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नमदा �सधु कावेर� जलेऽिस्मन ् सिन्नधं करु || र् ं ु नमा�म गगे तव पादपकजं ं ं भिक्तं च मिक्तं च ददा�स �नत्यं ु ु भावानसारे ण सदा

नराणाम ् || ु सरासुरै विन्दत�दव्यरूपम ् | ु र्

गगेच यमने चव गोदावर� सरस्वती | ं ु ै

मच्यते सवपापेभ्यो �वष्णलोक सगच्छ�त || ु र् ु ं

गंगा गगे�त यो ब्रयात ् योजनाना शतर�प | ं ू ै

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