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अधिगम : प्रततददन नए नए अनुबव से व्मवहाय भें ऩरयवततन आने की प्रक्रिमा ही अधधगभ है।

प्रत्मेक व्मक्तत प्रततददन नए नए अनुबव एकत्रित कयता है इन नए नए अनबु व से उसके


व्मवहाय भें ऩरयवततन आता है इस प्रकाय नए अनुबव एकत्रित कयना तथा इन से व्मवहाय भें
ऩरयवततन आने की प्रक्रिमा अधधगभ है

सीखना मा अधिगम एक व्माऩक


सतत ् एवं जीवन ऩमतन्त चरनेवारी
प्रक्रिमा है ।
अधिगम को ननम्न प्रकार से समझा जा सकता है -

अधिगम अर्थ

नए अनुबव प्राप्त कयना

व्मवहाय भें ऩरयवततन = अधिगम


अधिगम की पररभाषायें -
वूडवर्थ के अनुसाय - „„सीखना ववकास की प्रक्रिमा है ।”

स्ककनर के अनस
ु ाय - „„सीखना व्मवहाय भें उत्तयोत्तय साभंजस्म की प्रक्रिमा है ।”

जे॰पी॰ धगऱर्थड के अनस


ु ाय - „„व्मवहाय के कायण, व्मवहायभें ऩरयवततन ही सीखना है ।‟‟

काऱववन के अनुसाय - „„ऩहरे से तनर्भतत व्मवहाय भें अनुबवों द्वाया हुए ऩरयवततन को अधधगभ कहते
हैं।‟‟
उऩयोतत ऩरयबाषाओं से स्ऩष्ट होता है क्रक सीखने के कायण व्मक्तत
के व्मवहाय भें ऩरयवततन आता है , व्मवहाय भें मह ऩरयवततन फाह्म एवं
आंतरयक दोनों ही प्रकाय का हो सकता है । अत् सीखना एक प्रक्रिमा है
क्जसभें अनबु व एवं प्रर्िऺण द्वाया व्मवहाय भें स्थामी मा अस्थाई
ऩरयवततन ददखाई दे ता है ।
अधिगम के ससद्ाॊत - १. थानतडाइक के अनस
ु ाय - सॊबॊिवाद का ससद्ाॊत

उपनाम :-

1. उद्दीपन-अनक्रु िया का ससद्ाॊत


2. प्रयास एवॊ त्रटु ि का ससद्ाॊत
3. सॊयोजनवाद का ससद्ाॊत
4. अधिगम का बन्ि ससद्ाॊत
5. प्रयत्न एवॊ भूऱ का ससद्ाॊत
6. S-R थ्योरी
अधिगम के ससद्ाॊत - १. थानतडाइक के अनस
ु ाय - सॊबॊिवाद का ससद्ाॊत

भहत्वऩण
ू त तथ्म :-
 यह ससद्ाॊत प्रससद् अमेररकी मनोवैऻाननक 'एडवडथ एऱ.
र्ानथडाइक' द्वारा प्रनतपाटदत क्रकया गया।

 यह ससद्ाॊत र्ानथडाइक द्वारा सन 1913 ई. में टदया गया।


 र्ानथडाइक ने अपनी पक ु तक "सिऺा मनोववऻान" में इस ससद्ाॊत
का वर्थन क्रकया हैं।
 र्ानथडाइक ने अपना प्रयोग भूखी बबल्ऱी पर क्रकया।

 भूखी बबल्ऱी को स्जस बॉक्स में बन्ि क्रकया उस बॉक्स को "पज़ऱ


बॉक्स"(Pazzle Box) कहते हैं।

 भोजन या उद्दीपक के रूप में र्ानथडाइक ने "मछऱी" को रखा।


थानतडाइक का प्रमोग :- थानतडाइक ने अऩना प्रमोग बूखी त्रफल्री ऩय क्रकमा। त्रफल्री को कुछ
सभम तक बूखा यखने के फाद एक वऩंजये (फॉतस) भें फन्ध कय ददमा। वऩंजये के फाहय बोजन यख
ददमा। वऩंजये के अन्दय एक र्रवय(फटन) रगा हुआ था क्जसे दफाने से वऩंजये का दयवाजा खुर
जाता था।

बख ू ी त्रफल्री ने बोजन को प्राप्त कयने व वऩंजये से


फाहय तनकरने के र्रए अनेक िुदटऩूणत प्रमास क्रकए।
त्रफल्री के र्रए बोजन उद्दीऩक का काभ कय यहा था
ओय उद्दीऩक के कायण त्रफल्री प्रततक्रिमा कय यही
थी।उसने अनेक प्रकाय से फाहय तनकरने का प्रमत्न
क्रकमा। एक फाय संमोग से उसके ऩंजे से र्रवय दफ गमा।
र्रवय दफने से वऩंजये का दयवाजा खुर गमा ओय बूखी
त्रफल्री ने वऩंजये से फाहय तनकरकय बोजन को खाकय
अऩनी बूख को िान्त क्रकमा ,
थानतडाइक ने इस प्रमोग को फाय- फाय दोहयामा। तथा दे खा क्रक प्रत्मेक फाय
त्रफल्री को फाहय तनकरने भें वऩछरी फाय से कभ सभम रगा ओय कुछ सभम
फाद त्रफल्री त्रफना क्रकसी बी प्रकाय की बर
ू के एक ही प्रमास भें वऩंजये का
दयवाजा खोरना सीख गई। इस प्रकाय उद्दीऩक ओय अनुक्रिमा भें सम्फन्ध
स्थावऩत हो गमा।
अधिगम के ससद्ाॊत - सॊबॊिवाद का ससद्ाॊत
उपनाम :-

1. उद्दीपन-अनक्रु िया का ससद्ाॊत


2. प्रयास एवॊ त्रटु ि का ससद्ाॊत
3. सॊयोजनवाद का ससद्ाॊत
4. अधिगम का बन्ि ससद्ाॊत
5. प्रयत्न एवॊ भूऱ का ससद्ाॊत
6. S-R थ्योरी
१. थानतडाइक के अनुसाय -
थानतडाइक अभेरयका का प्रर्सद्ध भनोवैऻातनक हुआ है क्जसने
अधिगम के ससद्ाॊत - सीखने के कुछ तनमभों की खोज की क्जन्हें तनम्नर्रखखत दो
बागों भें ववबाक्जत क्रकमा गमा है

अ) मुख्य ननयम (Primary Laws) (ब) गौर् ननयम (Secondary Laws)

1. तत्परता का ननयम 1. बहु-अनक्रु िया का ननयम


2. अभ्यास का ननयम 2.मानससक स्कर्नत का ननयम
3. प्रभाव का ननयम 3. आॊसिक क्रिया का ननयम
4. समानता का ननयम
5. साहचयथ-पररवथतन का ननयम
मख्
ु य ननयम - सीखने के भख्
ु म तनमभ तीन है जो इस प्रकाय हैं
1. तत्परता का ननयम - इस तनमभ के अनस ु ाय जफ व्मक्तत क्रकसी कामत को
कयने के र्रए ऩहरे से तैमाय यहता है तो वह कामत उसे आनन्द दे ता है एवं िीघ्र
ही सीख रेता है । इसके ववऩयीत जफ व्मक्तत कामत को कयने के र्रए तैमाय नहीं
यहता मा सीखने की इच्छा नहीं होती है तो वह झंझ ु रा जाता है मा िोधधत
होता है व सीखने की गतत धीभी होती है ।
2. अभ्यास का ननयम - इस तनमभ के अनस ु ाय व्मक्तत क्जस क्रिमा को फाय-
फाय कयता है उस िीघ्र ही सीख जाता है तथा क्जस क्रिमा को छोड़ दे ता है मा फहुत
सभम तक नहीं कयता उसे वह बर ू ने रगताहै । जैसे„- गखणत के प्रश्न हर कयना,
टाइऩ कयना, साइक्रकर चराना आदद।
3. प्रभाव का ननयम - इस तनमभ के अनस ु ाय जीवन भें क्जस कामत को कयने ऩय
व्मक्तत ऩय अच्छा प्रबाव ऩड़ता है मा सख ु का मा संतोष र्भरता है उन्हें वह
सीखने का प्रमत्न कयता है एवं क्जन कामों को कयने ऩय व्मक्तत ऩय फुया प्रबाव
ऩडता है उन्हें वह कयना छोड़ दे ता है । इस तनमभ को ऩयु स्काय तथा दण्ड का
तनमभ बी कहा जाता है ।
गौर् ननयम -
1. बहु अनुक्रिया ननयम - इस तनमभ के अनस
ु ाय व्मक्तत के साभने क्रकसी नई सभस्मा के
आने ऩय उसे सर ु झाने के र्रए वह ववर्बन्न प्रततक्रिमाओं के हर ढूढने का प्रमत्न कयता है । वह
प्रततक्रिमामें तफ तक कयता यहता है जफ तक सभस्मा का सही हर न खोज रे औय उसकी
सभस्मासुरझ नहीं जाती। इससे उसे संतोष र्भरता है थानतडाइक का प्रमत्न एवं बूर द्वाया
सीखने का र्सद्धान्त इसी तनमभ ऩय आधारयत है ।

2. मानससक स्कर्नत या मनोवस्ृ त्त का ननयम - इस तनमभ के अनुसाय जफ


व्मक्तत सीखने के र्रए भानर्सक रूऩ से तैमाय यहता है तो वह िीघ्र ही सीख
रेता है । इसके ववऩयीत मदद व्मक्तत भानर्सक रूऩ से क्रकसी कामत को सीखने के
र्रए तैमाय नहीं यहता तो उस कामत को वह सीख नहीं सकेगा।
3. आॊसिक क्रिया का ननयम - इस तनमभ के अनुसाय व्मक्तत क्रकसी सभस्मा को
सरु झाने के र्रए अनेक क्रिमामें प्रमत्न एवं बर
ू के आधाय ऩय कयता है । वह
अऩनी अंतदृ त क्ष्ट का उऩमोग कय आंवषक क्रिमाओं की सहामता से सभस्मा का
हर ढूढ़ रेता है ।
4. समानता का ननयम - इस तनमभ के अनुसाय क्रकसी सभस्मा के प्रस्तुत होने
ऩय व्मक्तत ऩव
ू त अनबु व मा ऩरयक्स्थततमों भें सभानता ऩामे जाने ऩय उसके
अनब ु व स्वत् ही स्थानांतरयत होकय सीखने भें भद्द कयते हैं।

5. साहचयथ पररवतथन का ननयम - इस तनमभ के अनस ु ाय व्मक्तत प्राप्त ऻान का


उऩमोग अन्म ऩरयक्स्थतत भें मा सहचायी उद्दीऩक वस्तु के प्रतत बी कयने रगता
है । जैसे-कुत्ते के भह
ु से बोजन साभग्री को दे ख कय राय टऩकयने रगती है ।
ऩयन्तु कुछ सभम के फाद बोजन के फततनको ही दे ख कय राय टऩकने रगती है ।
पावऱव का अनुकूसऱत अनुक्रिया ससद्ाॊत-

इस ससद्ाॊत का प्रनतपादन रूस के मनोवैऻाननक पावऱव द्वारा 1904 में क्रकया गया,
अनक
ु ू सऱत-अनुक्रिया का अर्थ है अकवाभाववक उद्दीपक के प्रनत कवाभाववक अनुक्रिया का होना
.

पावऱव ने भख
ू े कुत्ते पर तीन पररस्कर्नतयों में प्रयोग क्रकए

१. अनक ु ू ऱन से पव
ू थ : प्रथभ सोऩान भें ऩावरव ने एक बखू े कुत्ते को स्टैंड से इस प्रकाय फांध
ददमा क्रक एक तनक्श्चत दयू ी के आगे वह नहीं जा सकता, इसके साभने दयू ी ऩय बोजन यखा
गमा क्रक कुत्ता बोजन को खा नहीं सकता था, कुत्ता बख ू ा था अत् साभने बोजन को दे खने
के कायण उसके भख ु से राय टऩकने रगी मह स्वाबाववक उद्दीऩक बोजन के प्रतत
अस्वबाववक अनक्रु िमा राय टऩकना थी
२. अनुकूऱन के दोरान : द्ववतीय सोपान में उन्हीॊ पररस्कर्नतयों में कुत्ते के
सामने भोजन रख के पहऱे 1 घॊिी बजाई गई और क्रर्र कुत्ते के सामने भोजन
रखा, इसके कारर् कुत्ते के महुॊ में ऱार िपकने ऱगी यहाॊ पर घॊिी का बज ना
अकवाभाववक उत्तेजक है यह क्रिया बार बार दोहराई गई स्जससे दोनों उतेजकों
में घननष्ठ सॊबॊि कर्ावपत हो गया।

३.अनक
ु ऱन के पश्चात: तत
ृ ीय सोपान में घॊिी तो बजाई गई क्रकॊतु भोजन
नहीॊ रखा गया , घॊिी की आवाज सनु कर कुत्ते के मह
ुॊ से ऱार िपकने ऱगी इस
प्रकार। इस प्रकार कवाभाववक तर्ा अकवाभाववक उतेजक में इतना अनुकूऱन
कर्ावपत हो गया क्रक ऐसा अकवभाववक उत्तेजक (घॊिी की आवाज) कवभाववक
उत्तेजक (भोजन) जैसा प्रभाव डाऱने ऱगा, यह अकवभाववक उद्दीपक के प्रनत
कवाभाववक अनक्रु िया र्ी
अनक
ु ू सऱत अनक्रु िया ससद्ाॊत का महत्व

• स्वबाव आदत का तनभातण


• बाषा का ववकास
• गखणत र्िऺण भें सहामक
• अर्बवक्ृ त्त का ववकास
• अनुिासन ववकास कयने भें सहामक
• बम तनवायण भें सहामक
• साभाक्जकयण भें सहामक
क्स्कनय का क्रिमा प्रसत
ू अनफ
ु ंधन र्सद्धांत

र्सद्धांत का प्रततऩादन अभेरयका के हावतडत ववश्वववद्मारम के प्रोपेसय फी एप क्स्कनय द्वाया


1938 भें क्रकमा गमा मह र्सद्धांत थानतडाइक के द्वाया प्रततऩाददत प्रबाव के तनमभ ऩय आधारयत है , इस
र्सद्धांत को कामातत्भक प्रततफद्धता तथा साधक अनफ ु ंध औय नैर्भक्त्तक वाद के नाभ से बी जाना जाता है ,
क्स्कनय के प्रमोगों के आधाय ऩय दे खा क्रक अनुफंधन भें दो प्रकाय के व्मवहाय हो सकते हैं

१. एक प्रकाय की व्मवहाय भें उद्दीऩक की २. दस ू ये प्रकाय के व्मवहाय भें उद्दीऩक की


जानकायी होती है इसे अनुक्रिमात्भक व्मवहाय जानकायी नहीं होती ऐसे व्मवहाय को क्रिमा प्रसूत
तथा ऐसी प्रततक्रिमा प्रकार्ित अनुक्रिमा व्मवहाय औय ऐसी प्रततक्रिमाएं तनगतर्भत तथा
उत्सक्जतत अनुक्रिमा कहराती हैं
कहराती हैं
क्स्कनय का भत है क्रक मदद तनगतर्भत अनक्रु िमा को
ऩुनगतदित कय ददमा जाए तो मह फरवती होकय व्मवहाय भें
ऩरयवततन राती है

क्स्कनय ने चुहों तर्ा कबूतरों ऩय प्रमोग क्रकए उन्होंने प्रमोग


कयने के र्रए एक वविेष फॉतस का प्रमोग क्रकमा क्जसे "क्रिमा
प्रसूत अनुफंध कऺ" नाभ ददमा गमा रेक्रकन फाद भें क्स्कनय के
र्िष्मों ने क्स्कनय के सम्भान भें "क्स्कनय फॉतस‟‟ नाभ ददमा।
कोहरय का अंतदृतक्ष्ट मा सझ
ू का र्सद्धांत
इस र्सद्धांत का प्रततऩादन कयने का श्रेम गैस्टरवाददमों को है गैकिाऱ जमथन भाषा का िब्द है
क्जसका अथत ऩण ू ातकाय मा सभग्र होता है गैस्टरवाद के प्रततऩादक भैतस वददतभय है क्जन्होंने
1912 भें जभतनी भें इसका प्रततऩादन क्रकमा।

गेस्टाल्टवादी कहते हैं क्रक सीखना ना तो उद्दीऩन अनक्रु िमा द्वाया होता है औय ना ही प्रमास
एवं िदु ट द्वाया फक्ल्क अधधगभ अंतदृतक्ष्ट मा सझ
ू द्वाया होता है सझ ू द्वाया सीखने का
तात्ऩमत ऩरयक्स्थतत को बरी-बांतत सभझ कय उसके प्रतत अनक्रु िमा कयने से है सझ ू द्वाया
सीखने भें फवु द्धभता संऻानात्भक मोग्मता का भहत्वऩण ू त मोगदान होता है सझ ू अचानक
उत्ऩन्न होती है इसके र्रए क्रकसी अभ्मास की आवश्मकता नहीं होती।

कोहरय ने अऩना प्रमोग “सुल्तान” नाभ के “वनभानुष” (धचंऩज ैं ी) ऩय क्रकमा था इसका


प्रमोग चाय चयणों भें था जो एक के फाद एक जदटर क्स्थततमां थी ।
गर्
ू री का समीपता ससद्ान्त —
– इस र्सद्धान्त को साभाक्जक अधधगभ र्सद्धान्त बी कहते है ।
– इस र्सद्धान्त भें व्मवहारयक फनाने ऩय फर ददमा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त भें भख्
ु म रूऩ से तनऩण
ु ता अक्जतत कयने ऩय फर ददमा गमा है ।
– इसभें गथू यी द्वाया ऩहे री फॉतस का प्रमोग क्रकमा गमा।

हऱ का प्रबॊिन ससध्दान्त —
इस र्सद्धान्त को आवश्मकता र्सद्धान्त, उद्देश्म प्रणवता र्सद्धान्त बी कहा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त भें आवश्मकताओं को व्मवहाय कयने के र्रए प्रेयणा स्रोत फतामा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त भें जैववकीम अनुकूरन को भहत्व ददमा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त के द्वाया िैक्षऺक क्रिमाओ आवश्मकताओं ऩय फर ददमा गमा है ।
– इस र्सद्धान्त द्वाया प्रेयणा के भहत्व ऩय फर ददमा गमा है ।
अधिगम के प्रकार
योफटत गैन द्वाया अधधगभ के आि प्रकाय फताए गए हैं , इन्हें अधधगभ सोऩान बी कहा जाता
है अधधगभ के मह आि प्रकाय के ऩदानि ु भ भें व्मवक्स्थत है तथा ऩव
ू त अधधगभ का प्रकाय फाद
वारे अधधगभ के प्रकाय के र्रए ऩव
ू त आवश्मक है

1. सॊकेत अधिगम 5. ववभेद अधिगम

2.उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम 6. सम्प्रत्यय अधिगम


3. श्ॊख
ृ ऱा अधिगम 7. ससद्ान्त अधिगम
4. िास्ब्दक साहचयथ अधिगम 8. समकया -समािान अधिगम
अधिगम अॊतरर् के प्रकार : ऩहरे सीखे ऻान मा कौिर का फाद भें र्िऺा
जाने वारे ऻान मा कौिर ऩय ऩड़ने वारे प्रबाव
के आधाय ऩय अधधगभ अंतयण तनम्न तीन प्रकाय
का होता है

१. सकारात्मक या िनागम अधिगम अॊतरर् :

इस प्रकाय के अधधगभ अंतयण भें एक ववषम का ऻान दस


ू ये ववषम का ऻान
प्राप्त कयने भें सहामता ऩहुंचाता है ।

उदाहयणाथत : क्जस व्मक्तत को दहंदी का ऻान है वह संस्कृत सीखना चाहता


है तो उसका दहंदी का ऻान उसे संस्कृत सीखने भें भदद कये गा मही सकायात्भक
अधधगभ अंतयण है ।
२. नकारात्मक ऋर्ातमक अधिगम अॊतरर्:

जफ ऩहरे प्राप्त क्रकमा गमा ऻान मा कौिर नए ऻान मा कौिर भें फाधा उत्ऩन्न कये तो
इस प्रकाय के अधधगभ अंतयण को नकायात्भक ऋणातभक अधधगभ अंतयण कहा जाता है
उदाहयणाथत : अंग्रेजी बाषा का ऻान प्राप्त व्मक्तत को संस्कृत बाषा का ऻान प्राप्त कयने भें फाधा मा
ववयोध का साभना कयना ऩड़ेगा मही नकायात्भक अधधगभ अंतयण है ।

३ . िुन्य अधिगम अॊतरर् :

इस प्रकाय के अधधगभ अंतयण भें एक ववषम का ऻान न तो दस


ू ये ववषम भें सहामता प्रदान
कयता है औय न हीं फाधाएं मा अवयोध उत्ऩन्न कयता है ।

उदाहयणाथत : क्रिकेट का खखराड़ी फल्रेफाजी के फाद गें द पेंकने का कौिर सीखता है इस ऩय


फल्रेफाज के कौिर का कोई प्रबाव नहीं ऩड़ता मह िन्ु म अधधगभ अंतयण है ।
अधिगम को प्रभाववत करने वाऱे कारक :-

1. पव
ु थ अधिगम 8. र्कान
2. ववषय वकतु का कवरूप
9. वॊिानुिम
3. िारीररक कवाकथ्य एवॊ मानससक कवाकथ्य

4. अधिगम / सीखने की इच्छा 10. अॊत:कत्रावी ग्रॊधर्याॉ

5. सीखने की ववधि
6. असभप्रेरर्ा
7. वातावरर्
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