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गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का मई- 2011

अकाल मृ यु एवं असा य कु डली से


रोग से मु वा य लाभ

अंक योितष और योितष ारा


वा थ रोग िनदान

वा तु एवं रोग ह त रे खा
एवं रोग

रोग िनवारण के
सरल उपाय

महामृ युंजय जप विध र एवं रं ग


ारा रोग िनवारण
NON PROFIT PUBLICATION
FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का मई 2011
संपादक िचंतन जोशी
गु व योितष वभाग

संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
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प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी


फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट
हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल)

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अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
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GURUTVA KARYALAY
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3 मई 2011

वशेष लेख
महामृ युंजय-अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु 7 व न और रोग 34

कु डली से जाने वा य लाभ के योग 9 रोग होने के संकेत 36

अंक योितष और वा थ 12 र एवं रं ग ारा रोग िनवारण 37

योितष ारा रोग िनदान 16 वा तु एवं रोग 40

महामृ युंजय जप विध 21 ह त रे खा एवं रोग 41

उ म वा य लाभ के िलये करे सूय तो का पाठ 29 ज म कुंडली म नीच ल नेश से रोग और परे शानी? 43

उ म वा य लाभ के िलये शयन और वा तु िस ांत 30 ाकृ ितक िच क सा से उ म वा य लाभ 47

उ म वा य लाभ के िलये भोजन और वा तु


31 रोग िनवारण के सरल उपाय 49
िस ांत

सव रोग नाशक महामृ यु जय मं अचूक भावी 32 सव काय िस कवच 50

अनु म
संपादक य 4 दन-रात के चौघ डये 68

राम र ा यं 51 दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक 69

व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं 52 ह चलन मई -2011 70

मं िस प ना गणेश 52 सव रोगनाशक यं /कवच 71

मं िस साम ी 53 मं िस कवच 73

मािसक रािश फल 56 YANTRA LIST 74

रािश र 60 GEM STONE 76

मई 2011 मािसक पंचांग 61 BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION 77

मई -2011 मािसक त-पव- यौहार 63 सूचना 78

मं िस साम ी 66 हमारा उ े य 80

मई 2011 - वशेष योग 67

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 67


4 मई 2011

संपादक य
य आ मय

बंधु/ ब हन

जय गु दे व
हमारे ऋ ष-मुिन और योितषाचाय ने बड ह सरलता से हर बीमार का संबंध हो के साथ होने का उ लेख योितष ंथो मे
कया ह।
य क ज म कुंडली म ज म समय म थत हो क थती, हो क महादशा, अंतर दशा एवं हो के वतमान समय के हो
क थित से य के वा य एवं रोग का आंकलन होता ह।
आपने ायः दे खा होगा व थ य भी कभी-कभी अचानक बीमार पड़ जाता ह। जो दरसल खान-पान म बरती गई कोई
लापरवाह हो सकती ह। कभी-कभी य को आनुवांिशक यानी माता- पतासे ा रोग हो सकते है ।
योितष व ान के मत से य के ज म समय पर ह क थित एवं भाव से य को उ के कस मोड़ पर उसे कोनसी
बीमार हो यह सुिन त कर सकते ह। य द समय से पहले पता चल जाये य कब कस रोग से पी ़डत हो सकता ह, तो पहले
से सचेत होकर रोग का से बचाव हे तु या उसका िनदान कया जा सकता ह। यो क समय से पूव रोग के बारे म पता चलने से
य खान-पान म परहे ज कर बीमार को कम करने या टालने का यास कर सकता ह।
ज म कुंडली मे रोग का िनणय कुंडली के छठे भाव म थत ह, छठे भाव के वामी क थित छठे भाव पर ह क , छठे
भाव का कारक ह के आधार पर जान सकते ह, क भ व य म जातक कस रोग से पी डत हो सकता ह।
कुछ मु य बात को समझ कर आप कसी भी य क ज म कुंडली से होने वाले रोग के बारे म सचेत कर सकते ह। वैसे भी
आकाश म मण करते सभी ह और न रोग उ प न कर सकते ह।

हमारे िलए आज क आधुिनक िच क सा प ित कतनी लाभदायक ह?

आज क उ नत कह जाने वाली आधुिनक िच क सा के वशेष कहते ह। हमार सभी दवाइयाँ वष के समान ह और


इसके फल व प दवाई क हर मा ा रोगी क जीवनश का ास करती जाती है ।

आजकल जरा-जरा से रोग- बमार म त काल ऑपरे शन क सलाह दे द जाती ह?, य द आपके कसी वधुत उपकरण या
वाहन को ठक करने वाला मैकेिनक भी य द कह इस उपकरण या वाहन का यह पुजा बदलने पर भी आपका उपकरण या
वाहन ठ क होगा क नह ं इस क कोई गार ट नह ं ह? तो कोई भी य उस मैकेिनक के यहां अपने उपकरण क
मर मत नह ं करवाता। परं तु कसे सजन-डॉ टर के मामले मे यह बात लागू नह ं होती। हर सजन-डॉ टर ार ऑपरे शन
क गार ट न दे ने पर भी हम लोग ऑपरे शन करवा ने के िलए मजबूर हो जाते ह !

आयुवद एवं अ य अनेको िच क सा प ित के वशेष क माने तो बहोत से मामलो म ऑपरे शन के ारा शर र के अशु
य को िनकालने क अपे ा ाकृ ितक िच क सा जैसे जल, िम ट , सूय करण और शु वायु क मदद से उ ह बाहर िनकालना
एक सुर त और सु वधाजनक उपाय ह। कसी अनुभवी िच क सक क सलाह लेकर अनुकूल आहार एवं व ाम करके भी पूण
वा य-लाभ पाया जा सकता ह।
5 मई 2011

स चा वा य सुख य द कसी दवाइय से िमलता तो कोई भी सजन, डॉ टर, कैिम ट या उनके प रवार का कोई भी सद य
कभी बीमार नह ं पड़ता।

यद उ म वा य सुख बाजार म खर दने से िमल जाता तो संसार म


कोई भी धनवान रोगी नह ं रहता। कसी भी य वशेष को वा य
सुख इं जे शन , अ याधुिनक यं , िच क सालय और डॉ टर क बड से
बड डि य से नह ं िमलता। वा य सुख वा य के िनयम का पूण तः
पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से िमलता ह।

जानकारो के माने तो मानव शर र म व वध रोग अशु और अखा


भोजन, अिनयिमत रहन-सहन, संकुिचत वचार धारा तथा दसरो
ू से छल-
कपट से भरा यवहार रखने से होते ह।

कसी भी बीमार को कोई भी दवाई थायी इलाज नह ं कर सकती।


दवाईयां थोड़े समय के िलए एक रोग को दबाकर, कुछ ह समय म दसरा
ू रोग को उभार दे ती है ।

इसी िलये लोगो को दवाइय क गुलामी से बचकर, अपना आहार- वहार शु , रहन-सहन िनयम से, वचारो से उदार एवं
स न बने रहगे। आदश आहार- वहार और वचार- यवहार ये चारो और से मनु य के वा य सुख म वृ होती ह।

सद -गम सहन करने क श , काम एवं ोध को िनयं ण म रखने क श , क ठन प र म करने क यो यता, फूित,
सहनशीलता, हँ समुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहर नींद – ये स चे वा य के मुख ल ण ह।

दवाईयो के वषय म एक सामा य बात दे खने को आती ह, क कसी य को पहले कोई एक बमार हई।
ु जैसे
मानल कसी को मधुमेह(सुगर, डायां ब टस) हो गया डॉ टर को दखाने से डॉ टर ने कहां मधुमेह का हवां
ु ह तो आपको
अमुक-अमुक दवाईयां जीवन भर लेनी पडे गी।

दवाईयां चलती रह कुछ दन-स ाह-म हने बते दवाईय के उपरांत भी वा य लाभ नह ं मधुमेह क जांच क तो
उसम और इजाफा हो गया पूरानी दवाईयां काम नह ं कर रह ह। डॉ टर ने दवाइय का पावर बढा दया पहले से
अिधक पावर वाली दवाई िलखद । उस के साथ-साथ दवाईयां और २-४ रोग ले आई जैसे उ च र चाप (हाई.बी.पी),
इ याद बमार यां सामनी आितगई दवाओं क सं या कम होने क अपे ा बढती गई।

दो दवाइ-दो क चार-चार क आठ और नजाने कतनी, फर समय आया डॉ टर साहाब ने बताया मधुमेह क दवाइया
अब आपके डायां ब टस को कं ोल म नह ं कर पारह ह। आपको अब ई युलीन लेना होगा। डॉ टर क सलाह पर
ई युलीन लेना शु कया कुछ दन बाद, ई युलीन क मा ा 5mg से बढकत 7mg हई
ु फर कुछ दन बाद 7mg से
10mg हो गई अभी भी डायां ब टस कं ोल म नह ं हो रहा उसक वजह से दनो- दन रोग क सं या म वृ होती
गई। अब करे तो या कर?

य क दनचाया म कोई वशेष अंतर नह ं ह। उ टा दवाईयो के भाव व डॉ टर साहब के कहने से पहले से भोजन
क मा ा कम हो गई िमठा खाना भी छोड दया अभी भी डायां ब टस कं ोल म नह ं हो रहा, अब या कर?
6 मई 2011

कसी बडे डॉ टर के पास गएं उ ह ने दवाई बदली/ई युलीन क कंपनी बदल द । पहले से दवाईयां महे गी हो गई
कुछ दन ठक रहा डायां ब टस कं ोल म रहा फर से दसर
ू बमार ने सताया जाचं क पायां सुगर कं ोल म ह। अब
हाई.बी.पी हो गया ह। कं ोल म नह ं आरहा पुरानी दावाई से और अिधक पावर वाली दवाईयां लेनी पडे गी।

यह म चलता ह रहता ह। दवाईय से रोग कम होने क अपे ा अ य रोगो म वृ होती गई। 5-10 पहले य क
जो दवाई थी या उसक मा ा थी उसम कई गुना वृ होगई।

डॉ टर से पुछा एसा य डॉ टर बोले आपको अपने खान-पान पर अिधक कं ोल

रखना होगा। रोगी बेचारा परे शान करे तो या कर पेहले से आधा-आधे से


आधा भोजन कर दया अब डॉ टर साहब बोल रहे ह कं ोल करो और कतना
कं ोल कर।
या दवाईय पर ज दा रहगे?

उिचत िच क सक से य द उिचत परामश ा नह ं हो, तो एसी हालत हो


जाती जीवन म ह। य द बमार हई
ु ह और 5-10 वष तक हजारो-लाख
पयो क तरह-तरह क दावाईय का सेवन करने के प यात य द आपको
कं ोल करना पडे ़ उ से तो बेहतर ह। बमार के साथ ह ं कं ोल करले क
दवाईय का सेवन िनयमी नह ं करना पड।

कसी जानकार िच क सय से सलाह ा कर ाकृ ितक िच क सा प ित को अपनाने

का यास कर जसम नु शान क संभावना नह ं हो और बमार जड़से िनकल जाएं। उसी के साथ संयम और िनती-
िनयमो का भी पालन कर।

नोट: उपरो जानकार केवल अनुभवो एवं हमारे -बंधुबांधवो से ा जानकार के आधार पर हमारे पाठको के मागदशन
हे तु दगई ह। इस जानकार का उ े य कसी य - वशेष, सं था, या संबंिधत े से जुडे यवसायीक लोगो को
नु शान पहचाना
ु नह ं ह केवल जानकार मा ह। इस को मानना न मानना य के िनजी वचारो और आव य ा
पर िनभर ह।

भगवान ने जतने डॉ ट-वै -सजन बनाएं ह। डॉ टर बनने के साथ ह उतने रोगी भी भगवान ने तय कर दये ह, नह ं
तो उनक दकान
ु -घर कैसे चलेगा। आजके आधुिनक डॉ टर और िच क सको को आधुिनक ान के साथ-साथ
ाकृ ितक िच क सा पर जोर दे ना चा हए इसी उ े य से उपरो जानकार यां द गई ह। अनेक मामलो म आधुिनक
डॉ टर और िच क सको क अपनी वशेषताएं भी कम नह ं ह। योक आक मक धटनाओं एवं आपातकालीन समय
पर आधुिनक डॉ टर और िच क सको क मह वता कम नह ं ह। यो क य द कसी का ए सीडे ट हो गया ह, गोली
लग गई ह, हाटएटे क आया ह, इ याद अवसरो पर आधुिनक िच क सा का कोई सानी नह ं ह। योक एसी अव था म
केवल आधुिनक िच क सा ह पी डत का शी बचाव कर सकती ह। आयुवद या अ य ाकृ ितक िच क सा यहां काम
नह ं आती। आपातकालीन थती म य क जान बचाने म आधुिनक िच क सा प ित ह उ म होती ह।

िचंतन जोशी
7 मई 2011

महामृ युंजय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु के िलये शी भा व उपाय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु के िलये शी भा व उपाय
महामृ युंजय
मानव शर र म जो भी रोग उ प न होते ह उसके बारे म शा ो म जो उ लेख ह वह इस कार ह
"शर रं यािधमं दरम ्" अथात ् ांड के पंच त व से उ प न शर र म समय के अंतराल पर नाना कार क आिध-
यिघ पीडा़ए उ प न होती रहती ह।
योितष शा एवं आयुवद के अनुसार मनु य ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य के शर र म विभ न
रोग के प म गट होत ह।

ह रत स हं ता के अनुशार:

ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते।


त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥

अथातः पूव ज म म कये गये पाप कम ह यािध के प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह।


तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।

शा ो वधान के अनुशार दे वी भगवती ने भगवान िशव से कहा क, हे दे व! आप मुझे मृ यु से र ा करने वाला और


सभी कार के अशुभ का नाश करने वाल कवच बतलाईये? तब िशवजी ने महामृ युंजय कवच के बारे म बतलाया।
व ानो ने महामृ युंजय कवच को मृ यु पर वजय ा करने का अचूक व अ ू त उपाय माना ह। आज के इषा भरे
युग म हर मनु य को सभी कार के अशुभ से अपनी र ा हे तु महामृ युंजय कवच को अव य धारण करना चा हये।

अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से व ान ा णो ारा सवा


लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच अ यंत भावशाली होता ह।
अमो महामृ युंजय कवच धारण कर अ य साम ी को अपने पूजा थान म था पत करने से अकाल मृ यु तो
टलती ह ह, मनु य के सव रोग, शोक, भय इ या द का नाश होकर व थ आरो यता क ाि होती ह।
य द जीवन म कसी भी कार के अ र क आशंका हो, मारक हो क दशा का अशुभ भाव ा होकर
मृ यु तु य क ा हो रहे हो, तो उसके िनवारण एवं शा त के िलये शा म स पूण विध- वधान से महामृ युंजय
मं के जप करने का उ लेख कया गया ह। मृ युजय दे वािधदे व महादे व स न होकर अपने भ के सम त रोगो का
हरण कर य को रोगमु कर उसे द घायु दान करते ह।
मृ यु पर वजय ा करने के कारण ह इस मं को मृ युंजय कहा जाता है । महामृ यंजय मं क म हमा का
वणन िशव पुराण, काशीखंड और महापुराण म कया गया ह। आयुवद के ंथ म भी मृ युंजय मं का उ लेख है ।
मृ यु को जीत लेने के कारण ह इस मं को मृ युंजय कहा जाता है ।
8 मई 2011

महामृ युंजय मं का मह व:
मृ यु विन जतो य मात ् त मा मृ युंजय: मृ त: या मृ युंजयित इित मृ युंजय,
अथात: जो मृ यु को जीत ले, उसे ह मृ युंजय कहा जाता है ।

मं जप के िलए वशेष:
यः शा विध मृ सृ य वतते काम कारतः। न स िस मवा नोित न सुखं न परांगितम॥् ( ीम भगव गीता:षोडशोऽ याय)

भावाथ : जो पु ष शा विध को यागकर अपनी इ छा से मनमाना आचरण करता है , वह न िस को ा होता है , न परमगित


को और न सुख को ह ॥23॥

योितषशा के अनुशार दख
ु , वप या मृ य के दाता एवं िनवारण के दे वता शिनदे व ह, यो क शिन य
के कम के अनु प य को फल दान करते ह। शा ो के अनुशार माक डे य ऋ ष का जीवन अ यंत अ प था, परं तु
महामृ युंजय मं के जप से िशव कृ पा ा कर उ ह िचरं जीवी होने का वरदान ा हवा।
ु भगवान िशवजी शिनदे व के
गु भी ह इस िलए महामृ युंजय मं के जप से शिन से संबंिधत पीडा़ए दरू हो जाती ह।
जो मनु य पूण विध- वधान से महामृ युंजय मं का जप व अनु ान संप न करने म असमथ हो! वह य
संपूण ाण ित त अमो महामृ युंजय कवच व साम ी गु व कायालय ारा बनवा सकते ह।

नोट: य अपने कूल ा ण/पुरो हत ारा भी पूण विध- वधान से मं जप व अनु ान संप न करवा सकते ह।
य द आप अनु ान से संबंिधत यं व अ य साम ी ा करना चाहते ह तो गु व कायालय म संपक कर।

अमो महामृ युंजय कवच


अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से व ान ा णो ारा
सवा लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच अ यंत भावशाली होता ह।

अमो महामृ युंजय कवच


अमो महामृ युंजय
कवच बनवाने हे तु:
अपना नाम, पता-माता का नाम, कवच
गो , एक नया फोटो भेजे द णा मा : 10900

संपक कर: GURUTVA KARYALAY


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9 मई 2011

कु डली से जाने वा य लाभ के योग


 िचंतन जोशी
सभी य वयं के और अपने वजनो के उ म वा य क कामना करता
है । ले कन हमारा शर र म विभ न कारणो से वा य संबंिधत परे शािनयां समय के
साथ-साथ आती-जाती रहती ह।

?
ले कन य द बमार होने पर वा य म ज द सुधार नह ं होता तो, तरह-
तरह क िचंता और मानिसक तनाव होना साधारण बात ह। क वा य म सुधार
कब आयेगा?, कब उ म वा य लाभ होगा?, वा य लाभ होगा या नह ?ं , इ या द
उठ खडे हो जाते ह।
मनु य क इसी िचंताको दरू करने के िलए हजारो वष पूव भारतीय
योितषाचाय न कुंडली के मा यम से ात करने क व ा हम दान क ह।
जस के फल व प कसी भी य के वा य से संबंिधत ो का योितषी गणनाओं के मा यम से सरलता से समाधन
कया जासकता ह!
कुंडली के मा यम से वा य से संबंिधत जानकार ा करने हे तु सव थम कुंडली म रोगी के शी वा य
लाभ के योग ह या नह ं यह दे ख लेना अित आव यक ह।
आपके मागदशन हे तु यहां वशेष योग से आपको अवगत करवा रहे ह।

ल नम थत ह या ल नेश से रोग मु के योग।


 य द ल न म बलवान ह थत हो तो रोगी को शी वा य लाभ दे ते ह।
 कुंडली म य द ल नेश (ल न का वामी ह) और दशमेश (दशम भाव का वामी ह) िम हो तो रोगी को शी
वा य लाभ दे ते ह।
 कुंडली म चतुथश (चतुथ भाव का वामी ह) और स मेश (स म भाव का वामी ह) के बीच िम ता हो तो शी
वा य लाभ के योग बनते ह।
 य द ल नेश (ल न का वामी ह) का च के साथ संबंध हो और च शुभ ह से यु या हो या के मे थत
हो तो शी वा य लाभ होता ह।
 य द कुंडली म ल नेश (ल न का वामी ह) और च शुभ हो से यु या होकर के म थत हो और स मेश
व न हो एवं अ म भाव के वामी ह से भाव मु हो तो शी वा य लाभ होता ह।

च मा से रोग मु के योग
 यदच वरािश या उ च रािश मे बलवान हो कर कसी शुभ ह से यु हो या हो तो रोगी को शी वा य लाभ
होते दे खा गया ह।
10 मई 2011

 यद कुंडली म य द च चर रािश अथात वभाव रािश म थत हो कर ल न या ल नेश से हो तो शी


वा य लाभ क संभावना बल होती ह।
 यदच वरािश से चतुथ या दशम भाव म थत हो तो शी वा य लाभ हो ने के योग बनते ह।
 कुंडली म शुभ हो से च या सूय ल न म, चतुथ या स म भाव म थत हो तो शी वा य लाभ के योग
बनते ह।
कुंडली के मा यम से वा य लाभ म वल ब होने के योग दे ख लेना भी आव यक होता ह।

वा य लाभ म वलंब होने के योग


 सधारणतः जातक म ष म भाव व ष ेश से रोग को दे खा जाता ह।
 कुंडली म य द ल नेश और दशमेश के बीच अथवा चतुथश और स मेश हो के बीच म श ुता हो तो रोग बढने क
संभावनाऎ अिधक होती ह और वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।
 कु डली म य द ष ेश अ मेश अथवा ादशेश के साथ युित या ी संबंध बनाता हो तो वा य लाभ क संभावना
अिधक कम होती ह और वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।
 कु डली म य द ल न मे च या शु क थत हो तो रोग शी पीछा नह ं छोडता।
 कु डली म य द ल नेश एवं मंगल क कसी ह भाव म युित हो तो वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।
 य द ल नेश ादश भाव मे थत हो तो रोगी दे र से रोगमु होने क संभावनाऎ होती ह।
 य द ल नेश ष म, अ म भाव मे थत हो और अ मेश के मे थत हो तो रोग शी दरू नह ं होते।

यद कुंडली म वा य लाभ म वलंब होने के योग बन रहे हो तो िचंितत होने के बजाय शा ो उपाय
इ या द करना लाभदायक िस होता ह। एसी थती म व ानो के मत से महामृ युंजय मं -यं का योग शी
रोग मु हे तु रामबाण होता ह।

कुंडली का अ ययन करते समय यह योग भी दे खले क रोगी को उिचत उपयार ा हो रहा ह या नह ं।

रोग का उिचत उपचार होने के योग ह या नह ं!


 कु डली म थम, पंचम, स म एवं अ म भाव म पाप ह ह और च मा कमज़ोर या पाप ह से पी ड़त ह तो
रोग का उपचार क ठन हो जाता ह।
 यदच मा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव म शुभ ह थत ह तो उपचार से रोग का दरू होना संभव हो पाता ह।
 यद कुंडली म तृ तीय, ष म, नवम एवं एकादश भाव म शुभ ह थत ह तो उपचार के बाद ह रोग से मु
िमलती ह।
 यद कुंडली म स म भाव म शुभ ह थत ह और स मांश बलवान ह तो रोग का उपचार संभव होता ह।
 यद कुंडली म चतुथ भाव म शुभ ह थत से भी ात हो सकता है क रोगी को दवाईय से उिचत लाभ ा होगा
या नह ं।
11 मई 2011

कुंडली दे खते समय शर र के विभ न अंगो पर हो के भाव एवं बमार य को जानना भी आव यक होता ह।
योितषी िस ांतो के अनुशार कुंडली के बारह भाव शर र के विभ न अंगो को दशाते है ।
 थम भाव : िसर, म त क, नायु तं .
 तीय भाव: चेहरा, गला, कंठ, गदन, आंख.
 तीसरा भाव : कधे, छाती, फेफडे , ास, नसे और बाह.
 चतुथ भाव : तन, ऊपर आ , ऊपर पाचन तं
 पंचम भाव : दय, र , पीठ, र संचार तं .
 ष म भाव : िन न उदर, िन न पाचन तं , आत, अंत डयाँ, कमर, यकृ त.
 स म भाव : उदर य गु हका, गुद.
 अ म भाव : गु अंग, ावी तं , अंत डयां, मलाशय, मू ाशय और मे द ड.
 नवम भाव : जॉघ, िनत ब और धमनी तं .
 दशम भाव : घुटने, ह डयां और जोड़.
 एकादश भाव : टागे, टखने और ास.
 ादश भाव : पैर, लसीका तं और आंख.े

कु डली म रोग से संबंिधत भाव


 योितष के अनुसार कुंडली म ल न थान िच क सक भाव होता ह। अतः शुभ ह कुंडली के ल न म शुभ
हक थती से ात होता ह क रोगी को कसी कुशल िच क सक क सलाह ा हो रह ह या होगी।
 य द अशुभ ह थत हो तो समझले क रोगी को कसी कुशल िच क सक क आव यकता ह।
 योितष के अनुसार कुंडली म चतुथ थान उपचार और औषिधय अथात दवाईय का थान ह। चतुथ भाव म
य द शुभ ह या शुभ ह क या युित हो तो समझे क रोग सामा य उपचार से शी ठ क हो सकता ह।
 कुंडली म छठा एवं सातवां भाव रोग का थान होता ह।
 कुंडली म दशम भाव रोगी का मानाजाता ह।
 यद कुंडली म ष म एवं स म भाव पर शुभ ह का भाव हो और ष ेश और स मेश िनबल ह तो वा य लाभ
धीरे धीरे होने का संकेत िमलता ह।
नोट: कुंडली का व ेषण सावधानी से करना उिचत रहता ह। व ानो के अनुशार कुंडली का व ेषण करते समय
संबंिधत भाव एवं भाव के वामी ह अथातः भावेश एवं भाव के कारक ह को यान म रखते हए
ु आंकलन कर कया गया
व ेषण प होता ह। कुंडली का फलादे श करते समय हर छोट छोट बात का याल रखना आव यक होता ह अ यथा
व ेषण कये गये का उ र टक नह ं होता।

मं िस दलभ
ु साम ी
ह था जोड - Rs- 370 घोडे क नाल- Rs.351 माया जाल- Rs- 251
िसयार िसंगी- Rs- 370 द णावत शंख- Rs- 550 इ जाल- Rs- 251
ब ली नाल- Rs- 370 मोित शंख- Rs- 550 धन वृ हक क सेट Rs-251
12 मई 2011

अंक योितष और वा थ
 िचंतन जोशी
मूलांक : अथात ज म ितथी या ज म ता रख
भा यांक: अथात ज म ता रख + माह + वष का जोड = भा यांक

मूलांक-1:ज म दनांक 1,10,19,28


वा यः जब मूलांक 1 वाले य के जीवन म रोग क थती आती ह, तो
उनको ती वर, दय रोग, आँख, चम रोग, म त क संबंिध परे शािन, अपच,
ग ठआ, नायु वकार, चोट, कोढ़, आंत के रोग तथा घुटने आ द क िशकायते
रहती ह। जन य य का मूलांक 1 होता ह वे कसी ना कसी प म दय
से संबंिध रोग से पी ड़त हो जाते ह। उनके दल क धड़कने और र वाह
अिनयिमत हो जाता ह। आँख का दखना
ु एवं ट दोष जैसे रोग होते ह।
उिचत ह आप समय-समय पर अपनी आँख का प र ण करवाते रह।
आहारः कशिमश, स फ, केसर, कालीिमच, ल ग, आजवाईन, जायफल, खजूर,
अदरक, जौ, पालक, संतरे , नींब,ू मोसंबी, गाजर आ द उपयोगी ह। दय रोग के
से बचाव हे तु नमक कम खना चा हये।
सावधानी: आपको जनवर , अ ू बर और दसंबर के मह न म अपने वा य के ित सजग रहना चा हए।

मूलांक-2: ज म दनांक 2,11,20,29


वा यः मूलांक 2 वाले य के जीवन म रोग क थती आती ह, तो उनको
कमजोर , उदर, उ े ग, मानिसक पीड़ा, दघटना
ु , पाचन तं क गड़ब ड़, दय
रोगम संवेदनशीलता, नायु िनबलता, क ज, आंत रोग, मू रोग, गैस, अ सर,
यूमर, पेट म जलन, जी िमचलाना इ या द होने क संभावनाएं अिधक होती ह।
आहारः केला, ककड़ , कलींदा, कु हड़ा, प ा गोभी, िसंघाड़ा, सलाद इ याद का सेवन
लाभदायक रहते ह।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर और जुलाई के मह न म वा य व खान-पान
आ द म सावधानी बरतना चा हए।

सर वती कवच एवं यं


उ म िश ा एवं व ा ाि के िलये वंसत पंचमी पर दलभ
ु तेज वी मं श ारा पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य
यु सर वती कवच और सर वती यं के योग से सरलता एवं सहजता से मां सर वती क कृ पा ा कर।
मू य:280 से 1450 तक
13 मई 2011

मूलांक-3: ज म दनांक 3,12,21,30


वा यः य को ायः ह डय म दद रहता ह और थकावट सी रहती ह।
अ यिधक प र िम होते ह अतः अित प र म कारण वे थके से रहते ह।
नायु तं कमजोर हो जाता ह। मधुमेह, चमरोग, दाद, खाज, शूल, मू रोग,
वीयदोष, मरण श क कमी, बोलने म परे शािन संभव, वचा रोग, दाद,
खुजली, फोड़ा, फुंसी, तं काओं म तड़फन, सूजन, कोहनी, कलाई, अंगुिलय म दद
आ द हो सकते ह।
आहारः चेर , ोबेर , सेब, नाशपती, अनार, अनानस, अंगूर, फु दना, गाजर,
चुकंदर, पालक एवं करे ले, केसर, जायफल, ल ग, बादाम, अंजीर आ द लाभदायक
रहते ह।
सावधानी: आपको फरवर , जून, िसंतबर और दसंबर म अपनी सेहत का वशेष प से
याल रखना चा हए।

मूलांक-4:ज म दनांक 4,13,22,31


वा यः य ायः र क कमी से पी ड़त रहते ह। र क कमी से अनेक
रोग हो सकते ह। ऐसे य य को लोहत व यु भोजन करना चा हय। चलने-
फरने तथा ास लेने म क होना, फैफड़ो क खराबी, अिन ा, म, िसर म
पीड़ा, र क कमी,भूख क कमी, क ट-शूल, वकृ ित, मू -कृ छ, ह र या, शद ,
पैर का फटना पैर म दद, पैर क अ य बीमा रयां होती ह। गुद से संबंिध
रोग भी हो जाते ह। य मानिसक प से भी अ व थ एवं तनाव त रहता
ह। िसर दद भी पाया जाता ह।
आहारः हर श जीयां, करे ला, नीम, मीठे फल, लौक , ककड़ , खीरा, अंगूर, सेब,
अनानस, तुलसी, कालीिमच, पालक, मेथी, सलाद, याज, एवं ह द उपय गी ह।
नशीली चीज से परहे ज कर तेज मसालेदार भोजन से बच, आपके िलये शाकाहार भोजन अित उ म रहे गा।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई, अग त व िसतंबर इन पांच मह न म अपने वा य पर वशेष गौर करना चा हए।

भा य ल मी द बी
सुख-शा त-समृ क ाि के िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
वृ , वशीकरण, कोट कचेर के काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता क बाधा, श ु भय,
चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य
ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
सफ़ेद-लाल गुंजा, इ जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ
ु साम ी होती है ।
मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल
गु व कायालय संपक : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
14 मई 2011

मूलांक-5:ज म दनांक 5,14,23


वा यः य ायः सद , जुकाम आ द से पी ड़त रहना पड़ता ह। नवस
ेकडाउन का भी भय बना रहता ह। क ठ रोग, जीभ संबंिध रोग, अिन ा, कंधे
म दद, ह डय संबंिध रोग, कान तथा ास या संबंिधत बीमा रयां
परे शान करती ह। दय रोग, मोतीझर, मू रोग, वीय दोष, िमग , नािसका
रोग, ती वर, पागलपन, खाज-खुजली, लकवा, पांव क सूजन, मू छा आना,
नासूर, है जा, मंदा न, गले के रोग तथा वचा संबंिधत बीमा रयां हआ
ु करती
ह।
आहारः सेब, केला, चीकू, अनार, अनानस, अंगूर, पु दना, गाजर, ना रयल क
िग र, पालक, िभ ड , बगन, करे ल,े तुलसी, बादाम, अंजीर, केसर, अखरोट
लाभदायक रहते ह।
सावधानी: आपको जून, िसंतबर और दसंबर के मह न म अपने वा य के बारे म सावधानी बरतना चा हए।

मूलांक-6:ज म दनांक 6,15,24


वा यः य फेफड़ो के रोग से िसत रहते ह। नाक, कान, गला, आँख,
जीभ, दांत, अंगुली, नाखून, ह ड, वीय संबंिध बीमा रयां हआ
ु करती ह। फेफडे ,
मू छा आना, अजीण, नपुंसकता, वर, ी को मािसक धम संबंिध रोग,
व थल म पीड़ा, दय रोग, वृ ाव था म र वकार संबंिध रोग होते ह।
आहारः तरबूज, खरबूज, आम, सेब, नासपती, अनार, पालक, गाजर, फुलगोभी,
इमली, अंजीर, अखरोट, बादाम, गुलकंद आ द लाभदायक होते ह।
सावधानी: आपको मई, अ ू बर एवं नवंबर के मह ने अंक ६ के इन मह न म उ ह
सावधानी रखनी चा हए।

मूलांक-7: ज म दनांक 7,16,25


वा यः य को चमरोग घेरे रहते ह। खुजली या दाद होनेक संभावना बनी
रह ह। चम संबंिध िशकायत होती ह रहती ह। आँख, उदर तथा फेफड़ से
संबंिध बीमा रयां, गु तथा क ठन रोग एवं फोड़े आ द क िशकायते रहती ह।
अ यािधक तनाव, सदै व कसी िचंता म रहते ह, बदहजमी एवं क ज रहती ह,
नींद भी कम आती ह।
आहारः सेब ,अंगूर, संतरा, ककड़ , याज, मूली, गाजर, टमाटर, पालक, इमली
एवं स फ उपयोगी ह।
सावधानी: आपको जनवर -फरवर और जुलाई-अग त के चार मह न म अपने
वा य के ित पूण सावधानी रखनी चा हए।
15 मई 2011

मूलांक-8: ज म दनांक 8,17,26


वा यः य को जगर से संबंिध रोग लगे रहते ह। य के लीवर
कमजोर होन क वजह से अ य अनेक बीमा रयां आकर घेर लेती ह। यसन
से हरदम दरू रहना चा हये। दबलता
ु , पेट दद, दं त रोग, वचा रोग, पांव तथा
घुटन से संबंिधत बीता रयां, िशरोशूल, प ाशय के रोग, र दोष, आँख, कान,
ग ठया, लकवा, जोड़ म दद तथा घाव आ द क िशकायते भी होती रहती ह।
ी को मािसक धम संबंिधत विभ न बमा रयां हो जाती ह।
आहारः संतरा, पपीता, अनानस, नींब,ू हर स जयां, ककड़ , खीरा, धिनयां,
पु दना, गाजर, लहसुन, याज, पालक, टमाटर, पालक, ईसबगोल, स फ एवं
अजवायन उपयोगी ह।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई और दसंबर के मह न म पूण प से सावधान रहने का संकेत दया है

मूलांक-9:ज म दनांक 9,18,27


वा यः य चमरोग तथा नासारं से संबंिधत जुकाम आ द रोग से पी ड़त
हो सकते ह। म त क संबंिधत रोग, जनने य संबंिधत रोग, वर, खसरा, मू
रोग, कफ रोग, कण ाव, च कर, र एवं वचा रोग, खाज- खुजली, फोड़े , सूजन,
नासूर, अश तथा वीय संबंिधत वकार होते ह।
आहारः संतरा, अम द, अंगूर, केला, ककड़ , तोरई, मीठे फल, खीरा, पालक,
आलू, याज, लहसुन, अदरक उपयोगी ह। ग र भोजन एवं नशीली व तुओं से
परहे ज करना चा हये।
सावधानी: आपको पूरे वष अपनी सेहत का याल रखना चा हए।

 या आपके ब चे कुसंगती के िशकार ह?

 या आपके ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?

 या आपके ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?


घर प रवार म शांित एवं ब चे को कुसंगती से छुडाने हे तु ब चे के नाम से गु व कायालत ारा शा ो विध-
वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर
म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह।

य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।

GURUTVA KARYALAY
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16 मई 2011

योितष ारा रोग िनदान

 िचंतन जोशी
म य पुराण के अनुशार दे वताओं और रा स ने जब समु मंथन कया था धन तेरस के दन धनवंतर नामक
दे वता अमृ त कलश के साथ सागर मंथन से उ प न हए
ु थे। धनवंतर धन, वा थय व आयु के अिधपित दे वता ह। धनवंतर
को दे व के वैध व िच क सक के प म जाना जाता ह।

धनवंतर ह सृ ी के सव थम िच क सक माने जाते ह। ी


धनवंतर ने ह आयुवद को ित त कया था। उनके बाद म ऋ ष चरक
जैसे अनेक आयुवदाचाय हो, गये। ज ह ने मनु य मा के वा य क
दे खरे ख के िलए काय कये। इसी कारण ाचीन काल म अिधतर य
का व थ उ म रहता था।

यो क ािचन कालम ायः सभी िच क सक आयुवद के साथ-


साथ योितष का भी वशेष ान रखते थे। इसी िलए िच क सक बीमार
का पर ण ह क शुभ-अशुभ थित के अनुसार सरलता से कर लेते
थे। आज के आधुिनक युग के िच क सक को भी योितष व ा का ान
रखना चा हए जससे वे सरलता से ायः सभी रोगो का िनदान करके
रोगी क उपयु िच क सा करने म पूण तः स म ह सके।

योितष के अनुशार हर ह और रािश मानव शर र पर अपना वशेष भाव रखते ह, इस िलए उसे जानना भी
अित आव यक ह। सामा यतः ज म कुंडली म जो रािश अथवा जो ह छठे , आठव, या बारहव थान से पी ड़त हो
अथवा छठे , आठव, या बारहव थान के वामी हो कर पी ड़त होरहे हो, तो उनसे संबंिधत बीमार क संभावना अिधक
रहती ह। ज म कुंडली के अनुसार येक थान और रािश से मानव शर र के कौन-कौन से अंग भा वत होते ह, उनसे
संबंिधत जानकार द जा रह ह।

ज मकुंडली से रोग िनदान


योितष शा एवं आयुवद के अनुसार मनु य ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य के शर र म विभ न
रोग के प म गट होत ह।

ह रत स हं ता के अनुशार:

ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते।


त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥

अथातः पूव ज म म कया गये पाप कम ह यािध के प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह।


तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।
17 मई 2011

आयुवद के जानकारो क माने तो कमदोष को ह रोग क उ प का कारण माना गया ह।

आयुवद म कम के मु य तीन भेद माने गए ह:

 एक ह स चत कम

 दसरा
ू ह ार ध कम

 तीसरा ह यमाण

आयुवद के अनुसार मनु य के संिचत कम ह कम जिनत रोग के मुख कारण होते ह

जसे य ार ध के प म भोगता ह।

वतमान समय म मनु य के ारा कये जाने वाला कम ह यमाण होता ह।

वतमान काल म अनुिचत आहार- वहार के कारण भी शर र म रोग उ प न हो


जाते ह।

आयुवद आचाय सु ु त, चरक व ाचाय के मतानुसार कु रोग,


उदररोग, गुदारोग, उ माद, अप मार, पंगुता, भग दर, मधुमेह( मेह), ी हनता,
अश, प ाघात, दे ह कापना, अ मर , सं हणी, र ाबु द, कान, वाणी दोष इ या द
रोग, पर ीगमन, हम ह या, पर धन हरण, बालक- ी-िनद ष य क ह या
आ द द ु कम के भाव से उ प न होते ह। इस िलये मनु य ारा इस ज म या
पूव ज म म कया गया पापकम ह रोग का कारण होता ह। इस िलये जो य
खान-पान म सयंमी और आचार- वचार म पुर तरह शु ह उ ह भी कभी-कभी गंभीर
रोग का िशकार हो कर क भोगने पडते ह।

ज म कुंडली से रोग व रोगके समय का ान


भारतीय योितषाचाय हजारो वष पूव ह ज म कुंडली के मा यम से यह ात करने म पूण ताः स म थे क
कसी य को कब तथा या बीमार हो सकती ह।

योितषशा ो से ा ान एवं अभीतक हएं


ु नये-नये योितषी शोध के अनुशार ज म यह जानना और भी
सरल है क कसी मनु य को कब तथा या बीमार हो सकती है ।

ज म कुंडली से रोग व रोगके समय का ात करने हे तु ज म कुंडली म ह क थित, ह गोचर तथा दशा-अ तदशा का
शू म अ ययन अित आव यक होता ह। ज म प का के शू म अ ययन के मा यम से य के ारा पूव ज म म
कये गये सभी शुभ-अशुभ कम फल को बताने म स म होती ह जसका फल य इस ज म म भोगता ह।
यदपिचत
ु म य ज मिन शुभाशुभं त य कमण: ाि म ।
यं यती शा मत तमिस या ण द प इव॥
( फिलत मात ड )
18 मई 2011

योितष थ माग म रोग का दो कार से वग करण कया ह। 1 सहज रोग 2 आगंतुक रोग

1 सहज रोग: माग म ज म जात रोग को सहज रोग के वग म रखा गया ह। य क अंग ह नता, ज म से
ी हनता, गूंगापन, बहरापन, पागलपन, व ता एवं नपुंसकता आ द रोग सहज रोग होते ह। जो य म ज म से
ह होते ह। सहज रोग का वचार करने हे तु कुंडली म अ टमेश (अ म भाव का वामी) तथा आठव भावः म थत,
िनबल ह से कया जाता ह। एसे रोग ाय: द घ कािलक और असा य हो जाते ह।

2 आगंतुक रोग: चोट लगना, अिभचार, महामार , दघटना


ु , श ु ारा आघात आ द य कारण से होने वाले क
तथा वर, र वकार, धातु रोग, उदर वकार, वात- पत-कफ से संबंिधत सम या से होने वाले रोग जो अ य
कारण से होते ह उसे माग म आगंतुक रोग कहे गये ह। आगंतुक रोग का वचार ष ेश (छठे भाव काका वामी
ह), ष म भाव म थत िनबल ह एवं ज म कुंडली म पाप हो रा पी ड़त रािश-भाव- ह से कया जाता ह।

ज म कुंडली से रोग का िनणय करने हे तु कुंडली म भाव और रािश से संबंिधत शर र के विभ न अंग पर हो का
भाव एवं रोग को जानना आव यक ह।

ज म कुंडली म जो भाव अथवा रािश पाप ह से पी ड़त हो रह हो और जस रािश का वामी क भाव (अथात


ष म, अ म और ादश भाव) म थत हो उस रािश या भाव संबंिधत अंग रोग से पी ड़त हो जाते ह ।

योितष के अनुशार बारह भाव एवं रािश से संबंिधत शर र के अंग और रोग इस कार ह।

भाव रािश त व शर र का अंग रोग

पहला मेष अ न िसर, म त क, िसर के केश, जीवन म त क रोग, िसर पीडा, च कर आना, िमग , उ माद,
श , गंजापन, वर, गम , म त क वर इ या द।

दसरा
ू वृ ष पृ वी मुख, ने , चेहरा, नाक, दांत, जीभ, ह ठ, मुख के रोग, आंत, ने , दांत, नाक, सं मण, आ द के रोग
ास नली आ द।

तीसरा िमथुन वायु कंठ, कण, हाथ, भुजा, क धा, ास नली, खांसी, दमा, गले मे पीड़ा, बाजु मे पीड़ा, कण पीड़ा आ द ।
र नली,

चौथा कक जल छाती, फेफड़े , तन, दय, मन, पसिलयाँ, दय रोग, ास रोग, मनो वकार, पसिलय का रोग, अ िच
र संचार, आ द।

पांचवा िसंह अ न उदर, जगर, ित ली, कोख, मे द ड, बु , उदर पीडा, अपच, जगर का रोग, पीिलया, बु ह नता,
श , दय, पीठ, मे दं ड, आमाशय, आंत, गभाशय मे वकार आ द।

छठा क या पृ वी कमर, आ त, नािभ, उदर के बाहर भाग, द त, आ दोष, हिनया, पथर , अप ड स, कमर मे दद,
ह ड , आंत, मांस दघटनाआ
ु द ।

सातवाँ तुला वायु मू ाशय, गुद, काम, ास या, गुद मे रोग, मू ाशय के रोग, मधुमेह, दर, पथर , मू छ
आद ।
19 मई 2011

भाव रािश त व शर र का अंग रोग

आठवां वृ क जल गुदा, अंडकोष, जननै य, िलंग, योिन, अश, भगंदर, गु रोग, मािसक धम के रोग, दघटना
ु इ या द।
र संचार,

नवां धनु अ न जांघ , िनतंब वात वकार, कु हे का दद, ग ठया, सा टका, म जा रोग,
यकृत दोष इ या द।

दसवां मकर पृ वी घुटने, जांघ, घुटन के जोड़, ह ड , मांस, वात वकार, ग ठया, सा टका इ या द ।

यारहवां कु भ वायु टखने, पंड िलयां, घुटने, जांघ के जोड़, काफ पेन, नस क कमजोर , एंठन इ या द।
ह डय -नस ,

बारहवां मीन जल पांव, पांव क उं गिल, नस , जोड़ , र पोिलयो, आमवात, रोग वकार, पैरम पीडा इ या द।
संचार

ह से स बंिधत शर र के अंग और रोग


य द नव ह म से कोई ह श ु रािश-नीच रािशः नवांश म, ष बलह ंन, पापयु , पाप ह से , कभाव म थत ह , तो
संबंिधत ह अपने कारक व से स बंिधत रोग उ प न करते ह। नव ह से स बंिधत अंग, धातु और रोग इस कार ह।

ह अंग धातु रोग

सूय ने ,िसर दय अ थ वर, दय रोग, पेट, अ थ रोग प , जलन, िमग , दांयीं आंख, श से आघात, ेन फ वर,
घाव, जलने का घाव, िगरना, र वाह म बाधा आ द।

च ने , मन, कंठ, र शर र के तरल पदाथ, बायीं आंख, जलोदर, ने दोष, िन न र चाप, छाती, अ िच, मनोरोग, र
फेफडे क कमी, कफ म दा न, अिन ा, पीिलया, खांसी -जुकाम, म हलाओं म मािसक च ।

मंगल मांसपेिशयां, मांस, जलन, दघटना


ु , बवासीर, उ च र चाप, खुजली, म जा रोग, जानवर ारा काटना, वष भय,
उदर, पीठ म जा िनबलता, गु म, अिभचार कम, जलना, बजली से भय, घाव, श य या, गभपात इ या द।

बुध हाथ, वाणी, कंठ वचा दोष, पा डु रोग, बहम, कंठ रोग, कु , वचा रोग, वाणी वकार, फेफड़े , नािसका रोग, बुरे सपने

गु जघन दे श, वसा यकृत, शर र म चब , मधुमेह, आं वर, गु म, हिनया, सुजन, कफ दोष, मृित भंग, कण पीडा,
आंत मूछा इ या द

शु गु ांग वीय मधुमेह, ने वकार, मू रोग, सुजाक, पथर , सटट लां स क वृ , शी पतन, व न दोष,
ऐ स एवम जनन अंग से स बंिधत रोग इ या द

शिन जानू दे श, पैर नायु थकन, वात रोग, संिध रोग, प ाघात, पोिलयो, कसर, कमजोर , पैर म चोट, लिसका तं ,
लकवा, उदासी, थकान,

राहू - - ह डयां, कु , दय रोग, वष भय, मसू रका, कृिम वकार, अप मार, डर इ या द

केतु - - चम वकार, दघटना


ु , गभ ाव, वषभय, हकलाना, पहचानने म द कत, आं , परजीवी,
20 मई 2011

रोग के भाव का समय


पीड़ा कारक ह अपनी ऋतू म, अपने वार म, मासेश होने पर अपने मास म, वषश होने पर अपने वष म, अपनी
महादशा, अ तदशा, यंतर दशा एवं सू म दशा म रोग कारक होते ह। गोचर म पी ड़त भाव या रािश म जाने पर भी
िनबल और पाप ह रोग उ प न करते ह।

सूय २२ व, बुध ३५ व, शिन ३६ व,

च २४ व, गु १६ व, राहु ४४ व,

मंगल २८ व, शु २५ व, केतु ४८ व,

वष म अपना वशेष शुभ-अशुभ फल दान करते ह।

रोग शा त के उपाय
ह क वंशो र दशा तथा गोचर थित से वतमान या भ व य म होने वाले रोग को समय से पूव अनुमान लगा कर
पीडाकारक ह से संबंिधत दान, जप, हवन, यं , कवच, व र इ या द धारण करने से हो के अशुभ भाव को कम
कर रोग होने क संभावनाए दरू सकते ह अथवा रोग क ती ता म कम क जा सकती ह। व ानो के मतानुशार हो
के उपचार से िच क सक क औषिध के शुभ भाव म भी वृ हो जाती ह।

माग के अनुसार औषिधय का दान दे ने से तथा रोगी क िन वाथ सेवा करने से य को ह से संबंिधत रोग
पीड़ा नह ं दे ते। द घ कािलक एवं असा य रोग क शांित के िलए सू का पाठ, ी महा मृ युंजय का मं जप तुला
दान, छाया दान, ािभषेक, पु ष सू का जप तथा व णु सह नाम का जप लाभकार िस होता ह ।

कम वपाक स हं ता के अनुसार ाय त करने पर भी असा य रोग क शांित होती है ।

महामृ युंजय यं
संपूण ाण ित त चैत य यु महामृ युंजय यं मनु य के िलए अ त
ु कवच क तरह काय करता ह। शा ो
वधान के अनुशार महामृ युंजय मं -यं -कवच के पूजन से साधारण रोग से लेकर असा य रोगो तक का
िनवारण कया जा सकता ह। उसके अलावा उिचत विध- वधान से कये गये पूजन से आक मक दघटना

इ या द को टालकर अकाल मृ यु से बचाव हो सकता ह। मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना
कसी सा य या असा य रोग से त होता ह। उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल
जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या हो जाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते
ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया
अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के िलये य एक डॉ टर से दसरे

डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह। एसी अव था म रोगो के िनदान हे तु भगवान िशव के पूण
आिशवाद से यु महामृ युंजय कवच एवं यं से उ म और कोई मं -यं -कवच नह ं ह।

महामृ युंजय कवच + यं = 730+550 = 1280 1250/- मा


21 मई 2011

महामृ युंजय जप विध

 िचंतन जोशी
॥ इित महामृ युंजय जप विधः ॥

व ानो के अनुशार महामृ युंजय मं के जप और उपासना साधक को अपनी आव यकता के अनु प करने से वशेष
लाभ द होते ह। आव य ा के अनुशार जप के िलए अलग-अलग मं का योग होता ह। मं के अ र म सं या के
कारण मं म व वधता हो जाती ह।

मं िन न कार से है -

एका र (1) मं - 'ह ' ।


य र (3) मं - 'ॐ जूं सः'।
चतुरा र (4) मं - 'ॐ वं जूं सः'।
नवा र (9) मं - 'ॐ जूं सः पालय पालय'।
दशा र (10) मं - 'ॐ जूं सः मां पालय पालय'।

(दशा र मं का जप वयं के िलए उ म म कर। य द कसी अ य य के िलए दशा र मं का जप कया जा


रहा हो तो 'मां' के थान पर उस य का नाम लेना चा हए)

वेदो मं -
महामृ युंजय का वेदो मं िन न िल खत ह।

य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।्


उवा किमव ब धना मृ योमु ीय माऽमृ तात्॥

महामृ युंजय मं म 32 श द का योग हआ


ु है और महामृ युंजय मं म ॐ
लगा दे ने से 33 श द हो जाते ह।

इसे ' य शा र या ततीस अ र मं कहते ह।

ी विश जी ने 33 अ र के 33 दे वता अथात ् श याँ िन त क ह जो िन निल खत ह।


महामृ युंजय मं म 8 वसु, 11 , 12 आ द य 1 जापित तथा 1 वषट को माना ह।
22 मई 2011

मं वचार :
महामृ युंजय मं के येक श द को प करना अित आव यक ह। य क श द से ह मं है और मं से ह श
ह।
महामृ युंजय मं म योग कए गए येक श द अपने आप म एक संपूण अथ िलए हए
ु होता ह और इसी म दे वा द
का बोध कराता है ।
श द बोधक
' ' ुव वसु 'ग' श भु 'वा' थाणु 'मृ' वव वान
'यम' अ वर वसु ' धम' िगर श ' ' भग ' यो' इं ा द य
'ब' सोम वसु 'पु' अजैक 'क' धाता 'मु' पूषा द य
'कम'् व ण ' ' अ हबु य 'िम' अयमा ' ी' पज या द य
'य' वायु 'व' पनाक 'व' िम ा द य 'य' व ा
'ज' अ न 'ध' भवानी पित 'ब' व णा द य 'मा' व णुऽ द य
'म' श 'नम'् कापाली ' ध' अंशु 'मृ' जापित
'हे ' भास 'उ' दकपित 'नात' भगा द य 'तात' वषट
'सु' वीरभ
उ बोधक को दे वताओं के नाम माने जाते ह।

श द क श -
महामृ युंजय मं म योग हए
ु श द क श िन न कार से मानी गई ह।

श द श
' ' य बक, -श 'म' महाश 'व' वा कनी 'मृ' मृ युंजय
तथा ने 'हे ' हा कनो 'ध' धम ' यो' िन येश
'य' यम तथा य 'सु' सुग ध तथा सुर 'नं' नंद ' ी' ेमंकर
'म' मंगल 'गं' गणपित का बीज 'उ' उमा 'य' यम तथा य
'ब' बालाक तेज 'ध' धूमावती का बीज 'वा' िशव क बा श 'मा' माँग तथा म ेश
'कं' काली का 'म' महे श ' ' प तथा आँसू 'मृ' मृ युंजय
क याणकार बीज 'पु' पु डर का 'क' क याणी 'तात' चरण म पश
'य' यम तथा य ' ' दे ह म थत 'व' व ण
'जा' जालंधरे श षटकोण 'बं' बंद दे वी
'ध' धंदा दे वी

महामृ युंजय मं के श दो का यह पूण ववरण 'दे वो भू वा दे वं यजेत' के अनुसार पूण तः स य मा णत मानेगये ह।


महामृ युंजय के अलग-अलग मं का उ लेख िमलता ह।
23 मई 2011

साधक अपनी आव य ा/सु वधा के अनुसार चाह जो भी मं चुन ल और उस मं का िन य पाठ कर सकते ह या


अपनी आव यकता के अनुशार उिचत समय योग कर सकते ह।

मं िन निल खत ह-

तां क बीजो मं :
ॐ भूः भुवः वः। ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।्
उवा किमव ब धना मृ योमु ीय माऽमृ तात्। वः भुवः भूः ॐ॥

संजीवनी मं :
ॐ जूं सः। ॐ भूभ वः वः। ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।् उवा किमव ब धनां मृ योमु ीय माऽमृ तात्।
वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ॐ ।

महामृ युंजय का भावशाली मं :


ॐ जूं सः। ॐ भूः भुवः वः। ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।् उवा किमव ब धना मृ योमु ीय माऽमृ तात्।
वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ॐ॥

महामृ युंजय मं जाप म सावधािनयाँ


महामृ युंजय मं का जप करना मनु य के िलये परम फलदायी और क याणकार माना गया ह।
ले कन महामृ युंजय मं का जप कुछ सावधािनयाँ रख कर करना चा हए। जससे मं का संपूण लाभ ा हो सके
और कसी भी कार के अिन क संभावना न रह।
इस िलए महामृ युंजय मं का जप करने से पूव िन न बात का यान रखना चा हए।

1. साधक को महामृ युंजय मं का जो भी मं जपना हो उसका उ चारण पूण शु ता से कर।


2. मं जप एक िन त सं या म कर। पूव दवस म जपे गए मं से, आगामी दन म कम सं या म मं का जप
नह ं करना चा हए। य द चाह तो अिधक सं या म जप सकते ह।
3. वशेष योजन के कए जा रहे मं का उ चारण होठ से बाहर नह ं जाना चा हए। य द अ यास न हो तो धीमे वर म
जप कर।
4. जप काल म धूप और द प चालू रहने चा हए।
5. महामृ युंजय मं हे तु ा क माला पर ह जप कर।
6. माला को गोमुखी म रख कर जप कर। जब तक जप क सं या पूण न हो, माला को गोमुखी से बाहर नह ं िनकाल
नी चा हये।
7. जप के दौरान िशवजी क ितमा, त वीर, िशविलंग या महामृ युंजय यं अपनी ा के अनुशार जो रख सके वह
पास म रखना अिधक लाभ द होता है ।
8. महामृ युंजय मं के जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करने चा हए।
9. जप के दौरान द ु ध और जल से िशवजी के ितमा या िशविलंग का अिभषेक करते रह।
10. महामृ युंजय मं क साधना हे तु पूव दशा क तरफ मुख करके करनी चा हए।
24 मई 2011

11. जप पूण ा एवं एका ता से कर मन को इधर-उधर भटका ने से बच।


12. जप के दौरान आल य व उबासी नह ं होनी चा हए।
13. मास-म दरा- ी संग इ या द से बचे।

कब कर महामृ युज
ं य मं जाप?

 शा ो वधान के अनुशार महामृ युंजय मं जप से अकाल मृ यु तो टलने के उपरांत आरो यता क भी ाि


होती ह।

 यद नान करते समय शर र पर पानी डालते समय महामृ युंजय मं का जप करने से वा य-लाभ होता
ह।

 दध
ू को दे खते हए
ु महामृ युंजय मं का जप करके वह दध
ू पी िलया जाए तो यौवन क सुर ा म भी लाभ
होता ह।

 महामृ युंजय मं का जप करने से अनेको व न-बाधाएँ वतः दरू हो जाती ह, इस िलए महामृ युंजय मं का
यथासंभव जप करना अ यािधक लाभ द होता ह।

 कुछ वशेष थितय म महामृ युंजय मं का जाप कया या कराया जाता ह, जो इस कार ह।

 य द घरका कोइ सद य रोग से पी ड़त ह या उसक सेहत बार बार खराब हो रह ह ।

 भयंकर महामार से लोग मर रहे ह , तो जाप कर अपिन और अपने प रवार क सुर ा हे तु।

 राजभय अथा त सरकार से संबिं धत कोइ पीडा या क ह।

 साधक का मन धािमक काय नह ं लग रहा ह ।

 श ु से संबंिधत परे शािन एवं लेश ह ।

 धन और मानस मान क होनी हो रह ह ।

 य द सामु हक य ारा जाप कया जाये तो सम व , दे श, रा य, शहर आ द के हताथ उ े य से भी जप


कये जासकते ह। इ से अ यािधक लोगो को लाभ होता ह।

 योितष के अनुशार मारक हो ारा ितकूल (अशुभ) फल ा हो रह ह ।

 य द ज म, मास, गोचर और दशा, अंतदशा, थूलदशा आ द म हपीड़ा होने क आशंका ह ।

 कुंडाली मेलापक म य द नाड़ दोष, षडा क आ द दोष ह ।

 एक से अिधक अशुभ ह रोग एवं श ु थान(ष म भाव) म ह ।

 तो महामृ युंजय मं का जप करना परम फलदायी है । महामृ युंजय मं के जप व उपासना के तर के आव यकता के


अनु प होते ह। जप के िलए अलग-अलग मं का योग होता है । यहाँ आपक अनुकूलता के िलए सं कृ त म जप विध,
यं -मं , जप म सावधािनयाँ, तो आ द से आपको प रिचत करने का याश कया गया ह।
25 मई 2011

महामृ युंजय जप विध - (मूल सं कृ त म)


कृ तिन य यो जपकता वासने पांगमुख उदहमुखो वा उप व य धृ त ा भ म पु ः । आच य । ाणानाया य।
दे शकालौ संक य मम वा य मान य अमुक कामनािस यथ ीमहामृ युंजय मं य अमुक सं याप रिमतं जपमहं क र ये वा
कारिय ये।

॥ इित ा य हकसंक पः॥

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः। ॐ गणपतये नमः। ॐ इ दे वतायै नमः।


इित न वा यथो विधना भूतशु ं ाण ित ां च कुयात।्

भूतशु ः
विनयोगः
ॐ त सद े या द मम अमुक योगिस यथ भूतशु म ् ाण ित ां च क र ये। ॐ आधारश कमलासनायनमः।
इ यासनम ् स पू य। पृ वीित मं य। मे पृ ऋ ष; सुतलं छं दः कूम दे वता, आसने विनयोगः।

आसनः
ॐ पृ व वया धृ ता लोका दे व वं व णुना धृ ता। वं च धारय माँ दे व प व ं कु चासनम।्
ग धपु पा दना पृ वीं स पू य कमलासने भूतशु ं कुयात्। अ य कामनाभेदेन। अ यासनेऽ प कुयात।्

पादा दजानुपयतं पृ वी थानं त चतुर ं पीतवण दै वतं विमित बीजयु ं यायेत।् जा वा दना िभपय तमस थानं
त चा चं ाकारं शु लवण प लांिछतं व णुदैवतं लिमित बीजयु ं यायेत।्

ना या दकंठपय तम न थानं कोणाकारं र वण व तकला छतं दै वतं रिमित बीजयु ं यायेत।् क ठा द


भूपय तं वायु थानं ष कोणाकारं ष बंदला
ु छतं कृ णवणमी र दै वतं यिमित बीजयु ं यायेत।् भूम या द र पय त
माकाश थानं वृ ाकारं वजलांिछतं सदािशवदै वतं हिमित बीजयु ं यायेत।् एवं वशर रे पंचमहाभूतािन या वा
वलापनं कुयात।् य था-पृ वीम सु। अपोऽ नौअ नवायौ वायुमाकाशे। आकाशं त मा ाऽहं कारमहदा मकायाँ
मातृ कासं क श द व पायो लेखा भूतायाँ कृ मायायाँ वलापयािम, तथा वयाँ मायाँ च िन यशु
बु मु वभावे वा म काश पस य ानाँन तान दल णे परकारणे परमाथभूते पर ण वलापयािम।त च
िन यशु बु मु वभावं स चदान द व पं प रपूण ैवाहम मीित भावयेत।् एवं या वा यथो व पात ् ॐ
कारा मककातपर
् णः सकाशात ् लेखा भूता सवमं मयी मातृ कासं का श द ा मका मह हं कारा दप-
चत मा ा दसम त पंचकारणभूता कृ ित पा माया र जुसपवत ् वव पेण ादभू
ु ता इित या वा। त या मायायाः
सकाशातआकाशमु
् प नम ,् आकाशा ासु;, वायोर नः, अ नेरापः, अद यः पृ वी समजायत इित या वा। ते यः
पंचमहाभूते यः सकाशात ् वशर रं तेजः पुंजा मकं पु षाथसाधनदे वयो यमु प निमित या वा। त मन ् दे हे सवा मकं
सव ं सवश संयु सम तदे वतामयं स चदानंद व पं ा म पेणानु व िमित भावयेत॥्

॥ इित भूतशु ः॥
26 मई 2011

अथ ाण- ित ा

विनयोगः अ य ी ाण ित ामं य ा व णु ा ऋषयः ऋ यजुः सामािन छ दांिस, परा ाणश दवता, ॐ बीजम,्
ं श ः, क लकं ाण- ित ापने विनयोगः।
डं . कं खं गं घं नमो वा व नजलभू या मने दयाय नमः। ञं चं छं जं झं श द पश परसग धा मने िशरसे वाहा।
णं टं ठं डं ढं ी वड़ नयन ज ा ाणा मने िशखायै वष । नं तं थं धं दं वा पा णपादपायूप था मने कवचाय हम
ु ।्
मं पं फं भं बं व यादानगमन वसगान दा मने ने याय वौष । शं यं रं लं हं षं ं सं बु मानाऽहं कार-िच ा मने अ ाय फ ।
एवं कर यासं कृ वा ततो नािभतः पादपय तमआँ
् नमः। दयतो नािभपय तं ं नमः। मू ा दयपय तं नमः।
ततो दयकमले यसेत।् यं वगा मने नमः वायुकोणे। रं र ा मने नमः अ नकोणे। लं मांसा मने नमः पूव ।
वं मेदसा मने नमः प मे । शं अ या मने नमः नैऋ ये। ओंषं शु ा मने नमः उ रे । सं ाणा मने नमः द णे।
हे जीवा मने नमः म ये एवं हदयकमले।

अथ यानम:्

र ा भा थपोतो लसद णसरोजाङ ि ढा करा जैः पाशम ् कोद डिम ूदभवमथगुणम यड़ कुशम ् पंचबाणान।्
व ाणसृ कपालं नयनलिसता पीनव ो हाढया दे वी बालाकवणां भवतुशु भकरो ाणश ः परा नः ॥

॥ इित ाण- ित ा ॥

जप
अथ महामृ युंजय जप विध
संक पत सं योपासना दिन यकमान तरं भूतशु ं ाण ित ां च कृ वा ित ासंक प कुयात ॐ त सद े या द
सवमु चाय मासो मे मासे अमुकमासे अमुकप े अमुकितथौ अमुकवासरे अमुकगो ो अमुकनाम मम शर रे वरा द-

रोगिनवृ पूव कमायुरारो यलाभाथ वा धनपु यश सौ या द ककामनािस यथ ीमहामृ युंजयदे व ीिमकामनया


यथासं याप रिमतं महामृ युंजयजपमहं क र ये।

(अमुक के थान पर वतमान मास-प -ितिथ-वास- का उचारण कर और अमुक गो ो व नाम के थान पर जसके
िलये जप कया जा रहा हो उस य के गो व नाम का उचारण करना चा हए)

विनयोग
अ य ी महामृ युंजयमं य विश ऋ षः, अनु ु छ दः ी य बक ो दे वता, ी बीजम,् ं श ः, मम अनी सहियथ

जपे विनयोगः।

अथ य या द यासः
ॐ विस ऋषये नमः िशरिस। अनु ु छ दसे नमो मुखे। ी य बक दे वतायै नमो द।
ी बीजाय नमोगु े। ं श ये नमोः पादयोः।
॥ इित य या द यासः ॥
27 मई 2011

अथ कर यासः
ॐ ं जूं सः ॐ भूभु वः वः य बकं ॐ नमो भगवते ायं शूलपाणये वाहा अंगु ा यं नमः।
ॐ ं जूं सः ॐ भूभु वः वः यजामहे ॐ नमो भगवते ाय अमृ तमूत ये माँ जीवय तजनी याँ नमः।
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः सुग ध पु व नमओं
् नमो भगवते ाय च िशरसे ज टने वाहा म यामा याँ वष ।
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः उवा किमव ब धनात्ॐ नमो भगवते ाय पुरा तकाय हां ं अनािमका याँ हम
ु ।्
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मृ योमु ीय ॐ नमो भगवते ाय लोचनाय ऋ यजुः सामम ाय किन का याँ वौष ।
ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मामृ ताम्ॐ नमो भगवते ाय अ नवयाय वल वल माँ र र अघारा ाय
करतलकरपृ ा याँ फ ।

॥ इित कर यासः ॥

अथांग यासः
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः य बकं ॐ नमो भगवते ाय शूलपाणये वाहा दयाय नमः।
ॐ ओं जूं सः ॐ भूभु वः वः यजामहे ॐ नमो भगवते ाय अमृ तमूत ये माँ जीवय िशरसे वाहा।
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः सुग ध पु व नम ् ॐ नमो भगवते ाय चं िशरसे ज टने वाहा िशखायै वष ।
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः उवा किमव ब धनात् ॐ नमो भगवते ाय पुरांतकाय ां ां कवचाय हम
ु ।्
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मृ यामु ीय ॐ नमो भगवते ाय लोचनाय ऋ यजु साममं याय ने याय वौष ।
ॐ ॐ जूं सः ॐ भूभु वः वः मामृ तात् ॐ नमो भगवते ाय अ न याय वल वल माँ र र अघोरा ाय फ ।
॥ इ यंग यासः ॥
अथा र यासः
यं नमः द णचरणा े। बं नमः,कं नमः, यं नमः, जां नमः द णचरणस धचतु केषु । मं नमः वामचरणा े ।
ह नमः, सुं नमः, गं नमः, िधं नम, वामचरणस धचतु केषु । पुं नमः, गु े। ं नमः, आधारे । वं नमः, जठरे ।

नमः, दये। नं नमः, क ठे । उं नमः, द णकरा े। वां नमः, ं नमः, कं नमः, िमं नमः, द णकरस धचतु केषु।
वं नमः, बामकरा े। बं नमः, धं नमः, नां नमः, मृ ं नमः वामकरस धचतु केषु। य नमः, वदने। मुं नमः, ओ योः।
ीं नमः, ाणयोः। यं नमः, शोः। माँ नमः वणयोः। मृ ं नमः वोः । तां नमः, िशरिस।
॥ इ य र यास ॥
अथ पद यासः
य बकं शरिस। यजामहे ुवोः। सुग धं शोः । पु वधनं मुखे। उवा कं क ठे ।
िमव दये। ब धनात ् उदरे । मृ योः गु े। मु य उव :। माँ जा वोः। अमृ तात् पादयोः।
॥ इित पद यास ॥
मृ युंजय यानम्
ह ता याँ कलश यामृ तसैरा लावय तं िशरो, ा याँ तौ दधतं मृ गा वलये ा याँ वह तं परम।्
अंक य तकर यामृ तघटं कैलासकांतं िशवं, व छा भोगतं नवे दमु
ु कुटाभातं ने भजे ॥
मृ युंजय महादे व ा ह माँ शरणागतम ,् ज ममृ युजरारोगैः पी ड़त कमब धनैः ॥
तावक व त ाण व च ोऽहं सदा मृ ड, इित व ा य दे वेशं जपे मृ युंजय मनुम॥्
28 मई 2011

अथ बृ ह म ः
ॐ जूं सः ॐ भूः भुवः वः। य बकं यजामहे सुग ध पु वधनम्।
उ वा किमव ब धना मृ योमु ीय मामृ तात्। वः भुवः भू ॐ। सः जूं ॐ॥
समपण
एतद यथासं यं ज प वा पुन यासं कृ वा जपं भग महामृ युंजयदे वताय समपयेत।
गु ाितगु गोपता व गृ हाणा म कृ तं जपम।् िस भवतु मे दे व व सादा महे र ॥

राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग से धन लाभ

होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती ह। राम र ा यं सभी

कार के अशुभ भाव को दरू कर य को जीवन क सभी कार क क ठनाइय से र ा करता ह। व ानो के

मत से जो य भगवान राम के भ ह या ी हनुमानजी के भ ह उ ह अपने िनवास थान, यवसायीक

थान पर राम र ा यं को अव य थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन

सुखमय यतीत हो सके एवं उनक सम त आ द भौितक व आ या मक मनोकामनाएं पूण हो सके।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

साईज मू य साईज मू य साईज मू य


2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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29 मई 2011

उ म वा य लाभ के िलये करे सूय तो का पाठ


 िचंतन जोशी
सूय तो म सूय दे व के २१ प व , शुभ एवं गोपनीय नाम ह।

तो :

वकतनो वव वां मात डो भा करो र वः।


लोक काशकः ी माँ लोक च ुमुहे रः॥
लोकसा ी लोकेशः कता हता तिम हा।
तपन तापन ैव शुिचः स ा वाहनः॥
गभ तह तो ा च सवदे वनम कृ तः।
एक वंशित र येष तव इ ः सदा रवेः॥

सूय दे व के २१ नाम :
' वकतन, वव वान, मात ड, भा कर, र व, लोक काशक, ीमान, लोकच ,ु महे र, लोकसा ी, लोकेश, कता, ह ा,
तिम ाहा, तपन, तापन, शुिच, स ा वाहन, गभ तह त, ा और सवदे व नम कृ त-

सूय दे व के इ क स नाम का यह तो भगवान सूय को सवदा य है ।'


( पुराण : 31.31-33)

सूय तो का िनयमीत सूय दय एवं सूया त के समय पाठ करने से य सब पप से मु होकर, उसका शर र
िनरोगी होता ह, एवं धन क वृ कर य का यश चर और फेलाने वाला ह। इसे तो राज भी काहा जाता ह। सूय
तो को तीन लोक म िस ा ह।
संपूण ाण- ित त सूययं को पूजा थान मे थापीत कर के िन य यं को धूप-द प करने से वशेष लाभ ा होता
ह।

सूय यं
सूय के अशुभ भाव को दरु करने के िलए अपने पूजन थान म वै दक मं ारा ाण ित त सूय यं को
था पत करना लाभ द होता ह। जससे रोग, आिध- यािध क पीडाएं शांत होती ह। मू य 280 से 5500 तक

GURUTVA KARYALAY
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30 मई 2011

उ म वा य लाभ के िलये शयन और वा तु िस ांत


 िचंतन जोशी
 उ र क तरफ िसर करके सोनेसे धन, यश, आयु क
हािन तथा मृ यु ा होती ह, अथात ् आयु ीण हो
जाती ह।

ाकिशरः शयने व ा नमायु द णो ।


प मे बला िच ता हािनमृ युरथो रे ॥

( आचारमयूखः व कम काश )

शा म उ लेख ह क अपने घरम पुव क तरफ िसर करके,


ससुरालम द ण क तरफ िसर करके और परदे श( वदे श)म

प म क तरफ िसर करके सोये, परं तु उ र क तरफ िसर


करके कभी न सोये –
सवदा पूव या द णक तरफ िसर करके सोना चा हये आयु वगेहे ा छराः सु या वशुरे द णािशराः ।
क वृ होती ह, उ र या प मक तरफ िसर करके सोने से य छराः वासे तु नोद सु या कदाचन ॥
आयु ीण होती ह तथा शर र म रोग उ प न होते ह। ( आचारमयूख; व कम काश १० । ४५ )

नो रािभमुखः सु यात ् प मािभमुखो न च ॥


भारतीय सं कृ ित म एसी मा य ता ह, क जस घर मे
(लघु यास मृ ित २ । ८८)
िनवास करते हो उस घर के मु य ार क और िसर या पैर

उ रे प मे चैव न वपे कदाचन ् ॥ कर के शयन करने से अशुभ भाव ा होता ह। यो क

व ादायुः यम ् याित हा पु षो भवेत ् । मरणास य का िसर मु य ार क तरफ रखा जात ह।


न कुव त ततः व ं श तम ् च पूव द णम ् ॥
 धन - स प इ छा रखने वाले वाले य को
( पदम पुरण, सृ ५१। १२५ - १२६ )
अ न, गौ, गु , अ न और दे वता के शयन थान के
 पूव क तरफ िसर करके सोनेसे य को व ा ा होती ऊपर नह ं सोना चा हये । अथात: अ न रखने वाले
ह।
भ डार गृ ह, गौ-शाला, गु के शयन थान,
 द ण क तरफ िसर करके सोने से धन तथा आयुक
वृ होती ह । पाकशाला(रसोई गृ ह) और मं दर के ऊपर शयन या

 प म क तरफ िसर करके सोने से बल िच ता होती शयन क नह ं बनाना चा हये ।


ह ।
31 मई 2011

उ म वा य लाभ के िलये भोजन और वा तु िस ांत


 िचंतन जोशी
शा ो मतानुशार भोजन सवदा पूव अथवा उ रक जो बना पैर धोये भोजन करता ह, जो द णक ओर
ओर मुख करके करना चा हये। मुँख करके खाता ह अथवा जो िसरम व लपेट कर
(िसर ढककर) खाता ह, उसके ारा हण कये गये
" ा मुखोद मुखो वा प" अ न को सदा ेत ह खाते ह ।
( व णु पुराण ३।११।७८)
य वे तिशरा भु े य भुड े द णामुखः।
" ा मुखऽ नािन भु ञी" सोपान क य भु े सव व ात ् तदासुरम ् ॥
( विस मृ ित १२।१५) (महाभारत, अनु० ९०।१९)

द ण अथवा प मक ओर मुख करके भोजन नह ं जो िसरम व लपेटकर भोजन करता ह, जो द णक


करना चा हये। ओर मुख करके भोजन करता है तथा जो च पल-जूते
पहने भोजन करता ह, उसके ारा हण कये गये
भु ञीत नैवेह च द णामुखो न च
भोजन को आसुर समझना चा हये।
ती यामिभभोजनीयम ्॥
(वामनपुराण १४।५१) ा यां नरो लभेदायुया यां ेत वम ु ते ।
द णक ओर मुख करके भोजन करनेसे उस भोजनम वा णे च भवे ोगी आयु व ं तथो रे ॥
रा सी भाव आ जाता ह। ( प पुराण, सृ ० ५१ । १२८)

'त वै र ांिस भु ञते ' पूव क ओर मुख करके भोजन करने से य क आयु
(पाराशर मृ ित १।५९) बढ़ती ह। द ण क ओर मुख करके भोजन करने से
ेत त व क ाि होती ह। प म क ओर मुख करके
अ ािलतपाद तु यो भु के द णामुखः ।
भोजन करने से य रोगी होता ह। उ र क ओर
यो वे तिशरा भु े ेता भु ञ त िन यशः ॥
मुख करके भोजन करने से य क आयु तथा धन
( क दपुराण, भास० २१६ । ४१)
क ाि एवं वृ होती ह ।

अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृपा एवं आशीवाद बना रहता ह।
ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज ल मी, (५)-संतान
ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का वतः अशीवाद ा होता
ह। मू य मा : Rs-1050
32 मई 2011

सव रोग नाशक महामृ यु जय मं अचूक भावी


 िचंतन जोशी
महामृ युंजय मं के विध वधान के साथ म यिघ उपािधयां उ प न होती रहती ह। इस िलए हम
जाप करने से अकाल मृ यु तो टलती ह ह, रोग, शोक, अपने शर र को व य रखने के िलए आहार- वहार,
भय इ या द का नाश होकर य को व थ आरो यता खान-पान और िनयिमत दनचया िन त समय पर
क ाि होती ह। करना पडता ह।
यद नान करते समय शर र पर पानी डालते य द इन सब को िन त समय अविध पर करते
समय महामृ यु जय मं का जप करने से वचा रहने के बाद भी य द कोई रोग या यािध हो जाए एवं
स ब धत सम याए दरू होकर वा य लाभ होता ह। वह रोग इलाज कराने के बाद भी य द ठ क नह ं हो
य द कसी भी कार के अ र क आशंका हो, एवं सभी जगा से िनराशा हाथ लगरह हो तो एसे अ र
तो उसके िनवारण एवं शा त के िलये शा म स पूण क िनवृ या शांित के िलए महामृ यु य मं जप का
विध- वधान से महामृ युंजय मं के जप करने का योग अव य कर।
उ लेख कया गया ह। ज से य मृ यु पर वजय शा म मृ यु भयको वप या संकट माना
ाि का वरदान दे ने वाले दे वो के दे व महादे व स न गया ह, एवं शा ो के अनुशार वप या मृ य के
होकर अपने भ के सम त रोगो का हरण कर य िनवारण के दे वता िशव ह।
को रोगमु कर उसे द घायु दान करते ह। योितषशा के अनुशार दख
ु , वप या मृ य
मृ यु पर वजय ा करने के कारण ह इस के दाता एवं िनवारण के दे वता शिनदे व ह, यो क
मं को मृ युंजय कहा जाता है । महामृ यंजय मं क शिन य के कम के अनु प य को फल दान
म हमा का वणन िशव पुराण, काशीखंड और महापुराण करते ह। शा ो के अनुशार माक डे य ऋ ष का जीवन
म कया गया ह। आयुवद के ंथ म भी मृ युंजय मं अ य प था, परं तु महामृ युंजय मं जप से िशव कृ पा
का उ लेख है । मृ यु को जीत लेने के कारण ह इस ा कर उ ह िचरं जीवी होने का वरदान ा हवा।

मं को मृ युंजय कहा जाता है ।
महामृ युंजय का वेदो मं िन निल खत है-
महामृ युंजय मं का मह व:
ॐ य बकं यजामहे सुग धं पु वधनम।्
मृ यु विन जतो य मात् त मा मृ युंजय:
उवा किमव ब धना मृ योमु ीय माऽमृ तात्॥
मृ त: या मृ युंजयित इित मृ युंजय,
अथात: जो मृ यु को जीत ले, उसे ह मृ युंजय कहा मं उ चारण वचार :
जाता है । महामृ युंजय मं म आए येक श द का उ चारण
प करना अ यंत आव यक है , य क प श द
मानव शर र म जो भी रोग उ प न होते ह
उ चारण मे ह मं है । इस मं म उ ले खत येक
उसके बारे म शा ो म जो उ लेख ह वह इस कार
श द अपने आप म एक संपूण बीज मं का अथ िलए
ह"शर रं यािधमं दरम ्" ांड के पंच त व से उ प न
हए
ु है ।
शर र म समय के अंतराल पर नाना कार क आिध-
33 मई 2011

महामृ युंजय मं के अ य योग अ यथा आपके घर म पानी रखने का जो मटका,


फलटर इ या द जो साधन हो उस के अंदर
योग: 1
महामृ युंजय यं को डू बाकर अभी रख सकते ह। इस
हर दन नाना द से िनवृ होकर अपने हाथो को योग से घर के सभी सद यो का वा य उ म रहता
व छ पानी से धोले। अपने पूजा थान पर एक तांबे ह।
के पा म या अ य कसी व छ पा म 1-2 लास
नोट:
जल भरल। उस जल भरे पा म अपने दा हने हाथ क
चार उं गली व अंगूठे को डू बाद और महामृ युंजय मं हाथ व पा को शु पानी से अ छ तरह साफ करल व
का जप करते हएं
ु 108 बार या 5 िमनट या 10 िमनट पा म शु जल ह भरे । अ यथा हाथ म लगी धूल-
तक महामृ युंजय मं का जप करते हएं
ु उस जल को िम ट व कटाणु पानी के साथ िमलकर आपके िभतर
पीले या 1-2 घंटो म थोडा-थोडा जल पीते रह। जायगे जो वा य के िलये हािनकारक हो सकता ह।

एसा करने से आपके शार र क उजा जा त होकर उस मं का जप जब पानी म हाथ डू बा हो तब 5-10 िमनट
जल भर पा म सकारा मक उजा के त होती ह। से अिधक न कर अ यथा हाथ म पसीना होने लगेगा
सकारा मक उजा भर इस जल को पीने से शर र के और पा के जल म उसका िम ण अिधक मा ा म होने
सम त रोग, आिध- यािधयां वतः नाश हो जाती ह। पर वा य के िलये नु शानदे ह हो सकता ह।

उ सभी योग हमारे वष के अनुभव व शोध के


आधार पर हमने पाया ह क यह योग त काल भा व
योग: 2
ह। आप भी अपने जीवन म इस योग को अपनाकर
जलभरा पा लेकर जल पर ी डालते हए
ु दे खल। जससे इस योग का शुभ प रणाम/लाभ पूण
महामृ युंजय मं जप करना भी लाभ द होता ह। पादश ता से आपके सामने होगा इस म जरा भी संदेह
नह ं ह। यहं योग हमने वयं व हमारे साथ ल बे
समय से जुडे हजारो बंध/
ु बहन ित दन करते आरहे ह।
योग: 3
यहं योग य को सभी कार के रोगो से मु व
यद यह करने म भी आप असमथ ह। संपूण उ म वा य क ाि हे तु पूण तः स म ह। यो क
ाण ित त व पूण चैत य यु ता बे म िनिमत इस योग से साधक अपनी वयं क श को क त
महामृ युंजय यं को ा करल। करता ह।
अपने पूजन घरम महामृ युंजय यं को था पत कर के य द कोई य उ योग को वयं करने म स न
ित दन सुबह नाना द से िनवृ होकर एक व छ नह ं हो तो उसके प रवार का कोई भी सद य इस
पा म यं को रखद उस यं पर शु जल से योग को कर के उस जल को रोगी को पीला सकते ह।
महामृ युंजय मं का उ चारण करते हए
ु महामृ युंजय
 मं जप पूण िन ा व ा से कर।
यं के उपर जलधार डाले। फर उस जल को हण
कर। महामृ युंजय यं के उपर चम च से एक-एक मं  म हलाओं के िलये अशु के दौरान योग
उ चारण करते हए
ु भी महामृ युंजय यं पर जल चढा करना िन षध ह।
कर औअस जल को ले सकते ह।
34 मई 2011

व न और रोग

 िचंतन जोशी
व न म य द अमलतास के फूल दखे तो पीिलया या कोढ़ का रोग होने क संभावना होती ह।
व न म य द अंजन अथात काजल दखे तो ने रोग होने क संभावना होती ह।
व न म य द अरहर खाते दे खना पेट दद का सूचक ह।
व न म य द अचार, पपीता, अरबी, कद ू दे खना िसर दद और पेट दद होने के संकेत ह। य द अपना पेट बढाहआ

नझर आये तो पेट से संबंिधत परे शानी का सूचक ह।
व न म य द अंग र क दखे तो गंिभर चोट लगने का खतरा होता ह।
यद व न म जलती हई
ु अगरब ी, वयं को उड़ते, कोई कारखाना दे खना आक मक दघटना
ु का संकेत ह।
व न म यद अंगार पर चलते, आक का पौधा या फूल, फंसा हआ
ु चूहा, उड़ती हई
ु वा प दे खना शार रक क होने
के संकेत ह।
यद व न म कसी कार क पु डया बंधते, फूट आँख दखे तो यहं शार रक क म वृ के संकेत ह।
यद व न म इ मूित चोर दखना मृ युतु य क होने के संकेत ह।
यद व न म दखे तो उपवन, कली, क बल, कसरत करते, पोशाक पहनना, रोट खाना या पकाना, वासागर सूखता,
छ से िगरते सांप, नकाब लगाते, गम पानी का झरना, पीले रं गका झंडा, द ू हा /द ु हन बारात, पंजीर खाना, वषैले
जीव, खाली खाट दे खना बीमार क पूव सूचना के संकेत ह।
चंचल आँखे दे खना
यद व न म दखे तो कंघी दे खना दांत या कान म दद और आक मक चोट लगने का संकेत ह।
यद व न म घर म आग, तराजू म तुलता सामान, बादाम खाता, हक म-वै , वयं को भूिम पर, मखमल पर बैठे,
सोना, शर र क मािलश, आईना, गीली व तु, दखे तो बीमार बढने के संकेत ह।
यद व न म सेवा करवाना, सोलह ृ ं गार, पीला रं ग, पजरा दे खना, पालक दखे तो वा य खराब होने के ल ण
ह।
यद व न म अपना कद ल बा दखे या सूय च आ द का वनाश होता दखे तो मृ युतु य क होने का संकेत ह।
यद व न म कमंडल दखे तो प रवार के कसी सद य से वयोग होने का संकेत ह।
यद व न म पीले रं ग क गाय या बैल दे खना भयंकर महामार आने के ल ण ह।
यद व न म गरम पानी दे खना बुखार या अ य बीमार आने के ल ण ह।
व न म आकाश, ुव तारा, हण, सूय दशन और वण दखे तो शार रक क होने के संकेत ह।
यद व न म शर रबडे से छोटा व छोटे से बडा होते दखे, हाथ से चलना, जानवर क तरह चलना, मनु य के
थान पर पशु या प ी आवाज सुनना, जंगली प -े घास खाते दे खना वा य से संबंिधत सम याओं से समु खन होने
का संकेत ह।
यद व न म कोई व तु फूटते दे खना, चीर-फाड आिध दखाई दे तो श य या अथात ऑपरे शन का संकेत ह।
35 मई 2011

व न और उ म वा य के संकेत
यद व न म अंगूर, अजवाईन, चूरन, सरस का साग, स ठ खाते दे खना बमार से छुटकारा और व य लाभ होने
का संकेत ह।
यद व न म शर रका कोई कटा अंग, खर च, खुजली, तालाब म तैरना, तोिलया, दवा का िगरना, दप
ु टा, दे वी दशन,
नमक, नीम का , पर , साद बाँटना, ु
बटआ दे खना, अपने भाई को दे खना, यमराज दे खना, हर रं ग के कपडे ,
शरबत दे खना, मा-दान करते, साबुन, ह ड दे खना रोग से छुटकारा िमलने का संकेत ह।
यद व न म चूहे दानी से चूहा िनकलते दे खना रोग, क से मु के संकेत ह।
दधायु योग
यद व न म अपहरण, आ मह या, कफन, नर कंकाल, मीनार, शमशान-क तान, ह या या अपने पर हमला होते
दे खना आयु वृ के संकेत ह।
नोट: व न का फल दे खते समय केवल रा के उ रा के उपरांत दखाई दे ने वाले व न को ह भ व य का संकेत
समझना चा हये।

मं िस मंगल गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन
के िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और मानिसक श य का
वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त करने हे तु भी मूंगा गणेश क
पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत करने से भगवान गणेश क कृ पा
श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह, ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं
सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह। ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से
भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन
श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर, तूफान, आग,
बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से मु िमलती ह।जो य
उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह। मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने
से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण
होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक

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36 मई 2011

रोग होने के संकेत

 िचंतन जोशी
 घरम सभी कार क दवाईयां ऎर टाइट ड बो म बंध कर के रख। यो क खूली दवाईया नकारा मक उजा पैदा
करती ह जससे रोगो क वृ होती ह जो घर के व य य को भी शी रोगी बनादे ता ह।

 अपने बैड प म कसी भी कार के िमरर या अ य साम ी जससे शर र का र ले शन होता ह जैसे आईना,
ट वी इ या द व तुओ उसे ढक कर रखे या बैड म से िनकाल द।

 य द िनवास थान पर मं दर क परछा पड़ रह हो, तो गृ ह वामी को अनेक कार के क भोगने पड़ते ह।

 य द िनवास थान के स मुख बडा खंभा हो तो य म दोष उ प न होता ह।

 य द िनवास थान के स मुख मशान-क तान हो तो रोगा द भय होता है ।

 य द िनवास थान के सामने भ ट हो तो पु संत का नाश होता है ।

 भवन के ऊपर से बजली के हाई वो टे ज वाले तार का गुजरने से वा य सम याएं घेरे रहती ह।

 जस भूिम आ नेय, ईशान व वाय य से ऊंची, वाय य व आ नेय से नीची और नैऋ य से नीची हो, एसे लाट को
वमुख भूखंड कहाजाता ह। वमुख म िनवास करने वाले य सदै व रोग त रहते ह और धन का नाश भी होता
है ।

 िनवास हे तु जो थान से नीचा व अ य सभी दशाओं से ऊंचा हो उसे नागपृ वा तु कहा जाता ह। नागपृ भूिम
पर िनवास करने वाले क पु ी को अिधक क होते ह व प रवार म रोग क वृ होती ह।

 िनवास हे तु उ र से ऊंची व द ण से नीची भूिम हो उसे यमवीथी भूखंड कहा जाता है । यमवीथी भूिम पर वास
करने से भवन म िनवास करने वाले रोग त होता है ।

 िनवास थान हे तु असमान आकार वाली अथात भुजाओं व असमान कोण वाले भूखंड रोगकारक, शोककारक होते ह।

 जस भूखंड का आकार घड़े के समान हो वहां िनवास करने वाले य य को कु का रोग होने क संभावना अिधक
रहती है ।

 य द लाट क द ण दशा अगर द ू षत या अिधक खुली हो तो िनवास कता को श ु भय व रोग दान करने वाले
ोती ह।
 य द घर का वाय य कोण सबसे बड़ा या यादा गोलाकार है तो गृ ह वामी को गु रोग होने क संभावना होती ह।

उ म वा य हे तु

 िनवास हे तु उ म भवन द ण से ऊंचा व उ र से नीचा होना शुभ होता ह उसे गणवीथी भूखंड कहा जाता ह।
गणवीथी भूखंड पर िनवास करने से उ म आरो य क ाि होती ह व घर म रोग यदा दन नह ं रहता।

 तुलसी के िनयिमत सेवन से य के सभी रोग, शोक, पाप-ताप क शांित होती है ।


37 मई 2011

र एवं रं ग ारा रोग िनवारण


 िचंतन जोशी
हर र के रं गो का अ ुत एवं चम का रक भाव होता ह ज से हमारे मानव शर र से सभी कार के रोग हे तु
उपयु र का चुनाव कर लाभ ा कया जासकता ह।
ांड म या हर रं ग इं धनुष के सात रं ग के संयोग से संबंध रखता ह, हमारे ऋ ष-मुिनय ने हजार साल
पहले िलख दया था क इं धनुष के सात रं ग सात ह के तीक होते ह, एवं इन रं ग का संबंध ांड के सात हो से
होता ह जो मनु य पर अपना िन त भाव हर ण डालते ह। इस बात को आज का उ नत एवं आधुिनक व ान भी
इस बातक पृ करता ह। योितष के कोण से हर ह का अपना अलग रं ग व र ह। हमारे िलये अपने जीवन
को रोग मु रखने हे तु इन सातो रं गो का िन त संतुलन रखना अित आव यक होता ह। एवं य द यह संतुलन बगड
जाये तो य को तरह-तरह के रोग होना ारं भ हो जाता ह एवं उन रं गो को संतुिलत करने हे तु र को मा यम
बनाकर उसे कायम रखकर हम कुछ बीमा रय म लाभ ा कर सकते ह।
इन रं गो को म म दे खने पर वह अलग रं ग का दखता ह।
वा तव म हर रं ग जो हमे दखाइ दे ता ह जसे हम - वेत-काला-लाल-
हरा-पीला-भूरा इ या द सभी जो हमे गोचर होते ह वह रं ग वा तव
म अलग रं ग का होता ह!
जेसे बादल का रं ग दे खने म ह का भूरा या ह का नीला ितत
होता है , ले कन य द इन बादल को म के मा यम से दे खा जाए तो
काला या ह का भूरा दखने वाला बादल असल म नारं गी रं ग का होता
ह। सूय क रोशनी दे ख ने म सफेद या सुनहर दखती ह ले कन
म से दे खने से इसम सात रं ग दखाइ दे ते ह।
कोइ भी य रं ग के भेद को समज कर कौन सा रं ग शर र
के कस ह से पर अपना भा वत रखता ह, कौन रं ग कस बीमार को
पैदा कर सकता ह,

सात रं गो क जानकार इस कार ह।


 सूय ह के मु य र मा ण य ( बी) से लाल रं ग क र म ा होती ह।
 चं ह के मु य र मोित से केसर या नारं गी रं ग क र म ा होती ह।
 मंगल ह के मु य र मूंगे से पीले रं ग क र म ा होती ह।
 बुध ह के मु य र प ना से हरे रं ग क र म ा होती ह।
 बृ ह पती (गु ) ह के मु य र पीले पुखराज से नीले रं ग क र म ा होती ह।
 शु ह के मु य र ह रे से ह के नीले(आसमानी) रं ग क र म ा होती ह।
 शिन ह के मु य र िनलम से जामुनी रं ग क र म ा होती ह।
38 मई 2011

अब इन रं गो के पंचभूत त व पृ वी, जल, अ न, वायु और आकाश के बारे म जाने और उ ह समझ कर उनका योग
कर वशेष लाभ ा कर सके।
 जल त व:- केसर या नारं गी एंव आसमानी रं ग का संचालन करता ह।
 अ न त व:- लाल एवं पीले रं ग का संचालन करता ह।
 वायु त व:- जामुनी रं ग का संचालन करता ह।
 आकाश त व:- नीले रं ग का संचालन करता ह।
 पृ वी त व:- हरे रं ग का संचालन करता ह।

मानव शर र के साथ रं गो के भेद को जनते ह। इन सबके भेदो को


म ार अनुसंधान कर जानागया ह।

आंख :- पश:- जामुनी रं ग


लाल रं ग विन:- नीले रं ग
सन:- वाद:- केसर या नारं गी
हरा रं ग

मानव शर र क गरमी पीले एवं आसमानी रं ग से भा वत होती


ह। वचा जामुनी रं ग से भा वत होती ह। नाक को दे खने से नाक हरे
भा वत होती ह। जीभ को दे खने से केसर या नारं गी से भा वत होती
दखाइ दे ती ह। कान को दे ख ने पर कान क नली नीले रं ग क ह दखाई दे ती ह।
हमारे आस-पास के माहोल मे इन रं ग के होने से ह हम अपने अंग ारा पश, सूंघने, वाद, और आवाज
का आभास ा करते ह। इसी वजह से हम नाक से केवल सूंघ सकते ह, दे ख नह ं सकते या वाद नह ं ले सकते।
ऐसा इसिलए होता ह यो क खुशबू और बदबू को केवल नाक हन कर कती ह यो क वह हरे रं ग से भा वत ह
एवं वह केवल हरे रं ग को ह हण करती ह, बाक को नह ं कर सकती। इसी िलये हरे रं ग को खुशबू और बदबू जेसी
सूंघने क श के साथ म संबंध होता ह।
इसी कार सह रोग का अनुसंधान कर सह रं गोका चुनाव कर य िन त लाभा उठा सकते ह इस मे कोइ
दो राइ नह ं हो सकती।

मनु य के शर र मे उ प न होने वाले दोष भी इसी कार सात रं ग के कारण पैदा होते ह।
 आयुवद म वायु दोष वायु त व नीले और जामुनी रं ग से उतप न होती ह।
 प अ न त व के लाल रं ग से उतप न होता ह। कफ जल त व के केसर या नारं गी से उतप न होता ह।
 पृ वी त व हरे रं ग से उतप न होता ह। पृ वी त व का ितिनिध व करने वाला हरा रं ग बा क सब रं गो म
सबसे ठं डा होता है । इसी िलए हमे कसी पेड़ या हरे रं ग के छपरे के नीचे होने से हमे कम गरमी लगती ह।
 शायद इसी अनुसंधान के से आजकल ल टक के हर रं गके छपरे या ला टक लेट ( ीन इफे ट) वाली च र
क ब जोरो पर ह।
39 मई 2011

 इस िलये मानव शर र को गरम-ठं डा रख कर और सह रं ग क पेहचान कर मानव शर र म वा हत कर दया


जाये तो य सदै व िनरोग रह सकता ह।
 यो क जन शर र म गरमी एवं ठं ड का संतुलन खराब होजाता ह तभी शर रमे दोष उ प न होते ह जसे हम
व तान म वायु, प और कफ के नाम से जानते ह।
 वायु, प और कफ क उ प से हर छोट बड बमार उ प न होना शु होजाती ह चाहे वह मािमली शद
खासीं होया बडे से बडा कसर इ या द हो।
 हमारे शर र म जब गम या ठं ड क अिधकता या कमी हो जाती है तो वपर त रं गो या र ो के मा यम ारा
रं ग के संतुलन से इसे ठ क कया जाता ह।
 यो क रं ग हम ा होते ह र से। हर एक र म रोग ठ क करने क वल ण मता होती है । शर र म जब
रोग पैदा होते ह तो वह रं ग को लेकर और यह कमी पूर करते ह र ।
 स दय से आयुवद म र का उपयोग भ म के प म कया जाता रहा मं िस प ना गणेश
ह योितष म रोग को हो से जोड कर उसे शांत करने हे तु र धारण भगवान ी गणेश बु और िश ा के
कर योग कया जाता ह। कारक ह बुध के अिधपित दे वता
 इसी िलये यह सार याए महज रं ग का संतुलन शर र म करने से ह ह। प ना गणेश बुध के सकारा मक
संप न होती है । भाव को बठाता ह एवं नकारा मक

 यादातर लोगो को गरमी म काला कपड़ा पहनने से अिधक गरमी भाव को कम करता ह।. प न

महसूस होती ह और सफेद कपड़ा पहनने से ठं डक महसूस होती ह गणेश के भाव से यापार और धन
म वृ म वृ होती ह। ब चो क
आपने भी अपने जीवन म कभी ना कभी यह ज र महसुश कया होगा
पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
क कसी रं ग वशेष के कपडे या अ य साम ी से आपको लाभा हो रहा
प ना गणेश इस के भाव से ब चे
ह या नु शान हो रहा ह।
क बु कूशा होकर उसके
 कसी वशेष रं ग के कपडे पहनेते ह आपको यादा गु सा आजाता ह
आ म व ास म भी वशेष वृ होती
तो कभी कसी रं ग के कपडे पहने होने पर आपको गु सा बहोत कम ह। मानिसक अशांित को कम करने म
मा ा म या नह ं के बराबर आता ह यह भाव तो आपने सहज म ह मदद करता ह, य ारा अवशो षत
महसूस कया होगा।।यह सब खेल रं गो क माय का ह। हर व करण शांती दान करती ह,
नोट: उपरो सभी जानकार हमारे िनजी एवं हमारे ारा कये गये योगो एवं य के शार र के तं को िनयं त
करती ह। जगर, फेफड़े , जीभ,
अनुशंधान के आधार पर दगई ह।
म त क और तं का तं इ या द रोग
कृ या कसी भी कार के योग या रं ग या र का चुनाव करने से पूव
म सहायक होते ह। क मती प थर
वशेष क सलाह अव य ले।
मरगज के बने होते ह।
य द कोइ य वशेष क सलाह नह लेकर उपरो जानकार के योग
करता ह तो उसके लभा या हानी उसक वयं क ज मेदार होगी। इ से के Rs.550 से Rs.8200 तक
िलये कायालय के सद य या सं थपक ज मेदार नह ं ह गे।
हम उपयो लाभ का दावा नह ं कर रहे यह महज एक जानकार दान करे ने हे तु इस लोग पर उपल ध कराइ ह।
रं गोका भाव िन त ह इसमे कोइ दो राय नह ं क तु र एवं रं गो का चुनाव अ य उस क गुणव ा एवं सफाई पर
िनभर ह अ पतु वशेष क सलाह अव य ले ध यवाद।
40 मई 2011

वा तु एवं रोग
 िचंतन जोशी
भवन के उ र-प म भाग(वाय य कोण) का संबंध वायु त व के साथ होता ह। वायु का ाण के साथ संबंध ह।
इस िलये भवन के वाय य कोण के यादा से यादा थानको खु ला राखना चा हये। इस कोने म भार सामन न हं
रखना चा हये या भार भवन का िनमाण न हं करना चा हये अ यथा ास से संबंिधत परे शानी, वायु वकार तथा
मानिसक रोग होने क संभावना अिधक बढ़ जाती ह।
 जस भवन के वाय य कोण क सतह उ र-पूव क सतह से थोड ऊचाई पर एवं द ण-प म क सतह से थोड नीची
हो वह भवन िनवास हे तु शुभ होता ह।
 जस भवन म उ र दशा क जगह अिधक होतो प रवार म म हला वग म वचा संबंधी रोग ए झमा, एलज इ या द
होने का खतरा बढ जाता ह।
 य द भवन के प म म जगह उ र से अिधक होतो पु ष वग के िलये शार रक क होने का खतरा बढ जाता ह।
 भवन के उ र-पूव (ईशान कोण) का संबंध जल त व के साथ होता ह।
 जस भवन का ईशान कोण भार हो तो भवन म रे हने वाले लोगो के शर र म जल त व के असंतुलन के कारण विभ न
कार के रोग एवं परे शािनयां उतप न होती ह।
 य द भवन का ईशान कोण जतना होसके खुला एवं हलका रखा जाये उतना शुभ होता ह।
 य द भवन म ईशान कोण म रसोई घर होतो घरके सद यो म पेट से संबंिधत रोग एवं प रवार के सद यो के बचम
तनाव होता ह।
 ईशान कोण म भूिमगत जल भंडार या घरम आनेवाले पानी क लाइन इस दशा मे होतो अित उ म होता ह।
य द घरम बीमार घर कर गई हो, तो रोगी को घर के ईशान कोण क और मुख करके दवाई का सेवन कराने से रोग
ज द थीक होजाता ह।
 य द भवन का ईशान कोण कटा हो तो भवन म िनवास करने वाले लोग र - वकार एवं यौन रोग हो सकता ह एवं
य क जनन मता कमजोर होसकती ह।
 य द ईशान कोण से उ र का भाग ऊंचा होय तो प रवार म ी वग का वा य पर खराब असर होता ह।
 य द ईशान कोण से पूवनुं का भाग ऊंचा होय तो प रवार म पु षो के वा य पर खराब असर होता ह।
 भवन के पूव -द ण (अ न कोण) का संबंध अ न त व के साथ होता ह।
 जस भवन के अ न कोण म रसोई घरको वा तु क से शुभ मानागया ह।
 जस भवन के अ न कोण म जल भंडार या ोत हो तो िनवास करने वाले उदररोग एवं प वकार होता ह।
 भवन के द ण-पूव मे य द द ण का थान यादा होतो प रवार के पु ष सद यो म मानिसक परे शानी होती ह।
 वा तुशा के अनुसार भवन का के थान( थान) को यदा मह व हया गया ह। जो वा तु म आकाश त व से
संबंध रखता ह। इस िलये इस थान को यथा संभव खाली रखना आव यक ह ज से प रवार के लोगो का वा य
उ म होता ह एवं प रवार का वकास शी होता ह।
 भवन के थान पर कसी कार क अ व छता होने से प रवार के सद यो के वा य पर बुरा असर दे खा गया ह।
 भवन के थान पर शौचालय, पगिथयां (सीड ), गटर, से ट टे क आ द होने से सद यो म कान क परे शानी,
बदनामी, धन हािन एवं प रवार के वकास म कावट होते दे खा गया ह।
41 मई 2011

ह त रे खा एवं रोग
 िचंतन जोशी
य क हथेली म विभ न कार क रे खाऎ, पवत एवं उन पर उभर कर आने वाले तरह तरह के िच के बदलाव से य को
होने वाली बीमा रय का अंदाजा लगाया जासकता ह। हर ह के कुछ िन त िच होते ह। इन िच ो का भाव हथेली म ह के
पवत पर ह ने के अनु प शुभ-अशुभ फल क ाि होती ह।

जािनए ह त रे खा से विभ न रोग के संकेत


* हमे श दान करने वाली सूय रे खा एवं वा य रे खा सूय पवत के समीप पाई जाती ह।
* य द हथेली म शिन एवं सूय का संबंध हो जाए तो य क ज से पीडा होती ह।
* जस य के हाथ म दय रे खा कमजोर होती ह एवं भा य रे खा एकदम प हो, आयु रे खा से जुड हई
ु कोई रे खा
किन का के तीसरे पव तक जाती हो, या मंगल पवत पर ॉस का िच हो, या उभरे हए
ु चं पवत पर झंडे का िच हो
तो य बदहजमी, अपच, गैस इ या द रोग से पी ड़त होता ह।
* जस य के हाथ म गोल घेरे का ह के पवत पर होना शुभ माना गया ह, ले कन गोल घेरे का रे खाओं पर होना
अ यंत अशुभ माना गया ह। य द गोल घेरे का दय रे खा पर होने से य को आंखो क सम या हो सकती ह।
मंगल पवत पर गोल घेरा होने से भी ने संबंिधत पीडा होती दे खी गई ह।
* जस य के हाथ म शिन पवत पर या आयु रे खा के अंत म ॉस या जालीदार रे खा का होना य को असा य
रोग होने का संकेत दे ती ह।
* जस य के हाथ म वा ू
य रे खा टट फूट हो, या दय रे खा और म तक रे खा एक दसरे
ू समीप आ गई हो तो
य को ास रोग होने क आशंका अिधक रहती ह।
* जस य के हाथ म आयु रे खा, दय रे खा और म तक रे खा के अंत म जालीदार रे खाएं ह या पवत पर जालीदार
रे खाएं ह , ॉस का िच ू
हो, हथेली पर काले या नीले रं ग के ध बे या बंद ु ह , नाखून गहरे नीले रं ग के ह , नाखून टटने
वाले ह या अ वाभा वक आकर के ह , या अंगुिलयां मुड़ हई
ु ह , या हथेली क वचा नरम हो, हाथ हमेशा भीगा हआ

सा रहता ह, तो य जीवन भर कसी न कसी रोग से पी डत होकर अ व थ रहता ह।
* जस य के हाथ म आयु रे खा, दय रे खा और म तक रे खा तीन एक जगह िमली हई
ु हो, या अंगुिलय के नाखून
ू हए
म खड़ रे खाए हो, या नखून कनार से टटे ु ह , नाखून के मूल पर च मा काले रं गके हो या वलु होगये हो, या
शिन पवत पर जालीदार िच का होना, य को ग ठया रोग होने का संकेत दे ता ह।
* जस य के हाथ म आयु रे खा पर ॉस होना कसी दघटना
ु त होने का संकेत होता ह।
* आयु रे खा के अंत म काला ध बा होना गंभीर चोट लगने का सूचक ह।
* जस य के हाथ म आयु रे खा पर काला बंद ु हो तो यह कसी बड़े रोग क सूचना दे ता ह।
* जस य के हाथ म आयु रे खा अंत म दो मुखी हो जाए तो, य को मधुमेह होने का संकेत होता ह।
* जस य के हाथ म आयु रे खा चौड़ हो, या उसका रं ग पीला हो, या जंजीरनुमा हो तो य का वा य हर समय
खराब रहता ह।
ू जाना य
* आयु रे खा का अचानक टट क कसी बीमार के कारभ अचनाक मृ यु का संकेत माना गया ह।
42 मई 2011

ह त रे खा से जाने रोग
* दय रे ख पर काला बंद ु होना, या आयु रे खा पर नीला ध बा हो, या हाथ म वा ू -फूट हो, या म तक
य रे खाटट
रे खा के म य म काला ध बा हो तो य को वर से पीड़ा होती ह।
* य द चं ू
पवत पर गहर धा रयां ह , या म तक रे खा धुमावदार या टट हई
ु हो, या म तक रे खा पर ॉस का िच ह
हो, या म तक रे खा का शिन पवत के िनकट अंत होती ह , तो य क मानिसक बीमार से िसत होता ह।
ू कर ख म होती हो, चं
* म तक रे खा शिन पवत के नीचे टट पवत पर टे ढ -मेढ रे खाए ह , दय रे खा जंजीर के
समान ह कर अ प हो, तो य को पथर रोग होने क संभावना रहती ह।
* य द हथेली क रे खाएं पीली हो, या गु पवत अिधक उ नत हआ
ु हो, या नख लंबे एवं काले हो,म तक रे खा और शिन
पवत के नीचे क रे खा जंजीरनुमा हो, तीन मु य रे खाओं को कोई रे खा काट रह हो, तो य को य रोग एवं फेफड़
से संबंिधत रोग हो जाता ह।
* शिन पवत पर जाली हो, या कोई रे खा आयु रे खा एवं म तक रे खा को काटकर जाली को छुती हो, या चं मा पवत पर
ॉस हो, चं मा पवत पर अ त- य त रे खाएं ह , वा य रे ख धुमती हइ
ु शु पवत से जुडती हइ
ु कोई रे खा आयु रे खा
को काटकर म तक रे खा को काटती हुई दय रे खा से िमलती हो, तो य मधुमेह से पी ड़त रहता ह।
* य द हथेली अिधक पतली एवं लंबी हो, अंगुिलयां भी अिधक लचीली हो, या हथेली से थो ड बड़ हो, या म तक रे खा
तथा दय रे खा के बीच म अिधक अंतर हो, ह पवत क मुडने वाली ऊ वागामी रे खाएं अिधक हो, तो य म तक
वर से पी ड़त होता ह।
* य द चं पवत काफ उ नत हो चं पवत के नीचे का भाग पर काफ रे खाएं ह , आयु रे खा को छुती हई
ु कोई रे खा
चं पवत क ओर जा रह हो, तो य य को मू संबंधी बीमा रयां पी ड़त करती ह।
ह त रे खा से लकवा से पी ड़त होने के ल ण?
* य द दोन हाथ म शिन पवत पर न जेसा िच ह ।
* चं पवत पर जालीदार रे खाएं ह ।
* नख क आकार कोण जेसा ितत होरहा ह ।
* शिन पवत पर ॉस का िच ह ।
* दोन हाथ म आयु रे खा के अंत म न जेसा िच या भा य रे खा के अंत म शिन पवत पर न जेसा िच ह ।
* म तक रे खा म से कोई रे खा िनकलकर शिन पवत तक जाती ह या वहां तीन शाखा वाली रे खा ह ।

* या तीन टकड़ म शु मु ा ह । म तक रे खा म शिन या सूय पवत के नीचे यव का िच ह ।

* नाखून टकडो म बटे हवे
ु दखाई दे तो ह ।
उपरो ल ण म से य द एक भी ल ण य के हाथ म दखाई दे , तो य को लकवा रोग पी ड़त होने क संभावनाएं अिधक

होजाती ह।

नोट: उपरो सभी वणन पूण तः िस ा त पर आधा रत ह। उपरो ल ण यद य क हथेली म हो, तो उसके सू म

पर ण से य के शर र म पीड़ा दे ने वाली परे शानी या भ व य म होने वाली बीमार का पता लगाया जा सकता ह। इस

पर ण क साथकरा पर ण करने वाले के व ान के ान एवं अनुभव पर िनभर करता ह।


43 मई 2011

ज म कुंडली म नीच ल नेश से रोग और परे शानी?


 िचंतन जोशी
मेष ल न: मेष ल न म ज म लेने वाले जातक क कुंडली म ल नेश मंगल ल न
भाव और अ म भाव का वामी होता ह। कुंडली म चतुथ भाव म मंगल नीच का होने पर यादातर य को छोट -
मोट चोट लगती राहती ह, उसे श य िच क सा(ऑपरे शने) भी करवानी पड सकती ह। य को दय म दद, उ च
र चाप (हाई बी.पी), जलीय थान से भय, जहर ले जीवजंतु के काटने और जहर ले पदाथ से से क हो सकता ह।
मातृ प से परे शानी, भूिम-भवन इ याद संपती से हािन हो सकती ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को मंगल ह क शांित हे तु मंगलवार को मूंगा, मसूर, घी, गुड़, लाल
कपड़ा, र चंदन, गेहूँ , केसर, ताँबा, लाल फूल का दान करने से शुभ फल क ाि होती ह।

वृ षभ ल न:वृ षभ ल न म ज म लेने वाले जातक क कुंडली म ल नेश शु


ल न भाव और ष म भाव का वामी होता ह। कुंडली म पंचम भाव म
शु नीच का होने, पर शा मत से शु य को जड़ बु अथात
मूख बनाता ह। एसे य का दमाग गलत काय क और यादा
अ त रहता ह, ज से य अिधक से अिधक लाभ ा करना चाहता
ह, और सफलता भी ा करता ह। उसक िम ता िन न- तर के लोग
के साथ होती ह। य नीच ी-पु ष से संपक रखने वाला हो सकता ह।
य को ी वग के कारण कारावास क सजा हो सकती ह। शु स दय,
भोग- वलास, ऎ य, अलंकार, रित सुख, ऎशो-आराम, ी वग इ याद
पर अपना वामी व रखता ह। इस िलये इन सबके ित य का अिधक झुकाव
चर से कमजोर कर दे ता ह, ज से वह गलत काय म सल न हो सकता ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को शु ह क शांित हे तु शु वार को ेत र , चाँद , चावल, दध
ू ,
सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरब ी, इ , सफेद चंदन दान करने से शुभ फल क ाि होती ह।

िमथुन ल न: िमथुन ल न म ज म लेने वाले जातक क कुंडली म ल नेश बुध ल न भाव और चतुथ भाव का वामी होता ह।

कुंडली म दशम म बुध नीच का होने, पर य सांस क नली, आंत ड़याँ, दमा, कफ जनीत रोग, गु रोग, गैस, सांस फूलना,
उदर रोग, वातरोग, कृ रोग, मंदा न, शूल, फेफड़े इ याद के रोग से पी ड़त हो सकता ह। य को यापार, नौकर , साझेदार
से भी परे शानी उठानी पड़ सकती ह। य को खासकर अपने पता से संबंधो म क ठनाईया आसकती ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को बुध ह क शांित हे तु बुधवार को हरा प ना, मूँग, घी, हरा कपड़ा, चाँद , फूल,

काँसे का बतन, कपूर का दान करने से शुभ फल क ाि होती ह।


44 मई 2011

कक ल न: कक ल न म ज म लेने वाले जातक क कुंडली म ल नेश चं पंचम भाव म थत ह ने पर चं मा


नीचका होता ह। कुंडली म पंचम म चं नीच का होने, पर य को यादातर गैस, र चाप ( लड ेशर), पेट के रोग,
मानिसक अशांित, दे ह क स दय, कफ, वात कृ ित, अिनं ा, पांडुरोग, ी संबंिधत रोग इ याद से क हो सकता ह। चं
पर अशुभ ह का भाव होने पर य को पर पागलपन भी हो सकता ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को चं ह क शांित हे तु सोमवार को मोती, चाँद , चावल, चीनी, जल
से भरा हवा
ु कलश, सफेद कपड़ा, दह , शंख, सफेद फूल, साँड आ द का दान करने से शुभ फल क ाि होती ह।

िसंह ल न : िसंह ल न वाले जातक का सूय तृ तीय म होगा तो नीच का होगा या ने , दय एवं ह ड से संबंिधत
बीमार अव य होगी। ऐसा जातक कुं ठत होगा। परा मह न होगा व बुरे काय म बल दखाने वाला होगा। ऐसा जातक
यथ क बात को लेकर झगड़े म पड़ने वाला होगा। इनके छोटे भाई-बहन नह ं ह गे। य द कसी कारणवश हए
ु भी तो
उनसे लड़ता-झगड़ता रहे गा, ले कन ये वयं भा यशाली ह गे य क भा य पर उ च पड़े गी।
शांित के उपाय: अिन भाव को कम करने के िलए मा णक वण म बनवाकर शु ल प को 9 से 10 के बीच पहन
व सूय दे व को ातः दध
ू िमला जल चढ़ाएँ। उपरो परे शानी होने पर य को सूय ह क शांित हे तु गेहूँ , ताँबा, घी,
गुड़, मा ण य, लाल कपड़ा, मसूरक दाल, कनेर या कमल के फूल, गौ दान करने से शुभ फल क ाि होती ह

क या ल न :क या ल न वाले जातक का बुध दशमेश होकर स म भाव म नीच का होने से दै िनक यापार- यवसाय
म हािन, पाटनर से धोखा, बेवफा प ी या पित िमलता है । ऐसा जातक शार रक से भावी होता है , ले कन नौकर
म सदै व परे शािनय से गुजरने वाला तथा शासन से अपयश ह िमलता है ।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को प ना पहनना चा हए। सवा कलो हरे खड़े मूँग बहते पानी म बहाएँ
व ित बुधवार मूँग क दाल का सेवन अव य सेवन कर, कोई भी एक हरा कपड़ा अव य पहन या माल या पेन रख।

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य
को अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह।
नव ह को ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह।
गले म होने के कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को
लगते ह, वह गंगा जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे
अमृ त से उ म कोई औषिध नह ं, उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा
शा ो वचन ह। इस कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके
बनावाए जाते ह। GURUTVA KARYALAY
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45 मई 2011

तुला ल नतुला ल न वाल का वामी शु अ मेश होकर ादश भाव म होगा, जो नीच का होगा। ऐसे जातक द ु यसन
म खच करने वाले ह गे एवं इ ह अनैितक काय म जेल भी जाना पड़ सकता है । ऐसा य नशीले पदाथ का सेवन
करने वाला, अनेक य से संपक रखने वाला व त कर भी हो सकता है ।
शांित के उपाय: ऐसे जातक को ह रा तजनी म चाँद म जड़वाकर शु वार को धारण करना चा हए। उपरो परे शानी
होने पर य को शु ह क शांित हे तु ेत र , चाँद , चावल, दध
ू , सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरब ी, इ ,
सफेद चंदन दान करने से शुभ फल क ाि होती ह

वृ क ल न :वृ क ल न वाले जातक को ष ेश होकर नवम भा य भाव म नीच का मंगल होगा। ऐसे जातक को
भा यो नित म बाधा आती है । धम के ित लापरवाह होते ह। इ ह अनेक बार िगरने से चोट लगती है एवं ऑपरे शन
भी करना पड़ सकता है । लड ेशर के िशकार भी हो सकते ह। इनको भाइय से उ म सहयोग िमलता है । वह ं ये
परा मी भी होते ह। माता से श ुता रखने वाले भी हो सकते ह।
शांित के उपाय: उपरो परे शानी होने पर य को मूँगा पहनना े य कर होता है । इनके िलए गुड़ का सेवन व गुड़
दान करना शुभ होता ह।

धनु ल न: धनु ल न वाले जातक को चतुथश होकर तीय भाव म नीच का गु होगा। ऐसे जातक को आँख क
बीमार , मोितया ब द भी होगा य कोगच मा भी लग सकता है । इनक वाणी कभी-कभी दसरे
ू लोगो को थोड
अ यवहारपूण लग सकती ह। इ ह प रवार से हािन तथा असहयोग िमलता रहता है । ऐसा जातक शी नशे के आिध
हो सकते ह।
शांित के उपाय: जातक के िलए पुखराज पहनना शुभदायक रहे गा। चने क दाल दान कर व गु वार को केले क जड़
म पानी सीच व पीले व अव य धारन कर।

मकर ल न: मकर ल न वाले जातक को तीयेश होकर चतुथ भाव म नीच का शिन होने से जातक का वभाव
अ यंत कठोर हो जाता ह। घुटन म दद व छाती म दद क िशकायत हो सकती है । य क अपनी माता से नह ं
बनेगी या बचपन से ह माता का साथ छूट जाएगा। मकान, भूिम, संप व वाहन से संबंिधत काय या िनवेश से हािन
पाएगा अथवा ल बे समय तक जमीन-जायदाद के मुकदम म फँसा रह सकता है । राजनैितक काय से परे शान रहे गी।
शांित के उपाय: ऐसे जातक को िनलम पहनना शुभ रहे गा। काले उड़द बहते पानी म बहाएँ व सरस के तेल, लोहे के
तवे का दान व को ढ़य को खाना खलाना शुभदायक रहे गा।

कुंभ ल न: कुंभ ल न वाले जातक को ादशेश होकर तृ तीय भाव म नीच का शिन होगा। ऐसे जातक को छोटे भाई-
बहन का सुख कम िमलता ह या नह ं िमलता। वह ं संतान से स ब धत क भी बना रहता ह। व ा म कमजोर
रहता है । हाथ म चोटे लग सकती ह। ु
वभाव भी कटता भरा होता है । जोड़ म दद, र ढ़ क ह ड बढ़ने का खतरा
रहता है । नाक, कान, गले क बीमार हो सकती है ।
शांित के उपाय: ऐसे जातक को िनलम या कटै ला पहनना शुभ रहे गा। काले उड़द बहते पानी म बहाएँ व सरस के
तेल, लोहे के तवे का दान व को ढ़य को खाना खलाना शुभदायक रहे गा।
46 मई 2011

मीन ल न: मीन ल न वाले जातक को दशमेश होकर एकादश भाव म नीच का गु होगा। ऎसा य थोडे यसनी,
घमंड , कटु वचन बोलने वाला हो सकता है । जातक के बड़े भाई-बहन का सुख पूण नह ं िमलता। ऐसे जातक को
पीिलया, दल म छे द, जगर क बीमार होती है । लोहे क व तु से हािन भी हो सकती है । प ी व संतान से पूण सुख
म कमी रहती है । िश ा उ म होती है ।
शांित के उपाय: जातक के िलए पुखराज पहनना शुभदायक रहे गा। चने क दाल दान कर व गु वार को केले क जड़
म पानी सीच व पीले व अव य धारन कर।

उपरो ल न वाले जातक को अिन भाव हो तो उनके बचाव हे तु साथ म दए गए अनुभूत उपाय
करने से क म अव य कमी आएगी। य को अपने कये गए कम का फलतो भोगना ह पडता
ह।

राशी र एवं उपर

वशेष यं

हमार यहां सभी कार के यं सोने-


चां द-ता बे म आपक आव य ा के
अनुशार कसी भी भाषा/धम के यं ो
को आपक आव यक डजाईन के
अनुशार २२ गेज शु ता बे म
अखं डत बनाने क वशेष सु वधाएं
सभी साईज एवं मू य व वािल ट के
उपल ध ह।
असली नवर एवं उपर भी उपल ध है ।
हमारे यहां सभी कार के र एवं उपर यापार मू य पर उपल ध ह। योितष काय से जुडे़
बधु/बहन व र यवसाय से जुडे लोगो के िलये वशेष मू य पर र व अ य साम ीया व
अ य सु वधाएं उपल ध ह।
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47 मई 2011

ाकृ ितक िच क सा से उ म वा य लाभ

 िचंतन जोशी
अगर मनु य कुछ बात को जान ले तो वह अपने जीवन काल म सदै व व थ रह सकता है ।

आजकल बहत
ु से रोग का मु य कारण नायु-दबलता
ु और मानिसक तनाव होते ह। जसे दरू करने म अ यािधक लाभ द ह
इ ाथना ?

यो क इ ाथना से आ म व ास क वृ होती ह, य को मानिसक शांित ा होती ह और वहं िनभय हो जाता ह।


इसके फल व प नायु वक-मानिसक रोग से र ा होती ह। इ ाथना िनयिमत योग अिन ा से बचाता ह।

इसी कार ाणायाम मानिसक तनाव से होने वाले रोग से बचने के िलए लाभदायी ह।

ाणायाम
ित दन ाणायाम करने से शर र श शाली बनता है और मानिसक-शार रक रोग से र ा करता ह।

योगाचाय ने ाणायाम को द घ जीवन जीने क कुंजी माना ह।

ाणायाम के साथ शु -सा वक वचारो से मानिसक एवं शार रक दोन कार के रोग से बचाव होता ह य द रोग हो, तो
छुटकारा िमलता ह।

य के शर र म जस अंग म दद, दबलता


ु या रोग हो उस अंगक ओर अपना यान रखते हए
ु ाणायाम करना लाभ द
माना गया ह। ाणायाम के दौरन शु वायु नाक ारा अंदर लेते समय ऎसा िचंतन करना चा हए क कृ ित से वा य
वधक वायु हमार िभतर पहँु च रह ह। जहाँ श रर म रोग या दद हो, तब आधा िमनट या उ से अिधक आपक साम यता
के अनुशार एक िमनट तक ास रोक कर रख और पी ड़त थान का िचंतनते हएं
ु उस अंग म थोडा हल-चाल कर। ास
छोड़ते समय ऎसा िचंतन करे क मैर शर र या अंगो से सभी कार के रोग, वकार, पीडा, गंद इस वायु (हवा) के प म
बाहर िनकल रह ह। जसके फल व प म सभी रोग से मु हो रहा हँू व मुझे उ म वा य क ाि होती जारह ह।

इस कार ाणायाम के िनयिमत अ यास करने से उ म वा य ाि म बड़ सहायता िमलती है ।

सावधानीः
 ाणायाम करते समय जतना समय धीरे -धीरे ास िभतर भरने म लगाया जाये, उससे दगु
ु ना समय वायु को धीरे -धीरे बाहर
िनकालने म लगाना चा हए।

 भीतर ास रोकने को आ यांतर कुंभक व बाहर रोकने को बा कुंभक कहां जाता ह। रोगी और दबल
ु य के िलए
आ यांतर व बा दोन कुंभक करना लाभ द रहता ह।

 य द कोई य ास आधा िमनट न रोक सक तो अपनी श के अनुशार कुछ सेकंड ह ास रोक।

 ऐसे बा व आ यांतर कुंभक को पाँच-छः बार करने से नाड़ शु व रोगमु म अदभुत सहायता िमलती है ।
48 मई 2011

जीवन को संयम से जीए


उ म वा य का मूल आधार संयम माना जाता ह। योक य क रोगी अव था म केवल भोजन म सुधार करने से
खोया हआ
ु वा य ा होता ह। कसी भी रोग म य को बना संयम के महं गी से महं गी दवाई भी लाभ नह ं करती ह।
जो य सवदा संयम से रहते ह उनको दवाई क आव यकता ह नह ं पड़ती ह। यो क जहाँ संयम ह वहाँ वा य ह।
जसके जीवन म उ म वा य होता ह वह ं य जीवन म सफल होता ह। रोगी व दबल
ु य इ छत सफलता
को ा नह ं कर पाता।

बार-बार वाद अथात जीभ के गुलाम होकर बना भूख के बार-बार खाने को, ठु स-ठु स कर आव य ा से अिधक मा ा म
कये गये भोजन को भी असंयम कहते ह।

आव यकता अनुसार िनयम से वा यवधक आहार लेने को संयम कहते ह।

इस बात को आजके आधुिनक िच क सक भी मानते ह क वाद क गुलामी वा य का घोर श ु है ।

बार-बार कुछ-न-कुछ खाते रहने के कारण य को अपच, म दा न, क ज, पेिचश, जुकाम, खाँसी, िसरदद, उदरशूल आ द रोग
होते ह। य द य जीवन म संयम का मह व न समझ तो जीवनभर दबलता
ु , बीमार , िनराशा से संमुखीन होता ह।

उ म वा य हे तु

ए यूिमिनयम के बतन का भोजन पकाने और खाने से बचे योक ए यूिमिनयम के बतन का भोजन ट .बी, दमा आ द कई
बीमा रय को आमं त करता है ।

भोजन हे तु ए यूिमिनयम के थान पर िम ट , िम ट चीनी, काँच, ट ल या कलई कये हए


ु पीतल के बतन का योग कर।

मं िस ा
एकमुखी ा -Rs- 1250,2800 छह मुखी ा -Rs- 55,100 यारहमुखी ा -Rs- 2800

दो मुखी ा -Rs- 100,151 सात मुखी ा -Rs- 120,190 बारह मुखी ा -Rs- 3600

तीन मुखी ा -Rs- 100,151 आठ मुखी ा -Rs- 820,1250 तेरह मुखी ा -Rs- 6400

चार मुखी ा -Rs- 55,100 नौ मुखी ा -Rs- 820,1250 चौदह मुखी ा -Rs- 19000

पंच मुखी ा -Rs- 28,55 दसमुखी ा -Rs- ........ गौर षंकर ा -Rs-

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49 मई 2011

रोग िनवारण के सरल उपाय

 िचंतन जोशी
लाल कताब के उपाय
कसी य कत को य द ल बे समय से कोई बीमार हो, या एक बीमार समा होने के बाद दसर
ू कोई बीमार से त हो जाता हो
और यथा संभव य करने के उपरांत भी बीमार से छुटकारा नह ं िमलता हो , तो इसके िलए लाल कताब के यह उपाय कर।

1. ल बी बीमार से छुटकारा पाने के िलए शिनवार क रात को बेसन अथवा मकई क रोट बनाकर सरस के तेल से चुपड़कर रोगी
के िसर से सात बार उतारकर रोट को काले कु े को खलाएं। ऐसा करने से रोगी क तबीयत म सुधार होने लगता ह। इस उपाय
से ल बे समय से चली आ रह बीमार से भी मु िमल सकती ह।

2. घर के सद यो का वा य उ म रहे इस िलये घर के सभी सद य एंव घर म आए हए


ु मेहमान क सं या के अनुशार
मीठ रो टयॉ बनाकर मह ने म एक बार कु एंव कौए को डालद। इस उपाय से सा य तथा असा य दोन ह कार के रोग
क शांित होती है । यह रोट त दरू या अ न पर ह बनाएं, तवे आ द पर नह ं।

3. य द कसी भी कार से रोगी क तबीयत म सुधार नह ं हो रहा हो, तो 43 दन लगातार रात के समय २ तांबे के िस के अपने
िसरहाने रखकर सोएं और ात: काल वह पैसे कसी सफाई कमचार को दे द।

4. गु सहायता के प म कभी भी क तान या शमशान घाट से गुजरते समय वहां पर कुछ पैसे िगरा द।

अ य उपाय:
5. येक शिनवार को ातः पीपल को तीन बार पश करके रोगी के शर र पर हाथ फेरले तथा एक लोटे म क चा
दध
ू , जल तथा गुड़ तीन डाल कर पीपल पर चढ़ाने से भी लाभ ा होता है ।

6. य द दवा आ द से रोग शांत न हो रहा हो तब- शिनवार को सूया त के समय हनुमानजी के मं दर जाकर हनुमान
जी को सा ांग द डवत ् णाम कर उनके चरण का िसंदरू घर ले आय।
घर लाकर इस मं से उस िस दरू को अिभमं त कर-

“मनोजवं मा ततु यवेग,ं जते यं बु मतां व र ं।


वाता मजं वानरयूथमु यं ीरामदतं
ू शरणं प े।।”

अिभमं त िस दरू का रोगी के म तक ितलक लगा द।

य द कोई य ायः बमार रहता ह उसे कसी व थ य (अथात जस य को कोई वशेष रोग न हआ
ु हो)
के व से पहनले तो उसे शी वा य लाभ ा करता ह।
50 मई 2011

सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।

कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के द:ु ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दसरे
ू य ओ पर भाव बना रहता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म अ ल मी कवच के िमले होने क वजह से य पर मां महा


सदा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द
ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय
ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का अशीवाद ा होता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दरू
होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म श ु वजय कवच के िमले होने क वजह से श ु से संबंिधत


सम त परे शािनओ से ु
वतः ह छटकारा िमल जाता ह। कवच के भाव से श ु धारण कता
य का चाहकर कुछ नह बगड सकते।

अ य कवच के बारे मे अिधक जानकार के िलये कायालय म संपक करे :

कसी य वशेष को सव काय िस कवच दे ने नह दे ना का अंितम िनणय हमारे पास सुर त ह।

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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


51 मई 2011

राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग

से धन लाभ होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती

ह। राम र ा यं सभी कार के अशुभ भाव को दरू कर य को जीवन क सभी कार क

क ठनाइय से र ा करता ह। व ानो के मत से जो य भगवान राम के भ ह या ी

हनुमानजी के भ ह उ ह अपने िनवास थान, यवसायीक थान पर राम र ा यं को अव य

थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन सुखमय यतीत हो सके

एवं उनक सम त आ द भौितक व आ या मक मनोकामनाएं पूण हो सके।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

साईज मू य साईज मू य साईज मू य


2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

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52 मई 2011

व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं
आज के आधुिनक युग म िश ा ाि जीवन क मह वपूण आव यकताओं म से एक है । ह द ू धम म व ाक
अिध ा ी दे वी सर वती को माना जाता ह। इस िलए दे वी सर वती क पूजा-अचना से कृ पा ा करने से बु कुशा एवं
ती होती है ।
आज के सु वकिसत समाज म चार ओर बदलते प रवेश एवं आधुिनकता क दौड म नये-नये खोज एवं
संशोधन के आधारो पर ब चो के बौिधक तर पर अ छे वकास हे तु विभ न पर ा, ितयोिगता एवं ित पधाएं
होती रहती ह, जस म ब चे का बु मान होना अित आव यक हो जाता ह। अ यथा ब चा पर ा, ितयोिगता एवं
ित पधा म पीछड जाता ह, जससे आजके पढे िलखे आधुिनक बु से सुसंप न लोग ब चे को मूख अथवा बु ह न
या अ पबु समझते ह। एसे ब चो को ह न भावना से दे खने लोगो को हमने दे खा ह, आपने भी कई सैकडो बार
अव य दे खा होगा?
ऐसे ब चो क बु को कुशा एवं ती हो, ब चो क बौ क मता और मरण श का वकास हो इस िलए
सर वती कवच अ यंत लाभदायक हो सकता ह।
सर वती कवच को दे वी सर वती के परं म दलभ
ू तेज वी मं ो ारा पूण मं िस और पूण चैत ययु कया जाता
ह। ज से जो ब चे मं जप अथवा पूजा-अचना नह ं कर सकते वह वशेष लाभ ा कर सके और जो ब चे पूजा-
अचना करते ह, उ ह दे वी सर वती क कृ पा शी ा हो इस िलये सर वती कवच अ यंत लाभदायक होता ह।

सर वती कवच : मू य: 280 और 370 सर वती यं :मू य : 280 से 1450 तक

मं िस प ना गणेश
भगवान ी गणेश बु और िश ा के कारक ह बुध के अिधपित दे वता ह। प ना गणेश बुध के
सकारा मक भाव को बठाता ह एवं नकारा मक भाव को कम करता ह।. प न गणेश के
भाव से यापार और धन म वृ म वृ होती ह। ब चो क पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
प ना गणेश इस के भाव से ब चे क बु कूशा होकर उसके आ म व ास म भी वशेष
वृ होती ह। मानिसक अशांित को कम करने म मदद करता ह, य ारा अवशो षत हर
व करण शांती दान करती ह, य के शार र के तं को िनयं त करती ह। जगर, फेफड़े ,
जीभ, म त क और तं का तं इ या द रोग म सहायक होते ह। क मती प थर मरगज के बने
होते ह।

Rs.550 से Rs.8200 तक
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53 मई 2011

फ टक गणेश
फ टक ऊजा को क त करने म सहायता मानागया ह। इस के भाव से यह य को नकारा मक उजा से बचाता ह
एवं एक उ म गुणव ा वाले फ टक से बनी गणेश ितमा को और अिधक भावी और प व माना जाता ह।

मू य Rs.550 से Rs.8200 तक

तं र ा
कवच को धारण करने से य के उपर कगई सम त तां क बाधाएं दरू होती ह, उसी के साथ ह
धारण कता य पर कसी भी कार क नकार मन श यो का कु भाव नह ं होता। इस कवच के
भाव से इषा- े ष रखने वाले सभी लोगो ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।

मू य मा : Rs.730

श ु वजय कवच
श ु वजय कवच धारण करने से य को श ु से संबंिधत सम त परे शािनओ से वतः ह छुटकारा िमल जाता ह।

कवच के भाव से श ु धारण कता य का चाहकर कुछ नह बगड सकते। मू य मा :Rs: 640
मं िस मूंगा गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन
के िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और
मानिसक श य का वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त
करने हे तु भी मूंगा गणेश क पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत
करने से भगवान गणेश क कृ पा श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह,
ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह।
ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार,
चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला,
चोर, तूफान, आग, बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से
मु िमलती ह।
जो य उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह।
मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि
होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण होजाता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
54 मई 2011

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।

अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता
ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज
ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का
वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050

मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर बार-
बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं िस पूण
चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं िनत तर लाभ ा
होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730

मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
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55 मई 2011

गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती ह
एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का संयु
आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक

मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को ऋण
मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए मंगल
यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क कमी,
गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय,
वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550

कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना करने वाले य के
िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक ो से धन का
ा होकर धन संचय होता ह।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज मू य साईज मू य साईज मू य
2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600
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56 मई 2011

मािसक रािश फल

 िचंतन जोशी
मेष: 1 से 15 मई 2011 :पूण प र म एवं कड़ मेहनत से कये गये काय म सफलता
ा कर सकते ह। आ म व ास के बल पर अपनी आय म वृ कर सकते ह। कोट-
कचहर के काय म वलंब हो सकता ह। अनाव यक िच तामु पर से मु होकर अपने
काय पर यान लगाना उिचत होगा। हताशा और िनराशा वाले वचारो को यागदे । पता या
अ य बुजुग य से अनबन हो सकती है ।

16 से 31 मई 2011 : आपके अंदर अहं कार क सृ ी हो सकती ह जो आपक बातो म


झलक ने से आपके इ िम -पा रवार क सद य आपसे दरू बना सकते ह। यय पर
िनय ण रखने से लाभ ा होगा। आपके कय का बोझ भी बढ सकता ह। प रवार म
खुिशयो का माहोल रहे गा और प रवार म कसी नये सद य क वृ होने के योग बन रहे है । आपको शुभ समाचार ा हो
सकये है ।

वृ षभ: 1 से 15 मई 2011 : आपको मह वपूणा िनणय म सतकता रखनी पड सकती


ह। आपक अिथक थती म अ थर रह सकती ह। अपने काय यवसाय म बदलाव
करने क ती कामना आपके दमाग म घर कर सकती ह। माता के वा य से
संबंिधत िचंता हो सकती ह। प रवार के सद य के बच वचार म मतभेद हो सकते ह।
जीवन साथी से संब ध क कार हो सकते ह सावधान रहे ।

16 से 31 मई 2011 : अपनी आिथक थित को सुधार के िलये कये गये उपाय कारगर
िस ह गे। आपको पा रवा रक या िम के साथ साझेदार ार धन लाभ ा हो सकता
ह। आपके साहिसक काय एवं ित पधा मक काय म सफलता ा होगी। वा य के ित सचेत रहे एवं अपने खान-
पान एवं आराम का वशेष यान रखे। आपके यास से नये िम ो से संबंध बना सकते ह।

िमथुन: 1 से 15 मई 2011 : श ु एवं वरोिध प से आिथक हािन हो सकती है ,


सावधान रह। अ यािधक भाग-दौड एवं पूण प र म के कये कय काय म पूण सफलता
ा नह ं हो पायेगी। अ यिधक मानिसक िच ताओं के कारण आप म के िशकार हो
सकते ह। आपके प रवार एवं इ िम ो के सहयोग से मह वपूण योजनाओं को पूरा कर
सकते ह। कसी नशे के िशकार होने से बचना उिचत रहे गा।

16 से 31 मई 2011 : उ च अिधकार के सहयोग से अपने काय को सुधार कर सकते


ह। लंबे समय से के हए
ु काय म सफलता ा होगी। आक मक धन ाि होने के योग
बन रहे ह। आिथक थती म सुधार होगा। श ु एवं वरोिध प आपक परे शािनयां बढा
सकते है । हताशा और िनराशा वाली मानिसकता का याग कर। आपके वभाव थोडा िचडिचडा हो सकता ह।
57 मई 2011

कक:
1 से 15 मई 2011 : दरू थ थान से ितयोिगता के काय म बु मानी व चतुरता से शी लाभ और सफलता ा
करगे। यवसाियक या ा म सफलता ा हो सकती है । वा य सुख म वृ होगी फर भी
खाने- पीने का वशेष यान रखना हतकार रहे गा। पा रवा रक मतभेद हो सकते ह और
आपके वा य म िगरावट हो सकती ह। अपने प रवार के लोग एवं िम वग का पूण
सहयोग ा नह ं हो पायेगा।

16 से 31 मई 2011 : आ म व ास बढाने पर आपके के हए


ु काय म सफलता ा होगी।
कये गये पूं ज िनवेश ारा आक मक धन ाि के योग बन रहे है । नौकर यवसाय म
उ च अिधकार एवं सहकम के काय परे शािनय संभव ह। संतान का वा य िचंता का
वषय हो सकता ह। इस अविध के दौरान अपने वभाव म िचड़िचड़ा पन आसकता ह। अपने ोध पर िनयं ण रखे।

िसंह:
1 से 15 मई 2011 : समय अनुकूल नह ं ह इस दौरान मह वपूण िनणय न ले और न
ह कोई नयी प रयोजना क शु आत कर। ऋण संब धत काय को थिगत करना
शुभ रहे गा। अ ात थानो क या से आिथक और मानिसक क हो सकता ह।
वरोिध एवं श ु प से मानहािन होने क संभावनाएं बन रह ह अतः उनसे दरू बनाएं
रखे। आप मानिसक तनाव और िच ता से त रह सकते ह।

16 से 31 मई 2011 : समय ितकूल होने के उपरांत खुिशय के पल आपके जीवन म


उप थत रहे गे। आिथक े म लाभा ा होगा। इस दौरान भार िनवेष करने और
उधार दे ने के िलये शुभ समय नह ं है । दु लोगो क संगत म न पड़। प रवार के लोगो
और पडोिसय के साथ र ते म सावधानी रखे। कलह म न पड़। भोजन म सावधानी बत अ यथा उदर संबंधी पीड़ा से
गुजरना पड़ सकता है ।

क या:

1 से 15 मई 2011 : मौसम के प रवतन होने पर कुछ रोग शी आपको भा वत कर


सकते है । पा रवा रक जीवन मे संतोष रह सकता ह। नौकर - यवसाय म संबंधो का
सू म अवलोकन करना लाभ द रहे गा। आपके सामा जक य व का वकास होगा।
दु लोगो क संगत म न पड़। आप मानिसक तनाव और िच ता से त रह सकते
ह। धन स ब धत वषय म अ यािधक यय होने क स भावना है ।

16 से 31 मई 2011 : समय के साथ चलने का िन य कर ऐसे काय करने से बचे


जससे भ व य म भार नु शान का सामना करना पडे और आपक ित ा खं डत हो जाएं। भौितक सुख साधनो क
खर दार कर सकते ह। ज से पा रवार क जीवन खुशीय भरा रहे गा। गलत िनणयो के कारण आिथक प कमजोर हो
सकता ह। काय क य तता और भाग-दौड के कारण आपको थकावट हो सकती ह।
58 मई 2011

तुला:
1 से 15 मई 2011 : नये काय एवं योजनाओं को थिगत करना अिधक लाभ द हो
सकता ह। आपके पूव से चलरहे काय कुछ समय के िलये क सकते ह। काय करते
व सावधान रहे उचाई से िगरने से या उपर से कसी व तु के िगरने से आपको चोट
लगने क संभावना ह। य- व य के िलये समय उपयु नह ं ह। वरोिध एवं श ु
प से सावधान रह अनाव यक कोई ववाद खडा हो सकता ह।

16 से 31 मई 2011: इस दौरान यवसायीक या ाएं लाभदायक हो सकती ह। कोई


अ य घटना हो सकती ह सावधान रह। कसी अनजाने भय त हो सकते ह।
अनंजाने म क गई गलित के कारण आप बाद म प याताप कर सकते ह। बहमू
ु य
व तुओं को संभालकर रखे गुम हो सकती ह या चो र हो सकती ह। दो त और प रवार के लोगो का सहयोग ा
होगा।

वृ क: 1 से 15 मई 2011 : पूण प र म एवं कड़ मेहनत से कये गये काय के


अनु प प रणाम ा ह गे। िनरं तर मेहनत से कये गये काय से अपने भा य म सुधार
कर सकते ह। छोट -छोट सम याए आने के उपरांत भी कामयाबी ा होगी। ितयोिगता
के काय म बु मानी व चतुरता से शी लाभ और सफलता ा करगे। अपने खान-पान
का वशेष यान रखे अ यथा पेट से संबंिधत सम या से त हो सकते ह।

16 से 31 मई 2011 : नया यवसाय या नौकर ा हो सकती ह या आपके काय े


म नये बदलाव हो सकते ह। गलत िनणयो के कारण आिथक प कमजोर हो सकता
ह। अपने खाने- पीने का यान रखे अ यथा आपका का वा य नरम हो सकता है । अपने
यय पर िनय ण रखने का यास कर और ऋण लेने से बचे और पुराने ऋण का भुगतान करने का यास करे । कोट-
कचहर के काय म सावधानी बत।

धनु:
1 से 15 मई 2011 : यह अविध आपके िलये ितकूल सा बत हो सकती ह। आक मक
काय हे तु भार मा ा म धन खच हो सकता ह। पुराने ऋण का भुगतान करने का यास
करे । आपक पदौ नती हो सकती या यवसाय म आक मक धन लाभ ा हो सकते
ह। अ यािधक लाभ के च कर म गैरकानूनी काय करने से बच बुरे लोगो क संगत से
दरू रह।

16 से 31 मई 2011 : अपना समय उ े यो एवं योजनाओं को सफल करने म लगाएं।


मह वपूण काय एवं योजनाएं पूण होने से धन लाभ क बल संभावना ह। जीवन साथी
का सहयोग ा होगा और आपसी यार बढे गा। अपने खान-पान का वशेष यान रखे अ यथा पेट से संबंिधत सम या
से त हो सकते ह। वाहन सावधानी से चलाये या वाहन से सावधान रहे आक मक दघटना
ु हो सकती ह।
59 मई 2011

मकर:
1 से 15 मई 2011 : इस दौरान आपको अनुकूल प रणामो क ाि होगी। आपका
मन अ यािधक संवेदनशील रह सकता ह। आपक मह वपूण योजनाओं से भ व य को
बेहतर बनाया जा सकता है । सामा जक मान-स मान और पद- ित ा म वृ होगी।
मानिसक नता बढे गी। आव यकता से अिधक संघष करना पड सकता है । प रवार और
िम का सहयोग ा होगा। वा य म सुधार होगा।

16 से 31 मई 2011 : आपके यासो से अपनी अिधकतर सम याओं को दरू करने


सफल हो सकते ह। भूिम-भवन इ याद म कया गया पूं ज िनवेश, य- व य लाभ
द हो सकता ह। मानिसक िच ताओं म कमी आयेगी। वाहन सावधानी से चलाये या वाहन से सावधान रहे आक मक
दघटना
ु हो सकती ह। यय पर िनय ण रखने से लाभ ा होगा।

कुंभ:
1 से 15 मई 2011 : इस दौरान नौकर यवसाय म बदलाव हो सकता ह या
थानांतरण हो सकता ह। ित पधा मक काय एवं पूं ज िनवेश के काय म हानी होने
के योग बन रह ह। आपको बकाया भुगतान एवं आक मक धन क ाि हो सकती ह।
आपक मानिसक िचंताएं दरू होगी आपका मन शांत एवं स न रहे गा। वाहन सावधानी
से चलाये या वाहन से सावधान रहे ।

16 से 31 मई 2011 : आप के िलए आिथक ी से लाभदायक रहे गा। मानिसक


िच ताओं म कमी आयेगी। यय पर िनय ण रखने से लाभ ा होगा। नयी प रयोजाना
शु कर सकते ह। मह वपूण काय म ल ग क िनगाह आपके उपर टक रहे गी। कसी काय म लापरवाह नु शान दे
सकती ह। भूिम- भवन-वाहन के य- व य से लाभ ा हो सकता ह।

मीन: 1 से 15 मई 2011 : इस दौरान आपको अपनी योजनाओं म अनुकूल फल क ाि होगी। नयी प रयोजना क
शु आत करने हे तु समय लाभ द रहे गा। इस अविध म बना कसी बाधा के आप
अपने ल य को ा कर सकते ह। आप अपनी िनयित के अनुसार कुशलता और
बु मानी से मह वपूण काय को पूण करने म समथ होगे। भूिम-भवन से संबंिधत
मामलो म य- व य करना लाभदायक रहे गा।

16 से 31 मई 2011 : इस अविध म भूिम- भवन-वाहन के य- व य से म यम लाभ


ा हो सकता ह। आपक सामा जक ित ा और य व के कारण लोग आपक
शंसा कर सकते ह। आपके वरोिध एवं श ु प इस अविधम दबे रहे ग। आपको िश ा
एवं यापार के े म सफलता ा होगी। जीवन साथी से आपको स ना िमलेगी। ेम से संबंिधत मामलो म आपको
सफलता और खुशीयां ा होगी।
60 मई 2011

रािश र
मूंगा ह रा प ना मोती माणेक प ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुला रािश: वृ क रािश: धनु रािश: मकर रािश: कुंभ रािश: मीन रािश:

ह रा मूंगा पुखराज नीलम नीलम पुखराज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special) (Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

* उपयो वजन और मू य से अिधक और कम वजन और मू य के र एवं उपर भी हमारे यहा यापार मू य पर


उ ल ध ह।

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61 मई 2011

मई 2011 मािसक पंचांग


चं
द वार माह प ितिथ समाि न समाि योग समाि करण समाि समाि
रािश

1 रव वैशाख कृ ण योदशी 08:12:46 रे वित 23:30:35 वषकुंभ 16:42:46 व णज 08:12:46 मीन 23:31:00

ीित
सोम वैशाख कृ ण चतुदशी 10:24:07 अ नी 10:24:07 मेष
2
26:07:14 17:23:11
शकुिन

अमाव या
मंगल वैशाख कृ ण 12:20:29 भरणी 28:27:59 आयु मान 17:51:25 नाग 12:20:29 मेष
3

4 बुध वैशाख शु ल एकम 13:59:02 कृितका 30:28:06 सौभा य 18:05:36 बव 13:59:02 मेष 10:59:00

5 गु वैशाख शु ल तीया 15:15:07 कृितका 06:28:15 शोभन 18:02:56 कौलव 15:15:07 वृ ष

6 शु वैशाख शु ल तृ तीया 16:08:43 रो ह ण 08:05:54 अितगंड 17:42:28 गर 16:08:43 वृ ष 20:46:00

7 शिन वैशाख शु ल चतुथ 16:33:16 मृगिशरा 09:19:13 सुकमा 17:00:28 व 16:33:16 िमथुन

8 रव वैशाख शु ल पंचमी 16:30:39 आ ा 10:04:24 धृित 15:55:58 बालव 16:30:39 िमथुन 28:20:00

9 सोम वैशाख शु ल ष ी 15:56:11 पुनवसु 10:21:30 शूल 14:26:11 तैितल 15:56:11 कक

10 मंगल वैशाख शु ल स मी 14:48:55 पु य 10:03:55 गंड 12:30:10 व णज 14:48:55 कक

11 बुध वैशाख शु ल अ मी 13:09:48 अ ेषा 09:15:25 वृ 10:08:51 बव 13:09:48 कक 09:15:00

नवमी-
12 गु वैशाख शु ल 10:58:49 मघा 07:56:00 ुव 07:22:15 कौलव 10:58:49 िसंह
दशमी

13 शु दशमी -
वैशाख शु ल 08:22:33 पूवाफा गुनी 06:09:25 हषण 24:44:06 गर 08:22:33 िसंह 11:39:00
एकादशी
14 शिन वैशाख शु ल ादशी 26:11:36 ह त 25:37:51 व 21:04:06 बव 15:50:03 क या

15 र व वैशाख शु ल योदशी 22:55:04 िच ा 23:08:11 िस 17:17:34 कौलव 12:33:30 क या 12:23:00

16 सोम वैशाख शु ल चतुदशी 19:40:25 वाती 20:43:13 यितपात 13:30:06 गर 09:16:58 तुला

17 मंगल वैशाख शु ल पू णमा 16:38:55 वशाखा 18:31:25 व रयान 09:52:58 व 06:07:58 तुला 13:02:00

18 बुध ये कृ ण एकम 13:58:59 अनुराधा 16:41:11 प र ह 06:30:52 कौलव 13:58:59 वृ क

19 गु ये कृ ण तीया 11:50:02 जे ा 15:22:50 िस 25:00:20 गर 11:50:02 वृ क 15:23:00


62 मई 2011

20 शु ये कृ ण तृ तीया 10:17:39 मूल 14:42:58 सा य 23:02:39 व 10:17:39 धनु

21 शिन ये कृ ण चतुथ 09:29:22 पूवाषाढ़ 14:47:10 शुभ 21:40:37 बालव 09:29:22 धनु 20:55:00

22 र व ये कृ ण पंचमी 09:25:09 उ राषाढ़ 15:35:28 शु ल 20:55:09 तैितल 09:25:09 मकर

23 सोम ये कृ ण ष ी 10:06:54 वण 17:06:54 20:44:24 व णज 10:06:54 मकर

24 मंगल ये कृ ण स मी 11:28:59 धिन ा 19:15:52 इ 21:01:48 बव 11:28:59 मकर 06:07:00

25 बुध ये कृ ण अ मी 13:22:59 शतिभषा 21:52:02 वैध ृित 21:39:51 कौलव 13:22:59 कुंभ

26 गु ये कृ ण नवमी 15:37:36 पूवाभा पद 24:46:03 वषकुंभ 22:32:55 गर 15:37:36 कुंभ 18:01:00

27 शु ये कृ ण दशमी 18:01:38 उ राभा पद 27:43:50 ीित 23:29:46 व 18:01:38 मीन

28 शिन ये कृ ण एकादशी 20:22:53 रे वित 30:34:08 आयु मान 24:21:56 बव 07:13:30 मीन

29 र व ये कृ ण ादशी 22:31:01 रे वित 06:34:46 सौभा य 25:04:46 कौलव 09:29:09 मीन 06:34:00

30 सोम ये कृ ण योदशी 24:17:37 अ नी 09:09:11 शोभन 25:29:48 गर 11:26:59 मेष

31 मंगल ये कृ ण चतुदशी 25:38:56 भरणी 11:22:59 अितगंड 25:35:11 व 13:01:26 मेष

मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ फ़लदयी यं
है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए फायदे मंद सा बत होता
है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये " ी यं " अ य त फ़लदायी
िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे समाई अ ितय एवं अ यश
मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका जीवन से हताशा और िनराशा दरू होकर वह
मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित
है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का
िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से
स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12
ाम से 75 ाम तक क साइज मे उ ल ध है मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00
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63 मई 2011

मई -2011 मािसक त-पव- यौहार


द वार माह प ितिथ समाि मुख त- योहार

मािसक िशवरा त, िशव चतुदशी, िमक


1 रव वैशाख कृ ण योदशी 08:12:46
दवस, पंचक समा (रा 11.35)

ा क अमावस, सोमवती अमाव या पवकाल


2 सोम वैशाख कृ ण चतुदशी 10:24:07
ात: 10.24 बजे से, सोमवार त

नान-दान हे तु उ म वैशाखी अमाव या,


भौमवती अमावस, गंगा- नान करोड़ सूय हण
3 मंगल वैशाख कृ ण अमाव या 12:20:29 के समान फलदायक, शुकदे व मुिन जयंती,
पंचकोसी-पंचेशािन या ा पूण, सौर ऊजा दवस,
अ तरा ीय ेस वतं ता दवस,

4 बुध वैशाख शु ल एकम 13:59:02 नवीन च -दशन, ी मह ष पाराशर जयंती,

5 गु वैशाख शु ल तीया 15:15:07 परशुराम जयंती

अ य तृ तीया, आखा तीज, चंदनया ा, वृ ंदावन म


ीबांके बहार के वा षक चरण-दशन, ीमातंगी
6 शु वैशाख शु ल तृ तीया 16:08:43
महा व ा जयंती, ेतायुगा द ितिथ, काशी म
लोचन-दशन, मोतीलाल नेह जयंती,

वरद वनायक चतुथ त (चं.उ.रा.9.50),


7 शिन वैशाख शु ल चतुथ 16:33:16
रवी नाथ टै गोर जयंती, बगलामुखी जयंती,

ीआ शंकराचाय जयंती, आ शंकर संवत ्


2518 ारं भ, ीरामानुजाचाय जयंती, सूरदास
8 रव वैशाख शु ल पंचमी 16:30:39
जयंती, रे ड ास दवस, क द (कुमार) ष ी त,
Mother’s Day,

ीरामानुजाचाय ष ी, चंदनष ी, गोपालकृ ण


9 सोम वैशाख शु ल ष ी 15:56:11 गोखले जयंती, यितपात महापात म य रा ी
1.50 से सायं 5.11 तक, पु य न ( ात: 7.15)

गंगा स मी, गंगा जयंती, वजया स मी, पु य


10 मंगल वैशाख शु ल स मी 14:48:55
न ( ात:)

11 बुध वैशाख शु ल अ मी 13:09:48 ीदगा


ु मी त, ीअ नपूणा मी त, बगलामुखी
64 मई 2011

महा व ा जयंती, बुधा मी पव, सीतानवमी त,


मैिथली दवस,

नवमी-
12 गु वैशाख शु ल 10:58:49 जानक नवमी त, केरल म चूर पोरम ्,
दशमी

दशमी - मो हनी एकादशी त, ीमहावीर वामी कैव य-


13 शु वैशाख शु ल 08:22:33
एकादशी ान क याणक, हता द 538 ारं भ

मो हनी एकादशी त (वै णव), ल मीनारायण


14 शिन वैशाख शु ल ादशी 26:11:36 एकादशी, परशुराम ादशी, मणी ादशी,
मधुसूदन ादशी, यामबाबा ादशी

दोष त, वृ ष-सं ा त ात: 9.50 बजे से,


15 रव वैशाख शु ल योदशी 22:55:04 सं ा त-पु यकाल सूय दय से ात: 9.50 बजे
तक, क पवास पूण, व प रवार दवस,

ीनृ िसंह चतुदशी त, ीनृ िसंहावतार जयंती,


ओंकारे र दशन-या ा, िछ नम ता महा व ा
16 सोम वैशाख शु ल चतुदशी 19:40:25
जयंती, आ शंकराचाय कैलास-गमन, ीगणेश
चतुदशी, पू णमा त, ीस यनारायण त-कथा

नान-दान हे तु उ म वैशाखी पू णमा, बु


पू णमा, बु प रिनवाण स वत ् 2555 ारं भ,
17 मंगल वैशाख शु ल पू णमा 16:38:55 पीपल पूनम, प.बंगाल म गंधे र पूजा, वृ ंदावन-
वहार, कूमावतार जयंती, उ जैन म िश ा- नान,
वैशाख- नान समा , अ ह याबाई जयंती,

18 बुध ये कृ ण एकम 13:58:59

19 गु ये कृ ण तीया 11:50:02 दे व ष नारद जयंती, वृ ंदावन-प र मा, वन- वहार,

20 शु ये कृ ण तृ तीया 10:17:39 संक ी ीगणेश चतुथ त (चं.उ.रा.9.43)

आन दमयी चतुथ , सूय सायन िमथुन म दन


21 शिन ये कृ ण चतुथ 09:29:22 2.52 बजे से, वैध ृ ित महापात ात: 5.17 से दन
1.40 तक,

ीनगर-क मीर म ये ा दे वी महाय एवं


22 रव ये कृ ण पंचमी 09:25:09
जीठयार या ा
65 मई 2011

23 सोम ये कृ ण ष ी 10:06:54

24 मंगल ये कृ ण स मी 11:28:59 काला मी त , पंचक ारं भ ( दन 8.16)

शीतला मी-बसौड़ा, प.बंगाल म लोचना मी,


25 बुध ये कृ ण अ मी 13:22:59
बुधा मी, नवतपा ारं भ, आ हा जयंती,

26 गु ये कृ ण नवमी 15:37:36 नवतपा ारं भ

बु पू णमा, वैशाख नानदान त समा , पं.


27 शु ये कृ ण दशमी 18:01:38
नेह मृ ित दवस

अपरा (अचला) एकादशी त, पंजाब म


28 शिन ये कृ ण एकादशी 20:22:53
भ काली यारस, वीर सावरकर जयंती

29 रव ये कृ ण ादशी 22:31:01

30 सोम ये कृ ण योदशी 24:17:37 सोम- दोष त, वटसा व ी त ारं भ,

मािसक िशवरा त, िशव चतुदशी, सा व ी


31 मंगल ये कृ ण चतुदशी 25:38:56
चतुदशी, फलहा रणी कािलका पूजा

मं िस यं
गु व कायालय ारा विभ न कार के यं कोपर ता प , िसलवर (चांद ) ओर गो ड (सोने) मे
विभ न कार क सम या के अनुसार बनवा के मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु कये जाते
है . जसे साधारण (जो पूजा-पाठ नह जानते या नह कसकते ) य बना कसी पूजा अचना- विध
वधान वशेष लाभ ा कर सकते है . जस मे िचन यं ो स हत हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाए
गये यं भी समा हत है . इसके अलवा आपक आव यकता अनुशार यं बनवाए जाते है . गु व कायालय
ारा उपल ध कराये गये सभी यं अखं डत एवं २२ गेज शु कोपर(ता प )- 99.99 टच शु िसलवर
(चांद ) एवं 22 केरे ट गो ड (सोने) मे बनवाए जाते है . यं के वषय मे अिधक जानकार के िलये हे तु
स पक करे
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66 मई 2011

ववाह संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार ा
कर।

िश ा से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण प र म
एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य करवाले और
उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से
जनकार ा कर।

या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं ह?
अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म सफलता ा
कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये गु व कायालत
ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य यु विभ न कार के
य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

योितष संबंिधत वशेष परामश


योित व ान, अंक योितष, वा तु एवं आ या मक ान स संबंिधत वषय म हमारे 30 वष से अिधक वष के
अनुभव के साथ योितस से जुडे नये-नये संशोधन के आधार पर आप अपनी हर सम या के सरल समाधान ा कर
सकते ह।
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ओने स
जो य प ना धारण करने मे असमथ हो उ ह बुध ह के उपर ओने स को धारण करना चा हए।
उ च िश ा ाि हे तु और मरण श के वकास हे तु ओने स र क अंगूठ को दाय हाथ क सबसे छोट
उं गली या लॉकेट बनवा कर गले म धारण कर। ओने स र धारण करने से व ा-बु क ाि हो होकर मरण
श का वकास होता ह।
67 मई 2011

मई 2011 - वशेष योग


काय िस योग
दनांक योग अविध दनांक योग अविध
1 रा 11:31 से रातभर 22 सूय दय से दोपहर 3:35 तक
4 ात: 4:27 से दन-रात 23 सूय दय से सं या 5:06 तक
9 ात: 10:20 से दन-रात 27/28 रा 3:42 से सूय दय तक
10 को ात: 10:03 से दन-रात 29 ात: 6:34 से दन-रात
18 सूय दय से सायं 4:41 तक 31 दोपहर11:22 से रातभर
अमृत योग
10 ात: 10:03 से दन-रात 27/28 रा 3:42 से सूय दय तक
18 सूय दय से सायं 4:41 तक
पु कर योग (दोगुना फल)
14/15 रा 1:36 से रा 2:11 तक 24 सूय दय से दन 11:28 तक

योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ दो गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका


गुिलक काल यम काल राहु काल
(शुभ) (अशुभ) (अशुभ)
वार समय अविध समय अविध समय अविध
र ववार 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोमवार 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
मंगलवार 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
बुधवार 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गु वार 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शु वार 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शिनवार 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
68 मई 2011

दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल


07:30 से 09:00 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
09:00 से 10:30 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
10:30 से 12:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 शुभ चल काल उ ेग अमृत रोग लाभ
03:00 से 04:30 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
04:30 से 06:00 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल

रात के चौघ डये


समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ


07:30 से 09:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
09:00 से 10:30 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
10:30 से 12:00 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
03:00 से 04:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल
04:30 से 06:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
शा ो मत के अनुशार य द कसी भी काय का ारं भ शुभ मुहू त या शुभ समय पर कया जाये तो काय म सफलता
ा होने क संभावना यादा बल हो जाती ह। इस िलये दै िनक शुभ समय चौघ ड़या दे खकर ा कया जा सकता ह।
नोट: ायः दन और रा के चौघ ड़ये क िगनती मशः सूय दय और सूया त से क जाती ह। येक चौघ ड़ये क अविध 1
घंटा 30 िमिनट अथात डे ढ़ घंटा होती ह। समय के अनुसार चौघ ड़ये को शुभाशुभ तीन भाग म बांटा जाता ह, जो मशः शुभ,
म यम और अशुभ ह।

चौघ डये के वामी ह * हर काय के िलये शुभ/अमृ त/लाभ का


शुभ चौघ डया म यम चौघ डया अशुभ चौघ ड़या चौघ ड़या उ म माना जाता ह।
चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह
शुभ गु चर शु उ ेग सूय * हर काय के िलये चल/काल/रोग/उ े ग
अमृ त चं मा काल शिन का चौघ ड़या उिचत नह ं माना जाता।
लाभ बुध रोग मंगल
69 मई 2011

दन क होरा - सूय दय से सूया त तक


वार 1.घं 2.घं 3.घं 4.घं 5.घं 6.घं 7.घं 8.घं 9.घं 10.घं 11.घं 12.घं

र ववार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन


सोमवार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
मंगलवार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
बुधवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
गु वार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
शु वार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
शिनवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु

रात क होरा – सूया त से सूय दय तक


र ववार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
सोमवार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
मंगलवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु
बुधवार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन
गु वार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
शु वार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
शिनवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
होरा मुहू त को काय िस के िलए पूण फलदायक एवं अचूक माना जाता ह, दन-रात के २४ घंट म शुभ-अशुभ समय
को समय से पूव ात कर अपने काय िस के िलए योग करना चा हये।

व ानो के मत से इ छत काय िस के िलए ह से संबंिधत होरा का चुनाव करने से वशेष लाभ


ा होता ह।
 सूय क होरा सरकार काय के िलये उ म होती ह।
 चं मा क होरा सभी काय के िलये उ म होती ह।
 मंगल क होरा कोट-कचेर के काय के िलये उ म होती ह।
 बुध क होरा व ा-बु अथात पढाई के िलये उ म होती ह।
 गु क होरा धािमक काय एवं ववाह के िलये उ म होती ह।
 शु क होरा या ा के िलये उ म होती ह।
 शिन क होरा धन- य संबंिधत काय के िलये उ म होती ह।
70 मई 2011

ह चलन मई -2011
द Jup
Sun Mon Ma Me Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 00:16:16 11:21:02 11:28:11 11:21:08 11:28:16 11:17:52 05:17:53 08:00:16 02:00:16 11:08:42 10:06:36 08:13:22

2 00:17:14 00:02:59 11:28:56 11:21:45 11:28:30 11:19:05 05:17:49 08:00:07 02:00:07 11:08:45 10:06:37 08:13:21
3 00:18:13 00:15:02 11:29:42 11:22:25 11:28:45 11:20:18 05:17:46 08:00:00 02:00:00 11:08:48 10:06:38 08:13:20

4 00:19:11 00:27:12 00:00:27 11:23:10 11:28:59 11:21:30 05:17:42 07:29:54 01:29:54 11:08:51 10:06:39 08:13:20
5 00:20:09 01:09:30 00:01:13 11:23:57 11:29:13 11:22:43 05:17:38 07:29:50 01:29:50 11:08:53 10:06:40 08:13:19

6 00:21:07 01:21:58 00:01:58 11:24:48 11:29:27 11:23:56 05:17:35 07:29:48 01:29:48 11:08:56 10:06:41 08:13:18

7 00:22:05 02:04:38 00:02:44 11:25:43 11:29:41 11:25:09 05:17:31 07:29:48 01:29:48 11:08:59 10:06:42 08:13:17
8 00:23:03 02:17:30 00:03:29 11:26:40 11:29:54 11:26:21 05:17:28 07:29:49 01:29:49 11:09:02 10:06:43 08:13:16

9 00:24:01 03:00:39 00:04:15 11:27:41 00:00:08 11:27:34 05:17:25 07:29:51 01:29:51 11:09:04 10:06:44 08:13:16
10 00:24:59 03:14:04 00:05:00 11:28:44 00:00:22 11:28:47 05:17:22 07:29:52 01:29:52 11:09:07 10:06:44 08:13:15

11 00:25:57 03:27:49 00:05:45 11:29:50 00:00:36 00:00:00 05:17:18 07:29:52 01:29:52 11:09:09 10:06:45 08:13:14

12 00:26:55 04:11:53 00:06:30 00:00:59 00:00:50 00:01:13 05:17:15 07:29:52 01:29:52 11:09:12 10:06:46 08:13:13
13 00:27:53 04:26:16 00:07:15 00:02:11 00:01:03 00:02:25 05:17:12 07:29:49 01:29:49 11:09:14 10:06:47 08:13:12

14 00:28:51 05:10:55 00:08:00 00:03:25 00:01:17 00:03:38 05:17:09 07:29:46 01:29:46 11:09:17 10:06:47 08:13:11
15 00:29:49 05:25:44 00:08:45 00:04:41 00:01:31 00:04:51 05:17:07 07:29:42 01:29:42 11:09:19 10:06:48 08:13:10

16 01:00:47 06:10:36 00:09:30 00:06:01 00:01:44 00:06:04 05:17:04 07:29:38 01:29:38 11:09:22 10:06:48 08:13:09
17 01:01:45 06:25:23 00:10:15 00:07:22 00:01:58 00:07:17 05:17:01 07:29:34 01:29:34 11:09:24 10:06:49 08:13:08

18 01:02:43 07:09:58 00:11:00 00:08:46 00:02:11 00:08:29 05:16:59 07:29:32 01:29:32 11:09:27 10:06:50 08:13:07

19 01:03:40 07:24:14 00:11:45 00:10:12 00:02:25 00:09:42 05:16:56 07:29:31 01:29:31 11:09:29 10:06:50 08:13:06
20 01:04:38 08:08:06 00:12:30 00:11:41 00:02:38 00:10:55 05:16:54 07:29:31 01:29:31 11:09:31 10:06:51 08:13:05

21 01:05:36 08:21:34 00:13:14 00:13:12 00:02:51 00:12:08 05:16:52 07:29:32 01:29:32 11:09:34 10:06:51 08:13:04
22 01:06:33 09:04:37 00:13:59 00:14:45 00:03:04 00:13:21 05:16:49 07:29:33 01:29:33 11:09:36 10:06:51 08:13:03

23 01:07:31 09:17:18 00:14:44 00:16:20 00:03:18 00:14:34 05:16:47 07:29:35 01:29:35 11:09:38 10:06:52 08:13:01
24 01:08:29 09:29:41 00:15:28 00:17:58 00:03:31 00:15:47 05:16:45 07:29:36 01:29:36 11:09:40 10:06:52 08:13:00

25 01:09:27 10:11:49 00:16:13 00:19:38 00:03:44 00:17:00 05:16:43 07:29:36 01:29:36 11:09:42 10:06:52 08:12:59

26 01:10:24 10:23:47 00:16:57 00:21:20 00:03:57 00:18:12 05:16:41 07:29:35 01:29:35 11:09:44 10:06:53 08:12:58
27 01:11:22 11:05:40 00:17:42 00:23:05 00:04:10 00:19:25 05:16:40 07:29:34 01:29:34 11:09:46 10:06:53 08:12:57

28 01:12:19 11:17:32 00:18:26 00:24:52 00:04:23 00:20:38 05:16:38 07:29:32 01:29:32 11:09:48 10:06:53 08:12:55
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30 01:14:15 00:11:29 00:19:54 00:28:32 00:04:48 00:23:04 05:16:35 07:29:27 01:29:27 11:09:52 10:06:54 08:12:53
31 01:15:12 00:23:39 00:20:39 01:00:25 00:05:01 00:24:17 05:16:34 07:29:25 01:29:25 11:09:54 10:06:54 08:12:51
71 मई 2011

सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।

उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।

भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दरू करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।

योितष व ा के कुशल जानकर भी काल पु षक गणना कर अनेक रोगो के अनेको रह य को उजागर कर


सकते ह। योितष शा के मा यम से रोग के मूलको पकडने मे सहयोग िमलता ह, जहा आधुिनक िच क सा शा
अ म होजाता ह वहा योितष शा ारा रोग के मूल(जड़) को पकड कर उसका िनदान करना लाभदायक एवं
उपायोगी िस होता ह।
हर य म लाल रं गक कोिशकाए पाइ जाती ह, जसका िनयमीत वकास म ब तर के से होता रहता ह।
जब इन कोिशकाओ के म म प रवतन होता है या वखं डन होता ह तब य के शर र म वा य संबंधी वकारो
उ प न होते ह। एवं इन कोिशकाओ का संबंध नव हो के साथ होता ह। ज से रोगो के होने के कारणा य के
ज मांग से दशा-महादशा एवं हो क गोचर म थती से ा होता ह।

सव रोग िनवारण कवच एवं महामृ युंजय यं के मा यम से य के ज मांग म थत कमजोर एवं पी डत


हो के अशुभ भाव को कम करने का काय सरलता पूव क कया जासकता ह। जेसे हर य को ांड क उजा एवं
पृ वी का गु वाकषण बल भावीत कता ह ठक उसी कार कवच एवं यं के मा यम से ांड क उजा के
सकारा मक भाव से य को सकारा मक उजा ा होती ह ज से रोग के भाव को कम कर रोग मु करने हे तु
सहायता िमलती ह।
रोग िनवारण हे तु महामृ युंजय मं एवं यं का बडा मह व ह। ज से ह द ू सं कृ ित का ायः हर य
महामृ युंजय मं से प रिचत ह।
72 मई 2011

कवच के लाभ :
 एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
 पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
 ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
 कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
 आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
 येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
 जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
 जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।

नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।

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of the natural and spiritual world.
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 Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.

Our Goal
 Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door
step.
73 मई 2011

मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महत
ू म शुभ दन को तैयार कये जाते है . अलग-अलग कवच तैयार करने केिलए अलग-अलग तरह के
मं ो का योग कया जाता है .

 य चुने मं िस कवच?
 उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
 कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
 कोई बुरा भाव नह ं
 कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु

कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700/- ऋण मु कवच - 730/- वरोध नाशक कवचा- 550/-
सवजन वशीकरण कवच - 1050/-* नव ह शांित कवच- 730/- वशीकरण कवच- 550/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच - 1050/- तं र ा कवच- 730/- प ी वशीकरण कवच - 460/-*
आक मक धन ाि कवच-910/- श ु वजय कवच - 640/- * नज़र र ा कवच - 460/-
भूिम लाभ कवच - 910/- पद उ नित कवच- 640/- यापर वृ कवच - 370/-
संतान ाि कवच - 910/- धन ाि कवच- 640/- पित वशीकरण कवच - 370/-*
काय िस कवच - 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच- 640/- दभा
ु य नाशक कवच - 370/-
काम दे व कवच - 820/- म त क पृ वधक कवच- 640/- सर वती कवक - 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच- 550/- सर वती कवक- 280/- क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच - 730/- व न बाधा िनवारण कवच- 550/- वशीकरण कवच - 280/-* 1 य के िलए

*कवच मा शुभ काय या उ े य के िलये


GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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74 मई 2011

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
75 मई 2011

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 190, 280, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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GURUTVA KARYALAY
76 मई 2011

NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
77 मई 2011

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

GURUTVA KARYALAY
Call Us:- 91+9338213418, 91+9238328785.
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com, chintan_n_joshi@yahoo.co.in,
78 मई 2011

सूचना
 प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।

 लेख कािशत होना का मतलब यह कतई नह ं क कायालय या संपादक भी इन वचारो से सहमत ह ।

 ना तक/ अ व ासु य मा पठन साम ी समझ सकते ह।

 प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।

 कािशत लेख योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत होने के कारण


य द कसी के लेख, कसी भी नाम, थान या घटना का कसी के वा त वक जीवन से मेल होता ह तो यह मा
एक संयोग ह।

 कािशत सभी लेख भारितय आ या मक शा से े रत होकर िलये जाते ह। इस कारण इन वषयो क


स यता अथवा ामा णकता पर कसी भी कार क ज मेदार कायालय या संपादक क नह ं ह।

 अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।

 योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत लेखो म पाठक का अपना


व ास होना आव यक ह। कसी भी य वशेष को कसी भी कार से इन वषयो म व ास करने ना करने
का अंितम िनणय वयं का होगा।

 पाठक ारा कसी भी कार क आप ी वीकाय नह ं होगी।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।

 यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हई
ु ह।

 पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।

 अिधक जानकार हे तु आप कायालय म संपक कर सकते ह।

(सभी ववादो केिलये केवल भुवने र यायालय ह मा य होगा।)


79 मई 2011

FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का मई -2011
संपादक

िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग

गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA

फोन

91+9338213418, 91+9238328785
ईमेल
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,

वेब
http://gk.yolasite.com/
http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
80 मई 2011

हमारा उ े य
य आ मय

बंध/ु ब हन

जय गु दे व

जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दलभ
ु मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

सूय क करणे उस घर म वेश करापाती है ।


जीस घर के खड़क दरवाजे खुले ह ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


81 मई 2011

MAY
2011

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