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पृथ्वी

पृथ्वी सूर्य से तीसरा ग्रह है पृ थ्वी सौर मंडल में व्यास द्रव्यमान और घनत्व में सबसे बडा स्थलीर् ग्रह है । इसका पृ थ्वी, पृ थ्वी ग्रह सं सार,
और टे रा[5] के रूप में भी उल्लेख होता है ।

मानव (human) सहहत पृ थ्वी लाखों प्रजाहतर्ों (species) का घर है ,[6] पृ थ्वी ही ब्रह्ां ड में एकमात्र वह स्थान है जहााँ जीवन (life)
अस्तित्व के हलए जाना जाता है . वैज्ञाहनक सबू त सं केत दे तें है हक ग्रह का गठन४.५४ अरब वर्य (4.54 billion years)
पहले,[7][8][9][10] और उसकी सतह पर जीवन लगभग एक अरब वर्य पहले प्रकट हुआ. तब से , पृ थ्वी के जीवमंडल ने ग्रह
पर पर्ाय वरण (the atmosphere) और अन्य अजैवकीर् (abiotic) पररस्तस्थहतर्ों को बदल हदर्ा है ताहक वार्ुजीवी जीवों (aerobic
organisms) के प्रसारण, साथ ही साथ ओजोन परत (ozone layer) के हनमाय ण को रोका जा सके जो पृ थ्वी के चुम्बकीर्
क्षे त्र (Earth's magnetic field) के साथ हाहनकारक हवहकरण को रोक कर जमीन पर जीवन की अनुमहत दे ता है .[11]

पृ थ्वी की बाहरी सतह (outer surface) कई कठोर खंडों र्ा हववतयहनक प्लेट में हवभाहजत है जो क्रमशःकई लाख सालों (many
millions of years) की अवधी में पू रे सतह से हवस्थाहपत होती है . सतह का करीब ७१% नमक जल (salt-water) के सागर से
आच्छाहदत है , शेर् में महाद्वीप और द्वीप ; तरल पानीअवस्तस्थत हैं , जो सभी ज्ञात जीवन के हलए आवश्यक है , हजसका अन्य ग्रह के
सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है [12][13] पृ थ्वी का आतंररक सतह एक अपे क्षाकृत ठोस भू पटल (mantle) की मोटी परत के साथ
सहक्रर् रहता है , एक तरल बाहरी कोर जो एक चुम्बकीर् क्षे त्र और एक ठोस लोहा का आतंररक कोर (inner core) को पै दा
करता है

पृ थ्वी बाह्य अंतररक्ष (outer space), में सू र्य और चं द्रमा समेत अन्य विु ओं के साथ हक्रर्ा करता है वतय मान में , पृ थ्वी मोटे तौर पर
अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है र्ह समर् की लंबाई एक नाक्षत्र वर्य (sidereal year)है जो ३६५.२६ सौर
हदवस (solar day) [14] के बराबर है पृ थ्वी की घूणयन की धुरी इसके कक्षीर् समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular)
२३.४ की दू री परझुका (tilted) है जो एक उष्णकहटबंधीर् वर्य (tropical year) ( ३६५.२४ सौर हदनों में ) की अवधी में ग्रह की
सतह पर मौसमी हवहवधता [15] पै दा करता है पृ थ्वी का एकमात्र ज्ञात उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है , हजसने इसकी पररक्रमा
४.५३ हबहलर्न साल पहले शु रू की, समुद्री ज्वार पै दा करता है , धुररर् झुकाव को स्तस्थर रखता है और धीरे - धीरे ग्रह के घूणयन
को धीमा करता है ग्रह के प्रारं हभक इहतहास के दौरान एक धू मकेतु की बमबारी ने महासागरों[16] के गठन में भू हमका हनभार्ा. बाद
में छु द्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्ाय वरण पर महत्वपू णय बदलाव हकर्ा

आं तररक संरचना

पृ थ्वी कई परतों में हवभाहजत है जो हवहशष्ट रासार्हनक और भू कंपी गुण से अलग अलग है :

(गहराई हकमी में है )

1. 0-40 भू पटल

2. 40-400 ऊपरी मैंटल

3. 400-650 संक्रमण क्षे त्र

4. 650-2700 अंत: मैंटल

5. 2700-2890 डी परत

6. 2890-5150बाह्य केन्द्रक

7. 5150-6378 अं त: केन्द्रक

भू पटल वाली परत की मोटाई समान नही है , र्ह समु द्रो के तल पर पतली है तथा महाद्बीपो के हनचे मोटी है । अं त: केण्द्द्रक तथा
भू पटल ठोस है । बाह्य केन्द्रक तथा मैंटल परते अधयद्रव है । पृ थ्वी के द्रव्यमान का ज्यादातर मैंटल परत में है , बाकी का अहधकां श
केन्द्रक में , वह हहस्सा हजसमे हम हनवास करते है इसका एक छोटा सा अंश है

1. वातावरण = 0.0000051

2. महासागर = 0.0014
3. भू पटल = 0.026

4. मैंटल =4.043

5. बाहरी केन्द्रक = 1.835

6. भीतरी केन्द्रक = 0.09675

(सभी x10 ^ 24 हकलोग्राम मे )

केन्द्रक मुख्यतः लोहे (लोहा/हनकेल) का बना है लेहकन हो सकता है कुछ हल्के तत्व भी मौजूद हो। केन्द्रक पर तापमान ७५००
डीग्री केल्वीन है । अंतः मैंटल मुख्यतः सीलीकान , मै ग्नेशीर्म, आक्सीजन से बना है हजसमे कुछ लोहा, कैल्सीर्म और अल्म्युहनर्म भी
है । उपरी मैंटल सतह लौह और मैग्नेशीर्म के सीलीकेट से बनी है । र्ह सब हम भू गभीर् गहतहवहधर्ो से जानते है , ज्वालामु खी का
लावा हनचली परतो के नमूने उपर लाते रहता है । भू पटल सीलीकान डार् आक्साईड के हक्रस्टलो से बनी है ।

पृ थ्वी की रासार्हनक संरचना

1. 34.6% आर्रन

2. 29.5% आक्सीजन

3. 15.2% हसहलकन

4. 12.7% मै ग्नेहशर्म

5. 2.4% हनकेल

6. 1.9% सल्फर

7. 0.05% टाइटे हनर्म

धरती का घनत्व पू रे सौरमंडल मे सबसे ज्यादा है । बाकी चट्टानी ग्रह की संरचना कुछ अंतरो के साथ पृ थ्वी के जैसी ही है । चन्द्रमा
का केन्द्रक छोटा है , बुध का केन्द्र उसके कुल आकार की तुलना मे हवशाल है , मं गल और चंद्रमा का मैंटल कुछ मोटा है , चन्द्रमा
और बुध मे रासार्हनक रूप से हभन्न भू पटल नही है ,हसर्य पृ थ्वी का अंत: और बाह्य मैंटल परत अलग है । ध्यान दे हक ग्रहो(पृ थ्वी
भी) की आं तररक संरचना के बारे मे हमारा ज्ञान सैद्ां हतक ही है ।

भू पटल

अन्य चट्टानी के हवपररत पृ थ्वी का भू पटल कुछ ठोस प्लेटो मे हवभाहजत है जो हनचले द्रव मैंटल पर स्वतण्द्र रूप से बहते रहती है ।
इस गहतहवधी को प्लेट टे क्टाहनक कहते है । (वतयमान में) आठ प्रमुख प्लेट:

1. उत्तर अमेररकी प्लेट – उत्तरी अमेररका, पहिमी उत्तर अटलां हटक और ग्रीनलैंड

2. दक्षिण अमेररकी प्लेट – दहक्षण अमेररका और पहिमी दहक्षण अटलां हटक

3. अं टाककक्षटक प्लेट – अंटाकयहटका और “दहक्षणी महासागर”

4. यूरेक्षियाई प्ले ट – पू वी उत्तर अटलां हटक, र्ूरोप और भारत के अलावा एहशर्ा

5. अफ्रीकी प्लेट – अफ्रीका, पू वी दहक्षण अटलां हटक और पहिमी हहं द महासागर


6. भारतीय -आस्ट्रे क्षियाई प्लेट – भारत, ऑस्टर े हलर्ा, न्यू जीलैंड और हहं द महासागर के
अहधकां श

7. नाज्का प्लेट – पू वी प्रशां त महासागर से सटे दहक्षण अमेररका

8. प्रिांत प्लेट – प्रशां त महासागर के सबसे अहधक (और कैहलर्ोहनयर्ा के दहक्षणी तट!)

पृ थ्वी का भू पटल कार्ी नर्ा है । खगोहलर् पै माने पर र्ह बहुत छोटे अंतराल ५००,०००,००० वर्य मे बना है । क्षरण और टे क्टानीक
गहतहवधी पृ थ्वी के भू पटल को नष्ट कर नर्ा करते रहती है , इस तरक ऐहतहाहसक भौगोहलक गहतहवहधर्ो के प्रमाण (क्रेटर)नष्ट होते
रहते है । पृ थ्वी के शुरुवाती इहतहास के प्रमाण नष्ट हो चुके है । पृ थ्वी की आर्ू ४.५ अरब वर्य से लेकर ४.६ अरब वर्य है लेहकन
पृ थ्वी की सबसे पू रानी चट्ठान ४ अरब वर्य पू रानी है , ३ अरब वर्य से पू राने चट्टाने दू लयभ है । हजहवत प्राहणर्ो के हजवाश्म की आर्ू
३.९ अरब वर्य से कम है । हजवन के प्रारं भ के समर् के कोई प्रमाण उपलब्ध नही है ।
जल की उपस्तस्थहत

पृ थ्वी की सतह का ७०% हहस्सा पानी से ढं का है । पृ थ्वी अकेला ग्रह है हजस पर पानी द्रव अवस्था मे सतह पर उपलब्ध है ।(टाइटन
पर द्रव इथेन र्ा हमथेन हो सकती है , र्ुरोपा की सतह के हनचे द्रव पानी हो सकता है ।) हम जानते है हक हजवन के हलर्े द्रव जल
आवश्यक है । सागरो की गमी सोखने की क्षमता पृ थ्वी के तापमान को स्थार्ी रखने मे महत्वपू णय है । द्रव जल पृ थ्वी सतह के क्षरण
और मौसम के हलर्े महत्वपू णय है ।(मंगल पर भू तकाल मे शार्द ऐसी गहतहवधी हुर्ी हो सकती है ।)

वातावरण
पृ थ्वी के वातावरण मे ७७% नार्टर ोजन, २१% आक्सीजन,और कुछ मात्रा मे आगयन,काबयन डार् आक्साईड और जल बाष्प है । पृ थ्वी पर
हनमाय ण के समर् काबयन डार् आक्साईड की मात्रा ज्यादा रही होगी जो चटटानो मे काबोनेट के रूप मे जम गर्ी, कुछ मात्रा मे
सागर द्वारा अवशोहर्त कर ली गर्ी, शेर् कुछ मात्रा हजहवत प्राहणर्ो द्वारा प्रर्ोग मे आ गर्ी होगी। प्लेट टे क्टाहनक और जै हवक
गहतहवधी काबयन डार् आक्साईड का थोडी मात्रा का उत्त्सजयन और अवशोर्ण करते रहते है । काबयनडार् आक्साईड पृ थ्वी के सतह का
तापमान का ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा हनर्ंत्रण करती है । ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा पृ थ्वी सतह का तापमान ३५ डीग्री सेल्सीर्स होता है
अन्यथा वह -२१ डीग्री सेल्सीर्स से १४ डीग्री सेल्सीर्स रहता; इसके ना रहने पर समुद्र जम जाते और हजवन असंभव हो जाता। जल
बाष्प भी एक आवश्यक ग्रीन हाउस गैस है ।

रासार्हनक दृष्टी से मुक्त आक्सीजन भी आवश्यक है । सामान्य पररस्तस्थती मे आक्सीजन हवहभन्न तत्वो से हक्रर्ा कर हवहभन्न र्ौहगक
बनाती है । पृ थ्वी के वातावरण मे आक्सीजन का हनमाय ण और हनर्ंत्रण हवहभन्न जैहवक प्रहक्रर्ाओ से होता है । हजवन के हबना मुक्त
आक्सीजन संभव नही है ।

चं द्रमा

चन्द्रमा पृ थ्वी के घुणयन को अपने गुरुत्व से हर सदी मे २ मीलीसेकन्ड कम कर दे ता है । ताजा शोधो के अनुसार ९० करोड वर्य
पहले एक वर्य मे १८ घंटो के ४८१ हदन होते थे।

चुं बहकर् क्षे त्र

पृ थ्वी का अपना चुंबहकर् क्षे त्र है जो हक बाह्य केन्द्रक के हवद् र्ुत प्रवाह से हनहमयत होता है । सौर वार्ू ,पृ थ्वी के चुं बहकर् क्षे त्र और
उपरी वातावरण मीलकर औरोरा बनाते है । इन सभी कारको मे आर्ी अहनर्हमतताओ से पृ थ्वी के चुंबहकर् ध्रु व गहतमान रहते है ,
कभी कभी हवपररत भी हो जाते है । पृ थ्वी का चुंबहकर् क्षे त्र और सौर वार्ू मीलकर वान एण्डरसन हवहकरण पट्टा बनाते है , जो की
प्लाज्मा से बनी हुर्ी डोनट आकार के छल्लो की जोडी है जो पृ थ्वी के चारो की वलर्ाकार मे है । बाह्य पट्टा १९००० हकमी से
४१००० हकमी तक है जबहक अतः पट्टा १३००० हकमी से ७६०० हकमी तक है ।

इहतहास
वैज्ञाहनक ग्रह के भू तकाल की जानकारी के बारे में हविृ त सू चना को एकत्र करने में सर्ल रहे हैं .सौर मंडल में पृ थ्वी और अन्य
ग्रह ने ४.५४ हबहलर्न वर्य [7] पहले सौर हनहाररका (solar nebula) का गठन हकर्ा, जो एक हडस्क के आकार का धू ल और गैस
का गोला था , जो सूर्य के हनमाय ण से शेर् बचा था.प्रारं भ में हपघला हुआ (molten), जब पानी वातावरण में इकट्ठा हो गर्ा तब पृ थ्वी
की बाहरी परत एक ठोस परत के हनमाय ण के हलए ठं डी हो गई. तुरंत बाद चंद्रमा का हनमाय ण हुआ , संभवतः पृ थ्वी के १०%
द्रव्यमान के साथ [17] पृ थ्वी के हतरछे प्रहार के प्रभाव के साथ मंगल के आकार की विु के पररणामस्वरूप ( कभी हठर्ा (Theia)
कहा गर्ा )[18] इस विु का कुछ द्रव्यमान पृ थ्वी के साथ हमल गर्ा होगा और एक हहस्सा अन्तररक्ष में प्रवेश कर गर्ा होगा ,पर
कक्षा में चंद्रमा के हनमाय ण के हलए पर्ाय प्त सामग्री भे जा गर्ा होगा

अहधक गैस और ज्वालामुखी की हक्रर्ा ने आहदम वातावरण को उत्पन्न हकर्ा .संघहनतजल वाष्प (water vapor), क्षु द्रग्रह और बडे
आद्य ग्रह , धूमकेतु और नेप्चून के पार से हनष्पाहदत संवहधयत बर्य और तरल पानी से महासागर उत्पन्न हुआ (produced the
oceans).[16] माना जाता है हक उच्च ऊजाय रसार्न हवज्ञान ने करीब ४ अरब साल पहले स्वर्ं नकल अणु का उत्पादन हकर्ा और
आधे अरब साल बाद हपछले आम जीवन के सभी पू वयज (last common ancestor of all life) अस्तित्व में थे .[19]
प्रकाश संश्लेर्ण के हवकास ने सूर्य की उजाय का प्रत्यक्ष जीवन में उपर्ोग करने की अनुमहत दी, पररणामतः ऑक्सीजन वातावरण में
संहचत हुआ और ओजोन (ऊपरी वार्ुमंडल में आणहवक ऑक्सीजन [o३] का एक प्रकार ) की एक परत के रूप में पररणत हुआ
.बडी कोहशकाओ के साथ छोटी कोहशकाओं के समावेश के पररणामस्वरुप र्ुकार्ोतेस(development of complex cells) कहे जाने
वाले जहटल कोहशकाओं का हवकास में हुआ.[20] कोलोहनर्ों के अंतगयत सच्चे बहु कोहशकीर् जीवो के रूप में वधयमान हवशेर्ीकृत होता
है ओजोन परत (ozone layer) द्वारा हाहनकारक पराबैंगनी हवहकरण के अवशोर्ण से सहार्ता प्राप्त जीवन पृ थ्वी पर संघहनत हुआ[21]

हबना हकसी शुष्क भू हम की शु रुआत के समु द्र के ऊपर सतह की कुल मात्रा लगातार बढ़ रही है हपछले दो अरब सालों के दौरान,
उदहारण के हलए , महादे शों का कुल पररमाण दोगुनी हो गई.[22] सैकडों लाखों साल से अहधक समर् से स्वर्ं को लगातार दु बारा
आकार हदर्ा ,हजससे महादे श बने और टू टे .महादे श पू रे सतह से कभी कभी एक वृहत महादे श (supercontinent) के संर्ोजन
के हनमाय ण के हलए हवस्थाहपत हुए.लगभग ७५० करोड साल पहले या (mya)), सबसे पहले जन जाने वाला शीर्य महादे श
,रोहडहनर्ा (Rodinia) अलग से प्रकट होने लगा .महादे श बाद में ६०० – ५४० ;या पनोहसर्ा{ (Pannotia) के हनमाय ण के हलए
दु बारा एकीकृत हुए , तब अंततः पन्गेर्ा(Pangaea) १८० या[23] अलग से प्रकट हुआ

१९६० के बाद से र्ह मन गर्ा की ७५० और ५८० लाख साल के बीच में
गंभीर ग्लाहसअल हक्रर्ा हनर्ोप्रोतेरोजोइक (Neoproterozoic) के दौरान अहधकां श सतह को एक बर्य की चादर में ढक हलर्ा इस
पररकल्पना को पृ थ्वी हहमगोला (Snowball Earth) कहा गर्ा, और र्ह हवशेर् रुहच का है क्ोंहक जब बहु कोहशकीर् जीवन प्रारूप
प्रसाररत हुआ तब र्ह कैस्तिर्न हवस्फोट (Cambrian explosion) से पहले हुआ .[24]

कैस्तिर्न हवस्फोट (Cambrian explosion) के करीब ५३५ या के बाद पााँ च व्यापक हवनाश हुए हैं (mass
extinctions)[25] हवनाश की अस्तन्तम घटना ६५ या में हुआ जब एक उल्का के टक्कर ने संभवतः ( गैर पक्षी ) डार्नासोर और
अन्य बडे सरीसृप के हवनाश को प्रे ररत हकर्ा , पर िनपार्ी जैसे छोटे जानवरों को प्रसाररत हकर्ा जो तब छु छुं दर से हमलते थे
.हपछले ६५ लाख साल पहले से , िनपाहर्र्ों का जीवन हवहवधता पू णय है और कई लाख साल पहले एक अफ्रीकी बन्दर के समान
जानवर ने सीधा खडा होने की र्ोग्यता प्राप्त की[26] र्ह र्ंत्र का उपर्ोग हकर्ा और संचार साधन को प्रे ररत हकर्ा हजसने एक वृहत
मस्तिष्क के हलए आवश्यक पोर्ण और उत्ते जना प्रदान हकर्ा .कृहर् के हवकास ने , और तब सभ्यता ने , मानव को छोटे काल अवधी
में पृ थ्वी को प्रभाहवत करने की अनुमहत दी,[27] जो प्रकृहत और अन्य जीवों को प्रभाहवत हकर्ा.

हहम र्ुग (ice age) का वतयमान स्वरूप करीब ४० लाख साल पहले प्रारम्भ हुआ, तब करीब ३ लाख साल
बाद अहभनूतन (Pleistocene) तीव्र हुआ ध्रु वीर् क्षे त्र तबसे हहमाच्छादन और गलन के क्रहमक चक्र को प्रत्येक ४० - १००,००० सालों
में दु हरार्ा है .अस्तन्तम हहम र्ु ग की समास्तप्त लगभग १०,००० साल पहले हुई[28]

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