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परदेश का भौतिक सवरूप
परदेश का भौतिक सवरूप
jepybhakar.com/2018/02/Rajasthan-GK-important-questions.html
रेत के िवशाल लहरदार टीलो को धोरे कहा जाता है। अ च दाकार आकित वाले िवशेष टीले बरखान कहा जाता है।
इस पदेश म वषा 20 से 50 सेमी., शु क व अ यिधक िवषम जलवायु िवषम जलवायु व िम टी रेतीली बलुई पाई जाती है।
यहाँ सवािधक जैव िविवधता पाये जाने के कारण इस ै को ै कहा जाता है।
शेखावाटी ै म थानीय भाषा कु ए को जौहड़ तथा घास के मैदान को बीड़ कहते है।
अरावली पवत ख
ृ ला का शाि दक अथ चोिटयों की पंि त है।
यह सबसे पाचीनतम विलत पवतमाला की ृखला है, िजसका उ व केि बयन युग हुआ था।
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यह संरचना मक दृ◌्ि ट से अरावली पवतमाला देहली म की है।
रा य अरावली पवतमाला खेड़बमा (िसरोही) से खेतड़ी (झु झुन)ू तक फैली हुई है।
अरावली पवतमाला की कु ल ल बाई 692 िकमी.( ) व राज थान म इनम से 550 िकमी ल बाई है(खेड़बमा (िसरोही) से
खेतड़ी (झु झुन)ू )।
अरावली का सवािधक िव तार दि णी राज थान या उदयपुर म तथा युनतम म य राज थान या अजमेर म हुआ है।
अरावली की चोटीयाँ मशः गु िशखर (िसरोही, 1722/1727 मी., इसे कनल टॅ ाड ने स तो का टीला कहा), सेर
(िसरोही, 4597 मी.), िदलवाडा◌़ (िसरोही,1442 मी.), जरगा(उदयपुर, 1431 मी.), अचलगढ़ (िसरोही, 1380 मी.),
रघुनाथगढ़(सीकर, 1055), खौ। (नोट:- वतमान म इनका म दुसरा है जो आपको अितिशघ उपल ध करा िदया
जायेगा।)
♦राज थान को जलवायु (वषा को भी) के आधार पर 5 भागौ म बाँटा गया है-
जलवायु - िकसी भु-भाग पर ल बी अविध के दौरान िविभ न समयों म िविवध मौसमों की औसत अव था उस भू-भाग की
जलवायु कहलाती है।
राज थान उ ण शीतो ण किटबंध म आता है, तो तापमान की दृि ट से रा सथान गम शीतो ण किटबंध म आता है, कयोिक
राज थान का अिधकाश भाग कक रेखा के उतर म ि थत है।
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रा य या देश सबसे ल बा िदन 21 जून, सबसे छोटा िदन 22 िदस बर, सबसे ठ डा िदन 22 िदस बर, सबसे गम िदन 21
जून है।
राज थान की वािषक वषा का 58 सेमी./57.7 सेमी. व वािषक औसत तापमान 38 िडगी से. है।
राज थान म सवािधक ठ डा मिहना जनवरी, गम मिहना जुन व सवािधक आपेिखक आदता पुलाई से िसत बर
माह तक होती है।
राज थान के जुलाई माह म वायुदाब मानिच म 999 िमली बार रेखा जालौर, पाली, अजमेर, टोंक आिद िजलो से गुजरती
है।
रा य म सवपथम बरसात अरब सागरीय मानसून से तथा सवािधक वषा बंगाल की खाड़ी के मानसुन से होती है।
राज थान नयुनतम गी मकालीन तापमान वाला ै दिखणी-पूव राज थान है, तो पि चमी राज थान का सूखा मौसम है।
रा य म शीतकालीन म होने वाली वषा (मावठ) पि चमी िव ोभ (उतरी-पि चमी हवाओ) की उ पित भुम य सागर एवं
के पीयन सागर से होती है।
राज थान म मानसून वषा दि ण-पि चमी से उतर-पूव की ओर बढ़ती है, तो राज थान म उतर-पि चम से दि ण पुव की
ओर राज थान म वषा की मा ा विृ होती है।
युनतम तापा तर वाला थान माउण्अ आबु व अिधकतम तापा तर वाला िजला चु व नयुनतम तापा तर वाला िजला
डु गरपुर है।
रा य का सवािधक कम व अिधक वषा वाला थान मशः सम (जैसलमेर) व माउ ट आबु है।
राज थान का सवािधक व युनतम वषा वाला िजला मशः झालावाड़ व जैसलमेर है।
सवािधक आदता वाला िजला व थान मशः झालावाड़ व माउ ट आबु है।
सुय की सवािधक ितरछी िकरण ीगंगानगर व सीधी िकरण बाँसवाड़ा िजले म पड़ती है।
जैसलमर व इसके आसपास के इलाके मेकं जलगहण की पर परागत िवधी को खड़ीन कहते है।
राज थान को 50 सेमी वषा रेखा ओ भागो पूव व पि चमी राज थान म बाँटती है।
25 सेमी. वषा रेखा रा य के रेिग तान को दो भागो (शु क म थलीय पदेश व अ शु क म थलीय पदेश) म बाँटती है।
2. अ शु क जलवायु पदेशः- इसकी जलवायु पदेश वषा 20से 40 सेमी. ( आधा सुखा), औसत तापमान- गम म 30 से
36 िडगी सेि सयस, सद म 10 से 17 िडगी सेि सयस रहता है। इस पदेश म कांटेदार झाडीयाँ व घास ( टे पी पकार की
घास) पायी जाती है।
3. उपआद शु क जलवायु पदेशः- इसम वषा 40 से 60 सेमी., तापमान- गम म 28 से 34 िडगी सेि सयस, सद म 12
से 18 िडगी सेि सयस, व टे पी पकार के पतझड़ व िवरल वन पित पाई जाती है। पूव राज थान की जलवायु
पिरि थितयाँ सामा यतः नम होती है।
5. अितआद्र जलवायु पदेशः- इसम वषा 80 से 120 सेमी., तापमान- गम म 30 से 34 िडगी सेि सयस, सद म 12 से
18 िडगी सेि सयस, व व वन पित मानसूनी सवाना व सदाबहार पाई जाती है।
♦राज थान की अपवाह पणाली को तीन भागो में बाँटा में गया है-
राज थान की दो नदीयां सर वती नदी (घ घर नदी) व ेषवती नदी (जयपुर म बहती थी, िजसका अवशेष अमानीशाह नाला
ह। यह जयपुर की लाइफ लाइन है।) का वणन ऋ वेद म िमलता है।
नदीयो को जोड़ने से संबिधत योजना अमृत ांित है, तो भारतीय इंजीनीयर मो मु डम िव वे वरैया को राज थान म नदी
जोड़ने का जनक कहा जाता है।
घ घर नदी- इसका उ गम िहमाचल पदेश की िशवािलक पहाड़ी(कालका माता के तंिदर के पास) से तथा वषा के िदनों म
उफान पर होने पर इसका पानी फोट अ बास (पािक तान) तक चला जाता है। पािक तान म इसका बहाव ै हकरा
कहलाता है। राज थान म िट बी नामक थान से पवेश करती ह। इससे थोड़ी दुर तलवाड़ा झील (राज थान की सबसे
नीची झील)। इसे नट नदी/मतृ नदी/सोतर नदी/सर वती नदी/ ेषवती नदी/राज थान का शोक/लेटी हुई नदी आिद नामों से
जाना जाता है। यह आ तिरक पवाह की दृि ट से सबसे ल बी (4◌़65 िकमी.) नदी है।इस नदी िकनारे हनुमानगढ़
जं शन का धरातल थल उसके पास की नदी के पेटे के तर से भी नीचे है। इसका रा य बहाव ै नाली/पाट कहलाता
है।
कांकणी नदीः- उ गम कोठारी (जैसलमेर), िवलु त मीठा खाड़ी(जैसलमेर), यह जैसलमेर म बुझ झील का िनमाण करती
है। इसे कांकनेय व थानीय भाषा म मसूरदी नदी कहते ह। यह आ तिरक पवाह की सबसे छोटी(17 िकमी.) नदी ह।
साबी नदीः- उ गम सेवर के पहािड़यों से, िवलु त पटौदी (गुड़गांव,हिरयाणा) म। अलवर िजले की सबसे बड़ी नदी।
कांतली नदीः- उ गम ख डेला की पहाडीयों (रैवासा) से, िवलु त चु की सीमा पर। इसका बहाव ै तोरावाटी
कहलाता है। इसे मौसमी नदी भी कहा जाता है। राज थान म पूण की दृि ट से से आ तिरक पवाह की सबसे ल बी नदी
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ं नु ू को दो भागो म िवभािजत करती है।
(100 िकमी.) है। इसके िकनारे गणे वर स यता िवकिसत ह। यह झुझ
पारेल नदीः- उ गम उदय नाथ की पहाड़ी (थानागाजी, अलवर) से, िवलु त- सीकरी बाँध भरतपुर म। इसे लसवारी नदी
व थानीय भाषा म वराह नदी कहा जाता है।
माही नदीः- उ गम- म यपदेश के धार िजले की अमरो पहाड़ी के सरदारपुरा के िनकट मेहद झील से। इसे आिदवािसयों
की गंगा, बांगड़ की गंगा, काँठल की गंगा, दि णी राज थान की वण रेखा आिद नामों से जाना जाता है। माही नदी से
सुजलाम-सुफलाम ांित स बिधत है। माही नदी ि वेणी संगम (सोम, माही, जाखम नदी का) बेणे वर (डं◌ुगरपुर) बनाती
है। इसकी कु ल ल बाई 576 िकमी. व रा य म 171 िकमी. है। माही नदी कक रेखा को दो बार काटती है। माही नदी
डु ंगरपुर व बांसवाड़ा की सीमा का िनधारण करती है।
सोम नदी- उ गम- ऋषभदेव के बाबलवाड़ा के जंगल की बीछामेड़ा पहाड़ी से। माही व जाखम के साथ बेणे वर
(डं◌ुगरपुर) म ि वेणी संगम।
जाखम नदी- उ गम- पतापगढ़ की छोटी सादड़ी म भँवर माता के मि दर की पहाड़ी से। सोम व माही के साथ बेणे वर
(डं◌ुगरपुर) म ि वेणी संगम।
साबरमती नदी- उ गम- पदराडा(उदयपुर) से। रा य की एकमा नदी िजसका उ गम राज थान से होता है, पर तु मह व
गुजरात के िलए है। इसकी कु ल ल बाई 416 िकमी. व रा य म 45 िकमी. बहती है।
लूनी नदी- उ गम- अजमेर के नाग पहाड़। इसका पचीन नाम लवणमती, पु कर के पास सा ी नदी, उ गम थल अजमेर
से सरगावती/सागरमती नदी, जालौर म रेल/नाड़ा, मीठी-खारी नदी, म थल की गंगा, पि चमी राज थान की सबसे ल बी
नदी आिद नामों से जाना जाता है। इसका जल बालोतरा तक मीठा इसके प चात खारा हो जाता है, यौिक बालोतरा का
धरातल थल उसके पास की नदी के पेटे के तर से भी नीचा ह। इसका पवाह ै गोड़वाड़ पदेश कहलाता है। इसकी
कु ल ल बाई 495 िकमी. म से रा य म 330 िकमी. म बहती है। सहायक नदीयां- मीठड़ी, सुकड़ी, जवाई, सागी व जोजड़ी
नदी ह।
जवाई नदी- उ गम- पाली िजले की बाली तहसील की गौरया गांव से।
मीठड़ी नदी-
जोजड़ी नदी- उ गम- पाड़लु गांव नागौर। लूनी की एकमा सहायक नदी जो लूनी नदी म दाँए िकनारे से िमलती है व
िजसका उ गम अरावली के पहाड़ीयो से नही ं होता है।
पावती नदी- उ गम- म य पदेश के सेहोर ै से। यह राज थान म पवेश करयाहाट, बांरा नामक थान से। यह पािलया,
कोंटा म च बल नदी म िमल जाती है।
बाणगंगा नदी- उ गम- जयपुर िजले की बैराठ की पहाड़ी से। इसे अजुन की गंगा व ताला नदी कहा जाता है। इसके
िकनारे बैराठ स यता िवकिसत है। यह रा य की जो अपना पानी सीधा यमुना नदी (फतेहाबाद, आगरा) म डालती है।
इसकी कु ल ल बाई 380 िकलोमीटर ह।
बनास नदी- उ गम- खमनोर की पहाड़ी कु भलगढ़ से। इसे वणाशा नदी, विशि ट नदी व वन की आशा आिद नामों से
जाना जाता है। यह रा य मं◌े पुण बहाव की दृि ट से सबसे ल बी नदी है। इसकी कु ल ल बाई 480 िकमी. है। इसका
जलगहण सवािधक है। इस पर तीन ि वेणी संगम बनते है-
1. बी ंगोद, भीलवाड़ा म मेनाल, बनास व बेड़च नदी ारा बनाया जाता ह।
2. देवली के िनकट बीसलपुर, टोंक म डाई, खारी, बनास नदी ारा बनाया जाता है।
3. रामे वरम्, सवाईमाधोपुर म च बल, बनास व सीप नदी ारा बनाया जाता है। मेनाल झरना भीलवाड़ा व
िचतौड़गढ़ िजलो की सीमा पर ि थत है। यह सवाईमाधोपुर के ख डार गांव म रामे वरम् नामक थान म चमबल नदी
िमलती ह। इसकी सहायक नदीयां बेड़च, मेनाल, कोठारी, खारी, मेनाल व डाई नदी है।
बेड़च नदीः- उ गम-गोगु दा की पहाड़ी से इस नदी को उदय सागर झील से पहले आयड़ नदी व इसके प चात इसे बेड़च
नदी कहा जाता ह। इसके िकनारे आहड. स यता िवकिसत हुई है। इसकी ल बाई 190 िकमी. ह। यह बी ंगोद, भीलवाड़ा
म मेनाल व बनास के साथ िमलकर ि वेणी संगम बनाती है।
ग भीरी नदीः- उ गम- जावद गाँव (म यपदेश) व िचतौड़गढ़ के पास बेड़च म िमलती है।
आहु नदीः- उ गम- सुसनेर (म यपदेश) से, व राज थान म पवेश न दपुर गाँव (झालावाड़) म से। यह गागरोन के िकले के
पास कालीिसंध म िमल जाती है। गागरोन का िकला (झालावाड़) कालीिसंध व आहु नदी के संगम पर ही ि थत है।
कालीिसंध नदीः- उ गम- देवास (म यपदेश) के बागली गाँव की पहाड़ी से। राज थान म पवेश रायपुर गाँव (झालावाड़) म,
व नानेरा, कोटा म यह च बल नदी म िगर जाती है।
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परवन नदीः- उ गम- म यपदेश के मालवा के पठार से। राज थान म पवेश खरीबोर गाँव (झालावाड़) म। यह रामगढ़
कोटा म कालीिसंध नदी म िमल जाती है। इसी नदी पर बारां िजले म परवन पिरयोजना शु की गई है।
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