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पुखराज

पुखराज को स्वर्ण की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी ब्रहस्पकि वार के किन सूर्ण
उिर् होने के पश्चाि् इसकी प्रार् प्रकिष्ठा करवाकर धारर् करें ! पु खराज धारर् करने
से पहले इसकी कवकधवि पूजा-अर्णना करनी र्ाकहए।
इसके कलए सबसे पहले अंगुठी को िू ध, गं गा जल शहि, और शक्कर के घोल में
डाल िे , किर पां र् अगरबत्ती ब्रहस्पकि िे व के नाम जलाए और प्रार्ण ना करे कक हे
ब्रहस्पकि िे व मै आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न
पुखराज धारर् कर रहा हूँ कृपर्ा करके मुझे अपना आशीवाण ि प्रिान करे ! अंगूठी
को कनकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमािे हुए ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये
नम: का जाप करे ित्पश्चाि अंगूठी िजणनी में धारर् करे !
पुखराज
पुखराज को स्वर्ण की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी ब्रहस्पकि वार के किन सूर्ण
उिर् होने के पश्चाि् इसकी प्रार् प्रकिष्ठा करवाकर धारर् करें ! पु खराज धारर् करने
से पहले इसकी कवकधवि पूजा-अर्णना करनी र्ाकहए।
इसके कलए सबसे पहले अंगुठी को िू ध, गं गा जल शहि, और शक्कर के घोल में
डाल िे , किर पां र् अगरबत्ती ब्रहस्पकि िे व के नाम जलाए और प्रार्ण ना करे कक हे
ब्रहस्पकि िे व मै आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न
पुखराज धारर् कर रहा हूँ कृपर्ा करके मुझे अपना आशीवाण ि प्रिान करे ! अंगूठी
को कनकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमािे हुए ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये
नम: का जाप करे ित्पश्चाि अंगूठी िजणनी में धारर् करे !
पुखराज
पुखराज को स्वर्ण की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी ब्रहस्पकि वार के किन सूर्ण
उिर् होने के पश्चाि् इसकी प्रार् प्रकिष्ठा करवाकर धारर् करें ! पु खराज धारर् करने
से पहले इसकी कवकधवि पूजा-अर्णना करनी र्ाकहए।
इसके कलए सबसे पहले अंगुठी को िू ध, गं गा जल शहि, और शक्कर के घोल में
डाल िे , किर पां र् अगरबत्ती ब्रहस्पकि िे व के नाम जलाए और प्रार्ण ना करे कक हे
ब्रहस्पकि िे व मै आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न
पुखराज धारर् कर रहा हूँ कृपर्ा करके मुझे अपना आशीवाण ि प्रिान करे ! अंगूठी
को कनकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमािे हुए ॐ ब्रह्म ब्रह्स्पतिये
नम: का जाप करे ित्पश्चाि अंगूठी िजणनी में धारर् करे !
हीरे को र्ाूँ िी र्ा सोने की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार को सूर्ण
उिर् के पश्चाि अंगूठी को िू ध, गंगा जल, शक्कर और शहि के घोल में डाल िे !
उसके बाि पार् अगरबत्ती शुक्रिे व के नाम जलार्े और प्रार्णना करे की हे शुक्र िे व मै
आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न,हीरा धारर् कर रहा हूँ ,
कृपर्ा करके मुझे आशीवाण ि प्रिान करे ! ित्पश्चाि अंगूठी को कनकाल कर ॐ शं
शुक्रार् नम: का 108 बारी जप करिे हुए अं गूठी को अगरबत्ती के उपर से घुमाए
किर मंत्र के पश्चाि् अंगूठी को लक्ष्मी जी के र्रर्ों से लगाकर ककनकिका र्ा
मध्यमा ऊूँगली में धारर् करे !
हीरे को र्ाूँ िी र्ा सोने की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार को सूर्ण
उिर् के पश्चाि अंगूठी को िू ध, गंगा जल, शक्कर और शहि के घोल में डाल िे !
उसके बाि पार् अगरबत्ती शुक्रिे व के नाम जलार्े और प्रार्णना करे की हे शुक्र िे व मै
आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न,हीरा धारर् कर रहा हूँ ,
कृपर्ा करके मुझे आशीवाण ि प्रिान करे ! ित्पश्चाि अंगूठी को कनकाल कर ॐ शं
शुक्रार् नम: का 108 बारी जप करिे हुए अं गूठी को अगरबत्ती के उपर से घुमाए
किर मंत्र के पश्चाि् अंगूठी को लक्ष्मी जी के र्रर्ों से लगाकर ककनकिका र्ा
मध्यमा ऊूँगली में धारर् करे !
हीरे को र्ाूँ िी र्ा सोने की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार को सूर्ण
उिर् के पश्चाि अंगूठी को िू ध, गंगा जल, शक्कर और शहि के घोल में डाल िे !
उसके बाि पार् अगरबत्ती शुक्रिे व के नाम जलार्े और प्रार्णना करे की हे शुक्र िे व मै
आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न,हीरा धारर् कर रहा हूँ ,
कृपर्ा करके मुझे आशीवाण ि प्रिान करे ! ित्पश्चाि अंगूठी को कनकाल कर ॐ शं
शुक्रार् नम: का 108 बारी जप करिे हुए अं गूठी को अगरबत्ती के उपर से घुमाए
किर मंत्र के पश्चाि् अंगूठी को लक्ष्मी जी के र्रर्ों से लगाकर ककनकिका र्ा
मध्यमा ऊूँगली में धारर् करे !
हीरे को र्ाूँ िी र्ा सोने की अंगूठी में जड् वाकर ककसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार को सूर्ण
उिर् के पश्चाि अंगूठी को िू ध, गंगा जल, शक्कर और शहि के घोल में डाल िे !
उसके बाि पार् अगरबत्ती शुक्रिे व के नाम जलार्े और प्रार्णना करे की हे शुक्र िे व मै
आपका आशीवाण ि प्राप्त करने के कलए आपका प्रकिकनकध रत्न,हीरा धारर् कर रहा हूँ ,
कृपर्ा करके मुझे आशीवाण ि प्रिान करे ! ित्पश्चाि अंगूठी को कनकाल कर ॐ शं
शुक्रार् नम: का 108 बारी जप करिे हुए अं गूठी को अगरबत्ती के उपर से घुमाए
किर मंत्र के पश्चाि् अंगूठी को लक्ष्मी जी के र्रर्ों से लगाकर ककनकिका र्ा
मध्यमा ऊूँगली में धारर् करे !

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