You are on page 1of 4

1---------- चैत य महा भु क जीवनी

------------------------------------------------------------------------------------------

चैत य महा भु क जीवनी


– चैत य महा भु िज ह ने गौड़ीय सं दाय क थापना क थी। उनके
अनुयायी उ ह भगवान ी ण का अवतार ह मानते थे और वे
अपने अनुयाइयो के सामने उ ह भि त और जीवन का पाठ पढ़ाते थे।
उ ह कृ णा का सबसे सौभा यपूण अ वभाव माना जाता था।

चैत य वै णव भि त योग कूल के तावक भी थे जो भागवत


परु ाण और भगवद गीता पर आधा रत थी। व णु के बहुत से अवतार
म से उ ह एक माना जाता है , लोग उ ह कृ णा का अवतार ह मानते
थे, वे हरे कृ णा के म जाप के लए स ध है और साथ ह वे
सं कृत भाषा क आठ स स ताकम (भि त गीत) भी क वताये भी
गाते थे। उ ह अनुयायी गु डया वै णव कृ णा का अवतार ह मानते
थे।

चैत य महा भु को कभी-कभी गौरं ग और गौरा के नाम से भी जाना


जाता था और नीम के पेड़ के नचे ह ज म लेने क वजह से उ ह
नमाई भी कहा जाता था। ले कन नीम के नचे ज म लेने का
2---------- चैत य महा भु क जीवनी

------------------------------------------------------------------------------------------

इ तहास म कोई सबुत नह है । अपने युवा द नो म वे एक बु धमान


इंसान थे।

उनका वा त वक नाम वश भर था। वे एक होनहार व याथ थे और


उनका उपनाम (Nick Name) नमाई था। अ पायु म ह वे व वान बन
चक
ु े थे और उ ह ने एक कूल भी खोल थी।

चैत य मतलब ान, महा मतलब महान और भु मतलब भगवान या


फर मा टर अथात “ ान का भगवान”। चैत य महा भु भगवान ी
कृ णा के अवतार भी माने जाते थे और लोग उ ह ी कृ णा का
मु य भ त भी कहते थे।

जग नाथ म ा और उनक प नी साची दे वी के दस


ु रे बेटे के प म
उनका ज म हुआ था और वे ीह ा के ढाका द खन ाम म रहते थे
जो वतमान बांलादे श म आता है । चैत य च रता ुता के अनस
ु ार
चैत य का ज म पूण च मा क रात 18 फरवर 1486 को च हण
के समय म हुआ था। उनके माता- पता ने उनका नाम वशावंभर रखा
था। असल म उनका प रवार ढाका द खन से ह था।

चैत य महा भू का ज म थल योगपीठ था। िजसे 1880 म


भि त वनोद ठाकुर (1838-1914) ने मायापुर (पि चम बंगाल, भारत)म
बनवाया था।
3---------- चैत य महा भु क जीवनी

------------------------------------------------------------------------------------------

चैत य के म जाप और उनके गीत और भजन को लेकर कई


कहा नयाँ बताई जाती है , युवाव था से ह उनका भाव उनके भ तो
पर पड़ रहा था।

बचपन से ह उ ह कुछ सखने और सं कृत भाषा सखने म च


थी। धा सेरेमनी म दशन करने के लए जब वे गया गए थे तब
चैत य अपने गु इ वर पूर से भी मले थे, उ ह से चैत य ने गोपाल
कृ णा म के जाप को पूछा था। इस मी टंग का काफ भाव चैत य
के जीवन पर पड़ा और इस मी टंग के बाद उनके जीवन म भी काफ
बदलाव आए। और इसी तरह से बाद म वे वै णव समूह के मु य
ल डर बने।

ल डर बनने के बाद उ ह ने लोगो को ान बाटना और आि मक शां त


के लए म जाप करने का उपदे श दे ने लगे। अपने मं ो म वे
लगातार ी कृ णा का जाप करते रहते थे और लोग भी उ ह भगवान
ी कृ णा का सबसे बड़ा भ त ह मानते थे।

अपनी िजंदगी के 24 साल उ ह ने परू ओ डशा और महान मं दर


जग नाथ म बताये थे। गजप त राजा ताप दे व चैत य को
भगवान ी कृ णा का अवतार ह मानते थे। कृ णा भि त करने के
बाद अंत म उ ह ने समाधी ले ल और हमेशा के लए कृ णा भि त
म त ल न हो गए।

चैत य महा भु क श ा – चैत य महा भु ने सं कृत म कुछ


ल खत स स ताकम रकॉड कये है । चैत य के आ याि मक,
4---------- चैत य महा भु क जीवनी

------------------------------------------------------------------------------------------

धा मक, महमोहक और ेरणादायक वचार लोगो क अंतरआ मा को छू


जाते थे। उनके वारे सखाई गयी कुछ बाते नचे द गयी है –

1. कृ णा ह रस का सागर है ।
2. अपने तट थ वाभाव क वजह से ह जीव सभी ब धन से
मु त होते है ।
3. जीव इस द ु नया और एक जैसे भगवान से पूर तरह से अलग
होते है ।
4. पण
ू और शु ध धा ह जीवो का सबसे बड़ा अ यास है ।
5. कृ णा का शु ध यार ह सव े ट ल य है ।
6. सभी जीव भगवान के ह छोटे -छोटे भाग है ।
7. कृ णा ह सव े ट परम स य है ।
8. कृ णा ह सभी उजाओ को दान करता है ।
9. जीव अपने तट थ वाभाव क वजह से ह मुि कल म आते है ।

चैत य के अनस
ु ार भि त ह मिु त का साधन है । उनके अनस
ु ार
जीवो के दो कार होते है , न य मु त और न य संसार । न य मु त
जीवो पर माया का भाव नह पड़ता जब क न य संसार जीव मोह-
माया से भरे होते है । चैत य महा भु कृ णा भि त के ध न थे।
यायशा म उ ह स ध पं डत भी कहा जाता था। युवाव था म ह
चैत य महा भु ने घर को छोड़कर स यास ले लया था।उनके अनुसार
–“हरे कृ ण, हरे कृ ण, कृ ण कृ ण हरे हरे । हरे राम, हरे राम, राम
राम हरे हरे ।” यह महामं सबसे यादा मधरु और भगवान को य
है ।

You might also like