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भारत का संविधान

Constitution of India
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संविधान क्या है ?
वकसी भी देश का संविधान ईसकी राजनीवतक व्यिस्था का िह
बवु नयादी सांर्ा-ढांर्ा वनधाचररत करता है, वजसके ऄंतगचत ईसकी
जनता शावसत होती है । संविधान राज्य की विधावयका,
कायचपाविका और न्यायपाविका जैसे प्रमख ु ऄंगों की स्थापना
करता है, ईसकी शवियों की व्याख्या करता है, और ईनके
पारस्पररक तथा जनता के साथ संबंधों का विवनयमन करता है।
संविधान क्या है ?
आस प्रकार वकसी देश के संविधान को ईसकी ऐसी 'अधार' विवध
(कानून) कहा जा सकता है, जो ईसकी राज्यव्यिस्था के मूि
ु ः प्रत्येक संविधान ईसके
वसद्धातों को वनधाचररत करती है। िस्तत
संस्थापकों एिं वनमाचताओ ं के अदशों, सपनों तथा मूल्यों का
दपचण होता है । िह जनता की विवशष्ट सामावजक, राजनीवतक
और अवथचक प्रकृवत, अस्था एिं अकांक्षाओ ं पर अधाररत होता है।
भारतीय संविधान -
भारतीय संविधान विश्व का सबसे बडा
विवखत संविधान है वजसका वनमाचण
संविधान वनमाचत्री सभा द्वारा वकया गया ।
भारतीय संविधान
का आवतहास
• इस्ट आं वडया कंपनी की स्थापना
• इस्ट आं वडया कंपनी की स्थापना 1600 इस्िी के
र्ाटचर एक्ट के तहत की गइ थी ।
• यह कायच एक र्ाटच (राजिेख) के माध्यम से वकया
गया, वजसे सन् 1600 इ. का र्ाटचर कहा जाता है ।
• इस्ट आं वडया कंपनी की स्थापना
• भारत में कंपनी का सिचप्रथम व्यापाररक केंद्र सूरत था ।
• कंपनी ने मंब ु इ मद्रास और किकत्ता में भी ऄपनी
व्यापाररक केंद्र स्थावपत वकए। आन नगरों को प्रेवसडेंसी
नगर कहा जाता था ।
• आसका प्रशासन प्रवसडेंट एिं ईनकी पररषद करती थी।
े –
• 1726 का राजिख
( एक्ट, 1726 )
• 1726 का राजिेख –
• आस राजिेख द्वारा कोिकाता मंब ु इ और मद्रास प्रेवसडेंसी के
गिनचर एिं ईसकी पररषद को विवध बनाने की शवि प्रदान
की गइ यह एक महत्िपूणच कदम था ।
• 1757 इस्िी में ऄंग्रजे प्िासी की िडाइ में बंगाि के ऄंवतम
शासक निाब वसराजुद्दौिा को हराकर बंगाि प्रांत के
िास्तविक शासक बन बैठे । प्िासी की जीत से ही भारत में
े ी साम्राज्य की नींि पडी ।
ऄंग्रज
• 1757 इ. की प्िासी की िडाइ और 1764 इ. में बक्सर के
यद्ध
ु को ऄंग्रज े ों द्वारा जीत विए जाने के बाद बंगाि पर
विवटश इस्ट आं वडया कंपनी ने शासन का वशकंजा कसा.
आसी शासन को ऄपने ऄनक ु ू ि बनाए रखने के विए
े ों ने समय-समय पर कइ एक्ट पाररत वकए, जो
ऄंग्रज
भारतीय संविधान के विकास की सीवढ़यां बनीं.
 1773 का रेगि
ु वे टंग
एक्ट –
ु वे टंग एक्ट –
• 1773 का रे गि
• यह ऄवधवनयम भारतीय संविधान की
विकास की प्रविया का प्रारं वभक र्रण था ।
• 1773 इस्िी में िारे न हेवस्टंग्स ने रे गि
ु वे टंग
एक्ट पाररत वकया ।
ु वे टंग एक्ट के प्रमख
1773 का रे गि ु प्रािधान -
 बंगाि के गिनचर को गिनचर जनरि का पद नाम वदया ।
 बंगाि के प्रथम गिनचर जनरि िॉडच िारे न हेवस्टंग्स बने ।
 1774 के फोटच विवियम कोिकाता में ऄध्यक्ष न्यायािय के रूप में
ईच्र्तम न्यायािय की स्थापना की गइ ।
 भारतीय प्रांतों के एकीकरण की प्रविया प्रारं भ हुइ ।
 इस्ट आं वडया कंपनी के वियाकिापों को विवटश शासन के
वनयंत्रण में िाया गया ।
 भारत में केंद्रीय प्रशासन की नींि रखी गइ ।
 एक्ट ऑफ सटे िमटें 1781
 एक्ट ऑफ सेटिमेंट 1781 -
ु वे टंग एक्ट की त्रवु टयों को दूर
1781 का एक्ट ऑफ सेटिमेंट रे गि
करने के विए पाररत वकया गया था। आस एक्ट ने कोिकाता की
सरकार को बंगाि वबहार, ईडीसा के विए विवध बनाने का ऄवधकार
प्रदान वकया। आस प्रकार कोिकाता की सरकार को विवध बनाने के 2
स्त्रोत प्राप्त हो गए ।
i. रे गिु वे टंग एक्ट के ऄधीन िह कोिकाता प्रेवसडेंट के विए था तथा
ii. एक्ट ऑफ सेटिमेंट के ऄंतगचत बंगाि वबहार ईडीसा की दीिानी
प्रदेशों के विए विवध बना सकती थी ।
 वपट्स आं वडया एक्ट 1784
 वपट्स आं वडया एक्ट 1784 -
 आसके ऄंतगचत वनयंत्रण मंडि का गठन हुअ।
 सिचप्रथम कंपनी की व्यापाररक एिं राजनीवतक गवतविवधयों को
एक दूसरे से ऄिग वकया गया । एक गप्त
ु सवमवत गवठत की गइ ।
 द्वैध शासन की शरु
ु अत हुइ । 1858 तक जारी रही।

 भारत पर कंपनी के कोटच ऑफ डायरे क्टसच का ि विवटश संसद के


बोडच ऑफ कंट्रोि का सवममवित रुप से वनयंत्रण स्थावपत हुअ।
 1793 का राजपत्र -
1793 का राजपत्र -

वनयंत्रण मंडि के सदस्यों ि कमचर्ाररयों को


िेतन भारतीय राजस्ि से वदया जाने िगा ।
यह व्यिस्था 1919 तक जारी रही ।
 1813 का राजपत्र -
1813 का राजपत्र -
 कंपनी ने भारतीय व्यापार के एकावधकार को अंवशक रूप से
समाप्त कर वदया।
 भारत में ऄंग्रज
े ी शासन की संिध ै ावनक वस्थवत पहिी बार स्पष्ट
की गइ।
 ₹ 1 िाख की धनरावश का प्रािधान प्रवतिषच वशक्षा हेतु वकया
गया।
 इसाइ धमच प्रर्ारकों को भारत में धमच प्रर्ार की ऄनम
ु वत दी गइ।
 1833 का राजिख

ऄवधवनयम –
 1833 का राजिेख ऄवधवनयम –
 कंपनी का व्यापाररक ऄवधकार पण ू चता समाप्त कर वदया गया।
 र्ीन के साथ व्यापार ि र्ाय के व्यापार के एकावधकार को समाप्त
कर वदया गया।
 बंगाि का गिनचर जनरि ऄब भारत का गिनचर जनरि पद नाम
से जाना जाने िगा
 िॉडच विवियम बैंवटक भारत का प्रथम गिनचर जनरि बना।
 भारत के कानून का वहंदी केन्द्रीयकरण वकया गया ।
 1833 का राजिेख ऄवधवनयम –
 विवध अयोग बना , 1855 में आसके पहिे ऄध्यक्ष िाडच मेकािे थे।
 वनयवु ियों में भारतीयों के साथ भेदभाि को समाप्त वकया गया।
 दास्तां को ऄिैध घोवषत वकया गया।
 बोडच ऑफ कंट्रोि के प्रधान को भारतीय मामिों का मंत्री बनाया
गया।
 भारत में वशक्षा के प्रर्ार के विए सािाना 10 िाख रुपए का
प्रािधान वकया गया।
 1853 का राजिख

ऄवधवनयम -
 1853 का राजिेख ऄवधवनयम -
 आस ऄवधवनयम में कायचपाविका तथा विधाइ शवियों
को सिचप्रथम पथृ क वकया गया ।
 संपूणच भारत के विए पहिी बार एक पथ ृ क विधान
पररषद की स्थापना की गइ ।
 वनयवु ियां ऄब प्रवतयोगी परीक्षा द्वारा की जाने िगी ।
 भारत शासन ऄवधवनयम
1858 –
 भारत शासन ऄवधवनयम 1858 –
 1784 का वपट्स आं वडया द्वारा िागू द्वैध शासन प्रणािी समाप्त कर दी गइ।
 भारत का प्रशासन 15 सदस्य भारत पररषद को सौंपा गया वजसका
ऄध्यक्ष भारत राज्य सवर्ि (भारत मंत्री )कहिाया।
 भारत का शासन कंपनी के हाथों से वनकिकर िाईन के हाथों में अ गया।
 गिनचर जनरि ि प्रांतों के गिनचरों की वनयवु ि विवटश सम्राट द्वारा की
जाती थी।
 गिनचर जनरि को िायसराय कहा जाने िगा िॉडच कैवनंग भारत का
पहिा िायरस बना।
 भारत पररषद ऄवधवनयम
1861 -
 भारत पररषद ऄवधवनयम 1861 -
 आस ऄवधवनयम से भारत में विभागीय प्रणािी की शरु ु अत हुइ।
 िायसराय की कायचकारी पररषद को आंपीररयि िेवजस्िेवटि काईं वसि कहा
जाने िगा।
 पहिी बार भारतीयों को विधान पररषद में प्रवतवनवधत्ि वमिा।
 कानूनी केंद्रीयकरण की शरु ु अत हुइ िोक प्रवतवनवधत्ि की ऄिधारणा का
नाम मात्र का समािेश वकया गया।
 कानन ू बनाने के कायच में भारतीयों का सहयोग िेना प्रारं भ वकया गया
प्रांतीय विधानसभाओ ं को कानन ू बनाने का ऄवधकार वदया गया।
 िायसराय को ऄध्यादेश जारी करने का ऄवधकार वदया गया।
 भारत पररषद ऄवधवनयम
1892 –
 वनिाचर्न पद्धवत अरं भ की गइ।
 भारत पररषद ऄवधवनयम, 1909
(मािे वमंटो ऄवधवनयम)
 भारत पररषद ऄवधवनयम, 1909 (मािे वमंटो ऄवधवनयम)

 1919 के ऄवधवनयम के समय िॉडच वमंटो भारत के िायसराय


तथा जॉन मािे भारत के सवर्ि थे आस कारण आनके द्वारा
एक्ट के जररए वकए गए सध ु ारों को "मािे वमंटो सध
ु ार" कहा
जाता है।
 पहिी बार वकसी भारतीय को िायसराय और गिनचर को
कायचकारी पररषद में शावमि करने का प्रािधान वकया गया।
 भारत पररषद ऄवधवनयम, 1909 (मािे वमंटो ऄवधवनयम)

 सत्येंद्र प्रसाद वसन्हा िायसराय की कायचपाविका पररषद के


प्रथम भारतीय सदस्य बने। ईन्हें विवध सदस्य बनाया गया था
 प्रथम बार बजट पर सीवमत प्रस्ताि प्रस्तत ु करने का
ऄवधकार सदस्यों को वदया गया।
 पहिी बार औपर्ाररक रूप से विधानमंडि का वसद्धांत प्रस्तत

वकया गया।
 भारत पररषद ऄवधवनयम, 1909 (मािे वमंटो ऄवधवनयम)

 1990 ऄवधवनयम की सबसे बडा दोष मस ु िमानों के विए


पथृ क वनिाचर्न मंडि की स्थापना तथा पथ ृ क मतावधकार
था। िॉडच वमंटो सांप्रदावयक वनिाचर्न मंडि के जनक के रूप में
जाने गए हैं।
 िावषचक बजट पर बहस करने का ऄवधकार वदया गया
 1960 में भारत सवर्ि की पररषद में दो भारतीय सैयद हुसन ै
वबिग्रामी एिं के जी गप्तु ा को वनयि
ु वकया गया था।
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