‘दायित्वबोध’ उन बुद्धिजीवियों की एक वैचारिक पत्रिका है जिन्होंने जनता का पक्ष चुना है, जो विश्व ऐतिहासिक विपर्यय एवं पुनरुत्थान के वर्तमान दौर में भी बेहतर भविष्य से नाउम्मीद नहीं हैं, जो इस बेहतर भविष्य को दूर और उसके लिए नये सिरे से लड़ाई की तैयारी को कठिन मानते हुए भी उससे किसी न किसी रूप में अपने को जोड़े हुए हैं और जो क्रान्तियों की नयी श्रृंखला की सर्जना के लिए आज एक नये क्रान्तिकारी वैचारिक-सांस्कृतिक नवजागरण एवं प्रबोधन के महाउद्यम में, जुट जाने के लिए तत्पर हैं।
‘दायित्वबोध’ उन बुद्धिजीवियों की एक वैचारिक पत्रिका है जिन्होंने जनता का पक्ष चुना है, जो विश्व ऐतिहासिक विपर्यय एवं पुनरुत्थान के वर्तमान दौर में भी बेहतर भविष्य से नाउम्मीद नहीं हैं, जो इस बेहतर भविष्य को दूर और उसके लिए नये सिरे से लड़ाई की तैयारी को कठिन मानते हुए भी उससे किसी न किसी रूप में अपने को जोड़े हुए हैं और जो क्रान्तियों की नयी श्रृंखला की सर्जना के लिए आज एक नये क्रान्तिकारी वैचारिक-सांस्कृतिक नवजागरण एवं प्रबोधन के महाउद्यम में, जुट जाने के लिए तत्पर हैं।
‘दायित्वबोध’ उन बुद्धिजीवियों की एक वैचारिक पत्रिका है जिन्होंने जनता का पक्ष चुना है, जो विश्व ऐतिहासिक विपर्यय एवं पुनरुत्थान के वर्तमान दौर में भी बेहतर भविष्य से नाउम्मीद नहीं हैं, जो इस बेहतर भविष्य को दूर और उसके लिए नये सिरे से लड़ाई की तैयारी को कठिन मानते हुए भी उससे किसी न किसी रूप में अपने को जोड़े हुए हैं और जो क्रान्तियों की नयी श्रृंखला की सर्जना के लिए आज एक नये क्रान्तिकारी वैचारिक-सांस्कृतिक नवजागरण एवं प्रबोधन के महाउद्यम में, जुट जाने के लिए तत्पर हैं।