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हनभ

ु ान जी के 10 औय चभत्कायी भंददय, आऩ बी दर्शन


कये

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हनुभान जी के 10 चभत्कायी भंददय

दहन्द ू भान्मता औय कथाओ के अनुसाय बगवन हनुभान, भाता अंजनी औय वानय याज केसयी के ऩुत्र हैं।
चैत्र र्ुक्र ऩऺ की ऩूर्णशभा ततथथ को हनुभान जी की जमंती भनामी जाती है । भंददय भें जाकय ससपश
बगवान हनुभान जी की ऩूजा कयने से ही राब नहीं होता फल्कक हनुभान की ककसी बी अच्छाई को
अऩनाना औय उसे फढ़ावा दे ना हभाये इंसानी जीवन को साथशक कय सकता है । वैसे तो हय र्हय कसफे के
हय इराके भें हनुभान भंददय अवश्म होता है । एक नजय डारें बायत के 10 सफसे प्रससद्ध औय अद्भत

हनुभान भंददयों ऩय-

भारत के 10 सबसे प्रससद्ध और अद्भत


ु हनम
ु ान मंददर

01 . बडे हनुमान जी, इऱाहाबाद-


संगभ फांध के नीचे हनुभान जी की एक ववर्ार औय बव्म भूततश है । मह भूततश अऩने आऩ भें अनोखी
इससरए है क्मोंकक इसभें बगवान हनुभान जी को रेटे हुए ववश्राभ की ल्थथतत भें ददखामा गमा है । महां
ऐसी भान्मता है कक हय सार फारयर् के सभम भें गंगा नदी का जर ककनायों को ऩाय कयते हुए इस अध्फुत
भंददय तक आता है औय हनुभान जी के चयणों का थऩर्श कयने के फाद फाढ़ का ऩानी आगे नहीं फढ़ता
फल्कक वहीं से वाऩस रौटने रगता है ।
02 . हनुमान गढ़ी, अयोध्या
बगवान हनुभान जी के इस भंददय को हनुभान जी का घय बी कहा जाता है । मह चभत्कायी भंददय
अमोध ्मा भें 1टीरे ऩय ल्थथत है औय इस भंददय तक ऩहुंचने के सरए कयीफ 76 सीदढमां चढ़नी ऩड़ती हैं।
हनुभान गढ़ी, वास ्तव भें एक गुपा भैं फना भंददय है जहां भां अंजनी, फार हनुभान की भूततश है ल्जसभें
बगवान हनुभान जी, अऩनी भां की गोदी भें फारक रूऩ भें रेटे है । रोगों का भानना है कक इस भंददय भें
सबी भन ्नतें ऩूयी होती हैं। सार बय इस भंददय भें राखो बक् तों का तांता रगा यहता है ।
03 . साऱासार बाऱाजी, राजस्थान
वीयो की बूसभ याजथथान के चरू
ू ल्जरे के सारासय गांव भें है बगवान हनुभान जी का मह फहुत प्रससद्ध
भंददय ल्जसे सारासय वारे फाराजी के नाभ से बी जाना जाता है । हनुभान जी की मह भूततश दाड़ी-भूंछ से
सुर्ोसबत है । मह भाना जाता है कक बगवान हनुभान जी की मह चभत्कायी प्रततभा एक ककसान को
जभीन जोतते सभम सभरी थी, ल्जसे सारासय भें सोने के ससंहासन ऩय थथावऩत ककमा गमा। इस भंददय
भें हय सार आल्श्वन, चैत्र औय वैर्ाख की ऩूर्णशभा के ददन ववर्ार भेरा रगता है ।
04 . संकटमोचन मंददर, वाराणसी

मह भाना जाता है कक बगवान हनभ


ु ान जी के इस बव्म भंददय का तनभाशण गोथवाभी तर
ु सीदास जी ने
कयामा था। ऐसा कहते हैं तर
ु सीदास जी ने याभचरयतभानस उऩन्मास का कुछ अंर् इस भंददय के ऩास
ववर्ार ऩीऩर के ऩेड़े के नीचे फैठकय सरखा था। चैत्र भहीने के र्क्
ु र ऩऺ की ऩर्ू णशभा को हनभ
ु ान जमंती
धभ
ू धाभ से भनामी जाती है । इस दौयान भंददय भें फड़े थतय ऩय कामशक्रभ आमोल्जत होता है । इसके
अरावा हय भंगरवाय औय र्तनवाय को बी इस भंददय भें श्रद्धारुओं का तांता रगा यहता है ।
05 गगररजाबांध हनुमान मंददर, रतनऩुर

हनुभान जी के ब्रह्भचायी रूऩ से तो हय कोई ऩरयथचत है । रेककन आऩने कबी सुना है कक हनुभान जी का
एक ऐसा भंददय बी है जहां नायी रूऩ भें हनुभान जी की भूततश ववयाल्जत है । बफरासऩुय के यतनऩुय ल्थथत
थगरयजाफंध के बगवान हनुभान भंददय भें ऩूजा कयने के सरए रोग फहुत दयू -दयू से आते हैं। मह भाना
जाता है कक मह प्रततभा दस हजाय सार ऩुयानी है । स ्थानीम रोगों की भान्मता है कक जो बी व्मल्क्त सच्चे
भन से महां उनकी ऩूजा कयता है , उसकी भनोकाभना जरूय ऩूयी होती है ।
06 मेहंद़ीऩुर बाऱाजी, राजस्थान

याजथथान दौसा ल्जरे के ऩास दो ऩहाडडय़ों के फीच भेहंदीऩुय नाभक थथान है । इसी जगह ऩय भेहंदीऩुय
फाराजी का प्रससद्ध भल्न्दय। मह भंददय 2 ऩहाडड़मों के फीच ल्थथत है इससरए इन्हें घाटे वारे फाफा जी बी
कहा जाता है । भल्न्दय भें ल्थथत फजयं ग फरी की फाररूऩ भूततश ककसी कराकाय ने नहीं फनाई, फल्कक मह
थवमंबू है । बत
ू प्रेतादद ऊऩयी फाधाओं के तनवायण के सरए महां आने वारों का तांता रगा यहता है ।
07 हनम
ु ान धारा, सीताऩरु

उत्तयप्रदे र् के ल्जरे सीताऩुय से 3 भीर की दयू ी ऩय ल्थथत है हनुभान धाया का मह भंददय। मह भंददय
ऩहाड़ों के फीच ल्थथत है , जहां बगवान हनुभानजी की ववर्ार भूततश के ससय ऩय जर के 2 कंु ड हैं, ल्जनसे
हभेर्ा ऩानी फहता यहता है । धाया का जर हनुभानजी को थऩर्श कयता हुआ फहता है । इसीसरए इस भंददय
को हनुभान धाया कहते हैं। महां ऐसी भान्मता है कक श्रीयाभ के अमोध्मा भें याज्मासबषेक होने के फाद
हनुभानजी ने रंका दहन से उत्ऩन्न अऩने र्यीय का ताऩ इसी थथान ऩय सभटामा था।
08 कष्टभंजन हनम
ु ान मंददर, सारं गऩरु

गुजयात के सायं ग-ऩुय ल्थथत मह चभत्कायी भंददय बायत के प्रभुख हनुभान भंददयों भें भाना जाता है । इस
भंददय भें हनुभान जी का कष्टबंजन रूऩ भें थथावऩत है । मह भंददय थवाभीनायामण सम्प्प्रदाम का एकभात्र
हनुभान भंददय है ।
09 ऩंचमख
ु ी आंजनेयर हनम
ु ान- तसमऱनाडू

तसभरनाडू याज्म के कुम्प्फकोनभ नाभक एक थथान ऩय श्री ऩंचभुखी आंजनेमय थवाभी के नाभ से हनुभान
जी का प्रससद्ध भंददय है । महां हनुभान का ववग्रह ऩंचभुखी रूऩ भें थथावऩत है । प्राचीन भान्मताओं औय
कथाओ के अनुसाय जफ अदहयावण औय उसके बाई ने श्रीयाभ औय रक्ष्भण को अगवा कय सरमा था, तफ
श्रीयाभ को ढूंढ़ने के सरए हनुभान जी ने ऩंचभुख रूऩ धायण कय इसी थथान से अऩनी खोज र्ुरू की थी।
औय कपय इसी रूऩ भें उन्होंने अदहयावण औय उसके बाई का वध ककमा था।
10 महावीर मंददर, ऩटना

बफहाय के ऩटना ल्थथत, बगवान हनुभान का मह भंददय दे र् के प्रससद्ध औय चभत्कायी भंददयों भें से एक है ।
कई राखों तीथशमात्री हय सार महां आते हैं। मह भंददय उत्तय बायत भें सफसे अथधक दर्शन ककए जाने वारे
भंददयों भें भाता वैष्णों दे वी के फाद मह भहावीय भंददय दस
ू ये थथान ऩय है । याभनवभी के ऩावन अवसय ऩय
भंददय भें बक्तों का तांता रगा यहता है ।

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