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कार्य प्रपत्र 5

नाम -----------------------------------------------अनुक्रमाांक ---------------


---कक्षा ---------------------------

विषर् -----------------प्रपत्र सांख्या -------------------------------------विनाांक -


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अपवित गद्ाांश
हमारे शरीर के लिए भोजन आवश्यक है । इसी प्रकार हमारे मस्तिष्क को भी भोजन की
आवश्यकता होती है । मस्तिष्क का सवोत्तम भोजन पुिकें होती हैं । इं का अपना ही आनंद है जो लकसी
अन्य विु से नहीं लमि सकता । अध्ययन करते समय हम जीवन की ल ंताओं और दु खों को भू ि जाते हैं

अध्ययन कई प्रकार का होता है । पहिा प्रकार ,हल्का फुल्का अध्ययन अर्ाा त समा ार पत्ों ,पत् -
पलत्काओं आलद को पढ् ना होता है लजनसे वतामान घटनाओं के लवषय मेन व्यापक ज्ञान प्राप्त होता है ।
इनके द्वारा हमें लवश्व के प्रत्येक भाग की घटनाओं और लिया किापों के लवषय मेन सब कुछ पता िता
रहता है । आज के यु ग मेन हम इस प्रकार के हल्के-फुल्के अध्ययन से वंल त नहीं रे ह सकते । लबना
समा ार पत्ों के हम कुएं के मेंढक के समान हो जाएं गे । इसलिए ऐसे अध्ययन को जो आनंदमय हो
और लशक्षा प्रद भी, अनदे खी नहीं की जा सकती ।

इसके बाद यात्ा और साहलसक कायों से संबद्ध पुिकें आती हैं । व्यस्ति डाइनाइक जीवन
की कठोर वािलवकताओ;न से दू र भागना ाहता है । साहलसक काया करने की भावना मानव के रि मे
होती है । यात्ा और साहलसक कायों का वर्ान करने वािी पुिकें हमारे मन मे भी साहस और लनभीकता
की भावना पैदा करती हैं । खािी समय को आनंद से लबताने का सबसे अच्छा स्सादन घई उपन्यास । शाम
के समय अर्वा गाड़ी मे यात्ा करते समय उपन्यास पड़ने से बेहतर कोई मनोरं जन नहीं है । कुछ समय
के लिए पाठक अपने व्यस्तित्व और सत्ता को ही भूि जाता है । वह उपन्यास के लकसी ररत् के सार्
एकाकार हो जाता है । इससे उसे अपार सुख लमिता है ।

इनके अिावा गंभीर अध्ययन की पुिकें होती हैं । इनमे सालहत्य , इलतहास, दशान आलद की
पुिकें आती हैं जो सभी काि मेन पढ़ने योग्य कृलतयााँ होती हैं । ऐसी पुिकें गंभीर और लव ारशीि
व्यस्तियों के लिए होती हैं । सालहत्य का लवद्यार्ी सभी युगों के सवोत्कृष्ट लवद्वानों के संपका मे आता है और
अपने ल ंतन के लिए उपयोगी आहार प्राप्त करता है । वे उसे जीवन के आध्यास्तिक मूल्ों की पूरी
जानकारी दे ते हैं । इस प्रकार वह अपने जीवन को श्रेष्ठ और महान बना सकता है । उसका दृस्तिकोर्
व्यापक हो जाता है और मानव ज्के प्रलत उसकी सहानुभूलत बढ़ जाती है ।

बेकन ने कहा र्ा लक कुछ पुिकों का केवि स्वाद खना ालहए , कुछ को लनगि जाना
ालहए और कुछ को अच्छी प्रकार से बाकर प ा िेना ालहए। लकसी पुिक को पाठ्य पुिक के रूप मे
पढ़ने की अलनवायाता की भावना आ जाती है ,। यह अलनवायाता उपयोगी हो सकती है । परं तु इससे रुल
का हनन होता जाता है । पुिकों का वािलवक प्रेमी तो हर समय इनकी संगलत मे आनंद का अनुभव करता
है ।

पढ़ने की आदत मनुष्य के सभी होने का ल न्ह है । यह मनोरं जन का अच्छा साधन है और


खािी समय को लबताने का सबसे अच्छा उपाय है । पुिकों का खजाना लकसी भी राजा के खजाने से बड़ा
होता है । पुिकें किा , सालहत्य, लवज्ञान और ज्ञान रूपी सोने की खाने हैं ।
प्रश्न –

1. आशय स्पष्ट कीलजये –मस्तिष्क का सिोत्तम भोजन पुिकें हैं ।


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2. अध्ययन करते समय मनु ष्य लकस मनोदशा में पहाँ जाता है ?
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3. समा ारपत्ों के अभाव मे मनुष्य की क्या दशा हो सकती है ?
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4. साहलसक उपन्यास पढ़ने से क्या िाभ लमिता है ?
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5. उपन्यास पढ़ने से आनंद क्यों लमिता है ?
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6. गंभीर पुिकें लकनका मनोरं जन करती हैं ?
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7. गंभीर पुिकों से पाठक के व्यस्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
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8. पाठ्य पुिकों की हालन बताइये ।
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9. सिोत्कृष्ट का पयाा यवा ी शब्द इसी अनु छे द से लिस्तखए ।
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10. सहानुभूवत का संलधलवच्छे द कीलजये ।
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11. साहस से लवशेषर् बनाइये ।

12. सरि वाक्य में बदलिए – इनमें सावहत्य की पुिकें आती हैं जो सभी काल मे पढ़ी जाने र्ोग्य
होती हैं ।
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