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सागर से ऱहरें ठििोऱी करे चााँद से बादऱ भी आाँख ममचोऱी करे धीमे धीमे कदम हो धड़कनो की ररदम हो ररमझझम बरसात में हो एक हाथ साथ में बस याँ ही हाथों में हाथ डाऱे जजन्दगी का सफ़र चऱे क ु छ कहने की जरुरत न हो क ु छ सुनने की जरुरत न हो

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