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रुद्राऺ की उत्ऩत्रि
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GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
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अनुक्रभ
रुद्राऺ शत्रि त्रवशेष
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि 6 रुद्राऺ धायण कयं सावधासनमं के साथ। 29
रुद्राऺ धायण कयना क्यमं कल्माणकायी हं ? 8 रुद्राऺ धायण कयने के सॊक्षऺद्ऱ त्रवसध 30
अन्म रेख
स्पदटक श्रीमॊि 28 ऩॊिभुखी हनुभान का ऩूजन उिभ परदामी हं 40
हभाये उत्ऩाद
भॊि ससद्च ऩन्ना गणेश 10 द्रादश भहा मॊि 24 भॊि ससद्च दै वी मॊि सूसि 49 याभ यऺा मॊि 55
गणेश रक्ष्भी मॊि 12 भॊि ससद्च रूद्राऺ 33 सवा कामा ससत्रद्च कवि 50 यासश यत्न 60
भॊि ससद्च दर
ु ब
ा साभग्री 18 बाग्म रक्ष्भी ददब्फी 38 जैन धभाके त्रवसशष्ट मॊि 51 सवा योगनाशक मॊि/ 72
ऩढा़ई सॊफसॊ धत सभस्मा 16 भॊिससद्च रक्ष्भी मॊिसूसि 49 याशी यत्न एवॊ उऩयत्न 53 YANTRA 75
भॊिससद्च स्पदटक श्री मॊि 17 नवयत्न जदित श्री मॊि 48 श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि/ कवि 54 GEMS STONE 77
घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्च भहामॊि 52 भॊि ससद्च साभग्री- 65, 66, 67
फॊध/ु फदहन
जम गुरुदे व
रुद्राऺ को बगवान सशव का प्रसतक भाना जाता है । रुद्राऺ की उत्ऩत्रि बगवान सशव के अश्रु से हुइथी इस सरमे इसे
रुद्राऺ कह जाता है । रुद्र का अथा है सशव औय अऺ का अथा है आॉख। दोनो को सभराकय रुद्राऺ फना।
रूद्र+अऺ शब्द का सॊमोग रूद्राऺ कहराता है । रुद्र का अथा है । बगवान सशव का यौद्र रूऩ औय अऺ का अथा है
आॉख। दोनो को सभराकय रुद्राऺ फना।
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि के त्रवषम भं अनेको कथाएॊ धभा ग्रॊथो भं उल्रेक्षखत हं सरकेन प्रभुख कथा के अनुशाय बगवान
सशव ने सैकडं हजाय वषो तक अॊतर्धमाान यहे । जफ बगवान सशव ने र्धमान ऩूणा होने के फाद जफ सशवजी ने अऩने नेि
खोरे, तो उनके नेि से आॊसुओॊ की धाया सनकरने रगी।
तेनाश्रुत्रफॊदसु बजााता भत्मे रुद्राऺबूरुहा्।
उस नेि से सनकरे अश्रृ त्रफॊद ु से बूरोक भं रुद्राऺ के वृऺ उत्ऩन्न हो गए। बूरोक ऩय जहाॊ-जहाॊ बी अश्रु फुॊदे सगये , उनसे
अॊकुयण पूट ऩडा! फाद भं मही रुद्राऺ के वृऺ फन गए। काराॊतय भं मही रुद्राऺ सशव बिो के त्रप्रम फन कय सभग्र त्रवश्व
भं व्माद्ऱ हो गए। बिं ऩय कृ ऩा कयने के सरए सशवजी के अश्रुत्रफॊद ु रुद्राऺ के रुऩ भं व्माद्ऱ हो गमे औय रुद्राऺ के नाभ से
त्रवख्मात हो गए। रुद्र के अऺ से प्रकट होने के कायण धभाग्रॊथो भं रुद्राऺ को साऺात सशव का सरॊगात्भक स्वरुऩ भाना
गमा हं । त्रवद्रानो का कथ हं की रुद्राऺ भं एक त्रवसशष्ट प्रकाय की ददव्म उजाा शत्रि सभादहत होती हं । प्राम् सबी
ग्रॊथकायं व त्रवद्रानो ने रुद्राऺ को असह्य ऩाऩं को नाश कयने वारा भाना हं ।
इस सरए सशव भाहा ऩुयाण भं उल्रेख दकमा गमा हं ।
रुद्राऺ को धायण कयने से प्राद्ऱ होने वारे राब के त्रवषम भं त्रवसबन्न राब फतामे गए हं ।
रुद्राऺा मस्म गोिेषु रराटे ि त्रिऩुण्ड्रकभ ्।
स िाण्ड्डारोऽत्रऩ सम्म्ऩूज्म् सवावणंिभो बवेत ्॥
अथाात् क्षजसके शयीय ऩय रुद्राऺ हो औय रराट ऩय त्रिऩुण्ड्ड हो, वह िाण्ड्डार बी हो तो सफ वणं भं उिभ ऩूजनीम हं ।
रुद्राऺ का प्रमोग ऩूजा-ऩाठ, जऩ-तऩ इत्मादद धासभाक कामं भं तो अवश्म सपरता प्रदान कयता हं । इस के
अरावा रुद्राऺ औषधीम गुणं से बी बयऩूय होता हं । रुद्राऺ कई योगं भं आयाभ ऩहूॊिाने भं त्रवशेष राबदामक ससद्च होता
हं । इसके अरावा रुद्राऺ का प्रमोग ग्रह दोष के सनवायण के सरए, अऩने त्रवसबन्न उद्ङे श्म औय भनोकाभनाओॊ की ऩूसता के
सरए व त्रवसबन्न सभस्माओॊ के सनवायण के सरए ज्मोसतष के जानकाय रुद्राऺ धायण कयने की सराह दे ते है । आऩके
भागादशान के सरए हभने इस रुद्राऺ शत्रि त्रवशेष अॊक भं रुद्राऺ से सॊफॊसधत असधक से असधक उऩमोगी जानकायी प्रदान
कयने का प्रमास दकमा हं । दपय बी रुद्राऺ धायण कयने से ऩूवा दकसी कूशर त्रवशेषऻ से ऩयाभशा अवश्म कय रे।
सिॊतन जोशी
6 ददसम्फय 2011
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि
सिॊतन जोशी
श्रीभदबागवत, दे वी बागवत, भुण्ड्डकोऩसनषद, बगवत
रुद्रस्म अक्षऺ रुद्राऺ:, अक्ष्मुऩरक्षऺतभ ् कभाऩुयाण, ऋग्वेद, मजुवद
े , अथवावेद, ऩायस्कय ग्रहसूि,
अश्रु, तज्जन्म: वृऺ:। त्रवष्णुधभा सूि, सभयाॊगण सूिधाय, माऻवरक्यम स्भृसत,
ऩुटाभ्माॊ िारुिऺुभ्मां ऩसतता जरत्रफॊदव्। सनत्मािाय प्रदीऩ, वैददक दे वता कल्माण आदद उऩसनषदो एवॊ
तन्ि भन्ि आदद ग्रन्थो भे सभरता है । त्रवद्रानो के भत से
तिाश्रुत्रफन्दवो जाता वृऺा रुद्राऺसॊऻका्॥
.
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि के सॊफॊध भं त्रवसबन्न ग्रॊथो भं त्रवसबन्न
ऩौयाक्षणक कथाएॊ प्रिसरत हं ।
रुद्राऺ को बगवान सशव का प्रसतक भाना जाता है ।
रुद्राऺ की उत्ऩत्रि बगवान सशव के अश्रु से हुइथी इस सरमे
एक कथा के अनुसाय:
इसे रुद्राऺ कह जाता है । रुद्र का अथा है सशव औय अऺ का
एक फाय बगवान सशव ने सैकडं हजाय वषो तक
अथा है आॉख। दोनो को सभराकय रुद्राऺ फना।
अॊतर्धमाान यहे । जफ बगवान सशव ने र्धमान ऩूणा होने
रूद्र+अऺ शब्द का सॊमोग रूद्राऺ
के फाद जफ सशवजी ने अऩने नेि खोरे , तो
कहराता है । रुद्र का अथा है । बगवान
उनके नेि से आॊसुओॊ की धाया सनकरने
सशव का यौद्र रूऩ औय अऺ का अथा है रुद्राऺ बगवान सशव को
रगी। सशवजी के नेिं से सनकरी महॊ
आॉख । दोनो को सभराकय रुद्राऺ प्रसन्न कयने के सरए
ददव्म अश्रु-फूॊद बूरोक ऩय सगयी, बूरोक
फना । त्रवशेष रुऩ से परदामी
ऩय जहाॊ-जहाॊ बी अश्रु फुॊदे सगये , उनसे
रुद्राऺ बगवान सशव को ससद्च होता हं । ऩुयाणं भं
अॊकुयण पूट ऩडा! फाद भं मही रुद्राऺ
प्रसन्न कयने के सरए त्रवशेष रुऩ रुद्राऺ की भदहभा का
त्रवस्ताय से वणान दकमा के वृऺ फन गए। काराॊतय भं मही
से परदामी ससद्च होता हं ।
गमा है । रुद्राऺ धायण रुद्राऺ सशव बिो के त्रप्रम फन कय
धभाग्रॊथं, शास्त्रं व
कयने से सौबाग्म प्राद्ऱ सभग्र त्रवश्व भं व्माद्ऱ हो गए।
ऩुयाणं भं रुद्राऺ की भदहभा
होता है ।
का त्रवस्ताय से वणान दकमा गमा
दस
ू यी कथा के अनुशाय:
है । महाॊ ऩाठको के भागादशान के सरए
कुछ प्रभुख ग्रॊथो भं उल्रेक्षखत रुद्राऺ से एक फाय सती के त्रऩता दऺ प्रजाऩसत ने
सॊफॊसधत जानकायीमाॊ दी जा यही हं । अऩने महाॊ मऻ का आमोजन दकमा। हवन कयते सभम
रुद्राऺ के गुणो का त्रवस्तृत वणान सरॊगऩुयाण, दऺने बगवान सशव का अऩभान कय ददमा। सशवजी के
भत्स्मऩुयाण, स्कॊदऩुयाण, सशवभहाऩुयाण, ऩदभऩुयाण, अऩभान ऩय क्रोसधत होकय सशव की ऩत्नी सती ने स्वमॊ
भहाकार सॊदहता भन्ि, भहाणाव सनणाम ससन्धु, को अक्षग्नकुॊड भं सभादहत कयसरमा। सती का जरा शयीय
वायाह ऩुयाण, त्रवष्णुधभंिय ऩुयाण, सशवतत्त्व यत्नाकाय, बगवान सशव ने उन्भत दक बाॊसत सती के जरे
फारोऩसनषद, रुद्रऩुयाण, काठक सॊदहता, कात्मामनी तॊि, हुए शयीय को कॊधे ऩय यख वे सबी ददशाओॊ भं भ्रभण
कयने रगे। सृत्रष्ट व्माकुर हो उठी बमानक सॊकट
7 ददसम्फय 2011
उऩक्षस्थत दे खकय सृत्रष्ट के ऩारक बगवान त्रवष्णु आगे अथाात: हे षडानन (छह वारा) स्कॊदजी ! तुभ सुनो,
फढ़े । उन्हं ने बगवान सशव दक फेसुधी भं अऩने िक्र से ऩूवक
ा ार भं त्रिऩुय नाभक एक भहान शत्रिशारी व
सती के एक-एक अॊग को काट-काट कय सगयाने रगे। ऩयाक्रभी दै त्मं का याजा हुआ था। त्रिऩुय को जीतने भं
धयती ऩय इक्यमावन स्थानं भं सती के अॊग कट-कटकय दे व-दानव भं से कोई बी सभथा नहीॊ था।
सगये । जफ सती के साये अॊग कट कय सगय गए, तो उसने अऩने ऩयाक्रभ से सॊऩूणा दे वरोक को जीर
बगवान सशव ऩुन् अऩने आऩ भं वाऩस आए। तफ सशवजी सरमा। तफ ब्रह्मा, त्रवष्णुअ, इन्द्रादद सबी दे व एवॊ भुसन गण
के नेिं से आॊसू सनकरे औय उससे रुद्राऺ के वृऺ भेये ऩास आए औय दै त्मयाज त्रिऩुय को भायने की प्राथना
उत्ऩन्न हो गए। की। तफ भैने त्रिऩुय को भायने का सनक्षितम दकमा।
कुछ त्रवद्रानो का भानना हं सशवजी ने सती का रेदकन त्रिऩुय को हभ त्रिदे वं से अनेक वय प्राद्ऱ थे,
ऩासथाव शयीय अऩने कॊधे रेकय सॊऩूणा ब्रह्माॊड को बस्भ कय इससरए मुद्च भं एक हजाय ददव्म वषं तक का रम्फा
दे ने के उद्ङे श्म से ताॊडव नृत्म कयने रगे। सती का जरा सभम रगा।
शयीय धीये -धीये ऩूये ब्रह्माॊड भं त्रफखय ने रगा। अॊत भं तफ भंने त्रफजरी के सभान िभकदाय एवॊ ददव्म
ससपा उनके दे ह की बस्भ ही सशवजी के शयीय ऩय यह तेजमुि काराक्षग्न नाभक अभोद्य शस्त्र से त्रिऩुय ऩय तीव्र
गई, क्षजसे दे ख कय सशवजी यो ऩडे उस सभम जो आॊसू प्रकाय दकमी। उस ददव्म शस्त्र की ददव्म त्रवस्पोटक िभक
उनकी आॊखं से सगये , वही ऩृथ्वी ऩय रुद्राऺ के वृऺ फने। को दे खने भं दकसी के बी नेि दे ख ने भं सभथाता नहीॊ
थी उसी सभम कुछ ऺण के सरए भेये नेि फॊद यहे ।
स्कॊद ऩुयाण की कथा: मोगभामा की अद्भत
ु रीरासे जफ भैने अऩने दोनं नेिो
एक फाय बगवान कासताक ने अऩने त्रऩता बगवान सशवजी को खोरा तफ नेिं से स्वत् ही अश्रु की कुछ फुॊदे सगयी।
से ऩूछा:- हे त्रऩता श्री ! मह रुद्राऺ कमा हं ? तेनाश्रुत्रफॊदसु बजााता भत्मे रुद्राऺबूरुहा्।
रुद्राऺ को धायाण कयना इस रोक औय ऩयरोक भं श्रेष्ठ उस नेि से सनकरे अश्रृ त्रफॊद ु से बूरोक भं रुद्राऺ के वृऺ
क्यमं भाना जाता हं ? उत्ऩन्न हो गए।
रुद्राऺ के दकतने भुख होते हं ? उसके कौन से भॊि बिं ऩय कृ ऩा कयने के सरए एवॊ सॊसायका
हं ? भनुष्म रुद्राऺ को दकस प्रकाय धायण कयं ? कृ ऩा कय कल्माण हो इस रक्ष्म से भेये मे अश्रुत्रफॊद ु रुद्राऺ के रुऩ
मह सफ आऩ भुझे त्रवस्ताय से सभझाए? भं व्माद्ऱ हो गमे औय रुद्राऺ के नाभ से त्रवख्मात हो गए,
सशव जी फोरे हे षडानन रुद्राऺ की उत्ऩत्रि का मे षडानन रुद्राऺ को धायण कयने से भहाऩुण्ड्म प्राद्ऱ होता
वणान भं तुम्हं सॊक्षऺद्ऱ भं फता यहा हूॊ। हं । इसभं तसनक बी सॊदेह नहीॊ है । दपय भंने रुद्राऺ को
शॊकय उवाि: त्रवष्णु बिं तथा िायं वगं के रोगो को फाॊट ददए।
श्रृणु षण्ड्भुख तत्त्वेन कथमासभ सभासत्। सशवजी फोरे बूरोक ऩय अऩने बिो के कल्माणाथा भंने
त्रिऩुयो नाभ दै त्मेन्द्र् ऩूवाभासीत्सुदज
ु म
ा :॥ रुद्राऺ को सबन्न स्थानो भं रुद्राऺ के अॊकुय उगा कय
उन्हं उत्ऩन्न दकमा।
रुद्राऺ धायण परभ ् रुद्राऺॊ भस्तके धृत्वा सशय् स्नानॊ कयोसत म्।
गॊगास्नानॊपरॊ तस्म जामते नाि सॊशम्॥
रुद्राऺा मस्म गोिेषु रराटे ि त्रिऩुण्ड्रकभ ्।
अथाात् रुद्राऺ को भस्तक ऩय धायण कयके जो भनुष्म
स िाण्ड्डारोऽत्रऩ सम्म्ऩूज्म् सवावणंिभो बवेत ्॥
ससय से स्नान कयता हं उसे गॊगा स्नान के सभान ऩयभ
अथाात् क्षजसके शयीय ऩय रुद्राऺ हो औय रराट ऩय
ऩत्रवि स्नान का पर प्राद्ऱ होता हं तथा वह भनुष्म
त्रिऩुण्ड्ड हो, वह िाण्ड्डार बी हो तो सफ वणं भं उिभ
सभस्त ऩाऩं से भुि हो जाता हं इसभं सॊशम नहीॊ हं ।
व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।
एकभुखी रुद्राऺ का ऩूजन होता हं वहाॊ रक्ष्भी का हं । फच्िो दक ऩढाई हे तु बी त्रवशेष पर प्रद हं ऩन्ना गणेश
इस के प्रबाव से फच्िे दक फुत्रद्च कूशाग्र होकय उसके
स्थाई वास होता हं ।
आत्भत्रवश्वास भं बी त्रवशेष वृत्रद्च होती हं । भानससक अशाॊसत को
एकभुखी रुद्राऺ धायण कयने वारे भनुष्म के घय भं
कभ कयने भं भदद कयता हं , व्मत्रि द्राया अवशोत्रषत हयी त्रवदकयण
धन-धान्म, सुख-सभृत्रद्च-वैबव, भान-सम्भान प्रसतष्ठा भं
शाॊती प्रदान कयती हं , व्मत्रि के शायीय के तॊि को सनमॊत्रित
वृत्रद्च कयने वारा हं ।
कयती हं । क्षजगय, पेपिे , जीब, भक्षस्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्मादद
एकभुखी रुद्राऺ धायण कयने वारे भनुष्म की सबी योग भं सहामक होते हं । कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हं ।
प्रकाय की भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । . Rs.550 से Rs.8200 तक
11 ददसम्फय 2011
तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शत ज्वय दयू होता िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से वाणी भं सभठास
हं । आती हं ।
तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अद्भत
ु त्रवद्या की िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भानससक त्रवकाय दयू
प्रासद्ऱ होती हं । होते हं ।
तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयना भॊदफुत्रद्च फच्िं के त्रवद्रानो का कथन है की िाय भुखी रुद्राऺ के दशान
फौसधक त्रवकास के सरए अत्मॊत राबदामक ससद्च होता एवॊ स्ऩशा से धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन िायं
हं । ऩुरुषाथो की शीघ्र प्रासद्ऱ होती हं ।
सनम्न यििाऩ को दयू कयने भं बी तीन भुखी रुद्राऺ िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जीव हत्मा के ऩाऩं
धायण कयना राबदामक होता हं । का नाश होता हं ।
तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अक्षग्नदे व की कृ ऩा िाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ददव्म ऻान की प्रासद्ऱ
प्राद्ऱ होती हं । होती हं ।
तीन भुखी रुद्राऺ से अक्षग्न बम से यऺण होता हं । िाय भुखी रुद्राऺ को अबीष्ट ससत्रद्चमं को प्राद्ऱ कयने भं
सहामक व कल्माणकायी हं ।
तीनभुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:- िाय भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ॐ यॊ हूॊ ह्रीॊ हूॊ ओॊ॥ ॐ व्राॊ क्राॊ ताॊ हाॊ ई॥
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14 ददसम्फय 2011
भान्मता हं की सात भुखी रुद्राऺ धायण कताा की आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से त्रवसबन्न प्रकाय के
अस्त्र-शस्त्रं के प्रहाय से यऺा कयता हं । त्रवघ्ननं को दयू कयने वारा हं ।
त्रवद्रानो के भतानुशाय सात भुखी रुद्राऺ अकार भृत्मु क्षजन रोगं का सिि असधकतय िॊिर यहता हं उनके
के बम को टारता हं । आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से एकाग्रता फढाने भं
सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीघ्र उिभ बूसभ की राबप्राद्ऱ होता हं ।
प्रासद्ऱ होती हं । भहाऩुरुषो का का कथन हं की आठ भुखी रुद्राऺ
सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से त्रवष प्रबाव से यऺा धायण कयने से असत्म बाषण, भानकूटाददक व
होती हं । ऩयस्त्रीजन्म ऩाऩं का नाश होता हं ।
सात भुखी रुद्राऺ को सक्षन्नऩात, सभगॉ योग, शीत- त्रवद्रानो का भत हं की आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयके
ज्वय इत्मादद योगं को शाॊत कयने भं राबदामक होता गणेशजी की ऩूजा-अिाना एवॊ साधना कयने से वह
हं । शीघ्र परप्रद होती हं ।
सात भुखी रुद्राऺ धायण कयने से दरयद्रता दयू होती आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सवा दे वगण प्रसन्न
हं । होते हं ।
सात भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्रि को मश- आठ भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ऩूणााअमुष्म की
भानसम्भान की वृत्रद्च होती हं । प्रासद्ऱ होती हं ।
सात भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
आठ भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ॐ ह्रॊ क्रीॊ ह्रीॊ सं॥
ॐ ह्राॊ ग्रीॊ रॊ आॊ श्रीॊ॥
आठ भुखी रुद्राऺ:
दश भुखी रुद्राऺ:
ताॊत्रिक साधनाओॊ भं दस भुखी रुद्राऺ का त्रवशेष दश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
भहत्व भाना जाता हं । ॐ श्रीॊ ह्रीॊ क्यरीॊ व्रीॊ ॐ॥
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से बूत-प्रेत, भायण-
भोहन इत्मादद ताॊत्रिक फाधाओॊ के दष्ु प्रबाव प्रबाव एकादश भुखी रुद्राऺ:
नहीॊ होता।
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से आकक्षस्भक
दघ
ु ट
ा नाओॊ से यऺा होती हं ।
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीघ्र ही भनुष्म का
मश दशं ददशाओॊ भं पेर जाता हं ।
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म की सकर
भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं ।
योगं को शाॊत कयने भं दस भुखी रुद्राऺ से त्रवशेष
राबदामक होता हं ।
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ग्रहं के अशुब प्रबाव
शाॊत होते हं ।
दस भुखी रुद्राऺ सबी प्रकाय की फाधाओॊ का नाश एकादश भुखी रुद्राऺ को एकादश रुद्र का साऺात
कय, भनुष्म को सुख-शाॊसत व सभृत्रद्च प्रदान कयता हं स्वरुऩ भाना जाता हं । इन्द्र को बी एकादश भुखी
एकादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सॊक्राभक योगं से स्वरुऩ भाना जाता हं ।
सुयऺा होती हं । व मदद कोई व्मत्रि सॊक्राभक योग से द्रादश भुखी रुद्राऺ भं सूमा आदद दे वता वास कयते
ऩीदडत हं तो शीघ्र स्वस्थ्म राब हे तु एकादश भुखी हं । इस सरए इसे आददत्मरुद्राऺ बी कहते हं ।
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। त्रवष्णु बिं मदद द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयते
भस्तक भं मा सशखा ऩय धायण कयने ऩय अश्वभेघ ब्रह्मिामा व्रत के ऩारन के सरए द्रादश भुखी रुद्राऺ
मऻ कयने के सभान पर, वाजऩेम मऻ कयने के को धायण कयना त्रवशेष उऩमोगी ससद्च होता हं ।
सभान पर एवॊ िॊद्र ग्रहण भं दकए गए दान ऩुण्ड्म के द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म के
भॊि ससद्च दर
ु ब
ा साभग्री
हत्था जोडी- Rs- 370 घोडे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370 दक्षऺणावतॉ शॊख- Rs- 550 इन्द्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत शॊख- Rs- 550 धन वृत्रद्च हकीक सेट Rs-251
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19 ददसम्फय 2011
द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जहयीरे जीव- िमोदश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अतुल्म धन-
जॊतु, िोय-रुटेयं, अक्षग्न बम, आदद शुद्र शत्रिमं से सॊऩत्रिअ प्राद्ऱ होती हं ।
सुयऺा होती हं । िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्रि सॊऩूणा
द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म के धातुओॊ की यसामनाददक ससत्रद्चमं का ऻाता फन जाता
सभस्त ऩाऩं का नाश हो जाता हं । हं ।
त्रवद्रानो का भत हं की द्रादश भुखी रुद्राऺ धायण िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्रि को
कयने से दरयद्र से दरयद्र भनुष्म का बी सभृत्रद्च को भान-सम्भान, मश, ऩद-प्रसतष्ठा, आकषाक व्मत्रित्व की
प्राद्ऱ कय रेता हं । प्रासद्ऱ होती हं ।
३२ भणकं की भारा कॊठ भं धायण कयने से िमोदश भुखी रुद्राऺ का त्रवशेषऻ की सराह से दध
ू के
भनुष्म के गो-वध, भनुष्म वध एवॊ िोयी इत्मादद साथ प्रमोग राबकयी ससद्च होता हं ।
ऩाऩं का नाश होता हं । िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सभस्त प्रकाय
त्रवद्रानो का कथन हं की द्रादश भुखी रुद्राऺ को की शत्रि व ससत्रद्चमं की प्रासद्ऱ भं त्रवशेष सहामता प्राद्ऱ
सशखा ऩय धायण कयने से भनुष्म के भस्तक प्र होती हं ।
आददत्म त्रवयाजभान हो जाते हं । िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
द्रादश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:- ॐ ईं माॊ आऩ ओभ ्॥
ॐ ह्रीॊ श्रं धृक्षण: श्रीॊ॥
ितुदाश भुखी रुद्राऺ:
िमोदश भुखी रुद्राऺ:
थे तथा कुछ प्रभुख शास्त्रं भं बी एक से ितुदाश भुखी ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण को भस्तक ऩय धायण
रुद्राऺ का उल्रेख सभरता हं । कयने से सभस्त ऩाऩं का नाश होता हं ।
ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से सबी प्रकाय के
कष्टं का सनवायण हो जाता हं । ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-
ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से भनुष्म ॐ औॊ स्पे खव्पं हस्त्रौ हसव्रै्॥
त्रवसबन्न योगं से भुत्रि सभरती हं औय स्वास्थ्म राब जो भनुष्म ऩृथ्वी ऩय रुद्राऺ को भॊि सदहत धायण कयते
प्राद्ऱ होता हं । हं वे रुद्ररोक भं जाकय वास कयते हं तथा जो भॊि यदहत
ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से व्मत्रि को सबी रुद्राऺ धायण कयते हं वे घोय नयक के बागी होते हं ।
ऺेिं भं उन्नसत प्राद्ऱ होती हं ।
ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से ऩयभ ऩद की उऩयंि रुद्राऺं को धायण कयने वारे भनुष्म को बूत,
प्रासद्ऱ होती हं । प्रत, त्रऩशाि, डादकनी, शादकनी आदद का बम नहीॊ यहता।
ितुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से शसन ग्रह से रुद्राऺ धायण कयता भनुष्म ऩय दे वी-दे वता शीघ्र प्रसन्न
सॊफॊसधत अशुब प्रबाव की शाॊसत होती हं । होते हं । व भनुष्म की सभस्त काभनाएॊ ऩूणा होती हं ।
ितुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शिु व दष्ट
ु ं का
नाश होता हं ।
त्रवशेष मॊि
हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-िाॊदद-ताम्फे भं आऩकी आवश्मिा के अनुशाय दकसी
बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी आवश्मक दडजाईन के अनुशाय २२ गेज शुद्च ताम्फे भं
अखॊदडत फनाने की त्रवशेष सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं । असधक जानकायी के सरए कामाारम भं सॊऩका
कयं ।
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21 ददसम्फय 2011
जानकायं के भतानुशाय रुद्राऺ का काढ़ा अनेक योगं का सेवन कयं उदय व्मासध से शीघ्र भुत्रि सभरने
को दयू कयने वारा, शयीय को सनयोगी यखने भं रगती हं ।
सहामक, यि के शुत्रद्च कयण हे तु उिभ होता हं । असनद्रा की सभस्मा हो, क्षजन्हं हय यात सोते सभम
रुद्राऺ का काढ़े भं शहद सभराकय दो से तीन ग्राभ नीॊद की गोरी(Sleeping pills) रेसन ऩडती हो। उनके
की भािा भं प्रात्कार सेवन कयने से साॊस से सरए याभफाण हं रुद्राऺ की भारा, भारा को सोते
सॊफॊसधत फीभारयमाॊ औय यित्रऩि की सभस्मा भं सभम तदकए के नीिे यखने से असनद्रा की सभस्मा
राबदामक होता हं । दयू होती हं । नीॊद शीघ्र आती हं व नीॊद की गोसरमाॊ
उच्ि यििाऩ मा सनम्न यििाऩ को सनमॊत्रित कयने रेने की आदत से भुत्रि सभरती हं ।
के सरए। रुद्राऺ के दस दाने ताम्फं के फतान भं 50 खाॊसी होने ऩय 10 भुखी रुद्राऺ को दध
ू के साथ
ग्राभ जर भं सबगोकय प्रात्कार सनमसभत रुऩ से सघसकय ददन भं 3 फाय सेवन कयने से खाॊसी से जल्द
सेवन कयने से शीघ्र राब प्राद्ऱ होता हं । याहत सभरने रगती हं ।
उच्ि यििाऩ की सभस्मा होने ऩय रुद्राऺ की भारा क्षजन्हं गुस्सा असधक आता हो, अनावश्मक गुस्सा
धायण कयना राबदामक होता हं । रुद्राऺ की भारा आता हो, स्वबाव भं सििसिडा ऩनयहता हो, उन्हं
योगी के रृदम से रगी यहनी िादहए। रुद्राऺ की भारा धायण कयने से गुस्से ऩय सनमॊिण
जोिं के ददा औय फदन ददा की सभस्मा हो, तो रुद्राऺ यखने भं सहामता प्राद्ऱ होती हं ।
के दानो को सतर के तेर भं 21 तक डू फाकय यखे, मदद फच्िा यात भं डय जाता हो मा यात भं िौक कय
दपय शयीय के क्षजस दहस्से भं ददा हो उस स्थान ऩय उठ जाते हो उसे रुद्राऺ ऩहनाने से राबप्राद्ऱ होता है ।
धीये -धीये सनमसभत भरने से ददा से छूटकाया सभरने ऩाॊि भुखी रुद्राऺ को िॊदन की तयह घीस कय उसका
रगता हं । सतरक कयने से व्मत्रि क्षजससे बी फात कयता हं उस
उदय से सॊफॊसधत व्मासध होने ऩय एक सगरास ऩानी भं ऩय अऩना प्रबाव अवश्म छोडता हं ।
रुद्राऺ के ऩाॊि दाने सबगं दं , सनमसभत सुफह उस जर
स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
रग्न के अनुसाय रुद्राऺ धायण
प्रकृ सत ने हभं यत्न के रुऩ भं एक अनुऩभ उऩहाय ददमा हं । मदह कायण हं की ऩुयातन कार से ही ग्रह दोष के
सनवायण के सरए, अऩने त्रवसबन्न उद्ङे श्म औय भनोकाभनाओॊ की ऩूसता के सरए व त्रवसबन्न सभस्माओॊ के सनवायण के
सरए ज्मोसतष के जानकाय यत्न धायण कयने की सराह दे ते है ।
ज्मोसतष के जानकायं का भत हं की शुद्च व उच्ि गुणविा वारे यत्न धायण कयना परदामी होता हं । अन्मथा
न्मूनतभ गुणविा वारे यत्न धायण कयना मा उऩमोग कयना नुकसानदे ह बी हो सकता है । एक उिभ गुणविा वारे यत्न
को धायण कयने के सरए अत्मासधक अथा खिा कयना ऩि सकता हं जो एक साभान्म व्मत्रि की ऩहंि से फहाय हो
सकता हं । क्यमोदक आजके आधुसनक मुग भं शुद्च एवॊ दोषभुि यत्न फहुत कीभती हो गए हं ।
इस सरए त्रवद्रानो का भत हं की उिभ यत्न के फदरे भं रुद्राऺ धायण कयना एक सयर एवॊ दकपामती उऩाम ससद्च हो
सकता हं ।
रुद्राऺ धायण कयना त्रवशेष रुऩ से नऺि एवॊ यासश के अनुशाय राबकायी रुद्राऺ
राबप्रद ही होता हं क्यमोदक रुद्राऺ धायण ग्रह नऺि यासश राबकायी रुद्राऺ
कयने से कोई नुकसान नहीॊ होता हं ।
सूमा कृ सतका-उियापाल्गुनी-उियाषाढ़ा ससॊह 1 भुखी, 12 भुखी
ज्मोसतष भं कुॊडरी भं त्रिकोण बाव
िॊद्र योदहक्षण-हस्त-श्रवण कका 2 भुखी, गौयी-शॊकय
(रग्न, ऩॊिभ एवॊ नवभ) को सवाासधक
भॊगर भृगसशया-सििा-धसनष्ठा भेष-वृक्षिक 3 भुखी
फरशारी भाना गमा है ।
जन्भ कुॊडरी भं फुध अश्लेषा-जेष्ठा-ये वसत सभथुन-कन्मा 4 भुखी
रग्न बाव जातक का जीवन, आमुष्म गुरु ऩुनवासु-त्रवशाखा-ऩूवााबाद्रऩद धनु-भीन 5 भुखी
एवॊ आयोग्म को दशााता हं । शुक्र बयणी-ऩूवाापाल्गुनी-ऩूवााषाढ़ वृषब-तुरा 6 भुखी, 13 भुखी
ऩॊिभ बाव जातक के फर, फुत्रद्च,
शसन ऩुष्म-अनुयाधा-उियाबाद्रऩद भकय-कुॊब 7 भुखी, 14 भुखी
त्रवद्या एवॊ प्रससत्रद्च को दशााता हं ।
याहु आद्रा-स्वासत-शतसबषा - 8 भुखी
नवभ बाव जातक के बाग्म एवॊ धभा
कामं को दशााता हं । केतु अक्षश्वनी-भघा-भूर - 9 भुखी
अत् रग्नेश फरशारी होने ऩय सदा नवग्रहं के दोष सनवायण हे तु 10 भुखी, 11 भुखी
शुबपर प्राद्ऱ होता है । मह स्वास्थ्म,
प्राणशत्रि, कामा भं ससत्रद्च तथा कुशरता प्रदान कयने भं सहामक होता हं ।
रग्नेश फरशारी होने ऩय जीवन के अन्म ऺेिं भं बी सहामता प्राद्ऱ होती है ।
ऩॊिभेश फरशारी होने ऩय ऩुण्ड्म परं की प्राद्ऱ होते हं । मह सृजनात्भक शत्रि तथा सॊतान के सरए बी शुबकायी
होता है ।
नवभेश फरशारी होने ऩय बाग्म भं शुबपरं की प्रासद्ऱ होती हं ।
24 ददसम्फय 2011
इस सरए रग्न के अनुसाय जन्भ कुॊडरी भं त्रिकोण बाव के स्वाभी ग्रह का रुद्राऺ धायण कयना सवाासधक राबप्रद ससद्च
होता हं । आऩके भागादशान के सरए महाॊ रग्न के अनुशाय कौन सा रुद्राऺ आऩके सरए उऩमुि यहे गा वहॊ दशाामा गमा
हं ।
जन्भ रग्न से रुद्राऺ िमन
रग्न राबकायी ग्रह राबकायी रुद्राऺ
भेष भॊगर+सूम+
ा गुरु 3 भुखी + 1 भुखी मा 12 भुखी + 5 भुखी
वृषब शुक्र+फुध+शसन 6 भुखी मा 13 भुखी + 4 भुखी + 7 भुखी मा 14 भुखी
सभथुन फुध+शुक्र+शसन 4 भुखी + 6 भुखी मा 13 भुखी + 7 भुखी मा 14 भुखी
कका िॊद्र+भॊगर+गुरु 2 भुखी + 3 भुखी + 5 भुखी
ससॊह सूम+
ा गुरु+भॊगर 1 भुखी मा 12 भुखी + 5 भुखी + 3 भुखी
कन्मा फुध+शसन+शुक्र 4 भुखी + 7 भुखी मा 14 भुखी+ 6 भुखी मा 13 भुखी
तुरा शुक्र+शसन+फुध 6 भुखी मा 13 भुखी+ 7 भुखी मा 14 भुखी+4 भुखी
वृक्षिक भॊगर+गुरु+िॊद्र 3 भुखी + 5 भुखी + 2 भुखी
धनु गुरु+भॊगर+सूमा 5 भुखी + 3 भुखी + 1 भुखी मा 12 भुखी
भकय शसन+शुक्र+फुध 7 भुखी मा 14 भुखी+ 6 भुखी मा 13 भुखी+ 4 भुखी
कुॊब शसन+फुध+शुक्र 7 भुखी मा 14 भुखी+ 4 भुखी + 6 भुखी मा 13 भुखी
भीन गुरु+िॊद्र+भॊगर 5 भुखी + 2 भुखी +3 भुखी
उऩयोि सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्च ऩूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवॊ िैतन्म मुि दकमे
जाते हं । क्षजसे स्थाऩीत कय त्रफना दकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं ।
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25 ददसम्फय 2011
िाटा डा एकाउन्टं ट एवॊ सॊस्था प्रभुख आदद कामा से जुडे गक्षणतऻ से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगो को 3 भुखी
रोगो 4 भुखी + 6 भुखी + 8 भुखी + 12 भुखी + 4 भुखी + 7 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। िादहए।
ऩुसरस त्रवबाग से जुडे रोगो को 9 भुखी + 13 भुखी इसतहास से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगो को को 4
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। भुखी + 7 भुखी + 11 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ
सिदकत्सक मा सिदकत्सा त्रवबाग से जुडे रोगो को 1 धायण कयना िादहए।
भुखी + 7 भुखी + 8 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ बूगोर शास्र से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगो को 3
धायण कयना िादहए। भुखी + 4 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
शैल्म सिदकत्सा से जुडे रोगो को 10 भुखी + 12 िादहए।
भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। ठे केदायी के कामो से
नसा, औषध त्रवक्रेता, औषध जुडे रोगो को 11 भुखी +
सॊमोजक कामो से जुडे 13 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ
रोगो को 1 भुखी + 3 धायण कयना िादहए।
भुखी + 4 भुखी + 10 बूसभ-बवन इत्मादी क्रम-
भुखी रुद्राऺ धायण कयना त्रवक्रम कामो से जुडे रोगो को 1
िादहए। भुखी + 3 भुखी + 10 भुखी
भैकेसनकर कामो से जुडे रोगो को 10 भुखी + + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। िादहए।
ससत्रवर इॊ जीसनमय कामो से जुडे रोगो 8 भुखी + 14 दक
ु ानदाय को 10 भुखी + 13 भुखी
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
इरेक्षक्यिकर इॊ जीसनमय से जुडे रोगो को 7 भुखी + 11 उद्योगऩसत को 12 भुखी + 14 भुखी
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
कॊप्मूटय सॉफ्टवेमय इॊ जीसनमय से जुडे रोगो को 1 होटे र, ये स्टोयं ट के कामो से जुडे रोगं को 1 भुखी +
भुखी + 14 भुखी + गौयी शॊकय रुद्राऺ धायण कयना 13 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
िादहए। ऩामरट एवॊ वामुसेवा के कामो से जुडे रोगं को 1
कॊप्मूटय हाडा वेमय इॊ जीसनमय से जुडे रोगो को 1 भुखी भुखी + 10 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
+ 9 भुखी + 12 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। िादहए।
सशऺण कामो से जुडे रोगो को 4 भुखी + 6 भुखी + जरमान से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगं को 2 भुखी
14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। + 8 भुखी + 12 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
27 ददसम्फय 2011
वाहन िारक व सॊिारन के कामो से जुडे रोगं को 7 सौन्दमा प्रसाधन साभग्री से सॊफॊसधत कामो से जुडे
भुखी + 10 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। रोगं को 4 भुखी + 6 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ
भाकेदटॊ ग व पामनान्स के कामो से जुडे रोगं को 9 धायण कयना िादहए।
भुखी + 12 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना त्रफजरी त्रवबाग के कभािायी, उऩकयण त्रवक्रेता आदद से
िादहए। जुडे रोगं को 1 भुखी + 3 भुखी + 9 भुखी + 11
सॊगीत कामं से जुडे रोगं को 9 भुखी + 13 भुखी भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। रकडी़ सभस्त्री, त्रवक्रेता मा से सॊफॊसधत कमो से जुडे
रेखन मा प्रकाशन के कामो से जुडे रोगं को 1 भुखी रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 6 भुखी + 11 भुखी
+ 4 भुखी + 8 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ धायण रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
कयना िादहए। ज्मोसतषी से सॊफॊसधत कमो से जुडे
अखफाय, ऩुस्तक आदद त्रवक्रम से जुडे रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 11 भुखी
रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 9 + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना
भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
िादहए। ऩूजा-ऩाठ आदद धासभाक
दाशासनक कामो से जुडे रोगं को कभा-काॊि से जुडे रोगं को 1
7 भुखी + 11 भुखी + 14 भुखी भुखी + 9 भुखी + 11 भुखी रुद्राऺ
रुद्राऺ धायण कयना िादहए। धायण कयना िादहए।
ससनेभाघय के भासरक, दपल्भ त्रवतयण से जुडे गुद्ऱिय से सॊफॊसधत कमो से जुडे
रोगं को 1 भुखी + 4 भुखी + 6 भुखी + रोगं को 3 भुखी + 4 भुखी + 9 भुखी +
11 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। 11 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
ऩेमजर ऩदाथा से सॊफॊसधत कामो से जुडे रोगं को 2 जीवन के सबी ऺेिं भं सपरता के सरए कोई बी
भुखी+ 4 भुखी+ 12भुखी रुद्राऺ धायण कयना िादहए। व्मत्रि 1 भुखी + 11 भुखी + 14 भुखी रुद्राऺ धायण
वस्त्र त्रवक्रेता को 2 भुखी + 4 भुखी + 14 भुखी कयके राब उठा सकता हं ।
रुद्राऺ धायण कयना िादहए।
स्पदटक श्रीमॊि
सिॊतन जोशी
आज के बौसतक मुग भं अथा (धन) जीवन दक भुख्म आवश्मिाओॊ भं से एक है । धनाढ्म व्मत्रिओॊ जीवनशैरी को
दे खकय प्रबात्रवत होते हुवे साधायण व्मदक दक बी काभना होती हं , दक उसके ऩास बी इतना धन हो दक वह अऩने
जीवन भं सभस्त बौसतक सुखो को बोग ने भं सभथा हं। एसी क्षस्थभं भेहनत, ऩरयश्रभ से कभाई कयके धन अक्षजत
ा
कयने के फजाम कुछ रोग अल्ऩ सभम भं ज्मादा कभाने दक भानससकता के कायण कबी-कबी गरत तयीकं अऩनाते हं ।
क्षजसके पर स्वरुऩ एसे रोग धन का वास्तत्रवक सुख बोगने से वॊसित यह जाते हं औय योग, तनाव, भानससक
अशाॊसत जेसी अन्म सभस्माओॊ से ग्रस्त हो जाते हं ।
जहाॊ गरत तयीकं से कभामे हुवे धन के कायण सभाज एसे रोगो को
हीन बाव से दे खते हं । जफदक भेहनत, ऩरयश्रभ से काभामे हुवे धन से स्वमॊ
का आत्भत्रवश्वास फढता हं एवॊ सभाज भं प्रसतष्ठा औय भान सम्भान बी
सयरता से प्राद्ऱ हो जाता हं ।
जो व्मत्रि धासभाक त्रविाय धायाओॊ से जुडे हो वह इश्वय भं त्रवश्वाय
यखते हुवे स्वमॊ दक भेहनत, ऩरयश्रभ के फर ऩय कभामे हुवे धन को दह
सच्िा सुख भानते हं । धभा भं आस्था एवॊ त्रवश्वास यखने वारे व्मत्रि के सरमे
भेहनत, ऩरयश्रभ कयने के उऩयाॊत अऩनी आसथाक क्षस्थभं उन्नसत एवॊ रक्ष्भी
को क्षस्थय कयने हे तु, श्री मॊि के ऩूजन का उऩाम अऩनाकय जीवन भं दकसी
बी सुख से वॊसित नहीॊ यह सकते, उन्हं अऩने जीवन भं कबी धन का अबाव
नहीॊ यहता। उनके सभस्त कामा सुिारु रुऩ से िरते हं । रक्ष्भी कृ ऩा प्रासद्ऱ के
सरए श्रीमॊि का सयर ऩूजन त्रवधान क्षजसे अऩना कय साधायण व्मत्रि त्रवशेष
राब प्राद्ऱ कय सकते हं । इस भं जया बी सॊशम नहीॊ हं ।
श्री मॊि
गुरुत्व कामाारम भं ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि "श्री मॊि" 500 ग्राभ, 750 ग्राभ, 1000 ग्राभ औय
1250 ग्राभ, 2250 ग्राभ साईज़ भं केवर सरसभटे ड स्टॉक उऩरब्ध हं । श्री मॊि के सॊफॊध भं असधक जानकायी के
सरए कामाारम भं सॊऩका कयं ।
GURUTVA KARYALAY
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29 ददसम्फय 2011
ऩानी के फतान भं यात बय रुद्राऺ यखने के फाद सुफह उस ऩानी को ऩीने से कई फीभारयमाॊ ठीक हो जाती हं ।
दकसी दस
ू ये व्मत्रि का धायण दकमा रुद्राऺ धायण नहीॊ कयना िादहए।
रुद्राऺ सोने, िाॉदी, ताॉफे भं फनवाकय धायण कयना िादहए।
रुद्राऺ को धागे भं बी धायण दकमा जा सकता है ।
त्रवद्रानो का भत हं की रुद्राऺ धायण कयने के 40 ददनं के बीतय ही व्मत्रित्व भं ऩरयवतान ददखाई दे ने रगते हं ।
जानकायं का भत हं दक रुद्राऺ धायण कयनेवारे व्मत्रि को फुढ़ाऩा दे य से आता हं ।
रुद्राऺ का भनोवाॊसछत राब प्राद्ऱ कयने हे तु उसे सभम-सभम ऩय साप-सपाई कयते यहे ।
मदद रुद्राऺ शुष्क हो जाए तो उसे तेर भं कुछ सभम तक डु फाकय यखदं ।
मदद रुद्राऺ को दकसी धातु भं नहीॊ फनवाते हं तो उसे ऊनी मा ये शभी धागे भं बी धायण कय सकते हं ।
त्रवद्रानो के भतानुशाय ज्मादातय रुद्राऺ रार धागे भं धायण दकए जाते हं , रेदकन एक भुखी रुद्राऺ सपेद धागे
भं, सात भुखी रुद्राऺ को कारे धागे भं औय ग्मायह, फायह, तेयह भुखी रुद्राऺ तथा गौयी-शॊकय रुद्राऺ ऩीरे धागे
भं धायण कयना िादहए।
आॊखो से व्मत्रित्व
सिॊतन जोशी
आॊख भनुष्म के व्मत्रित्व का आईना हं । क्षजस्से व्मत्रि
स्माह कारी ऩुतसरमाॊ वारे व्मत्रि कठोयता, पुतॉ औय
प्रेभ, द्रे श, क्रोध, अहभ इत्मादद सबी प्रकाय के दोष-गुण
ताकत के स्वाभी होते हं ।
व्मत्रि दक आॊख ऩय प्रसत त्रफॊफ स्ऩष्ट स्वरुऩ से ददखाई दे ते
गाढे नीरे यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि त्रवश्वासु होते हं ।
हं । िाहे वह ऩुरुष हो स्त्री उसके सॊऩूणा िरयि का भाऩदॊ ड
हल्के नीरे यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि क्षस्थय
उसकी आॊख ऩय से सयरता से जान सकते हं ।
त्रविायशीर, धैमव
ा ान एवॊ भधुय स्वबाव के रेदकन थोडे
साभुदद्रक शास्त्र के अनुशाय आॊखे साधायणत् दो प्रकाय स्वाथॉ एवॊ कॊजूस स्वबाव के होते हं ।
दक होती हं फडी औय छोटी आॊख। हये यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि दयु ािायी, अत्रवश्वासी,
स्वाथॉ तथा त्रवश्वासघाती होते हं । ऩिमात सॊस्कृ सत भं
फडी आॊख:- फडी आॊख वारे व्मत्रि हय कामा को कयने हे तु
शैतान की आॊखं को हयी फतामा गमा है ।
आतुय, सदामक, ऩरयश्रभी, अऩना काभ सनकरने भे ितुय,
ऩीरे यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि िॊिर स्वबाव के होते
अऩनी मोजनाओ को शीघ्र अभर भं राने वारे उद्यभी
हं ।
होते हं ।
नायॊ गी यॊ ग की ऩुतरी वारे व्मत्रि ज्मादा बावुक
स्वबाव के होते हं ।
छोटी आॊख:- छोटी आॊख वारे व्मत्रि आरसी, भॊद गती से
त्रफल्री जेसी आॊख वारे व्मत्रि त्रफल्री जैसे ही धूता
कामा कयने वारे, दद्र स्वबावी, एसे व्मत्रि ऩय रोग सयरता
एवॊ अत्रवश्वासी होते हं ।
से त्रवश्वास नहीॊ कयते।
िॊिर द्रत्रष्ट वारे व्मत्रि रोबी, अनैसतक कामा भे सरद्ऱ,
सबऺुक मा कऩटी होते हं ।
आॊखो के त्रवत्रवध प्रकाय फगैय काभ के घूयकय दे खने वारे खमारो के घोडे
ज्मादा खुल्री औय िौडी आॊखो वारे व्मत्रि सनदोष दौडाने वारे, काभी, ठग त्रवद्या भे भादहय, फेवकूपी बये
एवॊ कठोय स्वबाव के होते हं , एसे व्मत्रि को अच्छे कामा कयने वारे होते हं ।
फुये का बेद कयने भे असधक सभम रगता हं । सतयछी सनगाह से दे खने वारे व्मत्रि सनष्ठु य, क्रूय
रॊफी आॊखो वारे व्मत्रि ज्मादा िाराक, कामा कूशर, भानससकता वारे एवॊ झगडारू प्रवृसत वारे होते हं ।
थोडे स्वाथॉ, कऩट यखने वारे सभझते हं ।
रॊफी एवॊ ऩतरी आॊखो वारे व्मत्रि स्वबाव से कऩटी,
क्षजस व्मत्रि दक आॊखं के डोये आगे दक औय असधक
दष्ट
ु एवॊ अती रोबी होते हं ।
उबये हो तो एसा व्मत्रि ऻानी व त्रवद्या प्रेभी होती हं ।
फदाभ जेसी आॊखो वारे व्मत्रि अत्रवश्वासी होने से
क्षजस व्मत्रि दक आॊखे ज्मादा फडी होती हं वह व्मत्रि
सवादा अऩने ही स्वाथा साधने हे तु प्रमास यत यहते हं ।
हय सभम सिा वैबव, सुख ऐश्वमा एवॊ बोगत्रवरास भं
गोर आॊखो वारे व्मत्रि ज्मादा बावुक, हय सभम नमा
सरद्ऱ ये हने वारे होते हं
कामा कयने हे तु असधक उत्साही होते हं ।
क्षजस व्मत्रि दक आॊखे ज्मादा छोटी होती हं वह व्मत्रि
आॊखो के यॊ ग
क्षखरािी होते हं ।
33 ददसम्फय 2011
क्षजस व्मत्रि दक आॊखे असधक अॊदाय हो वह व्मत्रि क्षजस व्मत्रि दक ऩरके फडी होते हं वह व्मत्रि त्रवद्रान,
डयऩोक, काभ से दयू यहने वारा, सनन्दक स्वबाव का त्रविायो भे त्रवियण कयने वारे तथा साधु स्वबाव वारे
होता हं । होते हं ।
क्षजस व्मत्रि दक ऩरके छोटी हो वह व्मत्रि स्वस्थ,
ऩरक औय बौहं
रारिी, बोजन प्रेभी व फेिन
ै स्वबाव के होते हं ।
जो व्मत्रि जल्दी-जल्दी ऩरकं झऩकता है वह शेखी
क्षजस व्मत्रि दक बौहे के फार कभ हो वह व्मत्रि
भायने वारभ, झूठे तथा स्वप्न रोक भे यहने वार
डयऩोक होते हं ।
होता है ।
क्षजस व्मत्रि दक बौहे के असधक हो वह व्मत्रि धनी,
जो व्मत्रि असधक दे य से ऩरकं नहीॊ झऩकाता वह
सनडय होता हं ।
व्मत्रि सुस्त रेदकन त्रविायवान होता हं ।
क्षजस व्मत्रि दक बौहे हल्के यॊ ग की होती हं वह
आकषाक स्वबाव के होते हं ।
1. भहाकार- सशव के दस प्रभुख अवतायं भं ऩहरा अवताय भहाकार नाभ से त्रवख्मात हं । बगवान सशव का भहाकार स्वरुऩ
अऩने बिं को बोग औय भोऺ प्रदान कयने वारा ऩयभ कल्माणी हं । इस अवताय की शत्रि भाॊ भहाकारी भानी जाती हं ।
त्रवद्रानो के भत से उि सशव के सबी प्रभुख अवताय व्मत्रि को सुख, सभृत्रद्च, बोग, भोऺ प्रदान कयने
वारे एवॊ व्मत्रि की यऺा कयने वारे हं ।
35 ददसम्फय 2011
बगवान श्रीकृ ष्ण की यासरीरा वारी तस्वीय को बवन भं ऩूवा ददशा की औय रगाने से ऩरयवाय के सदस्मो भं
सनस्वाथा प्रेभ फढता हं ।
बगवान के भहर भं श्रीकृ ष्ण औय सुदाभा के सभरन को दशााने वारी तस्वीय
रगाने से इष्ट सभिं भं आऩसी स्नेह फढता हं व सहमोग प्राद्ऱ होता हं ।
बगवान श्रीकृ ष्ण की प्रसन्न भुद्रा वारी तस्वीय रगाने से नकायात्भक
उजाा दयू होती हं औय सकायात्भक ऊजाा का सॊिाय होता हं ।
अऩने बवन भं फारगोऩार की भक्यखन खाते दशाामा गमा सिि रगान
असत शुब भानाजाता हं ।
भहाबायत के मुद्च को दशााने वारी तस्वीय अऩने बवन भं रगाना
वक्षजान भाना गमा हं दपय िाहे उस सिि भं श्रीकृ ष्ण क्यमो न हं ऎसी
तस्वीये रगाना वक्षजात हं क्यमोकी इससे घयभं अशाॊसत व भानससक
तनाव की वृत्रद्च होती हं ।
जो रोग करा के ऺेि जैसे सॊगीत, असबनम आदी से जुडे हं उनके
सरमे श्रीकृ ष्ण की फॊसी फजाती तस्वीय रगाना असतशुब होता हं ।
जो रोग दध
ू , दही, सभठाई आदद उत्ऩाद मा त्रफक्री के कामो से जुडे हं उनके
सरमे गाम के साथ खडे श्रीकृ ष्ण की तस्वीय मा भख्खन सनकारते मशोदा के
साथ फारगोऩार की तस्वीय रगाना असतशुब होता हं ।
क्षजन रोगो की जन्भ कुॊडरी भं कारसऩा दोष हो उनके सरमे शेषनाग ऩय खडे
श्रीकृ ष्ण की तस्वीय रगाना असतशुब होता हं ।
क्षजन रोगो को व्मवसाम भं राब के स्थान ऩय घाटा हो यहा हं उन्हं ऩीताॊफय वस्त्र धायण दकमे श्रीकृ ष्ण का सिि
रगाना िादहमे।
जो रोग सशऺण के कामो से जुडे हं उनके सरमे बगवान श्रीकृ ष्ण की अजुन
ा को उऩदे श दे ती हुई तस्वीय रगाना
शुब होता हं ।
नोट: धभाशास्त्रो के जानकायो के भत से अऩने शमन कऺ भं ऩूजा स्थर यखना मा अन्म दे वी-दे वताओॊ की तस्वीय
रगाना वक्षजात हं । रेदकन याधा-कृ ष्ण का सिि रगामा जासकता हं ।
सबी प्रकाय के सुख प्राद्ऱ कय सकता हं । त्रवशेष राब प्रद होता हं । क्षजस प्रकाय याभामण एक
भनोकाभना की ऩूसता हे तु कौन सी हनुभान प्रसतभा आदशा ग्रॊथ हं उसी प्रकाय हनुभानजी के याभामणी स्वरुऩ का
का ऩूजर कयना राबप्रद ऩूजन त्रवद्या अर्धमन से जुडे रोगो के सरमे राबप्रद होता हं ।
वीयहनुभान स्वरुऩ: वीयहनुभान स्वरुऩ भं हनुभानजी दे व प्रसतभा शुब परदामक व भॊगरभम, सकर सम्ऩत्रि प्राद्ऱ
मोद्चा भुद्राभं होते हं । उनकी ऩूॊछ उक्षत्थत (उऩय उदठउई) होती हं । सकर सम्ऩत्रि की प्रासद्ऱ होती है ।
यहती है व दादहना हाथ भस्तककी ओय भुडा यहता है । कबी- हनुभानजी का दक्षऺणभुखी स्वरुऩ: दक्षऺणभुखी
कबी उनके ऩैयं के नीिे याऺसकी भूसता बी होती है । हनुभानजी की उऩासना कयने से व्मत्रि को बम, सॊकट,
वीयहनुभान का ऩूजन बूता-प्रेत, जाद-ू टोना इत्मादद आसुयी भानससक सिॊता इत्मादी का नाश होता हं । क्यमोदक शास्त्रो के
शत्रिमो से प्राद्ऱ होने वारे कष्टो को दयू कयने वारा हं । अनुशाय दक्षऺण ददशा भं कार का सनवास होता हं । सशवजी
कार को सनमॊिण कयने वारे दे व हं हनुभानजी बगवान सशव
याभ सेवक हनुभान स्वरुऩ: हनुभानजी की श्री याभजी की
के अवताय हं अत् हनुभानजी की ऩूजा-अिाना कयने से राब
सेवाभं रीन हनुभानजी की उऩासना कयने से व्मत्रि के सबतय
प्राद्ऱ होता हं । जाद-ू टोना, भॊि-तॊि इत्मादद प्रमोग दक्षऺणभुखी
सेवा औय सभऩाण के बाव की वृत्रद्च होती हं । व्मत्रि के सबतय
हनुभान की प्रसतभा के सभुख कयना त्रवशेष राबप्रद होता हं ।
धभा, कभा इत्मादद के प्रसत सभऩाण औय सेवा की बावना
दक्षऺणभुखी हनुभान का सिि दक्षऺण भुखी बवन के भुख्म
सनभााण कयने हे तु व व्मत्रि के सबतय से क्रोघ, इषाा अहॊ काय
इत्मादद बाव के नाश हे तु याभ सेवक हनुभान स्वरुऩ उिभ द्राय ऩय रगाने से वास्तु दोष दयु होते दे खे गमे हं । जाद-ू टोना,
की उऩासना कयने से सबी प्रकाय के सुख प्राद्ऱ होकय जीवन ऩूजन कयने से व्मत्रि के सभस्त बम, शोक, शिुओॊ का नाश
धन, सॊऩत्रि से मुि हो जाता हं । क्यमोदक शास्त्रो के अनुशाय हो जाता है ।
उिय ददशा भं दे वी दे वताओॊ का वास होता हं , अत् उियभुखी
दक्षऺणावसता शॊख
आकाय रॊफाई भं पाईन सुऩय पाईन स्ऩेशर आकाय रॊफाई भं पाईन सुऩय पाईन स्ऩेशर
0.5" ईंि 180 230 280 4" to 4.5" ईंि 730 910 1050
1" to 1.5" ईंि 280 370 460 5" to 5.5" ईंि 1050 1250 1450
2" to 2.5" ईंि 370 460 640 6" to 6.5" ईंि 1250 1450 1900
3" to 3.5" ईंि 460 550 820 7" to 7.5" ईंि 1550 1850 2100
हभाये महाॊ फिे आकाय के दकभती व भहॊ गे शॊख जो आधा रीटय ऩानी औय 1 रीटय ऩानी सभाने की ऺभता वारे
होते हं । आऩके अनुरुध ऩय उऩरब्ध कयाएॊ जा सकते हं ।
स्ऩेशर गुणविा वारा दक्षऺणावसता शॊख ऩूयी तयह से सपेद यॊ ग का होता हं ।
सुऩय पाईन गुणविा वारा दक्षऺणावसता शॊख पीके सपेद यॊ ग का होता हं ।
पाईन गुणविा वारा दक्षऺणावसता शॊख दं यॊ ग का होता हं ।
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39 ददसम्फय 2011
हनुभानजी का एकभुखी,ऩॊिभुखीऔय एकादश भुखीस्वरूऩ के साथ हनुभानजी का फार हनुभान, बि हनुभान, वीय
हनुभान, दास हनुभान, मोगी हनुभान आदद प्रससद्च है । दकॊतु शास्त्रं भं श्री हनुभान के ऐसे िभत्कारयक स्वरूऩ औय िरयि
की बत्रि का भहत्व फतामा गमा है , क्षजससे बि को फेजोि शत्रिमाॊ प्राद्ऱ होती है । श्री हनुभान का मह रूऩ है - ऩॊिभुखी
हनुभान।
भान्मता के अनुशाय ऩॊिभुखीहनुभान का अवताय बिं का कल्माण कयने के सरए हुवा हं । हनुभान के ऩाॊि भुख
क्रभश:ऩूव,ा ऩक्षिभ, उिय, दक्षऺण औय ऊधर्धव ददशा भं प्रसतत्रष्ठत हं ।
ऩॊिभुखीहनुभानजी का अवताय भागाशीषा कृ ष्णाष्टभी को भाना जाता हं । रुद्र के अवताय हनुभान ऊजाा के प्रतीक भाने
जाते हं । इसकी आयाधना से फर, कीसता, आयोग्म औय सनबॉकता फढती है ।
याभामण के अनुसाय श्री हनुभान का त्रवयाट स्वरूऩ ऩाॊि भुख ऩाॊि ददशाओॊ भं हं । हय रूऩ एक भुख वारा, त्रिनेिधायी
मासन तीन आॊखं औय दो बुजाओॊ वारा है । मह ऩाॊि भुख नयससॊह, गरुड, अश्व, वानय औय वयाह रूऩ है । हनुभान के ऩाॊि
भुख क्रभश:ऩूव,ा ऩक्षिभ, उिय, दक्षऺण औय ऊधर्धव ददशा भं प्रसतत्रष्ठत भाने गएॊ हं ।
ऩॊिभुख हनुभान के ऩूवा की ओय का भुख वानय का हं । क्षजसकी प्रबा कयोडं सूमो के तेज सभान हं । ऩूवा भुख वारे
हनुभान का ऩूजन कयने से सभस्त शिुओॊ का नाश हो जाता है ।
ऩक्षिभ ददशा वारा भुख गरुड का हं । जो बत्रिप्रद, सॊकट, त्रवघ्नन-फाधा सनवायक भाने जाते हं । गरुड की तयह हनुभानजी
बी अजय-अभय भाने जाते हं ।
हनुभानजी का उिय की ओय भुख शूकय का है । इनकी आयाधना कयने से अऩाय धन-सम्ऩत्रि,ऐश्वमा, मश, ददधाामु प्रदान
कयने वार व उिभ स्वास्थ्म दे ने भं सभथा हं । है ।
हनुभानजी का दक्षऺणभुखी स्वरूऩ बगवान नृससॊह का है । जो बिं के बम, सिॊता, ऩये शानी को दयू कयता हं ।
श्री हनुभान का ऊधर्धवभुख घोडे के सभान हं । हनुभानजी का मह स्वरुऩ ब्रह्मा जी की प्राथाना ऩय प्रकट हुआ था। भान्मता
है दक हमग्रीवदै त्म का सॊहाय कयने के सरए वे अवतरयत हुए। कष्ट भं ऩडे बिं को वे शयण दे ते हं । ऐसे ऩाॊि भुॊह वारे
रुद्र कहराने वारे हनुभान फडे कृ ऩारु औय दमारु हं ।
41 ददसम्फय 2011
त्रवद्रानो के भत से ऩॊिभुखी हनुभानजी की उऩासना से जाने -अनजाने दकए गए सबी फुये कभा एवॊ सिॊतन के दोषं से
भुत्रि प्रदान कयने वारा हं ।
ऩाॊि भुख वारे हनुभानजी की प्रसतभा धासभाक औय तॊि शास्त्रं भं बी फहुत ही िभत्कारयक परदामी भानी गई है ।
हनुभान फाहुक की यिना सॊत गोस्वाभी तुरसीदासजी ने अऩीन दादहनी फाहु भं हुई असह्य ऩीिा के सनवायण के सरए की
थी। हनुभान फाहुक भं तुरसीदासजी ने हनुभानजी की भदहभा का सिॊतन व तुरसीदासजी के सवाअॊगो भं हो यही ऩीिा
की सनवृसत की प्राथाना है ।
हनुभान फाहुक ससद्च सॊत गोस्वाभी तुरसीदासजी के द्राया त्रवयसित ससद्च स्तोि है ।
हनुभान फाहुक का ऩाठ दकसी बी प्रकाय की आसध–व्मासध जेसी ऩीिा, बूत, ऩेत, त्रऩशाि, जेसी उऩासध तथा दकसी बी
प्रकाय के शिु द्राया दकमे हुए दष्ट
ु सबिाय कभा की सनवृसत के सरए हनुभान फाहुक का सनमसभत ऩाठ तथा अनुष्ठान श्रेष्ठ
उऩाम हं । अनुष्ठान के सभम एकाहाय अथवा पराहाय कये । ऩूणा ब्रह्मिमा आदद का ऩारन औय बूसभ शमन कयं ।
हनुभानजी का ऩूजन औय हनुभान फाहुक के ऩाठ का अनुष्ठान 40 ददन तक कयने से अबीष्ट पर की ससत्रद्च अथवा योग,
कष्ट इत्मादद का सनवायण हो जाता है ।
नोट: जो व्मत्रि अनुष्ठान कयने भं असभथा हो वह प्रसतददन हनुभान फाहुक का श्रद्चा अनुशाय ऩाठ कयके बी राब प्राद्ऱ कय
सकते हं ।
42 ददसम्फय 2011
गौ सेवा का भहत्व
सिॊतन जोशी, स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
बायतीम ऩयॊ ऩया के भत से गाम के शयीय भं ३३ कयोि दे वता
वास होता हं , एवॊ गौ-सेवा से एक ही साथ 33 कयोड दे वता प्रसन्न
होते हं ।
दहन्द ू सॊस्कृ सत क्षजस घय भं गाम भाता का सनवास कयती हं
एवॊ जहाॊ गौ सेवा होती है , उस घय से सभस्त ऩये शानीमाॊ कोसं दयू
यहती हं । बायतीम सॊस्कृ सत भं गाम को भाता का सॊम्भान ददम जाता हं
इस सरमे उसे गौ-भाता केहते है ।
गाम प्राद्ऱ गाम का दध
ू , दध
ू ही नहीॊ अभृत तुल्म हं । गाम से प्राद्ऱ दध
ू ,
घी, भक्यखन से भानव शयीय ऩुष्ट फनता हं । एवॊ गाम का गोफय िुल्हं , हवन
इत्मादद भे उप्मुि होता हं औय महाॊ तक की उसका भूि बी त्रवसबन्न दवाइमाॊ
फनाने के काभ आता हं ।
गाम के भूि भं कंसय, टीवी जैसे गॊबीय योगं से रिने की ऺभता होती हं , क्षजसे वैऻासनक बी भान िुके हं ।
गौ-भूि के सेवन कयने से ऩेट के सबी त्रवकाय दयू होते हं ।
ज्मोसतष शास्त्र भे बी नव ग्रहो के अशुब प्रबाव से भुत्रि के सरमे गाम को त्रवसबन्न प्रकाय के अन्न का वणान
दकमा गमा हं ।
मदद फच्िे को फिऩन से गाम के दध
ू त्रऩरामा जाए तो फच्िे की फुत्रद्च कुशाग्र होती हं ।
गाम के गोफय को आॊगन सरऩने एवॊ भॊगर कामो भे सरमा जाता हं ।
गोफय, गौ भूि, गौ-दही, गौ-दध
ू , गौधृत मे ऩॊिगव्म हं ।
गाम की सेवा से बगवान सशव बी प्रसन्न होते हं ।
वास्तुशास्त्र के सबी प्रभुख ग्रॊथो भं बवन सनभााण से ऩूवा गाम को ताजे जन्भे फछडे के साथ भं फाधने ऩय त्रवशेष
जोय ददमा गमा हं ।
मदद गाम को प्रसव से ऩूवा फाॊधना औय बी उिभ होता हं एसी भान्मता प्रिरन भं हं , क्यमोदक गाम के बीतय
प्रसव के फादभं जो भभता का बाव होता हं वह अतुल्म होता हं क्षजसे शब्दं भं फमा कयना सॊबव नहीॊ हं , एसे भं मदद
उस बूसभ ऩय उस गाम की सेवा की जामे तो गाम के बीतय से जो बाव सनकरते हं वह उस बूसभ ऩय फनने वारे बवन
भं सकायत्भन उजाा को फढाने हे तु सहामक होता हं । एवॊ सकायात्भक उजाावारे स्थान ऩय सनवास कयना असत उिभ
भानागमा हं ।
क्षजस घय भं सनमसभत गौ सेवा होती हं उस घय सं सवा प्रकाय की फाधाओॊ औय त्रवघ्ननं का स्वत् सनवायण होता
यहता हं ।
त्रवष्णु ऩुयाण भं उल्रेक्षखत हं जफ बगवान कृ ष्ण ऩूतना के दग्ु धऩान से डय गएथे तो नॊद दॊ ऩती ने गाम की ऩूॊछ
को घुभाकय कृ ष्ण की नजय उताय कय उनके बम का सनवायण दकमाथा।
हभाये प्रासिन ऩुयाणं भं उल्रेख दकमा गमा है दक कबी बी गाम को राॊघकय नहीॊ जाना िादहए।
दकसी बी भहत्व ऩूणा कामा के सरए जाते सभम गाम के यॊ बाने की र्धवसन कान भं ऩिना अत्मॊत शुबदामक होता
हं ।
सॊतान प्रासद्ऱ हे तु घय भं गाम की प्रसतददन सेवा सयने से राब प्राद्ऱ होता हं ।सशवऩुयाण एॊव स्कॊदऩुयाण भं वणान
दकमा गमा हं दक गो सेवा औय गोदान से व्मत्रि को असुयी शत्रि मा मभ का बम नहीॊ यहता।
गरुिऩुयाण औय ऩद्मऩुयाण भं उल्रेख हं , गाम के ऩैय की धूर सभस्त ऩाऩो का त्रवनाश कयने भे सभथा हं ।
44 ददसम्फय 2011
भारा का भहत्व
स्वक्षस्तक.ऎन.जोशी
हय साधक की इच्छा होती हं की जो साधना वह अऩने कामा उद्ङे श्म की ऩूसता के सरमे कय यहा हं उसका वह कामा
सयरता से शीघ्र सॊऩन्न जामे मा उसे अऩने द्राया दकमे गमे जाऩो का असधक से असधक प्रसतशत राब प्राद्ऱ हो।
श्वेत िॊदन- (सपेद िॊदन भारा) - रक्ष्भी एवॊ शुक्र ग्रह दक प्रसन्नता हे तु।
रुद्राऺ एवॊ स्पदटक की भारा सबी दे वी- दे ता की ऩूजा उऩासना भं प्रमोग दकमाजा सकता हं ।
45 ददसम्फय 2011
यत्रववाय का व्रत
यत्रववाय का व्रत सूमा ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । सूमा का व्रत कयने से हडीमा भजफूत होती
हं , ऩेट सॊफध
ॊ ी सबी योगो का त्रवनाश होता हं , आॊखो दक योशनी फढती हं , व्मत्रि का साहय एवॊ ऺभता भं
वृत्रद्च होकय उसका मश िायं औय फढता हं । यत्रववाय का व्रत कयने से सूमा के प्रबाव भं आने वारे सबी
व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
सोभवाय का व्रत
सोभवाय का व्रत िॊद्र ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । क्षजस्से व्मत्रिने पेपडे के योग, दभा,
भानससक योग से भुत्रि भरती हं ।
व्मत्रिनी िॊरता दयू होती हं , नशे दक रत छुडाने हे तु राब प्राद्ऱ होता हं , स्त्रीओॊ भं भाससक यि-स्त्राव दक
ऩीडा कभ होती हं । सोभवाय का व्रत सशव को त्रप्रम हं इस सरमे अत्रववादहत रडकीमो कं १६ सोभवाय का
व्रत कयने से उिभ वय दक प्रासद्ऱ होती हं । सोभवाय का व्रत कयने से िॊद्र के प्रबाव भं आने वारे सबी
व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
भॊगरवाय का व्रत
भॊगर का व्रत भॊगर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । क्षजस का व्मत्रि स्वबाव उग्र मा
दहॊ सात्भक, असधक गुस्से वारा हो उनके भॊगरवाय का व्रत कयने से भन शाॊत होता हं । भॊगरवाय का व्रत
गणऩतीजी, हनुभानजी को प्रसन्न कयने हे तु बी दकमा जाता हं । भॊगरवाय का व्रत कयने से बूत-प्रेत फाधा
दयू होती हं , व्मत्रि के सबी सॊकट दयू होजाते हं । अत्रववादहत रडको के व्रत कयने से
उसदक फुत्रद्च औय फर का त्रवकास होता हं । भॊगरवाय का व्रत कयने से भॊगर के प्रबाव भं आने वारे सबी
व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
46 ददसम्फय 2011
फुधवाय का व्रत
फुधवाय का व्रत फुध ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । फुधवाय का व्रत व्मवसाम कयने वारो हे तु
राबदामी होता हं । फुधवाय का व्रत गणेश जी एवॊ भाॊ दग
ु ाा दक कृ ऩा प्रासद्ऱ हे तु दकमा जाता हं । इस व्रत के
कयने से फुत्रद्चका त्रवकास होता हं , इस ददन व्रत के साथ दग
ु ाा सद्ऱशतीका ऩाठ कयने से भनोवाॊसछत पर दक
प्रासद्ऱ होती हं । फुधवाय का व्रत कयने से फुध के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब
प्राद्ऱ होता हं ।
गुरुवाय का व्रत
गुरुवाय का व्रत फृहस्ऩसत ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । गुरुवाय का व्रत कयने से धन - सॊऩत्रि
दक प्रासद्ऱ होती हं घय भं सुख-शाॊसत औय सभृत्रद्च फढती हं । रडकी के त्रववाह भं आयही फाधाएॊ दयू होती हं ।
गुरुवाय का व्रत कयने से फृहस्ऩसत के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता
हं ।
शुक्रवाय का व्रत
शुक्रवाय का व्रत शुक्र ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । शुक्रवाय का व्रत कयने से व्मत्रि के संदमा
भं वृत्रद्च होती हं , गुद्ऱ योगोभं राब होता हं , बोग-त्रवरास दक सिज वस्तु भं वृत्रद्च होती हं । शुक्रवाय का व्रत
कयने से शुक्र के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
शसनवाय का व्रत
शसनवाय का व्रत शसन ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु दकमा जाता हं । शसनवाय का व्रत कयने से सॊऩत्रि भं वृत्रद्च
होती हं , खोमा हुवा धन ऩून् प्राद्ऱ होता हं । सशऺा प्रासद्ऱ भं आयहे फाधा त्रवघ्नन दयू होते हं । ऩेटा औय ऩैय के
योग भं राब प्राद्ऱ होता हं , ऩूयाने योग बी सथक होजाते हं । शसनवाय का व्रत कयने से शसन के प्रबाव भं
आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।
इस प्रकाय ग्रहो के शुब प्राबाव से सनक्षिॊत राब प्राद्ऱ हो्ता हं इस भं जया बी सॊदेह नहीॊ हं , ऩूणा आस्था
एवॊ त्रवश्वास से दकमा गमा व्रत असधक प्रबाव शारी होते हं ।
गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उिभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी
प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उिभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोि विन हं । इस प्रकाय
के नवयत्न जदित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रष्ठत कयके फनावाए
जाते हं ।
असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।
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कवि के प्रभुख राब: सवा कामा ससत्रद्च कवि के द्राया सुख सभृत्रद्च औय नव ग्रहं के नकायात्भक प्रबाव को
शाॊत कय धायण कयता व्मत्रि के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ
उन्नसत प्रासद्ऱ होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससद्च होते हं । क्षजसे धायण कयने से व्मत्रि मदद
व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृत्रद्च होसत हं औय मदद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नसत होती हं ।
सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं सवाजन वशीकयण कवि के सभरे होने की वजह से धायण कयता
की फात का दस
ू ये व्मत्रिओ ऩय प्रबाव फना यहता हं ।
सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं अष्ट रक्ष्भी कवि के सभरे होने की वजह से व्मत्रि ऩय भाॊ भहा
सदा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं । क्षजस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आदद
रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम
रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।
सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं तॊि यऺा कवि के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू
होती हं , साथ ही नकायत्भन शत्रिमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्रि ऩय नहीॊ होता। इस
कवि के प्रबाव से इषाा-द्रे ष यखने वारे व्मत्रिओ द्राया होने वारे दष्ट
ु प्रबावो से यऺाहोती हं ।
सवा कामा ससत्रद्च कवि के साथ भं शिु त्रवजम कवि के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊसधत
सभस्त ऩये शासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं । कवि के प्रबाव से शिु धायण कताा
व्मत्रि का िाहकय कुछ नही त्रफगड सकते।
दकसी व्मत्रि त्रवशेष को सवा कामा ससत्रद्च कवि दे ने नही दे ना का अॊसतभ सनणाम हभाये ऩास सुयक्षऺत हं ।
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त्रवशेष मॊि
हं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि का ऩूजन एक सयर व सुरब भार्धमभ त्रवशेष शुब भुहुता भं सनभााण दकमा
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि ऩय अॊदकत शत्रिशारी त्रवशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ ब्राहभणं द्राया शुब भुहुता भं शास्त्रोि
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन व सनमसभत दशान के भार्धमभ से बगवान मुि कयके सनभााण दकमा जाता हं ।
श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राद्ऱ कय सभाज भं स्वमॊ का अदद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं । क्षजस के पर स्वरुऩ धायण कयता
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि अरौदकक ब्रह्माॊडीम उजाा का सॊिाय कयता हं , जो व्मत्रि को शीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ होता
एक प्राकृ त्रि भार्धमभ से व्मत्रि के बीतय सद्ङबावना, सभृत्रद्च, सपरता, उिभ हं । कवि को गरे भं धायण कयने
स्वास्थ्म, मोग औय र्धमान के सरमे एक शत्रिशारी भार्धमभ हं ! से वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता
श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन से व्मत्रि के साभाक्षजक भान-सम्भान व हं । गरे भं धायण कयने से कवि
त्रवद्रानो के भतानुशाय श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के भर्धमबाग ऩय र्धमान मोग व्मत्रि ऩय उसका राब असत तीव्र
कंदद्रत कयने से व्मत्रि दक िेतना शत्रि जाग्रत होकय शीघ्र उच्ि स्तय एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हं ।
जो ऩुरुषं औय भदहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना िाहते हं औय उन्हं अऩनी औय आकत्रषात कयना
िाहते हं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि उिभ उऩाम ससद्च हो सकता हं ।
ऩसत-ऩत्नी भं आऩसी प्रभ की वृत्रद्च औय सुखी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि राबदामी होता हं ।
भूल्म:- Rs. 550 से Rs. 8200 तक उप्रब्द्च
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55 ददसम्फय 2011
से धन राब होता हं व व्मत्रि का सवांगी त्रवकाय होकय उसे सुख-सभृत्रद्च, भानसम्भान की प्रासद्ऱ होती
हं । याभ यऺा मॊि सबी प्रकाय के अशुब प्रबाव को दयू कय व्मत्रि को जीवन की सबी प्रकाय की
हनुभानजी के बि हं उन्हं अऩने सनवास स्थान, व्मवसामीक स्थान ऩय याभ यऺा मॊि को अवश्म
स्थाऩीत कयना िादहमे क्षजससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो उनका जीवन सुखभम व्मतीत हो सके
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56 ददसम्फय 2011
भाससक यासश पर
सिॊतन जोशी
भेष: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : आऩके भहत्व ऩूणा कामो भं असतरयि सावधानी यखनी िादहमे अन्मथा कुछ कामो भं
नुक्यशान सकता है । उच्िासधकायी से सभस्मा हो सकती हं । ऩरयवाय भं दकसी सदस्म के
क्षजद्ङी स्वबाव के कायण आऩके ऩरयवाय भं भानससक अशाॊसत का भाहोर हो सकता है ।
सभिं ऩय अॊधात्रवश्वास कयने के कायण आऩके ऩरयवय भं त्रववाद फढ सकते है ।
16 से 31 ददसम्फय 2011 : अऩने नाभ औय प्रसतष्ठा कामभ यखने के सरमे आऩको ऩूणा
मोजनाफद्च तरयके से कामा कयना िादहमे। आऩकी भहत्व ऩूणा व्मवसासमक मािा स्थसगत हो
सकती। ऩारयवायीकीवॊ सभिो से रयश्तो भं सूझ-फूझ की कभी के कायण रयश्ते टू टने की क्षस्थसत
फन सकती हं । सावधान यहे । आऩके जीवन साथी का व्मवहाय आऩके प्रसत फेहद कठोय हो
सकता हं ।
वृषब: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : शिु एवॊ त्रवयोसध ऩऺ आऩकी ऩये शासनमाॊ फढा सकते है ।
आऩके कामा भं प्रगसत एवॊ ऩदोन्नसत भं आऩके उच्िासधकायी ऩये शानी ऩैदा कय सकते हं ।
क्षजस्से आऩकी कामा शैरी प्रबात्रवत हो सकती हं । आऩके स्वबाव असाभान्म कायणो से
थोडा सिडसिडा हो सकता हं । दाॊम्ऩत्म जीवन भं छोटे -भोटे झगशे आऩकी भानससक शाॊसत
बॊग कय सकते हं ।
सभथुन: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : प्रसतमोसगता के कामो भं ितुयता से शीघ्र राब प्राद्ऱ कयं गे। अऩने रुके हुए कामो को
कुशरता से ऩूया कयं गे औय दयु स्थ स्थानं से धन राब प्राद्ऱ हो सकता है । ऩरयवाय भं दकसी
का स्वास्थ्म नयभ हो सकता है । दकमे गमे ऩूॊक्षज सनवेश द्राया आकक्षस्भक धन प्रासद्ऱ के मोग
फन यहे है । शिु ऩऺ से सावधान यहं आऩ ऩय झूठे आयोऩ रग सकते है ।
16 से 31 ददसम्फय 2011 : आऩके कमो का फोझ बी फढ सकता हं । ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी
भेहनत से दकमे गमे कामो भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । जोक्षखभ बये कामा कयने से
फिे। उच्ि असधकायी एवॊ सहकभॉ आऩकी प्रसतबा को खॊडन कयने का प्रमास कय सकते
हं । अऩने नाभ औय प्रसतष्ठा कामभ यखने के सरमे आऩको ऩूणा मोजनाफद्च तरयके से कामा
कयना िादहमे।
57 ददसम्फय 2011
कका: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : अऩने सॊसित धन को ऩूॊक्षज सनवेश कय राब प्राद्ऱ कय सकते है । बूसभ- बवन-वाहन के क्रम-
त्रवक्रम से राब प्राद्ऱ हो सकता हं । नमे सभि से सहामता प्राद्ऱ हंगी। ऩारयवारयक भतबेद
हो सकते हं औय आऩके स्वास्थ्म भं सगयावट हो सकती हं । वाहन सावधानी से िरामे
मा वाहन से सावधान यहे आकक्षस्भक दघ
ु ट
ा ना हो सकती हं । कोई अत्रप्रम सूिना
16 से 31 ददसम्फय 2011 : अऩने ऩरयवाय के रोग एवॊ सभि वगा का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ
नहीॊ हो ऩामेगा। आसथाक सभस्माओॊ का साभना कयना ऩड सकता हं । उसित सनणामो भं
दे यी कयने से धन हानी सॊबव हं । भाता का स्वास्थ्म सिॊता का कायण हो सकता हं ,
सावधान यहं । आवश्मकता से असधक सॊघषा कयना ऩड सकता है । भानससक सिन्ताओॊ भं
कभी आमेगी।
ससॊह: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : नौकयी-व्मवसाम भं आऩको इच्छा से असधक प्रगसत प्राद्ऱ होगी। बूसभ- बवन-वाहन भं दकमे
गमे सनवेश से राब प्राद्ऱ हो सकता हं । कामा भं आनेवारी रुकावटो भं बी कभी होगी औय
दयु स्थ स्थानं से धन राब प्राद्ऱ हो सकता है । स्वास्थ्म सुख भं वृत्रद्च होगी दपय बी खाने-
ऩीने का त्रवशेष र्धमान यखना दहतकायी यहे गा। अऩनी असधक खिा कयने दक प्रवृसत ऩय
सनमॊिण कयने का प्रमास कयं ।
तुरा: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : आऩके भहत्वऩूणा कामो औय मोजनाओॊ भं त्रवघ्नन फाधाएॊ आसकती हं । भहत्व ऩूणा
कामो भं असतरयि सावधानी यखनी िादहमे अन्मथा कुछ कामो भं फडा नुक्यशान सकता
है । आऩको भानससक अक्षस्थयता का अनुबव हो सकता हं । आत्भ त्रवश्वास से आगे फढते
यहने का प्रमास कयं । कोटा -किहयी के कामो भं त्रवरॊफ हो सकता हं । ऩरयवाय औय
सभिं का सहमोग भुक्षश्कर से प्राद्ऱ होगा।
धनु: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : मह भाह भहत्वऩूणा पैसरा रेने के सरए औय नमी ऩरयमोजना प्रायॊ ब कयने के सरए
शुबदामक हो सकता है । सभि एवॊ ऩरयवाय के रोगो के सहमोग से भन प्रसन्न यहे गा।
इस दौयान आऩ अऩने गुद्ऱ शिुओॊ दक आसानी से ऩहिान कय सकते हं । अनावश्मक
दकसी से वाद-त्रववाद कयने से फिे। कजा रेने से फिे एवॊ ऩुयाने कजा का बुगतान कयने
का प्रमास कये ।
16 से 31 ददसम्फय 2011 : आऩकी मोजना एवॊ उद्ङे श्मं को सपर होते दे ख ऩामेगं।
भहत्वऩूणा मोजनाओॊ को शुरू कयने औय सनणाम रेने के सरमे सभम उिभ सात्रफत हो
सकता हं । आऩकी सावाजसनक प्रसतष्ठा भं वृत्रद्च होगी। धन से सॊफॊसधत रेन-दे न हे तु सभम
राबप्रद यहे गा। जीवन साथी से आऩको प्रसन्ना सभरेगी। अऩने खाने- ऩीने का र्धमान यखे अन्मथा आऩका का स्वास्थ्म
नयभ हो सकता है ।
59 ददसम्फय 2011
भकय: 1 से 15 ददसम्फय 2011 : इस दौयान दकसी नमे कामा एवॊ मोजनाओॊ को शुरू कय शुब एवॊ अनुकूर ऩरयणाभ प्राद्ऱ
कय सकते है । आऩके घय-ऩरयवाय भं खुशीओॊ का भाहोर यहे गा। आऩ दकसी धासभाक
कामं अथवा अनुष्ठान भं सासभर हो सकते हं । कामा दक व्मस्तता, अत्मासधक बाग-दौड
के कायण आऩको थकावट हो सकती हं । अनावश्मक खिो ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास
कयं ।
यासश यत्न
भेष यासश: वृष यासश: सभथुन यासश: कका यासश: ससॊह यासश: कन्मा यासश:
भूॊगा हीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना
Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green Emerald
(Special) (Special) (Special)
(Old Berma)
(Special)
(Special) (Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.
तुरा यासश: वृक्षिक यासश: धनु यासश: भकय यासश: कुॊब यासश: भीन यासश:
हीया भूॊगा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज
* उऩमोि वजन औय भूल्म से असधक औय कभ वजन औय भूल्म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भूल्म ऩय
उप्रब्ध हं ।
GURUTVA KARYALAY
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61 ददसम्फय 2011
ऩौष शुक्यर
25 एकभ
26 सोभ ऩौष शुक्यर दद्रतीमा
20:02:20
उियाषाढ़ 29:52:02
ध्रुव 12:07:58
फारव 08:44:32
धनु 12:18:00
यत्रव भागाशीषा शुक्यर नवभी/दशभी दशाददत्म व्रत, जरसेना ददवस, स्वाभी ब्रह्मानॊद रोधी जमॊती
4 32:50:46
शुक्र भागाशीषा शुक्यर ितुदाशी त्रऩशाि भोिन श्राद्च ितुदाशी, याजगोऩारािामा जमॊती
9 18:27:14
14
फुध ऩौष कृ ष्ण ितुथॉ 22:12:47 सॊकष्टी श्रीगणेश ितुथॉ व्रत, सौबाग्म सुद
ॊ यी व्रत (िॊ.या. 8.13)
64 ददसम्फय 2011
प्रायॊ ब
भॊगर ऩौष कृ ष्ण दशभी ऩौषी दशभी, सॊत गाडगे भहायाज सनवााण ददवस
20 12:47:16
प्रदोष व्रत, सूमा सामन भकय भं ददन 11.01 फजे, सौय सशसशय
गुरु ऩौष कृ ष्ण िमोदशी
22 07:24:52
ऋतु प्रायॊ ब, फाफा नागऩार की ऩुण्ड्मसतसथ
भॊगर तृतीमा
27
ऩौष शुक्यर 19:06:30 -
कुफेय मॊि
कुफेय मॊि के ऩूजन से स्वणा राब, यत्न राब, ऩैतक
ृ सम्ऩिी एवॊ गिे हुए धन से राब प्रासद्ऱ दक काभना कयने वारे
व्मत्रि के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त सपरता दामक होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं । कुफेय मॊि के ऩूजन से एकासधक
स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय धन सॊिम होता हं ।
भॊगर मॊि
(त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयि व्मत्रि को
ऋण भुत्रि हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आदद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए
भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । भूल्म भाि Rs- 550
GURUTVA KARYALAY
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67 ददसम्फय 2011
ओनेक्यस
जो व्मत्रि ऩन्ना धायण कयने भे असभथा हो उन्हं फुध ग्रह के उऩयत्न ओनेक्यस को धायण कयना िादहए।
उच्ि सशऺा प्रासद्ऱ हे तु औय स्भयण शत्रि के त्रवकास हे तु ओनेक्यस यत्न की अॊगूठी को दामं हाथ की सफसे छोटी
उॊ गरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भं धायण कयं । ओनेक्यस यत्न धायण कयने से त्रवद्या-फुत्रद्च की प्रासद्ऱ हो होकय स्भयण
शत्रि का त्रवकास होता हं ।
68 ददसम्फय 2011
अभृत मोग
6 प्रात: 7.57 से ददन-यात 18 यात्रि 8.27 से यातबय
10 सूमोदम से सामॊ 6.30 तक
मोग पर :
कामा ससत्रद्च मोग भे दकमे गमे शुब कामा भे सनक्षित सपरता प्राद्ऱ होती हं , एसा शास्त्रोि विन हं ।
त्रिऩुष्कय मोग भं दकमे गमे शुब कामो का राब तीन गुना होता हं । एसा शास्त्रोि विन हं ।
ददन के िौघदडमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय
यात के िौघदडमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय
यत्रववाय सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन
सोभवाय िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा
भॊगरवाय भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र
फुधवाय फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर
गुरुवाय गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध
शुक्रवाय शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु
शसनवाय शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र फुध िॊद्र शसन गुरु भॊगर सूमा शुक्र
त्रवद्रानो के भत से इक्षच्छत कामा ससत्रद्च के सरए ग्रह से सॊफॊसधत होया का िुनाव कयने से त्रवशेष राब
प्राद्ऱ होता हं ।
सूमा दक होया सयकायी कामो के सरमे उिभ होती हं ।
िॊद्रभा दक होया सबी कामं के सरमे उिभ होती हं ।
भॊगर दक होया कोटा -किेयी के कामं के सरमे उिभ होती हं ।
फुध दक होया त्रवद्या-फुत्रद्च अथाात ऩढाई के सरमे उिभ होती हं ।
गुरु दक होया धासभाक कामा एवॊ त्रववाह के सरमे उिभ होती हं ।
शुक्र दक होया मािा के सरमे उिभ होती हं ।
शसन दक होया धन-द्रव्म सॊफॊसधत कामा के सरमे उिभ होती हं ।
71 ददसम्फय 2011
2 07:15:24 10:10:45 04:15:44 07:20:59 00:07:18 08:12:45 06:01:47 07:20:16 01:20:16 11:06:38 10:04:15 08:12:15
3 07:16:25 10:23:00 04:16:09 07:19:41 00:07:14 08:14:00 06:01:53 07:20:16 01:20:16 11:06:38 10:04:15 08:12:17
4 07:17:26 11:05:03 04:16:34 07:18:19 00:07:09 08:15:14 06:01:58 07:20:16 01:20:16 11:06:37 10:04:16 08:12:19
5 07:18:27 11:16:57 04:16:59 07:16:56 00:07:05 08:16:28 06:02:04 07:20:16 01:20:16 11:06:37 10:04:17 08:12:21
6 07:19:28 11:28:47 04:17:24 07:15:35 00:07:01 08:17:43 06:02:10 07:20:15 01:20:15 11:06:37 10:04:18 08:12:23
7 07:20:29 00:10:37 04:17:49 07:14:19 00:06:57 08:18:57 06:02:16 07:20:15 01:20:15 11:06:37 10:04:19 08:12:25
8 07:21:30 00:22:31 04:18:13 07:13:10 00:06:53 08:20:11 06:02:21 07:20:15 01:20:15 11:06:36 10:04:20 08:12:27
9 07:22:30 01:04:31 04:18:37 07:12:09 00:06:49 08:21:25 06:02:27 07:20:16 01:20:16 11:06:36 10:04:21 08:12:29
10 07:23:31 01:16:40 04:19:00 07:11:19 00:06:46 08:22:40 06:02:32 07:20:16 01:20:16 11:06:36 10:04:22 08:12:31
11 07:24:32 01:28:59 04:19:23 07:10:40 00:06:43 08:23:54 06:02:38 07:20:16 01:20:16 11:06:36 10:04:23 08:12:33
12 07:25:33 02:11:30 04:19:46 07:10:12 00:06:40 08:25:08 06:02:43 07:20:15 01:20:15 11:06:36 10:04:24 08:12:35
13 07:26:34 02:24:13 04:20:09 07:09:55 00:06:37 08:26:22 06:02:49 07:20:15 01:20:15 11:06:36 10:04:25 08:12:37
14 07:27:35 03:07:10 04:20:31 07:09:49 00:06:35 08:27:36 06:02:54 07:20:14 01:20:14 11:06:37 10:04:26 08:12:39
15 07:28:36 03:20:19 04:20:53 07:09:53 00:06:32 08:28:51 06:02:59 07:20:13 01:20:13 11:06:37 10:04:27 08:12:41
16 07:29:37 04:03:43 04:21:14 07:10:07 00:06:30 09:00:05 06:03:04 07:20:12 01:20:12 11:06:37 10:04:28 08:12:43
17 08:00:38 04:17:21 04:21:36 07:10:29 00:06:28 09:01:19 06:03:09 07:20:11 01:20:11 11:06:37 10:04:29 08:12:45
18 08:01:39 05:01:14 04:21:56 07:10:59 00:06:26 09:02:33 06:03:14 07:20:11 01:20:11 11:06:38 10:04:31 08:12:47
19 08:02:40 05:15:20 04:22:17 07:11:37 00:06:25 09:03:47 06:03:19 07:20:11 01:20:11 11:06:38 10:04:32 08:12:49
20 08:03:42 05:29:38 04:22:37 07:12:20 00:06:23 09:05:01 06:03:24 07:20:12 01:20:12 11:06:39 10:04:33 08:12:51
21 08:04:43 06:14:05 04:22:57 07:13:09 00:06:22 09:06:15 06:03:28 07:20:13 01:20:13 11:06:39 10:04:35 08:12:54
22 08:05:44 06:28:39 04:23:16 07:14:02 00:06:21 09:07:29 06:03:33 07:20:14 01:20:14 11:06:40 10:04:36 08:12:56
23 08:06:45 07:13:13 04:23:35 07:15:00 00:06:21 09:08:43 06:03:38 07:20:15 01:20:15 11:06:40 10:04:37 08:12:58
24 08:07:46 07:27:43 04:23:53 07:16:02 00:06:20 09:09:57 06:03:42 07:20:15 01:20:15 11:06:41 10:04:39 08:13:00
25 08:08:47 08:12:02 04:24:11 07:17:07 00:06:20 09:11:11 06:03:47 07:20:14 01:20:14 11:06:42 10:04:40 08:13:02
26 08:09:48 08:26:05 04:24:29 07:18:15 00:06:20 09:12:25 06:03:51 07:20:12 01:20:12 11:06:43 10:04:42 08:13:04
27 08:10:49 09:09:47 04:24:46 07:19:26 00:06:20 09:13:38 06:03:55 07:20:09 01:20:09 11:06:43 10:04:43 08:13:06
28 08:11:51 09:23:08 04:25:03 07:20:39 00:06:20 09:14:52 06:03:59 07:20:05 01:20:05 11:06:44 10:04:45 08:13:09
29 08:12:52 10:06:06 04:25:19 07:21:53 00:06:21 09:16:06 06:04:03 07:20:02 01:20:02 11:06:45 10:04:46 08:13:11
30 08:13:53 10:18:42 04:25:35 07:23:10 00:06:21 09:17:20 06:04:07 07:19:59 01:19:59 11:06:46 10:04:48 08:13:13
31 08:14:54 11:01:01 04:25:50 07:24:28 00:06:22 09:18:33 06:04:11 07:19:57 01:19:57 11:06:47 10:04:49 08:13:15
72 ददसम्फय 2011
उसित उऩिाय से ज्मादातय सार्धम योगो से तो भुत्रि सभर जाती हं , रेदकन कबी-कबी सार्धम योग होकय बी असार्धमा
होजाते हं , मा कोइ असार्धम योग से ग्रससत होजाते हं । हजायो राखो रुऩमे खिा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नहीॊ हो
ऩाता। डॉक्यटय द्राया ददजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हं , एसस क्षस्थती भं राबा प्रासद्ऱ के
सरमे व्मत्रि एक डॉक्यटय से दस
ू ये डॉक्यटय के िक्यकय रगाने को फार्धम हो जाता हं ।
बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊसत हे तु त्रवसबन्न आमुवये औषधो के असतरयि मॊि,
भॊि एवॊ तॊि उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा दकमा था।
फुत्रद्चजीवो के भत से जो व्मत्रि जीवनबय अऩनी ददनिमाा ऩय सनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हं , एसे व्मत्रि
को त्रवसबन्न योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हं । रेदकन आज के फदरते मुग भं एसे व्मत्रि बी बमॊकय योग
से ग्रस्त होते ददख जाते हं । क्यमोदक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हं । एवॊ भृत्मु सनक्षित हं क्षजसे त्रवधाता के अरावा
औय कोई टार नहीॊ सकता, रेदकन योग होने दक क्षस्थती भं व्मत्रि योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हं ।
इस सरमे मॊि भॊि एवॊ तॊि के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्रि योगो से भुत्रि ऩाने का मा उसके प्रबावो
को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हं ।
ज्मोसतष त्रवद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को उजागय कय
सकते हं । ज्मोसतष शास्त्र के भार्धमभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग सभरता हं , जहा आधुसनक सिदकत्सा शास्त्र
अऺभ होजाता हं वहा ज्मोसतष शास्त्र द्राया योग के भूर(जि) को ऩकड कय उसका सनदान कयना राबदामक एवॊ
उऩामोगी ससद्च होता हं ।
हय व्मत्रि भं रार यॊ गकी कोसशकाए ऩाइ जाती हं , क्षजसका सनमभीत त्रवकास क्रभ फद्च तयीके से होता यहता हं ।
जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भं ऩरयवतान होता है मा त्रवखॊदडन होता हं तफ व्मत्रि के शयीय भं स्वास्थ्म सॊफॊधी त्रवकायो
उत्ऩन्न होते हं । एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हं । क्षजस्से योगो के होने के कायणा व्मत्रिके
जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो दक गोिय भं क्षस्थती से प्राद्ऱ होता हं ।
सवा योग सनवायण कवि एवॊ भहाभृत्मुॊजम मॊि के भार्धमभ से व्मत्रि के जन्भाॊग भं क्षस्थत कभजोय एवॊ ऩीदडत
ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक
ा दकमा जासकता हं । जेसे हय व्मत्रि को ब्रह्माॊड दक उजाा एवॊ
ऩृथ्वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हं दठक उसी प्रकाय कवि एवॊ मॊि के भार्धमभ से ब्रह्माॊड दक उजाा के
सकायात्भक प्रबाव से व्मत्रि को सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती हं क्षजस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भुि कयने हे तु
सहामता सभरती हं ।
योग सनवायण हे तु भहाभृत्मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हं । क्षजस्से दहन्द ू सॊस्कृ सत का प्राम् हय व्मत्रि
भहाभृत्मुॊजम भॊि से ऩरयसित हं ।
73 ददसम्फय 2011
कवि के राब :
एसा शास्त्रोि विन हं क्षजस घय भं भहाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत होता हं वहा सनवास कताा हो नाना प्रकाय दक
आसध-व्मासध-उऩासध से यऺा होती हं ।
ऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवि दकसी बी उि एवॊ जासत धभा के रोग िाहे
स्त्री हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हं ।
जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो दक प्रसतकूरता से योग उतऩन्न होते हं ।
कुछ योग सॊक्रभण से होते हं एवॊ कुछ योग खान-ऩान दक असनमसभतता औय अशुद्चतासे उत्ऩन्न होते हं । कवि
एवॊ मॊि द्राया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्थ्म राब औय शायीरयक यऺण प्राद्ऱ कयने हे तु
सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हं ।
आज के बौसतकता वादी आधुसनक मुगभे अनेक एसे योग होते हं , क्षजसका उऩिाय ओऩये शन औय दवासे बी
कदठन हो जाता हं । कुछ योग एसे होते हं क्षजसे फताने भं रोग दहिदकिाते हं शयभ अनुबव कयते हं एसे योगो
को योकने हे तु एवॊ उसके उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि राबादासम ससद्च होता हं ।
प्रत्मेक व्मत्रि दक जेसे-जेसे आमु फढती हं वैसे-वसै उसके शयीय दक ऊजाा होती जाती हं । क्षजसके साथ अनेक
प्रकाय के त्रवकाय ऩैदा होने रगते हं एसी क्षस्थती भं उऩिाय हे तु सवायोगनाशक कवि एवॊ मॊि परप्रद होता हं ।
क्षजस घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक दह नऺिभे जन्भ रेते हं , तफ उसकी भाता के सरमे
असधक कष्टदामक क्षस्थती होती हं । उऩिाय हे तु भहाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद होता हं ।
क्षजस व्मत्रि का जन्भ ऩरयसध मोगभे होता हं उन्हे होने वारे भृत्मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, सिॊता भं
उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हं ।
नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुि सवा योग सनवायण कवि एवॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी हे तु हभ
से सॊऩका कयं ।
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74 ददसम्फय 2011
कवि सूसि
सवा कामा ससत्रद्च कवि - 3700/- ऋण भुत्रि कवि - 730/- त्रवयोध नाशक कविा- 550/-
सवाजन वशीकयण कवि - 1050/-* नवग्रह शाॊसत कवि- 730/- वशीकयण कवि- 550/-* (2-3 व्मत्रिके सरए)
अष्ट रक्ष्भी कवि - 1050/- तॊि यऺा कवि- 730/- ऩत्नी वशीकयण कवि - 460/-*
आकक्षस्भक धन प्रासद्ऱ कवि-910/- शिु त्रवजम कवि - 640/- * नज़य यऺा कवि - 460/-
बूसभ राब कवि - 910/- ऩदं उन्नसत कवि- 640/- व्माऩय वृत्रद्च कवि - 370/-
सॊतान प्रासद्ऱ कवि - 910/- धन प्रासद्ऱ कवि- 640/- ऩसत वशीकयण कवि - 370/-*
कामा ससत्रद्च कवि - 910/- त्रववाह फाधा सनवायण कवि- 640/- दब
ु ााग्म नाशक कवि - 370/-
काभ दे व कवि - 820/- भक्षस्तष्क ऩृत्रष्ट वधाक कवि- 640/- सयस्वती कवक - 370/- कऺा+ 10 के सरए
जगत भोहन कवि -730/-* काभना ऩूसता कवि- 550/- सयस्वती कवक- 280/- कऺा 10 तक के सरए
स्ऩे -व्माऩाय वृत्रद्च कवि - 730/- त्रवघ्नन फाधा सनवायण कवि- 550/- वशीकयण कवि - 280/-* 1 व्मत्रि के सरए
Shastrokt Yantra
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77 ददसम्फय 2011
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (ऩन्ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (भाक्षणक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (फभाा भाक्षणक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नयभ भाक्षणक/रारडी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (भोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (रार भूॊगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (रार भूॊगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद भूॊगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (रहसुसनमा) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उदडसा रहसुसनमा) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोभेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जयकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (फेरुज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (दफ़योजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहरा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उदडसा ऩुखयाज/टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीरा टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोऩज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे रा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उऩर) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गायनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुभर ा ीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुमका ान्त भक्षण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (कारा स्टाय) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओनेक्यस) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओनेक्यस) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (राजवात) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (िन्द्रकान्त भक्षण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal (स्फ़दटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना दफ़यॊ गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (भयगि) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन ससताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (हीया) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
78 ददसम्फय 2011
In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
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79 ददसम्फय 2011
सूिना
ऩत्रिका भं प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के साथ ही आयक्षऺत हं ।
रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ दक कामाारम मा सॊऩादक बी इन त्रविायो से सहभत हं।
ऩत्रिका भं प्रकासशत दकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ दकसी बी व्मत्रि त्रवशेष मा दकसी बी स्थान मा
घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हं ।
प्रकासशत रेख ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आर्धमाक्षत्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण
मदद दकसी के रेख, दकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का दकसी के वास्तत्रवक जीवन से भेर होता हं तो मह भाि
एक सॊमोग हं ।
प्रकासशत सबी रेख बायसतम आर्धमाक्षत्भक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरमे जाते हं । इस कायण इन त्रवषमो दक
सत्मता अथवा प्राभाक्षणकता ऩय दकसी बी प्रकाय दक क्षजन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक दक नहीॊ हं ।
अन्म रेखको द्राया प्रदान दकमे गमे रेख/प्रमोग दक प्राभाक्षणकता एवॊ प्रबाव दक क्षजन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक
दक नहीॊ हं । औय नाहीॊ रेखक के ऩते दठकाने के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक दकसी बी
प्रकाय से फार्धम हं ।
ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आर्धमाक्षत्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भं ऩाठक का अऩना
त्रवश्वास होना आवश्मक हं । दकसी बी व्मत्रि त्रवशेष को दकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवश्वास कयने ना कयने
का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा।
हभाये द्राया ऩोस्ट दकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हं । हभ दकसी बी व्मत्रि
त्रवशेष द्राया प्रमोग दकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी क्षजन्भेदायी नदहॊ रेते हं ।
मह क्षजन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रि दक स्वमॊ दक होगी। क्यमोदक इन त्रवषमो भं नैसतक
भानदॊ डं , साभाक्षजक , कानूनी सनमभं के क्षखराप कोई व्मत्रि मदद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु प्रमोग कताा हं अथवा
प्रमोग के कयने भे िुदट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं ।
हभाये द्राया ऩोस्ट दकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग दकमे हं
क्षजस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनक्षित सपरता प्राद्ऱ हुई हं ।
ऩाठकं दक भाॊग ऩय एक दह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का असधकाय यखता हं । ऩाठकं को एक रेख के ऩून्
प्रकाशन से राब प्राद्ऱ हो सकता हं ।
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गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका ददसम्फय -2011
सॊऩादक
सिॊतन जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग
गुरुत्व कामाारम
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA
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81 ददसम्फय 2011
फॊध/ु फदहन
जम गुरुदे व
जहाॉ आधुसनक त्रवऻान सभाद्ऱ हो जाता है । वहाॊ आर्धमाक्षत्भक ऻान प्रायॊ ब हो जाता है , बौसतकता का आवयण ओढे व्मत्रि
जीवन भं हताशा औय सनयाशा भं फॊध जाता है , औय उसे अऩने जीवन भं गसतशीर होने के सरए भागा प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता क्यमोदक
बावनाए दह बवसागय है , क्षजसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता सनदहत है । उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय
सपरता है । सपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ असधकाय है । ईसी सरमे हभायी शुब काभना सदै व आऩ के साथ है । आऩ
अऩने कामा-उद्ङे श्म एवॊ अनुकूरता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि शत्रि से ऩूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत सिज वस्तु का हभंशा
प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी सरमे हभाया उद्ङे श्म महीॊ हे की शास्त्रोि त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्च
प्राण-प्रसतत्रष्ठत ऩूणा िैतन्म मुि सबी प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का है ।
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DEC
2011