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हिफाज़त Arabic
हिफाज़त Arabic
१. तीन बार सुबह (फज्र नमाज़ के बाद), और तीन बार शाम में (असर नमाज़ के बाद) ये दु आ पढ़ें:
ِ سَ َم
َو#اء َو ُه ّ #ي ال#ف#ِ ض َو َال
ِ ي األ َ ْر#ف#ِ يْ ٌء#ش # َ م ِه#ِ اس ِ سم ِ ال#
ُ َذي َال ي#ِ #َله ا ّل#
# # ْ َع#ض ّرُ َم# ْ ب#ِ
َعلِي ُم#سَ ِميعُ ا ْلّ #ال
िबिस्मल्लािहल्-लज़ी ला यदु रुर् मा‛अिस्मिह शय्उन िफल-अदीर् व ला फ़ीस्-समा’ई वहुवस्-समी‛-उल-‛अलीम
(अल्लाह के नाम से, िजसके नाम से कोई चीज़ नुकसान नहीं पहुंचा सकती, न ज़मीन में न
आसमान में, और वो सब कुछ सुनने वाला सब कुछ जानने वाला है)
असर: कोई चीज़ आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगी आने वाले सुबह/शाम तक।
(अबू दावूद: ५०८८; ितिमर् िज़: ३३८८; इब्न माजाह: ३८६९)
२. दस बार सुबह (फज्र नमाज़ के बाद), और दस बार शाम में (मग़िरब नमाज़ के बाद) ये दु आ पढ़ें:
(कोई माबूद नहीं िसवाय अल्लाह के, अकेला, िबना िकसी साथी के, उसी की हुक़ूमत है,
और सारी तारीफ उसी के िलए है, वो िज़न्दगी दे ता है और मौत दे ता है, और वो हर चीज़ पे
ताक़त रखता है)
असर: अल्लाह बचाने वाले फ़िरश्ते भेजेगा आपकी आने वाले सुबह/शाम तक शैतान से िहफाज़त के िलए।
(ितिमर् िज़: ३५३४ और ३५५३)
३. तीन बार सुबह (फज्र नमाज़ के बाद), और तीन बार शाम में (असर नमाज़ के बाद):
{सूरतुल फलक़}
{सूरतुन नास}
سن َ ٌة َوالَ نَ ْو ٌم َّل ُه َما ِفي ِ خذُ ُه ُ ْ ﴿اهللَُّ الَ إِ َلـ َه إِالَّ ُه َو ا ْل َحىُّ ا ْل َق ُّيو ُم الَ تَأ
شفَعُ ِعن َدهُ إِالَّ ِب ِإذْ ِن ِه يَ ْع َل ُم َما ْ َض َمن ذَا ا َّل ِذى ي ِ ات َو َما ِفي اال ٌّْر ِ الس َمـ َو
َّ
َسع ِ شآ َء َو َ شي ٍْء ِّم ْن ِع ْل ِم ِه إِالَّ ِب َما َ حيطُو َن ِب َ ني أَيْ ِدي ِه ْم َو َما
ِ ُخ ْلفَ ُه ْم َوالَ ي َ ْ َب
﴾ ظي ُم ِ حفْظُ ُه َما َو ُه َو ا ْل َعلِىُّ ا ْل َع ِ ُض َوالَ يَؤُو ُده َ ات َواال ٌّْر ِ الس َمـ َوَّ سيُّ ُه ِ ُكر
ْ
“अल्लाहु ला~इलाहा इल्ला हुवल हय्युल कय्यूम, ला ता खुज़ुहु िसनातु वला न`ऊम, लहू मा िफस्समावाती
व मा िफल अद़र् , मन ज़ल्लज़ी यशफ`ऊ इनदु हु इल्ला िब इिज़्नह, याअलमु मा बैना अैदीिहम व मा ख़ल
फहूम, व ला यूहीतूना िब शैइम् िमन इिल्मही इल्ला िबमा शा~, विसआ कुसीर् यु हुस्समावाती वल अद़र् ,
वला यअु दु हु िहफजु हुमा वहुवल अिलयुल अज़ीम”
"अल्लाह ही सच्चा माबूद है, िजसके अलावा कोई इबादत के लायक नहीं, जो िज़न्दा है
और सबको क़ायम रखने वाला है, िजसे न ऊँघ आए न नींद, उस की िमिल्कयत में ज़मीन
और आसमान की सभी चीज़ें हैं, कौन है जो उसके हुक्म के िबना उसके सामने िसफािरश
कर सके, वो जानता है जो उनके सामने है और जो उनके पीछे है, और वो उसके इल्म में से
िकसी चीज़ का घेरा नहीं कर सकते, िसवाय उसके जो वो चाहे, उसकी कुसीर् के िवस्तार ने
धरती और आसमानों को घेर रखा है, और वो न उनकी िहफाज़त से न थकता है और न
ऊबता है, और वो सबसे बुलंद रुतबा, बहोत बड़ा है।”
(सूरतुल बक़रा : २५५)
असर: १. फ़ज़र् नमाज़ के बाद आयतुल कुसीर् पढ़ने पर आपके और जन्नत के बीच कोई चीज़ नहीं होगी िसवाय मौत
के। (अल-नसाई - अल-यौम वल-लय्ला)
२. सोने से पहले आयतुल कुसीर् पढ़ने पर, अल्लाह आपके पास एक िहफ़ाज़त करने वाला फ़िरश्ता भेजेगा हर चीज़
से आपकी िहफ़ाज़त के िलए और शैतान आपके क़रीब नहीं आएगा। (सह़ीह़ अल-बुख़ारी: ४६२४)
५. घर में दािखल होते वक़्त और खाना शुरू करने से पहले (नोट: कोई भी चीज़ खाने या िपने में िसफर्
सीधे हाथ का इस्तेमाल हो):
ِ ائ
ث ِ َخب ِ ُخب
َ ث َوا ْل ُ ال َّل ُه َّم إِنِّي أ َ ُعوذُ ِب َك ِم َن ا ْل
िबिस्मल्लाह, अल्लाहुम्मा इन्नी आ‛ऊज़ु िबका मीनल-ख़ुबूिस वल-ख़बा’इस़
(अल्लाह के नाम से, ऐ अल्लाह मैं तेरी पनाह चाहता हूँ बुराई से, और मदर् और औरत शैतानों से)
असर: आप मदर् और औरत शैतान से बचे रहेंगे जो बैतूल ख़ला में होते हैं।
(सह़ीह़ मुिस्लम: ३७५)
(अल्लाह के नाम से, मैं भरोसा करता हूँ अल्लाह पर, न कोई ताक़त है न कोई क़ुव्वत बगैर
अल्लाह के)
असर: इस पर फ़िरश्ते कहते हैं, "तुम्हे बचाया जायेगा, तुम्हारी िहफ़ाज़त की जाएगी, और तुम्हे िहदायत दी
जाएगी," और शैतान से तुम्हारी िहफ़ाज़त होगी।
(अबू दावूद: ५०९५)
(मैं अल्लाह के तमाम किलमात के साथ उन तमाम चीज़ों की बुराई से पनाह चाहता हूँ जो उस ने
पैदा कीं हैं)
असर: कोई चीज़ आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगी जब तक वहां से िनकलोगे नहीं।
(सह़ीह़ मुिस्लम: २७०८; ितिमर् िज़: ३४३७; इब्न माजाह: ३५४७)