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DARIDRYA DAHAN VIDHI_KANAKADHARA

दा र य-दहन- व ध
1. व नयोगः- ॐ अ य ीकनक-धारा- तो -म य भगवान् शंकर ऋ षः, जगती छ दः,
ी महा-ल मी-भुवने वर देवता, ीं वीजं, ं शि तः, ऐं क लकं, मम सम त-दा र -दुखः-
नवारण-पूवक धनाकषण-पाठे व नयोगः ।
2. ऋ या द- यासः- भगवान् शंकर ऋषये नमः शर स, जगती छ दसे नमः मुखे, ी महा-
ल मी-भुवने वर देवतायै नमः द, ीं वीजाय नमः गु ये, ं श तये नमः पादयो, ऐं
क लकाय नमः नाभौ, मम सम त-दा र -दुखः- नवारण-पूवक धनाकषण-पाठे व नयोगाय
नमः सवागे ।

षड ग- यास - कर- यास – अंग- यास -

ॐ ां अंगु ठा यां नमः दयाय नमः

ॐ ीं तजनी यां नमः शरसे वाहा

ॐ ूं म यमा यां नमः शखायै वष

ॐ अना मका यां नमः कवचाय हुम्

ॐ क नि ठका यां नमः ने - याय वौष

ॐ ः करतल-कर-पृ ठा यां नमः अ ाय फ

3. यानः-
ॐ ल मी ीर-समु -राज-तनया ी रंग-धामे वर ।
दासी-भूत सम त-देव-व नतां ैलो य-द पांगराम् ।।
ीम मद-करा -ल ध- वयद- मे -गंगा-धराम् ।
वां ैलो य-कुटुि बनीं सर सजां व दे मुकु द- याम् ।।
4. मानस-पूजनः- इस कार यान करके भगवती ल मी का मानस पूजन कर -
ॐ लं पृ वी-त वा मकं ग धं ीमहा-ल मी- ीपादुका यां नमः अनुक पया म (अधोमुख-
क न ठांगु ठ-मु ा) । ॐ हं आकाश-त वा मकं पु पं ीमहा-ल मी- ीपादुका यां नमः
अनुक पया म (अधोमुख-तजनी-अंगु ठ-मु ा) । ॐ यं वायु-त वा मकं धूपं ीमहा-ल मी-
ीपादुका यां नमः अनुक पया म (ऊ व-मुख-तजनी-अंगु ठ-मु ा) । ॐ रं व नया मकं द पं
ीमहा-ल मी- ीपादुका यां नमः अनुक पया म । (ऊ व-मुख-म यमा-अंगु ठ-मु ा) । ॐ वं
जल-त वा मकं नैवे यं ीमहा-ल मी- ीपादुका यां नमः अनुक पया म (ऊ व-मुख-
अना मका-अंगु ठ-मु ा) । ॐ शं सव-त वा मकं ता बूलं ीमहा-ल मी- ीपादुका यां नमः
अनुक पया म (ऊ व-मुख-सवागु ल-मु ा) ।
5. ीकनक-धारा- तव-पाठः- उ त कार से ʻमानस-पूजन’ कर “ च ताम ण-म ” से
स पु टत ʻ ीकनक-धारा- तवʼ का पाठ कर । यथा -
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल -ं ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
अ गं हरेः पुलक-भूषणमा य ती, भृ गा गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।
अ गीकृता खल- वभू तरपा गल ला, मा ग यदाऽ तु मम म गल-देवतायाः ।।1।।
मु धा मुहु वदधती वदने मुरारेः ेम- पा- ण हता न गतागता न ।
माला शोमधुकर व महो पले या, सा मे यं दशतु सागर स भवायाः ।।2।।
आमी लता म धग य मुदा मुकु दमान द-क दम नमेषमन ग-त म् ।
आकेकर-ि थत-कनी नक-प म-ने म्, भू यै भवे मम भुज ग-शया गनायाः ।।3।।
बा य तरे मधु-िजतः त-कौ तुभे या, हारावल व ह र-‍ नील-मयी वभा त ।
काम- दा भगवतोऽ प कटा -माला, क याणमावहतु मे कमलालयायाः ।।4।।
काला बुदा ल-ल लतोर स कैटभारेधाराधरे फुर त या त डद गनेव् ।
मातुः सम त-जगतां महनीय-मू तभ ा ण मे दशतु भागव-न दनायाः ।।5।।
ा तं पदं थमत: कल य भावान्, मा ग य-भािजः मधु-मा थ न म मथेन ।
म यापतेत् त दह म थरमी णा म्, म दालसं च मकरालय-क यकायाः ।।6।।
व वामरे -पद- व म-दान-द मान द-हेतुर धकं मुर- व वषोऽ प ।
ईषि नषीदतु म य णमी णा म द वरोदर – सहोदर मि दरायाः ।।7।।
इ टा व श ट-मतयोऽ प यया दया या व टप-पदं सुलभं लभ ते ।
ि टः टकमलोदर-द ि त र टाम्, पुि टं कृषी ट मम पु कर- व टरायाः ।।8।।
द या दयानुपवनो वणा बु-धारामि म न क चन- वह ग- शशौ वष णे ।
दु कम-धममपनीय चराय दूर,ं नारायण – ण यनी – नयना बु – वाहः ।।9।।
गीदवते त ग ड़- वज-सु दर त, शाक भर त श श-शेखर-व लभे त ।
सृि ट-ि थ त- लय-के लषु संि थतायै, त यै नमि भुवनैक-गुरो त यै ।।10।।
ु यै नमोऽ तु शुभ-कम-फल- सू यै, र यै नमोऽ तु रमणीय-गुणाणवायै ।
श तयै नमोऽ तु शत-पा - नकेतानायै, पु यै नमोऽ तु पु षो तम-व लभायै ।।11।।
नमोऽ तु नाल क- नभाननायै, नमोऽ तु दु धोद ध-ज म-भू यै ।
नमोऽ तु सोमामृत-सोदरायै, नमोऽ तु नारायण-व लभायै ।।12।।
नमोऽ तु दे यै भृगु-न दनायै, नमोऽ तु व णो र स-ि थतायै ।
नमोऽ तु ल यै कमलालयायै, नमोऽ तु दामोदर-व लभायै ।।13।।
नमोऽ तु हेमा बुज-पी ठकायै, नमोऽ तु भूम डल-ना यकायै ।
नमोऽ तु देवा द-दया-परायै, नमोऽ तु शा गायुध-व लभायै ।।14।।
तुवि त ये तु त भरमू भर वहं, यी-मयीं भुवन-मातरं रमाम् ।
गुणा धका गु -तर-भा य-भा गनो, भवि त ते भु व बुध-भा वताशयाः ।।15।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल -ं ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
6. ीसू त-पाठः- अब ʻ च ताम ण म ’ से स पु टत ʻ ीसू त’ का पाठ कर । यथा -
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
ॐ हर य-वणा ह रणीं, सुवण-रजत- जाम् ।
च ां हर यमयीं ल मीं, जातवेदो म आवह ।।१।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
तां म आवह जात-वेदो, ल मीमनप-गा मनीम् ।
य यां हर यं व देयं, गाम वं पु षानहम् ।।२।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
अ व-पूवा रथ-म यां, हि त-नाद- मो दनीम् ।
यं देवीमुप वये, ीमा देवी जुषताम् ।।३।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
कांसोऽि म तां हर य- ाकारामा ा वल तीं तृ तां तपय तीं ।
प े ि थतां प -वणा ता महोप वये यम् ।।४।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
च ां भासां यशसा वल तीं यं लोके देव-जु टामुदाराम् ।
तां प -नीमीं शरणमहं प ये अल मीम न यतां वां वृणो म ।।५।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
आ द य-वण तपसोऽ धजातो वन प त तव वृ ोऽ ब वः ।
त य फला न तपसा नुद तु माया तराया च बा या अल मीः ।।६।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
उपैतु मां दैव-सखः, क त च म णना सह ।
ादुभूतोऽि म रा ेऽि मन्, क त वृ ं ददातु मे ।।७।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
ुत-् पपासाऽमलां ये ठामल मीं नाशया यहम् ।
अभू तमसमृ ं च, सवा नणुद मे गृहात् ।।८।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
ग ध- वारां दुराधषा, न य-पु टां कर षणीम् ।
ई वर ं सव-भूतानां, ता महोप वये यम् ।।९।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
मनसः काममाकू तं, वाचः स यमशीम ह ।
पशूनां पम न य, म य ीः यतां यशः ।।१०।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
कदमेन जा-भूता, म य स भव-कदम !
यं वासय मे कुले, मातरं प -मा लनीम् ।।११।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
आपः सृज तु ि न धा न, च ल त वस मे गृहे ।
न च देवीं मातरं यं वासय मे कुले ।।१२।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
आ ा पु क रणीं पुि टं, पंगलां प -मा लनीम् ।
च ां हर मयीं ल मीं, जातवेदो म आवह ।।१३।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
आ ा यः क रणीं यि टं, सुवणा हेम-मा लनीम्।
सूया हर मयीं ल मीं, जातवेदो म आवह ।।१४।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
तां म आवह जात-वेदो ल मीमनप-गा मनीम् ।
य यां हर यं भूतं गावो दा योऽ वान् व देयं पु षानहम् ।।१५।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
यः शु चः यतो भू वा, जुहुयादा यम वहम् ।
यः पंच-दशच च, ी-कामः सततं जपेत्।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल ं-ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
7. वलोम ी कनक-धारा- तव पाठः- अ त म ी च ताम ण म से स पु टत
ʻ ी कनक-धारा- तवʼ का वलोम-पाठ करे । यथा -
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल -ं ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
तुवि त ये तु त भरमू भर वहं, यी-मयीं भुवन-मातरं रमाम् ।
गुणा धका गु -तर-भा य-भा गनो, भवि त ते भु व बुध-भा वताशयाः ।।15।।
नमोऽ तु हेमा बुज-पी ठकायै, नमोऽ तु भूम डल-ना यकायै ।
नमोऽ तु देवा द-दया-परायै, नमोऽ तु शा गायुध-व लभायै ।।14।।
नमोऽ तु दे यै भृगु-न दनायै, नमोऽ तु व णो र स-ि थतायै ।
नमोऽ तु ल यै कमलालयायै, नमोऽ तु दामोदर-व लभायै ।।13।।
नमोऽ तु नाल क- नभाननायै, नमोऽ तु दु धोद ध-ज म-भू यै ।
नमोऽ तु सोमामृत-सोदरायै, नमोऽ तु नारायण-व लभायै ।।12।।
ु यै नमोऽ तु शुभ-कम-फल- सू यै, र यै नमोऽ तु रमणीय-गुणाणवायै ।
श तयै नमोऽ तु शत-पा - नकेतानायै, पु यै नमोऽ तु पु षो तम-व लभायै ।।11।।
गीदवते त ग ड़- वज-सु दर त, शाक भर त श श-शेखर-व लभे त ।
सृि ट-ि थ त- लय-के लषु संि थतायै, त यै नमि भुवनैक-गुरो त यै ।।10।।
द या दयानुपवनो वणा बु-धारामि म न क चन- वह ग- शशौ वष णे ।
दु कम-धममपनीय चराय दूर,ं नारायण – ण यनी – नयना बु – वाहः ।।9।।
इ टा व श ट-मतयोऽ प यया दया या व टप-पदं सुलभं लभ ते ।
ि टः टकमलोदर-द ि त र टाम्, पुि टं कृषी ट मम पु कर- व टरायाः ।।8।।
व वामरे -पद- व म-दान-द मान द-हेतुर धकं मुर- व वषोऽ प ।
ईषि नषीदतु म य णमी णा म द वरोदर – सहोदर मि दरायाः ।।7।।
ा तं पदं थमत: कल य भावान्, मा ग य-भािजः मधु-मा थ न म मथेन ।
म यापतेत् त दह म थरमी णा म्, म दालसं च मकरालय-क यकायाः ।।6।।
काला बुदा ल-ल लतोर स कैटभारेधाराधरे फुर त या त डद गनेव् ।
मातुः सम त-जगतां महनीय-मू तभ ा ण मे दशतु भागव-न दनायाः ।।5।।
बा य तरे मधु-िजतः त-कौ तुभे या, हारावल व ह र-‍ नील-मयी वभा त ।
काम- दा भगवतोऽ प कटा -माला, क याणमावहतु मे कमलालयायाः ।।4।।
आमी लता म धग य मुदा मुकु दमान द-क दम नमेषमन ग-त म् ।
आकेकर-ि थत-कनी नक-प म-ने म्, भू यै भवे मम भुज ग-शया गनायाः ।।3।।
मु धा मुहु वदधती वदने मुरारेः ेम- पा- ण हता न गतागता न ।
माला शोमधुकर व महो पले या, सा मे यं दशतु सागर स भवायाः ।।2।।
अ गं हरेः पुलक-भूषणमा य ती, भृ गा गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।
अ गीकृता खल- वभू तरपा गल ला, मा ग यदाऽ तु मम म गल-देवतायाः ।।1।।
क-ए-ई-ल- ं ह-स-क-ह-ल- ं स-क-ल- ं ीं- ल -ं ॐ ीं- ं-ऐं ॐ- ं-ॐ
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