दीपावली महोत्सव आया , लाया खुशियाँ प्यारी ॥ आँगन हर
इक दीप जलेंगे ,पुलकित हैं नर - नारी ॥ लक्ष्मी माँ की पूजा होगी , गट्टे - खील चढ़ाऐँ गे ॥ जब गणेश की पज ू ा होगी , लड्डू भोग लगाऐँ गे ॥ बिजली की झालर से सारे , घर को हम ढक दे ते हैं ॥ रं ग , पत ु ाई , पेँट , सफाई ,सभी लोग कर लेते हैं। हाथी , घोड़े , बैल- खिलौने , चीनी के बनवाते हैं ॥ चड़ ू ा - लइया संग मिठाई , बच्चे खुशी से खाते हैं ॥ अपने घर से खील - मिठाई , दज ू े घर भिजवाई ॥ दीवाली में सब कहते हैं , हम सब भाई - भाई ॥ राम चंद्र की बनी अयोध्या , दीवाली थी तभी मनी । इस दिन जो लक्ष्मी को पूजे , हो जाता है वही धनी ॥