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माकक टवेन ने एक जगह ििखा है “If you do not read Newspapers you are

UNINFORMED and if you do you are MISINFORMED”. मै, ििछिे ििनो सवामी
िकमणाननिजी जी की हतया और उसके फिसवरि उिजी िहं सा समबनधी खबरो को कुछ
नजिीक से ही िढ़ रहा था। नजिीक से िढ़ने का कारण कुछ तो सवभाव गत सहज
िजजासा और कुछ इस कारण से िक, कुछ वषक िहिे मुझे सवामी िकमणाननिजी से
पतयक िमिने का अवसर पाप हुआ था।
मै आितन अंगेजी के समाचार ित अिधक िढ़ता हूं। सवामी जी िक हतया और ततिशात
उिजी िहं सा समबनधी समाचारो को अंगेजी समाचार ितो ने िजस तरह छािा है िक मुझे
अनायास ही माकक टवेन की उिरोक उिक याि हो आयी। िहं सा सवथ
क ा िननिनीय है ।
िहनि ू धमक मे मनुषय ही नहीं िकसी भी जीवनत वसतु के िखिाफ तीनो आयाम यथा
मनसा,वाचा, कमण
क ा मे से कोई भी आयाम की िहं सा विजत
क है । गांधी जी का भी एक
बहुत ही पिसद कथन है िक “An Eye for an Eye would leave the Whole World Blind”.

मै मुदे से भटक रहा हूं। मुदा अंगेजी समाचार ितो एवं उनमे छिे समाचारो का है ।
समाचार ितो को समाज का चौथा सतमभ माना गया है । िेिकन पतीत ऐसा हो रहा है
िक इस समूह ने सामािजक गैरिजममेिारी के सारे कीितम
क ान तोड़ने की ठान िी है । सारे
समाचार ित 98% कािम सेन्टीमीटर की स्पेस इस दृिि्टकोण को पर्ििपािदि करने
में लगे हैं िक स्वामी जी एक िहन्दू नेिा थे,िव ् विहन्दू पिरिद के नेिा थे और
उनकी हि्या माओवािदयों ने की । िव ् विहन्दू पिरिदिमथया पचार कर इसाईयो को
िनशाना बना रहा है । बेचारे इसाई बिि के बकरे सम िहं सा का िशकार हो रहे है । बड़े बड़े
समाचार ितो के बड़े बड़े काििमसट एवं संवाििाता मोटे हफो मे छि रहे है । अिधकांश ने
बगैर अिनी आमक चेयर से उठे ये िेख ििख डािे। यह सटािििनसट मानिसकता का
दोतक है । मै जो सोचता हूं वह ही सही है । भिे ही Majority संखया िविरीत सोचने वािो
की हो। भिे ही सािेक पमाण िखिाफ हो ‘िेिकन सही तो मै ही हूं’। यह ही तो
सटाििनवाि है ।
िकसी एक समाचार ित ने भी सवामी जी की हतया के समबनध मे संजीिगी से 10 कािम
सेनटीमीटर भी खचक नहीं िकये। िो आििवासी जाितयो (िाण और अनय) के बीच चिी आ
रही िशको की वैमनशयता को नकारते हुये िसफक RSS और िव ् विहन्दू पिरिद को गािी
िे ने की भूिमका िनभा रहे है । िाण जाित के अनूसुिचत जनजाित घोिषत होने और उससे
उिजी िवषमता को कहीं भी समुिचत रि से उदोिधत नहीं िकया गया है । खैर ये तो
बारीक तथय है इनके िवषय मे पेस किब के बार मे बैठ कर जानना मुिशकि ही नही “ड
ाान के शबिो” मे असमभव है ।
िेिकन मोटे तथयो को नकारना उनकी नीयत को ही संिेह के घेरे मे िा खड़ा कर िे ता
है । आज की िहं सा को रोकने के ििये उसके िाशक की वजह समझनी आवशयक है ।
George Santayana ने तकरीबन एक सौ वषक िहिे कहा था िक “People who do not learn
from their past are doomed to repeat it” अतएव िहं सा िर काबू तभी िाया जा सकेगा जब
हम इसकी Genesis तक िहुंच िाये। सरकार अिने बाहुबि दारा टहिनयो िर िवा िछड़क
रही है जब िक बीमारी तने और जड़ मे है । इस िवा से समभव है िक एक बार िफर िेड़
हरा भरा ििखने िगे िेिकन बीमारी यथािसथित बनी रहे गी। Pain killers से Symptoms तो
ठीक हो ही जाते है िेिकन कुछ समय बाि pain killers का effect कम होते ही बीमारी
िफर सर उठा िेती है । जो िचिकतसक pain killers के दारा इिाज करते हो या तो उनहे
िचिकतसा िदित का जान नही है ,या उनकी नीयत मरीज को ठीक करने की है ही नहीं।
आइये इन ितकार एवं सरकारी महानुभावो को तथयो से अवगत कराने का पयत िकया
जाये। सवामी जी हतया होने के आधे घनटे के भीतर ही िबना िकसी जांच िड़ताि के
सरकारी हिको दारा यह हतया माओवािियो के मतथे मढ़ िी जाती है । आइये इस आरोि
को िरखा जाये।
1) माओवािियो का इस आशम के आस िास के इिाके मे कभी कोई आतंक नहीं
रहा है ।
2) अमूमन माओवािियो का िहिा िनशाना िुििस होती है ।
3) आशम मे उििसथत चारो िुििस किमय
क ो को माओवािी हाथ तक नहीं िगाते।
4) ओड़ीशा मे माओवािियो मे अिधकांश संखया आििवािसयो की है ।
5) सवामीजी िवगत चािीस वषो से वहां आििवासी बचचो को िशका पिान कर रहे
थे।
6) अतएव आििवािसयो की सवामी के साथ िकसी भी पकार की िशुमनी होने की
समभावना सहज गिे के नीचे नहीं उतरती।
7) किथत माओवािियो की तरफ से एक ित आता है िजसमे Secularism के नाम िर
हतया की बात कही जाती है । इसके िहिे भारत मे कभी भी कहीं भी माओवािियो
ने Secularism को िेकर िकसी घटना को अंजाम ििया हो इसकी कोई िमसाि
नहीं है ।
8) आकमणकािरयो ने चेहरे ढक रखे थे। माओवािी तो खुिेआम अिने आिको
कािनतकारी कह कर आकमण करते है । इनके नकाबिोश हो आकमण करने का
भी इसके िहिे का कोई उिाहरण नहीं है ।
िस
ू रा िहिू है हतया से पितकार मे उिजी िहं सा का। सारे समाचार ित का मजमून
यो िगता है िक एक ही िेखक ििख रहा हो। सारे अनय सभी मुदो को नकार कर
िसफक िवश िहनि ू ििरषि और RSS को िोषी ठहराने मे िगे है । मानो उस आििवासी
केत मे िवश िहनि ू ििरषि के हजारो की संखया मे कायक
क ताक इसाईयो का कतिेआम
कर रहे हो।
सवामीजी की शव याता मे तकरीबन िांच िाख िोग थे। कया वे सभी िवश िहनि ू
ििरषि के िोग थे? सवामीजी जब उस केत मे समाज सेवा मे चािीस वषो से कायरकत
थे ,कया उनका एक पभाव केत नहीं होगा? कया िजन िोगो के जीवन को सवामीजी ने
िवगत चाििस वषो मे कभी न कभी छुआ होगा उनकी िनमम
क हतया(उनहे िसफक गोिी
ही नहीं मारी गयी है , हतया के िहिे उनके िांवो को भी तीन टु कड़ो मे काटा गया
है ) से उनका भड़कना असवाभािवक है ?
भारत मे िसफक अंगेजी मे ही ििखने वािे secular है । इसीििये िहनिी मे ििख कर मै
तुरनत ही संिेह के घेरे मे िहुंच जाता हूं। िवश िहनि ू ििरषि,िहनि ू संसथाये और
RSS Soft Target है उनहे िबना िकसी संकोच के कटटर कहा जाता रहा है । Minorities
के िखिाफ ििखने से कहीं न कहीं िूरातन िनथी,िहनि ू कटटरवािी व संघीय के िेबि
िग जाने का भय िघर आता है । अलिसंखयक तुषीकरण सरकारी नीितयो से उिर उठ
तथाकिथत बौिदक समाज की सोच का िबमब हो गया है ।
ये अिने आिको बुिदजीवी कहने वािे अिगम िंिक िर अिधकार जमा कर अिने
आिको िे श व समाज का कणध
क ार समझने िगे है । मुिशकि यह है िक इनमे से
अिधकांश या तो िकसी वयिकगत AGENDA के तहत ् या बौिििक आिसय के मारे
सचचाइयो से िरे बुिदजीवी कहिाते हुये िसफक किम जीवी हो कर रह गये है । किम
का बुिद से कोई सीधा िरशता नहीं है । कई Columnist है जो हर रिववार एवं अनय
ििन भी िसफक िफफाजी करते है और सथायी सतमभ के रि मे छिते है । ये Page 3
संवाििाता िसफक भाषाई जमा खचक या िफफाजी कर सता के नजिीक िंहुंच सरकार व
जनता िोनो के बीच रसूख बनाने मे सफि हो िा रहे है । Lord Macculay की भाषा
नीित ने जहां रसो और वोलटे यर की बयार बहाई वहीं बौिदक गुिामी की जंजीरे भी
इस िे श की िकसमत मे ििख िी।
इस मोड़ िर आकर िहिा पश जो उठता है िक कया वजह है िक सब िोग इकटठे हो
झुठ बोि रहे है ।
1) समभवतः हतया इसाई िमशनिरयो के दारा करवाई गयी है और अलिसंखयको के
नाम िर ये इसाई िमिशनरी Aggressor और Victim िोनो का रोि िनभा रहे है ।
2) सरकार एवं पेस अिने िचर िरीिचत सवभाव वश िहनि ू संगठनो को Soft Target िा
झूठ बोि रही है ।
3) एक और संभावना से इनकार नहीं िकया जा सकता की कहीं आिथक
क िेन िे न भी
समाचार ितो की इस संिेहासिि भूिमका मे एक कारण नहीं है ।
4) कुछ ििन िहिे एक रिशयन एजेट के खुिासे मे यह बात कही गयी थी िक
इिनिरा गांधी के कायक
क ाि मे उनहोने (रिशया ने) सैकड़ो की संखया मे भारतीय
समाचार ितो मे मनचाहे िेख छिवाये थे।
यह गनिी एवं ओछी राजनीित मुझ जैसे आम Secular वयिक को भी अब अिनी
मानयतओं िर एक पश िचनह िगाने िर मजबूर कर िे ती है ।

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