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गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका ददसम्फय- 2011

रुद्राऺ की उत्ऩत्रि

रुद्राऺ के त्रवसबन्न राब

रुद्राऺ धायण से काभनाऩूसता

रुद्राऺ धायण कयना क्यमं कल्माणकायी हं ?

रुद्राऺ धायण कयने के सॊक्षऺद्ऱ त्रवसध

1 से 14भुखी रुद्राऺ धायण कयने से राब

रुद्राऺ के त्रवषम भं त्रवशेष जानकायी

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E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका ददसम्फय 2011
सॊऩादक सिॊतन जोशी
गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग

सॊऩका गुरुत्व कामाारम


92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
पोन 91+9338213418, 91+9238328785,
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ऩत्रिका प्रस्तुसत सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी


पोटो ग्रादपक्यस सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक आटा
हभाये भुख्म सहमोगी स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी (स्वक्षस्तक सोफ्टे क इक्षन्डमा सर)

ई- जन्भ ऩत्रिका E HOROSCOPE


अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्चसत द्राया
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GURUTVA KARYALAY
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अनुक्रभ
रुद्राऺ शत्रि त्रवशेष
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि 6 रुद्राऺ धायण कयं सावधासनमं के साथ। 29

रुद्राऺ धायण कयना क्यमं कल्माणकायी हं ? 8 रुद्राऺ धायण कयने के सॊक्षऺद्ऱ त्रवसध 30

1 से 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयने से राब 10 रुद्राऺ के त्रवषम भं त्रवशेष जानकायी 31

रुद्राऺ के त्रवसबन्न राब 21 असरी 1 भुखी से 14 भुखी रुद्राऺ 20


जन्भ नऺि एवॊ यासश से रुद्राऺ िमन 23 भॊि ससद्च रूद्राऺ 33
रुद्राऺ धायण से काभनाऩूसता 25

अन्म रेख
स्पदटक श्रीमॊि 28 ऩॊिभुखी हनुभान का ऩूजन उिभ परदामी हं 40

आॊखो से व्मत्रित्व 32 हनुभान फाहुक क ऩाठ योग व कष्ट दयू कयता हं 41

सशव के दस प्रभुख अवताय 34 गौ सेवा का भहत्व 42


श्रीकृ ष्ण की पोटो से सभमाओॊ का सभाधान 35 भारा का भहत्व 44

बाग्म रक्ष्भी ददब्फी 36 उऩवास एवॊ ज्मोसतष 45

हनुभानजी के ऩूजन से कामाससत्रद्च 37 िेहये ऩय सतर का प्रबाव 47

वास्तु: भानससक अशाॊसत सनवायण उऩाम 39

हभाये उत्ऩाद
भॊि ससद्च ऩन्ना गणेश 10 द्रादश भहा मॊि 24 भॊि ससद्च दै वी मॊि सूसि 49 याभ यऺा मॊि 55

गणेश रक्ष्भी मॊि 12 भॊि ससद्च रूद्राऺ 33 सवा कामा ससत्रद्च कवि 50 यासश यत्न 60

भॊि ससद्च दर
ु ब
ा साभग्री 18 बाग्म रक्ष्भी ददब्फी 38 जैन धभाके त्रवसशष्ट मॊि 51 सवा योगनाशक मॊि/ 72

शादी सॊफसॊ धत सभस्मा 15 दक्षऺणावसता शॊख 38 अभोद्य भहाभृत्मुज


ॊ म कवि 53 भॊि ससद्च कवि 74

ऩढा़ई सॊफसॊ धत सभस्मा 16 भॊिससद्च रक्ष्भी मॊिसूसि 49 याशी यत्न एवॊ उऩयत्न 53 YANTRA 75

भॊिससद्च स्पदटक श्री मॊि 17 नवयत्न जदित श्री मॊि 48 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि/ कवि 54 GEMS STONE 77

घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्च भहामॊि 52 भॊि ससद्च साभग्री- 65, 66, 67

स्थामी औय अन्म रेख


सॊऩादकीम 4 ददन-यात के िौघदडमे 69

भाससक यासश पर 56 ददन-यात दक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 70

ददसम्फय 2011 भाससक ऩॊिाॊग 61 ग्रह िरन ददसम्फय -2011 71

ददसम्फय-2011 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 63 सूिना 79

ददसम्फय 2011 -त्रवशेष मोग 68 हभाया उद्ङे श्म 81

दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 68


सॊऩादकीम
त्रप्रम आक्षत्भम

फॊध/ु फदहन

जम गुरुदे व
रुद्राऺ को बगवान सशव का प्रसतक भाना जाता है । रुद्राऺ की उत्ऩत्रि बगवान सशव के अश्रु से हुइथी इस सरमे इसे
रुद्राऺ कह जाता है । रुद्र का अथा है सशव औय अऺ का अथा है आॉख। दोनो को सभराकय रुद्राऺ फना।
रूद्र+अऺ शब्द का सॊमोग रूद्राऺ कहराता है । रुद्र का अथा है । बगवान सशव का यौद्र रूऩ औय अऺ का अथा है
आॉख। दोनो को सभराकय रुद्राऺ फना।
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि के त्रवषम भं अनेको कथाएॊ धभा ग्रॊथो भं उल्रेक्षखत हं सरकेन प्रभुख कथा के अनुशाय बगवान
सशव ने सैकडं हजाय वषो तक अॊतर्धमाान यहे । जफ बगवान सशव ने र्धमान ऩूणा होने के फाद जफ सशवजी ने अऩने नेि
खोरे, तो उनके नेि से आॊसुओॊ की धाया सनकरने रगी।
तेनाश्रुत्रफॊदसु बजााता भत्मे रुद्राऺबूरुहा्।
उस नेि से सनकरे अश्रृ त्रफॊद ु से बूरोक भं रुद्राऺ के वृऺ उत्ऩन्न हो गए। बूरोक ऩय जहाॊ-जहाॊ बी अश्रु फुॊदे सगये , उनसे
अॊकुयण पूट ऩडा! फाद भं मही रुद्राऺ के वृऺ फन गए। काराॊतय भं मही रुद्राऺ सशव बिो के त्रप्रम फन कय सभग्र त्रवश्व
भं व्माद्ऱ हो गए। बिं ऩय कृ ऩा कयने के सरए सशवजी के अश्रुत्रफॊद ु रुद्राऺ के रुऩ भं व्माद्ऱ हो गमे औय रुद्राऺ के नाभ से
त्रवख्मात हो गए। रुद्र के अऺ से प्रकट होने के कायण धभाग्रॊथो भं रुद्राऺ को साऺात सशव का सरॊगात्भक स्वरुऩ भाना
गमा हं । त्रवद्रानो का कथ हं की रुद्राऺ भं एक त्रवसशष्ट प्रकाय की ददव्म उजाा शत्रि सभादहत होती हं । प्राम् सबी
ग्रॊथकायं व त्रवद्रानो ने रुद्राऺ को असह्य ऩाऩं को नाश कयने वारा भाना हं ।
इस सरए सशव भाहा ऩुयाण भं उल्रेख दकमा गमा हं ।

सशवत्रप्रमतभो ऻेमो रुद्राऺ् ऩयऩावन्। दशानात्स्ऩशानाज्जाप्मात्सवाऩाऩहय् स्भृत्॥


अथाात: रुद्राऺ अत्मॊत ऩत्रवि, शॊकय बगवान का असत त्रप्रम हं । उसके दशान, स्ऩशा व जऩ द्राया सवा ऩाऩं का नाश
होता हं ।
रुद्राऺ धायणाने सवा द्ु खनाश्
अथाात: रुद्राऺ असॊखम द्ु खं का नाश कयने वारा हं ।

रुद्राऺ के त्रवषम भं जावारोऩसनषद भं स्वमॊ बगवान कारग्नी का कथन हं :


तदरुद्राऺे वाक्षग्वषमे कृ ते दशगोप्रदानेन मत्परभवाप्नोसत तत्परभश्नुते ।
कये ण स्ऩृष्टवा धायणभािेण दद्रसहस्त्र गोप्रदान पर बवसत ।
कणामोधाामभ
ा ाणे एकादश सहस्त्र गोप्रदानपरॊ बवसत ।
एकादश रुद्रत्वॊ ि गच्छसत । सशयसस धामाभाणे कोदट ग्रोप्रदान परॊ बवसत ।
अथाात: रुद्राऺ शब्द के उच्िायण से दश गोदान (गाम का दान) का पर प्राद्ऱ होता हं । रुद्राऺ का स्ऩशा कयने व धायण
कयने से दो हजाय गोदान (गाम का दान) का पर सभरता हं । दोनो कानो ऩय रुद्राऺ धायण कयने से ग्माया हजाय
गोदान (गाम का दान) का पर सभरता हं । गरे भं रुद्राऺ धायण कयने से कयोडो़ गोदान (गाम का दान) का पर
सभरता हं ।
रुद्राऺ को धायण कयने के त्रवषम भं त्रवद्रानो का कथन हं की त्रवशेषकय बगवान सशव के बिो के सरमे तो रुद्राऺ
को धायण कयना ऩयभ आश्मक हं । इसी सरए कहाॊ गमा हं की..
वणैस्तु तत्परॊ धामं बुत्रिभुत्रिपरेप्सुसब्। सशवबिैत्रवश
ा ेषेण सशवमो् प्रीतमे सदा ॥
सवााश्रभाणाॊवणाानाॊ स्त्रीशूद्राणाॊ। सशवाऻमा धामाा: सदै व रुद्राऺा:॥
सबी आश्रभं (ब्रह्मिायी, वानप्रस्थ, गृहस्थ औय सॊन्मासी) एवॊ वणं तथा स्त्री औय शूद्र को सदै व रुद्राऺ धायण कयना
िादहमे, मह सशवजी की आऻा है !

रुद्राऺ को धायण कयने से प्राद्ऱ होने वारे राब के त्रवषम भं त्रवसबन्न राब फतामे गए हं ।
रुद्राऺा मस्म गोिेषु रराटे ि त्रिऩुण्ड्रकभ ्।
स िाण्ड्डारोऽत्रऩ सम्म्ऩूज्म् सवावणंिभो बवेत ्॥
अथाात् क्षजसके शयीय ऩय रुद्राऺ हो औय रराट ऩय त्रिऩुण्ड्ड हो, वह िाण्ड्डार बी हो तो सफ वणं भं उिभ ऩूजनीम हं ।

जो भनुष्म सनमभानुशाय सहस्त्ररुद्राऺ धायण कयता हं उसे दे वगण बी वॊदन कयते हं ।

उक्षच्छष्टो वा त्रवकभो वा भुक्यतो वा सवाऩातकै्।


भुच्मते सवाऩाऩेभ्मो रुद्राऺस्ऩशानेन वै॥
अथाात् जो भनुष्म उक्षच्छष्ट अथवा अऩत्रवि यहते हं मा फुये कभा कयने वार व अनेक प्रकाय के ऩाऩं से मुि वह भनुष्म
रुद्राऺ का स्ऩशा कयते ही सभस्त ऩाऩं से छूट जाते हं ।

कण्ड्ठे रुद्राऺभादाम सिमते मदद वा खय्।


सोऽत्रऩरुद्रत्वभाप्नोसत दकॊ ऩुनबुत्रा व भानव्।
अथाात् कण्ड्ठ भं रुद्राऺ को धायण कय मदद खय(गधा) बी भृत्मु को प्राद्ऱ हो जाए तो वह बी रुद्र तत्व को प्राद्ऱ होता हं ,
तो ऩृथ्वीरोक के जो भनुष्म हं उनके फाये भं तो कहना ही क्यमा! आथाात ् सवा साॊसारयक भनुष्मं को स्वगा-प्रासद्ऱ व रोक
ऩयरोक सुधायने के सरए रुद्राऺ अवश्म धायण कयने मोग्म हं ।
रुद्राऺॊ भस्तके धृत्वा सशय् स्नानॊ कयोसत म्।
गॊगास्नानॊपरॊ तस्म जामते नाि सॊशम्॥
अथाात् रुद्राऺ को भस्तक ऩय धायण कयके जो भनुष्म ससय से स्नान कयता हं उसे गॊगा स्नान के सभान ऩयभ ऩत्रवि
स्नान का पर प्राद्ऱ होता हं तथा वह भनुष्म सभस्त ऩाऩं से भुि हो जाता हं इसभं सॊशम नहीॊ हं ।

रुद्राऺ का प्रमोग ऩूजा-ऩाठ, जऩ-तऩ इत्मादद धासभाक कामं भं तो अवश्म सपरता प्रदान कयता हं । इस के
अरावा रुद्राऺ औषधीम गुणं से बी बयऩूय होता हं । रुद्राऺ कई योगं भं आयाभ ऩहूॊिाने भं त्रवशेष राबदामक ससद्च होता
हं । इसके अरावा रुद्राऺ का प्रमोग ग्रह दोष के सनवायण के सरए, अऩने त्रवसबन्न उद्ङे श्म औय भनोकाभनाओॊ की ऩूसता के
सरए व त्रवसबन्न सभस्माओॊ के सनवायण के सरए ज्मोसतष के जानकाय रुद्राऺ धायण कयने की सराह दे ते है । आऩके
भागादशान के सरए हभने इस रुद्राऺ शत्रि त्रवशेष अॊक भं रुद्राऺ से सॊफॊसधत असधक से असधक उऩमोगी जानकायी प्रदान
कयने का प्रमास दकमा हं । दपय बी रुद्राऺ धायण कयने से ऩूवा दकसी कूशर त्रवशेषऻ से ऩयाभशा अवश्म कय रे।

सिॊतन जोशी
6 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ की उत्ऩत्रि
 सिॊतन जोशी
श्रीभदबागवत, दे वी बागवत, भुण्ड्डकोऩसनषद, बगवत
रुद्रस्म अक्षऺ रुद्राऺ:, अक्ष्मुऩरक्षऺतभ ् कभाऩुयाण, ऋग्वेद, मजुवद
े , अथवावेद, ऩायस्कय ग्रहसूि,
अश्रु, तज्जन्म: वृऺ:। त्रवष्णुधभा सूि, सभयाॊगण सूिधाय, माऻवरक्यम स्भृसत,

ऩुटाभ्माॊ िारुिऺुभ्मां ऩसतता जरत्रफॊदव्। सनत्मािाय प्रदीऩ, वैददक दे वता कल्माण आदद उऩसनषदो एवॊ
तन्ि भन्ि आदद ग्रन्थो भे सभरता है । त्रवद्रानो के भत से
तिाश्रुत्रफन्दवो जाता वृऺा रुद्राऺसॊऻका्॥
.
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि के सॊफॊध भं त्रवसबन्न ग्रॊथो भं त्रवसबन्न
ऩौयाक्षणक कथाएॊ प्रिसरत हं ।
रुद्राऺ को बगवान सशव का प्रसतक भाना जाता है ।
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि बगवान सशव के अश्रु से हुइथी इस सरमे
एक कथा के अनुसाय:
इसे रुद्राऺ कह जाता है । रुद्र का अथा है सशव औय अऺ का
एक फाय बगवान सशव ने सैकडं हजाय वषो तक
अथा है आॉख। दोनो को सभराकय रुद्राऺ फना।
अॊतर्धमाान यहे । जफ बगवान सशव ने र्धमान ऩूणा होने
रूद्र+अऺ शब्द का सॊमोग रूद्राऺ
के फाद जफ सशवजी ने अऩने नेि खोरे , तो
कहराता है । रुद्र का अथा है । बगवान
उनके नेि से आॊसुओॊ की धाया सनकरने
सशव का यौद्र रूऩ औय अऺ का अथा है रुद्राऺ बगवान सशव को
रगी। सशवजी के नेिं से सनकरी महॊ
आॉख । दोनो को सभराकय रुद्राऺ प्रसन्न कयने के सरए
ददव्म अश्रु-फूॊद बूरोक ऩय सगयी, बूरोक
फना । त्रवशेष रुऩ से परदामी
ऩय जहाॊ-जहाॊ बी अश्रु फुॊदे सगये , उनसे
रुद्राऺ बगवान सशव को ससद्च होता हं । ऩुयाणं भं
अॊकुयण पूट ऩडा! फाद भं मही रुद्राऺ
प्रसन्न कयने के सरए त्रवशेष रुऩ रुद्राऺ की भदहभा का
त्रवस्ताय से वणान दकमा के वृऺ फन गए। काराॊतय भं मही
से परदामी ससद्च होता हं ।
गमा है । रुद्राऺ धायण रुद्राऺ सशव बिो के त्रप्रम फन कय
धभाग्रॊथं, शास्त्रं व
कयने से सौबाग्म प्राद्ऱ सभग्र त्रवश्व भं व्माद्ऱ हो गए।
ऩुयाणं भं रुद्राऺ की भदहभा
होता है ।
का त्रवस्ताय से वणान दकमा गमा
दस
ू यी कथा के अनुशाय:
है । महाॊ ऩाठको के भागादशान के सरए
कुछ प्रभुख ग्रॊथो भं उल्रेक्षखत रुद्राऺ से एक फाय सती के त्रऩता दऺ प्रजाऩसत ने

सॊफॊसधत जानकायीमाॊ दी जा यही हं । अऩने महाॊ मऻ का आमोजन दकमा। हवन कयते सभम

रुद्राऺ के गुणो का त्रवस्तृत वणान सरॊगऩुयाण, दऺने बगवान सशव का अऩभान कय ददमा। सशवजी के

भत्स्मऩुयाण, स्कॊदऩुयाण, सशवभहाऩुयाण, ऩदभऩुयाण, अऩभान ऩय क्रोसधत होकय सशव की ऩत्नी सती ने स्वमॊ

भहाकार सॊदहता भन्ि, भहाणाव सनणाम ससन्धु, को अक्षग्नकुॊड भं सभादहत कयसरमा। सती का जरा शयीय

फृहज्जाफारोऩसनषद, कासरकाऩुयाण, रूद्राऺ जफरोऩसनषद, दे ख कय सशव अत्मॊत क्रोसधत हो गए।

वायाह ऩुयाण, त्रवष्णुधभंिय ऩुयाण, सशवतत्त्व यत्नाकाय, बगवान सशव ने उन्भत दक बाॊसत सती के जरे

फारोऩसनषद, रुद्रऩुयाण, काठक सॊदहता, कात्मामनी तॊि, हुए शयीय को कॊधे ऩय यख वे सबी ददशाओॊ भं भ्रभण
कयने रगे। सृत्रष्ट व्माकुर हो उठी बमानक सॊकट
7 ददसम्फय 2011

उऩक्षस्थत दे खकय सृत्रष्ट के ऩारक बगवान त्रवष्णु आगे अथाात: हे षडानन (छह वारा) स्कॊदजी ! तुभ सुनो,
फढ़े । उन्हं ने बगवान सशव दक फेसुधी भं अऩने िक्र से ऩूवक
ा ार भं त्रिऩुय नाभक एक भहान शत्रिशारी व
सती के एक-एक अॊग को काट-काट कय सगयाने रगे। ऩयाक्रभी दै त्मं का याजा हुआ था। त्रिऩुय को जीतने भं
धयती ऩय इक्यमावन स्थानं भं सती के अॊग कट-कटकय दे व-दानव भं से कोई बी सभथा नहीॊ था।
सगये । जफ सती के साये अॊग कट कय सगय गए, तो उसने अऩने ऩयाक्रभ से सॊऩूणा दे वरोक को जीर
बगवान सशव ऩुन् अऩने आऩ भं वाऩस आए। तफ सशवजी सरमा। तफ ब्रह्मा, त्रवष्णुअ, इन्द्रादद सबी दे व एवॊ भुसन गण
के नेिं से आॊसू सनकरे औय उससे रुद्राऺ के वृऺ भेये ऩास आए औय दै त्मयाज त्रिऩुय को भायने की प्राथना
उत्ऩन्न हो गए। की। तफ भैने त्रिऩुय को भायने का सनक्षितम दकमा।
कुछ त्रवद्रानो का भानना हं सशवजी ने सती का रेदकन त्रिऩुय को हभ त्रिदे वं से अनेक वय प्राद्ऱ थे,
ऩासथाव शयीय अऩने कॊधे रेकय सॊऩूणा ब्रह्माॊड को बस्भ कय इससरए मुद्च भं एक हजाय ददव्म वषं तक का रम्फा
दे ने के उद्ङे श्म से ताॊडव नृत्म कयने रगे। सती का जरा सभम रगा।
शयीय धीये -धीये ऩूये ब्रह्माॊड भं त्रफखय ने रगा। अॊत भं तफ भंने त्रफजरी के सभान िभकदाय एवॊ ददव्म
ससपा उनके दे ह की बस्भ ही सशवजी के शयीय ऩय यह तेजमुि काराक्षग्न नाभक अभोद्य शस्त्र से त्रिऩुय ऩय तीव्र
गई, क्षजसे दे ख कय सशवजी यो ऩडे उस सभम जो आॊसू प्रकाय दकमी। उस ददव्म शस्त्र की ददव्म त्रवस्पोटक िभक
उनकी आॊखं से सगये , वही ऩृथ्वी ऩय रुद्राऺ के वृऺ फने। को दे खने भं दकसी के बी नेि दे ख ने भं सभथाता नहीॊ
थी उसी सभम कुछ ऺण के सरए भेये नेि फॊद यहे ।
स्कॊद ऩुयाण की कथा: मोगभामा की अद्भत
ु रीरासे जफ भैने अऩने दोनं नेिो
एक फाय बगवान कासताक ने अऩने त्रऩता बगवान सशवजी को खोरा तफ नेिं से स्वत् ही अश्रु की कुछ फुॊदे सगयी।
से ऩूछा:- हे त्रऩता श्री ! मह रुद्राऺ कमा हं ? तेनाश्रुत्रफॊदसु बजााता भत्मे रुद्राऺबूरुहा्।
रुद्राऺ को धायाण कयना इस रोक औय ऩयरोक भं श्रेष्ठ उस नेि से सनकरे अश्रृ त्रफॊद ु से बूरोक भं रुद्राऺ के वृऺ
क्यमं भाना जाता हं ? उत्ऩन्न हो गए।
रुद्राऺ के दकतने भुख होते हं ? उसके कौन से भॊि बिं ऩय कृ ऩा कयने के सरए एवॊ सॊसायका
हं ? भनुष्म रुद्राऺ को दकस प्रकाय धायण कयं ? कृ ऩा कय कल्माण हो इस रक्ष्म से भेये मे अश्रुत्रफॊद ु रुद्राऺ के रुऩ
मह सफ आऩ भुझे त्रवस्ताय से सभझाए? भं व्माद्ऱ हो गमे औय रुद्राऺ के नाभ से त्रवख्मात हो गए,
सशव जी फोरे हे षडानन रुद्राऺ की उत्ऩत्रि का मे षडानन रुद्राऺ को धायण कयने से भहाऩुण्ड्म प्राद्ऱ होता
वणान भं तुम्हं सॊक्षऺद्ऱ भं फता यहा हूॊ। हं । इसभं तसनक बी सॊदेह नहीॊ है । दपय भंने रुद्राऺ को
शॊकय उवाि: त्रवष्णु बिं तथा िायं वगं के रोगो को फाॊट ददए।
श्रृणु षण्ड्भुख तत्त्वेन कथमासभ सभासत्। सशवजी फोरे बूरोक ऩय अऩने बिो के कल्माणाथा भंने
त्रिऩुयो नाभ दै त्मेन्द्र् ऩूवाभासीत्सुदज
ु म
ा :॥ रुद्राऺ को सबन्न स्थानो भं रुद्राऺ के अॊकुय उगा कय
उन्हं उत्ऩन्न दकमा।

गुरुत्व कामाारम द्राया यत्न एवॊ रुद्राऺ ऩयाभशा


भाि RS:- 450
8 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ धायण कयना क्यमं कल्माणकायी हं ?


 सिॊतन जोशी
रुद्र के अऺ से प्रकट होने के कायण रुद्राऺ को हजाय गोदान (गाम का दान) का पर सभरता हं । गरे भं
साऺात सशव का सरॊगात्भक स्वरुऩ भाना गमा हं । त्रवद्रानो रुद्राऺ धायण कयने से कयोडो़ गोदान (गाम का दान) का
का कथ हं की रुद्राऺ भं एक त्रवसशष्ट प्रकाय की ददव्म पर सभरता हं ।
उजाा शत्रि सभादहत होती हं । प्राम् सबी ग्रॊथकायं व अरग-अरग यॊ गं के रुद्राऺ भं अरग-अरग प्रकाय
त्रवद्रानो ने रुद्राऺ को असह्य ऩाऩं को नाश कयने वारा की शत्रिमाॊ सनदहत होती हं । इस सरमे यॊ गो के अनुसाय
भाना हं । रुद्राऺ का प्रबाव भनुष्म ऩय ऩिता हं ।
इस सरए सशव भाहा ऩुयाण भं उल्रेख दकमा गमा हं । ब्राह्मणा् ऺत्रिमा् वैश्मा् शूद्राश्िेसत सशवाऻमा ।
वृऺा जाता् ऩृसथव्माॊ तु तज्जातीमो् शुबाऺभ् ।
सशवत्रप्रमतभो ऻेमो रुद्राऺ् ऩयऩावन्। श्वेतास्तु ब्राह्मण ऻेमा् ऺत्रिमा यक्यतवणाका् ॥
दशानात्स्ऩशानाज्जाप्मात्सवाऩाऩहय् स्भृत्॥ ऩीता् वैश्मास्तु त्रवऻेमा् कृ ष्णा् शूद्रा उदाह्रुता् ॥
अथाात: रुद्राऺ अत्मॊत ऩत्रवि, शॊकय बगवान का असत
अन्म श्रोक भं उल्रेख हं :
त्रप्रम हं । उसके दशान, स्ऩशा व जऩ द्राया सवा ऩाऩं का
ब्राह्मणा् ऺत्रिमा वैश्मा् शूद्रा जाता भभाऻमा ॥
नाश होता हं ।
रुद्राऺास्ते ऩृसथव्माॊ तु तज्जातीमा् शुबाऺका् ॥
रुद्राऺ धायणाने सवा द्ु खनाश्
श्वेतयिा् ऩीतकृ ष्णा वणााऻेमा् क्रभाद्बुधै् ॥
अथाात: रुद्राऺ असॊखम द्ु खं का नाश कयने वारा हं ।
स्वजातीमॊ नृसबधाामं रुद्राऺॊ वणात् क्रभात ् ॥

रुद्राऺ शब्द के उच्िायण से गोदा का पर प्राद्ऱ होता हं ।


श्वेत यॊ ग: सपेद यॊ ग वारे रुद्राऺ भं साक्षत्त्वक उजाामुि ब्रह्म
रुद्राऺ के त्रवषम भं रुद्राऺ जावारोऩसनषद भं स्वमॊ
स्वरुऩ शत्रि सभादहत होती हं । इस सरए ब्राह्मण को श्वेत
बगवान कारग्नी का कथन हं :
वणा का रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
यिवणॉम (ताि के सभान आबामुि) : यि यॊ ग की
तदरुद्राऺे वाक्षग्वषमे कृ ते दशगोप्रदानेन
आबामुि रुद्राऺ भं याजसी उजाामुि शिुसॊहायक शत्रि
मत्परभवाप्नोसत तत्परभश्नुते ।
सभादहत होती हं । इस सरए ऺत्रिम को यिवणॉम रुद्राऺ
कये ण स्ऩृष्टवा धायणभािेण दद्रसहस्त्र
धायण कयना िादहए।
गोप्रदान पर बवसत ।
ऩीतवणॉम (काॊिन मा ऩीरी आबामुि) : ऩीरे यॊ ग की
कणामोधाामभ
ा ाणे एकादश सहस्त्र गोप्रदानपरॊ बवसत ।
आबामुि रुद्राऺ भं याजसी व ताभसी दोनं प्रकाय की
एकादश रुद्रत्वॊ ि गच्छसत ।
सॊमुि उजाा शत्रि सभादहत होती हं । इस सरए वैश्म को
सशयसस धामाभाणे कोदट ग्रोप्रदान परॊ बवसत ।
ऩीतवणॉम रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
अथाात: रुद्राऺ शब्द के उच्िायण से दश गोदान (गाम का
कृ ष्णवणॉम: कारे यॊ ग की आबामुि रुद्राऺ भं ताभसी
दान) का पर प्राद्ऱ होता हं । रुद्राऺ का स्ऩशा कयने व
उजाामुि सेवा व सभऩाणात्भक शत्रि सभादहत होती हं ।
धायण कयने से दो हजाय गोदान (गाम का दान) का पर
इस सरए शूद्र को कृ ष्णवणॉम रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
सभरता हं । दोनो कानो ऩय रुद्राऺ धायण कयने से ग्माया
9 ददसम्फय 2011

मह शास्त्रं भे उल्रेक्षखत त्रवद्रान ऋत्रषमं का सनदे श है दक ऩूजनीम हं ।


भनुष्म को अऩने वणा के अनुरूऩ श्वेत, यि, ऩीत औय अबि हो मा बि हो, नीॊि से नीि व्मत्रि बी मदी
कृ ष्ण वणा के रुद्राऺ धायण कयने िादहए। त्रवशेषकय रुद्राऺ को धायण कयता हं , तो वह सभस्त ऩातको के
बगवान सशव के बिो के सरमे तो रुद्राऺ को धायण भुि हो जाता हं ।
कयना ऩयभ आश्मक हं । जो भनुष्म सनमभानुशाय सहस्त्ररुद्राऺ धायण कयता
हं उसे दे वगण बी वॊदन कयते हं ।
वणैस्तु तत्परॊ धामं बुत्रिभुत्रिपरेप्सुसब् ॥
उक्षच्छष्टो वा त्रवकभो वा भुक्यतो वा सवाऩातकै्।
सशवबिैत्रवश
ा ेषेण सशवमो् प्रीतमे सदा ॥
भुच्मते सवाऩाऩेभ्मो रुद्राऺस्ऩशानेन वै॥
सवााश्रभाणाॊवणाानाॊ स्त्रीशूद्राणाॊ।
अथाात् जो भनुष्म उक्षच्छष्ट अथवा अऩत्रवि यहते हं मा फुये
सशवाऻमा धामाा: सदै व रुद्राऺा:॥
कभा कयने वार व अनेक प्रकाय के ऩाऩं से मुि वह
सबी आश्रभं (ब्रह्मिायी, वानप्रस्थ, गृहस्थ औय सॊन्मासी)
भनुष्म रुद्राऺ का स्ऩशा कयते ही सभस्त ऩाऩं से छूट
एवॊ वणं तथा स्त्री औय शूद्र को सदै व रुद्राऺ धायण कयना
जाते हं ।
िादहमे, मह सशवजी की आऻा है !
रुद्राऺ को तीनं रोकं भं ऩूजनीम हं । रुद्राऺ के कण्ड्ठे रुद्राऺभादाम सिमते मदद वा खय्।
स्ऩशा से रऺ गुणा तथा रुद्राऺ की भारा धायण कयने से सोऽत्रऩरुद्रत्वभाप्नोसत दकॊ ऩुनबुत्रा व भानव्।
कयोि गुना पर प्राद्ऱ होता हं । रुद्राऺ की भारा से भॊि अथाात् कण्ड्ठ भं रुद्राऺ को धायण कय मदद खय(गधा) बी
जऩ कयने से अनॊत कोदट पर की प्रासद्ऱ होती हं । भृत्मु को प्राद्ऱ हो जाए तो वह बी रुद्र तत्व को प्राद्ऱ
क्षजस प्रकाय सभस्त रोक भं सशवजी वॊदनीम एवॊ होता हं , तो ऩृथ्वीरोक के जो भनुष्म हं उनके फाये भं तो
ऩूजनीम हं उसी प्रकाय रुद्राऺ को धायण कयने वारा कहना ही क्यमा! आथाात ् सवा साॊसारयक भनुष्मं को स्वगा-
व्मत्रि सॊसाय भं वॊदन मोग्म हं । प्रासद्ऱ व रोक ऩयरोक सुधायने के सरए रुद्राऺ अवश्म
धायण कयने मोग्म हं ।

रुद्राऺ धायण परभ ् रुद्राऺॊ भस्तके धृत्वा सशय् स्नानॊ कयोसत म्।
गॊगास्नानॊपरॊ तस्म जामते नाि सॊशम्॥
रुद्राऺा मस्म गोिेषु रराटे ि त्रिऩुण्ड्रकभ ्।
अथाात् रुद्राऺ को भस्तक ऩय धायण कयके जो भनुष्म
स िाण्ड्डारोऽत्रऩ सम्म्ऩूज्म् सवावणंिभो बवेत ्॥
ससय से स्नान कयता हं उसे गॊगा स्नान के सभान ऩयभ
अथाात् क्षजसके शयीय ऩय रुद्राऺ हो औय रराट ऩय
ऩत्रवि स्नान का पर प्राद्ऱ होता हं तथा वह भनुष्म
त्रिऩुण्ड्ड हो, वह िाण्ड्डार बी हो तो सफ वणं भं उिभ
सभस्त ऩाऩं से भुि हो जाता हं इसभं सॊशम नहीॊ हं ।

यत्न एवॊ उऩयत्न


हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुडे़ फधु/फहन व यत्न

व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।

गुरुत्व कामाारम सॊऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785.


10 ददसम्फय 2011

1 से 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयने से राब

 सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी


 क्षजस स्थान ऩय एकभुखी रुद्राऺ होता हं वहाॊ से
एक भुखी: सभस्त प्रकाय के उऩद्रवो का नाश होता हं ।
 एकभुखी रुद्राऺ धायण कयने से अॊत्कयण भं ददव्म-
ऻान का सॊिाय होता हं ।
 बगवान सशव का विन हं की एकभुखी रुद्राऺ धायण
कयने से ब्रह्महत्मा व ऩाऩं का नाश कयने वारा हं ।
 एकभुखी रुद्राऺ सवा प्रकाय दक अबीष्ट ससत्रद्चमं को
प्रदान कयने वारा हं ।
 एकभुखी रुद्राऺ धायण कयने से धायण कताा भं
साक्षत्त्वक उजाा भं वृत्रद्च कयने भं सहामक, भोऺ प्रदान
कयने सभथा हं ।
 एकभुखी रुद्राऺ धभा, अथा, काभ औय भोऺ प्रदान
कयने वारा होता हं ।
एक भुखी रुद्राऺ साऺात ब्रह्म स्वरुऩ हं ।
एक भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
 एक भुखी रुद्राऺ काजू के सभान अथाात अधािद्र
ॊ ाकाय
स्वरुऩ भं प्राद्ऱ होते हं । एक भुखी रुद्राऺ गोर आकाय
ॐ एॊ हॊ औॊ ऎ ॐ॥
भं सयरता से प्राद्ऱ नहीॊ होता हं । क्यमोदक गोराकाय भं
सभरना दर
ु ब
ा भानागमा हं । फडे सौबाग्म दकसी भॊि ससद्च ऩन्ना गणेश
भनुष्म को गोर एक भुखी रुद्राऺ के दशान एवॊ प्राद्ऱ बगवान श्री गणेश फुत्रद्च औय सशऺा के
से होता हं । कायक ग्रह फुध के असधऩसत दे वता हं ।
 इस सरए एकभुखी रुद्राऺ बोग व भोऺ प्रदान कयने ऩन्ना गणेश फुध के सकायात्भक प्रबाव
वारा हं । को फठाता हं एवॊ नकायात्भक प्रबाव को
 जो भनुष्म ने एकभुखी रुद्राऺ धायण दकमा हो उस कभ कयता हं ।. ऩन्न गणेश के प्रबाव से
ऩय भाॊ रक्ष्भी हभेशा कृ ऩा वषााती हं । मा क्षजस घय भं व्माऩाय औय धन भं वृत्रद्च भं वृत्रद्च होती

एकभुखी रुद्राऺ का ऩूजन होता हं वहाॊ रक्ष्भी का हं । फच्िो दक ऩढाई हे तु बी त्रवशेष पर प्रद हं ऩन्ना गणेश
इस के प्रबाव से फच्िे दक फुत्रद्च कूशाग्र होकय उसके
स्थाई वास होता हं ।
आत्भत्रवश्वास भं बी त्रवशेष वृत्रद्च होती हं । भानससक अशाॊसत को
 एकभुखी रुद्राऺ धायण कयने वारे भनुष्म के घय भं
कभ कयने भं भदद कयता हं , व्मत्रि द्राया अवशोत्रषत हयी त्रवदकयण
धन-धान्म, सुख-सभृत्रद्च-वैबव, भान-सम्भान प्रसतष्ठा भं
शाॊती प्रदान कयती हं , व्मत्रि के शायीय के तॊि को सनमॊत्रित
वृत्रद्च कयने वारा हं ।
कयती हं । क्षजगय, पेपिे , जीब, भक्षस्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्मादद
 एकभुखी रुद्राऺ धायण कयने वारे भनुष्म की सबी योग भं सहामक होते हं । कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हं ।
प्रकाय की भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । . Rs.550 से Rs.8200 तक
11 ददसम्फय 2011

दोभुखी रुद्राऺ: दहस्टीरयमा, फूये स्वप्न आदद से यऺा होती हं । साथा


ही एक रुद्राऺ को गबावती स्त्री के त्रफस्तय ऩय तदकए
के नीिे एक दडक्षब्फ भं यखने से असधक राब प्राद्ऱ
होता हं ।
दो भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ॐ ऺीॊ ह्रीॊ ऺं व्रीॊ ॐ॥

तीन भुखी रुद्राऺ:

 दो भुखी रुद्राऺ फादाभ के सभान आकाय


भं व गोराकाय स्वरुऩ दोनो स्वरुऩं भं प्राद्ऱ होता हं ।
 दो भुखी रुद्राऺ साऺात अद्चा नायीश्वय का स्वरुऩ हं ।
कुछ ग्रॊथो भं दो भुख वारे रुद्राऺ को दे व दे वेश्वय कहा
गमा हं ।
 सशव-शत्रि की सनयॊ तय कृ ऩा प्रासद्ऱ हे तु दोभुखी रुद्राऺ
त्रवशेष राबकायी होता हं ।
 दो भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भानससक शाॊसत प्राद्ऱ
होकय ताभससक प्रवृत्रिमं का नाश होता हं ।  तीन भुखी रुद्राऺ थोडा रॊफे आकाय भं व
 दो भुखी रुद्राऺ धायण कताा को आर्धमाक्षत्भक उन्नसत गोराकाय स्वरुऩ दोनो स्वरुऩं भं प्राद्ऱ होता हं ।
के सरए सहामता प्रदान कयता हं ।  तीन भुखी रुद्राऺ साऺात अक्षग्न का स्वरुऩ हं ।
 दो भुखी रुद्राऺ धायण कयने से उदय सॊफॊसधत  तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से गॊसबय फीभारयमं से
सभस्माओॊ से भुत्रि सभरती हं । यऺा होती हं ।
 दो भुखी रुद्राऺ आकक्षस्भक दघ
ु ट
ा नाओॊ से यऺा कयने  मदद कोई रम्फे सभम से योगग्रस्त हं तो उसके तीन
भं सहामक ससद्च होता हं । भुखी रुद्राऺ धायण कयने से योग से शीघ्र भुत्रि
 दो भुखी रुद्राऺ धायण कयने से गौ हत्मा के ऩाऩं का सभरती हं ।
नाश कयता हं ।  तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयना ऩीसरमा के योगी के
 दो भुखी रुद्राऺ से अनेक प्रकाय की व्मासधमाॊ स्वत् सरए अत्मासधक राबकायी होता हं ।
ही शाॊत हो जाती हं ।  तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से स्पूसता, कामाऺभता
 दो भुखी रुद्राऺ भनुष्म की भनोकाभनाओॊ को ऩूणा भं वृत्रद्च होती हं ।
कयने वारा एवॊ शुब पर प्रदान कयने वारा हं ।  जानकायं के भतानुशाय तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने
 मदद दो भुखी रुद्राऺ को गबावती स्त्री अऩनी कभय ऩय से स्त्री हत्मा इत्मादद ऩाऩं का नाश होता हं । कुछ
मा बुजा ऩय धायण कयती हं तो गबाावस्था के नौ त्रवद्रानो का भत हं की तीन भुखी रुद्राऺ ब्रह्म हत्मा के
भदहने तक उसकी अनजाने बम, तोने-तोटके, फेहोशी, ऩाऩ को नाश कयने भं बी सभथा हं ।
12 ददसम्फय 2011

 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शत ज्वय दयू होता  िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से वाणी भं सभठास
हं । आती हं ।
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अद्भत
ु त्रवद्या की  िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भानससक त्रवकाय दयू
प्रासद्ऱ होती हं । होते हं ।
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयना भॊदफुत्रद्च फच्िं के  त्रवद्रानो का कथन है की िाय भुखी रुद्राऺ के दशान
फौसधक त्रवकास के सरए अत्मॊत राबदामक ससद्च होता एवॊ स्ऩशा से धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन िायं
हं । ऩुरुषाथो की शीघ्र प्रासद्ऱ होती हं ।
 सनम्न यििाऩ को दयू कयने भं बी तीन भुखी रुद्राऺ  िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जीव हत्मा के ऩाऩं
धायण कयना राबदामक होता हं । का नाश होता हं ।
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अक्षग्नदे व की कृ ऩा  िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ददव्म ऻान की प्रासद्ऱ
प्राद्ऱ होती हं । होती हं ।
 तीन भुखी रुद्राऺ से अक्षग्न बम से यऺण होता हं ।  िाय भुखी रुद्राऺ को अबीष्ट ससत्रद्चमं को प्राद्ऱ कयने भं
सहामक व कल्माणकायी हं ।
तीनभुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:- िाय भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ॐ यॊ हूॊ ह्रीॊ हूॊ ओॊ॥ ॐ व्राॊ क्राॊ ताॊ हाॊ ई॥

िाय भुखी रुद्राऺ:


गणेश रक्ष्भी मॊि

प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दक


ु ान-
ओदपस-पैक्यटयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी
भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता
 िाय भुखी रुद्राऺ साऺात ब्रह्मा का स्वरुऩ हं ।
हं । मॊि के प्रबाव से बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतष्ठा
 िाय भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से फौसधक शत्रि का
एवॊ व्माऩय भं वृत्रद्च होती हं एवॊ आसथाक क्षस्थभं सुधाय
त्रवकास होता हं ।
होता हं । गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने से
 त्रवद्यार्धममन कयने वारे फच्िो के फौसधक त्रवकास एवॊ
बगवान गणेश औय दे वी रक्ष्भी का सॊमुि आशीवााद
स्भयण शत्रि के त्रवकास के सरए िाय भुखी रुद्राऺ
उिभ परदासम ससद्च होता हं ।
प्राद्ऱ होता हं । Rs.550 से Rs.8200 तक
13 ददसम्फय 2011

ऩॊि भुखी रुद्राऺ: से यऺा होती हं ।


 त्रवष के प्रबाव को कभ कयने भं ऩॊिभुखी रुद्राऺ असत
राबदामक हं ।
 भहाऩुरुषो का कथन हं की ऩॊिभुखी रुद्राऺ धायण
कयने से ऩयस्त्री गभन, अबक्ष्म बोजन का बऺण
कयने के ऩाऩं से भुत्रि सभरती हं । सिि का शुत्रद्च
कयण हो जाता हं ।
 ऩॊिभुखी रुद्राऺ को ऩॊितत्त्वं का प्रतीक भानाजाता हं ।
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ को शास्त्रकायं ने आमुवद्चा क एवॊ
सवाकल्माणकायी व भॊगरप्रदामक भाना हं ।
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ अबीष्ट कामो की ससत्रद्च हे तु राबदाम
होता हं ।
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ साऺात काराक्षग्न का स्वरुऩ हं । जन साभान्म भं एसी भ्रभक धायणाएॊ हं की ऩॊि भुखी
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सबी प्रकाय के रुद्राऺ सस्ता एवॊ आसानी से सभरने के कायण मह
असनष्ट एवॊ कश्टो से भुत्रि सभरती हं । असधक राबकायी नहीॊ होता। रेदकन वास्तत्रवकता इससे
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ भनोवाॊसित पर प्राद्ऱ कयने हे तु ऩये हं जानकायं का भत हं की ऩॊिभुखी सवाासधक
उिभ हं । राबकायक होता हं । भनुष्म को अऩने उद्ङे श्म की ऩूसता हे तु
 ऩॊिभुखी रुद्राऺ धायण कयने से सुख-शाॊसत प्राद्ऱ होती हं । आवश्मिा के अनुशाय रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ शिु बम से यऺा कयने के सरए बी ऩॊि भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
राबदामक भानाजाता हं ।
ॐ ह्राॊ आॊ क्ष्म्मं स्वाहा॥
 ऩॊि भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जहयीरे जीव-जॊतुओॊ

 क्यमा आऩके फच्िे कुसॊगती के सशकाय हं ?

 क्यमा आऩके फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ?

 क्यमा आऩके फच्िे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ?


घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कुसॊगती से छुडाने हे तु फच्िे के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-
त्रवधान से भॊि ससद्च प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.दडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने
घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मदद आऩ तो आऩ भॊि
ससद्च वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.दडब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका इस कय सकते हं ।

GURUTVA KARYALAY
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14 ददसम्फय 2011

छ् भुखी रुद्राऺ:  छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शिु ऩऺ ऩय त्रवजम


प्राद्ऱ कयने भं सपरता प्राद्ऱ होती हं ।
 इस सरए इसे शिुज
ॊ म रुद्राऺ कहाॊ जाता हं ।
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सबी प्रकाय की
अबीष्ट ससत्रद्चमाॊ प्रासद्ऱ भं सहामता सभरती हं ।

छ् भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-


ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्यरीॊ सं ऎॊ॥

सात भुखी रुद्राऺ:

 छ् भुखी रुद्राऺ साऺात कासताकेम का स्वरुऩ हं । कुछ


त्रवद्रानो के भत से छ् भुखी रुद्राऺ गणेशजी का
प्रसतक हं ।
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भाता ऩावाती शीघ्र
प्रसन्न होती हं ।
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से त्रवद्या प्रासद्ऱ भं
सपरता प्राद्ऱ होती हं । अत् छ् भुखी रुद्राऺ
त्रवद्यासथामं के सरए उिभ यहता हं ।
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से वाक शत्रि भं
सनऩुणता आती हं ।  सात भुखी रुद्राऺ सद्ऱ भातृकाओॊ का साऺात स्वरुऩ
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से व्मवसामीक कामं भं भाना जाता हं । इसे शास्त्रं भं अनॊग स्वरुऩ बी कहा
राब प्राद्ऱ होता हं । गमा हं ।
 छ् भुखी रुद्राऺ से भनुष्मको बौसतक सुख-सॊऩन्नता  सात भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सबी प्रकाय के
प्राद्ऱ होती हं । योग शाॊत हो जाते हं ।
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने दारयद्र्मता दयू होती हं ।  सात भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से दीधाामु की प्रासद्ऱ
 जानकायं नं छ् भुखी रुद्राऺ को धायण कयना भूच्छाा होती हं ।
जैसी फीभायी भं राबदामक फतामा हं ।  सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अबीष्ट ससत्रद्चमाॊ प्राद्ऱ
 छ् भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अऩाय शत्रि प्राद्ऱ होती हं ।
होती हं व भनुष्मकी सकर इच्छाओॊ की ऩूसता होती  भहाऩुरुषो का का कथन हं की सात भुखी रुद्राऺ
हं । धायण कयने से सोने की िोयी, गौवध जैसे अनेक
 भाहाऩुरुषो का कथन हं की छ् भुखी रुद्राऺ धायण ऩाऩं को नाश होता हं ।
कयने से भ्रूणहत्मा आदद ऩाऩं का सनवायण होता हं ।
15 ददसम्फय 2011

 भान्मता हं की सात भुखी रुद्राऺ धायण कताा की  आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से त्रवसबन्न प्रकाय के
अस्त्र-शस्त्रं के प्रहाय से यऺा कयता हं । त्रवघ्ननं को दयू कयने वारा हं ।
 त्रवद्रानो के भतानुशाय सात भुखी रुद्राऺ अकार भृत्मु  क्षजन रोगं का सिि असधकतय िॊिर यहता हं उनके
के बम को टारता हं । आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से एकाग्रता फढाने भं
 सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीघ्र उिभ बूसभ की राबप्राद्ऱ होता हं ।
प्रासद्ऱ होती हं ।  भहाऩुरुषो का का कथन हं की आठ भुखी रुद्राऺ
 सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से त्रवष प्रबाव से यऺा धायण कयने से असत्म बाषण, भानकूटाददक व
होती हं । ऩयस्त्रीजन्म ऩाऩं का नाश होता हं ।
 सात भुखी रुद्राऺ को सक्षन्नऩात, सभगॉ योग, शीत-  त्रवद्रानो का भत हं की आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयके
ज्वय इत्मादद योगं को शाॊत कयने भं राबदामक होता गणेशजी की ऩूजा-अिाना एवॊ साधना कयने से वह
हं । शीघ्र परप्रद होती हं ।
 सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से दरयद्रता दयू होती  आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सवा दे वगण प्रसन्न
हं । होते हं ।
 सात भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्रि को मश-  आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ऩूणााअमुष्म की
भानसम्भान की वृत्रद्च होती हं । प्रासद्ऱ होती हं ।
सात भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
आठ भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ॐ ह्रॊ क्रीॊ ह्रीॊ सं॥
ॐ ह्राॊ ग्रीॊ रॊ आॊ श्रीॊ॥

आठ भुखी रुद्राऺ:

शादी सॊफॊसधत सभस्मा


क्यमा आऩके रडके-रडकी दक आऩकी शादी भं
अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके
वैवादहक जीवन भं खुसशमाॊ कभ होती जायही हं
औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी
क्षस्थती होने ऩय अऩने रडके-रडकी दक कुॊडरी
का अर्धममन अवश्म कयवारे औय उनके
वैवादहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण
 आठ भुखी रुद्राऺ गणेशजी का साऺात स्वरुऩ भाना के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ
जाता हं । आठ भुखी रुद्राऺ को बैयव का स्वरुऩ बी कयं । GURUTVA KARYALAY :
भाना जाता हं । Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
 आठ भुखी रुद्राऺ अष्ट ससत्रद्चमं को प्रदान कयने वारा Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com,
हं । gurutva_karyalay@yahoo.in,
16 ददसम्फय 2011

नव भुखी रुद्राऺ:  नव भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से शिुऩऺ ऩयाक्षजत


होता हं ।
 नव भुखी रुद्राऺ कोटा -किेयी के कामो भं सपरता
प्राद्ऱ कयने के सरए उिभ भाना जाता हं ।
 नव भुखी रुद्राऺ धायण कयने से रृदम योग सनमॊिण
कयने भं त्रवशेष राबप्रद होता हं ।
नव भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ॐ ह्रीॊ वॊ मॊ यॊ रॊ॥

दश भुखी रुद्राऺ:

 नव भुखी रुद्राऺ नवदग


ु ाा का साऺात स्वरुऩ भाना
जाता हं । नव भुखी रुद्राऺ को बैयव का प्रसतक बी
भाना जाता हं । नव भुखी रुद्राऺ को नवग्रह, नव-नाथं
एवॊ नवधा बत्रि का प्रतीक बी सभझा जाता हं ।
 नवभुखी रुद्राऺ नव सनसधमं के प्रदान कयने वारा हं ।
 नव भुखी रुद्राऺ को हजायं-राखो-कयोिो ऩाऩं को नष्ट
कयने वारा कहा गमा हं ।
 नव भुखी रुद्राऺ भृत्मु बम दयू होता हं ।
 नव भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सबी प्रकाय की
साधना भं शीघ्र सपरता प्राद्ऱ होती हं ।  दश भुखी रुद्राऺ बगवान त्रवष्णु का साऺात स्वरुऩ
 नव भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म के भान- भाना जाता हं । दश भुखी रुद्राऺ को मभ एवॊ दस
सम्भान, प्रसतष्ठा भं वृत्रद्च होती हं । ददक्यऩार का स्वरुऩ बी भाना गमा हं ।
 नव भुखी रुद्राऺ को कामा ससद्च के सरए उिभ भाना  एसा भानाजाता हं दक दस भुखी रुद्राऺ भं बगवान
जाता हं । त्रवष्णु के दशं अवतायं की शत्रि सभादहत होती हं ।

ऩढाई से सॊफॊसधत सभस्मा


क्यमा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्नन मा रुकावटे हो यही हं ? फच्िो को अऩने ऩूणा
ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उसित पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कुॊडरी का त्रवस्तृत अर्धममन अवश्म
कयवारे औय उनके त्रवद्या अर्धममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के
फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।
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17 ददसम्फय 2011

 ताॊत्रिक साधनाओॊ भं दस भुखी रुद्राऺ का त्रवशेष दश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
भहत्व भाना जाता हं । ॐ श्रीॊ ह्रीॊ क्यरीॊ व्रीॊ ॐ॥
 दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से बूत-प्रेत, भायण-
भोहन इत्मादद ताॊत्रिक फाधाओॊ के दष्ु प्रबाव प्रबाव एकादश भुखी रुद्राऺ:
नहीॊ होता।
 दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से आकक्षस्भक
दघ
ु ट
ा नाओॊ से यऺा होती हं ।
 दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीघ्र ही भनुष्म का
मश दशं ददशाओॊ भं पेर जाता हं ।
 दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म की सकर
भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं ।
 योगं को शाॊत कयने भं दस भुखी रुद्राऺ से त्रवशेष
राबदामक होता हं ।
 दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ग्रहं के अशुब प्रबाव
शाॊत होते हं ।
 दस भुखी रुद्राऺ सबी प्रकाय की फाधाओॊ का नाश  एकादश भुखी रुद्राऺ को एकादश रुद्र का साऺात
कय, भनुष्म को सुख-शाॊसत व सभृत्रद्च प्रदान कयता हं स्वरुऩ भाना जाता हं । इन्द्र को बी एकादश भुखी

भॊि ससद्च स्पदटक श्री मॊि


"श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्रिशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्यमोदक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि
है । जो न केवर दस
ू ये मन्िो से असधक से असधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्रि के सरए पामदे भॊद सात्रफत होता
है । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि "श्री मॊि" क्षजस व्मत्रि के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी
ससद्च होता है उसके दशान भाि से अन-सगनत राब एवॊ सुख की प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भे सभाई अदद्रसतम एवॊ अद्रश्म शत्रि
भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होसत है । क्षजस्से उसका जीवन से हताशा औय सनयाशा दयू होकय वह
भनुष्म असफ़रता से सफ़रता दक औय सनयन्तय गसत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौसतक सुखो दक प्रासद्ऱ होसत
है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भं उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का
सनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से
सम्फक्षन्धत ऩये शासन भे न्मुनता आसत है व सुख-सभृत्रद्च, शाॊसत एवॊ ऐश्वमा दक प्रसद्ऱ होती है ।
गुरुत्व कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 दकरोग्राभ तक दक साइज भे उप्रब्ध है
.

भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 8.20 से Rs.28.00


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18 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ के दे वता भाना गमा हं । ॐ रुॊ भूॊ मूॊ औॊ॥


 एकादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सुख-सभृत्रद्च व द्रादश भुखी रुद्राऺ:
सौबाग्म की वृदद्ङ होती हं ।
 एकादश भुखी रुद्राऺ को सॊतान सुख के सरए
राबकायी भाना गमा हं ।
 एकादश भुखी रुद्राऺ सौबाग्मवती स्त्रीमं को अऩने
ऩसत कल्माण के सरए धायण कयना त्रवशेष शुब
परदामी भाना गमा हं ।
 एकादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सवाि त्रवजम की
प्रासद्ऱ होती हं ।
 एकादश भुखी रुद्राऺ भं सभाज को भोदहत कयने की
त्रवशेष शत्रि होती हं ।
 उिभ सॊतान की प्रासद्ऱ के सरए बी एकादश भुखी
रुद्राऺ धायण कयना िादहए।  द्रादश भुखी रुद्राऺ को बगवान त्रवष्णु का साऺात

 एकादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सॊक्राभक योगं से स्वरुऩ भाना जाता हं ।

सुयऺा होती हं । व मदद कोई व्मत्रि सॊक्राभक योग से  द्रादश भुखी रुद्राऺ भं सूमा आदद दे वता वास कयते

ऩीदडत हं तो शीघ्र स्वस्थ्म राब हे तु एकादश भुखी हं । इस सरए इसे आददत्मरुद्राऺ बी कहते हं ।

रुद्राऺ धायण कयना िादहए।  त्रवष्णु बिं मदद द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयते

 शास्त्रं भं उल्रेख हं की एकादश भुखी रुद्राऺ को हं तो बगवान शीघ्र प्रसन्न होते हं ।

भस्तक भं मा सशखा ऩय धायण कयने ऩय अश्वभेघ  ब्रह्मिामा व्रत के ऩारन के सरए द्रादश भुखी रुद्राऺ

मऻ कयने के सभान पर, वाजऩेम मऻ कयने के को धायण कयना त्रवशेष उऩमोगी ससद्च होता हं ।

सभान पर एवॊ िॊद्र ग्रहण भं दकए गए दान ऩुण्ड्म के  द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म के

सभान पर प्राद्ऱ होते हं । ओज-तेज की वृत्रद्च होती हं ।


 द्रादश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से त्रवसबन्न
एकादश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
प्रकायकी व्मासधमं से स्वत्भुत्रि सभरने रगती हं ।

भॊि ससद्च दर
ु ब
ा साभग्री
हत्था जोडी- Rs- 370 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370 दक्षऺणावतॉ शॊख- Rs- 550 इन्द्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत शॊख- Rs- 550 धन वृत्रद्च हकीक सेट Rs-251
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19 ददसम्फय 2011

 द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जहयीरे जीव-  िमोदश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अतुल्म धन-
जॊतु, िोय-रुटेयं, अक्षग्न बम, आदद शुद्र शत्रिमं से सॊऩत्रिअ प्राद्ऱ होती हं ।
सुयऺा होती हं ।  िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्रि सॊऩूणा
 द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म के धातुओॊ की यसामनाददक ससत्रद्चमं का ऻाता फन जाता
सभस्त ऩाऩं का नाश हो जाता हं । हं ।
 त्रवद्रानो का भत हं की द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण  िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्रि को
कयने से दरयद्र से दरयद्र भनुष्म का बी सभृत्रद्च को भान-सम्भान, मश, ऩद-प्रसतष्ठा, आकषाक व्मत्रित्व की
प्राद्ऱ कय रेता हं । प्रासद्ऱ होती हं ।
 ३२ भणकं की भारा कॊठ भं धायण कयने से  िमोदश भुखी रुद्राऺ का त्रवशेषऻ की सराह से दध
ू के
भनुष्म के गो-वध, भनुष्म वध एवॊ िोयी इत्मादद साथ प्रमोग राबकयी ससद्च होता हं ।
ऩाऩं का नाश होता हं ।  िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सभस्त प्रकाय
 त्रवद्रानो का कथन हं की द्रादश भुखी रुद्राऺ को की शत्रि व ससत्रद्चमं की प्रासद्ऱ भं त्रवशेष सहामता प्राद्ऱ
सशखा ऩय धायण कयने से भनुष्म के भस्तक प्र होती हं ।
आददत्म त्रवयाजभान हो जाते हं । िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
द्रादश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:- ॐ ईं माॊ आऩ ओभ ्॥
ॐ ह्रीॊ श्रं धृक्षण: श्रीॊ॥
ितुदाश भुखी रुद्राऺ:
िमोदश भुखी रुद्राऺ:

 ितुदाश भुखी रुद्राऺ को सशव का साऺात स्वरुऩ भाना


 िमोदश भुखी रुद्राऺ को काभदे व का साऺात स्वरुऩ जाता हं । त्रवद्रानो ने ितुदाश भुखी रुद्राऺ को हनुभान
भाना जाता हं । का स्वरुऩ बी भाना हं । इस सरए ितुदाश भुखी रुद्राऺ
 िमोदश भुखी रुद्राऺ को इन्द्र का स्वरुऩ बी भाना को हनुभान रुद्राऺ के नाभ से बी जाना जाता हं ।
गमा हं ।  ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सकर अबीष्ट
 िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से भनुष्म की ससत्रद्चमं की प्रासद्ऱ होती हं ।
सॊऩूणा भनोकाभनाएॊ ससद्च होती हं ।  ितुदाश भुखी रुद्राऺ की उत्ऩत्रि के फाये भं उल्रेख हं
की बगवान सशव के डभरु से िौदह प्रत्माहाय सनकरे
20 ददसम्फय 2011

थे तथा कुछ प्रभुख शास्त्रं भं बी एक से ितुदाश भुखी  ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण को भस्तक ऩय धायण
रुद्राऺ का उल्रेख सभरता हं । कयने से सभस्त ऩाऩं का नाश होता हं ।
 ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सबी प्रकाय के
कष्टं का सनवायण हो जाता हं । ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
 ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से भनुष्म ॐ औॊ स्पे खव्पं हस्त्रौ हसव्रै्॥
त्रवसबन्न योगं से भुत्रि सभरती हं औय स्वास्थ्म राब जो भनुष्म ऩृथ्वी ऩय रुद्राऺ को भॊि सदहत धायण कयते
प्राद्ऱ होता हं । हं वे रुद्ररोक भं जाकय वास कयते हं तथा जो भॊि यदहत
 ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से व्मत्रि को सबी रुद्राऺ धायण कयते हं वे घोय नयक के बागी होते हं ।
ऺेिं भं उन्नसत प्राद्ऱ होती हं ।
 ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से ऩयभ ऩद की उऩयंि रुद्राऺं को धायण कयने वारे भनुष्म को बूत,
प्रासद्ऱ होती हं । प्रत, त्रऩशाि, डादकनी, शादकनी आदद का बम नहीॊ यहता।
 ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से शसन ग्रह से रुद्राऺ धायण कयता भनुष्म ऩय दे वी-दे वता शीघ्र प्रसन्न
सॊफॊसधत अशुब प्रबाव की शाॊसत होती हं । होते हं । व भनुष्म की सभस्त काभनाएॊ ऩूणा होती हं ।
 ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शिु व दष्ट
ु ं का
नाश होता हं ।

असरी 1 भुखी से 14 भुखी रुद्राऺ


गुरुत्व कामाारम भं सॊऩण
ू ा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवॊ असरी 1 भुखी से 14 भुखी तक के रुद्राऺ उऩरब्ध हं ।
ज्मोसतष कामा से जुडे़ फधु/फहन व यत्न व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न
मॊि, रुद्राऺ व अन्म दर
ु ब
ा साभग्रीमाॊ एवॊ अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । रुद्राऺ के त्रवषम भं असधक
जानकायी के सरए कामाारम भं सॊऩका कयं ।

त्रवशेष मॊि
हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-िाॊदद-ताम्फे भं आऩकी आवश्मिा के अनुशाय दकसी
बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी आवश्मक दडजाईन के अनुशाय २२ गेज शुद्च ताम्फे भं
अखॊदडत फनाने की त्रवशेष सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । असधक जानकायी के सरए कामाारम भं सॊऩका
कयं ।

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21 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ के त्रवसबन्न राब


 सिॊतन जोशी
रुद्राऺ का प्रमोग ऩूजा-ऩाठ, जऩ-तऩ इत्मादद धासभाक  पुॊससमं की सभस्मा होने ऩय रुद्राऺ को ऩत्थय ऩय
कामं भं तो अवश्म सपरता प्रदान कयता हं । इस के ऩानी से सघस कय रेऩ फानाकय पुॊससमं ऩय रगाने से
अरावा रुद्राऺ औषधीम गुणं से बी बयऩूय होता हं । पुॊससमं शीघ्र दठक होने रगती हं ।
रुद्राऺ कई योगं भं आयाभ ऩहूॊिाने भं त्रवशेष राबदामक  ऩेट ददा भं रुद्राऺ के वजन से दोगुना वजन की
ससद्च होता हं । कुटकी औय भेनपर तीनं का काॊजी के साथ ऩीसकय
त्रवसबन्न अॊगो ऩय रुद्राऺ धायण कयने से प्राद्ऱ रेऩ फनाकय, गुनगुना कय नासब ऩय रगाने से ददा

होने वारे राब शीघ्र खत्भ हो जाता हं ।


 िोट, भोि मा सूजन की सभस्मा होने ऩय रुद्राऺ,
 रुद्राऺ धायण कयने से कई प्रकाय के स्नामु त्रवकाय दयू
संठ, दे वदारु, सहजन औय सपेद सयसं को सभान
हो जाते हं ।
भािा भं काॊजी के साथ ऩीसकय रेऩ फनाकय उस
 रुद्राऺ धायण कयने से उच्ि यि िाऩ एवॊ सनम्न
स्थान ऩय रगाने से सूजन शीघ्र ठीक हो जाती हं ।
यििाऩ को सनमॊिण भं यखने भं त्रवशेष राबकायी
 मदद जरे हुए स्थान ऩय रुद्राऺ को ऩीसकय नारयमर
भाना गमा हं ।
के तेर भं सभराकय रगाने से जरन तत्कार शाॊत हो
 रुद्राऺ धायण कयने से टोक्षन्सर की सभस्मा दयू होती
जाती हं औय आयाभ सभरता हं ।
हं । स्वय का बायीऩन दयू होता हं ।
 ससय ददा की सभस्मा हो तो रुद्राऺ को ऩानी भं
 रुद्राऺ को कॊठ भं धायण कयने से सभस्त प्रकाय के
सघसकय साथ भं कऩूय सभरा कयभाथे ऩय रगाने से
गरे के योगं का सनवायण हो जाता हं ।
ससयददा दयू हो जाता हं ।
 रुद्राऺ को बुजा ऩय धायण कयने से वातयोग दयू होते
 मदद कान ऩक गमा हो, मा कभ सुनाई दे ता हो तो
हं ।शुक्राणुदोष सभाद्ऱ होते हं एवॊ वीमाकी वृत्रद्च होती हं ।
प्रसतददन रुद्राऺ डु फाए जर की कुछ फूॊदं कान भं
 रुद्राऺ को दोनं बुजा ऩय धायण कयने से भनुष्म का
डारने से राब होता है व कान का ददा दयू हो जाता
ऩऺाघात अथाात रकवे जसनत योगो से फिाव होता हं ।
हं ।
 साप रुद्राऺ को ऩानी भं तीन-िाय घॊटे सबगो ने के
 कप की सभस्मा हो, तो रुद्राऺ, कभर, नीरकभर,
फाद उस ऩानी को ऩीने से फेिन
ै ी, घफयाहट व उक्षल्ट
यि िॊदन, भुरहठी, दे वदारु औय खयै टी को सभान
की सभस्मा भं याहत सभरती हं ।
भािा भं रेकय िूणा फनारे। इस िूणा भं गाम का घी
 मदद नेिं भं जरन हो यही हो, आॊखो से धुध
ॊ रा
औय दध
ू सभराकय रेऩ फनाकय उसे छाती रगाने से
ददखाई दे ता हं, आॊखो की ज्मोसत कभजोय हो यही हो,
कप शीघ्र कभ होने रगता हं ।
तो रुद्राऺ को ऩानी भं तीन-िाय घॊटे सबगो ने के फाद  रुद्राऺ का काढ़ा फनाने के सरए रुद्राऺ, दकशसभश,
आॊखं भं उस ऩानी के छीॊटे भाय कय आॊखे कुछ ऩर हयि औय अडू सा की जि को सभान भािा भं रेकय
के सरए फॊध कय दे । दपय आॊखे खोरने ऩय सफ कुछ उसके वजन से 32 गुना ऩानी भं डारकय उफारं।
जफ ऩानी 1/8 अॊश शेष यहे तफ उताय रं दपय
स्ऩष्ट ददखाई दे ने रगता हं ।
आवश्मिा अनुशाय शहद के साथ भं सेवन कयं ।
22 ददसम्फय 2011

 जानकायं के भतानुशाय रुद्राऺ का काढ़ा अनेक योगं का सेवन कयं उदय व्मासध से शीघ्र भुत्रि सभरने
को दयू कयने वारा, शयीय को सनयोगी यखने भं रगती हं ।
सहामक, यि के शुत्रद्च कयण हे तु उिभ होता हं ।  असनद्रा की सभस्मा हो, क्षजन्हं हय यात सोते सभम
 रुद्राऺ का काढ़े भं शहद सभराकय दो से तीन ग्राभ नीॊद की गोरी(Sleeping pills) रेसन ऩडती हो। उनके
की भािा भं प्रात्कार सेवन कयने से साॊस से सरए याभफाण हं रुद्राऺ की भारा, भारा को सोते
सॊफॊसधत फीभारयमाॊ औय यित्रऩि की सभस्मा भं सभम तदकए के नीिे यखने से असनद्रा की सभस्मा
राबदामक होता हं । दयू होती हं । नीॊद शीघ्र आती हं व नीॊद की गोसरमाॊ
 उच्ि यििाऩ मा सनम्न यििाऩ को सनमॊत्रित कयने रेने की आदत से भुत्रि सभरती हं ।
के सरए। रुद्राऺ के दस दाने ताम्फं के फतान भं 50  खाॊसी होने ऩय 10 भुखी रुद्राऺ को दध
ू के साथ
ग्राभ जर भं सबगोकय प्रात्कार सनमसभत रुऩ से सघसकय ददन भं 3 फाय सेवन कयने से खाॊसी से जल्द
सेवन कयने से शीघ्र राब प्राद्ऱ होता हं । याहत सभरने रगती हं ।
 उच्ि यििाऩ की सभस्मा होने ऩय रुद्राऺ की भारा  क्षजन्हं गुस्सा असधक आता हो, अनावश्मक गुस्सा
धायण कयना राबदामक होता हं । रुद्राऺ की भारा आता हो, स्वबाव भं सििसिडा ऩनयहता हो, उन्हं
योगी के रृदम से रगी यहनी िादहए। रुद्राऺ की भारा धायण कयने से गुस्से ऩय सनमॊिण
 जोिं के ददा औय फदन ददा की सभस्मा हो, तो रुद्राऺ यखने भं सहामता प्राद्ऱ होती हं ।
के दानो को सतर के तेर भं 21 तक डू फाकय यखे,  मदद फच्िा यात भं डय जाता हो मा यात भं िौक कय
दपय शयीय के क्षजस दहस्से भं ददा हो उस स्थान ऩय उठ जाते हो उसे रुद्राऺ ऩहनाने से राबप्राद्ऱ होता है ।
धीये -धीये सनमसभत भरने से ददा से छूटकाया सभरने  ऩाॊि भुखी रुद्राऺ को िॊदन की तयह घीस कय उसका
रगता हं । सतरक कयने से व्मत्रि क्षजससे बी फात कयता हं उस
 उदय से सॊफॊसधत व्मासध होने ऩय एक सगरास ऩानी भं ऩय अऩना प्रबाव अवश्म छोडता हं ।
रुद्राऺ के ऩाॊि दाने सबगं दं , सनमसभत सुफह उस जर

भॊि ससद्च मॊि


गुरुत्व कामाारम द्राया त्रवसबन्न प्रकाय के मॊि कोऩय ताि ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे त्रवसबन्न प्रकाय की
सभस्मा के अनुसाय फनवा के भॊि ससद्च ऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवॊ िैतन्म मुि दकमे जाते है . क्षजसे साधायण (जो ऩूजा-ऩाठ
नही जानते मा नही कसकते) व्मत्रि त्रफना दकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते है . क्षजस भे प्रसिन
मॊिो सदहत हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनाए गमे मॊि बी सभादहत है . इसके अरवा आऩकी आवश्मकता अनुशाय मॊि
फनवाए जाते है . गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊदडत एवॊ २२ गेज शुद्च कोऩय(ताि ऩि)- 99.99
टि शुद्च ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है . मॊि के त्रवषम भे असधक जानकायी के सरमे हे तु

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23 ददसम्फय 2011

जन्भ नऺि एवॊ यासश से रुद्राऺ िमन

 स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
रग्न के अनुसाय रुद्राऺ धायण
प्रकृ सत ने हभं यत्न के रुऩ भं एक अनुऩभ उऩहाय ददमा हं । मदह कायण हं की ऩुयातन कार से ही ग्रह दोष के
सनवायण के सरए, अऩने त्रवसबन्न उद्ङे श्म औय भनोकाभनाओॊ की ऩूसता के सरए व त्रवसबन्न सभस्माओॊ के सनवायण के
सरए ज्मोसतष के जानकाय यत्न धायण कयने की सराह दे ते है ।
ज्मोसतष के जानकायं का भत हं की शुद्च व उच्ि गुणविा वारे यत्न धायण कयना परदामी होता हं । अन्मथा
न्मूनतभ गुणविा वारे यत्न धायण कयना मा उऩमोग कयना नुकसानदे ह बी हो सकता है । एक उिभ गुणविा वारे यत्न
को धायण कयने के सरए अत्मासधक अथा खिा कयना ऩि सकता हं जो एक साभान्म व्मत्रि की ऩहंि से फहाय हो
सकता हं । क्यमोदक आजके आधुसनक मुग भं शुद्च एवॊ दोषभुि यत्न फहुत कीभती हो गए हं ।
इस सरए त्रवद्रानो का भत हं की उिभ यत्न के फदरे भं रुद्राऺ धायण कयना एक सयर एवॊ दकपामती उऩाम ससद्च हो
सकता हं ।
रुद्राऺ धायण कयना त्रवशेष रुऩ से नऺि एवॊ यासश के अनुशाय राबकायी रुद्राऺ
राबप्रद ही होता हं क्यमोदक रुद्राऺ धायण ग्रह नऺि यासश राबकायी रुद्राऺ
कयने से कोई नुकसान नहीॊ होता हं ।
सूमा कृ सतका-उियापाल्गुनी-उियाषाढ़ा ससॊह 1 भुखी, 12 भुखी
ज्मोसतष भं कुॊडरी भं त्रिकोण बाव
िॊद्र योदहक्षण-हस्त-श्रवण कका 2 भुखी, गौयी-शॊकय
(रग्न, ऩॊिभ एवॊ नवभ) को सवाासधक
भॊगर भृगसशया-सििा-धसनष्ठा भेष-वृक्षिक 3 भुखी
फरशारी भाना गमा है ।
जन्भ कुॊडरी भं फुध अश्लेषा-जेष्ठा-ये वसत सभथुन-कन्मा 4 भुखी
 रग्न बाव जातक का जीवन, आमुष्म गुरु ऩुनवासु-त्रवशाखा-ऩूवााबाद्रऩद धनु-भीन 5 भुखी
एवॊ आयोग्म को दशााता हं । शुक्र बयणी-ऩूवाापाल्गुनी-ऩूवााषाढ़ वृषब-तुरा 6 भुखी, 13 भुखी
 ऩॊिभ बाव जातक के फर, फुत्रद्च,
शसन ऩुष्म-अनुयाधा-उियाबाद्रऩद भकय-कुॊब 7 भुखी, 14 भुखी
त्रवद्या एवॊ प्रससत्रद्च को दशााता हं ।
याहु आद्रा-स्वासत-शतसबषा - 8 भुखी
 नवभ बाव जातक के बाग्म एवॊ धभा
कामं को दशााता हं । केतु अक्षश्वनी-भघा-भूर - 9 भुखी

अत् रग्नेश फरशारी होने ऩय सदा नवग्रहं के दोष सनवायण हे तु 10 भुखी, 11 भुखी
शुबपर प्राद्ऱ होता है । मह स्वास्थ्म,
प्राणशत्रि, कामा भं ससत्रद्च तथा कुशरता प्रदान कयने भं सहामक होता हं ।
 रग्नेश फरशारी होने ऩय जीवन के अन्म ऺेिं भं बी सहामता प्राद्ऱ होती है ।
 ऩॊिभेश फरशारी होने ऩय ऩुण्ड्म परं की प्राद्ऱ होते हं । मह सृजनात्भक शत्रि तथा सॊतान के सरए बी शुबकायी
होता है ।
 नवभेश फरशारी होने ऩय बाग्म भं शुबपरं की प्रासद्ऱ होती हं ।
24 ददसम्फय 2011

इस सरए रग्न के अनुसाय जन्भ कुॊडरी भं त्रिकोण बाव के स्वाभी ग्रह का रुद्राऺ धायण कयना सवाासधक राबप्रद ससद्च
होता हं । आऩके भागादशान के सरए महाॊ रग्न के अनुशाय कौन सा रुद्राऺ आऩके सरए उऩमुि यहे गा वहॊ दशाामा गमा
हं ।
जन्भ रग्न से रुद्राऺ िमन
रग्न राबकायी ग्रह राबकायी रुद्राऺ
भेष भॊगर+सूम+
ा गुरु 3 भुखी + 1 भुखी मा 12 भुखी + 5 भुखी
वृषब शुक्र+फुध+शसन 6 भुखी मा 13 भुखी + 4 भुखी + 7 भुखी मा 14 भुखी
सभथुन फुध+शुक्र+शसन 4 भुखी + 6 भुखी मा 13 भुखी + 7 भुखी मा 14 भुखी
कका िॊद्र+भॊगर+गुरु 2 भुखी + 3 भुखी + 5 भुखी
ससॊह सूम+
ा गुरु+भॊगर 1 भुखी मा 12 भुखी + 5 भुखी + 3 भुखी
कन्मा फुध+शसन+शुक्र 4 भुखी + 7 भुखी मा 14 भुखी+ 6 भुखी मा 13 भुखी
तुरा शुक्र+शसन+फुध 6 भुखी मा 13 भुखी+ 7 भुखी मा 14 भुखी+4 भुखी
वृक्षिक भॊगर+गुरु+िॊद्र 3 भुखी + 5 भुखी + 2 भुखी
धनु गुरु+भॊगर+सूमा 5 भुखी + 3 भुखी + 1 भुखी मा 12 भुखी
भकय शसन+शुक्र+फुध 7 भुखी मा 14 भुखी+ 6 भुखी मा 13 भुखी+ 4 भुखी
कुॊब शसन+फुध+शुक्र 7 भुखी मा 14 भुखी+ 4 भुखी + 6 भुखी मा 13 भुखी
भीन गुरु+िॊद्र+भॊगर 5 भुखी + 2 भुखी +3 भुखी

द्रादश भहा मॊि


मॊि को असत प्रासिन एवॊ दर
ु ब
ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं ।
 ऩयभ दर
ु ब
ा वशीकयण मॊि,  सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्च मॊि
 बाग्मोदम मॊि  आकक्षस्भक धन प्रासद्ऱ मॊि
 भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्च मॊि  ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि
 याज्म फाधा सनवृत्रि मॊि  योग सनवृत्रि मॊि
 गृहस्थ सुख मॊि  साधना ससत्रद्च मॊि
 शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  शिु दभन मॊि

उऩयोि सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्च ऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवॊ िैतन्म मुि दकमे
जाते हं । क्षजसे स्थाऩीत कय त्रफना दकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं ।

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25 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ धायण से काभनाऩूसता

 सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी


रुद्राऺ को बगवान शॊकय का त्रप्रम आबूषण भाना रुद्राऺ धायण के शास्त्रोि सनमभ औय भत
जाता हं । महीॊ कायण हं की सशव बि अऩने गरे व बुजा
 सबी वणा के रोग रुद्राऺ धायण कय सकते हं ।
भं रुद्राऺ धायण कयते हं । क्यमोकी त्रवद्रानो के भत से
 धायण कयते सभम ॐ नभ: सशवाम का जाऩ कयना
शास्त्रोि भान्मता है की दीघाामु प्रदान कयने वारा तथा
राबप्रद यहे गा।
भनुष्म को अकार भृत्मु से यऺा कयने वारा हं ।
 रुद्राऺ को अऩत्रविता के साथ धायण न कयं ।
गृहस्थ व्मत्रिमं के सरए रुद्राऺ अथा औय काभ को  रुद्राऺ को ऩूणा बत्रि औय शुद्चता से ही धायण कयं ।
प्रदान कयता हं तो साधुसॊत व सॊन्माससमं के सरए रुद्राऺ  क्यमोदक रुद्राऺ अटू ट श्रद्चा औय त्रवश्वास से धायण कयने ऩय
धभा औय भोऺ को प्रदान कयने वारा भाना जाता हं । रुद्राऺ ही पर प्राद्ऱ होता हं ।
को भनुष्म की अनेक शायीरयक औय भानससक व्मासधमं को दयू  रुद्राऺ को रार, ऩीरा मा सपेद धागे भं धायण कयना
कय भानससक शाॊसत प्रदान कयने वारा भाना जाता हं । राबप्रद यहे गा।
मोगाभ्मास से जुडे साधनो के सरमे रुद्राऺ कुॊडसरनी जागृत  िाॉदी, सोना मा ताॊफे भं बी धायण दकमा जा सकता हं ।
कयने भं सहामक ससद्च होता हं ।  रुद्राऺ हभेशा त्रवषभ सॊख्मा भं धायण कयना राबप्रद
रुद्राऺ के धायण कयता को तॊत्रिक व बूत-प्रेत होता हं ।
इत्मादद का असय नहीॊ होता हं । शास्त्रोि भत से रुद्राऺ के
योजगाय के अनुशाय रुद्राऺ िुनाव
दशान भाि से ही ऩाऩं का ऺम हो जाता हं । क्षजसके घय भं
रुद्राऺ की ऩूजा की जाती है वहाॉ रक्ष्भीजी सदा वास कयती हं । सशव बिो के जीवन भं सवा श्रेष्ठ सपरता के सरए रुद्राऺ
साधायण रुऩ से रुद्राऺ का प्रबाव 1-2 ददन भं प्रबाव धायण कयना सवोिभ भाना गमा हं ।
ददखने रगता है । ऩयॊ तु त्रवशेष ऩरयक्षस्थत व कामा  याजनेता, भॊिी, त्रवधामक को ऩूणा सपरता हे तु 1 भुखी
उद्ङे श्म की ऩूसता हे तु धायण दकमा गमा
+ 13 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
रुद्राऺ 45 ददन भं अऩना प्रबाव
 सयकायी व कानूनी कामा से जुिे जुडे रोगो को 1
ददखता हं ।
भुखी + 13 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ के साथ भं िाॊदी
के भोती जडवा कय धायण कयना िादहए।
 जज एवॊ न्मामाम कामा से जुडे रोगो को 2 भुखी +
14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
 वकारत के कामो से जुडे रोगो को 4 भुखी + 6
भुखी + 13 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
 फंक, त्रवभा इत्मादद से जुडे रोगो को 11 भुखी + 13
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
26 ददसम्फय 2011

 िाटा डा एकाउन्टं ट एवॊ सॊस्था प्रभुख आदद कामा से जुडे  गक्षणतऻ से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगो को 3 भुखी
रोगो 4 भुखी + 6 भुखी + 8 भुखी + 12 भुखी + 4 भुखी + 7 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। िादहए।
 ऩुसरस त्रवबाग से जुडे रोगो को 9 भुखी + 13 भुखी  इसतहास से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगो को को 4
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। भुखी + 7 भुखी + 11 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ
 सिदकत्सक मा सिदकत्सा त्रवबाग से जुडे रोगो को 1 धायण कयना िादहए।
भुखी + 7 भुखी + 8 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ  बूगोर शास्र से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगो को 3
धायण कयना िादहए। भुखी + 4 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
 शैल्म सिदकत्सा से जुडे रोगो को 10 भुखी + 12 िादहए।
भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।  ठे केदायी के कामो से
 नसा, औषध त्रवक्रेता, औषध जुडे रोगो को 11 भुखी +
सॊमोजक कामो से जुडे 13 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ
रोगो को 1 भुखी + 3 धायण कयना िादहए।
भुखी + 4 भुखी + 10  बूसभ-बवन इत्मादी क्रम-
भुखी रुद्राऺ धायण कयना त्रवक्रम कामो से जुडे रोगो को 1
िादहए। भुखी + 3 भुखी + 10 भुखी
 भैकेसनकर कामो से जुडे रोगो को 10 भुखी + + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। िादहए।
 ससत्रवर इॊ जीसनमय कामो से जुडे रोगो 8 भुखी + 14  दक
ु ानदाय को 10 भुखी + 13 भुखी
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
 इरेक्षक्यिकर इॊ जीसनमय से जुडे रोगो को 7 भुखी + 11  उद्योगऩसत को 12 भुखी + 14 भुखी
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
 कॊप्मूटय सॉफ्टवेमय इॊ जीसनमय से जुडे रोगो को 1  होटे र, ये स्टोयं ट के कामो से जुडे रोगं को 1 भुखी +
भुखी + 14 भुखी + गौयी शॊकय रुद्राऺ धायण कयना 13 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
िादहए।  ऩामरट एवॊ वामुसेवा के कामो से जुडे रोगं को 1
 कॊप्मूटय हाडा वेमय इॊ जीसनमय से जुडे रोगो को 1 भुखी भुखी + 10 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
+ 9 भुखी + 12 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। िादहए।
 सशऺण कामो से जुडे रोगो को 4 भुखी + 6 भुखी +  जरमान से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगं को 2 भुखी
14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। + 8 भुखी + 12 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
27 ददसम्फय 2011

 वाहन िारक व सॊिारन के कामो से जुडे रोगं को 7  सौन्दमा प्रसाधन साभग्री से सॊफॊसधत कामो से जुडे
भुखी + 10 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। रोगं को 4 भुखी + 6 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ
 भाकेदटॊ ग व पामनान्स के कामो से जुडे रोगं को 9 धायण कयना िादहए।
भुखी + 12 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना  त्रफजरी त्रवबाग के कभािायी, उऩकयण त्रवक्रेता आदद से
िादहए। जुडे रोगं को 1 भुखी + 3 भुखी + 9 भुखी + 11
 सॊगीत कामं से जुडे रोगं को 9 भुखी + 13 भुखी भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
रुद्राऺ धायण कयना िादहए।  रकडी़ सभस्त्री, त्रवक्रेता मा से सॊफॊसधत कमो से जुडे
 रेखन मा प्रकाशन के कामो से जुडे रोगं को 1 भुखी रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 6 भुखी + 11 भुखी
+ 4 भुखी + 8 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
कयना िादहए।  ज्मोसतषी से सॊफॊसधत कमो से जुडे
 अखफाय, ऩुस्तक आदद त्रवक्रम से जुडे रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 11 भुखी
रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 9 + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
िादहए।  ऩूजा-ऩाठ आदद धासभाक
 दाशासनक कामो से जुडे रोगं को कभा-काॊि से जुडे रोगं को 1
7 भुखी + 11 भुखी + 14 भुखी भुखी + 9 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। धायण कयना िादहए।
 ससनेभाघय के भासरक, दपल्भ त्रवतयण से जुडे  गुद्ऱिय से सॊफॊसधत कमो से जुडे
रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 6 भुखी + रोगं को 3 भुखी + 4 भुखी + 9 भुखी +
11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। 11 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
 ऩेमजर ऩदाथा से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगं को 2  जीवन के सबी ऺेिं भं सपरता के सरए कोई बी
भुखी+ 4 भुखी+ 12भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। व्मत्रि 1 भुखी + 11 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण
 वस्त्र त्रवक्रेता को 2 भुखी + 4 भुखी + 14 भुखी कयके राब उठा सकता हं ।
रुद्राऺ धायण कयना िादहए।

भॊि ससद्च रुद्राऺ


हभाये महाॊ सबी प्रकाय के रुद्राऺ, रुद्राऺ भारा व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुडे़
फधु/फहन व यत्न-रुद्राऺ व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय रुद्राऺ व अन्म साभग्रीमा व
अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । GURUTVA KARYALAY
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28 ददसम्फय 2011

स्पदटक श्रीमॊि
 सिॊतन जोशी
आज के बौसतक मुग भं अथा (धन) जीवन दक भुख्म आवश्मिाओॊ भं से एक है । धनाढ्म व्मत्रिओॊ जीवनशैरी को
दे खकय प्रबात्रवत होते हुवे साधायण व्मदक दक बी काभना होती हं , दक उसके ऩास बी इतना धन हो दक वह अऩने
जीवन भं सभस्त बौसतक सुखो को बोग ने भं सभथा हं। एसी क्षस्थभं भेहनत, ऩरयश्रभ से कभाई कयके धन अक्षजत

कयने के फजाम कुछ रोग अल्ऩ सभम भं ज्मादा कभाने दक भानससकता के कायण कबी-कबी गरत तयीकं अऩनाते हं ।
क्षजसके पर स्वरुऩ एसे रोग धन का वास्तत्रवक सुख बोगने से वॊसित यह जाते हं औय योग, तनाव, भानससक
अशाॊसत जेसी अन्म सभस्माओॊ से ग्रस्त हो जाते हं ।
जहाॊ गरत तयीकं से कभामे हुवे धन के कायण सभाज एसे रोगो को
हीन बाव से दे खते हं । जफदक भेहनत, ऩरयश्रभ से काभामे हुवे धन से स्वमॊ
का आत्भत्रवश्वास फढता हं एवॊ सभाज भं प्रसतष्ठा औय भान सम्भान बी
सयरता से प्राद्ऱ हो जाता हं ।
जो व्मत्रि धासभाक त्रविाय धायाओॊ से जुडे हो वह इश्वय भं त्रवश्वाय
यखते हुवे स्वमॊ दक भेहनत, ऩरयश्रभ के फर ऩय कभामे हुवे धन को दह
सच्िा सुख भानते हं । धभा भं आस्था एवॊ त्रवश्वास यखने वारे व्मत्रि के सरमे
भेहनत, ऩरयश्रभ कयने के उऩयाॊत अऩनी आसथाक क्षस्थभं उन्नसत एवॊ रक्ष्भी
को क्षस्थय कयने हे तु, श्री मॊि के ऩूजन का उऩाम अऩनाकय जीवन भं दकसी
बी सुख से वॊसित नहीॊ यह सकते, उन्हं अऩने जीवन भं कबी धन का अबाव
नहीॊ यहता। उनके सभस्त कामा सुिारु रुऩ से िरते हं । रक्ष्भी कृ ऩा प्रासद्ऱ के
सरए श्रीमॊि का सयर ऩूजन त्रवधान क्षजसे अऩना कय साधायण व्मत्रि त्रवशेष
राब प्राद्ऱ कय सकते हं । इस भं जया बी सॊशम नहीॊ हं ।

"श्री मॊि" 12 ग्राभ से 1250 ग्राभ तक दक साइज भे उप्रब्ध है ।

श्री मॊि
गुरुत्व कामाारम भं ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि "श्री मॊि" 500 ग्राभ, 750 ग्राभ, 1000 ग्राभ औय
1250 ग्राभ, 2250 ग्राभ साईज़ भं केवर सरसभटे ड स्टॉक उऩरब्ध हं । श्री मॊि के सॊफॊध भं असधक जानकायी के
सरए कामाारम भं सॊऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
29 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ धायण कयं सावधासनमं के साथ।


 स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी, त्रवजम ठाकुय
 मदद रुद्राऺ को कीिो ने दत्रू षत दकमा हो, जो टू टा-पूटा हो, क्षजसभं उबये हुए दाने न हो, जो वयणमुि हो, इस
प्रकाय के रुद्राऺं को धायण नहीॊ कयना िादहए।
 मदद रुद्राऺ सछद्र कयते हुए पट गमे हो औय जो शुद्च रुद्राऺ जैसे न हं उसे धायण कयने से फिे।
धायण कयने से ऩहरे रुद्राऺ की ऩयीऺण कय रं दक रुद्राऺ असरी है मा नकरी।
 नकरी रुद्राऺ ऩानी भं तैयने रगेगा औय असरी रुद्राऺ ऩानी भं डू फ जाएगा। रेदकन आज के आधुसनक मुग भं
नूतन तकनीक से ऩॉरी पाइफय मा अन्म त्रवशेष द्रव्मं से फने रुद्राऺ बी आगमे हं । जो ददखने भं हुफहू रुद्राऺ के
फयाफय ददखते हं एवॊ ऩानी भं डू फ बी जाते हं ।
 रुद्राऺ धायण कयने ऩय भद्य, भाॊस, रहसुन, प्माज इत्मादद ताभससक ऩदाथं का ऩरयत्माग कयना िादहए।
 बोजन-शौि इत्मादद दक्रमा भं इसकी ऩत्रविता का ख्मार यखे अन्मथा ऩत्रविता खॊदडत हो जाएगी।
 रुद्राऺ ऩहन कय श्भशान मा दकसी अॊत्मेत्रष्ट-कभा भं अथवा प्रसूसत-गृह भं न जाएॊ।
 क्षस्त्रमाॊ भाससक धभा के सभम रुद्राऺ धायण न कयं ।
 रुद्राऺ धायण कय यात्रि शमन न कयं ।
 जऩ आदद कामो भं छोटे रुद्राऺ की भारा ही त्रवशेष परदामक होती हं ।
 फिा रुद्राऺ योगं ऩय त्रवशेष परदामी भाना जाता है ।
 रुद्राऺ सशवसरॊग से अथवा सशव प्रसतभा से स्ऩशा कयाकय धायण कयना िादहए।
 सनददा ष्ट भॊि से असबभॊत्रित दकए त्रफना रुद्राऺ धायण कयने ऩय उसका शास्त्रोि पर प्राद्ऱ नहीॊ होता है औय दोष
बी रगता है ।
 रूद्राऺ को शुब ददनं भं शुब भूहुता भं धायण कयने ऩय व्मत्रि के सबी ऩाऩ नष्ट हो जाते हं ।
 त्रवद्या प्रायॊ ब कयते सभम, सभस्त प्रकाय के मऻ, तऩ एवॊ दान आदद शुब कामा कयते सभम रुद्राऺ मदद ऩास भं
हो तो उस कामा का पर शीध्र सभरता हं ।
 त्रवद्रानो का अनुबव हं की रुद्राऺ की भारा धायण कयने वारे भनुष्म को दे खकय सबी दे वी-दे वाता शीघ्र प्रसन्न
हो जाते हं ।
 सशव के नेिं से सगये आसुओॊ से उत्ऩन्न कल्माणकायी रुद्राऺ भं सूमा का तेज, िॊद्रभा की शीतरता एवॊ भानवता
का कल्माण कूट कूट कय बया हं ।
 ऩुयाणो भं रुद्राऺ के यॊ ग, रुऩ, आकाय के अनुशाय एक से िौदह भुखी तक के रुद्राऺ का भहत्व फतामा गमा है ।
 बोग औय भोऺ, दोनं की काभना यखने वारे रोगं को रुद्राऺ की भारा अथवा भनका जरूय ऩदहनना िादहए।
 108 रुद्राऺ की भारा धायण कयने वारा भनुष्म अऩनी 21 ऩीदढ़मं का उद्घाय कयता है ।
 जाफार श्रुसत के अनुसाय रुद्राऺ धायण कयने से दकमा गमा ऩाऩ नगण्ड्म हो जाता है ।
30 ददसम्फय 2011

 ऩानी के फतान भं यात बय रुद्राऺ यखने के फाद सुफह उस ऩानी को ऩीने से कई फीभारयमाॊ ठीक हो जाती हं ।
 दकसी दस
ू ये व्मत्रि का धायण दकमा रुद्राऺ धायण नहीॊ कयना िादहए।
 रुद्राऺ सोने, िाॉदी, ताॉफे भं फनवाकय धायण कयना िादहए।
 रुद्राऺ को धागे भं बी धायण दकमा जा सकता है ।
 त्रवद्रानो का भत हं की रुद्राऺ धायण कयने के 40 ददनं के बीतय ही व्मत्रित्व भं ऩरयवतान ददखाई दे ने रगते हं ।
 जानकायं का भत हं दक रुद्राऺ धायण कयनेवारे व्मत्रि को फुढ़ाऩा दे य से आता हं ।
 रुद्राऺ का भनोवाॊसछत राब प्राद्ऱ कयने हे तु उसे सभम-सभम ऩय साप-सपाई कयते यहे ।
 मदद रुद्राऺ शुष्क हो जाए तो उसे तेर भं कुछ सभम तक डु फाकय यखदं ।
 मदद रुद्राऺ को दकसी धातु भं नहीॊ फनवाते हं तो उसे ऊनी मा ये शभी धागे भं बी धायण कय सकते हं ।
 त्रवद्रानो के भतानुशाय ज्मादातय रुद्राऺ रार धागे भं धायण दकए जाते हं , रेदकन एक भुखी रुद्राऺ सपेद धागे
भं, सात भुखी रुद्राऺ को कारे धागे भं औय ग्मायह, फायह, तेयह भुखी रुद्राऺ तथा गौयी-शॊकय रुद्राऺ ऩीरे धागे
भं धायण कयना िादहए।

रुद्राऺ धायण कयने के सॊक्षऺद्ऱ त्रवसध


 रुद्राऺ धायण कयने हे तु उऩमुि मही यहे गा की आऩ दकसी जानकाय व्मत्रि से इसे असबभॊत्रित मा िैतन्म मुि
कयवारे दपय उसे त्रवसधवत धायण कयं ।
 रुद्राऺ को प्राण प्रसतत्रष्ठत कयने की सॊक्षऺद्ऱ त्रवसध आऩके भागादशान के सरए प्रस्तुत हं । रुद्राऺ को ऩॊिोऩिाय,
अष्टोऩिाय अथवा षोडोशोऩिाय त्रवसध से प्राण प्रसतत्रष्ठत दकमा जा सकता हं ।
 रुद्राऺ धायण कयने के सरए शुब भुहूता मा ददन का िमन कयरे। रुद्राऺ धायण कयने हे तु सोभवाय उिभ है । धायण
कयने से एक ददन ऩूवा सॊफॊसधत रुद्राऺ को दकसी सॊगॊसधत तेर भं डू फादे ।
 दस
ू ये ददन प्रात् कार स्नानादद सनत्म दक्रमा से सनवृि होकय कय उसे स्वच्छ कयके कुछ सभम के सरए गाम के
कच्िे दध
ू भं मा गॊगाजर भं डू फाकय यख कय ऩत्रवि कय रं।
 तत्ऩिात सशवऩॊिाऺयी भॊि ॐ नभ् सशवाम भॊि का जऩ कयते हुए रुद्राऺ को ऩूजास्थर ऩय अऩने सम्भुख यखदे ।
दपय उसे ऩॊिाभृत (गाम का कच्िा दध
ू , दही, घी, भधु एवॊ शक्यकय मा गुि) से असबषेक कय गॊगाजर से ऩत्रवि
कयके अष्टगॊध मा िॊदन एवॊ केसय का रेऩ रगाकय धूऩ, दीऩ औय ऩुष्ऩ अत्रऩत
ा कय सशव भॊिं का जऩ कयते हुए
उसका सॊस्काय कयं ।
 तत्ऩिात सॊफत्रद्चत रुद्राऺ के शास्त्रोि फीज भॊि का 21, 11, 5 भारा अथवा कभ से कभ 1 फाय जऩ कयं । तत्ऩिात
 सशव ऩॊिाऺयी भॊि ॐ नभ् सशवाम अथवा सशव गामिी भॊि
 ॐ तत्ऩुरुषाम त्रवद्महे भहादे वाम धीभदह तन्नो रुद्र् प्रिोदमात ्॥ भॊि की 1 भारा जऩ कयके रुद्राऺ-धायण कयं ।
 अॊत भं ऩूजन भं हुइ िुदटमं के सनवायण हे तु ऺभा प्राथाना कयं । मदद सॊबव हो, तो रुद्राऺ धायण के ददन उऩवास कयं
अथवा साक्षत्वक एवॊ अल्ऩाहाय ग्रहण कयं ।
 मदद कोई बि इतना बी कयने भं असभथा हो तो रुद्राऺ को गॊगाजर भं मा गाम के कच्िे दध
ू भं कुछ घॊटे के सरए
डू फाकय यखरे दपय श्रद्चाऩूवा बगवान सशव का स्भयण कयते हुए धायण कयरे। उसे सनक्षित राब प्राद्ऱ होगा इसभं
जयाबी सॊदेह नहीॊ हं ।
31 ददसम्फय 2011

रुद्राऺ के त्रवषम भं त्रवशेष जानकायी


 स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
 जो रुद्राऺ आॊवरे से पर के फयाफय हो वह सवा
सशव ऩुयाण के अनुशाय:
प्रकायके असनष्टं का नाश कयने वारा व श्रेष्ठ भाना
जो व्मत्रि कॊठ भं फिीस रुद्राऺ, भस्तक ऩय
गमा हं ।
िारीस, कानं भं छ:-छ्, हथं भं फायह-फायह, बुजाओॊ भं
 जो रुद्राऺ फेय के पर के फयाफय हो वह, उिभ पर
सोरह-सोरह, सशखा भं तथा वऺ ऩय एक सौ आठ
दे ने वारा, सुख सौबाग्मकी वृत्रद्च कयने वारा होता हं ।
रुद्राऺं को धायण कयता हं वह साऺात बगवान नीरकण्ड्ठ
 गुॊजापर के सभान फहुत छोटे आकाय का रुद्राऺ
के सभान हो जाता हं ।
सॊऩूणा भोनोयथ को ससद्च कयने वारा होता हं ।
भनुष्म के जीवन भं सुख-शाॊसत एवॊ सभृत्रद्च भं
 रुद्राऺ क्षजतना छोटा होता हं वहॊ उतना ही असधक
वृत्रद्च होती हं । बगवान सशव के ददव्म-ऻान को प्राद्ऱ कयने
पर दे ने वारा होता हं ।
का सवोिभ उऩाम रुद्राऺ धायण कयना हं । रुद्राऺ धायण
 एक फिे रुद्राऺ से छोटा, अथाात एक छोटे रुद्राऺ से
ने से सभाज भं भनुष्म के भान-सम्भान भं वृत्रद्च होती हं ।
छोटा रुद्राऺ दस गुना असधक पर दे ने वारा भाना
सशवबिं का भत हं की मदद बगवान सशव औय दे वी
जाता हं ।
ऩावाती को प्रसन्न कयना हो तो रुद्राऺ अवश्म धायण
ऩौयाक्षणक भान्मता हं दक असरी रुद्राऺ ऩानी भं डू फ
कयना िादहए।
जाता हं ! मदद रुद्राऺ नकरी हो मा दकिे ने खामा हो तो
वह ऩानी भं तैयता हं ! रेदकन आज के आधुसनक मुग भं
त्रवद्रानो ने रुद्राऺ को आकाय के दहसाफ से तीन बागं भं
नूतन तकनीक से ऩॉरी पाइफय मा अन्म त्रवशेष द्रव्मं से
फाॊटा हं ।
फने रुद्राऺ बी आगमे हं । जो ददखने भं हुफहू रुद्राऺ के
1- उिभ श्रेणी का रुद्राऺ: जो रुद्राऺ आकाय भं आॊवरे के
फयाफय ददखते हं एवॊ ऩानी भं डू फ बी जाते हं । इस कायण
पर के फयाफय हो वह सफसे उिभ भाना गमा है ।
िारफाज़ व्माऩायी मा घुभक्यकि ढंगी साधु-फाफा-पदकय
2- भर्धमभ श्रेणी- क्षजस रुद्राऺ का आकाय फेय के पर के
आदद धभा के नाभ ऩय बोरे-बारे अनजान व्मत्रि को
सभान हो वह भर्धमभ श्रेणी भं आता है ।
नकरी रुद्राऺ फेिकय भोटी यकभ एठरेते हं । अत् रुद्राऺ
3- सनम्न श्रेणी- िने के फयाफय आकाय वारे रुद्राऺ को
खयीदने भं अत्मासधक सावधानी फते।
सनम्न श्रेणी भं सगना जाता है ।
प्राम् दे खने-सुनने भं आता हं की ऩमाटक स्थानं मा
क्षजस रुद्राऺ को कीिं ने खयाफ कय ददमा हो मा टू टा-पूटा
धासभाक स्थानं के सनकट ऩय कुछ सनम्न वगा के फेइभान
हो, मा ऩूया गोर न हो। क्षजसभं उबये हुए दाने न हं।
व्माऩायी मा दक
ु ानदाय ग्राहक को नकरी रुद्राऺ फेिते है
ऐसा रुद्राऺ नहीॊ ऩहनना िादहए।वहीॊ क्षजस रुद्राऺ भं
मा रुद्राऺ के वास्तत्रवक भूल्म से कई गुना असधक भूल्म
अऩने आऩ डोया त्रऩयोने के सरए छे द हो गमा हो, वह
फसूर रेते हं । अत् मदद दकसी ऩमाटक स्थानं मा
उिभ होता है ।
धासभाक स्थानं से रुद्राऺ खयीदे तं दकसी त्रवश्वसनीम
व्मत्रि, दक
ु ानदाय मा सॊस्था से ही रुद्राऺ खयीदे । अन्मथा
बगवान शॊकय को रुद्राऺ असतत्रप्रम है । बगवान शॊकय के
अऩने सनकटवतॉ बयोसेभॊद सॊस्था मा दक
ु ानदाय से रुद्राऺ
उऩासक इन्हं भारा के रूऩ भं ऩहनते हं ।
खयीदे ।
32 ददसम्फय 2011

आॊखो से व्मत्रित्व
 सिॊतन जोशी
आॊख भनुष्म के व्मत्रित्व का आईना हं । क्षजस्से व्मत्रि
 स्माह कारी ऩुतसरमाॊ वारे व्मत्रि कठोयता, पुतॉ औय
प्रेभ, द्रे श, क्रोध, अहभ इत्मादद सबी प्रकाय के दोष-गुण
ताकत के स्वाभी होते हं ।
व्मत्रि दक आॊख ऩय प्रसत त्रफॊफ स्ऩष्ट स्वरुऩ से ददखाई दे ते
 गाढे नीरे यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि त्रवश्वासु होते हं ।
हं । िाहे वह ऩुरुष हो स्त्री उसके सॊऩूणा िरयि का भाऩदॊ ड
 हल्के नीरे यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि क्षस्थय
उसकी आॊख ऩय से सयरता से जान सकते हं ।
त्रविायशीर, धैमव
ा ान एवॊ भधुय स्वबाव के रेदकन थोडे
साभुदद्रक शास्त्र के अनुशाय आॊखे साधायणत् दो प्रकाय स्वाथॉ एवॊ कॊजूस स्वबाव के होते हं ।
दक होती हं फडी औय छोटी आॊख।  हये यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि दयु ािायी, अत्रवश्वासी,
स्वाथॉ तथा त्रवश्वासघाती होते हं । ऩिमात सॊस्कृ सत भं
फडी आॊख:- फडी आॊख वारे व्मत्रि हय कामा को कयने हे तु
शैतान की आॊखं को हयी फतामा गमा है ।
आतुय, सदामक, ऩरयश्रभी, अऩना काभ सनकरने भे ितुय,
 ऩीरे यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि िॊिर स्वबाव के होते
अऩनी मोजनाओ को शीघ्र अभर भं राने वारे उद्यभी
हं ।
होते हं ।
 नायॊ गी यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि ज्मादा बावुक
स्वबाव के होते हं ।
छोटी आॊख:- छोटी आॊख वारे व्मत्रि आरसी, भॊद गती से
 त्रफल्री जेसी आॊख वारे व्मत्रि त्रफल्री जैसे ही धूता
कामा कयने वारे, दद्र स्वबावी, एसे व्मत्रि ऩय रोग सयरता
एवॊ अत्रवश्वासी होते हं ।
से त्रवश्वास नहीॊ कयते।
 िॊिर द्रत्रष्ट वारे व्मत्रि रोबी, अनैसतक कामा भे सरद्ऱ,
सबऺुक मा कऩटी होते हं ।
आॊखो के त्रवत्रवध प्रकाय  फगैय काभ के घूयकय दे खने वारे खमारो के घोडे
 ज्मादा खुल्री औय िौडी आॊखो वारे व्मत्रि सनदोष दौडाने वारे, काभी, ठग त्रवद्या भे भादहय, फेवकूपी बये
एवॊ कठोय स्वबाव के होते हं , एसे व्मत्रि को अच्छे कामा कयने वारे होते हं ।
फुये का बेद कयने भे असधक सभम रगता हं ।  सतयछी सनगाह से दे खने वारे व्मत्रि सनष्ठु य, क्रूय
 रॊफी आॊखो वारे व्मत्रि ज्मादा िाराक, कामा कूशर, भानससकता वारे एवॊ झगडारू प्रवृसत वारे होते हं ।
थोडे स्वाथॉ, कऩट यखने वारे सभझते हं ।
 रॊफी एवॊ ऩतरी आॊखो वारे व्मत्रि स्वबाव से कऩटी, 
क्षजस व्मत्रि दक आॊखं के डोये आगे दक औय असधक
दष्ट
ु एवॊ अती रोबी होते हं ।
उबये हो तो एसा व्मत्रि ऻानी व त्रवद्या प्रेभी होती हं ।
 फदाभ जेसी आॊखो वारे व्मत्रि अत्रवश्वासी होने से
 क्षजस व्मत्रि दक आॊखे ज्मादा फडी होती हं वह व्मत्रि
सवादा अऩने ही स्वाथा साधने हे तु प्रमास यत यहते हं ।
हय सभम सिा वैबव, सुख ऐश्वमा एवॊ बोगत्रवरास भं
 गोर आॊखो वारे व्मत्रि ज्मादा बावुक, हय सभम नमा
सरद्ऱ ये हने वारे होते हं
कामा कयने हे तु असधक उत्साही होते हं ।
 क्षजस व्मत्रि दक आॊखे ज्मादा छोटी होती हं वह व्मत्रि
आॊखो के यॊ ग
क्षखरािी होते हं ।
33 ददसम्फय 2011

 क्षजस व्मत्रि दक आॊखे असधक अॊदाय हो वह व्मत्रि  क्षजस व्मत्रि दक ऩरके फडी होते हं वह व्मत्रि त्रवद्रान,
डयऩोक, काभ से दयू यहने वारा, सनन्दक स्वबाव का त्रविायो भे त्रवियण कयने वारे तथा साधु स्वबाव वारे
होता हं । होते हं ।
 क्षजस व्मत्रि दक ऩरके छोटी हो वह व्मत्रि स्वस्थ,
ऩरक औय बौहं
रारिी, बोजन प्रेभी व फेिन
ै स्वबाव के होते हं ।
 जो व्मत्रि जल्दी-जल्दी ऩरकं झऩकता है वह शेखी
 क्षजस व्मत्रि दक बौहे के फार कभ हो वह व्मत्रि
भायने वारभ, झूठे तथा स्वप्न रोक भे यहने वार
डयऩोक होते हं ।
होता है ।
 क्षजस व्मत्रि दक बौहे के असधक हो वह व्मत्रि धनी,
 जो व्मत्रि असधक दे य से ऩरकं नहीॊ झऩकाता वह
सनडय होता हं ।
व्मत्रि सुस्त रेदकन त्रविायवान होता हं ।
 क्षजस व्मत्रि दक बौहे हल्के यॊ ग की होती हं वह
आकषाक स्वबाव के होते हं ।

भॊि ससद्च रूद्राऺ


Rate In Rate In
Rudraksh List Rudraksh List
Indian Rupee Indian Rupee
एकभुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2800, 5500 आठ भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 820,1250
एकभुखी रूद्राऺ (नेऩार) 750,1050, 1250, आठ भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 1900
दो भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय) 30,50,75 नौ भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 910,1250
दो भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, नौ भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2050
दो भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 450,1250 दस भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 1050,1250
तीन भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय) 30,50,75, दस भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2100
तीन भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, ग्मायह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 1250,
तीन भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 450,1250, ग्मायह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2750,
िाय भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय) 25,55,75, फायह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 1900,
िाय भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, फायह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 2750,
ऩॊि भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 25,55, तेयह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 3500, 4500,
ऩॊि भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 225, 550, तेयह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 6400,
छह भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय) 25,55,75, िौदह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 10500
छह भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 50,100, िौदह भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 14500
सात भुखी रूद्राऺ (हरयद्राय, याभेश्वय) 75, 155, गौयीशॊकय रूद्राऺ 1450
सात भुखी रूद्राऺ (नेऩार) 225, 450, गणेश रुद्राऺ (नेऩार) 550
सात भुखी रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 1250 गणेश रूद्राऺ (इन्डोनेसशमा) 750
रुद्राऺ के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY,
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34 ददसम्फय 2011

सशव के दस प्रभुख अवताय


 सिॊतन जोशी
सशवऩुयाण के अनुसाय बगवान सशव के दस प्रभुख अवताय ।
मह दस अवताय इस प्रकाय है जो भानव को सबी इक्षच्छत पर प्रदान कयने वारे हं -

1. भहाकार- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं ऩहरा अवताय भहाकार नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का भहाकार स्वरुऩ
अऩने बिं को बोग औय भोऺ प्रदान कयने वारा ऩयभ कल्माणी हं । इस अवताय की शत्रि भाॊ भहाकारी भानी जाती हं ।

2. ताय- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं दस


ू या अवताय ताय नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का ताय स्वरुऩ अऩने बिं को
बुत्रि-भुत्रि दोनं पर प्रदान कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि तायादे वी भानी जाती हं ।
3. फार बुवनेश- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं तीसया अवताय फार बुवनेश नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का फार बुवनेश
स्वरुऩ अऩने बिं को सुख, सभृत्रद्च औय शाॊसत प्रदान कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि को फारा बुवनेशी भाना जाता हं ।
4.षोडश श्रीत्रवद्येश- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं िौथा अवताय षोडश श्रीत्रवद्येश नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का षोडश
श्रीत्रवद्येश स्वरुऩ अऩने बिं को सुख, बोग औय भोऺ प्रदान कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि को दे वी षोडशी श्रीत्रवद्या भाना
जाता हं ।
5. बैयव- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं ऩाॊिवा अवताय बैयव नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का बैयव स्वरुऩ अऩने बिं को
भनोवाॊसछत पर प्रदान कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि बैयवी सगरयजा भानी जाती हं ।
6. सछन्नभस्तक- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं छठा अवताय सछन्नभस्तक नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का
सछन्नभस्तक स्वरुऩ अऩने बिं की भनोकाभनाओॊ को ऩूणा कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि दे वी सछन्नभस्ता भानी
जाती हं ।
7. धूभवान- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं सातवाॊ अवताय धूभवान नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का धूभवान स्वरुऩ
अऩने बिं की सबी प्रकाय से श्रेष्ठ पर दे ने वारा हं । इस अवताय की शत्रि को दे वी धूभावती भाना जाता हं ।
8. फगराभुख- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं आठवाॊ अवताय फगराभुख नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का फगराभुख
स्वरुऩ अऩने बिं को ऩयभ आनॊद प्रदान कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि को दे वी फगराभुखी भाना जाता हं ।
9. भातॊग- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं नौवाॊ अवताय भातॊग के नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का भातॊग स्वरुऩ अऩने
बिं की सभस्त असबराषाओॊ को ऩूणा कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि को दे वी भातॊगी भाना जाता हं ।
10. कभर- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं दसवाॊ अवताय कभर नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का कभर स्वरुऩ अऩने
बिं को बुत्रि औय भुत्रि प्रदान कयने वारा हं । इस अवताय की शत्रि को दे वी कभरा भाना जाता हं ।

त्रवद्रानो के भत से उि सशव के सबी प्रभुख अवताय व्मत्रि को सुख, सभृत्रद्च, बोग, भोऺ प्रदान कयने
वारे एवॊ व्मत्रि की यऺा कयने वारे हं ।
35 ददसम्फय 2011

श्रीकृ ष्ण की पोटो से सभमाओॊ का सभाधान


 सिॊतन जोशी
क्षजस प्रकाय बगवान श्री कृ ष्ण के नाभ का स्भयण,सिॊतन अनॊत ऩाऩं का नाश कयने वारा हं ।

सकृ न्भन् कृ ष्णाऩदायत्रवन्दमोसनावेसशतॊ तद्गुणयासग मैरयह।


न ते मभॊ ऩाशबृति तद्भटान ् स्वप्नेऽत्रऩ ऩश्मक्षन्त दह िीणासनष्कृ ता्॥
बावाथा: जो भनुष्म केवर एक फाय श्रीकृ ष्ण के गुणं भं प्रेभ कयने वारे
अऩने सिि को श्रीकृ ष्ण के ियण कभरं भं रगा दे ते हं , वे ऩाऩं से छूट जाते
हं , दपय उन्हं ऩाश हाथ भं सरए हुए मभदत
ू ं के दशान स्वप्न भं बी नहीॊ हो
सकते।
अत्रवस्भृसत् कृ ष्णऩदायत्रवन्दमो् क्षऺणोत्मबद्रक्षण शभॊ तनोसत ि।
सत्वस्म शुत्रद्चॊ ऩयभात्भबत्रिॊ ऻानॊ ि त्रवऻानत्रवयागमुिभ॥्
बावाथा: श्रीकृ ष्ण के ियण कभरं का स्भयण सदा फना यहे तो उसी से
ऩाऩं का नाश, कल्माण की प्रासद्ऱ, अन्त् कयण की शुत्रद्च, ऩयभात्भा की
बत्रि औय वैयाग्ममुि ऻान-त्रवऻान की प्रासद्ऱ अऩने आऩ ही हो जाती
हं ।

त्रवद्रानो के भत से क्षजस प्रकाय बगवान श्री कृ ष्ण के नाभ का


स्भयण कयने भाि से अनॊत कोटी ऩाऩं का नाश होता हं उसी प्रकाय
से बगवान श्री कृ ष्ण के दशान भाि से भनुष्म के त्रवसबन्न ताऩ-ऩाऩ
का नाश होता हं व उसके त्रवसबन्न स्वरुऩ भं दशान कयने से त्रवसबन्न भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं ।
धभाशास्त्रो भं बगवान श्रीकृ ष्ण के हय स्वरूऩ का वणान असत सुन्दय व शूक्ष्भता से दकमा गमा है । त्रवद्रानो के भत से
बगवान श्रीकृ ष्ण के दकसी बी स्वरूऩ के दशान से बिको सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती है ।
वास्तुशास्त्रीमं के भत से बी अऩने बवन व व्मवसामीक स्थान ऩय श्री कृ ष्ण का सिि रगाना असत शुबदामक भाना
गमा हं ।
 उिभ सॊतान सुख की काभना की ऩूसता हे तु श्रीकृ ष्ण के फारस्वरूऩ का सिि शमनकऺ भं रगाना शुब परदामक
होता हं । (कृ ष्ण का पोटो स्त्री के सम्भुख रगाएॊ।)
 ऩसत-ऩत्नी भं ऩयस्ऩय प्रेभ फढाने हे तु याधा-कृ ष्ण की प्रसन्न तस्वीय शमनकऺ भं रगाना शुब परदामक होता हं ।
 मदद ऩरयवाय भं फाय-फाय एक के फाद एक त्रवसबन्न तयह की सभस्माएॊ आयही हं, तो वसुदेवजी द्राया टोकयी भं
श्रीकृ ष्ण को रेकय नदी ऩाय कयने वाती तस्वीय रगाने से घय से कई तयह की सभस्मा दयू होने रगती है ।
 श्रीकृ ष्ण द्राय गोवधान ऩवात को उठाने वारी तस्वीय रगाने से त्रवसबन्न सभस्माओॊ से रडने की प्रेयणा प्राद्ऱ होती हं
व सभस्माएॊ शीघ्र दयू होती हं ।
36 ददसम्फय 2011

 बगवान श्रीकृ ष्ण की यासरीरा वारी तस्वीय को बवन भं ऩूवा ददशा की औय रगाने से ऩरयवाय के सदस्मो भं
सनस्वाथा प्रेभ फढता हं ।
 बगवान के भहर भं श्रीकृ ष्ण औय सुदाभा के सभरन को दशााने वारी तस्वीय
रगाने से इष्ट सभिं भं आऩसी स्नेह फढता हं व सहमोग प्राद्ऱ होता हं ।
 बगवान श्रीकृ ष्ण की प्रसन्न भुद्रा वारी तस्वीय रगाने से नकायात्भक
उजाा दयू होती हं औय सकायात्भक ऊजाा का सॊिाय होता हं ।
 अऩने बवन भं फारगोऩार की भक्यखन खाते दशाामा गमा सिि रगान
असत शुब भानाजाता हं ।
 भहाबायत के मुद्च को दशााने वारी तस्वीय अऩने बवन भं रगाना
वक्षजान भाना गमा हं दपय िाहे उस सिि भं श्रीकृ ष्ण क्यमो न हं ऎसी
तस्वीये रगाना वक्षजात हं क्यमोकी इससे घयभं अशाॊसत व भानससक
तनाव की वृत्रद्च होती हं ।
 जो रोग करा के ऺेि जैसे सॊगीत, असबनम आदी से जुडे हं उनके
सरमे श्रीकृ ष्ण की फॊसी फजाती तस्वीय रगाना असतशुब होता हं ।
 जो रोग दध
ू , दही, सभठाई आदद उत्ऩाद मा त्रफक्री के कामो से जुडे हं उनके
सरमे गाम के साथ खडे श्रीकृ ष्ण की तस्वीय मा भख्खन सनकारते मशोदा के
साथ फारगोऩार की तस्वीय रगाना असतशुब होता हं ।
 क्षजन रोगो की जन्भ कुॊडरी भं कारसऩा दोष हो उनके सरमे शेषनाग ऩय खडे
श्रीकृ ष्ण की तस्वीय रगाना असतशुब होता हं ।
 क्षजन रोगो को व्मवसाम भं राब के स्थान ऩय घाटा हो यहा हं उन्हं ऩीताॊफय वस्त्र धायण दकमे श्रीकृ ष्ण का सिि
रगाना िादहमे।
 जो रोग सशऺण के कामो से जुडे हं उनके सरमे बगवान श्रीकृ ष्ण की अजुन
ा को उऩदे श दे ती हुई तस्वीय रगाना
शुब होता हं ।
नोट: धभाशास्त्रो के जानकायो के भत से अऩने शमन कऺ भं ऩूजा स्थर यखना मा अन्म दे वी-दे वताओॊ की तस्वीय
रगाना वक्षजात हं । रेदकन याधा-कृ ष्ण का सिि रगामा जासकता हं ।

बाग्म रक्ष्भी ददब्फी


सुख-शाक्षन्त-सभृत्रद्च की प्रासद्ऱ के सरमे बाग्म रक्ष्भी ददब्फी :- क्षजस्से धन प्रसद्ऱ, त्रववाह मोग,
व्माऩाय वृत्रद्च, वशीकयण, कोटा किेयी के कामा, बूतप्रेत फाधा, भायण, सम्भोहन, ताक्षन्िक फाधा,
शिु बम, िोय बम जेसी अनेक ऩये शासनमो से यऺा होसत है औय घय भे सुख सभृत्रद्च दक
प्रासद्ऱ होसत है , बाग्म रक्ष्भी ददब्फी भे रघु श्री फ़र, हस्तजोडी (हाथा जोडी), ससमाय ससन्गी,
त्रफक्षल्र नार, शॊख, कारी-सफ़ेद-रार गुॊजा, इन्द्र जार, भाम जार, ऩातार तुभडी जेसी अनेक
दर
ु ब
ा साभग्री होती है ।
भूल्म:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उप्रब्द्च
गुरुत्व कामाारम सॊऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
37 ददसम्फय 2011

हनुभानजी के ऩूजन से कामाससत्रद्च


 सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
दहन्द ू धभा भं श्री हनुभानजी प्रभुख दे वी-दे वताओ भं याभ बि हनुभान स्वरुऩ: याभ बत्रि भं भग्न हनुभानजी
से एक प्रभुख दे व हं । शास्त्रोि भत के अनुशाय हनुभानजी को की उऩासना कयने से जीवन के भहत्व ऩूणा कामो भं आ यहे
रूद्र (सशव) अवताय हं । हनुभानजी का ऩूजन मुगो-मुगो से सॊकटो एवॊ फाधाओॊ को दयू कयती हं एवॊ अऩने रक्ष्म को प्राद्ऱ
अनॊत कार से होता आमा हं । हनुभानजी को कसरमुग भं कयने हे तु आवश्मक एकाग्रता व अटू ट रगन प्रदान कयने
प्रत्मऺ दे व भानागमा हं । जो थोडे से ऩूजन-अिान से अऩने वारी होती है ।
बि ऩय प्रसन्न हो जाते हं औय अऩने बि की सबी प्रकाय के सॊजीवनी ऩहाि सरमे हनुभान स्वरुऩ: सॊजीवनी ऩहाि
द्ु ख, कष्ट, सॊकटो इत्मादी का नाश हो कय उसकी यऺा कयते उठामे हुए हनुभानजी की उऩासना कयने से व्मत्रि को
हं । प्राणबम, सॊकट, योग इत्मादी हे तु राबप्रद भानी
हनुभानजी का ददव्म िरयि फर, गई हं । त्रवद्रानो के भत से क्षजस प्रकाय
फुत्रद्च कभा, सभऩाण, बत्रि, सनष्ठा, कताव्म हनुभानजी ने रऺभणजी के प्राण फिामे
शीर जैसे आदशा गुणो से मुि हं । अत् थे उसी प्रकाय हनुभानजी अऩने बिो के
श्री हनुभानजी के ऩूजन से व्मत्रि भं प्राण की यऺा कयते हं एवॊ अऩने बि
बत्रि, धभा, गुण, शुद्च त्रविाय, के फडे से फडे सॊकटो को सॊक्षजवनी
भमाादा, फर , फुत्रद्च, साहस इत्मादी ऩहाि की तयह उठाने भं सभथा हं ।
गुणो का बी त्रवकास हो जाता हं ।
र्धमान भग्न हनुभान स्वरुऩ:
त्रवद्रानो के भतानुशाय
हनुभानजी का र्धमान भग्न स्वरुऩ
हनुभानजी के प्रसत द्ङढ आस्था औय
व्मत्रि को साधना भं सपरता प्रदान
अटू ट त्रवश्वास के साथ ऩूणा बत्रि एवॊ
कयने वारा, मोग ससत्रद्च मा प्रदान कयने
सभऩाण की बावना से हनुभानजी के
वारा भानागमा हं ।
त्रवसबन्न स्वरूऩका अऩनी आवश्मकता
के अनुशाय ऩूजन-अिान कय व्मत्रि
याभामणी हनुभान स्वरुऩ: याभामणी

अऩनी सभस्माओॊ से भुि होकय जीवन भं हनुभानजी का स्वरुऩ त्रवद्याथॉमो के सरमे

सबी प्रकाय के सुख प्राद्ऱ कय सकता हं । त्रवशेष राब प्रद होता हं । क्षजस प्रकाय याभामण एक

भनोकाभना की ऩूसता हे तु कौन सी हनुभान प्रसतभा आदशा ग्रॊथ हं उसी प्रकाय हनुभानजी के याभामणी स्वरुऩ का

का ऩूजर कयना राबप्रद ऩूजन त्रवद्या अर्धमन से जुडे रोगो के सरमे राबप्रद होता हं ।

यहे गा। इस जानकायी से आऩको अवगत कयाने का प्रमास


हनुभानजी का ऩवन ऩुि स्वरुऩ: हनुभानजी का ऩवन
दकमा जायहा हं ।
हनुभानजी के प्रभुख स्वरुऩ इस प्रकाय हं । ऩुि स्वरुऩ के ऩूजन से आकक्षस्भक दघ
ु ट
ा ना, वाहन इत्मादद
की सुयऺा हे तु उिभ भाना गमा हं । हनुभानजी के उस स्वरुऩ
का ऩूजन कयने से
38 ददसम्फय 2011

वीयहनुभान स्वरुऩ: वीयहनुभान स्वरुऩ भं हनुभानजी दे व प्रसतभा शुब परदामक व भॊगरभम, सकर सम्ऩत्रि प्राद्ऱ

मोद्चा भुद्राभं होते हं । उनकी ऩूॊछ उक्षत्थत (उऩय उदठउई) होती हं । सकर सम्ऩत्रि की प्रासद्ऱ होती है ।

यहती है व दादहना हाथ भस्तककी ओय भुडा यहता है । कबी- हनुभानजी का दक्षऺणभुखी स्वरुऩ: दक्षऺणभुखी
कबी उनके ऩैयं के नीिे याऺसकी भूसता बी होती है । हनुभानजी की उऩासना कयने से व्मत्रि को बम, सॊकट,
वीयहनुभान का ऩूजन बूता-प्रेत, जाद-ू टोना इत्मादद आसुयी भानससक सिॊता इत्मादी का नाश होता हं । क्यमोदक शास्त्रो के

शत्रिमो से प्राद्ऱ होने वारे कष्टो को दयू कयने वारा हं । अनुशाय दक्षऺण ददशा भं कार का सनवास होता हं । सशवजी
कार को सनमॊिण कयने वारे दे व हं हनुभानजी बगवान सशव
याभ सेवक हनुभान स्वरुऩ: हनुभानजी की श्री याभजी की
के अवताय हं अत् हनुभानजी की ऩूजा-अिाना कयने से राब
सेवाभं रीन हनुभानजी की उऩासना कयने से व्मत्रि के सबतय
प्राद्ऱ होता हं । जाद-ू टोना, भॊि-तॊि इत्मादद प्रमोग दक्षऺणभुखी
सेवा औय सभऩाण के बाव की वृत्रद्च होती हं । व्मत्रि के सबतय
हनुभान की प्रसतभा के सभुख कयना त्रवशेष राबप्रद होता हं ।
धभा, कभा इत्मादद के प्रसत सभऩाण औय सेवा की बावना
दक्षऺणभुखी हनुभान का सिि दक्षऺण भुखी बवन के भुख्म
सनभााण कयने हे तु व व्मत्रि के सबतय से क्रोघ, इषाा अहॊ काय
इत्मादद बाव के नाश हे तु याभ सेवक हनुभान स्वरुऩ उिभ द्राय ऩय रगाने से वास्तु दोष दयु होते दे खे गमे हं । जाद-ू टोना,

भाना गमा हं । भॊि-तॊि इत्मादद प्रमोग प्रभुखत: ऐसी भूसताके

हनुभानजी का उियाभुखी स्वरुऩ: उियाभुखी हनुभानजी हनुभानजी का ऩूवभ


ा ख
ु ी स्वरुऩ: ऩूवभ
ा ुखी हनुभानजी का

की उऩासना कयने से सबी प्रकाय के सुख प्राद्ऱ होकय जीवन ऩूजन कयने से व्मत्रि के सभस्त बम, शोक, शिुओॊ का नाश
धन, सॊऩत्रि से मुि हो जाता हं । क्यमोदक शास्त्रो के अनुशाय हो जाता है ।
उिय ददशा भं दे वी दे वताओॊ का वास होता हं , अत् उियभुखी

दक्षऺणावसता शॊख
आकाय रॊफाई भं पाईन सुऩय पाईन स्ऩेशर आकाय रॊफाई भं पाईन सुऩय पाईन स्ऩेशर
0.5" ईंि 180 230 280 4" to 4.5" ईंि 730 910 1050
1" to 1.5" ईंि 280 370 460 5" to 5.5" ईंि 1050 1250 1450
2" to 2.5" ईंि 370 460 640 6" to 6.5" ईंि 1250 1450 1900
3" to 3.5" ईंि 460 550 820 7" to 7.5" ईंि 1550 1850 2100
हभाये महाॊ फिे आकाय के दकभती व भहॊ गे शॊख जो आधा रीटय ऩानी औय 1 रीटय ऩानी सभाने की ऺभता वारे
होते हं । आऩके अनुरुध ऩय उऩरब्ध कयाएॊ जा सकते हं ।
 स्ऩेशर गुणविा वारा दक्षऺणावसता शॊख ऩूयी तयह से सपेद यॊ ग का होता हं ।
 सुऩय पाईन गुणविा वारा दक्षऺणावसता शॊख पीके सपेद यॊ ग का होता हं ।
 पाईन गुणविा वारा दक्षऺणावसता शॊख दं यॊ ग का होता हं ।

GURUTVA KARYALAY
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39 ददसम्फय 2011

वास्तु: भानससक अशाॊसत सनवायण उऩाम


 सिॊतन जोशी
आज की बागदौि से बयी क्षजॊदगी भं हय व्मत्रि अऩने काभ भं व्मस्त हं । क्षजस कायण से असधकतय रोग
भानससक शाॊसत से ग्रस्त होते है । व्मस्ता एवॊ बौसतकता से बयी ददनिामाा भं व्मत्रि के ऩास अऩने स्वमॊ के सरए बी
वि ही नहीॊ होता है । मदद आऩ इस तयह की ऩये शानी से ग्रस्त हं औय आऩ भानससक कष्ट तनाव इत्मादी से भुत्रि
िाहते हं , तो इस वास्तु सुझावो को जीवन भं अवश्म आजभाकय दे ख रे आऩको सनक्षित राब प्राद्ऱ होगा।
* अऩने शमन कऺ भं यात भं झूठे फतान न यखं। सोने से ऩूवा फतानो को साप कयरे। इससे स्त्री वगा का स्वास्थ्म
प्रबात्रवत होता हं व धन का अबाव फना यहता हं ।
* भानससक तनाव हो, जाए तो कभये भं शुद्च घी का दीऩक जरा कय यखं।
* शमन कऺ भं झािू इत्मादद सपाई की साभग्री न यखं। इससे व्मथा की
सिॊता यहे गी।
* मदद भानससक तनाव असधक हो जाएॊ तो, तदकए के नीिे रार िॊदन
यखकय सोएॊ राब प्राद्ऱ होगा।
* सुफह-सॊर्धमा ऩूजन भं घी औय कऩूयका ददऩ अवश्म जरामे। क्षजससे
सनवास स्थान मा व्मवसासमक स्थानो से नकायात्भक उजाा दयू होती हं ।
* शास्त्रोि सनमभो के अनुशाय सॊर्धमा सभम अथाात धूऩ-ददऩ के सभम
सोना, खाना, स्नान कयना वक्षजात भाना गमा हं । अत् इन कामो को
कयने से त्मागदे ।
* सॊर्धमा सभम अथाात धूऩ-ददऩ के सभम हाथ-ऩैय धो सकते हं ।
* धूऩ-ददऩ के सभम अऩने सनवास स्थान मा व्मवसासमक स्थानो ऩय
सुगॊसधत व ऩत्रवि अगयफत्रि, धुऩ
* अऩने शमन कऺ भं यात भं झूठे फतान न यखं। सोने से ऩूवा फतानो को साप कयरे। इससे स्त्री वगा का स्वास्थ्म
प्रबात्रवत होता हं व धन का अबाव फना यहता हं ।
* भानससक तनाव हो, जाए तो कभये भं शुद्च घी का दीऩक जरा कय यखं।
* शमन कऺ भं झािू इत्मादद सपाई की साभग्री न यखं। इससे व्मथा की सिॊता यहे गी।
* मदद भानससक तनाव असधक हो जाएॊ तो, तदकए के नीिे रार िॊदन यखकय सोएॊ राब प्राद्ऱ होगा।
* सुफह-सॊर्धमा ऩूजन भं घी औय कऩूयका ददऩ अवश्म जरामे। क्षजससे सनवास स्थान मा व्मवसासमक स्थानो से
नकायात्भक उजाा दयू होती हं ।
* शास्त्रोि सनमभो के अनुशाय सॊर्धमा सभम अथाात धूऩ-ददऩ के सभम सोना, खाना, स्नान कयना वक्षजात भाना गमा हं ।
अत् इन कामो को कयने से त्मागदे ।
* सॊर्धमा सभम अथाात धूऩ-ददऩ के सभम हाथ-ऩैय धो सकते हं ।
* धूऩ-ददऩ के सभम अऩने सनवास स्थान मा व्मवसासमक स्थानो ऩय सुगॊसधत व ऩत्रवि अगयफत्रि, धुऩ इत्मादद अवश्म
कयं ।
40 ददसम्फय 2011

ऩॊिभुखी हनुभान का ऩूजन उिभ परदामी हं


 सिॊतन जोशी
शास्त्रो त्रवधान से हनुभानजी का ऩूजन औय साधना त्रवसबन्न रुऩ से दकमे जा सकते हं ।

हनुभानजी का एकभुखी,ऩॊिभुखीऔय एकादश भुखीस्वरूऩ के साथ हनुभानजी का फार हनुभान, बि हनुभान, वीय
हनुभान, दास हनुभान, मोगी हनुभान आदद प्रससद्च है । दकॊतु शास्त्रं भं श्री हनुभान के ऐसे िभत्कारयक स्वरूऩ औय िरयि
की बत्रि का भहत्व फतामा गमा है , क्षजससे बि को फेजोि शत्रिमाॊ प्राद्ऱ होती है । श्री हनुभान का मह रूऩ है - ऩॊिभुखी
हनुभान।

भान्मता के अनुशाय ऩॊिभुखीहनुभान का अवताय बिं का कल्माण कयने के सरए हुवा हं । हनुभान के ऩाॊि भुख
क्रभश:ऩूव,ा ऩक्षिभ, उिय, दक्षऺण औय ऊधर्धव ददशा भं प्रसतत्रष्ठत हं ।

ऩॊिभुखीहनुभानजी का अवताय भागाशीषा कृ ष्णाष्टभी को भाना जाता हं । रुद्र के अवताय हनुभान ऊजाा के प्रतीक भाने
जाते हं । इसकी आयाधना से फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती है ।

याभामण के अनुसाय श्री हनुभान का त्रवयाट स्वरूऩ ऩाॊि भुख ऩाॊि ददशाओॊ भं हं । हय रूऩ एक भुख वारा, त्रिनेिधायी
मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ वारा है । मह ऩाॊि भुख नयससॊह, गरुड, अश्व, वानय औय वयाह रूऩ है । हनुभान के ऩाॊि
भुख क्रभश:ऩूव,ा ऩक्षिभ, उिय, दक्षऺण औय ऊधर्धव ददशा भं प्रसतत्रष्ठत भाने गएॊ हं ।

ऩॊिभुख हनुभान के ऩूवा की ओय का भुख वानय का हं । क्षजसकी प्रबा कयोडं सूमो के तेज सभान हं । ऩूवा भुख वारे
हनुभान का ऩूजन कयने से सभस्त शिुओॊ का नाश हो जाता है ।

ऩक्षिभ ददशा वारा भुख गरुड का हं । जो बत्रिप्रद, सॊकट, त्रवघ्नन-फाधा सनवायक भाने जाते हं । गरुड की तयह हनुभानजी
बी अजय-अभय भाने जाते हं ।

हनुभानजी का उिय की ओय भुख शूकय का है । इनकी आयाधना कयने से अऩाय धन-सम्ऩत्रि,ऐश्वमा, मश, ददधाामु प्रदान
कयने वार व उिभ स्वास्थ्म दे ने भं सभथा हं । है ।

हनुभानजी का दक्षऺणभुखी स्वरूऩ बगवान नृससॊह का है । जो बिं के बम, सिॊता, ऩये शानी को दयू कयता हं ।

श्री हनुभान का ऊधर्धवभुख घोडे के सभान हं । हनुभानजी का मह स्वरुऩ ब्रह्मा जी की प्राथाना ऩय प्रकट हुआ था। भान्मता
है दक हमग्रीवदै त्म का सॊहाय कयने के सरए वे अवतरयत हुए। कष्ट भं ऩडे बिं को वे शयण दे ते हं । ऐसे ऩाॊि भुॊह वारे
रुद्र कहराने वारे हनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु हं ।
41 ददसम्फय 2011

हनुभतभहाकाव्म भं ऩॊिभुखीहनुभान के फाये भं एक कथा हं ।


एक फाय ऩाॊि भुॊह वारा एक बमानक याऺस प्रकट हुआ। उसने तऩस्मा कयके ब्रह्माजीसे वयदान ऩामा दक भेये रूऩ जैसा
ही कोई व्मत्रि भुझे भाय सके। ऐसा वयदान प्राद्ऱ कयके वह सभग्र रोक भं बमॊकय उत्ऩात भिाने रगा। सबी दे वताओॊ
ने बगवान से इस कष्ट से छुटकाया सभरने की प्राथाना की। तफ प्रबु की आऻा ऩाकय हनुभानजी ने वानय, नयससॊह, गरुड,
अश्व औय शूकय का ऩॊिभुख स्वरूऩ धायण दकमा। इस सरमे एसी भान्मता है दक ऩॊिभुखीहनुभान की ऩूजा-अिाना से
सबी दे वताओॊ की उऩासना के सभान पर सभरता है । हनुभान के ऩाॊिं भुखं भं तीन-तीन सुॊदय आॊखं आर्धमाक्षत्भक,
आसधदै त्रवक तथा आसधबौसतक तीनं ताऩं को छुडाने वारी हं । मे भनुष्म के सबी त्रवकायं को दयू कयने वारे भाने जाते
हं ।

बि को शिुओॊ का नाश कयने वारे हनुभानजी का हभेशा स्भयण कयना िादहए।

त्रवद्रानो के भत से ऩॊिभुखी हनुभानजी की उऩासना से जाने -अनजाने दकए गए सबी फुये कभा एवॊ सिॊतन के दोषं से
भुत्रि प्रदान कयने वारा हं ।
ऩाॊि भुख वारे हनुभानजी की प्रसतभा धासभाक औय तॊि शास्त्रं भं बी फहुत ही िभत्कारयक परदामी भानी गई है ।

हनुभान फाहुक क ऩाठ योग व कष्ट दयू कयता हं

हनुभान फाहुक की यिना सॊत गोस्वाभी तुरसीदासजी ने अऩीन दादहनी फाहु भं हुई असह्य ऩीिा के सनवायण के सरए की
थी। हनुभान फाहुक भं तुरसीदासजी ने हनुभानजी की भदहभा का सिॊतन व तुरसीदासजी के सवाअॊगो भं हो यही ऩीिा
की सनवृसत की प्राथाना है ।

हनुभान फाहुक ससद्च सॊत गोस्वाभी तुरसीदासजी के द्राया त्रवयसित ससद्च स्तोि है ।

हनुभान फाहुक का ऩाठ दकसी बी प्रकाय की आसध–व्मासध जेसी ऩीिा, बूत, ऩेत, त्रऩशाि, जेसी उऩासध तथा दकसी बी
प्रकाय के शिु द्राया दकमे हुए दष्ट
ु सबिाय कभा की सनवृसत के सरए हनुभान फाहुक का सनमसभत ऩाठ तथा अनुष्ठान श्रेष्ठ
उऩाम हं । अनुष्ठान के सभम एकाहाय अथवा पराहाय कये । ऩूणा ब्रह्मिमा आदद का ऩारन औय बूसभ शमन कयं ।

हनुभानजी का ऩूजन औय हनुभान फाहुक के ऩाठ का अनुष्ठान 40 ददन तक कयने से अबीष्ट पर की ससत्रद्च अथवा योग,
कष्ट इत्मादद का सनवायण हो जाता है ।

नोट: जो व्मत्रि अनुष्ठान कयने भं असभथा हो वह प्रसतददन हनुभान फाहुक का श्रद्चा अनुशाय ऩाठ कयके बी राब प्राद्ऱ कय
सकते हं ।
42 ददसम्फय 2011

गौ सेवा का भहत्व
 सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
बायतीम ऩयॊ ऩया के भत से गाम के शयीय भं ३३ कयोि दे वता
वास होता हं , एवॊ गौ-सेवा से एक ही साथ 33 कयोड दे वता प्रसन्न
होते हं ।
दहन्द ू सॊस्कृ सत क्षजस घय भं गाम भाता का सनवास कयती हं
एवॊ जहाॊ गौ सेवा होती है , उस घय से सभस्त ऩये शानीमाॊ कोसं दयू
यहती हं । बायतीम सॊस्कृ सत भं गाम को भाता का सॊम्भान ददम जाता हं
इस सरमे उसे गौ-भाता केहते है ।
गाम प्राद्ऱ गाम का दध
ू , दध
ू ही नहीॊ अभृत तुल्म हं । गाम से प्राद्ऱ दध
ू ,
घी, भक्यखन से भानव शयीय ऩुष्ट फनता हं । एवॊ गाम का गोफय िुल्हं , हवन
इत्मादद भे उप्मुि होता हं औय महाॊ तक की उसका भूि बी त्रवसबन्न दवाइमाॊ
फनाने के काभ आता हं ।

गाम ही ऐसा ऩशुजीव हं जो अन्म ऩशुओॊ भं सवाश्रष्ठ


े औय फुत्रद्चभान भाना हं ।
कहाजाता हं बगवान श्री कृ ष्ण छह वषा के गोऩार फने क्यमंदक उन्हंने गौ सेवा का सॊकल्ऩ सरमा था। बगवान श्री
कृ ष्ण ने गौ सेवा कयके गौ का भहत्व फढामा हं ।

 गाम के भूि भं कंसय, टीवी जैसे गॊबीय योगं से रिने की ऺभता होती हं , क्षजसे वैऻासनक बी भान िुके हं ।
 गौ-भूि के सेवन कयने से ऩेट के सबी त्रवकाय दयू होते हं ।
 ज्मोसतष शास्त्र भे बी नव ग्रहो के अशुब प्रबाव से भुत्रि के सरमे गाम को त्रवसबन्न प्रकाय के अन्न का वणान
दकमा गमा हं ।
 मदद फच्िे को फिऩन से गाम के दध
ू त्रऩरामा जाए तो फच्िे की फुत्रद्च कुशाग्र होती हं ।
 गाम के गोफय को आॊगन सरऩने एवॊ भॊगर कामो भे सरमा जाता हं ।
 गोफय, गौ भूि, गौ-दही, गौ-दध
ू , गौधृत मे ऩॊिगव्म हं ।
 गाम की सेवा से बगवान सशव बी प्रसन्न होते हं ।

इस सॊसाय भे आज हय व्मत्रि दकसी न दकसी कायण दख


ु ी हं । कोई अऩने कभं मा अऩने ऩय आई त्रवऩदाओॊ से दख
ु ी
हं अथाात वह अऩने दख
ु ं के कायण दख
ु ी हं भगय कोई दस
ू ये के सुख से दख
ु ी हं अथाात ईषाा के कायण बी दख
ु ी हं ।
मानी महाॊ दख
ु ी हय कोई हं कायण बरे ही सबन्न-सबन्न हो सकते हं ।
इन सभस्त ऩये शानीओ का सनदन है गौ सेवा।
43 ददसम्फय 2011

बवन सनभााण औय गौ सेवा:


क्षजस बूसभ ऩय बवन सनभााण का शुबायॊ ब कयना हो उस जगह ऩय सनभााण कामा प्रायॊ ब कयने से कुछ ददन ऩूवा
मदद गाम को वहा यख कय गाम की सॊऩूणा श्रद्चा से सेवा की जामे तो उस बूसभ ऩय फनने वारा बवन त्रफना दकसी
ऩये शासन औय त्रफना धन के अबाव भं गृह का सनभााण कामा सभाद्ऱ हो जाता हं ।

वास्तुशास्त्र के सबी प्रभुख ग्रॊथो भं बवन सनभााण से ऩूवा गाम को ताजे जन्भे फछडे के साथ भं फाधने ऩय त्रवशेष
जोय ददमा गमा हं ।

मदद गाम को प्रसव से ऩूवा फाॊधना औय बी उिभ होता हं एसी भान्मता प्रिरन भं हं , क्यमोदक गाम के बीतय
प्रसव के फादभं जो भभता का बाव होता हं वह अतुल्म होता हं क्षजसे शब्दं भं फमा कयना सॊबव नहीॊ हं , एसे भं मदद
उस बूसभ ऩय उस गाम की सेवा की जामे तो गाम के बीतय से जो बाव सनकरते हं वह उस बूसभ ऩय फनने वारे बवन
भं सकायत्भन उजाा को फढाने हे तु सहामक होता हं । एवॊ सकायात्भक उजाावारे स्थान ऩय सनवास कयना असत उिभ
भानागमा हं ।

सनत्रवष्टॊ गोकुरॊ मि श्वाॊस भुॊिसत सनबामभ ्।


त्रवयाजमसत तॊ दे शॊ ऩाऩॊ िास्माऩ कषासत॥

अथाात:- क्षजस स्थान ऩय गाम त्रवयाजभान हो कय सनबामता ऩूवक


ा श्वास रेती हं , उस बूसभ ऩय से साये ऩाऩं को खीॊि
रेती हं ।

 क्षजस घय भं सनमसभत गौ सेवा होती हं उस घय सं सवा प्रकाय की फाधाओॊ औय त्रवघ्ननं का स्वत् सनवायण होता
यहता हं ।
 त्रवष्णु ऩुयाण भं उल्रेक्षखत हं जफ बगवान कृ ष्ण ऩूतना के दग्ु धऩान से डय गएथे तो नॊद दॊ ऩती ने गाम की ऩूॊछ
को घुभाकय कृ ष्ण की नजय उताय कय उनके बम का सनवायण दकमाथा।
 हभाये प्रासिन ऩुयाणं भं उल्रेख दकमा गमा है दक कबी बी गाम को राॊघकय नहीॊ जाना िादहए।
 दकसी बी भहत्व ऩूणा कामा के सरए जाते सभम गाम के यॊ बाने की र्धवसन कान भं ऩिना अत्मॊत शुबदामक होता
हं ।
 सॊतान प्रासद्ऱ हे तु घय भं गाम की प्रसतददन सेवा सयने से राब प्राद्ऱ होता हं ।सशवऩुयाण एॊव स्कॊदऩुयाण भं वणान
दकमा गमा हं दक गो सेवा औय गोदान से व्मत्रि को असुयी शत्रि मा मभ का बम नहीॊ यहता।
 गरुिऩुयाण औय ऩद्मऩुयाण भं उल्रेख हं , गाम के ऩैय की धूर सभस्त ऩाऩो का त्रवनाश कयने भे सभथा हं ।
44 ददसम्फय 2011

भारा का भहत्व
 स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
हय साधक की इच्छा होती हं की जो साधना वह अऩने कामा उद्ङे श्म की ऩूसता के सरमे कय यहा हं उसका वह कामा
सयरता से शीघ्र सॊऩन्न जामे मा उसे अऩने द्राया दकमे गमे जाऩो का असधक से असधक प्रसतशत राब प्राद्ऱ हो।

साधाना भे भॊि जऩ के सरमे भारा का त्रवशेष भहत्व होता है ।


त्रवसबन्न प्रकाय के कामा की ससत्रद्च हे तु भारा का िमन अऩने कामा उद्ङे श्म के अनुशाय कयने से साधक को अऩने कामा
की ससत्रद्च जल्द प्राद्ऱ होती हं , क्यमोकी भारा का िमन क्षजस इष्ट की साधना की जाती हं उस के अनुरुऩ होना िाहीमे।
दे वी- दे वता दक त्रवषेश कृ ऩा प्रासद्ऱ के सरए उऩमुि भारा का िमन कयना िादहए-

रार िॊदन- (यि िॊदन भारा) गणेश, दग


ू ाा, भॊगर ग्रह दक शाॊसत के सरए उिभ है ।

श्वेत िॊदन- (सपेद िॊदन भारा) - रक्ष्भी एवॊ शुक्र ग्रह दक प्रसन्नता हे तु।

तुरसी- त्रवष्णु, याभ व कृ ष्ण दक ऩूजा अिाना हे त॥

भूॊग- रक्ष्भी, गणेश, हनुभान, भॊगर ग्रह दक शाॊसत के सरए उिभ है ।

भोती- रक्ष्भी, िॊद्रदे व दक प्रसन्नता हे तु।

कभर गटटा- रक्ष्भी दक प्रसन्नता हे तु।

हल्दी - फगराभुखी एवॊ फृहस्ऩसत (गुरु) दक प्रसन्नता हे तु।

स्पदटक - रक्ष्भी, सयस्वती, बैयवी की आयाधना के सरए श्रेष्ठ होती है ।

िाॉदी - रक्ष्भी, िॊद्रदे व दक प्रसन्नता हे तु।

रुद्राऺ - सशव, हनुभान दक प्रसन्नता हे तु।

नवयत्न - नवग्रहो दक शाॊसत हे तु।

सुवणा- रक्ष्भी दक प्रसन्नता हे तु।

अकीक - (हकीक) दक भारा का प्रमोग उसके यॊ गो के अनुरुऩ दकमा जाता हं ।

रुद्राऺ एवॊ स्पदटक की भारा सबी दे वी- दे ता की ऩूजा उऩासना भं प्रमोग दकमाजा सकता हं ।
45 ददसम्फय 2011

उऩवास एवॊ ज्मोसतष


 स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
व्मत्रि दक जन्भ कुॊडरी के अनुसाय जो ग्रह ऩीडा कायक मा के द्ु ख दामी हो, तो ग्रहो से सॊफॊसधत वाय के
अनुशाय व्रत कयना िादहमे। ग्रह से सॊफॊसधत वाय का व्रत कयने से ग्रह अऩना अशुब प्रबाव दयू कय शुब
प्रबाव दे ने हे तु भजफूय जाते हं , जैसे दष्ट
ु से दष्ट
ु व्मत्रि को मदद हभ दो हाथ जोड कय प्रणाभ कय दे तो
उसका बी रृदम ऩरयवतान हो जाता हं । सथक उसी प्रकाय मदद प्रसतकूर ग्रहो के दष्ट
ु प्रबाव को उस ग्रह दक
ऩूजा-अिाना, भॊि जाऩ मा व्रत उऩवास कयने से ग्रहो के बी अशुब प्रबाव स्वत् दयू हो जाते हं ।

यत्रववाय का व्रत
यत्रववाय का व्रत सूमा ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । सूमा का व्रत कयने से हडीमा भजफूत होती
हं , ऩेट सॊफध
ॊ ी सबी योगो का त्रवनाश होता हं , आॊखो दक योशनी फढती हं , व्मत्रि का साहय एवॊ ऺभता भं
वृत्रद्च होकय उसका मश िायं औय फढता हं । यत्रववाय का व्रत कयने से सूमा के प्रबाव भं आने वारे सबी
व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

सोभवाय का व्रत
सोभवाय का व्रत िॊद्र ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । क्षजस्से व्मत्रिने पेपडे के योग, दभा,
भानससक योग से भुत्रि भरती हं ।
व्मत्रिनी िॊरता दयू होती हं , नशे दक रत छुडाने हे तु राब प्राद्ऱ होता हं , स्त्रीओॊ भं भाससक यि-स्त्राव दक
ऩीडा कभ होती हं । सोभवाय का व्रत सशव को त्रप्रम हं इस सरमे अत्रववादहत रडकीमो कं १६ सोभवाय का
व्रत कयने से उिभ वय दक प्रासद्ऱ होती हं । सोभवाय का व्रत कयने से िॊद्र के प्रबाव भं आने वारे सबी
व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

भॊगरवाय का व्रत
भॊगर का व्रत भॊगर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । क्षजस का व्मत्रि स्वबाव उग्र मा
दहॊ सात्भक, असधक गुस्से वारा हो उनके भॊगरवाय का व्रत कयने से भन शाॊत होता हं । भॊगरवाय का व्रत
गणऩतीजी, हनुभानजी को प्रसन्न कयने हे तु बी दकमा जाता हं । भॊगरवाय का व्रत कयने से बूत-प्रेत फाधा
दयू होती हं , व्मत्रि के सबी सॊकट दयू होजाते हं । अत्रववादहत रडको के व्रत कयने से
उसदक फुत्रद्च औय फर का त्रवकास होता हं । भॊगरवाय का व्रत कयने से भॊगर के प्रबाव भं आने वारे सबी
व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
46 ददसम्फय 2011

फुधवाय का व्रत
फुधवाय का व्रत फुध ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । फुधवाय का व्रत व्मवसाम कयने वारो हे तु
राबदामी होता हं । फुधवाय का व्रत गणेश जी एवॊ भाॊ दग
ु ाा दक कृ ऩा प्रासद्ऱ हे तु दकमा जाता हं । इस व्रत के
कयने से फुत्रद्चका त्रवकास होता हं , इस ददन व्रत के साथ दग
ु ाा सद्ऱशतीका ऩाठ कयने से भनोवाॊसछत पर दक
प्रासद्ऱ होती हं । फुधवाय का व्रत कयने से फुध के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब
प्राद्ऱ होता हं ।

गुरुवाय का व्रत
गुरुवाय का व्रत फृहस्ऩसत ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । गुरुवाय का व्रत कयने से धन - सॊऩत्रि
दक प्रासद्ऱ होती हं घय भं सुख-शाॊसत औय सभृत्रद्च फढती हं । रडकी के त्रववाह भं आयही फाधाएॊ दयू होती हं ।
गुरुवाय का व्रत कयने से फृहस्ऩसत के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता
हं ।

शुक्रवाय का व्रत
शुक्रवाय का व्रत शुक्र ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । शुक्रवाय का व्रत कयने से व्मत्रि के संदमा
भं वृत्रद्च होती हं , गुद्ऱ योगोभं राब होता हं , बोग-त्रवरास दक सिज वस्तु भं वृत्रद्च होती हं । शुक्रवाय का व्रत
कयने से शुक्र के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

शसनवाय का व्रत
शसनवाय का व्रत शसन ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । शसनवाय का व्रत कयने से सॊऩत्रि भं वृत्रद्च
होती हं , खोमा हुवा धन ऩून् प्राद्ऱ होता हं । सशऺा प्रासद्ऱ भं आयहे फाधा त्रवघ्नन दयू होते हं । ऩेटा औय ऩैय के
योग भं राब प्राद्ऱ होता हं , ऩूयाने योग बी सथक होजाते हं । शसनवाय का व्रत कयने से शसन के प्रबाव भं
आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

इस प्रकाय ग्रहो के शुब प्राबाव से सनक्षिॊत राब प्राद्ऱ हो्ता हं इस भं जया बी सॊदेह नहीॊ हं , ऩूणा आस्था
एवॊ त्रवश्वास से दकमा गमा व्रत असधक प्रबाव शारी होते हं ।

 व्रत के ददन सुफह मा यािी एक सभम साक्षत्वक बोजन कयं ।


 कुछ व्रत भं पराहाय कय सकते हं एवॊ दध
ू -िाम-कोपी ऩीसकते हं ।
 ब्रह्मिमा का ऩारन कयं ।
 नशे से ऩयहे ज कयं ।
47 ददसम्फय 2011

िेहये ऩय सतर का प्रबाव


 सिॊतन जोशी
 मदद िेहये ऩय दादहने बाग भं रार मा कारे यॊ ग का सतर हो, तो व्मत्रि मशस्वी, धनवान तथा सुखी होता हं ।
 मदद नीिे के होठ ऩय सतर का सिन्ह हो, तो ऐसा व्मत्रि सनधान होता हं तथा जीवन बय गयीफी भं ददन व्मतीत
कयता हं । होठ औय सतर के त्रफि क्षजतसन दयू ी हो प्रबाव उतना कभ होता जाता हं ।
 मदद ऊऩय के हंठ ऩय सतर का सिन्ह हो, तो ऐसा व्मत्रि अत्मसधक
 त्रवरासी औय काभ त्रऩऩासु रेदकन धनवान होता हं ।
 मदद फामं कान के ऊऩयी ससये ऩय सतर का सिन्ह हो, तो व्मत्रि दीघाामु होता हं रेदकन उसका शयीय थोडा
कभजोय होता हं ।
 मदद नाससका के भर्धम बाग भं सतर हो, तो व्मत्रि असधक मािा कयने वारा भ्रभण त्रप्रम एवॊ दष्ट
ु स्वबाव का
होता हं ।
 मदद दादहनी कनऩटी ऩय सतर हो, तो व्मत्रि प्रेभी, सभृद्च तथा सुखऩूणा अऩना जीवन व्मतीत कयने वारा होता
हं ।
 मदद फामं गार ऩय सतर का सिन्ह हो, तो गृहस्थ जीवन सुखभम यहता हं रेदकन जीवन भं धन का अबाव
यहता हं ।
 मदद ठोिी ऩय सतर हो, तो वह व्मत्रि थोडा स्वाथॉ एवॊ अऩने काभ भं ही रगा यहने वारा होता हं ।
 मदद दादहने कान के ऩास सतर हो, तो व्मत्रि साहसी होते हं ।
 मदद दादहनी औय बंह के ऩास भं सतर हो, तो व्मत्रि दक आॊखं कभजोय होती हं ।
 मदद दादहने गार ऩय सतर का सिन्ह हो, तो ऐसा व्मत्रि फुत्रद्चभान तथा जीवन के हय ऺेि भं उन्नसत कयने वारा
होता है ।
 मदद गदा न ऩय सतर हो, तो व्मत्रि फुत्रद्चभान होते हं औय अऩने प्रमत्नं से धन सॊिम कयने वारा होता हं ।
 मदद दादहनी आॊख के नीिरे दहस्से ऩय सतर का सिन्ह हो, तो वे सभृद्च तथा सुखी होते हं ।
 मदद नाससका के फाएॊ बाग ऩय सतर हो, तो व्मत्रि असधक प्रमत्न कयने के फाद सपरता प्राद्ऱ होती है ।
 मदद फाएॊ आॊख की बंहं के ऩास भं सतर हो, तो व्मत्रि एकान्त त्रप्रम एवॊ साभान्म जीवन सनवााह कयने वारा
होता है ।
 मदद दोनं बंहं के फीि के दहस्से भं सतर का सिन्ह हो, तो व्मत्रि दीघाामु धासभाक एवॊ उदाय रृदम के स्वाभी
होते हं ।

नोट:- उऩयोि जानकायी शास्त्र के आधाय ऩय दद गई हं ।


48 ददसम्फय 2011

नवयत्न जदित श्री मॊि


शास्त्र विन के अनुसाय शुद्च सुवणा मा
यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मदद
नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जदित श्री
मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसके
सनक्षित स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ
भं धायण कयने से व्मत्रि को अनॊत एश्वमा
एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रि को
एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके
साथ हं । नवग्रह को श्री मॊि के साथ
. रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का
. धायणकयने वारे व्मत्रि ऩय प्रबाव नहीॊ
होता हं ।

गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उिभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी
प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उिभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि विन हं । इस प्रकाय
के नवयत्न जदित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रष्ठत कयके फनावाए
जाते हं ।
असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।

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49 ददसम्फय 2011

भॊि ससद्च त्रवशेष दै वी मॊि सूसि


आद्य शत्रि दग
ु ाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि) सयस्वती मॊि
भहान शत्रि दग
ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि) सद्ऱसती भहामॊि(सॊऩूणा फीज भॊि सदहत)
नव दग
ु ाा मॊि कारी मॊि
नवाणा मॊि (िाभुॊडा मॊि) श्भशान कारी ऩूजन मॊि
नवाणा फीसा मॊि दक्षऺण कारी ऩूजन मॊि
िाभुॊडा फीसा मॊि ( नवग्रह मुि) सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्च मॊि
त्रिशूर फीसा मॊि खोदडमाय मॊि
फगरा भुखी मॊि खोदडमाय फीसा मॊि
फगरा भुखी ऩूजन मॊि अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजेश्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि एकाॊऺी श्रीपर मॊि

भॊि ससद्च त्रवशेष रक्ष्भी मॊि सूसि


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भहारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यदहत) भहारक्ष्भी फीसा मॊि
श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सदहत) रक्ष्भी दामक ससद्च फीसा मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि) रक्ष्भी दाता फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूि मॊि रक्ष्भी गणेश मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩृष्ठीम) ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
रक्ष्भी फीसा मॊि कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्री श्री रसरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान ससत्रद्च दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)
भहारक्ष्भमं श्री भहा मॊि)
अॊकात्भक फीसा मॊि
ताि ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस ताि ऩि ऩय यजत ऩोरीस ताि ऩि ऩय
(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म
2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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50 ददसम्फय 2011

सवा कामा ससत्रद्च कवि


क्षजस व्मत्रि को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊसछत सपरतामे एवॊ दकमे गमे कामा
भं ससत्रद्च (राब) प्राद्ऱ नहीॊ होती, उस व्मत्रि को सवा कामा ससत्रद्च कवि अवश्म धायण कयना िादहमे।

कवि के प्रभुख राब: सवा कामा ससत्रद्च कवि के द्राया सुख सभृत्रद्च औय नव ग्रहं के नकायात्भक प्रबाव को
शाॊत कय धायण कयता व्मत्रि के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ
उन्नसत प्रासद्ऱ होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससद्च होते हं । क्षजसे धायण कयने से व्मत्रि मदद
व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृत्रद्च होसत हं औय मदद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नसत होती हं ।

 सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं सवाजन वशीकयण कवि के सभरे होने की वजह से धायण कयता
की फात का दस
ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाव फना यहता हं ।
 सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं अष्ट रक्ष्भी कवि के सभरे होने की वजह से व्मत्रि ऩय भाॊ भहा
सदा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं । क्षजस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आदद
रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम
रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।

 सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं तॊि यऺा कवि के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू
होती हं , साथ ही नकायत्भन शत्रिमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्रि ऩय नहीॊ होता। इस
कवि के प्रबाव से इषाा-द्रे ष यखने वारे व्मत्रिओ द्राया होने वारे दष्ट
ु प्रबावो से यऺाहोती हं ।
 सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं शिु त्रवजम कवि के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊसधत
सभस्त ऩये शासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं । कवि के प्रबाव से शिु धायण कताा
व्मत्रि का िाहकय कुछ नही त्रफगड सकते।

अन्म कवि के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं सॊऩका कये :

दकसी व्मत्रि त्रवशेष को सवा कामा ससत्रद्च कवि दे ने नही दे ना का अॊसतभ सनणाम हभाये ऩास सुयक्षऺत हं ।

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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


51 ददसम्फय 2011

जैन धभाके त्रवसशष्ट मॊिो की सूिी


श्री िौफीस तीथंकयका भहान प्रबात्रवत िभत्कायी मॊि श्री एकाऺी नारयमेय मॊि
श्री िोफीस तीथंकय मॊि सवातो बद्र मॊि
कल्ऩवृऺ मॊि सवा सॊऩत्रिकय मॊि
सिॊताभणी ऩाश्वानाथ मॊि सवाकामा-सवा भनोकाभना ससत्रद्चअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)
सिॊताभणी मॊि (ऩंसदठमा मॊि) ऋत्रष भॊडर मॊि
सिॊताभणी िक्र मॊि जगदवल्रब कय मॊि
श्री िक्रेश्वयी मॊि ऋत्रद्च ससत्रद्च भनोकाभना भान सम्भान प्रासद्ऱ मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि ऋत्रद्च ससत्रद्च सभृत्रद्च दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्च भहामॊि त्रवषभ त्रवष सनग्रह कय मॊि
(अनुबव ससद्च सॊऩण
ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)
श्री ऩद्मावती मॊि ऺुद्रो ऩद्रव सननााशन मॊि
श्री ऩद्मावती फीसा मॊि फृहच्िक्र मॊि
श्री ऩाश्वाऩद्मावती ह्रंकाय मॊि वॊर्धमा शब्दाऩह मॊि
ऩद्मावती व्माऩाय वृत्रद्च मॊि भृतवत्सा दोष सनवायण मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि काॊक वॊर्धमादोष सनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ र्धमान मॊि फारग्रह ऩीडा सनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ प्रबुका मॊि रधुदेव कुर मॊि
बिाभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक) नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका त्रवसशष्ट मॊि
भक्षणबद्र मॊि उवसग्गहयॊ मॊि
श्री मॊि श्री ऩॊि भॊगर भहाश्रृत स्कॊध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय वधाक मॊि ह्रीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि वधाभान त्रवद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि त्रवद्या मॊि
भहात्रवजम मॊि सौबाग्मकय मॊि
त्रवजमयाज मॊि डादकनी, शादकनी, बम सनवायक मॊि
त्रवजम ऩतका मॊि बूतादद सनग्रह कय मॊि
त्रवजम मॊि ज्वय सनग्रह कय मॊि
ससद्चिक्र भहामॊि शादकनी सनग्रह कय मॊि
दक्षऺण भुखाम शॊख मॊि आऩत्रि सनवायण मॊि
दक्षऺण भुखाम मॊि शिुभख
ु स्तॊबन मॊि
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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52 ददसम्फय 2011

घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्च भहामॊि को स्थाऩीत


कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । सवा
प्रकाय के योग बूत-प्रेत आदद उऩद्रव से यऺण होता हं ।
जहयीरे औय दहॊ सक प्राणीॊ से सॊफसॊ धत बम दयू होते हं ।
अक्षग्न बम, िोयबम आदद दयू होते हं ।
दष्ट
ु व असुयी शत्रिमं से उत्ऩन्न होने वारे बम
से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हं ।
मॊि के ऩूजन से साधक को धन, सुख, सभृत्रद्च,
ऎश्वमा, सॊतत्रि-सॊऩत्रि आदद की प्रासद्ऱ होती हं । साधक की
सबी प्रकाय की साक्षत्वक इच्छाओॊ की ऩूसता होती हं ।
मदद दकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय
वशीकयण, भायण, उच्िाटन इत्मादद जाद-ू टोने वारे
प्रमोग दकमे गमं होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नष्ट
हो जाते हं औय बत्रवष्म भं मदद कोई प्रमोग कयता हं तो
यऺण होता हं ।
कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका
मॊि से जुडे अद्द्द्भत
ु अनुबव यहे हं । मदद घय भं श्री
घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत दकमा हं औय मदद
कोई इषाा, रोब, भोह मा शिुतावश मदद अनुसित कभा
कयके दकसी बी उद्ङे श्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हं तो मॊि के प्रबाव से सॊऩण
ू ा
ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हं , कबी-कबी शिु के द्राया दकमा गमा अनुसित कभा शिु ऩय ही उऩय
उरट वाय होते दे खा हं । भूल्म:- Rs. 1450 से Rs. 8200 तक उप्रब्द्च
सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY
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53 ददसम्फय 2011

अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवि


अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि व उल्रेक्षखत अन्म साभग्रीमं को शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवद्रान
ब्राह्मणो द्राया सवा राख भहाभृत्मुज
ॊ म भॊि जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्राया सनसभात कवि अत्मॊत
प्रबावशारी होता हं ।

अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि


अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम
कवि फनवाने हे तु:
अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, कवि
गोि, एक नमा पोटो बेजे दक्षऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न

त्रवशेष मॊि

हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-िाॊदद-


ताम्फे भं आऩकी आवश्मिा के अनुशाय
दकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी
आवश्मक दडजाईन के अनुशाय २२ गेज
शुद्च ताम्फे भं अखॊदडत फनाने की त्रवशेष
सबी साईज एवॊ भूल्म व क्यवासरदट के
सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध है ।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुडे़
फधु/फहन व यत्न व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म
सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
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54 ददसम्फय 2011

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि


दकसी बी व्मत्रि का जीवन तफ आसान फन जाता हं जफ उसके िायं औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश
भं हं। जफ कोई व्मत्रि का आकषाण दस
ु यो के उऩय एक िुम्फकीम प्रबाव डारता हं , तफ रोग उसकी सहामता एवॊ
सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना असधक कष्ट व ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हं । आज के
बौसतकता वादद मुग भं हय व्मत्रि के सरमे दस
ू यो को अऩनी औय खीिने हे तु एक प्रबावशासर िुफ
ॊ कत्व को कामभ
यखना असत आवश्मक हो जाता हं । आऩका आकषाण औय व्मत्रित्व आऩके िायो ओय से रोगं को आकत्रषात कये इस
सरमे सयर उऩाम हं , श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि। क्यमोदक बगवान श्री कृ ष्ण एक अरौदकव एवॊ ददवम िुॊफकीम व्मत्रित्व के
धनी थे। इसी कायण से श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्रित्व प्राद्ऱ होता हं ।
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के साथ व्मत्रिको दृढ़ इच्छा शत्रि एवॊ उजाा प्राद्ऱ
होती हं , क्षजस्से व्मत्रि हभेशा एक बीड भं हभेशा आकषाण का कंद्र यहता हं ।
श्रीकृ ष्ण फीसा कवि
मदद दकसी व्मत्रि को अऩनी प्रसतबा व आत्भत्रवश्वास के स्तय भं वृत्रद्च,
अऩने सभिो व ऩरयवायजनो के त्रफि भं रयश्तो भं सुधाय कयने की ईच्छा होती श्रीकृ ष्ण फीसा कवि को केवर

हं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि का ऩूजन एक सयर व सुरब भार्धमभ त्रवशेष शुब भुहुता भं सनभााण दकमा

सात्रफत हो सकता हं । जाता हं । कवि को त्रवद्रान कभाकाॊडी

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि ऩय अॊदकत शत्रिशारी त्रवशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ ब्राहभणं द्राया शुब भुहुता भं शास्त्रोि

अॊको से व्मत्रि को अद्द्द्भत त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो


ु आॊतरयक शत्रिमाॊ प्राद्ऱ होती हं जो व्मत्रि को
सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भं अग्रक्षणम फनाने भं सहामक ससद्च होती हं । द्राया ससद्च प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन व सनमसभत दशान के भार्धमभ से बगवान मुि कयके सनभााण दकमा जाता हं ।

श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राद्ऱ कय सभाज भं स्वमॊ का अदद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं । क्षजस के पर स्वरुऩ धायण कयता

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि अरौदकक ब्रह्माॊडीम उजाा का सॊिाय कयता हं , जो व्मत्रि को शीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ होता

एक प्राकृ त्रि भार्धमभ से व्मत्रि के बीतय सद्ङबावना, सभृत्रद्च, सपरता, उिभ हं । कवि को गरे भं धायण कयने

स्वास्थ्म, मोग औय र्धमान के सरमे एक शत्रिशारी भार्धमभ हं ! से वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता

 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन से व्मत्रि के साभाक्षजक भान-सम्भान व हं । गरे भं धायण कयने से कवि

ऩद-प्रसतष्ठा भं वृत्रद्च होती हं । हभेशा रृदम के ऩास यहता हं क्षजस्से

 त्रवद्रानो के भतानुशाय श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के भर्धमबाग ऩय र्धमान मोग व्मत्रि ऩय उसका राब असत तीव्र

कंदद्रत कयने से व्मत्रि दक िेतना शत्रि जाग्रत होकय शीघ्र उच्ि स्तय एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हं ।

को प्राद्ऱहोती हं । भूरम भाि: 1900

 जो ऩुरुषं औय भदहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना िाहते हं औय उन्हं अऩनी औय आकत्रषात कयना
िाहते हं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि उिभ उऩाम ससद्च हो सकता हं ।
 ऩसत-ऩत्नी भं आऩसी प्रभ की वृत्रद्च औय सुखी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि राबदामी होता हं ।
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55 ददसम्फय 2011

याभ यऺा मॊि


याभ यऺा मॊि सबी बम, फाधाओॊ से भुत्रि व कामो भं सपरता प्रासद्ऱ हे तु उिभ मॊि हं । क्षजसके प्रमोग

से धन राब होता हं व व्मत्रि का सवांगी त्रवकाय होकय उसे सुख-सभृत्रद्च, भानसम्भान की प्रासद्ऱ होती

हं । याभ यऺा मॊि सबी प्रकाय के अशुब प्रबाव को दयू कय व्मत्रि को जीवन की सबी प्रकाय की

कदठनाइमं से यऺा कयता हं । त्रवद्रानो के भत से जो व्मत्रि बगवान याभ के बि हं मा श्री

हनुभानजी के बि हं उन्हं अऩने सनवास स्थान, व्मवसामीक स्थान ऩय याभ यऺा मॊि को अवश्म

स्थाऩीत कयना िादहमे क्षजससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो उनका जीवन सुखभम व्मतीत हो सके

एवॊ उनकी सभस्त आदद बौसतक व आर्धमाक्षत्भक भनोकाभनाएॊ ऩूणा हो सके।

ताि ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस ताि ऩि ऩय यजत ऩोरीस ताि ऩि ऩय


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म


2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

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56 ददसम्फय 2011

भाससक यासश पर

 सिॊतन जोशी
भेष: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : आऩके भहत्व ऩूणा कामो भं असतरयि सावधानी यखनी िादहमे अन्मथा कुछ कामो भं
नुक्यशान सकता है । उच्िासधकायी से सभस्मा हो सकती हं । ऩरयवाय भं दकसी सदस्म के
क्षजद्ङी स्वबाव के कायण आऩके ऩरयवाय भं भानससक अशाॊसत का भाहोर हो सकता है ।
सभिं ऩय अॊधात्रवश्वास कयने के कायण आऩके ऩरयवय भं त्रववाद फढ सकते है ।
16 से 31 ददसम्फय 2011 : अऩने नाभ औय प्रसतष्ठा कामभ यखने के सरमे आऩको ऩूणा
मोजनाफद्च तरयके से कामा कयना िादहमे। आऩकी भहत्व ऩूणा व्मवसासमक मािा स्थसगत हो
सकती। ऩारयवायीकीवॊ सभिो से रयश्तो भं सूझ-फूझ की कभी के कायण रयश्ते टू टने की क्षस्थसत
फन सकती हं । सावधान यहे । आऩके जीवन साथी का व्मवहाय आऩके प्रसत फेहद कठोय हो
सकता हं ।

वृषब: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : शिु एवॊ त्रवयोसध ऩऺ आऩकी ऩये शासनमाॊ फढा सकते है ।
आऩके कामा भं प्रगसत एवॊ ऩदोन्नसत भं आऩके उच्िासधकायी ऩये शानी ऩैदा कय सकते हं ।
क्षजस्से आऩकी कामा शैरी प्रबात्रवत हो सकती हं । आऩके स्वबाव असाभान्म कायणो से
थोडा सिडसिडा हो सकता हं । दाॊम्ऩत्म जीवन भं छोटे -भोटे झगशे आऩकी भानससक शाॊसत
बॊग कय सकते हं ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : आऩको कोई कामा अऩनी इच्छाओॊ के त्रवरुद्च कयना ऩड


सकता हं । वाणी दक राऩयवाही के कायण फने फनामे काभ त्रफगड सकते हं ।
उच्िासधकारयमं से अल्ऩ सहमोग प्राद्ऱ होता भहसूस कयं गे। आऩको वाहन सावधानी से
िराना िादहमे एवॊ वाहनो से सावधानी फतानी िादहमे आकक्षस्भक दघ
ू ट
ा ना होने के मोग फन यहे हं । अत्रववादहत हं तो
त्रववाह के मोग फन यहे हं ।

सभथुन: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : प्रसतमोसगता के कामो भं ितुयता से शीघ्र राब प्राद्ऱ कयं गे। अऩने रुके हुए कामो को
कुशरता से ऩूया कयं गे औय दयु स्थ स्थानं से धन राब प्राद्ऱ हो सकता है । ऩरयवाय भं दकसी
का स्वास्थ्म नयभ हो सकता है । दकमे गमे ऩूॊक्षज सनवेश द्राया आकक्षस्भक धन प्रासद्ऱ के मोग
फन यहे है । शिु ऩऺ से सावधान यहं आऩ ऩय झूठे आयोऩ रग सकते है ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : आऩके कमो का फोझ बी फढ सकता हं । ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी
भेहनत से दकमे गमे कामो भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । जोक्षखभ बये कामा कयने से
फिे। उच्ि असधकायी एवॊ सहकभॉ आऩकी प्रसतबा को खॊडन कयने का प्रमास कय सकते
हं । अऩने नाभ औय प्रसतष्ठा कामभ यखने के सरमे आऩको ऩूणा मोजनाफद्च तरयके से कामा
कयना िादहमे।
57 ददसम्फय 2011

कका: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : अऩने सॊसित धन को ऩूॊक्षज सनवेश कय राब प्राद्ऱ कय सकते है । बूसभ- बवन-वाहन के क्रम-
त्रवक्रम से राब प्राद्ऱ हो सकता हं । नमे सभि से सहामता प्राद्ऱ हंगी। ऩारयवारयक भतबेद
हो सकते हं औय आऩके स्वास्थ्म भं सगयावट हो सकती हं । वाहन सावधानी से िरामे
मा वाहन से सावधान यहे आकक्षस्भक दघ
ु ट
ा ना हो सकती हं । कोई अत्रप्रम सूिना

16 से 31 ददसम्फय 2011 : अऩने ऩरयवाय के रोग एवॊ सभि वगा का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ
नहीॊ हो ऩामेगा। आसथाक सभस्माओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं । उसित सनणामो भं
दे यी कयने से धन हानी सॊबव हं । भाता का स्वास्थ्म सिॊता का कायण हो सकता हं ,
सावधान यहं । आवश्मकता से असधक सॊघषा कयना ऩड सकता है । भानससक सिन्ताओॊ भं
कभी आमेगी।

ससॊह: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : नौकयी-व्मवसाम भं आऩको इच्छा से असधक प्रगसत प्राद्ऱ होगी। बूसभ- बवन-वाहन भं दकमे
गमे सनवेश से राब प्राद्ऱ हो सकता हं । कामा भं आनेवारी रुकावटो भं बी कभी होगी औय
दयु स्थ स्थानं से धन राब प्राद्ऱ हो सकता है । स्वास्थ्म सुख भं वृत्रद्च होगी दपय बी खाने-
ऩीने का त्रवशेष र्धमान यखना दहतकायी यहे गा। अऩनी असधक खिा कयने दक प्रवृसत ऩय
सनमॊिण कयने का प्रमास कयं ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : अत्मासधक ऩरयश्रभ औय भेहनत से आऩ सपरता प्राद्ऱ कय


सकते हं । कुछ रुकावटो के फाद भं व्मवसाम भं धन राब प्राद्ऱ होगा। गरत सनणामो के
कायण आसथाक ऩऺ कभजोय हो सकता हं । सॊतान का स्वास्थ्म सिॊता का त्रवषम हो
सकता हं । आऩके त्रवयोसध एवॊ शिु ऩऺ ऩयास्त हंगे। दाम्ऩत्म जीवन की सभस्माओॊ को दयू कयने का प्रमास कये । अत्रववाह
है तो त्रववाह होने के मोग फन यहे हं ।

कन्मा: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : एक से असधक स्त्रोत से धन राब प्राद्ऱ होने के


मोग फन यहे हं । भहत्वऩूणा सनणामो भं सावधानी फते आऩकी राऩयवाही आऩको रॊफे
सभम का नुक्यशान दे सकती हं । दकमे गमे ऩूॊक्षज सनवेश द्राया आकक्षस्भक धन प्रासद्ऱ के
मोग फन यहे है । अऩने खाने- ऩीने का र्धमान यखे अन्मथा आऩका का स्वास्थ्म नयभ हो
सकता है । आऩके इष्ट सभि-ऩारयवायीक सदस्म आऩसे दयू ी फना सकते हं ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : अत्मासधक ऩरयश्रभ औय भेहनत से आऩ सपरता प्राद्ऱ कय


सकते हं । िर-अिर सॊऩत्रि मा दकसी घये रू भाभरं भं फदराव हो सकता है । अऩने
व्ममं ऩय सनमन्िण यखने का प्रमास कयं औय ऋण रेने से फिे औय ऩुयाने ऋणं का
बुगतान कयने का प्रमास कये । ऩरयवारयक सदस्मो का स्वास्थ्म सिॊता का त्रवषम हो सकता हं । आऩ उजाा व उसाह की
कभी भहसूस कय सकते हं ।
58 ददसम्फय 2011

तुरा: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : आऩके भहत्वऩूणा कामो औय मोजनाओॊ भं त्रवघ्नन फाधाएॊ आसकती हं । भहत्व ऩूणा
कामो भं असतरयि सावधानी यखनी िादहमे अन्मथा कुछ कामो भं फडा नुक्यशान सकता
है । आऩको भानससक अक्षस्थयता का अनुबव हो सकता हं । आत्भ त्रवश्वास से आगे फढते
यहने का प्रमास कयं । कोटा -किहयी के कामो भं त्रवरॊफ हो सकता हं । ऩरयवाय औय
सभिं का सहमोग भुक्षश्कर से प्राद्ऱ होगा।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : िर-अिर सॊऩत्रि मा दकसी घये रू भाभरं भं फदराव हो


सकता है । भहत्वऩूणा एवॊ घये रू भाभरो भं िुनौतीओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं ।
तनाव औय सिॊता के कायण स्वास्थ्म सॊफॊधी सस्माओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं
अत् सावधान यहे । क्षस्थती का साभना कयने के सरमे भानससक तौय ऩय तैमाय यहे । वाहन सावधानी से िरामे मा वाहन
से सावधान यहे ।

वृक्षिक: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : मह सभम आऩके सरमे बाग्मशारी सात्रफत होगा।


सभि एवॊ ऩरयवाय के सहमोग से धन राब होगा। एक से असधक आम के स्त्रोत फन
सकते हं । इस दौयान आऩको सुख-सभृत्रद्च एवॊ उन्नसत प्राद्ऱ हो सकती हं । अऩनी फौत्रद्चक
मोग्मता से आसथाक राब कयं गे। ऩूवा भं दकमे गमे त्रवसबन्न कामो का पर आऩको इस
दौयान एक साथ प्राद्ऱ हो सकता हं ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : दकसे नई ऩरयमोजनाओॊ की शुरुआत कय सकते हं । आऩकी


रुसि धभा-आर्धमात्भ दक औय असधक हो सकती हं । बूसभ- बवन-वाहन के क्रम-त्रवक्रम से
राब प्राद्ऱ हो सकता हं । इस दौयान आऩके फर औय साहस भं वृत्रद्च होगी। आऩको फकामा बुगतान दक प्रासद्ऱ हो सकती
हं । सनणाम रेने भं त्रवरॊफ हानी कय सकता हं । आऩके साभक्षजक ऩद-प्रसतष्ठा का त्रवस्ताय होगा।

धनु: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : मह भाह भहत्वऩूणा पैसरा रेने के सरए औय नमी ऩरयमोजना प्रायॊ ब कयने के सरए
शुबदामक हो सकता है । सभि एवॊ ऩरयवाय के रोगो के सहमोग से भन प्रसन्न यहे गा।
इस दौयान आऩ अऩने गुद्ऱ शिुओॊ दक आसानी से ऩहिान कय सकते हं । अनावश्मक
दकसी से वाद-त्रववाद कयने से फिे। कजा रेने से फिे एवॊ ऩुयाने कजा का बुगतान कयने
का प्रमास कये ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : आऩकी मोजना एवॊ उद्ङे श्मं को सपर होते दे ख ऩामेगं।
भहत्वऩूणा मोजनाओॊ को शुरू कयने औय सनणाम रेने के सरमे सभम उिभ सात्रफत हो
सकता हं । आऩकी सावाजसनक प्रसतष्ठा भं वृत्रद्च होगी। धन से सॊफॊसधत रेन-दे न हे तु सभम
राबप्रद यहे गा। जीवन साथी से आऩको प्रसन्ना सभरेगी। अऩने खाने- ऩीने का र्धमान यखे अन्मथा आऩका का स्वास्थ्म
नयभ हो सकता है ।
59 ददसम्फय 2011

भकय: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : इस दौयान दकसी नमे कामा एवॊ मोजनाओॊ को शुरू कय शुब एवॊ अनुकूर ऩरयणाभ प्राद्ऱ
कय सकते है । आऩके घय-ऩरयवाय भं खुशीओॊ का भाहोर यहे गा। आऩ दकसी धासभाक
कामं अथवा अनुष्ठान भं सासभर हो सकते हं । कामा दक व्मस्तता, अत्मासधक बाग-दौड
के कायण आऩको थकावट हो सकती हं । अनावश्मक खिो ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास
कयं ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : व्मवसामीक कामो के सरमे आऩको कजा रेना ऩड सकता हं


जो राब प्रद ससद्च हो सकता हं । आऩकी भानससक क्षस्थती अत्मासधक सॊवेदनशीर यह
सकती हं उस ऩय सनमॊिण यखने का प्रमास कयं । आऩकी साभाक्षजक प्रसतष्ठा को कामभ
कयने हे तु ददखावा कयने से ऩीछे नहीॊ यह सकते। आऩके सह कभािायी मा सभि आऩके
शिु फन सकते हं क्षजस्से आसथाक हानी हो सकती हं । सतका यहं ।

कॊु ब: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : इस दौयान आऩको अनुकूर अथवा प्रसतकूर मा दोनं का


सभसश्रत पर प्राद्ऱ हो सकता हं । इस अवसध भं होने वारे पामदे -नुक्यशान ऩूयी तयह
आऩके कभो ऩय सनबाय हंगे। आऩके बौसतक सुख साधनो भं वृत्रद्च होगी। नमा सौदा
औय नमी ऩरयमोजना दक शुरुआत कय सकते है । व्मवसामीक मािाओॊ को स्थसगत कयना
उसित यहे गा।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : इस दौयान आऩके सनणामो के अनुरुऩ आऩका आने वारा


बत्रवष्म ऩूणा रुऩ से सनबाय हो सकता हं अत् गरत सनणामो को रेने से फिे। वरयष्ठो
जनं से आसशवााद औय भदद प्राद्ऱ होने की सम्बावना हं । बूसभ-बवन इत्मादी दक खयीद-त्रफक्री कय सकते हं । धन
सम्फक्षन्धत त्रवषमं भं अत्मासधक व्मम होने की सम्बावना है । सावधान यहे ।

भीन: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : इस दौयान ऩूॊक्षज सनवेश एवॊ धन से सॊफॊसधत रेन-दे न


एवॊ भहत्वऩूणा सनणाम कयना कष्टकायी हो सकता हं । आऩकी रुसि एक से असधक कामो
भं हो सकती हं । ऋण से सम्फक्षन्धत रेन-दे न भं असतरयि सावधानी यखे। बूख से
असधक बोजन आऩकी सेहत ऩय प्रसतकूर प्रबाव डार सकता है । वाणी एवॊ क्रोध ऩय
सनमॊिण यखे अन्मथा आऩके फने फनामे कामा त्रफगड सकते हं ।

16 से 31 ददसम्फय 2011 : इस अवसध भं दक गई प्राथाना औय ऩूजा से बत्रवष्म भं राब


सभरेगा। इस अवसध भं आऩको अऩने उद्ङे श्मो एवॊ मोजनाओॊ को सपर कयने दक ददशा
सभर सकती हं । रोग आऩके व्मत्रित्व की सयाहना कयं गे क्षजस्से आऩके ऩद-प्रसतष्ठा भं वृत्रद्च
होगी। आऩकी भानससक अक्षस्थताय भहत्वऩूणा सनणाम रेने भं त्रवरॊफ कय सकती हं । अनािश्मक खिा कयने से फिे
अन्मथा फडा नुकसान सॊबव हं ।
60 ददसम्फय 2011

यासश यत्न
भेष यासश: वृष यासश: सभथुन यासश: कका यासश: ससॊह यासश: कन्मा यासश:
भूॊगा हीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Special)
(Old Berma)
(Special)
(Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुरा यासश: वृक्षिक यासश: धनु यासश: भकय यासश: कुॊब यासश: भीन यासश:
हीया भूॊगा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special)
(Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

* उऩमोि वजन औय भूल्म से असधक औय कभ वजन औय भूल्म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भूल्म ऩय
उप्रब्ध हं ।
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
61 ददसम्फय 2011

ददसम्फय 2011 भाससक ऩॊिाॊग


सतसथ िॊद्र
दद वाय भाह ऩऺ सभासद्ऱ नऺि सभासद्ऱ मोग सभासद्ऱ कयण सभासद्ऱ सभासद्ऱ
यासश

1 गुरु भागाशीषा शुक्यर सद्ऱभी 26:39:06


धसनष्ठा 21:35:21
व्माघात 24:25:02
गय 14:07:13
भकय 08:52:00

शुक्र भागाशीषा शुक्यर अष्टभी शतसबषा हषाण त्रवत्रष्ट कुॊब


2 28:15:30 23:33:18 24:26:45 15:22:03

3 शसन भागाशीषा शुक्यर नवभी 30:21:53


ऩूवााबाद्रऩद 26:04:04
वज्र 24:53:46
फारव 17:15:19
कुॊब 19:24:00

यत्रव भागाशीषा शुक्यर नवभी/दश 32:50:46


उियाबाद्रऩद 28:55:27
ससत्रद्च 25:38:35
तैसतर 19:34:50
भीन
भी
4

5 सोभ भागाशीषा शुक्यर दशभी 08:50:35


ये वसत 31:58:05
व्मसतऩात 26:31:50
गय 08:50:35
भीन

6 भॊगर भागाशीषा शुक्यर एकादशी 11:27:53


ये वसत 07:57:53
वरयमान 27:26:00
त्रवत्रष्ट 11:27:53
भीन 07:58:00

7 फुध भागाशीषा शुक्यर द्रादशी 14:03:18


अक्षश्वनी 10:58:37
ऩरयग्रह 28:13:37
फारव 14:03:18
भेष

8 गुरु भागाशीषा शुक्यर िमोदशी 16:24:39


बयणी 13:49:57
सशव 28:49:01
तैसतर 16:24:39
भेष 20:29:00

9 शुक्र भागाशीषा शुक्यर ितुदाशी 18:27:14


कृ सतका 16:21:36
ससत्रद्च 29:08:29
वक्षणज 18:27:14
वृष

10 शसन भागाशीषा शुक्यर अभावस्मा


20:07:18
योदहक्षण
18:30:44
सार्धम
29:08:14
त्रवत्रष्ट
07:20:26
वृष

11 यत्रव ऩौष कृ ष्ण एकभ


21:20:10
भृगसशया
20:15:29
शुब
28:47:22
फारव
08:46:25
वृष
07:27:00

12 सोभ ऩौष कृ ष्ण दद्रतीमा


22:03:58
आद्रा 21:33:58
शुक्यर 28:06:47
तैसतर 09:45:13
सभथुन

13 भॊगर ऩौष कृ ष्ण तृतीमा


22:22:27
ऩुनवासु
22:26:12
ब्रह्म
27:03:42
वक्षणज
10:16:49
सभथुन
16:16:00

14 फुध ऩौष कृ ष्ण ितुथॉ


22:12:47
ऩुष्म 22:52:09
इन्द्र 25:40:54
फव 10:20:17
कका

15 गुरु ऩौष कृ ष्ण ऩॊिभी


21:35:55
अश्लेषा 22:52:47
वैधसृ त 23:57:28
कौरव 09:57:28
कका 22:52:00

16 शुक्र ऩौष कृ ष्ण षष्ठी


20:34:39
भघा
22:27:09
त्रवषकुॊब
21:53:24
गय
09:09:20
ससॊह

17 शसन ऩौष कृ ष्ण सद्ऱभी


19:09:56
ऩूवाापाल्गुनी 21:39:00
प्रीसत 19:30:34
त्रवत्रष्ट 07:55:53
ससॊह 27:23:00

18 यत्रव ऩौष कृ ष्ण अष्टभी


17:20:50
उियापाल्गुनी 20:28:20
आमुष्भान 16:48:58
कौरव 17:20:50
कन्मा

19 सोभ ऩौष कृ ष्ण नवभी


15:12:58
हस्त 18:58:54
सौबाग्म 13:52:20
गय 15:12:58
कन्मा 30:07:00

20 भॊगर ऩौष कृ ष्ण दशभी


12:47:16
सििा
17:12:35
शोबन
10:41:38
त्रवत्रष्ट
12:47:16
तुरा
62 ददसम्फय 2011

फुध एकादशी- स्वाती असतगॊड फारव तुरा


10:09:22 15:14:59 07:20:37 10:09:22
ऩौष कृ ष्ण
द्रादशी
21

गुरु कृ ष्ण 07:24:52


त्रवशाखा 13:12:41
धृसत 24:23:00
तैसतर 07:24:52
तुरा 07:43:00
22 ऩौष िमोदशी

शुक्र कृ ष्ण 26:01:56


अनुयाधा 11:10:22
शूर 20:59:07
त्रवत्रष्ट 15:19:44
वृक्षिक
23 ऩौष ितुदाशी

शसन कृ ष्ण 23:37:05


जेष्ठा 09:18:20
गॊड 17:43:39
ितुष्ऩाद 12:47:24
वृक्षिक 09:18:00
24 ऩौष अभावस्मा

यत्रव प्रसतऩदा/ भूर वृत्रद्च दकस्तुघ्नन धनु


21:34:43 07:41:17 14:45:02 10:32:51

ऩौष शुक्यर
25 एकभ
26 सोभ ऩौष शुक्यर दद्रतीमा
20:02:20
उियाषाढ़ 29:52:02
ध्रुव 12:07:58
फारव 08:44:32
धनु 12:18:00

27 भॊगर ऩौष शुक्यर तृतीमा


19:06:30
श्रवण 29:51:30
व्माघात 09:59:00
तैसतर 07:29:56
भकय

28 फुध ऩौष शुक्यर ितुथॉ


18:53:45
धसनष्ठा 30:34:04
हषाण 08:20:56
त्रवत्रष्ट 18:53:45
भकय 18:07:00

29 गुरु ऩौष शुक्यर ऩॊिभी


19:25:59
शतसबषा 31:59:44
वज्र 07:17:33
फारव 19:25:59
कुॊब

शुक्र शतसबषा व्मसतऩात कौरव कुॊब


20:42:16 08:00:05 30:51:38 08:00:05 27:30:00

30 ऩौष शुक्यर षष्ठी

31 शसन ऩौष शुक्यर सद्ऱभी


22:36:57
ऩूवााबाद्रऩद
10:05:05
वरयमान
31:20:05
गय
09:35:05
भीन

 क्यमा आऩको उच्ि असधकायी से ऩये शानी हं ?


 क्यमा आऩकी अऩने सहकभािायी से अनफन होती हं ?
 क्यमा आऩके असधनस्थ कभािायी आऩकी फात नही भानते?
मदद आऩको अऩने उच्ि असधकायी, सहकभािायी, असधनस्थ कभािायी से ऩये शानी हं । आऩके अनूकुर कामा नहीॊ कयते मा आऩको
कयने नहीॊ दे त?े वह आऩकी फात नहीॊ भानतं? त्रफना वजह आऩको ऩये शान कयते हं ? अन आवश्मक कामा आऩसे कयवाते हं । आऩका
प्रभोशन रुकवादे ते हं । उसित कामा कयने ऩय बी आऩके कामा भं नुक्यश सनकारते हं ? मदद आऩ इसी तयह दक दकसी सभस्मा से ग्रस्त
हं तो आऩ उन असधकायी, सहकभॉ, असधनस्थकभॉ मा अन्म दकसी व्मत्रि त्रवशेष के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोि त्रवसध-
त्रवधान से भॊि ससद्च प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.दडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय-ओदपस भं
स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मदद आऩ भॊि ससद्च वशीकयण कवि एवॊ
एस.एन.दडब्फी फनवाना िाहते हं , तो गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं ।
GURUTVA KARYALAY
Bhubaneswar- 751 018, (ORISSA) INDIA,
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63 ददसम्फय 2011

ददसम्फय-2011 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय


दद वाय भाह ऩऺ सतसथ सभासद्ऱ प्रभुख व्रत-त्मोहाय

त्रवष्णु सद्ऱभी, नन्दा सद्ऱभी, बद्रा सद्ऱभी, सभि सद्ऱभी, कात्मामनी


गुरु भागाशीषा शुक्यर सद्ऱभी भहाऩूजा प्रायॊ ब, सनम्फ सद्ऱभी, नयससॊह भेहता जमॊती, सॊत तायण
1 26:39:06

तयण जमॊती, एड्स जागरुकता ददवस

शुक्र भागाशीषा शुक्यर अष्टभी श्रीदग


ु ााष्टभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााष्टभी व्रत, कुभारयका-ऩूजन
2 28:15:30

भहानन्दा नवभी, डा. याजेन्द्र प्रसाद जमॊती, कात्मामनी भहाऩूजा


शसन भागाशीषा शुक्यर नवभी
3 30:21:53
ऩूण,ा

यत्रव भागाशीषा शुक्यर नवभी/दशभी दशाददत्म व्रत, जरसेना ददवस, स्वाभी ब्रह्मानॊद रोधी जमॊती
4 32:50:46

सोभ भागाशीषा शुक्यर दशभी मोगी अयत्रवन्द स्भृसत ददवस


5 08:50:35

भोऺदा एकादशी व्रत, वैकुण्ड्ठ एकादशी, श्रीभद बगवद्गीता जमॊती,


भॊगर भागाशीषा शुक्यर एकादशी
6 11:27:53 डा. अम्फेडकय स्भृसत ददवस

अखण्ड्ड द्रादशी, श्माभफाफा द्रादशी, केशव द्रादशी, व्मॊजन द्रादशी,


फुध भागाशीषा शुक्यर द्रादशी
7 14:03:18
दान द्रादशी, प्रदोष व्रत, भत्स्म द्रादशी,

गुरु भागाशीषा शुक्यर िमोदशी सशव ितुदाशी


8 16:24:39

शुक्र भागाशीषा शुक्यर ितुदाशी त्रऩशाि भोिन श्राद्च ितुदाशी, याजगोऩारािामा जमॊती
9 18:27:14

स्नान-दान हे तु उिभ अग्रहामणी ऩूक्षणभ


ा ा, फिीसी ऩूनभ, दिािेम
जमॊती, त्रिऩुयबैयवी भहात्रवद्या जमॊती, अन्नऩूणाा जमॊती, छप्ऩन बोग,
10
शसन भागाशीषा शुक्यर अभावस्मा 20:07:18
कात्मामनी ऩूजा ऩूण,ा रवण-दान, खग्रास (ऩूण)ा िॊद्रग्रहण-स्ऩशा
(प्रायॊ ब) सामॊ 6.15 फजे तथा भोऺ (सभाऩन) यात्रि 9.48 फजे,
ग्रहण का सूतक प्रात: 9.15 फजे से, श्रीसत्मनायामण व्रत-कथा

यत्रव ऩौष कृ ष्ण एकभ ओशो जन्भोत्सव, भातृका ऩूजा, करयददन


11 21:20:10

सोभ ऩौष कृ ष्ण दद्रतीमा गौना उत्सव


12 22:03:58

भॊगर ऩौष कृ ष्ण तृतीमा सौबाग्म सुद


ॊ यी व्रत,
13 22:22:27

14
फुध ऩौष कृ ष्ण ितुथॉ 22:12:47 सॊकष्टी श्रीगणेश ितुथॉ व्रत, सौबाग्म सुद
ॊ यी व्रत (िॊ.या. 8.13)
64 ददसम्फय 2011

गुरु ऩौष कृ ष्ण ऩॊिभी सयदाय ऩटे र स्भृसत ददवस,


15 21:35:55

धनु सॊक्राक्षन्त ददन 2.14 फजे, सॊक्राक्षन्त का ऩुण्ड्मकार ददन 2.14


शुक्र ऩौष कृ ष्ण षष्ठी फजे से सूमाास्त तक, भाॊगसरक कामं भं वक्षजात धनु, खय भास
16 20:34:39

प्रायॊ ब

शसन ऩौष कृ ष्ण सद्ऱभी काराष्टभी व्रत, शायदा भाता जमॊती,


17 19:09:56

काराष्टभी व्रत, अष्टका श्राद्च, रुक्षक्यभणी अष्टभी व्रत, श्रीहनुभान


यत्रव ऩौष कृ ष्ण अष्टभी
18 17:20:50 अष्टभी,भदनभोहन भारवीम जमॊती, गुरु घासीदास जमॊती

सोभ ऩौष कृ ष्ण नवभी अन्वष्टका श्राद्च


19 15:12:58

भॊगर ऩौष कृ ष्ण दशभी ऩौषी दशभी, सॊत गाडगे भहायाज सनवााण ददवस
20 12:47:16

फुध ऩौष कृ ष्ण एकादशी-द्रादशी सपरा एकादशी, सुरूऩा द्रादशी,


21 10:09:22

प्रदोष व्रत, सूमा सामन भकय भं ददन 11.01 फजे, सौय सशसशय
गुरु ऩौष कृ ष्ण िमोदशी
22 07:24:52
ऋतु प्रायॊ ब, फाफा नागऩार की ऩुण्ड्मसतसथ

सशव ितुदाशी, भाससक सशवयात्रि व्रत, स्वाभी श्रद्चानॊद फसरदान


शुक्र ऩौष कृ ष्ण ितुदाशी
23 26:01:56
ददवस, दकसान ददवस

स्नान-दान-श्राद्च हे तु उिभ ऩौषी अभावस्मा, शनैियी अभावस,


शसन ऩौष कृ ष्ण अभावस्मा
24 23:37:05 वकुरा अभावस, कारफादे वी दशान-मािा, ऩावागढ़ कारी-दशान
मािा (गुज), ऩाऩनाशक सभुद्र-स्नान,

याजगोऩारािामा स्भृसत ददवस, ईसा भसीह जमॊती-फिा ददन,


यत्रव प्रसतऩदा/एकभ
25
ऩौष शुक्यर 21:34:43
दक्रसभस डे ,

सोभ दद्रतीमा नवीन िन्द्र दशान, आयोग्म व्रत,


26
ऩौष शुक्यर 20:02:20

भॊगर तृतीमा
27
ऩौष शुक्यर 19:06:30 -

वयदत्रवनामक ितुथॉ व्रत, (िॊ.या. 8.30) ऩॊिक प्रायॊ ब (यात्रि 8.08


फुध ितुथॉ
28
ऩौष शुक्यर 18:53:45
से)

गुरु ऩॊिभी छप्ऩन बोग गरुिगोत्रवन्द,


29
ऩौष शुक्यर 19:25:59

शुक्र षष्ठी स्कन्द षष्ठी व्रत, अन्नरूऩा षष्ठी,


30
ऩौष शुक्यर 20:42:16

शसन सद्ऱभी भाताण्ड्ड सद्ऱभी व्रत, नॊदयाम जमॊती,


31
ऩौष शुक्यर 22:36:57
65 ददसम्फय 2011

गणेश रक्ष्भी मॊि


प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दक
ु ान-ओदपस-पैक्यटयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भं स्थात्रऩत
कयने व्माऩाय भं त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । मॊि के प्रबाव से बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतष्ठा एवॊ व्माऩय भं वृत्रद्च होती
हं एवॊ आसथाक क्षस्थभं सुधाय होता हं । गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने से बगवान गणेश औय दे वी रक्ष्भी का
सॊमुि आशीवााद प्राद्ऱ होता हं । Rs.550 से Rs.8200 तक

भॊगर मॊि से ऋण भुत्रि


भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को ऋण
भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आदद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर
मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । प्राण प्रसतत्रष्ठत भॊगर मॊि के ऩूजन से बाग्मोदम, शयीय भं खून की
कभी, गबाऩात से फिाव, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, सूजन औय घाव, मौन शत्रि भं वृत्रद्च, शिु त्रवजम, तॊि भॊि के दष्ट
ु प्रबा,
बूत-प्रेत बम, वाहन दघ
ु ट
ा नाओॊ, हभरा, िोयी इत्मादी से फिाव होता हं । भूल्म भाि Rs- 550

कुफेय मॊि
कुफेय मॊि के ऩूजन से स्वणा राब, यत्न राब, ऩैतक
ृ सम्ऩिी एवॊ गिे हुए धन से राब प्रासद्ऱ दक काभना कयने वारे
व्मत्रि के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त सपरता दामक होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं । कुफेय मॊि के ऩूजन से एकासधक
स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय धन सॊिम होता हं ।

ताि ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस ताि ऩि ऩय यजत ऩोरीस ताि ऩि ऩय


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म
2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600
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66 ददसम्फय 2011

नवयत्न जदित श्री मॊि


शास्त्र विन के अनुसाय शुद्च सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मदद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न
जदित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसके सनक्षित स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रि को
अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रि को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को
श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रि ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं । गरे भं होने के
कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा
जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उिभ कोई
औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उिभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि विन हं । इस
प्रकाय के नवयत्न जदित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रष्ठत कयके फनावाए जाते हं ।

अष्ट रक्ष्भी कवि


अष्ट रक्ष्भी कवि को धायण कयने से व्मत्रि ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना
यहता हं । क्षजस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आदद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-
गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी
रुऩो का स्वत् अशीवााद प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि: Rs-1050

भॊि ससद्च व्माऩाय वृत्रद्च कवि


व्माऩाय वृत्रद्च कवि व्माऩाय के शीघ्र उन्नसत के सरए उिभ हं । िाहं कोई बी व्माऩाय हो अगय उसभं राब के स्थान ऩय
फाय-फाय हासन हो यही हं । दकसी प्रकाय से व्माऩाय भं फाय-फाय फाॊधा उत्ऩन्न हो यही हो! तो सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत भॊि
ससद्च ऩूणा िैतन्म मुि व्माऩात वृत्रद्च मॊि को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थात्रऩत कयने से शीघ्र ही व्माऩाय वृत्रद्च एवॊ
सनतन्तय राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि: Rs.370 & 730

भॊगर मॊि
(त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को
ऋण भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आदद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए
भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि Rs- 550

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67 ददसम्फय 2011

त्रववाह सॊफॊसधत सभस्मा


क्यमा आऩके रडके-रडकी दक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके वैवादहक जीवन भं खुसशमाॊ कभ
होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी क्षस्थती होने ऩय अऩने रडके-रडकी दक कुॊडरी का अर्धममन
अवश्म कयवारे औय उनके वैवादहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ
कयं ।

सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा


क्यमा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्नन मा रुकावटे हो यही हं ? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ
एवॊ भेहनत का उसित पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कुॊडरी का त्रवस्तृत अर्धममन अवश्म कयवारे औय
उनके त्रवद्या अर्धममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से
जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

क्यमा आऩ दकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ?


आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्मादद कयने का सभम नहीॊ हं ?
अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना दकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ
कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत
द्राया हभाया उद्ङे श्म शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्च प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि त्रवसबन्न प्रकाय के
मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का है ।

ज्मोसतष सॊफॊसधत त्रवशेष ऩयाभशा


ज्मोसत त्रवऻान, अॊक ज्मोसतष, वास्तु एवॊ आर्धमाक्षत्भक ऻान सं सॊफॊसधत त्रवषमं भं हभाये 30 वषो से असधक वषा के
अनुबवं के साथ ज्मोसतस से जुडे नमे-नमे सॊशोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी हय सभस्मा के सयर सभाधान प्राद्ऱ कय
सकते हं ।
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ओनेक्यस
जो व्मत्रि ऩन्ना धायण कयने भे असभथा हो उन्हं फुध ग्रह के उऩयत्न ओनेक्यस को धायण कयना िादहए।
उच्ि सशऺा प्रासद्ऱ हे तु औय स्भयण शत्रि के त्रवकास हे तु ओनेक्यस यत्न की अॊगूठी को दामं हाथ की सफसे छोटी
उॊ गरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भं धायण कयं । ओनेक्यस यत्न धायण कयने से त्रवद्या-फुत्रद्च की प्रासद्ऱ हो होकय स्भयण
शत्रि का त्रवकास होता हं ।
68 ददसम्फय 2011

ददसम्फय 2011 -त्रवशेष मोग


कामा ससत्रद्च मोग
सूमोदम से 5 ददसॊफय को प्रात: 4.55
4/5 23 सूमोदम से ददन 11.10 तक
तक
6 प्रात: 7.57 से ददन-यात 25 सूमोदम से प्रात: 7.42 तक
10 सूमोदम से सामॊ 6.30 तक 26 प्रात: 6.29 से सूमोदम तक
18 सूमोदम 7.12 से ददन-यात 27 प्रात: 5.51 से सूमोदम तक
22 ददन 1.12 से यातबय

अभृत मोग
6 प्रात: 7.57 से ददन-यात 18 यात्रि 8.27 से यातबय
10 सूमोदम से सामॊ 6.30 तक

त्रिऩुष्कय (तीनगुना पर) मोग


26 प्रात: 6.29 से सूमोदम तक 31 सूमोदम से प्रात: 10.05 तक

मोग पर :
 कामा ससत्रद्च मोग भे दकमे गमे शुब कामा भे सनक्षित सपरता प्राद्ऱ होती हं , एसा शास्त्रोि विन हं ।
 त्रिऩुष्कय मोग भं दकमे गमे शुब कामो का राब तीन गुना होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं ।

दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका


गुसरक कार मभ कार याहु कार
(शुब) (अशुब) (अशुब)
वाय सभम अवसध सभम अवसध सभम अवसध
यत्रववाय 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोभवाय 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
भॊगरवाय 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
फुधवाय 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गुरुवाय 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शुक्रवाय 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शसनवाय 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
69 ददसम्फय 2011

ददन के िौघदडमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय

06:00 से 07:30 उद्रे ग अभृत योग राब शुब िर कार


07:30 से 09:00 िर कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब
09:00 से 10:30 राब शुब िर कार उद्रे ग अभृत योग
10:30 से 12:00 अभृत योग राब शुब िर कार उद्रे ग
12:00 से 01:30 कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब िर
01:30 से 03:00 शुब िर कार उद्रे ग अभृत योग राब
03:00 से 04:30 योग राब शुब िर कार उद्रे ग अभृत
04:30 से 06:00 उद्रे ग अभृत योग राब शुब िर कार

यात के िौघदडमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय

06:00 से 07:30 शुब िर कार उद्रे ग अभृत योग राब


07:30 से 09:00 अभृत योग राब शुब िर कार उद्रे ग
09:00 से 10:30 िर कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब
10:30 से 12:00 योग राब शुब िर कार उद्रे ग अभृत
12:00 से 01:30 कार उद्रे ग अभृत योग राब शुब िर
01:30 से 03:00 राब शुब िर कार उद्रे ग अभृत योग
03:00 से 04:30 उद्रे ग अभृत योग राब शुब िर कार
04:30 से 06:00 शुब िर कार उद्रे ग अभृत योग राब
शास्त्रोि भत के अनुशाय मदद दकसी बी कामा का प्रायॊ ब शुब भुहूता मा शुब सभम ऩय दकमा जामे तो कामा भं सपरता
प्राद्ऱ होने दक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हं । इस सरमे दै सनक शुब सभम िौघदिमा दे खकय प्राद्ऱ दकमा जा सकता हं ।
नोट: प्राम् ददन औय यात्रि के िौघदिमे दक सगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से दक जाती हं । प्रत्मेक िौघदिमे दक अवसध 1
घॊटा 30 सभसनट अथाात डे ढ़ घॊटा होती हं । सभम के अनुसाय िौघदिमे को शुबाशुब तीन बागं भं फाॊटा जाता हं , जो क्रभश् शुब,
भर्धमभ औय अशुब हं ।

िौघदडमे के स्वाभी ग्रह * हय कामा के सरमे शुब/अभृत/राब का


शुब िौघदडमा भर्धमभ िौघदडमा अशुब िौघदिमा िौघदिमा उिभ भाना जाता हं ।
िौघदडमा स्वाभी ग्रह िौघदडमा स्वाभी ग्रह िौघदडमा स्वाभी ग्रह
शुब गुरु िय शुक्र उद्बे ग सूमा * हय कामा के सरमे िर/कार/योग/उद्रे ग
अभृत िॊद्रभा कार शसन का िौघदिमा उसित नहीॊ भाना जाता।
राब फुध योग भॊगर
70 ददसम्फय 2011

ददन दक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक


वाय 1.घॊ 2.घॊ 3.घॊ 4.घॊ 5.घॊ 6.घॊ 7.घॊ 8.घॊ 9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यत्रववाय सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन
सोभवाय िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा
भॊगरवाय भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र
फुधवाय फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर
गुरुवाय गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध
शुक्रवाय शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु
शसनवाय शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र

यात दक होया – सूमाास्त से सूमोदम तक


यत्रववाय गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध
सोभवाय शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु
भॊगरवाय शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र
फुधवाय सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन
गुरुवाय िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा
शुक्रवाय भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र
शसनवाय फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर
होया भुहूता को कामा ससत्रद्च के सरए ऩूणा परदामक एवॊ अिूक भाना जाता हं , ददन-यात के २४ घॊटं भं शुब-अशुब सभम
को सभम से ऩूवा ऻात कय अऩने कामा ससत्रद्च के सरए प्रमोग कयना िादहमे।

त्रवद्रानो के भत से इक्षच्छत कामा ससत्रद्च के सरए ग्रह से सॊफॊसधत होया का िुनाव कयने से त्रवशेष राब
प्राद्ऱ होता हं ।
 सूमा दक होया सयकायी कामो के सरमे उिभ होती हं ।
 िॊद्रभा दक होया सबी कामं के सरमे उिभ होती हं ।
 भॊगर दक होया कोटा -किेयी के कामं के सरमे उिभ होती हं ।
 फुध दक होया त्रवद्या-फुत्रद्च अथाात ऩढाई के सरमे उिभ होती हं ।
 गुरु दक होया धासभाक कामा एवॊ त्रववाह के सरमे उिभ होती हं ।
 शुक्र दक होया मािा के सरमे उिभ होती हं ।
 शसन दक होया धन-द्रव्म सॊफॊसधत कामा के सरमे उिभ होती हं ।
71 ददसम्फय 2011

ग्रह िरन ददसम्फय -2011


Day Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 07:14:24 09:28:13 04:15:18 07:22:12 00:07:23 08:11:31 06:01:41 07:20:16 01:20:16 11:06:39 10:04:14 08:12:13

2 07:15:24 10:10:45 04:15:44 07:20:59 00:07:18 08:12:45 06:01:47 07:20:16 01:20:16 11:06:38 10:04:15 08:12:15

3 07:16:25 10:23:00 04:16:09 07:19:41 00:07:14 08:14:00 06:01:53 07:20:16 01:20:16 11:06:38 10:04:15 08:12:17

4 07:17:26 11:05:03 04:16:34 07:18:19 00:07:09 08:15:14 06:01:58 07:20:16 01:20:16 11:06:37 10:04:16 08:12:19

5 07:18:27 11:16:57 04:16:59 07:16:56 00:07:05 08:16:28 06:02:04 07:20:16 01:20:16 11:06:37 10:04:17 08:12:21

6 07:19:28 11:28:47 04:17:24 07:15:35 00:07:01 08:17:43 06:02:10 07:20:15 01:20:15 11:06:37 10:04:18 08:12:23

7 07:20:29 00:10:37 04:17:49 07:14:19 00:06:57 08:18:57 06:02:16 07:20:15 01:20:15 11:06:37 10:04:19 08:12:25

8 07:21:30 00:22:31 04:18:13 07:13:10 00:06:53 08:20:11 06:02:21 07:20:15 01:20:15 11:06:36 10:04:20 08:12:27

9 07:22:30 01:04:31 04:18:37 07:12:09 00:06:49 08:21:25 06:02:27 07:20:16 01:20:16 11:06:36 10:04:21 08:12:29

10 07:23:31 01:16:40 04:19:00 07:11:19 00:06:46 08:22:40 06:02:32 07:20:16 01:20:16 11:06:36 10:04:22 08:12:31

11 07:24:32 01:28:59 04:19:23 07:10:40 00:06:43 08:23:54 06:02:38 07:20:16 01:20:16 11:06:36 10:04:23 08:12:33

12 07:25:33 02:11:30 04:19:46 07:10:12 00:06:40 08:25:08 06:02:43 07:20:15 01:20:15 11:06:36 10:04:24 08:12:35

13 07:26:34 02:24:13 04:20:09 07:09:55 00:06:37 08:26:22 06:02:49 07:20:15 01:20:15 11:06:36 10:04:25 08:12:37

14 07:27:35 03:07:10 04:20:31 07:09:49 00:06:35 08:27:36 06:02:54 07:20:14 01:20:14 11:06:37 10:04:26 08:12:39

15 07:28:36 03:20:19 04:20:53 07:09:53 00:06:32 08:28:51 06:02:59 07:20:13 01:20:13 11:06:37 10:04:27 08:12:41

16 07:29:37 04:03:43 04:21:14 07:10:07 00:06:30 09:00:05 06:03:04 07:20:12 01:20:12 11:06:37 10:04:28 08:12:43

17 08:00:38 04:17:21 04:21:36 07:10:29 00:06:28 09:01:19 06:03:09 07:20:11 01:20:11 11:06:37 10:04:29 08:12:45

18 08:01:39 05:01:14 04:21:56 07:10:59 00:06:26 09:02:33 06:03:14 07:20:11 01:20:11 11:06:38 10:04:31 08:12:47

19 08:02:40 05:15:20 04:22:17 07:11:37 00:06:25 09:03:47 06:03:19 07:20:11 01:20:11 11:06:38 10:04:32 08:12:49

20 08:03:42 05:29:38 04:22:37 07:12:20 00:06:23 09:05:01 06:03:24 07:20:12 01:20:12 11:06:39 10:04:33 08:12:51

21 08:04:43 06:14:05 04:22:57 07:13:09 00:06:22 09:06:15 06:03:28 07:20:13 01:20:13 11:06:39 10:04:35 08:12:54

22 08:05:44 06:28:39 04:23:16 07:14:02 00:06:21 09:07:29 06:03:33 07:20:14 01:20:14 11:06:40 10:04:36 08:12:56

23 08:06:45 07:13:13 04:23:35 07:15:00 00:06:21 09:08:43 06:03:38 07:20:15 01:20:15 11:06:40 10:04:37 08:12:58

24 08:07:46 07:27:43 04:23:53 07:16:02 00:06:20 09:09:57 06:03:42 07:20:15 01:20:15 11:06:41 10:04:39 08:13:00

25 08:08:47 08:12:02 04:24:11 07:17:07 00:06:20 09:11:11 06:03:47 07:20:14 01:20:14 11:06:42 10:04:40 08:13:02

26 08:09:48 08:26:05 04:24:29 07:18:15 00:06:20 09:12:25 06:03:51 07:20:12 01:20:12 11:06:43 10:04:42 08:13:04

27 08:10:49 09:09:47 04:24:46 07:19:26 00:06:20 09:13:38 06:03:55 07:20:09 01:20:09 11:06:43 10:04:43 08:13:06

28 08:11:51 09:23:08 04:25:03 07:20:39 00:06:20 09:14:52 06:03:59 07:20:05 01:20:05 11:06:44 10:04:45 08:13:09

29 08:12:52 10:06:06 04:25:19 07:21:53 00:06:21 09:16:06 06:04:03 07:20:02 01:20:02 11:06:45 10:04:46 08:13:11

30 08:13:53 10:18:42 04:25:35 07:23:10 00:06:21 09:17:20 06:04:07 07:19:59 01:19:59 11:06:46 10:04:48 08:13:13

31 08:14:54 11:01:01 04:25:50 07:24:28 00:06:22 09:18:33 06:04:11 07:19:57 01:19:57 11:06:47 10:04:49 08:13:15
72 ददसम्फय 2011

सवा योगनाशक मॊि/कवि


भनुष्म अऩने जीवन के त्रवसबन्न सभम ऩय दकसी ना दकसी सार्धम मा असार्धम योग से ग्रस्त होता हं ।

उसित उऩिाय से ज्मादातय सार्धम योगो से तो भुत्रि सभर जाती हं , रेदकन कबी-कबी सार्धम योग होकय बी असार्धमा
होजाते हं , मा कोइ असार्धम योग से ग्रससत होजाते हं । हजायो राखो रुऩमे खिा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नहीॊ हो
ऩाता। डॉक्यटय द्राया ददजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हं , एसस क्षस्थती भं राबा प्रासद्ऱ के
सरमे व्मत्रि एक डॉक्यटय से दस
ू ये डॉक्यटय के िक्यकय रगाने को फार्धम हो जाता हं ।

बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊसत हे तु त्रवसबन्न आमुवये औषधो के असतरयि मॊि,
भॊि एवॊ तॊि उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा दकमा था।
फुत्रद्चजीवो के भत से जो व्मत्रि जीवनबय अऩनी ददनिमाा ऩय सनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हं , एसे व्मत्रि
को त्रवसबन्न योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हं । रेदकन आज के फदरते मुग भं एसे व्मत्रि बी बमॊकय योग
से ग्रस्त होते ददख जाते हं । क्यमोदक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हं । एवॊ भृत्मु सनक्षित हं क्षजसे त्रवधाता के अरावा
औय कोई टार नहीॊ सकता, रेदकन योग होने दक क्षस्थती भं व्मत्रि योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हं ।
इस सरमे मॊि भॊि एवॊ तॊि के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्रि योगो से भुत्रि ऩाने का मा उसके प्रबावो
को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हं ।

ज्मोसतष त्रवद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को उजागय कय
सकते हं । ज्मोसतष शास्त्र के भार्धमभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग सभरता हं , जहा आधुसनक सिदकत्सा शास्त्र
अऺभ होजाता हं वहा ज्मोसतष शास्त्र द्राया योग के भूर(जि) को ऩकड कय उसका सनदान कयना राबदामक एवॊ
उऩामोगी ससद्च होता हं ।
हय व्मत्रि भं रार यॊ गकी कोसशकाए ऩाइ जाती हं , क्षजसका सनमभीत त्रवकास क्रभ फद्च तयीके से होता यहता हं ।
जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भं ऩरयवतान होता है मा त्रवखॊदडन होता हं तफ व्मत्रि के शयीय भं स्वास्थ्म सॊफॊधी त्रवकायो
उत्ऩन्न होते हं । एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हं । क्षजस्से योगो के होने के कायणा व्मत्रिके
जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो दक गोिय भं क्षस्थती से प्राद्ऱ होता हं ।

सवा योग सनवायण कवि एवॊ भहाभृत्मुॊजम मॊि के भार्धमभ से व्मत्रि के जन्भाॊग भं क्षस्थत कभजोय एवॊ ऩीदडत
ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक
ा दकमा जासकता हं । जेसे हय व्मत्रि को ब्रह्माॊड दक उजाा एवॊ
ऩृथ्वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हं दठक उसी प्रकाय कवि एवॊ मॊि के भार्धमभ से ब्रह्माॊड दक उजाा के
सकायात्भक प्रबाव से व्मत्रि को सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती हं क्षजस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भुि कयने हे तु
सहामता सभरती हं ।
योग सनवायण हे तु भहाभृत्मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हं । क्षजस्से दहन्द ू सॊस्कृ सत का प्राम् हय व्मत्रि
भहाभृत्मुॊजम भॊि से ऩरयसित हं ।
73 ददसम्फय 2011

कवि के राब :
 एसा शास्त्रोि विन हं क्षजस घय भं भहाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत होता हं वहा सनवास कताा हो नाना प्रकाय दक
आसध-व्मासध-उऩासध से यऺा होती हं ।
 ऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवि दकसी बी उि एवॊ जासत धभा के रोग िाहे
स्त्री हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हं ।
 जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो दक प्रसतकूरता से योग उतऩन्न होते हं ।
 कुछ योग सॊक्रभण से होते हं एवॊ कुछ योग खान-ऩान दक असनमसभतता औय अशुद्चतासे उत्ऩन्न होते हं । कवि
एवॊ मॊि द्राया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्थ्म राब औय शायीरयक यऺण प्राद्ऱ कयने हे तु
सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हं ।
 आज के बौसतकता वादी आधुसनक मुगभे अनेक एसे योग होते हं , क्षजसका उऩिाय ओऩये शन औय दवासे बी
कदठन हो जाता हं । कुछ योग एसे होते हं क्षजसे फताने भं रोग दहिदकिाते हं शयभ अनुबव कयते हं एसे योगो
को योकने हे तु एवॊ उसके उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि राबादासम ससद्च होता हं ।
 प्रत्मेक व्मत्रि दक जेसे-जेसे आमु फढती हं वैसे-वसै उसके शयीय दक ऊजाा होती जाती हं । क्षजसके साथ अनेक
प्रकाय के त्रवकाय ऩैदा होने रगते हं एसी क्षस्थती भं उऩिाय हे तु सवायोगनाशक कवि एवॊ मॊि परप्रद होता हं ।
 क्षजस घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक दह नऺिभे जन्भ रेते हं , तफ उसकी भाता के सरमे
असधक कष्टदामक क्षस्थती होती हं । उऩिाय हे तु भहाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद होता हं ।
 क्षजस व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे होता हं उन्हे होने वारे भृत्मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, सिॊता भं
उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हं ।

नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवि एवॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी हे तु हभ
से सॊऩका कयं ।

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74 ददसम्फय 2011

भॊि ससद्च कवि


भॊि ससद्च कवि को त्रवशेष प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय शीघ्र प्रबाव शारी फनाने के सरए तेजस्वी भॊिो द्राया
शुब भहूता भं शुब ददन को तैमाय दकमे जाते है . अरग-अरग कवि तैमाय कयने केसरए अरग-अरग तयह के
भॊिो का प्रमोग दकमा जाता है .

 क्यमं िुने भॊि ससद्च कवि?


 उऩमोग भं आसान कोई प्रसतफन्ध नहीॊ
 कोई त्रवशेष सनसत-सनमभ नहीॊ
 कोई फुया प्रबाव नहीॊ
 कवि के फाये भं असधक जानकायी हे तु

कवि सूसि
सवा कामा ससत्रद्च कवि - 3700/- ऋण भुत्रि कवि - 730/- त्रवयोध नाशक कविा- 550/-
सवाजन वशीकयण कवि - 1050/-* नवग्रह शाॊसत कवि- 730/- वशीकयण कवि- 550/-* (2-3 व्मत्रिके सरए)
अष्ट रक्ष्भी कवि - 1050/- तॊि यऺा कवि- 730/- ऩत्नी वशीकयण कवि - 460/-*
आकक्षस्भक धन प्रासद्ऱ कवि-910/- शिु त्रवजम कवि - 640/- * नज़य यऺा कवि - 460/-
बूसभ राब कवि - 910/- ऩदं उन्नसत कवि- 640/- व्माऩय वृत्रद्च कवि - 370/-
सॊतान प्रासद्ऱ कवि - 910/- धन प्रासद्ऱ कवि- 640/- ऩसत वशीकयण कवि - 370/-*
कामा ससत्रद्च कवि - 910/- त्रववाह फाधा सनवायण कवि- 640/- दब
ु ााग्म नाशक कवि - 370/-
काभ दे व कवि - 820/- भक्षस्तष्क ऩृत्रष्ट वधाक कवि- 640/- सयस्वती कवक - 370/- कऺा+ 10 के सरए
जगत भोहन कवि -730/-* काभना ऩूसता कवि- 550/- सयस्वती कवक- 280/- कऺा 10 तक के सरए
स्ऩे -व्माऩाय वृत्रद्च कवि - 730/- त्रवघ्नन फाधा सनवायण कवि- 550/- वशीकयण कवि - 280/-* 1 व्मत्रि के सरए

*कवि भाि शुब कामा मा उद्ङे श्म के सरमे


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92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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75 ददसम्फय 2011

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
76 ददसम्फय 2011

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 190, 280, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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77 ददसम्फय 2011

NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (ऩन्ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (भाक्षणक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (फभाा भाक्षणक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नयभ भाक्षणक/रारडी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (भोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (रार भूॊगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (रार भूॊगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद भूॊगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (रहसुसनमा) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उदडसा रहसुसनमा) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोभेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जयकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (फेरुज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (दफ़योजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहरा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उदडसा ऩुखयाज/टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीरा टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोऩज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे रा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उऩर) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गायनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुभर ा ीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुमका ान्त भक्षण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (कारा स्टाय) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओनेक्यस) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओनेक्यस) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (राजवात) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (िन्द्रकान्त भक्षण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal (स्फ़दटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना दफ़यॊ गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (भयगि) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन ससताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (हीया) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
78 ददसम्फय 2011

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

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79 ददसम्फय 2011

सूिना
 ऩत्रिका भं प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के साथ ही आयक्षऺत हं ।

 रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ दक कामाारम मा सॊऩादक बी इन त्रविायो से सहभत हं।

 नाक्षस्तक/ अत्रवश्वासु व्मत्रि भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हं ।

 ऩत्रिका भं प्रकासशत दकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ दकसी बी व्मत्रि त्रवशेष मा दकसी बी स्थान मा
घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हं ।

 प्रकासशत रेख ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आर्धमाक्षत्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण
मदद दकसी के रेख, दकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का दकसी के वास्तत्रवक जीवन से भेर होता हं तो मह भाि
एक सॊमोग हं ।

 प्रकासशत सबी रेख बायसतम आर्धमाक्षत्भक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरमे जाते हं । इस कायण इन त्रवषमो दक
सत्मता अथवा प्राभाक्षणकता ऩय दकसी बी प्रकाय दक क्षजन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक दक नहीॊ हं ।

 अन्म रेखको द्राया प्रदान दकमे गमे रेख/प्रमोग दक प्राभाक्षणकता एवॊ प्रबाव दक क्षजन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक
दक नहीॊ हं । औय नाहीॊ रेखक के ऩते दठकाने के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक दकसी बी
प्रकाय से फार्धम हं ।

 ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आर्धमाक्षत्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भं ऩाठक का अऩना
त्रवश्वास होना आवश्मक हं । दकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को दकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवश्वास कयने ना कयने
का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा।

 ऩाठक द्राया दकसी बी प्रकाय दक आऩिी स्वीकामा नहीॊ होगी।

 हभाये द्राया ऩोस्ट दकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हं । हभ दकसी बी व्मत्रि
त्रवशेष द्राया प्रमोग दकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी क्षजन्भेदायी नदहॊ रेते हं ।

 मह क्षजन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रि दक स्वमॊ दक होगी। क्यमोदक इन त्रवषमो भं नैसतक
भानदॊ डं , साभाक्षजक , कानूनी सनमभं के क्षखराप कोई व्मत्रि मदद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु प्रमोग कताा हं अथवा
प्रमोग के कयने भे िुदट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं ।

 हभाये द्राया ऩोस्ट दकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग दकमे हं
क्षजस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनक्षित सपरता प्राद्ऱ हुई हं ।

 ऩाठकं दक भाॊग ऩय एक दह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का असधकाय यखता हं । ऩाठकं को एक रेख के ऩून्
प्रकाशन से राब प्राद्ऱ हो सकता हं ।

 असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं ।

(सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)


80 ददसम्फय 2011

FREE
E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका ददसम्फय -2011
सॊऩादक

सिॊतन जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग

गुरुत्व कामाारम
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81 ददसम्फय 2011

हभाया उद्ङे श्म


त्रप्रम आक्षत्भम

फॊध/ु फदहन

जम गुरुदे व

जहाॉ आधुसनक त्रवऻान सभाद्ऱ हो जाता है । वहाॊ आर्धमाक्षत्भक ऻान प्रायॊ ब हो जाता है , बौसतकता का आवयण ओढे व्मत्रि
जीवन भं हताशा औय सनयाशा भं फॊध जाता है , औय उसे अऩने जीवन भं गसतशीर होने के सरए भागा प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता क्यमोदक
बावनाए दह बवसागय है , क्षजसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता सनदहत है । उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय
सपरता है । सपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ असधकाय है । ईसी सरमे हभायी शुब काभना सदै व आऩ के साथ है । आऩ
अऩने कामा-उद्ङे श्म एवॊ अनुकूरता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि शत्रि से ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत सिज वस्तु का हभंशा
प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी सरमे हभाया उद्ङे श्म महीॊ हे की शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्च
प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि सबी प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का है ।

सूमा की दकयणे उस घय भं प्रवेश कयाऩाती है ।


जीस घय के क्षखिकी दयवाजे खुरे हं।

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82 ददसम्फय 2011

DEC
2011

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