाख कृ ण चतुदशी 10:24:07 अ नी 10:24:07 मेष
2
26:07:14 17:23:11
शकुिन
अमाव या
मंगल वैशाख कृ ण 12:20:29 भरणी 28:27:59 आयु मान 17:51:25 नाग 12:20:29 मेष
3
4 बुध वैशाख शु ल एकम 13:59:02 कृितका 30:28:06 सौभा य 18:05:36 बव 13:59:02 मेष 10:59:00
7 शिन वैशाख शु ल चतुथ 16:33:16 मृगिशरा 09:19:13 सुकमा 17:00:28 व 16:33:16 िमथुन
8 रव वैशाख शु ल पंचमी 16:30:39 आ ा 10:04:24 धृित 15:55:58 बालव 16:30:39 िमथुन 28:20:00
नवमी-
12 गु वैशाख शु ल 10:58:49 मघा 07:56:00 ुव 07:22:15 कौलव 10:58:49 िसंह
दशमी
13 शु दशमी -
वैशाख शु ल 08:22:33 पूवाफा गुनी 06:09:25 हषण 24:44:06 गर 08:22:33 िसंह 11:39:00
एकादशी
14 शिन वैशाख शु ल ादशी 26:11:36 ह त 25:37:51 व 21:04:06 बव 15:50:03 क या
16 सोम वैशाख शु ल चतुदशी 19:40:25 वाती 20:43:13 यितपात 13:30:06 गर 09:16:58 तुला
17 मंगल वैशाख शु ल पू णमा 16:38:55 वशाखा 18:31:25 व रयान 09:52:58 व 06:07:58 तुला 13:02:00
21 शिन ये कृ ण चतुथ 09:29:22 पूवाषाढ़ 14:47:10 शुभ 21:40:37 बालव 09:29:22 धनु 20:55:00
25 बुध ये कृ ण अ मी 13:22:59 शतिभषा 21:52:02 वैध ृित 21:39:51 कौलव 13:22:59 कुंभ
28 शिन ये कृ ण एकादशी 20:22:53 रे वित 30:34:08 आयु मान 24:21:56 बव 07:13:30 मीन
29 र व ये कृ ण ादशी 22:31:01 रे वित 06:34:46 सौभा य 25:04:46 कौलव 09:29:09 मीन 06:34:00
मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ फ़लदयी यं
है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए फायदे मंद सा बत होता
है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये " ी यं " अ य त फ़लदायी
िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे समाई अ ितय एवं अ यश
मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका जीवन से हताशा और िनराशा दरू होकर वह
मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित
है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का
िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से
स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12
ाम से 75 ाम तक क साइज मे उ ल ध है मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00
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63 मई 2011
नवमी-
12 गु वैशाख शु ल 10:58:49 जानक नवमी त, केरल म चूर पोरम ्,
दशमी
23 सोम ये कृ ण ष ी 10:06:54
29 रव ये कृ ण ादशी 22:31:01
मं िस यं
गु व कायालय ारा विभ न कार के यं कोपर ता प , िसलवर (चांद ) ओर गो ड (सोने) मे
विभ न कार क सम या के अनुसार बनवा के मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु कये जाते
है . जसे साधारण (जो पूजा-पाठ नह जानते या नह कसकते ) य बना कसी पूजा अचना- विध
वधान वशेष लाभ ा कर सकते है . जस मे िचन यं ो स हत हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाए
गये यं भी समा हत है . इसके अलवा आपक आव यकता अनुशार यं बनवाए जाते है . गु व कायालय
ारा उपल ध कराये गये सभी यं अखं डत एवं २२ गेज शु कोपर(ता प )- 99.99 टच शु िसलवर
(चांद ) एवं 22 केरे ट गो ड (सोने) मे बनवाए जाते है . यं के वषय मे अिधक जानकार के िलये हे तु
स पक करे
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66 मई 2011
ववाह संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार ा
कर।
िश ा से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण प र म
एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य करवाले और
उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से
जनकार ा कर।
या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं ह?
अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म सफलता ा
कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये गु व कायालत
ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य यु विभ न कार के
य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
ओने स
जो य प ना धारण करने मे असमथ हो उ ह बुध ह के उपर ओने स को धारण करना चा हए।
उ च िश ा ाि हे तु और मरण श के वकास हे तु ओने स र क अंगूठ को दाय हाथ क सबसे छोट
उं गली या लॉकेट बनवा कर गले म धारण कर। ओने स र धारण करने से व ा-बु क ाि हो होकर मरण
श का वकास होता ह।
67 मई 2011
योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ दो गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह
दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार
ह चलन मई -2011
द Jup
Sun Mon Ma Me Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 00:16:16 11:21:02 11:28:11 11:21:08 11:28:16 11:17:52 05:17:53 08:00:16 02:00:16 11:08:42 10:06:36 08:13:22
2 00:17:14 00:02:59 11:28:56 11:21:45 11:28:30 11:19:05 05:17:49 08:00:07 02:00:07 11:08:45 10:06:37 08:13:21
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6 00:21:07 01:21:58 00:01:58 11:24:48 11:29:27 11:23:56 05:17:35 07:29:48 01:29:48 11:08:56 10:06:41 08:13:18
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31 01:15:12 00:23:39 00:20:39 01:00:25 00:05:01 00:24:17 05:16:34 07:29:25 01:29:25 11:09:54 10:06:54 08:12:51
71 मई 2011
सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।
उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।
भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दरू करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।
कवच के लाभ :
एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।
नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।
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73 मई 2011
मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महत
ू म शुभ दन को तैयार कये जाते है . अलग-अलग कवच तैयार करने केिलए अलग-अलग तरह के
मं ो का योग कया जाता है .
य चुने मं िस कवच?
उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
कोई बुरा भाव नह ं
कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु
कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700/- ऋण मु कवच - 730/- वरोध नाशक कवचा- 550/-
सवजन वशीकरण कवच - 1050/-* नव ह शांित कवच- 730/- वशीकरण कवच- 550/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच - 1050/- तं र ा कवच- 730/- प ी वशीकरण कवच - 460/-*
आक मक धन ाि कवच-910/- श ु वजय कवच - 640/- * नज़र र ा कवच - 460/-
भूिम लाभ कवच - 910/- पद उ नित कवच- 640/- यापर वृ कवच - 370/-
संतान ाि कवच - 910/- धन ाि कवच- 640/- पित वशीकरण कवच - 370/-*
काय िस कवच - 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच- 640/- दभा
ु य नाशक कवच - 370/-
काम दे व कवच - 820/- म त क पृ वधक कवच- 640/- सर वती कवक - 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच- 550/- सर वती कवक- 280/- क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच - 730/- व न बाधा िनवारण कवच- 550/- वशीकरण कवच - 280/-* 1 य के िलए
Shastrokt Yantra
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 09338213418, 09238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- chintan_n_joshi@yahoo.co.in, gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
GURUTVA KARYALAY
76 मई 2011
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
77 मई 2011
In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
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78 मई 2011
सूचना
प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।
प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।
अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।
हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।
यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।
हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हई
ु ह।
पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।
FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का मई -2011
संपादक
िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग
गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA
फोन
91+9338213418, 91+9238328785
ईमेल
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,
वेब
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80 मई 2011
हमारा उ े य
य आ मय
बंध/ु ब हन
जय गु दे व
जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दलभ
ु मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
GURUTVA KARYALAY
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MAY
2011