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बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक सींत के पास गया.उसने
सींत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पछ
ू ा.
कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कक भला-बरु ा कहने के बाद कुछ
भी कर के अपने शब्द वापस नह ीं मलए जा सकते. हााँ, आप उस व्यक्क्त
से जाकर क्षमा ज़रूर माींग सकते हैं, और माींगनी भी चादहए, पर human
nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर ल क्जये इींसान कह ीं ना कह ीं
hurt हो ह जाता है .
जब आप ककसी को बरु ा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुींचाने के मलए होता
है पर बाद में वो आप ह को अधधक कष्ट दे ता है . खुद को कष्ट दे ने से
क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चप
ु रहा जाए.
सिलता का रहस्य
सक
ु रात ने उस लड़के से कहा कक तुम कल मझ
ु े नद के ककनारे ममलो.वो ममले. किर सक
ु रात
ने नौजवान से उनके साथ नद की तरि बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी
गले तक पहुाँच गया, तभी अचानक सक
ु रात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो
ददया. लड़का बाहर ननकलने के मलए सींघर्ष करने लगा , लेककन सक
ु रात ताकतवर थे और
उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नह ीं पड़ने लगा. किर सक
ु रात ने उसका सर
पानी से बाहर ननकाल ददया और बाहर ननकलते ह जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की
वो थी हााँिते-हााँिते तेजी से साींस लेना.
सक
ु रात ने पछ
ू ा ,” जब तुम वहााँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”
Philosophy के एक professor ने कुछ चीजों के साथ class में प्रवेश ककया. जब class शरू
ु
हुई तो उन्होंने एक बड़ा सा खाल शीशे का जार मलया और उसमे पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े
भरने लगे. किर उन्होंने students से पछ
ू ा कक क्या जार भर गया है ? और सभी ने कहा “हााँ
”.
तब प्रोफेसर ने छोटे -छोटे कींकडों से भरा एक box मलया और उन्हें जार में भरने लगे. जार
को थोडा दहलाने पर ये कींकड़ पत्थरों के बीच settle हो गए. एक बार किर उन्होंने छात्रों से
पछ
ू ा कक क्या जार भर गया है ? और सभी ने हााँ में उत्तर ददया.
तभी professor ने एक sand box ननकाला और उसमे भर रे त को जार में डालने लगे. रे त
ने बची-खुची जगह भी भर द . और एक बार किर उन्होंने पछ
ू ा कक क्या जार भर गया है ?
और सभी ने एक साथ उत्तर ददया , ” हााँ”
गरु
ु -दक्षक्षर्ा
अींततः,मैं यह कहना चाहती हूाँ कक यदद हम मन, वचन और कमष- इन तीनों ह स्तरों पर
इस कहानी का मक
ू याींकन करें , तो भी यह कहानी खर ह उतरे गी |सब के प्रनत पव
ू ाषग्रह से
मक्
ु त मन वाला व्यक्क्त अपने वचनों से कभी भी ककसी को आहत करने का दःु साहस नह ीं
करता और उसकी यह ऊजाष उसके परु
ु र्ाथष के मागष की समस्त बाधाओीं को हर लेती है
|वस्तत
ु ः,हमारे जीवन का सबसे बड़ा ‘उत्सव’परु
ु र्ाथष ह होता है -ऐसा ववद्वानों का मत
है |
ग्लास को नीचे रख द क्जये
एक प्रोफेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़ते हुए class शरू
ु की . उन्होंने
उसे ऊपर उठा कर सभी students को ददखाया और पछ
ू ा , ” आपके दहसाब से glass का
वज़न ककतना होगा?”
यदद मैं इस ग्लास को थोड़ी दे र तक इसी तरह उठा कर पकडे रहूाँ तो क्या होगा ?”
‘कुछ नह ’
ीं …छात्रों ने कहा.
‘अच्छा , अगर मैं इसे मैं इसी तरह एक घींटे तक उठाये रहूाँ तो क्या होगा ?” , प्रोफेसर ने
पछ
ू ा.
” तुम सह हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह परू े ददन उठाये रहूाँ तो का होगा?”
” आपका हाथ सन्
ु न हो सकता है , आपके muscle में भार तनाव आ सकता है , लकवा
मार सकता है और पक्का आपको hospital जाना पड़ सकता है ”….ककसी छात्र ने कहा,
और बाकी सभी हीं स पड़े…
किर प्रोफेसर ने पछ
ू ा ” अब ददष से ननजात पाने के मलए मैं क्या करूाँ?”
Life की problems भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ दे र तक अपने ददमाग में रखखये
और लगेगा की सब कुछ ठीक है .उनके बारे में ज्यदा दे र सोधचये और आपको पीड़ा होने
लगेगी.और इन्हें और भी दे र तक अपने ददमाग में रखखये और ये आपको paralyze करने
लगें गी. और आप कुछ नह ीं कर पायेंगे.
अपने जीवन में आने वाल चन
ु ानतयों और समस्याओीं के बारे में सोचना ज़रूर है , पर उससे
भी ज्यादा ज़रूर है ददन के अींत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रखना.इस तरह से, आप
stressed नह ीं रहें गे, आप हर रोज़ मजबत
ू ी और ताजगी के साथ उठें गे और सामने आने
वाल ककसी भी चन
ु ौती का सामना कर सकेंगे.
एक आदमी कह ीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के ककनारे बींधे हाधथयों को दे खा, और
अचानक रुक गया. उसने दे खा कक हाधथयों के अगले पैर में एक रस्सी बींधी हुई है , उसे इस
बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे ववशालकाय जीव लोहे की जींजीरों की जगह बस
एक छोट सी रस्सी से बींधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कक हाथी जब चाहते तब अपने बींधन तोड़
कर कह ीं भी जा सकते थे, पर ककसी वजह से वो ऐसा नह ीं कर रहे थे.
इन हाधथयों की तरह ह हममें से ककतने लोग मसिष पहले ममल असिलता के कारर् ये
मान बैठते हैं कक अब हमसे ये काम हो ह नह ीं सकता और अपनी ह बनायीीं हुई मानमसक
जींजीरों में जकड़े-जकड़े परू ा जीवन गज
ु ार दे ते हैं.
याद रखखये असिलता जीवन का एक दहस्सा है ,और ननरीं तर प्रयास करने से ह सिलता
ममलती है . यदद आप भी ऐसे ककसी बींधन में बींधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से
रोक रहा है तो उसे तोड़ डामलए….. आप हाथी नह ीं इींसान हैं.
नततल का सींघर्ष
एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए ककसी टहनी से लटकता हुआ एक
नततल का कोकून ददखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे दे खने लगा , और एक ददन
उसने notice ककया कक उस कोकून में एक छोटा सा छे द बन गया है. उस ददन वो वह ीँ बैठ
गया और घींटो उसे दे खता रहा. उसने दे खा की नततल उस खोल से बाहर ननकलने की बहुत
कोमशश कर रह है , पर बहुत दे र तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छे द से नह ीं ननकल
पायी , और किर वो बबलकुल शाींत हो गयी मानो उसने हार मान ल हो.
इसमलए उस आदमी ने ननश्चय ककया कक वो उस नततल की मदद करे गा. उसने एक कैंची
उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर ददया की वो नततल आसानी से बाहर
ननकल सके. और यह हुआ, नततल बबना ककसी और सींघर्ष के आसानी से बाहर ननकल
आई, पर उसका शर र सज
ू ा हुआ था,और पींख सख
ू े हुए थे.
वो आदमी नततल को ये सोच कर दे खता रहा कक वो ककसी भी वक़्त अपने पींख िैला कर
उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नह ीं हुआ. इसके उलट बेचार नततल कभी उड़ ह नह ीं पाई
और उसे अपनी बाकी की क्ज़न्दगी इधर-उधर नघसटते हुए बीतानी पड़ी.
वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में सींघर्ष ह वो चीज होती क्जसकी हमें सचमच
ु
आवश्यकता होती है . यदद हम बबना ककसी struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक
अपींग के सामान हो जायेंगे. बबना पररश्रम और सींघर्ष के हम कभी उतने मजबत
ू नह ीं बन
सकते क्जतना हमार क्षमता है . इसमलए जीवन में आने वाले कदठन पलों को सकारात्मक
दृक्ष्टकोर् से दे खखये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायींगे जो आपकी क्ज़न्दगी की उड़ान को
possible बना पायेंगे.