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ई. ईईईईईईई - ईशर को अपना परम िमत मािनये, जो हमेशा आपके हृदय मे बसता है, उसे किहये --"ईई
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ईईईई ईई." एसा कहने से हमे यह िवशास होता है िक इस दुिनया मे जो भी हो रहा है वह सब िसफर और िसफर
भगवान् के दारा ही होरहा है और सब का कता िसफर ईशर ही है.
३. मािनये - "ईशर को अपना परमिपय िमत मािनये" और अपने मन की बात और अपने िवचार अवशय बताइए
िजस पकार हम अपने िनकटतम िमत को अपने मन की सब बाते बता देते है उसी तरह अपने सबसे िपय िमत
ईशर से अपनी सारी िचंताए, समसयाए और अिभलाशाओ को अवशय बािटये एसा करने से आपकी ईशर के साथ
िमतता और पगाढ़ होगी.
४. सपसट बात किरए - ईशर से जो भी चाहते है या जो भी आपकी जररत है उसे बहुत ही सपसट रप से मािगये
यिद आप सचचे मन और सपसट रप से अपनी माग करेगे तो वह शीघ ही पूरी होगी अपनी माग रखने के बाद ईशर
से किहये " हे पभु मुझे यह-यह दीिजये िजस के िमलजाने से मेरा जीवन और भी बेहतर हो जायेगा" ---िवशास
रिखये और थोडा इंतज़ार.
५. आभार - किहये " हे सवरशिकतमान परमातमा आपने मेरी पाथरना को सुना और उसका उतर िदया िजसके
िलए मे िदल से आपका आभारी ह.ू आपने मेरे िलए जो भी िकया है और जो भी आप करने वाले है उसके बदले मे मै
आपके िलए ________________________________________________करने के िलए तैयार हू”
चूँिक हम ईशर के खजाने से कुछ पाना चाहते है तो सदैव आभारी रिहये कयोिक आभारी हृदय ही पशंसक , दयालु
और संवेदनशील िदल होता है .
६. िरहाई -- अपनी पाथरना को िरहा कीिजये और उसे ईशर के हाथो मे छोड दीिजये और ईशर का आभार मािनये
और िवशास रिखये ठीक वैसा ही होगा जैसा आप चाहते है.-मन मे जरा सा भी संशय नहीरिखये.