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विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की सोलहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
16)
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 16)
राजा शर्मा
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 16)
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दो शब्द
अच्छा करो भूल जाओ Achha Karo Bhool Jao
मेरा हाथ पकड़िए Mera Hath Pakadiye
फ्लेमिंग के पिता Fleming Ke Pita
उन्होंने कैसे किया (कुछ कहानियां) Kuch Kahaniyaan
सही चाल Sahi Chaal
हाथ Haath
विकल्प Vikalp
आज के दिन Aaj Ke Din
अलार्म घड़ी Alarm Ghadi
दिन या रात Din Ya Raat
भगवान् के साथ खाना Bhagwaan Ke Saath Khaana
सफल व्यवसायी Safal Vyavsaayee
ऊपरी मंजिल तक Upari Manjil Tak
एक एकड़ हीरों का खेत Ek Acre Heeron Ka Khet
बिच्छू तो काटेगा ही Bichhoo To Kaategaa Hi
गलतियां तो होती हैं Galtiyaan To Hoti Hain
बिना नमक Bina Namak
सात आश्चर्य Saat Ashcharya
सबको स्वीकारो Sabko Sweekaro
लाल छाता Laal Chaata
मोतियों की माला Motiyon Ki Mala
भगवान् नहीं हैं Bhagvaan Nahi Hain
बंद मुट्ठी Bund Mutthi
पांच मिनट और Paanch Minute Aur
बुद्दिमान साधू Buddhiman Sadhu
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की सोलहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
अच्छा करो भूल जाओ Achha Karo Bhool Jao
एक बार दो बौद्ध भिक्षु चलते चलते एक नदी के किनारे पहुंचे. उस नदी में उनकी कमर तक पानी था. उन्होंने नदी के किनारे एक जवान लड़की को देखा.
उसने बहुत ही महंगे और सुन्दर कपडे पहने हुए थे. यदि वो नदी पार करती तो उसके कपडे खराब हो जाते. वो किसी समारोह में जा रही थी इसलिए अपने कपडे खराब नहीं करना चाहती थी.
दोनों भिक्षुओं ने उसकी बात सुनी. उन दोनों को भी नदी के दूसरी तरफ जानता था. एक भिक्षु ने उस लड़की को अपनी पीठ पर बैठा लिया और नदी में उतर गया. कुछ ही देर में दोनों भिक्षु नदी के दूसरे किनारे पर पहुँच गए.
भिक्षु ने उस लड़की को अपनी पीठ से उतार कर जमीन पर खड़ा कर दिया. उस लड़की ने उनको धन्यवाद कहा. दोनों भिक्षु फिर से अपने रास्ते पर चलने लगे. लगभग एक घंटे के बाद दूसरे भिक्षु ने शिकायत करनी शुरू कर दी.
तुमने उस जवान लड़की को कैसे छू लिया और उसको अपनी पीठ पर बैठाकर इस किनारे तक ले आये. तुम जानते हो के स्त्री को छूना हमारे धार्मिक आदेशों के विरुद्ध है. तुम स्वयं एक भिक्षु होकर हमारे नियमो के विरुद्ध कैसे जा सकते हो?
पीठ पर लड़की को बैठाकर नदी के इस तरफ लाने वाले भिक्षु ने मुस्कुरा कर कहा, मैंने तो उस लड़की को एक घंटे पहले ही नदी के इस किनारे पर जमीन पर उतार दिया था, परन्तु तुम तो उस लड़की को अभी भी ढो रहे हो.
शिकायत करने वाले भिक्षु का सर शरम से झुक गया और उसको अपनी गलती का आभास हो गया के जरूरत के समय किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करने के लिए नियम तोड़े भी जा सकते हैं.
मित्रों,
ये ठीक है के जीवन में अनुशासन लाने के लिए कुछ धार्मिक, सामजिक, और न्यायिक नियम बनाये जाते हैं, परन्तु कभी कभी ऐसी स्तिथियाँ उत्पन्न हो
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