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नवकार मंऽ ह महामंऽ

नवकार मंऽ ह महामंऽ, िनज पद का ान कराता है ।


िनज जपो शु मन बच तन से, मनवांिछत फल का दाता है ॥1॥ नवकार...

पहला पद ौी अ#रहं ताणां, यह आतम 'योित जगाता है ।


यह समोसरण क) रचना क) भ+य, को याद -दलाता है ॥2॥ नवकार...

दजा
ू पद ौी िसाणं है , यह आतम श/0 बढ़ाता है ।
इससे मन होता है िनम3ल, अनुभव का ान कराता है ॥3॥ नवकार...

तीजा पद ौी आय#रयाणां, द 4ा म5 भाव जगाता है ।


दःख
ु से छुटकारा शीय िमले, :जनमत का ान बढ़ाता है ॥4॥ नवकार...

चौथा पद ौी उव'ायणं, यह जैन धम3 चमकता है ।


कमा3?व को ढ ला करता, यह सAयक् ान कराता है ॥5॥ नवकार...

पंचमपद ौी स+वसाहणं
ू , यह जैन तCव िसखलाता है ।
-दलवाता है ऊँचा पद, संकट से शीय बचाता है ॥6॥ नवकार...

तुम जपो भ/वक जन महामंऽ, अनुपम वैराFय बढ़ाता है ।


िनत ौामन से जपने से, मन को अितशांत बनाता है ॥7॥ नवकार...

संपूण3 रोग को शीय हरे , जो मंऽ Gिच से Hयाता है ।


जो भ+य सीख िनत महण करे , वो जामन मरण िमटाता है ॥8॥ नवकार...

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