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छठ पवर के नहान-खान

नननन-ननन
छठ पूजा की शुヒ आत नहान- खान से होती है। इस िदन वरती सुबह नहा- धोकर
अरवा चाव7,
अरहर की दा7

7lकी स¯जी
बनाते ह। वरती सिहत पूरा पिरवार 4ही Hोजन करता है। 7हसन- ¯4ाज का 74ो" विजरत होता है
Vर सधा न+क का 3प4ो" िक4ा जाता है।
िबहार व पूवl 3¬र 7देश के "lवl + इस +lके पर ि+]ी का चू7ा अ7" से बना4ा जाता है। इसे
+ु^4 रसो5 Þर से अ7" ÷¤ािपत िक4ा जाता है। 7क 7कार से 7क अ÷¤ा4ी रसो5 Þर बना
िद4ा जाता है। इसी चू7े पर नहान-खान, खरना व पह7े अ°4र का 7साद Hी बनता है।
नननन
नहान खान के बाद अ"7े िदन खरना होता है। इस िदन वरती सुबह से ही ननननन पर रहते ह।
शा+ + जब सू4र अ÷त हो जाता है, तो Þर + हवन होता है। "ेह

के आõे की रोõी त¤ा साठी के
चाव7 की "ु7 ि+7ाकर खीर बना5 जाती है। 4ही रोõी व खीर नैवे0 के तlर पर छठी +ै4ा को
अिपरत िक4ा जाता है।
इसके बाद 4ही 7साद वरती सिहत पूरा पिरवार 7ह" करता है।
ननननन
खरना के िदन रात + 7साद 7ह" करने के बाद छठ पूजा करने वा7े 3पवास पर च7े जाते ह।
िनख7 के िदन अ÷ताच7 को जाते H"वान Hा÷कर को पानी + ख7े होकर पह7ा अ°4र िद4ा
जाता है। अ°4र के तlर पर सू4र देव को ठेकुआ, नlबू, के7ा, अदरख, +ू7ी, अ°4रपात आिद का
अ°4र िद4ा जाता है।
नननन
िनख7 के िदन शा+ को सू4र देव को अ°4र देने के बाद बह

त सारे वरती व 3नके पिरवार के 7ो"
छठ Þाõl पर ही ÷क जाते ह Vर बह

त सारे वापस अपने Þरl को जाते ह। रात + अपने Þरl +
व छठ Þाõl पर Hी कोिस4ा ज7ा4ा जाता है। इसके तहत ि+]ी के हा¤ी के चारl 7र "7े ख7े
िक7 जाते ह Vर नीचे चारl 7र दी7 ज7ा7 जाते ह। ि7र Hोर + जब H"वान Hा÷कर पूरब
िदशा + 3िदत होने 7"ते ह, तो ि7र से सारे वरती छठ Þाõl पर पानी + ख7े होकर 3"ते सू4र
को अ°4र स+िपरत करते ह। इसी िदन को परना कहा जाता है।
4ह अ°4र देने के बाद ही वरती अ7- ज7 7ह" करते ह Vर पूजा सप7 हो जाती है।
खेती- िकसानी करने वा7े 7कित के िचतेरे पुरिब4ा 7ो"l की सl÷कितक धरोहर कही जाने वा7ी
छठ पूजा रिववार को नहान- खान के सा¤ शु÷ हो "5। राजधानी के 7ाखl पिरवारl + इस पूजा
की तै4ािर4l जोरl पर ह। सो+वार को खरना हो"ा। 7ू बते सूरज को पह7ा अ°4र + "7वार को
िद4ा जा7"ा।
नहान- खान के िदन रिववार को वरित4l ने सुबह- सुबह ÷नान- ¯4ान कर पूरे Þर की सा7-स7ा5
की। 7क अ÷¤ा4ी रसो5 Þर बनाकर बह

त ही पिव7 õ" से अरवा चाव7, अरहर की दा7 त¤ा
7lकी की स¯जी बना5 "5 Vर पूरे पिरवार ने बतlर 7साद 4ही Hोजन िक4ा। सो+वार को
खरना हो"ा।
खरना के िदन वरती िदन Hर 3पवास कर"े। शा+ + जब H"वान Hा÷कर अ÷ताच7 की 7र
िuितज पार पह

च जा7 "े, 3सके बाद Þर + पूजा का आ4ोजन िक4ा जा7"ा। साठी के चाव7 +
"ु7 7ा7कर खीर बना5 जा7"ी। हवन हो"ा, छठी +ै4ा का आवाहन हो"ा। रोõी Vर इसी खीर
का नैवे0 3¯ह अिपरत कर, ाा 4ही 7साद वरती Hी खा7 "े Vर पिवारके अ¯4 7ो"l को Hी 4ही
Hोजन ि+7े"ा।
खरना के िदन शा+ को रोõी Vर खीर का 7साद 7ह" करने के बाद वरित4l का 3पवास शु÷ हो
जा7"ा, जो 7"ातार बुधवार सुबह तक च7े"ा। करीब $$ Þ õl के 7"ातार 3पवास के बाद ही
4े 7ो" अ7- ज7 7ह" कर"े।
पुरिब4ा पिरवारl + छठ पूजा की तै4ािर4l तो बह

त पह7े से शु÷ हो जाती ह 7ेिकन नहान-खान
के िदन से बाका4दा इस पूजा का "ी ""ेश हो जाता है। ठेकुआ का 7साद बने"ा, द3रा, सूप
Vर अ°4र के 3प4ो" + आने वा7ी त+ा+ व÷तु7 की खरीदारी हो"ी। खासकर खरना की पूजा
के बाद ठेकुआ बनना शु÷ हो"ा। बह

त सारे 7ो" सो+वार को ही छठ पूजा के सा+ानl की
खरीदारी कर 7"े। जबिक कुछ 7ो" छठ पूजा के िदन सुबह + Hी खरीदारी कर"े।
द3रा, सूप, अ°4रपात, नlबू, के7ा, "7ा, +õर, अदरख, +ू7ी, नािर47, चनवा के ि77 अ "ोछा
सिहत ]सी त+ा+ व÷तु7 खरीदी जा7 "ी। इन त+ा+ व÷तु7 को पूरी पिव7ता के सा¤ द3रे +
सजा4ा जा7"ा Vर 3सके बाद इस द3रे को 7ेकर त+ा+ 7ो" + "7वार को छठ Þाõl पर
पह

च"े, जहl अ÷ताच7"ा+ी सू4र को पह7ा अ°4र स+िपरत िक4ा जा7"ा।
"+ के सा¤ स "ीत का िर°ता पुरातन है। िकसान पिरवारl से ता¯7ुक रखने वा7े 7ो"l को
+ा7ू+ है िक ]से पिरवारl + पु÷1 खेतl + जाकर अ7 पैदा करते ह, तो +िह7ा7 Þरl + 3¯ह
सहेजने का का+ करती ह। ]से + "ेह

बाहर नहl बि¯क Þर की च4üी + ही पीसा जाता है।
खासकर छठ पूजा के +lके पर तो िवशे1 ÷प से चüी + "ेह

को पीसा जाता है Vर चüी के
Þू+ने से पैदा होने वा7ी ¯विन के सा¤ जब चüी च7ाती +िह7ा7 के क ठ से छठी +ै4ा को
सबोिधत "ीतl की ÷वर 7हिर4l 7ू õती ह, तो +ानl 7क स+l सा ब ध जाता है। +हान"रl + होने
वा7े ब7े- ब7े स "ीत स+ारोहl + Hी कदािचत वैसा सुरी7ा +ाहl7 नहl देखने को ि+7े, जैसा छठ
पूजा करने वा7े पूवl 3¬र 7देश व िबहार के "lव के "lव + देखने को ि+7ता है।
ननननननन ननन-ननननन नन नननननन ननननन नन ननन
नननननननन ननननननननन
छठ पवर के ि77 + "ो7पुरी का छठ पूजा Þाõ तै4ार हो "4ा है। छठ पूजा के ि77 4हl +"7वार
ाा को हजारl की स ^4ा + 7ो"l के जुõने की सHावना है। 7ो"l की Hारी Hी7को देखते ह

7
Þाõ की सा7- स7ा5 Vर +र¯+त का का+ पूरा हो "4ा है। ि77l को पõ िक4ा "4ा है।
छठ पवर पर 7ो"l के ि77 Þाõ के बाहर पीने के पानी, पािकर " Vर सुरuा ¯4व÷¤ा का िवशे1
इ तजा+ िक4ा जा7"ा। पुरी िद¯7ी + छठ पवर के ि77 छोõे- ब7े करीब पlच सl Þाõ बना7 "7
ह। इन+ से अिधकतर Þाõ 7ो" खुद अपने Þरl के आस- पास बनाते ह Vर पूजा अचरना का
इ तजा+ Hी खुद करते ह।
नननन ननन नन ननन ननन ननननननन नननन ननन
पूजा के ि77 बõती आ÷¤ा Vर "¿ा का ही पिर"ा+ है िक 7ो" अपने Þरl की छत पर Hी पानी
Hरकर सू4र को अ°4र देते ह। क5 इ7ाकl + तो 7ो" अपने खचर से ही छठ Þाõ की तै4ारी
करते ह। पूवl िद¯7ी के शाहदरा, +7ाव7ी, वे÷õ िवनोद न"र, पl7व न"र, 7÷+ी न"र, दिu"ी
िद¯7ी के स "+ िवहार, बदरपुर, "ीिनवासपुरी, 7ख7ा, +ुिनरका, दिu"ी- पिã+ी िद¯7ी के पा7+,
राजन"र, (ारका, नज7"õ, पिã+ी िद¯7ी के +ोहन "ा7रन, 3¬+ न"र, िवकास न"र, चlख7ी,
^4ा7ा, नl"7ो5 स+ेत िद¯7ी के हर कोने + छठ पूजा की धू + +ची है। कHी प जाबी त¤ा जाõl
के "õ कहे जाने वा7े पिã+ी िद¯7ी + अब पूवlच7वासी बह

स^4क ह। 4हl के 3¬+ न"र,
+हावीर 7 47ेव, +ोहन "ा7रन, िविपन "ा7रन + 7ाखl पूवlच7 के 7ो" रहते ह। छठ पूजा के
दlरान 4हl का नजारा देख हर को5 3स व4त िबहार + होने की क¯पना करने 7"ता है।
तु7सी दास की चlपा5
" जािक रही Hावना जैसी, 7Hु +ूरित देखी ितन तैसी"
िद¯7ी िव"िव0ा74 के इितहास के ÷नातक पाç4ñ+ से 7.के. रा+ानुजन (ारा ि7खे "7 7ेख:
" 0ी ह jे7 रा+ा4 स, 7ाइव 74जlप¯स 7 7 0ी ¤lçस ~न [lस7ेशन" को हõा4ा जाना वा÷तव +
सl÷कितक 7ासीवाद की िदशा + इितहास को +ो7ने की 7क कोिशश है Vर इसे इसी ÷प +
देखा जाना चािह7।
ा.के. रा+ानुजन का 7ेख रा+ की खो5 ह

5 अ"ूठी से शु÷ होता है, िजसे खोजने के ि77 हनु+ान
पाता7 7ोक पह

चते ह। पाता7 का राजा जो वा÷तव + 7क Hूत है, 7क ¤ा7ी + õेर सारी
अ"ूिठ4l 7ाकर हनु+ान को देता है Vर कहता है िक आप अपने रा+ की अ "ूठी खोज 7।
हनु+ान जब 3न अ "ूिठ4l को देखते ह तो आã4र + प7 जाते ह 44lिक वे सारी अ "ूिठ4l रा+ की
ही ह। 3¯ह आã4र + देखकर पाता77ोक का राजा 3¯ह बताता है िक वा÷तव + वे िजतनी
अ"ूिठ4l देख रहे ह, 3तने रा+ हो चुके ह। जब रा+ अपना स+4 पूरा कर 7ेते ह तो 3नकी
अ"ूठी 3नकी 3"7ी से िनक7 कर पाता7 + पह

च जाती है। रा+ की 4ह क¤ा ह+ बताती है
िक रा+ की पर परा 7क जीव त पर परा है, जो ह+ेशा आ"े बõती रहती है। 7.के. रा+ानुजन के
7ेख का िवरोध करने वा7l को 44ा पता है िक रा+ा4" की क¤ा ¯¤वl शता¯दी तक ि7खी
जाती रही है। ]से + क¤ा7 + Hी पिरवतरन ÷वाHािवक है। सच तो 4ह है िक तु7सी दास की
4ह चlपा5 " जािक रही Hावना जैसी, 7Hु +ूरित देखी ितन तैसी" का अस7ी अ¤र तो तीन सl
रा+ा4" होने + ही िदखा5 देता है। हर न5 रा+ क¤ा के सा¤ 3सकी सु" ध बõती जाती है,
3सका सlद4र िख7ता जाता है Vर पह

च ¯4ापक होती जाती है। अकार" नहl िक Hारत की
7"H" सHी Hा1ा7 के पास अपने - अपने रा+ ह। 7ो"l ने अपने - अपने िहसाब से रा+ की +ूितर
अपने िद7 + बसा रखी है। ]से + रा+ को िकसी 7क पु÷तक, 7ेखक, स+ुदा4, ध+र Vर
िवचारधारा के सा¤ जो7कर देखना 3नकी िवराõता को क+ करना ही है। 7ेिकन धुर
िह दू वािद4l को रा+ का 4ह िवराõ ÷व÷प पसद नहl है। 3¯ह 7"ता है िक 4िद सबके अपने -
अपने रा+ हो "7 तो ि7र 3नकी रा+ की पिरक¯पना जो 3सकी स कुिचत दि7 Vर िवशे1
िवचारधारा के आधार पर िनि+रत है, 3सका 44ा हो"ा? दरअस7, इन त¤ाकि¤त रा+H4तl को
]से रा+ नहl चािह7 िज¯ह वे अपनी िवचारधारा के Þरlदे + कैद न कर सक। 3¯ह वही रा+
चािह7 जो िस7र 3नके ि77 हl। 7क तरह से 4ह सा+ी ध+र की नक7 है, जो 7क पु÷तक, 7क
ध+र Vर 7क 5"र + िव"ास करता है।
नननननन ननननन ननननन नन ननननन नननन नननननननन नन नननन नन
अअअअअ, अअअअ अअअ अअअअ अअअअअ अअअअअ अअ अअअ अअ, अअअअअ अअअअ अअअअ अअअअअअअ अअअ अअअअअ अअअअअ अअअअअ अअ
अअअअअअअ अअ अअअअ अअ अअ अअअअअअ अअअअअ अअ, अअअअ अअ अअअअअ अअअअ अअअअअअअ अअअअअ अअअ अअ अअअअ अअअ अअअ अअ
अअ अअअ अअ अअअअअअ अअअअअअअ अअअअ अअअअ अअअअ अअ अअ अअअअअअ अअअअअ अअ अअअअअ अअअ अअअअअअअअ अअ अअअअ अअअ?
सुनी7 सचदेवा, ाा ा नकु7 , सहारनपुर (37)
आपका प7 अधूरा है। आपने प7 + 4ह नहl ि7खा है िक 44ा आपके पास इस स4+ Hी वह
नक7ी दवाइ4l त¤ा 3नका िब7 आपके पास है। 4िद हl, तो आप िनिãत ÷प से 34त +े7ीक7
÷õोर के िख7ा7 न केव7 3पHो4ता अदा7त + केस दा4र कर सकते है, बि¯क आप 34त
+ेि7क7 ÷õोर के िख7ा7 पुि7स + Hी िशका4त दजर करा 3सके िख7ा7 कानूनी काररवा5 कर
सकते ह।
अअअअअ अअअअ अअअअअ अअ़अअअ अअ अअअअ अअ अअ़अअअ अअअ अअअ अअअअअ अअअ अअअअ अअअअ अअ अअअ अअ अअ, अअअअअ
अअअअ अअ अअअअअअअअ अअ अअअअ अअअअ अअ़अअअ अअ अअअ अअअअअ अअअअ अअ अअअ अअअअ अअअअ अअ अअअअअअ अअ अअअ
अअअअअ अअअअ अअअअ अअ़अअअ अअ अअअअअ अअअअ अअ अअअअअ अअअअ अअ अअअ अअअ
+धु िब7, नो77ा, 3.7.
4कीनन 34त õे7र " सेवा + क+ी" का दो1ी है। आपको 34त õे7र के िख7ा7 7क 4ािचका
ाा 3पHो4ता 7ोर+ + दा4र करनी चािह7 त¤ा 34त सा7ी क े +ू¯4 के बराबर रक+ की
अदा4"ी के सा¤- सा¤ स+ुिचत +ुआवजे की Hी +l" करनी चािह7।

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