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Xy kYsw Pwgun AwXo ry!!!

lwl gulwbI nIlw pIlw,


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mIq mNd muÆkwXo ry!!!
Xy kYsw Pwgun AwXo ry!!!

- mnmIq, 1 mwcé 2010.

ये कैसा फागुन आयो रे !!!

लाल गल
ु ाबी नीला पीला,
हरा नारं गी घना रं गीला, 
नीर कहाँ से आयो रे ?

मस्त टोलियाँ यारों की, 


चली डगर मुटियारों की,
भांग का घूँट चढायो रे |

यार सहे ली छोरे छोरी,


चौक बाज़ार में खेलें होरी,
झूम के फागुन आयो रे |

ढोल बजे और बरसे रं ग,


भीगे चुनर मचे हुड्दं ड,
मस्ती का आलम छायो रे |

गजि
ु या खाएं मिलजल
ु प्रियजन ,
शिकवे भल
ू बिसर के दश्ु मन
को भी गले लगायो रे |

गाल पे रं ग प्रेम से मल के,


मीत के कान में कह दं ू हलके,
ये दिल तुमपे आयो रे |

प्रेम उनके मन में भी है अब,


जीवन सख
ु इस क्षण में है जब,
मीत मंद मुस्कयो रे |

ये कैसा फागुन आयो रे !!!!

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