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अधिगम
अधिगम
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अधिगम अर्थ
स्ककनर के अनस
ु ाय - „„सीखना व्मवहाय भें उत्तयोत्तय साभंजस्म की प्रक्रिमा है ।”
काऱववन के अनुसाय - „„ऩहरे से तनर्भतत व्मवहाय भें अनुबवों द्वाया हुए ऩरयवततन को अधधगभ कहते
हैं।‟‟
उऩयोतत ऩरयबाषाओं से स्ऩष्ट होता है क्रक सीखने के कायण व्मक्तत
के व्मवहाय भें ऩरयवततन आता है , व्मवहाय भें मह ऩरयवततन फाह्म एवं
आंतरयक दोनों ही प्रकाय का हो सकता है । अत् सीखना एक प्रक्रिमा है
क्जसभें अनबु व एवं प्रर्िऺण द्वाया व्मवहाय भें स्थामी मा अस्थाई
ऩरयवततन ददखाई दे ता है ।
अधिगम के ससद्ाॊत - १. थानतडाइक के अनस
ु ाय - सॊबॊिवाद का ससद्ाॊत
उपनाम :-
भहत्वऩण
ू त तथ्म :-
यह ससद्ाॊत प्रससद् अमेररकी मनोवैऻाननक 'एडवडथ एऱ.
र्ानथडाइक' द्वारा प्रनतपाटदत क्रकया गया।
इस ससद्ाॊत का प्रनतपादन रूस के मनोवैऻाननक पावऱव द्वारा 1904 में क्रकया गया,
अनक
ु ू सऱत-अनुक्रिया का अर्थ है अकवाभाववक उद्दीपक के प्रनत कवाभाववक अनुक्रिया का होना
.
पावऱव ने भख
ू े कुत्ते पर तीन पररस्कर्नतयों में प्रयोग क्रकए
१. अनक ु ू ऱन से पव
ू थ : प्रथभ सोऩान भें ऩावरव ने एक बखू े कुत्ते को स्टैंड से इस प्रकाय फांध
ददमा क्रक एक तनक्श्चत दयू ी के आगे वह नहीं जा सकता, इसके साभने दयू ी ऩय बोजन यखा
गमा क्रक कुत्ता बोजन को खा नहीं सकता था, कुत्ता बख ू ा था अत् साभने बोजन को दे खने
के कायण उसके भख ु से राय टऩकने रगी मह स्वाबाववक उद्दीऩक बोजन के प्रतत
अस्वबाववक अनक्रु िमा राय टऩकना थी
२. अनुकूऱन के दोरान : द्ववतीय सोपान में उन्हीॊ पररस्कर्नतयों में कुत्ते के
सामने भोजन रख के पहऱे 1 घॊिी बजाई गई और क्रर्र कुत्ते के सामने भोजन
रखा, इसके कारर् कुत्ते के महुॊ में ऱार िपकने ऱगी यहाॊ पर घॊिी का बज ना
अकवाभाववक उत्तेजक है यह क्रिया बार बार दोहराई गई स्जससे दोनों उतेजकों
में घननष्ठ सॊबॊि कर्ावपत हो गया।
३.अनक
ु ऱन के पश्चात: तत
ृ ीय सोपान में घॊिी तो बजाई गई क्रकॊतु भोजन
नहीॊ रखा गया , घॊिी की आवाज सनु कर कुत्ते के मह
ुॊ से ऱार िपकने ऱगी इस
प्रकार। इस प्रकार कवाभाववक तर्ा अकवाभाववक उतेजक में इतना अनुकूऱन
कर्ावपत हो गया क्रक ऐसा अकवभाववक उत्तेजक (घॊिी की आवाज) कवभाववक
उत्तेजक (भोजन) जैसा प्रभाव डाऱने ऱगा, यह अकवभाववक उद्दीपक के प्रनत
कवाभाववक अनक्रु िया र्ी
अनक
ु ू सऱत अनक्रु िया ससद्ाॊत का महत्व
गेस्टाल्टवादी कहते हैं क्रक सीखना ना तो उद्दीऩन अनक्रु िमा द्वाया होता है औय ना ही प्रमास
एवं िदु ट द्वाया फक्ल्क अधधगभ अंतदृतक्ष्ट मा सझ
ू द्वाया होता है सझ ू द्वाया सीखने का
तात्ऩमत ऩरयक्स्थतत को बरी-बांतत सभझ कय उसके प्रतत अनक्रु िमा कयने से है सझ ू द्वाया
सीखने भें फवु द्धभता संऻानात्भक मोग्मता का भहत्वऩण ू त मोगदान होता है सझ ू अचानक
उत्ऩन्न होती है इसके र्रए क्रकसी अभ्मास की आवश्मकता नहीं होती।
हऱ का प्रबॊिन ससध्दान्त —
इस र्सद्धान्त को आवश्मकता र्सद्धान्त, उद्देश्म प्रणवता र्सद्धान्त बी कहा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त भें आवश्मकताओं को व्मवहाय कयने के र्रए प्रेयणा स्रोत फतामा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त भें जैववकीम अनुकूरन को भहत्व ददमा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त के द्वाया िैक्षऺक क्रिमाओ आवश्मकताओं ऩय फर ददमा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त द्वाया प्रेयणा के भहत्व ऩय फर ददमा गमा है ।
अधिगम के प्रकार
योफटत गैन द्वाया अधधगभ के आि प्रकाय फताए गए हैं , इन्हें अधधगभ सोऩान बी कहा जाता
है अधधगभ के मह आि प्रकाय के ऩदानि ु भ भें व्मवक्स्थत है तथा ऩव
ू त अधधगभ का प्रकाय फाद
वारे अधधगभ के प्रकाय के र्रए ऩव
ू त आवश्मक है
जफ ऩहरे प्राप्त क्रकमा गमा ऻान मा कौिर नए ऻान मा कौिर भें फाधा उत्ऩन्न कये तो
इस प्रकाय के अधधगभ अंतयण को नकायात्भक ऋणातभक अधधगभ अंतयण कहा जाता है
उदाहयणाथत : अंग्रेजी बाषा का ऻान प्राप्त व्मक्तत को संस्कृत बाषा का ऻान प्राप्त कयने भें फाधा मा
ववयोध का साभना कयना ऩड़ेगा मही नकायात्भक अधधगभ अंतयण है ।
1. पव
ु थ अधिगम 8. र्कान
2. ववषय वकतु का कवरूप
9. वॊिानुिम
3. िारीररक कवाकथ्य एवॊ मानससक कवाकथ्य
5. सीखने की ववधि
6. असभप्रेरर्ा
7. वातावरर्
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