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BSC IV Hindi PHP
BSC IV Hindi PHP
XML एक markup language है । इसका पू रा नाम Extensible Markup Language है । XML को W3C (World
Wide Web Consortium) ने develop ककया था। XML, HTML की limitations को पू रा करती है । XML data को
store और organize करने के किए यूज़ की जाती है ।
HTML एक बहुत ही popular और बडी language है । HTML में 100 से भी ज्यादा tags है । इन सभी tags को याद
रखना और यूज़ करना बहुत ही मु श्किि है । साथ ही HTML का presentation browsers के according change हो
जाता है । HTML में एक problem ये और है की कई बार आपके document में original content से ज्यादा तो tags
हो जाते है ।
इन सभी problems को XML के द्वारा solve करने की कोकिि की गई है । ऐसा कबिकुि भी नहीीं है की XML, HTML
को replace करती है । और near future में भी ऐसा होना possible नहीीं है ।
XML और HTML को combine करके यूज़ ककया जा सकता है । XML और HTML के combined version को X-
HTML कहते है ।
जब आप ककसी दू सरी application के द्वारा data को store करते है तो उसे access करने के किए आपको वही
application यूज़ करनी पडती है । िेककन XML के साथ ऐसा नहीीं है XML से आप data कभी भी आसानी से access
कर सकते है ।
Features of XML
XML एक बहुत ही powerful language है और ये अपने कुछ features की वजह से दू सरी languages से
different है । आइये इन features के बारे में जानते है ।
1. XML, complex structure के data को handle करने के किए बहुत ही powerful और
excellent option है ।
2. XML के द्वारा data का description text format में कदया जा सकता है ।
3. XML का format human और computer readable दोनोीं है ।
4. XML data को tree structure में handle करती है कजससे की processing fast हो जाती है ।
5. Data को िम्बे समय तक store करने और दु बारा यूज़ करने के किए एक अच्छी technology है ।
6. XML में data को markup language के द्वारा describe ककया जाता है ।
Limitations of XML
XML की कुछ limitations है जो इसको दू सरी languages से पीछे रखती है । आइये इनके बारे में जानने का प्रयास करते
है ।
• XML का syntax binary representation से बडा होता है । Same data XML में थोडा बडा होता है और
binary representation में छोटा होता है ।
• XML का syntax बहुत ज्यादा verbose हैं । याकन बहुत ही explanatory है ।
• XML ककसी भी तरह के data types को support नहीीं करती है । जैसे की integer, strings आकद।
• Document का hierarchical representation limited होता है ।
• XML namespaces यूज़ करने में problematic है ।
• XML का कोई application processing system नहीीं है । Processing के किए XML को HTML पर
dependent रहना पडता है ।
• XML document setup करने में बहुत ही difficult और expensive है ।
Uses of XML
XML को बहुत से tasks के किए यूज़ ककया जाता है । इनमे से कुछ के बारे में कनचे कदया जा रहा है ।
• बडी websites को maintain करने के किए XML को यू ज़ ककया जा सकता है ।
• Organizations के बीच में information exchange करने के किए XML को यूज़ ककया जा सकता है ।
• Database को load और unload करने के किए भी XML को यूज़ ककया जा सकता है ।
• XML को style sheets के साथ merge ककया जा सकता है ।
• ककसी भी तरह का data XML document के रूप में express ककया जा सकता है ।
Difference Between HTML and XML
• XML data को carry करने के किए design की गई है जबकक HTML data को display करने के किए यूज़
की जाती है ।
• HTML के सभी tags predefined होते है जबकक XML में tags predefined नहीीं होते है ।
HTML में सभी tags predefined होते है । इसकिए HTML documents का structure almost fix होता है । सभी HTML editors
और दू सरे software's इस common structure से पररकचत होते है । यही कारण है की HTML editors को पहिे से ही HTML program
क्ोींकक
HTML में सब कुछ fix और पहिे से defined है इसकिए कुछ भी नया unexpected नहीीं होता है । जैसे की HTML में सभी tags predefin
color में
show कर सकते है । और यकद आप कोई दू सरी language भी साथ में यू ज़ कर रहे है तो editors HTML code को उससे separate कर
XML में tags predefined नहीीं होते है । इसकिए XML documents का structure भी fix नहीीं होता है । XML editors और दू सरे
software's को document के structure का कोई idea नहीीं होता है । XML editors को पहिे से ही ककसी XML document के
किए optimize नहीीं ककया जा सकता है । इसका reason ये है की हमे पहिे से पता नहीीं होता है की developer क्ा और कैसे बनाने वािा है ।
ये situation editors और language के बीच में एक gap create करती है । इस gap को DTD (Document Type Definition)
के द्वारा fill ककया जा सकता है । DTD (Document Type Definition) XML document का description होता है । DTD एक
XML schema है । एक schema XML document
के बारे में कुछ characteristics define करता है कजससे XML editors उस document के बारे में जान सकते है । हािाीं कक XML में बहुत
से schema's available है िेककन DTD उनमे सबसे popular और ज्यादा use होता है । इसकिए यँहा पर में आपको कसर्फ DTD के बारे में
ही बताऊींगा। आइये इसके बारे में जानने का प्रयास करते है ।
जैसा की मैने आपको ऊपर बताया DTD एक XML document का description होता है । XML editors या दू सरे software's इस read
कर सकते है । DTD को read करके editors खुद को document को process करने के किए prepare कर सकते है । जैसे की XML
processor document को process करने के किए appropriate changes कर सकता है । और programmer को better
experience दे ने के किए भी XML document को DTD के द्वारा optimize ककया जा सकता है ।
उदाहरण के किए DTD को read करने के बाद कुछ editors XML document के सभी elements की list publish कर सकते है ।
DTD का role ये specify करना होता है की कोनसा element document में ककस जगह पर आएगा। जैसे की यकद DTD में <name>
element <address> से पहिे आ रहा है तो document में भी <name> element पहिे ही आएगा। ऐसा नहीीं होने पर XML
processor error show करता है ।
DTD processor को एक particular structure follow करने के किए कववि कर दे ता है । जै से की कजस order में elements DTD में ह
उसी order में processor उनको दे खता है । यकद ऐसा नहीीं है तो document reject कर कदया जाता है ।
DTD के द्वारा content को elements से separate ककया जाता है । जब सभी elements DTD में define कर कदए जाते है तो parser
में ये ability आ जाती है की वो content को elements से separate कर सकता है ।
इससे पहिे की आप DTD declare करना सीखें में आपको बता दू ँ की DTD 2 तरह से define की जा सकती है ।
• Internal DTD - इस तरह की DTD को XML document में define ककया जाता है । जब document की size small होती है
• तो उसी में DTD define करना ठीक रहता है ।
• External DTD - इस तरह की DTD को document से separate create ककया जाता है । जब document की size large ह
• तो ये तरीका better होता है ।
कनचे DTD का common structure कदया गया है । इसे यूज़ करके आप आसानी से DTD define कर सकते है ।
<?xml version="1.0">
<!DOCTYPE root-element [
Christian Eminent College , PHP In HINDI
<!ELEMENT element1 (subelement1,subelement2,subelement3) >
<!ELEMENT element2 (subelement-list) >
<!ELEMENT element3 (#PCDATA) >
]>
जैसा की structure में show ककया गया है root element को define करने के किए <!DOCTYPE tag को यूज़ ककया जाता है ।
ये root element को दिाफ ता है । बाकक सभी elements इसी tag के angular brackets में define ककये जाते है । िेककन ऐसा नहीीं है की
इसके बाद root element को define नहीीं करें गे। इसके बाद सबसे पहिे root element और उसके sub elements को ही declare क
जाता है ।
जैसा की आप दे ख सकते है की एक single element को define करने के किए <!ELEMENT tag यूज़ ककया जाता है । Element का नाम
किखने के बाद आप brackets में sub elements को भी comma से separate करके किख सकते है ।
जब भी ककसी element के बाद brackets में #PCDATA किखा जाता है तो इसका मतिब parser को ये बताना होता है की इस element
को parse ककया जाना चाकहए। जब #CDATA किखा जाता है तो उसका मतिब होता है की ये element parse नहीीं ककया जाना चाकहए।
<?xml version="1.0">
<!DOCTYPE person[
]>
<person>
</person>
ऊपर कदया गया उदाहरण internal DTD का है । जैसा की आप दे ख सकते है same ही document में DTD को भी define ककया गया है ।
आइये अब external DTD को एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते है ।
DTD Document
<?xml version="1.0">
<!DOCTYPE person [
<!ELEMENT person (name,age) >
<!ELEMENT name (#PCDATA) >
<!ELEMENT age (#PCDATA) >
Christian Eminent College , PHP In HINDI
XML Document
<?xml version="1.0">
<person>
<name> Ram </name>
<age> 24 </age>
</person>
जैसा की आप दे ख रहे की external DTD यूज़ करने के किए XML document में एक extra line add की गई है । इस line के द्वारा
external parser को ये बताया गया है की person.dtd नाम की DTD को यूज़ करना है । External DTD भी internal की तरह
ही होती है बस कसर्फ एक line का difference होता है ।
document होता है । इस object की मदद से आप पू रे document में कोई भी HTML element access कर सकते है । DOM आपको
ककसी webpage के सभी HTML elements (tags) का control provide करता है । DOM की मदद से आप कोई भी element
DOM एक ऐसी technology है कजसमे JavaScript आपको ककसी HTML document को control करने की power provide करती ह
आइये दे खते है की DOM के द्वारा JavaScript क्ा क्ा functions perform कर सकती है ।
एक browser सभी tags को nested list की तरह दे खता है । जैसे की कनचे दी गयी list में कदया गया है । HTML tag सबसे top पर होगा औ
बाकक tags उसके nested order में होींगे।
HTML
-------HEAD
-----------TITLE
----BODY
-------------P
------------H1
------------FORM
------------TABLE
इन सभी tags को access करने के किए आपको पहिे उनके parent tags को access करना होता है । Parent tags को node भी कहत
इन tags को access करने के किए आप document object को यूज़ करते है । जैसे की form को access करने के किए आप
document.form statement यूज़ कर सकते है । यकद आप form में ककसी field की value access करना चाहते है तो उस field का न
किखकर उसके आगे dot operator िगाकर value किख दें गे।
जैसे की आप ककसी text-box की value access करना चाहते है कजसका नाम firstName है तो ऐसा आप इस तरह कर सकते है ।
DOM (Document Object Model) का सबसे बडा feature ये है की इसकी मदद से आप सभी tags को dynamically access
कर सकते है और situation के according उनमें changes कर सकते है ।
• Anchor
• Form
o text-box
o text-area
o check box
o radio
o select
option
o reset
o button
• Link
Functions Description
getElementsByTa इस method में एक tag नाम pass ककया जाता है । ये method उस tag के
gName()
नाम वािे सभी tags को return करता है ।
getElementsByCl इस method में एक class name pass ककया जाता है । ये method class
assName()
name वािे सभी tags return करता है ।
Example
<html>
<head>
<title>Get Element By Id Demo </title>
</head>
<body>
<h1 id="heading">Hello friends</h1>
<script type="text/javascript">
DOM (Document Object Model) की innerHTML property को यूज़ कर सकते है । इस property के द्वारा आप उस HTML
element का text set भी कर सकते है । इसके किए आप getElementById method call करते है और उसमे element की
Id pass करते है । इसके बाद आप method के dot (.) िगाकर innerHTML किख दे ते है । और उसके बाद assignment (=)
िगाकर inverted commas में text किख दे ते है । इसका उदाहरण नीचे कदया जा रहा है ।
<html>
<head>
<title>innerHTML property Demo</title>
</head>
<body>
<h1 id="heading"></h1>
<script>
document.getElementById("heading").innerHTML= "Hello Friends";
</script>
</body>
</html>
ऊपर दी गयी script कनचे कदया गया webpage generate करती है ।
Class c language में structure की तरह होती है । कजस प्रकार c language में structure के अींदर अिग अिग
data types के variables create करके उनका एक compound type create ककया जाता है और बाद में उस
type के variables create ककये जाते है । उसी प्रकार class में भी आप अिग अिग data types के variables
create कर सकते है । र्कफ कसर्फ इतना होता है की class में आप variables के आिावा functions भी define कर
सकते है । इस प्रकार class भी एक type होती है , कजसके variables objects कहिाते है ।
Class को आप एक घर के नक़्िे की तरह समझ सकते है । इस नक़्िे के आधार पर कई घर (objects) बनाये जा सकते है
कजनमें अिग अिग familiies (information/data) रह सकती है । आसान िब्ोीं में कहा जाए तो class एक blue
print होता और object उसका real representation होता है ।
Class से data secure हो जाता है । Class data को secure करने के किए PHP आपको visibility mechanism
provide करती है । Visibility के द्वारा आप data के access को control कर सकते है ।
Class create करके आप एक तरह के data को दू सरी तरह के data से separate कर सकते है । उदाहरण के किए
आप ककसी company के marketing department का data और उससे related operations एक class द्वारा
represent कर सकते है और sales department का data और उससे related operations दू सरी class द्वारा
represent कर सकते है । Data और उससे सम्बींकधत functions को अिग अिग classes में define करने से
program की complexity कम हो जाती है ।
एक class programmer को data centred approach provide करती है । Classes में पू रा focus data पर
होता है जो की object oriented programming का एक feature है ।
classKeyword className
{
//Properties & Functions here.....
}
Example
PHP में class create करने का simple उदाहरण कनचे कदया जा रहा है ।
<?php
?>
जैसा की मैने आपको पहिे बताया class ककसी नक़्िे की तरह होती है और कजसके आधार पर ककतने भी घर बनाये जा
सकते है कजनमें अिग अिग families रह सकती है । ऊपर कदए गए उदाहरण में एक Employee class create की
गयी है । इस class के आप ककतने भी objects create कर सकते है ।
हाँ िाँ कक इस उदाहरण में पहिे से ही property की value define कर दी गयी है िेककन constructors के माध्यम से
आप हर object की properties को अिग अिग values pass कर सकते है । इसके बारे में और अकधक आप आगे
आने वािी tutorials जानेंगे।
Class Objects
कजस प्रकार Integer, float और character आकद data types होते है , उसी प्रकार class भी एक type होती है ।
र्कफ कसर्फ इतना होता है की class एक user defined type होती जो user स्वयीं अपनी आवश्यकता के अनुसार
define करता है ।
Class type के भी variables create ककये जाते है । Class type के variables को objects कहा जाता है । इन
objects के द्वारा आप class में define की गयी अिग properties में data store करवाते है ।
उदाहरण के किए आप ऊपर create की गयी Employee class के 10 objects create कर सकते है और उन
objects द्वारा 10 employees की information जैसे की उनका नाम आकद store और access कर सकते है ।
जब भी आप कोई object create करते है तो PHP आपको class में define की गयी properties के अनुसार
memory में space provide करती है । इस space में information आप object के नाम द्वारा store और
access करते है । इस प्रकार आप अिग अिग objects द्वारा अिग अिग information store कर पाते है ।
Object को normal variables की तरह declare नहीीं ककया जाता है । Objects declare करने के किए new
keyword use ककया जाता है । Objects create करने का general syntax कनचे कदया जा रहा है ।
Objects create करते समय constructor को argument भी pass ककये जा सकते है । ऐसी situation में आप
object declare करने के किए कनचे कदया गया syntax use कर सकते है ।
Example
<?php
class Employee
{
public $name = "Fred"; //Property
?>
ऊपर कदए गए उदाहरण में Employee class create की गयी है । जैसा की आप दे ख सकते है इस class के अींदर एक
property और एक function declare ककया गया है । Property को value पहिे से ही assign की गयी है ।
Class properties को values आप manually assign ना करते हुए object create करते समय भी pass कर
सकते है । ऐसा constructors द्वारा ककया जाता है कजसके बारे में आप आगे की tutorials में जानेंगे।
Function के अींदर property को return ककया जा रहा है । Function में $this keyword का use ककया गया है ।
यह keyword current class के object की तरह use ककया जाता है । Class members को कसर्फ class objects
द्वारा access ककया जा सकता है । इसकिए $this यँहा पर Employee class के object की तरह use ककया गया है ।
इस keyword से $name property को access ककया गया है ।
आश्कखर में class के बाहर Employee class का object create ककया गया है और dispFunction() को call ककया
गया है । यह उदाहरण कनचे कदया गया output generate करता है ।
ककसी Dynamic Web Site में Forms, Sessions, Redirection, File Uploading जै सी कई जरूरतें होती हैं ,
कजन्हें PHP का प्रयोग करके कार्ी आसानी से Handle ककया जा सकता है । िे ककन PHP को हम इस प्रकार
की जरूरतोीं को पूरा करने के किए Use करें , इससे पहिे हमें Web के कुछ Basic Concepts को समझना
जरूरी है ।
Web HTTP Protocol पर Run होता है । ये Protocol इस बात का ध्यान रखता है कक कोई Web Browser
ककस तरह से ककसी Resource को Web Server से प्राप्त करने के किए Request Send कर सकता है और
ककसी भी तरह के Document, Image, Audio, Video आकद प्रकार की File को सामान्यतः एक िब् में
Resource कहा जाता है । जब कोई Web Browser ककसी Resource के किए Web Server से Request करता
है , तो Request के रूप में Web Browser एक HTTP Request Message Create करता है और इस Request
Message को Web Server पर Send करता है।
इस Request Message में हमें िा कुछ Header Information होती हैं और कई बार इस Request Message
की एक Body भी होती है। Web Server इस Request Message को Accept करता है और कर्र से एक
Reply Message Create करके Web Browser को Return करते हुए Web Browser की Request को पूरा
करता है ।
इस Reply Message में हमेंिा एक Header होता है और Request Message की तरह अक्सर इस Reply
Message में भी कई बार Extra Information के किए Body भी होता है । HTTP Request Message की First
Line सामान्यतः कनम्नानु सार होती है ः
GET /index.html HTTP/1.1
ये Line एक HTTP Command Specify करता है कजसे Method कहते हैं । इस Method में उस Document का
Address व Use होने वािे HTTP Protocol के Version की जानकारी होती है , कजसे Use करते हुए Request
Send हो रहा है।
हमारे इस उदाहरण में GET Method Use हो रहा है और index.html Document की Request की जा रही
है । इस Request को Perform करने के किए HTTP 1.1 Protocol Use ककया जा रहा है ।
इस Initial Line के बाद Request Message में Optional Header Information होती हैं , जो Server को
Request से सींबींकधत Additional Details Provide करती हैं। उदाहरण के किए अन्य Information के रूप में
कनम्नानु सार Details हो सकती हैं :
User-Agent: Mozilla/5.0 (Windows 2000; U) Opera 6.0 [en]
Accept: image/gif, image/jpeg, text/*, */*
User-Agent Header Request करने वािे Web Browser से सम्बीं कधत जानकाररयाीं दे ता है , जबकक Accept
Header उन MIME Types को Specify कर रहा है , कजन्हें Request करने वािा Web Browser Accept कर
सकता है ।
ककसी भी Header Information के बाद Request Message में एक Blank Line होती है , जो उस Header
Section के अन्त को Represent करती है। Request में Additional Data भी हो सकता है , जो कक पूरी तरह से
Use ककए जाने वािे Method पर कनभफ र करता है । यकद Request में कोई Additional Data न हो, तो Request
का End एक Blank Line से हो जाता है ।
Web Server इस Request Message को प्राप्त करता है , Process करता है और Generated Results को
Output के रूप में कर्र से Web Browser को भे ज दे ता है । HTTP Response Message कुछ कनम्नानु सार होता
है ः
HTTP/1.1 200 OK
ये Response Message Line Protocol Version, Status Code व Code की Description को Specify करता है ।
हमारे उदाहरण में Status Code “200” है , कजसका मतिब ये है कक Request ठीक तरीके से Successfully
Perform हो गई है । पररणामस्वरूप हमें Description के रूप में “OK” Message प्राप्त हो रहा है ।
Server Header उस श्कथथकत में Web Server Software की जानकारी भी Response Header दे ता है , जब
Content-Type Header में MIME Type को Specify ककया गया होता है । यकद Request Successful होती है तो
Response Header की Information के बाद Response में एक Blank Line होती है , कजसके बाद वह
Requested Data होता है , कजसके किए Web Browser ने Request Message Send ककया था।
Web पर GET व POST दो सबसे ज्यादा उपयोग में किए जाने वािे Methods हैं । GET Method को
Document, Image, Server पर Trigger होने वािी Database Queries से Generate होने वािे Results को
Retrieve करने के किए Design ककया गया है ।
जबकक POST Method को Secure Information जै से कक Secure Database Queries द्वारा ककसी Credit Card
Numbers या ककसी अन्य तरह की Information को Web Server के Database अथवा File System में File के
रूप में Store करने जै से कामोीं को करने के किए Design ककया गया है ।
जब कोई User ककसी Web Browser में ककसी URL को Specify करता है अथवा Web Page पर श्कथथत ककसी
Link को Click करता है , तब Web Browser GET Method को Use करते हुए Web Server पर Request
Message को Send करता है ।
जबकक ककसी Form के Data को हम GET या POST ककसी भी Method का प्रयोग करके Web Server पर
Send कर सकते हैं । हमें कजस Method को Use करना होता है , HTML Document के Form के action
Attribute में हमें उस Method को Specify करना होता है।
Super Global Variables in PHP – Server Configuration व Request Message Information जैसे कक Cookies, Form
Parameters, Web Browser के Address Bar में Specified URL या ककसी Link पर Click करने पर Generate होने वािे Request
Message आकद को PHP Script द्वारा तीन अिग तरीकोीं से Access ककया जा सकता है । इन सभी प्रकार के Accessible Information
को एक िब् EGPCS द्वारा Refer ककया जाता है , जो कक Environment, GET, POST, Cookies व Server का Short Form है ।
PHP हमें 6 ऐसे Unique Global Arrays Provide करता है , कजनका प्रयोग करके हम Request Message में आने वािी कवकभन्न प्रकार
की Information को Access कर सकते हैं । ये Arrays कनम्नानुसार हैं :
$COOKIE Global Array
ये एक Associative Array होता है जो कक Current Script में HTTP Cookies द्वारा Pass होता है । इस Array में Web Browser द्वारा
Request Message के साथ Pass की जाने वािी Cookie Values होती हैं जबकक Array के Key के रूप में Cookies के नाम होते हैं।
$_GET Global Array
ये भी एक Associative Array होता है जो कक Current Script में GET Method का प्रयोग करते हुए GET Request में Pass ककए गए
Form Parameters होते हैं । इस Associative Array में Form के Parameters के नाम Array की Key के रूप में होते हैं जबकक Form
के Parameters की Value, Array की Key के साथ Associative Values होती हैं ।
GET Variables urldecode() Function का प्रयोग करते हुए Decoded रूप में Request को Web Server पर Send करते हैं ।
PHP Sessions
Introduction to PHP sessions in Hindi
Creating PHP sessions in Hindi
Example of PHP sessions in Hindi
दू सरे िब्ोीं में कहें तो एक ही Client द्वारा की जाने वािी एक से ज्यादा Requests को Identify करने के किए
Web Server के पास कोई तरीका नहीीं होता।
State उस श्कथथकत में बहुत ही महत्वपूणफ होते हैं जब हम कोई Shopping Cart Create कर रहे होते हैं। क्ोींकक
इस श्कथथकत में Web Server के किए एक ही Client से आने वािी एक से ज्यादा Requests के बारे में जानना
जरूरी होता है । यकद Web Server Same Client द्वारा Perform ककए जाने वािे Actions जै से कक Shopping
Cart में नया Product Add करना, ककसी Product को Remove करना आकद कामोीं को Unique तरीके से हर
Client के साथ Association नहीीं कर पाएगा, तो User एक से ज्यादा Items की Online Shopping नहीीं कर
सकता।
HTTP Protocol की इस Stateless State के कारण Programmers ने कई ऐसी Tricks Develop की हैं , ताकक
Web Server अपने हर Web Browser को Uniquely Identify करने में सक्षम हो सके।
इन Tricks के अन्तगफत कई बार HTML Form से कुछ Hidden Fields एक Page से दू सरे Page के बीच
Transfer ककए जाते हैं। PHP इन Hidden Fields को सामान्य Form Fields की तरह ही Treat करता है और
इन्हें PHP में $_GET या $_POST Super Global Arrays द्वारा Access ककया जा सकता है । इन Hidden Fields
का प्रयोग करके हम Shopping Carts की सारी Information को एक Web Page से दू सरे Web Page के बीच
Transfer कर सकते हैं ।
कर्र भी इस तरीके की तुिना में एक दू सरी Trick को ज्यादा उपयोग में किया जाता है , कजसमें हर User को
एक Unique Username व Password Assign ककया जाता है और User के ID को एक Single Filed की तरह
कवकभन्न Pages के बीच Hidden Field के रूप में Transfer ककया जाता है ।
हािाीं कक Hidden Fields का तरीका सभी Web Browsers में काम करता है कर्र भी इस तरीके के अन्तगफत
हमें िा Dynamically एक Form Generate करना पडता है , तभी कोई Hidden Field Create हो सकता है और
एक Page से दू सरे Page के बीच ककसी Value या Information को Transfer कर सकता है । इसकिए कुछ
और तकनीकोीं को Develop ककया गया।
http://www.bccfalna.com/catalog.php?userid=123
जब हम हमारे सभी Local Links को Dynamically Change करते हुए इस तरह से User ID को हर URL में
Attach करते हैं , तो हम हर User को अपने Application में Uniquely Identify कर सकते हैं । URL Rewriting
तकनीक सभी Dynamically Generated Documents के किए काम करता है िे ककन URL Rewriting एक
जकटि प्रकिया है ।
इसकिए एक और तकनीक को उपयोग में किया जाता है , कजसे Cookies नाम कदया गया है । Cookie एक
प्रकार की मामू िी सी Information होती है , जो कक Web Server User के Computer में Save करता है । यानी
Web Server ककसी भी User के Computer में User की जानकारी के कबना कसर्फ और कसर्फ Cookie
Information को ही Save कर सकता है ।
जबकक Cookie के अिावा ककसी भी अन्य प्रकार की Information को User के Computer में Save करने से
पहिे User की Permission जरूर िे ता है , क्ोींकक Cookie के अिावा User के Computer का Operating
System ककसी भी अन्य जानकारी को User के Computer में कबना User की Permission प्राप्त ककए, Save
नहीीं करने दे ता।
चूींकक Cookie के रूप में कुछ Specific Information को User के Computer में Save ककया जाता है , इसकिए
Web Server हर User Request के किए User के Computer में Cookie को Check कर सकता है और हर
User को Uniquely Identify कर सकता है ।
Cookies का प्रयोग Repeating User Requests व Same Web Browser द्वारा Repeated Visits को Identify
करने में कार्ी महत्वपूणफ Role Play करता है , िेककन Cookies की भी अपनी Problems हैं ।
सबसे बडी समस्या ये है कक कुछ Web Browsers Cookies को Support नहीीं करते और जो Web Browsers
Cookies को Support करते हैं , उनमें भी Cookies को Disabled करने की व्यवथथा होती है , कजससे User
अपनी इच्छानु सार तय कर सकता है कक उसे उसके Computer में Cookies को Save होने दे ना है या नहीीं।
इसकिए हमारा कोई भी ऐसा Application, जो कक ककसी User को Uniquely Identify करने के किए Cookies
का प्रयोग करता है , उसे एक और तकनीक को Use करना पडता है , कजसे Session Tracking कहा जाता है ,
जो कक State Tracking का Best Proved तरीका है।
दू सरे िब्ोीं में कहें तो इीं टरनेट में डे टा को ऑनिाइन टर ान्सर्र करने के किए यह एक security प्रोटोकॉि
है । इस encryption तकनीक का कनमाफ ण ने टस्केप ने 1990 में ककया था।
SSL में दो keys का प्रयोग ककया जाता है । एक public key होती है जो sender तथा receiver दोनोीं को
पता होती है तथा एक private key होती है जो कसर्फ receiver को पता होती है ।
SSL का प्रयोग ज्यादातर िेकडट काडफ नीं बर, डे कबट काडफ नीं बर, ऑनिाइन transaction व अन्य महत्पू णफ
documents को सुरकक्षत transmit करने के किए ककया जाता है ।
बहुत सारी वेबसाइट SSL प्रोटोकॉि का प्रयोग करती है कजसके कारण वेबसाइट हमे िा http:// से िु रू ना
होकर https:// से िु रू होती है ।
1:-प्रथम step में , एक ब्राउज़र SSL द्वारा सुरकक्षत वेबसाइट से connect करने की कोकिि करता है ।
4:-इसके बाद, ब्राउज़र यह check करता है कक SSL certificate सही है या नही। अगर यह सही है तो
ब्राउज़र वेबसाइट को एक message भेजता है ।
5:-अींत में, वेबसाइट ब्राउज़र को एक acknowledgement भेजता है और इस प्रकार वेबसाइट तथा ब्राउज़र
के मध्य SSL encrypted session िु रू हो जाता है।
अपनी web application का data ककसी database में save करना सबसे appropriate रहता है ।
Database में आपका data secure रहता है । ककसी भी database में data normalized form में
रहता है । Database चाहे ककतना ही बडा क्ोीं ना हो उसमे आप data को बहुत fast access कर
सकते है । PHP के साथ सबसे ज्यादा यूज़ होने वािा database MySQL है । MySQL एक open
source database है । ये सभी को freely available है । MySQL दु कनया का सबसे ज्यादा यूज़ होने
वािा database है । MySQL data के साथ operations perform करने के किए SQL
(Structured Query Language) यूज़ करता है ।
MySQL के साथ काम करने के किए PHP आपको कुछ predefined function provide करती है ।
कजन्हे यूज़ करके आप आसानी से MySQL के साथ काम कर सकते है । इन functions के बारे में कनचे
कदया जा रहा है।
mysql_connect()
ये function mysql database से connect करने के किए यूज़ ककया जाता है । Database के साथ
काम करने के किए सबसे पहिे आप इसी function को call करें गे। इस method में तीन arguments
पास ककये जाते है । पहिा argument server का port no होता है । दू सरा argument database
का user name होता है और तीसरा argument database का password होता है । इस function
की value एक variable में store की जाती है । ये function database का pointer return करता
है । इसका उदाहरण कनचे कदया जा रहा है।
<?php
?>
mysql_select_db()
कजस database के साथ आप काम करना चाहते है , वो database आप इस function के द्वारा select
करते है । इस function में 2 argument pass ककये जाते है । पहिा argument database का नाम
होता है । और दू सरा argument database connection variable होता है । ये method कुछ भी
return नहीीं करता है । इसका उदाहरण कनचे कदया जा रहा है ।
<?php
mysql_select_db("database-name",$con);
?>
mysql_query()
<?php
mysql_result()
<?php
echo "salary is :".mysql_result($query,1,"Tables");
?>
ऊपर कदए गए उदाहरण में 2nd row के salary column का data िो ककया गया है ।
mysql_fetch_array()
<?php
while($row = mysql_fetch_array($query))
{
echo "Employee names are : ".$row["name"];
}
?>
ऊपर कदए गए उदाहरण में mysql_fetch_array() को call ककया गया है और उसका result एक
variable में store ककया गया है । ये function results में से array fetch करके return करता है ।
इसके बाद उस variable पर loop चिाया गया है । ये loop तब तक चिता है जब तक की array में
कोई value है । जब array में कोई value नहीीं होती है तो ये function false return करता है और
आपका loop terminate हो जाता है ।
databasedemo.html
<html>
databasedemo.php
<?php
$Name = $_POST['name'];
$Email = $_POST['email'];
$con = mysql_connect("3306","root","");
mysql_select_db("myDB",$con);
$query = mysql_query("INSERT INTO userinfo(Name, Email) VALUES('$name','$email')");
if($query)
{
echo "Information submitted successfully.";
}
mysql_close();
Normally एक web browser ककसी web page के किए request करता है और web server उसे
requested web page के रूप में respond करता है । जै से ही page आपके browser में load
होता है तो web browser और web server के बीच का connection terminate हो जाता है । यह
web द्वारा use ककये जाने वािा traditional web model होता है । यकद ककसी दू सरे page के किए
request की जाती है तो वापस यही process follow होती है ।
जब भी user के द्वारा ककसी page के किए request भेजी जाती है तो नयी information को show
करने के किए existing page को reload होना पडता है । Page reload होने के बाद ही नयी
information या नया page show होता है । कई बार यह process user experience के किए बहुत
annoying होती है ।
यकद आप YouTube जै सी बडी web application बना रहे है तो जाकहर है उसमें web elements भी
बहुत अकधक होींगे। ऐसे में यकद हर small element से interact करते समय page बार बार reload
हो तो आपकी web application bad user experience create करे गी।
Asynchronous web pages ऐसे web pages होते है कजनमें कुछ elements को update
या load होने के किए पुरे page को load होने की आवश्यकता नहीीं होती है । नया content
dynamically web page में load होता है । ऐसे pages में processing background में की जाती
है । User इस processing से interfere नहीीं होता है । ऐसा कैसे होता है ? इसके बारे में आपको आगे
Working of AJAX section में बताया जाएगा। आइये उससे पहिे AJAX के core components,
advantages और disadvantages के बारे में जानने का प्रयास करते है ।
• HTML & CSS - HTML और CSS को presentation के किए use ककया जाता है । HTML
और CSS के माध्यम से आप एक beautiful web page design कर सकते है ।
• JavaScript - JavaScript के द्वारा generate ककये गए local events को handle और
process ककया जाता है ।
• DOM (Document Object Model) - DOM को page के andar से data access करने
और dynamically data present करने के किए use ककया जाता है ।
• XMLHttpRequest Object - Server को asynchronously data send और receive
करने के किए ये object use ककया जाता है ।
Advantages of AJAX
Disadvantages of AJAX
AJAX की कुछ disadvantages कनचे दी जा रही है।
• यकद user के web browser में JavaScript disabled है तो AJAX आधाररत web
application काम नहीीं करे गी।
• क्ोींकक web page का data dynamically load ककया जाता है इसकिए वह web page का
part नहीीं होता है । यही कारण है की ऐसे data को search engines दे ख नहीीं पाते है और index नहीीं
करते है ।
• जब आप AJAX use करते है तो Back और Refresh button ठीक से function नहीीं करते
है ।
• Asynchronous mode की वजह से यकद कभी server को process करने में time िगता है
तो page annoying िगता है ।
Working of AJAX
जै सा की आप ऊपर कदए गए diagram में दे ख सकते है web browser द्वारा पहिी request और
web server द्वारा पहिा response एक traditional web model की तरह process होता है ।
इसके बाद जब भी वापस server से data fetch करना होता है ये काम locally JavaScript द्वारा
request भे जी जाती है ।
उदाहरण के किए user के like button पर click करने पर server को update करना है तो इसके
किए JavaScript का onclick event handle करना होगा। इस event के generate होने पर आप
AJAX engine client side पर ही होता है । AJAX engine यँहा पर कुछ भी नहीीं बश्कि JavaScript
और XMLHttpRequest object का combination होता है । AJAX engine page background
में server से connection establish करे गा और number of likes को update करे गा। AJAX
engine ये काम कबना web page को disturb ककये perform करता है । इसके बाद server update
वापस AJAX engine को भे जेगा। AJAX engine द्वारा HTML से िे कर XML और JSON ककसी भी
प्रकार के format को process ककया जा सकता है । AJAX engine द्वारा भे जे गए data से
JavaScript उसी element को update करती है ।
कई बडी web applications द्वारा AJAX को use ककया गया है । उदाहरण के किए जब आप google
पर कोई term search करते है तो जो suggestions आपको show ककये जाते है वे AJAX द्वारा ही
show ककये जाते है । जै से ही आप कोई term type करते है AJAX background में work करते हुए
server से आपके किए suggestions fetch करती है ।
Traditional web model की तरह ही AJAX में भी server को request भे जी जाती है और response प्राप्त ककया
जाता है । र्कफ कसर्फ इतना होता है की ये process AJAX द्वारा कबना दू सरे page elements को disturb
ककये background में perform की जाती है ।
AJAX की working में request का अहम् role होता है । Request के अनुसार ही ये तय होता है की page
elements synchronously load होींगे या asynchronously load होींगे। ज्यादातर request ककसी event के
उदाहरण के किए user ने ककसी link पर click ककया है । अब इस link से जुडी जरुरी जानकारी server से
asynchronously प्राप्त करनी है । इस situation में AJAX request भे जी जायेगी।
AJAX द्वारा server को request भे जे जाने की process को कनचे steps द्वारा बताया जा रहा है ।
• सबसे पहिे JavaScript द्वारा user से generated event को handle ककया जाता है ।
• इसके किए JavaScript एक function call करती है ।
• Function में JavaScript द्वारा XMLHttpRequest object create ककया जाता है ।
• Finally server को request भे जने के किए function में XMLHttpObject के open() और send()
methods को call ककया जाता है ।
open()
यह method server से connection establish करने के किए use ककया जाता है । इस method को
XMLHttpObject पर call ककया जाता है । इस method में 3 arguments pass ककये जाते है । इसका general
syntax कनचे कदया जा रहा है ।
send()
यह method request को send करने के किए use ककया जाता है । इसे आप XMLHttpObject पर call करते है । इस
method का general syntax कनचे कदया जा रहा है ।
यकद आप GET method request द्वारा server से connection establish कर रहे है तो इसके किए कनचे कदया गया
syntax use करें गे ।
xmlHttp.send(string);
जब आप POST request method use करते है तो send method में argument के रूप में string pass की
जाती है । ये string double quotes में किखी जाती है । इसे name=value के pair में किखा जाता है । ये string वह
value होती जो server को data send करने के किए जरुरी होती है । जैसे की username, password आकद। इसका
उदाहरण कनचे कदया जा रहा है ।
xmlHttp.send("userName=BHT");
Example
Asynchronous requests के किए आपको function define करना होता है । इस function में check ककया जाता है
की क्ा server द्वारा response ready है । साथ ही ये भी check ककया जाता है की status ok है या नहीीं। इसके बाद
DOM को use करते हुए server का response display करवाते है । DOM को response asynchronously
load करने के किए use ककया जाता है । इसके किए आप XMLHttpRequest object की responseText property
को use करते है । इसका उदाहरण कनचे कदया जा रहा है ।
<html>
<body>
<p id="response"></p>
<script type="text/javascript">
function myFunction()
{
</script>
</body>
</html>
यकद request asynchronous नहीीं है तो आपको function define करने की कोई जरुरत नहीीं होती है । इसके किए
आप send method के बाद सीधे ही responseText property से response display करवा सकते है । इसका
उदाहरण कनचे कदया जा रहा है ।
<html>
<body>
<p id="result"></p>
<script type="text/javascript">
function myFunction()
{
xmlHttp = new XMLHttpRequest();
xmlHttp.open("GET","info-file.txt",false);
xmlHttp.send();
document.getElementById("result").innerHTML=xmlHttp.responseText;
}
</script>
</body>
</html>
jQuery की अपनी बहुत सारी कविेषताऐीं हैं कजसकी वजह से बहुत ही कम समय में इसे इतना ज््यादा
उपयोग में किया जाने िगा है। इसकी सबसे बडी कविेषता तो यही है कक इसे सीखना व Professional
Level पर उपयोग में िे ना ककसी भी अन््य JavaScript Framework को सीखने व उपयोग में िे ने की
तुिना में ज््यादा आसान है। jQuery को सबसे ज््यादा Use कक, जाने का मू ि कारण इसकी सरिता और
इसके द्वारा Provide कक, जाने वािे Professional Level के Features हैं । जै से:
jQuery का प्रयोग करके हम बडी ही आसानी से HTML Page के DOM को Access कर सकते हैं
HTML Page पर Effects Apply कर सकते हैं और Ajax Request कर सकते हैं। साथ ही jQuery
कवकभन्न प्रकार के Web Browsers के साथ Compatibility (Cross Browser Compatibility) का
ध््यान थ्वयीं ही रख िे ता है । यानी जब हम jQuery का प्रयोग करते हैं तब हमें अिग-अिग Web
Browsers के किए अिग-अिग JavaScript Codes किखने की जरूरत नहीीं होती है ।
jQuery CSS3 Standards को पूरी तरह से Support करता है । इतना ही नहीीं jQuery हमें कई और
Tools भी प्रदान करता है जो कक सामान्यतया Simple JavaScript के साथ Available नहीीं होते हैं ।
jQuery में उपिब्ध supports() Function एक ऐसा ही Option है , जो इस बात का पता िगा िे ता है
कक कोई Particular Web Browser ककसी Particular Feature को Support करता है या नहीीं,
ताकक हम ककसी Particular Web Browser के किए कविे ष प्रकार के Codes किख सकें।
jQuery का प्रयोग कई ऐसे Widgets व Effects बनाने के किए भी ककया गया है , कजनका प्रयोग
बहुतायत में होता है। जै से Dialog Box, Slider Control, Tabs, Datepicker, Overlay and
Shadow Classes, Progressbar, Highlight Class, Error Class आकद।
इस प्रकार के User Interface बनाने वािे व अन््य प्रकार के Widgets व Effects को jQuery UI
(jQuery User Interface) Library के रूप में Develop ककया गया है , जो पूरी तरह से jQuery पर
आधाररत है और इन्हें Create करने के किए हमें अिग से Codes किखने की जरूरत नहीीं है ।
jQuery का प्रयोग करते समय सभी तरह के jQuery Codes को एक Separate JavaScript File में
किखा जा सकता है , कजससे Web Page का Structure (HTML) व Behavior
(JavaScript/jQuery) पूरी तरह से Separated रहता है ।
jQuery द्वारा HTML Page के पूरे DOM को बडी ही आसानी से Query यानी Access ककया जा
सकता है , इसकिए ककसी HTML Page के Structure को भी jQuery द्वारा बडी ही आसानी से
Change व Modify ककया जा सकता है।
jQuery हमें कई ऐसे Functions Provide करता है , कजनका प्रयोग करके हम ककसी HTML Page में
नया Element Insert कर सकते हैं , ककसी Element को Modify कर सकते हैं अथवा ककसी
Element को Delete कर सकते हैं । इतना ही नहीीं बश्कि हम ककसी Element को Replace,
Remove या Clone कर सकते हैं । साथ ही jQuery का प्रयोग करके HTML Page के Content को
भी बडी ही आसानी से Change कर सकते हैं ।
jQuery को IBM, Netfix, Google व Microsoft जै सी बडी कम्पकनयाीं भी अपने Products के साथ
उपयोग में िे ती हैं , इसकिए इसका भकवद्गय कार्ी सुकनकित है और इसे सीखना कार्ी उपयोगी साकबत होगा।
इतना ही नहीीं, jQuery को Use करने वािे Users की एक बहुत बडी Community है , इसकिए ककसी
कविे ष प्रकार की जरूरत को पूरा करने के किए आपको Help प्राप्त करने में भी कोई परे िानी नहीीं होगी।
इनके अिावा भी jQuery के और भी बहुत सारे Features हैं , जो हमें कवकभन्न प्रकार के Benefits
Provide करते हैं । इसकिए यकद आप Professional Web Developer बनना चाहते हैं , तो Client
Side Development के किए jQuery से बेहतर कोई Framework नहीीं है जो आपको Fast व Easy
Development की सुकवधा Provide करे ।
अत: वतफमान समय के Modern Web Development की जरूरतोीं को ध््यान में रखते हु, हमने
jQuery को बेहतर तरीके से समझने के किए कहन्दी भाषा में “jQuery in Hindi” पु स्तक तैयार की है , जो
कक न केवि आपको jQuery के कवकभन्न Functionalities को सरि कहन्दी भाषा में समझाती है , बश्कि
Professional Development में Use कक, जाने वािे jQuery Features के बारे में भी Detail से
Introduce करवाती है ।
इस पुस्तक में Latest jQuery तक के सभी Concepts को Detail से Discuss ककया गया है , कजसमें
JSON, JSONP, AJAX जैसे Advance Concepts भी िाकमि हैं , कजनका प्रयोग Cross Domain
Scripting के किए तथा Asynchronous Web Development के किए वतफमान समय में बहुतायत से
ककया जाता है । जबकक हर Concept व हर Function/Method को बेहतर तरीके से समझाने के किए
उसके साथ एक Example Program को Discuss ककया गया है , कजसे आपको अिग से Type करने
की भी जरूरत नहीीं है ।
यकद आप Computer Programming या Web Development Field में अपना Career बनाना
चाहते हैं , तो कनकित रूप से आपको आपको jQuery सीखना ही होगा क्योींकक वतफमान समय में jQuery
सबसे ज््यादा Use ककया जाने वािा JavaScript Framework है । यानी िगभग हर Web Site या
Application में Client Side Scripting Language Framework के रूप में jQuery को ही
ककया जाता है ।
इस पुथ्तक में हमने jQuery को बहुत ही Basic Level से समझाना िु रू ककया है और पुथ्तक के अन््त
तक पहुीं चते-पहुीं चते कार्ी Advance Level Concepts को सरि िब्दोीं में समझाने की कोकिि की है ,
ताकक यकद आप jQuery के बारे में ज््यादा कुछ नहीीं जानते होीं, तो भी आपको jQuery सीखने में कोई
परे िानी नहीीं आएगी।
साथ ही इस पुथ्तक को िुरू से ही Professional Development को ध््यान में रखते हुए Develop
ककया है क्योींकक सभी जानते हैं कक College Level Courses ककसी भी किहाज से Professional
Development को Cover नहीीं करते। यानी Colleges में MCA Level तक के Syllabus में
Development के केवि Basic Concepts को ही Clear ककया जाता है । यही कारण है कक MCA,
M. Tech तक की Degree प्राप््त कर िे ने के बावजू द ज््यादातर Students को Development करना
नहीीं आता। इसकिए यकद आप कोई Degree Level Course भी कर रहे होीं, या कर्र आप
Professional Developer होीं, दोनोीं ही श्कथथकतयोीं में ये पुथ्तक आपके किए समान रूप से उपयोगी है ।
इस पुथ्तक में Basic Concepts के साथ ही कवकभन््न Chapters में ये भी बताने की कोकिि की गई है
कक उन Basic Concepts को Professionally ककस प्रकार से Use ककया जाता है और वे Concepts
ककस प्रकार की Market Requirements को पूरा करते हैं ।
साथ ही इस पुथ्तक को Standards को ध््यान में रखते हुए Develop ककया है , ताकक िगभग सभी
Concepts सभी प्रकार के JavaScript Implementations पर समान रूप से Apply होीं, कर्र चाहे
आप jQuery को Client Side Web Applications के किए Use कर रहे होीं या कर्र ककसी Web
Browser का Extension Develop करने के किए अथवा ककसी प्रकार का Desktop App या
Gadget Develop करने के किए। ये पुथ्तक सभी जगहोीं पर समान रूप से उपयोगी है ।
ये पुथ्तक PDF EBook के रूप में है , इसकिए आप इस पुथ्तक को न केवि अपने Computer पर पढ
सकते हैं , बश्कि आप इस पुथत
् क को ककसी भी ADOBE Reader Supported Mobile Phone,
Tablet PC, Netbook, Laptop पर भी पढ सकते हैं और इसमें कदये गए Programs व Examples
को तुरन््त Copy करके अपने Computer पर Run कर सकते हैं व Program का Effect दे ख सकते
हैं ।
और जै साकक हम सभी जानते हैं कक हर पुथ्तक में समय-समय पर नए Content Add होते रहते हैं ,
कजससे पुथ्तकोीं का नया Version आता रहता है । यकद आप इस पुथ्तक को PDF Format EBook के
रूप में खरीदते हैं , तो इस पुथ्तक के सभी Updated Versions आपको Lifetime Free प्राप््त होते हैं ए
कजनके किए आपको अिग से कोई Extra Charge कभी भी नहीीं दे ना होता।
यानी इस पुथ्तक में भकवष््य में जब भी कोई पररवतफन ककया जाएगा, उस पररवकतफत वजफन के किए आपको
अिग से कोई Payment नहीीं करना होगा, बश्कि हर Updated Version Update होते ही आपको
आपके EMail पर Automatically भे ज कदया जाएगा, कजसके किए आपको अिग से Request करने की
भी जरूरत नहीीं होगी।
चूींकक jQuery को मूि रूप से Web Sites के Client Side को Interactive बनाने के किए एक
Scripting Language के रूप में Develop ककया गया था। इसकिए ये पुथ्तक आपके किए तभी पूरी
तरह से उपयोगी साकबत हो सकती है , जबकक आपको HTML, CSS व JavaScript का ठीक-ठाक ज्ञान
हो। िेककन यकद आपको HTML, CSS व JavaScript के बारे में ज््यादा जानकारी न हो, तो कर्र आपको
इस पुथ्तक के साथ “HTML5 with CSS3 in Hindi” व “Advance JavaScript in Hindi” पुथ्तक
को भी खरीदना चाकहए।
साथ ही “Core PHP in Hindi” भी आपके किए एक जरूरी पुथ्तक है , क्योींकक जब हम AJAX या JSON
जै सी तकनीकोीं का प्रयोग अपने Web Application में करते हैं , तब हमारे Web Application में आने
वािा Data हमें िा Web Server से आता है और Web Server से आने वािा Data हमें िा Server
Side Scripting Language के माध््यम से आता है । पररणामथ्वरूप PHP, ASP.NET या JSP जै सी
ककसी Server Side Scripting Language का भी ज्ञान होना जरूरी होता है।
चूींकक, PHP वतफमान समय में सबसे ज््यादा Use की जाने वािी Server Side Scripting Language है
और इसकी सबसे बडी कविेषता ये है कक ये िगभग 80% “C Programming Language” के समान
है । इसकिए यकद आप “C” Language जानते हैं , जो कक िगभग सभी Universities के Syllabus में
Compulsory रूप से Exist होता है , तो आप बडी ही आसानी से PHP को Use करते हुए, Server
Side Scripts Create कर सकते हैं और HTML, CSS व JavaScript के साथ कमिाकर आप बडी ही
आसानी से Complex Applications Develop कर सकते हैं ।
इसकिए यकद आप वाथ्तव में एक Professional Web Developer बनना चाहते हैं , तो कर्र आपको
HTML, CSS, JavaScript व PHP चारोीं का अच््छा ज्ञान होना जरूरी है। िे ककन यकद आपको इन चारोीं
के बारे में ज््यादा जानकारी नहीीं है , तो बेहतर यही होगा कक आप “Advance JavaScript in Hindi”
पुथ्तक के साथ “HTML5 with CSS3 in Hindi” व “Core PHP in Hindi” पुथ्तकोीं को भी खरीदें
और जब आप इन तीनोीं पुथ्तकोीं को एक Package की तरह खरीदते हैं , तो आपको न केवि कार्ी
Discount प्राप््त होता है , बश्कि आपको “HTML-XHTML in Hindi” पुथ्तक Free प्राप््त होती है ।
Jquery के कवषय में एक कहावत बहुत प्रचकित है कक Write Less Do More है जो कक कबिुि
सही बात है क्ोींकक जय Jquery की मदद से हम बहुत कम समय में बहुत कम कोड किखकर
बहुत सारे काम करवा सकते हैं |
Jquery की तरह JavaScript के और भी बहुत सारे फ्रेमवकफ हैं जैसे कक Mootools, Extjs, Dojo,
Prototype आकद परीं तु यह Jquery और Jquery के बाद Mootools दोनोीं सबसे ज्यादा प्रचकित
फ्रेमवकफ में से है |
Jquery की मदद से हम बडी आसानी से डरॉप-डाउन मीनू (Drop Down Menu) बना सकते हैं |
Jquery की मदद से हम बडी आसानी से Image slider (इमेज स्लाइडर) बना सकते हैं
हािाीं कक jquery का कोड browser पर Execute होता है िेककन कर्र भी हम Ajax को jquery के
साथ उपयोग करके डे टाबेस से डाटा िाकर वे ब पेज पर बडे ही सुींदर तरीके से कदखा सकते हैं |
इसके अिावा भी jquery के बहुत सारे उपयोग हैं कजसे हम धीरे -धीरे इस टू टोररयि में पढ़ें गे|
jquery को अपने वेबसाइट में उपयोग करने के किए हमें पहिे एक jquery र्ाइि को डाउनिोड
करना होता है और उससे अपने वेबसाइट में जोडना होता है यह कोई र्ाइि को डाउनिोड करने
के किए इस किींक पर श्किक करें :-http://jquery.com/
और अगर आप jquery को डाउनिोड नहीीं करना चाहते है तो आप कनचे किखे कोड को html
header में पेस्ट करीये और आप को jquery डाउनिोड करने की जरुरत नहीीं है िेककन ये code
तभी काम करे गी जब आप इन्टरनेट से जुडे रहें गे ।
jQuery Syntax :-
$(document).ready(function(){
// jQuery methods go here...
});
दोस्तोीं आप जब भी jQuery Code किखना िु रू करते है तो Code की िु रुआत dollar $ sign या कचन्ह से होता
है । उसके बाद सभी jQuery Code के िु रुआत में (document).ready(function() { }); ये िाइन किखना होता
है ।
$(document).ready(function(){
$("button").click(function(){
});
});
उसके बाद $ कचन्ह के साथ उस HTML tag या HTML tag के साथ किखे ID और Class को किखा जाता है
कजसके ऊपर jQuery का function काम करे गा |इसी िाइन में . (dot) कचन्ह के साथ उस jQuery Function
को किखा जाता है कजसे हम HTML पर apply करना चाहते है |
उदाहरण के किए आप मान िीकजये की अगर आप चाहते है की <h1> tag के ऊपर jQuery का कोई effect [
यहाँ हम jQuery hide(); effect का उपयोग करें गे ] िागु हो तो इसका code कनश्क्न्िश्कखत प्रकार का होगा :-
$(document).ready(function(){
$("button").click(function(){
$("h1").hide();
});
});
WSDL in hindi:-
WSDL का पूरा नाम web services description language है .
यह एक XML र्ाइि है अथाफ त् इसे xml (extensible markup language) में किखा
गया है . जो अन्य सभी प्रोग्राकमींग िैं ग्वेज को सपोटफ करती है . तथा इसे human तथा
machine दोनोीं के द्वारा पढ़ा जा सकता है .
WSDL* ककसी web service को describe करने का एक स्टै ण्डडफ format है .
इसका कनमाफ ण माइिोसॉफ्ट तथा IBM ने कमिकर ककया था.
WSDL* र्ाइि जो है वह web services की िोकेिन तथा उनके methods को
contain ककये रहती है.
WSDL के द्वारा web services आपस में अपनी कायफ क्षमताओीं तथा कविेषताओीं को
exchange करके कम्यूकनकेट करती हैं .
WSDL definition यह describe करती है कक ककसी वेब सकवफस को कैसे एक्से स
ककया जाये तथा वह वेब सकवफस क्ा ऑपरे िन परर्ॉमफ करती है . अथाफ त् क्ा कायफ
करती है .
1:- type:- यह वेब सकवफस के द्वारा प्रयोग ककये गये डे टा टाइप को कडर्ाइन करता
है .
2:- message:- यह प्रत्येक ऑपरे िन के किए डे टा elements को कडर्ाइन करता
है .
3:- proto type:- यह operations का समूह होता है तथा इसके प्रत्येक ऑपरे िन में
इनपुट तथा आउटपुट elements होते हैं .
4:- binding:- यह प्रत्येक proto type के किए प्रोटोकॉि तथा डे टा formate को
कडर्ाइन करता है .
WSDL structure:-
इसके स्टर क्चर को हम कनम्न तरीके से किख सकते है :-
<definitions>
<types>
...........
</types>
<message>
..........
</message>
<prototype>
...........
</prototype>
<binding>
. . . . . . . . .. . .
</binding>
</definitions>
इसके स्टर क्चर में हम इसी तरह और भी elements डाि सकते है .