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संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
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ई- ज म प का E HOROSCOPE
अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
उ कृ भ व यवाणी के साथ Excellent Prediction
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हं द / English म मू य मा 750/-
GURUTVA KARYALAY
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3 जून 2011
वशेष लेख
शिनदे व का प रचय 5 शिनदे व क कृ पा ाि के सरल उपाय 28
अनु म
संपादक य 4 दन-रात के चौघ डये 59
मं िस साम ी 44 मं िस कवच 64
मं िस साम ी 57 हमारा उ े य 71
संपादक य
य आ मय
बंधु/ ब हन
जय गु दे व
विभ न सं कृ ित म शिनदे व को अकपु , सौ र, भा क र, यम, आ क, छाया सुत, तर णतनय, कोण, नील,
आिसत, फारसी व अरबी म जुदल
ु , केदवान, हहल
ु तथा अं ेजी म सैटन आ द नाम से जना जाता ह। शिन ह
सौरमंडल म सूय क प र मा करने वाला छठा ह है ।
वेद-पुराण के अनुसार शिनदे व सूय दे व क दसर
ू प ी दे वीछाया के पु है, और इसका वण यामल है । एक बार
शिनदे व के याम वण दे खकर सूय ने उसे अपना पु मानने से इनकार कर दया। अपने ित पता के इस यवहार
को दे खकर शिन क भावनाओं को ठे स लगी जसके प रणाम व प वह अपने पता सूय से श ुभाव रखने लगे।
पवन पु ी हनुमान वहां पहंु चे और शिन को रावण क कैद से मु कराया। इसी उपकार के बदले शिनदे व ने
हनुमानजी को वचब दया क जो भी आपक आराधना करे गा, म अपनी साढे साती, ढै या, दशा-महादशा से उसक सवदा
र ा क ं गा।
इसी िलये ी हनुमानजी के भ के िलए शुभ फलदायक होते ह शिनदे व ी हनुमान ने शिन को क से मु
कराकर उसक र ा कथी इसीिलए वह भी ी हनुमान क उपासना करने वाल के क को दरू कर उनके हत क
र ा करता है । शिन से उ प न क के िनवारण हे तु ी हनुमान को अिधक से अिधक स न कया जाए। इससे न
केवल शिन से उ प न दोष का िनवारण होता है , ब क सूय व मंगल के साथ शिन क श ुता व योग के कारण
उ प न सारे क भी दरू हो जाते ह।
शिन दे व ह येक जीव के आयु के कारक ह, आयु वृ करने वाले ह भी शिनदे व ह, आयुष योग म शिन
का थान मह वपूण है क तु शुभ थित म होने पर शिन आयु वृ करते ह तो अशुभ थित म होने पर आयु का
हरण कर लेते ह।
शिनदे व ल बी बमार के भी मुख कारक ह ह अतः जो य ल बे समय से बमार से पी डत ह। रोग,
क , िनधनता आ द उनका पीछा नह ं छोड रहे हो उ ह शिनदे व क उपासना अव य करनी चा हये।
शिनदे व के स न होने से य को िनरोगी काया व दःख
ु द र ता से मु िमलती ह व दधायु क ाि
होती ह।
िचंतन जोशी
5 जून 2011
शिनदे व का प रचय
िचंतन जोशी, व तके.ऎन.जोशी.
पद: ा
रं ग: काला
त व: वायु
जाित: शू
कृ ित: तामिसक
ववरण: ीण और ल बा शर र, गहर पीली आँख, वात,
बड़े दांत, अकम य, लंगड़ापन, मोटे बाल .
धातु: नायु
िनवास: मिलन जमीन
समय अविध: साल
वाद: कसैले
मजबूत दशा: प म
पेड़: पीपल, बांबी
कपड़े : काले, नीले, बहु रं ग का व
मौसम: िसिशर Sishira
पदाथ: धातु, शिन के छ ले
शिन ह शिन ह के चार ओर कई उप ह छ ले ह। यह
शिन सौरम डल के एक सद य ह है । यह छ ले बहत
ु ह पतले होते ह। हालां क यह छ ले चौड़ाई
सूरज से छठे थान पर है और सौर मंडल म बृ ह पित म २५०,००० कलोमीटर है ले कन यह मोटाई म एक
के बाद सबसे बड़ा ह ह। इसके क ीय प र मण का कलोमीटर से भी कम ह। इन छ ल के कण मु यत:
पथ १४,२९,४०,००० कलोमीटर है । शिन ह क खोज बफ और बफ से ढ़के पथर ले पदाथ से बने ह। नये
ाचीन काल म ह हो गई थी। ले कन वै ािनक ी वै ािनक शोध के अनुशार शिन ह के छ ले ४-५ अरब
कोण से गैलीिलयो गैिलली ने सन ् १६१० म दरबीन
ू क वष पहले बने ह जस समय सौर णाली अपनी िनमाण
सहायता से इस ह को खोजा था। शिन ह क रचना अव था म ह थी। पहले ऐसा माना जाता था क ये
७५% हाइ ोजन और २५% ह िलयम से हई
ु है । जल, छ ले डायनासौर युग म अ त व म आए थे। अमे रका
िमथेन,अमोिनया और प थर यहाँ बहत
ु कम मा ा म पाए म वै ािनक ने म पाया क शिन ह के छ ले दस
जाते ह। सौर म डल म चार ह को गैस दानव कहा करोड़ साल पहले बनने के बजाय उस समय अ त व म
जाता है , य क इनम िमटट -प थर क बजाय आए जब सौर णाली अपनी शैशवाव था म थी। १९७०
अिधकतर गैस है और इनका आकार बहत
ु ह वशाल है । के दशक म वै ािनक यह मानने लगे थे क शिन ह के
शिन इनमे से एक है - बाक तीन बृ ह पित, छ ले काफ युवा ह और संभवत: यह कसी धूमकेतु के
अ ण(युरेनस) और व ण (नॅ टयून) ह। बड़े चं मा से टकराने के कारण पैदा हए
ु ह। कुछ
6 जून 2011
ह के यायाधीश मंडल का धान यायाधीश कहा गया शंगवश सूय दे व ने अपनी प ी अथात शिनदे व क मां
तैयार हो गये। शिनदे व को सूय दे व का ऐसा यवहार पूव कृ त कम के फल भोग को भी अपने अनु प बनाने
सहन न हआ।
ु उनके मन म सूय से भी अिधक म स म हो सकता ह।
श शाली बनने क इ छा जागृ त हई।
ु शिनदे व ने बना योितषीय व ेषण के अनुशार बताये गये उपाय
कसी संकोच सूय से ह अपनी श ाि के उपाय पूछने अपना कर ितकूल प र थितय को अपने अनुकूल
लगे। बनाया जा सकता है । योितष व ा से मनु य अपने
सूय दे व ने सुना क शिन उनसे भ व य के वषय म जानकार ा
अिधक श शाली होना चाहता है , शिन का उपर कर अपने क य ारा ितकूल
सुनते ह उ ह बड़ स नता हई।
ु सब थितय को अपने अनुकूल बनाने के
सूय दे व ने शिन को काशी म जाकर कटे ला(एमेिथ ट) िलए मागदशन ा कर सकता ह।
भगवान िशव का पािथविलंग बनाकर संपूण चराचर जगत ई रय
पूजन व अिभषेक करने का आदे श श य के संक प से सृ जन हवा
ु ह।
दया। शिनदे व काशी म आकर पािथव उसी ई रय श य क इ छानुसार
िशविलंग बनाकर उपासना म िलन हो नव ह को व के सम त जड़-
गये। िशवजी ने उनक उपासना से चेतन को िनयं त व अनुशािसत करने
स न होकर वरदान मांगने को कहां। का काय दया गया है । मानव समेत
शिन ने िशवजी से दो वरदान मांगे। सम त जीवो को िमलने वाले सुख-दख
ु
एक यह क म अपने पता से भी ह के शुभ-अशुभ भावो ारा ह
अिधक श शाली बनूं और दसरा
ू यह Amethyst दान कये जाते ह। ले कन हो के
क पता से सात गुना दरू पर सात Katela शुभ-अशुभ भाव म कसी य या
उप ह से िघरा हआ
ु मेरा मंडल हो। Amethyst- 5.25" Rs. 550 जीव वशेष से इन हो का कोई
Amethyst- 6.25" Rs. 640
िशवजी ने तथा तु कह उ ह वरदान दे Amethyst- 7.25" Rs. 730 प पात नह ं होता, यो क कसी भी
दया। Amethyst- 8.25" Rs. 820
य या जीव को िमलने वाले सुख-
Amethyst- 9.25" Rs. 910
योितषशा म अंत र , Amethyst - 10.25" Rs.1050 दख
ु उस जीव ारा कये गय कम ह
** All Weight In Rati
वरान थान , मसान , बीहड़ वन, होते ह।
* उपयो वजन और मू य से अिधक
ांतर , दगम
ु -घा टय , पवत , गुफाओं, और कम वजन और मू य का नीलम जीव वशेष के कम के कारक
खदान व जन शू य आकाश-पाताल उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। ह शिनदे व होने क वजह से उनक
के रह यपूण- थल आ द को शिनदे व GURUTVA KARYALAY यमाण कम के संपादन म मुख
Call Us:
के अिधकार े माना गया है । भूिमका होती है । जीव के ारा कये
91 + 9338213418,
शिनदे व के अिधकार े म केवल 91 + 9238328785, गये कम से कसी कम का फल कब
रह यमय व गु ान के उपरांत और कस कार भोगना है , इसका
कम े म, सतत ् चे ा, म, सेवा -लाचार, वकलांग , िनधारण नव ह ारा ह होता ह।
रोगी व वृ द क सहायता आ द भी आते ह। सभी जीव के शुभ-अशुभ कम का फल दान
शिनदे व कम के कारक ह होने क वजह से करने म शिनदे व द डािधकार यायाधीश के प म काय
मनु य को यमाण कम का अवलंबन लेकर अपने करते ह। यो क अशुभ कम के िलए द ड दान करते
8 जून 2011
ु
घर प रवार म शांित एवं ब चे को कुसंगती से छडाने हे तु ब चे के नाम से गु व कायालत ारा
शा ो विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं
एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप
वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी
बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।
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11 जून 2011
शिनवार त
व तके.ऎन.जोशी.
िसंहासन पर वराजमान वर द राहु का
धू वण, गदा द आयुध से यु ,
यान करे ।
गृ ासन पर
पु षाकार
शिन यं
वराजमान वकटासन और वर द केतु का यान
करे ।
शिन
ा होता है , इस कारण किलयुग म कोई भी मनु य
पु य न कर पायेगा। पु य के न होने से मनु य क
कृ ित पापमय होगी, इस कारण तु छ वचार करने वाले
मनु य अपने अंश स हत न हो जाएंगे। हे सूतजी! जस
तैितसा यं
तरह थोड़े ह प र म, थोड़े धन से, थोड़े समय म पु य
ा हो, ऐसा कोई उपाय हम लोग को बतलाइए। हे
महामुन,े हमने यह भी सुना है क शिन के कोप से
दे वता भी मु नह ं हो पाते । शिन क ूर ने
भगवान ीगणेश जी का िसर उसके पता के हाथ कटवा
शिन ह से संबंिधत पीडा के
दया। शिन क क को दे ने वाली ह, इसिलए कोई
ऐसा त बताएं, जसे करने से शिनदे व स न हो। िनवारण हे तु वशेष लाभकार यं ।
सूतजी बोले- हे मुिन े तुम ध य हो। तु ह ं मू य: 550 से 8200
वै णव म अ ग य हो, य क सब ा णय का हत
चाहते हो। म आपसे उ म त को कहता हंू । यान दे कर
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सुन- इसके करने से भगवान शंकर स न होते है और 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR
शिन ह के क ा नह ं होते। PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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हे ऋ षयो! युिध र आ द पांडव जब वनवास म
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अनेक क भोग रहे थे, उस समय उनके य सखा gurutva_karyalay@yahoo.in,
ीकृ ण उनके पास पहंु चे। युिध र ने ीकृ ण का बहत
ु Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and
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आदर कया और सुंदर आसन पर बैठाया। ीकृ ण बोले-
14 जून 2011
पूछ है । आपसे एक उ म त कहता हंू , सुनो। जो ा णी ने राजकुमार धमगु को अपने साथ ले िलया
मनु य भ और ायु होकर शिनवार के दन और नगर को छोड़कर चल द ।
भगवान शंकर का त करते ह, उ ह शिन क ह दशा गर ब ा णी दोन कुमारो का बहत
ु क ठनाई से
मे कोई क नह ं होता। उनको िनधनता नह ं सताती िनवाह कर पाती थी। कभी कसी शहर म और कभी
तथा इस लोक म अनेक कार के सुख को भोगकर अंत कसी नगर म दोन कुमार को िलए घूमती रहती थी।
म िशवलोक क ाि होती है । युिध र बोले- हे भु! एक दन वह ा णी जब दोन कुमार को िलए एक
सबसे पहले यह त कसने कया था, कृ पा करके इसे नगर से दसरे
ु नगर जा रह थी क उसे माग म मह ष
व तारपूव क कह तथा इसक विध भी बतलाएं। शां ड य के दशन हए।
ु ा णी ने दोन बालक के साथ
भगवान ीकृ ण बोले- राजन! शिनवार के दन, मुिन के चरण मे णाम कया और बोली- मह ष! म
वशेषकर ावण मास म शिनवार के दन लौहिनिमत आज आपके दशन कर कृ ताथ हो गई। यह मेरे दोन
ितमा को पंचामृ त से नान कराकर, अनेक कार के कुमार आपक शरण है , आप इनक र ा कर। मुिनवर!
गंध, अ ांग, धूप, फल, उ म कार के नैवे आ द से यह शुिच त मेरा पु है और यह धमगु राजपु है और
पूजन करे , शिन के दस नाम का उ चारण करे । ितल, मेरा धमपु है । हम घोर दा र य म ह, आप हमारा उ ार
जौ, उड़द, गुड़, लोहा, नीले व का दान करे । फर क जए। मुिन शां ड य ने ा णी क सब बात सुनी और
भगवान शंकर का विधपूव क पूजन कर आरती- ाथना बोले-दे वी! तु हारे ऊपर शिन का कोप है , अतः आप
करे - हे भोलेनाथ! म आपक शरण हंू , आप मेरे ऊपर शिनवार के दन त करके भोले शंकर क आराधना
कृ पा कर। मेर र ा कर। कया करो, इससे तु हारा क याण होगा।
हे युिध र! पहले शिनवार को उड़द का भात, ा णी और दोन कुमार मुिन को णाम कर
दसरे
ू को केवल खीर, तीसरे को खजला, चौथे को पू रय िशव मं दर के िलए चल दए। दोन कुमार ने ा णी
का भोग लगावे। त क समाि पर यथाश ा ण स हत मुिन के उपदे श के अनुसार शिनवार का त कया
भोजन करावे। इस कार करने से सभी अिन , क , तथा िशवजी का पूजन कया। दोन कुमार को यह त
आिध या दय का सवथा नाश होता है । शिन, राहु, केते करते-करते चार मास यतीत हो गए। एक दन शुिच त
से ा होने वाले दोष दरू होते ह और अनेक कार के नान करने के िलए गया। उसके साथ राजकुमार नह ं
सुख-साधन एवं पु -पौ ा द का सुख ा होता ह। था। क चड़ म उसे एक बहत
ु बड़ा कलश दखाई दया।
शुिच त ने उसको उठाया और दे खा तो उसम धन था।
सबसे पूव जसने इस त को कया था, उसका इितहास शुिच त उस कलश को लेकर घर आया और मां से
भी सुनो- बोला- हे मां! िशवजी ने इस कलश के प म धन दया
पूव काल म इस पृ वी पर एक राजा रा य करता है ।
था। राजाने अपने श ुओं को अपने वश म कर िलया। माता ने आदे श दया- बेटा! तुम दोन इसको बांट
दै व गित से राजा और राजकुमार पर शिन क दशा आई। लो। मां का वचन सुनकर शुिच त बहत
ु ह स न हआ
ु
राजा को उसके श ुओं ने मार दया। राजकुमार भी और धमगु से बोला- भैया! अपना ह सा ले लो। परं तु
बेसहारा हो गया। राजगु को भी बै रय ने मार दया। िशवभ राजकुमार धमगु ने कहा-मां! म हसा लेना
उसक वधवा ा णी तथा उसका पु शुिच त रह गया। नह ं चाहता, य क जो कोई अपने सुकृत से कुछ भी
15 जून 2011
क या क आ ा पाकर चली गई और वह सुंदर गंधव गंधवराज ने दोन कुमार का अिभवादन कया और दोन
को सुंदर आसन पर बठाकर राजकुमार से कहा
क या राजकुमार पर गड़ाकर बैठ गई। उसे अकेला
राजकुमार! म परस कैलाश पर गौर शंकर के दशन
दे खकर राजकुमार भी उसके पास चला आया।
करने गया था। वहां क णा पी सुधा के सागर भोले
राजकुमार को दे खकर गंधव क या उठ और बैठने
शंकरजी महाराज ने मुझे अपने पास बुलाकर कहा-
के िलए कमल-प का आसन दया। राजकुमार आसन
गंधवराज! पृ वी पर धमगु नाम का राज राजकुमार
पर बैठ गया। गंधव क या ने पूछा- आप कौन है ? कस
है ।
दे श के रहने वाले ह तथा आपका आगमन कैसे हआ
ु है ? उसके प रवार के लोग को श ुओं ने समा कर
राजकुमार ने कहा- म वदभ दे श के राजा का पु हंू , दया है । वह बालक गु के कहने से शिनवार का त
मेरा नाम धमगु है । मेरे माता- पता वगलोक िसधार करता है और सदा मेर सेवा म लगा रहता है । तुम
चुके ह। श ुओं ने मेरा रा य छ न िलया है । म राजगु उसक सहायता करो, जससे वह अपने श ुओं पर वजय
क पत ्नी के साथ रहता हंू , वह मेर धम माता ह। ा कर सके।
आपका आगमन हआ
ु है ?
16 जून 2011
संपक कर:
GURUTVA KARYALAY
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17 जून 2011
शिन दोष त का मह व
िचंतन जोशी
सनातन धम म दोष त का वशेष मह व माना
जाता ह। येक माह के शु ल और कृ ण दोन प के शिन दोष के दन शिन क कारक व तुओं जैसे
तेरहव दन अथात योदशी को दोष त कहाजाता ह। लोहा, तैल, काले ितल, काली उड़द, कोयला और क बल आ द
जाता ह। दोष त के दन भगवान िशव और माता पावती जाकर तैल का दया जलाता है तथा उपवास करता है ,
इ छाओं क पूित करने वाला ह। संतान क कामना रखने वाले द प को शिन दोष त
अव य करना चा हए। शा ो म शिन दोष त शी ह
एसी धािमक मा यता ह क दोष के दन भगवान िशव के
कसी भी प का दशन करने मा से य क सार संतान दे ने वाला माना गया ह।
िचंतन जोशी
“ॐ ऐं ं ीं शनै राय नमः” इस मं का जप कसी भी तरह का साबुन या तेल का योग नह ं
ित दन १०८ बार करने से लाभ ा होता ह। कर। इस जल को शर र पर डालने से पूव साबुन
ी िशविलंग पर ताँबे का सप (नाग) चढ़ाने से शिन आ द लगले व शु पाने से झाग को साफ करने के
साढे साती का अशुभता म कमी आती ह। प यात औषिध िमले जल से नान कया जा सकता
ह।
आक के पौधे पर सात शिनवार तक लोहे क सात
क ल चढ़ाने से लाभ ा होता ह। शिनवार के दन शिन से संबं दत व तुएं जेसे काले
उड़द, तेल, काले ितल, लोहे से बनी व तु, याम व
कसी मं दर म काले रं ग क व तुएं एवं सात बादाम
आ द का दान दे ने से शिन पीड़ा का शमन होता ह।
सात शिनवार तक लगातार दान करने से शिन क
साढे साती म शिन से संबंिधत क दरू होते ह। एक सूखा ना रयल लेकर उसम चाकू या कल से
छोटा सा गोल छे द बना ल। इस छे द म ना रयल म
हनुमान क पूजा-अचना करने से हनुमानजी क
आटे का बूरा, बादाम, काजू, कशिमश, प ता, अखरोट
ितमा को िसंदरू व तेल चढाने से लाभ ा होता ह।
या छुआरा िमलाकर ना रयल म भर। ना रयल को
शिनवार का त करने से भी शिन के अशुभ भवो पुनः ब द कर कसी पीपल के पास भूिम के अ दर
म कमी आित ह। इस कार गाड़ द क ची टयां आसानी से तलाश ल,
शिनवार को कसी हनुमान जी क ितमा को िसंदरू, क तु अ य जानवर न पा सक। घर लौटकर हाथ-पैर
चमेली का तेल, चांद के वक का चोला चढ़ाए। धोकर घर म वेश कर। इस कार ८ शिनवार तक
हनुमानजी को जनेऊ, लाल फूल क माला, ल डु तथा यह या स प न करने से शिन पीडाका शमन होता
पान अपण करने से साढ़े साती से संबंिधत क ो से ह।
छुटकारा िमलता ह। िशविलंग पर क चा दध चढाते हए
ू ु “अमोघ िशव
स धान अथात सात कार के अ न का दान करने कवच“ का पाठ करने से शिन पीडा शांत होती ह।
से व शिनवार को ातः पीपल का पूजन कर पीपल येक शिनवार को मछिलय को जौ के आटे से बनी
के मूल म जल अपण करने से भी वशेष लाभ ा गोिलयाँ खाने को डालने से लाभ ा होता ह।
होता ह।
ित दन शिन व पंजर कवच , दशरथ-कृ त-शिन- तो
नान करते समय लाजव ती, ल ग, लोबान, चौलाई, अथवा शनै र तवराजः का िनयिमत पाठ करने से
काला ितल, गौर, काली िमच, मंगरै ला, कु थी, गौमू लाभ ा होता ह।
आ द म से पांच या सात या उ से से अिधक व तु
भोजन करने से पूव परोसी गयी थाली म से एक
जो भी ा हो उसका चूण बना कर को जल म
ास िनकालकर काले कु े को खलाएँ अथवा शिनवार
िमलाकर द ण दशा क और मुख कर के खड़े
को शाम के समय उड़द क दाल के पकौडे व इमरती
होकर नान कर। इस जल से नान करने के प ात ्
कु े को खलाए।
19 जून 2011
शिनवार के दन काले कपड़े म जौ, ना रयल, लोहे क शिन एवं शिन-भाया- तो का िन य तीन पाठ करने
चौकोर शीट, काले ितल, क चे कोयले व काले चने को से ‘शिन- ह′ क पीड़ा िन य क दरू होती है ।
पोटली म बांधकर बहते हए
ु पानी म डालना लाभ द शिन-भाया- तो
होता ह।
यः पुरा रा य- ाय, नलाय ददो कल।
काली गाय व काले कु े को तेल से चुपड़ रोट , चने व ने शौ रः वयं, म ं सव-काम-फल- दम॥्१॥
क दाल व गुड खलाना लाभ द रहता है । ोडं नीला जन- यं, नील-जीमूत-स नभम।्
वट वृ को दध
ू म शहद व गुड़ को िमलाकर सींचने छाया-मात ड-स भूत,ं नम यािम शनै रम॥्२॥
से लाभ होता ह। ॐ नमोऽक-पु ाय शनै राय, नीहार-वणा जन-नीलकाय।
शिनवार, अमाव या आ द वशेष दन पर ‘शिन- मृ वा रह यं भु व मानुष वे, फल- दो मेभव सूय-पु ॥३॥
क माला मूित पर चढ़ाएँ। एक या आधा च मच तेल शनै राय ू राय, िस -बु दाियने॥४॥
पढाई से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण
प र म एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य
करवाले और उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के
बार म व तार से जनकार ा कर।
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20 जून 2011
ी शिन चालीसा
दोह हर च नृ प ना र बकानी। आपहु भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा िसरानी। भूजी मीन कूद गई पानी॥
जय गणेश िग रजा सुवन, मंगल करण कृ पाल।
ी शंकर ह गहयो जब जाई। पावती को सती कराई॥
द नन के दख
ु दरू क र,। क जै नाथ िनहाल॥
तिनक वलोकत ह क र र सा। नभ ठ ड गयो गौ रसुत सीसा॥
जय जय ी शिनदे व भु, सुनहु वनय महाराज।
पा डव पर भै दशा तु हार । बची ौपद होित उघार ॥
करहु कृ पा हे रव तनय, राखहु जन क लाज॥
कौरव के भी गित मारयो। यु महाभारत क र डारयो॥
जयित जयित शिनदे व दयाला। करत यदा भ न ितपाला॥ र व कहं मुख महं ध र त काला। लेकर कू द परयो पाताला॥
चा र भुजा, तनु याम वराजै। माथे रतन मुकुट छ व छाजै॥ शेष दे व-ल ख वनती लाई। र व को मुख ते दयो छुड़ई॥
वाहन भु के सात सुजाना। जग द ज गदभ मृग वाना॥
परम वशाल मनोहर भाला। टे ढ़ भृकु ट वकराला। ज बुक िसंह आ द नखधार । सो फल ज योितष कहत पुकार ॥
कु डल वण चमाचम चमके। हये माल मु त म ण दमके॥ गज वाहन ल मी गृ ह आवै। हय ते सुख स प उपजाव॥
कर म गदा शुल कुठारा। पल वच कर आ र हं संहारा॥ गदभ हािन करै बहु न कर डारै । मृग दे क ण संहारै ॥
पंगल, कृ ण , छाया, न दन। यम कोण थ, रौ , दःखभं
ु जन॥ जब आव हं भु वान सवार । चोर आ द होय डर भार ॥
सौर , म द, शिन दशनामा। भानु पु पूज हं सब कामा। तैस ह चा र चरण यह नामा। वण लौह चांजी अ तामा॥
जा पर भु स न है जाह ं। रकंहंु राव करै ण माह ं॥ लौह चरण पर जब भु आव। धन जन स प न करावै॥
पवतहू तृण होई िनहारत। तृणहू को पवत क र डारत॥ समता ता रजत शुभकार । वण सव सुख मंगल कार ॥
राज िमलत बन राम हं द हो। कैकेइहंु क मित ह र ली ह ॥ जो यह शिन च र िनत गावै। कबहु न दशा िनकृ समावै॥
बनहंू म मृग कपट दखाई। मातु जानक गई चतुराई॥ अदभुत नाथ दखाव लीला। करै श ु के निश बिल ढ ला॥
लखन हं श वकल क र डारा। मिचंगा दल म हाहाकारा॥ जो प डत सुयो य बुलवाई। विधवत शिन ह शांित कराई॥
रावण क गित मित बौराई। रामच स बैर बढ़ाई॥ पीपल जल शिन दवस चढ़ावत। द प दान दे बहु सुख पावत॥
दयो क ट क र कंचन लंका। ब ज बजरं ग बीर क डांका॥ कहत रामसु दर भु दासा। शिन सुिमरत सुख होत काश॥
नृ प व म पर तु ह पगु धारा। िच मयूर िनगिल गै हारा॥ दोहा
हार नौलाखा ला यो चोर । हाथ पैर डरवायो तोर ॥
पाठ शिनचर देव को क वमल तैयार।
भार दशा िनकृ दखायो। तेिल हं घर को हू चनवायो॥
करत पाठ चािलस दन हो भवसागर पार॥
वनय राग द पक महं क ह । तब स न भु हवै सुख द ह ॥
सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।
कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के द:ु ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।
सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दसरे
ू य ओ पर भाव बना रहता ह।
सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दरू
होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।
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सामु क शा म शिन रे खा का मह व
िचंतन जोशी
भारतीय सामु क शा भी योितष शा क तरह काय के ित अ यािधक सम पत होते ह जस कारण वह अपने
कई रह यो से भरा हवा
ु महासागर क तरह गहरा है । जसमे गृ ह थ जीवन क परवाह नह ं करते! ले कन उ नत शिन पवत
हाथ का आकार, रे खा, नाखून, हथेली का रं ग एवं हथेली पर होने के कारण कभी-कभी य अपने कत य के ित सजग
थत पवत को काफ मह व दया गया है । सामु क शा म और ज मेदार भी होता है । य समय के साथ साथ यादा
य द कसी य क हथेली म शिन पवत नह होता है यह य के आलसी, िनधन होने के ल ण होते ह। एसे य
नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने
पर यह नवर ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट
के प म धारण करने से य को अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा
आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को ी यं के साथ लगाने से ह क
अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के कारण यं पव
रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त
से उ म कोई औषिध नह ं, उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म
नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ
मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।
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24 जून 2011
मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह
अ य त शुभ फ़लदयी यं है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं
संसार के हर य के िलए फायदे मंद सा बत होता है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं "
जस य के घर मे होता है उसके िलये " ी यं " अ य त फ़लदायी िस होता है उसके दशन मा से
अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे समाई अ ितय एवं अ यश मनु य क
सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका जीवन से हताशा और िनराशा दरू
होकर वह मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं उसे जीवन मे सम त
भौितक सुखो क ाि होित है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं
नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर
या यापार के थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से स ब धत परे शािन मे युनता आित है
व सुख-समृ , शांित एवं ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12 ाम से 75 ाम
तक क साइज मे उ ल ध है मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00
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27 जून 2011
उ माद नाम का रोग शिन क दे न है । जब गांठ के प मे आमाशय से बाहर कडा होकर गुदा माग
दमाग म सोचने वचारने क श का नाश हो जाता है । से जब बाहर िनकलता है तो लौह प ड क भांित गुदा
यह पता नह है क वह जो कर रहा है । संसार के लोग लगातार मल का इसी तरह से िनकलने पर पहले से पैदा
को एक लकड से हांकने वाली बात उसके जीवन म सं मण हो जाता है , क कसी कार क ए ट बाय टक
िमलती है । मानव वध करने म नह हचकना। शराब काम नह कर पाती है ।
और मांस का लगातार योग करना। जहां भी रहना ग ठया रोग शिन क ह दे न है । शीलन भरे
आतंक मचाये रहना। जो भी सगे स ब धी ह। उनके थान का िनवास। चोर और डकैती आ द करने वाले
ित हमेशा िच ता दे ते रहना आ द उ माद नाम के रोग लोग अिधकतर इसी तरह का थान चुनते है । िच ताओं
के ल ण है । के कारण एका त बंध जगह पर पडे रहना। अनैितक प
वात रोग का अथ है वायु वाले रोग। जो लोग से संबंध करना। शर र म जतने भी जोड ह। रज या
बना कुछ अ छा खाये पये फ़ूलते चले जाते है । शर र म वीय खिलत होने के समय वे भयंकर प से उ े जत हो
शिन यह रोग दे कर जातक को एक जगह पटक दे ता है । जातक के जोड के अ दर सूजन पैदा होने के बाद जातक
यह रोग लगातार स टा। जुआ। लाटर । घुडदौड और को उठने बैठने और रोज के काम को करने म भयंकर
अ य तुरत पैसा बनाने वाले काम को करने वाले लोग परे शानी उठानी पडती है । इस रोग को दे कर शिन जातक
मे अिधक दे खा जाता है । कसी भी इस तरह के काम को अपने ारा कये गये अिधक वासना के द ु प रणाम
भग दर रोग गुदा मे घाव या न जाने वाले फ़ोडे ह पैदा होता है । अगर लगातार शिन के बीज मं का
के प म होता है । अिधक िच ता करने से यह रोग जाप जातक से करवाया जाय। उडद क दाल का योग
अिधक मा ा म होता दे खा गया है । िच ता करने से जो करवाया जाय। रोट मे चने का योग कया जाय। लोहे
भी खाया जाता है । वह आंत म जमा होता रहता है । के बतन म खाना खाया जाये। तो इस रोग से मु
पचता नह है । और िच ता करने से उवासी लगातार िमल जाती है इन रोग के अलावा पेट के रोग। जंघाओं
कपूर को ना रयल के तेल म डालकर िसर म 16 शिनवार सूया के समय एक पानी वाला
लगाये, शिनवार के दन भोजन म उड़द क दाल ना रयल, 5 बादाम, कुछ द णा शिन मं दर म
मं िस मंगल गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन के
िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और मानिसक श य का
वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त करने हे तु भी मूंगा गणेश क
पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत करने से भगवान गणेश क कृ पा
श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह, ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं
सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह। ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से
भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन
श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर, तूफान, आग,
बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से मु िमलती ह।जो य
उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह। मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने
से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण
होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
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30 जून 2011
शिन के विभ न मं
िचंतन जोशी
शम का अथ पाप नाशक दे वता के प म भी शिन ह पीडा िनवारक मं -
कहा जाता है । 'श' का अथ होता है िसउयपुतरे द दाहो व ाछ : िशव य :।
क याणकार शांित दान करने वाला ह "शिन मं चार: स ना मा पीडा ह तु म शिन:॥
श ते पापंम" अथात शिन ह हमारे पापो का
शमन करता है । हमारे पापो का नाश करता है । क िनवारण शिन मं -
इसिलए इसे शिन कहा गया है । नीला बर: शु धर: कर ट: ग त स ो
धनु मान।
शिन क उपासना के िलए िन न म से कसी एक चतुभुर: सुयसुत: सा त: दा तु मह
मं अथवा एकािधक मं का ानुसार िनयिमत ंदो पगामी॥
एक िन त सं या म जप करना चा हए। जप का
समय सं याकाल अ यािधक लाभदायक होता ह। सुख- िधदायक शिन मं -
कोण थ : पंगलो ब : कृ णो रौ ांत को यम:।
बीज मं -
सौर : शनै ौ मंद पपलादे न सं तुत:॥
ॐ ां ीं सः शनै राय नमः।
वै दक मं -
ॐ शं नो दे वीरिभ य आपो भव तु पीतये।
शिन प ी नाम तुित-
शं योरिभ व तु नः॥
ॐ शं शनैचारय नम:।
पौरा णक मं - ध जनी धािमनी चैव कंकाली कला या।
नीलांजनसमाभासं र वपु ं यमा जम।् कंटक कलह चादय तुरंगी म हषी अजा॥
काल मेण किथतं यास म सम वतम ् । नाऽतः परतरं तो ं शिनतु करं महत ् ।
ातःकाले शुिचभू वा पूजायां च िनशामुखे ।।९६ शा तकं शी फलदं तो मेत मयो दतम ् ।।९९
पठतां नैव द ु े यो या सपा दतो भयम ् । त मा सव य ेन यद छे दा मनो हतम ् ।
ना नतो न जला ायोदशे दे शा तरे ऽथवा ।।९७ कथनीयं महादे व ! नैवाभ य क यिचत ् ।।१००
नाऽकाले मरणं तेषां नाऽपमृ युभयं भवेत ् । ।। इित मात ड-भैरव-त े महाकाल-शिन-मृ यु जय-
आयुव षशतं सा ं भव त िचरजी वनः ।।९८ तो ं स पूण म ् ।।
कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना
करने वाले य के िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर
यं के पूजन से एकािधक ो से धन का ा होकर धन संचय होता ह।
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35 जून 2011
॥ शनै र तवराजः॥
ी गणेशाय नमः || तु ो ः काम पः कामदो र वन दनः |
नारद उवाच || हपीडाहरः शा तो न ेशो हे रः ||१४||
या वा गणपितं राजा धमराजो युिध रः | थरासनः थरगितमहाकायो महाबलः |
धीरः शनै र येमं चकार तवमु मम ||१|| महा भो महाकालः काला मा कालकालकः ||१५||
िशरो म भा क रः पातु भालं छायासुतोऽवतु | आ द यभयदाता च मृ युरा द यनंदनः |
कोटरा ो शौ पातु िश खक ठिनभः ु ती ||२|| शतिभ ु दियता योदिशितिथ यः ||१६||
ाणं मे भीषणः पातु मुखं बिलमुखोऽवतु | ित या मा ितिथगणनो न गणनायकः |
क धौ संवतकः पातु भुजौ मे भयदोऽवतु ||३|| ित या मक तिथगणो
सौ रम दयं पातु नािभं शनै रोऽवतु | योगरािशमु हता
ू मा कता दनपितः भुः ||१७||
हराजः क टं पातु सवतो र वन दनः ||४|| शमीपु प यः याम ैलो याभयदायकः |
पादौ म दगितः पातु कृ णः पा व खलं वपुः | नीलवासाः यािस धुन ला जनचय छ वः ||१८||
र ामेतां पठे न यं सौरे नामबलैयु ताम ् ||५|| सवरोगहरो दे वः िस ो दे वगण तुतः |
सुखी पु ी िचरायु स भवे ना संशयः | अ ो रशतं ना नां सौरे छायासुत य यः ||१९||
सौ रः शनै रः कृ णो नीलो पलिनभः शिनः ||६|| पठे न यं त य पीडा सम ता न यित ुवम ् |
शु कोदरो वशाला ो दिनर
ु यो वभीषणः | कृ वा पूजां पठे म य भ मा यः तवं सदा ||२०||
िश खक ठिनभो नील छाया दयन दनः ||७|| वशेषतः शिन दने पीडा त य वन यित |
काल ः कोटरा ः थूलरोमावलीमुखः | ज मल ने थितवा प गोचरे ू ररािशगे ||२१||
दघ िनमासगा तु शु को घोरो भयानकः ||८|| दशासु च गते सौरे तदा तविममं पठे त ् |
नीलांशुः ोधनो रौ ो द घ म ु ज टाधरः | पूजये ः शिनं भ या शमीपु पा ता बरै ः ||२२||
म दो म दगितः खंजो तृ ः संवतको यमः ||९|| वधाय लोह ितमां नरो दःखा
ु मु यते |
अतृ ः हराजः कराली च सूय पु ो र वः शशी | वाधा याऽ य हाणां च यः पठे य न यित ||२३||
कुजो बुधो गु ः का यो भानुजः िसं हकासुतः ||१०|| भीतो भया मु येत ब ो मु येत ब धनात ् |
केतुदवपितबाहःु कृ ता तो नैऋत तथा | रोगी रोगा मु येत नरः तविममं पठे त ् ||२४||
शशी म कुबेर ईशानः सुर आ मभूः ||११|| पु वा धनवान ् ीमान ् जायते ना संशयः ||२५||
व णुहरो गणपितः कुमारः काम ई रः | नारद उवाच ||
कता हता पालियता रा यभुग ् रा यदायकः ||१२|| तवं िनश य पाथ य य ोऽभू छनै रः |
रा येशो छायासुतः यामला गो धनहता धन दः | द वा रा े वरः कामं शिन ा तदधे तदा ||२६||
ू रकम वधाता च सवकमावरोधकः ||१३|| || इित ी भ व यपुराणे शनै र तवराजः स पूण ः |
36 जून 2011
ुप ् छ दः । । शनै र ी यथ जपे विनयोगः। ऋ षः, अनु ु प ् छ द, शनै रो दे वता, शीं श ः, शूं क लकम ्,
शनै र- ी यथ जपे विनयोगः।। नीला बरो
दशरथ उवाच –
नीलवपुः कर ट गृ थत ासकरो धनु मान ् |
कोणोऽ तको रौ यमोऽथ ब ुः कृ णः शिनः पंगलम दोसौ रः।
चतुभु जः सूय सुतः स नः सदा मम या वरदः शा तः ||१||
िन यं मृ तो यो हरते च पीडां त मै नमः ीर वन दनाय ॥१॥
ा उवाच ||
सुरासुराः कंपु षोरगे ा ग धव व ाधरप नगा ।
शृ णु वमृ षयः सव शिनपीडाहरं महत ् |
पी य त सव वषम थतेन त मैइ नमः ीर वन दनाय ॥२॥ कवचं शिनराज य सौरे रदमनु मम ् ||२||
नरा नरे ाः पशवो मृ गे ा व या ये क टपतंगभृ गाः । कवचं दे वतावासं व पंजरसं कम ् |
पी य त सव वषम थतेन त मैइ नमः ीर वन दनाय॥३॥ शनै र ीितकरं सवसौभा यदायकम ् ||३||
दे शा दगा
ु ण वना ण य सेनािनवेशाः पुरप नािन । ॐ ीशनै रः पातु भालं मे सूय न दनः |
पी य त सव वषम थतेन त मैइ नमः ीर वन दनाय॥४॥ ने े छाया मजः पातु पातु कण यमानुजः ||४||
ितलैय वैमाषगुडा नदानैल हे न नीला बरदानतो वा । नासां वैव वतः पातु मुखं मे भा करः सदा |
न धक ठ मे क ठं भुजौ पातु महाभुजः ||५||
ीणाित म ैिनजवसरे च त मै नमः ीर वन दनाय ॥५॥
क धौ पातु शिन ैव करौ पातु- शुभ दः |
यागकूले यमुनातटे च सर वतीपु यजले गुहायाम ् ।
व ः पातु यम ाता कु ं पा विसत तथा ||६||
यो योिगनां यानगतो प सू म त मैनमः ीर वन दनाय॥६॥
नािभं हपितः पातु म दः पातु क टं तथा |
अ य दे शा वगृ हं व तद यवारे स नरः सुखी यत ् ।
ऊ ममा तकः पातु यमो जानुयुगं तथा ||७||
गृ हा गतो योन पुनः याित त मैनमः ीर वन दनाय॥७॥ पदौ म दगितः पातु सवागं पातु प पलः |
ा वयंभूभु वन य य ाता हर शो हरते पनाक । अंगोपांगािन सवा ण र ेन ् मे सूय न दनः ||८||
एक धाअ ऋ ययजुः साममूित त मै इ येतत ् कवचं द यं पठे त ् सूय सुत य यः |
नमः ीर वन दनाय ॥८॥ न त य जायते पीडा ीतो भवित सूय जः ||९||
श य कं यः यतः भते िन यं सुपु ैः पशुबा धवै । यय- ज म- तीय थो मृ यु थानगतोऽ प वा |
पठे ु सौ यं भु व भोगयु ः ा नोित िनवाणपदं तद ते ॥९॥ कल थो गतो वाऽ प सु ीत तु सदा शिनः ||१०||
अ म थे सूय सुते यये ज म तीयगे
कोण थः प गलो ब ुः कृ णो रौ ोऽ तको यमः ।
|
कवचं पठते िन यं न पीडा जायते विचत ् ||११||
सौ रः शनै रो म दः प पलादे न सं तुतः ॥१०॥
इ येत कवचं द यं सौरे य निमतं पुरा |
एतािन दश नामाअिन ात थाय यः पठे त ् ।
ादशाऽ मज म थदोषा नाशयते सदा |
शनै रकृ ता पीडा न कदािच व यित ॥११॥
ज मल न थतान ् दोषान ् सवा नाशयते भुः ||१२||
॥ इित ी ा डपुराणे ीशनै र तो ं संपूण म ् ॥ || इित ी ा डपुराणे - नारदसंवादे
शिनव पंजरकवचम ् स पूण म ् ||
37 जून 2011
दशरथकृ त-शिन- तो
दशरथकृ त शिन तो याकुलं च जग ृ वा पौर-जानपदा दकम।।
् ४
विनयोगः- ॐ अ य ीशिन- तो -म य क यप ुव त सवलोका भयमेत समागतम।्
ऋ षः, ु प ् छ दः, सौ रदवता, शं बीजम ्, िनः श ः, दे शा नगर ामा भयभीतः समागताः।।५
कृ णवणित क लकम ्, धमाथ-काम-मो ा मक-चतु वध- प छ यतोराजा विस मुखान ् जान।्
पु षाथ-िस यथ जपे विनयोगः। समाधानं कम ाऽ त ूह मे जस मः।।६
कर- यासः- ाजाप ये तु न े त मन ् िभ नेकुतः जाः।
शनै राय अंगु ा यां नमः। म दगतये तजनी यां नमः। अयं योगो सा य -श ा दिभः सुरैः।।७
अधो जाय म यमा यां नमः। कृ णांगाय अनािमका यां तदा स च य मनसा साहसं परमं ययौ।
नमः। शु कोदराय किन का यां नमः। छाया मजाय समाधाय धनु द यं द यायुधसम वतम।।
् ८
करतल-कर-पृ ा यां नमः। रथमा वेगेन गतो न म डलम।्
दया द- यासः- ल योजनं थानं च योप रसं थताम।।
् ९
शनै राय दयाय नमः। म दगतये िशरसे वाहा। रो हणीपृ मासा थतो राजा महाबलः।
अधो जाय िशखायै वष । कृ णांगाय कवचाय हम।
ु ् रथेतुका चने द ये म णर वभू षते।।१०
शु कोदराय ने - याय वौष । छाया मजाय अ ाय फ । हं सवनहयैयु े महाकेतु समु छते।
द ब धनः- द यमानो महार ैः कर टमुकुटो वलैः।।११
“ॐ भूभु वः वः” यराजत तदाकाशे तीये इव भा करः।
पढ़ते हए
ु चार दशाओं म चुटक बजाएं। आकणचापमाकृ य सह ं िनयो जतम।।
् १२
यानः- कृ का तं शिन ा वा दशतांच रो हणीम।्
नील ुितं शूलधरं कर टनं गृ थतं ासकरं धनुध रम।् वा दशरथं चा ेत थौतु भृ कुट मुखः।।१३
चतुभु जं सूय सुतं शा तं व दे सदाभी करं वरे यम।।
् संहारा ं शिन वा सुराऽसुरिनषूदनम।्
अथात ् नीलम के समान का तमान, हाथ म धनुष और ह य च भयात ् सौ र रदं वचनम वीत।।
् १४
शूल धारण करने वाले, मुकुटधार , िग पर वराजमान,
भावाथ: ाचीन काल म रघुवंश म दशरथ नामक िस
श ुओं को भयभीत करने वाले, चार भुजाधार , शा त, वर
च वती राजा हए
ु , जो सात प के वामी थे। उनके
को दे ने वाले, सदा भ के हतकारक, सूय-पु को म
रा यकाल म एक दन योित षय ने शिन को कृ का
णाम करता हँू ।
के अ तम चरण म दे खकर राजा से कहा क अब यह
रघुवंशेषु व यातो राजा दशरथः पुरा। शिन रो हणी का भेदन कर जायेगा। इसको ‘रो हणी-
च वत स व ेयः स द पािधपोऽभवत।।
् १ शकट-भेदन’ कहते ह। यह योग दे वता और असुर दोन
कृ का ते शिनं ा वा दै व ै ा पतो ह सः। ह के िलये भय द होता है तथा इसके प ात ् बारह वष
रो हणीं भेदिय वातु शिनया यित सा तं।।२ का घोर दःखदायी
ु अकाल पड़ता है ।
शकटं भे िम यु ं सुराऽसुरभयंकरम।् योित षय क यह बात म य के साथ राजा ने
ासधा दं तु भ व यित सुदा णम।।
् ३ सुनी, इसके साथ ह नगर और जनपद-वािसय को बहत
ु
एत वा तु त ा यं म िभः सह पािथवः। याकुल दे खा। उस समय नगर और ाम के िनवासी
38 जून 2011
भयभीत होकर राजा से इस वप से र ा क ाथना भावाथ: शिन कहने लगा- ‘ हे राजे ! तु हारे जैसा
करने लगे। अपने जाजन क याकुलता को दे खकर पु षाथ मने कसी म नह ं दे खा, य क दे वता, असुर,
राजा दशरथ विश ऋ ष तथा मुख ा ण से कहने मनु य, िस , व ाधर और सप जाित के जीव मेरे दे खने
लगे- ‘हे ा ण ! इस सम या का कोई समाधान मुझे मा से ह भय- त हो जाते ह। हे राजे ! म
बताइए।’।।१-६ तु हार तप या और पु षाथ से अ य त स न हँू ।
इस पर विश जी कहने लगे- ‘ जापित के इस न अतः हे रघुन दन ! जो तु हार इ छा हो वर मां लो, म
(रो हणी) म य द शिन भेदन होता है तो जाजन सुखी तु ह दं ग
ू ा।।१५-१६।।
कैसे रह सकते ह। इस योग के द ु भाव से तो ा
दशरथ उवाच-
एवं इ ा दक दे वता भी र ा करने म असमथ ह।।७।।
स नोय द मे सौरे ! एक ा तु वरः परः।।१७
व ान के यह वचन सुनकर राजा को ऐसा तीत हआ
ु
रो हणीं भेदिय वा तु न ग त यं कदाचन।्
क य द वे इस संकट क घड़ को न टाल सके तो
स रतः सागरा याव ाव च ाकमे दनी।।१८
उ ह कायर कहा जाएगा। अतः राजा वचार करके
यािचतं तु महासौरे ! नऽ यिम छा यहं ।
साहस बटोरकर द य धनुष तथा द य आयुध से यु
एवम तुशिन ो ं वरल वा तु शा तम।।
् १९
होकर रथ को ती गित से चलाते हए
ु च मा से भी
ा यैवं तु वरं राजा कृ तकृ योऽभव दा।
तीन लाख योजन ऊपर न म डल म ले गए।
पुनरे वाऽ वी ु ो वरं वरम ् सु त ! ।।२०
म णय तथा र से सुशोिभत वण-िनिमत रथ म बैठे
भावाथ: दशरथ ने कहा- हे सूय-पु शिन-दे व ! य द
हए
ु महाबली राजा ने रो हणी के पीछे आकर रथ को
आप मुझ पर स न ह तो म केवल एक ह वर मांगता
रोक दया।
हँू क जब तक न दयां, सागर, च मा, सूय और पृ वी
सफेद घोड़ से यु और ऊँची-ऊँची वजाओं से
इस संसार म है , तब तक आप रो हणी शकट भेदन
सुशोिभत मुकुट म जड़े हए
ु बहमु
ु य र से काशमान
कदा प न कर। म केवल यह वर मांगता हँू और मेर
राजा दशरथ उस समय आकाश म दसरे
ू सूय क भांित
कोई इ छा नह ं है ।’
चमक रहे थे। शिन को कृ का न के प ात ् रो हनी
तब शिन ने ‘एवम तु’ कहकर वर दे दया। इस कार
न म वेश का इ छुक दे खकर राजा दशरथ बाण
शिन से वर ा करके राजा अपने को ध य समझने
यु धनुष कान तक खींचकर भृ कु टयां तानकर शिन
लगा। तब शिन ने कहा- ‘म पुमसे परम स न हँू , तुम
के सामने डटकर खड़े हो गए।
और भी वर मांग लो।।१७-२०
अपने सामने दे व-असुर के संहारक अ से यु
दशरथ को खड़ा दे खकर शिन थोड़ा डर गया और हं सते
ाथयामास ा मा वरम यं शिनं तदा।
हए
ु राजा से कहने लगा।।८-१४
नभे यं न भे यं वया भा करन दन।।२१
ादशा दं तु दिभ
ु ं न कत यं कदाचन।
शिन उवाच-
क ितरषामद या च ैलो ये तु भ व यित।।२२
पौ षं तव राजे ! मया ं न क यिचत।्
एवं वरं तु स ा य रोमा स पािथवः।
दे वासुरामनु याशऽच िस - व ाधरोरगाः।।१५
रथोप रधनुः था यभू वा चैव कृ ता जिलः।।२३
मया वलो कताः सवभयं ग छ त त णात।्
या वा सर वती दे वीं गणनाथं वनायकम।्
तु ोऽहं तव राजे ! तपसापौ षेण च।।१६
राजा दशरथः तो ं सौरे रदमथाऽकरोत।।
् २४
वरं ूह दा यािम वे छया रघुन दनः !
39 जून 2011
राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग
से धन लाभ होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती
थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन सुखमय यतीत हो सके
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43 जून 2011
व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं
आज के आधुिनक युग म िश ा ाि जीवन क मह वपूण आव यकताओं म से एक है । ह द ू धम म व ाक
अिध ा ी दे वी सर वती को माना जाता ह। इस िलए दे वी सर वती क पूजा-अचना से कृ पा ा करने से बु कुशा एवं
ती होती है ।
आज के सु वकिसत समाज म चार ओर बदलते प रवेश एवं आधुिनकता क दौड म नये-नये खोज एवं
संशोधन के आधारो पर ब चो के बौिधक तर पर अ छे वकास हे तु विभ न पर ा, ितयोिगता एवं ित पधाएं
होती रहती ह, जस म ब चे का बु मान होना अित आव यक हो जाता ह। अ यथा ब चा पर ा, ितयोिगता एवं
ित पधा म पीछड जाता ह, जससे आजके पढे िलखे आधुिनक बु से सुसंप न लोग ब चे को मूख अथवा बु ह न
या अ पबु समझते ह। एसे ब चो को ह न भावना से दे खने लोगो को हमने दे खा ह, आपने भी कई सैकडो बार
अव य दे खा होगा?
ऐसे ब चो क बु को कुशा एवं ती हो, ब चो क बौ क मता और मरण श का वकास हो इस िलए
सर वती कवच अ यंत लाभदायक हो सकता ह।
सर वती कवच को दे वी सर वती के परं म दलभ
ू तेज वी मं ो ारा पूण मं िस और पूण चैत ययु कया जाता
ह। ज से जो ब चे मं जप अथवा पूजा-अचना नह ं कर सकते वह वशेष लाभ ा कर सके और जो ब चे पूजा-
अचना करते ह, उ ह दे वी सर वती क कृ पा शी ा हो इस िलये सर वती कवच अ यंत लाभदायक होता ह।
मं िस प ना गणेश
भगवान ी गणेश बु और िश ा के कारक ह बुध के अिधपित दे वता ह। प ना गणेश बुध के
सकारा मक भाव को बठाता ह एवं नकारा मक भाव को कम करता ह।. प न गणेश के
भाव से यापार और धन म वृ म वृ होती ह। ब चो क पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
प ना गणेश इस के भाव से ब चे क बु कूशा होकर उसके आ म व ास म भी वशेष
वृ होती ह। मानिसक अशांित को कम करने म मदद करता ह, य ारा अवशो षत हर
व करण शांती दान करती ह, य के शार र के तं को िनयं त करती ह। जगर, फेफड़े ,
जीभ, म त क और तं का तं इ या द रोग म सहायक होते ह। क मती प थर मरगज के बने
होते ह।
Rs.550 से Rs.8200 तक
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44 जून 2011
फ टक गणेश
फ टक ऊजा को क त करने म सहायता मानागया ह। इस के भाव से यह य को नकारा मक उजा से बचाता ह
एवं एक उ म गुणव ा वाले फ टक से बनी गणेश ितमा को और अिधक भावी और प व माना जाता ह।
मू य Rs.550 से Rs.8200 तक
तं र ा
कवच को धारण करने से य के उपर कगई सम त तां क बाधाएं दरू होती ह, उसी के साथ ह
धारण कता य पर कसी भी कार क नकार मन श यो का कु भाव नह ं होता। इस कवच के
भाव से इषा- े ष रखने वाले सभी लोगो ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।
मू य मा : Rs.730
श ु वजय कवच
श ु वजय कवच धारण करने से य को श ु से संबंिधत सम त परे शािनओ से वतः ह छुटकारा िमल जाता ह।
कवच के भाव से श ु धारण कता य का चाहकर कुछ नह बगड सकते। मू य मा :Rs: 640
मं िस मूंगा गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन
के िलए अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह।
यो क लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और
मानिसक श य का वकास करने हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त
करने हे तु भी मूंगा गणेश क पूजा लाभ द ह। एसी लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत
करने से भगवान गणेश क कृ पा श चोर , लूट, आग, अक मात से वशेष सुर ा ा होती ह,
ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया जासकता ह।
ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार,
चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला,
चोर, तूफान, आग, बजली से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से
मु िमलती ह।
जो य उपरो लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह।
मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने से यह अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि
होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण होजाता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
45 जून 2011
नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।
अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता
ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज
ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का
वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050
मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर बार-
बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं िस पूण
चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं िनत तर लाभ ा
होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730
मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550
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46 जून 2011
गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दका
ु न-ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती ह
एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का संयु
आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को ऋण
मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए मंगल
यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क कमी,
गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय,
वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550
कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना करने वाले य के
िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक ो से धन का
ा होकर धन संचय होता ह।
मािसक रािश फल
िचंतन जोशी
मेष: 1 से 15 जून 2011: अपने यय पर िनय ण रखने का यास कर और ऋण लेने
से बचे और पुराने ऋण का भुगतान करने का यास करे । फर भी आपको जो खम
वाले काय से बचना चा हये। माता- पता का वा य आपको िचंितत कर सकता ह।
जीवन साथी से सहयोग ा होगा। शुभ समाचार क ाि हो सकती ह। भूिम-भवन से
संबंिधअ मामलो म िचंता रह सकती ह।
कक:
1 से 15 जून 2011: आ म व ास के बल पर अपनी आय म वृ कर सकते ह। मु कल से मु कल काय का हल
िनकालने म आप समथ हो सकते ह। चल-अचल संप या कसी घरे लू मामल म
बदलाव हो सकता है । आपको मानिसक अ थरता का अनुभव हो सकता ह। आ म
व ास से आगे बढते रहने का यास कर। वपर त िलंग के ित आपका अिधक आकषण
रहे गा।
िसंह:
1 से 15 जून 2011: धन स ब धत वषय म अ यािधक यय होने क स भावना है । ऋण स ब धत लेना दे न म
सावधनी रखे। आपके अधीन थ कमचार आपक आ ा का पालन करगे। अपने कम के
सकारा मक और नकारा मक प पर वचार कर काय करना लाभदायक रहे गा। आप
उजा व उ साह क कमी महसूस कर सकते ह इस िलये सकारा मक ी कोण रखे।
16 से 30 जून 2011: पूण प र म एवं महे नत से कये गये काय लाभ द रहे गे।
आिथक े से बाधाओं के योग बने हए
ु ह। रोग से लडने क श आपम अिधक
जागृ त हो सकती ह ज से आपका वा थय अनुकुल बना रहे गा। श ु एवं वरोिध पर
आपका दबदबा बना रहे गा। दरू थ थानो से धन लाभ क संभावनाएं बन सकती है ।
प रवार जनो से असहयोग ा होता महसूस कर सकते ह।
क या:
तुला:
1 से 15 जून 2011: यापा रक साझेदार और िम ो से लेन-दे न म सावधानी बत
धन हानी हो सकती ह और र तो म द ू रया बन सकती ह। प रवार और र तेदार से
संबंधो म सुधार होगा। आपके ारा कये गये धािमक और आ या मक काय िन त
ह उ वल भ व य का संकेत है । इस दौरान भूिम-भवन इ या द म पूं ज िनवेश
लाभदायक हो सकता ह।
वृ क:
1 से 15 जून 2011: यापा रक साझेदार और िम ो से लेन-दे न म सावधानी बत धन
हानी हो सकती ह और र तो म द ू रया बन सकती ह। प रवार और र तेदार से संबंधो
म सुधार होगा। आपके ारा कये गये धािमक और आ या मक काय िन त ह
उ वल भ व य का संकेत है । इस दौरान भूिम-भवन इ या द म पूं ज िनवेश लाभदायक
हो सकता ह।
धनु:
1 से 15 जून 2011: आपके ारा मह व पूण काय हे तु कये गये यास सफल होग।
गलत िनणयो के कारण आिथक प कमजोर हो सकता ह। आपके भौितक सुख-साधनो
म वृ हो सकती ह। अनाव यक कसी से वाद- ववाद करने से बचे अ यथा आपको
हार का सामना एवं अपमानी होना पड सकता ह। दा प य जीवन क सम याओं को दरू
करने का यास करे ।
मकर:
1 से 15 जून 2011: इस अविध म आपको उ म और अनुकूल फल ा हो सकते है ।
उचािधकार आपके मह व को समझगे और आपके गुण क शंसा करगे। आपक
पदो नित क संभावना बन रह है । िम और र तेदार के साथ शांित और स ता
महसूस होगी। भूिम- भवन-वाहन के य- व य से लाभ ा हो सकता ह। गु वरोिध-
श ुओं के कारण आिथक हािन हो सकती है ।
कुंभ:
1 से 15 जून 2011: आप के िलए आिथक ी से लाभदायक रहे गा। इस समय आप
मह वपूण िनणय ले सकते है और नयी प रयोजाना शु कर सकते ह। श ु एवं वरोिध
प के साथ म वाद- ववाद करने से बचे अ यथा आपको हार का सामना पड सकता
ह। या ा करते समय सावधान और सतक रहे । आपको मानिसक अ थरता का अनुभव
हो सकता ह। अ यािधक यय से परे शानी हो सकती ह।
रािश र
मूंगा ह रा प ना मोती माणेक प ना
Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.
तुला रािश: वृ क रािश: धनु रािश: मकर रािश: कुंभ रािश: मीन रािश:
GURUTVA KARYALAY
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52 जून 2011
10 शु शु ल नवमी क या
ये 16:07:38 उ राफा गुनी 10:46:04 िस 08:09:31 कौलव 16:07:38
11 शिन शु ल दशमी क या
ये ह त व रयान गर
20:07:00
13:33:52 09:01:04 25:50:45 13:33:52
12 र व शु ल एकादशी तुला
ये 10:57:19 िच ा 07:12:19 पर ह 22:39:31 व 10:57:19
15 बुध शु ल पू णमा वृ क
ये जे ा सा य व
25:06:00
25:44:22 25:04:59 13:47:11 14:37:48
16 गु
आषाढ़ कृ ण एकम 24:17:16 मूल 24:24:46 शुभ 11:21:58 बालव 12:57:35 धनु
17 शु
आषाढ़ कृ ण तीया 23:23:01 पूवाषाढ़ 24:16:27 शु ल 09:21:08 तैितल 11:46:27 धनु
18 शिन
आषाढ़ कृ ण तृ तीया उ राषाढ़ व णज धनु 06:20:00
23:07:13 24:44:43 07:48:28 11:10:58
19 र व
आषाढ़ कृ ण चतुथ 23:30:48 वण 25:51:26 इ 06:46:44 बव 11:13:56 मकर
20 सोम
आषाढ़ कृ ण पंचमी धिन ा वैध ृ ित कौलव मकर 14:39:00
24:31:55 27:35:40 06:15:59 11:57:14
53 जून 2011
21 मंगल कृ ण ष ी कुंभ
आषाढ़ 26:07:44 शतिभषा 29:52:44 वषकुंभ 06:14:18 गर 13:16:10
22 बुध
आषाढ़ कृ ण स मी शतिभषा ीित व कुंभ 25:53:00
28:10:46 05:52:57 06:37:57 15:07:01
23 गु
आषाढ़ कृ ण अ मी 30:28:48 पूवाभा पद 08:34:26 आयु मान 07:21:18 बालव 17:18:29 मीन
24 शु
आषाढ़ कृ ण अ मी 06:29:03 उ राभा पद 11:29:03 सौभा य 08:15:56 कौलव 06:29:03 मीन
25 शिन
आषाढ़ कृ ण नवमी रे वित शोभन गर मीन 14:23:00
08:49:00 14:22:45 09:09:38 08:49:00
26 र व
आषाढ़ कृ ण दशमी 10:59:36 अ नी 17:04:17 अितगंड 09:57:44 व 10:59:36 मेष
27 सोम
आषाढ़ कृ ण एकादशी भरणी सुकमा बालव मेष 25:52:00
12:46:47 19:22:24 10:28:02 12:46:47
28 मंगल कृ ण वृ ष
आषाढ़ ादशी 14:04:54 कृ ितका 21:09:36 धृ ित 10:34:54 तैितल 14:04:54
29 बुध
आषाढ़ कृ ण योदशी 14:47:26 रो ह ण 22:22:07 शूल 10:15:33 व णज 14:47:26 वृ ष
30 गु
आषाढ़ कृ ण चतुदशी 14:53:24 मृ गिशरा 22:59:02 गंड 09:26:13 शकुिन 14:53:24 वृ ष
मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ फ़लदयी यं
है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए फायदे मंद सा बत होता
है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये " ी यं " अ य त फ़लदायी
िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे समाई अ ितय एवं अ यश
मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका जीवन से हताशा और िनराशा दरू होकर वह
मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित
है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का
िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से
स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12
ाम से 75 ाम तक क साइज मे उ ल ध है मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00
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54 जून 2011
अर य ष ी, वं यवािसनी महापूजा, क द
7 मंगल ये शु ल ष ी 22:41:32 (कुमार) ष ी त, जमाई ष ी (बंगाल), शीतला
ष ी (उड़ सा),सा टे ऊँराम पु यितिथ
ीदगा
ु मी त, ीअ नपूणा मी त, धूमावती
9 गु ये शु ल अ मी 18:32:59
महा व ा जयंती, ये ा मी,
पु यितिथ
नान-दान- त हे तु उ म ये ी पू णमा,
वटसा व ी पू णमा, दे व- नान पू णमा (बंगाल,
उड़ सा), ब व रा ारं भ, सरयू जयंती, संत
कबीर जयंती, ख ास च हण रा 11.53 से
15 बुध ये शु ल पू णमा 25:44:22
3.33 बजे तक, हण का सूतक दोपहर 2.53
बजे से, िमथुन-सं ा त सायं 4.26 बजे,
सं ा त का पु यकाल सायं 4.26 बजे से
सूया त तक, राजस सं ा त (उड़ सा),
24 शु आषाढ़ कृ ण अ मी 06:29:03 -
मं िस यं
गु व कायालय ारा विभ न कार के यं कोपर ता प , िसलवर (चांद ) ओर गो ड (सोने) मे
विभ न कार क सम या के अनुसार बनवा के मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु कये जाते
है . जसे साधारण (जो पूजा-पाठ नह जानते या नह कसकते) य बना कसी पूजा अचना- विध
वधान वशेष लाभ ा कर सकते है . जस मे िचन यं ो स हत हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाए
गये यं भी समा हत है . इसके अलवा आपक आव यकता अनुशार यं बनवाए जाते है . गु व कायालय
ारा उपल ध कराये गये सभी यं अखं डत एवं २२ गेज शु कोपर(ता प )- 99.99 टच शु िसलवर
(चांद ) एवं 22 केरे ट गो ड (सोने) मे बनवाए जाते है . यं के वषय मे अिधक जानकार के िलये हे तु
स पक करे
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ववाह संबंिधत सम या
57 जून 2011
या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार ा
कर।
िश ा से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण प र म
एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य करवाले और
उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से
जनकार ा कर।
या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं ह?
अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म सफलता ा
कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये गु व कायालत
ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य यु विभ न कार के
य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
ओने स
जो य प ना धारण करने मे असमथ हो उ ह बुध ह के उपर ओने स को धारण करना चा हए।
उ च िश ा ाि हे तु और मरण श के वकास हे तु ओने स र क अंगूठ को दाय हाथ क सबसे छोट
उं गली या लॉकेट बनवा कर गले म धारण कर। ओने स र धारण करने से व ा-बु क ाि हो होकर मरण
श का वकास होता ह।
58 जून 2011
अमृ त योग
7 सूय दय से दन 2.43 तक 24 दन 11.28 से रातभर
योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ तीन गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह
दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार
2 01:17:07 01:18:34 00:22:07 01:04:18 00:05:26 00:26:43 05:16:31 07:29:23 01:29:23 11:09:58 10:06:54 08:12:49
3 01:18:05 02:01:20 00:22:51 01:06:18 00:05:39 00:27:56 05:16:30 07:29:22 01:29:22 11:09:59 10:06:54 08:12:47
4 01:19:02 02:14:20 00:23:35 01:08:20 00:05:51 00:29:09 05:16:29 07:29:23 01:29:23 11:10:01 10:06:54 08:12:46
5 01:20:00 02:27:34 00:24:19 01:10:23 00:06:03 01:00:22 05:16:28 07:29:23 01:29:23 11:10:03 10:06:54 08:12:45
6 01:20:57 03:11:01 00:25:03 01:12:29 00:06:16 01:01:35 05:16:27 07:29:24 01:29:24 11:10:04 10:06:54 08:12:43
7 01:21:55 03:24:41 00:25:46 01:14:36 00:06:28 01:02:48 05:16:27 07:29:25 01:29:25 11:10:06 10:06:54 08:12:42
8 01:22:52 04:08:33 00:26:30 01:16:44 00:06:40 01:04:01 05:16:26 07:29:25 01:29:25 11:10:07 10:06:53 08:12:41
9 01:23:49 04:22:38 00:27:14 01:18:54 00:06:52 01:05:14 05:16:26 07:29:26 01:29:26 11:10:09 10:06:53 08:12:39
10 01:24:47 05:06:52 00:27:57 01:21:04 00:07:04 01:06:27 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:10 10:06:53 08:12:38
11 01:25:44 05:21:13 00:28:41 01:23:16 00:07:16 01:07:41 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:12 10:06:53 08:12:36
12 01:26:41 06:05:38 00:29:24 01:25:28 00:07:28 01:08:54 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:13 10:06:53 08:12:35
13 01:27:39 06:20:04 01:00:08 01:27:40 00:07:39 01:10:07 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:14 10:06:52 08:12:33
14 01:28:36 07:04:24 01:00:51 01:29:52 00:07:51 01:11:20 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:16 10:06:52 08:12:32
15 01:29:33 07:18:35 01:01:34 02:02:03 00:08:02 01:12:33 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:17 10:06:52 08:12:30
16 02:00:31 08:02:32 01:02:18 02:04:14 00:08:14 01:13:46 05:16:25 07:29:25 01:29:25 11:10:18 10:06:51 08:12:29
17 02:01:28 08:16:12 01:03:01 02:06:24 00:08:25 01:14:59 05:16:26 07:29:24 01:29:24 11:10:19 10:06:51 08:12:27
18 02:02:25 08:29:32 01:03:44 02:08:34 00:08:36 01:16:12 05:16:26 07:29:24 01:29:24 11:10:20 10:06:50 08:12:26
19 02:03:22 09:12:33 01:04:27 02:10:41 00:08:48 01:17:26 05:16:27 07:29:24 01:29:24 11:10:21 10:06:50 08:12:24
20 02:04:20 09:25:14 01:05:10 02:12:48 00:08:59 01:18:39 05:16:27 07:29:23 01:29:23 11:10:22 10:06:49 08:12:23
21 02:05:17 10:07:38 01:05:53 02:14:53 00:09:10 01:19:52 05:16:28 07:29:23 01:29:23 11:10:23 10:06:49 08:12:21
22 02:06:14 10:19:48 01:06:36 02:16:56 00:09:20 01:21:05 05:16:29 07:29:22 01:29:22 11:10:24 10:06:48 08:12:20
23 02:07:11 11:01:48 01:07:19 02:18:57 00:09:31 01:22:18 05:16:30 07:29:22 01:29:22 11:10:25 10:06:48 08:12:18
24 02:08:09 11:13:42 01:08:02 02:20:56 00:09:42 01:23:32 05:16:31 07:29:22 01:29:22 11:10:26 10:06:47 08:12:17
25 02:09:06 11:25:35 01:08:44 02:22:53 00:09:53 01:24:45 05:16:32 07:29:22 01:29:22 11:10:27 10:06:46 08:12:15
26 02:10:03 00:07:32 01:09:27 02:24:48 00:10:03 01:25:58 05:16:33 07:29:23 01:29:23 11:10:27 10:06:46 08:12:14
27 02:11:00 00:19:36 01:10:10 02:26:41 00:10:13 01:27:11 05:16:34 07:29:24 01:29:24 11:10:28 10:06:45 08:12:12
28 02:11:58 01:01:52 01:10:52 02:28:32 00:10:24 01:28:25 05:16:36 07:29:25 01:29:25 11:10:29 10:06:44 08:12:11
29 02:12:55 01:14:22 01:11:35 03:00:21 00:10:34 01:29:38 05:16:37 07:29:26 01:29:26 11:10:29 10:06:43 08:12:09
30 02:13:52 01:27:10 01:12:17 03:02:08 00:10:44 02:00:51 05:16:39 07:29:26 01:29:26 11:10:30 10:06:43 08:12:08
62 जून 2011
सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।
उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।
भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दरू करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।
कवच के लाभ :
एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।
नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।
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Article dose not produce any bad energy.
Our Goal
Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door
step.
64 जून 2011
मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महत
ू म शुभ दन को तैयार कये जाते है . अलग-अलग कवच तैयार करने केिलए अलग-अलग तरह के
मं ो का योग कया जाता है .
य चुने मं िस कवच?
उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
कोई बुरा भाव नह ं
कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु
कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700/- ऋण मु कवच - 730/- वरोध नाशक कवचा- 550/-
सवजन वशीकरण कवच - 1050/-* नव ह शांित कवच- 730/- वशीकरण कवच- 550/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच - 1050/- तं र ा कवच- 730/- प ी वशीकरण कवच - 460/-*
आक मक धन ाि कवच-910/- श ु वजय कवच - 640/- * नज़र र ा कवच - 460/-
भूिम लाभ कवच - 910/- पद उ नित कवच- 640/- यापर वृ कवच - 370/-
संतान ाि कवच - 910/- धन ाि कवच- 640/- पित वशीकरण कवच - 370/-*
काय िस कवच - 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच- 640/- दभा
ु य नाशक कवच - 370/-
काम दे व कवच - 820/- म त क पृ वधक कवच- 640/- सर वती कवक - 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच- 550/- सर वती कवक- 280/- क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच - 730/- व न बाधा िनवारण कवच- 550/- वशीकरण कवच - 280/-* 1 य के िलए
Shastrokt Yantra
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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GURUTVA KARYALAY
67 जून 2011
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
68 जून 2011
In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT
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69 जून 2011
सूचना
प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।
प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।
अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।
हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।
यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।
हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हई
ु ह।
पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।
FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का जून -2011
संपादक
िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग
गु व कायालय
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INDIA
फोन
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71 जून 2011
हमारा उ े य
य आ मय
बंध/ु ब हन
जय गु दे व
जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दलभ
ु मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
GURUTVA KARYALAY
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JUN
2011