You are on page 1of 3

यमुनोत्री 1

यमुनोत्री
यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. ऊंचाई पर स्थित एक मंदिर है। यह मंदिर देवी यमुना का मंदिर है।

इतिहास
एक पौराणिक गाथा के अनुसार यह असित मुनी का निवास था। वर्तमान मंदिर जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में बनवाया था। भूकम्प से एक बार इसका विध्वंस
हो चुका है, जिसका पुर्ननिर्माण कराया गया।

भूगोल
चार धामों में से एक धाम यमुनोत्री से यमुना का उद्गम मात्र एक किमी की दूरी पर है। यहां बंदरपूंछ चोटी (6315 मी ) के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को
देखना अत्यंत रोमांचक है। गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुना पावन नदी का स्रोत
कालिंदी पर्वत है। तीर्थ स्थल से एक कि. मी. दूर यह स्थल 4421 मी. ऊँचाई पर स्थित है। दुर्गम चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालू इस उद्गम स्थल को देखने से वंचित
रह जाते हैं। यमुनोत्री का मुख्य मंदिर यमुना देवी को समर्पित है।
पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुण्ड है जो गरम पानी का स्रोत है।

मंदिर
मंदिर प्रांगण में एक विशाल शिला स्तम्भ है जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है। यमुनोत्री मंदिर परिशर 3235 मी. उँचाई पर स्थित है। यँहा भी मई से अक्टूबर तक
श्रद्धालुओं का अपार समूह हरवक्त देखा जाता है। शीतकाल मे यह स्थान पूर्णरूप से हिमाछादित रहता है। मोटर मार्ग का अंतिम विदुं हनुमान चट्टी है जिसकी ऋषिकेश से
कुल दूरी 200 कि. मी. के आसपास है। हनुमान चट्टी से मंदिर तक 14 कि. मी. पैदल ही चलना होता था किन्तु अब हलके वाहनों से जानकीचट्टी तक पहुँचा जा सकता है
जहाँ से मंदिर मात्र 5 कि. मी. दूर रह जाता है।
देवी यमुना की तीर्थस्थली, यमुना नदी के स्त्रोत पर स्थित है। यह तीर्थ गढवाल हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है। इसके शीर्ष पर बंदरपूंछ चोटी (3615 मी) गंगोत्री
के सामने स्थित है। यमुनोत्री का वास्तविक स्त्रोत बर्फ की जमी हुई एक झील और हिमनद (चंपासर ग्लेसियर) है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद
पर्वत पर स्थित है। इस स्थान से लगभग 1 किमी आगे जाना संभव नही है क्योकि यहां मार्ग अत्यधिक दुर्गम है। यही कारण है कि देवी का मंदिर पहाडी के तल पर स्थित
है। देवी यमुना माता के मंदिर का निर्माण, टिहरी गढवाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था। अत्यधिक संकरी-पतली युमना काजल हिम शीतल है। यमुना के इस
जल की परिशुद्धता, निष्कलुशता एवं पवित्रता के कारण भक्तजनों के ह्दय में यमुना के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति उमड पड़ती है। पौराणिक आख्यान के अनुसार
असित मुनि की पर्णकुटी इसी स्थान पर थी। देवी यमुना के मंदिर तक चढ़ाई का मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करनेवाला है। मार्ग पर अगल-बगल में स्थित
गगनचुंबी, मनोहारी नंग-धडंग बर्फीली चोटियां तीर्थयात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं। इस दुर्गम चढ़ाई के आस-पास घने जंगलो की हरितिमा मन को मोहने से नही चूकती
है। सड़क मार्ग से यात्रा करने पर तीर्थयात्रियों को ऋषिकेश से सड़क द्वारा फूलचट्टी तक 220 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यहां से 8 किमी की चढ़ाई पैदल चल
कर अथवा टट्टुओं पर सवार होकर तय करनी पड़ती है। यहां से तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए किराए पर पालकी तथा कुली भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं।

मंदिर के कपाट
अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) के पावन पर्व पर मंदिर के कपाट खुलते हैं और वे दीपावली (अक्टूबर-नंवबर) यमुनोत्री मंदिर के आसपास के क्षेत्र में गर्मजल के अनेक
सोते है। ये सोते अनेक कुंडों में गिरते हैं इन कुंडों में सबसे सुप्रसिद्ध कुंड सूर्यकुंड है। यह कुंड अपने उच्चतम तापमान 80 डिग्री सेल्लियस के लिए विख्यात है।
भक्तगण देवी को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए कपडे की पोटली में चावल और आलू बांधकर इसी कुंड के गर्म जल में पकाते है। देवी को प्रसाद चढ़ाने के पश्चात
इन्ही पकाये हुए चावलों को प्रसाद के रूप में भक्त जन अपने अपने घर ले जाते हैं। इसी प्रसाद को वे अपने मित्रो को भी बांटते हैं। सूर्यकुंड के निकट ही एक शिल है
जिसे दिव्य शिला कहते हैं। इस शिला को दिव्य ज्योति शिला भी कहते हैं। भक्तगण, भगवती यमुना की पूजा करने से पहले इस शिला की पूजा करते हैं।
• ग्रीष्मकाल- दिन के समय सुहावना तथा रात्रिकाल के दौरान सर्द। न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सें0 तथा अधिकतम 20 डिग्री सें.
• शीतकाल- सिंतबर से नवंबर तक, दिन के समय सुहावना तथा रात के समय काफी अधिक सर्द। दिसंबर से मार्च तक समस्त भाग हिमाच्छादित तथा तापमान शून्य से भी
कम
• वेश भूषा- मई से जुलाई तक हल्के ऊनी। सितंबर से नवंबर तक भारी ऊनी
• तीर्थयात्रा का समय- अप्रैल से नवंबर
• भाषा- हिंदी, अंग्रेजी तथा गढवाली
• आवास- यमुनोत्री तथा यात्रा मार्ग से समस्त प्रमुख स्थानो पर जीएमवीएन यात्री विश्राम गृह, निजी विश्राम गृह तथा धर्मशालाएं उपलब्ध हैं
• वायुमार्ग- देहरादून स्थित जौलिग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है। यह मार्ग संख्या 1 ए से होकर यमुनोत्री तक जाता है। कुल दूरी 210 किलोमीटर है
यमुनोत्री 2

• रेल- मार्ग संख्या 1ए से होते हुए अंतिम रेल स्टेशन ऋषिकेश से 231 किलोमीटर तथा देहरादनू से 185 किलो मीटर की दूरी पर हैं
• सड़क मार्ग- ऋषिकेश से बस, कार अथवा टैक्सी द्वारा नरेंन्द्रनगर होते हुए यमुनोत्री के लिए 228 किलो मीटर की दूरी तय करते हुए फूलचट्टी तक पहुंचा जा सकता
है। फूलचट्टी से मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 किलो मीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती हैं

दूरियाँ-
• मार्ग संख्या 1 ए - हरिद्वार-देहरादूनः यमुनोत्री (फूलचट्टी से 8 किलो मीटर की पैदल चढ़ाई सहित 237 किलो मीटर) हरिद्वार (52 किमी), देहरादून (35 किमी),
मसूरी (12 किमी), केम्प्टी फाल (17 किमी), यमुनापुल (12 किमी), नैनबाग (12 किमी), दामा (19 किमी), कुवा (12 किमी), नौगांव (9 किमी), बडकोट (9
किमी), गंगनाणी (15 किमी), कुथूर (3 किमी), पाल गाड (9 किमी), सयानी चट्टी (5 किमी), राणाचट्टी (3 किमी), हुनमानचट्टी (3 किमी), बनास (2 किमी),
फूलचट्टी (3 किमी पैदल चढ़ाई), जानकी चट्टी (5 किमी पैदल चढ़ाई), यमुनोत्री
• मार्ग संख्या 2 ए - हरिद्वार - ऋषिकेश- यमुनोत्री (फूलचट्टी से 8 किमी की पैदल चढ़ाई सहित 260 किमी) ऋषिकेश-यमुनोत्री (फूलचट्टी से 8 किमी की पैदल
चढ़ाई सहित-236 किमी) हरिद्वार-(24 किमी), ऋषिकेश (16 किमी), नरेन्द्रनगर (45 किमी), चंबा (टिहैंरी गढवाल,17 किमी), दुबट्टा (40 किमी) धरासू (18
किमी), ब्रह्माखल (43 किमी), बारकोट बारकोट से यमुनोत्री (57 किमी), मार्ग संख्या 1

देखें
• मन्दिर
• हिन्दू धर्म
Article Sources and Contributors 3

Article Sources and Contributors


यमुनोत्री  Source: http://hi.wikipedia.org/w/index.php?oldid=948479  Contributors: आशीष भटनागर, पूर्णिमा वर्मन, युकेश, रोहित रावत

License
Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported
http:/ / creativecommons. org/ licenses/ by-sa/ 3. 0/

You might also like