जिस पढने से प्रभु मिलते हैं, वो पढन पढान अलैहदा है।
जो सदा ही अजपा जाप जपे, हिरदय की जुबान अलैहदा है॥
१ गंगा नहावो- जमुना नहावो, काशी जावो- बदरी जावो।
सारे तीर्थ भी भरमाओ, घट का अस्नान अलैहदा है॥
२ दुनिया में बहुत सी चीजें है, हर रोज निलामी होती है।
जहाँ सच्चा सौदा बिकता है, वो खास दुकान अलैहदा है॥
३ दिव्य दृष्टि सद् गुरू देते हैं, अज्ञान तिमिर हर लेते हैं।
जो रस्ता योग अभ्यास का है, अन्तर्मुख ध्यान अलैहदा है॥
४ ऐ दास श्री आनन्दपुर में, मस्ताना जोगी रहता है।
दुनिया के पीर फकीरों से, कुछ इनकी शान अलैहदा है॥
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जिस पढने से प्रभु मिलते हैं, वो पढन पढान अलैहदा है।
जो सदा ही अजपा जाप जपे, हिरदय की जुबान अलैहदा है॥
१ गंगा नहावो- जमुना नहावो, काशी जावो- बदरी जावो।
सारे तीर्थ भी भरमाओ, घट का अस्नान अलैहदा है॥
२ दुनिया में बहुत सी चीजें है, हर रोज निलामी होती है।
जहाँ सच्चा सौदा बिकता है, वो खास दुकान अलैहदा है॥
३ दिव्य दृष्टि सद् गुरू देते हैं, अज्ञान तिमिर हर लेते हैं।
जो रस्ता योग अभ्यास का है, अन्तर्मुख ध्यान अलैहदा है॥
४ ऐ दास श्री आनन्दपुर में, मस्ताना जोगी रहता है।
दुनिया के पीर फकीरों से, कुछ इनकी शान अलैहदा है॥
जिस पढने से प्रभु मिलते हैं, वो पढन पढान अलैहदा है।
जो सदा ही अजपा जाप जपे, हिरदय की जुबान अलैहदा है॥
१ गंगा नहावो- जमुना नहावो, काशी जावो- बदरी जावो।
सारे तीर्थ भी भरमाओ, घट का अस्नान अलैहदा है॥
२ दुनिया में बहुत सी चीजें है, हर रोज निलामी होती है।
जहाँ सच्चा सौदा बिकता है, वो खास दुकान अलैहदा है॥
३ दिव्य दृष्टि सद् गुरू देते हैं, अज्ञान तिमिर हर लेते हैं।
जो रस्ता योग अभ्यास का है, अन्तर्मुख ध्यान अलैहदा है॥
४ ऐ दास श्री आनन्दपुर में, मस्ताना जोगी रहता है।
दुनिया के पीर फकीरों से, कुछ इनकी शान अलैहदा है॥
जिस पढने से प्रभु मिलते हैं, वो पढन पढान अलैहदा है।
जो सदा ही अजपा जाप जपे, हिरदय की जुबान अलैहदा है॥
१ गंगा नहावो- जमुना नहावो, काशी जावो- बदरी जावो।
सारे तीर्थ भी भरमाओ, घट का अस्नान अलैहदा है॥
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जहाँ सच्चा सौदा बिकता है, वो खास दुकान अलैहदा है॥
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जो रस्ता योग अभ्यास का है, अन्तर्मुख ध्यान अलैहदा है॥
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दुनिया के पीर फकीरों से, कुछ इनकी शान अलैहदा है॥
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