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वह एक वयाध था। मृगो के पीछे काफी दू र तक दौड़ता चला आया था, पर आज एक भी मृग हाथ नहl आया। lनरा7 मन ÷े 3÷ने
ज गल म एक नजर चारो तरफ 7ाली Vर पीछे लौõने ही वाला था lक एक तप÷वी ने õ|कते हये कहा - 'व¯÷, 4यो 5न ÷ दर 7ाl"यो
का 7ून 4हाते ह|? 5÷ वन म हर जगह 3दरपूlत के lलये यू ही 4हत कछ lमल जायेगा।'
'आप कौन ह?' वयाध चlकत ह|ता हआ 4|ला।
'म5े 7पना lम7 जान|।' तप÷वी म÷कराकर 4|ला। वयाध 7वाक, गनाह की हीन-भावना ÷े 7l÷त एकदम चप। तप÷वी म÷कराकर
4|ला - '5÷ वन 7दे7 म 7पना कछ न ह|ते हये भी ]7 करते ह हम। भा5, lक÷ी के 7ा" लेकर 3दरपूlत का ÷ाधन जõाना, lनमl"
नहl lव¯व ÷ ह। एक मरा हआ मृग Þर ले जाकर तम lवजयी की भllत Þरवालो के 4ीच ÷ृl7 के lनमlता की तरह गवll¯वत रह|गे मगर
यlद 5÷के पlरवार वाले त¯ह रा÷ते म lमल गये त| 3नके ÷मu lनमlता नहl, तम lवना7क कहला7गे।'
कहते हये तप÷वी ने 3÷के क धे पर हाथ र7ा ही था lक हवा तेज चलने लगी। तप÷वी ने म÷कराकर 3÷की हीन-भावना दू र करने की
चे7ा करते हये 3÷के ÷र पर हाथ फेरा ही था lक हवा Vर तेज ह| गयी - मान| आधी चलने लगी ह|। धूल 3ड़ने लगी - पेड़ो की
7ाlलयl मान| नृ¯य करने लगी। 4व 7र ÷ा 35 7ड़ा हआ। तभी एक पेड़ 3÷ वयाध पर आ lगरा Vर वह 4ेह|7 ह| गया। तप÷वी भी
आधी की चपेõ म न जाने कहl 75ल ह| गया। 4हत देर तक तूफान 7÷ामा¯य गlत ÷े ÷ारे वन क| रlदता रहा। करी4 Þ õे भर 4ाद
तूफान 7lत हआ त| मूlछत पड़े वयाध की आ7 7ली - 4दहवा÷ी का 3जाला था आ7ो म। चारो तरफ lव7ाल फले ज गल क| 7lत
Vर नीरव पाया। ÷र 35ाकर 3पर दे7ा - ÷पाõ आ÷मान - ÷ूय 7÷ताचल की 7र 4õ रहा था। ÷र पर लगी च|õ की पीड़ा त| नहl
थी मगर 7दर 4ाहर ÷4 तरफ ÷े वह 7पने आपक| 7÷ामा¯य मह÷ू÷ कर रहा था। कभी ÷र 35ाकर lulतज पर फली आ÷मान की
नीली मगर दlधया चादर क| दे7ता, त| कभी नीचे जमीन की 7र दे7ता। 3÷ने ÷ामने हवा7 का 3¯पात मचा चके मगर 74 ÷त¯ध
7ड़े वृu पर हाथ õेके, 7ाlलयो क| lहलाया, कछ ÷म5 न आया lक 4या कर Vर 4यो कर? 3÷ नीरव हये वन 7lग" म l77 की भllत
3छलकू द भी की- दे7ते दे7ते 7चानक नाम मा7 क| पहने हये 7पने कपड़े भी न|चने लगा - ज÷े lक 3÷े ÷म5 न आया ह| lक
3÷के 7रीर पर यह ÷4 4या ह? lफर 7पनी ही 4lह पर lचक|õी काõी। दद ÷े l4लl4लाया भी, मगर जान न पाया lक 4या हआ ह,
4यो हआ ह? 7ायद 3÷की याददा°त चली गयी थी। तभी त| वह 4¯चो की ÷ी हरकत कर रहा था।
थ|ड़ी दू र 7ड़ा तप÷वी lक कतवयlवमूõ ÷ा 3÷े दे7 भर रहा था। कlपते हये 7रीर के ÷ाथ वयाध कभी 5धर कभी 3धर तेज कदमो ÷े
मानो धरती क| नाप रहा था। 7ायद 3÷की lजHा÷ा यह रही ह|गी lक lज÷ धरातल पर वह 7ड़ा ह - 3÷का छ|र कहl तक ह। 7भी
थक कर जमीन पर 45ने ही वाला था lक तप÷वी 3÷के नजदीक आकर 4|ला - '4यो 5तने 4ेचन ह|, व¯÷?'
वयाध 3÷े आ7 फाड़ कर दे7ने लगा। 7¯य¬र के lलए मह 7|ला, मगर 4या 4|लता - याददा°त चली गयी थी। न भा1ा, न 7¯द -
4या ह, 4यो ह, क÷े कहे -वह 4¯चो की तरह र|ने लगा। तप÷वी ने ÷l¯वना ÷व÷प हाथ 4õाया त| वयाध पीछे हõा - Vर 7रकर
मड़कर गग भाागा ााााााााााााा ा , धरती का एक छ|र lमला, त4 ÷का। ÷ामने ÷व¯छ lद7ते पानी का ÷र|वर था। पानी दे7कर द ग - यहl
धरती, ज| 3÷के 5तना ज|र मारने पर भी lहली नहl वही यहl चमक-चमक कर lहल भी रही थी। पानी 4या ह|ता ह, 3÷े 4या मालूम -
याददा°त की 4ेरहम च|õ ÷े वह 7पने जीवन के पची÷ व1 पीछे ज| पह च गया था - न¯ह 4ालक की तरह 3÷ने पानी क| छआ - हाथ
गीले हये त| 7गली क| ह|5ो पर र7कर मान| च7ा ह|। ¯या÷ क| थ|ड़ा आराम lमला ज4 द| तीन 4ार यो lकया। lफर 7 जlर पानी म
प÷ारकर भरी हथेली का पानी मह म 7ाल lलया। 4हत 7¯छा लगा। 5ककर lफर हाथ पानी म 7ाला। 3÷े 7पना 7lतl4¯4 नजर
आया - 3÷े दे7कर वह भय ÷े 35 7ड़ा हआ। 7lत4¯4 म भी व÷ी ही हरकत ह5, lज÷े दे7 वह lफर 45 गया।
तभी वह तप÷वी वहl पह च गया। 3÷ने वयाध के क धे पर हाथ र7ा। वयाध ने पीछे मड़कर lव÷मय ÷े 3÷की तरफ दे7ा ज÷र, मगर
74 7रकर भागा नहl। 4l¯क 57ारे ÷े आ....3... करके 4|लते हये पानी म 3÷े 7पना 7lतl4 4 lद7ाने लगा। 5÷ 4ार तप÷वी का भी
7lतl4¯4 था - द| द| 7lतl4¯4 दे7कर वयाध का मह पहले की 7पेuा 7यादा 7ला रहा गया।
लेlकन 5÷ 4ार तप÷वी भी lवl÷मत था, 4योlक पानी म 7पने 7lतl4¯4 के ÷ाथ 3÷े एक वानर का 7lतl4¯4 lद7ा5 दे रहा था। वहl ÷े
नजर हõाकर वयाध की तरफ दे7ा त| वह 3÷े मन¯य ही नजर आया lफर पानी म 3÷का 7lतl4¯4 - 4 दर! तप÷वी हर7भ था। वयाध
थ|ड़ा चचल त| थ|ड़ा भौचüा भी था। तभी तप÷वी म÷कराया, 4योlक पानी के 7lतl4¯4 आप÷ म 4ात कर रहे थे। 4 दर ÷पी वयाध
7lतl4 4 म तप÷वी ÷े कह रहा था - 'म 7 गद हू। म5े भगवान राम ÷े 7पने 4ाप क| छल ÷े मारने का 7lत7|ध लेना ह, 4ता ÷कते ह| -
वे कहl lमलगे।'
तप÷वी पानी का यह नजारा ÷त¯ध ह|कर दे7 रहा था lक वयाध मानो ÷ारी 4चपन की हरकत छ|ड़कर पlरप4वता के ज|7 म भरकर
तप÷वी क| 5क5|र कर 4|ला। 'हे ÷ाध, म5े रा÷ता lद7ा।' तप÷वी ÷त¯धता छ|ड़कर म÷कराकर 3÷÷े 4|ला - 'हl व¯÷, म ÷म5
गया तम वयाध के ÷प म भगवान राम की ÷ेना के एक वानर ÷lनक ह|। म जान गया, तम 4ाlल के प7 7 गद ह|।'
'म ज| भी हू म5े रा÷ता lद7ा7 तप÷वी।' वयाध 4|ला। चेहरे ÷े मा÷ूम lद7ते जरा नामक वयाध पर 74 7पर पार तेजl÷वता आ गयी
थी।
'हालllक भगवान राम के 7lत त¯हारी भl4त 4ेlम÷ाल ह, मगर 3¯हl की 5¯छा ÷े 4गर त¯हारे 7lत7|ध के न त¯हारी मl4त ÷भव ह न
÷वय भगवान की।' तप÷वी ने ÷नेहl÷4त वा"ी म कहा - 'जा7, यहl ÷े ÷ौ गज की दू री पर दlu" lद7ा म एक वृu के नीचे प7ा÷न
लगाये त¯ह भगवान राम lमलगे। "ीकृ¯" ÷प म 3¯होने जगत क| 4हत 3जाला 7दान lकया ह। थक कर 45े ह - 3¯ह ÷जा देकर
3नक| भी म4त कर| Vर 7पना भी आ¯म 3¿ार कर|।'
कहकर तप÷वी वे1 म आये मlन वेदवया÷ ने 3÷े एक तीर धन1 पकड़ा lदया, lज÷े लेकर वह 3धर ही दौड़ पड़ा lजधर का वया÷ जी ने
3÷े lनद7 lदया था। आगे ÷ौ गज की दू री पर एक वृu के नीचे भगवान "ीकृ¯" प7ा÷न लगाये 45े थे। वयाध ने दू र ÷े 3¯ह ल÷य
lकया Vर आ7 4 द कर तीर छ|7 lदया। तीर भगवान के चर"ो म जा लगा। 74 7गद ज÷े 7भ के ¯यारे वानर क| 3नके 7रीर पर
3नके चर"ो के l÷वा 4या lद7ता। भले ÷प 4दलकर कृ¯" 4न जा7 या राम 4ने रह|। एक आह के ÷ाथ के7व ने 7ा" ¯यागकर
7पने धाम क| कू च कर lदया। वयाध ने आ7 4 द कर ली थी - 74 7|ली त| न तीर था न धन1 था हाथ म। 3÷के हाथ जड़े हये थे,
माथा "ीकृ¯" के परो पर 5का हआ था जहl 3÷का तीर चभा हआ था। 4ेचारा जरा lच¯ला 35ा -'हाय रे जरा, ये तूने 4या कर 7ाला?'
3÷की याददा°त वाप÷ आ गयी। तभी पीछे ÷े आकर तप÷वी ÷पी वेदवया÷ ने 3÷के क धे पर हाथ र7ा Vर कहा - 'व¯÷, जरा,
lवलाप मत कर|, ज| कछ हआ -भगवान की 5¯छा ÷े ही हआ ह- जा7 74 त¯हारे भी 3¿ार का व4त आ गया ह।'
कहकर महामlन "ी वेदवया÷ जी 7 त¯यlन ह| गये Vर जरा नामक वह वयाध 35कर ज गल म आगे जाकर ल¯त ह| गया।

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