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2. कृनि ऋण प्रवाह पि र्िकाि की प्रमुख िीनतगत पहलें
2.1.1 कृषि क्षेत्र िें उत्पादन और उत्पादकता िें सुधार लाने के षलए कृषि क्षेत्र
िें पूोंजी षनिाथ ि पर अपेक्षाकृत अषधक बल दे ने के षलए िीयादी ऋि के
अोंतगथ त 32% का उप-लक्ष्य षदया गया है जो विथ 2017-18 के षलए कृषि ऋि
के सिग्र लक्ष्य रु. 10,00,000/- िें से रु.3,20,000/- करोड बनता है . 2017-
18 के षलए कृषि ऋि के एजेंसी-वार और प्रयोजन-वार लक्ष्य षनम्नानुसार हैं :
(रु. करोड)
एजेंर्ी फर्ल ऋण कृनि मीर्ादी ऋण कुल
वाषिज्य बैंक 4,43,000 2,47,000 6,90,000
2
सहकारी बैंक 1,31,000 39,000 1,70,000
वाषिज्य 432491 71.20 527506 75.25 604376 71.50 64295 70.23 799781 75.04
बैंक 4
सहकारी 111203 18.30 119964 16.43 138470 16.38 15329 16.74 142758 13.39
बैंक 5
क्षे ग्रा बैंक 63681 10.50 82653 11.32 102483 12.12 11926 13.03 123216 11.57
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जोड 607376 730123 845328 91551 1065756
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चूोंषक 85.01% पररचालनात्मक भू-जोतें छोटे और सीिाों त षकसानोों की हैं
इसषलए उन्हें सोंस्र्ागत ऋि के दायरे िें लाना उषिि है . सोंशोषधत प्रार्षिकता
क्षेत्र उधार (पीएसएल) िागथषनदे शोों के अनुसार, जो 23 अप्रै ल 2015 से लागू है ,
बैंकोों को अपनी सिायोषजत षनवल बैंक ऋि (एएनबीसी) राषश अर्वा अपने
तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर (ओबीइथ ) के बराबर की ऋि राषश िें से जो भी
अषधक हो उसके 8% को छोटे और सीिाों त षकसानोों के षलए दे ना है . इस
लक्ष्य को चरिबि तरीके से हाषसल षकया जाना है . 7% के लक्ष्य के सिक्ष
िाचथ 2016 तक उपलद्धब्ध 7.42% और 8% के लक्ष्य के सिक्ष उपलद्धब्ध िाचथ
2017 तक 7.89% र्ी.
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2014- 8,00,000 8,45,328 5,75,000 6,35,412 741.39 875.52
15
2015- 8,50,000 9,15,510 5,95,000 6,65,313 761.66 908.30
16
2016- 9,00,000 10,65,755 6,15,000 6,89,457 860.60 914.34
17
2017- 10,00,000 6,71,113.42 6,80,000 4,41,554.67 535.84
18 (31.10. (31.10.2017 (31.10.2017
2017 की तक) तक)
द्धस्र्षत)
2.7 छोटे , सीिाों त, पट्टे दार षकसानोों, िौद्धखक पट्टे दार षकसानोों आषद को
सोंस्र्ागत ऋि के दायरे िें लाने के षलए बैंकोों द्वारा र्ांर्ुक्त दे र्ता र्मूह
(जेएलजी) सोंवषधथत षकए गए हैं . सरकार बडे पैिाने पर कृिक उत्पादक
सोंगिनोों (एफपीओ) के गिन को भी बढावा दे रही है ताषक षकसान बडे पैिाने
पर काि करने से होने वाले फायदोों का लाभ न केवल कृषि षनषवषियोों के षलए
बद्धि षवपिन के अवसरोों िें वृद्धि के षलए भी उिा सकें.
3. ऋण माफी
कृषि सोंकट को ध्यान िें रखते हुए ,केंद्र और राज्य सरकारोों ने सिय-सिय पर
दे श के जरूरतिोंद षकसानोों को अल्पावषध सहायता प्रदान करने के षलए कृषि
ऋि िाफी की र्ोििा की है और हाल ही की कुछ पहलें षनम्नानुसार हैं :
3.1 कृनि ऋण माफी औि ऋण िाहत र्ोजिा(एिीिबल्यूिीआिएर्)
कृषि ऋि िाफी और ऋि राहत योजना (एर्ीर्बल्यूर्ीआरएस )की र्ोििा
केन्द्रीय बजट 09-2008िें की गई और षवषवध षहतधारकोों के सार् परािशथ
और उनके सुझावोों के आधार पर ,एर्ीर्बल्यूर्ीआरएस 2008,के षलए
षवस्तृत षदशाषनदे श 28.05.2008को जारी षकए गए .एर्ीर्बल्यूर्ीआर
योजना के अोंतगथत ,षकसानोों को 31.03.1997से 31.03.2007के बीच
सोंषवतररत सभी प्रत्यक्ष कृषि ऋि ,जो षक 31.12.2007तक अषतदे य र्े और
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षजनका 29.02.2008तक भुगतान नहीों षकया गया ,उन सभी को इस योजना
के अोंतगथ त शाषिल षकया गया 1 .हे क्टेयर तक की कृषि भूषि पर खेती करने
वाले षकसानोों को ‘सीिाों त षकसानोों ’के रूप िें वगीकृत षकया गया और जो
षकसान 1से 2हेक्टेयर के बीच कृषि भूषि पर खेती करते र्े उन्हें ‘छोटे
षकसान कहा गया 2 .हे क्टेयर से अषधक की कृषि भूषि पर खेती करने वाले
षकसानोों को ‘अन्य षकसानोों ’के रूप िें वगीकृत षकया गया र्ा‘ .छोटे और
सीिाों त षकसानोों ’को पात्र राषश के षलए ऋि िें सोंपूिथ िाफी दी गई और ‘अन्य
षकसानोों ’को %25के एकिुश्त षनपटान और बाकी %75के तीन से अनषधक
कीस्टोन िें भुगतान की छूट दी गई.
3.2 अनुसूषचत वाषिज्य बैंकोों ,शहरी सहकारी बैंकोों और स्र्ानीय क्षेत्र बैंकोों
के षलए भारतीय ररजवथ बैंक को नोर्ल एजेंसी के रूप िें नाषित षकया गया ,
जबषक क्षेत्रीय ग्रािीि बैंकोों और सहकारी ऋि सोंस्र्ाओों के षलए रािरीय कृषि
और ग्रािीि षवकास बैंक (नाबार्थ )नोर्ल एजेंसी र्े .
3.3 इस योजना के कायाथ न्वयन के षलए सरकार द्वारा जारी षदशाषनदे शोों िें
अन्य बातोों के सार्-सार् लाभाषर्थयोों की सूची तैयार करने की कायथषवषध, पात्र
लाभाषर्थयोों के षववरिोों की पररशुिता के बारे िें उधारदाता सोंस्र्ाओों की
षजम्मेदारी, पररवाद षनवारि तोंत्र की स्र्ापना और दावोों की भारतीय ररजवथ
बैंक/ नाबार्थ द्वारा यर्ाषनदे षशत सोंगािी अर्वा षवशेि लेखापरीक्षा के बारे िें
प्रावधान षकए गए हैं . कृषि ऋि िाफी और ऋि राहत योजना 2008 की ऋि
िाफी वाला षहस्सा अपनी षनधाथ ररत षतषर् अर्ाथ त् 30.03.2008 को सिाप्त हो
गया जबषक ऋि राहत वाले षहस्से की अवषध 31.12.2009 तक और षफर
30.06.2010 तक आगे बढाइथ गइथ .
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सभी ऋिोों का लगभग 40% ऋि अनौपचाररक स्रोतोों से प्राप्त होता है
और सीिाों त षकसानोों के िािले िें यह लगभग 85% है .अतः कृिक
सिुदाय का एक बहुत बडा तबका ऋि िाफी योजना से वोंषचत रह
जाता है .
इस योजना के कारि सोंस्र्ागत ् स्रोतोों के िाध्यि से भषवष्य िें ऋि
षवतरि और उसकी चुकौती पर बहुत बु रा प्रभाव पडता है .भावी छूट
की प्रत्याशा िें ऋि की चुकौती सोंबोंधी व्यवस््र्ाएों बुरी तरह से प्रभाषवत
होती हैं .
कृषि ऋिग्रस््तता से षनपटने के षलए कृषि ऋि की िाफी कारगर उपाय
प्रतीत नहीों होती है और इसके सिर्थन िें षदया जाने वाला कोई भी तकथ
सोंगत प्रतीत नहीों होता है .कोलकता द्धस्र्त भारतीय साों ख्यकीय सोंस्र्ान ्
(आईएसआई) और षवश्व बैंक के अध्ययनोों से यह बात सािने आई है
षक ऋि िाफी भारतीय कृषि से सोंबोंषधत िुिोों का सिाधान नहीों है .
o विथ 2008िें केन्द्र सरकार द्वारा कृषि ऋि िाफी की र्ोििा के
बाद आईएसआई के अध्ययन )2013(से यह पता चला है षक
ऋि लौटाने िें चूक के िािलोों िें वृद्धि दजथ हुई है .इस तरह की
ऋि िाफी के बाद ईिानदार षकसान भी अपनी ऋि की चुकौती
िें चूक करने लगे हैं .
o षवश्व बैंक के अध्ययन से पता चला है षक इस तरह के कदि से
िध्यावषध और दीर्ाथ वषध िें कृषि की उपज पर बुरा असर पडता है
क्योोंषक ऋि प्रदान करने के िािले िें बैंक अत्यों त सावधानी
बरतने लगते हैं .अध्ययन से यह भी पता चला है षक षजन क्षेत्रोों िें
ऋि राहत की बदौलत पाररवाररक ऋि िें िहत्वपूिथ किी आ
गई ऐसे क्षेत्रोों िें अच्छे षनवे श ,उपभोग अर्वा सकारात्िक श्रि
बाजार जैसे पररिाि के कोई प्रिाि नहीों दृषिगत हुए हैं .
o आईसीआरआईईआर पेपर )2015(से पता चला है षक 2008 िें
बहुत बडी राषश को बट्टे खाते िें र्ालने के पररिािस््वरूप बैंकोों
पर बहुत बडा बोझ आ गया षजसके चलते 10-2009और -2012
13के बीच वाषिज्य बैंकोों की अनजथक आद्धस्तयोों िें तीनगु नी वृद्धि
हो गई .
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3.5 कृनि ऋण माफी औि ऋण िाहत र्ोजिा 2008 ,पि
महालेखा पिीक्षक (र्ीएजी )की रिपोिस
13.46% खाते जो योजना के अोंतगथत लाभ के षलए वास्तव िें पात्र र्े
षकन्तु पात्र षकसानोों की सूची तैयार करते सिय ऋि प्रदाता सोंस्र्ाओों
द्वारा उनके बारे िें षवचार नहीों षकया गया.
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सरकार की सहकारी सोंस्र्ाओों से षलए गए रु.50,000
तक की राषश वाले कृषि ऋिोों को िाफ षकया र्ा
षजसके तहत 2.2 षिषलयन षकसानोों को शाषिल करते
हुए रु.8,165 करोड की ऋि राषश िाफ की गई र्ी.
4 आों ध्र प्रदे श आों ध्र प्रदे श सरकार ने षदनाों क 02.08.2014 के जीओ
एिएस सों . 164 के िाध्यि से षकसानोों के कृषि फसलोों
से सोंबोंषधत ऋिोों को िाफ करने की र्ोििा की र्ी.
5 उिर प्रदे श उिर प्रदे श सरकार ने 04 अप्रैल को रु.30,729
करोड की राषश की छूट की र्ोििा की र्ी षजसके
अोंतगथ त छोटे और सीिाों त षकसानोों द्वारा षलए गए
रु.1.00 लाख तक के फसल ऋि को िाफ षकया गया
र्ा .इसके अलावा, लगभग सात लाख षकसानोों के
अशोध्य ऋिोों को िाफ करने के षलए रु.5,630 करोड
की राषश आबोंषटत की गई र्ी. इसको षिलाकर ऋि
राहत के षलए आबोंषटत की गई कुल राषश रु.36,359
करोर् हो गई र्ी. िुख्य सषचव, उिर प्रदे श सरकार ने
षदनाों क 24 िई 2017 के अधथ सरकारी पत्र के िाध्यि
से राज्य के छोटे और सीिाों त षकसानोों के फसल ऋिोों
के िोचन के षलए एक योजना कायाथद्धन्वत करने के
अपने सरकार के षनिथय के बारे िें सभी अनुसूषचत
वाषिद्धज्यक बैंकोों के सीएिर्ी/ िुख्य कायथपालक
अषधकाररयोों को एक पत्र षलखा र्ा.
6 जम्मू और जम्मू और कश्मीर सरकार ने षदनाों क 23.01.2017 के
कश्मीर सरकारी आदे श सों . 2017 के 16 एफ के िाध्यि से
केसीसी के अोंतगथ त ऋि िाफी योजना की र्ोििा की
र्ी.
7 पोंजाब पोंजाब सरकार ने षदनाों क 19.06.2017 के जीओ के
िाध्यि से षकसानोों के षलए ऋि िाफी की र्ोििा की
र्ी षजसके तहत 1.00 षिषलयन षकसानोों को शाषिल
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करते हुए रु.10,000 करोड की राषश का ऋि िाफ
षकया गया र्ा.
8 तेलोंगािा तेलोंगािा सरकार ने षदनाों क 13.08.2014 के जीओ
आरटी सों . 69 के िाध्यि से षकसानोों के षलए ऋि
िाफी की र्ोििा की र्ी.
4.2 प्राकृनतक आपदाओां की ब्धथथनत में नकए जािे वाले िाहत के उपार्ोां
के र्ांबांध में भाितीर् रिजवस बैंक के नदिानिदे ि
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iii. नाबार्थ ने अल्पावषध उधार के षलए रु. 17,880.78करोड की राषश
बाजार से प्रचषलत बाजार ब्याज पर जुटाई और विथ 17-2016के दौरान
इसे आगे ऋि दे ने हे तु सहकारी बैंकोों को 4.5% की दर पर पुनषवथत्त के
रूप िें सोंषवतररत षकया .
.6 ऋणग्रथ्तता औि कृनि क्षेत्र का र्ांकि - नर्ांता का कािण
कृषि िें द्धस्र्र उपज ,षिट्टी की र्टती गुिवत्ता ,षिट्टी और तकनीक का
पुराने होने, बढती कीितोों ,उपज और उत्पादोों की अलाभकारी और
अद्धस्र्र कीितोों की वजह से पररवतथनशील आय और दू सरी ओर स््वास््थ्य
और षशक्षा की बढती लागत से पररवार का बजट षबगडता है और
ऋिग्रस््तता बढती है .
दू सरी ओर 70वें एिएसएसओ सवेक्षि )2014(से स््पष्ट है षक कृषि
ऋिग्रस््तता के हालात भी षचोंताजनक हैं .इस ररपोटथ िें उल्लेख षकया
गया है षक दे श िें अनुिानतः 52प्रषतशत कृषि पररवार ऋि से गस््त हैं .
कृषि से जुडे पररवारोों की ऋिग्रस््तता िें 93% के सार् आों ध्र प्रदे श
पहले स््र्ान पर है ,इसके बाद तेलोंगािा 90(प्रषतशत ,)राजस््र्ान 62(
प्रषतशत ,)ओषर्शा 58(प्रषतशत ,)िहाराष्टर 57(प्रषतशत )और पोंजाब
53(प्रषतशत )का स््र्ान आता है .इस सवेक्षि ररपोटथ िें यह भी उल्लेख
है षक कृषि से जुडे पररवारोों की औसत बकाया ऋि रु. 70,580र्ा
जबषक विथ 13-2012िें खेती से वाषिथक आय रु. 77,112र्ी .यह आय
व्यवसाय के व्ययोों को र्टाने के बाद है , लेषकन उपभोग आवश्यकताओों
की पूषतथ के बाद कुछ खास बचता नहीों है .ऐसे िें आगे व्यवसाय चलाने
के षलए उधार लेना ही पडता है .
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ऋि िाफी और न्यूनति सिर्थन िूल्य के अषतररक्त कृषि क्षेत्र िें कृषि
भूषि लीषजोंग ,षनजी षनवेश को बढाने और आवश्यक वस््तुओों तर्ा
बाजार िें नीषतगत पररवतथन सषहत िहत्वपूिथ सुधारोों की जरूरत है .
कृषि षवपिन ,िृदा स््वास््थ्य और उषचत लागत पर गुिवत्तापूिथ बीजोों की
उपलब्धता से जुडी षवषभन्न सिस््याओों का इलाज ऋि िाफी से नहीों हो
सकता है .
षकसान अपनी सिस््याओों का दीर्थकाषलक सिाधान चाहते हैं .फसल
अच्छी होने पर अलाभकारी िूल्य से राहत षदलाने िें ऋि िाफी कुछ
हद तक अस््र्ायी राहत दे ती है .लेषकन ऋि िाफी से राज्य और केन्द्र
के खजाने पर भारी षवत्तीय दबाव पडता है .
दीर्ाथ वषध सिाधान के षलए भारत िें कृषि क्षेत्र िें सोंधारिीय षवकास
सुषनषित करने के षलए षवशेि सावथजषनक षनवेश की जरूरत है .षसोंषचत
भूषि िें किी ,भूषिगत जल का र्टता स्तर, भूजल प्रदू िि ,प्राकृषतक
आपदाएों ,विाथ की िात्रा और इसका असिान षवतरि ,जलवायु
पररवतथन आषद षचोंता के षविय हैं .
कृषि क्षेत्र के षवकास और आधुषनकीकरि के षलए षनवेश की जरूरत है .
7.1 निष्किस
षनःसोंदेह कृषि क्षेत्र की खराब द्धस्र्षत कई कारि हैं . लगातार आषर्थक हाषनयोों
की वजह से षकसान कजथ के जाल िें फोंस जाते हैं .कजथ का भारी बोझ
षकसानोों को उनकी उत्पादक आद्धस्तयोों और जिीन को बेचने पर िजबूर कर
दे ता है और इस प्रकार वे और भी बडे सोंकट िें आ जाते हैं .किथ िाफी /राहत
एक तात्काषलक सिाधान है ,यह अपने आप िें पयाथ पत ् नहीों है .उदाहरिार्थ -
कजथ िें राहत षिलने से ऋिकताथ षकसानोों को लाभ षिलता है .इसके
अषतररक्त ,अनौपचाररक स्रोतोों से षलए गए उच्च लागत के ऋिोों से राहत नहीों
षिल पाती है .
अतः कृषि क्षेत्र और षकसानोों की सिस््याओों के हल के षलए ऋि राहत से आगे
सोचने की जरूरत है . कृषि क्षेत्र िें (खेती और अन्य) सिावेशी बीिा सुरक्षा
दे ना एक उपाय हो सकता है षजसिें ऋि न लेने वाले षकसानोों को भी शाषिल
षकया जाना चाषहए .षकसानोों के षलए षवषवधीकरि, षजसिें कृिीतर क्षेत्र को भी
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शाषिल षकया जा सकता है और षजसके िाध्यि से उन्हें षनयषित आय ,
भावान्तर भुगतान योजना के द्वारा लाभकारी िूल्य षदलाया जा सकता है और
इसके सार्-सार् सावथजषनक षवतरि प्रिाली िें सुधार ,सिय पर गुिवत्तापूिथ
कृषि षनषवषियोों की आपूषतथ करना ,खराब बीजोों ,कीटनाशकोों और उवथरकोों से
बचाव जैसे कुछ उपाय षकए जा सकते हैं .कृषि सोंकट के षनवारि के षलए
लाई गई षवषभन्न याजनाओों के षलए अपेषक्षत षनषधयोों के षलए एक षवशेि राहत
कोि बनाया जा सकता है षजसिें सीएसआर सषहत षवषभन्न स्रोतोों से अोंशदान
षदया जा सकता है .साराों श यह है षक यह सोंकट पू वथ से से चली आ रही
षदक्कतोों का पररिाि है और इसके षनवारि के षलए दीर्थकाषलक और
दू रगािी उपाय षकए जाने की जरूरत है .
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