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ओशो की नज़र मे ँ गां धी

गांधी गीता को माता कहते है, लेिकन गीता को आतमसात नही कर सके । कयोिक गाँधी की अिहं सा यु |
की सं¬ा¤नाओं को कहाँ रUेगी ? तो गांधी ¨9ाय Uो«ते है, ¤ह कहते है िक यह «ो यु | ह, यह îस9
¹9क ह , यह क¬ी ह आ नही । यह मनु 'य के ¬ीतर अ¤Fा, ¹र ¤ुरा, की ल÷ा, ह । यह «ो कु ¢÷े¬ ह,
यह कही को, ¤ाहर का म<ान नही ह , ¹र (सा नही ह िक क '7 ने कही अ«ु न को िकसी ¤ाहर के यु |
म ल÷ाया हो। यह तो ¬ीतर के यु | की ¹9क- क°ा ह । यह ‘9र¤ेल’ ह, यह (क कहानी ह । यह (क
7तीक ह । गांधी को किõना, ह । कयोिक गांधी का « सा मन ह , ¨सम तो अ«ु न ही õीक माल¸म 9¬े·गा।
अ«ु न के मन म ¤÷ी अिहं सा का ¨<य ह आ ह । ¤ह यु | Fो÷कर ¬ाग «ाने को त यार ह । ¤ह कहता ह ,
अ9नो को मारने से 9ाय<ा कया ? ¹र ¤ह कहता ह , sतनी िहं सा करके धन 9ाकर ¬ी, यश 9ाकर ¬ी,
राvय 9ाकर ¬ी मै कया क¹ँ गा? sससे तो ¤ेहतर ह िक मै स¤ Fो÷कर ि¬Uमंगा हो «ा¬ँ । sससे तो
¤ेहतर ह िक मै ¬ाग «ा¬ँ ¹र सारे <ु: U ¤र7 कर ल¸ ँ, लेिकन िहं सा म न 9÷¸ँ। sससे मेरा मन ¤÷ा
कँ 9ता ह । sतनी िहं सा अशु¬ ह ।
क '7 की ¤ात गांधी की 9क÷ म क से आ सकती है ? कयोिक क '7 ¨से समUाते है िक त¸ ल÷। ¹र
ल÷ने के îल( «ो- «ो तक <ेते है, ¤ह (सा अन¸õा ह िक sसके 9हले क¬ी ¬ी नही ि<या गया °ा। ¨सको
9रम अिहं सक ही <े सकता ह , ¨स तक को।
क '7 का यह तक ह िक «¤ तक त¸ (सा मानता ह िक को, मर सकता ह , त¤ तक त¸ आतम¤ा<ी नही
ह । त¤ तक तुUे 9ता ही नही ह िक «ो ¬ीतर ह , ¤ह क¬ी मरा ह , न क¬ी मर सकता ह । अगर त¸
सो¤ता ह िक मै मार सक¸ ँ गा, तो त¸ ¤÷ी ¬ांित म ह, ¤÷े अUान म ह । कयोिक मारने की धार7ा ही
¬îितक¤ा<ी की धार7ा ह । «ो «ानता ह , ¨सके îल( को, मरता नही ह । तो अि¬नय ह - क '7 ¨ससे
कह रहे है- मरना ¹र मारना लीला ह, (क ना°क ह ।
sस सं<¬ म यह समU लेना ¨ि¤त होगा िक राम के «ी¤न को हम ¤îर¬ कहते है । राम ¤÷े गं ¬ीर है ।
¨नकी «ी¤न लीला नही ह, ¤îर¬ ही ह । लेिकन क '7 गं¬ीर नही ह । क '7 का ¤îर¬ नही ह ¤ह, क '7
की लीला ह । राम मया<ाओं से ¤ँधे ह ( ¤यî+ है, मया<ाओं के ¤ाहर ¤े (क क<म न ¤{ गे। मया<ा 9र ¤े
स¤ कु ¤ान कर <गे। क '7 के «ी¤न म मया<ा « सी को, ¤ी« ही नही ह । अमया<ा। 9¸7 ¹¤तं ¬।
î«सकी को, सीमा नही, «ो कही ¬ी «ा सकता ह । (सी को, «गह नही आती, «हाँ ¤ह ¬य¬ीत हो
¹र क<म को õहरा(। यह अमया<ा ¬ी क '7 के आतम- अनु¬¤ का अंितम 9ल ह । तो िहं सा ¬ी ¤ेमानी
हो ग, ह ¤हाँ, कयोिक िहं सा हो नही सकती। ¹र «हाँ िहं सा ही ¤ेमानी हो ग, हो, ¤हाँ अिहं सा ¬ी
¤ेमानी हो «ाती ह । कयोिक «¤ तक िहं सा सा° क ह ¹र िहं सा हो सकती ह , त¬ी तक अिहं सा ¬ी
सा° क ह । असल म िहं सक अ9ने को मानना ¬îितक¤ा< ह , अिहं सक अ9ने को मानना ¬ी ¨सी
¬îितक¤ा< का <¸ सरा Fोर ह । (क मानता ह मै मार ¬ाल¸ ँगा, (क मानता ह मै मा¹ँ गा नही, मै मारने को
रा«ी ही नही ह¸ँ। लेिकन <ोनो मानते है िक मारा «ा सकता ह ।
अगर को, ¤यî+ काम से ल÷ेगा तो ¨सके «ी¤न म 7H¤य क¬ी ¬ी °ि°त नही हो सकता। अगर
7H¤य °ि°त हो सकता ह तो (क ही ¨9ाय ह िक ¤ह अ9नी काम की ¬«ा को क से ¹9ांतîरत करे ।
काम की ¬«ा से ल÷ना नही ह, काम की ¬«ा को क से ¹9ांतîरत करे । काम की ¬«ा से <ु °मनी नही
लेनी, काम की ¬«ा से म¬ी साधनी ह । कयोिक हम îस9 ¨सी को ¤<ल सकते है, î«ससे हमारी म¬ी
ह । î«सके हम श¬ु हो ग( ¨सको ¤<लने का स¤ाल नही। î«सके हम श¬ु हो ग( ¨सको समUने का ¬ी
¨9ाय नही ह । समU ¬ी हम ¨से ही सकते है, î«ससे हमारी म¬ी ह ।
तो «ो हम िनक Pतम ि<Uा, 9÷ रही ह , ¤ह ¬ी ~े8तम का ही Fोर ह । 9¤ त का «ो ¤ह त ¬9र का
िशUर ह, ¤ह, ¹र 9¤ त के 9ास की «ो ¤ह त गहरी Uा, ह , ये <ो °°ना(ँ नही है । ये (क ही °°ना के
<ो िह¹से है । यह «ो Uा, ¤नी ह , यह 9¤ त के ¬9र ¨õने से ¤नी ह । यह «ो 9¤ त ¬9र ¨õ सका ह ,
यह Uा, के ¤नने से ¬9र ¨õ सका ह । ये <ो ¤ी« नही है । 9¤ त ¹र Uा, हमारी ¬ा9ा म <ो है,
अî¹तत¤ म (क ही ¤ी« के <ो Fोर है ।
नीतशे का (क ¤ह त कीमती ¤¤न ह । नीतशे ने कहा ह िक î«स ¤ ÷ को आकाश की ¬ँ ¤ा, F¸ नी हो, ¨से
अ9नी «÷े 9ाताल की गहरा, तक 9ह ँ¤नी 9÷ती है । ¹र अगर को, ¤÷ अ9नी «÷ो को 9ाताल तक
9ह ँ¤ाने से ¬रता ह , तो ¨से आकाश तक 9ह ँ¤ने की आकां÷ा ¬ी Fो÷ <ेनी 9÷ती ह । असल म î«तनी
¬ं ¤ा,, ¨तने ही गहरे ¬ी «ाना 9÷ता ह । î«तना ¬ँ ¤ा «ाना हो ¨तना ही नी¤े ¬ी «ाना 9÷ता ह ।
िन¤ा, ¹र ¬ँ ¤ा, <ो ¤ी« नही है, (क ही ¤ी« के <ो आयाम है ¹र ¤े स<ा समानु9ात है, (क ही
अनु9ात म ¤{ते है ।
अगर को, ¤यî+ काम से ल÷ेगा तो ¨सके «ी¤न म 7H¤य क¬ी ¬ी °ि°त नही हो सकता। अगर
7H¤य °ि°त हो सकता ह तो (क ही ¨9ाय ह िक ¤ह अ9नी काम की ¬«ा को क से ¹9ांतîरत करे ।
काम की ¬«ा से ल÷ना नही ह, काम की ¬«ा को क से ¹9ांतîरत करे । काम की ¬«ा से <ु °मनी नही
लेनी, काम की ¬«ा से म¬ी साधनी ह । कयोिक हम îस9 ¨सी को ¤<ल सकते है, î«ससे हमारी म¬ी
ह । î«सके हम श¬ु हो ग( ¨सको ¤<लने का स¤ाल नही। î«सके हम श¬ु हो ग( ¨सको समUने का ¬ी
¨9ाय नही ह । समU ¬ी हम ¨से ही सकते है, î«ससे हमारी म¬ी ह ।
तो «ो हम िनक Pतम ि<Uा, 9÷ रही ह , ¤ह ¬ी ~े8तम का ही Fोर ह । 9¤ त का «ो ¤ह त ¬9र का
िशUर ह, ¤ह, ¹र 9¤ त के 9ास की «ो ¤ह त गहरी Uा, ह , ये <ो °°ना(ँ नही है । ये (क ही °°ना के
<ो िह¹से है । यह «ो Uा, ¤नी ह , यह 9¤ त के ¬9र ¨õने से ¤नी ह । यह «ो 9¤ त ¬9र ¨õ सका ह ,
यह Uा, के ¤नने से ¬9र ¨õ सका ह । ये <ो ¤ी« नही है । 9¤ त ¹र Uा, हमारी ¬ा9ा म <ो है,
अî¹तत¤ म (क ही ¤ी« के <ो Fोर है ।
नीतशे का (क ¤ह त कीमती ¤¤न ह । नीतशे ने कहा ह िक î«स ¤ ÷ को आकाश की ¬ँ ¤ा, F¸ नी हो, ¨से
अ9नी «÷े 9ाताल की गहरा, तक 9ह ँ¤नी 9÷ती है । ¹र अगर को, ¤÷ अ9नी «÷ो को 9ाताल तक
9ह ँ¤ाने से ¬रता ह , तो ¨से आकाश तक 9ह ँ¤ने की आकां÷ा ¬ी Fो÷ <ेनी 9÷ती ह । असल म î«तनी
¬ं ¤ा,, ¨तने ही गहरे ¬ी «ाना 9÷ता ह । î«तना ¬ँ ¤ा «ाना हो ¨तना ही नी¤े ¬ी «ाना 9÷ता ह ।
िन¤ा, ¹र ¬ँ ¤ा, <ो ¤ी« नही है, (क ही ¤ी« के <ो आयाम है ¹र ¤े स<ा समानु9ात है, (क ही
अनु9ात म ¤{ते है ।

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