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धनतेरस का त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है
धनतेरस का त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है
और यमराज के र्लए दीप दे ते हैं । जोके भगवन शर्न के भाई है |धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है
। धनतेरस का पवि आयुवेद के दे वता के जन्मर्दन के रूप में भी मनाया जाता है ।र्जनको धन्वन्तरर के नाम से जाना
जाता है |
साल 2016 में धनतेरस का त्यौहार 28 अक्टू बर को मनाया जाएगा। इस र्दन पूजा का शु भ मुहूति र्नम्न है
इस मं त्र का अर्ि है :
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृ त्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के सार् सूयिनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा
लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं ।
इस र्दन संध्या के समय कूड़े पर दीपक जलाना बड़ा ही शु भ मन जाता है |और र्नम्न मंत्र का जाप र्कया है
दीपक को प्रदोष काल में ही जलाना चार्हए क्ोंर्क इस र्दन प्रदोषकाल के समय दीपदान दे ना शु भ माना जाता है ।
दीपदान का शुभ मु हूति शाम 5 बजकर 38 र्मनट से ले कर रार्त्र 8 बजकर 10 र्मनट तक है। इस र्दन कुबेर भगवान
और लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मु हूति शाम 6 बजकर 04 र्मनट से ले कर रार्त्र 07 बजकर 06 र्मनट तक है ।
नई चीजों के शु भ आगमन के इस पवि में मु ख्य रूप से नए बतिन या सोना-चां दी खरीदना चार्हए । आस्र्ावान भक्ों के
अनु सार चूंर्क जन्म के समय धन्वं तरर जी के हार्ों में अमृ त का कलश र्ा, इसर्लए इस र्दन बतिन खरीदना अर्त शु भ
होता है । र्वशेषकर पीतल के बतिन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है ।पीतल या कां सा का बतिन बहुत ही सुबह माना
जाता है |
कहा जाता है र्क इसी र्दन यमराज से राजा र्हम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने र्कया र्ा, र्जस कारण दीपावली से दो
र्दन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वयि का त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम दे व के र्नर्मत्त दीपदान र्कया जाता है । इस
र्दन को यमदीप दान भी कहा जाता है । मान्यता है र्क ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा र्मलती है और पूरा
पररवार स्वस्र् रहता है । इस र्दन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पर्वत्र बनाया जाता है और र्फर शाम
के समय रं गोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की दे वी मां लक्ष्मी का आवाहन र्कया जाता है ।