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गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का जून- 2011

शिनदे व का प रचय शिनदे व क कृ पा ाि


शिन के विभ न मं के सरल उपाय

शिन-साढ़े साती के शांित शिनवार त


उपाय

सामु क शा म शिन रे खा का मह व शिन के विभ न पाय का

शिन ह से संबिं धत रोग शिन दोष त का मह व

NON PROFIT PUBLICATION


FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का जून 2011
संपादक िचंतन जोशी
गु व योितष वभाग

संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in,

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प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी


फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट
हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल)

ई- ज म प का E HOROSCOPE
अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
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हं द / English म मू य मा 750/-
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
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3 जून 2011

वशेष लेख
शिनदे व का प रचय 5 शिनदे व क कृ पा ाि के सरल उपाय 28

शिनवार त 11 शिन के विभ न मं 30

शिन दोष त का मह व 17 महाकाल शिन मृ युंजय तो 31

शिन-साढ़े साती के शांित उपाय 18 शनै र तवराज(भ व यपुराण) 35

ी शिन चालीसा 20 शनै र तो म ् ( ी ा डपुराण) 36

सामु क शा म शिन रे खा का मह व 22 शिनव पंजरकवचम ् 36

शिन के विभ न पाय का 24 दशरथकृ त-शिन- तो 37

शिन ह से संबंिधत रोग 27 शिन अ ो रशतनामाविल 41

अनु म
संपादक य 4 दन-रात के चौघ डये 59

राम र ा यं 42 दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक 60

व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं 43 ह चलन जून -2011 61

मं िस प ना गणेश 43 सव रोगनाशक यं /कवच 62

मं िस साम ी 44 मं िस कवच 64

मािसक रािश फल 47 YANTRA LIST 65

रािश र 51 GEM STONE 67

जून 2011 मािसक पंचांग 52 BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION 68

जून -2011 मािसक त-पव- यौहार 54 सूचना 69

मं िस साम ी 57 हमारा उ े य 71

जून 2011 - वशेष योग 58

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 58


4 जून 2011

संपादक य
य आ मय

बंधु/ ब हन

जय गु दे व
विभ न सं कृ ित म शिनदे व को अकपु , सौ र, भा क र, यम, आ क, छाया सुत, तर णतनय, कोण, नील,
आिसत, फारसी व अरबी म जुदल
ु , केदवान, हहल
ु तथा अं ेजी म सैटन आ द नाम से जना जाता ह। शिन ह
सौरमंडल म सूय क प र मा करने वाला छठा ह है ।
वेद-पुराण के अनुसार शिनदे व सूय दे व क दसर
ू प ी दे वीछाया के पु है, और इसका वण यामल है । एक बार
शिनदे व के याम वण दे खकर सूय ने उसे अपना पु मानने से इनकार कर दया। अपने ित पता के इस यवहार
को दे खकर शिन क भावनाओं को ठे स लगी जसके प रणाम व प वह अपने पता सूय से श ुभाव रखने लगे।

रामायण म उ लेखीत ह क जब लंकापित रावण के सभी ाता व पु क यु म मृ यु हो रह थी तब रावण


ने अपने अमर व के िलए सौरमंडल के सभी ह को अपने दरबार म कैदकर िलया। रावण क कुंडली म शिन ह एक
मा ऐसा ह था जसक व ाव था और योग के कारण रावण के िलए माकश क थित उ प न हो रह थी, जसे
प रवितत करने के िलए रावण ने अपने दरबार म शिन को उलटा लटका दया व घोर यातनाएं दे ने लगा। ले कन
रावण के एसा करने से शिन के यवहार म कोई बदलाव नह ं आया और वह क सहते रहे ।

पवन पु ी हनुमान वहां पहंु चे और शिन को रावण क कैद से मु कराया। इसी उपकार के बदले शिनदे व ने
हनुमानजी को वचब दया क जो भी आपक आराधना करे गा, म अपनी साढे साती, ढै या, दशा-महादशा से उसक सवदा
र ा क ं गा।

इसी िलये ी हनुमानजी के भ के िलए शुभ फलदायक होते ह शिनदे व ी हनुमान ने शिन को क से मु
कराकर उसक र ा कथी इसीिलए वह भी ी हनुमान क उपासना करने वाल के क को दरू कर उनके हत क
र ा करता है । शिन से उ प न क के िनवारण हे तु ी हनुमान को अिधक से अिधक स न कया जाए। इससे न
केवल शिन से उ प न दोष का िनवारण होता है , ब क सूय व मंगल के साथ शिन क श ुता व योग के कारण
उ प न सारे क भी दरू हो जाते ह।
शिन दे व ह येक जीव के आयु के कारक ह, आयु वृ करने वाले ह भी शिनदे व ह, आयुष योग म शिन
का थान मह वपूण है क तु शुभ थित म होने पर शिन आयु वृ करते ह तो अशुभ थित म होने पर आयु का
हरण कर लेते ह।
शिनदे व ल बी बमार के भी मुख कारक ह ह अतः जो य ल बे समय से बमार से पी डत ह। रोग,
क , िनधनता आ द उनका पीछा नह ं छोड रहे हो उ ह शिनदे व क उपासना अव य करनी चा हये।
शिनदे व के स न होने से य को िनरोगी काया व दःख
ु द र ता से मु िमलती ह व दधायु क ाि
होती ह।

िचंतन जोशी
5 जून 2011

शिनदे व का प रचय
 िचंतन जोशी, व तके.ऎन.जोशी.

पद: ा
रं ग: काला
त व: वायु
जाित: शू
कृ ित: तामिसक
ववरण: ीण और ल बा शर र, गहर पीली आँख, वात,
बड़े दांत, अकम य, लंगड़ापन, मोटे बाल .
धातु: नायु
िनवास: मिलन जमीन
समय अविध: साल
वाद: कसैले
मजबूत दशा: प म
पेड़: पीपल, बांबी
कपड़े : काले, नीले, बहु रं ग का व
मौसम: िसिशर Sishira
पदाथ: धातु, शिन के छ ले
शिन ह शिन ह के चार ओर कई उप ह छ ले ह। यह
शिन सौरम डल के एक सद य ह है । यह छ ले बहत
ु ह पतले होते ह। हालां क यह छ ले चौड़ाई
सूरज से छठे थान पर है और सौर मंडल म बृ ह पित म २५०,००० कलोमीटर है ले कन यह मोटाई म एक
के बाद सबसे बड़ा ह ह। इसके क ीय प र मण का कलोमीटर से भी कम ह। इन छ ल के कण मु यत:
पथ १४,२९,४०,००० कलोमीटर है । शिन ह क खोज बफ और बफ से ढ़के पथर ले पदाथ से बने ह। नये
ाचीन काल म ह हो गई थी। ले कन वै ािनक ी वै ािनक शोध के अनुशार शिन ह के छ ले ४-५ अरब
कोण से गैलीिलयो गैिलली ने सन ् १६१० म दरबीन
ू क वष पहले बने ह जस समय सौर णाली अपनी िनमाण
सहायता से इस ह को खोजा था। शिन ह क रचना अव था म ह थी। पहले ऐसा माना जाता था क ये
७५% हाइ ोजन और २५% ह िलयम से हई
ु है । जल, छ ले डायनासौर युग म अ त व म आए थे। अमे रका
िमथेन,अमोिनया और प थर यहाँ बहत
ु कम मा ा म पाए म वै ािनक ने म पाया क शिन ह के छ ले दस
जाते ह। सौर म डल म चार ह को गैस दानव कहा करोड़ साल पहले बनने के बजाय उस समय अ त व म
जाता है , य क इनम िमटट -प थर क बजाय आए जब सौर णाली अपनी शैशवाव था म थी। १९७०
अिधकतर गैस है और इनका आकार बहत
ु ह वशाल है । के दशक म वै ािनक यह मानने लगे थे क शिन ह के
शिन इनमे से एक है - बाक तीन बृ ह पित, छ ले काफ युवा ह और संभवत: यह कसी धूमकेतु के
अ ण(युरेनस) और व ण (नॅ टयून) ह। बड़े चं मा से टकराने के कारण पैदा हए
ु ह। कुछ
6 जून 2011

वै ािनको के अनुशार शिन के छ ले हमेशा से थे ले कन अनुसार ह अ य ह संबंिधत य को शुभा-शुभ फल


उनम लगातार बदलाव आता रहा और वे आने वाले कई दान करते ह। जड़-चेतन सभी पर ह का अनुकूल या
अरब साल तक अ त व म रहगे। ितकूल भाव िन त पड़ता ह। आपके मागदशन हे तु
शिनदे व से संबंिधत कुछ विश जानका रयां यहां तुत
भारतीय शा ो के अनुशार शिनदे व का वणन ह।
वैदय
ू कांित रमल, जानां वाणातसी पुरातन काल से लोग के अंदर शिनदे व के ित
कुसुम वण वभ शरत:। गलत धारणाएं, भय घर कये बैठा ह, शिनदे व नाम
अ या प वण भुव ग छित त सवणािभ सुनते ह लोग भयभीत हो जाते ह। शिनदे व का पौरा णक
सूया मज: अ यतीित मुिन वाद:॥ प रचय आपक जानकार हे तु तुत

शिन र नीलम ह जससे शिनदे व से संबंधी या


भावाथ:- शिन ह वैदयर
ू अथवा विभ न ांितय के िनवारण म
बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे आपको सहायता िमले।
िनमल रं ग से जब कािशत होता है , व वध पुराण म शिनदे व के
तो उस समय जा के िलये शुभ फ़ल ादभाव
ु व उनके विश गुण क
दे ता है यह अ य वण को काश दे ता अनेक चचा उ ल ध है ।
है , तो उ च वण को समा करता है , पुराणो के अनुसार शिनदे व मह ष
ऐसाऋ ष महा मा कहते ह। क यप के पु सूय क संतान ह। सूय
व क आ मा व सा ात का

शिनदे व का व प: व प ह। शिनदे वक माता का नाम


B.Sapphire छाया अथवा सुवणा ह। मनु साव ण,
शनै र का शर र-का त
(Special Qulaty) यमराज शिनदे व के भाई और यमुना
इ नीलम ण के समान ह। शिनदे व के
बहन ह।
िसर पर वण मुकुट गले म माला
B.Sapphire - 5.25" Rs. 30000
B.Sapphire - 6.25" Rs. 37000
शा ो व णत ह क वंश का
तथा शर र पर नीले रं ग के व B.Sapphire - 7.25" Rs. 55000
B.Sapphire - 8.25" Rs. 73000 भाव संतान पर अव य पड़ता ह।
सुशोिभत होते ह। शिनदे व का वण B.Sapphire - 9.25" Rs. 91000
शिनदे व का ज म क यप वंश म हवा

कृ ण, वाहन गीध तथा लोहे का बना B.Sapphire- 10.25" Rs.108000
** All Weight In Rati ह और शिनदे व सा ात व प
रथ है । * उपयो वजन और मू य से अिधक
सूय दे व के पु ह अतः शिनदे व
और कम वजन और मू य का नीलम
सूयदे व के पु ह शिनदे व उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। अ तीय श व य व के वामी

योितष के व ानो के अनुशार GURUTVA KARYALAY ह।

यह संपूण संसार सौरमंडल के ह


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म से मु य िनयं क ह। शिनदे व को पोरा णक कथा के अनुशार

ह के यायाधीश मंडल का धान यायाधीश कहा गया शंगवश सूय दे व ने अपनी प ी अथात शिनदे व क मां

ह। कुछ व ानो का मत ह क शिनदे व के िनणय के छाया पर नाराज हो गये और उ ह शाप तक दे ने को


7 जून 2011

तैयार हो गये। शिनदे व को सूय दे व का ऐसा यवहार पूव कृ त कम के फल भोग को भी अपने अनु प बनाने
सहन न हआ।
ु उनके मन म सूय से भी अिधक म स म हो सकता ह।
श शाली बनने क इ छा जागृ त हई।
ु शिनदे व ने बना योितषीय व ेषण के अनुशार बताये गये उपाय
कसी संकोच सूय से ह अपनी श ाि के उपाय पूछने अपना कर ितकूल प र थितय को अपने अनुकूल
लगे। बनाया जा सकता है । योितष व ा से मनु य अपने
सूय दे व ने सुना क शिन उनसे भ व य के वषय म जानकार ा
अिधक श शाली होना चाहता है , शिन का उपर कर अपने क य ारा ितकूल
सुनते ह उ ह बड़ स नता हई।
ु सब थितय को अपने अनुकूल बनाने के
सूय दे व ने शिन को काशी म जाकर कटे ला(एमेिथ ट) िलए मागदशन ा कर सकता ह।
भगवान िशव का पािथविलंग बनाकर संपूण चराचर जगत ई रय
पूजन व अिभषेक करने का आदे श श य के संक प से सृ जन हवा
ु ह।
दया। शिनदे व काशी म आकर पािथव उसी ई रय श य क इ छानुसार
िशविलंग बनाकर उपासना म िलन हो नव ह को व के सम त जड़-
गये। िशवजी ने उनक उपासना से चेतन को िनयं त व अनुशािसत करने
स न होकर वरदान मांगने को कहां। का काय दया गया है । मानव समेत
शिन ने िशवजी से दो वरदान मांगे। सम त जीवो को िमलने वाले सुख-दख

एक यह क म अपने पता से भी ह के शुभ-अशुभ भावो ारा ह
अिधक श शाली बनूं और दसरा
ू यह Amethyst दान कये जाते ह। ले कन हो के
क पता से सात गुना दरू पर सात Katela शुभ-अशुभ भाव म कसी य या
उप ह से िघरा हआ
ु मेरा मंडल हो। Amethyst- 5.25" Rs. 550 जीव वशेष से इन हो का कोई
Amethyst- 6.25" Rs. 640
िशवजी ने तथा तु कह उ ह वरदान दे Amethyst- 7.25" Rs. 730 प पात नह ं होता, यो क कसी भी
दया। Amethyst- 8.25" Rs. 820
य या जीव को िमलने वाले सुख-
Amethyst- 9.25" Rs. 910
योितषशा म अंत र , Amethyst - 10.25" Rs.1050 दख
ु उस जीव ारा कये गय कम ह
** All Weight In Rati
वरान थान , मसान , बीहड़ वन, होते ह।
* उपयो वजन और मू य से अिधक
ांतर , दगम
ु -घा टय , पवत , गुफाओं, और कम वजन और मू य का नीलम जीव वशेष के कम के कारक
खदान व जन शू य आकाश-पाताल उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। ह शिनदे व होने क वजह से उनक
के रह यपूण- थल आ द को शिनदे व GURUTVA KARYALAY यमाण कम के संपादन म मुख
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के अिधकार े माना गया है । भूिमका होती है । जीव के ारा कये
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रह यमय व गु ान के उपरांत और कस कार भोगना है , इसका
कम े म, सतत ् चे ा, म, सेवा -लाचार, वकलांग , िनधारण नव ह ारा ह होता ह।
रोगी व वृ द क सहायता आ द भी आते ह। सभी जीव के शुभ-अशुभ कम का फल दान
शिनदे व कम के कारक ह होने क वजह से करने म शिनदे व द डािधकार यायाधीश के प म काय
मनु य को यमाण कम का अवलंबन लेकर अपने करते ह। यो क अशुभ कम के िलए द ड दान करते
8 जून 2011

समय शिन नह ं दे र करते है और नह ं प पात। द ड दे ते शिनदे व उ ह ं लोगो को अिधक क दान करते


समय दया आ द भाव शिनदे व को छू नह ं पाते, इस ह जो लोग गलत काम म सल न होते ह। अ छे कम
िलये लोग म शिन के नाम से भय के लहर दौड जाती करने वाल पर शिनदे व अित स न व उनके अनुकूल
है । इसी िलये शा म शिनदे व को ू र, कु टल व पाप फल दान करते ह।
ह सं ा द गई है । शिनदे व जतने कठोर ह उतने ह अतः शुभ कम करने से शिन क कृ पा ा होगी
अंदर से कृ पालु व दयालु भी है । शिनदे व क कृ पा ाि और शिन कृ पा से ह जीवन का मूल उ े य पूण होगा।
हे तु मनु यो को अपने कम को शा ो म उ ले खत ह क शिनदे व के
सुधारना चा हए। शिन के र और उपर दं ड से शिनदे व के गु सा ात िशवजी
यो क व ानो के मतानुशार को भी ढाई दन के िलये छुपना पडा
नीलम, नीिलमा, नीलम ण,
पूव ज म के संिचत पु य और पाप का था। शिनदे व के कोप के कारण पावती
जामुिनया, नीला कटे ला, आ द
फल जीव को वतमान जीवन म ह नंदन गणेशजी का िशर कट गया था।
के अनुसार भोगने पडते ह। शिन के र और उपर ह।
योितषी जानकार :
हो के शुभ-अशुभ भाव अ छा र शिनवार को पु य
शिन एक रािश म तीस मह ने रहते ह।
महादशा, अंतदशा आ द के अनुशार न म धारण करना
शिन मकर और कु भ रािश के वामी
ा होते ह। अतः हो के अिन
चा हये। इन र मे कसी ह तथा शिनक महादशा 19 वष क
फल से बचाव के िलए उिचत उपाय
भी र को धारण करते ह होती है । शिन का भाव एक रािश पर
कया जा सकता है ।
हमारे ाचीन मनी षय ने शा ो म
फ़ायदा िमल जाता है । ढ़ाई वष और साढ़े साती के प म
साढे ़ सात वष अविध तक भोगना
शिनदे व के अनुकूल व ितकूल भाव
शिन क जड बू टयां पढ़ता ह।
का बड़ सू मता से िनर ण कर
उसक व तृ त जानकार हम दान क ब छू बूट क जड या शमी
शिनदे व के काले होने का रह य!
ह। जसे छ करा भी कहते है क
यद कसी जातक के िलये जड शिनवार को पु य न इस बारे म एक कथा चिलत
शिनदे व अनुकूल होते ह तो जातक को है , जब शिनदे व माता के गभ म थे,
म काले धागे म पु ष और
अपार धन-वैभव व ऐ या द क ाि तब िशव भ नी माता ने घोर तप या
ी दोनो ह दा हने हाथ क
होती ह, य द ितकूल हो, तो य क , धूप-गम क तपन म शिन का रं ग
को भीषण क का सामना करना भुजा म बा धने से शिन के काला हो गया। ले कन मां के इसी तप
पड़ता है । ऐसी थित म य वशेष कु भाव म कमी आना शु ने उ हे आपार श द और न हो म
के संिचत धन, संपदा का नाश होता हो जाता है । से एक ह बना दया।
है । य क िनं दत कम रत हो जाता ह
उसे लोकिनंदा का पा बनना पड़ता ह। उसे पग-पग पर शिनदे व क गित धीमी होने का कारण
दःख
ु , क , रोग व अपमान का सामना करना पड़ता है ।
शिनदे व का अ य सभी ह से मंद होने का
उ ह तरह-तरह क यातनाएं भी झेलनी पड़ जाती ह।
कारण इनका लंगड़ाकर चलना है । वे लंगड़ाकर य
9 जून 2011

चलते ह, इसके संबंध म सूय तं म व णत कथा इस शिनदे व को ते ल य होने का कारण


कार ह।
शिन दे व पर तेल चढाया जाता ह, इस संबंध म
एक बार सूय दे व का तेज सहन न कर पाने क आनंद रामायण म एक कथा का उ लेख िमलता ह। जब
वजह से सं ा दे वी ने अपने शर र से अपने जैसी ह एक ी राम क सेना ने सागर सेतु बांध िलया, तब रा स
ितमूित तैयार क और उसका नाम वणा रखा। उसे इसे हािन न पहंु चा सक, उसके िलए पवन सुत हनुमान
आ ा द क तुम मेर अनुप थित म मेर सार संतान को उसक दे खभाल क ज मेदार सौपी गई। जब
क दे खरे ख करते हए
ु सूय दे व क सेवा करो और प ी हनुमान जी शाम के समय अपने इ दे व राम के यान म
सुख भोगो। म न थे, तभी सूय पु शिन ने अपना काला कु प चेहरा
एसा आदे श दे कर सं ा अपने पता के घर चली बनाकर ोधपूण कहा- हे वानर म दे वताओ म श शाली
गई। वणा ने भी अपने आप को इस तरह ढ़ाला क शिन हँू । सुना ह, तुम बहत
ु बलशाली हो। आँख खोलो
सूय दे व भी यह रह य न जान सके। इस बीच सूय दे व और मेरे साथ यु करो, म तुमसे यु करना चाहता हँू ।
से वणा को पांच पु और दो पु यां हई।
ु धीरे -धीरे इस पर हनुमान ने वन तापूव क कहा- इस समय म
वणा अपने ब च पर अिधक और सं ा क संतान पर अपने भु को याद कर रहा हंू । आप मेर पूजा म व न
कम यान दे ने लगी। एक दन सं ा के पु शिन को मत डािलए। आप मेरे आदरणीय है । कृ पा करके आप
तेज भूख लगी, तो उसने वणा से भोजन मांगा। तब यहा से चले जाइए।
वणा ने कहा क अभी ठहरो, पहले म भगवानका
् भोग जब शिन दे व लड़ने पर उतर आए, तो हनुमान जी
लगा लूं और तु हारे छोटे भाई-बहन को खला दं ,ू फर ने अपनी पूंछ म लपेटना शु कर दया। फर उ हे
तु ह भोजन दं ग
ू ी। यह सुनकर शिन को ोध आ गया कसना ारं भ कर दया जोर लगाने पर भी शिन उस
और उ ह ने माता को मारने के िलए अपना पैर उठाया, बंधन से मु न होकर पीड़ा से याकुल होने लगे।
तो वणा ने शिन को ू
ाप दया क तेरा पांव अभी टट हनुमान ने फर सेतु क प र मा कर शिन के घमंड को
जाए। तोड़ने के िलए प थरो पर पूंछ को झटका दे -दे कर
माता का ाप सुनकर शिनदे व डरकर अपने पता पटकना शु कर दया। इससे शिन का शर र लहलु
ु हान
के पास गए और सारा क सा कह सुनाया। सूय दे व हो गया, जससे उनक पीड़ा बढ़ती गई। तब शिन दे व ने
तुर त समझ गए क कोई भी माता अपने पु को इस हनुमान जी से ाथना क क मुझे बधंन मु कर
तरह का शाप नह दे सकती। इसी िलए उनके साथ द जए। म अपने अपराध क सजा पा चुका हँू , फर
अपनी प ी नह कोई और ह। सूय दे व ने ोध म आकर मुझसे ऐसी गलती नह होगी।
पूछा क बताओ तुम कौन हो, सूय का तेज दे खकर वणा इस पर हनुमान जी बोले-म तु हे तभी छोडू ं गा,
घबरा गई और सार स चाई उ हे बता द । तब सूय दे व जब तुम मुझे वचन दोगे क ी राम के भ को कभी
न शिन को समझाया क वणा तुमार माता नह ह, परे शान नह करोगे। य द तुमने ऐसा कया, तो म तु ह
ले कन मां समान ह। इसीिलए उनका दया शाप यथ तो कठोर दं ड दं ग
ू ा। शिन ने िगड़िगड़ाकर कहा -म वचन दे ता
नह होगा, पर तु यह इतना कठोर नह होगा क टांग हंू क कभी भूलकर भी आपके और ी राम के भ क
पूर तरह से अलग हो जाए। हां, तुम आजीवन एक पाँव रािश पर नह आऊँगा। आप मुझे छोड़ द। तभी हनुमान
से लंगडाकर चलोगे। जी ने शिनदे व को छोड़ दया। फर हनुमान जी से
10 जून 2011

शिनदे व ने अपने घावो क पीड़ा िमटाने के िलए तेल लोगे, वह न हो जायगा। ू


यान टटने पर शिनदे व ने
मांगा। हनुमान जी ने जो तेल दया, उसे घाव पर लगाते अपनी प ी को मनाया। प ी को भी अपनी भूल पर
ह शिन दे व क पीड़ा िमट गई। उसी दन से शिनदे व को प ाताप हआ
ु , क तु शाप के तीकार क श उसम न
तेल चढ़ाया जाता ह, जससे उनक पीडा शांत हो जाती ह थी, तभी से शिन दे वता अपना िसर नीचा करके रहने
और वे स न हो जाते ह। लगे। य क यह नह ं चाहते थे क इनके ारा कसी का
अिन हो।
शिनदे व क ूर ी का कारण अतः कहा गया है , शिनदे व ुर ह नह ं ह, वो
शिनदे व जी क म जो ू रता है , वह इनक यायकता है । य पाप करता रहता है, और जब उस
प ी के शाप के कारण है । पुराण म इनक कथा इस य पर शिन क साढ़े साती आती है , तो उसके पापो का
कार आयी है - बचपन से ह शिन दे वता ीकृ ण के हसाब वयं शिनदे व करते है । जब य लोभ, वासना,
परम भ थे। वे ीकृ ण के अनुराग म िनम न रहा गु सा, मोह से भा वत होकर अ याय, अ याचार, दरा
ू चार,
करते थे। वय क होने पर इनके पता ने िच रथ क अनाचार, पापाचार, यिभचार का सहारा लेता है , जब सबसे
क या से इनका ववाह कर दया। इनक प ी सती- िछप कर कोई पाप काय करता ह, तब समय आने पर
सा वी और परम तेज वनी थी। एक रात वह ऋतु- नान शिनदे व के ारा य को दं ड भी ा होता ह। जो
करके पु - ाि क इ छा से इनके पास पहँु ची, पर यह राजा का रं क बना दे ती ह, वह शिन क साढे -साित ह
ीकृ ण के यान म िनम न थे। इ ह बा संसार क होती है । ले कन य द साढे -साती दशा के दौरान भी य
सुधबुध ह नह ं थी। प ी ती ा करके थक गयी। उसका स य को नह ं छोड़े ता, पुनः, दया और याय का सहारा
ऋतुकाल िन फल हो गया। इसिलये उसने ु होकर लेता ह, एसी अव था म सब बहत
ु ह अ छे से यतीत
शिनदे व को शाप दे दया क आज से जसे तुम दे ख हो जाता ह।

 या आपके ब चे कुसंगती के िशकार ह?

 या आपके ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?

 या आपके ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?


घर प रवार म शांित एवं ब चे को कुसंगती से छडाने हे तु ब चे के नाम से गु व कायालत ारा
शा ो विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं
एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप
वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी
बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।

GURUTVA KARYALAY
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11 जून 2011

शिनवार त
 व तके.ऎन.जोशी.

त माहा यं एवं कथा विध


शिन- ह क शांित व सभी कार के सुख क ॐ कोण थाय नमः।
इ छा रखने वाले ी-पु ष को शिनवार का त करना ॐ रौ ा मकाय नमः।
चा हए। संपूण विध- वधान से शिनवार का त करने से ॐ शनै राय नमः।
शिन से संबंिधत संपूण पीडा-दोष, रोग-शोक न हो जाते ॐ यमाय नमः।
ह, और धन का लाभ होता ह। ती को वा य सुख ॐ ब वे नमः।
तथा आयु व बु क वृ होती ह। ॐ कृ णाय नमः।
शिनदे व के भाव म सभी कार के उ ोग, ॐ मंदाय नमः।
यवसाय, कल-कारखाने, धातु उ ोग, लौह व तु, तेल, ॐ प पलाय नमः।
काले रं ग क व तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृ यु, ॐ पंगलाय नमः।
पुिलस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ, ॐ सौरये नमः।
स टा, लॉटर , चोर भय तथा ू र काय आते ह।
व ानो के अनुशार शिन से संबंिधत क िनवारण उस वृ म सूत के सात धागे लपेटकर सात
के िलए शिनवार का त करना परम लाभ द होता ह। प र मा करे तथा वृ का पूजन करे । शिन पूजन
शिनवार के त को जानकार य क सलाह से येक सूय दय से पूव तार क छांव म करना चा हए। शिनवार
उ के ी-पु ष कर सकता ह। त-कथा को भ और ेमपूव क सुने। कथा कहने वाले
शिनवार का त कसी भी शिनवार से आरं भ को द णा दे । ितल, जौ, उड़द, गुड़, लोहा, तेल, नीले
कया जा सकता ह। ले कन ावण मास के शिनवार से व का दान करे । आरती और ाथना करके साद बांटे।
त को ारं भ कया जाए तो वशेष लाभ द रहता ह। पहले शिनवार को उड़द का भात और दह , दसरे

शिनवार को सूयोदय से पूव ती मनु य को शिनवार को खीर, तीसरे को खजला, चौथे शिनवार को
कसी प व नद -जलाशय आ द के जल म नान कर, घी और पू रय का भोग लगावे। इस कार ततीस
ऋ ष- पतृ अपण करके, सुंदर कलश म जल भरकर लाये, शिनवार तक इस त को करे । इस कार त करने से
उस कलश को शमी अथवा पीपल के पेड़ के नीचे सुंदर शिनदे व स न होते ह। इससे सव कार के क , अ र
वेद बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह िनिमत शिन क आद यािधय का नाश होता है और अनेक कार के
ितमा को पंचामृ त म नान कराकर काले चावल से सुख, साधन, धन, पु -पौ ा द क ाि होती ह। कामना
बनाए हए
ु चौबीस दल के कमल पर था पत करे । क पूित होने पर शिनवार के त का उ ापन कर। ततीस
शिनदे व का काले रं ग के गंध, पु प, अ ांग, धूप, फूल, ा ण को भोजन करावे, त का वसजन करे । इस
उ म कार के नैवे आ द से पूजन करे । कार त का उ ापन करने से पूण फल क ाि होती
उस के प यात शिन के इन दस नाम का ा ा है एवं सभी कार क कामनाओं क पूित होती ह।
व भ -भाव से से उ चारण करे -
12 जून 2011

कामना पूित होने पर य द यह त कया जाए, तो ा केतु हे तु केतु मं से कुशा क सिमधा म, कृ ण जौ के


व तु का नाश नह ं होता। घी व काले ितल से येक के िलए १०८ आहितया
ु दे
योितष शा म शिन राहु और केतु के क और ा ण को भोजन करावे।
िनवारण हे तु भी शिनवार के त का वधान ह। इस त इस कार शिनवार के त के भाव से शिन और
म शिन क लोहे क , राहु व केतु क शीशे क मूित राहु-केतु जिनत क , सभी कार के अ र तथा आ द-
बनवाएं। यािधय का सवथा नाश होता ह।
 कृ ण वण व , दो भुजा द ड और अ मालाधार ,
काले रं ग के आठ घोड़े वाले रथ म बैठे शिन का संपूण ाण ित त 22 गेज शु
यान करे ।
ट ल म िनिमत अखं डत
 कराल बदन, ख ग, चम और शूल से यु नीले


िसंहासन पर वराजमान वर द राहु का
धू वण, गदा द आयुध से यु ,
यान करे ।
गृ ासन पर
पु षाकार
शिन यं
वराजमान वकटासन और वर द केतु का यान
करे ।

पु षाकार शिन यं ( ट ल म) को ती भावशाली


इ ह व प म मुितय का िनमाण करावे अथवा बनाने हे तु शिन क कारक धातु शु ट ल(लोहे ) म
गोलाकार मूित बनावे या बाजार से खर द ले। बनाया गया ह। जस के भाव से साधक को त काल
काले रं ग के चावलोम से चौबीस दल का कमल लाभ ा होता ह। य द ज म कुंडली म शिन
िनमाण करे । कमल के म य म शिन, द ण भाग म ितकूल होने पर य को अनेक काय म
राहु और वाम भाग म केतु क थापना करे । र चंदन असफलता ा होती है , कभी यवसाय म घटा,
म केशर िमलाकर, गंध चावल म काजल िमलाकर, काले नौकर म परे शानी, वाहन दघटना
ु , गृ ह लेश आ द
चावल, काकमाची, कागलहर के काले पु प, क तूर आ द परे शानीयां बढ़ती जाती है ऐसी थितय म
से 'कृ ण धूप' और ितल आ द के संयोग से कृ ण नैवे ाण ित त ह पीड़ा िनवारक शिन यं क अपने
(भोग) अपण करे और इस मं से ाथना एवं नम कार को यपार थान या घर म थापना करने से अनेक
कर- लाभ िमलते ह। य द शिन क ढै ़या या साढ़े साती का
शनैश ्चर नम तु यं नम तेतवथ राहवे। समय हो तो इसे अव य पूजना चा हए। शिनयं के
केतवेऽथ नम तु यं सवशांित दो भव॥ पूजन मा से य को मृ यु, कज, कोटकेश, जोडो
ॐ ऊ वकायं महाघोरं चंडा द य वमदनम।् का दद, बात रोग तथा ल बे समय के सभी कार के
िसं हकायाः सुतं रौ ं तं राहंु णमा यहम॥् रोग से परे शान य के िलये शिन यं अिधक
ॐ पातालधूम संकाशं तारा ह वमदनम।् लाभकार होगा। नौकर पेशा आ द के लोग को
रौम रौ ा मकं ू रं तं केतु णमा यहम॥् पदौ नित भी शिन ारा ह िमलती है अतः यह यं
अित उपयोगी यं है जसके ारा शी ह लाभ पाया
सात शिनवार का त करे । शिन हे तु शिन-मं से शिन
जा सकता है । मू य: 1050 से 8200
क सिमधा म, राहु हे तु राहु मं से पूवा क सिमधा म,
13 जून 2011

ी शिनवार त कथा हे युिध र! कुशलपूव क तो हो? युिध र ने कहा- हे


भो! आपक कृ पा है । आपसे कुछ िछपा न हं है ! कृ पाकर
पौरा णक कथा के अनुशार एक बार सम त
कोई ऐसा उपाय बतलाएं, जसके करने से यह ह क
ा णय का हत चाहने वाले मुिनगण नैिमषार य म
न यापे। हम इससे छुटकारा िमले। यह शिन ह बहत

एक हए।
ु उस समय यास जी के िश य सूतजी अपने
क दे ता है ।
िश यो के साथ ीह र का मरण करते हए
ु वहां पर
ीकृ ण बोले- राजन! आपने बहत
ु ह सुंदर बात
आए। सम त शा के ाता ी सूतजी को आया
दे खकर महातेज वी शौनका द मुिनय ने उठकर ी
सूतजी को
सूतजी बैठ गए।
णाम कया। मुिनय ारा दए आसन पर ी
संपूण ाण ित त
22 गेज शु टल म
ी सूतजी से शौनक आ द मुिनय ने वनयपूव क
पूछा- हे मुिन! इस किलकाल म ह र भ कस कार से
होगी? सभी ाणी पाप करने म त पर ह गे, मनु य क
आयु कम होगी। ह क , धन र हत और अनेक िनिमत अखं डत
पीड़ायु मनु य ह गे। हे सूतजी! पु य अित प र म से

शिन
ा होता है , इस कारण किलयुग म कोई भी मनु य
पु य न कर पायेगा। पु य के न होने से मनु य क
कृ ित पापमय होगी, इस कारण तु छ वचार करने वाले
मनु य अपने अंश स हत न हो जाएंगे। हे सूतजी! जस

तैितसा यं
तरह थोड़े ह प र म, थोड़े धन से, थोड़े समय म पु य
ा हो, ऐसा कोई उपाय हम लोग को बतलाइए। हे
महामुन,े हमने यह भी सुना है क शिन के कोप से
दे वता भी मु नह ं हो पाते । शिन क ूर ने
भगवान ीगणेश जी का िसर उसके पता के हाथ कटवा
शिन ह से संबंिधत पीडा के
दया। शिन क क को दे ने वाली ह, इसिलए कोई
ऐसा त बताएं, जसे करने से शिनदे व स न हो। िनवारण हे तु वशेष लाभकार यं ।
सूतजी बोले- हे मुिन े तुम ध य हो। तु ह ं मू य: 550 से 8200
वै णव म अ ग य हो, य क सब ा णय का हत
चाहते हो। म आपसे उ म त को कहता हंू । यान दे कर
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सुन- इसके करने से भगवान शंकर स न होते है और 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR
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हे ऋ षयो! युिध र आ द पांडव जब वनवास म
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अनेक क भोग रहे थे, उस समय उनके य सखा gurutva_karyalay@yahoo.in,
ीकृ ण उनके पास पहंु चे। युिध र ने ीकृ ण का बहत
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आदर कया और सुंदर आसन पर बैठाया। ीकृ ण बोले-
14 जून 2011

पूछ है । आपसे एक उ म त कहता हंू , सुनो। जो ा णी ने राजकुमार धमगु को अपने साथ ले िलया
मनु य भ और ायु होकर शिनवार के दन और नगर को छोड़कर चल द ।
भगवान शंकर का त करते ह, उ ह शिन क ह दशा गर ब ा णी दोन कुमारो का बहत
ु क ठनाई से
मे कोई क नह ं होता। उनको िनधनता नह ं सताती िनवाह कर पाती थी। कभी कसी शहर म और कभी
तथा इस लोक म अनेक कार के सुख को भोगकर अंत कसी नगर म दोन कुमार को िलए घूमती रहती थी।
म िशवलोक क ाि होती है । युिध र बोले- हे भु! एक दन वह ा णी जब दोन कुमार को िलए एक
सबसे पहले यह त कसने कया था, कृ पा करके इसे नगर से दसरे
ु नगर जा रह थी क उसे माग म मह ष
व तारपूव क कह तथा इसक विध भी बतलाएं। शां ड य के दशन हए।
ु ा णी ने दोन बालक के साथ
भगवान ीकृ ण बोले- राजन! शिनवार के दन, मुिन के चरण मे णाम कया और बोली- मह ष! म
वशेषकर ावण मास म शिनवार के दन लौहिनिमत आज आपके दशन कर कृ ताथ हो गई। यह मेरे दोन
ितमा को पंचामृ त से नान कराकर, अनेक कार के कुमार आपक शरण है , आप इनक र ा कर। मुिनवर!
गंध, अ ांग, धूप, फल, उ म कार के नैवे आ द से यह शुिच त मेरा पु है और यह धमगु राजपु है और
पूजन करे , शिन के दस नाम का उ चारण करे । ितल, मेरा धमपु है । हम घोर दा र य म ह, आप हमारा उ ार
जौ, उड़द, गुड़, लोहा, नीले व का दान करे । फर क जए। मुिन शां ड य ने ा णी क सब बात सुनी और
भगवान शंकर का विधपूव क पूजन कर आरती- ाथना बोले-दे वी! तु हारे ऊपर शिन का कोप है , अतः आप
करे - हे भोलेनाथ! म आपक शरण हंू , आप मेरे ऊपर शिनवार के दन त करके भोले शंकर क आराधना
कृ पा कर। मेर र ा कर। कया करो, इससे तु हारा क याण होगा।
हे युिध र! पहले शिनवार को उड़द का भात, ा णी और दोन कुमार मुिन को णाम कर
दसरे
ू को केवल खीर, तीसरे को खजला, चौथे को पू रय िशव मं दर के िलए चल दए। दोन कुमार ने ा णी
का भोग लगावे। त क समाि पर यथाश ा ण स हत मुिन के उपदे श के अनुसार शिनवार का त कया
भोजन करावे। इस कार करने से सभी अिन , क , तथा िशवजी का पूजन कया। दोन कुमार को यह त
आिध या दय का सवथा नाश होता है । शिन, राहु, केते करते-करते चार मास यतीत हो गए। एक दन शुिच त
से ा होने वाले दोष दरू होते ह और अनेक कार के नान करने के िलए गया। उसके साथ राजकुमार नह ं
सुख-साधन एवं पु -पौ ा द का सुख ा होता ह। था। क चड़ म उसे एक बहत
ु बड़ा कलश दखाई दया।
शुिच त ने उसको उठाया और दे खा तो उसम धन था।
सबसे पूव जसने इस त को कया था, उसका इितहास शुिच त उस कलश को लेकर घर आया और मां से
भी सुनो- बोला- हे मां! िशवजी ने इस कलश के प म धन दया
पूव काल म इस पृ वी पर एक राजा रा य करता है ।
था। राजाने अपने श ुओं को अपने वश म कर िलया। माता ने आदे श दया- बेटा! तुम दोन इसको बांट
दै व गित से राजा और राजकुमार पर शिन क दशा आई। लो। मां का वचन सुनकर शुिच त बहत
ु ह स न हआ

राजा को उसके श ुओं ने मार दया। राजकुमार भी और धमगु से बोला- भैया! अपना ह सा ले लो। परं तु
बेसहारा हो गया। राजगु को भी बै रय ने मार दया। िशवभ राजकुमार धमगु ने कहा-मां! म हसा लेना
उसक वधवा ा णी तथा उसका पु शुिच त रह गया। नह ं चाहता, य क जो कोई अपने सुकृत से कुछ भी
15 जून 2011

पाता है , वह उसी का भाग है और उसे आप ह भोगना गंधव क या ने कहा- व वक नाम के गंधव क


चा हये। िशवजी मुझ पर भी कभी कृ पा करगे। म पु ी हंू । मेरा नाम अंशुमित है । आपको आता दे ख
धमगु ेम और भ के साथ शिन का त आपसे बात करने क इ छा हई
ु , इसी से म स खय को
करके पूजा करने लगा। इस कार उसे एक वष यतीत अलग भेजकर अकेली रह गई हंू । गंधव कहते ह क मेरे
हो गया। बसंत ऋतु का आगमन हआ।
ु राजकुमार बराबर संगीत व ा म कोई िनपुण नह ं है । भगवान
धमगु तथा ा ण पु शुिच त दोन ह वन म घूमने शंकर ने हम दोन पर कृ पा क है , इसिलए आपको यहां
गए। दोन वन म घूमते-घूमते काफ दरू िनकल गए। पर भेजा है । अब से लेकर मेरा-आपका ू ।
ेम कभी न टटे
उनको वहां सैकड़ गंधव क याएं खेलती हई
ु िमलीं। ऐसा कहकर क या ने अपने गले का मोितय का हार
ा ण कुमार बोला- भैया! च र वान पु ष को चा हए क राजकुमार के गले म डाल दया।
वे य से बचकर रह। ये मनु य को शी ह मोह लेती राजकुमार धमगु ने कहा- मेरे पास न राज है ,
ह। वशेष प से चार को य से न तो संभाषण न धन। आप मेर भाया कैसे बनगी? आपके पता है ,
करना चा हए, तथा न ह िमलना चा हए। परं तु गंधव आपने उनक आ ा भी नह ं ली। गंधव क या बोली- अब
क याओं क ड़ा को दे खने क इ छा रखने वाला आप घर जाएं, ले कन परस ातःकाल यहां अव य
राजकुमार उनके पास अकेला चला गया। पधार। राजकुमार से ऐसा कहकर गंधव क या अपनी
गंधव क याओं म से एक सुंदर उस राजकुमार सहे िलय के पास चली गई। राजकुमार धमगु शुिच त
पर मो हत हो गई और अपनी स खय से बोली- यहां से के पास चला आया और उसे सब समाचार कह सुनाया।
थोड़ दरू पर एक सुंदर वन है , उसम नाना कार के राजकुमार धमगु तीसरे दन शुिच त को साथ
फूल खले ह। तुम सब जाकर उन सुंदर फूल को तोड़कर लेकर उसी वन म गया। उसने दे खा क वयं गंधवराज

ले आओ, तब तक म यह ं बैठ हंू । स खयां उस गंधव व वक उस क या को साथ लेकर उप थत ह।

क या क आ ा पाकर चली गई और वह सुंदर गंधव गंधवराज ने दोन कुमार का अिभवादन कया और दोन
को सुंदर आसन पर बठाकर राजकुमार से कहा
क या राजकुमार पर गड़ाकर बैठ गई। उसे अकेला
राजकुमार! म परस कैलाश पर गौर शंकर के दशन
दे खकर राजकुमार भी उसके पास चला आया।
करने गया था। वहां क णा पी सुधा के सागर भोले
राजकुमार को दे खकर गंधव क या उठ और बैठने
शंकरजी महाराज ने मुझे अपने पास बुलाकर कहा-
के िलए कमल-प का आसन दया। राजकुमार आसन
गंधवराज! पृ वी पर धमगु नाम का राज राजकुमार
पर बैठ गया। गंधव क या ने पूछा- आप कौन है ? कस
है ।
दे श के रहने वाले ह तथा आपका आगमन कैसे हआ
ु है ? उसके प रवार के लोग को श ुओं ने समा कर
राजकुमार ने कहा- म वदभ दे श के राजा का पु हंू , दया है । वह बालक गु के कहने से शिनवार का त
मेरा नाम धमगु है । मेरे माता- पता वगलोक िसधार करता है और सदा मेर सेवा म लगा रहता है । तुम
चुके ह। श ुओं ने मेरा रा य छ न िलया है । म राजगु उसक सहायता करो, जससे वह अपने श ुओं पर वजय
क पत ्नी के साथ रहता हंू , वह मेर धम माता ह। ा कर सके।

फर राजकुमार ने उस गंधव क या से पूछा- आप गौर शंकर क आ ा को िशरोधाय कर म अपने

कौन है ? कसक पु ी ह और कस काय से यहां पर घर चला आया। वहां मेर पु ी अंशम


ु ित ने भी ऐसी ह

आपका आगमन हआ
ु है ?
16 जून 2011

ाथना क । िशवशंकर क आ ा तथा अंशुमित के मन बनाया। इस कार शिनवार के त के भाव और िशवजी


क बात जानकर म ह इसको इस वन म लाया हंू । क कृ पा से धमगु फर से वदभराज हआ।

म इसे आपको स पता हंू । म आपके श ुओं को ीकृ ण भगवान बोले- हे पांडुनंदन! आप भी यह
त कर तो कुछ समय बाद आपको रा य ा होगा और
परा त कर आपको आपका रा य दला दं ग
ू ा।
सभी कार के सुख क ाि होगी। आपके बुरे दन क
ऐसा कहकर गंधवराज ने अपनी क या का ववाह
शी समाि होगी।
राजकुमार के साथ कर दया तथा अंशुमित क सहे ली क
युिध र ने शिनवार त क कथा सुनकर ीकृ ण
शाद ा ण कुमार शुिच त के साथ कर द । उसने
राजकुमार क सहायता के िलए गंधव क चतुरंिगणी भगवान क पूजा क और त आरं भ कया। इसी त के

सेना भी द । भाव से महाभारत म पांडव ने ोण, भी म और कण


धमगु के श ुओं ने जब यह समाचार सुना तो जैसे महारिथय को परा त कया- सबसे बढ़कर उ ह
उ होने राजकुमार का अधीनता वीकार कर ली और
ीकृ ण जैसा यो य सारथी िमला तथा िछना हआ
ु रा य
रा य भी लौटा दया। धमगु िसंहासन पर बैठा। उसने
ा कर वष तक उसका सुख भोगा और फर दे ह
अपने धम भाई शुिच त को मं ी िनयु कया। जस
ा णी ने उसे पु क तरह पाला था, उसे राजमाता यागकर वग क ाि क।

अमो महामृ युंजय कवच


अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से
व ान ा णो ारा सवा लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच
अ यंत भावशाली होता ह।

अमो महामृ युंजय कवच


अमो महामृ युंजय
कवच बनवाने हे तु:
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गो , एक नया फोटो भेजे द णा मा : 10900

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17 जून 2011

शिन दोष त का मह व
 िचंतन जोशी
सनातन धम म दोष त का वशेष मह व माना
जाता ह। येक माह के शु ल और कृ ण दोन प के शिन दोष के दन शिन क कारक व तुओं जैसे
तेरहव दन अथात योदशी को दोष त कहाजाता ह। लोहा, तैल, काले ितल, काली उड़द, कोयला और क बल आ द

इस दन कए जाने वाले त को दोष त कहा का दान करना शुभ फल द होता ह, और शिन-मं दर म

जाता ह। दोष त के दन भगवान िशव और माता पावती जाकर तैल का दया जलाता है तथा उपवास करता है ,

क आराधना करने का वधान ह। शिनदे व उससे स न होकर उसके सारे दःख


ु को दरू कर दे ते
ह।
व ानो के मतानुशार दोष त से य को
सफलता, शा त दान करने वाला एवं उसक सम त व ानो के अनुशार शा म व णत है क उ म

इ छाओं क पूित करने वाला ह। संतान क कामना रखने वाले द प को शिन दोष त
अव य करना चा हए। शा ो म शिन दोष त शी ह
एसी धािमक मा यता ह क दोष के दन भगवान िशव के
कसी भी प का दशन करने मा से य क सार संतान दे ने वाला माना गया ह।

अ ानता का नाश कर दे ता ह और भ को िशव क कृ पा का संतान- ाि के हे तु शिन दोष वाले दन सुबह


भागी बनाता ह। नानाद करने के प ात पित-प ी को िमलकर िशव-पावती
जब शिनवार के दन दोष त पड़ता ह, तो उसे और गणेश क का विध- वधान से पूजन-अचन करना
शिन दोष त के नाम से जाना जाता ह। शिनदे व नव ह म चा हए और िशविलंग पर जलािभषेक करना चा हए। इसके
से एक महा ह ह। शिनदे व के बारे म शा म वणन है क प यात शिनदे व क कृ पा ा करने हे तु पीपल के वृ क
शिन का कोप अ य त भयंकर होता ह। भयंकर कोप शा त जड़ म जल चढ़ाना चा हए। साथ ह द प को पूरे दन
करने हे तु पुराण म उ लेख ह क शिन दोष त करने से उपवास करना चा हए। ऐसा करने से ज द ह संतान क
शिन दे व का कोप वतः शा त हो जाता है । ाि होती है ।
जन लोग पर शिन क साढ़े साती और ढै या का शिन दोष त के दन साधक को सं या-काल म
भाव हो, उनके िलए शिन दोष त करना वशेष हतकार
भगवान का भजन-पूजन करना चा हए और िशविलंग का
माना गया है ।
जल और ब व क प य से अिभषेक करना चा हए। साथ ह
पूण विध- वधान व िन ा से कया गया दोष त
इस दन महामृ युंजय-मं के जाप का भी वधान है । इस
शिनदे व क कृ पा ा करने का एक शा ो व आसान उपाय
दन दोष त कथा का पाठ करना चा हए और पूजा के बाद
है । दोष त के भाव से शिन से संबंिधत पीडा दरू होती ह,
भभूत को म तक पर लगाना चा हए। शा के अनुसार जो
और शिनदे व का आशीवाद भी िमलता है जससे य क साधक इस तरह शिन दोष त का पालन करता है, उसके
सभी मनोकामनाएँ पूर होती जाती ह। सभी क समा हो जाते ह और स पूण इ छाएँ पूर होती ह।
18 जून 2011

शिन-साढ़े साती के शांित उपाय

 िचंतन जोशी
 “ॐ ऐं ं ीं शनै राय नमः” इस मं का जप कसी भी तरह का साबुन या तेल का योग नह ं
ित दन १०८ बार करने से लाभ ा होता ह। कर। इस जल को शर र पर डालने से पूव साबुन

 ी िशविलंग पर ताँबे का सप (नाग) चढ़ाने से शिन आ द लगले व शु पाने से झाग को साफ करने के

साढे साती का अशुभता म कमी आती ह। प यात औषिध िमले जल से नान कया जा सकता
ह।
 आक के पौधे पर सात शिनवार तक लोहे क सात
क ल चढ़ाने से लाभ ा होता ह।  शिनवार के दन शिन से संबं दत व तुएं जेसे काले
उड़द, तेल, काले ितल, लोहे से बनी व तु, याम व
 कसी मं दर म काले रं ग क व तुएं एवं सात बादाम
आ द का दान दे ने से शिन पीड़ा का शमन होता ह।
सात शिनवार तक लगातार दान करने से शिन क
साढे साती म शिन से संबंिधत क दरू होते ह।  एक सूखा ना रयल लेकर उसम चाकू या कल से
छोटा सा गोल छे द बना ल। इस छे द म ना रयल म
 हनुमान क पूजा-अचना करने से हनुमानजी क
आटे का बूरा, बादाम, काजू, कशिमश, प ता, अखरोट
ितमा को िसंदरू व तेल चढाने से लाभ ा होता ह।
या छुआरा िमलाकर ना रयल म भर। ना रयल को
 शिनवार का त करने से भी शिन के अशुभ भवो पुनः ब द कर कसी पीपल के पास भूिम के अ दर
म कमी आित ह। इस कार गाड़ द क ची टयां आसानी से तलाश ल,
 शिनवार को कसी हनुमान जी क ितमा को िसंदरू, क तु अ य जानवर न पा सक। घर लौटकर हाथ-पैर
चमेली का तेल, चांद के वक का चोला चढ़ाए। धोकर घर म वेश कर। इस कार ८ शिनवार तक
हनुमानजी को जनेऊ, लाल फूल क माला, ल डु तथा यह या स प न करने से शिन पीडाका शमन होता
पान अपण करने से साढ़े साती से संबंिधत क ो से ह।
छुटकारा िमलता ह। िशविलंग पर क चा दध चढाते हए
 ू ु “अमोघ िशव
 स धान अथात सात कार के अ न का दान करने कवच“ का पाठ करने से शिन पीडा शांत होती ह।
से व शिनवार को ातः पीपल का पूजन कर पीपल  येक शिनवार को मछिलय को जौ के आटे से बनी
के मूल म जल अपण करने से भी वशेष लाभ ा गोिलयाँ खाने को डालने से लाभ ा होता ह।
होता ह।
 ित दन शिन व पंजर कवच , दशरथ-कृ त-शिन- तो
 नान करते समय लाजव ती, ल ग, लोबान, चौलाई, अथवा शनै र तवराजः का िनयिमत पाठ करने से
काला ितल, गौर, काली िमच, मंगरै ला, कु थी, गौमू लाभ ा होता ह।
आ द म से पांच या सात या उ से से अिधक व तु
 भोजन करने से पूव परोसी गयी थाली म से एक
जो भी ा हो उसका चूण बना कर को जल म
ास िनकालकर काले कु े को खलाएँ अथवा शिनवार
िमलाकर द ण दशा क और मुख कर के खड़े
को शाम के समय उड़द क दाल के पकौडे व इमरती
होकर नान कर। इस जल से नान करने के प ात ्
कु े को खलाए।
19 जून 2011

 शिनवार के दन काले कपड़े म जौ, ना रयल, लोहे क शिन एवं शिन-भाया- तो का िन य तीन पाठ करने
चौकोर शीट, काले ितल, क चे कोयले व काले चने को से ‘शिन- ह′ क पीड़ा िन य क दरू होती है ।
पोटली म बांधकर बहते हए
ु पानी म डालना लाभ द शिन-भाया- तो
होता ह।
यः पुरा रा य- ाय, नलाय ददो कल।
 काली गाय व काले कु े को तेल से चुपड़ रोट , चने व ने शौ रः वयं, म ं सव-काम-फल- दम॥्१॥
क दाल व गुड खलाना लाभ द रहता है । ोडं नीला जन- यं, नील-जीमूत-स नभम।्
 वट वृ को दध
ू म शहद व गुड़ को िमलाकर सींचने छाया-मात ड-स भूत,ं नम यािम शनै रम॥्२॥
से लाभ होता ह। ॐ नमोऽक-पु ाय शनै राय, नीहार-वणा जन-नीलकाय।

 शिनवार, अमाव या आ द वशेष दन पर ‘शिन- मृ वा रह यं भु व मानुष वे, फल- दो मेभव सूय-पु ॥३॥

म दर’ म जाकर आक-पण (मदार के प )े एवं पु प नमोऽ तु ेत-राजाय, कृ ण-वणाय ते नमः।

क माला मूित पर चढ़ाएँ। एक या आधा च मच तेल शनै राय ू राय, िस -बु दाियने॥४॥

भी चढ़ाने से लाभ होता है । य एिभनामिभः तौित, त य तु ो भवा यहम।्


मामकानां भयं त य, व ने व प न जायते॥५॥
 लोहे म बना ाण- ित त शिनयं ा करले ल।
गागय कौिशक या प, प लादो महामुिनः।
िशविलंग का यथा श पूजन कर। हो सके, जलािभषेक शनै र-कृ ता पीड़ा, न भवित कदाचन॥६॥
कर। पाँच ेत पु प और एक ब व-प चढ़ाएँ। िशव- ोड तु पंगलो ब ुः, कृ णो रौ ोऽ तको यमः।
म का जप कर, फर ाथना कर। यथा- ॐ ीशंकराय शौ रः शनै रो म दः, प लादे न संयुतः॥७॥
नमः। ीकैलास-पतये नमः। ीपावती-पतये नमः। एतािन शिन-नामािन, ात थाय यः पठे त।्
ी व न-हताय नमः। ीसुख-दा े नमः। ॐ शा त! त य शौरे ः कृ ता पीड़ा, न भवित कदाचन॥८॥
शा त!! शा त!!! वजनी धामनी चैव, कंकाली कलह- या।
इस कार ाथना के िशविलंग के सामने एक कलह क टक चा प, अजा म हषी तुरगंमा॥९॥
ना रयल और एक मु ठ गेहूँ रख। नम कार कर घर नामािन शिन-भायायाः, िन यं जपित यः पुमान।्
वापस आएँ। त य दःखा
ु वन य त, सुख-सौभा यं व ते॥१०॥
.

पढाई से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण
प र म एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य
करवाले और उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के
बार म व तार से जनकार ा कर।
GURUTVA KARYALAY
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20 जून 2011

ी शिन चालीसा
दोह हर च नृ प ना र बकानी। आपहु भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा िसरानी। भूजी मीन कूद गई पानी॥
जय गणेश िग रजा सुवन, मंगल करण कृ पाल।
ी शंकर ह गहयो जब जाई। पावती को सती कराई॥
द नन के दख
ु दरू क र,। क जै नाथ िनहाल॥
तिनक वलोकत ह क र र सा। नभ ठ ड गयो गौ रसुत सीसा॥
जय जय ी शिनदे व भु, सुनहु वनय महाराज।
पा डव पर भै दशा तु हार । बची ौपद होित उघार ॥
करहु कृ पा हे रव तनय, राखहु जन क लाज॥
कौरव के भी गित मारयो। यु महाभारत क र डारयो॥
जयित जयित शिनदे व दयाला। करत यदा भ न ितपाला॥ र व कहं मुख महं ध र त काला। लेकर कू द परयो पाताला॥
चा र भुजा, तनु याम वराजै। माथे रतन मुकुट छ व छाजै॥ शेष दे व-ल ख वनती लाई। र व को मुख ते दयो छुड़ई॥
वाहन भु के सात सुजाना। जग द ज गदभ मृग वाना॥
परम वशाल मनोहर भाला। टे ढ़ भृकु ट वकराला। ज बुक िसंह आ द नखधार । सो फल ज योितष कहत पुकार ॥
कु डल वण चमाचम चमके। हये माल मु त म ण दमके॥ गज वाहन ल मी गृ ह आवै। हय ते सुख स प उपजाव॥
कर म गदा शुल कुठारा। पल वच कर आ र हं संहारा॥ गदभ हािन करै बहु न कर डारै । मृग दे क ण संहारै ॥
पंगल, कृ ण , छाया, न दन। यम कोण थ, रौ , दःखभं
ु जन॥ जब आव हं भु वान सवार । चोर आ द होय डर भार ॥
सौर , म द, शिन दशनामा। भानु पु पूज हं सब कामा। तैस ह चा र चरण यह नामा। वण लौह चांजी अ तामा॥
जा पर भु स न है जाह ं। रकंहंु राव करै ण माह ं॥ लौह चरण पर जब भु आव। धन जन स प न करावै॥
पवतहू तृण होई िनहारत। तृणहू को पवत क र डारत॥ समता ता रजत शुभकार । वण सव सुख मंगल कार ॥
राज िमलत बन राम हं द हो। कैकेइहंु क मित ह र ली ह ॥ जो यह शिन च र िनत गावै। कबहु न दशा िनकृ समावै॥
बनहंू म मृग कपट दखाई। मातु जानक गई चतुराई॥ अदभुत नाथ दखाव लीला। करै श ु के निश बिल ढ ला॥
लखन हं श वकल क र डारा। मिचंगा दल म हाहाकारा॥ जो प डत सुयो य बुलवाई। विधवत शिन ह शांित कराई॥
रावण क गित मित बौराई। रामच स बैर बढ़ाई॥ पीपल जल शिन दवस चढ़ावत। द प दान दे बहु सुख पावत॥
दयो क ट क र कंचन लंका। ब ज बजरं ग बीर क डांका॥ कहत रामसु दर भु दासा। शिन सुिमरत सुख होत काश॥
नृ प व म पर तु ह पगु धारा। िच मयूर िनगिल गै हारा॥ दोहा
हार नौलाखा ला यो चोर । हाथ पैर डरवायो तोर ॥
पाठ शिनचर देव को क वमल तैयार।
भार दशा िनकृ दखायो। तेिल हं घर को हू चनवायो॥
करत पाठ चािलस दन हो भवसागर पार॥
वनय राग द पक महं क ह । तब स न भु हवै सुख द ह ॥

शिन स ब धी यापार और नौकर शिन स ब धी दान पु य


काले रं ग क व तुय, लोहा से बनी व तुय, ऊन, तेल, गैस, पु य, अनुराधा और उ राभा पद न के समय म शिन
कोयला, काबन से बनी व तुय, चमडा, मशीन के पा स, पीडा के िनवारण के िलए वयं के वजन के बराबर या
पे ोल, प थर, ितल और रं ग का यापार शिन से जुडे दशांश वजन के काले चने, काले कपडे, जामुन के फ़ल,
जातक को फ़ायदा दे ने वाला होता है .चपरासी क नौकर , काले उडद, काली गाय, काले जूत,े ितल, भस, लोहा, तेल,
ाइवर, समाज क याण क नौकर नगर पािलका वाले नीलम, कुलथी, काले व नीले फ़ूल, क तूर आ द दान क
काम, जज, वक ल, राजदत
ू आ द वाले पद शिन क नौकर व तुओं का दान कया जाता है । य द इन न ो व
मे आते ह। शिनवार का संयोग हो तो और भी उ मफल ा होते ह।
21 जून 2011

सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।

कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के द:ु ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दसरे
ू य ओ पर भाव बना रहता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म अ ल मी कवच के िमले होने क वजह से य पर मां महा


सदा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द
ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय
ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का अशीवाद ा होता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दरू
होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म श ु वजय कवच के िमले होने क वजह से श ु से संबंिधत


सम त परे शािनओ से ु
वतः ह छटकारा िमल जाता ह। कवच के भाव से श ु धारण कता
य का चाहकर कुछ नह बगड सकते।

अ य कवच के बारे मे अिधक जानकार के िलये कायालय म संपक करे :

कसी य वशेष को सव काय िस कवच दे ने नह दे ना का अंितम िनणय हमारे पास सुर त ह।

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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


22 जून 2011

सामु क शा म शिन रे खा का मह व

 िचंतन जोशी
भारतीय सामु क शा भी योितष शा क तरह काय के ित अ यािधक सम पत होते ह जस कारण वह अपने
कई रह यो से भरा हवा
ु महासागर क तरह गहरा है । जसमे गृ ह थ जीवन क परवाह नह ं करते! ले कन उ नत शिन पवत
हाथ का आकार, रे खा, नाखून, हथेली का रं ग एवं हथेली पर होने के कारण कभी-कभी य अपने कत य के ित सजग
थत पवत को काफ मह व दया गया है । सामु क शा म और ज मेदार भी होता है । य समय के साथ साथ यादा

मनु य क हथेली पर हो म मुख नव हो के िलए अलग रह यवाद होते जाते ह।


अलग थान िनधा रत कया गया ह। उन ह के िलए जस य के हाथ म शिन पवत उभरहवा
ु और
िनघा रत कये गये थान को ह पवत कहा गया ह। जानकारो भावशाली होता ह। वह य सफल रह यवाद वषयो के

क माने तो हथेली पर थत पवत हमारे शर र के चु बक य जानकार जेसे जादगर


ू , इं जीिनयर शोध कता आ द होते ह।
के होते ह जो संबंिधत ह से उजा ा कर म त क एवं य अपने जीवन म पूण िमत ययी होते ह। य अचल
शर र के विभ न ह सो तक उस उजा को पहंु चाते ह। स पित खर दने म यादा व ास रखते ह।
इस अंक म हम आपका मगदशन कर रहे ह। संगीत, नृ य आ द कला म इनका झान कम रहता
ह। ऐसे य थोडे शक िमजाज के होते ह। बचपन से ह इनके
शिन पवत व शिन रे खा दमाग म छोट -छोट बातो को लेकर स दे हशीलता होती ह इस
हथेली पर म यमा अंगुली अथात सबसे बड वाली
कारण य अपने प रजनो पर भी शक करने से नह ं चूकते।
अंगुली (िमड ल फंगर) के मूल म शिन का थान होता है जसे
कुछ जानकारो के अनुशार अ यािधक वकिसत
शिन पवत कहा जाता ह। हथेली पर थत शिन पवत से य
अथात उभरा शिन पवत य को आ मह या करने को े रत
का वभाव, गृ ह थ जीवन और वा य को दशाता ह। हथेली करता ह। ज रत से यादा वकिसत शिन पवत वाले य
पर थत शिन पवत य क साधरण-आसाधारण कृ ित के
धृ तकाय करने वाले जैसे डाकू, ठग, लुटेरे, आ द होता ह। ऐसे
बार म सरलता से ात कया जा सकता है ।
य य क हथेली म शिन पवत साधारणत: पीलापन िलए
हए
ु होता ह। इनक हथेिलयां कुछ पीलापन िलये होती ह।
पूण वकिसत:
शिन पवत शुभ ल ण यु हो तो मनु य, इं जीिनयर,
जस य क हथेली म शिन पवत उभरा हवा
ु अथात
वै ािनक, जादगर
ू , सा ह यकार, योितषी, कृ षक अथवा
पूण वकसीत हो एसे य बहत
ु ह भा यशाली होते ह, इ ह
रसायन शा ी होते ह।
अपनी मेहनत का पूण लाभ ा होता है । य अपनी मेहनत
शुभ शिन पवत वाले य ाय: अपने माता- पता क
के बल पर े थान को ा करते ह। एसे य अिधकतर
इकलौती संतान या सभी संतानो म से अिधक य होते ह।
अकेले रहना पसंद करते दे खे गये ह। य का वभाव थोडा
वभाव से संतोषी और थोडे कंजूस होते ह।
िचड़िचड़ा होता ह।
एसे य य द लेखन काय से जुडे हो, तो धािमक व
एसे य अपने ल य को ा करने म स म होते ह।
रह यवाद लेखन उनका य वषय होता है ।
दन ित- दन सफलता ा करते जाते ह। एसे य अपने
23 जून 2011

म याम वकिसत पवत:


य द शिन पवत गु पवत क ओर झुका हआ
ु हो तो
शिन पवत के म यम वकिसत होने से य अपने
यह शुभफल ा होने के संकेत ह। य को समाज म मान-
जीवन म म यम सफलता व स मान ा कर पाता।
स मान क ाि होती ह।

अ वकिसत पवत: य द शिन पवत सूय पवत क ओर झुका हआ


ु हो तो

य द कसी य क हथेली म शिन पवत नह होता है यह य के आलसी, िनधन होने के ल ण होते ह। एसे य

तो उस य का जीवन उ े यह न व मह वह न होता ह। य द अपने भा य के भरोसे पर जी वत रहने वाले होते ह। इनम


शिन पवत सामा य प से उभरा हआ
ु हो तो य ज रत से ज रत से यादा हताशा और िनराशा के भाव होते ह। एसे
यादा भा य पर व ास करने वाला होता ह। उसे अपने य येक काय को नकारा मक ी से ह दे खते ह।
अिधकतर काय म असफलता ा होती है । य द म यमा य द शिन पवत पर ज रत से यादा रे खाएं थत ह
अंगुली का िसरा नुक ला हो और शिन पवत वकिसत हो तो तो य डरपोक, कायर और बहत
ु भोग य होता ह।
य अ यािधक क पनािशल होता है । य द हथेली पर शिन पवत और बुध पवत दोन ह पूण
य के हाथ-पैर ठं डे होते ह, दांत रोग भी होता ह। एसे वकिसत हो, तो य एक सफल यापार होता ह। उसे अपने
य को दघटनाओं
ु म अिधकतर पैर और नीचे के अंग म जीवन म आिथक से कसी कार का कोई अभाव नह ं
चोट लगती ह। उनका वा य अिधकतर िनबल होता ह। रहता।

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने
पर यह नवर ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट
के प म धारण करने से य को अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा
आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को ी यं के साथ लगाने से ह क
अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के कारण यं पव
रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त
से उ म कोई औषिध नह ं, उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म
नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ
मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।
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24 जून 2011

शिन के विभ न पाय का


 व तके.ऎन.जोशी.

भारतीय योितष शा के अनुशार कसी भी 3. तांबे का पाया क अविध के फल


य क ज म रािश से शिन जस भी भाव म गोचर शिन के गोचर क तांबे का पाया क अविध य को िमले-
कर रहा होता है । उसके अनुसार शिन के पाया अथात
जुले फल दान करने वाली होती ह। इस अविध म य
पाद फल वचार कया जाता ह। य क ज म
को जीवन के कई े म सफलता ा होती ह। इस अविध
कु डली से शिन पाया के फल का व तार से अ ययन
म य को कुछ े म असफलता का भी सामना करना
कया जाता ह।
पड सकता ह।
ज म रािश के अनुसार शिन पाया क शुभता या
अशुभता का िनधारण िन न प से कया जाता ह। 4. लोहे का पाया क अविध के फल
जब शिन गोचर म कसी य क ज म रािश से शिन गोचर क लोहे का पाया क अविध म य को
1, 6, 11 भाव म मण करते है , तो शिन के पाद वण के आिथक मामलो म हािन हो सकती है । नौकर , यवसाय
माने जाते ह। उसी तरह जब शिन कसी य क ज म के िलये भी यह समय ितकुल रहने क अिधक
रािश से 2, 5, 9 व भाव म गोचर करते है . तो शिन के पाद संभावनाएं बनती ह। इस अविध म य को वा य
रजत के माने जाते ह। जब शिन कसी य क ज म सुख म कमी हो सकती है ।

रािश से 3, 7, 10 व भाव म गोचर करते है , तो शिन के पाद


ता के माने जाते ह और जब शिन कसी य क ज म ज म रािश से विभ न भाव म शिन के फल
रािश से 4, 8, 12 व भाव म मण करते है , तो शिन के
1. थम भाव म शिन वण पाया वचार .
पाद लोहे के माने जाते ह।
गोचर म जब शिन य क ज म रािश अथात थम
भाव म थत हो तो इस अविध को शिन का सोने का
शा ो वधान से शिन पाया क अविध म िमलने
पाया कहा जाता ह। सोने के पाये म शिन य के
वाले सामा य फल
वा य सुख को बढाता ह। परं तु य को संतान से
1. सोने का पाया क अविध के फल क हो सकता ह। य के ल बे समय से के हए

सोने का पाया क अविध म य को कई कार के सुख- काय पूरे होते है . य को नौकर व यवसायीक काय
साधन ा होने क संभावनाएं अिधक बनती ह। आिथक से लाभ ा होता ह। क तु िश ा े म बाधाएं बनी
ी से धन व समृ क वृ ो के िलये भी यह समय य रह सकती ह।
के अनुकुल होता ह। 2. तीय भाव म शिन रजत पाया वचार .
2. चांद का पाया क अविध के फल . गोचर म जब शिन य क ज म रािश तीय़ भाव
रजत का पाया क अविध य को शुभ फल दे ने वाली म थत हो तो इस अविध को शिन का रजत का पाया
मानी गई ह। अविध म य को सब कार क भौितक कहा जाता ह। रजत के पाये म शिन य को नौकर -

सुख-सु वधाएं ा होती ह। यवसाय के काय म सफलता ा होती ह। आिथक


25 जून 2011

मामलो म सुधार होता ह। भूिम-भवन-वाहन इ या द से गोचर म जब शिन य क ज म रािश छठे भाव म


लाभ ा होता ह। इस समयाविध म इ िम ो व थत हो तो इस अविध को शिन का वण का पाया
पा रवार क सद यो का सहयोग ा होता ह। य के कहा जाता ह। वण पाया म जातक को शुभ फलो क
मान-स मान म वृ होती ह। ाि होती ह। नौकर - यवसाय के काय म अिधक
लाभ ा होते ह। य के मान-स मान म वृ होती
3. तृतीय भाव म शिन ता पाद पाया वचार .
ह। एक से अिधक तो से धन लाभ केयोग बनते ह।
गोचर म जब शिन य क ज म रािश तृ तीय भाव
भूिम-भवन-वाहन के सुख म वृ होती ह।
म थत हो तो इस अविध को शिन का ता का पाया
7. स म भाव म शिन ता पाया वचार
कहा जाता ह। ता पाया म शिन य को धिमक
गोचर म जब शिन य क ज म रािश स म भाव म
काय म िच बढाता ह। य द पढाई कर रहे तो उ च
थत हो तो इस अविध को शिन का ता का पाया
िश ा ाि क स भावनाये अिधक होती ह। नौकर म
कहा जाता ह। ता पाया म य के भौितक सुख-
उ नित व यापार म वृ हो सकती ह। अपने बल-बु
साधनो म वृ होने के योग बनते ह। ले कन य
से श ुओं को परा जत करने म सफलता ा हो
को मानिसक तनाव बना रहता ह। जातक के जीवन
सकती ह। दा प य जीवन तानवपूण हो सकता ह।
साथी के वा य म िगरावट हो सकती ह।
आक मक दघटनाएं
ु भी हो सकती है.
8. अ म भाव म शिन लोहे पाया वचार
4. चतुथ भाव म शिन लौहे पाया वचार . गोचर म जब शिन य क ज म रािश अ म भाव म
गोचर म जब शिन य क ज म रािश चतुथ भाव म थत हो तो इस अविध को शिन का लौहे का पाया
थत हो तो इस अविध को शिन का लौहे का पाया कहा जाता ह। लौह पाया म य के क म बढोतर
कहा जाता ह। लौह पाया म नौकर - यवसाय के काय हो सकती ह। प रवा रक सद यो के बच म आपसी
म अ यािधक बाधाएं और नु शान हो सकता ह। उसके तनाव व मतभेद बढने क अिधक संभावना होती ह।
रोजगार का ोत एकािधक बार बदलता रहता ह। लौह आक मक घटनाओं के कारण य क परे शािनयां
पाया म मानिसक तनाव बढने क संभावनाएं अिधक बढ सकती ह। मान-स मान म कमी हो सकती ह। कज
बनती ह। पा रवार म कलह क अिधकता होती ह। के कारण परे शानी संभव ह।
य के मान-स मान क हािन हो सकती ह। 9. नवम भाव म शिन रजत पाया वचार
5. पंचम भाव म शिन रजत पाया वचार . गोचर म जब शिन य क ज म रािश नवम भाव म
गोचर म जब शिन य क ज म रािश पंचम भाव म थत हो तो इस अविध को शिन का रजत का पाया
थत हो तो इस अविध को शिन का रजत का पाया कहा जाता ह। रजत पाया म य क आिथक थती
कहा जाता ह। रजत पाया म नौकर - म उ न यापार म सुधार होता है । एकािधक ोत से धन लाभ ात
म वृ हो सकती ह। जातक के घर म मंगलकाय होता ह। य के पुराने श ु भी परा त होते ह।
स प न होते ह। इस अविध म अिधकतर शुभ फल 10. दशम भाव म शिन ता पाया वचार
अिधक ा होते ह। अपने वरोिध व श ु को परा त गोचर म जब शिन य क ज म रािश दशम भाव म
करने म य सफल रहता ह। ले कन दां प य सुख थत हो तो इस अविध को शिन का ता का पाया
म कमी हो सकती ह। कहा जाता ह। ता पाया म य को अ यािधक
6. छठे भाव म शिन वण पाया वचार प र म के उपरांत सफलता ा होती ह। ल बे समय
26 जून 2011

से चली आरह योजनाएं भी पूण हो सकती ह। य


12. ादश भाव म शिन लौहे पाया वचार
को इस अविध म अपने ल य के ित सचेत रहना
गोचर म जब शिन य क ज म रािश ादश भाव
चा हए। कभी-कभी आल य के भाव गित म बाधाएं
म थत हो तो इस अविध को शिन का लौहे का पाया
डाल सकते ह।
कहा जाता ह। लौह पाया म य के अपने सगे-
11. एकादश भाव म शिन वण पाया वचार
संबंिधय व इ िम ो से संब ध खराब हो सकते ह।
गोचर म जब शिन य क ज म रािश एकादश भाव
आव य ा से अिधक खच व कज से परे शानी संभव ह।
म थत हो तो इस अविध को शिन का वण का
अनाव यक कसी काय म झूठे आरोप लग सकते ह।
पाया कहा जाता ह। वण पाया म य को सभी
मानिसक अ थरता रह सकती ह। दरू थ थानो क
कार के भौितक सुख साधन ा होते ह। काय े म
या ा संभव ह।
पूण सफलता ा होती ह। धन-सप म वृ होती ह।
मान स मान व पद- ित ा म वृ होती ह।

मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह
अ य त शुभ फ़लदयी यं है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं
संसार के हर य के िलए फायदे मंद सा बत होता है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं "
जस य के घर मे होता है उसके िलये " ी यं " अ य त फ़लदायी िस होता है उसके दशन मा से
अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे समाई अ ितय एवं अ यश मनु य क
सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका जीवन से हताशा और िनराशा दरू
होकर वह मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं उसे जीवन मे सम त
भौितक सुखो क ाि होित है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं
नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर
या यापार के थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से स ब धत परे शािन मे युनता आित है
व सुख-समृ , शांित एवं ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12 ाम से 75 ाम
तक क साइज मे उ ल ध है मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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27 जून 2011

शिन ह से संबंिधत रोग


 व तके.ऎन.जोशी.

 उ माद नाम का रोग शिन क दे न है । जब गांठ के प मे आमाशय से बाहर कडा होकर गुदा माग

दमाग म सोचने वचारने क श का नाश हो जाता है । से जब बाहर िनकलता है तो लौह प ड क भांित गुदा

जो य करता जा रहा है । उसे करता जाता है । उसे के छे द क मुलायम द वाल को फ़ाडता हआ


ु िनकलता है ।

यह पता नह है क वह जो कर रहा है । संसार के लोग लगातार मल का इसी तरह से िनकलने पर पहले से पैदा

के ित उसके या कत य ह। उसे पता नह होता। सभी हए


ु घाव ठ क नह हो पाते ह। और इतना अिधक

को एक लकड से हांकने वाली बात उसके जीवन म सं मण हो जाता है , क कसी कार क ए ट बाय टक
िमलती है । मानव वध करने म नह हचकना। शराब काम नह कर पाती है ।
और मांस का लगातार योग करना। जहां भी रहना  ग ठया रोग शिन क ह दे न है । शीलन भरे
आतंक मचाये रहना। जो भी सगे स ब धी ह। उनके थान का िनवास। चोर और डकैती आ द करने वाले
ित हमेशा िच ता दे ते रहना आ द उ माद नाम के रोग लोग अिधकतर इसी तरह का थान चुनते है । िच ताओं
के ल ण है । के कारण एका त बंध जगह पर पडे रहना। अनैितक प

 वात रोग का अथ है वायु वाले रोग। जो लोग से संबंध करना। शर र म जतने भी जोड ह। रज या

बना कुछ अ छा खाये पये फ़ूलते चले जाते है । शर र म वीय खिलत होने के समय वे भयंकर प से उ े जत हो

वायु कु पत हो जाती है । उठना बैठना दभर


ू हो जाता है । जाते ह। धीरे -धीरे शर र का तेज ख म हो जाता है । और

शिन यह रोग दे कर जातक को एक जगह पटक दे ता है । जातक के जोड के अ दर सूजन पैदा होने के बाद जातक

यह रोग लगातार स टा। जुआ। लाटर । घुडदौड और को उठने बैठने और रोज के काम को करने म भयंकर

अ य तुरत पैसा बनाने वाले काम को करने वाले लोग परे शानी उठानी पडती है । इस रोग को दे कर शिन जातक

मे अिधक दे खा जाता है । कसी भी इस तरह के काम को अपने ारा कये गये अिधक वासना के द ु प रणाम

करते व य ल बी सांस खींचता है । उस ल बी सांस क सजा को भुगतवाता है .

के अ दर जो हारने या जीतने क चाहत रखने पर ठं ड  नायु रोग के कारण शर र क नश पूर तरह से


वायु होती है वह शर र के अ दर ह क जाती है । और अपना काम नह कर पाती ह। वह आंख के अ दर
अंग के अ दर भरती रहती है । अनैितक काम करने कमजोर महसूस करता है । िसर क पीडा। कसी भी बात
वाल और अनाचार काम करने वाल के ित भी इस का वचार करते ह मूछा आजाना िमग । ह ट रया।
तरह के ल ण दे खे गये है । उ ेजना। भूत का खेलने लग जाना आ द इसी कारण से

 भग दर रोग गुदा मे घाव या न जाने वाले फ़ोडे ह पैदा होता है । अगर लगातार शिन के बीज मं का

के प म होता है । अिधक िच ता करने से यह रोग जाप जातक से करवाया जाय। उडद क दाल का योग

अिधक मा ा म होता दे खा गया है । िच ता करने से जो करवाया जाय। रोट मे चने का योग कया जाय। लोहे

भी खाया जाता है । वह आंत म जमा होता रहता है । के बतन म खाना खाया जाये। तो इस रोग से मु

पचता नह है । और िच ता करने से उवासी लगातार िमल जाती है इन रोग के अलावा पेट के रोग। जंघाओं

छोडने से शर र म पानी क मा ा कम हो जाती है । मल के रोग। ट बी। कसर आ द रोग भी शिन क दे न है ।


28 जून 2011

शिनदे व क कृ पा ाि के सरल उपाय


 िचंतन जोशी, व तके.ऎन.जोशी.

 शा ो म शिन दे व को वृ ाव था का वामी कहा  ी हनुमान जी या शिन मं दर म पीपल का पेड हो


गया ह। जो य अपने माता पता व बुजुग का तो सं या के समय द पक जलाना शिन, हनुमान
स मान करता ह उस य पर शिन दे व बहत
ु और भैरवजी के दशन अ यंत लाभकार है ।
स न होते ह। जो य अपने माता- पता व  शिनवार का त करे तथा एक समय बना नमक
बुजुग का अपमान उस य पर शिनदे व का कोप का भोजन ले।
हो जाता ह व उस य से सुख-समृ दरू चली  खाली पेट ना ते से पूव काली िमच चबाकर गुड या
जाती ह। बताशे से खाए।
 िनधनो व असहाय जीवो क सहायता करने से  भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक
शिनदे व स न होते ह। असहाय य को काला तथा िमच कम होने पर काली िमच योग करे ।
छाता, चमड़े के जूते च पल भेट करने से शिन दे व  भोजन के उपरांत ल ग खाए।
स न होते है ।  शिनवार मंगलवार को ोध न करे ।
 शिन दे व को उड़द के ल डू बहत
ु य है । अत  भोजन करते समय म न रहे ।
शिनवार को ल डू का भोग लगा कर बाँटना लाभ द  येक शिनवार को सोते समय शर र व नाखून पर
होता ह। तेल मसले।
 शिनवार के दन तेल से मािलश कर नान करना  मांस, मछली, मद तथा नशीली चीजो का सेवन
चा हए। बलकुल न करे ।
 लोहे क कोई व तु शिन मं दर म दान करनी  गुड़ व चने से बनी व तु भोग लगाकर अिधक से
चा हए, ऐसी व तु दान करे जो मं दर मे काम अिधक लोगो को बाँटना चा हए।
आसके।  लोहे के बतन म तेल भरकर अपना चेहरा दे खकर
 शिन से उ प न सम या के समाधान के िलए दान करदे । य द दान हे तु यो य पा न िमले तो
भगवान िशवजी और हनुमान जी क पूजा एक साथ उसमे ब ी लगाकर उसे शिन मं दर म जला दे ना
करना वशेष लाभ द होता ह। शिनदे व को शांत चा हए।
करने के िलये शिन चालीसा, िशव चालीसा, हनुमान  येक शिन अमाव या को अपने वजन का दशांश
चालीसा, बजरं गबाण हनुमान बाहक
ु का पाठ करना सरस के तेल का अिभषेक करना चा हए।
शुभदायक होता ह।  शिन मृ युंजय ोत दशरथ कृ त शिन ोत का ४०
 शिनर नीलम के साथ प ना भी धारण करने से दन तक िनयिमत पाठ करे ।
लाभ होता ह।  घोड़े क नाल अथवा नाव क क ल से बना छ ला
 मछिलय को आटे से बनी गोिलयां खलाये। अिभमं त करके धारण करना शिन के अशुभ भाव
 हर शिनवार व मंगलवार को काले कु े को मीठ को कम करता है ।
रोट या खलाये।  अपने िनवास थान व यवसायीक थान पर घोडे
क नाल को U आकार मे अव य लगाये।
29 जून 2011

 कपूर को ना रयल के तेल म डालकर िसर म  16 शिनवार सूया के समय एक पानी वाला
लगाये, शिनवार के दन भोजन म उड़द क दाल ना रयल, 5 बादाम, कुछ द णा शिन मं दर म

का अ यिधक सेवन करे , कम को सुधारे , िनवास चढ़ाये।


शिन के शुभ फल ाि हे तु द ण दशा म
थान पर अँधेरा, सूनापन व खंडहर क थित न

िसराहना कर सोये। व प म दशा म मुख कर
होने दे ।
सारे काय करे व अपने पूजन थान म शिन यं
 ित माह क अमाव या आने से पूव अपने घर व
थापीत कर।
यवसायीक थल क सफाई व धुलाई करे व तेल
 येक शिनवार को रा म सोते समय आँख म
का द पक जलाए। काजल या सुरमा लगाये व शिनवार को नीला या
 शिन मं दर म काले चने, क चा कोयला, काली काला कपडा अव य पहने।
ह द , काले ितल, काला क बल, तेल आद शिन से
 येक शिन अमाव या, शिन जयंती या शिनवार
संबंिधत व तुओं का दान दे । को शिन मं दर अव य जाये।

मं िस मंगल गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन के
िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और मानिसक श य का
वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त करने हे तु भी मूंगा गणेश क
पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत करने से भगवान गणेश क कृ पा
श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह, ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं
सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह। ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से
भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन
श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर, तूफान, आग,
बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से मु िमलती ह।जो य
उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह। मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने
से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण
होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक

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30 जून 2011

शिन के विभ न मं
 िचंतन जोशी
शम का अथ पाप नाशक दे वता के प म भी शिन ह पीडा िनवारक मं -
कहा जाता है । 'श' का अथ होता है िसउयपुतरे द दाहो व ाछ : िशव य :।
क याणकार शांित दान करने वाला ह "शिन मं चार: स ना मा पीडा ह तु म शिन:॥
श ते पापंम" अथात शिन ह हमारे पापो का
शमन करता है । हमारे पापो का नाश करता है । क िनवारण शिन मं -
इसिलए इसे शिन कहा गया है । नीला बर: शु धर: कर ट: ग त स ो
धनु मान।
शिन क उपासना के िलए िन न म से कसी एक चतुभुर: सुयसुत: सा त: दा तु मह
मं अथवा एकािधक मं का ानुसार िनयिमत ंदो पगामी॥
एक िन त सं या म जप करना चा हए। जप का
समय सं याकाल अ यािधक लाभदायक होता ह। सुख- िधदायक शिन मं -
कोण थ : पंगलो ब : कृ णो रौ ांत को यम:।
बीज मं -
सौर : शनै ौ मंद पपलादे न सं तुत:॥
ॐ ां ीं सः शनै राय नमः।

सवबाधा िनवारण शिन गाय ी मं -


दशा र शिन मं -
ॐ भगभवाय व ाहे मृ युपुराय धीम ह त नो
ॐ शं शनै राय नमः।
शिन: चोदयात:।

वै दक मं -
ॐ शं नो दे वीरिभ य आपो भव तु पीतये।
शिन प ी नाम तुित-
शं योरिभ व तु नः॥
ॐ शं शनैचारय नम:।
पौरा णक मं - ध जनी धािमनी चैव कंकाली कला या।

नीलांजनसमाभासं र वपु ं यमा जम।् कंटक कलह चादय तुरंगी म हषी अजा॥

छायामात डस भूतं तं नमामी शनै रम॥् ॐ शं शनैचारय नम:।


31 जून 2011

महाकाल शिन मृ युंजय तो


महाकाल शिन मृ युंजय तो गले तु व यसे म दं बा ोमहा हं यसेत ् ।
विनयोगः- द यसे महाकालं गु े कृ शतनुं यसेत ् ।।१२
ॐ अ य ी महाकाल शिन मृ यु जय तो म य जा वो तूडुचरं य य पादयो तु शनै रम।्
प लाद ऋ षरनु ु छ दो महाकाल शिनदवता शं बीजं एवं यास विध कृ वा प ात ् काला मनः शनेः ।।१३
मायसी श ः काल पु षायेित क लकं मम अकाल यासं यानं व यािम तनौ यावा पठे नरः ।
अपमृ यु िनवारणाथ पाठे विनयोगः। क पा दयुगभेदां करांग यास पणः ।।१४
ी गणेशाय नमः। काला मनो यसे गा े मृ यु जय ! नमोऽ तु ते ।
ॐ महाकाल शिन मृ यु जायाय नमः। म व तरा ण सवा ण महाकाल व पणः ।।१५
नीला शोभा चत द यमूितः ख गो द ड शरचापह तः। भावये ित यंगे महाकालाय ते नमः ।
श भुम हाकालशिनः पुरा रजय यशेषासुरनाशकार ।।१ भावये भवा दान ् शीष काल जते नमः ।।१६
मे पृ े समासीनं सामर ये थतं िशवम ् । नम ते िन यसे याय व यसेदयने ुवोः ।
ण य िशरसा गौर पृ छित म जग तम ् ।।२ सौरये च नम तेऽतु ग डयो व यसे तून ् ।।१७
।।पाव युवाच।। ावणं भावयेद णोनमः कृ णिनभाय च ।
भगवन ् ! दे वदे वेश ! भ ानु हकारक ! । महो ाय नमो भाद तथा वणयो यसेत ् ।।१८
अ पमृ यु वनाशाय य वया पूव सूिचतम ् ।।३।। नमो वै दिनर
ु याय चा नं व यसे मुखे ।
तदे व वं महाबाहो ! लोकानां हतकारकम ् । नमो नीलमयूखाय ीवायां काितकं यसेत ् ।।१९
तव मूित भेद य महाकाल य सा तम ् ।।४ मागशीष यसे -बा ोमहारौ ाय ते नमः ।
शनेम ृ यु जय तो ं ूह मे ने ज मनः । ऊ लोक-िनवासाय पौषं तु दये यसेत ् ।।२०
अकाल मृ युहरणमपमृ यु िनवारणम ् ।।५ नमः काल बोधाय माघं वै चोदरे यसेत ् ।
शिनम भेदा ये तैयु ं य तवं शुभम ् । म दगाय नमो मे े यसे फा गुनं तथा ।।२१
ितनाम चथुय तं नमो तं मनुनायुतम ् ।।६ ऊव यसे चै मासं नमः िशवो भवाय च ।
।। ीशंकर उवाच।। वैशाखं व यसे जा वोनमः संव काय च ।।२२
िन ये यतमे गौ र सवलोक- हतेरते । जंघयोभावये ये ं भैरवाय नम तथा ।
गु ा ु तमं द यं सवलोकोपकारकम ् ।।७ आषाढ़ं पा ो ैव शनये च नम तथा ।।२३
शिनमृ यु जय तो ं व यािम तवऽधुना । कृ णप ं च ू राय नमः आपादम तके ।
सवमंगलमांग यं सवश ु वमदनम ् ।।८ यसेदाशीषपादा ते शु लप ं हाय च ।।२४
सवरोग शमनं सवाप िनवारणम ् । नयसे मूलं पादयो हाय शनये नमः ।
शर रारो यकरणमायुव ृ करं नृ णाम् ।।९ नमः सव जते चैव तोयं सवागुलौ यसेत ् ।।२५
यद भ ािस मे गौर गोपनीयं य तः । यसे -गु फ- ये व ं नमः शु कतराय च ।
गो पतं सवत ेषु त णु व महे र ! ।।१० व णुभं भावये जंघोभये िश तमाय ते ।।२६
ऋ ष यासं कर यासं दे ह यासं समाचरे त ् । जानु ये धिन ां च यसेत ् कृ ण चे नमः ।
महो ं मू न व य य मुखे वैव वतं यसेत ् ।।११ ऊ ये वा णा यसे कालभृ ते नमः ।।२७
32 जून 2011

पूव भा ं यसे मे े जटाजूटधराय च । िस ं त म णब धे च यसेत ् काला नये नमः ।


पृ उ रभा ं च करालाय नम तथा ।।२८ यतीपातं करा ेषु यसे कालकृ ते नमः ।।४५
रे वतीं च यसे नाभो नमो म दचराय च । वर यांसं द पा स धौ काला मने नमः ।
गभदे शे यसे ं नमः यामतराय च ।।२९ प रघं भावये ामपा स धौ नमोऽ तु ते ।।४६
नमो भोिग जे िन यं यमं तनयुगे यसेत ् । यसे ो स धौ च िशवं वै कालसा णे ।
येस कृ कां दये नम तैल याय च ।।३० त जानौ भावये स ं महादे हाय ते नमः ।।४७
रो हणीं भावये ते नम ते ख गधार णे । सा यं यसे च त -गु फस धौ घोराय ते नमः ।
मृ गं येसत ाम ह ते द डो लिसताय च ।।३१ यसे दं गुलीस धौ शुभं रौ ाय ते नमः ।।४८
द ो व भावये ौ ं नमो वै बाणधा रणे । यसे ामा स धौ च शु लकाल वदे नमः ।
पुनवसुमू व नमो वै चापधा रणे ।।३२ योगं च त जानो यसे स ोिगने नमः ।।४९
ित यं यसे बाहौ नम ते हर म यवे । ऐ ं त -गु फस धौ च योगाऽधीशाय ते नमः ।
साप यसे ामबाहौ चो चापाय ते नमः ।।३३ यसे दं गुलीस धौ नमो भ याय वैध ृ ितम ् ।।५०
मघां वभावये क ठे नम ते भ मधा रणे । चम ण बवकरणं भावये वने नमः ।
मुखे यसे -भग च नमः ू र हाय च ।।३४ बालवं भावये े संहारक ! नमोऽ तु ते ।।५१
भावये नासायामयमाण योिगने । कौलवं भावयेद न नम ते सवभ णे ।
भावये ामनासायां ह त धा रणे नमः ।।३५ तै लं भावये मिस आममांस याय ते ।।५२
वा ं यसे कण कृ सरा न याय ते । गरं यसे पायां च सव ासाय ते नमः ।
वातीं येस ामकण नमो बृ मयाय ते ।।३६ यसे णजं म जायां सवा तक ! नमोऽ तु ते ।।५३
वशाखां च द ने े नम ते ान ये । वय वभावये ं नमो म यू तेजसे ।
व कु भं भावये छ षस धौ कालाय ते नमः ।।३७ िम ! पतृ वसुवार येतां प च च ।।५४
ीितयोगं ुवोः स धौ महाम दं ! नमोऽ तु ते । मुहू ता द पादनखेषु भावये नमः ।
ने योः स धावायु म ोगं भी माय ते नमः ।।३८ खगेशाय च ख थाय खेचराय व पणे ।।५५
सौभा यं भावये नासास धौ फलाशनाय च । पु हतशतमखे
ू व वेधो- वधूं तथा ।
शोभनं भावये कण स धौ प या मने नमः ।।३९ मुहू ता वामपादनखेषु भावये नमः ।।५६
नमः कृ णयाितग डं हनुस धौ वभावयेत ् । स य ताय स याय िन यस याय ते नमः ।
नमो िनमासदे हाय सुकमाणं िशरोधरे ।।४० िस े र ! नम तु यं योगे र ! नमोऽ तु ते ।।५७
धृ ितं यसे वाहौ पृ े छायासुताय च । व न ं चरां ैव व णायमयोनकान ् ।
त मूलस धौ शूलं च यसेदु ाय ते नमः ।।४१ मुहू ता द ह तनखेषु भावये नमः ।।५८
त कूपरे यसेदग डे िन यान दाय ते नमः । ल नोदयाय द घाय मािगणे द ये ।
वृ ं त म णब धे च काल ाय नमो यसेत ् ।।४२ व ाय चाित ू राय नम ते वाम ये ।।५९
ुवं त गुली-मूलस धौ कृ णाय ते नमः । वामह तनखे व यवणशाय नमोऽ तु ते ।
याघातं भावये ामबाहपृ
ु े कृ शाय च ।।४३ िग रशा हबु यपूषाजप ां भावयेत ् ।।६०
हषणं त मूलस धौ भुतस ता पने नमः । रािशभो े रािशगाय रािश मणका रणे ।
त कूपरे यसे ं सान दाय नमोऽ तु ते ।।४४ रािशनाथाय राशीनां फलदा े नमोऽ तु ते ।।६१
33 जून 2011

यमा न-च ा दितज वधातृ ं वभावयेत ् । काल पेण संसार भ य तं महा हम ् ।


ऊ व-ह त-द नखे व यकालाय ते नमः ।।६२ मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७९
तुलो च थाय सौ याय न कु भगृ हाय च । दिनर
ु यं थूलरोमं भीषणं द घ-लोचनम ् ।
समीर व जीवां व णु ित म ुती नयसेत ् ।।६३ मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।८०
ऊ व-वामह त-नखे व य ह िनवा रणे । हाणां हभूतं च सव ह-िनवारणम ् ।
तु ाय च व र ाय नमो राहसखाय
ु च ।।६४ मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।८१
र ववारं ललाटे च यसे -भीम शे नमः । काल य वशगाः सव न कालः क यिच शः ।
सोमवारं यसेदा ये नमो मृ त याय च ।।६५ त मा वां कालपु षं णतोऽ म शनै रम ् ।।८२
भौमवारं यसे वा ते नमो - व पणे । कालदे व जग सव काल एव वलीयते ।
मे ं यसे सौ यवारं नमो जीव- व पणे ।।६६ काल पं वयं श भुः काला मा हदे वता ।।८३
वृ षणे गु वारं च नमो म - व पणे । च ड शो डा क या ा त डश उ यते ।
भृ गुवारं मल ारे नमः लयका रणे ।।६७ व ुदाकिलतो न ां समा ढो रसािधपः ।।८४
पादयोः शिनवारं च िनमासाय नमोऽ तु ते । च ड शः शुकसंयु ो ज या लिलतः पुनः ।
घ टका यसे केशेषु नम ते सू म पणे ।।६८ तज तामसी शोभी थरा मा व ुता युतः ।।८५
काल प नम तेऽ तु सवपाप णाशकः !। नमोऽ तो मनु र येष शिनतु करः िशवे ।
पुर य वधाथाय श भुजाताय ते नमः ।।६९ आ तेऽ ो रशतं मनुमेनं जपे नरः ।।८६
नमः कालशर राय कालनु नाय ते नमः । यः पठे णुया ा प या वा स पू य भ तः ।
कालहे तो ! नम तु यं कालन दाय वै नमः ।।७० य मृ योभयं नैव शतवषाविध ये !।।८७
अख डद डमानाय वना ताय वै नमः । वराः सव वन य त द -ु व फोटक छुकाः ।
कालदे वाय कालाय कालकालाय ते नमः ।।७१ दवा सौ रं मरे त ् रा ौ महाकालं यजन ् पठे त ।।८८
िनमेषा दमहाक पकाल पं च भैरवम ् । ज म च यदा सौ रजपेदेत सह कम ् ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७२ वेधगे वामवेधे वा जपेद सह कम ् ।।८९
दातारं सवभ यानां भ ानामभयंकरम ् । तीये ादशे म दे तनौ वा चा मेऽ प वा ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७३ त ाशौ भवे ावत ् पठे ाव नाविध ।।९०
क ारं सवदःखानां
ु दु ानां भयवधनम ् । चतुथ दशमे वाऽ प स मे नवप चमे ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७४ गोचरे ज मल नेशे दशा व तदशासु च ।।९१
ह ारं हजातानां फलानामघका रणाम ् । गु लाघव ानेन पठे दावृ सं यया ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७५ शतमेकं यं वाथ शतयु मं कदाचन ।।९२
सवषामेव भूतानां सुखदं शा तम ययम ् । आपद त य न य त पापािन च जयं भवेत ् ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७६ महाकालालये पीठे थवा जलस नधौ ।।९३
कारणं सुखदःखानां
ु भावाऽभाव- व पणम ् । पु य े ेऽ थमूले तैलकु भा तो गृ हे ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७७ िनयमेनैकभ े न चयण मौिनना ।।९४
अकाल-मृ यु-हरणऽमपमृ यु िनवारणम ् । ोत यं प ठत यं च साधकानां सुखावहम ् ।
मृ यु जयं महाकालं नम यािम शनै रम ् ।।७८ परं व ययनं पु यं तो ं मृ यु जयािभधम ् ।।९५
34 जून 2011

काल मेण किथतं यास म सम वतम ् । नाऽतः परतरं तो ं शिनतु करं महत ् ।
ातःकाले शुिचभू वा पूजायां च िनशामुखे ।।९६ शा तकं शी फलदं तो मेत मयो दतम ् ।।९९
पठतां नैव द ु े यो या सपा दतो भयम ् । त मा सव य ेन यद छे दा मनो हतम ् ।
ना नतो न जला ायोदशे दे शा तरे ऽथवा ।।९७ कथनीयं महादे व ! नैवाभ य क यिचत ् ।।१००
नाऽकाले मरणं तेषां नाऽपमृ युभयं भवेत ् । ।। इित मात ड-भैरव-त े महाकाल-शिन-मृ यु जय-
आयुव षशतं सा ं भव त िचरजी वनः ।।९८ तो ं स पूण म ् ।।

कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना
करने वाले य के िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर
यं के पूजन से एकािधक ो से धन का ा होकर धन संचय होता ह।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज मू य साईज मू य साईज मू य

2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370


3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

GURUTVA KARYALAY
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35 जून 2011

॥ शनै र तवराजः॥
ी गणेशाय नमः || तु ो ः काम पः कामदो र वन दनः |
नारद उवाच || हपीडाहरः शा तो न ेशो हे रः ||१४||
या वा गणपितं राजा धमराजो युिध रः | थरासनः थरगितमहाकायो महाबलः |
धीरः शनै र येमं चकार तवमु मम ||१|| महा भो महाकालः काला मा कालकालकः ||१५||
िशरो म भा क रः पातु भालं छायासुतोऽवतु | आ द यभयदाता च मृ युरा द यनंदनः |
कोटरा ो शौ पातु िश खक ठिनभः ु ती ||२|| शतिभ ु दियता योदिशितिथ यः ||१६||
ाणं मे भीषणः पातु मुखं बिलमुखोऽवतु | ित या मा ितिथगणनो न गणनायकः |
क धौ संवतकः पातु भुजौ मे भयदोऽवतु ||३|| ित या मक तिथगणो
सौ रम दयं पातु नािभं शनै रोऽवतु | योगरािशमु हता
ू मा कता दनपितः भुः ||१७||
हराजः क टं पातु सवतो र वन दनः ||४|| शमीपु प यः याम ैलो याभयदायकः |
पादौ म दगितः पातु कृ णः पा व खलं वपुः | नीलवासाः यािस धुन ला जनचय छ वः ||१८||
र ामेतां पठे न यं सौरे नामबलैयु ताम ् ||५|| सवरोगहरो दे वः िस ो दे वगण तुतः |
सुखी पु ी िचरायु स भवे ना संशयः | अ ो रशतं ना नां सौरे छायासुत य यः ||१९||
सौ रः शनै रः कृ णो नीलो पलिनभः शिनः ||६|| पठे न यं त य पीडा सम ता न यित ुवम ् |
शु कोदरो वशाला ो दिनर
ु यो वभीषणः | कृ वा पूजां पठे म य भ मा यः तवं सदा ||२०||
िश खक ठिनभो नील छाया दयन दनः ||७|| वशेषतः शिन दने पीडा त य वन यित |
काल ः कोटरा ः थूलरोमावलीमुखः | ज मल ने थितवा प गोचरे ू ररािशगे ||२१||
दघ िनमासगा तु शु को घोरो भयानकः ||८|| दशासु च गते सौरे तदा तविममं पठे त ् |
नीलांशुः ोधनो रौ ो द घ म ु ज टाधरः | पूजये ः शिनं भ या शमीपु पा ता बरै ः ||२२||
म दो म दगितः खंजो तृ ः संवतको यमः ||९|| वधाय लोह ितमां नरो दःखा
ु मु यते |
अतृ ः हराजः कराली च सूय पु ो र वः शशी | वाधा याऽ य हाणां च यः पठे य न यित ||२३||
कुजो बुधो गु ः का यो भानुजः िसं हकासुतः ||१०|| भीतो भया मु येत ब ो मु येत ब धनात ् |
केतुदवपितबाहःु कृ ता तो नैऋत तथा | रोगी रोगा मु येत नरः तविममं पठे त ् ||२४||
शशी म कुबेर ईशानः सुर आ मभूः ||११|| पु वा धनवान ् ीमान ् जायते ना संशयः ||२५||
व णुहरो गणपितः कुमारः काम ई रः | नारद उवाच ||
कता हता पालियता रा यभुग ् रा यदायकः ||१२|| तवं िनश य पाथ य य ोऽभू छनै रः |
रा येशो छायासुतः यामला गो धनहता धन दः | द वा रा े वरः कामं शिन ा तदधे तदा ||२६||
ू रकम वधाता च सवकमावरोधकः ||१३|| || इित ी भ व यपुराणे शनै र तवराजः स पूण ः |
36 जून 2011

॥ शनै र तो म ् ॥ ॥शिनव पंजरकवचम ्॥


॥ ीशनै र तो म ् ॥ ी गणेशाय नमः ||
अ य ीशनै र तो य दशरथ ऋ षः । शनै रो दे वता । विनयोगः- ॐ अ य ीशनै र-कवच- तो -म य क यप

ुप ् छ दः । । शनै र ी यथ जपे विनयोगः। ऋ षः, अनु ु प ् छ द, शनै रो दे वता, शीं श ः, शूं क लकम ्,
शनै र- ी यथ जपे विनयोगः।। नीला बरो
दशरथ उवाच –
नीलवपुः कर ट गृ थत ासकरो धनु मान ् |
कोणोऽ तको रौ यमोऽथ ब ुः कृ णः शिनः पंगलम दोसौ रः।
चतुभु जः सूय सुतः स नः सदा मम या वरदः शा तः ||१||
िन यं मृ तो यो हरते च पीडां त मै नमः ीर वन दनाय ॥१॥
ा उवाच ||
सुरासुराः कंपु षोरगे ा ग धव व ाधरप नगा ।
शृ णु वमृ षयः सव शिनपीडाहरं महत ् |
पी य त सव वषम थतेन त मैइ नमः ीर वन दनाय ॥२॥ कवचं शिनराज य सौरे रदमनु मम ् ||२||
नरा नरे ाः पशवो मृ गे ा व या ये क टपतंगभृ गाः । कवचं दे वतावासं व पंजरसं कम ् |
पी य त सव वषम थतेन त मैइ नमः ीर वन दनाय॥३॥ शनै र ीितकरं सवसौभा यदायकम ् ||३||
दे शा दगा
ु ण वना ण य सेनािनवेशाः पुरप नािन । ॐ ीशनै रः पातु भालं मे सूय न दनः |
पी य त सव वषम थतेन त मैइ नमः ीर वन दनाय॥४॥ ने े छाया मजः पातु पातु कण यमानुजः ||४||

ितलैय वैमाषगुडा नदानैल हे न नीला बरदानतो वा । नासां वैव वतः पातु मुखं मे भा करः सदा |
न धक ठ मे क ठं भुजौ पातु महाभुजः ||५||
ीणाित म ैिनजवसरे च त मै नमः ीर वन दनाय ॥५॥
क धौ पातु शिन ैव करौ पातु- शुभ दः |
यागकूले यमुनातटे च सर वतीपु यजले गुहायाम ् ।
व ः पातु यम ाता कु ं पा विसत तथा ||६||
यो योिगनां यानगतो प सू म त मैनमः ीर वन दनाय॥६॥
नािभं हपितः पातु म दः पातु क टं तथा |
अ य दे शा वगृ हं व तद यवारे स नरः सुखी यत ् ।
ऊ ममा तकः पातु यमो जानुयुगं तथा ||७||
गृ हा गतो योन पुनः याित त मैनमः ीर वन दनाय॥७॥ पदौ म दगितः पातु सवागं पातु प पलः |
ा वयंभूभु वन य य ाता हर शो हरते पनाक । अंगोपांगािन सवा ण र ेन ् मे सूय न दनः ||८||
एक धाअ ऋ ययजुः साममूित त मै इ येतत ् कवचं द यं पठे त ् सूय सुत य यः |
नमः ीर वन दनाय ॥८॥ न त य जायते पीडा ीतो भवित सूय जः ||९||
श य कं यः यतः भते िन यं सुपु ैः पशुबा धवै । यय- ज म- तीय थो मृ यु थानगतोऽ प वा |

पठे ु सौ यं भु व भोगयु ः ा नोित िनवाणपदं तद ते ॥९॥ कल थो गतो वाऽ प सु ीत तु सदा शिनः ||१०||
अ म थे सूय सुते यये ज म तीयगे
कोण थः प गलो ब ुः कृ णो रौ ोऽ तको यमः ।
|
कवचं पठते िन यं न पीडा जायते विचत ् ||११||
सौ रः शनै रो म दः प पलादे न सं तुतः ॥१०॥
इ येत कवचं द यं सौरे य निमतं पुरा |
एतािन दश नामाअिन ात थाय यः पठे त ् ।
ादशाऽ मज म थदोषा नाशयते सदा |
शनै रकृ ता पीडा न कदािच व यित ॥११॥
ज मल न थतान ् दोषान ् सवा नाशयते भुः ||१२||
॥ इित ी ा डपुराणे ीशनै र तो ं संपूण म ् ॥ || इित ी ा डपुराणे - नारदसंवादे
शिनव पंजरकवचम ् स पूण म ् ||
37 जून 2011

दशरथकृ त-शिन- तो
दशरथकृ त शिन तो याकुलं च जग ृ वा पौर-जानपदा दकम।।
् ४
विनयोगः- ॐ अ य ीशिन- तो -म य क यप ुव त सवलोका भयमेत समागतम।्
ऋ षः, ु प ् छ दः, सौ रदवता, शं बीजम ्, िनः श ः, दे शा नगर ामा भयभीतः समागताः।।५
कृ णवणित क लकम ्, धमाथ-काम-मो ा मक-चतु वध- प छ यतोराजा विस मुखान ् जान।्
पु षाथ-िस यथ जपे विनयोगः। समाधानं कम ाऽ त ूह मे जस मः।।६
कर- यासः- ाजाप ये तु न े त मन ् िभ नेकुतः जाः।
शनै राय अंगु ा यां नमः। म दगतये तजनी यां नमः। अयं योगो सा य -श ा दिभः सुरैः।।७
अधो जाय म यमा यां नमः। कृ णांगाय अनािमका यां तदा स च य मनसा साहसं परमं ययौ।
नमः। शु कोदराय किन का यां नमः। छाया मजाय समाधाय धनु द यं द यायुधसम वतम।।
् ८
करतल-कर-पृ ा यां नमः। रथमा वेगेन गतो न म डलम।्
दया द- यासः- ल योजनं थानं च योप रसं थताम।।
् ९
शनै राय दयाय नमः। म दगतये िशरसे वाहा। रो हणीपृ मासा थतो राजा महाबलः।
अधो जाय िशखायै वष । कृ णांगाय कवचाय हम।
ु ् रथेतुका चने द ये म णर वभू षते।।१०
शु कोदराय ने - याय वौष । छाया मजाय अ ाय फ । हं सवनहयैयु े महाकेतु समु छते।
द ब धनः- द यमानो महार ैः कर टमुकुटो वलैः।।११
“ॐ भूभु वः वः” यराजत तदाकाशे तीये इव भा करः।
पढ़ते हए
ु चार दशाओं म चुटक बजाएं। आकणचापमाकृ य सह ं िनयो जतम।।
् १२
यानः- कृ का तं शिन ा वा दशतांच रो हणीम।्
नील ुितं शूलधरं कर टनं गृ थतं ासकरं धनुध रम।् वा दशरथं चा ेत थौतु भृ कुट मुखः।।१३
चतुभु जं सूय सुतं शा तं व दे सदाभी करं वरे यम।।
् संहारा ं शिन वा सुराऽसुरिनषूदनम।्
अथात ् नीलम के समान का तमान, हाथ म धनुष और ह य च भयात ् सौ र रदं वचनम वीत।।
् १४
शूल धारण करने वाले, मुकुटधार , िग पर वराजमान,
भावाथ: ाचीन काल म रघुवंश म दशरथ नामक िस
श ुओं को भयभीत करने वाले, चार भुजाधार , शा त, वर
च वती राजा हए
ु , जो सात प के वामी थे। उनके
को दे ने वाले, सदा भ के हतकारक, सूय-पु को म
रा यकाल म एक दन योित षय ने शिन को कृ का
णाम करता हँू ।
के अ तम चरण म दे खकर राजा से कहा क अब यह
रघुवंशेषु व यातो राजा दशरथः पुरा। शिन रो हणी का भेदन कर जायेगा। इसको ‘रो हणी-
च वत स व ेयः स द पािधपोऽभवत।।
् १ शकट-भेदन’ कहते ह। यह योग दे वता और असुर दोन
कृ का ते शिनं ा वा दै व ै ा पतो ह सः। ह के िलये भय द होता है तथा इसके प ात ् बारह वष
रो हणीं भेदिय वातु शिनया यित सा तं।।२ का घोर दःखदायी
ु अकाल पड़ता है ।
शकटं भे िम यु ं सुराऽसुरभयंकरम।् योित षय क यह बात म य के साथ राजा ने
ासधा दं तु भ व यित सुदा णम।।
् ३ सुनी, इसके साथ ह नगर और जनपद-वािसय को बहत

एत वा तु त ा यं म िभः सह पािथवः। याकुल दे खा। उस समय नगर और ाम के िनवासी
38 जून 2011

भयभीत होकर राजा से इस वप से र ा क ाथना भावाथ: शिन कहने लगा- ‘ हे राजे ! तु हारे जैसा
करने लगे। अपने जाजन क याकुलता को दे खकर पु षाथ मने कसी म नह ं दे खा, य क दे वता, असुर,
राजा दशरथ विश ऋ ष तथा मुख ा ण से कहने मनु य, िस , व ाधर और सप जाित के जीव मेरे दे खने
लगे- ‘हे ा ण ! इस सम या का कोई समाधान मुझे मा से ह भय- त हो जाते ह। हे राजे ! म
बताइए।’।।१-६ तु हार तप या और पु षाथ से अ य त स न हँू ।
इस पर विश जी कहने लगे- ‘ जापित के इस न अतः हे रघुन दन ! जो तु हार इ छा हो वर मां लो, म
(रो हणी) म य द शिन भेदन होता है तो जाजन सुखी तु ह दं ग
ू ा।।१५-१६।।
कैसे रह सकते ह। इस योग के द ु भाव से तो ा
दशरथ उवाच-
एवं इ ा दक दे वता भी र ा करने म असमथ ह।।७।।
स नोय द मे सौरे ! एक ा तु वरः परः।।१७
व ान के यह वचन सुनकर राजा को ऐसा तीत हआ

रो हणीं भेदिय वा तु न ग त यं कदाचन।्
क य द वे इस संकट क घड़ को न टाल सके तो
स रतः सागरा याव ाव च ाकमे दनी।।१८
उ ह कायर कहा जाएगा। अतः राजा वचार करके
यािचतं तु महासौरे ! नऽ यिम छा यहं ।
साहस बटोरकर द य धनुष तथा द य आयुध से यु
एवम तुशिन ो ं वरल वा तु शा तम।।
् १९
होकर रथ को ती गित से चलाते हए
ु च मा से भी
ा यैवं तु वरं राजा कृ तकृ योऽभव दा।
तीन लाख योजन ऊपर न म डल म ले गए।
पुनरे वाऽ वी ु ो वरं वरम ् सु त ! ।।२०
म णय तथा र से सुशोिभत वण-िनिमत रथ म बैठे
भावाथ: दशरथ ने कहा- हे सूय-पु शिन-दे व ! य द
हए
ु महाबली राजा ने रो हणी के पीछे आकर रथ को
आप मुझ पर स न ह तो म केवल एक ह वर मांगता
रोक दया।
हँू क जब तक न दयां, सागर, च मा, सूय और पृ वी
सफेद घोड़ से यु और ऊँची-ऊँची वजाओं से
इस संसार म है , तब तक आप रो हणी शकट भेदन
सुशोिभत मुकुट म जड़े हए
ु बहमु
ु य र से काशमान
कदा प न कर। म केवल यह वर मांगता हँू और मेर
राजा दशरथ उस समय आकाश म दसरे
ू सूय क भांित
कोई इ छा नह ं है ।’
चमक रहे थे। शिन को कृ का न के प ात ् रो हनी
तब शिन ने ‘एवम तु’ कहकर वर दे दया। इस कार
न म वेश का इ छुक दे खकर राजा दशरथ बाण
शिन से वर ा करके राजा अपने को ध य समझने
यु धनुष कान तक खींचकर भृ कु टयां तानकर शिन
लगा। तब शिन ने कहा- ‘म पुमसे परम स न हँू , तुम
के सामने डटकर खड़े हो गए।
और भी वर मांग लो।।१७-२०
अपने सामने दे व-असुर के संहारक अ से यु
दशरथ को खड़ा दे खकर शिन थोड़ा डर गया और हं सते
ाथयामास ा मा वरम यं शिनं तदा।
हए
ु राजा से कहने लगा।।८-१४
नभे यं न भे यं वया भा करन दन।।२१
ादशा दं तु दिभ
ु ं न कत यं कदाचन।
शिन उवाच-
क ितरषामद या च ैलो ये तु भ व यित।।२२
पौ षं तव राजे ! मया ं न क यिचत।्
एवं वरं तु स ा य रोमा स पािथवः।
दे वासुरामनु याशऽच िस - व ाधरोरगाः।।१५
रथोप रधनुः था यभू वा चैव कृ ता जिलः।।२३
मया वलो कताः सवभयं ग छ त त णात।्
या वा सर वती दे वीं गणनाथं वनायकम।्
तु ोऽहं तव राजे ! तपसापौ षेण च।।१६
राजा दशरथः तो ं सौरे रदमथाऽकरोत।।
् २४
वरं ूह दा यािम वे छया रघुन दनः !
39 जून 2011

भावाथ: तब राजा ने स न होकर शिन से दसरा


ू वर नम कार है । जनके बड़े-बड़े ने , पीठ म सटा हआ
ु पेट
मांगा। तब शिन कहने लगे- ‘हे सूय वंिशयो के पु तुम और भयानक आकार है , उन शनै र दे व को नम कार
िनभय रहो, िनभय रहो। बारह वष तक तु हारे रा य म है ।।२६
अकाल नह ं पड़े गा। तु हार यश-क ित तीन लोक म जनके शर र का ढांचा फैला हआ
ु है , जनके रोएं बहत

फैलेगी। ऐसा वर पाकर राजा स न होकर धनुष-बाण मोटे ह, जो ल बे-चौड़े क तु सूके शर र वाले ह तथा
रथ म रखकर सर वती दे वी तथा गणपित का यान जनक दाढ़ काल प ह, उन शिनदे व को बार-बार णाम
करके शिन क तुित इस कार करने लगा।।२१-२४ है ।।२७
हे शने ! आपके ने कोटर के समान गहरे ह, आपक
दशरथकृ त शिन तो
ओर दे खना क ठन है , आप घोर रौ , भीषण और
नम: कृ णाय नीलाय िशितक ठ िनभाय च।
वकराल ह, आपको नम कार है ।।२८
नम: काला न पाय कृ ता ताय च वै नम: ।।२५।।
वलीमूख ! आप सब कुछ भ ण करने वाले ह, आपको
नमो िनमास दे हाय द घ म ु जटाय च ।
नम कार है । सूयन दन ! भा कर-पु ! अभय दे ने वाले
नमो वशालने ाय शु कोदर भयाकृ ते।।२६
दे वता ! आपको णाम है ।।२९
नम: पु कलगा ाय थूलरो णेऽथ वै नम:।
नीचे क ओर रखने वाले शिनदे व ! आपको
नमो द घाय शु काय कालदं नमोऽ तु ते।।२७
नम कार है । संवतक ! आपको णाम है । म दगित से
नम ते कोटरा ाय दनर
ु याय वै नम: ।
चलने वाले शनै र ! आपका तीक तलवार के समान
नमो घोराय रौ ाय भीषणाय कपािलने।।२८
है , आपको पुनः-पुनः णाम है ।।३०
नम ते सवभ ाय बलीमुख नमोऽ तु ते।
आपने तप या से अपनी दे ह को द ध कर िलया है , आप
सूय पु नम तेऽ तु भा करे ऽभयदाय च ।।२९
सदा योगा यास म त पर, भूख से आतुर और अतृ
अधो :े नम तेऽ तु संवतक नमोऽ तु ते।
रहते ह। आपको सदा सवदा नम कार है ।।३१
नमो म दगते तु यं िन ंशाय नमोऽ तुते ।।३०
ानने ! आपको णाम है । का यपन दन सूय पु
तपसा द ध-दे हाय िन यं योगरताय च ।
शिनदे व आपको नम कार है । आप स तु होने पर
नमो िन यं ुधाताय अतृ ाय च वै नम: ।।३१
रा य दे दे ते ह और होने पर उसे त ण हर लेते
ानच ुन म तेऽ तु क यपा मज-सूनवे ।
ह।।३२
तु ो ददािस वै रा यं ो हरिस त णात ् ।।३२
दे वता, असुर, मनु य, िस , व ाधर और नाग- ये सब
दे वासुरमनु या िस - व ाधरोरगा:।
आपक पड़ने पर समूल न हो जाते ह।।३३
वया वलो कता: सव नाशं या त समूलत:।।३३
दे व मुझ पर स न होइए। म वर पाने के यो य हँू और
साद कु मे सौरे ! वारदो भव भा करे ।
आपक शरण म आया हँू ।।३४
एवं तुत तदा सौ र हराजो महाबल: ।।३४
भावाथ: जनके शर र का वण कृ ण नील तथा भगवान ् एवं तुत तदा सौ र हराजो महाबलः।
शंकर के समान है, उन शिन दे व को नम कार है। जो अ वी च शिनवा यं रोमा च पािथवः।।३५
जगत ् के िलए काला न एवं कृ ता त प ह, उन शनै र तु ोऽहं तव राजे ! तो ेणाऽनेन सु त।
को बार-बार नम कार है ।।२५ एवं वरं दा यािम य े मनिस वतते।।३६
जनका शर र कंकाल जैसा मांस-ह न तथा जनक भावाथ: राजा दशरथ के इस कार ाथना करने पर
दाढ़ -मूंछ और जटा बढ़ हई
ु है , उन शिनदे व को ह के राजा महाबलवान ् सूय-पु शनै र बोले- ‘उ म
40 जून 2011

त के पालक राजा दशरथ ! तु हार इस तुित से म पूजिय वा जपे तो ं भू वा चैव कृ ता जिलः।


अ य त स तु हँू । रघुन दन ! तुम इ छानुसार वर त य पीडां न चैवऽहं क र यािम कदाचन।।
् ४९
मांगो, म अव य दं ग
ू ा।।३५-३६ र ािम सततं त य पीडां चा य ह य च।
अनेनैव कारे ण पीडामु ं जग वेत।।
् ५०
दशरथ उवाच-
भावाथ: शिन ने कहा- ‘हे राजन ् ! य प ऐसा वर म
स नो यद मे सौरे ! वरं दे ह ममे सतम।्
कसी को दे ता नह ं हँू , क तु स तु होने के कारण
अ भृ ित- पंगा ! पीडा दे या न क यिचत।।
् ३७
तुमको दे रहा हँू । तु हारे ारा कहे गये इस तो को
भावाथ: सादं कु मे सौरे ! वरोऽयं मे महे सतः।
जो मनु य, दे व अथवा असुर, िस तथा व ान आ द
राजा दशरथ बोले- ‘ भु ! आज से आप दे वता, असुर,
पढ़गे, उ ह शिन बाधा नह ं होगी। जनके गोचर म
मनु य, पशु, प ी तथा नाग- कसी भी ाणी को पीड़ा न
महादशा या अ तदशा म अथवा ल न थान, तीय,
द। बस यह मेरा य वर है ।।३७
चतुथ, अ म या ादश थान म शिन हो वे य यद
पव होकर ातः, म या और सायंकाल के समय इस
शिन उवाच-
तो को यान दे कर पढ़गे, उनको िन त प से म
अदे य तु वरौऽ माकं तु ोऽहं च ददािम ते।।३८
पी ड़त नह ं क ं गा।।३८-४१
वया ो ं च मे तो ं ये पठ य त मानवाः।
हे राजन ! जनको मेर कृ पा ा करनी है , उ ह चा हए
दे वऽसुर-मनु या िस व ाधरोरगा।।३९
क वे मेर एक लोहे क मीित बनाएं, जसक चार
न तेषां बाधते पीडा म कृ ता वै कदाचन।
भुजाएं हो और उनम धनुष, भाला और बाण धारण कए
मृ यु थाने चतुथ वा ज म- यय- तीयगे।।४०
हए
ु हो।* इसके प ात ् दस हजार क सं या म इस
गोचरे ज मकाले वा दशा व तदशासु च।
तो का जप कर, जप का दशांश हवन करे , जसक
यः पठे - स यं वा शुिचभू वा समा हतः।।४१
साम ी काले ितल, शमी-प , घी, नील कमल, खीर, चीनी
न त य जायते पीडा कृ ता वै ममिन तम।्
िमलाकर बनाई जाए। इसके प ात ् घी तथा दध
ू से
ितमा लोहजां कृ वा मम राजन ् चतुभु जाम।।
् ४२
िनिमत पदाथ से ा ण को भोजन कराएं। उपरो
वरदां च धनुः-शूल-बाणां कतकरां शुभाम।्
शिन क ितमा को ितल के तेल या ितल के ढे र म
आयुतमेकज यं च त शांशेन होमतः।।४३
रखकर विध- वधान-पूव क म ारा पूजन कर, कुंकुम
कृ णै तलैः शमीप ैध ृ वा ै न लपंकजैः।
इ या द चढ़ाएं, नीली तथा काली तुलसी, शमी-प मुझे
पायससंशकरायु ं घृ तिम ं च होमयेत्।।४४
स न करने के िलए अ पत कर।
ा णा भोजये वश या घृ त-पायसैः।
काले रं ग के व , बैल, दध
ू दे ने वाली गाय- बछड़े स हत
तैले वा तेलराशौ वा य व यथा विधः।।४५
दान म द। हे राजन ! जो म ो ारपूव क इस तो से
पूजनं चैव म ेण कुंकुमा ं च लेपयेत।्
मेर पूजा करता है , पूजा करके हाथ जोड़कर इस तो
नी या वा कृ णतुलसी शमीप ा दिभः शुभैः।।४६
का पाठ करता है , उसको म कसी कार क पीड़ा नह ं
द ा मे ीतये य तु कृ णव ा दकं शुभम।्
होने दं ग
ू ा। इतना ह नह ं, अ य ह क पीड़ा से भी म
धेनुं वा वृ षभं चा प सव सां च पय वनीम।।
् ४७
उसक र ा क ं गा। इस तरह अनेक कार से म जगत
एवं वशेषपूजां च म ारे कु ते नृ प !
को पीड़ा से मु करता हँू ।।।४२-५०
म ो ार वशेषेण तो ेणऽनेन पूजयेत।।
् ४८
41 जून 2011

शिन अ ो रशतनामाविलः ॐ वैरा यदाय नमः ॥ ॐ भ याय नमः ॥


ॐ वीराय नमः ॥ ॐ पावनाय नमः ॥
ॐ शनै राय नमः ॥
ॐ वीतरोगभयाय नमः ॥ ॐ धनुम डलसं थाय नमः ॥
ॐ शा ताय नमः ॥
ॐ वप पर परे शाय नमः ॥ ॐ धनदाय नमः ॥
ॐ सवाभी दाियने नमः ॥
ॐ व व ाय नमः ॥ ॐ धनु मते नमः ॥
ॐ शर याय नमः ॥
ॐ गृ नवाहाय नमः ॥ ॐ तनु काशदे हाय नमः ॥
ॐ वरे याय नमः ॥
ॐ गूढाय नमः ॥ ॐ तामसाय नमः ||
ॐ सवशाय नमः ॥
ॐ कूमा गाय नमः ॥ ॐ अशेषजनव ाय नमः ॥
ॐ सौ याय नमः ॥
ॐ कु पणे नमः ॥ ॐ वशेशफलदाियने नमः ॥
ॐ सुरव ाय नमः ॥
ॐ कु सताय नमः ॥ ॐ वशीकृ तजनेशाय नमः ॥
ॐ सुरलोक वहा रणे नमः ॥
ॐ गुणा याय नमः ॥ ॐ पशूनां पतये नमः ॥
ॐ सुखासनोप व ाय नमः ॥
ॐ गोचराय नमः ॥ ॐ खेचराय नमः ॥
ॐ सु दराय नमः ॥
ॐ अ व ामूलनाशाय नमः ॥ ॐ खगेशाय नमः ॥
ॐ घनाय नमः ॥
ॐ व ा व ा व पणे नमः || ॐ घननीला बराय नमः ॥
ॐ घन पाय नमः ॥
ॐ आयु यकारणाय नमः ॥ ॐ का ठ यमानसाय नमः ॥
ॐ घनाभरणधा रणे नमः ॥
ॐ आपद ु नमः ॥ ॐ आयगण तु याय नमः ॥
ॐ घनसार वलेपाय नमः ॥
ॐ व णुभ ाय नमः ॥ ॐ नील छ ाय नमः ॥
ॐ ख ोताय नमः ॥
ॐ विशने नमः ॥ ॐ िन याय नमः ॥
ॐ म दाय नमः ॥
ॐ व वधागमवे दने नमः ॥ ॐ िनगु णाय नमः ॥
ॐ म दचे ाय नमः ॥
ॐ विध तु याय नमः ॥ ॐ गुणा मने नमः ॥
ॐ महनीयगुणा मने नमः ॥
ॐ व ाय नमः ॥ ॐ िनरामयाय नमः ॥
ॐ म यपावनपदाय नमः ॥
ॐ व पा ाय नमः ॥ ॐ िन ाय नमः ॥
ॐ महे शाय नमः ॥
ॐ व र ाय नमः ॥ ॐ व दनीयाय नमः ॥
ॐ छायापु ाय नमः ॥
ॐ ग र ाय नमः || ॐ धीराय नमः ॥
ॐ शवाय नमः ॥
ॐ व ा कुशधराय नमः ॥ ॐ द यदे हाय नमः ॥
ॐ शततूणीरधा रणे नमः ॥
ॐ वरदाभयह ताय नमः ॥ ॐ द नाितहरणाय नमः ॥
ॐ चर थर वभावाय नमः ॥
ॐ वामनाय नमः ॥ ॐ दै यनाशकराय नमः ॥
ॐ अच चलाय नमः ॥
ॐ ये ाप ीसमेताय नमः ॥ ॐ आयजनग याय नमः ॥
ॐ नीलवणाय नमः ॥
ॐ े ाय नमः ॥ ॐ ू राय नमः ॥
ॐ िन याय नमः ॥
ॐ िमतभा षणे नमः ॥ ॐ ू रचे ाय नमः ॥
ॐ नीला जनिनभाय नमः ॥
ॐ क ौघनाशक नमः ॥ ॐ काम ोधकराय नमः ॥
ॐ नीला बर वभूशणाय नमः ॥
ॐ पु दाय नमः ॥ ॐ कल पु श ु वकारणाय नमः ॥
ॐ िन लाय नमः ॥
ॐ तु याय नमः ॥ ॐ प रपो षतभ ाय नमः ॥
ॐ वे ाय नमः ॥
ॐ तो ग याय नमः || ॐ परभीितहराय नमः ॥
ॐ विध पाय नमः ॥
ॐ भ व याय नमः ॥ ॐ भ संघमनोऽभी फलदाय नमः ॥
ॐ वरोधाधारभूमये नमः ॥
ॐ भानवे नमः ॥ ॥ इित शिन अ ो रशतनामाविलः
ॐ भेदा पद वभावाय नमः ॥
ॐभानुपु ाय नमः ॥ स पूण म् ॥
ॐ व दे हाय नमः ॥
42 जून 2011

राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग

से धन लाभ होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती

ह। राम र ा यं सभी कार के अशुभ भाव को दरू कर य को जीवन क सभी कार क

क ठनाइय से र ा करता ह। व ानो के मत से जो य भगवान राम के भ ह या ी

हनुमानजी के भ ह उ ह अपने िनवास थान, यवसायीक थान पर राम र ा यं को अव य

थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन सुखमय यतीत हो सके

एवं उनक सम त आ द भौितक व आ या मक मनोकामनाएं पूण हो सके।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

साईज मू य साईज मू य साईज मू य


2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
43 जून 2011

व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं
आज के आधुिनक युग म िश ा ाि जीवन क मह वपूण आव यकताओं म से एक है । ह द ू धम म व ाक
अिध ा ी दे वी सर वती को माना जाता ह। इस िलए दे वी सर वती क पूजा-अचना से कृ पा ा करने से बु कुशा एवं
ती होती है ।
आज के सु वकिसत समाज म चार ओर बदलते प रवेश एवं आधुिनकता क दौड म नये-नये खोज एवं
संशोधन के आधारो पर ब चो के बौिधक तर पर अ छे वकास हे तु विभ न पर ा, ितयोिगता एवं ित पधाएं
होती रहती ह, जस म ब चे का बु मान होना अित आव यक हो जाता ह। अ यथा ब चा पर ा, ितयोिगता एवं
ित पधा म पीछड जाता ह, जससे आजके पढे िलखे आधुिनक बु से सुसंप न लोग ब चे को मूख अथवा बु ह न
या अ पबु समझते ह। एसे ब चो को ह न भावना से दे खने लोगो को हमने दे खा ह, आपने भी कई सैकडो बार
अव य दे खा होगा?
ऐसे ब चो क बु को कुशा एवं ती हो, ब चो क बौ क मता और मरण श का वकास हो इस िलए
सर वती कवच अ यंत लाभदायक हो सकता ह।
सर वती कवच को दे वी सर वती के परं म दलभ
ू तेज वी मं ो ारा पूण मं िस और पूण चैत ययु कया जाता
ह। ज से जो ब चे मं जप अथवा पूजा-अचना नह ं कर सकते वह वशेष लाभ ा कर सके और जो ब चे पूजा-
अचना करते ह, उ ह दे वी सर वती क कृ पा शी ा हो इस िलये सर वती कवच अ यंत लाभदायक होता ह।

सर वती कवच : मू य: 280 और 370 सर वती यं :मू य : 280 से 1450 तक

मं िस प ना गणेश
भगवान ी गणेश बु और िश ा के कारक ह बुध के अिधपित दे वता ह। प ना गणेश बुध के
सकारा मक भाव को बठाता ह एवं नकारा मक भाव को कम करता ह।. प न गणेश के
भाव से यापार और धन म वृ म वृ होती ह। ब चो क पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
प ना गणेश इस के भाव से ब चे क बु कूशा होकर उसके आ म व ास म भी वशेष
वृ होती ह। मानिसक अशांित को कम करने म मदद करता ह, य ारा अवशो षत हर
व करण शांती दान करती ह, य के शार र के तं को िनयं त करती ह। जगर, फेफड़े ,
जीभ, म त क और तं का तं इ या द रोग म सहायक होते ह। क मती प थर मरगज के बने
होते ह।

Rs.550 से Rs.8200 तक
GURUTVA KARYALAY
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44 जून 2011

फ टक गणेश
फ टक ऊजा को क त करने म सहायता मानागया ह। इस के भाव से यह य को नकारा मक उजा से बचाता ह
एवं एक उ म गुणव ा वाले फ टक से बनी गणेश ितमा को और अिधक भावी और प व माना जाता ह।

मू य Rs.550 से Rs.8200 तक

तं र ा
कवच को धारण करने से य के उपर कगई सम त तां क बाधाएं दरू होती ह, उसी के साथ ह
धारण कता य पर कसी भी कार क नकार मन श यो का कु भाव नह ं होता। इस कवच के
भाव से इषा- े ष रखने वाले सभी लोगो ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।

मू य मा : Rs.730

श ु वजय कवच
श ु वजय कवच धारण करने से य को श ु से संबंिधत सम त परे शािनओ से वतः ह छुटकारा िमल जाता ह।

कवच के भाव से श ु धारण कता य का चाहकर कुछ नह बगड सकते। मू य मा :Rs: 640
मं िस मूंगा गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन
के िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और
मानिसक श य का वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त
करने हे तु भी मूंगा गणेश क पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत
करने से भगवान गणेश क कृ पा श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह,
ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह।
ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार,
चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला,
चोर, तूफान, आग, बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से
मु िमलती ह।
जो य उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह।
मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि
होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण होजाता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
45 जून 2011

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।

अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता
ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज
ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का
वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050

मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर बार-
बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं िस पूण
चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं िनत तर लाभ ा
होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730

मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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46 जून 2011

गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दका
ु न-ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती ह
एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का संयु
आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक

मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को ऋण
मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए मंगल
यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क कमी,
गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय,
वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550

कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना करने वाले य के
िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक ो से धन का
ा होकर धन संचय होता ह।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज मू य साईज मू य साईज मू य
2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600
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47 जून 2011

मािसक रािश फल

 िचंतन जोशी
मेष: 1 से 15 जून 2011: अपने यय पर िनय ण रखने का यास कर और ऋण लेने
से बचे और पुराने ऋण का भुगतान करने का यास करे । फर भी आपको जो खम
वाले काय से बचना चा हये। माता- पता का वा य आपको िचंितत कर सकता ह।
जीवन साथी से सहयोग ा होगा। शुभ समाचार क ाि हो सकती ह। भूिम-भवन से
संबंिधअ मामलो म िचंता रह सकती ह।

16 से 30 जून 2011: मह व पूणा काय को थगीत करना या कसी और को दे ना


नु शान दे ह हो सकता ह। अपनी बौ क यो यता से आिथक लाभ करगे। कसी से वाद-
ववाद करने से बचे। संतान का वा य िचंता का वषय हो सकता ह। वा य के
ित सचेत रहने का यास करने से वा य सुख ा हो सकता ह। जीवन साथी के साथ यवहार कूशल रह बे खा पन
नु शान कर सकता ह।

वृ षभ: 1 से 15 जून 2011: नौकर - यवसाय म मह वपूण बदलाव हो सकते ह।


भागीदार क काय से भी धन लाभ ा करने क इ छा जाग सकती ह। दरू थ
थानो से धन लाभ ा हो सकता ह। अ यािधक भाग-दौड के कारण वा य
भा वत हो सकता ह और आपको थोडे समय के िलये आराम करना पड सकता ह।
अतः सावधान रहे । पूरानी प रवा रक सम याएं सुलझ सकती ह।

16 से 30 जून 2011: इस अविध से पूव कये गय पूण प र म एवं मेहनत के काय का


िन त लाभ ा होगे। ऋण संब धी काय का लेन-दे न शुभ फलदायी िस हो सकते
ह। आपक मानिसक िचंता के कारण दां प य सुख म कमी हो सकती ह। आपके काय
म अनाव य व न बाधाएं आसकती ह, आपके काय कुछ समय क सकते ह। यासो से ेम संब ध म सुधार होगा।

िमथुन: 1 से 15 जून 2011: नौकर - यवसाय म िनणय म वलंब के कारण मह पूण


योजनाएं थिगत हो सकती ह। वाणी एवं ोध पर िनयं ण रखे अ यथा आपके बने
बनाये काय बगड सकते ह। माता के वा य के ित िचंता बढ स ह। िम एवं र ते
दार अिधक से अिधक समय यतीत करने क इ छा जागृ त हो सकती ह। अ ववा हत
ह तो ववाह के योग बन रहे ह।

16 से 30 जून 2011: इस अविध से पूव कये गय पूण प र म एवं मेहनत का फल


िमलने के योग बनने लगगे। ित पधा मक काय एवं पूं ज िनवेश के काय म हानी
होने के योग बन रह ह। अित र सावधानी बत। कोट-कचहर के काय म सावधानी बत
आपको वरोिध एवं श ु प से परे शानी हो सकती ह। जीवन साथी का वा य िचंता का वषय हो सकता ह।
48 जून 2011

कक:
1 से 15 जून 2011: आ म व ास के बल पर अपनी आय म वृ कर सकते ह। मु कल से मु कल काय का हल
िनकालने म आप समथ हो सकते ह। चल-अचल संप या कसी घरे लू मामल म
बदलाव हो सकता है । आपको मानिसक अ थरता का अनुभव हो सकता ह। आ म
व ास से आगे बढते रहने का यास कर। वपर त िलंग के ित आपका अिधक आकषण
रहे गा।

16 से 30 जून 2011: आपके कय का बोझ भी बढ सकता ह। वरोिध एवं श ु प से


परे शानीहो सकती ह। आपक मानिसक अ थतार मह वपूण िनणय लेने म वलंब कर
सकती ह। हताशा और िनराशा वाले वचारो को यागदे । वा य के ित सचेत रहने का
यास करने से वा य सुख ा हो सकता ह। आप उजा व उ साह क कमी महसूस कर
इस िलये सकारा मक ी कोण रखे।

िसंह:
1 से 15 जून 2011: धन स ब धत वषय म अ यािधक यय होने क स भावना है । ऋण स ब धत लेना दे न म
सावधनी रखे। आपके अधीन थ कमचार आपक आ ा का पालन करगे। अपने कम के
सकारा मक और नकारा मक प पर वचार कर काय करना लाभदायक रहे गा। आप
उजा व उ साह क कमी महसूस कर सकते ह इस िलये सकारा मक ी कोण रखे।

16 से 30 जून 2011: पूण प र म एवं महे नत से कये गये काय लाभ द रहे गे।
आिथक े से बाधाओं के योग बने हए
ु ह। रोग से लडने क श आपम अिधक
जागृ त हो सकती ह ज से आपका वा थय अनुकुल बना रहे गा। श ु एवं वरोिध पर
आपका दबदबा बना रहे गा। दरू थ थानो से धन लाभ क संभावनाएं बन सकती है ।
प रवार जनो से असहयोग ा होता महसूस कर सकते ह।

क या:

1 से 15 जून 2011: इस माह आप नया सौदा और नयी प रयोजना क शु आत


करना क ठन हो सकता है । पूव म कए गए कम से लाभ क ाि होगी। व र ो जन
से आिशवाद और मदद ा होने क स भावना ह। ान के े म आपको िस
ा होगी। प रवार जनो के असहयोग से मानिसक अ थरता हो सकती ह। यय पर
िनय ण रखने से लाभ ा होगा।

16 से 30 जून 2011: धािमक और आ या मक काय म िच बढे गी। आिथक थती


कमजोर हो सकती ह। िनः वाथ वभाव से कगई अपनो क सेवा एवं मदद का आपको लाभ नह ं िमलेगा। इस अविध
म क गई ाथना और पूजा से भ व य म लाभ िमलेगा। ऋण से स ब धत लेन-दे न म अित र सावधानी रखे।
वा य उ म रहे गा खान-पान म सावधानी रखे।
49 जून 2011

तुला:
1 से 15 जून 2011: यापा रक साझेदार और िम ो से लेन-दे न म सावधानी बत
धन हानी हो सकती ह और र तो म द ू रया बन सकती ह। प रवार और र तेदार से
संबंधो म सुधार होगा। आपके ारा कये गये धािमक और आ या मक काय िन त
ह उ वल भ व य का संकेत है । इस दौरान भूिम-भवन इ या द म पूं ज िनवेश
लाभदायक हो सकता ह।

16 से 30 जून 2011: नई प रयोजना से संबंिध िनणय लेना लाभ द हो सकता ह।


वरोिध प को परा त कर धन लाभ ा कर सकते ह पर अनाव यक कलह म
पडने से बचना अिधक लाभ द हो सकता ह। सां का रक सुख क ाि होगी। अपने बु और ववेक से अपने दोषो
को दरू करने का यास कर। जीवन साथी से सहयोग ा होगा। शुभ समाचार क ाि हो सकती ह।

वृ क:
1 से 15 जून 2011: यापा रक साझेदार और िम ो से लेन-दे न म सावधानी बत धन
हानी हो सकती ह और र तो म द ू रया बन सकती ह। प रवार और र तेदार से संबंधो
म सुधार होगा। आपके ारा कये गये धािमक और आ या मक काय िन त ह
उ वल भ व य का संकेत है । इस दौरान भूिम-भवन इ या द म पूं ज िनवेश लाभदायक
हो सकता ह।

16 से 30 जून 2011: नई प रयोजना से संबंिध िनणय लेना लाभ द हो सकता ह।


वरोिध प को परा त कर धन लाभ ा कर सकते ह पर अनाव यक कलह म पडने
से बचना अिधक लाभ द हो सकता ह। सां का रक सुख क ाि होगी। अपने बु और ववेक से अपने दोषो को दरू
करने का यास कर। जीवन साथी से सहयोग ा होगा। शुभ समाचार क ाि हो सकती ह।

धनु:
1 से 15 जून 2011: आपके ारा मह व पूण काय हे तु कये गये यास सफल होग।
गलत िनणयो के कारण आिथक प कमजोर हो सकता ह। आपके भौितक सुख-साधनो
म वृ हो सकती ह। अनाव यक कसी से वाद- ववाद करने से बचे अ यथा आपको
हार का सामना एवं अपमानी होना पड सकता ह। दा प य जीवन क सम याओं को दरू
करने का यास करे ।

16 से 30 जून 2011: आपक मह वपूण योजनाएं सफल हो सकती ह। फालतू खच एवं


अनाव यक कज के कारण आपक आिथक अिधक कमजोर हो सकती ह। पित-प ी
दोनो म आपसी तालमेल से दांप य जीवन सुख म भी वृ होगी। अपनी मता से अिधक काय करे ने क वृ ित का
याग कर। माता के वा य से संबंिधत िचंता हो सकती ह। आपका का वा य थोडा ितकूल हो सकता है ।
50 जून 2011

मकर:
1 से 15 जून 2011: इस अविध म आपको उ म और अनुकूल फल ा हो सकते है ।
उचािधकार आपके मह व को समझगे और आपके गुण क शंसा करगे। आपक
पदो नित क संभावना बन रह है । िम और र तेदार के साथ शांित और स ता
महसूस होगी। भूिम- भवन-वाहन के य- व य से लाभ ा हो सकता ह। गु वरोिध-
श ुओं के कारण आिथक हािन हो सकती है ।

16 से 30 जून 2011: आप के िलए आिथक ी से लाभदायक रहे गा। इस समय आप


मह वपूण िनणय ले सकते है और नयी प रयोजाना शु कर सकते ह। मह वपूण
काय म ल ग क िनगाह आपके उपर टक रहे गी। कसी काय म लापरवाह नु शान दे सकती ह। आप अपने अंदर
आ मबल महसूस करगे। अनाच यक खच होने के कारण परे शानी हो सकती ह।

कुंभ:
1 से 15 जून 2011: आप के िलए आिथक ी से लाभदायक रहे गा। इस समय आप
मह वपूण िनणय ले सकते है और नयी प रयोजाना शु कर सकते ह। श ु एवं वरोिध
प के साथ म वाद- ववाद करने से बचे अ यथा आपको हार का सामना पड सकता
ह। या ा करते समय सावधान और सतक रहे । आपको मानिसक अ थरता का अनुभव
हो सकता ह। अ यािधक यय से परे शानी हो सकती ह।

16 से 30 जून 2011: इस अविध म आय के नये ोत ा होने के योग बन रहे ह।


अनाच यक खच होने के कारण परे शानी हो सकती ह। भूिम-भवन इ याद म पूं ज
िनवेश लाभ द रहे गा। नौकर - यवसाय म उनाित होगी। इस दौरान यवसायीक या ाएं लाभदायक हो सकती ह। िम एवं
र ते दार के साथ अ छा समय यतीत कर सकते ह। वाहन इ याद चलाते समय एवं या ा के दौरान सावधान रह।
मीन:
1 से 15 जून 2011: आपके काय े क क ठनाइयां कम होगी एवं आपको समय के साथ सुख-सु वधाएं ा होगी।
इस अविध म आपक िच एक से अिधक काय म हो सकती ह। सफलता आपके कदम
चूमेगी यह समय आपके िलये अिधक भा यशाली सा बत होगा। ेम से संबंिधत मामलो म
आपको सफलता और खुशीयां ा होगी। आपका मन स न रहे गा।

16 से 30 जून 2011: इस दौरान आपके भीतर अिधक आ म व ासी और साहसी हो सकते


ह। आपको मह वाकां ी होकर अपनी उ नित के बारे म वचार कर लेना चा हये। आपके
कम का फल आपको शी ा होगा। आपको काय सावधानी एवं चतुराई से करना
चा हये। लोग आपके य व क सराहना करगे ज से आपके पद- ित ा म वृ
होगी। यय आव यकता से अिधक हो सकता ह।
51 जून 2011

रािश र
मूंगा ह रा प ना मोती माणेक प ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुला रािश: वृ क रािश: धनु रािश: मकर रािश: कुंभ रािश: मीन रािश:

ह रा मूंगा पुखराज नीलम नीलम पुखराज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special) (Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

* उपयो वजन और मू य से अिधक और कम वजन और मू य के र एवं उपर भी हमारे यहा यापार मू य पर


उ ल ध ह।

GURUTVA KARYALAY
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52 जून 2011

जून 2011 मािसक पंचांग


चं
द वार माह प ितिथ समाि न समाि योग समाि करण समाि समाि
रािश
1 बुध ये कृ ण अमाव या 26:33:04 कृ ितका 13:10:34 सुकमा 25:19:57 चतु पद 14:08:42 वृ ष

2 गु ये शु ल एकम 26:59:07 रो ह ण 14:30:59 धृ ित 24:43:11 क तु न 14:48:48 वृ ष 27:00:00

3 शु ये शु ल तीया 26:57:03 मृ गिशरा 15:22:22 शूल 23:42:59 बालव 15:00:48 िमथुन

4 शिन ये शु ल तृ तीया 26:27:50 आ ा 15:49:23 गंड 22:22:12 तैितल 14:45:38 िमथुन

5 रव ये शु ल चतुथ 25:34:15 पुनवसु 15:50:11 वृ 20:42:41 व णज 14:04:15 िमथुन 09:52:00

6 सोम ये शु ल पंचमी 24:18:12 पु य 15:28:31 ुव 18:42:34 बव 12:59:27 कक

7 मंगल ये शु ल ष ी 22:41:32 अ ेषा 14:44:21 याघात 16:26:32 कौलव 11:32:10 कक 14:44:00

8 बुध ये शु ल स मी 20:45:13 मघा 13:40:32 हषण 13:52:43 गर 09:45:13 िसंह

9 गु ये शु ल अ मी 18:32:59 पूवाफा गुनी 12:19:51 व 11:06:44 व 07:41:25 िसंह 17:57:00

10 शु शु ल नवमी क या
ये 16:07:38 उ राफा गुनी 10:46:04 िस 08:09:31 कौलव 16:07:38

11 शिन शु ल दशमी क या
ये ह त व रयान गर
20:07:00
13:33:52 09:01:04 25:50:45 13:33:52

12 र व शु ल एकादशी तुला
ये 10:57:19 िच ा 07:12:19 पर ह 22:39:31 व 10:57:19

13 सोम शु ल ादशी- तुला 22:06:00


ये 08:19:52 वाती 05:24:33 िशव 19:31:07 बालव 08:19:52
योदशी
14 मंगल शु ल चतुदशी वृ क
ये 05:51:47 अनुराधा 26:13:21 िस 16:32:06 तैितल 05:51:47

15 बुध शु ल पू णमा वृ क
ये जे ा सा य व
25:06:00
25:44:22 25:04:59 13:47:11 14:37:48

16 गु
आषाढ़ कृ ण एकम 24:17:16 मूल 24:24:46 शुभ 11:21:58 बालव 12:57:35 धनु

17 शु
आषाढ़ कृ ण तीया 23:23:01 पूवाषाढ़ 24:16:27 शु ल 09:21:08 तैितल 11:46:27 धनु

18 शिन
आषाढ़ कृ ण तृ तीया उ राषाढ़ व णज धनु 06:20:00
23:07:13 24:44:43 07:48:28 11:10:58

19 र व
आषाढ़ कृ ण चतुथ 23:30:48 वण 25:51:26 इ 06:46:44 बव 11:13:56 मकर

20 सोम
आषाढ़ कृ ण पंचमी धिन ा वैध ृ ित कौलव मकर 14:39:00
24:31:55 27:35:40 06:15:59 11:57:14
53 जून 2011

21 मंगल कृ ण ष ी कुंभ
आषाढ़ 26:07:44 शतिभषा 29:52:44 वषकुंभ 06:14:18 गर 13:16:10

22 बुध
आषाढ़ कृ ण स मी शतिभषा ीित व कुंभ 25:53:00
28:10:46 05:52:57 06:37:57 15:07:01

23 गु
आषाढ़ कृ ण अ मी 30:28:48 पूवाभा पद 08:34:26 आयु मान 07:21:18 बालव 17:18:29 मीन

24 शु
आषाढ़ कृ ण अ मी 06:29:03 उ राभा पद 11:29:03 सौभा य 08:15:56 कौलव 06:29:03 मीन

25 शिन
आषाढ़ कृ ण नवमी रे वित शोभन गर मीन 14:23:00
08:49:00 14:22:45 09:09:38 08:49:00

26 र व
आषाढ़ कृ ण दशमी 10:59:36 अ नी 17:04:17 अितगंड 09:57:44 व 10:59:36 मेष

27 सोम
आषाढ़ कृ ण एकादशी भरणी सुकमा बालव मेष 25:52:00
12:46:47 19:22:24 10:28:02 12:46:47

28 मंगल कृ ण वृ ष
आषाढ़ ादशी 14:04:54 कृ ितका 21:09:36 धृ ित 10:34:54 तैितल 14:04:54

29 बुध
आषाढ़ कृ ण योदशी 14:47:26 रो ह ण 22:22:07 शूल 10:15:33 व णज 14:47:26 वृ ष

30 गु
आषाढ़ कृ ण चतुदशी 14:53:24 मृ गिशरा 22:59:02 गंड 09:26:13 शकुिन 14:53:24 वृ ष

मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ फ़लदयी यं
है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए फायदे मंद सा बत होता
है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये " ी यं " अ य त फ़लदायी
िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे समाई अ ितय एवं अ यश
मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका जीवन से हताशा और िनराशा दरू होकर वह
मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित
है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का
िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से
स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12
ाम से 75 ाम तक क साइज मे उ ल ध है मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00
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54 जून 2011

जून-2011 मािसक त-पव- यौहार


द वार माह प ितिथ समाि मुख त- योहार

शिन जयंती, वटसा व ी अमाव या (बरगदाह


अमावस) त, नान-दान- ा हे तु उ म ये ी
1 बुध ये कृ ण अमाव या 26:33:04
अमाव या, भावुका अमावस, क र दन, खंड ास
सूय हण, भाई नौरोजी मृ ित दवस

10 दन हे तु गंगा दशहरा- नान ारं भ


2 गु ये शु ल एकम 26:59:07
(दशा मेध घाट, वाराणसी), करवीर त,

नवीन च -दशन, नवतपा समा , यितपात


3 शु ये शु ल तीया 26:57:03
महापात दन 2.40 से शेषरा 5.04 बजे तक

र भा तृ तीया त, लवण तृ तीया, महाराणा ताप


4 शिन ये शु ल तृ तीया 26:27:50
जयंती, छ साल जयंती

वरद वनायक चतुथ त (चं.उ.रा.9.58), उमा


5 रव ये शु ल चतुथ 25:34:15 चतुथ , व पयावरण दवस, पु य न (3.19),
गोलवलकर द,

पु य न (3.5 समा ), ु त पंचमी, महादे व-


6 सोम ये शु ल पंचमी 24:18:12
ववाह (उड़ सा),

अर य ष ी, वं यवािसनी महापूजा, क द
7 मंगल ये शु ल ष ी 22:41:32 (कुमार) ष ी त, जमाई ष ी (बंगाल), शीतला
ष ी (उड़ सा),सा टे ऊँराम पु यितिथ

8 बुध ये शु ल स मी 20:45:13 बड़पूजा (िभ ड),

ीदगा
ु मी त, ीअ नपूणा मी त, धूमावती
9 गु ये शु ल अ मी 18:32:59
महा व ा जयंती, ये ा मी,

ीमहे श नवमी (माहे र समाज), दान


10 शु ये शु ल नवमी 16:07:38
दवस

गंगा दशमी-गंगा दशहरा का मु य नान,


11 शिन ये शु ल दशमी 13:33:52 ह र ार म मेला, सेतुब ध रामे र ित ा दवस,

बटकभै रव जयंती, आचाय ीराम शमा क
55 जून 2011

पु यितिथ

िनजला एकादशी त, भीमसेनी एकादशी, ी


12 रव ये शु ल एकादशी 10:57:19 काशी व नाथ कलशया ा (वाराणसी), मणी
ववाह (उड़ सा), गाय ी जयंती (मता तर से),

च पक ादशी, व म ादशी, यामबाबा


ादशी-
13 सोम ये शु ल 08:19:52 ादशी, मेला खाटू याम, सोम- दोष त,
योदशी
वटसा व ी तारं भ, ऊधम िसंह शह द दवस

छ पित िशवाजी रा यािभषेक दवस, िशवराज


14 मंगल ये शु ल चतुदशी 05:51:47
शक संवत ् 338 ारं भ, च पक चतुदशी

नान-दान- त हे तु उ म ये ी पू णमा,
वटसा व ी पू णमा, दे व- नान पू णमा (बंगाल,
उड़ सा), ब व रा ारं भ, सरयू जयंती, संत
कबीर जयंती, ख ास च हण रा 11.53 से
15 बुध ये शु ल पू णमा 25:44:22
3.33 बजे तक, हण का सूतक दोपहर 2.53
बजे से, िमथुन-सं ा त सायं 4.26 बजे,
सं ा त का पु यकाल सायं 4.26 बजे से
सूया त तक, राजस सं ा त (उड़ सा),

16 गु आषाढ़ कृ ण एकम 24:17:16 -

17 शु आषाढ़ कृ ण तीया 23:23:01 -

महारानी ल मीबाई बिलदान दवस


18 शिन आषाढ़ कृ ण तृ तीया 23:07:13

19 रव आषाढ़ कृ ण चतुथ 23:30:48 संक ी ीगणेश चतुथ त, (चं.उ.रा.9.35)

को कला पंचमी, नाग पूजा, सौराठ ससौला


20 सोम आषाढ़ कृ ण पंचमी 24:31:55
वैवा हक सभा ारं भ

सूय सायन कक म रा 10.48 बजे, सौर वषा


21 मंगल आषाढ़ कृ ण ष ी 26:07:44
ऋतु ारं भ

22 बुध आषाढ़ कृ ण स मी 28:10:46 कामा या दे वी क अ बुवाची वृ

काला मी त, शीतला मी - बसौड़ा,


23 गु आषाढ़ कृ ण अ मी 30:28:48 भलभला मी, बोहरा मी, डा. यामा साद
मुखज मृ ित दवस,
56 जून 2011

24 शु आषाढ़ कृ ण अ मी 06:29:03 -

कामा या दे वी क अ बुवाची िनवृ (असम)


25 शिन आषाढ़ कृ ण नवमी 08:49:00

26 रव आषाढ़ कृ ण दशमी 10:59:36 -

योिगनी एकादशी त, दे वरहा बाबा समािध


27 सोम आषाढ़ कृ ण एकादशी 12:46:47
दवस, मधुमेह जागृ ित दवस

भौम- दोष त, यितपात महापात रा 10.44


28 मंगल आषाढ़ कृ ण ादशी 14:04:54
बजे से

मािसक िशवरा त, यितपात महापात रा


29 बुध आषाढ़ कृ ण योदशी 14:47:26 11.21 बजे तक, सौराठ ससौला वैवा हक सभा
समा ,

30 गु आषाढ़ कृ ण चतुदशी 14:53:24 ा क अमाव या,

मं िस यं
गु व कायालय ारा विभ न कार के यं कोपर ता प , िसलवर (चांद ) ओर गो ड (सोने) मे
विभ न कार क सम या के अनुसार बनवा के मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु कये जाते
है . जसे साधारण (जो पूजा-पाठ नह जानते या नह कसकते) य बना कसी पूजा अचना- विध
वधान वशेष लाभ ा कर सकते है . जस मे िचन यं ो स हत हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाए
गये यं भी समा हत है . इसके अलवा आपक आव यकता अनुशार यं बनवाए जाते है . गु व कायालय
ारा उपल ध कराये गये सभी यं अखं डत एवं २२ गेज शु कोपर(ता प )- 99.99 टच शु िसलवर
(चांद ) एवं 22 केरे ट गो ड (सोने) मे बनवाए जाते है . यं के वषय मे अिधक जानकार के िलये हे तु
स पक करे
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92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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ववाह संबंिधत सम या
57 जून 2011

या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार ा
कर।

िश ा से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण प र म
एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य करवाले और
उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से
जनकार ा कर।

या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं ह?
अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म सफलता ा
कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये गु व कायालत
ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य यु विभ न कार के
य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

योितष संबंिधत वशेष परामश


योित व ान, अंक योितष, वा तु एवं आ या मक ान स संबंिधत वषय म हमारे 30 वष से अिधक वष के
अनुभव के साथ योितस से जुडे नये-नये संशोधन के आधार पर आप अपनी हर सम या के सरल समाधान ा कर
सकते ह।
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ओने स
जो य प ना धारण करने मे असमथ हो उ ह बुध ह के उपर ओने स को धारण करना चा हए।
उ च िश ा ाि हे तु और मरण श के वकास हे तु ओने स र क अंगूठ को दाय हाथ क सबसे छोट
उं गली या लॉकेट बनवा कर गले म धारण कर। ओने स र धारण करने से व ा-बु क ाि हो होकर मरण
श का वकास होता ह।
58 जून 2011

जून 2011 - वशेष योग


काय िस योग
दनांक योग अविध दनांक योग अविध
1 सूय दय से दन-रात 19 जून को रा 12.44 से सूय दय तक
5 दोपहर 3.50 से रातभर 24 दोपहर 11.28 से रातभर
6 सूय दय से दोपहर 3.27 तक 26 सूय दय से सायं 5.04 तक

7 सूय दय से दोपहर 2.43 तक 28 सूय दय से रा 9.08 तक

14 रा 3.41 से सूय दय तक 29 स पूण दन-रात

अमृ त योग
7 सूय दय से दन 2.43 तक 24 दन 11.28 से रातभर

पु कर योग (तीनगुना फल)


13 ात: 5.22 से ात: 5.27 तक 28 सूय दय से दन 2.04 तक

र व-पु यामृ त योग


5 दन 3.50 से रातभर

योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ तीन गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका


गुिलक काल यम काल राहु काल
(शुभ) (अशुभ) (अशुभ)
वार समय अविध समय अविध समय अविध
र ववार 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोमवार 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
मंगलवार 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
बुधवार 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गु वार 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शु वार 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शिनवार 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
59 जून 2011

दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल


07:30 से 09:00 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
09:00 से 10:30 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
10:30 से 12:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
03:00 से 04:30 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
04:30 से 06:00 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल

रात के चौघ डये


समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ


07:30 से 09:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
09:00 से 10:30 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
10:30 से 12:00 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
03:00 से 04:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल
04:30 से 06:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
शा ो मत के अनुशार य द कसी भी काय का ारं भ शुभ मुहू त या शुभ समय पर कया जाये तो काय म सफलता
ा होने क संभावना यादा बल हो जाती ह। इस िलये दै िनक शुभ समय चौघ ड़या दे खकर ा कया जा सकता ह।
नोट: ायः दन और रा के चौघ ड़ये क िगनती मशः सूय दय और सूया त से क जाती ह। येक चौघ ड़ये क अविध 1
घंटा 30 िमिनट अथात डे ढ़ घंटा होती ह। समय के अनुसार चौघ ड़ये को शुभाशुभ तीन भाग म बांटा जाता ह, जो मशः शुभ,
म यम और अशुभ ह।

चौघ डये के वामी ह * हर काय के िलये शुभ/अमृ त/लाभ का


शुभ चौघ डया म यम चौघ डया अशुभ चौघ ड़या चौघ ड़या उ म माना जाता ह।
चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह
शुभ गु चर शु उ ेग सूय * हर काय के िलये चल/काल/रोग/उ े ग
अमृ त चं मा काल शिन का चौघ ड़या उिचत नह ं माना जाता।
लाभ बुध रोग मंगल
60 जून 2011

दन क होरा - सूय दय से सूया त तक


वार 1.घं 2.घं 3.घं 4.घं 5.घं 6.घं 7.घं 8.घं 9.घं 10.घं 11.घं 12.घं

र ववार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन


सोमवार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
मंगलवार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
बुधवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
गु वार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
शु वार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
शिनवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु

रात क होरा – सूया त से सूय दय तक


र ववार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
सोमवार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
मंगलवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु
बुधवार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन
गु वार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
शु वार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
शिनवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
होरा मुहू त को काय िस के िलए पूण फलदायक एवं अचूक माना जाता ह, दन-रात के २४ घंट म शुभ-अशुभ समय
को समय से पूव ात कर अपने काय िस के िलए योग करना चा हये।

व ानो के मत से इ छत काय िस के िलए ह से संबंिधत होरा का चुनाव करने से वशेष लाभ


ा होता ह।
 सूय क होरा सरकार काय के िलये उ म होती ह।
 चं मा क होरा सभी काय के िलये उ म होती ह।
 मंगल क होरा कोट-कचेर के काय के िलये उ म होती ह।
 बुध क होरा व ा-बु अथात पढाई के िलये उ म होती ह।
 गु क होरा धािमक काय एवं ववाह के िलये उ म होती ह।
 शु क होरा या ा के िलये उ म होती ह।
 शिन क होरा धन- य संबंिधत काय के िलये उ म होती ह।
61 जून 2011

ह चलन जून -2011


द Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 01:16:10 01:06:00 00:21:23 01:02:21 00:05:14 00:25:30 05:16:32 07:29:24 01:29:24 11:09:56 10:06:54 08:12:50

2 01:17:07 01:18:34 00:22:07 01:04:18 00:05:26 00:26:43 05:16:31 07:29:23 01:29:23 11:09:58 10:06:54 08:12:49

3 01:18:05 02:01:20 00:22:51 01:06:18 00:05:39 00:27:56 05:16:30 07:29:22 01:29:22 11:09:59 10:06:54 08:12:47

4 01:19:02 02:14:20 00:23:35 01:08:20 00:05:51 00:29:09 05:16:29 07:29:23 01:29:23 11:10:01 10:06:54 08:12:46

5 01:20:00 02:27:34 00:24:19 01:10:23 00:06:03 01:00:22 05:16:28 07:29:23 01:29:23 11:10:03 10:06:54 08:12:45

6 01:20:57 03:11:01 00:25:03 01:12:29 00:06:16 01:01:35 05:16:27 07:29:24 01:29:24 11:10:04 10:06:54 08:12:43

7 01:21:55 03:24:41 00:25:46 01:14:36 00:06:28 01:02:48 05:16:27 07:29:25 01:29:25 11:10:06 10:06:54 08:12:42

8 01:22:52 04:08:33 00:26:30 01:16:44 00:06:40 01:04:01 05:16:26 07:29:25 01:29:25 11:10:07 10:06:53 08:12:41

9 01:23:49 04:22:38 00:27:14 01:18:54 00:06:52 01:05:14 05:16:26 07:29:26 01:29:26 11:10:09 10:06:53 08:12:39

10 01:24:47 05:06:52 00:27:57 01:21:04 00:07:04 01:06:27 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:10 10:06:53 08:12:38

11 01:25:44 05:21:13 00:28:41 01:23:16 00:07:16 01:07:41 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:12 10:06:53 08:12:36

12 01:26:41 06:05:38 00:29:24 01:25:28 00:07:28 01:08:54 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:13 10:06:53 08:12:35

13 01:27:39 06:20:04 01:00:08 01:27:40 00:07:39 01:10:07 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:14 10:06:52 08:12:33

14 01:28:36 07:04:24 01:00:51 01:29:52 00:07:51 01:11:20 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:16 10:06:52 08:12:32

15 01:29:33 07:18:35 01:01:34 02:02:03 00:08:02 01:12:33 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:17 10:06:52 08:12:30

16 02:00:31 08:02:32 01:02:18 02:04:14 00:08:14 01:13:46 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:18 10:06:51 08:12:29

17 02:01:28 08:16:12 01:03:01 02:06:24 00:08:25 01:14:59 05:16:26 07:29:24 01:29:24 11:10:19 10:06:51 08:12:27

18 02:02:25 08:29:32 01:03:44 02:08:34 00:08:36 01:16:12 05:16:26 07:29:24 01:29:24 11:10:20 10:06:50 08:12:26

19 02:03:22 09:12:33 01:04:27 02:10:41 00:08:48 01:17:26 05:16:27 07:29:24 01:29:24 11:10:21 10:06:50 08:12:24

20 02:04:20 09:25:14 01:05:10 02:12:48 00:08:59 01:18:39 05:16:27 07:29:23 01:29:23 11:10:22 10:06:49 08:12:23

21 02:05:17 10:07:38 01:05:53 02:14:53 00:09:10 01:19:52 05:16:28 07:29:23 01:29:23 11:10:23 10:06:49 08:12:21

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24 02:08:09 11:13:42 01:08:02 02:20:56 00:09:42 01:23:32 05:16:31 07:29:22 01:29:22 11:10:26 10:06:47 08:12:17

25 02:09:06 11:25:35 01:08:44 02:22:53 00:09:53 01:24:45 05:16:32 07:29:22 01:29:22 11:10:27 10:06:46 08:12:15

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29 02:12:55 01:14:22 01:11:35 03:00:21 00:10:34 01:29:38 05:16:37 07:29:26 01:29:26 11:10:29 10:06:43 08:12:09

30 02:13:52 01:27:10 01:12:17 03:02:08 00:10:44 02:00:51 05:16:39 07:29:26 01:29:26 11:10:30 10:06:43 08:12:08
62 जून 2011

सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।

उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।

भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दरू करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।

योितष व ा के कुशल जानकर भी काल पु षक गणना कर अनेक रोगो के अनेको रह य को उजागर कर


सकते ह। योितष शा के मा यम से रोग के मूलको पकडने मे सहयोग िमलता ह, जहा आधुिनक िच क सा शा
अ म होजाता ह वहा योितष शा ारा रोग के मूल(जड़) को पकड कर उसका िनदान करना लाभदायक एवं
उपायोगी िस होता ह।
हर य म लाल रं गक कोिशकाए पाइ जाती ह, जसका िनयमीत वकास म ब तर के से होता रहता ह।
जब इन कोिशकाओ के म म प रवतन होता है या वखं डन होता ह तब य के शर र म वा य संबंधी वकारो
उ प न होते ह। एवं इन कोिशकाओ का संबंध नव हो के साथ होता ह। ज से रोगो के होने के कारणा य के
ज मांग से दशा-महादशा एवं हो क गोचर म थती से ा होता ह।

सव रोग िनवारण कवच एवं महामृ युंजय यं के मा यम से य के ज मांग म थत कमजोर एवं पी डत


हो के अशुभ भाव को कम करने का काय सरलता पूव क कया जासकता ह। जेसे हर य को ांड क उजा एवं
पृ वी का गु वाकषण बल भावीत कता ह ठक उसी कार कवच एवं यं के मा यम से ांड क उजा के
सकारा मक भाव से य को सकारा मक उजा ा होती ह ज से रोग के भाव को कम कर रोग मु करने हे तु
सहायता िमलती ह।
रोग िनवारण हे तु महामृ युंजय मं एवं यं का बडा मह व ह। ज से ह द ू सं कृ ित का ायः हर य
महामृ युंजय मं से प रिचत ह।
63 जून 2011

कवच के लाभ :
 एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
 पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
 ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
 कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
 आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
 येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
 जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
 जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।

नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।

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of the natural and spiritual world.
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 Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.

Our Goal
 Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door
step.
64 जून 2011

मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महत
ू म शुभ दन को तैयार कये जाते है . अलग-अलग कवच तैयार करने केिलए अलग-अलग तरह के
मं ो का योग कया जाता है .

 य चुने मं िस कवच?
 उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
 कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
 कोई बुरा भाव नह ं
 कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु

कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700/- ऋण मु कवच - 730/- वरोध नाशक कवचा- 550/-
सवजन वशीकरण कवच - 1050/-* नव ह शांित कवच- 730/- वशीकरण कवच- 550/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच - 1050/- तं र ा कवच- 730/- प ी वशीकरण कवच - 460/-*
आक मक धन ाि कवच-910/- श ु वजय कवच - 640/- * नज़र र ा कवच - 460/-
भूिम लाभ कवच - 910/- पद उ नित कवच- 640/- यापर वृ कवच - 370/-
संतान ाि कवच - 910/- धन ाि कवच- 640/- पित वशीकरण कवच - 370/-*
काय िस कवच - 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच- 640/- दभा
ु य नाशक कवच - 370/-
काम दे व कवच - 820/- म त क पृ वधक कवच- 640/- सर वती कवक - 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच- 550/- सर वती कवक- 280/- क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच - 730/- व न बाधा िनवारण कवच- 550/- वशीकरण कवच - 280/-* 1 य के िलए

*कवच मा शुभ काय या उ े य के िलये


GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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65 जून 2011

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
66 जून 2011

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 190, 280, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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GURUTVA KARYALAY
67 जून 2011

NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
68 जून 2011

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

GURUTVA KARYALAY
Call Us:- 91+9338213418, 91+9238328785.
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com, chintan_n_joshi@yahoo.co.in,
69 जून 2011

सूचना
 प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।

 लेख कािशत होना का मतलब यह कतई नह ं क कायालय या संपादक भी इन वचारो से सहमत ह ।

 ना तक/ अ व ासु य मा पठन साम ी समझ सकते ह।

 प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।

 कािशत लेख योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत होने के कारण


य द कसी के लेख, कसी भी नाम, थान या घटना का कसी के वा त वक जीवन से मेल होता ह तो यह मा
एक संयोग ह।

 कािशत सभी लेख भारितय आ या मक शा से े रत होकर िलये जाते ह। इस कारण इन वषयो क


स यता अथवा ामा णकता पर कसी भी कार क ज मेदार कायालय या संपादक क नह ं ह।

 अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।

 योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत लेखो म पाठक का अपना


व ास होना आव यक ह। कसी भी य वशेष को कसी भी कार से इन वषयो म व ास करने ना करने
का अंितम िनणय वयं का होगा।

 पाठक ारा कसी भी कार क आप ी वीकाय नह ं होगी।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।

 यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हई
ु ह।

 पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।

 अिधक जानकार हे तु आप कायालय म संपक कर सकते ह।

(सभी ववादो केिलये केवल भुवने र यायालय ह मा य होगा।)


70 जून 2011

FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का जून -2011
संपादक

िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग

गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA

फोन

91+9338213418, 91+9238328785
ईमेल
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,

वेब
http://gk.yolasite.com/
http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
71 जून 2011

हमारा उ े य
य आ मय

बंध/ु ब हन

जय गु दे व

जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दलभ
ु मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

सूय क करणे उस घर म वेश करापाती है ।


जीस घर के खड़क दरवाजे खुले ह ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


72 जून 2011

JUN
2011

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