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Q. 7.

अकरो के समूह को, िजसका िक कोई अथर िनकलता है, शबद कहते है। उदाहरण के िलए क, म तथा ल के मेल से 'कमल' बनता है तथा इसका अथर भी िनकलता है अतः 'कमल' एक शबद है िकनतु
'लकम' भी इनही तीनो अकरो के मेल से बनता है पर उसका कुछ भी अथर नही िनकलने के कारण वह शबद नही है। वयाकरण के अनुसार शबद दो पकार के होते है- िवकारी और अिवकारी या अवयय।
िवकारी शबदो को चार भागो मे बाटा गया है- संजा, सवरनाम, िवशेषण और िकया। अिवकारी शबद या अवयय भी चार पकार के होते है- िकया िवशेषण, संबध ं बोधक, संयोजक और िवसमयािद बोधक
इस पकार सब िमलाकर िनमिलिखत 8 पकार के शबद-भेद होते है:
सससससस
िकसी वसतु, वयिकत, सथान, या भावना का नाम बताने वाले शबद को संजा कहते है। जैसे - गोिवनद, िहमालय, वाराणसी, तयाग आिद
संजा मे तीन शबद-रप हो सकते है -- ससससससससस ससस, सससससससससस ससस और सससससस ससस ।
ससससससस
वे शबद जो संजा के सथान पर पयुकत िकये जाते है सवरनाम कहलाते है। जैसे - मै, तुम, वह, वे लोग, यह आिद
सवरनाम मे कमर रप और समबनध रप भी होते है, पर समबोधन रप नही होता । सवरनाम मे िलंग-भेद नही होता ।
सससससस
वाकय मे संजा अथवा सवरनाम की िवशेषता बताने वाले शबदो को िवशेषण कहते है। जैसे - काला कुता। इस वाकय मे काला िवषेषण है।
िजस संजा अथवा सवरनाम की िवशेषता बतायी जाती है उसे िवशेषय कहते है। उपरोकत वाकय मे कुता िवशेषय है।
िवशेषण के चार पकार है- 1. गुणवाचक िवशेषण, 2.संखयावाचक िवशेषण, 3.पिरमाण-बोधक िवशेषण, और 4 सावरनािमक िवशेषण। इसके अितिरकत वयुतपित की दृिष से सावरनािमक िवशेषण के दो
पकार है- 1.मूल सावरनािमक िवशेषण और 2.यौिगक सावरनािमक िवशेषण।
ससससससससस
जो शबद िवशेषण शबदो की िवशेषता बताता हॅ उसे पिवशेषण कहते हॅ।
जॅसे-
• मोहन बहुत अचछा लडका है। (यहा पर अचछा िवशेषण है और 'बहुत' शबद उसकी िवशेषता बताता है अतः बहुत पिवशेषण है।)
सससससस
िजन शबदो से िकसी कायर का करना या होना वयकत हो उसे िकया कहते है। जैस-े रोना, खाना, चलना आिद
िकया के कई रप होते है, जो पतयय और सहायक िकयाओं दारा बदले जाते है । िकया के रप से उसके िवषय संजा या सवरनाम के िलंग और वचन का भी पता चल जात है। िकया वह िवकारी शबद
है, िजससे िकसी पदाथर या पाणी के िवषय मे कुछ िवधान िकया जाता है। अथवा िजस िवकारी शबद के पयोग से हम िकसी वसतु के िवषय मे कुछ िवधान करते है, उसे िकया कहते है। जैसे-
1. घोडा जाता है।
2. पुसतक मेज पर पडी है।
3. मोहन खाना खाता है।
उपयुरकत वाकयो मे जाता है, पडी है और खाता है िकयाएँ है। िकया के साधारण रपो के अंत मे ना लगा रहता है। जैसे-आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना आिद। िकया के साधारण रपो के
अंत का ना िनकाल देने से जो बाकी बचे उसे िकया की धातु कहते है। आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना िकयाओं मे आ, जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ है। शबदकोश मे िकया का जो रप
िमलता है, उसमे धातु के साथ ना जुडा रहता है। ना हटा देने से धातु शेष रह जाती है। पयोग के आधार पर िकया के दो पकार होते है- अकमरक िकयाः तथा सकमरक िकया। इन दोनो के भी भेद
और उपभेद होते है। रचना की दृिष से िकया दो पकार की होती है-1. रढ और 2. यौिगक।
सससससससससससस
िकया शबदो की िवशेषता बताने वाले शबद को िकया-िवशेषण कहा जाता है।
जैसे -
• राम तेज दौडता है। (यहा पर दौडना िकया है और तेज शबद दॉडना िकया की िवशेषता बताता है अतः "तेज" शबद िकया-िवशेषण है।)
ससससस सससस
ममममम ममम : ममममम मममम
दो शबदो के मधय समबंध बताने वाले शबद को समबंध बोधक शबद कहलाता है। जैसे -
• यह राम की पुसतक है। (यहा की शबद राम और पुसतक के मधय समबंध बताता है, अतः की समबंध सूचक शबद है।)
ससससससस सससस
दो शबदो को जोडने वाले शबद को समुचचय बोधक कहा जाता है। जैसे -
• राम और शयाम िमत है। यहा पर और समुचचय बोधक शबद है।
ससससससससस सससस
िवसमय पकट करने वाले शबद को िवसमयािदबोधक कहा जाता है। जैसे अहा! िकतना सुनदर दृशय है। (यहा अहा िवसमयािदबोधक है।)
ससससस
िजन शबदो का रप नही बदलता। जैसे धीरे-धीरे, आगे-आगे, आजकल आिद

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