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पा य म अ भक प स म त
 ो. जी. एस. एल. देवड़ा अ य  ो. आर. स यनारायन सद य
कुलप त पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग
वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा इि दरा गांधी रा य मु त व व व यालय
नई द ल

 ो. पी. बी. मंगला, सद य  ो. एन. के. शमा, (से. न.) सद य


पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग
द ल व व व यालय, द ल कु े व व व यालय
कु े (ह रयाणा)
 ो. कृ ण कुमार (से. न.) सद य  ो. जी. डी. भागव, (से. न.) सद य
पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग
द ल व व व यालय, द ल व म व व व यालय, उ जैन(म. .)
 डॉ. दनेश कु मार गु ता,सहायक आचाय  ो. आर. जी. पाराशर, (से. न.) सद य
पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग
वधमान महावीर खुला व व व यालय , कोटा डॉ. ह र संह गौड़ व व व यालय
 डॉ.एच.बी. न दवाना, वभागा य संयोजक सागर (म ..)
पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग
वधमान महावीर खुला व व व यालय , कोटा

पा य म नमाण दल
 डॉ. एच. एन. साद  डॉ. जे. पी. संह
सह – आचाय वै ा नक “डी”
पु तकालय एवं सू चना व ान वभाग डेसीडाक, नई द ल
बनारस ह दू व व व यालय, वाराणसी
 डॉ. ए. के. यागी  डॉ. पा डेय एस.के. शमा
डेसीडाक, नई द ल पु तकालया य
व व व यालय अनु दान आयोग, नई द ल

स पादक
डॉ. पा डेय एस.के. शमा
पु तकालया य
व व व यालय अनु दान आयोग, नई द ल

अकाद मक एवं शास नक यव था


ो. (डॉ.)नरेश दाधीच ो.(डॉ.) एम. के. घडो लया योगे गोयल
कुलप त नदे शक(अकाद मक) भार अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय , कोटा संकाय वभाग पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन
योगे गोयल
सहायक उ पादन अ धकार
वधमान महावीर खुला व व व यालय , कोटा

उ पादन - अग त 2011 ISBN NO - 978-81-8496-207-9


इस साम ी के कसी भी अंश को व. म. खु. व., कोटा क ल खत अनु म त के बना कसी भी प म अथवा म मयो ाफ (च मु ण)
वारा या अ य पुनः तुत करने क अनु म त नह ं है ।
व. म. खु. व., कोटा के लए कु लस चव व. म. खु. व., कोटा(राज थान) वारा मु त एवं का शत।

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बी.एल.आई.एस.-8
क यूटर : मूलभूत एवं अनु योग

वधमान महावीर खु ला व व व यालय, कोटा

इकाई- 1 क यूटर तथा उसका वकास 7—18


इकाई- 2 पु तकालय म क यूटर अनु योग : आशय, आव यकता तथा
19—29
क यूटर करण के े
इकाई- 3 सू चना ौ यो गक 30—38
इकाई- 4 दूरसंचार : मूलभूत स ा त 39—53
इकाई- 5 क यूटर णाल 54—67
इकाई- 6 पु तकालय वचालन : आव यकता एवं वतमान प र य 68—85
इकाई- 7 पु तकालय म क यूटर योग : अ ध हण तथा सू चीकरण 86—102
इकाई- 8 पु तकालय म क यूटर योग : धारावा हक नयं ण एवं
103—127
प रसंचालन
इकाई- 9 सॉ टवेयर तथा सॉ टवेयर पैकेज 128—136
इकाई- 10 सी.डी.एस./आईएसआईएस एवं लब सस का अ ययन 137—148
इकाई- 11 क यूटर आधा रत सूचना सारण सेवाएँ – साम यक जाग कता
149—180
सेवा
इकाई- 12 इ टरनेट एवं इसक सेवाएँ 181—200
इकाई- 13 भारत म संचार नेटवक 201—218
इकाई- 14 भारत म पु तकालय नेटवक : रा य नेटवक 219—241

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इकाई 1 : कं यूटर तथा उसका वकास
(Computer and its Development)
उ े य
इस इकाई के उ े य न न ल खत ह
1. कं यूटर के वषय म सामा य जानकार दे ते हु ए उसके वकास का ववरण तु त करना,
2. कं यूटर क वभ न े णय क जानकार दान करना
3. कं यूट र म यु त होने वाले व भ न हाडवेयर तथा सा टवेयर के बारे म ान कराना ।

संरचना
1. वषय वेश
2. कं यूटर या है
3. कं यूटर का वकास
3.1 कं यूटर क पी ढ़यां
3.2 कं यूटर वग करण
4. कं यूटर क संरचना
4.1 से ल ोसे संग यू नट
4.2 नवेश इकाई
4.3 नगम उपकरण
5. हाडवेयर तथा सॉ टवेयर
6. कं यूटर क भाषाएं
7. सारांश
8. अ यासाथ न
9. पा रभा षक श दावल
10. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची

1. वषय वेश
आज सव कं यूटर क चचा एवं इसका उपयोग दखाई दे ता है । समाज के येक
े म कं यूटर का उपयोग बढ़ता जा रहा है । पछले दशक म भारत म कं यूटर का उपयोग
काफ बढ़ा है । भारत न चय ह कं यूटर करण क ओर बढ रहा है । य य प कं यूटर का
आगमन हु ए काफ समय यतीत हो गया है, क तु पछले कु छ वष म इनक लोक यता म
आशातीत वृ हु ई है । इसका मु य कारण है- इसक घटती हु ई क मत एवं बढ़ती हु ई मता ।
आज कारखान म मशीन का नय ण कं यूटर वारा कया जा रहा है । व व व यालय तथा
अनुसंधान योगशालाओं म इसक उपि थ त अ नवाय हो गयी है । ब कं ग तथा रे लवे आ द म
इनका मह वपूण उपयोग कया जा रहा है ।

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पु तकालय एवं सू चना के इनके भाव से अछूते नह ं रहे । पु तकालय एवं सू चना
वै ा नक ने कं यूटर क गुणव ता एवं मता दे खकर पु तकालय सेवाओं तथा काय म इसका
उपयोग शु कर दया है । पु तकालय एवं सूचना व ान के पा य म म इसे अ नवाय प से
सि म लत कर दया गया है । संयु त रा य अमे रका, टे न तथा जापान आ द क तु लना म
भारत म काफ समय बाद इसका उपयोग पु तकालय तथा सू चना वषयक काय एवं सेवाओं म
स भव हो सका ।

2. कं यू टर या है ?
कं यूटर श द क उ पि त अँगरे जी के 'कं यूट' श द से हु ई, िजसका अथ होता है
गणना करना । अत: यह प ट है क ार भ म कं यूटर का सीधा स ब ध गणना करने वाले
य से था । य य प कं यूटर के बना भी मनु य ाचीन काल से गणना काय करता आ रहा
है । वतीय व वयु के दौरान यह महसू स कया गया क बेहतर साम रक ि थ त पाने के
लए यह आव यक है क व ान और तकनीक म ग त के साथ-साथ गणना या ती
करने के य वक सत कए जायँ । अत: कं यूटर को एक गणना करने वाले य के प म
जाना गया । सामा यतया कं यूटर श द इले ो नक कं यूटर को प रभा षत करने म सहायक
है:
(क) यह एक इले ो नक य है ।
(ख) इसम सू चना/डेटा के भ डारण क आ त रक मता होती है । आव यकतानुसार यह
भ डा रत सू चना को शी ह उपल ध करा सकता है ।
(ग) इसम अनुदेश के ो ाम होते है ।
(घ) यह गणना या काफ सट कता तथा शी ता से स प न करता है ।
(ङ) कं यूटर दये गये नदश का पालन सेके ड के लाखव ह से से भी कम समय म कर
सकता है ।
(च) बार-बार एक ह या को याि वत करने म कं यूटर उपयोगी है ।

3. कं यू टर का वकास
3.1 कं यूटर क पी ढ़यां (Computer Generation)
आधु नक कं यूटर के वकास क या क नींव 1940 म पड़ी थी । तब से लेकर
आज तक के कं यूटर के वकास के इ तहास को कई पी ढ़य म वभ त कया जाता है । इस
वकास म को, कं यूटर म यु त ौ यो गक तथा कं यूटर क मता के आधार पर, पांच
पी ढ़य म वभ त कया जाता है । पांचवी पीढ़ क मशीन का वकास काय चल रहा है ।
थम पीढ़ - थम पीढ़ के कं यूटर 1940 और 1952 के बीच च लत थे । इन
मशीन म इले ा नक यूब (वा व) के उपयोग से स कट बनते थे । भ डारण के लए
इले ो टै टक यूब (CRT) अथवा रले यूब योग म लाये जाते थे । 1946 म बनी
ENIAC मशीन म 18,000 यूब योग कये गये थे । इस पीढ़ कं यूटर क न न ल खत
वशेषताएँ थी:-

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(क) कं यूटर काफ बड़े होते थे तथा काफ थान घेरते थे ।
(ख) इनक मृ त आज कल के कं यूटर क तु लना म अ य त कम थी ।
(ग) ये अ य त महंगे थे ।
(घ) मशीन को ठ डा रखने के लए वातानुकूलन आव यक होता था । कुल इस पीढ़ के
कं यूटर क व वसनीयता आज जैसी न थी तथा इनका रख-रखाव भी क ठन था ।
वतीय पीढ - वतीय पीढ़ के कं यूटर का चलन 1952 से 1964 के बीच । इस
पीढ़ के कं यूटर म ांिज टर का उपयोग हु आ । ांिज टर यूब क तु लना म काफ छोटे होते
थे िजससे का आकार एवं वजन नयं त करन म सफलता मल । ांिज टर का उपयोग इन
कं यूटर क मह वपूण वशेषता थी । पीढ़ के कं यूटर क अ य वशेषताएँ न न ल खत ह:
(अ) इन कं यूटर म आ त रक मृ त के प म चु बक य म अथवा चु बक य कोर
(Magnetic drum or magnetic core) का योग हु आ ।
(आ) इनक मृ त भ डारण मता पूव से अ धक थी ।
(इ) इनका आकार छोटा होता था ।
(ई) उ च ो ा मंग भाषाओं का योग कया जा सकता था ।
(उ) इनक ग त तथा व वसनीयता थम पीढ़ के कं यूटर से अ धक थी ।
तृतीय पीढ़ - तृतीय पीढ़ के अ तगत 1964 से लेकर 1971 म वक सत कं यूटर
सि म लत कये जाते है । इि ट ेटेड स कट (IC) के उपयोग से बने इन कं यूटर म घटक को
आपस म जोड़ने क याएँ बहु त कम हो गयी । इनक उजा खपत कम होने से मशीन कम
गम होती थी । आपस म जोड़ने वाले तार क ल बाई कम होने के कारण कं यूटर के काम
करने क र तार तथा व वसनीयता बढ़ गयी ।
चौथी पीढ़ - 1970 से लेकर 1980 के बीच क अव ध चौथी पीढ़ के कं यूटर क है ।
इस पीढ़ के कं यूटर म के य संसाधक के प म लाज केल इं ट ेशन (LSI) का उपयोग
हु आ । इं ट ेटेड स कट म और कई गुना अ धक ांिज टर को सि म लत करके 'लाज केल
इं ट ेटेड स कट (LSI) और वेर लाज केल इं ट ेटेड स कट' (VLSI) का नमाण होने लगा ।
इन इं ट ेटेड स कट के मा यम से स पूण कं यूटर को एक पर बनाना सरल हो गया । तृतीय
पीढ़ म एक डाक ट कट के आकार के स लकन चप पर हजार लाख ांिज टर को था पत
कया जाने लगा । इस कार के चप को माइ ो ोसेसर चप कहा जाता है । इस कार चौथी
पीढ़ के कं यूटर का आकार एवं भार अ य त कम हो गया तथा इनक मता एवं ग त म
वल ण वृ ि टगोचर होती है ।
पांचवी पीढ़ - पांचवी पीढ़ के कं यूटर के वकास के लए व व के कई दे श काय कर
रहे ह । वशेषकर जापान तथा अमे रका म वै ा नक इस दशा म य नशील ह । पांचवी पीढ़
के कं यूटर क क पना एक ऐसी मशीन के प म क गई है िजसम कृ म मेधा (Artificial
intelligence) हो िजससे मनु य क तरह वयं नणय लेना तथा ाकृ तक प से नणय लेना
संभव हो सके । इस पीढ़ के कं यूटर का नमू ना रोबोट (Robort) के प म दे खा जा सकता है
। एक अनुमान के अनुसार अकेले जापान म 1 लाख से अ धक रोबोट ह । रोबोट म कं यूटर

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के साथ संवेदक (Sensor) लगाकर इनम दे खने, सु नने तथा महसू स करने क मता ा त क
जा सकती है । ससरो के मा यम से इनम वत: नणय लेने क मता कु छ हद तक वक सत
क जा सकती है । इस पीढ़ के कं यूटर म ाकृ तक भाषा समझने तथा सम या नवारक
सा टवेयस का वकास संभव है ।
3.2 कं यूटर वग करण
ोसे संग मता, ग त, भंडारण तथा शि त के आधार पर कं यूटर न न ल खत वग
म वभािजत कया जा सकता है:-
 सु पर कं यूटर
 मेन े म कं यूटर
 मनी कं यूटर
 माइ ो कं यूटर
सु पर कं यूटर
सु पर कं यूटर आज उपल ध सवा धक शि तशाल एवं मतावान कं यूटर है । इनक
ग त तथा काय मता अ य त वल ण होती है । इनक आंत रक मृ त म असी मत डेटा
भंडा रत कए जा सकते ह तथा यह एक सेक ड म करोड़ अनुदेश का पालन कर सकता है ।
ये कं यूटर अ य त महंगे होते ह तथा इनके मू य क साथकता कु छ ह मामल म मा णत
होती है । ये कं यूटर 50 करोड़ से 100 करोड़ तक क क मत के होते ह । उदाहरण के तौर
पर े रसच इंक वारा वक सत ' के-2 (Cray-2) कं यूटर लए जा सकते है । सु पर कं यूटर
का उपयोग यु -कौशल, व व तर पर जलवायु, भ व य ात करने, अ य त क ठन, ज टल
तथा ल बी गणनाएँ करने, कृ म मेधा क दशा म शोध आ द जैसे काय के लए कया जाता
है । वगत वष म भारत सरकार ने मौसम भ व यवाणी तथा अ य व श ट काय के लए
अमे रका से े यर कं यूटर खर दा तथा उसे रा य सू चना के , नई द ल म था पत कया।
मेन े म कं यूटर
चौथी पीढ़ के कं यूटर के वकास के पूव 'मेनफ़ेम' श द का योग कं यूटर के के य
संसाधक एकक को इं गत करने के लए कया जाता था । बाद म अ धक शि तशाल , सु पर
कं यूटर से कम, तथा बड़े कं यूटर को मेन े म कहा जाने लगा । अपने वकास के आर भ
काल से हो मेनफ़ेम 'म ट यूजर ' थे तथा डेटा का व लेषण तथा संसाधन अ धक ग त से करते
थे । य य प मेन े म क काफ वशेषताएँ आज मनी तथा माइ ो कं यूटर म उपल ध ह
तथा प मेन े म इनसे अ धक साम यवान तथा तेज ग त से काम करने वाला कं यूटर है ।
मेन े म कं यूटर क भंडारण मता अ य धक होती हे तथा वाइड ए रया नेटवक म इनका
उपयोग सफलतापूवक कया जा रहा है ।
मनी कं यूटर
मेन े म और मनी कं यूटर म अ तर प ट करना क ठन है । मनी कं यूटर म
मेन े म क कई वशेषताएँ पायी जाती ह । ले कन मेन े म क तु लना म इनक भंडारण मता
कम होती है। नत नए शोध को फल प प इन दोनो के बीच अ तर मू लभू त ले मटता जा रहा

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है। सामा यतया इनम 16 बट मशीन का योग होता है । कु छ अ धक शि तशाल मनी
कं यूटर 32 बट मशीन के प म भी उपल ध है ।
माइ ो कं यूटर
वगत वष म माइ ो कं यूटर ने आशातीत सफलता हा सल क है । माइ ो ोसेसर पर
आधा रत कं यूटर माइ ो कं यूटर कहलाते ह । इ ह पी.सी. नाम से भी स बो धत कया जाता
है । आज सव दखाई े ने वाले कं यूटर माइ ो कं यूटर ह है । इनक क मत अ य त कम
होती है तथा इनका आकार भी अ य त छोटा होता है । इनम यु त माइ ो ोसेसर एक
इं ट ेटेड स कट पर था पत होता ह िजसम अथमे टक लॉिजक इकाई, कं ोल इकाई तथा सं ह
इकाई होती है । इनके साथ इनपुट तथा आउटपुट उपकरण संयु त कर दए जाते ह । व भ न
नाम तथा मताओं वाले पी.सी. न न है-
 पी.सी. - ए स.ट .
 पी.सी. - ए.ट .
 पी.सी.ए.ट . 386 तथा 486
 प टयम
आज प टयम के व भ न माडल, जैसे प टयम-2, प टयम-3 प टयम -4 चलन म ह।
प टयम 586 चप पर आधा रत म ट यूजर वातावरण म काय करने वाला माइ ो कं यूटर है ।

4. कं यू टर क संरचना (Organisation of a Computer)


कं यूटर क काय णाल म हमसे आदे श लेना अथवा सूचनाएँ ा त करना, इन आदे श
को याि वत करना, नतीज को अपने म सं चत रखना और नतीज को हमारे नदशानुसार
दशाना है । कं यूटर क संरचना इ ह ं उ े य क पू त के अनु प है ।
इस स पूण या म ऐसे उपकरण िजनके मा यम से सू चना पहु ँ चाते ह, इनपुट
उपकरण कहलाते हँ । कं यूटर के िजस भाग वारा इस सू चनाओं/ नदश को याि वत कया
जाता है उसे से ल ोसे संग यू नट (CPU) कहते ह । िजस भाग म सू चनाएँ सं चत क जाती
है उसे कं यूटर क मेमोर यू नट कहा जाता है गणना अथवा या करने के बाद िजन
उपकरण के मा यम से प रणाम हमको ा त होते ह उसे आउटपुट कहते ह ।
कं यूटर क संरचना न नानुसार द शत क जा सकती है-

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4.1 से ल ोसे संग यू नट (CPU)
कं यूटर क संरचना म CPU सबसे मह वपूण भाग होता है । यह तीन म वभािजत
रहता है ।
 क ोल यू नट (Control Unit)
 अ रथमे टक तथा लािजक यू नट (ALU)
 आंत रक मेमोर (Internal Memory)
कं ोल यू नट - सी. पी. यू. का यह भाग कं यूटर क वभ न याओं नयं ण
रखता है । इसका मु ख काय अनुदेश के अनुपालन म व भ न उपकरण को नदश दे ना है ।
यह कं यूटर के व भ न अनुभाग म नयं ण तथा स पक बनाए रखने का काय करता है ।
काय थान पर डेटा का थाना तरण एवं प रणाम का तु तीकरण भी इसके मह वपूण काय
है । सं ेप म क ोल यू नट कं यूटर के सभी इकाईय के म य तालमेल बठाता है ।
ए. एल. यू. (ALU) – अ रथमे टक/लािजक यू नट म डेटा का ग णतीय तथा ता कक
व लेषण होता है । यह क ोल यू नट के नदशन म काय करता है । यह मेमोर यू नट से
डाटा लेकर उनका व लेषण तथा पुन व यास दए गये नदश के अनुसार करता है । यह
नदशानुसार ग णतीय याएँ, जैसे जोड़, घटाना, गुणा , भाग, तु लना आ द काय स प न
करता है । इसके अ त र त क ह ं वशेष याओं का दोहराव, ता कक याएँ तथा प रणाम
मु य मेमोर म भेजने का काय इस इकाई वारा कया जाता है ।
मेमोर यू नट (Memory Unit) मेमोर सी.पी.यू. का एक अ भ न अंग होती है । इसे
ाथ मक मेमोर अथवा मु य मेमोर भी कहा जाता है । यह कं यूटर का वह थान है जहां
अनुदेश तथा डेटा भंडा रत कये जाते ह । यह इकाई कं यूटर म नवेश कए जाने वाले डेटा
तथा नदश को सं हत करती है, अ य इकाइय को आव यकतानुसार डेटा पहु ँ चाती है तथा
या के बाद ा त प रणाम को सं हत करती है ।
कं यूटर क आंत रक मेमोर कं यूटर म न हत होती है । मेमोर क यह यू नट बहु तेरे
छोटे -छोटे कोष या कमर से न मत होता है तथा येक कोष या कमरा एक वशेष पते पर
ि थत होता है । नवे शत डेटा तथा अनुदेश कं यूटर के वशेष कोष म भंडा रत कर दये जाते
ह । आव यकतानुसार कं यूटर इि छत डेटा या अनुदेश को उसको पते के आधार पर उस मेमोर
भाग से खोजकर उपल ध कराता है ।
कं यूटर क आंत रक मेमोर दो कार क होती है ।
(क) रै डम ए सेस मेमोर (RAM) यह मेमोर कं यूटर का योग करते समय सवा धक
योग म लायी जाती है ।यह मृ त का वह े है िजसम डेटा या अनुदेश कम समय के लए
और अ थायी प म भंडा रत कया जाता है । इस मेमोर म डेटा या अनुदेश नवे शत कया
सकता है कं यूटर के ब द कए जाने पर इस मेमोर म लखी सूचना वत: न ट हो जाती है ।
इस लए इस मेमोर को अ थायी, मट जाने वाल या प रवतनीय (Volatile) कहा जाता है ।
कं यूटर म जो भी डेटा या सू चना नवे शत क जाती है, सव थम इस मेमोर म ह सं हत
होती है । इस मृ त म डेटा या सू चना रखे जाने का कोई वशेष म नह ं होता है ।

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(ख) र ड ओनल मेमोर (ROM)- यह मेमोर रै म क ठ क वपर त होती है । इसम डेटा या
अनुदेश को थायी प से रखा जाता है । कं यूटर ब द कर दये जाने पर भी इसम न हत
डेटा या अनुदेश न ट नह ं होते बि क दुबारा कं यूटर आन कए जाने पर पुन : स य हो जाते
है । कं यूटर के रोम े म उ पादक हारा उ पादन के समय ह नवे शत कर दया जाता है ।
इसे न तो वहां से हटाया जा सकता है और न ह कसी अ य सूचना या डेटा को वहां भंडा रत
कया जा सकता है । अत: इसम ऐसी सू चनाएँ होती है िजनक आव यकता कं यूटर के
प रचालन म होती है । अब रोम (ROM) के अनेक प वक सत हो गये है । जैसे ोम
(PROM), वाम (WROM), एपरोम (EPROM) आ द ।
ाथ मक अथवा मु य मेमोर के अ त र त कं यूटर म एक और कार क मेमोर
योग म लायी जाती है िजसे हम बा य मृ त (External Memory) कहते ह । इस मेमोर
को डेटा या सू चना या प रणाम द घ अव ध तक संग ृह त तथा सु र त रखने के काम म जाया
जाता है । बा य या वतीयक मृ त के उपयोग से कं यूटर क मेमोर काफ समृ हो जाती
है । बा य मृ त के प म मै ने टक टे प, मै ने टक ड क, लापी ड क इ या द उपयोग म
लाए जाते ह ।
4.2 नवेश इकाई (Input unit)
नवेश इकाई वह इकाई होती है िजसम इनपुट उपकरण के मा यम से डेटा कं यूटर म
नवे शत कया जाता है । नवेश मा यम से ा त डेटा तथा नदश क सहायता से ह कं यूटर
अपना काय स प न करता है । डेटा नवेश के लए बोड, मै ने टक टे प ड क, कैरे टर र डस
आ द उपकरण का योग कया जाता है ।
क बोड (Key boards) - डेटा नवेश का सबसे च लत एवं आसान मा यम क
(Key) बोड है । यह उपयोग करने म अ य त सरल तथा अ धक ग त से नवेश कर सकने
वाला उपकरण है । यह उपकरण टाइपराइटर के समान होता है तथा सामा य टाइपराइटर क ह
भां त इसम येक कैरे टर अ र के लए एक बटन होता है । वशेष बटन को दबाने मा से
वह अ र अथवा अंक नवे शत होकर मेमोर म चला जाता है ।
मै ने टक टे प (Magnetic tap) - मै ने टक टे प का योग डेटा सं ह के साथ-साथ
डेटा नवेश करने के लए कया जाता है । थायी प से डेटा संग ृह त करने के लए मै ने टक
टे प का योग चुरता से कया जाता है । इसम ¼ इंच चौड़ी लाि टक क बना जोड़ वाल
प ी होती है । िजसम एक तरफ फैरोमै ने टक पदाथ क परत चढ़ होती है । इस प ी को
मेगने टक टे प के नाम से जाना जाता है । टे प पर डेटा चु ब
ं कत या अचु ंब कत ब दुओं के टे प
म अं कत होता है । ये अलग-अलग घन व वाले टे प उपल ध ह । डेटा क उपयो गता समा त
होते ह उसे मटाया जा सकता है अथवा उसी पर दुबारा लखा जा सकता है । टे प का सबसे
बड़ा दोष यह है क इसम डेटा को मक प से ह लखा अथवा पढ़ा जा सकता है ।
मै ने टक ड क (Magnetic Disk)- इसका योग अ य त ती ग त से डेटा को
इनपुट या आउटपुट करने के मा यम के प म कया जाता है । इसके अ त र त या बा य
मेमोर के साधन के प म भी चु रता से इसका इ तेमाल कया जाता है । इसका आकार
ामोफोन रकाड के समान होता है । यह ड क स लका लेट क होती है िजसम दोन ओर
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चु बक
ं य पदाथ का लेप होता है । यह लेट 6 या अ धक सं या म पैक के प म एक त
होती है । इसम ऊपर परत को छोड़कर शेष ड क के दोन तरफ चु ंबक य तथा अचु ंबक य
ब दुओं के प म डेटा या सू चना को अं कत कया जाता है । इस पर सूचनाओं को मक प
से अं कत करना अथवा पढ़ना आव यक नह ं होता है ।
लापी ड क (Floppy disk) - ाय: येक कं यूटर म डेटा अथवा सू चना के नवेश
तथा सं ह के लए लापी ड क के उपयोग क सु वधा द होती है । इसक क मत अ य त
कम होने से इनका चुरता से उपयोग कया जाता है । छोटे कं यूटर क सं हण मता बढ़ाने
वाले एक च लत इनपुट आउटपुट मा यम के प म लापी ड क अ य त स है । यह
उपयोग म सरल, क मत म कम, उ च सं ह मता तथा सीधे नवेश क सु वधा दान करने
वाला मा यम है । इसम एक लाि टक को 35', 5.25'' या 8'' यास वाल गोल चकती होती
है, िजसके दोन तरफ एक चु ंबक य पदाथ क परत चढ़ होती है िजस पर डेटा सं ह कया
जाता है । मै ने टक ड क क ह (भां त लापी म ै क तथा से टर बने होते है ।
करे टस र डस (Character Readers)-करे टस र डर (अ र, अंक या तीक) को
पढ़ने वाले यं छपे हु ए अथवा ह त ल खत अ र को हण करने म स म होते ह । ये ोत
अ भलेख से े टस हण कर उ ह कं यूटर वारा ा य कोड म प रव तत कर उ ह संसाधन
यो य बना दे ते ह।
स बि धत च लत तकनीक न न ल खत ह-,
 मै ने टक इंक करे टर रकि नशन (MICR)
 आि टकल करे टर रकि नशन (OCR)
 बार को डंग
पंच काड (Punch Card)- शु म डेटा नवेश के लए छ त प क उपयोग म लाए
जाते थे । क बोड, मै ने टक टे प या ड क का आ व कार बाद के दन म हु आ ।
4.3 नगम उपकरण (Output devices) -
ऐसे उपकरण िजनक सहायता से डेटा को ोसे संग के बाद उपयोग के लए कं यूटर
वारा सु र त रखने हे तु भेजा जाता है अथवा मु त कया जाता है अथवा न पर द शत
कया जाता है । सामा यता आउटपुट उपकरण वारा सूचना को मु त अथवा द शत कया
जाता है । च लत आउटपुट उपकरण न न ल खत ह-
(क) य पटला,वी डयो ड ले यू नट (VDU)
(ख) टर
(ग) मै ने टक टे प या ड क
य पटल (VDU) - अ थायी तौर पर ा त करने के लए य पटल का योग
सवा धक कया जाता है । यह दे खने म टे ल वजन जैसा होता है, िजसके न पर हम
प रणाम ा त होता है । इसे कैथोड रे यूब (CRT) भी कहा जाता है ।

14
टर- यह आउटपुट का सबसे मह वपूण मा यम है । यह एक ऐसा उपकरण है जो
कं यूटर म उपल ध इि छत सूचना को हम कागज पर मु त प म उपल ध कराता है ।
टर कई कार के होते है । च लत मु ण यं न न ल खत ह-
(क) डाटमे स टर
(ख) लाइन टर
(ग) लेजर टर,
इसम डाटमे स टर ब दु प म मु ण करता है । िजस अ र, अंक या तीक
को मु त करना होता है उसक ब दु पी छाप कागज पर उभरती है । इसक ग त कम होती
है तथा यह स ता है । जब क लाइन टर एक बार म एक पूर पंि त मु त कर दे ता है ।
यह डाटमे स से बेहतर क तु लेजर से - होता है । इसक ग त अ य त तेज होती है ।
लेजर टर अ य त ती एवं सु दर मु ण करता है । यह व युत फोटो ाफ णाल पर
आधा रत होता है । यह अ य त खच ला है ।
मै ने टक टे प या ड क - मै ने टक टे प अथवा मै ने टक ड क आ द उपकरण नवेश
उपकरण के साथ आउटपुट उपकरण का भी काय करते ह । इसम डेटा नवे शत भी कया जाता
है तथा उपकरण के प म डेटा संग ृह त करने अथवा द शत करने के लए योग कये जाते
ह।

5. हाडवेयर तथा सॉ टवेयर


व भ न भौ तक इकाइय िजनको मलाकर कं यूटर का नमाण होता है, को हाडवेयर
कहते है । सामा यतया भौ तक उपकरण , वशेषकर इले ा नक उपकरण का समु चय हाडवेयर
होता है । कं यूटर क संरचना के संदभ म पूव उि ल खत व भ न भौ तक इकाइयाँ हाडवेयर ह
ह ।
सॉ टवेयर
कं यूटर को प रचा लत करने अथवा इि छत काय लेन के लए हर चरण म नदश क
आव यकता होती है । इन नदश के बना कं यूटर का सु चा प से काय करना स भव नह ं
है । नदश अथवा अनुदेश क यह खृं ला सम प म ो ाम कहलाती है । ो ाम का
समु चय या सं ह सा टवेयर कहलाता है । कं यूटर म न हत व भ न उपकरण सा टवेयर म
ल खत ो ाम के अनुसार काय करते ह । ो ाम लखने का जानकार कोई भी यि त
सा टवेयर का नमाण कर सकता है । बने बनाये सा टवेयर बाजार से भी उपल ध हो जाते ह।
मु यत: सा टवेयर दो कार के होते है:
 एि लकेशन (अनु योग ) सा टवेयर
 स टम ो ाम सा टवेयर
एि लकेशन (अनु योग ) सा टवेयर - कसी वशेष कार के काय को स प न करने के
लए ल खत सॉ टवेयर अि लकेशन सॉ टवेयर कहलाते ह । उदाहरण के तौर पर
सी.डी.एस./आई. एस. आई.एस (पु तकालय एवं सू चना के के लए), लि सस (पु तकालय के
काय के लए), एम.एस. वड टार (प ाचार एवं लेखन के लए आ द) ।

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स टम सॉ टवेयर- कं यूटर तथा अि लकेशन सॉ टवेयर के बीच साम ज य था पत
करने के लए स टम सॉ टवेयर क आव यकता होती है । ये सॉ टवेयर कं यूटर क मूल
काय व ध को नधा रत एवं नयि त करते ह । उनके अभाव म हाडवेयर तथा सॉ टवेयर काय
नह ं कर सकते । इसे आपेरे टंग स टम के नाम से भी जाना जाता है । कंपाइलर, ए डटर,
एसे लर, ड क आपरे टंग स टम आ द अनेक त व इसम सि म लत होते ह ।
आपरे टंग स टम - सब कु छ होते हु ए भी आपरे टंग स टम के अभाव म कं यूटर
काय नह ं कर सकता । यह कं यूटर क सार ग त व धय के संचालन, नय ण तथा उनम
साम ज य था पत करने का काय करता है । वा तव म यह अनेक वश ट ो ाम का
समु चय होता है । भंडारण यव था, संसाधन यव था, णाल यव था, फाइल यव था आ द
इसके मु य काय ह । आपरे टंग स टम म कई छोटे -छोटे ो ाम न हत होते ह जैसे-
कं यूटर , एसे बलर, डास, टे ट ए डटर, श युलर आ द ।
क पाइलर उ च भाषा से मशीन भाषा म अनुवाद का काय करता है । ाकृ तक भाषा
(उ च भाषा) म ल खत ो ाम को कं यूटर वारा समझने के लए यह आव यक है ।
एसे बल भाषा से मशीन भाषा म अनुवाद के लए एसे बलर का योग होता है । डास ो ाम,
डेटा, अनुदेश को ड क एवं मु य मृ त म ले जाने-ले आने का काय करता है । ए डटर
सं हत सू चना म फेर-बदल करने का काय करता है ।

6. कं यू टर क भाषाएं
सामा यतया कं यूटर ो ा मंग के लए तीन तरह क भाषाओं का योग कया जाता
है-
(क) मशीन भाषा
(ख) एस बल भाषा न न तर य भाषाएँ
(ग) उ च तर य भाषाएँ
इनम मशीन भाषा तथा एसे बल भाषा को न न तर य भाषा के अ तगत माना
जाता है । बे सक, पा कल एवं फो ान आ द उ च तर य भाषाएँ ह ।
(क) मशीन क भाषा - मशीन भाषा कं यूटर क ऐसी भाषा होती है, िजसे कं यूटर सीधे
समझ सकता है । इसके इस गुण के कारण ह इसे मशीन भाषा कहा जाता है । 0 तथा 1 के
सेट से इसम ो ाम लखे जाते ह । मशीन भाषा को तैयार करने के लए 0 तथा 1 के सेट
तैयार कर लये जाते ह । मशीन भाषा तैयार करने म काफ म एवं सावधानी क आव यकता
होती है।
(ख) एसे बल भाषा- मशीन भाषा क क ठनाइय को दूर करने के लए एसे बल भाषा का
वकास कया गया । इसम संकेत का योग कया जाता है । संकेत को कं यूटर म डालने से
उन श द का मशीन भाषा म अनुवाद हो जाता है । इस तरह 0 तथा 1 के कोड क
आव यकता नह ं रह जाती है । व भ न संरचना वाले कं यूटर के लए व भ न एसे बल
भाषाओं का योग कया जाता है ।

16
(ग) उ च तर य भाषाएँ - एसे बल भाषा क क मय को दूर करने के लए उ च तर य
भाषाओं का वकास कया गया । ये भाषाएँ ाकृ तक भाषाओं जैसी होती ह । एसे बल भाषा म
यु त सारे कोड को याद रखना क ठन था तथा इनम काय करना क ठन था । उ च तर य
भाषाओं के वकास से इन सम याओं पर काफ हद तक काबू पा लया गया । वभ न
उ च तर य भाषाएँ भ न- भ न काय को सफलतापूवक स प न करने म स म ह । च लत
उ च तर य भाषाएँ ह: बे सक, पा कल, कोबल, फो ान, सी भाषा, सी लस आ द ।

7. सारांश
इस इकाई म आपको क यूटर एवं उसके वकास के बारे म समझाने का यास कया
है । क यूटर या है तथा इसक पी ढ़य के बारे म व तार से चचा क गयी है । क यूटर
क संरचना, ोसे संग मता, ग त, भंडारण तथा शि त के आधार पर इसके व भ न वग को
भी प ट कया गया है तथा इसक ो ा मंग के कए तीन भाषाओं को समझाया गया है ।

8. अ यासाथ न
1. क यूटर या है? कं यूटर वकास क व भ न पी ढ़य का वणन कर?
2. ोसे संग मता, ग त एवं भंडारण के आधार पर कं यूटर का वग करण कैसे कर सकते
ह?
3. कं यूटर क संरचना क च वारा या या कर?
4. सॉ टवेयर के व भ न कार का वणन कर?

9. पा रभा षक श दावल
कं ोल यू नट (Control Unit): सी पी यू का वह भाग जो कं यूटर क वभ न
याओं पर नयं ण रखता है ।
ए एल यू (ALU): अ रथमे टक लॉिजक यू नट के लए पर वण पद । यह नदशानुसार
ग णतीय याएँ संप न करता है तथा मेमोर से डेटा लेकर कं ोल यू नट के नदशन म
उनका व लेषण एवं पुन व यास करता है ।
सी पी यू (CPU): स ल ोसे संग यू नट के लए पर वण पद/यह कं यूटर का दय
एवं मि त क है । यह तीन भाग म वभािजत होता है: कं ोल यू नट , अ रथमे टक लॉिजक
यू नट, तथा आंत रक मेमोर ।
मेमोर यू नट (Memory Unit): यह कं यूटर का वह थान है जहाँ अनुदेश एवं डेटा
भ डा रत कए जाते ह ।
हाडवेयर (Hardware): कं यूटर क व भ न भौ तक इकाइय , िजनको मलाकर
कं यूटर का नमाण होता है, को हाडवेयर कहते ह ।
सॉ टवेयर (Software): ो ाम के समु चय को सॉ टवेयर कहते ह ।

17
10. व तृत अ ययनाथ ंथ-सू ची
1. Ramlingam, Library Information Technology: Concepts to Application.
Kalpaz, Delhi, 2000
2. शंकर संह, कं यूटर और सूचना तकनीक. द ल , पूवाचल काशन, 2000
3. शमा, पा डेय एस. के., कं यूटर और पु तकालय, द ल , ं अकादमी, 1996

18
इकाई- 2 पु तकालय म कं यूटर का अनु योग: आशय,
आव यकता तथा कं यूट र करण के े (Computer
Application in libraries : Meaning, Need and Areas
of Computerisation)
उ े य
इस इकाई का उ े य पाठक को यह बताना क कं यूटर का पु तकालय के कन- कन
े म कैसे उपयोग कया जा सकता है । इस इकाई के अ ययन के प चात आप
न न ल खत त य से अवगत हो सकगे-
1. पु तकालय वचालन का आशय समझना,
2. पु तकालय म कं यूटर के बारे म जानना,
3. पु तकालय म कं यूटर के उपयोग के े क पहचान करना तथा उनका ववरण
समझना,
4. पु तकालय के व भ न े म कं यूटर उपयोग के लाभ से अवगत होना आ द ।

संरचना
1. वषय वेश
2. पु तकालय वचालन का ता पय
3. सं त इ तहास
4. पु तकालय के उ े य तथा कं यूटर करण
5. आधु नक पु तकालय म कं यूटर का उपयोग-आव यकता एवं े
6. पु तकालय कं यूटर करण के े
6.1 गृह काय संबध
ं ी ग त व धयां
6.1.1 अ ध हण
6.1.2 सू चीकरण
6.1.3 लेख लेन-दे न नयं ण
6.1.4 प -प का नयं ण
6.2 पु तकालय सेवा संबध
ं ी ग त व धयां
6.3 कं यूटर के अ य अनु योग
6.3.1 पु तकालय सूची का पूव यापी पांतरण
7. सारांश
8. अ यासाथ न
9. पा रभा षक श दावल

19
10. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची

1. वषय वेश
कं यूटर क चचा के साथ कं यूटर करण से होने वाले लाभ क चचा सव हो रह है ।
यह भी उ लेखनीय है क कं यूटर करण म पया त धन, समय और शि त लगानी पड़ती है ।
इस लए आगे बढ़ना चा हए । समाज म कसी भी े म कं यूटर का उपयोग कया जा सकता
है । हर छोटा बड़ा उ यमी, यापा रक त ठान, शै णक एवं शोध सं थान, राजक य वभाग
इससे लाभाि वत हो सकते ह ।
पु तकालय भी कं यूटर के भाव एवं योग से अछूते नह ं रहे । इनक असी मत का
आकलन कर पु कालया य भी पु तकालय स ब धी काय म इनका योग करने लगे ।
पु तकालय के बहु तेरे काय कं यूटर के उपयोग से कु छ ह मनट म स प न क जा रह है ।

2. पु तकालय वचालन का ता पय
पु तकालय स ब धी ग त व धय म कं यूटर का चु रता से उपयोग ह पु तकालय
वचालन है । सामा य अथ म पु तकालय वचालन का अथ है: पु तकालय के व भ न काय
तथा सेवाओं म कं यूटर तथा कं यूटर आधा रत उ पाद का योग । 1960 के दशक म
कं यूटर क क मत म कमी ने पु तकालय को कं यूटर के उपयोग के लए उ सा हत कया ।
पु तकालय वचालन अपने थू ल अथ म पु तकालय के काय म मशीन के उपयोग
क ओर इं गत करता है । ये मशीन कं यूटर से इतर भी हो सकती ह । ले कन आज
पु तकालय वचालन श द का योग कं यूटर के योग तक सी मत रह गया है । कं यूटर का
उपयोग न कये जाने क दशा म पु तकालय के अनेक काय । बार-बार कये जाते ह िजससे
म एवं समय बरबाद होता है । पु तकालय म कं यूटर के उपयोग से यह काय काफ सरल हो
जाता है तथा समय क काफ बचत हो जाती है । आज जब हम पु तकालय वचालन क बात
करते ह तो हमारा ता पय जैसे मै ने टक टे प, ड क, आि टकल मी डया आ द तथा कं यूटर
आधा रत उ पाद एवं सेवाओं के उपयोग से होता है ।

3. सं त इ तहास
पु तकालय ग त व धय के लए कं यूटर के उपयोग का इ तहास यादा ाचीन नह ं है।
अमे रका म पु तकालय काय एवं सूचना सेवाओं म कं यूटर के उपयोग क शु आत 1950 के
दशक से मानी जा सकती है । डॉ. एच. पी. लु हन ने इसी दशक म कं यूटर कृ त अनु म णका
का दशन कया । ले कन यह शु आत मा थी । 1960 के दशक म कं यूटर क क मत म
कमी दज क गयी तथा सॉ टवेयर लखे जाने लगे । अत: धीरे -धीरे अमे रक पु तकालय म
कं यूटर का उपयोग बढने लगा तथा अ य स बि धत काय म भी कं यूटर का उपयोग होने
लगा । सन ् 1960 म 'अमे रकन के मकल सोसाइट ' ने अपना 'के मकल टाइ ट स' कं यूटर के
उपयोग वारा का शत कया । सबसे मह वपूण उपलि ध लाइ रे आफ कां ेस का माक-I
(MARC-I) का ोजे ट ह । इस दशक म वृहत मता के सं हण उपकरण । जैसे मै ने टक
ड क, तथा म के वकास ने वृहत मा ा म सू चनाओं के सं ह क सम या का नराकरण कर
20
दया । पि चम दे श के पु तकालय ने कं यूटर का उपयोग इस समय शु कर दया । 1960
के म य म पु तकालय सा टवेयस के वकास ने पु तकालय वचालन क दशा म मह वपूण
योगदान दया ।
भारतीय पु तकालय एवं सू चना के के वचालन का इ तहास ब कु ल नया है ।
अभी तक भारत म पु तकालय वचालन अपने वृह प म नह ं आ पाया है । ले कन इस
समय तक अ धकतर बड़े शै णक एवं शोध सं थान इस दशा म काफ ग त कर चु के ह ।
भारतीय व व व यालय अनुदान आयोग वारा था पत इन फ़ बनेट (INFLIBNET)
व व व यालय तथा कालेज पु तकालय एवं शोध सं थाओं के सू चना के के वचालन म
मह वपूण भू मका अदा कर रहा है । जहाँ तक भारत म कं यूटर के सव थम उपयोग क बात
है, स भवत: इंसडॉक (INSDOC) ने सव थम इस काय के लए कं यूटर का उपयोग कया ।
सन ् 1965 म इंसडॉक ने 'इं डयन साइंस ऐब ै ट' क लेखक तथा वषय अनु म णकाओं को
कं यूटर क मदद से का शत कया इसके बाद इस सं थान ने अ य सेवाओं को भी
कं यूटर कृ त कया । 1970 के दशक म कु छ भारतीय पु तकालय ने अपने यहाँ कं यूटर का
उपयोग आर भ कया । ‘ नसात’ (NISSAT) ने आ थक तथा तकनीक सहयोग दे कर नेटवक
तथा कं यूटर श ण काय म आर भ कया । वतमान म भारत म कं यूटर हाडवेयर तथा
सॉ टवेयर क क मत म अ य धक कमी से ो सा हत होकर अनेक पु तकालय वचालन क
दशा म ती ग त से आगे बढ़ रहे ह ।
पु तकालय के स दभ म कं यूटर क असी मत मता एवं मह ता का आकलन
न न ल खत ब दुओं से कया जा सकता है:
(अ) कं यूटर बहु त अ धक मा ा म सू चनाओं का सं ह कर सकता है । पु तकालय के
वा या मक ववरण को एक या अ धक मै ने टक ड क म सं ह करना आसान है तथा
स बि धत सू चनाएँ पुन : ा त करना अ य त सरल है ।
(ब) यह सू चनाओं को अ य त शु ता एवं शी ता के साथ स प न कर सकता ह । सू ची मै
उपल ध ब दुओं के अनुसार छटाई एवं यव थापन कु छ ह सेके ड/ मनट म हो जाता
है जो बना कं यूटर क मदद मे कई दन म ह स भव है ।
(स) कं यूटर प त म न हत इले ो नक सूचनाएँ अ य त तेज ग त से दूर थ थान पर
भेजी जा सकती ह ।
(द) इससे खोज या अ य त आसान एवं शी हो जाती है ।

4. पु तकालय के उ े य तथा क यू टर करण


कसी भी पु तकालय के तीन मु य उ े य होते है : (1) भंडारण, (2) यव थापन एवं
पुन ाि त तथा (3) सं ेषण । आज भी पु तकालय के उ े य म कोई प रवतन नह ं आया है ।
मानव जा त क धरोहर ान के पु तकालय के मा यम से संग ृह त एवं सु र त रखा जाता है
। ाचीन काल म ान का भंडारण के लए मह वपूण मा यम मानव मृ त थी ले कन सू चना
अथवा ान के लए मह वपूण मा यम मानव मृ त थी । ले कन सू चना अथवा ान के व व

21
म असी मत वृ से इ ह मानव मि त क म रख पाना स भव नह ं रह गया । फल व प ान
के भंडारण एवं संर ण के लए पु तकालय क थापना क गयी । टंग ेस के आ व कार
के बाद मु त लेख क सं या म असी मत वृ ने सू चना या ान के सु चा यव थापन एवं
पुन ाि त के लए अनेक प तय को ज म दया । इन णा लय , सं हताओं तथा तकनीक क
सहायता से उपल ध सू चना के यव थापन, पुन ाि त तथा सं ेषण का काय होने लगा ।
पार प रक पु तकालय का संचालन इसी का प रणाम था ।
दन त दन बढ़ रहे ान या सू चना भंडार तथा उपयोगकताओं क सू म माँग ने
पार प रक पु तकालय क संचालन यव थाओं को भा वत कया है । िजसम थान क कमी
एक बड़ी सम या के प म सामने आयी । इसके समाधान के यास नाकाम सा बत हु ए । इस
वकट सम या का समाधान कं यूटर क सहायता से स भव था । अब तक कं यूटर ने
पु तकालय स हत अ य े को भा वत कया ।

5. आधु नक पु तकालय म कं यू टर उपयोग: आव यकता एवं े


आज पु तकालय म सू चनाओं का यव थापन एवं खोज अ य त क ठन हो गया है ।
सू चना व फोट के कारण कसी भी पु तकालय या सू चना के के लए सार सू चनाएँ/ ान
सं ह कर पाना, यवि थत कर पाना एवं उन पर आधा रत सेवा दान कर पाना अस भव सा
हो गया है । ोत साम य के व प म व वधता ने इस सम या को और अ धक वकराल
बना दया है । पु तकालय के सकु ड़ते बजट एवं लेख क बढ़ती क मत ने पु तकालय एवं
सू चना वै ा नक को अ य उपाय करने को बा य कर दया । पु तकालय म कं यूटर के उपयोग
तथा नेटवक आधा रत ोत सहभा गता से ह आज पु तकालय के े म भावी मताओं को
न न ब दुओं पर परखा जा सकता है
(क) असी मत भंडारण मता : कसी भी पु तकालय के पास इतना थान नह ं है क वह
का शत हो रह सभी या अ धकांश उपयोगी साम य का य कर सके अथवा भंडा रत कर
सके । थोड़ी सी जगह म चु र मा ा म सू चनाओं के भंडारण म कं यूटर ने अपनी उपयो गता
स कर द है । कं यूटर अपने भंडारण मा यम म अ य त छोटे थान म वपुल सूचना
एक त कर सकता है । एक बड़े पु तकालय क पु तकालय सू ची को कं यूटर के हाड ड क
अथवा आंत रक मृ त म भंडा रत कर सकता है िजससे वशाल काड कै बनेट से घरने वाला
थान र त हो जाता है । मह वपूण एवं वशाल संदभ ं ो को भी सी.डी. आ द के मा यम

म अ य त थोड़े थान म भंडा रत कया जा सकता है
(ख) सू चना का यव थापन एवं खोज : कं यूटर के उपयोग से पु तकालय/सू चना के म
सू चना का यव थापन एवं खोज का काय अ य त आसान हो जाता है । कं यूटर कृ त सू ची
ाचीन च लत सू ची से अ य त भावी खोज प रणाम दे सकती है । कं यूटर के उपयोग से
वि टयाँ बनाने का काय शी एवं अ छा प रणाम दे ने वाला होता है । कं यूटर कृ त सू ची से
कसी व श ट ब दु के अ तगत सू ची बनाना एवं सेवा दान करना अ य त उपयोगी है ।
इससे अनु म णकाएँ बनाने, सां तक सेवा दान करने, सू चना का चय नत सारण करने तथा
ं सू चयाँ बनाना अ य त आसान, सट क तथा कम समय लेने वाला स
थ होता है ।

22
(ग) पुनरावृि तक काय क अ धकता : पु तकालय के कई काय ऐसे होते ह िजनम सामान
सू चनाओं पर बार-बार काय करना पडता है । पार प रक तर के से काय करने पर लेख से
संबि धत एक ह सूचना को बार-बार लखना पड़ता है ले कन इन काय म कं यूटर के उपयोग
से यह काय एक ह बार करना पड़ता है । बाद म कं यूटर वयमेव उन लेख सू चनाओं को
आव यकतानुसार उपि थत कर दे ता है । उदाहरण के तौर पर कं यूटर म आदे श अथवा य के
समय नवेश कं यूटर क सभी लेख क सूचनाओं को आव यकतानुसार सूची काय, सां तक
जाग कता सेवा तथा आगम नगम काय के लए पुन :-पुन : उ ह ं सूचनाओं को उपल ध करा
दे ता है । कु ल मलाकर कहा जा सकता है क कसी लेख वशेष से स बि धत डेटा एक बार
डालने पर अ य काय म उपयोग के लए दुबारा नह ं डालना पड़ता है ।
(घ) ोत सहभा गता : सा ह य व फोट तथा काशन के बढ़ते मू य ने पु तकालय पर
काफ दबाव बढ़ा दया है । भारत जैसे वकासशील दे श के लए सू चना के एवं पु तकालय
को ववश कर दया है क वे कं यूटर आधा रत नेटवक का नमाण कर तथा अ य पु तकालय
के संसाधन का उपयोग अपने पाठक के हत के लए कर । एलेन के ट के अनुसार ''बड़े
पु तकालय क सफलता, अि त व इस बात पर नभर करे गा क वे भ व य म कतना एवं
कस सीमा तक एक दूसरे को सहयोग करते ह ।''
सहभा गता का अथ है एक पु तकालय के सद य को अ य पु तकालय क साम ी का
उपयोग करने क सु वधा दे ना । आज के प र े य म ोत सहभा गता न न ल खत क
सहभा गता है
 सू चना ( कसी भी कार क सू चना तथा कसी म व प म उपल ध सू चना)
 उपकरण मशीन
 सेवाएँ / वशेष ता
आज के पाठक क संतु ि ट बढ़ाने तथा लागत कम करने का मह वपूण तर का कं यूटर
आधा रत ोत सहभा गता है । आजकल लेख को अवा त करने के बजाय अ धका धक सू चना
सं ह म वेश क सु वधा को यादा मह व दया जा रहा है । व भ न पु तकालय क ोत
साम ी का उपयोग सु नि चत करने के लए व भ न तर पर पु तकालय नेटवक आव यक है
जो कं यूटर के उपयोग के बना स भव नह ं है । इससे संघ सूची/डाटाबेस, सहभागी सूची सेवा,
पाठक क अ धकतम संतु ि ट, अ तरपु तकालय ऋण सेवा, लागत तथा समय कम करने के
ल य को पाया जा सकता है ।

6. पु तकालय कं यू टर करण के े (Areas of Library


Computerisation)
पु तकालय म अनेक कार के काय स प न कये जाते ह । पु तकालय सेवा दे ने के
लए अनेक तैया रयाँ करनी पड़ती ह िजनका सीधा स ब ध पाठक से नह ं होता है ।
सामा यतया पु तकालय के या-कलाप को दो भाग म वभ त कया जाता है : -

23
गृहकाय स ब धी ग त व धयाँ (House Keeping Operation) : पद के पीछे या
तैयार व प कये जाने वाले काय, जैसे आ त रक शासन, अवाि त एवं अ ध हण, तकनीक
या: वग करण, सूचीकरण तथा प -प काओं का नय ण, पु तकालय के गृहकाय कहलाते
ह ।
पु तकालय सेवा स ब धी याकलाप (Library Service): पु तकालय का सबसे
मह वपूण काय े पु तकालय. सेवा दान करना होता है । इस सेवा का पाठक से सीधा
स ब ध होता है । पु तकालय ऋण दान करना, लेखन सेवा, सू चना का चय नत सारण,
वाड मय सू ची बनाना, स दभ सेवा दान करना आ द काय आते है ।
उपरो त व णत सभी कार क पु तकालय ग त व धय के भावी संचालन हे तु कं यूटर
का योगदान अ य त मह वपूण है । इनम सूचनाओं को यवि थत करने एवं पुन : उनक खोज
करने तथा सेवा दान करने म कं यूटर भावी सहयोगी भू मका नभाता है ।
6.1 गृह काय संबध
ं ी ग त व धयाँ
पु तकालय क गृहकाय स ब धी ग त व धय म े का कं यूटर करण काफ एवं
लाभदायक रहा है । ये े है:-
 अ ध हण (Acquisition)
 सू चीकरण (Cataloguing)
 लेख लेन-दे न नय ण (Circulation Control)
 प -प का नय ण (Serial Control)
6.1.1 अ ध हण
लेख क अवाि त या अ ध हण पु तकालय का एक मह वपूण काय है । कसी भी
पु तकालय क अपना काय शु करने के लए अथवा समृ एवं भावी बनाने के लए सं ह
नमाण क आव यकता होती है । इस तरह साम य क अवाि त पु तकालय गृहकाय क एक
अ य त मह वपूण ग त व ध है । अ ध हण अनुभाग के काय म य कये जॉन वाल
साम य क सं तु त ा त करना, आदे श भेजने के पूव इनक उपल धता ात करना, पु तक
व े ताओं को भेजने के लए आदे श आव यकता तैयार करना, आदे श पर (Book on order)
तथा या म चल रहे साम य का अ भलेख रखना, अ ा त पु तक के तथा कं यूटर करण
लए मरण प भेजना, बजट का लेखा-जोखा रखना, पु तक ा त करना तथा पु तक का
प र हण करना तथा उनके भु गतान क या करना आ द आते ह । पु तकालय के इन काय
म कं यूटर के उपयोग से उपरो त सार या सश त एवं सु गम हो जाती है, य द अ ध हण
के तर पर कं यूटर का उपयोग कया जाता है । स बि धत अ य याएँ भी कं यूटर वारा
वयं स प न कर ल जाती ह । पूव म ये सभी काय कं यूटर क मदद लये बना ह कये
जाते थे ले कन आज कं यूटर के चलन म आने से इन काय के लए कं यूटर का उपयोग
कया जाने लगा है िजससे काय म गुणव ता आई है तथा शी ता के साथ भावी नय ण
स भव हो पाया है । कं यूटर कृ त अ ध हण या से न न ल खत ल य को ा त कया जा
सकता है :

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 पु तक तथा ाि तय क ती या,
 पु तक बजट पर बेहतर नय ण
 कागजी काय एवं अ भलेख म अ य त कमी,
 काशक / पु तक व े ताओं के साथ बेहतर संचार,
 वतीयक काय म कटौती
 कमचा रय के समय म बचत,
 व भ न सं ह के लए अलग म म प र हण सं या दे ने क सु वधा,
 अ य पु तकालय संबध
ं ी काय को कं यूटर संचा लत बनाने के लए आधार दान करना
आद ।
6.1.2 सूचीकरण
पु तकालय म सूची का नमाण अ य त ह मह वपूण काय है । वह अ य धक
उपयोगी अ भलेख है । पु तकालय के संसाधन क जानकार ा त करने एवं खोजने म यह
उपकरण पाठक एवं कमचा रय , दोन के लए समान प से उपयोगी है । यह पु तकालय
कं ु जी क तरह काय करता है । इसे हाथ से करने पर अ य धक समय एवं म लगता है तथा
गलती क भी संभावना बनी रहती है । एक पु तक के लए तीन या अ धक वि टयाँ तैयार
करनी पड़ती ह, इन वि टय को तैयार करने म गैर यावसा यक क मदद भी आव यक होती
है । वग एवं वण के अनुसार वि टय का यव थापन भी एक ज टल काय है ।
सू चीकरण के काय म कं यूटर का उपयोग अ य त फलदायी एवं उ साहवधक रहा है ।
इस े म कं यूटर के उपयोग से अ य त कम समय म पु तक के प क अ भलेख, वां छत
सहायक वि टय के साथ उपल ध हो जाते ह । कं यूटर इन वि टय को अ प समय म
वां छत म म हम न पर अथवा मु त व प म उपल ध करा दे ता है ।
सू चीकरण के काय म कं यूटर के उपयोग से न न ल य को ा त कया जाता है:
(1) अ य त कम समय म वपुल साम य का सं हता के अनुसार वि टय का नमाण,
(2) पु तकालय यावसा यक के काय म कमी,
(3) एक ह सू चनाओं के व ट करने पर वां छत सभी वि टय का नमाण,
(4) अ धकतम अ भगम को संतु ट करने क मता का वकास,
(5) नेटवक आधा रत संसाधन सहभा गता क सु वधा,
(6) भावी अ तरपु तकालय ऋण यव था,
(7) ओपैक (आनलाइन पि लक ए सेस कैटलॉग) क सु वधा, िजसम पाठक के लए खोज
के अ धकतम अ भगम, बु लयन लॉिजक आ द क यव था,
(8) खोज के तफल को सु र त रखने अथवा मु त करने क सु वधा ।
(9) डेटा संपादन क सु वधा,
(10) बुक कैटलाग के नमाण क सु वधा, िजसे अपटे ड रखा जा सकता है ।

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6.1.3 लेख लेन-दे न नयं ण
पु तकालय म पु तक के लेन-दे न का काय अ य त मह वपूण तथा समय सा य होता
है । पार प रक लेन-दे न णाल म पाठक को पु तक नगत कराने के लए दे र तक इ तजार
करना पड़ता है, िजससे पाठक का अमू य समय न ट होता है । पुरानी णाल म कई जगह
अ भलेख म लखने क वजह से नगम म समय लगता है । बड़े पु तकालय म इसका योग
अ य त लाभदायक रहा है । कं यूटर आधा रत आदान- दान से न न सु वधाएँ ा त होती ह
(1) पाठक के समय क बचत, अ प समय म ढे र सार पु तक नगत क जा सकती है
या वापस ल जा सकती है ।
(2) आगम- नगम काय म शु ता ा त क जाती है,
(3) ओवर यू पु तक अथवा वशेष पाठक क सूची अ वल ब तैयार कर लेना,
(4) आगम- नगम या तथा अ भलेख का सरल करण,
(5) ' ार को डंग' के योग क सु वधा दान करना ।
6.1.4 प -प का नय ण (Serials Control)
काय म प -प का नय ण का काय अ य त क ठन एवं मह वपूण माना जाता है ।
एक नि चत अव ध के अ तराल पर अनवरत काल तक चलते रहने के कारण ह इ ह सी रयल
कहा जाता है । इनके नय ण म अनेक सम याएँ आती ह, जैसे प काओं के नाम म
प रवतन, काशन अव ध, अ ा त काशन के लए मरण तथा इनके नवीनीकरण इ या द ।
बना कं यूटर के इनका संचालन एवं नयं ण काफ ज टल होता है । इस काय म कं यूटर के
बना इनका संचालन एवं नय ण काफ ज टल होता है । इस काय म कं यूटर के अनु योग
से इन पर नय ण आसान हो जाता है ।
प -प काओं के नय ण काय म कं यूटर के उपयोग से न न ल खत ल य को
ा त कया जा सकता है
1. प काओं के नवीनीकरण पर बेहतर नय ण
2. ा त सभी अंक का पंजीयन सु नि चत करना,
3. प -प काओं से स बि धत वा गमय सू चनाओं के नवेश तथा संपादन क सु वधा,
4. अ ा त अंक क व रत सू चना पाना तथा वचा लत प से अ म काय करना
5. प -प काओं के आदान- दान काय को सु गम तथा सरल बनाना,
6. भु गतान तथा बजट के अ भलेख रखना,
7. वां छत प काओं क सू ची आव यकतानुसार उपयु त शीषक से मु त कर ा त करना।
6.2 पु तकालय सेवा स ब धी ग त व धयाँ (सू चना पुन : ा त एवं लेखन)
ान/सूचना व फोट के प रणाम व प लेख को ा त करना एवं उनक जानकार
रखना अ य त ज टल हो गया है । सू चना क इस बाढ़ ने उसे संग ठत करने एवं पुन : ा त
करने के काय को पु तकालय सेवा के के म ला दया है । कसी वशेष वषय या े म
सू चनाओं को ा त करना अथवा नवीन सू चनाओं क जानकार रखने क आव यकता ने सू चना
पुन : ाि त (Information Retrieval) को अ य त मह वपूण बना दया है । इस दशा म
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अनेक वतीयक सेवाएँ, जैसे सार प का, अनु णीकरण प काएँ, साथक यास से शु क
गयी । ले कन इन प काओं क बढ़ती सं या से वशेष उपयोगकताओं को असु वधा हु ई
इनक गुणव ता भी भा वत हो गयी ।
सू चना के वशाल भंडार को सं हत करने एवं उ ह पुन : ा त करने के काय म
कं यूटर अनु योग ने अपनी ामा णकता स क है । वषय के साथ-साथ अ य ब दुओं से
खोज म कं यूटर अ य धक उपयोगी है । यह खोज काय कं यूटर अ य त कम समय म शु ता
के साथ स प न कर दे ता है । बु लयन लािजक सच सबसे भावी खोज मा यम है ।
कं यूटर आधा रत सू चना पुन : ाि त व धय म डेटा बेस का नमाण अ य त
आव यक होता है कं यूटर क सू चना स ब धी आव यकताओं क पू त के लए पु तकालय
एका धक डेटाबेस नमाण करते ह । इन डाटाबेस स बि धत लेख के अ भलेख फाइल के प
म नब रहते ह । ये डेटाबेस उपयो ता समु दाय वशेष क सूचना स ब धी आव यकताओं क
पू त करते ह । अत: सॉ टवेयर का चयन सावधानी पूवक कया जाना चा हए ।
आधु नक समय म लेखन सेवा का अ य धक मह व है । पु तकालय के गृहकाय म
कं यूटर के अनु योग ने इस काय को सु गम बना दया है । लेखन सेवा के अ तगत मु य
प से न न ल खत ग त व धयाँ आती ह
(क) नव अ धगृह त पु तक सूची
(ख) सू चना का चय नत सं ेषण आशय, आव यकता
(ग) वा गमय सू चयाँ बनाना
उपरो त काय को कं यूटर क मदद से सु गमता पूवक अ प समय म स प न कर
लया जाता है । कं यूट र से क यूटर को ा त कर सू चना का चय नत सं ेषण काय भी
आसानी से कया जाता है । इस कार मांग आने पर आव यकतानुसार चय नत वषय के
अ तगत आने वाले लेख को एक फाइल के प सेव कर तथा मु त कर वा गमय सू ची
ा त क जा सकती है । कं यूटर अनु योग से पाठक को बेहतर सेवा दान क जा सकती है
। ह तकाय से बनायी गयी अनु म णका या सू ची म कई थान पर सूचना क ह ं कारण से
सि म लत नह ं हो पाती । पर तु कं यूटर पाठक वारा वां छत सूचना उसके व लेषण स हत
उसक सट क एवं सु व तृत खोज कर उसक पुनः ाि त कराता है । सू चना का भंडार चाहे
िजतना बड़ा हो, कं यूटर वारा वां छत सू चना क खोज आसान हो जाती है ।
6.3 कं यूटर के अ य अनु योग
पु तकालय एवं सूचना सेवाओं के अलावा कं यूटर के अनु योग बहु तायत म हो रहे ह ।
आज कं यूटर पर होने वाला 80 तशत काय यावसा यक तथा गृहकाय क ेणी म आता है
। ब कग, उ योग, अ त र व ान, दूर संचार, इंिज नय रंग डजाइन, यातायात, रे लवे,
टे ल फोन व टे ल ाम, च क सा आ द े म कं यूटर का अनु योग अपनी उपयो गता मा णत
कर चु का है । आजकल अनेक कं यूटर नमाता अपने कं यूटर को घरे लू उपयोग के लए ला
रहे है । घरे लू उपयोग म घर का बजट आ द तैयार करने, मनोरं जन के साधन के प म, प
लेखन म इसक मह वपूण उपयो गता है ।

27
6.3.1 पु तकालय सू ची का पूव यापी पा तरण (Retrospective Conversion of Library
Catalog)
पूव यापी (Retropective) का अथ है जो पहले से अि त व म हो तथा पा तरण का
अथ है मशीन पठनीय व प म प रवतन । इन दोन को सं ेप म र ोक वजन
(retroconversion) कहते ह । इस तरह पूव यापी पा तरण, पु तकालय के स ब ध म, का
ता पय हु आ, पहले से न मत अ भलेख , जैसे सू ची, सद य अ भलेख, अ ध हण अ भलेख
आ द का, मशीन-पठनीय व प म पा तरण । पा त रत सू चनाओं के पा तरण से वशेष
प से स बि धत है । जेन बी ओमा ट ए ड जोसेफ पी. का स के अनुसार 'पूव यापी
पा तरण पु तकालय के पहले से न मत पु तकालय अ भलेख का हाथ स ब धी का यक
(मैनअ
ु ल ) से मशीन पठनीय व प म, व श ट नी तय एवं मानक के अनुसार पा तरण है ।
पूव यापी पा तरण भावी पु तकालय वचालन (आटोमेशन) क पूव शत है । यह
पु तकालय वचालन का सबसे मह वपूण त य है । यह काफ क ठन खच ला एवं समय सा य
है ।
पूव यापी पा तरण के न न ल खत उ े य ह:
1. पु तका मक डेटाबेस का नमाण
2. पु तक लेन-दे न (Circulation) को वचा लत बनाना,
3. संघसूची का नमाण,
4. पु तकपरक सू चनाओं क सहभा गता,
5. संसाधन सहभा गता सु नि चत करना,
6. पु तकालय सं ह का व रत एवं बहु आयामी सेवा के यो य बनाना,
7. पाठक क अ धकतम सेवा एवं समय क बचत ।
पा तरण या
डेटा पा तरण या आर भ करने के पूव हम नवे शत खच का भल -भाँती आकलन
कर लेना चा हए । इस काय म आने वाल सम याओं ब धक य, व तीय, शास नक-दर
उ चत समय पर वचार कर नणय लेना चा हए । मशीन पठनीय व प म कन- कन मानक
का पालन कया जाना है, यह पहले से सु नि चत कर लेना चा हए तथा इस काय को, पूरा
करने क समय सीमा भी तय कर लेनी चा हए । कं यूटर म पा तरण या शु करने के
पूव ऐसे अ भलेख लेख का चयन कर अलग कर दे ना चा हए ।
पूव यापी पा तरण म मु यत: तीन चरण होते ह । थम चरण म वतमान सू ची के
अ भलेख का कं यूटर कृ त पु तका मक डेटाबेस जैसे OCLC, लाइ ेर ऑफ कां ेस डेटाबेस से
मलान कर लेना चा हए । मलान म समान पाये गये अ भलेख क जाँच तथा उनका स पादन
वतीय चरण म होता है । प त का यान रखकर आव यक प रवतन कया जाता है ।
पा तरण के तृतीय चरण म असमान पाये गये अ भलेख को सीधे कं यूटर म नवेश
क आव यकता होती है । य डेटा नवेश के कई वक प होते ह:
 सू ची ( ाय: फलक सू ची)
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 भौ तक प से पु तक क सहायता से
 प र हण पंजी क मदद से
पूण सू ची अ भलेख न होने अ या अ यतन (Up-to-date) फलक सूची न रहने से
पहला वक प लाभकार नह ं होता । प र हण पंजी से स पूण आव यक सू चनाएँ पाना स भव
नह ं रहता । इस लए भौ तक प से पु तक को फलक से मंगाकर सीधे कं यूटर म नवेश
करना यादा उपयोगी होता है ।
पु तक क मदद से सीधे नवेश के काय के ती ग त से स पादन के लए
पु तकालय के नय मत कमचा रय के साथ-साथ सं वदा पर अ य यो य लोग को भी नयु त
करना चा हए । इस व ध से काय करने पर काय समय सीमा के अ दर स प न होना स भव
लगता है । डेटा नवेश के काय म मानवीकरण तथा एक पता बनाये रखने के लए व र ठ
यावसा यक वारा इनक नय मत जाँच तथा स पादन काय कराया जाना युि तसंगत है ।

7. सारांश
इस इकाई म पु तकालय वचालन का ता पय, सं त इ तहास के बारे म काश
डाला गया है पु तकालय का कं यूटर करण तथा आधु नक पु तकालय म कं यूटर क
उपयो गता बतायी गयी है । पु तकालय कं यूटर करण के े गृहकाय स ब धी ग त व धयाँ एवं
पु तकालय सेवा पर व तार से चचा क गयी है । साथ ह क यूटर के अ य अनुपयोग से भी
अवगत करवाया गया है ।

8. अ यासाथ न
1. पु तकालय वचालन क प रभाषा एवं मह ता पर काश डा लये ।
2. पु तकालय कं यूटर करण के व भ न े या है ? व तार से चचा क िजए ।

9. पा रभा षक श दावल
गृहकाय : (House keeping operation): पु तकालय सेवा दान करने के लए
पु तकालय को अपने को तैयार करने के लए अनेक काय पद के पीछे करने पड़ते है । पद के
पीछे या तैयार व प कए जाने वाले इन काय को गृहकाय कहते है, जैसे आंत रक शासन,
अ ध हण, अवाि त, तकनीक या (वग करण एवं सूचीकरण ), प -प काओं का नयं ण
आद ।
पूव यापी पा तरण (Retcroconvesion) : पु तकालय म पहले से कए जा चु के
काय या अ भलेख - जैसे वग करण या सू ची - का मशीन पठनीय प म पा तरण ।

10. व तृत अ ययनाथ ंथसू ची


1. Ramlingan Library Information Technology : (Concepts to Applications,
Kalpaz, Delhi 2000)
2. शंकर संह, कं यूटर ओर सूचना तकनीक. द ल , पूवाचल काशन, 2000
3. शमा, पा डेय एस. के., कं यूटर और पु तकालय, द ल , ं अकादमी, 1996

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इकाई-3 सूचना यो गक (Information Technology)
उ े य
इस इकाई के उ े य न न ल खत ह ।
1. सू चना ौ यो गक के बारे म मू ल जानकार दे ना
2. सू चना ौ यो गक के व भ न अंग के बारे म जानकार दे ना
3. ोसेसर, सं हण, सं ेषण, कं यूटर एवं त ल यकरण ौ यो गक से प र चत करना ।

संरचना
1. वषय- वेश
2. कं यूटर ौ यो गक
3. भ डारण ौ यो गक
4. संचार ौ यो गक
5. माइ ो ा फ स एवं लेख पुन : उ पि तकरण
6. वकास
7. संचार या
8. संचार मा यम
9. नेटवक संरचना
10. इंटरनेट
11. सारांश
12. अ यसाथ न
13. पा रभा षक श दावल
14. व तृत अ ययनाथ थ सू ची

1. वषय- वेश
सू चना ौ यो गक , िजसम मूलत: केवल कं यूटर न हत था, अ या शत शु आत
1950 के दशक म हु यी । बीसवीं शता द के उ तराध म ौ यो गक शोध के फल व प
कं यूटर मश: छोटा, ती एवं स ता होता गया । जैसे-जैसे ौ यो गक यादा व वसनीय एवं
उपयोगकता-परक होता गया वैसे-वैसे अनु योग के नये े खु लते गये । कं यूटर , सं ेषण,
सं हण मी डया इ या द ौ यो गक संबध
ं ी वकास ने सू चना ौ यो गक े म एक ां त ला
द अत: सू चना ौ यो गक के अंतगत कं यूटर , सं हण, सं ेषण, माइ ो ा फ स इ या द
ौ यो गक आते है जो क एक दूसरे से संबं धत है । दूसरे श द म सूचना ौ यो गक का
अनु योग सू चना संबध
ं ी काय के या वयन म कया जाता है िज ह पूव म मानव वारा
कया जाता था ।

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इले ो नक मा यम वारा सूचना अ ध हण, सं ह, याकरण एवं वतरण (िजसम
रे डयो, टे ल वजन, टे ल फोन, कं यूटर इ या द सि म लत ह) अत: यु त ौ यो गक को सूचना
ौ यो गक कहते ह । अत: सूचना ौ यो गक के न न ल खत प ह:

2. कं यू टर ौ यो गक
आधु नक कं यूटर णाल अपने वकास क पी ढ़य से गुजरा है । थम पीढ वाले
कं यूटर 1940 दशक के अ त म तथा 1950 दशक के शु आत म अि त व म आये िजनम
के य ोसेसर नमाण हे तु वै यूम यूब एवं मु य मृ त हे तु चु बक य कोर णाल का
उपयोग हु आ । मानव-मशीन इंटरफेस मु यत: यां क भाषा (िजसम एक एवं शू य) के मा यम
से होता था । वतीय पीढ़ के कं यूटर 1960 दशक के शु आत म ांिज टर ौ यो गक के
आगमन से अि त व म आये । ांिज टर अध- वाहक युि तयाँ है जो क काय क ि ट से
वै यूम यूब के तु य है ले कन वै यूम यूब क तु लना म काफ छोटे होते ह । इसम कम
उजा क खपत होती है । यह यादा व वसनीय होता है । ांिज टर यु त कं यूटर आकार म
यादा ठोस होता है अत: इसी के साथ लघु ( मनी) कं यूटर श द का योग अि त व म आया।
आसान उ च तर य भाषा, जैसे क फोर ान का वकास हु आ िजसका उपयोग मानव-मशीन
ं (इंटरफेस) भाषा के
पर पर संबध प म उपयोग कया गया ।
सन ् 1962 म एक अध वाहक चप ( स लकान चप) पर कई सारे ांिज टर न मत
कए गये । ता कक या हे तु इन ांिज टर को आपस म जोड़ा जा सकता था । इन च स को
कं यूटर नमाण हे तु नमाण-इकाई के प म यु त कया गया । इनको इं ट ेटेड स कट कहा
जाता है । तृतीय पीढ़ के कं यूटर का नमाण 1970 के दशक म आई सी क सहायता से
कया गया । नर तर शोध के फल व प लाज केल इ ट ेशन (ISI) एवं वेर लाज केल
इ ेशन (VLSI) आई सी अि त व म आये । इसके फल व प माइ ो ोसेसर अि त व म
आया जो चतुथ पीढ़ के कं यूटर के नमाण का आधार बना । सभी पसनल कं यूटर माइ ो-
कं यूटर ह जो क चतु थ पीढ़ के कं यूटर कहलाते ह । पंचम पीढ़ के कं यूटर के वकास हे तु
शोध काय चल रहा है । नये-नये संभावनाओं क तलाश जार है ।

3. भ डारण ौ यो गक
सं हण या भ डारण ौ यो गक वकास का मु य त व सं हण मता, मू य एवं
अ भगम क ग त या र तार है । शु - शु म मु य मृ त चु बक य कोर क सहायता से
न मत क जाती थी । वतमान म कैशे (cache) एवं मु य मृ त अध- वाहक (सेमी
क ड टर) मृ तयाँ ह। मु य मृ त मेटल आ साइड सेमी क ड टर तकनीक पर आधा रत होती

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है । मृ त के दो मु य कार ह- र ड ओनल मेमोर (ROM) एवं ए सेस रडम मेमोर (RAM)
सं हण या भ डारण ौ या गक मु यत: दो कार क है
(i) चु बक य सं ह (Magnetic Storage)
(ii) आि टकल टोरे ज (Optical Storage)
इन सभी का वणन व तार से इकाई 1 म कया गया है ।

4. संचार ौ यो गक (Communication Technology)


बीसवीं सद म सामािजक एवं आ थक ां त का मु य आधार संचार ौ यो गक है ।
संचार ौ यो गक का े अ य धक वक सत है । इसके कु छ मह वपूण प न न ल खत ह
 उप ह संचार
 फाइबर आि टक संचार
 टे लफोन नेटवक
 डेटा सं ेषण
 डेटा नेटवक
 पैकेट ि व चंग
 संचार नेटवक

5. माइ ो ा फ स एवं लेख पु न: उ प तीकरण


पु तकालय सूचना का भंडार है । सू चना को मु यत: कागज पर मु त कर उपल ध
कराया जाता है । उपयोग के आधार पर सू चना को कागज मा यम पर वभ न प म
यवि थत कया जाता है (उदाहरणाथ पु तक, प का, मोनो ाफ, तवेदन, पैटे ट, टै डड
इ या द)
सू चना का कई प म यव थापन सं ह, याकरण एवं संपेषण म कई सम याएँ
उ प न करता है । पु तकालय इन सम याओं का समाधान आधु नक तकनीक का इ तेमाल
करके करते ह, जैसे त ल पकरण, माइ ो ाफ , कं यूटर करण , र ो ाफ कसी भी पा य
साम ी क अ त र त तयाँ उ प न करने क तकनीके ह । छायांकन ौ यो गक के वकास
के फल व प त लपीकरण क कई व धयाँ उपल ध है । जैसे
 छायांकन व ध (Photographic Method)
 थम ा फक व ध (Thermographic Method)
 इले ो टे टक व ध (Electrostatic Method)
कसी भी पा यसाम ी को छोटे -से छोटे आकार म तु त करना माइ ो ा फ स
कहलाता है । माइ ो ा फ स का इ तहास 1939 से चि हत कया जा सकता है । सव थम
एक अँगरे ज वै ा नक ने सन ् 1939 म 20 इंच लेख के त व ब को 1/8 इंच आकार म
तु त कया िजसे सामा यत: साधारण माइ ो कोप से पढ़ा जा सकता था । ले कन
माइ ो फ म का उपयोग पु तकालय म कम तथा अ य े म यादा कया जाता था, जैसे
जासूसी इ या द े म माइ ोफाम ौ यो गक का आगमन 1960 के दशक म हु आ । सन ्

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1970 के दशक म कॉम (COM). कं यूटर आउटपुट माइ ो फ म क तकनीक अि त व म आ
गयी थी । कु छ मह वपूण माइ ोफाम न न ल खत ह
रोल फ म
माइ ोकाड
माइ ो फश
अ ा फश
अपचर काड
अ ा प

6. वकास
इले ो न स तथा दूरसंचार (Telecommunication) के े म 20 वी शता द म
हु ए वकास को सम प म सू चना ौ यो गक के नाम से जाना जाता है । सू चना से
स बि धत तकनीक ह सूचना ौ यो गक है । माइ ो कं यूटर क मता म असीम वृ तथा
क मत एवं आकार म कमी ने इस े म ाि त ला द है । य य प इनका वकास 1970-71
म ह हु आ । आज तक माइ ो कं यूटर या pc के कई उ नत सं करण बाजार म आ चु के हँ
जैसे – PC XT PCAT PC 386 तथा PC 486 । इसके बाद के सं करण प टयम के नाम
से स ह ।
पछल शता द के अि तम दशक मै आन-लाइन तकनीक म हु ए वकास ने सू चना
ौ यो गक को अ य त मह वपूण बना दया है । आन-लाइन का ता पय है क व भ न थान
पर कं यूटर , ट मनल तथा उससे संल न उपकरण के य संसाधक कं यूटर से स ब ध बना
लेते ह । मु य कं यूटर के ब द होने से अ य ट मनल सू चना नह ं ा त कर सकते । इस
कार आन-लाइन एक ऐसी णाल है िजसम के य संसाधक से दूर तथा अलग-अलग ि थत
कं यूटर , ट मनल या उनसे संयु त उपकरण केबल या अ य संचार मा यम , जैसे टे ल फोन
लाइन या सैटेलाइट लंक के वारा मु य कं यूटर से स ब ध बनाकर पर पर अ त: या
(Interaction) करते ह । इस स ब ध म नेटवक, वशेषकर इंटरनेट (internet) का उदय
मह वपूण चरण है । पूर दु नया म कह ं भी रखे कं यूटर का एक दूसरे से इस कार स ब ध
था पत हो जाता है क एक कं यूटर तथा उससे संल न उपकरण दूसरे कसी भी कं यूटर से
और तक सू चना का आदान दान कर सकते ह।
सं ेप म सूचना ौ यो गक से ता पय है कं यूटर एवं दूरसंचार के योग वारा
सू चना का अ ध हण, भंडारण, संसाधन एवं सारण । इसे सू चना तकनीक (Informatics) के
नाम से भी जाना जाता है ।
यह युग सू चना ाि त का युग है । वै ा नक तथा तकनीक सा ह य अ य धक तेज
ग त से मु त के साथ-साथ इले ो नक व प म बढ़ रहा है । सू चना ौ यो गक म काफ
ग त हो चु क ह िजसम मु य प से कं यूटस तथा दूरसंचार सि न हत ह । दूरसंचार के साथ
कं यूटस के ज़ु ड़ाव ने सू चना प तय को व तृत आयाम दया है । सू चना, नेटवक तथा
आनलाइन सू चना तक पहु चं आसान हो गयी है । सू चना ौ यो गक अथात ् कं यूटस क मता,

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ग त तथा दूरसंचार व धय म वकास ने एकसाथ मलकर समाज म काफ प रवतन ला दया
है । सू चना ौ यो गक के इस वकास ने सू चना एक त करने, सं हत करने, पुन : ा त
करने एवं वत रत करने क या को भा वत कया है ।

7. संचार या
सू चना संचार म नेटवक अ य त मह वपूण है । कं यूटर से अ य थान अथात
क यूटस पर सू चनाएँ े षत करने के लए नेटवक आव यक मा यम ह । नेटवक का सामा य
अथ है- एक णाल के सम त अनेक सेवा ब दुओं का आपस म संयु त होना । सामा य
च लत अथ म, सूचना संचार के लए एक णाल के कं यूटर अथवा व भ न णा लय के
कं यूटर को केवल वायर (Cable Wire) टे ल फोन, तथा उप ह आ द मा यम जोड़ा जाना
नेटव कग है । जब हम पु तकालय नेटवक क बात करते ह तो उसका ता पय होता है
कं यूटर कृ त पु तकालय क एक जाल, िजसम एक पु तकालय का कं यूटर उस णाल के
अ य पु तकालय कं यूटर से जु ड़ा हो । इसम एक प त या अनेक णा लय के कं यूटर भी
आपस म एक दूसरे से जु ड़े हो सकते है ।
सं ेप म नेटव कग है
1. व भ न कं यूटर/ ब दुओं को जोड़ने का मा यम,
2. एक दूसरे उपयोगकता के साथ संचार,
3. संसाधन क सहभा गता (Resource Sharing),
4. सामािजक, शास नक, यावसा यक, शोध उ े य के लए सू चनाओं क अदला-बदल
और उनका सारण ।

8. संचार मा यम (communication Media)


नेटवक का काय दूरसंचार मा यम के बना स भव नह ं है । टे ल क यु नकेशन मा यम
से दूर थ थान तक सू चनाओं का सं ेषण कया जाता है । संचार के च लत मा यम
न न ल खत ह
 टे ल फोन लाइ स
 कोएि सअल केब स (Coaxial Cable)
 फाइबर आि टक केब स (Fibre Optic Cables)
 टे रेि यल लोस ल स (Terestrial Los Links)
 सैटेलाइट लंक (Satellite link)
नेटव कग के कार (Type of Networking)
(1) एक ब दु से दूसरे ब दु ( नि चत) तक, जैसे टे लफोन (Point to Point)
(2) एक ब दु से बहु ब दुओं तक (point to multipoint) जैसे ट वी, सारण
(3) बहु ब दुओं से एक ब दु तक (Multipoints to Points)
इसका उदाहरण डेटा रपो टग है । इसके अ तगत समाचार का संकलन, अनेक पी सी
का हो ट (Host) कं यूटर से जु ड़ा होना इ या द आते ह

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यवहार म तीन कार के नेटवक दे खे जाते ह:
(क) थानीय या एक थानक नेटवक (Local Area Network)
(ख) महानगर े ीय नेटवक (Metropolitan Area Network)
(ग) व तृत े ीय नेटवक (Wide Area Network)
इ ह सं ेप म मश: लैन (LAN) मैन (MAN) तथा (WAN) वैन के नाम से जाना
जाता है । कसी एक कमरे मे या एक भवन के कमर म अथवा आसपास के भवन के रखे
कं यूटर /ट मनल के बीच जु ड़ाव अथात ् डेटा संचार या सं ेषण यव था को लोकल ए रया
नेटवक कहा जाता है । नेटवक का व प जब यापक या व तृत े म फैला हु आ हो, जब
नेटवक का े कसी महानगर े तक सी मत हो उसे मैन कहे ग । कई शहर या दे श के
म य कं यूटर नेटवक, यापक या व तृत े नेटवक होता है ।
नेटवक संरचना (Topology)
नेटवक संरचना से ता पय उस तर के से है िजससे व भ न ट मनल/कं यूटर एक दूसरे
से जु ड़े ह नेटवक संरचना के मु ख कार न न ल खत है:-
(क) टार नेटवक (Star Network)
(ख) मेश नेटवक (Mesh Network)
(ग) बस नेटवक (Bus Network)
(घ) रंग नेटवक (Ring Network)
(क) टार नेटवक - इस नेटवक म एक के य कं यूटर होता है, सारे उपयोगकता सीधे
ट मनल से जु ड़े होते ह । इसम एक अकेले के य कं यूटर णाल से सारे उपयोगकताओ को
सेवा दान क जाती है । के य कं यूटर को से ल नोड तथा अ य सद य कं यूटर को नोड
कहा जाता है ।
(ख) मेश नेटवक - इस नेटवक म कं यूटर/नोड एक दूसरे इस तरह जु ड़े होते ह क एक
नोड क सूचना को दूसरे नोड तक पंहु चाने म अ य नोड से होकर गुजरना पड़ता है । बीच का
कोई नोड य द खराब हो जाय तो सू चना संचार म बाधा आ जाती है ।
(ग) बस नेटवक - इसम अनेक कं यूटर अपने के य कं यूटर से एक के य तथा सीधे
संचार पथ से जु ड़े होते हँ । इसम सारे नोड बस के मा यम से के य नोड से सीधे जु ड़े होते
है । एक नोड वारा े षत सू चनाएँ सभी तक पहु ँ चती है ।
(घ) रंग नेटवक - इस नेटवक म अनेक नोड/कं यूटर एक रंग के प म एक दूसरे से जु ड़े
होते ह । इसम सू चना का संचार एक दशा म होता है, अत: अ य त ती ग त से होता है ।

10. इंटरनेट (Internet)


इंटरनेट समाज के लए सू चना ौ यो गक का नायाब तोहफा है । यह 21 वी शता द
क सबसे मह वपूण उपलि ध है । वा तव म इंटरनेट व व का सबसे बड़ा कं यूटर स टम है,
यह कई नेटवक का नेटवक है । नेटवक यानी सू चना के आदान- दान और उपकरण सहभा गता

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के लए आपस म जु ड़े कं यूटस का एक समू ह । इंटरनेट हजार छोटे -छोटे नेटवक को आपस म
जोड़ता है ता क एक नेटवक पर उपल ध जानकार को सभी के साथ बाँटा जा सके ।
इंटरनेट क शु आत अमे रक र ा वभाग ने 1960 म क । 1990 आते-आते इंटरनेट
क लोक यता काफ बढ़ गयी । ान का यह अछूत भंडार कु छ लोगो के मनोरं जन का साधन
बन गया और आज यह जीवन क आव यकता बन गया है । य द इंटरनेट के कसी भाग म
कु छ गड़बड़ हो जाती है तो ल य तक पहु ंचने के लए णाल कोई दूसरा यावत रा ता ढू ढ़
ह लेती है । इसी कारण इंटरनेट को इंफामशन हाइवे या फर साइबर पेश भी कहा जाता है ।
इंटरनेट कसी एक सं था या संगठन के वा म व या अ धकार म नह ं होता । इसके
वारा ा त होने वाल सूचना पर सरकार ससर के नयम लागू नह ं होते । इसका संचालन
अनेक सं थाओं और यि तय वारा कया जाता है । इंटरनेट का कोई मु यालय नह ं है सबसे
बड़ी बात इंटरनेट के ज रये ा त क जा सकने वाल जानका रय क कोई नि चत सू ची नह ं
होती । तथा प सारे वषय या त य इंटरनेट के कसी न कसी वेबसाइट पर मल जाते ह ।
िजस वषय क जानकार ा त करनी होती है उसे सच इंजन जैसे गुगल (GOOGLE) याहू
(YAHOO), ऐ ओ एल (AOL) अ टा व टा आ द वारा खोज के ज रये ा त कया जा
सकता है ।
ई-मेल (E-Mail)
इंटरनेट पर उपल ध सु वधाओं म ई-मेल सवा धक मह वपूण है । इंटरनेट पर उपल ध
इस सु वधा के मा यम से लोग दूर थ अथात ् व व के कसी भी थान से सू चनाओं का
आदान- दान कर सकते ह । इंटरनेट से जु ड़े कसी कं यूटर क मदद से व व के कसी कोने
म ि थत कसी भी कं यूटर के मा यम से लोग दो त , र तेदार और प रवार के सद य यहां
तक क अजन बय के साथ संदेश का आदान दान कर सकते ह । इले ो नक सू चनाओं के
प म यह सू चना संचार का सवा धक ती एवं सु गम मा यम है ।
इंटरनेट के वारा कसी भी वषय पर जानकार ा त करना बेहद आसान है ।
समाचार प , प काएँ, पयावरण, भोजन, हा य, संगीत, श ा, राजनी त, खेलकू द, मनोरंजन
आ द व भ न वषय पर हजार साइट उपल ध ह िज ह अपनी आव यकतानुसार ाउज कर
सकते ह । इस पर अनेक चचा समू ह भी बने हु ए ह जो अ य त उपयोगी ह ।
इंटरनेट से स बि धत उपकरण/सेवाएँ
 ई-मेल
 टे लनेट (Telnet), दूर थ मशीन को जोड़ने के लए
 फाइल ा सफर ोटोकोल (FTP), कं यूटस के म य फाइल आदान- दान के लए
 व ड वाइड वेब (WWW) सूचनाओं क ाउिजंग के लए मह वपूण ने वगेशन टू ल,
 हाइपर टे ट ा सफर ोटोकोल (HTTP)
 गोफर, आच , यूजनेट , बुले टन बोड आ द सेवाएँ ।
डेटा सं ेषण या (Data Transmision Process)
डेटा सं ेषण सूचना संचार या का मह वपूण अंग है । कं यूटर से कं यूटर म य
डेटा के आदान- दान के लए एक नि चत तकनीक क आव यक होती है । ार भ म यह
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काय टे ले स (Telex) या टे ल ाफ के वारा होता था जो डिजटल स नल सीधे सं े षत करते
थे । ले कन इनक ग त कम होती थी तथा इनक पहू ँ च भी सी मत थी । PSTN का वकास
डेटा सं ेषण के लए मह वपूण स हु आ । डेटा ा स मशन के तीन अंग ह
 ा समीटर (Transmitter)
 मा यम (Channels)
 सं ाहक (Receiver)
कसी भी कं यूटर संचार या म उपरो त तीन आव यक त व ह । इन तीन अंग
का उपयोग कर एक ब दु से दूसरे ब दु तक डेटा संचारण होता है । वह मा यम िजसम डेटा
संचारण कं यूटर और कं यूटर णा लय का उपयोग करके होता हो, कं यूटर क यु नकेशन
नेटवक कहलाता है । कसी लाइन पर डेटा संपेषण सामा यत: दो मा यम म होता है
(1) ASYNCHRONOUS
(2) SYNCHRONOUS
थम मा यम म सू चना भेजने वाला कसी भी समय सू चना भेज सकता है। और
सं ाहक उसे वीकार करता है । यह कई ट मनल म होती है । इसम सू चना त करे टर डेटा
के प म सं े षत होती है ।
डेटा सं ेषण के लए एनालाग स नल का डिजटल म बदलना आव यक है तथा बाद
म पुन : ा त करने के लए वह व प चा हए । इसके लए मोडेम (MODEM) का उपयोग
कया जाता है । मोडेम डेटा म डिजटल व प म बदलने के लए माडु लेटर तथा पुन : उसी
व प ( ा तकता के लए वीकाय) म प रव तत करने के लए Demodulator का उपयोग
होता है । यह सारण हाँफ डु ले स (Half Duplex) और कु छ डु ले स (Full Duplex) हो
सकता है ।

11. सारांश
इस इकाई म क यूटर ौ यो गक , भंडार ौ यो गक एवं संचार ौ यो गक क
व तार से चचा क गयी है । इले ो न स तथा दूरसंचार के े म 20वी शता द म हु ये
वकास पर काश डाला गया है । क यूटर से अ य थान पर सू चनाएं े षत करने के लए
नेटवक एक आव यक मा यम है । नेटव कग, नेटव कग के कार, नेटवक संरचना एवं संचार
मा यम आ द को समझाने का यास इस इकाई म कया गया है । इंटरनेट एवं इंटरनेट पर
उपल ध सु वधाओं म ई-मेल क व तार से चचा क गयी है ।

12. अ यासाथ न
1. सू चना ौ यो गक को प रभा षत क िजए एवं व भ न प का उ लेख क िजए ।
2. नेटवक संरचना का व तार से वणन क िजए ।
3. इंटरनेट पर एक लेख ल खए ।

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13. पा रभा षक श दावल
आन लाइन (On Line) : ऑन लाइन एक ऐसी णाल है िजसम के य संसाधक से
दूर तथा अलग – अलग ि थत कं यूटर , ट मनल या उनसे संयु त उपकरण केबल या अ य
संचार मा यम - जैसे टे ल फोन लाइन या सैटेलाइट लंक - के वारा मु य कं यूटर से संबध

बनाकर पर पर अंत: या करते ह ।
'सू चना ौ यो गक गक (Intarmation Technology) सू चना ौ यो गक से ता पय
है, कं यूटर एवं दूरसंचार के योग वारा सूचना का अ ध हण, भंडारण, संसाधन और सार
नेटवक संरचना (Network Tecnology) : नेटवक संरचना से ता पय उस तर के से
है िजससे व भ न ट मनल / कं यूटर एक दूसरे से जु ड़े ह ।

14. व तृत अ ययनाथ ंथसू ची


1. Ramilingam, Library Information Technology: Concepts to
Applications., Kalpaz, Delhi, 2000
2. शंकर सहँ, कं यूटर और सूचना तकनीक, द ल , पूवाचल काशन, 2000
3. शमा, पा डेय एस.के., कं यूटर और पु तकालय, द ल , थ अकादमी, 1996

38
इकाई - 4 : दूसंचार : मू लभूत स ा त
(Telecommunication : Bsics)
उ े य
इस अ याय को पढने के प चात ् आप न न ल खत को समझने यो य ह गे
1. दूरसंचार क मु य वशेषताएँ,
2. डेटा संचार क प रभाषा तथा इसक तकनीक,
3. डेटा संचार णाल तथा उसके घटक,
4. डेटा संचार म यु त व धयाँ
5. डेटा सं ेषण म यु त व भ न मा यम क व तृत जानकार ,
6. डेटा सं ेषण म यु त संचार उपकरण क जानकार और काय व ध,
7. डेटा सं ेषण म यु त व भ न कार के कं यूटर नेटवक तथा उनक उपयो गता ।

संरचना
1. वषय – वेश
2. डेटा संचार
3. डेटा संचार व धयाँ
4. डेटा सं ेषण मा यम
5. मॉडम
6. डेटा स ेषण के कार
7. आवृि त तथा बै ड व थ
8. वषमका लक तथा समका लक स ेषण
9. ि व चंग तकनीक
10. नेटवक
11. सारांश
12. अ यासाथ न
13. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची

1. वषय वेश
कसी सं थान म पास-पास रखे दो कं यूटर साधारणतया एक तार के मा यम से एक
दूसरे के साथ सं ेषण करते ह पर तु जब उनके बीच क दूर इतनी अ धक हो क उ ह तार से
न जोड़ा जा सके तब वे उपल ध दूरसंचार सु वधाओं पर ह आ त होते ह ।

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2. डेटा संचार
डेटा संचार सू चना ौ यो गक का एक मु ख भाग है । दु नया भर के नेटवक व भ न
वषय जैसे वायुमंडल य तबंध , वायुमाग यातायात, फसल उ पाद आ द के बारे म डेटा एक
करते ह । इनम से अ धकतर नेटवक वतं स ता (एि टट ) के प म कायरत ह िज ह एक
वशेष समू ह क आव यकताओं को पूरा करने के लए न मत कया गया है ।इनका उपयोग
करने वाले उन हाडवेयर तकनीक का योग करते ह जो उनक संचार सम याओं के अनु प
होती ह । उ त हाडवेयर तकनीक पर आधा रत सावभौ मक नेटवक बनाना आसान काय नह ं ह
य क एक नेटवक सभी कार के काय के लए दूरसंचार समु चत आधार नह ं बन सकता ।
कु छ उपयोगकताओं को बहु त तेज ग त वाले नेटवक क आव यकता हो सकती हे िजसे दूर – दूर
तक फैलना क ठन है जब क दूसर को कम ग त वाले नेटवक क आव यकता है जो हजार मील
दूर ि थत मशीन को जोड़ सके ।
डेटा संचार म दो भ न तकनीक -डेटा सं करण तथा दूरसंचार-का योग होता है ।
डेटा सं करण म डेटा न हत होता है िजसे कं यूटर ो ाम क सहायता से संसो धत करते ह ।
दूरसंचार एक ल बी दूर पय त संचार यव था है जो क सू चनाओं को व युत चु बक य
उपकरण वारा एक थान से दूसरे थान पर भेजती है । इस कार हम कह सकते ह क डेटा
संचार एक ऐसी सु वधा है िजससे दूर थ कं यूटर से संचार संभव है ।
अ धक दूर ि थत मू ल कं यूटर के साथ संचार के लए िजस उपकरण का योग कया
जाता है उसे ट मनल कहते ह । पसनल कं यूटर अथवा ट मनल का योग पु तकालय वारा
मू ल कं यूटर से स ब ध था पत करने के लए कया जाता है । िजस नेटवक का योग इस
स ब ध को था पत करने के लए होता है उसे दूरसंचार नेटवक कहते ह । ट मनल तथा मू ल
कं यूटर के बीच था पत कड़ी को डेटा कड़ी (डेटा लंक) कहते ह ।
एक ट मनल को दूरभाष लाइन वारा दूर थ मूल कं यूटर से स ब ध था पत करने
के लए एक उपकरण क आव यकता होती है िजसे मॉडम (Modem) कहते ह । इसक
आव यकता इस लए होती है य क दूरभाष लाइन एनालॉग संकेत ( व न) सं े षत करती ह
जब क कं यूटर केवल डिजटल संकेत ह वीकार करता है । जब हम कं यूटर तथा दूरभाष को
मॉडम से जोड़ते है तो यह कं यूटर से ा त डिजटल संकेत को दूरभाष वारा वीकाय
अनालॉग संकेत म बदल दे ता है । इसी कार इसका वलोम भी स य है ।
डेटा संचार क आव यकता
डेटा संचार णाल के न न ल खत लाभ ह
(क) यह उपयोगकता को कं यूटर वारा सू चना भेजने म सहायक होता है एवं समय क
बचत करता है ।
(ख) यह उपयोगकता को सू चना खोजने म सहायक होता है एवं समय क बचत करता है।
(ग) यह उपयोगकताओं को कं यूटर से अ भगम क अनुम त दे कर उनका अ धक से अ धक
उपयोग करने म सहायता दान करता है ।
डेटा संचार णाल के घटक

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सू चना को एक थान से दूसरे थान तक भेजने के लए न न ल खत मू ल अंग या
संघटक का योग कया जाता है:
(क) ेषक
(ख) मा यम, और
(ग) ा तकता

च 1 डेटा संचार णाल के घटक


ेषक और ा तकता एक दूसरे के पास अथवा दूर हो सकते ह । इ ह जोड़ने के लए
तार, उप ह या सू मतरं ग का योग हो सकता है । ेषक अपना संदेश इनम से कसी एक
मा यम वारा ा तकता को भेज सकता है या ा तकता से ा त कर सकता है । डेटा संचार
णाल म ेषक अपना संदेश कसी एक मा यम वारा ा तकता तक पहु ँ चाता है ।

3. डेटा संचार व धयाँ (Data Communication Modes)


डेटा संचार न न ल खत तीन व धय वारा हो सकता है-
1. स पले स(Simplex) 2. हॉफ-डु पले स(Half-Duplex) 3. फुँ ल-डु पले स(Full-
Duplex)
3.1 स पले स (Simplex)
जब हम डेटा को केवल एक ह दशा म सं े षत करते है तो इस कार के डेटा सं ेषण
को स पले स सं ेषण कहते ह इस कार के सं ेषण म केवल डेटा को भेज सकता है तथा
ा तकता सदा डेटा ा त ह कर सकता है ।

च 2 स पले स संचार
इस व ध क सबसे बड़ी कमी यह है क य द ेषक वारा े षत डेटा स े षत नह
हु आ तो ेषक यह त य नह ं जान पाएगा इस लए सं ेषण क यह व ध व वसनीय नह ं मानी
जाती । रे डयो तथा, टे ल वजन इसके उदाहरण ह ।
3.2. हॉफ-डु पले स (Half-Duplex)
इस व ध म डेटा दोन दशाओं म सं े षत होता है य य प एक समय पर डेटा ।एक
ह दशा म सं े षत हो सकता है इस कार इस डेटा को े षत और ा त करने का वल ब हो
सकता है । साधारणतया इस व ध का योग व न संचार म कया जाता है जहाँ पर एक
समय म केवल एक ह यि त बात कर सकता है

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च 3 हॉफ-डु पले स
3.3. फुल-डु पले स (Full-Duplex)
इस व ध वारा एक ह समय म सू चना को े षत तथा ा त करना स भव है ।

च 4 फुल-डु पले स

4. डेटा सं ेषण मा यम (Data Transmission Media)


कं यूटर एक दूसरे को संकेत भेजने के लए व युत धारा, रे डय तरं ग,े सू मतरंगो का
योग करते ह । ये संकेत एक भौ तक पथ पर े षत कये जाते ह । िजस पथ वारा कं यूटर
संकेत को े षत तथा ा त करते ह उसे सं ेषण मा यम कहते ह । सं ेषण मा यम को दो
भाग म बांटा जा सकता है
1. तार मा यम (Cable Media)- इसम लाि टक म लपटा हु आ एक क य चालक
होता है । मु यत: थानीय नेटवक (LAN) म इस मा यम का योग होता है ।
2. बेतार मा यम (Wireles Media)- इसक व युत चु बक य आवृि त बहु त अ धक
होती है जैसे रे डयो तरं ग,े सू मतरंगे आ द । मु यत: (WANs) म इनका योग होता है ।
4.1 तार मा यम (Cable Media)
तार म एक के य चालक तार या त तु एक लाि टक आवरण से घरा है । ये
मु यत: तीन कार के होते हे :-
(क) लपटे हु ए तार को जोड़ा
(ख) समा केबल (कोएि सयल केबल)
(ग) काश त तु (फॉइबर आि टक)
4.1.1 लपटे हु ए तार का जोड़ा (Twisted Pair Wires)
इसम तांबे के दो तरो धत कए हु ए तार आपस म लपटे हु ए होते ह । ये तार
आपस म इस लए लपटे होते ह क आस न तार पार प रक ह त ेप को कम कर सके । यह
डेटा सं ेषण का एक मा यम है । यह थानीय दूरभाष तथा छोट दूर के लए एक ट मनल से
कं यूटर तक के डेटा सं ेषण म योग होता है । यह डेटा सं ेषण के लए एक धीमी ग त का
मा यम है ।

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च 5 लपटे हु ए तार का जोड़ा
4.1.2 कोएि सयल केबल (Coaxial Cable)
इसम एक तांबे के तार के ऊपर पी वी सी लपट हु ई होती है । पी वी सी क परत के
ऊपर तांबे के बार क तार क एक जाल होती है ।

च 6 समा केबल
िजसके ऊपर पी वी सी क एक और परत होती है । संकेत को अ दर के तांबे के तार
वारा े षत कया जाता है । बाहर शोर से बचाव के लए अ दर के तार के ऊपर बाहर परत
होती ह । इन तार का योग ल बी दूर क दूरभाष लाइन -नेटवक म कं यूटर को जोड़ने, ट वी
को डश ए ट ना से जोड़ने आ द म होता है । यह तेज ग त से संकेत को े षत करने का एक
मा यम है ।
4.1.3 फाइबर आि टक केबल (Fiber-Optic Cable)
इ ह काश त तु केबल भी कहते ह । ये कांच से बने बहु त मह न (छोटे ) त तु होते ह
। ये बहु त ह कम वकृ त के साथ काश को सं षत करने म स म ह । ये लेजर करण को
सू म तरं ग णाल क अपे ा 100,000 गुणा सू चना ले जाने यो य बनाते ह । इनके वारा
लेजर का सं ेषण 186,000 मील त सेके ड तक संभव है । या न काश क ग त के बराबर
यह केबल का सबसे तेज मा यम है ।

च 7 काश त तु केबल
4.2. बेतार मा यम (Wireless Media)
बेतार मा यम म व युत अथवा काश चालक का योग नह ं होता है । अ धकतर,
पृ वी का वातावरण ह मा यम के प म भौ तक माग का काय करता है । यह मा यम तभी
लाभदायक है जब दूर या बाधाय मा यम म क ठनाई पैदा करती है ।

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4.2.1. सू मतरं ग सं ेषण णाल (Mcirowave Transmission System)
इस णाल म यु त तरं गे बहु त उ च आवत , यथा 1.000 से 3,00,000 हटज क ,
होती ह िज ह सू म तरं गे कहा जाता है । सू मतरं ग को सं े षत करने के लए केबल का
योग नह ं कया जाता । इस लए यह बहु त ह लोक य णाल है । इस णाल का योग
उ च आवृि त के रे डयो संकेत का आकाश माग वारा सं े षत करने म कया जाता है ।
ये तरं गे कसी बाधा जैसे भवन, पहाड़ आ द आने पर न तो मु ड़ सकती ह और न इ ह
पार कर सकती ह । इस अव था से बचने के लए ेषक और ा तकता को बहु त ऊँचे ख बे
पर इस कार लगाया जाता है क दोन एक दूसरे के ि टपथ म रह । इस ि थ त को ''लाइन
ऑफ साइट'' कहते ह । े षत तथा ा तकता थानक के बीच म लगभग 25 - 30 कमी. क
दूर पर पुनरावतक लगाए जाते है । इनका योग इस लए कया है य क कु छ दूर के बाद
संकेत कमजोर पड़ जाते ह । इस कार पुनरावतक, ेषणकता से सू मतरं ग को ा त कर उ ह
प रव धत करने के उपरा त े षत करते ह । सू म तरंग के लए उपयु त उपकरण बहु त
अ धक महंगे होते ह ।

च 8 सू मतरं ग सं ेषण णाल


4.2.2. उप ह सं ेषण णाल (Satellite Transmission System)
सू म तरं ग णाल म अ धक दूर के सं ेषण हे तु संकेत को प रव धत करने के लए
कई पुनरावतक का योग कया जाता है । उप ह इस कमी को दूर करने म स म होता है ।
संचार उप ह आकाश म ि थत एक ऐसा थानक है जो सू म तरं ग को पुन : े षत करता है ।
ये उप ह आकाश म पृ वी से लगभग 36,00 क.मी दूर एक से वृ त म पृ वी के चार ओर
च कर लगाते ह ता क ये 24 घ टे म पृ वी का एक पूरा च कर लगा सक । या न क पृ वी
क अपनी धु र पर ग त के साथ इ ह 'िजयो टे शनर ' उप ह कहते ह । ये पृ वी पर ि थत
कसी थानक को आकाश म एक नि चत ि थ त क ओर ऐ ट ना लगाने क सु वधा दान
करते है ।
आकाश म ि थत कसी उप ह को पृ वी पर ि थत सं ेषक से उ च आवृ त के सकेत
भेजे जाते ह । उप ह ा त कमजोर संकेत को प रव धत करता है और अलग आवृ त के
संकेत म बदलकर इ ह पुनः पृ वी पर े षत कर दे ता है । ेषण और ाि त काय दो दे श के
बीच भी हो सकती है । ेषण और ाि त का मू य दूर पर नभर नह ं होता । एक ेषण
थानक पुन : अपना ह संकेत यह जानने के लए ा त कर सकता है क सूचना का ेषण सह
था या नह ं । य द इसम कोई ु ट पाई जाती है तो डेटा को पुन : े षत कर दया जाता है ।

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च 9 उप ह सं ेषण णाल

5. माँडम (Modem)
कं यूटर नेटवक म डेटा संचार के लए दूरभाष लाइन का योग कया जाता है जो
एनलॉग संकेत ह सं े षत कर सकती ह । जब क कं यूटर वारा उ प न डेटा डिजटल प म
होता है । जब डिजटल डेटा को एनालॉग चैनल म सं े षत कया जाता है तो डिजटल संकेतो
को एनालॉग संकेत म प रव तत करना आव यक है । इसी कार कं यूटर डेटा ा त करता है
तो एनालॉग संकेत को भी डिजटल संकेत म प रव तत करना आव यक है । िजस तकनीक
डिजटल संकेत को एनालॉग संकेत म प रव तत कया जाता है उसे मॉडु लेशन (Modulation)
कहते ह, तथा िजस तकनीक वारा एनालॉग संकेत को डिजटल संकेत म प रव तत कया
जाता है उसे डमॉडु लेशन (Demodulation) कहते ह । मॉडु लेशन तथा ड मॉडु लेशन क
या के लए िजस उपकरण का योग कया जाता है उसे मॉडम (मॉडु लेटर- डमॉडु लेटर) कहते
ह ।
5.1. मॉडम क काय णाल
दूरभाष म, बोलने वाले क आवाज ारि भक थान से ग त य थान तक एनालॉग
संकेत के प म थाना त रत होती है । इसका अथ यह हु आ क दूरभाष णाल कं यूटर को
जोड़ने के लए उ चत णाल नह ं है । मॉडेम, कं यूटर से ा त डिजटल संकेत को दूरभाष के
एनालॉग संकेत को कं यूटर के डिजटल संकेत म प रव तत करता है ।
जब दो डिजटल उपकरण के बीच डेटा संचार के लए एक एनालॉग मा यम का योग
करते है तो दो मॉडम क आव यकता होती है अथात येक डिजटल उपकरण के साथ एक
मॉडम।
कं यूटर से ा त डिजटल संकेत को इससे जु ड़े मॉडम का मॉडु लेटर एनालॉग संकेतो म
प रव तत कर दे ता है । ये एनालॉग संकेत दूरभाष लाइन के मा यम से े षत कर दये जाते ह
िज ह ा त करने वाले कं यूटर जु ड़े मॉडम का डमाडु लेटर पुन : डिजटल संकेत म प रव तत
कर कं यूटर को भेज दे ता है ।

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5.2. थाना तरण ग त (Transfer Speed)
मॉडम क ग त अ धकांश प म बॉड रे ट या बी पी एस ( ब स पर सेकड) म मापी
जाती है । बॉड रे ट व न तरं ग के उस च को द शत करता है िजस पर डेटा का एक बट
भेजा जाता है । द पी एस अथवा ब स त सेकड डेटा क वह मा ा है जो एक सेकड म
थाना त रत होती है । पहले व न तरं ग के एक च तथा त सेकड थाना त रत ब स म
एक सीधा स ब ध था क बॉड रे ट तथा बीपीएस एक ह है । पर तु अब एक व न तरं ग पर
एक से अ धक ब स े षत करना स भव है । इस लए एक मॉडम जो व न तरं ग को 9600
बॉड पर माडु लेट कर सकता है उसक मता व तु त: 28,800 बी पी एस े षत करने क है ।
5.3 मॉडम के कार (Types of Modem)
मॉडम दो प म उपल ध है: एक आ त रक तथा दूसरा बा य ।
आ त रक मॉडम : यह वा तव मे कं यूटर के अ दर लगाया जाने वाला व ता रत काड
है । ये स ते होते ह और इ ह कसी केबल या अलग से व युत क आव यकता नह ं होती ।
ये बा य मॉडम क अपे ा उसी ग त पर अ धक तेजी से डेटा ह तांतरण संभाल सकते ह पर तु
इनका अ ध थापन इतना आसान नह ं है य क इनम काल के अ सर होने क ि थ त दशाने
के लए कोई काश संकेत नह ं होता जो क इनके उपयोगकता को दखाई दे ।

च 10 बा य मॉडम
बा य मॉड़म : यह अलग तथा अपने आप से एक स पूण एकक है िजसे एक कं यूटर
से दूसरे कं यूटर के बीच ले जाना अथवा इसका अ ध थापन आसान है । ये आ त रक मॉडम
क तु लना मे महंगे होते ह तथा इनको अलग ए सी पावर क आव यकता होती है ।
मॉडम सु संगत तथा मानक वाले होने चा हए । इस लए उसी मॉडम का योग कया
जाना चा हए जो क डेटा संचार के अ तरा य मानक पर आधा रत हो । 28,800 बी पी एस
तथा 33,600 बी पी एस वाले मानक मॉडम को V.34 तथा धीमे मॉडम के मानक को V.32
कहा जाता है ।

6. डेटा सं ेषण के कार (Types of Data Transmission)


जब हम दूरभाष पर बातचीत करते ह तो सामा यत: हम एक संदेश कसी दूसरे को
सं े षत करते है। यह संदेश उन श द से बना होता है जो हम दूरभाष उपकरण म बोलते है।
श द उ प न करने के लए यि त जो आवाज नकालता है यह आवाज व न तरं ग के आकार
के अनु प दूरभाष उपकरण म सं े षत होती है जहाँ पर यह इले ा नक तरं ग के आकार म
प रव तत क जाती है । इसके प चात इन तरं ग के कसी मा यम के वारा उनके ग त य
थान पर भेज दया जाता है, जहाँ ये पुन : आवाज तरंग के प म प रव तत क जाती ह

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ता क यि त इ ह सु न सक । यहाँ यह बताना उ चत होगा क सभी इले ो नक सं ेषण तरं ग
के आकार के प म होते ह । ये आकार एनालॉग तथा डिजटल दो कार के होते है ।
6.1. एनालॉग सं ेषण (Analog Transmission)
जब डिजटल डेटा को बहु त अ धक दूर पर भेजना होता है तो यह लाइन म उपि थत
दूसरे संकेत के शोर या कोलाइल आ द के त अ तसंवेदनशील होता है और इसी कारण इसे
अ धक शि त क आव यकता होती है । इसके वपर त एनालॉग सं ेषण म ये सम याएँ नह ं
होती । दूरभाष लाइन डेटा एनालॉग सं ेषण के लए एक बहु त उपयु त मा यम ह ।

च 11 एनालॉग सं ेषण
इस कार के सं ेषण म तरं ग का आकार लगातार ऊपर तथा नीचे होता है । उदाहरण
के लए एक च को तरं ग कहते ह िजसका एकक ह ज (cycle per second) होता है ।
6.2 डिजटल सं ेषण (Digital Transmission)
आ त रक प म कं यूटर डेटा का थाना तरण डिजटल डेटा सं ेषण तकनीक के
योग वारा ह करते ह । डिजटल संकेत बाइनर प म वो ट तरं गो का अनु म है । तरं ग
क उपि थ त ''1'' बट को दशाती है जब क इसक अनुपि थ त ''0'' बट को । ब उस
सं करण म सू चना क सबसे छोट इकाई है िजसक तु लना काश ब व से कर सकते है जो
या तो काशमान (ऑन) होता है या बुझा (ऑफ) होता है । जब ब ब काशमान होता है तो
इसका अथ है क सू चना स े षत हु ई है और जब बुझा होता है तो कु छ नह ं । डिजटल
सं ेषण का योग तब कया जाता है जब सू चना के संकेत और आ त रक डेटा थाना तरण
क दर बहु त अ धक हो ।

च 12 डिजटल डेटा सं ेषण

7. आवृि त तथा बड व थ (Frequency and Bandwidth)


आवृि त तथा बड व थ दो मू लभू त भाग ह जो यह दशाते ह क सू चना का सं ेषण
कस कार होता है । सू चना, व न ( यि त क आवाज) अथवा य (मु त पृ ठ , चल च )

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के प म हो सकती है । कसी मा यम के वारा सं े षत होने से पहले सूचना व युत संकेत
म प रव तत क जानी चा हए ।
7.1. आवृि त (Frequency)
एक सेकड म कसी तरं ग दारा पूरे कये गये च क सं या को आवृि त कहते ह ।
य द कोई तरं ग एक सेकड म एक च (Cycle) पूरा करती है तो उसे एक ह ज (Hz) कहते
ह । हटज आवृि त क मानक इकाई है ।
आवृि त क बडी इकाई को कलोह ज म लखते है, िजसका अथ है 1000 च त
सेकड । इसी कार
1 मगाह ज 1,000,000 च त सेकड ।
1 गगाह ज 1,000,000,000 च त सेकड
कं यूटर क ग त सामा यत: मेगाह ज म दशायी जाती है । इस लेख के लखने के
समय तक 700 - 800 मेगाह ज ग त के पसनल कं यूटर उपल ध है । कु छ ह मह न
प चात गगाह ज या उससे भी अ धक ग त के कं यूटर उपल ध होग ।
आवृि त का बेतार संचार म मह वपूण थान है य क इसम एक संकेत क आवृ त
उसक तरं गधैय से स बि धत होती है कसी तरं ग वारा एक च मे तय क गई दूर को
तरं गधैय कहते है ।
नीचे कु छ आवृि तयाँ दशायी गयी ह िजनका योग व भ न कार के सं ेषण म कया
जाता है
इले ो नक सं ेषण आवृ तयाँ :
सामा य व न 30 - 3000 ह ज
रे डयो सारण 30 - 3000 कलोह ज
टे ल वजन सारण 3 - 3000 मेगाह ज
उप ह संचार 3 - 30 गगाह ज
सू मतरं ग संचार 30 - 300 गगाह ज
7.2. बड व थ (Bandwidth)
एक नि चत समय म सं े षत क गई डेटा क मा ा को बड व थ कहते ह । डेटा
सं ेषण क मा ा मा यम क बड व थ पर नभर करती है । िजतनी बड व थ अ धक होगी
उतना ह अ धक डेटा सं े षत हो सकता है । उसे हम न न ल खत उदाहरण से समझ सकते ह
कम चौड़ी सड़क पर दान ओर से आने जाने वाले वाहन क सं या कम होती है
जब क अ धक चौड़ी (कई लाइन वाल ) सड़क पर अ धक से अ धक वाहन तेज ग त से आ या
जा सकते ह ।
बड व थ को ब स त सेकड (बी पी एस) म द शत करते है
1 के बी पी एस = 1024 = बी पी एस
1 एम बी पी एस = 1024 = 103 बी पी एस

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8. वषम का लक तथा समका लक सं ष
े ण (Asynchronous and
Synchronous Transmission)
सभी कार के संकेत (एनालॉग अथवा डिजटल) म थाना तरण क दर हमेशा एक
सी होनी चा हए अ यथा अ भ ाहक को कु छ डेटा क हा न हो सकती है और इस कार ु टपूण
डेटा ा त हो सकता है । इस कमी को पूरा करने के लए यह आव यक है क दोन ओर के
संचार उपकरण समान व ध वारा डेटा स ेषण कर रहे ह । डेटा सं ेषण क ऐसी दो व धयाँ
है ।
8.1. वषम समका लक सं ेषण
इस व ध म एक समय म एक ह अ र (Character) को सं े षत करते ह । इसे
हम आर भ / अि तम सं ेषण भी कहते ह । य क इसम सबसे पहले एक आर भ व संकेत
के प म होता है िजसके प चात ् येक अ र एक इकाई के प म सं े षत होता है तथा
इसके तु र त बाद एक या एक से अ धक अि तम ब स होती है जो क डेटा सं ेषण के समा त
होने का संकेत दे ती है ।
यह न न ल खत के बीच डेटा सं ेषण क एक सामा य व ध है
(क) टबल समय क साझेदार करने वाले ट मनल और मैन े म कं यूटर ,
(ख) ड ब मनलो और मनी कं यूटर ,तथा
(ग) छोटे कं यूटर ।
इस कार के सं ेषण म ेषक कसी भी समय डेटा भेज सकता है और ा तकता
कसी भी समय इसे हण कर सकता है । इस कार हम कह सकते ह क इस व ध वारा
डेटा अ नि चत समया तराल पर सं े षत होता है ।
लाभ : इस व ध का मु य लाभ है क इसम ट मनल पर कसी थानीय भ डारण क
आव यकता नह ं होती य क इस व ध म सं ेषण एक-एक अ र का होता है । इस व ध क
हा न यह है क समया तराल के बीच लाइन का कोई योग नह ं होता ।
हा न: इस व ध क हा न यह है क समया तराल के बीच लाइन का कोई योग नह ं
होता।
8.2. समका लक सं ेषण
यह मेन े म नेटवक म योग होने वाल एक तेज ग त वाल सं ेषण व ध है िजसम
डेटा नि चत ख ड के प म सं े षत होता है ेषक तथा ा तकता थानक दोन को समतु य
करने के लए वशेष अ र का योग होता है य क इस वध म येक अ र के साथ
ार भ और अि तम ब स े षत नह ं होती ।
इस कार के सं ेषण म अ र का एक पूरा ख ड एक ढाँचे के प म सं े षत होता है
। इस कार का सं ेषण संचार उपकरण (जैसे मु क) और कं यूटर के बीच संचार के लए
योग होता है।
लाभ :इस व ध का मु य लाभ इसक द ता है । सं ेषण क यह व ध वषमका लक
व ध से तेज ग त क होती है ।

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हा न :इस व ध म बफर के लए थानीय भ डारण क आव यकता होती है ।

9. ि व चंग तकनीक (Switching Techniques)


डेटा संचार उन दो उपकरण के बीच होता है जो आपस म एक दूसरे से जु ड़े ह । ये
उपकरण कसी भी सं ेषण मा यम वारा जु ड़े हो सकते है । जब डेटा को बहु त दूर भेजना
होता है तो यह संभव नह ं होता क दान उपकरण आपस म सीधे जु ड़े ह । इस प रि थ त म
डेटा सं ेषण एक नेटवक के मा यम से होता है । ि व चंग एक एसी तकनीक है िजसका योग
करके हम डेटा को अपरो प म दो उपकरण के बीच सं े षत कर सकते ह इसक मु यत:
तीन तकनीक ह
9.1. स कट ि व चंग (Circuit Switching)
यह ि व चंग क सबसे सरल व ध है । इस कार क वध म ेषक और ापक
थानक के बीच आने तथा जाने वाल लाइन को जोड़कर एक भौ तक पथ था पत कया जाता
ह एक सम पत भौ तक पथ दोन थानक के बीच तब तक था पत रहता है जब तक दोन
थानक इस लंक को समा त नह ं करते ।
लाभ :इस व ध म डेटा बना कसी वल ब के, पथ था पत होते ह , सं े ष होने
लगता है । यह व ध ल बी दूर के लगातार सं ेषण के लए उपयोगी है ।
हा न : कं यूटर के बीच बहु त कम समय के लए संचार होता है और अ धकतर समय
कोई संचार नह ं होता । इस कार संचार लाइन का उनक मता से कम योग होता है जो
क लाभदायक नह ं है ।
9.2. संदेश ि व चंग (Message Switching)
इस व ध म पहले पूरे संदेश को एक कया जाता है और इसके प चात ् इसे म यवत
नो स वारा भेजा जाता है । नेटवक म येक नोड का एक पता होता है । जब कोई संदेश
एक नोड से दूसरे नोड को भेजा जाता है तो यह पता ग त य पते के साथ जोड दया जाता है
। इस कार संदेश को म यवत नोड वारा उसके ोत से गंत य थान तक भेज दया जाता
ह । संदेश ि व चंग म यु त दो व धयाँ है: भ डारण एवं अ ेषण, तथा सारण ।
लाभ: भ डार एवं अ ेषण व ध म ोत तथा ग त य थान के बींच भौ तक स ब ध
क आव यकता नह ं होती िजस क आव यकता स कट ि व चंग म होती है । सारण व ध मे
यह आव यक है क सभी नोड़स एक सवमा य चैनल से जु ड़े ह ।
हा न. इस व ध क हा न यह है क भ डारण एवं अ ेषण व ध म येक नोड पर
समु चत भ डारण थान होना चा हए य क इस व ध म ख ड के आकार क कोई सीमा नह ं
होती है । यह व ध वा त वक समय अनु योग (Real Time Application) के लए बहु त
धीमी है और इससे संदेश म वल ब होता है । सारण व ध म वल ब नह ं होता और नोड
पर अ त र त भ डारण क आव यकता नह ं होती ।
9.3. पैकेट ि व चंग (Packet Switching)
यह व ध संदेश ि व चंग क तरह ह है । इस व ध म संदेश के थान पर पैकेट का
सं ेषण होता है । िजस सू चना को भेजना होता है उसे पैकट म वभािजत कया जाता है ।

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येक पैकट म भेजने वाले डेटा का ख ड संदेश सं या, नयं ण सू चना, ोत और ग त य
थान के पते, दोष जांच बाइट आ द सि म लत होते ह । भ डारण तथा अ ेषण या सारण
व ध भी इसका योग ोत से ग त य के बीच पैकट भेजने म कर सकते ह ।
लाभ : यह व ध तेज ग त क है इस लए वा त वक समय अनु योग के लए उपयु त
है और यापक े नेटवक (WANs) म योग म ल जाती है । ऑनलाइन संदेश के पैकेट
छोटे और सी मत होते ह । इस कार कम से कम भ डारण दूरसंचार मता क आव यकता
पड़ती है।

10. नेटवक (Networks)


कं यूटर नेटवक आपस म जु ड़े हु ए कं यूटर तथा ट मनल उपकरण क एक संचार
णाल है । इस णाल म बहु त बडे -कं यूटर से लेकर छोटे -छोटे कं यूटर भी हो सकते ह ।
कं यूटर नेटवक से कं यूटर के संसाधन क व वसनीयता बढ़ती है । यह णाल के पूण
वकास क सु वधा दान करता है । इसके वारा संसाधन क साझेदार के मु य उ े य -जैसे
उपकरण क साझेदार , फाइल क साझेदार , ो ाम क साझेदार - ा त करने क सु वधा होती
है ।
कं यूटर नेटवक तीन कार के होते ह-
1. थानीय े नेटवक (LAN)
2. महानगर य े नेटवक (MAN)
3. वृहद े नेटवक (WAN)
10.1. थानीय े नेटवक (Local Area Network)
इस कार का नेटवक एक छोटे भौगो लक े म फैला होता है । इसक बढ़ती हु ई
मांग के अनुसार यह नेटवक अपे ाकृ त एक छोटे े जैसे आस-पास क इमारत म कई सौ
कं यूटर तक को जोड़ने के काम आता है । कु छ सं थान इसका अ धक उपयोग करते ह
य क यह अनेक उपभोगकताओ को एक साथ डेटा, उपकरण तथा सॉ टवेयर योग करने क
सु वधा दान करता है ।
थानीय े नेटवक एक डेटा सं ेषण णाल है जो एक मया दत भौगो लक े म
कं यूटर तथा स बि धत उपकरण को जोडने के काम आती है । कं यूटर म बड़े कं यूटर
(मेन े म) से लेकर छोटे कं यूटर (माइ ोकं यूटर) तक हो सकते ह । इस नेटवक क मु य
वशेषता है क यह एक थान तक सी मत होता है और पूणत: एक सं थान के नयं ण म
होता है ।
य क LAN एक छोटे े म हो सी मत होता है इस लए इसम सं ेषण क वभ न
व धय का योग कया जा सकता है एनालॉग नेटवक म यु त महंगे मॉडम क अपे ा इनम
स ते लाइन- ाइ वंग उपकरण का योग कया जा सकता है । य क यह नेटवक एक सी मत
े तक फैला होता है इस लए डेटा सं ेषण अ धक ग त से हो सकता है । थानीय े
नेटवक का योग कम दूर (1 क.मी. से 10 कमी., 1 क.मी. अ धक उपयु त ) पर अ धक
सं े षत दर तथा कम ु ट दर के लए कया जाता हे । इस कार के नेटवक के थापन और
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इसे चलाने के लए कम खच क आव यकता होती है और एक ह थान पर बहु त सारे कं यूटर
आधा रत उपकरण को एक दूसरे से जोड़ने के लए यह आसान युि त है ।
प त के न न ल खत लाभ ह:
1. कम खच ला सं ेषण मा यम
2. मा यम से जोड़ने के लए आसान उपकरण
3. अ धक दर पर डेटा सं ेषण
4. चल च , आवाज तथा डेटा का सं ेषण ।
10.2. महानगर े नेटवक (MAN)
महानगर े नेटवक (Metropolitan Area Network) एक पूरे शहर म फैला होता
है पर तु इसम थानीय े नेटवक क तकनीक क ह यु त होती है । यह लैन तथा वैन के
म य का नेटवक है । उदाहरण के लए केबल टे ल वजन नेटवक जो दूरदशन के संकेत को
वत रत करता है ।
10.3. वृहद े नेटवक (WAN)
वैन एक ऐसी डिजटल संचार णाल है जो अ धक दूर ि थत कं यूटर को आपस म
जोड़ती है । इस कार के नेटवक एक रा या पूर दु नया म काय करते है । यह बड़े
भौगो लक े (शहर , दे श , तथा महा प ) म ि थत कं यूटर को आपस म जोड़ता है ।
कं यूटर के बीच संचार था पत करने के लए यह मॉडम, दूरभाष लाइन या उप ह का योग
करता है ।
यह डेटा सं े ण क एक णाल है । यह कसी भी थान पर ि थत पसनल
कं यूटर तथा उससे जु ड़े उपकरण को जोड़ता है । इन उपकरण के बीच को भौगो लक दूर 1
क.मी. से लेकर हजार क.मी. तक हो सकती है । इसम डेटा सं ेषण क दर सामा यत: कु छ
सौ से कु छ हजार ब स त सेकेड़ तक होती है । सामा यत: यह अ धकतम 56 Kbps है ।
इस कार के नेटवक म चाहे ाइवेट स कट का योग हो या पि लक दूरभाष नेटवक
या वशेष कार क डेटा सं ेषण णाल का पर तु इसका नयं ण हमेशा पि लक अथा रट के
पास होता है ।
उदाहरण के लए INDONET एक वृहद े नेटवक है । िजसका योग भारत म रे ल
आर ण म होता है । NICNET भी एक वृहद े नेटवक है जो भारत सरकार का नेटवक है
तथा िजसका योग क जनपद के मु यालय तथा रा य क राजधा नय को दे श क राजधानी
नई द ल से जोड़ने के लए कया जाता है । ERNET भी एक वैन है जो क अनुसंधान
तथा श ण के उ े य के लए है । यह व भ न व व व यालय तथा अनुसंधान सं थान को
आपस म जोड़ता है । अंतररा यीय ब कं ग तथा हवाई या ा के आर ण म भी वृहद . े
नेटवक का योग होता है ।
इस प त के न न लाभ ह : लैन क अपे ा कम ग त का सं ेषण, डेटा सं ेषण म
ु टय क अ धक संभावना, क तु अ धक खच ला, तथा इसका क ठन थापन है ।

52
11. सारांश
इस इकाई म डेटा संचार, डेटा संचार क आव यकता, डेटा संचार णाल के घटक एवं
डेटा संचार व धय को समझाने का यास कया गया है । डेटा स ेषण मा यम, मोडेम,
मोडेम क काय णाल एवं भाव पर व तार से जानकार द गयी है । डेटा स ेषण के
कार, आवृि त तथा बि व थ, ि व चंग तकनीक एवं नेटवक आ द पर काश डाला गया है ।

12. अ यासाथ न
1. डेटा संचार या है? इसक आव यकता एवं व धयां बताइये ।
2. मो डम पर एक लेख ल खए ।
3. नेटवक या है? इसके कार क व तार से चचा क िजए ।

13. व तृत अ ययनाथ थ -सू ची


1. Ramlingam, Library Information Technology : Concept to
Application, Kelpz, Delhi, 2000
2. शंकर संह, कं यूटर और सूचना तकनीक, द ल , पूवाचल काशन, 2000
3. शमा, पा डेय एस. के., कं यूटर और पु तकालय , द ल , थ अकादमी, 1996

53
इकाई - 5 : कं यूटर णाल (Computer System)
उ े य
इस अ याय को पढ़ने के प चात आप न न ल खत को समझने के यो य ह गे
1. कं यूटर क मू ल यव था,
2. बट, बाइट और श द म अंतर
3. के य संसाधक एकक (सी पी यू) और ग णतीय ता कक एकक (ए एल यू), नयं ण
एकक (क ोल यू नट),
4. कं यूटर मृ त (मेमोर ),
5. ाथ मक एवं वतीयक भ डारण म अ तर,
6. नवेश एव नगत उपकरण (इनपुट एवं आउटपुट डवाइ सस) ।

सरं चना
1. प रभाषा
2. कं यूटर क मू ल सं या
2.1 नवेश
2.2 भ डारण
2.3 सं करण
2.4 नगत
2.5 कं ोल एकक
3. काया मक एकक
3.1 के य सं करण एकक
3.1.1 ग ण तय ता कक एकक
3.1.2 कं ोल एकक
4. पसनल कं यूटर का व यास
4.1 मृ त एकक
4.2 ाथ मक अथवा आंत रक मृ त
4.2.1 ाथ मक मृ त क धारण मता
4.2.2 या ि छक अ भगम मृ त
4.2.3 पठनमा मृ त
4.2.4 ो ाम यो य पतन मृ त
4.2.5 कैश मृ त
4.3 वतीयक अथवा बा य मृ त
4.3.1 चु बक य टे प
4.3.2 चु बक य ड क

54
4.3.3 लॉपी ड क
4.3.4 हाड ड क
4.3.5 सीडी-रोम
5. नवेश- नगत उप म
5.1 नवेश उपकरण
5.2 नगत उपकरण
6. सारांश
7. अ यासाथ न 1
8. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची ।

1. प रभाषा (Definition)
कं यूटर एक ऐसा इले ा नक उपकरण है जो क उपयोगकता से डेटा ा त है तथा
अनुदेश के अनुसार इसका सं करण करने के प चात पुन : उपयोगकता को सू चना के प म
दान करता ।

2. कं यूटर क मू ल सं याएँ
कसी भी आकार अथवा संरचना के कं यूटर से साधारणतया न न ल खत सं या या
काय स प न होते ह-
1. नवेश वारा अनुदेश या डेटा हण करना
2. डेटा का भ डारण
3. उपयोगकता क मांग के अनुसार डेटा का सं करण ( ोसे संग) ।
4. प रणाम को नगत म दे ना
5. कं यूटर को नगत म दे ना ।
6. कं यूटर क सम त आंत रक सं याओं पर नयं ण ।
अब हम इन सं याओं के बारे म व तृत प से चचा करगे ।
2.1 नवेश (Input)
यह कं यूटर म डेटा और काय म ( ो ाम)को व ट करने क या है । क आप
जानते ह क कं यूटर भी दूसरे यं क तरह ह एक इले ो नक यं है जो क नवेश के
मा यम से डेटा हण करता है और सं करण के प चात प रणाम के प मे नगत दान
करता है इस लये युि त हमसे डेटा लेकर एक यवि थत प म सं करण के लये कं यूटर को
दे ती है।

55
च 1
2.2 भ डारण (Storage)
डेटा तथा अनुदेश को थायी प से संच यत करने क या भ डारण कहलाती है ।
सं करण आर भ होने से पहले डेटा को कं यूटर मे सं चत कया जाता है । सी पी यू के
सं करण क ग त इतनी तेज होती है क उसी ग त से उसको डेटा भी मलना चा हये ।
इस लये डेटा को पहले ह भंडारण युि त म सं चत कर लेते है ता क सं करण के लये वह
ज द से उपल ध हो सके । कं यूटर का आंत रक भ डारण इस कार डजाइन होता है क वह
इस कार काय कर सके । यह डेटा तथा अनुदेश के भ डारण के लये थान दान करता ह
भ डारण एकक के न न ल खत काय ह-
सं करण के पहले तथा बाद म सभी डेटा तथा अनुदेश का भ डारण
सं करण के समय सभी मा य मक प रणाम का भ डारण ।
2.3 सं करण (Processing)
ग णतीय ता कक जैसी याओं के स प न होने क या को सं करण कहते ह ।
यह या के य सं करण एकक (सीपीयू) म होती है । यह कं यूटर का मि त क है । सी
पी यू, भ डारण एकक से डेटा और अनुदेश हण करता है और इन अनुदेश के अनुसार गणना
करने के प चात ् प रणाम को पुन : भ डारण एकक म संचय कर दे ता है ।
2.4 नगत (Output)
यह सं करण के बाद ा त होने वाले प रणाम को उपयोगकता को दे ने क या है
। सं करण के प चात ा त होने वाले नगत को उपयोगकता को दे ने से पहले उसका कं यूटर
के अ दर कह ं भ डारण होना चा हए । यह भ डारण भी कं यूटर के अ दर ह उसके पुन :
सं करण के लए होता है ।
2.5 कं ोल एकक (Control Unit)
इसका काय यह दे खना है क कस कार उपयु त या स प न होती है और
अनुदेश का न पादन होता ह सम त सं करण तथा नगत क या क ोल एकक वारा
नयं त होती है । यह एकक कं यूटर के अंदर सम त याओं क चरणब दे खभाल करता
है ।

56
3. काया मक एकक (Functional Unit)
उपरो त याओं को पूण करने के लये कं यूटर व भ न काय स ब धी एकक के
बीच काय का आबंटन ( नधारण) करता है ।
3.1 के य सं करण एकक (Central Processing)
सी पी यू कं यूटर का एक मु य काया मक एकक है । आप इसे कं यूटर का
मि त क भी कह सकते ह । यह मि त क क तरह सारे मह वपूण फैसले लेता है, सभी कार
क गणनाएँ करता है तथा कं यूटर के काया मक भाग को आदे श दे ता है तथा सं करण को
नयं त करता है । सी पी यू को सं करण के लये दो भाग म वभािजत कया जा सकता
है:
1. ग णतीय ता कक एकक, तथा
2. कं ोल एकक
3.1.1 ग णतीय ता कक एकक (Arithmetic Logic Unit)
जब आप नवेश एकक के वारा डेटा दान करते है तो यह ाथ मक भ डारण एकक
म भ डा रत होता है । अनुदेश तथा डेटा का वा त वक सं करण ए एल यू वारा ह होता है।
ए एल यू वारा क गयी मु य याएँ जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग करना और तु लना
करना है । ए एल यू म जब आव यकता होती है तभी भ डारण एकक से डेटा थाना त रत
कया जाता है तथा सं करण के प चात नगत को वापस भ डारण एकक म, और सं करण
के लये या संचय के लये, भेज दया जाता है ।
3.1.2 कं ोल एकक (Control Unit)
कं ोल एकक कं यूटर का दूसरा मु य भाग है जो उस सु परवाइजर क तरह काय करता
है िजसका काय यह दे खना है क काय सु चा प से हो रहा है । कं ोल एकक इस क
यव था करता है क कस अनु म म कं यूटर ो ाम और अनुदेश न पा दत होते ह । जब
अनेक उपयोगकता कं यूटर का योग करते ह तो यह ि वच बोड आपरे टर क तरह काय करता
है । इस कार जब कं यूटर के नवेश और नगत भाग काय करते ह तो यह इन ग त व धय
का सम वय करता है । इस लये हम कह सकते ह क यह उन सारे कायकलाप का बंधक है
िजनक चचा हम पहले कर चु के ह ।

4. पसनल कं यू टर का व यास (सं पण)


अब हम क यूटर के अभौ तक भागो के बारे म जानग जो सब मलकर इसे काय करने
यो य बनाते ह । ये भाग न न ल खत है।
1. के य सं करण एकक (सी पी यू)
2. मृ त (मेमोर ) -रे म और रोम
3. डेटा बस
4. पोटस
5. मदर बोड

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6. हाड ड क
7. नगत युि त साधन (उपकरण)
8. नवेश युि त साधन
ये सभी संघटक आपस म मलकर पसनल कं यूटर को काय करने के यो य बनाते ह ।
अब हम इनके बारे म व तार से चचा करगे ।

च 2 पसनल कं यूटर
4.1 मृ त एकक (Memory Units)
मृ त दो कार क होती है ाथ मक और वतीयक । ाथ मक मृ त सं करण
एकक को सीधे अ भग य है । रै म इसका उदाहरण है । जैसे ह कं यूटर को ब द कया जाता
है ाथ मक मृ त के सभी अंत वषय (का टे स) समा त हो जाते ह । वतीयक मृ त क
अपे ा ाथ मक मृ त वारा आप डेटा ज द भ डा रत और पुन : ा त कर सकते ह ।
वतीयक मृ त जैसे लोपी ड क, हाड ड क आ द कं यूटर के बा य भाग ह । ाथ मक
मृ त वतीयक मृ त से कम होती है ।
पर तु कं यूटर के आंत रक भाग म ये काय उस प म नह ं होते िजस प या म म
हम उ ह न पर दे खते ह । कं यूटर क मृ त म ो ाम और डेटा दोन का बाइनर प म
भ डारण होते है । बाइनर स टम म केवल दो मू य होते ह । ये है: 0 और 1 इ ह ब स
कहते ह । िजस कार हम डेसीमल प त समझते ह, कं यूटर केवल बाइनर प त ह समझ
सकता है । ऐसा इस लये है य क कं यूटर के अ दर बहु त अ धक सं या म एक कृ त प रपथ
ह जो ऑन या ऑफ ि वच के प म जाने जाते ह । य द कोई ि वच ऑन है तो उसका मू य
1 माना जाता है और य द वह ऑफ है तो 0 माना जाता है । अलग- अलग अव था म बहुत
से ऐसे ि वच मलकर एक संदेश बनाते ह, जैसे 110101 इ या द । इस कार कं यूटर केवल
1 या 0 के प म नवेश हण करता है तभी केवल 1 या 0 के प म ह नगत दे ता है ।
यह कोई आ चय क बात नह ं है क कं यूटर केवल 1 या 0 के प म ह आउटपुट दे ता है
और आपको इसके लये च ता करने क भी कोई आव यकता नह ं है य क बाइनर प त क
येक सं या को डेसीमल प त या इसके वपर त प रव तत कया जा सकता है । उदाहरण के
लये डेसीमल प त के 1010 का अथ 10 है । अत: कं यूटर डेटा या सू चना को डेसीमल म

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आपसे हण करता है उसके प चात इसे बाइनर प त म प रव तत करता है । सं करण के
प चात बाइनर प म नगत दान करता है और पुन : उसको डेसीमल म प रव तत करता है ।
जैसा क आप जानते ह, कं यूटर म ाथ मक मृ त एक कृ त प रपथ के प म होती
है। ये प रपथ रै म कहलाते है। रै म क येक ि थ त एक बाइट सू चना का भ डारण करती
है(एक बाइट 8 ब स के बराबर ह ती है) बट बाइनर डिजट (Binary Digit) का सं त प
है जो सू चना के बाइनर भाग के बट को द शत करता है । यह 0या 1हो सकता है । रै म के
बारे म अ धक जानकार आप आगे के भाग म जानगे ।
ाथ मक या वतीयक मृ त , छोटे -छोटे मृ त भ डारण, िज ह सेल कहते ह, से बने
होते ह । इनम से येक सेल एक नि चत सं या म बट का भ डारण कर सकता है िजसे
श द क ल बाई कहते है ।
4.2 ाथ मक अथवा आंत रक मृ त (Primary or Internal Memory)
कं यूटर मृ त का उपयोग न न ल खत के भ डारण के लये कया जाता है
1. ो ाम को कायाि वत करने वाले अनुदेश के भ डारण के लए,
2. डेटा के भ डारण के लए ।
जब कं यूटर कसी काय को करता है तो पहले डेटा का संचय करना होता है । उसको
ाथ मक मृ त म भ डा रत कया जाता ह । यह डेटा कसी भी नवेश एकक, जैसे कं ु जीपटल
(क बोड) या वतीयक भ डारण जैसे लापी ड क से ा त हो सकता है । जैसे ह काय म
या अनुदेश को ाथ मक मृ त म रखा जाता है, कं यूटर इन अनुदेश के अनुसार तुर त काय
करना कर दे ता है । उदाहरण के लये, जब आप रे ल आर ण पटल पर टकट आर त करवाते
है तो कं यूटर को सभी पूरे करने पड़ते ह, जैसे या ी से आवेदन ा त करना, धन लेने के लये
इ तजार करना, आर ण का भ डारण तथा टकट को छापना । ये सभी चरण को पूरा करने
के लये काय म को कं यूटर क मृ त म रखा जाता है और येक आवेदन के लये इसका
अनु योग होता है ।
4.2.1 ाथ मक मृ त क धारण- मता (Capacity of Primary Memory)
जैसा आप जानते ह क मृ त का येक सेल एक श द या बाइट डेटा का भ डारण
कर सकता है, इस लये धारण- मता को श द या बाइ स म प रभा षत कया जाता है । इस
कार 64 कलोबाइट मृ त 64 एवं 1024=32,768 बाइट या श द का भ डारण करने के
यो य होती है । मृ त का आकार छोटे कं यूटर म हजार कलोबाइ स तक होता है । कं यूटर
म यह मृ त 64KB, 8MB,16MB, 64MB, (MB=मेगाबाइ स) के आकार म होती ह
कं यूटर क मृ त के बारे म और अ धक जानकार नीचे द गयी है ।
4.2.2 या ि छक अ भगम मृ त (RAM)
ाथ मक मृ त ह रै म(Ramdom Access Memory)के प म जानी जाती है ।
इस मृ त के कसी भी थान क सीधे लखा या पढ़ा जा सकता है । इसम मृ त म रखे
कसी पते को ढू ं ढने म उतना समय लगता है िजतना क पहले पते को ढू ं ढने म। इसको पढ़ने /
लखने वाल मृ त भी कहा जाता है । ाथ मक मृ त म डेटा तथा अनुदेश का भ डारण

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अ पका लक होता है । जैसे ह कं यूटर को ब द कया जाता है, रै म म सं चत सम त डेटा
तथा अनुदेश समा त हो जाते ह । उन मृ तय को, जो पावर आफ होते ह अपना अंत वषय
(कांटे टस) खो दे ती ह, वोलाटाइल मृ तयाँ कहते ह । इस कार हम कह सकते ह क रै म एक
वोलाटाइल मृ त है ।
4.2.3 पतन मा मृ त (ROM)
कं यूटर म एक और कार क मृ त होती है िजसे पतन मा मृ त (Read Only
Memory) या रोम कहते ह । यह भी कं यूटर के अंदर एक कृ त प रपथ के प म होती है ।
इसम डेटा तथा अनुदेश का भ डारण थायी प से होता है । इसम कं यूटर को चलाने के
लये कु छ मानक काय म सं चत कये जाते ह । ये काय म कं यूटर के नमाता वारा बनाये
जाते है । हम रोम को केवल पढ़ सकते ह, उसको बदल नह ं सकते ह । रोम म कु छ
आधारभू त नवेश / नगत ो ाम का भ डारण होता है जो कं यूटर के भाग होते ह और इससे
जु ड़े व भ न उपकरण का नर ण तथा अ भमु खीकरण(initialize)करते ह । उन मृ तय को
िजनम पावर ऑफ होते ह अंत वषय समा त नह ं होते ह, नान-वोलेटाइल मृ त कहते ह रोम
एक नान-वालेटाइल मृ त है ।
4.2.4 ो ाम यो य पठन मा मृ त (PROM)
कं यूटर म एक और कार क ाथ मक मृ त होती है िजसे ो ाम यो य पठन मा
मृ त (PROM-Programmable Read Only Memory) कहते ह । जैसा क आप जानते
ह रोम म स चत ो ाम को मटाना या बदलना स भव नह ं है, ले कन ोम मृ त म आप
अपना ो ाम संग ृह त कर सकते ह। एक बार इसम ो ाम संग ृह त होने के बाद उसको आप
मू लभू त ल न तो बदल सकते ह और न ह मटा सकते ह। पावर बंद होने के बाद भी
ो ामपूणत: सु र त रहते ह।
4.2.5 कैश मृ त (Cache Memory)
सी पी यू क ग त मु य मृ त के अ भगम समय (Access time) से बहु त अ धक
होती है । इस लये सी पी यू के काय करने क मता मु य मृ त क कम ग त के कारण
कम हो जाती है । इस कमी को पूरा करने के लये सी पी यू और मु य मृ त के बीच म एक
छोट मृ त चप जोड़ द जाती है िजसका अ भगम समय सी पी यू क ग त के लगभग
बराबर होता है । इस मृ त को कैशे (Cache) मृ त कहते ह । इसका अ भगम रै म मृ त
से अ धक तेज होता है । इसम उन डेटा या ो ाम को संग ृह त कया जाता है िज ह सी पी यू
बार-बार योग म लाती है । इस कार यह मृ त मु य मृ त को उसके वा त वक आकार से
बड़ा और तेज बना दे ती है । पर तु यह बहु त महंगी होती है । इस लये इसका आकार छोटा ह
रखा जाता है ।
4.3 वतीयक अथवा बा य मृ त (Secondary or External Memory)
इस मृ त को वतीयक भ डारण या बा य मृ त भी कहते ह । अब तक आप चु के
ह क मु य या ाथ मक मृ त क ग त इतनी अ धक होनी चा हये क वह सी पी यू क ग त
के साथ कदम मलाकर काम कर सके । इस कार क अ धक ग त वाल भ डारण युि तयाँ

60
बहु त खच ल ह तथा इनक भ डारण मता भी कम होती ह अचानक बजल चले जाने पर
उनम सं हत डेटा न ट हो सकता है । अत: जो डेटा बार-बार योग न होता हो उसे बा य
मृ त म रखना उपयोगी होता है । इस लये इस डेटा को संग ृह त करने के लये िजस बा य
मृ त क आव यकता होती है उसे वतीयक भ डारण कहते ह । इस मृ त म डेटा संग ृह त
करने का खच कम होता है । इसम बहु त अ धक मा ा म कम जगह म डेटा थायी प से
सं ह त कया जाता है । मु य प से योग मे ल जाने वाल वतीयक भ डारण युि तयाँ ह:
चु बक य टे प और चु बक य ड क ।
4.3.1 चु बक य टे प (Magnetic Tape)
चु बक य टे प का योग बड़े कं यूटर जैसे मेनफ़ेम कं यूटर आ द म बहु त अ धक
घन व वाले डेटा को अ धक समय के लये संग ृह त करने के लये करते ह । पसनल कं यूटर
म भी आप कैसेट के प म टे प का योग कर सकते ह । टे प पर डेटा सं हण का खच बहु त
कम होता है । टे प म चु बक य पदाथ होता है जो डेटा को थायी प से संग ृह त करता है ।
यह 12.5mm से 25mm चौड़ी और 500 से 1200mm ल बी लाि टक फ म क तरह
होती है िजस पर चु बक य पदाथ का लेप लगा होता है । यह टे प रकाडर कैसेट क तरह होती
है ।
लाभ:
सघन: एक 10 इंच यास क र ल जो 2400 फुट ल बी होती है, येक इंच क
ल बाई म 800 - 6200 अ र का सं ह कर सकती है । इस कार क टे प क कु ल मता
18 करोड़ अ र क होती है । इस कार यह वशाल मा ा म डेटा का सघन सं ह कर सकती
है ।
कम खच: इसम अ र को भ डा रत करने का खच दूसर भ डारण युि तय से बहु त
कम होता है ।
ग त : डेटा क त ल प अ तशी ता से बनाई जा सकती है ।
अ धक समय के लये सं हण और पुन : योग : चु बक य टे प का योग अ धक
समय के लये सं ह करने तथा बना डेटा को खोये बार-बार योग करने म हो सकता है ।

च 3 चु बक य टे प

61
4.3.2 चु बक य ड क (Magnetic Disk)
आपने ामोफोन रकाड तो दे खा होगा जो एक ड क क तरह गोल होता है और उस
पर चु बक य पदाथ का लेप कया होता है । इनका योग कं यूटर म उसी स ांत पर होता है
। यह कं यूटर ाइव म तेज ग त से घूमती है । डेटा इसक दोन सतह पर भ डा रत
चु बक य ड क सीधे अ भगम (Random Access storage) युि त के प म अ धक
स है।
येक ड क म दखाई न दे ने वाले बहु त से संके य वृ त होते ह िज ह ै क कहते
ह ड क के इ ह ै क पर छोटे -छोटे चु बक य ध ब के प म अ भ ल खत होती है । एक
चु बक य धबा 1 बट को द शत करता है और उसक अनुपि थ त 0 बट । ड क म
भ डा रत सू चना को, भ डा रत सू चना म बना छे ड़-छाड़ कए कई बार पढा जा सकता है,
पर तु जब आप नया डेटा लखना चाहते ह तो उपि थत डेटा को समा त करना पड़ता है तभी
नया डेटा रकाड कया जा सकता है ।
4.3.3 लॉपी ड क (Floppy Disk)
यह चु बक य ड क के समान ह होती है । इसका यास 3.2 इंच या 5.25 इंच होता
है । ये एकल या वघन व के प म पाई जाती ह और इनक एक या दोन सतह पर लखा
होता है । एक 5.25 इंच क लॉपी क धारण मता 1.2MB होती है जब क 3.5 इंच म यह
1.44MB होती है । इसका थाना तरण आसान है तथा यह अ य कसी भी भ डारण युि त से
स ती होती है, वशेष प से पसनल कं यूटर के लये ।

च 4 पलॉपी ड क
4.3.4 हाड- ड क (Hard-Disk)
यह एक डेटा भ डारण युि त है । इसका योग अ धक मा ा म डेटा के भ डारण के
लये कया जाता है । एक थान पर थायी प से लगे होने के कारण इसे थायी ड क भी
कहते ह ।यह एक धातु से न मत और वृ ताकार होती है िजसक सतह पर चु बक य पदाथ का
लेप चढ़ा होता है । इसके ऊपर हवा म तैरता हु आ पठन / लेखन 'हे ड' लगा रहता है । वृ त को
तेजी से घुमाने पर हे ड येक च कर के प चात थोड़ा-थोड़ा करके के क ओर खसकता
जाता है । इस कार प र ध म ै क बनाकर डेटा का भ डारण करते ह । हे ड के वारा मु य
संकेत को ा त करके डेटा पढ़ा जाता है । सू चना को शी पढने के लये ड क क सतह को

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अनेक से टर म वभ त कर दया जाता है । हाड- ड क म अनेक वृ त एक ह धु र पर लगे
होते ह । दो वृ त के बीच कु छ जगह होती है िजसम हर सतह के लये एक पठन / लेखन हे ड
आगे या पीछे चलता रहता है । हाड ड क का अ भगम समय उसक ग त पर नभर करता है
। सामा यत: यह ग त 3600-7200 च कर त म नट होती है । इसक काय णाल लॉपी
ड क क तरह होती है पर तु यह लॉपी ड क से कई सौ गुना , यादा डेटा एक साथ
भ डा रत कर सकती है ।
इसम डेटा के बारे म सू चना एक अलग जगह लखी होती है और डेटा दूसर जगह
भ डा रत होता है । िजस थान पर डेटा कै बारे म सूचना लखी रहती है उसे एफ.ए.ट . (File
Allocation Table) कहते है ।
4.3.5 सीडी-रोम (CD-ROM)
इसका पूरा नाम कॉ प ट ड क-र ड ऑनल मेमोर है । इसम बहु त अ धक मा ा म
सू चनाएँ भ डा रत क जा सकती ह इस लए इसे कॉमपै ट ड क कहा जाता है । यह 12
से.मी. यास क छोट ड क होती है िजसे हम केवल पढ़ सकते ह । क तु पु तकालय,
सं थान या व वकोश क स पूण सू चनाएँ इसम भ डा रत क जा सकती ह । नमाता इससे
आउटपुट युि त के प म डेटा भ डारण का काय ले सकता है और योगकता के लये एक
इनपुट युि त ह है ।

च 5 सीडी-रोम
सीडी-रोम ड क परावतनीय(reflective) पदाथ से बनी होती है । इसम डेटा सं हण
का घन व बहु त अ धक होता है और इसका खच भी कम आता ह एक सीडी-रोम लगभग 600
एमबी का डेटा का भ डारण कर सकती है । इसम भ डा रत डेटा को न तो हम बदल सकते है
न मटा सकते ह । सीडी-रोम पर लखने के लये उ चशि त वाल लेजर बीम का उपयोग
कया जाता है ।

5. नवेश- नगत उपकरण (Input-Output Devices)


कं यूटर तभी लाभदायक हो सकता है जब यह बा य वातावरण के साथ सू चना का
आदान- दान कर सके । जब आप कं यूटर के साथ काय करते ह तो आप अपने डेटा और
अनुदेश क हं नवेश युि तय से उसम भरते ह इसी कार संसाधन के प चात कं यूटर
तफल को नगत युि त म दे ता है । कसी एक अनु योग के लये एक कार क युि त
अ धक लाभदायी हो सकती है जब क दूसरे के लये कोई और अब हम वभ न कार क
63
नवेश / नगत युि तय क चचा करगे जो क व भ न कार के अनु योग म यु त होती ह
। इ ह पे रफेरल (Peripheral) उपा तीय युि तयाँ भी कहते ह य क ये सी पी यू के
चतु दक पायी जाती ह और कं यूटर एवं बा य दु नया के बीच संचार था पत करती ह ।
5.1 नवेश उपकरण (Input Devices)
नवेश उपकरण क आव यकता हमार सू चना अथवा डेटा को उन प म प रव तत
करने के लये होती है िजसे कं यूटर समझ सके । एक उ तम नवेश युि त को समय से सह
तथा उपयोगी प म डेटा को कं यूटर क मु य मृ त म सं करण के लये भेजना होता है ।
कु छ नवेश युि तयाँ या उपकरण इस कार ह: -
5.1.1 कं ु जीपटल (Keyboard)
कं ु जीपटल सभी कं यूटर म पाया जाने वाला एक मानक नवेश उपकरण है । इसक
संरचना पार प रक प म पाई जाने वाल टं कण मशीन क तरह ह होती है । इसम कु छ और
समादे श (Commamd) कं ु िजयाँ और फलन (Functional) कं ु िजयां होती ह । इसम कु ल 101
से 104 तक कं ु िजयाँ होती है । कं यूटर म उपयोग कया जाने वाला कं ु जीपटल च म दखाया
गया है । जब आप नवेश के लये कसी कं ु जी को दबाते है तो कं यूटर व युत संकेत दारा
उसक पहचान करता है तथा उसी के अनुसार उसे संसा धत होने के लये भेज दे ता है ।
5.1.2 माउस (Mouse)
जैसा क च म दखाया गया है, माउस भी एक नवेश उपकरण है िजसका उपयोग
कं यूटर म नवेश के लये होता है । इसम ऊपर क ओर दो या तीन बटन होते है और यह
एक गद के ऊपर फसलता है । जब आप एक सपाट सतह पर इसे चलाते ह तो कं यूटर क
न पर एक संकेतक (Cursor) चलता है । माउस के साथ-साथ संकेतक भी चलता है
और आपको कसी भी दशा म काय करने क पूर छूट दे ता है । माउस क सहायता से आप
आसानी से तथा तेजी से काय कर सकते है ।
5.1.3 कैनर (Scanner)
कं ु जीपटल से हम केवल इसम द गयी कं ु िजय दारा ह पा यांश (Text) का नवेश कर
सकते ह । य द हम इसके वारा कसी च का नवेश करना चाह तो यह स भव नह ं है ।
कैनर एक ऐसा नवेश उपकरण है िजसके वारा हम कसी च का नवेश कं यूटर म कर
सकते ह और उसको पुन : द शत भी कर सकते ह । मै ने टक इंक करे टर रकोि नशन
(MICR),आि टकल माक र डर(OMR) और आि टकल करे टर र डर (OCR) साधारणतया पाये
जाने वाले कैनर है ।

च 6 कैनर
एम आइ सी आर (MICR)

64
इसका उपयोग ाय: बक म होता है । इसके वारा बको म चेक बुक पर छपी चेक
सं या को पढ़ा जाता है चेक समाधान करने का यह एक सरल और तेज ग त वाला उपाय है ।
ओ एम आर (OMR)
इस उपकरण का उपयोग व या थय क व तु न ठ पर ा क का पय को जांचने के
लये होता है । येक व याथ अपना उ तर एक गोले को पेि सल वारा काला करके दे ता है
तदुपरांत उ तर पुि तका सीधे कं यूटर म रखी जाती है जहां पर े डंग के लये (OMR)का
योग होता है ।
ओ सी आर (OCR)
इस उपकरण का उपयोग कसी छपे हु ये अ र क पहचान के लये कया जाता है ।
मान ल िजये क आपके पास एक ह त ल खत कागज का टु कड़ा है । जब आप इसे कं यूटर के
साथ जु ड़े कैनर के अ दर रखते है तो उसके त प म जब समानता पायी जाती है उसे एक
पढ़ा हु आ अ र मान लया जाता है । िजन त प म समानता नह ं मलती उ ह न का सत
कर दया जाता है । ओ सी आर, एक आई सी आर से खच ले पर तु उ तम युि तयाँ ह ।
5.2 नगत उपकरण (Output Devices)
वे उपकरण जो कं यूटर वारा द गई सूचना के प रणाम को दशात ह या मु त करते
ह नगत युि तयाँ कहलाती ह । न न ल खत उपकरण का उपयोग नगत युि तय के प म
कया जाता है ।
5.2.1 य पटल (Visual Display Unit or Monitor)
य पटल या मानीटर इनपुट / आउटपुट युि तय म सबसे लोक य युि त है ।
इसका योग डेटा नवेश तथा कं यूटर वारा ा त संदेश को द शत करने के लये होता है ।
मानीटर अपने आप म एक बा स क तरह होता है जो कं यूटर से सवथा अलग तथा एक तार
वारा जुड़ा होता है । यह दे खने म
ट वी जैसा होता ह कु छ कं यूटर
म यह बहु त छोटा तथा उसका एक
भाग होता है । यह वेत याम या
रं गीन हो सकता है या रं गीन ।
5.2.2 ट मनल (Terminals)
यह एक अ य त लोक य
अ यो य (Interactive) नवेश /
नगत इकाई है । ये दो कार के
होते है –हाइकोपी ट मनल और
सा टकापी ट मनल से हम आउटपुट
कागज पर मु त प म तथा
सा टकापी ट मनल म यह पटल पर
दखाई दे ता है जब एक ट मनल सी
पी यू से जोड़ते ह तो यह अनुदेश

65
को सीधे कं यूटर को भेजता है । ट मनल को ड ब ट मनल या बु मान ट मनल म वग कृ त
कया गया है ।
5.2.3 मु क (Printer)
यह एक मह वपूण नगत युि त है िजसका उपयोग संसा धत पा यांश के प रणाम क
मु त त कागज पर ा त करने के लये कया जाता है । भ न- भ न कार के अनु योग
के लये व भ न कार के मु क ( टं र) डजाइन कये गये ह ।

च 8 डाट मै स पंटर लेजर टं र


मु क को उनक ग त तथा मु ण करने क कला के कारण इ पै ट तथा नान-
इ पै ट मु क म वग कृ त कर सकते है । इ पै ट मु क टं कण मशीन क तरह काय करता है
िजसम अ र कागज के ऊपर काबन पर चोट करता है । इसका एक उदाहरण डाट मै स
मु क है । नान इ पै ट मु क मु ण के लये काबन पर चोट नह ं करते ह । ये इंकजेट
तकनीक का िजनम मु क का हे ड एक ेगन क तरह काय करता है । कागज पर याह क
फुहार छोडते हुये अ र मु त करता है । इसक मु क गुणव ता उ चको ट क होती है । लेजर
मु क और इंकजेट मु क इसी तकनीक का योग करते ह । इस कार के मु क रं गीन मु ण
भी कर सकते ह ।

6. सारांश
इस इकाई म आपने कं यूटर के मू ल अ भक प के बारे म जानकार ा त क ।
कं यूटर के व भ न भाग कस कार यवि थत ह इन भाग वारा कसी काय को करने के
लए कस कार कं यूटर के अ दर व भ न सं याएँ स प न होती ह । इनक भी जानकार
द गई है क व भ न कं यूटर क आंत रक वा तु कला, भ न हो सकती है ले कन उनक मू ल
यव था एक जैसी ह होती है ।

7. अ यासाथ न
1. क यूटर क मू ल सं याएं पर एक लेख ल खए ।
2. नवेश नगत उपकरण (In Put-output Devices) को बताइये ।
3. कं यूटर के अभौ तक भाग कौन-कौन से ह, इनक व तार से चचा क िजए ।

66
8. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची
1. Ramlingam, Library Information Technology : Concept to
Application, Kalkoz, Delhi, 2000
2. शंकर, कं यूटर और सू चना तकनीक, द ल , पूवाचल काशन, 2000 ।
3. शमा, पा डेय एस. के., क यूटर और पु तकालय, द ल , थ अकादमी, 1996

67
इकाई- 6 : पु तकालय वचालन: आव यकता एवं वतमान
पर य (Library Automation: Need and Recent
Trends)
उ े य
1. पु तकालय वचालन क प रभाषा एवं इसक आव यकता से अवगत कराना,
2. पु तकालय वचालन क योजना तैयार करना एवं इसके माग म आने वाले अवरोध के
वषय म जानकार दान करना,
3. पु तकालय के व भ न कायकंलाप म पु तकालय वचालन क उपयो गता के वषय म
जानकार दे ना,
4. एक समि वत पु तकालय तं वध क परे खा तैयार करना,
5. भारत म पु तकालय वचालन के वतमान प र य के वषय म जानकार दान
करना।

संरचना
1. वषय वेश
2. पु तकालय वचालन एक प रचय
3. पु तकालय वचालन क आव यकता
4. पु तकालय वचालन योजना
5. पु तकालय वचालन के े
5.1 अ ध हण तं
5.2 तकनीक क या
5.3 प रसंचालन तं
5.4 धारावा हक नयं ण
5.5 ओपेक
5.6 डेटाबेस वकास
5.7 संदभ-सेवा
5.8 चय नत सू चना सं ेषण सेवा
6. पु तकालय वचालन को भा वत करने वाले कारक
7. पु तकालय वचालन के माग म वाल बाधाएँ
8. पु तकालय वचालन हे तु तं वध ा प
9. पु तकालय वचालन-भारतीय प र य
10. सारांश

68
11. अ यासाथ न
12. पा रभा षक श दावल
13. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची

1. वषय वेश
इस इकाई आपको पु तकालय वचालन, इसक आव यकता तथा इसके माग म आने
वाल बाधाओं के वषय म जानकार द जायेगी । इसके साथ-साथ व भ न पु तकालय के
कायकलाप एवं सेवाओं म कं यूटर कस कार मददगार हो सकता है, इस वषय म भी आपको
जानकार द जायेगी । एक पु तकालय तं वध परे खा को भी सं ेप म समझाया गया है ।
पु तकालय वचालन क दशा म भारत क ि थ त पर भी काश डाला जायेगा । इसके साथ-
साथ पु तकालय सॉ टवेयर के मू यांकन हे तु कु छ मानद ड क चचा भी क जायेगी । कु छ
पु तकालय सॉ टवेयर के नाम को भी इसम शा मल कया गया है ।

2. पु तकालय वचालन: एक प रचय


मानव सं था एवं उसके कायकलाप के वकास ल खत इ तहास म कभी भी क हु ई या
एक समान नह ं दखाई पड़ती है । बहु त से े म मानव कायकलाप के वकास क व रत
ग त प रल त होती है । नत नवीन ौ यो गक एवं तकनीक के वकास एवं मानव के यं
के साथ सम वय ने वतमान युग म एक ां त सी ला द है । इस नयी ां त से मानव जीवन
का कोई भी पहलू अछूता नह ं बचा है । इस नयी ां त म य द आज के संदभ म मानव
न मत कसी यं का सवा धक योगदान है तो वह है-कं यूटर ।
कं यूटर आज मानव क एक अ नवाय आव यकता का प लेता जा रहा है । आज
चाहे च क सा व ान का े हो या अ भयां क का, सूचना ौ यो गक का या दूरसंचार का,
येक े म कं यूटर अपनी पैठ जमा चु का है । कभी- कभी तो ऐसा तीत होता है क
कं यूटर आज मानव क मूलभू त आव यकता है ।
पु तकालय एक वकासशील सं था है जहाँ लेख क सं या न य त दन बढ़ती
जाती ह ाचीन समय म पु तकालय म लेख को सजाकर रखने क परं परा थी िजसम लेख
के उपयोग का मह व गौण था । त काल न समय म लेख शोभा क साम ी हु आ करते थे ।
अतएव उनका रखरखाव काफ आसान था । पर तु आज समय के बदलाव के साथ-साथ
पु ताकालय क सेवाओं के व प म भी काफ बदलाव आया है । आज लेख शोभा क
साम ी न होकर सूचना सं ेषण का सबसे सश त मा यम बन गया है । अत: वतमान समय म
इन सू चनाओं का सं ह एंव इनका सं ेषण एक दु ह काय स होता जा रहा है तथा
पर परागत व धय वारा सू चना का उ चत सं ेषण असंभव सा तीत होता जा रहा है ।
अतएव पु तकालय व ान के सभी ारि भक चार नयम के अनुपालन हे तु यह
आव यक है क व तु ि थ त को समझते हु ए पु तकालय को कं यूटर कृ त कया जाय । ं ,

धारावा हक , मक काशन , शोध प काओं आ द क बढ़ती हु ई सं या एवं सू चनाओं के
बहु आयामी एवं बहु वषयक व प को नयं त करने हे तु कं यूटर ग त आव यक है ।

69
व तु न ठ न
1. वतमान युग म मानव वकास म व व म सवा धक योगदान न न ल खत म कौन सा
यं रहा है?
(क) टे ल वजन
(ख) टे ल फोन
(ग) कं यूटर
(घ) सेटेलाइट
2. पु तकालय न न ल खत म से कस कार क सं था है ।
(क) वधनशील सं था
(ख) गौण सं था
(ग) वक सत सं था
(घ) वैि छक सं था
3. पु तकालय वचालन से न न ल खत म से कस लाभ का ा त कया जा सकता है?
(क) प रसंचालन तं के काय म तेजी लायी जा सकती है ।
(ख) सू चीकरण के काय को सरल कया जा सकता ह ।
(ग) संदभ सेवा क गुणव ता को बढ़ाया जा सकता है ।
(घ) उपयु त सभी ।

3. पु तकालय वचालन क आव यकता


एक पु तकालय बंधक हे तु एक वचा लत पु तकालय तं का होना अ त आव यक ह
पु तकालय बंधक न न ल खत कारण से पु तकालय वचालन क आव यकता महसूस करता
है
(i) पु तकालय वचालन क आव यकता का सबसे मु य कारण, जैसा क हमारा अनुभव
बतलाता है, पर परागत व धय दारा होने वाल क ठनाईयाँ । पर परागत व धय
वारा आज क सूचना आव यकता को पूरा करना असंभव सा होता जा रहा है ।
(ii) पु तकालय के व भ न याकलाप को एक कृ त करने हे तु ।
(iii) सू चना क ती पुन : ाि त एवं इसके ती सं ेषण को सु नि चत करने हे तु । एक
कं यूटर तं सू चनाओं के अथाह समु से वां छत सूचना को ण म उपल ध करा
सकता है ।
(iv) पु तकालय के म य संसाधन क भागीदार एवं सहका रता हे तु ।
(v) यं -पठनीय ा प म तैयार कये गये था मक डेटाबेस के व नमय हे तु ( थानीय
एवं व तृत े म) ।
(vi) सू चना क यथाथता को बरकरार रखने हे तु । जब कं यूटर कायकलाप सह ह गे तो
सू चना क यथाथता अव य ह सु नि चत होगी ।

70
(vii) पु तकालय वचालन वारा व भ न डेटाबेस , लेख सू चय इ या द का ऑन-लाइन
अ भगम सु नि चत कया जा सकता है ।
(viii) पु तकालय के नय मत याकलाप यथा सू चीकरण, वग करण, अ ध हण इ या द
को सरल एवं सुचा बनाया जा सकता है ।
(ix) पर परागत व धय वारा रकाड के अपडे टग क अपे ा कं यूटर वारा यह काय
अ यंत ह सरल हो सकता है ।
(x) पु तकालय वचालन वारा पु तकालय के थान क कमी को काफ हद तक दूर
कया जा सकता है य क सू ची कै बनेट के लाख रकाड को कं यूटर म सं हत
कया जा सकता है ।
(xi) कं यूटर वारा तवेदन रपोट तैयार करने म भी अ य धक सहायता मलती है ।
इसके फल व प आगम- नगम, वल ब सू चना आ द से संबं धत तवेदन तैयार कये
जा सकते है ।
(xii) पु तकालय बजट, कमचार सारणी, लेख सं ह एवं उनका व लेषण आ द के
ो साहन एवं वकास हे तु ।
(xiii) पु तकालय वचालन सू चना के अथशा ीय ि टकोण (Economics of
Information) से भी एक उपयु त तं है ।
(xiv) इससे एक और बड़ा लाभ यह है क इससे गल तय एवं काय क वरावृ त (I
uplicates) क सं या म कमी लायी जा सकती है ।
व तु न ठ न
1. पु तकालय वचालन क न न ल खत म से कस े म आव यकता है:
(क) आगम- नगम
(ख) सू चीकरण
(ग) ओपेक
(घ) उपयु त सभी
2. न न ल खत म कौन-सा त य पु तकालय वचालन क आव यकता नह ं है:
(क) लेख का अ य धक सं ह
(ख) न ध क उपलि ध
(ग) श त मानव शि त
(घ) नयी ौ यो गक को हण करने क च
3. ओपेक (OPAC) का पूरा प या है?
(क) ऑन-लाइन पि लक ए सेस कैटलॉग
(ख) ऑन-लाइन पि लकेशन ए ड कैटला गंग
(ग) ऑन डमा ड परचेिजंग ए ड सरकुलेशन
(घ) ऑन लाइन पि लकेशन ए ड लै स फकेशन

71
4. पु तकालय वचालन योजना
कसी भी पु तकालय के वचालन हे तु सबसे पहल ाथ मकता उसके लए योजना
नमाण क होती है । वचालन योजना बनाने हे तु हम न न ल खत बात पर अव य ह यान
दे ना चा हए ।
1. पु तकालय को आवं टत बजट- व त कसी भी नयी या को ार भ करने हे तु सबसे
मह वपूण साधन है िजसके अभाव म कोई भी नया कायकलाप ार भ नह ं कया जा सकता है
। इसी तरह पु तकालय वचालन हे तु भी यह आव यक है क हमारे पास इस काय हे तु
आव यक व त उपल ध हो ।
2. सॉ टवेयर एवं हाडवेयर:- जब कसी पु तकालय को बजट उपल ध हो जाता है तो यह
आव यक है क पु तकालय बंधक अपने पु तकालय के वचालन हे तु उपयु त हाडवेयर एवं
सॉ टवेयर का चयन कर । आज बाजार म अनेक सॉ टवेयर (यथा सीडीएस / आईएस आईएस)
(CDS/ISIS), लब सस (Libsys), वन आई एस आई एस (WINISIS), सोल(SOUL),
ि लम (SLIM), संजय, ए लस फार वंडोज आ द) उपल ध है । अत: सभी सॉ टवेयर क
गुणव ता, कायकुशलता, सॉ टवेयर वारा द त सेवाओं आ द के वषय म जान लेना आव यक
है िजससे क अपने पु तकालय क आव यकता के अनुसार सॉ टवेयर का चु नाव कया जा सके
। कसी भी पु तकालय म यु त होने वाले सॉ टवेयर के मू यांकन हे तु सबसे पहले यह
आव यक है, सॉ टवेयर नमाता क ओर से दये गये लेख और व भ न कं यूटर प काओं म
का शत व ापन आ द का अ ययन करना तथा सॉ टवेयर क पनी के त न ध को उस
कं यूटर सॉ टवेयर के दशन हे तु कहना ।
तथा प नीचे कु छ मानदं ड दये जा रहे जो सॉ टवेयर के मू यांकन हे तु उपयोगी ह गे
(i) सव थम सॉ टवेयर नमाता क व वसनीयता का पूण मू यांकन करना;
(ii) सॉ टवेयर के लेखन का पूण आकलन करना;
(iii) सॉ टवेयर के दशन क यव था करना;
(iv) अपने आप को दशन हे तु तैयार रखना ।
(v) डीलर से सॉ टवेयर क िजन वशेषताओं क आव यकता है, उ ह पहले से मू यां कत
करके रखना चा हए ।
(vi) सॉ टवेयर के मू यांकन म व त (Cost) एक मह वपूण कारक है । अ धक से अ धक
वशेषताओं के साथ कम से कम धन यय करने पर जो सॉ टवेयर मल जाय उसे ह
य करना ।
आगे कु छ मु ख पु तकालय सॉ टवेयर क एक सू ची द जा रह है ।
उपल ध भारतीय पु तकालय सॉ टवेयर
1. लब सस (LIBSYS)
2. सोल (SOUL : Software for University Libraries)
3. ि लम (SLIM)
4. लबसू ट (LIBSUITE)

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5. ल ा 2000(LIBRA 2000)
6. ल स (LIBRIS)
7. संजय (SANJAY)
8. सू चका (SUCHIKA)
9. डान (Troodon)
10. सॉ ट लंक (Softlink)
भारत म उपल ध अंतररा य पु तकालय सॉ टवेयर
1. सी डी एस / आई एस आई एस (CD/ISIS)
2. ए लस (Alice)
3. एड लब फॉर व डोज (ADLIB for Windows)
4. बुक लाइ े रयन फॉर व डोज (Book Librarian for Windows)
5. क - टोन लाइ र ऑटोमेशन स टम (Keyston Library Automation Systems)
6. टे क लब (TechLib)
7. ओ लब 7 (OLIB7)
(3) पु तकालय म आने वाले उपयो ताओं क कृ त - कसी भी पु तकालय को वचा लत
करने के पहले उस पु तकालय के पाठक क कृ त का ान होना अ त आव यक है । य द
पु तकालय उपयो ता व श ट कृ त वाले ह अथात ् उपयो ता का झान कसी खास वषय क
ओर है तो पु तकालय वचालन म साम यक काशन को ाथ मकता दे नी होगी अथात ् पाठक
के लए शोध प काओं म मु त आलेख का डेटाबेस, पु तकालय म उपल ध वश ट
(पा यपरक एवं पाठे तर) साम य का डेटाबेस, ऑन लाइन पि लक ए सेस कैटलॉग आ द का
होना अ त आव यक ह
सामा य सावज नक पु तकालय म पु तकालय 'कमचा रय पर बढ़ते काम के दबाव को
कम करने हे तु प रसंचालन तं (Circulation Systems) के वचालन को ाथ मकता दे ना
आव यक है । इस कार से कसी भी पु तकालय को वचा लत करने से पूव उसके पाठक क
कृ त का ान होना अव यक है ।
(4) पु तकालय कमचार - वचालन से पूव यह योजना भी बना लेनी चा हए क
पु तकालय के कतने कमचार वचालन के श ण हे तु तैयार है । या उपल ध मानवशि त
वारा भ व य म कं यूटर हाडवेयर एवं सॉ टवेयर का रखरखाव ठ क ढं ग से हो सकता है या
नह ं अथवा वचालन हे तु अ त र त मानवशि त क आव यकता है इसका मू यांकन भी
आव यक है ।
(5) कं यूटर वशेष - पु तकालय वचालन हे तु कं यूटर वशेष का होना आव यक है
िजससे क समय पर उनक मदद से वचालन के माग म आने वाल बाधाओं को रोका जा
सके ।

73
(6) थान :- पु तकालय एक वधनशील सं था है । अत: पु तकालय चाहे कतना भी बड़ा
य न हो सदै व ह थान क कमी का सामना करता है । अत: वचालन से पूव कं यूटर के
रखने के थान, वातावरण आ द का नधारण कर लेना चा हए ।
व तु न ठ न
1. सोल (SOUL)से या अ भ ाय है:
(क) सोलुशन ऑन यू नवसल लाइ ेर
(ख) सॉ टवेयर फॉर यू नवसल लाइ ेर
(ग) सॉ टवेयर फॉर यू नव सट लाइ ेर
(घ) सच ऑफ यू नव सट लाइ ेर
2. न न ल खत म कौन सा एक पु तकालय सॉ टवेयर नह ं है:
(क) संजय (SANJAY)
(ख) लब सस (LIBSYS)
(ग) ि लम (SLIM)
(घ) ा टपेज (Front Page)
3. न न ल खत म कौन सा मानक सॉ टवेयर के मू यांकन हे तु आव यक नह ं है:
(क) सॉ टवेयर के दशन क यव था
(ख) व तीय कारक
(ग) सॉ टवेयर नमाता क व वसनीयता
(घ) सॉ टवेयर नमाता क बाजार नी त
4. न न ल खत म कौन सा कारक पु तकालय वचालन को भा वत नह ं करता है:
(क) पु तकालय उपयो ताओं क कृ त
(ख) पु तकालय क थापना
(ग) पु तकालय को आवं टत बजट
(घ) कं यूटर श त कमचार

5. पु तकालय वचालन के े
कसी भी सगठन / सं था के वचालन हे तु सबसे अ धक आव यकता इस बात क है
क संबं धत सं था / संगठन के व भ न याकलाप एवं सेवाओं िजनका वचालन करना है,
का आव यक ान हो तथा उस हे तु पया त मा ा म व त या न ध उपल ध हो । अतएव
पु तकालय वचालन के पूव यह जान लेना आव यक है क पु तकालय के कन- कन
याकलाप एवं सेवाओं का वचालन करना है । मू लत: कसी भी पु तकालय के न न ल खत
कयकलाप एवं सेवाओं को वचा लत कया जा सकता है ।
1. अ ध हण तं (Acquisition System)
2. तकनीक संसाधन (Technical Processing)
2.1 वग करण (Classifiction)

74
2.2 सू ची करण (Cataloguing)
3. प रसंचालन तं (Circulation System)
4. धारावा हक नयं ण (Serial Control)
5. ओपेक (OPAC)
6. डेटाबेस वकास (Database Development)
7. संदभ सेवा(Reference Service)
8. चय नत सू चना सं ेषण सेवा (SDI: Selective Dissemination of Information)
5.1. अ ध हण तं (Acquisition System):- कसी भी पु तकालय या सू चना
के का मु य उ े य होता है- अ धका धक पाठक को अ पतम यय पर सव तम एवं
उपयोगी अ ययन साम ी उपल ध कराना । अत: उपयो ताओं क आव यकता, च, कृ त
इ या द को यान म रखते हु ए पु तकालय को पु तक का अ ध हण करना चा हए । लेख
का अ ध हण करना एक कला मक काय है, िजसके लए वषय का ान एवं बंधन
कायकु शलता का होना अ य धक आव यक है ।
अ ध हण यव था के अंतगत लेख का चु नाव, उसके य हे तु आदे श दे ना, वल ब
हु ये य आदे श हे तु मरण प भेजना, पु तकालय साम य हे तु आवं टत न ध का बंध
करना एवं यय पर नयं ण रखना आ द शा मल होते ह । इसके साथ-साथ य क गयी
पु तक को अ ध हण सं या (Accession Number) दान करना भी इस तं के अंतगत
शा मल है । इसका ता पय है क अ ध हण एक समयसा य, उ तरदा य वपूण , यथाथ व
यो यतापूण काय है । पर परागत व धय वारा इस काय को पूरा कर पाना असंभव नह ं तो
दु कर अव य है । अ यंत सावधानी के बावजू द गलती होने क संभावना हमेशा बनी रहती है ।
अत: अ ध हण के इस काय म यथाथता एवं उपयो गता को बनाये रखने हे तु यह आव यक है
क पु तकालय क इस सेवा को सबसे पहले वचा लत कया जाए । बंधन ि टकोण से भी
इस सेवा को कं यूटर कृ त करने क ाथ मकता दे नी चा हए ।
अ ध हण तं के वचालन से भ व य म व भ न कार क अ य सेवाएँ जैसे य
आदे श दे ना, मरण प तैयार करना, वतरक क सेवाओं का तवेदन तैयार करना,
वषयानुसार यय, न ध उपल धता से संबं धत तवेदन तैयार करना आ द द जा सकती ह ।
इस कार तवेदन, बंधन एवं ग तशील सं हण म काफ सहायता हो सेकती है ।
2. तकनीक संसाधन (Technical Processing):- लेख क तकनीक या का
ता पय मु यत: दो कायकलाप -वग करण एवं सू चीकरण से है । वग करण एवं सूचीकरण
अ य धक नपुणता वाला काय ह, जो अ यंत मसा य ह ।
(क) वग करण (Classification):- वग करण का ता पय लेख के व श ट वषय के नाम
को ामक सं याओं क कृ म भाषा म अनुवाद करना है । अथात ् सम त वषय को उनके
एक समान गुण के आधार पर वग- वशेष म एक त करना ह पु तकालय वग करण कहलाता
है । अत: लेख को वषयवार सु सि जत करना कसी भी पु तकालय का एक मु ख काय है ।

75
इस काय हे तु एक वक सत वग करण प त का होना अ त आव यक है । सन ् 1960 ई. म
नीलमेघन एवं वकटरमण ने व ब दु वग करण (Colon Classification) प त का उपयोग
कं यूटर वारा वग करण करने हे तु कया । इसम उ ह ने कं यूटर म पद एवं उनसे संबं धत
वग-सं याओं (Class Number) को डाल दया । जब पु तकालय म कसी नये लेख का
अ ध हण कया जाता है तो सव थम उसके वषय का व लेषण कर उपयु त पद को कं यूटर
भर म दया जाता है । कं यूटर इन पद को एक नि चत सं या दान करता है एवं उ ह
योजक च ह (Connecting Symbol) वारा जोड़ दे ता है । फर इन पद को सं ले षत कर
एक वग-सं या दान करता है । इस कार आज कं यूटर वारा वग करण कया जा सकता है
। पर तु वतमान समय तक यह काय वकासशील अव था म है ।
(ख) लेख का सू चीकरण (Cataloguing) :- पु तकालय सू ची पु तकालय क पा य
साम य के ववरण का व धवत ् यवि थत अ भलेख है । इन लेख क पूण थ
ं ा मक
जानकार सू ची के मा यम से ह ा त क जा सकती है । इस े म कं यूटर एक अ यंत ह
मह वपूण भू मका नभा सकता है । द गई सू चनाओं के आधार पर कं यूटर सू ची प तैयार
कर दे ता है । इसके साथ-साथ वह इन सू चय को मपूवक यवि थत भी कर दे ता है ।
कं यूटर वारा तैयार क गई सूची क सबसे मु य वशेषता है क इस हे तु कसी कार क
सू ची मंजू षा (Catalogye Box) क आव यकता नह ं होती है । अत: पर परागत सू ची
मंजू षा वारा घेरे जाने वाले थान क इससे काफ अ धक बचत होती है । इसके साथ-साथ
कं यूटर - न मत सू ची का अ भगम ऑन-लाइन भी कया जा सकता है । इस कार क सू ची
को ओपेक (OPAC: On-line Public Access Catalogue) कहा जाता है ।
5.3. प रसंचालन (Circulation):-पु तकालय म लेख का अ ध हण उपयो ताओं के
योगाथ कया जाता है। पु तक के नगम (Issue) एवं आगम (Return) क या
प रसंचालन तं के अंतगत सि मलत होती है । नगम-आगम के अ त र त सद यता प
तैयार करना, पु तक के वल ब से लौटाने पर मरण प को जार करना, लेख का आर ण
तथा वल ब शु क आ द का नधारण करना आ द शा मल है । कं यूटर कृ त प रसंचालन तं
वारा इन सभी कायकलाप क सुचरा एवं सरल ढं ग से पूरा कया जा सकता है । इसके साथ-
साथ वचा लत तं वारा अंतर-पु तकालय ऋण प त (Inter Library Loan)को भी अ धक
बढ़ावा दया जा सकता है ।
5.4. धारावा हक नयं ण (Serial Control):- मक भाग म एक नि चत
समयांतराल म का शत कए जाने वाले एवं नय मत प से अ नि चत काल तक का शत
होते रहने हे तु अ भ ेत काशन को धारावा हक काशन कहते है । इन काशन म साम यक
(Periodicals); शोध प काएँ (Journals), समाचार प (Newspapers), वा षक
(Annual Reviews) इ या द शा मल ह ।
सू चना ौ यो गक के इस युग म सू चनाओं क वृ गुणा मक प से हो रह है
िजसके फल व प वषय का े सू म से सू मतम होता जा रहा है । इस कारण आज के युग
को 'सू चना व फोट' के युग क सं ा द जाती है । इस प र य म धारावा हक का नयं ण

76
अ यंत दु कर होता जा रहा है । पर परागत व धय वारा इन काशन का समु चत नयं ण,
उ चत पुनः ाि त एवं सूचना सं ेषण संभव नह ं है । अतएव यह आव यक है क धारावा हक के
नयं ण हे तु पु तकालय को वचा लत कया जाय । धारावा हक काशन के य क
वरावृि त (Duplication) पर नयं ण रखने हे त,ु नवीन शोध प काओं के य के आदे श
दे न,े अ ा त प काओं के संदभ म मरण प भेजने तथा संबं धत काशन क थ
ं सूची तैयार
करने हे तु पु तकालय वचालन अ यंत आव यक है । इसके साथ-साथ धारावा हक काशन से
संबं धत तवेदन को तैयार करने म कं यूटर एक मह वपूण भू मका नभा सकता है ।
5.5. ओपेक (OPAC :On-line Access Catalogue):- वतमान प र य म
पर परागत पु तकालय सू चय के बा य ा प (Physical Formals) का कोई अ धक मह व
नह ं रह गया है । ये सू चयाँ समय के साथ न ट होती जा रह ह । इसके साथ इन सू चय
म आव यक लेख को खोजना एक समय एवं मसा य काय है । अ य धक प र म के
प चात ् य द संबं धत लेख का थ
ं ा मक ववरण ा त हो भी जाता है पर तु नधानी पर
लेख उपल ध न हो सकने क दशा म पाठक को हु ई परे शानी का आकलन आसानी से कया
जा सकता है ।
कं यूटर हारा मनचाहे ा प म सूची का नमाण कया जा सकता है तथा इन
सू चय का अ भगम ऑन-लाईन कया जा सकता है । मु य श द, आलेख, लेखक का नाम,
वग सं या, अ ध हण सं या आ द व भ न अ भगम से वां छत लेख को खोजा जा सकता है।
इस कार ओपेक आज के समय म पु तकालय व ान के चतुथ नयम को संतु ट करता है ।
लेख म व णत थ
ं ा मक सू चना कं यूटर म काफ दन तक सुर त रखी जा सकती है ।
5.6. डेटाबेस वकास (Database Development): - डेटाबेस का अथ है, समान
कार के रकाड का एक ऐसा सं ह िजसका नमाण कसी नयत ल य को यान म रखकर
कया गया है ।
वतमान समय सूचना - ौ यो गक का युग है । इस युग म 5 से 7 वष के अंतराल म
का शत सा ह य एवं सू चना का भंडार लगभग दो गुणा हो जाता है । यह ि थ त आज
पु तकालय एवं सू चना वै ा नक के लए एक चु नौती बन गई है । इस ि थ त से नपटने हे तु
यह आव यक है क कं यूटर क मदद से आव यकतानुसार डेटाबेस का नमाण कया जाय ।
आज कं यूटर क मदद से व भ न कार के डेटाबेस का नमाण एवं वकास कया जा सकता
है । शोध प काओं म का शत आलेख , पु तक आ द का डेटाबेस पाठक के लए अ यंत ह
लाभकार स होगा तथा साथ ह साथ पु तकालय व ान के चतुथ नयम 'पाठक के समय
क बचत करना' को भी संतु ट करे गा ।
5.7. संदभ सेवा (Reference Service):- आधु नक पु तकालय का उ े य केवल
पा य-साम य के संकलन, सु र ा, प रसंचालन इ या द करने तक ह सी मत नह ं है । आज
के पु तकालय का े इससे कह ं बढ़ कर है । इस कारण आज पु तकालय के उ तरदा य व
म काफ बढ़ो तर हो गयी है । आज का पु तकालय एक सू चना व लेखन के के प म
बदलता जा रहा है, िजसका मु य उ े य सू चना सं ह न होकर सू चना क पुनः ाि त एवं

77
सं ेषण है । आज पाठक को यि तगत प से सहायता दान करना पु तकालय का मु ख
दा य व हो गया ह पु तकालय का ल य भी अब व तृत हो गया है । उ ह न केवल श ा
सं थाओं- जो ान सृजन , संर ण और व तृत सार करती ह, का दूसरा व प माना जाने
लगा है, बि क इ ह इनसे अ धक उपयोगी माना गया है, य क आज का पु तकालय स पूण
मानव-जीवन को नरं तर ान के वाह से भा वत करने वाल सामािजक सं था का प ले
चु का है ।
इस त य को यान म रखकर आज पु तकालय वारा संदभ सेवा दान क जाती है
िजसका मु य उ े य ान, व तु अथवा कसी सू चना द त य क खोज म पाठक को
पु तकालय एवं अ य कमचा रय वारा यि तगत प से उनक ाि त म सहायता करना है ।
आज कं यूटर के मा यम से संदभ सेवा उपल ध कराना अ यंत सरल हो गया है, साथ ह साथ
कम से कम समय म अ धक से अ धक सू चना उपल ध करायी जा सकती है । संदभ सेवा के
े म कं यूटर न न ल खत र त से सहायता दान कर सकता है: -
(क) इंटरनेट (Internet) के मा यम से - इंटरनेट को आज ' ान के अथाह समु ' क
सं ा द जा सकती है । वा तव म आज इंटरनेट क वजह से स पूण व व एक एक कृ त गाँव
के प म समट गया है । आज इंटरनेट पर लगभग सभी वषय से संबं धत सू चनाओं का
भंडार है । इससे ा त सू चनाओं के आधार पर संदभ सेवा दान क ं जा सकती है।
(ख) सीडी-रोम (CD-ROM) के मा यम से - आज धीरे - धीरे लेख के मु त प का
समय समा त होता जा रहा है । आज अ धकांश पु तक एवं मक काशन सीडी-रोम के प
म उपल ध ह । ये सीडी-रोम थान क बचत के साथ-साथ पाठक ारा खोज करने के तर के
को भी आसान करते है । सीडी-रोम आज हम आलेख के न केवल थ
ं ा मक ववरण उपल ध
कराते है, वरन ् पूरा आलेख भी उपल ध कराते ह । आज इंसाइ लो प डया टे नका,
अमे रकाना, आई ई ई ई (IEEE) के मक काशन सीडी-रोम व प म उपल ध ह । इस
कार पु तकालय वचालन से आज संदभ सेवा का े व तृत हो गया है, िजसम समय क
काफ बचत होती है ।
(ग) माइ ो फ म, माइ ो फश इ या द के मा यम से - बहु त सी सू चनाएँ आज
माइ ो फ म, माइ ो फश इ या द के प म उपल ध है । इनके मा यम से वां छत सूचना क
खोज करना अ यंत आसान हो गया है ।
5.8. चय नत सूचना सेवा (SDI: Selective Dissemination of Information)
चय नत सूचना सेवा का अथ है, नधा रत पाठक को उनक च के वषय क वां छत
समसाम यक सू चनाएँ नय मत प से उपल ध कराना । वा तव म समय के साथ-साथ आज
उपयो ताओं क च बदल रह है । आज उपयो ता वग आम वषय (Common Subject)
से हटकर अपने व श ट वषय म उपल ध सू चनाओं क ाि त हे तु ह यासरत रहता ह ।
पर तु सू चनाओं के इस अथाह समु से अपनी वां छत सू चना पी मोती को चु न पाना
पर परागत व धय वारा लगभग असंभव सा हो गया है । इस सम या का समाधान केवल
चय नत सू चना स ेषण सेवा वारा ह संभव है । और इस सेवा हे तु कं यूटर एक अ नवाय

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आव यकता है । इस सेवा हे तु दो कार क फाइल का नमाण कया जाता है- एक उपयो ता
फाइल तथा दूसर उनक वषय- अ भ च क फाइल िजसम उनक च के वषय से संबं धत
पद को डाल दया जाता है। कं यूटर वारा नय मत प से इन फाइल का मलान कराया
जाता है, तथा मलान हु ई सू चनाओं को उपयो ताओं तक पहु ँ चाया जाता है । इस कार
पु तकालय वचालन से इस दशा म काफ ग त हो सकती है ।
व तु न ठ न
1. न न ल खत म से कस े म पु तकालय वचालन अभी वकासशील अव था म है:
(क) सू चीकरण
(ख) अ ध हण
(ग) वग करण
(घ) ओपेक
2. एस डी आई (SDI) या ता पय है:
(क) सेलेि टव डसे मनेशन ऑफ इंफॉमशन
(ख) सेलेि टव डजायर इंफॉमशन
(ग) पीडी डेवलपमट ऑफ इंफॉमशन
(घ) पीडी डस मनेशन ऑफ इंफॉमशन
3. भारत म कस वग करण प त को पु तकालय वचालन हे तु योगा मक प म
ार भ कया गया:
(क) डेवी डे समल लै स फकेशन
(ख) यू नवसल डे समल लै स फकेशन
(ग) कोलन लै स फकेशन
(घ) लाइ ेर ऑफ कां ेस लै स फकेशन
4. कं यूटर न मत सू ची को या कहा जाता है:
(क) काड सू ची
(ख) ओपेक
(ग) ओ सी एल सी
(घ) लबसू ट
5. न न ल खत म से कस सेवा हेतु दो अलग-अलग फाइल का नमाण कया जाता है
(क) चय नत सू चना सेवा
(ख) साम यक अ भ ता सेवा
(ग) कं यूटर कृ त सू ची सेवा
(घ) डेटाबेस सेवा

79
6. पु तकालय वचालन को भा वत करने वाले कारक
कसी भी पु तकालय को वचा लत करने के पूव यह आव यक है क पु तकालय के
सं ह, सेवा व प, बजट, उपल ध सॉ टवेयर एवं हाडवेयर आ द के वषय म स पूण जानकार
ा त हो । पु तकालय वचालन क या को न न ल खत कारक भा वत करते है:
(1) पाठक - पु तकालय वचालन को भा वत करने का सबसे मु ख कारक है
पु तकालय के उपयो ताओं क कृ त के वषय म ान होना । व श ट पाठक हे तु वचालन
म व श ट सू चनाओं क शी उपल धता सु नि चत करना एवं सामा य पाठक हे तु आम
सू चनाओं क शी उपल धता सु नि चत करने पर सवा धक यान दे ना होगा ।
(2) बजट-पु तकालय वचालन को भा वत करने वाला दूसरा मु ख कारक पु तकालय को
आवं टत बजट है । वा तव म पु तकालय को उपल ध करायी गई धनरा श वचालन म एक
मह वपूण भू मका नभाती है । पु तकालय बंधक को सी मत बजट म ह लेख एवं अ य
पा यपरक तथा पाठे तर साम य (यथा CD-ROM, Microfilm) आ द का य करना पड़ता
है । उसी बजट से य द पु तकालय को वचा लत करने क नौबत आती है तो यह आव यक है
क बंधक अपना यान पु तकालय सेवा के उस े क ओर केि त कर जो सवा धक म,
समय एवं यय सा य हो ।
(3) कं यूटर श त मानवशि त-पु तकालय वचालन हे तु यह आव यक है । पु तकालय
कमचार कं यूटर म श त ह एवं वे पु तकालय म कये जाने वाले बदलाव म च रखते
ह । वा तव म सू चना ौ यो गक के आज के इस यु ग म भी बहु त से लोग पर परागत
व धय म च रखते है तथा वे कसी कार के बदलाव का वरोध करते ह । इसके साथ-
साथ पु तकालय बंधक को बाजार म उपल ध व भ न पु तकालय सॉ टवेयर एवं हाडवेयर का
ान होना चा हए।
(4) पु तकालय वारा द त सेवाएँ - भी पु तकालय वचालन को भा वत करती है ।
य द पु तकालय वारा द त सेवाओं के उपयो ताओं क सं या कम होती है तो वचालन का
व प काफ भा वत हो जाता है । य द उपयो ताओं क सं या अ धक हो तो पु तकालय
कमचार को सेवा दे ना अ धक चकर तीत होता है । पाठक क सं या अ धक होने पर
पु तकालय वचालन के लाभ का अनुभव कया जा सकता है ।
व तु न ठ न : सह या गलत बताएँ
1. पु तकालय को आवं टत बजट पु तकालय को भा वत नह ं करता है ।
2. पु तकालय वचालन हे तु श त कमचार वग का होना आव यक है।
3. पु तकालय उपयो ताओं क कृ त पु तकालय वचालन को भा वत करती है ।
4. पु तकालय क ि थ त वचालन को भा वत नह ं करती है ।

7. पु तकालय वचालन के माग म आने वाल बाधाएँ


जब भी कसी नयी काययोजना को ार भ करने का काय हाथ म लया जाता है, चाहे
वह पु तकालय वचालन का हो या कोई और, बंधन को बहु त सार सम याओं का सामना

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करना पड़ता है । इसी कार पु तकालय वचालन म न न ल खत बाधाओं का सामना करना
पड़ता है
1. पु तकालय वचालन के माग म सबसे बड़ी बाधा है - पु तकालय को आवं टत बजट ।
आज के इस युग म पु तक , संदभ ं , शोध प काओं, आ द के मू य म दन- त दन वृ

हो रह है, साथ ह साथ पु तकालय को आवं टत बजट म वष- तवष कटौती क जा रह है ।
अत: कसी भी पु तकालय हे तु इस सी मत बजट म वचालन के बारे म सोच पाना अ यंत ह
क ठन है । अतएव सव थम यह आव यक है क पु तकालय के बजट म वृ क जाए एवं हो
सके तो वचालन हे तु अ त र त कोष मु हैया कराया जाए ।
2. वचालन के माग म एक दूसर बड़ी बाधा है - अ श त मानव शि त । अ धकांश
पु तकालय म काय करने वाले कमचा रय का पु तकालय व ान म ान सतह तर तक है
। उ ह कं यूटर पर काय करने का कोई अनुभव नह ं है । अतएव वे या तो वचालन का वरोध
करते है, या तो वे इसम कोई च नह ं दखाते ह ।
3. अ धकांश पु तकालय पर परागत व धय पर ह काय कर रहे ह ता क भावी
पु तकालय कानून के अभाव म उन पु तकालय का वचालन संभव नह ं है ।
4. सावज नक पु तकालय के अ धकांश उपयो ताओं का संबध
ं ामीण पृ ठभू म से होता
है तथा वे उपयो ता वचालन के उपकरण का उपयोग न के बराबर करते है । अत: वचालन
से उन उपयो ताओं को पु तकालय का उपयोग करने म बाधा आ सकती है ।
5. हाडवेयर (Hardware) का रख-रखाव (Maintenance) भी पु तकालय वचालन के
माग म एक काफ बड़ा अवरोध है । हाडवेयर के सह बंधन हे तु पु तका मक बजट के कु ल
व त का एक काफ बड़ा भाग चा हए ।
व तु न ठ न
1. न न ल खत म से कौन से कारक पु तकालय वचालन के माग म एक बाधा नह ं है:
(क) कोष क कमी
(ख) श त मानव शि त का अभाव
(ग) भौगो लक प रवेश
(घ) पु तकालय क अ भ च म कमी
2. न न ल खत म कौन का कारक पु तकालय को भा वत नह ं करता है:-
(क) पाठक क पृ ठभू म
(ख) पु तकालय कमचा रय क पृ ठभू म
(ग) पु तकालय क ि थ त (Location)
(घ) सॉ टवेयर का ान
सह गलत बतलाइये:-
1. पु तकालय वचालन हे तु पाठक श ा (User Education) काय म चलाना चा हए ।
2. हाडवेयर का बंधन पु तकालय वचालन हे तु आव यक है ।

81
3. पु तकालय को लेख हे तु आवं टत रा श से ह वचालन हे तु उपकरण खर दने चा हए

4. पु तकालय वचालन हे तु पु तकालया य का कं यूटर श त होना अ धक मायने
नह ं रखता है ।

8. पु तकालय वचालन हे तु तं - व ध का ा प (System


Methodology for Library Autonation)
कसी भी तं को नयं त करने हे तु एक व ध के ा प का होना अ त आव यक है ।
यह तं व ध न केवल बंधन म वरन ् कमचा रय के सेवा म भी सु धार करता है । एक
यवि थत व सम प तं व ध कसी संगठन के वचालन क योजना का ढाँचा तैयार करता है,
िजसके फल व प त काल न प रवेश म सवा धक उपयु त एवं सवा धक मा य तं को काय प
म लाया जा सकता है ।
एक तं व ध को हम न न ल खत 6 व तृत े म बाँट सकते है :
(i) वकास योजना (Development Plan) - यह कसी भी तं के उ े य का
नधारण करता है तथा कसी प रयोजना को एवं उसक ाथ मकताओं को
प रभा षत करता है ।
(ii) तं व लेषण (System Analysis) - कसी व श ट तं के उ े य का नधारण
करता है ।
(iii) आव यकताओं क ाथ मकता का नधारण (Specification of
Requirements) - यह एक तं को प रभा षत करता है क कसी खास
प रयोजना के या उ े य एवं आव यकताएँ हो सकती ह ।
(iv) तं मू यांकन (System Evalution) - इस चरण म कसी ता वत तं क
काय व धय का मू यांकन कया जाता है क उपल ध उ पाद के आधार पर तं
कतना सफलता पूवक काय कर रहा है ।
(v) तं का काया वयन (Implementation) - यह कसी तं के सु चा ढं ग
कायाि वत करने से संबं धत है ।
(vi) संवी ण एवं बंधन (Monitoring and Maintenance) - एक नि चत
अव ध के बाद कसी भी तं का संवी ण एक नि चत अव ध के बाद एवं उसम
वकास को ो सा हत करना आव यक है ।

9. पु तकालय वचालन: भारतीय प र य


पु तकालय वचालन क दशा म पि चमी दे श म पचास के दशक म ह कायारं भ हो
गया था, पर तु भारत म इस काय का आर भ एक दशक के बाद हु आ । भारत म
कं यूटर करण क दशा म सबसे पहला कदम इ सडॉक वारा अपने पु तकालय के कु छ काय
के वचालन हे तु 1964 के दौरान उठाया गया । इसके बाद भारत के अ य सं थान एवं
लेखन तथा सूचना के म भी वचालन क दशा म कदम उठाये गये । इस कार इ सडॉक

82
स हत डेसीडॉक, टाइफैक, भेल, बाक, रा य भौ तक योगशाला (NPL) आ द अ य सं थान
ने अपने पु तकालय को वचा लत करने क दशा म कदम उठाये । पु तकालय वचालन के
साथ-साथ भारत म व भ न कार के पु तकालय एवं सू चना नेटवक क भी थापना क गई ।
वा तव म भारत म नेटव कग काय म का ार भ आज से लगभग दो दशक पूव हु आ
। पर तु एक पु तकालय नेटवक क दशा म सबसे पहला कदम नसात (NISSAT) वारा
1985 म उठाया गया िजसके प रणाम व प आज भारत म वभ न वषय एवं े से
संबं धत पु तकालय एवं सू चना नेटवक कायरत है। इन नेटवक म अरनेट, सरनेट, डेलनेट,
माइ लबनेट, का लबनेट, बोनेट, मा लबनेट, लकनेट, इनि लबनेट, एडीनेट पुणेनेट, हे ि लस
नेटवक, इन वस नेटवक आ द क थापना क गई । लगभग एक समान उ े य को लेकर
बनाये गये ये पु तकालय नेटवक आज वा त वक अथ म पु तकालय वचालन के उ े य को
प रभा षत कर रहे ह । संसाधन क साझेदार एवं पर पर भागीदार हे तु बनाये गये इन
पु तकालय नेटवक ने आज भारतीय पु तकालय के पुराने प र य को ह बदल कर रख दया
है ।
व तु न ठ न
1. भारत म पु तकालय वचालन के े म थम होने का ेय कसे जाता है:
(क) डेसीडॉक (DESIDOC)
(ख) इ सडॉक (INSDOC)
(ग) नेसडॉक (NASSDOC)
(घ) सेनडॉक (SENDOC)
2. भारत म पु तकालय वचालन कस वष ार भ हु आ:
(क) 1964
(ख) 1974
(ग) 1998
(घ) 1986
3. ं भारत से नह ं है?
न न ल खत म कस पु तकालय/सूचना नेटवक का संबध
(क) ओ सी एल सी (OCLC)
(ख) हे ि सस नेटवक (HELLIS)
(ग) लकनेट (LUCKNET)
(घ) इनि लबनेट (INFLIBNET)
4. एन पी एल (NPL) से या ता पय है?
(क) नेशनल साइकोलोिजकल लेबोरे टर
(ख) नेशनल पे ोके मकल लेबोरे टर
(ग) नेशनल फिजकल लेबोरे टर
(घ) नेशनल फ लयोलॉिजकल लेबोरे टर

83
10 सारांश
अब तक आपको इस इकाई म वतमान प र य म पु तकालय वचालन क
आव यकता को समझाने का यास । कया गया है । कसी पु तकालय को वचा लत करने के
पूव कन- कन बात का यान रखना चा हए एवं एक मानक पु तकालय तं वध ा प या
होना चा हए, इस वषय म सं ेप म जानकार उपल ध करायी गई । कसी पु तकालय को
वचा लत करने के माग म कौन-कौन सी बाधाएँ आती ह इस वषय से भी आपको अवगत
कराया गया । आप अपने पु तकालय क कन- कन ग त व धय को वचा लत करना चाहगे,
इस वषय पर कु छ जानकार उपल ध करायी गई इसके साथ- साथ पु तकालय वचालन हे तु
आप कन- कन मानद ड को सॉ टवेयर के चु नाव हे तु उपयु त समझते ह, को भी इस इकाई
म सि म लत कया गया है । आज के समय म पु तकालय वचालन क ि थ त का भी सं ेप
म वणन कया गया है । इस वषय पर व तृत अ ययन हे तु आगे एक व तृत थ
ं ावल भी
द गई है ।

11 अ यासाथ न
1. न न ल खत न के उ तर अ धकतम 200 श द म द ।
(i) पु तकालय वचालन से आप या समझते ह? व तार पूवक समझाये ।
(ii) पु तकालय सॉ टवेयर के मू यांकन हे तु आप कन- कन मानद ड का योग
करगे।
(iii) पु तकालय वचालन के माग म आने वाल बाधाओं का व तारपूवक ववेचन कर।
(iv) ''वतमान युग सूचना ौ यो गक का युग है'' इस त य को यान म रखते हु ए
पु तकालय वचालन क आव यकता पर काश डाल ।
2. एक पु तकालय/सूचना वै ा नक होने के नाते आप अपने पु तकालय क कन- कन
सेवाओं/कायकलाप के वचालन को ाथ मकता दगे । व तार पूवक समझाय ।
3. इस आ थक युग म जब पु तकालय के बजट म वष दर वष कमी आती जा रह है,
आप अपने पु तकालय के वचालन को कस कार याि वत करगे?
4. पु तकालय क उन व भ न सेवाओं/ग त व धय के े का व तारपूवक ववेचन
क िजए, िजनका वचालन कया जा सकता है ।
5. संदभ सेवा से आपका या ता पय है? वचा लत पु तकालय इस सेवा को दान करने
म कस कार सहायता दे सकता है?
6. पु तकालय वचालन को भा वत करने वाले कारक का सं ेप म वणन कर ।
7. पु तकालय वचालन क आव यकता एवं इसके लाभ का व तारपूवक वणन कर ।

12. पा रभा षक श दावल


1. पु तकालय वचालन: पु तकालय वारा दान क जाने वाल सेवाओं एवं पाठक क
कृ त के आधार पर पु तकालय सेवाओं एवं काय का कं यूटर करण ।

84
2. ओपेक: ऑन लाइन पि लक ए सेस कैटलॉग का सं त प है, जो उपयो ताओं को
पार प रक काड सू ची के थान पर लेख के थ
ं ा मक ववरण का डेटाबेस कं यूटर पर
उपल ध कराता है । इसके फल व प पाठक के समय एवं म क अ य धक बचत होती है ।
3. चय नत सू चना सं ेषण: कसी पाठक को नय मत प से उसक च के वषय म
वां छत सू चना उपल ध कराने हे तु चय नत सू चना सं ेषण सेवा दान क जाती है । इस सेवा
हे तु दो कार क फाईल बनायी जाती है: एक पाठक क फाइल एवं दूसर उनक च के वषय
क फाइल । फर कं यूटर वारा दोन फाइल म मलान कराया जाता है और त प चात ्
उपयो ता को वां छत सू चना उपल ध कराई जाती है ।
4. नेटवक (Network): दो या दो से अ धक संगठन , नकाय या यं क एक ऐसी
णाल िजसके अंतगत येक सहभागी अ य सहभा गय के संसाधन का समु चत उपयोग
करता है ।
5. पु तकालय नेटवक (Library Network): यह एक अ तसबं धत पु तकालय णाल
है, िजसम व भ न पु तकालय एवं सूच ना के अपने संसाधन क सहभा गता हे तु पर पर एक
दूसरे से जु ड़े रहते ह ।

13. व तृत अ ययनाथ ंथ-सू ची


1. Ramalingam, Library Information Technology: Concepts to
Application, Kalpaz, 2000.
2. Clatorn, Marlene, Managing Library Automation, Gower Publishing,
Hants, 1987.
3. Heiliger, Edward M, and Henderwon, Paul, B, Library Automation:
Experience, Methodology and Technology of the Library as an
Information System, Mc Graw Hills, New York, 1971.
4. Goswami, Anjana, Applications of Information Technology in Library
Services. Herald of Library Science. 40, 1-2; 36-41; 2001
5. Aina Joseph O, Stopping the automation Before it Begins: An
Acadmic Library Experience, International Library Movement 22, 1;
1-9; 2000
6. Ajayai Ademola, Library Computerization: Organizational and
Professional Roles, International Library Movement, 22, 2; 57-64;
2000.
7. Udofia Udofiation, Computer and Library, International Library
Movement, 23, 2; 99-112; 2001.
8. शमा, पा डेय एस के, कं यूटर और पु तकालय, द ल ं अकादमी, 1996.

85
इकाई-7 : पु तकालय म कं यूटर का योग : अ ध हण
तथा सू चीकरण
(Use of Computer in Libraries: Acquisition and
Cataloguing)
उ े य
1. कं यूटर कृ त अ ध हण के स ब ध म तकनीक जानकार से अवगत कराना ।
2. इस स ब ध म उपल ध णा लय को समझाना ।
3. अ ध हण के व भ न चरण म कं यूटर के अनु योग को समझाना ।
4. सू चीकरण म कं यूटर के अनु योग को समझाना ।

सरं चना/ वषय व तु


1. वषय वेश
2. कं यूटर कृ त अ ध हण क आव यकता
3. कं यूटर कृ त णा लय के काय
4. अ ध हण म कं यूटर अनु योग
4.1. यादे श
4.2. यादे श को मु त करना
4.3. यादे श को बदलना
4.4. यादे श का नयं ण
4.5. ाि त काय
4.5.1. ाि त रपोट को मु त करना
4.5.2. अनापूत आदे श का नयं ण
4.5.3. ाि त संबध
ं ी सू चना
4.5.4. व तीय नयं ण संबध
ं ी काय
5. अ ध हण म इंटरनेट का उपयोग
6. कुछ रा य तथा अंतररा य पु तकालय सा टवेयर
7. कं यूटर का सू चीकरण म अनु योग
7.1. ओपेक
7.2 ओपेक तथा काड सू ची म अ तर
7.3. वचा लत पु तकालय सू चीकरण के कु छ अंतररा य ा प
7.3.1 माक
8. सारांश

86
9. अ यासाथ न
10. पा रभा षक श दावल
11. व तृत अ ययनाथ ं -सूची

1. वषय वेश
पु तक अ ध हण कसी भी पु तकालय का आधारभू त तंभ है । संदभ सेवा, लेखन
सेवा, एस डी आई (SDI) साम यक अ भ ता सेवा (CAS) या फर अ य कोई सूचना सेवा हो,
अ ध हण का एक मह वपूण थान है । थम ि ट म ऐसा लगता है क अ ध हण बहु त
साधारण काय है पर तु वा तव म यह बहु त ह दु कर काय है िजसम समय-समय पर उ चत
नणय लेने होते ह । यह वह काय है िजसम कसी पु तकालया य के शास नक तथा
बंधक य गुण क पर ा होती है । लेख अ ध हण म पु तकालय क भू मका एक कार से
''खोजो ओर ा त करो'' अथात (Hunting and Gathering) क होती है ।
सू चना व फोट के इस युग म कसी पु तकालय के लए लेख के सं ह का वकास
(Collection Development) एक चु नौतीपूण काय है िजसम उ चत नणय मह वपूण भू मका
नभाते ह । कं यूटर ौ यो गक , सू चना ौ यो गक , इंटरनेट और इले ो नक काशन ने
पु तकालय म पु तक के अ ध हण को अनेक कार से भा वत कया है । कं यूटर अनु योग
से पु तकालय क वभ न णा लय जैसे अ ध हण, प रसंचालन सूचीकरण इ या द को
एक कृ त णाल म बदलने म बहु त सहायता मलती है । इस इकाई म हम अ ध हण तथा
सू चीकरण म कं यूटर अनु योग का व तृत अ ययन करगे ।

2. कं यू टर कृ त अ ध हण क आव यकता
पु तकालया य का मु य काय पु तकालय तथा सू चना सेवा को समयपूवक तथा
द तापूवक पाठक को दान करना है । सी मत संसाधन के योग से सभी पाठक को संतु ट
करना संभव नह ं है । अत: पु तकालय ब धन के लए यह आव यक है क वह अपने
ब धन म उ चत बदलाव लाकर एवं पाठक क च को यान म रखकर लेख का अ ध हण
वै ा नक व ध से करे । कं यूटर अनु योग क न न ल खत वशेषताओं के कारण पु तकालय
अ ध हण तं म इसका योग करना आव यक हो गया है
1. कं यूटर क काय मता अ य धक होती है । इसके साथ-साथ कं यूटर वारा डेटा
ोसे संग म भी बहु त कम समय लगता है ।
2. कं यूटर योग वारा कम लागत म डेटा सं हण के साधन यथा सीडी-रोम (CD-
ROM), लॉपी ड क (Floppy Disc), वाम (WORM) आ द का योग कया जा
सकता है ।
3. डेटा व नमय को बेहतर बनाया जा सकता है ।
4. वक सत दूरसंचार जैसे आई एस डी एन (ISDN) तथा अ य नेटवक क उपल धता ने
व भ न कं यूटर के म य डेटा व नमय को आसान बना दया है ।

87
5. भरोसेम द (Reliable) हाडवेयर क उपल धता ने पु तकालय को कं यूटर अनु योग
के लए आक षत कया है ।
6. वभ न काशक , वतरक , थ चयन उपकरण तथा संदभ क इ टरनेट पर
उपल धता इ या द ।

3. कं यू टर कृ त अ ध हण णा लय के काय
कं यूटर कृ त अ ध हण णा लय के काय न न ल खत है:-
1. व तीय (financial) तथा सांि यक य (Statistical) आँकड को तु र त उपल ध
करवाना िजससे वै ा नक ब धन तथा योजना बनाने म सु वधा हो ।
2. समय-समय पर बजट स ब धी जानकार उपल ध करना िजससे व तीय ब धन म
सु वधा हो ।
3. कागजी तथा ल पक य काय को कम से कम करना ।
4. एक कृ त डेटाबेस (Integrated Database) का वकास करना िजससे अ ध हण
डेटाबेस (Acquisition Database) का सूचीकरण प रसंचालन (Circulation
System) तथा अ य लेखन-सू चना णा लय म कया जा सके और डेटा इ ह क
अनाव यक वरावृि त से बचा जा सके ।
व तु न ठ न-सह -गलत बतलाइये
1. कं यूटर वारा आँकड़ो को बहु त कम समय म ोसेस कया जा सकता है।
2. कं यूटर के अनु योग से कागजी तथा ल पक य काय म कमी हो जाती है ।
3. कं यूटर अनु योग से पु तकालय क वभ न णा लय को एक कृ त कर पुनरावृि तपरक
काय से बचा जा सकता है ।

4. अ ध हण (Acquisition) काय म कं यू टर का अनु योग


पु तकालय म मु यत: न न ल खत अ ध हण ग त व धय म कं यूटर का योम
कया जाता है
4.1. यादे श (Book Ordering)
पु तक का य एक ज टल या है, जो व भ न चरण म स प न होती है । कसी
भी पु तक के य के लए पाठक आवेदन कर सकते ह । यह आवेदन टे ल फोन वारा, प
वारा, यि तगत संपक से या पु तकालय वारा अनुमोदन से हो सकता है । थम चरण म
इनक उपल धता के स ब ध म जानकार ा त करनी होती है । इन आवेदन को कं यूटर कृ त
करना एक क ठन काय है । य य प एक मानक ा प (Format) बनाकर इन क ठनाईय को
कुछ हद तक दूर कया जा सकता है । आजकल इंटरनेट क उपल धता ने य काय को सु गम
बना दया है इससे क यूटर वारा दूर थ बैठे हु ए काशक या थ व े ता को वभ न
वेबसाईट यथा Amazon.com से थ चयन कर ई-मेल (Email) वारा यादे श भेजा जा
सकता है । इस कार धन तथा समय दोन क बचत हो जाती है ।

88
कु छ व व व यालय , शोध सं थान , ौ यो गक त ठान म नये काशन के
यादे श हे तु पाठक को माँग प भरना होता है, िजसे स म पदा धकार वारा अनुमो दत
करवाना आव यक होता हे । इन सगी काय म कं यूटर के योग वारा ल पक य काय को
कम कया जा सकता है ।
4.2. यादे श को मु त करना (Printing Orders)
कं यूटर के योग से यादे श को मु त कया जा सकता है या सीधे मु को ओर
काशक को ई-मेल (Email) वारा सू चत कया जा सकता है । इससे काफ समय क बचत
हो जाती है और डाक खच भी बच जाता है । यादे श को आव यकतानुसार अ यतन भी कया
जा सकता है ।
4.3. यादे श को बदलना (Changing Orders)
कभी-कभी यादे श म कु छ अपूण जानका रयाँ होती ह । उस ि थ त म यादे श म
प रवतन आव यक होता है । यह प रवतन पु तक क आ या, काशक, लेखक इ या द के
स ब ध म हो सकता है । क यूटर का योग कर हम यादे श म वां छत प रवतन कर सकते
ह िजससे आदे शत लेख ा त हो सके । यह प रवतन बैच मोड या फर आन लाईन मोड
वारा कया जा सकता है ।
4.4. यादे श का नयं ण (Controlling Orders)
कं यूटर का योग करके हम एक वशेष अव ध के दौरान प र हत कए हु ए पु तक
ं ी काय-कलाप का ववरण होता है तथा
का ववरण तैयार कर सकते है । यह अ ध हण संबध
अ ध हण कमचा रय वारा कये गए काय का लेखा-जोखा भी होता है । इस ववर णका को
लेखक, पु तक का नाम, काशक या वतरक के नाम से मु त कया जा सकता है ।
4.5. ाि त काय (Receiving Functions)
ाि त के ोत (Sources of Receiving)
पु तकालय म मु यत: पु तक यादे श वारा सीधे वतरक से ा त क जाती ह ।
पर तु कु छ ि थ तय म पु तक उपहार, व नमय या अ य तर क से भी ा त क जाती है ।
इनके अलावा तकनीक तवेदन भी ा त होते है िज ह शोध सं थान समय-समय पर
पु तकालय को भेजते है । म (SRIM) तवेदन जो एन ट आई एस (NTIS) वारा
का शत कया जाता है, यादे श वारा ा त कया जाता है । कु छ सं थान अपने वा षक
तवेदन पु तकालय को नःशु क वत रत करते ह । कं यूटर के योग से इनका नयं ण
अ छ कार से कया जा सकता है ।
4.5.1 ाि त रपोट को मु त करना (Printing of Received Reports)
कं यूटर के योग से सभी ा त पा य साम ी क रपोट मु त क जा सकती है ।

89
Receiving Report
Order No.: 35442-01
Item Author Title publisher price
FLEMING, IAN DIAMONDS MACMILLIN $3.95
FLEMING, IAN GOLD FINGER MACMILLAN $4.95
KOCH, K.T. ENTITY MIDELING SPRINGER $12.75
ANTHONY, R. GAS DYNAMICS SPRINGER $9.95
DUNERJA,ADAMS COMPUTER SIMULTATION MACMILLAN L85.00
KUMAR, GANESH REMOTE SENSING S. CHAND Rs.50.0
च . 1 ाि त रपोट
पु तक क ाि त के प चात यह आव यक है क यह सु नि चत कया जाये क आदश
क हु ई पु तक क कोई अ य त पु तकालय म उपल ध है या नह ं । य द सूची वारा यह
ात हो क पु तक क त उपल ध है तो उस ि थ त म पु तक क अ ध हण सं या या
त सं या को उपि थत सू ची म दशाना ह पया त होता है । य द पु तक नई है तब उस
ि थ त म उसे सू चीकरण वभाग म भेजना आव यक होता है ।
4.5.2. अनापूत (Unsupplied) आदे श का नयं ण
उस ि थ त म जब आपू तकता सभी आदे शत पु तक क आपू त r नह ं कर पाता तो
कं यूटर क सहायता से अ ा त पु तक का नयं ण कया जा सकता है । ऐसी ि थ त म दो
कार क रपोट तैयार क जाती है:
(1) अनापूत (Unsupplied) यादे श क सू ची- पु तक , लेखक अथवा वतरक के नाम
वारा ।
(2) ऐसे यादे श क सू ची िजनक आपू त नि चत अव ध म नह ं हु ई हो ।
दोन ि थ तय म कं यूटर वारा न न ल खत तर के से रपोट तैयार क जाती है ।

OVERDUE ORDER NOTICE


......../......../2003
11 January 2003
To
(Vendor’s name)...............
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...................
...................
The material listed below is overdue more than 90 days.
Please notify at once, when shipment can expected, or of

90
other deposition. Please return this notice in your reply.

Supply Order Number : 35542-02


Author : BEHN, NDEL
Title : KREMLIN LETTER
Data Ordered : 25 MARCH 2001
च 2 :- (अनापूत ं ी रप ट)
यदे श संबध

4.5.3. ं ी सू चना (Arrival Notification)


ाि त संबध
जैसे ह पु तक ा त होती है मांगक ता (Indentor) को सू चत करना आव यक है ।
ाि त सू चना (Arrival Notification) को भी कं यूटर वारा मु त कया जा सकता है:

To…………………….
…………………………. Date………………………
…………………………
This material which you orderd is now available at the library
circulation desk for your use. Please check it out within four
days.
Author: BEHN, NDEL
Title: Kremlin Letter

4.5.4. व तीय नयं ण संबध


ं ी काय
व तीय नयं ण संबध
ं ी कायकलाप म कं यूटर का अनु योग अनेक कार से
लाभदायक है। इसके अनु योग से लेखा वभाग तथा पु तकालय ब धन दोन के ह व तीय
ब धन म सु वधा होती है। इसके अनु योग के कुछ अ य लाभ न न ल खत है।
1. कं यूटर वाचा लत प से लेखा वभाग को सूचना भेजता है क कस व े ता को
भु गतान करना है या भु गतान हो चु का है। ता क कसी बल का दुबारा भु गतान न हो
जाय।
2. कुछ प रि थ तय म कं यूटर य जमा खात (Depository Accounts) जैसे यू एस
जी पी ओ (USGPO) इ या द म कं यूटर भु गतान तथा संतु लन संबध
ं ी ववरण का
सट क नयं ण रखता है तथा इन सूचनाओं को समय- समय पर मु त करता है ।

91
3. कं यूटर भु गतान संबध
ं ी नवीन तथा सट क ववरण जैसे कस व े ता को कतना
भु गतान हो चु का है, के हु ए भु गतान (Amount Due) संबध
ं ी आँकड़ भी आसानी से
उपल ध कराता है।

5. अ ध हण म इंटरनेट (Internet) का उपयोग


इंटरनेट के अनु योग से पु तक का चयन एवं उनका अ ध हण अ य त सु गम हो
गया है। इसम समय क भी काफ बचत होती है। आज अ धकतर पु तक व े ताओं ने अपनी
का शत पु तक क स पूण सू ची इंटरनेट पर उपल ध करा रखी है। उदाहरण के लये
Amazon.com साईट पर अमेजन बुक टोर म उपल ध लगभग 30 लाख पु तक को उनके
लेखक , वषय , कं ु जी श द (Keyword) अथवा आई एस बी एन (ISBN) से खोजा जा सकता
है। इसके योग से जो पु तक पहले 12 स ताह म वदे श से ा त होते थे वे अब सफ 2-3
स ताह म हा सल कए जा सकते ह।
कु छ मु ख पु तक व े ताओं क वेब साइट के पते न न ल खत ह:-
ए ववेब (Acqweb)
Htpp:/www.Library.vendrbilt.edu/law/acqs/acqs.html.
बज वेव ल ट (Biz Web List)
http:/www.bizweb.com/keylists/publishing.bookseller.htms.
सीडी-रोम(CD-ROM)संसाधन का साईट
http:/www.state.me.us/msl/cdrom.html
ए वटाक(ACQTALK)
http:/www.library.Vanderbilt.edu/law/acquis/bb/index.html
अमेजन (Amazon) बुक टोर
http://www.amazon.com
डीके एजे सीज (DK Agencies)
Http://www/dkagencies.com.booksearch

6. कुछ रा य तथा अ तररा य पु तकालय सॉ टवेयर


कं यूटर का अनु योग पु तकालय म कतनी द ता से कया जा सकता है। यह बहु त
कु छ पु तकालय सॉ टवेयर पर नभर करता है। येक पु तकालय क कं यूटर अनु योग संबध
ं ी
आव यकताएँ भ न- भ न होती ह । इसके अनुसार वह सॉ टवेयर का चयन करता है। कु छ
मह वपूण रा य तथा अंतररा य पु तकालय अनु योग सॉ टवेयर न न ल खत है:
भारत म उपल ध भारतीय सॉ टवेयर:-
ल ा 2000 (LIBRA 2000)
ल स (LIBRIS)
लबसू ईट(LIBSUITE)

92
लब सस (LIBSYS)
ि लम (SLIM) ( स टम फॉर लाई रे इनफारमेशन ए ड मैनेजमे ट) System for
Library Information and Management
सोल (SOUL) (सॉ टवेयर फॉर यू नव सट लाई े रज) Software for University
Libraries भारत म उपल ध अंतररा य सॉ टवेयर
एड लब लाइ र फोर व डोज (Adlib Library for Windows)
ए लस लाइ रे आटोमेशन सॉ टवेयर (ALIS Library Automation Software)
बुक लाई े रयन फार व डोज (Book Librarian for windows)
सीडीएस/आईएस आईएस सा टवेयर (CDS/ISIS Software)
ई ओ एस लाइ रे स ट स (EOS Library Automation System 6.1)
क टोन लाई ेर आटोमेशन स टम 6.1 (KEYLTONELibrary Automation
System6.1)
इनोवे टव इ टरफे सस म ल नयम (Innovative Librarian Millneium)
माइ ो लाइ े रयन स ट स (MICRO लाइबरे रयन Systems)
म न सस (Minisis)
ओ लब 7 (OLIB 7)
एस आई आर एस (SIRS) मै डे रयन (M3)
टॉर लाइ ेर ज (STARLibraries)
टे क लब (Techlib)

7. कं यू टर का सू चीकरण म अनु योग


जब अ ध हण वभाग म यादे श (Ordering) तथा ाि त स ब धी कायकलाप को
कं यूटर कृ त कर दया जाता है । उस ि थ त म सू चीकरण का काय बहु त सरल हो जाता है
य क बहु त से आव यक आँकड़े जैसे लेखक, थ का नाम, काशक, वष, पृ ठ सं या
इ या द पहले से ह मशीन-पठनीय प म (Machine Readable Form) म कं यूटर म
सं हत होते ह ।
इस ि थ त म सू चीकरण का काय बहु त आसान हो जाता है य क उसम कु छ अ य
ं ा मक ववरण यथा वषय शीषक, वग सं या, पु तकालय अ ध हण सं या इ या द को तथा

कु छ ि थ तय म पु तक का एनोटे शन भी सू ची म दया जा सकता है । इन सभी प रि थय
म कं यूटर पु तक क सू चना ज द से ज द पाठक को ओपेक वारा पहु ँ चाता है । पाठक
पु तक क आ या, लेखक, कं ु जीश द इ या द का योग कर त संबध
ं ी पु तक के वषय एवं
नधानी (Shelf) पर उसक उपल धता के वषय म जानकार ा त कर सकता है । इस कार
पार प रक कॉड सू ची वारा संदभ वि ट (Reference Entry: See and also
reference) का कोई उपयोग नह ं रह जाता है ।

93
7.1. ओपेक (OPAC) आनलाईन पालक ए सेस कैटलॉग (On line Public Access
Catalogue)
ए एल ए (ALA) श दावल ने ऑन लाईन पालक ए सेस कैटलॉग को न न ल खत
ढं ग से प रभा षत कया है:-
''यह कं यूटर आधा रत पु तकालय सू ची है िजसका नमाण इस कार कया जाता है
क पाठक कसी पु तक को वयं बना कसी यि त क सहायता से खोज सके तथा वह
(Searched) पु तक के बारे म स पूण सू चना को आनलाईन (Online) कं यूटर पटल पर
दे ख सके''
ओपेक (OPAC) का मु य काय कु छ उ े य क पू त है िजससे पाठक को बेहतर
पु तकालय सेवा मल सके । इन उ े य को चालस एमी कटर ने न न ल खत प से
तपा दत कया है:-
1. कसी यि त को थ के स ब ध म सू चना दान करना, य द उसे
 पु तक के लेखक के बारे म पता हो;
 पु तक का नाम पता हो; तथा
 पु तक का वषय पता हो ।
2. यह दखाना क कसी पु तकालय म;
 कसी लेखक वारा ल खत कतनी पु तक उपल ध है;
 कसी वषय पर कतनी पु तक उपल ध ह; तथा
 कसी सा ह य म कतनी पु तके उपल ध ह ।
कं यूटर कृ त सू ची वारा इन सभी उ े य क पू त होती है ।
7.2. ओपेक (OPAC) तथा काड सूची (Card Catalogue) म अंतर
1. कं यूटर कृ त सूची बहु त ती ग त से तथा प च समि वत खोज (Post Coordinate
Search) उपल ध कराती है िजससे संबं धत लेख क ाि त अ धक होती है । इसम
बू लयन खोज (AND, OR, NOT) का उपयोग कया जा सकता है ।
2. काड सू ची म खोज पूव समि वत (Pre-coordinated) होता है तथा खोज म समय
भी अ धक लगता है ।
3. कं यूटर कृ त सू ची का उपयोग व श ट सेवाओं जैसे वषय ं सू ची Subject

Bibliographics) तैयार करने तथा एस डी आई और साम यक भ ता सेवाएँ
(Current Awareness Services) दान करने म कया जा सकता है ।
4. यह बहु उपयो ता (Multiuser) तं है अथात ् एक ह समय म कई यि त व भ न
कं यूटर ट मनल पर सूची को दे ख सकते है । जब क काड सू ची म यह स भव
नह है ।

94
5. व भ न आपात प रि थय जैसे अि न कांड, बाढ़ इ या द म काड के न ट होने का
खतरा बना रहता है । कं यूटर कृ त सू ची का बैकअप लया जा सकता है, िजससे
उसको सु र त रखा जा सकता है । तथा बाद म पुन : योग कया जा सकता है ।
7.3. वचा लत पु तकालय सू चीकरण के कु छ अंतररा य ा प ।
7.3.1. काँमन क यू नकेशन फॉमट (CCF: Common Communication Format)
यूने को वारा 1984 म टै ग कोड आधा रत एक ा प तैयार कया गया, मु य उ े य
व भ न अंतररा य थ
ं ा मक व नमय ा प हे तु एक सेतु का काय करना है । आई एस ओ
(ISO: 2709) मानक पर आधा रत इस ा प के रकॉड क संरचना म न न ल खत चार
त व होते ह:-।
(अ) रकॉड लेबल (Rocord Label)
(ब) डायरे टर (Directory)
(स) डेटा फ स (Data Field)
(द) रकॉड सेपरे टर (Record Separator)
(अ) रकाड लेबल (Record Label): येक सी सी एफ रकॉड का ार भ 24
अंक य एक नि चत ल बाई के भाग से होता है । ये अंक 0-23 के बीच बदलते है, िजनका
ववरण आगे दया रहा है ।
0-4 रकाड क ल बाई
5 रकॉड क ि थ त (Status of Record) इसके अंतगत कोड होते है:-
a = नया रकॉड
b = थानांत रत रकॉड
c = हटाये गये रकॉड ।
6 र त (इस थान का योग नह ं कया जाता है)
7 थ
ं ा मक तर (ल य रकॉड का)
उदाहरणाथ:
s = धारावा हक (serial)
a = अवयव भाग (component part)
c = बने हु ए सं ह (Made up collection)
8 र त (इस थान का योग नह ं कया जाता है)
9 र त (इस थान का योग नह ं कया जाता है)
10 '2' उप े क ल बाई का सूचक
11 '2' उप े क ल बाई का सूचक
12-16 डेटा का आधार पता (Base Address of Data)
17-19 र त (इस थान का योग नह ं कया जाता है)
20 '4' डाइरे म डेटा े क ल बाई

95
21 '5' ारि भक ल बाई (''5’ the length of starting character content)
22 '2' डाइरे म येक रकॉड इं क ल बाई को समा हत करने हे तु
23 र त (इस थान का योग नह ं कया जाता है) (datafields)
(ब) डायरे (Directory): डायरे एक कार क सारणी होती है, िजसम बदलती
सं या वाले कु ल 14 अंक होते है । े अलग करने वाले एक अंक से सारणी समा त होती है
। इस डायरे म न न ल खत पाँच भाग होते है
टै ग डेटा े क ल बाई ारि भक थान अंक का सगमट सूचक उपि थ त सूचक
3 अंक का 4 अंक क 5 अंक का 1 अंक का 1 अंक का
डेटा फ स (Data fields): एक डेटा फ ड म न न ल खत भाग होते ह:-
(i) सू चक (Indicator)
(ii) एक या एक से अ धक उप े
(iii) डेटाफि ड सेपरे टर (Datafield Separator)
टै ग आधा रत इस डेटा व नमय ा प के कु छ टै ग न न ल खत है:
(i) 022- दनांक (Date entered)
(ii) 100-आई एस बी एन (ISBN)
(iii) 101-आई एस एस एन (ISSN)
(iv) 200-आ या (Title)
(v) 230-उप-शीषक (Sub-Title)
(vi) 300-लेखक (Author)
(vii) 440- काशन वष (Publication Year)
(viii) 490-वां मय ववरण (Parts Statement)
(ix) 500-नोट (Note)
(x) 600-सार (Abstract)
(xi) 610-वग करण प त (Classification)
(xii) 670-मु य श द (Descriptors)
7.3.2. माक (MARC: Machine Readable Catalogue)
कं यूटर कृ त सू चीकरण क दशा म सबसे पहला कदम 1966 म लाइ र ऑफ कां ेस
ै 1966 म लाइ ेर ऑफ कां स
वारा उठाया गया । अ ल े ने माक- 1 नामक अपनी पहल
प रयोजना सू चीकरण क दशा म ार भ क । इस प रयोजना म कु ल 16 पु तकालय को
सि म लत कया गया । इस प रयोजना क सफलता को दे खते हु ए 1968 म थायी प से
माक-2 प रयोजना को ार भ कया गया । वा तव म माक सू ची क संरचना बहु त कु छ
लाइ ेर ऑफ कां ेस के सूची प क से मलती जु लती है । एल सी माक (LC-MARC) क
सफलता को दे खते हु ए बी एन बी (BNB) ने भी समान प से अपने माक ा प तैयार कये।

96
इन दोन माक ा प के यापक भाव एवं उपयोग को दे खते हु ए अ य दे श ने भी
कु छ बदलाव के साथ अपने-अपने माक ा प यथा यू के माक (UK-MARC), यू एस माक
(US-MARC), कैन माक (CAN-MARC) इ या द का नमाण कया । थानीय माक ा प
क सं या म हु ई वृ को दे खते हु ए इफला (IFLA) ने एक सवमा य ा प जार करने क
दशा म कदम उठाया, िजसके प रणाम व प यूनीमाक (UNIMARC) का नमाण हु आ ।
यूनीमाक (UNIMARC: Universal MARC):- अंतररा य तर पर डेटा व नमय
और सम पता को बनाये रखने हे तु इफला व कग कमेट ऑन कानटट डेसी नेटर (IFLA
Working Committee on Content Designator) ने यूनीमाक (UNIMARC) का नमाण
कया । यूनीमाक मु य प से आई.एस.बी.डी.(ISBD: International Standards for
Bibliographial Description) पर आधा रत है ।
माक- 21 :- माक- 21 ेणी म वक सत एक नया ा प है, िजसका वकास
मु य पण एल सी-माक (LC-MARC) से हु आ है ओर वतमान समय म व व. के अनेक
पु तकालय म मा य ा प के प म यु त हो रहा है । हांगकांग के सभी व व व यालय
एवं सावज नक पु तकालय म माक- 21 ा प का योग कया जा रहा है ।
माक- 21 ा प म येक थ
ं ा मक रकॉड को ता कक य प वभ न े (Fields)
म बाँट दया जाता है । इन े म लेखक े , आ या े इ या द के वषय म सू चनाएँ
रहती ह । येक े को न पत करने हे तु तीन अंक (3 digits) के टै ग का योग कया
जाता है ।
माक- 21 म यु त कु छ े टै ग न न ल खत है:-
090 - कॉल न बर (Call Number)
100- लेखक (Author)
245 - आ या (Title)
260- काशक, काशन थान, वष
300- पृ ठ सू चना (Pagination)
500 - नोट (Note)
650- मु य श द (Keyword)
माक ा प म यु त कु छ े को पुन : न पत करने हे तु दो एक अंक य सं या का
योग कया जाता है िजसे संबं धत े टै ग के बाद लगाया जाता है । नीचे माक- 21 ा प
म तैयार रकॉड को दशाया जा रहा है ।

97
टै ग सं या न पण सं या े ववरण

090 234.44 SIN


245 00 भारत म व व व यालय पु तकालय / तवेदन
260 द ल : ं टंग हॉल, 2001
300 Xxi, 233; 29cm
500 अं ेजी सं करण भी का शत
650 0 पु तकालय , व व वधायलय; तवेदन
माक ा प क संरचना यू. एस. माक ा प क संरचना न न कार है:-
Leader Directory Variable Control fields Variable datafields
इस कार यू एस माक म न न ल खत चार े होते ह: -
(अ) ल डर (Leader)
(ब) डायरे (Directory)
(स) वे रएबल कं ोल फ ड (Variable Control fields)
(द) वे रएबल डेटा फ ड (Variable Data fields)
(अ) ल डर (Leader): रकॉड के इस भाग म या हे तु त व होते, ह । इस े म
कु ल 24 अंक होते ह िजनक 0 - 23 के बीच गणना क जाती है ।
0 – 4 ता कक रकॉड ल बाई (Logical Record Length)
5 - रकॉड ि थ त (Record Status)
6 - रकॉड के कार (Type of Record)
7 - थ
ं ा मक तर (Bibliographic level)
8–9 र त (Blank)
10-11 न पक गणक (Indicator count) व उप े कोड गणक (Subfield code
count)
12-17 आधार पता (Base Address)
17-19 पा रभा षत थान (Implementation defined position)
20-22 Entry Map
23- अप रभा षत एवं ''O' का समु चय (Undefined of Set to “O’)
(ब) डायरे (Directory): ार भ 24 व थान से होता है । यह व भ न े के
थान क अनु म णका का काय करती है । डायरे म े क सं या रकॉड म े के
सं या के बराबर होती है । यह कं यूटर ो ाम वारा वयं तैयार हो जाती है
(स) वे रएबल फ ड (Variable fields): डायरे के प चात ् वे रएबल फ ड होते है
िजसम नयं त फ ड एवं डेटा फ ड सि म लत रहते ह । यू एस माक के कु छ नयं त
फ ड (Control Field) न न ल खत है ।
001 कं ोल न बर (Control Nucber)
98
002 डायरे का उप रकॉड मैप (Sub Record Map of Directory)
033 ं (Sub record Relationship)
उपीरकॉड संबध
004 संबं धत रकॉड डायरे (Related Record Directory)
005 दनांक एवं समय (Date and Time of Latest Transaction)
006 फ म लथ डेटा त व (Fixed Length Data Element)
007 भौ तक ववरण (Physical Description, Fixed field)
008 फ क लथ डेटा त व: कोडेड सू चना (Fixed Length Data Element:
Coded Information for Retrival and Manipulation of Data)
009 थानीय उपयोग हे तु (For Local Use)
(द) वे रएबल डेटा फ ड (Variable Data Field): वे रएबल डेटा फ ड एक अथवा
बहु त से डेटा त व का समू ह होता है । येक डेटा फ ड म एक न पक (Indicator),
उप े कोड (Subfield Codes), डेटा त व (Data Element) एवं फ ड ट मनेटर (Field
Terminator) होते ह ।
माक म यु त होने वाले कु छ टै ग कोड न न ल खत ह: -
010 - लाइ ेर ऑफ कां ेस काड सं या
015 - बी एन बी (BNB) सं या
082 - डी डी सी (DDC) सं या
100- लेखक
240 - सम प शीषक
350- मू य
व तु न ठ न
1. माक-2 प रयोजना का ार भ कस वष हु आ:
(क) 1996
(ख) 1966
(ग) 1968
(घ) 1984
2. बी एन बी (BNB) माक प रयोजना मे कस वष सि म लत हु आ:
(क) 1966
(ख) 1968
(ग) 1990
(घ) 1994
3. माक प रयोजना का ार भ कस सं था वारा कया गया:
(क) लाइ ेर ओफ कां ेस
(ख) टश नेशनल बब लयो ाफ

99
(ग) टश लाइ ेर
(घ) अमे रकन लाइ ेर एसो सएशन
4. सी.सी.एफ. कस सं था वारा तैयार कया गया:
(क) यू एन डी पी (UNDP)
(ख) यूने को (UNESCO)
(ग) इफला (IFLA)
(घ) एफ आई डी (FID)
5. टै ग 230 सी सी एफ म कस े को न पत करता है:
(क) आ या
(ख) उपआ या
(ग) लेखक
(घ) काशन वष
6. माक-21 कस माक ा प पर आधा रत है:
(क) यूनीमाक (UNIMARC)
(ख) यू के माक (UK MARC)
(ग) एल सी माक (LC MARC)
(घ) इंटर माक (INTER MARC)
7. सी सी एफ कस वष जार कया गया:
(क) 1966
(ख) 1990
(ग) 1988
(घ) 1984
8. यूनीमाक (UNIMARC) से या ता पय है
(क) यू नवसल माक
(ख) यूनाईटे ड माक
(ग) यू नव सट माक
(घ) यू नयन माक
9. डी डी सी (DDC) सं या को न पत करने हे तु कस टै ग का योग कया जाता है ।
(क) 075
(ख) 082
(ग) 350
(घ) 240

100
8. सारांश
इस इकाई म आपने पढ़ा क कं यूटर का अ ध हण म उपयोग कस कार लाभदायक
है । कं यूटर का योग अ ध हण काय म व भ न कागजी तथा ल पक य काय को काफ हद
तक कम कर दे ता है । यह पु तकालया य को अ ध हण स ब धी ऑकडे तु र त उपल ध
कराता है िजससे पु तकालया य को वै ा नक ढं ग से योजना बनाने, बेहतर शासन, उ चत
नणय लेने म बहु त मदद मलती है िजसके फल व प पाठको को बेहतर सू चना तथा
पु तकालय सेवा मलती है ।
आपने यह भी पढ़ा क कं यूटर का अनु योग सूचीकरण म भी सु गमता से कया जा
सकता है । पाठक अपनी व भ न सू चना आव यकताओं को पूण करने के लये कं यूटर कृ त
सू ची का योग कर सकते ह । इनपुट शीट बनाने के स ब ध म तथा कु छ अंतररा य
मानक (यथा सी सी एफ, माक आ द) से अवगत कराया गया है ।

9. अ यासाथ न
न न ल खत न के उ तर द िजए ।
1. पु तक अ ध हण म कं यूटर का योग कस कार लाभदायक है? वणन क िजए ।
2. पु तक अ ध हण के कन- कन चरण म कं यूटर का योग कया जाता है?
3. पु तक अ ध हण म इंटरनेट का योग कस कार उपयोगी है?
4. सू चीकरण म कं यूटर का अनु योग कस कार कया जा सकता है?
5. ओपेक तथा काड सू ची म अ तर प ट कर ।
6. ट पणी ल खये ।
(क) लाई ेर सॉ टवेयर
(ख) एक कृ त लाई रे मैनेजमे ट सॉ टवेयर (Integrated Management Software)
(ग) सी सी एफ (CCF)
(घ) ओपेक (OPAC)
(ङ) माक (MARC)

10. पा रभा षक श दावल


(1) अ ध हण (Acquisition): पु तकालय म लेख के य का आदे श दे ना, उनक
ाि त सु नि चत करना, ा त पु तक हे तु अ ध हण
सं या अं कत करना आ द काय को समि वत प से
अ ध हण कहते है ।
(2) ओपेक (OPAC): ओपेक, ऑन-लाइन पालक ए सेस कैटलॉग का सं त
प है िजसे उपयो ता नेटवक से जु ड़े रहने पर अपने
यि तगत कं यूटर से भी अ भग मत कर सकता है ।
इस सूची के उपयोग हे तु उपयो ता को भौ तक प से
पु तकालय म आने क आव यकता नह ं होती है ।
101
(3) डेटाबेस (Database): एक समान रकाड का ऐसा सं ह िजसका नमाण एवं
वकास कसी खास ल य क पू त हे तु कया जाता है ।
(4) सू चीकरण (Catalogue): पु तकालय अथवा पु तकालय के समू ह म उपल ध
लेख क सूची को सूची कहते है तथा सू ची तैयार
करने क व थ को सू चीकरण कहते ह ।

11. व तृत अ ययनाथ ंथसू ची


1. Boss, RW, and Marcum DB, Online acquisition systems for
Libraries, Library Technology Reports, 17,2; March / April 1982,
301-9
2. CCF: The Common Communication Format, 2nd. ed., Paris,
UNESCO, 1988
3. CCF: The Common Communication Format, 2nd. ed., Paris,
UNESCO, 1988

102
इकाई-8 : पु तकालय म कं यूटर का योग: धारावा हक
नयं ण एवं प रसंचालन (Use of Computers in
Libraries: Serial Control and Circulation)
उ े य
1. धारावा हक नयं ण, इससे संबं धत व भ न चरण आ द से अवगत कराना,
2. धारावा हक नयं ण म कं यूटर के योग से अवगत कराना,
3. पीरसंचालन यव था के व भ न चरण और उनम कं यूटर के योग संबं धत जानकार
दे ना,
4. व भ न पु तकालय सॉ टवेयर का तु लना मक अ ययन तु त करना,
5. व नगम आगम णाल पर काश डालना,
6. धारावा हक नयं ण व प रसंचालन हे तु व भ न मानकर एवं टै ग के वषय म
जानकार दे ना

संरचना / वषय व तु
1. वषय व तु
2. धारावा हक नयं ण
3. धारावा हक तं
4. कं यूटर वारा धारावा हक नयं ण
5. कं यूटर कृ त धारावा हक नयं ण हे तु ा प
6. पु तकालय सॉ टवेयर के गुण
7. कुछ मु ख पु तकालय सॉ टवेयर
8. धारावा हक नयं ण के माग म आने वाल बाधाय
9. धारावा हक नयं ण के मानक
9.1 धाराव हक नयं ण एवं माक ा प
10. प रसंचालन तं
11. प रसंचालन तं के व भ न चरण
12. प रसंचालन तं म कं यूटर का योग
13. प रसंचालन हे तु सॉ टवेयर के मू यांकन के मानक
14. व- नगम आगम णाल
15. व- नगम आगम णाल म सु धार हे तु कु छ उपाय
16. व- नगम आगम णाल के आपू तकता
17. व- नगम आगम णाल के लाभ

103
18. व- नगम आगम णाल लागू करने के पूव यान दे ने यो य त य
19. व- नगम आगम णाल क हा नयाँ
20. सारांश
21. अ यासथ न
22. पा रभा षक श दावल
23. व तृत अ ययनाथ थ
ं सू ची

1. वषय वेश
इस इकाई म आपको यह बतलाया जायेगा क धारावा हक नयं ण व प रसंचालन
यव था के संचालन हे तु कं यूटर कस कार उपयोगी हो सकता है । इसके साथ-साथ आपको
धारावा हक तं व प रसंचालन तं के व भ न चरण से अवगत कराया जायेगा । इस इकाई म
आपके लए व भ न उपयोगी पु तकालय सॉ टवेयर का तु लना मक अ ययन कया जाएगा जो
आपको अपने पु तकालय हे तु सॉ टवेयर के चयन म काफ सहायक स हो सकेगा । एक नयी
प रसंचालन णाल ( व नगम- आगम णाल ), िजसका चलन मु यत: पि चमी वक सत
दे श म है, क भी आपको जानकार द जायेगी । इस इकाई के अ ययन के प चात ् आप जान
सकगे क आपके स मु ख वचालन को लेकर कौन-कौन सी सम याय आ सकती है और आप
उनका समाधान कस कार करगे ।

2. धारावा हक नयं ण (Serial Control)


मक काशन कसी भी पु तकालय के ाथ मक सू चना ोत का सबसे सश त
मा यम है । वशेषकर उन पु तकालय के लए िजनका मु य उ े य अपने शोधा थय को शोध
हे तु नवीनतम जानकार उपल ध कराना होता है । अत: पु तकालय के पास मक काशन के
य एवं उनके उ चत नयं ण हे तु एक सु वक सत वचालन आव यक हो गया है और इस
दशा म अनेक उपाय कये गये है । पु तकालय के अनेक वभाग यथा अ ध हण वभाग,
तकनीक या वभाग, प रसंचालन वभाग, सू चीकरण इ या द येक े म आज कं यूटर
का योग हो रहा है ।
इस खंड म हम यह अ ययन करगे क धारावा हक के नयं ण म कं यूटर कस कार
उपयोगी स हो सकता है । इस हे तु सव थम यह आव यक है क हम धारावा हक नयं ण
या पर गौर कर ।

3. धारावा हक तं (Serial System)


धारावा हक नयं ण तं आव धक प काओं, शोध प काओं इ या द के अ ध हण क
ऐसी णाल है, िजसम इनके चयन, यादे श एवं ाि त को सु नि चत करने हे तु एक उ चत
व ध का चु नाव कया जाता है । इसके अलावा चयन योजना का नमाण, उनका मू यांकन,
िज दसाजी, उनका लेखा माण तैयार करना एवं अ य संब काय को भी इसम शा मल कया
जाता है । धारावा हक का रख रखाव अ यंत ह सावधानी पूवक वाला काय है य क कु ल

104
पु तकालय बजट का एक काफ बडा भाग इनके अ ध हण म यय हो जाता है । धारावा हक
तं के व भ न चरण को इस खंड म आगे बतलाया गया है: -
(i) धारावा हक का चयन: - आज के 'सू चना व फोट' के इस युग म धारावा हक , िजनम
मु य पेण शोध प काएँ (Journals) शा मल ह, क सं या दन- त दन बढ़ती जा रह है ।
सी मत बजट के कारण कसी भी पु तकालय (चाहे वो वषय वशेष पु तकालय य न हो) के
लए उपल ध सभी काशन का य सभव नह ं है । इस लए हम यूर के पु तक चयन
स ांत को यान म रखना अ त आव यक है । इस स ांत के अनुसार। ''कम से कम मू य
पर अ धक से अ धक लोग को सबसे उपयु त पु तक क उपल धता सु नि चत करना कसी
भी पु तकालय का सव मुख ल य होना चा हए । ''इसी स ांत को यान म रखकर हम
पु तकालय हे तु धारावा हक का चयन करना चा हए । धाराव हक के चयन हे तु कु छ न न
व धयाँ अपनायी जा सकती है: -
(i) संदभ प काओं के संदभ व लेषण वारा;
(ii) थ
ं ा मक व लेषण वारा;
(iii) माँगक ता के माँग का व लेषण कर ।
(ii) अनुमोदन हे तु तु त करना: - चय नत धारावा हक को अनुमोदन हे तु ा धकार के
स मु ख तु त कया जाता है । ा धकार पु तकालया य , संकाय सद य हो सकते ह या
पु तक चयन हो सकती ह । ा धकार के नणय क सू चना माँगक ता को दे जाती है क
उनके वारा माँग क गई प काओं का अनुमोदन हु आ अथवा नह ं हु आ है ।
(iii) आपू तकता का चु नाव:- लेख के अनुमोदन के प चात ् उनके य हे तु आपू तकता का
चु नाव कया जाता है । धारावा हक का य न न ल खत म से कसी भी या के तहत
कया जा सकता है: -
(क) आपू तकता के चु नाव वारा
(ख) सीधे काशक को यादे श दे कर;
(ग) कसी भी व श ट सं था क सद यता हण कर उस सं था वारा का शत
धारावा हक को ा त कया जा सकता है ।
व तु त: अ धकांश पु तकालय धारावा हक के य हे तु एक ह आपू तकता का चु नाव
करते है, पर तु कु छ ि थ तय म यह सं या एक से अ धक भी हो जाती है ।
(iv) यादे श- धारावा हक के य का अनुमोदन होने तथा आपू तकता के चु नाव के प चात ्
अनुमो दत लेख के य हे तु आदे श दे ना आव यक है । साधारणत: पु तकालय वष म एक या
दो बार इनके य हे तु आदे श दे ता है ये समय सामा यत: वष के ार भ म जब क उनके थम
अंक का शत होने को होते ह या व तीय वष के ार भ म होते ह ।
(v) ाि त:- पु तकालय वारा यादे श दे ने के प चात ् आदे शत लेख क ाि त
सु नि चत क जाती है । पु तकालय वारा इनक ाि त के प चात ् इनके वष, अंक, पृ ठ
इ या द क भल -भां त जाँच क जाती है । इसके प चात ् इसम संबं धत पु तकालय क मु हर

105
एवं ाि त तार ख अं कत क जाती है तथा उपयो ताओं के योग हे तु दशन रै क (Display
Racks) पर भेज दया जाता है ।
अनापूत अंक हे तु मरण प तैयार कया जाते ह तथा उ ह शी ा तशी आपू तकता के
पास भेज दया जाता है ।
(vi) भु गतान:- पु तकालय वारा अंक ा त होजाने के प चात ् आपू तकता उनके भु गतान
हे तु मू य का लेखा भेजता है, िजसे पहले ा त मू य-सूची से मलान कर आगे क कायवाह
हे तु भेजा जाता है ।
इस सभी चरण से होते हु ए पु तकालय म धारावा हक का नयं ण कया जाता है ।
व तु न ठ न:-
1. न न ल खत म कौन सा लेख धारावा हक म शा मल नह ं है:
(क) शोध प काएँ
(ख) आव धक काशन
(ग) प काएँ
(घ) पु तक
2. न न ल खत म से कौन सा सूचना ोत नवीनतम जानकार उपल ध कराता है
(क) इंसाइ लोपी डया
(ख) जनल
(ग) पु तक
(घ) डायरे
3. न न ल खत म कौन सी व ध धारावा हक के चयन हे तु उपयु त नह ं है:
(क) वां मय व लेषण वारा
(ख) माँगकता क माँग का व लेषण कर
(ग) संदभ प काओं के संदभ व लेषण कर
(घ) मू य आधा रत व ध वारा
4. पु तक चयन के स ांत का तपादन कसने कया:
(क) डेवी
(ख) रं गनाथन
(ग) यूर
(घ) जे.डी. ाउन

4. कं यूटर वारा धारावा हक नयं ण


धारावा हक तं क सम त या को सु चा एवं सु यवि थत बनाने हे तु कं यूटर का
योग अ त आव यक होता जा रहा है । कं यूटर कृ त धारावा हक नयं ण हे तु सव थम एक
एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर का चयन अ त आव यक है िजससे क धारावा हक के यादे श
के समय अं कत कये गये आँकडे का योग पु तकालय क अ य याओं यथा उनक ाि त,

106
सूची नमाण, प रसंचालन इ या द म कया जा सके । वैसे धारावा हक नयं ण तं के
कं यूटर कृ त करने के पूव हम सॉ टवेयर म न न ल खत े के होने क जाँच कर लेनी
चा हए । कसी भी पु तकालय सॉ टवेयर म धारावा हक नयं ण हे तु न न ल खत े का
होना आव यक है:-
 अंतराल (Frequency
 मु ा व नमय दर
 मरण प जार करने क अव ध
 यादे श र करने क अव ध
 व े ता कोड (Vendor’s Code)
 ाि त अव ध
इन सभी े के होने पर धारावा हक के अ ध हण के व भ न चरण को
न न ल खत कार से कं यूटर कृ त कया जा सकता है:-
(क) धारावा हक का चयन एवं अनुमोदन:- धाराव हक के चयन के प चात ् उनके हे तु एक
तवेदन (Report) तैयार कया जाता है, िजसे ा धक ता के स मु ख रखा जाता है । इस
कार के तवेदन को तैयार करने म कं यूटर एक अ यंत ह उपयोगी यं सा बत हो रहा है ।
अनुमोदन हे तु सूची तैयार करने के लए कं यूटर म न न ल खत थ
ं ा मक ववरण भरे जाते
है:-
 जनल क आ या
 काशक
 काशन अव ध
 ख ड, अंक एवं वष
 ाि त के कार
 दे श कोड (Country code)
 मू य
 व े ता का नाम
 आई एस एस एन (ISSN)
इन ववरण के साथ तैयार सू ची क ा धक ता के स मु ख रखा जाता है । ा धक ता
वारा अनुमो दत काशन के यादे श हे तु आगे क या क जाती है ।
(ख) यादे श तैयार करना:- कं यूटर म अनुमोदन हे तु भेजे गये काशन क सू ची मौजू द
रहती है । िजस धारावा हक (जनल, प का, इ या द) के य को अनुमो दत कया जाता है,
उनके ववरण म अनुमो दत (Approved) अं कत कर दया जाता है तथा शेष म अं कत नह ं
कया जाता है । इस कार से केवल अनुमो दत पु तक क एक सू ची कं यूटर वयं तैयार कर
दे ता है । इसके साथ-साथ कं यूटर यादे श सं या भी वयं दे दे ता है । अनुमो दत प काओं
के कु ल मू य को भी कं यूटर गणना कर दे ता है । परं परागत तर के से मु ा व नमय दर क
गणना करने क या भी कं यूटर क मदद से अ यंत आसान हो गई है ।

107
कं यूटर वारा तैयार कये गये एक यादे श का नमू ना नीचे दया जा रहा है:-
यादे श सं या : सर वती नलयम ् पु तकालय / 3012 / 2001-2002
शीषक : आ व कार
व े ता : स ल यूज एजसी
यादे श क तथ : 19-10-2001
कु ल मू य : 96 पये
(ग) ाि त एवं नयं ण:- प काओं के संबं धत अंक क ाि त के प चात ् कं यूटर म उनसे
संबं धत अ य सूचनाओं धारावा हक नयं ण एवं को भरा जाता है । कु छ थ
ं ा मक सू चनाएँ
अनुमोदन के समय ह भर द जार ह, अत: शेष सू चनाओं क अं कत करने क आव यकता
रहती है । य द ा त अंक म कसी कार क ु ट रहती है तो उसके आगे संबं धत च ह
अं कत कर दया जाता है और उस अंक को वापस व े ता के पास भेज दया जाता है, जो
उसके थान पर दूसर ाि त के भेजने क यव था करता है । संबं धत ववर णका पूण करने
के प चात ् धारावा हक को उपयो ता के योग हे तु दशन रै क पर भेज दया जाता है ।
(घ) भु गतान:- अंक क ाि त के प चात ् पु तकालय उनके भु गतान हे तु तवेदन तैयार
करता है, िजसम कं यूटर अ य धक सहायता करता है । भु गतान हे तु लेखा (Bill) तैयार करना
एक अ यंत ह मसा य एवं सावधानीपूवक कया जाने वाला काय है िजसम मानवीय भू ल होने
क काफ संभावना बनी रहती है । अत: इस काय को कं यूटर क सहायता से आसानी पूवक
संचा लत कया जा सकता है ।
(ङ) अनु म णका तैयार करना:- शोध प काओं म का शत आलेख क अनु म णकाओं
का एक मह वपूण थान है । एक उपयु त पु तकालय सॉ टवेयर का योग कर थ
ं ा मक
ववरण (यथा आलेख क आ या, लेखक, अंक, वष, पृ ठ सं या, मु यश द, सार, इ या द)
अं कत कया जा सकता है, जो उपयो ता के समय क अ य धक बचत करता है ।
व तु न ठ न:-
1. कं यूटर कृ त धारावा हक नयं ण हे तु न न ल खत म से या अ नवाय नह ं है:
(क) कं यूटर तं
(ख) एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर
(ग) काड स
(घ) कं यूटर म श त कमचार
2. आई एस एस एन (ISSN) कस े से संबं धत है:
(क) धारावा हक क मानक सं या से
(ख) पु तक क मानक सं या से
(ग) सॉ टवेयर क मानक सं या से
(घ) धारावा हक क मानक सं या से ।
3. सू म लेख (Micro documents) हे तु न न ल खत म या तैयार कया जाता है:
(क) ं सूची (Bibliography)

108
(ख) लेखन सू ची (Documentation List)
(ग) अनु म णका (Index)
(घ) सू ची (Catalogue)
4. ं धारावा हक से नह ं है:
न न ल खत म कसका संबध
(क) आई एस एस एन (ISSN)
(ख) काड स (Kardex)
(ग) लेखन सू ची (Documentation List)
(घ) वतीयक सू चना ोत (Secondary Information Source)

5. कं यू टर कृ त धारावा हक नयं ण हे तु ा प तैयार करना


कसी भी कं यूटर कृ त धारावा हक नयं ण हे तु तैयार कये गये ा प म न न ल खत
वशेषताओं का होना आव यक है ।
(क) कसी भी रकॉड संरचना म वभ न े के साथ-साथ बाइं डंग, अ ा य अंक हे तु
मर णका इ या द से संबं धत सू चनाएँ भी होनी चा हए ।
(ख) संबं धत तं म ऑन लाइन खोज (On-line Searching) का ावधान होना चा हए,
िजससे उपयो ता आलेख क आ या, लेखक, जनल क आ या, मु ख श द आ द
कसी भी कार से अपने लए उपयु त लेख को खोज कर सके ।
(ग) तं म वयं वणानु मका बनाने का ावधान होना चा हए ।
(घ) य द संबं धत लेख नग मत हो या बाइं डग म हो या पु तकालय से उसे हटा दया
गया हो तो इसक सू चना भी तं से उपल ध हो जानी चा हए ।
सह एवं गलत बतलाइये
1. कं यूटर कृ त णाल के उपयोग से िज दसाजी हे तु भेजे गए धारावा हक के वषय म
जानकार ा त हो सकती है ।
2. वणानु म णका (Index) बनाने का ावधान कं यूटर कृ त धारावा हक नयं ण । णाल
से संभव नह ं है ।
3. ऑन-लाइन खोज म बू लयन लािजक का योग कया जाता है ।
4. बू लयन लािजक म चार कार के ऑपरे टर का योग कया जाता है ।

6. पु तकालय सॉ टवेयर के गु ण (Features of Library Software)


धारावा हक नयं ण हे तु बनाये गये सॉ टवेयर म न न ल खत गुण होने चा हए: -
(i) धारावा हक नयं ण हे तु बनाये गये कसी भी सॉ टवेयर क सबसे मु य वशेषता यह
होनी चा हए क संबं धत आँकड़ का उपयोग पु तकालय क अ य याओं यथा सू चीकरण,
आगम- नगम, पीरसंचालन इ या द म भी कया जा सके । इस कार से एक एक कृ त
सॉ टवेयर (Integrated Software) का नमाण कया जा सकता है िजससे पु तकालय
क मय के मह वपूण समय क बचत क जा सकती है ।

109
(ii) सॉ टवेयर म यादे श तैयार करने के साथ-साथ उनके लए मर णका तैयार करना,
यादे श र करना आ द तैयार करने क भी सु वधा होनी चा हए ।
(iii) सॉ टवेयर केवल सू चना सं ह क ह या पूर करने वाला न होना चा हए, बि क
इसके साथ सं ा हत सू चनाओं के उ चत पुनः ाि त एवं सं ेषण का भी इसम ावधान होना
चा हए । इस या के उ चत समायोजन हे तु सॉ टवेयर म व भ न कार क अनु म णकाएँ
तैयार करने क यव था होनी चा हए ।
(iv) सॉ टवेयर म अ यतन (Updating) एवं नवीकरण (Renewable) का ावधान होना
चा हए ।
(v) धारावा हक ाि त एवं उनके नयं ण एवं भु गतान से संबं धत ावधान होना चा हए ।
(vi) सॉ टवेयर म बाइं डंग सू ची तैयार करने का ावधान होना चा हए तथा धारावा हक
काशन , बाइं डंग के प चात ् वापस आ जाने पर नयी सूची तैयार कर सकने म स म होना
चा हए ।
(vii) सॉ टवेयर पु तकालय बजट को नयं त करने के आव यक काय को कर क
कर सकने यो य होना चा हए ।
(viii) उपयो ता वारा यु त मु खश द, आ या, लेखक, नाम, दे श सं हता आ द
कसी भी े से उपयु त लेख के वषय म सू चना उपल ध कराने म सॉ टवेयर को स म
होना चा हए ।
(ix) सॉ टवेयर सा ह य खोज, प रसंचालन, सांि यक य व लेषण, चय नत सूचना सं ेषण,
साम यक भ ता सेवा आ द सेवा उपल ध कराने वाला होना चा हए ।
(x) सॉ टवेयर म समय-समय पर तैयार कये जाने वाले तवेदन (यथा धारावा हक क
सू ची, अ ा य काशन क सू ची, साम यक आ याओं क सू ची, वषयानुसार शीषक, मरण प ,
काशक क सूची आ द) के तैयार कये जाने
(xi) का ावधान होना चा हए ।

7. कुछ मु ख पु तकालय सॉ टवेयर


वतमान समय म बहु त से पु तकालय सॉ टवेयर बाजार म उपल ध ह िजनम से कु छ
एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर है तो कु छ केवल सू चना सं ह एवं पुन : ाि त हे तु ह उपयु त
ह । कु छ सॉ टवेयर कसी खास पु तकालय या को यान म रखकर तैयार कये गये ह ।
व भ न पु तकालय या एवं उनसे संबं धत सॉ टवेयर क एक सारणी नीचे द जा रह है:-

110
LIBSYS SLIM++ LIBRARIAN LIBRIS ALICE SANJAY
SUITE
अ घ हण सू चना      
(Acquisition)
सू चीकरण      
(Cataloguing)
प रसंचालन      
(Circulation)
धारावा हक नयं ण      
(Seriol Control)
ओपेक (OPAC)      
तवेदन      
(Reports)
पु तकालय सांि यक      
(Library Statistics)
बजट नयं ण      
(Buget Control)
नेटवक वसन      
(Network Version)
इले ा नक लेख का      
सू चीकरण
(Cataloguing of e-
document)
संघ सूची      
(Union Catalogue)
व तु न ठ न:-
1. एक एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर के वषय म न न ल खत म या सह है:
(क) यह पु तकालय के कु छ खास कायकलाप को ह पूरा कर सकता है ।
(ख) यह केवल धारावा हक नयं ण हे तु लाभकार है ।
(ग) यह पु तकालय के अ धकांश कायकलाप को पूरा कर सकता है ।
(घ) यह केवल प रसंचालन यव था हे तु उपयु त है ।
2. न न ल खत म कौन सा सॉ टवेयर पु तकालय सांि यक के काय को नह ं कर सकता
है
(क) लि सस (LIBSYS)
(ख) संजय (SANJAY)

111
(ग) ल स (LIBRIS)
(घ) ि लम (SLIM++)
3. न न ल खत म कौन से सॉ टवेयर का जोड़ा इले ा नक लेख के सूची नमाण हे तु
उपयु त नह ं है ।
(क) लि सस, ल स (LIBSYS, LIBRIS)
(ख) ए लस, संजय (ALICE, SANJAY)
(ग) संजय, लि सस (SANJAY, LABSYS)
(घ) ए लस, लाइ े रयन सू ईट (ALICE, LIBRARIAN SUITE)

8. धारावा हक नयं ण के माग म आने वाल बाधाएँ


(i) कमचा रय के रोजगार पर वपर त भाव पड़ने का भय:- एक एक कृ त पु तकालय
सॉ टवेयर के वारा अनुमोदन एवं प र हण के समय अं कत डेटा का उपयोग अ य तकनीक
याओं म कया जा सकता है, िजससे आम लोग के मन म यह भय आना वाभा वक है
क कं यूटर करण से रोजगार क सम या उ प न हो सकती है ।
(ii) खच ल ौ यो गक का भय:- सामा यत: पु तकालय को एक सी मत वजह, दान
कया जाता है । उस बजट म मँहगी ौ यो गक के योग से पु तकालय क अ य सेवाओं पर
असर पडने क संभावना बनी रहती है । पर तु ऐसी बात नह है । कु छ पु तकालय सॉ टवेयर
यथा सीडीएस / आईएस आईएस (CDS/ISIS), टु डेन (Trooden), सोल (SOUL) आ द को
काफ कम खच पर भी पु तकालय वारा खर दा जा सकता है ।
(iii) मु ा व नमय दर म उतार-चढ़ाव:- चूँ क व भ न मु ाओं के वन मय दर म उतार-
चढाव दे खा जाता है अत: पु तकालय वारा समय-समय पर अपने कं यूटर तं म इनक दर
को प रव तत जाना आव यक होता है जो एक मसा य काय है ।
(iv) नाम प रवतन:- जनल के नाम म बार-बार प रवतन होते रहते है, उस जनल से
संबं धत आँकड म बार-बार प रवतन करना पड़ता है । सबसे मु य क ठनाई उस समय आती
है, जब एक जनल टू टकर दो भाग म बँट जाता है ।
सह / गलत बतलाइये
1. मु ा व नमय दर म प रवतन धारावा हक नयं ण के माग म एक अवरोध स
होता है ।
2. धारावा हक के नाम म प रवतन इसके नयं ण पर वपर त भाव डालता है ।
कं यूटर करण का भाव कमचा रय के रोजगार पर पड सकता है ।

9. धारावा हक नयं ण के मानक


धारावा हक से संबं धत आँकड़ के व नमय हे तु यह आव यक है क सभी पु तकालय
एक मानक ा प का योग करे । इस त य के म ेनजर 1982 म संयु त रा य अमे रका के
धारावा हक उ योग के त न ध, काशक, व े ताओं, आपू तकताओं आ द ने मलकर सी रयल
इंड ज स टम एडवाइजर क मट (SISAC: Serial Industry System Advisory
112
Committee) का गठन कया । इस स म त का मु य उ े य धारावा हक नयं ण हे तु एक
मानक तैयार करना था िजससे धारावा हक के येक अंक एवं आलेख को एक अलग कोड
(Unique Identification Code) दया जा सक
9.1 धारावा हक नयं ण एवं माक ा प
माक (MARC: Machine Readable Catalogue) एक अंतरा य मानक है जो
एस ब डी (ISBD) एवं आई एस ओ 2709 (ISO-2709) मानक पर आधा रत है । जनल से
संबं धत माक ा प के व भ न डेटा े न न ल खत है:-
टै ग नाम ववरण
0-4 रकॉड क ल बाई 0-नया रकॉड
5- ि थ त कोड 1 -दोषयु त (अपया त) अंक क दूसर त हे तु माँग
(Status Code) 2- यादे श र करना ।
3- रकाड को हटाना
6 लेख का कार S-धारावा हक
O-अ य
7 धारावा हक क अव ध W-सा ता हक
F-पा क
8 जनल के कार P- ाथ मक
S- तीयक
9 यादे श O-नये जनल हे तु
1-नवीकरण (Renewal)
2 -पूव अंक हे तु (For a basic volume)
10 रकॉडर लेबल O- यूनतम सू चना
1 -सं त सूचना
2 -पूण सूचना
11 े सूचक क ल बाई
(Length of field
indicator)
12 उप े सूचक क ल बाई
(Length of Subfiled
indicator)
13 मरण प भेजने से O-भेजा गया
संबं धत 1 -नह ं भेजा गया
14-18 डेटा का आधार पता
19-23 थानीय उपयोग हे तु

113
व तु न ठ न:-
1. एस आई एस ए सी (SISAC) का गठन कस वष हु आ था:
(क) 1983
(ख) 1976
(ग) 1982
(घ) 1975
2. एस आई एस ए सी (SISAC) का अ भ ाय है:
(क) स रयल इं ज स टम एडवाजर क मट
(ख) स रयल इंफोमशन स टम एडवाजर काउं सल
(ग) सॉ टवेयर इं ज स टम एडवाइजर काउं सल
(घ) सलेि टव इनफोमशन स टम फॉर एडवाइजर काउं सल
3. माक (MARC) न न ल खत म कस मानक पर आधा रत है:
(क) आई एस ओ 2709 (ISO 2709)
(ख) आई एस बी डी (ISBD)
(ग) (क) और (ख) दोन
(घ) इनमे से कोई नह ं
4. माक टै ग म ''P' कसक सू चना है ।
(क) ाथ मक जनल (Primary Journal)
(ख) ाथ मक पु तक (Primary Book)
(ग) मु य जनल (Printed Journal)
(घ) मु त जनल (Printed Journal)

10. प रसंचालन तं (Circulation System)


प रसंचालन तं पु तकालय णाल क वह व ध है , िजसम सद य का पंजीकरण,
लेख का नगम एवं आगम, उनका आर ण, वल ब शु क क गणना, वल ब त थ के
प चात ् मरण प भेजना शा मल है । इस तं यव था के अंतगत पु तकालय के येक
पाठक को एक कोड (Code) दान कया जाता है, िजसे सद य कोड (Member Code)
कहते ह इस सद य कोड म संबं धत सद य के वषय म सभी मह वपूण सू चना यथा नाम,
पद, प ाचार का पता, सद यता अव ध, इ या द अं कत रहते है । पु तकालय के येक सद य
को एक समय मे कतनी नग मत क जा सकती है, इसका नधारण भी इ ह ं उपवग पर
आधा रत होता है । इसके साथ लेख के कार के आधार पर यह नि चत कया जाता है क
संबं धत लेख कतनी अव ध हे तु नग मत कया जाएगा । सामा यत: संदभ ं , धारावा हक

काशन आ द का नगम केवल रा -पयत ह कया जाता है ।

114
प रसंचालन तं म कं यूटर का योग कस कार कया जा सकता है? इस पर वचार
करने के पूव हम प रसंचालन तं के व भ न चरण को जान लेना चा हए । अगले भाग म
प रसंचालन तं के चरण का मवार ववरण दया जा रहा है ।
सह और गलत बतलाइये:
1. संदभ थ
ं को अ य लेख क भां त ह नग मत कया जाता है ।
2. सद य के पंजीकरण का संबध
ं प रसंचालन तं से है ।
3. कुछ लेख का नगमन रा पयत (Over night) ह कया जाता है ।

11 प रसंचालन तं के व भ न चरण
प रसंचालन तं के अंतगत शा मल व भ न चरण न न ल खत है:- ।
(i) सद य का पंजीकरण:- पु तकालय सेवा के उपयोग हे तु यह आव यक है, क जो भी
उपयो ता पु तकालय का उपयोग करना चाहता है, वह उस पु तकालय का सद य हो।
अत: सव थम उपयो ता को संबं धत ा धकार से अपना पंजीकरण करवाना चा हए ।
पंजीकरण के प चात ् ह उपयो ता पु तक़ालय वारा द त सेवाओं ( वशेषकर लेख
का नगम) के उपयोग का वा त वक हकदार होता है ।
पंजीकृ त सद य को उनके पद एवं आव यकता के अनुसार एक समय म कतनी
पु तक नग मत क जा सकती है, इसका ववरण उनके सद य कोड से लगाया जाता
है । अत: येक सद य को एक वशेष पहचान कोड (Unique Idintification
Code) दान कया जाता है ।
(ii) लेख का नगम तथा आगम (Issuing and Returning of Documents)
सद य के पंजीकरण के प चात सद य पु तकालय से लेख को नग मत कराने हे तु
ा धकृ त हो जाते ह । उपयो ता नधानी से पु तक का चयन कर प रसंचालन
कमचार को उसे नगम कराने हे तु दे ता है । िजन पु तकालय म प रसंचालन यव था
का कं यूटर करण नह ं हो सका है, वहाँ मु य प से आगम- नगम हे तु दो व धयाँ
कायरत है:-
(क) ाउन तं (Browne System)
(ख) नेवाक तं (Network System)
नग मत पु तक उपयो ता वारा एक नि चत अव ध के प चात ् वापस करनी होती ह,
तथा वल ब होने से उपयो ता वल ब शु क जमा करने हे तु बा य होता है ।
(iii) लेख के आगम- नगम का दै नक तवेदन तैयार करना (Generation of daily
report of issued / returned books):- त दन नग मत और वापस होने वाल
पु तक क एक सू ची तैयार क जाती है । सामा यतया यह काय नगम बंद करने के
उपरांत कया जाता है । यह रकॉड भ व य म काफ सहायक होता है ।

115
(iv) सद यता र करना (Cancelation of membership):- प रसंचालन कमचार
पु कालया य अथवा अ य ा धक ता के आदे श पर सद यता र कर सकता है ।
सामा यतया सद यता र करने के न न ल खत कारण हो सकते है:
(क) वलि बत पु तक को, मरण प भेजने के बाद भी वापस न करने क ि थ त
म;
(ख) पु तकालय साम ी के दु पयोग क ि थ त म;
(ग) पु तक को त पहु ँ चाने क ि थ त मे;
(घ) संबं धत सद य के थानांत रत हो जाने क ि थ त म;
व तु न ठ न: -
1. ं प रसंचालन से नह ं है:
न न ल खत म कसका संबध
(क) सद य का पंजीकरण
(ख) लेख का नगम- आगम
(ग) लेख का अ ध हण
(घ) वल ब शु क क गणना
2. नेवाक णाल का संबध
ं कस पु तकालय काय से है ।
(क) सू चीकरण
(ख) वग करण
(ग) अ ध हण
(घ) इनम से कसी से नह ं

12. प रसंचालन के तं म कं यू टर का योग


इसके पूव के खंड म आपने पढ़ा क प रसंचालन तं के कौन-कौन से चरण होते है ।
इस खंड म आप जान सकगे क प रसंचालन के व भ न चरण को स प न करने हे तु कं यूटर
कस कार उपयोगी हो सकता है । अत: इस खंड म हम एक बार पुन : उन सभी चरण पर
गौर करगे और उनम कं यूटर के योगदान पर चचा करगे ।
(क) सद य का पंजीकरण: - सव थम पु तकालय म सद य को पंजीकृ त कया जाता है ।
येक सद य को एक वशेष पहचान कोड दया जाता है । इस कार कं यूटर म सॉ टवेयर
क मदद से येक पु तकालय सद य हे तु एक फाइल तैयार क जाती है । इस फाईल म
संबं धत सद य से संबं धत अ धकांश जानका रयाँ होती है । जब सद य कसी लेख को
नग मत कराने जाता है । तो कं यूटर म उसके कोड (Membership Code) को अं कत कर
उससे संबं धत सभी सूचनाएँ उपल ध हो जाती ह । इससे यह भी पता लग जाता है क उस
सद य के पास कोई ऐसी पु तक तो नह ं है, िजसे वापस करने क त थ बीत चु क है । इसके
साथ-साथ सॉ टवेयर यह भी सूचना दे ता है क उपयो ता के पास एक नि चत सं या से
अ धक पु तक तो नह ं नग मत हो रह है ।
(ख) लेख का ववरण:- एक एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर का योग करने से प र हण
व तकनीक या के समय अं कत डेटा का उपयोग प रसंचालन हे तु कया जा सकता है ।
116
संबं धत लेख क प र हण सं या अं कत मा करने से उसक आ या, लेखक, वग करण
सं या आ द सभी मु त हो जाते ह ।
(ग) तवेदन तैयार करना:- प रसंचालन तं के कं यूटर कृ त हो जाने से लेख के नगम
आगम संबं धत तवेदन त दन अथवा सा ता हक अथवा सा ता हक अथवा मा सक अंतराल
पर तैयार कये जा सकते है, जो अ यंत ह उपयोगी तवेदन होते ह ।
(घ) पंजीकरण र करवाना: - य द कोई सद य अपनी पु तकालय सद यता समा त करना
चाहता है, अथवा कसी अ य कारण से उसक पु तकालय सद यता समा त करने क नौबत
आती है तो इस काय को कं यूटर कु छ ह समय म कर दे ता है ।
सं ेप म, एक वचा लत प रसंचालन तं न न ल खत काय को पूरा करता है: -
(i) यह बतलाता है क कसी भी लेख क ि थ त या है, अथात ् कह ं लेख बाइं डंग म
तो नह ं है, या लेख को कसी ने आर त तो नह ं करवाया है या कह ं लेख
पुन सू चीकता (Recatalogue) हे तु तो नह ं न भेजा गया है ।
(ii) उपयो ता को लेख संबं धत आव यक जानकार उपल ध कराता है ।
(iii) य द कसी पु तक को कसी ने आर त करवाया हो तो, पु तक के वापस आने क
ि थ त म पु तकालय कमचार को इसक सू चना दान करता है ।
(iv) व भ न कार क सांि यक य गणनाएँ करता है तथा उनका मु ण करता है ।
(v) पुन नग मत (Reissue) करने क या को सु गम बनाता है ।
(vi) सांि यक य गणनाओं का व लेषण करता है ।
(vii) वल ब से लौटाये जाने वाले लेख के संबध
ं म पु तकालय कमचार को सतक करता
है ।
(viii) वल ब शु क क गणना, वल ब सू चनाओं का मु ण, ाि त वीकृ त इ या द का
काय करता है ।
(ix) व श ट उपयो ताओं एवं व श ट कार के लेख का यान रखता है ।
(x) मरण प एवं तवेदन जार करता है ।
सह और गलत बतलाइये:
1. सद यता पंजीकरण के बगैर भी पु तक को नग मत कया जा सकता है ।
2. अ ध हण के समय अं कत क गई सू चनाओं का उपयोग प रसंचालन म कया जा
सकता है ।
3. पु तकालय के सभी कायकलाप के सुचा प से संचालन हे तु एक एक कृ त पु तकालय
सॉ टवेयर का होना आव यक है ।
4. वल ब श क क गणना कं यूटर वयं ह कर लेता है ।

13. प रसंचालन हे तु सॉ टवेयर के मू यांकन के मानक


पु तकालय सॉ टवेयर कसी भी पु तकालय के वचालन हे तु अ त आव यक है ।
कसी भी पु तकालय को सॉ टवेयर के य से पूव यह यान रखना चा हए क य द संभव हो

117
तो एक एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर (Integrated Library Software) का चयन कया
जाय िजससे एक ह सॉ टवेयर का योग पु तकालय क व भ न ग त वधय को संचा लत
करने के लए कया जा सके । अथात ् उस पु तकालय सॉ टवेयर म पु तकालय क वभ न
ग त व धय यथा प र हण, तकनीक या ( सूचीकरण व वग करण), धारावा हक नयं ण,
प रसंचालन, ओपेक इ या द को अ छे ढं ग से संचा लत कया जा सके ।
इस खंड म प रसंचालन यव था हे तु सॉ टवेयर के मू यांकन हे तु कु छ मानक दये जा
रहे है । जो काफ उपयोगी स हो सकता है: -
1. या सॉ टवेयर म नगम, आगम, पुन नगम , आर ण, वल ब शु क गणना आ द का
ावधान ह?
2. या सॉ टवेयर के प रसंचालन भाग म शु क जमा करने एवं लेखा बंधन क सु वधा
है?
3. या सॉ टवेयर तं शु क क ाि त-रसीद (Receipt) बनाने म स म है?
4. या एक से अ धक सद य एक ह लेख का आर ण करा सकते है?
5. या ओपेक खोज लेख के प रसंचालन ि थ त को दशाता है?
6. या सॉ टवेयर वैसे लेख को नग मत कर सकता है, िजनक सूची नह ं बनायी गई
है?
7. या सॉ टवेयर म ऐसा कोई ावधान है, िजससे खोये हु ये, गलत थानो पर रखे,
पु तकालय से हटाये गये, न ट हु ये लेख क जानकार ा त क जा सके?
8. या सॉ टवेयर म रात भर (Overnight) के लए नगम क यव था?
9. या सॉ टवेयर म वभ न कार के लख (यथा संदभ ं , सामा य पु तक,

धारावा हक, जनल, प काय, समाचार प आ द) क पहचान क यव था है?
पु तकालय सॉ टवेयर एवं प रसंचालन कायकलाप
LIBSYS SLIM++ ALICE LIBRARIAN LIBRIS SANJAY
SUITE
नगम (Issue)      

आगम (Return)      
बारकोड का उपयोग      
(Use of Barcode)
पुन नगम      
(Renewable)
आर ण      
(Reservation)
वलंब शु क का ावधान      
(provision of fine)

118
सू ची नह ं बनाये गये      
लेख का नगम
(Issue of
Uncatalogued
documents)
धारावा हक के खु ले      
अंक का नगम (Issue
of Loose issues of
serials)
रा नगम हे तु (Over      

night issues)
तवेदन नमाण      
(Report
generation)
व तु न ठ न:-
1. न न ल खत म कस सॉ टवेयर म बारकोड का उपयोग नह ं कया जा सकता है ।
(क) संजय (SANJAY)
(ख) ल स (LIBRIS)
(ग) लाइ े रयन सू ईट (LIBRARIAN SUITE)
(घ) ि लम++ (SLIM++)
2. न न ल खत म कस सॉ टवेयर यु म से अ सू चत लेख (Uncatalogued
Documents) का नगम (Issue) संभव है ।
(क) संजय, ए लस
(ख) ए लस, ल स
(ग) ल स, लब सस
(घ) लब सस ि लम
3. सॉ टवेयर न न ल खत म या नह ं कर सकता है:
(क) ओवर नाइट नगमन
(ख) बार कोड उपयोग
(ग) वल ब शु क का ावधान
(घ) उपयु त सभी कर सकता है

119
14. व नगम एव आगम णाल (Self Issue and Return
System)
कं यूटर का पु तकालय काय म योग इस सू चना ौ यो गक युग क ह दे न है ।
आज प रसंचालन कमचार एक कृ त सॉ टवेयर के मा यम से आसानी पूवक एवं कम समय म
उपयो ताओं को सेवाएँ दान करते ह । पर तु अ धकांश पु तकालय म आगम- नगम संबं धत
काय को पु तकालय कमचा रय वारा ह कया है, चाहे वह कं यूटर कृ त पु तकालय हो अथवा
न हो।
पर तु 1990 के दशक म इंगलै ड म आगम- नगम क एक णाल का ार भ हु आ,
िजसम उपयो ता वयं ह कं यूटर क मदद से पु तकालय लेख को नग मत अथवा वापस
कर सकता है । इस णाल म पु तकालय कमचा रय क सहायता क कोई आव यकता नह ं है
। पर तु यह यव था केवल छोटे एवं व श ट पु तकालय म ह लोक यता ा त कर सकती
है, िजनसे पु तक को ा त करने हे तु बंद यव था (Close Access) हो, सु र ा उ चत बंध
हो । पर तु इस णाल म पाठक का व वास इन सभी मानदं ड से बढ़कर है ।
व नगम-आगम णाल का योग सव थम इंगलै ड के ोपशायर पि लक लाइ ेर
(Shropshire Public Library) म 1990 म हु आ । इस णाल को पु तकालय वारा
योगा मक प से ार भ का मु य कारण था: पु तकालय को सी मत बजट उपल ध होना
तथा व े ता क अपया त पहु ँ च ।
व नगम-आगम णा लय के माग म आने वाल बाधाय:-
ो. व लयम इस णाल के ज मदाता माने जाते ह । उनके वारा इस को लागू करने
तथा उसके प चात ् आने वाले अवरोध का अ ययन कया गया । उ ह ने अपने अ ययन के
फल व प िजन अवरोध का सामना कया, उनम से कु छ न न ल खत ह:-
(क) वल ब शु क एवं शु क के भु गतान संबध
ं ी क ठनाइयाँ ।
(ख) य- य (Audio-visual) लेख हे तु व सेवा से संबं धत क ठनाइयाँ
(ग) उपयो ता के लए व सेवा अ भगम क सम या
(घ) त त हु ये लेख क जाँच से संबं धत सम या

15. व नगम-आगम णाल म सु धार हे तु कुछ उपाय


(Suggestions for the Improvement of Self Issue and
Return System)
व नगम-आगम णाल म सु धार करने हे तु से फ नामक एक प रयोजना (Self
Project) का ार भ कया गया । इसके अं तम तवेदन म णाल म सुधार लाने हे तु
न न ल खत उपाय बतलाये गये:
(i) इस णाल के अ धका धक उपयोग हे तु णाल तं क परे खा म आव यक बदलाव
लाया जाय ।

120
(ii) णाल म येक सद य क गोपनीयता को बनाये रखने के लए तं म और अ धक
सु धार कया जाय ।
(iii) व नगम-आगम हे तु एक अंतररा य मानक तैयार कया जाय िजसे पु तकालय
बंधन तं के साथ एक कृ त कया जा सके ।
(iv) जब इस यव था को लागू करने पर वचार चल रहा हो तो कमचार सं या का यान
रखा जाय ।
(v) व े ता को अपने मू य (लाभांश) को कम करना चा हए, िजससे छोटे पु तकालय इस
कार क णाल को लागू करने हे तु े रत हो सक ।
(vi) सु र ा उपाय को और अ धक यापक बनाया जाना चा हए ।

16. व नगम-आगम तं के आपू तकता (Suppliers of Self


Issue and Return System)
व नगम-आगम तं के कु छ मु य आपू तकता न न ल खत ह, िजनका संबध

इंगलै ड से है:-
1. 3 एम (3M);
2. ए एल एस आई (ALSI);
3. लेसकॉन (Plescon);
4. बी ट जे स टम (BTJ System)

17. व नगम-आगम णाल के लाभ (Benefits of Self Issue


and Return System)
हालां क व आगम- नगम णाल अभी अपने ारि भक दौर म है, पर तु िजन
पु तकालय म इसका उपयोग कया गया है, उनके अनुभव के आधार पर इस णाल के
न न ल खत लाभ को दे खा जा सकता है:
(i) इस णाल के उपयोग वारा प रसंचालन के कमचा रय को पु तकालय के अ य काय
म लगाया जा सकता है । दूसरे श द म, इस णाल वारा मानव म क बचत क
जा सकती है ।
(ii) कमचा रय क सं या बढ़ाये बगैर ह पु तकालय सेवा को बढ़ाया जा सकता है ।
(iii) यह णाल पु तकालय के उ च तर य सेवा का योतक है ।
(iv) नगम करने वाले कमचा रय के पास ल बी कतार लगी रहती ह । व आगम नगम
णाल से इस कार क कतार लगने क सम या का हल हो जावेगा।
(v) एक पीय काय (Work Related Upper Limb Diisorder: WRULD) से
कमचा रय म होने वाल कं ु ठा से मु ि त पायी जा सकती है ।
(vi) उपयो ताओं को आक षत करने म यह णाल अ यंत उपयोगी स हो सकती है ।

121
18. व नगम आगम णाल लागू करने के पू व यान दे ने यो य
त य (Factors into Consideration before implementing the
self issue return system)
कसी भी णाल को लागू करने के पूव उन त य पर यान दे ना आव यक होता है,
जो इ ह भा वत करते ह । व नगम-आगम णाल लागू करने के पूव न न ल खत त य
पर यान दे ना अ त आव यक है:-
1. उ े य (Objectives) :- व नगम-आगम णाल को लागू करने के पूव यह
आव यक है क उसके उ े य को भल -भां त बतलाया जाय य क बना उ े य को प रभा षत
कये हु ए तं क सफलता सं द ध रहती है । इन उ े य म-कमचा रय पर दबाव कम करना,
धन क बचत, उपयो ताओं के समय क बचत, पु तकालय समयाव ध का व तार आ द
सि म लत हो सकते है ।
2. मू य (Costs) :- व नगम-आगम तं का मू य काफ अ धक है । एक तं बैठाने
का खच लगभग टश प ड 11,500 से लेकर 21500 तक होता है । इस मू य म बंध
शु क शा मल नह ं है । कसी भी पु तकालय हे तु एक मु त इतनी बड़ी रा श खच करना संभव
नह ं है । अत: इस णाल को ार भ करने के पूव यह आव यक है क पु तकालय अपने
बजट एवं यय का मू यांकन कर ल ।
3. सु र ा (Security) :- इस तं का सबसे मह वपूण त य-सु र ा तं है । व नगम-
आगम णाल का आधार उपयो ताओं का व वास है । दूसरे श द म, यह णाल व वास पर
आधा रत है । इसका मु य कारण है क प रसंचालन के दौरान कोई भी पु तकालय कमचार
मौजू द नह ं रहता है । पाठक क पहचान भी इस णाल के तहत संभव नह ं है ।
4. उपकरण क ि थ त (Location of Equipment) :- सु र ा योजना बनाने के साथ-
साथ यह भी आव यक है क संबं धत उपकरण को पु तकालय म कस थान पर रखा जाय ।
अ धकतम उपयोग हे तु उपकरण को ऐसे थान पर रखना चा हए जहाँ पाठक का अ भगम
सरल और सु गम हो ।
5. णाल क परे खा (Design of the System) : णाल क द ता को बनाये
रखने हे तु इनक एक यापक परे खा तैयार करनी चा हए, िजसम णाल का लचीलापन
(flexibility), बार को स का योग (Barcodes), अ धकतम उपयोग, चु बक य साधन
(Magnetic Materials) से साथ णाल क तारत यता इ या द शा मल है ।
6. पु तकालय उपयो ता (Library Users) :- व भ न कार के उपयो ता व लेषण से
यह पता लगता है क व नगम- आगम णाल लागू करने क दशा म उपयो ताओं का
झान भ न- भ न रहा है । अ धकांश उपयो ता आज भी पु तकालय कमचार वारा द त
सेवा को अ धक मह व दे ते है । अत: इस कार क णाल लागू करने से पूव यह आव यक है
क पु तकालय उपयो ताओं को इस णाल क वशेषताओं एवं लाभ से अवगत कराया जाय ।

122
इसके साथ उपयो ता को श ण दया जाना चा हए क णाल का उपयोग कस कार कया
जाय ।

19. व न मत आगम णाल क हा नयाँ


त य के ि टकोण यह एक वक सत एवं सु गम णाल है । पर तु वा त वक
ि टकोण से इस णाल क कु छ हा नयाँ भी प रल त होती है, िज ह उ चत बंधन वारा
दूर कया जा सकता है । इस णाल से होने वाल कु छ हा नयाँ न न ल खत है:-
(1) रोजगार म कटौती क संभावना :- कसी भी े के कं यूटर करण से रोजगार क
संभावना म कटौती क आशंका रहती है । व आगम- नगम णाल इसका अपवाद
नह ं हो सकती है । इस कारण कु छ पु तकालय इस णाल को लागू करना नह ं चाहते
ह ।
(2) लेख क चोर का भय :- चूँ क इस णाल का मु य आधार उपयो ताओं का
व वास है अत: यव था म जरा सी खामी से पु तक क चोर होने क पूण संभावना
रहती है ।
(3) पु तक जाँच या:- चूँ क व नगम- आगम णाल म उपयो ता पु तक के योग
के प चात ् वयं ह वापस है अत: य द पाठक वारा पु तक को कसी कार क त
पहु ँ चायी जाती है तो इसक जाँच संभव नह ं है।
(4) पंजीकृ त सद य के अलावा अ य यि त वारा भी पु तक नग मत कराने का भय:-
चूँ क उपयो ता वयं - नग मत करने वाला होता है, अत: पु तकालय कमचार का
यू थान पर होना आव यक नह ं है । अत: कोई भी पु तकालय सद य कसी अ य
यि त के कोड को जानकर उसके नाम पर पु तके नग मत करा सकता है ।
व तु न ठ न:-
1. णाल का पहला योग सव थम कहाँ कया गया:
(क) टश लाइ ेर , लंदन
(ख) लाइ ेर ऑफ कां ेस
(ग) ोपशायर पि लक लाइ रे
(घ) बनारस ह दू व व व यलाय पु तकालय
1. व आगम- नगम णाल का मु य आधार या है:
(क) उपयो ताओं का व वास
(ख) पु तकालय सं ह
(ग) कमचार क सं या
(घ) पु तकालय क ि थ त
2. 3 एम (3M) या है:
(क) व नगम-आगम णाल क यव था
(ख) व नगम-आगम णाल का आपू तक ता

123
(ग) व नगम-आगम णाल हे तु सॉ टवेयर
(घ) व नगम आगम णाल का एक मानक
3. न न ल खत मे कस प रयोजना का संबध
ं व नगम आगम णाल से है:
(क) बाथ यू नव सट प रयोजना
(ख) से फ प रयोजना
(ग) वल कं सन प रयोजना
(घ) हावड यू नव सट प रयोजना

20. सारांश
इस इकाई म आपने पु तकालय म धारावा हक नयं ण एवं प रसंचालन तं यव था
म कं यूटर का उपयोग कस कार कया जाये इसका अ ययन कया । धारावा हक नयं ण एवं
प रसंचालन म कन- कन मानक का उपयोग कया जाता है, उससे संबं धत टै ग इ या द के
वषय म भी आपको जानकार द गई । इस इकाई म आपक व भ न एक कृ त पु तकालय
सॉ टवेयर क सूची तथा उनके वारा कये जा सकने वाले काय क एक तु लना मक सूची भी
द गई । जो प रसंचालन यव था के व भ न काय हे तु सॉ टवेयर क चयना मकता को
दशाती है । आपको व नगम- आगम णाल के वषय म जानकार उपल ध कराने क
को शश क गई है । हालां क यह णाल अभी केवल ेट टे न, एवं संयु त रा य अमे रका
आ द वक सत दे श के चु नंदा पु तकालय म ह उपल ध है । हमारे दे श म अभी यह णाल
लागू नह हो पायी है ।

21. अ यासाथ न
1. पु तकालय म कं यूटर के योग पर काश डालते हु ए धारावा हक नयं ण म इसक
भू मका को व तार से समझाइये ।
2. धारावा हक नयं ण को वचा लत करने के व भ न चरण को समझाय ।
3. एक अंतररा य मानक धारावा हक तं को कस कार भा वत करता है?
व तारपूवक समझाय ।
4. न न ल खत पर ट पणी लखे
(क) धारावा हक
(ख) माक ा प
(ग) धारावा हक का चयन
(घ) पु तक चयन स म त
5. प रसंचालन यव था म आप कं यूटर का उपयोग कस कार कर सकते है? या या
क िजए ।
6. या आप व नगम- आगम णाल को आज के समय क माँग समझते ह? तक
स हत लख ।

124
7. व भ न पु तकालय सॉ टवेयर का तु लना मक अ ययन करते हु ए अपने पु तकालय
हे तु आप कस सॉ टवेयर का चयन करगे?
8. प रसंचालन तं को कं यूटर कृ त करने के व भ न चरण का उ लेख कर ।
9. ट पणी लख:
(क) एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर
(ख) मानक और माक

22. पा रभा षक श दावल


(1) आई एस एस एन (ISSN): यह इंटरनेशनल टै डड सी रयल नंबर का सं त प
है जो 8 अंक का बना होता है तथा येक धारावा हक को व श टता दान करता है

(2) आगम (Return): पु तकालय सद य वारा अव ध पूरा होने के उपरांत पु तक को
वापस पु तकालय म लौटाने क या को आगम कहते है ।
(3) एक कृ त पु तकालय सॉ टवेयर (Integrated Library Software): यह एक ऐसा
सॉ टवेयर है, िजसके मा यम से पु तकालय के सभी कायकलाप यथा प रसंचालन
प र हण, सू चीकरण धारावा हक नयं ण, ओपेक आ द का संचालन कया जा सकता
है ।
(4) धारावा हक (Serials): मक काशन, आव धक काशन, शोध प काय आ द
धाराव हक के अंतगत आते है ।
(5) नगम (Issue): प रसंचालन कमचार वारा पु तकालय सद य को नयमानुसार
पु तक को जार कर एक नि चत अव ध हे तु घर ले जाने क अनुम त लेख का
नगम कहलाता है ।
(6) प रसंचालन (Circulation): पु तकालय म सद य का पंजीकरण, लेख का नगम
एवं आगम, वल ब शु क गणना एवं उससे संबं धत तवेदन तैयार करने आ द से
संबं धत काय को प रसंचालन कहते ह ।]
(7) बू लयन लािजक (Boolean Logic): ऑन लाइन खोज को अ धक से अ धक स म
बनाने हे तु ऑर (OR), ए ड (AND), तथा नॉट, (NOT) का योग कया जाता है ।
इसके योग को ह बू लयन लॉिजक कहा जाता है ।
(8) मानक (Standard): मानक एक ऐसा ल खत लेख होता है िजसम मानद ड को
था पत करने हे तु कु छ नयम और व धयाँ द जाती है ।
(9) माक (MARC): माक-मशीन र डेबल कैटलॉग (Machine Catalogue) का सं त
प है, जो व भ न कार के ववरण हे तु एक मानद ड था पत करता है ।
(10) व नगम-आगम णाल (Self Issue-Return System): पु तकालय उपयो ता
वारा पु तकालय कमचार क मदद के बना वयं पु तक को नग मत करने क
णाल को व नगम आगम णाल कहते ह ।

125
23. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची
1. Majumdar Kamalendu and Kanta AK, making serial collection
online: A preparation at India Institute of Technology, Kharagpur,
Library Science with a slant to documentation, 33, 3, 148-152
1996
2. Rao, I K Ravichandra, and Abideen P Sainul, Features of library
automation software: A comparative study, Library Science with a
slant to documentation Studies. 36, 4, 211-228; 1999
3. Morris, Anne et al, Self issue return system: Experience in the
U.K. The Electronic Library, 19,1,7-18; 2001
4. Shouse, Daniel et al, Managing journals: One library’’s experience.
Library Hi Tech. 19,2, 150-154; 2001
5. Haravu, L J, Computerised Acquisition of Serial, Annals of Library
Science and Documention, 16,2,94-97,1969
6. Rao, IK Ravi Chandra, Use of Computer and sampling techniques
and Documaentation, 16, 2, 17,1,85-93, 1981
7. Tedd LA Introduction to Computer based Library system, London,
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8. Daniels, MK, Automated Serial control: National and International
Considerations, Journal of Library Automation, 8, 127-146; 1975
9. Saffady, Wolliam, Introduction to automation for Librarians, 2ndol,
Chicago, American Library Association, 1989
10. Subbarao, V Sashikala, Library Management through automation
and networking, Bombay Allied Publishers 1999
11. Clay Ton, Marlene, Managing Library Automation Aldershot, Gower,
1987.
12. Heileger, Edward M, and Denderson, Paul B, Library Automation:
Experience, Methodology and Technology of the Library as an
Information System. Network, McGraw Hill, 1971
13. Ramalingam, Liberary as an Information Technology Concepts to
applications, Delhi, Kalpaz Publications, 2000
इंटरनेट साइट:-
1. http://education. Vsnl.com/slim/whyslim/htm

126
2. http:/www.igidr.ac.in/lib/paper 1.htm

127
इकाई-9 : सॉ टवेयर तथा सॉ टवेयर पैकेज (Software and
Software Packages)
उ े य
1. सॉ टवेयर क प रभाषा एवं इसके कार से अवगत कराना,
2. भारत म उपल ध कुछ पु तकालय अनु युि त सॉ टवेयर पैकेज का सं त ववरण
दे ना,
3. पु तकालय के काय म कं यूटर अनु युि त के व भ न े का वणन करना ।

संरचना/ वषयव तु
1. प रभाषा
2. कार
2.1 स टम सॉ टवेयर
2.2 ए ल केशन सॉ टवेयर
2.2.1 वड ोसे संग पैकेज
2.2.2 डेटाबेस मैनेजमट स टम
2.3 क टम सॉ टवेयर
3. पु तकालय अनु योग सॉ टवेयर पैकेज
3.1 ए लस फॉर वंडोज
3.2 ड़ेि पस
3.3 टै ि लब
3.4 कैटमैन
3.5 थ
ं ालय
3.6 मै ेयी
3.7 डे स
3.8 संजय
4. काय म कं यूटर अनु युि त के े
4.1 शासन व रख-रखाव
4.2 अ ध हण
4.3 वग करण
4.4 सू चीरण
4.5 लेन-दे न काय
4.6 प -प का नयं ण
4.7 लेखन काय
4.8 अ य

128
5. सारांश
6. अ यासाथ न
7. व तृत अ ययनाथ थ - सू ची

1. प रभाषा
ो ाम के एक सेट को सॉ टवेयर कहते ह । सॉ टवेयर के अभाव म कं यूटर का
हाडवेयर (कं यूटर के भौ तक उपकरण, जैसे मा नटर, हाड ड क इ या द) काम नह ं कर सकता
। सॉ टवेयर का काय कं यूटर को व भ न कार के नदश दे ना है ता क वह उपयो गता क
आव यकता के अनु प काय कर सके । व भ न काय के बने बनाए सॉ टवेयर बाजार म
उपल ध ह । ो ाम लखने के काम म द कोई ो ामर ह सॉ टवेयर तैयार कर सकता है ।
सॉ टवेयर या ो ाम को कसी न कसी ो ा मंग भाषा म लखा जाता है।

2. कार
सॉ टवेयर को मु यत: दो े णय म वभािजत कया जा सकता है:
2.1 स टम सॉ टवेयर
2.2 ए ल केशन सॉ टवेयर
2.2.1 वड ोसे संग पैकेज
2.2.2 डेटा बेस मैनेजमट स टम (डीबीएमएस)
2.3 क टम सॉ टवेयर
2.1 सॉ टवेयर
स टम सॉ टवेयर, ए ल केशन सॉ टवेयर तथा हाडवेयर कं यूटर के बीच पुल का काय
करता है । यह युि त ो ाम के व भ न चरण एवम ् उसके संचालन पर नयं ण रखता है ।
िजस कार सॉ टवेयर के अभाव म हाडवेयर काम नह ं कर सकता, उसी कार स टम
सॉ टवेयर के अभाव म हाडवेयर और युि त सॉ टवेयर, दोन ह काम नह ं कर सकते ।
ऑपरे टंग स टम एक स टम सॉ टवेयर है िजसके उदाहरण ह - डॉस, यू न स , व डोज
इ या द । स टम सॉ टवेयर क संरचना म कंपाइलर, असबलर, ड क ऑपरे टंग स टम,
टे सट ए डटर, श यूलर तथा वैपर का मह वपूण थान है।
2.2 ए ल केशन सॉ टवेयर
ए ल केशन सॉ टवेयर (अनु युि त सॉ टवेयर) ऐसे ो ाम का सेट है िजनसे कसी
वशेष उपयो गता समु दाय के लए कसी वशेष काय हे तु लखा या तैयार कया जाता है ।
उदाहरणाथ रे ल/हवाई आर ण, पु तकालय से संबं धत काय, कसी कायालय म कमचा रय क
वेतन ववरणी तैयार करने इ या द से संबं धत सॉ टवेयर अनु युि त सॉ टवेयर कहे जाएंगे ।
अनु युि त सॉ टवेयर को भी मु य प से दो े णय म रखा जा सकता है िजनका सं त
ववरण आगे तु त है ।

129
2.2.1 वड ोसे संग पैकेज
वड ोसे संग पैकेज (श द संसाधक पैकेज) पद उन पैकेज को इं गत करता है िजनक
सहायता से कं यूटर पर हम पा यपरक काय करते ह, डेटापरक काय नह ं । ये पैकेज केवल
पा यसाम ी के भ डारण, स पादन, त ल पकरण, मु ण इ या द काय म सहायता करते ह,
पर तु इनसे डेटाबेस का नमाण नह ं कया जा सकता । इन पैकेज से प लखा जा सकता है
या पु तक अथवा लेख इ या द लखे जा सकते है । श द संसाधक पैकेज के उदाहरण के प
म वड टार तथा माइ ोसॉ ट वड का नाम लया जा सकता है ।
2.2.2 डेटाबेस मैनेजमट स टम
डेटाबेस मैनेजमट स टम डेटा प मे तु त सू चना के भ डारण, स पादन, व लेषण,
पुन ाि तकरण तथा वतरण म स म है, िजन सॉ टवेयर म डीबीएमएस का गुण होता है वे
उपयो गता को अपने डेटाबेस क संरचना बनाने क अनुम त दे ते ह । इस कार के सॉ टवेयर
म कसी रकॉड के व भ न े और उन े से संबं धत व भ न मद को प रभा षत कया
जा सकता है तथा डेटा इनपुट के लए एक वकशीट बनाई जा सकती है । इस डेटा रे स म भी
भ डारण, स पादन, पुन ाि तकरण क यव था होती ह है, पर तु इसम कसी भी उपागम के
अंतगत खोज करने तथा अनु म णका बनाने क सहू लयत होती है । इस कार के सॉ टवेयर
के उदाहरण के प म सीडीएस/आईएसआईएस, ए लस फॉर वंडोज, कु डल , सोल इ या द का
नाम लया जा सकता है ।
2.3 क टम सॉ टवेयर
क टम सॉ टवेयर भी एक कार का ए ल केशन सॉ टवेयर है । सामा यतया
ए ल केशन सॉ टवेयर कसी अ य यि त अथवा दल के उपयोग हे तु कसी अ य यि त
अथवा दल वारा लखा जाता है, पर तु सॉ टवेयर को वह यि त लखता या तैयार करता है
िजसे उसका उपयोग करना है अथात ् जब वयं अपने काय के लए उपयो गता एक ए ल केशन
सॉ टवेयर लखे तो उसे क टम सॉ टवेयर कहते ह ।

3. पु तकालय अनु योग सॉ टवेयर पैकेज


पु तकालय के गृह काय और सेवाओं के कं यूटर करण के लए वभ न कार के
सॉ टवेयर आज बाजार म उपल ध ह । इस इकाई म इनम से कु छ का सं त ववरण दया
गया है । सीडीएस/ आईएसआईएस तथा लब सस का व तृत ववरण इकाई- 10 म तु त है।
3.1 ए लस फॉर वंडोज
इस सॉ टवेयर को मू ल प म ऑ े लया क सॉ ट लंक नामक कंपनी ने वक सत
कया और आज इसका योग दु नया के अनेक दे श म व वध कार के पु तकालय वारा
कया जा रहा है । सॉ ट लंक वारा इस पैकेज के वतरण के लए व भ न दे श म एज सयां
चलाई जाती है । भारत म इस सॉ टवेयर का वतरण और वपणन सॉ ट लंक ए शया ( ा. ल)
वारा कया जा रहा है । यह सॉ टवेयर दो नाम के अंतगत उपल ध है: 1 ओए सस- यह इस
सॉ टवेयर का डॉस सं करण है तथा 2 ए लस फॉर वंडोज - यह इस सॉ टवेयर का वंडोज
सं करण है । यह एक अ यु तम सॉ टवेयर है और इससे पु तकालय के गृह काय और उसक

130
सेवाओं का कं यूटर करण सु वधापूवक कया जा सकता है । इसम एक करण का गुण है तथा
यह उपयो ता-मै ी के गुण से भी यु त है ।
3.2 डेि सस
इस सॉ टवेयर को डेलनेट ने तैयार कया है । यह बे सस पर आधा रत है तथा
यू न स पर काय करता है । इसका पूरा नाम है- डेलनेट स टम फॉर इ फामशन साइ स ।
इसे सन ् 1998 म ार भ कया गया था ।
3.3 टै ि लब
इ फामशन डाइमे शन इंक नामक अमे रक कंपनी वारा वक सत इस सॉ टवेयर को
भारत ने नेशनल इकोम टक सटर, नई द ल वारा वत रत कया जाता है । यह बे सस लस
लेटफाम पर काम करता है और इसके मु य गुण न न ल खत है।
1. मॉ यूल का एक करण
2. ाहक करण म सरल
3. डेटा क भावी सु र ा
4. हाइपरटै सट म काय करना तथा इमेज भंडा रत करना संभव
5. अमे रका तथा यू.के. म जाँचा-परखा गया
6. क मत लगभग 70,000/-
7. उपयो ता मै ी से यु त
3.4 कैटमैन
इसका वकास इंसडॉक, नई द ल ने कया है । इसके वकास के पीछे मु य उ े य
है, इंसडॉक प रसर म ि थत रा य व ान पु तकालय क सूची का डीबेस- 4 म
कं यूटर करण । इसका पूरा नाम है कैटलॉग मैनेजमट सॉ टवेयर । यह पता नह ं लग पाया है
क इस सॉ टवेयर का उपयोग कह ं और भी हो रहा है या नह ं ।
3.5 थ
ं ालय
इस सॉ टवेयर का वकास भी इंसडॉक वारा कया गया । इसम सात मॉ यूल ह: डाटा
एड म न े शन, वेर , सकुलेशन , एि वजीशन, सी रयल कं ोल, टै ि नकल ोसे संग तथा लाइ रे
एड म न े शन । इसके डॉस/यू न स/ओरे कल/इन स
े सं करण उपल ध ह । यह पता नह ं लग
पाया है क इस सॉ टवेयर का उपयोग कह ं और भी हो रहा है या नह ं ।
3.6 मै ेयी
इस सॉ टवेयर का वकास कं यूटर मटे नस कॉप रे शन (सीएससी), क कोलकाता शाखा
वारा कोलकाता लाइ ेर नेटवक (कै लबनेट) के काय म उपयोग के लए कया गया ।
कै लबनेट प रयोजना नसात वारा ायोिजत है और इसका ल य कोलकाता ि थत पु तकालय
को एक नेटवक के अंतगत लाना है । इस सॉ टवेयर का वकास इन ेस आरडीबीएमएस
लेटफाम पर कया गया है, इसम यू नमाक फामट का उपयोग कया गया है तथा इसके सू ची
प क एएसीआर- 2 के ा प म मु त होते है । इसम एि विजशन, कैटे ला गंग, सकुलेशन ,

131
ओपेक, सी रयल कं ोल इ या द काय के लए मो यू स दए गए ह। इस सॉ टवेयर का
मू यांकन होना शेष है।
3.7 डे मस
इस सॉ टवेयर का वकास डेसीडॉक वारा कया गया है । इसे कोबोल भाषा म लखा
गया है तथा यू न स के वातावरण म यह काय कर सकता है । इसम चार मो यूल ह िजनके
नाम ह- ऑनलाइन कैटला गंग सकुलेशन कं ोल, एि वजीशन कं ोल तथा सी रयल कं ोल ।
इसम सीसीएफ तथा आईएसओ 2709 का योग होता । है पर तु माक फामट का योग भी
कया जा सकता है । इस सॉ टवेयर का वकास मु य प से डी आरडीओ क योगशालाओं म
योगाथ कया गया है।
3.8 संजय
संजय का वकास भी डेसीडॉक वारा कया गया है । यह सीडीएस/आईएसआईएस का
प र कृ त एवं एक कृ त सं करण है । इसका वकास सीडीएस/आईएसआईएस क न न ल खत
क मय को दूर करने के लए कया गया है:
1. ग ण तय सं याएं (जोड़, घटाव, गुणा व भाग) करने म असमथ होना ।
2. दो डेटाबेस का एक करण संभव नह ं है ।
3. लेख के आदान- दान का कं यूटर करण करने म क ठनाई ।
यह सीडीएस/आईएसआईएस क अपे ा अ धक उपयो ता म वत ् है, अ धक ती है
तथा व भ न डेटाबेस का पर पर संयोजन कर सकता है । इसके साथ ह साथ इसम संशो धत
मेनू भी उपल ध ह िजनके अंतगत व वध कार के काय कए जा सकते ह । फर भी
सीडीएस/ आईएसआईएस क प -प का नयं ण क सीमा इसम भी मौजू द है । इस सॉ टवेयर
का बहु त उपयोग नह हो पाया है ।

4. पु तकालय काय म कं यूटर अनु युि त के े


पु तकालय म कं यूटर क अनु युि त से व वध काय को करने और सेवाओं को
चलाने म मह वपूण ग त हु ई है । पु तकालय संबं धत काय को दो े णय म रखा जा
सकता है - 1 गृह काय से संबं धत ग त व धयां तथा 2 सेवाओं से संबं धत ग त व धयां ।
थम के अंतगत शासन, रख-रखाव, अ ध हण, वग करण, सूचीकरण, प -प का नयं ण
तथा भ डार स यापन के काय आते है । दूसरे के अंतगत अनेक कार क सेवाएं आती है जैसे
लेन-दे न, लेखन सेवा, नेटव कग, संसाधन सहभा गता तथा खोज एवं पुन ाि त याएं ।
अगले अनु छे द म हम इन ग त व धय से संबं धत कं यूटर के अनु योग क चचा करगे ।
4.1 शासन एवं रख-रखाव
कं यूटर के उपयोग वारा पु तकालय के शासन एवं रख-रखाव से संबं धत काय को
अ धक द ता के साथ संचा लत कया जा सकता है । इन काय म न न ल खत सि म लत ह:
1 पु तकालय क मय क नदे शका बनाना
2 यूट चाट बनाना
3 श नवार/र ववार/अवकाश दवस के लए रो टर
132
4 स म तय के तवेदन
5 पु तकालय नयम
6 पु तकालय सांि यक
7 व वध तवेदन
8 भ डार स यापन
9 कमचा रय के अवकाश कायकाल
10 आंत रक कायालय आदे श
4.2 अ ध हण
यह दे खा गया है क सभी कार के गृह काय को संप न करने के लए पु तकालय
कम समान प से एक ह कार के था मक ववरण का उपयोग करते ह । जैसे- लेखक
आ या, अ ध हण सं या, काशन आ द ववरण इ या द । पु तकालय के येक रकाड म
सारे ं ा मक ववरण का उ लेख बार-बार करना पड़ता है । चाहे अ ध हण का काय हो या

सू चीकरण का काय हो या लेख लेन-दे न का काय हो, थ सू चयां बनाने का काय हो
इ या द । इस काय म हम कं यूटर पुनरावृि त काय से मु ि त दलाता है । कं यूटर के
अ ध हण मो यूल म जो ववरण एक बार अं कत कर दया जाता है उ ह कं यूटर अ य
मो यू स म अपने आप ले लेता है । इसी कार कं यूटर करण के उपरा त बल रिज टर,
भु गतान रिज टर, आपू तकता का ववरण इ या द वयंमेव तैयार हो जाते ह । अत: कं यूटर के
अ ध हण मो यूल म ऐसी यव था होनी चा हए क न न ल खत मद को पूर तरह अं कत
कर दया जाए और आव यकतानुसार इ ह कसी अ य मो यूल म ले लया जाए:
1 आपू तकता नदे शका
2 अनुमोदन पर ा त पु तक
3 अ ध हण के लए अनुशं सत पु तक
4 चु नी गई या न चु नी गई पु तक का ववरण
5 आपू तकताओं को भेजे जाने वाले व भ न कार के प क
6 अ ध हण मो यूल का सू चीकरण, सकुलेशन तथा लेखन, मो यूल के साथ एक करण
7 वभ न े जैसे लेखक आ या, अ ध हण सं या, आ वान सं या, काशना द
ववरण इ या द के अंतगत थ
ं ा मक ववरण दे ने क सु वधा
4.3 वग करण
वग करण का काय मानव वारा संप न होता है मशीन वारा नह ं । अत: येक
लेख क वग सं या न मत कर, उसे मानव वारा कं यूटर म भरा जाता है । कं यूटर हमार
सहायता आनुव णक वग करण म कर सकता है तथा क -व स के आधार पर वि टय को
यवि थत कर सकता है ।
4.4 सू चीकरण
सू चीकरण पु तकालय का एक मह वपूण काय है । यह स य है क पु तकालय सू ची
पु तकालय क कं ु जी है ।पु तकालय सू ची का मु य काय उपयो ताओं के व भ न उपागम को
133
संतु ट करना है ता क वे वभ न लेख क खोज पु तकालय म कर सके । इस काय को
संभव बनाने के लए सू चीकरण वारा येक लेख क कई वि टयाँ बनायी जाती है ।
वि टय के बनाने का काय अगर मानव वारा कया जाता है तो इस काय म बहु त समय
लगता है और उपयोग के लए पु तक को नमु त करने म वल ब होता है । पर तु यह
काम य द कं यूटर वारा कया जाए तो कं यूटर अ ध हण मो यूल से थ
ं ा मक ववरण लेकर
सू चीकरण का काय वयं ह कर लेता है । इसे सु चा प से करने के लए कं यूटर
सॉ टवेयर के सू चीकरण मो यूल म न न ल खत वशेषताएं होनी चा हए:
1 सू चीकरण मो यूल का अ ध हण मो यूल तथा लेन-दे न मो यूल के साथ एक करण
2 वि टय को व भ न अनु म म मु त करने क मता
3 कसी लेख को, व भ न उपागम के अंतगत खोजने क मता । इसम बु लयन खोज
क भी यव था होनी चा हए ।
4 खोज के तफल को सु र त रखना और उ ह मु त करना
5 िजस पु तक को अ ध हण मो यूल म नह ं लया गया हो, उसे भी सू चीकृ त करने क
मता
6 उपयो ता मै ीपूण मेनू
7 ओपेक
8 लेन-दे न मो यूल से पु तकालय सद य का ववरण ा त करने क मता
4.5 लेन-दे न काय
लेख का लेन-दे न पु तकालय क एक आव यक सेवा है । इस काय को पु तकालय
बहु त द ता के साथ पूरा कर सकता है । सॉ टवेयर के लेन-दे न मो यूल म न न ल खत गुण
आव यक प से व यमान होने चा हए:
1 अ ध हण मो यूल तथा सूचीकरण मो यूल के साथ एक करण
2 नधा रत थान पर दए सद य एवं लेख पहचान सं या के आधार पर ववरण ा त
करना और पु तक के लेन-दे न म इसका उपयोग करना
3 संबं धत सद य को नधा रत सीमा से अ धक पु तक न दे ने का ावधान
4 सद य क व भ न को टय को प रभा षत करने का ावधान
5 य द आव यकता हो तो, लेन-दे न क अ धकतम सीमा से अ धक पु तक ऋण पर दे ने
का ावधान
6 वलं बत पु तक के लए अनु मारक भेजने का ावधान
7 बारकोड के वारा पु तक के लेन-दे न का ावधान
8 अंतपु तकालय लेन-दे न का ावधान
4.6 प -प का नयं ण
प -प का के नयं ण म बहु त से ज टल काय करने पड़ते ह जो प काओं के
अ ध हण से लेकर बल पास करने, लेख क खोज करने तथा अनापूत प काओं के लए

134
अनु मारक भेजने से संबं धत ह । इस मो यूल म न न ल खत वशेषताएं अ नवाय प से
होनी चा हए:
1 प -प काओं के थ
ं ा मक ववरण अं कत करना
2 प -प काओं क वभ न कार क सू चय (समाक लत सूची, वषयवार सू ची, काशन
रा के अनुसार सूची) मु त करना
3 संपादन क सु वधा अथात ् नई सूचना अं कत करना और पुरानी सूचना को हटाने क
सु वधा
4 काई अंक ा त नह ं हु आ हो तो उसे ढू ं ढकर बताने क सु वधा
5 अनापूत अंक के लए अनु मारक भेजने क सु वधा
4.7 लेखन सेवा
कं यूटर करण का काय पूरा होने के बाद कं यूटर वयंमेव सम त कार क लेखन
सेवाओं को चलाने म त काल स म होता है । ये सेवाएं है - साम यक जाग कता सेवा तथा
चय नत सू चना सारण सेवा ।
4.8 अ य
उपयु त सेवाओं के अ त र त, डे कटॉप पि ल शंग तथा नेटव कग का उपयोग कर
अ य अनेक कार क सेवाएं भी चलाई जा सकती है ।

5. सारांश
उपरो त ववरण के आधार पर यह न कष नकलता है क वचा लत पु तकलय म
समय, थान, म तथा धन क मत य यता सु नि चत क जा सकती है । इस कार से बचे
हु ए समय, थान, म एवं धन का उपयोग अ य गुणव तापूण काय को करने के लए कया
जा सकता है । इन काय म सि म लत ह: समय-समय पर उपयो ताओं और आपू तकताओं को
अनु मारक भेजते रहना, नवागत पु तक क सू ची नकालना, पूवानुमान एवं मांग के आधार पर
ं -सू चयां तैयार करना, सूचना का चय नत
थ सार करना इ या द । ये काय अ यंत आव यक
ह तथा पु तकालय क छ व को नखारने म मह वपूण भू मका नभाते है, पर तु सामा य एवं
पर परागत पु तकालय म इन काय के लए समय नह ं मलता ।
येक व तु के समान कं यूटर के भी अपने गुण और दोष है, पर तु इसम कोई
स दे ह नह ं क कं यूटर के उपयोग वारा पु तकालय के काय को समयब प म ती ता के
साथ पूरा कया जा सके । पर तु यह तभी स भव है जब काय का वामी मानव हो मशीन
नह ं ।

6. अ यासाथ न
1. सॉ टवेयर क प रभाषा द िजए एवं इसके व भ न कार को बताइये।
2. पु तकालय के गृह काय और सेवाओं के कं यूटर करण के लए कौन-कौन से सॉ टवेयर
है - आप कस सॉ टवेयर का योग अपने पु तकालय म करगे और य?

135
3. पु तकालय काय म क यूटर अनु युि त के े बताइये तथा इनक व तार से चचा
क िजए ।

7. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची


1. शमा, पा डेय एस. के., कं यूटर और पु तकालय, द ल थ अकादमी, 1996
2. Sharma, Pandey,s.K., Fundamental of Library Automotion, New
Delhi, ESS Publication, 1995

136
इकाई- 10 सीडीएस/आईएसआईएस एवं लब सस का
अ ययन (A Study of CDS/ISIS and LIBSYS)
उ े य
1. सीडीएस/आईएसआईएस का ववरण तु त करना
2. सीडीएस/आईएसआईएस म डेटाबेस के नमाण क जानकार दे ना,
3. इस डेटाबेस म डेटा को नवेश करना, इसे संपा दत करना तथा उसम से सू चना क खोज
और पुन ाि त करना,
4. लब सस का ववरण तुत करना तथा इसके मो यू स क जानकार दे ना।

संरचना
1. सीडीएस/आईएसआईएस
1.1 वषय वेश
1.2 वशेषताएं
1.3 मेनू णाल
1.4 इं टालेशन
1.5 डेटाबेस नमाण के पहले योजना बनाना
1.6 डेटाबेस को प रभा षत करना लब सस
2. लब सस
2.1 वषय वेश
2.2 मेनू णाल
2.2.1 एि वजीशन
2.2.2 कैटे लॉ गंग
2.2.3 सकुलेशन
2.2.4 सी रयल कं ोल
2.2.5 आ टकल इंडेि संग
2.2.6 ओपेक
3. सारांश
4. अ यासाथ न
5. पा रभा षक श दावल
6. व तृत अ ययनाथ थसूची

137
1. सीडीएस/आईएसआईएस
1.1 वषय वेश
सीडीएस/आईएसआईएस का पूरा प है कं यूटराइ ड डा यूमटे शन स टम/इंटे ेटेड सेट
ऑफ इ फोमशन स टम । मेनू संचा लत है तथा सू चना के भ डारण, पुन ाि त एवं सं ेषण के
लए एक सश त सॉ टवेयर है । यूने को के 'आ फस ऑफ इ फोमशन ो ा स एंड स वसेज'
के 'सॉ टवेयर डेवलेपमट एंड ए ल केशन ड वजन' ने इसे वक सत कया है । भारत म इस
सॉ टवेयर का ववरण भारत सरकार का एक अंग नसात (NISSAT) कर रहा है । इस
सॉ टवेयर के लए श ण दे ने के लए भी नसात अनुदान दे ता है िजसके कारण इस
सॉ टवेयर के लए अनेक श ण काय म समय-समय पर व भ न सं थान एवं संघ वारा
चलाए जाते रहते ह । इस अनुभाग म इस सॉ टवेयर का ववरण दया गया है । सू चना के
भ डारण, पुन ाि त तथा सं ेषण के उ े य से इसम डेटाबेस बनाना अ यंत उपयोगी है । फर
भी पु तकालय के अनेक काय के लए जैसे पु तक आदान- दान, प -प काओं के नयं ण
आ द के लए इसम बने-बनाए ो ाम नह ं ह । पा कल भाषा के जानकार कमचार इसम नए
ो ाम भी बना सकते ह । नसात के एक ोजे ट के प म डेसीडॉक ने संजय के नाम से
एक सॉ टवेयर वक सत कया था िजसका ववरण पछल इकाई म दया गया है ।
1.2 वशेषताएं
इस सॉ टवेयर क मु ख वशेषताएं न न ल खत ह:
1. यह डेटाबेस मैनेजमट णाल है ।
2. इस सॉ टवेयर के वारा नॉन- यूमे रकल डेटाबेस (िजसम मु यतया पा ययांश ह )
अथात ् थ
ं ा मकडेटाबेस बनाए जा सकते ह ।
3. येक डेटाबेस म एक करोड़ सात लाख रकाड नवे शत कए जा सकते ह ।
4. ड ले फामट चार हजार कैरे टस तक का हो सकता है ।
5. यह मेनू आधा रत णाल है और येक काय के लए कं यूटर पर मेनू कट होते है।
6. येक मेनू के अधीन सब-मेनू भी होते ह ।
7. उपयो ता को अपना डेटा बेस वयं बनाने क वतं ता है ।
8. इस डेटाबेस मे रकाड का नवेश, संपादन, संशोधन, मु ण, दशन अथवा पूरे डेटाबेस
को दे खने क सु वधा है।
9. यह सॉ टवेयर अनु म णका नमाण वयंमेव कर लेता है ।
10. इसम खोज काय अ यंत सट कता और शी ता से संप न होता है ।
11. चू ं क यह सॉ टवेयर उपयो ता वारा डेटाबेस के नमाण क वतं ता दे ता है तथा नए
मेनू और नवेश वकशीट बनाने क भी सु वधा दान करता है, अत: यह उपयो ताओं
को रोमांचकार अनुभू त के अवसर उपल ध कराता है।
12. इसम सीसीएफ अथवा माक फामट म रकाड को रखा जा सकता है, फर भी सीसीएफ
के योग का इसम अ धक चलन है ।

138
13. िज ट काड क सहायता से इसम 19 भारतीय भाषाओं म काय कया जा सकता है ।
14. इसम पासवड दे ने का ावधान है ।
15. इसके डेटाबेस टकाउ होते ह और इस सॉ टवेयर के उ च तर य रख-रखाव क
आव यकता नह ं होती ।
16. इसका इं टालेशन अ यंत आसान है ।
17. इस सॉ टवेयर के 3.0 सं करण म न न ल खत अ त र त वशेषताएं ह:
1. ISISINST कमांड के वारा इसे अ यंत सरलता से इं टाल कया जा सकता है ।
2. लैन सु वधा के लए इसका उपयोग कया जा सकता है ।
3. डेटा ए लॉक, राइट लॉक तथा रकाड लॉक का ावधान है ।
4. कसी भी मेनू से डॉस पर सीधा जाया जा सकता है ।
5. फाम टंग ल वेज को बहु त अ धक उ नत बना दया गया है ।
6. पहले सं करण म पाँच इंडेि संग तकनीक थी िज ह 0, 1, 2, 3, 4, के नाम से
जाना जाता था । 3.0 सं करण म चार नई तकनीक का उपयोग कया गया है
िज ह 5, 6, 7, 8, के नाम से जाना जाता है ।
7. एडवांस ो ा मंग म नए आयाम जोड़े गए ह ।
1.3 मेनू णाल
सीडीएस/आईएसआईएस सॉ टवेयर म आठ धान मेनू है िजनके वारा आठ धान
सेवाएं उपल ध ह । इसका मु य मेनू या ओप नंग मेनू न न ल खत है । आठ धान सेवाएँ E
से A तक ह ।
CDS/ISIS OPENING MENU
Micro CDS/ISIS
C- Change database
L- Change dialogue language
E- ISISENT-Data entry service
S- ISISRET-Information retrieval Service
P- ISISPRT-Sorting and printing Service
I- ISISINV-inverted file Service
D- ISISDEF-Databse definition Service
M- ISISXCM-Master file Service
U- ISISULT-system utility Service
A- ISISPAS-Advanced Programming Service
X- Exit-(To MS DOS)
?

139
मेन मेनू के न पर द शत होने पर हमारे लए यह प ट हो जाता है क कस
वक प का योग कस काय के लए कया जाना चा हए । उदाहरण व प य द डेटा ए का
काय करना हो तो हम वक प ई (E) को चु नना होगा । वक प ई को चु नने के लए
सीडीएस/आईएसआईएस म मेनू के नीचे एक नच ह कट होता है जो चमकदार होता है ।
जब हम कं ु जी पटल से कोई वक प दे ते ह तो वह न च न के थान पर मु त होकर
कं यूटर को नदश दे ता है क हम नधा रत सब मेनू पर ले चले ।
1.4 इं टालेशन
सीडीएस/आईएसआईएस के सं करण 2.3 को इं टाल करने क या बहु त ल बी तथा
ज टल थी, पर तु सं करण 30 म इस काय को बहु त आसान बना दया गया है । यह पैकेज
1 एचडी डसकैट या 2 डीडी ड कैट पर उपल ध है । कं यूटर के ए ाइव म ड कैट या
लॉपी को इंसट करने के बाद, सी ा ट पर हम केवल a:isisinst कमांड दे कर एंटर-क
दबाना है । इसके बाद कं यूटर इं टालेशन का काय अपने-आप पूरा का लेता है ।
1.5 डेटाबेस नमाण के पहले योजना बनाना
कसी भी डेटाबेस को बनाने से पहले एक सु नयोिजत खाका तैयार कर लेना चा हए
और इसे ल खत प म अपने पास रख लेना चा हए । इसका संबध
ं न न ल खत ब दुओं से
है:
1. डेटाबेस म कतने े ह गे?
2. इन े को कौन सी टै ग सं या द जाएगी?
3. इन के नाम या रखे जाएंग?

4. या कसी े म उप- े भी ह गे और य द हाँ, तो इनके टै ग तथा नाम या ह गे
5. येक े /उप- े क ल बाई कतनी होगी?
6. येक े /उप- े म कस कार का डेटा नवेश कया जाएगा (अ र/अंक/अ रांक)
7. डेटा ए वकशीट क संरचना या वह कैसी दखाई दे नी चा हए अथात ् उसम कौन सा
े कस थान पर द शत होगा
8. कन े का अनु म णकरण होना है?
9. तफल या मु त व प कैसा होना चा हए?
1.6 डेटाबेस को प रभा षत करना
सीडीएस/आईएसआईएस के अंतगत डेटाबेस बनाने म न न ल खत मु य चरण
सि म लत ह:
1. े प रभाषा ता लका का नमाण
2. डेटा ए वकशीट का अ भक प
3. दशनामु ण आ प लखना
4. े चयन ता लका बनाना
हम सव थम ओपे नंग या मु य मेनू से डी (D) वक प चु नना है । इसके बाद हमारे
सामने उप-मेनू EXDEF द शत होगा जो ISISDEF का उपमेनू है:
140
L- Change dialogue
C- Define a new data base
U- Modify data base definition
I- Reinitiatize data base
R- Unlock data base
X- Exit
?

चू ं क हम नया डेटाबेस बनाना चाहते ह, अत: हम वक प सी का चयन करना होगा


(जब डेटाबेस प रभा षत कर लया जाए उसके बाद भी इसक संरचना को वक प यू (U) के
वारा संशो धत कया जा सकता है) । सी वक प के चयन के उपरा त, मैसेज ए रया म
आपसे आपके डेटाबेस का नाम (जो आप दे ना चाह) पूछा जाएगा । यहाँ हम अपने डेटाबेस के
लए एक नाम दगे ।
जब आप अपने नए डेटाबेस का नाम बता दगे उसके बाद कं यूटर आपके सम एक-
एक कर चार न तु त करे गा । पहले न म आपको े प रभाषा ता लका (Field
Definition Table) तैयार करनी है, दूसर न म आपको े प रभाषा ता लका (Data
Entry Worksheet) बनानी है, तीसर न म आपको अपने डेटाबेस के लए ड ले फामट
(Displey Format) तैयार करना है तथा चौथी न म े चयन ता लका (Field Select
Table) का नमाण करना है िजसके अंतगत आप उन े का उ लेख करते ह िजनक
वषयव तु को अनु म णका म सि म लत करना है । इन सब काय को आप अपने कं यूटर
अ यास के समय कसी श क क दे ख-रे ख म सीख सकते ह । इन चार काय से संबं धत
न क परे खा आगे द गई है ।
फ ड डेफ नेशन टे बल
Field Definition Table (FDT) Data Base:Books
? Tag name Len Type Rep Delimiters
-
-
-
-
-
-
-
-
FDT बनाने के लए इस परदे को भरना होगा । इस परदे पर कुछ पद दखाए जाएँगे
। इ ह भरने के लए आव यक है, हम पहले इन पद से प र चत हो ल-
141
(i) Tag: टै ग (Tag) एक सं या या आं कक कूट (Notational Code) है जो कसी
े का त न ध व करता है । इसी आं कक चू क वरण या चू क मू य अपनाने का
नदश होता है ।
(v) Rep: इसका अथ है, यह प रभा षत करना क या यह े पुनरावतक े
(Repeatable Field) है । उदाहरणाथ, लेखक े को पुनरावतक प रभा षत कया
जा सकता है य क सू चीकरण के समय लेखक का नाम शीषक (Heading) म तथा
पुन : आ या के बाद दुबारा आ सकता है ।
(vi) Delimiters: प रसीमक (Delimiters) वहाँ प रभा षत करते ह जहाँ कसी े को,
सू चना क पुन ाि त आ द के लए, दो या अ धक उप े म बाँटना होता है । जैसे
लेखक े । इसे हम कु लनाम (Surname) तथा अ नाम (Forename) आ द म
बाँट सकते ह । येक उप े (sub-field) को अ र से इं गत करते ह, जैसे a, b,
c, d आ द ।
आएँ अब हम इस परदे को (आकृ त-23) भर:
फ ड डेफ नशन टे बल को भरना ।
Field Definition Table (FDT) Data Base:Books
? Tag Name Len Type Rep Delimiters
- 10 Author 60 X R ab
- 20 Title 130 X
- 40 Imprint 40 X abc
- 50 Collation 15 X
- 60 Series 130 X ab
- 70 Notes 70 X
- 80 Keywords 200 X
- 90 Aceno 10 X
- 100 Callno 30 X ab

Display Format- डेटाबेस नमाण का पहला परदा हमने पूरा कया ।उसके बाद
कं यूटर पर वयं दूसरा परदा नजर आएगा, जो इस कार होगा-
ड ले फामट न
Display Format

खाल जगह को मान ल, हमने यो भरा-


आकृ त-26
142
ड ले फामट परदा को भरना
Display Format
#, C2, V100^a/C2, V100^b, C12, V10^b,V10^a (12, 10)/V20 (12, 10),
X4,V 40(10,10)/C2,V90, C10, V50, X4, V60, (10, 10)/V70 (12,10), C12,
''''Keywords'' V80 (12, 10) #
दशन प जैसा क पहले बताया गया है- को प रभा षत, करने का अथ है, कं यूटर
को यह समादे श दे ना क इि छत समय पर सूचना का दशन या मु ण कस प म होना
चा हए । हर टै ग के पहले V अ र इस लए लगाया जाता है क कं यूटर इस े को अंक कू ट
के प म समझे । उप र ल खत दशन प मे यु त भाषा या दशन समादे श को इस कार
ाकृ तक भाषा म अनू दत कया जा सकता है-
# (ऊपर से एक पंि त छोड़ो), C2 (बाएँ हा शए से गनकर कालम 2 पर आओ),
V1100a^a (आ वान सं या (Call No) के थम उप े अथात ् वग सं या (Class No)
का मु त करो), / (अगल पंि त पर जाओ) आ द
वकशीट (Worksheet)
Work Sheet: Books Data Base:Books
Author ……………………………………………………….…………………………………………………………….
Title …………………………………………………………………………..…………………………………….….
Imprint ……………………………………………………….…………………………………………………………….
Collation ……………………………………………………….…………………………………………………………….
Series ……………………………………………………….…………………………………………………………….
Note ……………………………………………………….…………………………………………………………….
Keyword ……………………………………………………….…………………………………………………………….
………………………………………………………………………………………………………………………………………….………
………………………………………………………………………………………………………………………………………….………
Acc No ……………………………………………………….…………………………………………………………….
Call No ……………………………………………………….…………………………………………………………….
े चयन ता लका (Field Select Table)
Data Base:Books FST for Inverted file FST Name:
? ID IT Data Extraction Format
-
-
-
यहाँ ये या याएँ समझ ल-
ID= े अ भ ापक (Field Identifier)

143
IT= अनु मणीकरण तकनीक (Indexing Technology)
Data Extracrion format= िजस प म डेटा को दशाना है ।
े अ भ ापक का काम टै ग से लया जाता है । डेटा ए स े शन का काय पत
भाषा (फाम टग ल वेज) से लया जाता है । अनु मणीकरण तकनीक कई ह । पाँच
मु ख तकनीक का ववरण नीचे दया गया है । इनके बारे म जानकार आव यक है,
तभी इस तीसरे परदे को भरा जा सकता है-
तकनीक उपयो गता
0 जहाँ पूर पंि त को लेना है (या पूर पंि त ढू ँ ढ़ जा सकती है, या पूर पंि त
क अनु म णका बनानी है) ।
1 जहाँ उप े को लेना है ।
2 जहाँ तकोने को ठक (Triangular brackets) म बंद श द को लेना है ।
3 जहाँ लैश (Slash) के बीच के श द लेने ह ।
4 जहाँ उस े के येक श द को (अलग-अलग) लेना है ।
े चयन ता लका को प रभा षत करना
Data Base:Books FST for Inverted file FST Name:
? TD IT Data Extraction Format
- 10 1 Mdl, V80
- 20 0 Mhl, V10^b, V10^a
- 80 2 Mdl, V20
वकशीट (Worksheet) - वकशीट को े प रभाषा ता लका के आधार पर बनाया
जाता है । जैसे-जैसे हम इसम सू चना भरते जाएंग,े वैस-े वैसे कं यूटर आगे करने के लए हम से
संवाद करता जाएगा । उन संवाद का पालन या अनुसरण कर वकशीट तैयार कर ।
अब चार पद अथात ् FDT, Display Format, तथा Worksheet को भर दे ने के
बाद हमारा डेटाबेस तैयार है । हम नवेश या डेटा इंदराज काय कर सकते है ।
डेटा इंदराज-डेटा इंदराज के लए ारं भक मेनू म से N का वरण कर । इस वरण के
साथ ह हमारे सामने आकृ त 24 के अनुसार प रभा षत तथा उसके बाद व धपूवक बनाई गई
वकशीट आकृ त 38 क तरह उपि थत होगी ।
वकशीट के मा यम से ह हम कसी डेटाबेस म रे काड नवे शत करते ह । वकशीट एक
या अ धक पृ ठ क भी हो सकती है । एक वकशीट पर एक रे काड (या एक लेख) के ववरण
रखे जाते ह । जब एक रे काड का नवेश समा त हो गया तो दूसरे रकाड के लए हू-ब-हू वैसा
ह वकशीट पुन : तु त होगी । यह म जार रहे गा IE वरण करने पर डेटा इंदराज (N), डेटा
संसाधन (पुन : E) आ द सारे काय कए जा सकते ह ।

144
2. लब सस
2.1 वषय वेश: लब सस सॉ टवेयर को द ल के लब सस कॉप रे शन नामक नजी
एजसी ने वक सत कया है । यह एक मेनू आधा रत पैकेज है और इसके आधार पर
पु तकालय के सभी गृह काय तथा इसक सेवाओं को कं यूटर के आधार पर पूरा कया जा
सकता है ।
2.2 मेनू स टम: लब सस म सम त काय के लए मेनू उपल ध ह जैसे-
एि वजीशन
कैटे लॉ गंग
सकुलेशन
सी रयल कं ोल
आ टकल इंडेि संग
ओपेक
इसम स टम सेट- अप, रकाड-क पंग तथा यू ट ल टज का भी ावधान है ।
2.2.1 एि वजीशन
इस सॉ टवेयर म अ ध हण से संबं धत सम त याओं जैसे यादे श, पु तक ाि त,
बल याकरण, भु गतान संवी ण तथा पु तक को अवा त करने से संबं धत ावधान है ।
य द कसी ि थ त म ऐसी पु तक क कं यूटर म एं करते ह जो पु तकालय म पहले से ह
उपल ध है तो यह सॉ टवेयर हम इस बात से आगाह कर दे ता है क यह पु तक पु तकालय
म पहले से ह उपल ध है । अत: अनजाने म कसी पु तक क दूसर या तीसर तय के
अ ध हण पर रोक लगाई जा सकती है । इसके आधार पर हम आदे श-प , अनु मारक, ल ट
ऑफ ए ड ल इ या द नकाल सकते ह, बल के भु गतान क जाँच कर सकते है तथा
पु तकालय क आ थक दशा का समय-समय पर आँकलन कर सकते ह ।
2.2.2 कैटे लॉ गंग
यह सॉ टवेयर अ ध हत पु तक के सू चीप क वयं ह बना लेता है तथा इसे
नधा रत म म मु त कर, हम तु त करता है । ये प क एएसीआर- 2 के आ प म
डफा ट प म मु त होते ह, पर तु अगर कोई पु तकालय अपने सू चीप को को सीसीसी
आ प म मु त करना चाहे तो इस सॉ टवेयर के नमाता इसम आव यक प रवतन कर दे ते
2.2.3 सकु लेशन
सकुलेशन मो यूल के अंतगत मे बर शप रकाड बनाने का ावधान है और साथ ह
साथ, जहां भी आव यक हो, अ ध हण मो यूल से डेटा ा त करने का ावधान है । इस
मो यूल के अंतगत आदान दान, आर ण, अनु मरण भेजना और रपोट बनाने संबध
ं ी
ग त व धयां पूर क जा सकती है ।
2.2.4 सी रयल कं ोल
इस मो यूल के अंतगत प -प काओं क खर द, नवीन अंक क वि टयां, अ ा त
अंक के लए अनु मारक भेजना प -प काओं का लेन-दे न तथा व भ न कोट क प -प काओं
145
(जैसे सशु क या व नमय के आधार पर ा त) के रख- रखाव का ावधान है। इसी मो यूल के
अंतगत प - प काओं से संबं धत व तीय लेखा-जोखा का काय भी कया जा सकता है ।
2.2.5 आ टकल इंडे स
इस सॉ टवेयर के वारा सू चना के चय नत सारण (एसडीआई) सेवा अ यु तम तर के
से चलाई जा सकती है । इसके लए उपयो ता ोफाईल और लेख ोफाइल बनाने का ावधान
है । इन दोन ोफाइल म द गई सूचना का मलान कर, कं यूटर वयं ह संबं धत सद य या
उपयो ता को उसक आव यकतानुसार सू चनाएं भेजता रहता है ।
2.2.6 ओपेक
लब सस का ओपेक (ऑनलाइन पि लक ए सेस कैटे लॉग) मोडयूल अ यंत भावशाल
है। इसके वारा कोई भी पाठक अपनी सू चना को खोज सकता है, पर तु वह केवल उसे दे ख
सकता है, उसम कसी कार का संपादन या संशोधन नह ं कर सकता । ओपेक के अंतगत
लेखक आ या तथा वषय अ भगम से खोज बहु त ती ग त से क जा सकती है ।

3. सारांश
हमारे दे श म अनेक पु तकालय अनु युि त सॉ टवेयर पैकेज उपल ध ह । इनम से
कु छ का नमाण सं थाओं ने अपने लए वयं कया है, कु छ को सरकार एज सय वारा नाम
मा के शु क पर वत रत कया जाता है तथा कु छ शु प से वा णि यक पैकेज ह, जो
य य प मू य म अ धक ह पर तु पु तकालय म इनका वागत कया गया है । जहां तक बड़े
पु तकालय का सवाल है, लब सस तथा ए लस फॉर वंडोज को अ धक लोक यता मल है,
पर तु छोटे पु तकालय म सीडीएस/आईएसआईएस भी बहु त लोक य रहा है । इनि लबनेट ने
भी व व व यालय के पु तकालय के लए सोल नामक एक सॉ टवेयर वक सत कया है ।
पु तकालय को चा हए क अपनी आव यकताओं के अनु प तथा अपनी व तीय मता का
आकलन कर, ह अ धक मू य वाले सॉ टवेयर का अ ध हण करे ।

4. अ यासाथ न
1. सी डी एस / आई एस आई एस क वशेषताओं का वणन कर ।
2. सी डी एस / आई एस आई एस म यु त फ ड डे फ नशन टे बल
ु क परे खा तु त
कर ।
3. सी डी एस / आई एस आई एस क ओपे नंग मेनू क परे खा तु त कर ।
4. लब सस सॉ टवेयर का सं त ववरण तु त कर ।
5. सी डी एस / आई एस आई एस का पूरा प लख

5. पा रभा षक श दावल
सीडीएस / आईएसआईएस म यु त कु छ मु य श द का सं त ववरण
न न ल खत है:

146
1. टै ग (Tag) : टै ग एक सं या या आं कक कोड है जो कसी े का त न ध व करता
है । जैसे, य द हमने लेखक े के लए टै ग सं या- 100 दया तो कं यूटर लेखक
क पहचान 100 से करे गा । इस उदाहरण म, उपयो ता वारा इस े क पहचान
लेखक पद वारा क जाएगी तथा कं यूटर वारा इसक पहचान 100 अंक वारा क
जाएगी ।
2. े नाम (Name) : े का नाम या फ ड नेम का वणन ऊपर के उदाहरण मे
कया गया है ।
3. ले ध (Lenth) : इसका अथ है येक े के लए एक ल बाई नधा रत करना
अथात उस े के अंतगत कतने कैरे टस डाले जाने अ भ ेत ह । अगर हम समझते
ह क लेखक का नाम तीस कैरे टस से अ धक नह ं हो सकता तो हम लेखक े का
ले थ 30 रखते ।
4. टाइप (Type) : यह कैरे टर के कार को सू चत करता है । जो अ काबे टकल,
यूम रक या अ का- यूम रक हो सकता है । पहले के लए ए (A) दूसरे के लए
एन(N) तथा तीसर के लए ए स(X) का योग कया जाएगा । ए स(X) का योग
डफा ट के प म कया जाता है । डफा ट का अथ यह है क अगर हम कं यूटर को
ए अथवा एन म से कोई वक प नह ं दे ते ह तो कं यूटर अपने ववेक का योग कर,
डफा ट प म ए स को चु न लेगा ।
5. डल मीटर (Delimiter): डल मीटर का संबध
ं उप- े से है । येक े म हम कु छ
डेटा रखते ह । कु छ े ऐसे भी होते है िजनम दो कार के वतं डेटा को रखना
अपे त हो सकता है । उदाहरण व प लेखक का े । इस े म हम डेटा को दो
उप- े म रखना चाहगे । जैसे कु लनाम (Surname) तथा वनाम (proper
name) इ ह इं गत करने के लए हम लेखक े को दो भाग म बाँट सकते ह और
इ ह a, b, से न पत कर सकते ह।
6. डेटा ए वकशीट (Data Entry Worksheet): डेटा ए वकशीट एक ऐसे पृ ट
का खाका है िजसम येक रकाड से संबं धत सू चना द जाती है । य द हम पु तक
का डेटाबेस बना रहे ह तो एक वकशीट म एक पु तक का ववरण संबं धत े के
अंतगत दया जाएगा । जब एक वकशीट भर जाएगी तो कं यूटर या तो वयं ह या
हमारे वारा मांगे जाने पर नई वकशीट तु त करता रहे गा ।
7. ड ले फामट (Display Format): ड ले फामट एक ऐसा ा प है िजसमे हम यह
नधा रत करते ह क हमारे डेटाबेस का आउटपुट कस प म होना चा हए । पु तक
के डेटाबेस के लए, उदाहरण व प हम अपने ड ले फामट म यह नधा रत करना
होगा क लेखक का े कहाँ मु त होगा, ग सं या का े कहाँ मु त होगा
इ या द । ड ले फामट को लखने के लए सीडीएस/आईएसआईएस क अपनी
फाम टंग ल वेज है ।

147
8. फ ड सेले ट टे बल (Field Select Table): यह एक ऐसी ता लका है िजसम हम
उन े का उ लेख करते ह िजनके पा यांश उपयो ताओं वारा खोजे जा सकते ह ।
9. वपय त फाईल (Inverted File): इंवटड फाईल म अनु म णका रहती है जो FST
म प रभा षत े के पाठ से बनी होती है । डेटा इंदराज का काय समा त करने के
बाद हमने िजतने रे काड बनाए है उन सबका अनु मणीकरण - 1 वरण (ISISNV) से
कर सकते ह ।

6. व तृत अ ययनाथ ंथसू ची


1. शमा, पा डेय एस. के., कं यूटर और पु तकालय, द ल , ं अकादमी, 1996

2. Sharma, Pandey S.K Fundamental of Library Automation, New
Delhi, ESS ESS Publication, 1995

148
इकाई- 11: कं यूटर आधा रत सूचना सारण सेवाएँ –
साम यक जाग कता सेवा एवं चय नत सू चना सारण सेवा
(Computer Based Information Services – Current
Awareness Service (CAS) and Selective
Dissemination of Information (SDI) Service)
उ े य
1. साम यक जाग कता सेवा या है? इसक प रभाषा, आव यकता तथा इसके अ भल ण
से अवगत होना,
2. अनुसंधानकताओं को सू चना के त कस कार जाग क बनाया जा सकता है तथा
पु तकालय एवं सूचना के इसे कन- कन कार से आयोिजत कर सकते ह, आ द से
अवगत होना,
3. साम यक जाग कता सेवा को कन- कन ा प तथा मा यम वारा उपयो ता तक
पहु ँ चाया जा सकता है, आ द के बारे म जानकार ा त करना
4. चय नत सूचना सारण सेवा क प रभाषा, उसके अ भल ण और उन व भ न चरण
से अवगत होना जो सारण या म मु य प से आव यक होते है,
5. वां छत सू चना को कस कार कसी सं था या नकाय क आव यकतानुसार चयन तथा
सं हण करके व भ न कार से सा रत कया जाता है । इस या के दौरान सू चना
क खोज उपयो ता क त या तथा स पूण या म व भ न तर पर कस कार
समायोजन कया जाता है, आ द के बारे म जानकार हा सल करना ।

संरचना
1. वषय वेश
2. साम यक जाग कता सेवा क आव यकता
3. साम यक जाग कता सेवा क प रभाषा
4. साम यक जाग कता सेवा के अ भल ण
5. साम यक जाग कता सेवा के व भ न चरण
6. जाग कता के तर के
7. साम यक जाग कता सेवा के आयोजन क व धयाँ
8. साम यक जाग कता सेवा सारण के ा प
8.1. साम यक जाग कता बुले टन
8.2. अध हत नवीन पु तक क सू ची
8.3. अनुसंधान - ग त बुले टन
149
8.4. साम यक अंत वषय सेवा
8.5. समाचार प कतरन सेवा
9. चय नत सू चना सारण सेवा क आव यकता
10. चय नत सू चना सारण क प रभाषा
11. चय नत सू चना सारण सेवा के अ भल ण
12. चय नत सू चना सारण सेवा के व भ न चरण
12.1. सू चना का चयन
12.2. अ धसू चना
12.3. फ डबैक
12.4. संशोधन
13. चय नत सू चना सारण सेवा के आयोजन क व धयाँ
13.1. ह त-च लत व ध
13.2. इले ो नक व ध
14. चय नत सू चना सारण सेवा क याएँ
14.1. उपयो ता क पहचान
14.2. उपयो ता ोफाइल का नमाण
14.3. सू चना ोत का चयन
14.4. डेटा बेस का नमाण
14.5. अनु मणीकरण
14.6. ोफाइल का मलान
14.7. सू चना क खोज
14.7.1. मु त-पा य खोज
14.7.2. ट खोज
14.7.2. सि नकट-खोज
14.7.4. नयि त-पद खोज
15. सू चना का सारण
16. उपयो ता वारा प रणाम व लेषण
17. सु धार एवं संशोधन
18. सेवा का मू यांकन
19. सारांश
20. अ यासाथ न
21. पा रभा षक श दावल
22. व तृत अ ययनाथ थसूची
परश ट

150
प र श ट- 1 : उपयो ता- ोफाइल का नमू ना
प र श ट- 2 : उपयो ता- ोफाइल का नमाण
प र श ट- 3 : चय नत सू चना सारण सेवा म काय
प र श ट- 4 : फ डबैक फाम
प र श ट- 5 : उपयो ता क भेजे गये लेख का नमू ना

1. वषय वेश
कसी पु तकालय या सू चना के का मु ख येय अपने उपयो ताओं को उपयु त
समय पर, उपयु त ा प म, उपयु त मा यम वारा वां छत सू चना को उपल ध कराना है ।
इस लए सू चना का चयन करके उसे यथा शी उपयो ताओं तक पहु ँ चाना एवं उ ह जाग क
बनाना पु तकालय एवं सू चना के क नत- त या का एक अ भ न अंग बन गया है ।
छोटे या बड़े सभी कार के पु तकालय एवं सूचना के म कसी न कसी प म यह सेवा
दान क जाती है । इस लए इस इकाई म ''साम यक जाग कता सेवा'' तथा ''चय नत सू चना
सारण सेवा'' के बारे म आपको अवगत कराया गया है । इन सेवाओं के बारे म आधारभू त
जानकार , इनके आयोजन क व धय तथा उन पहलु ओं पर काश डाला गया है िजसका आप
अपने पु तकालय एवं सू चना के म उपयोग कर सकगे । इस इकाई म ह तचा लत या के
साथ- साथ कं यूटर कृ त णाल के बारे म भी व तृत जानकार दे ने का यास कया गया है
िजससे वे अ ययनकता, जो कसी जग कता सेवा एवं व ध का योग कर रहे ह, लाभा व त
ह गे ।

2. साम यक जाग कता सेवा क अव यकता (Need for Current


Awareness Service)
अनुसंधान प रयोजनाओं म कायरत वै ा नक तथा अनुसध
ं ानकताओं को मु य प से
िजन क ठनाइय का सामना करना पड़ता है उनम से एक है- उनके अनुसध
ं ान काय से संबं धत
सह सू चना क अनुप ल धता । यह सू चना का शत एवं अ का शत कसी भी प उपल ध होती
है । अनुसध
ं ानकताओं को वां छत सूचना उपयु त समय पर न ा त होने क ि थ त म या तो
उनक खोज क दशा मत हो जाती है या वे पुन : उसी वषय पर अनुसंधान करने लगते ह
िजसम पहले से ह अनुसध
ं ान काय कया जा चु का है । इस कार से धन, समय तथा प र म
का दु पयोग हो सकता है । इस लए कसी भी अनुस धान काय म उपयु त समय पर, उपयु त
प म ासं गक एवं यथाथ सू चना का उपल ध होना अ य त आव यक होता है ।
का शत होने वाले सा ह य क चरघाताकंक वृ (Exponential) के कारण आज
ासं गक सू चना क खोज करना क ठन ह नह ं अ पतु अस भव भी हो गया है । कसी वशेष
े म का शत सा ह य का सदै व अवलोकन करना एवं जाग क बने रहना कसी भी
अनुसंधानकता के लए कदा प स भव नह ं है । इस लए पु तकालय एवं सू चना के वारा
साम यक जाग कता सेवा णाल वक सत क गई है िजसके वारा अनुसंधानकताओं या सूचना
ा त करने के इ छुक लोग को साम यक सूचना उपल ध करायी जाती है । मू लत: यह सूचना
151

ं ा मक प म सा रत क जाती है । सव थम इस सू चना को केवल भौ तक प म ह
का शत कया जाता रहा, पर तु आज यह इले ो नक प म भी उपल ध है ।

3. साम यक जाग कता सेवा क प रभाषा (Definition of Current


Awareness Service)
वैसे तो साम यक जाग कता सेवा को भ न- भ न लेखक ने अपने- अपने ढं ग से
प रभा षत कया है पर तु उनक इन प रभाषाओं म बहु त कु छ समानता है । न न ल खत
अनु छे द म कु छ मु ख लेखक वारा द गयी प रभाषाओं का उ लेख कया गया है । डा. एस.
आर. रं गनाथन के अनुसार :
'' कसी नि चत समय म का शत हु ए लेख को सू चीब करना है । इसी म न तो
कसी व श ट वषय के आधार पर तथा न ह कसी वशेष अ येयता क अ भ च को आधार
मानकर लेख का चयन कया जाता है अ पतु सामा य अ भ च वाले अ येयताओं क ान-
पपासा क प रपू त के लए साम यक एवं नवीनतम लेख का चयन कया जाता है । इस
सेवा के अ तगत अ येयताओं को उनके व श ट वषय तथा उससे संबं धत अ य वषय क
नवागत सू चना को यथाशी सा रत करने का यास कया जाता है ।''
एक अ य मु ख लेखक ास के अनुसार
''ऐसा यव थापन करना िजसम काशन के ा त होने के शी बाद ह उनका
पुनरावलोकन एवं उनक समी ा करना, िजस सं था को सेवा दान करनी है । उसके काय म
के अनु प सूचना का चयन करना तथा इस सं था म कायरत लोग के यानाकषण स बि धत
येक लेख का अ भलेखन करना आ द साम यक सू चना सेवा णाल के अ तगत आत ह ।
यह उन सभी याओं का सि म ण है िजनके अ तगत ा त कये गये प -प काओ,पु तक ,
लघु-पुि तकाओं, एक व , तवेदन तथा उन सभी ग भीर वषय-व तु स बि धत पु तक आ द
से सू चनाओं का चयन कया जाता है ।''
स यनारायण एवं रायजादा ने इसे इस कार प रभा षत कया:
''यह एक ऐसी सेवा है जो अनुसं धानकता अथवा अनुसध
ं ान काय म कायरत समू ह के
काय क ग त को मा णत करने वाल स पूण सूचना को उपयु त समय पर एवं सु वधापूण
ढं ग से उपल ध कराती है ।''
डी.ऐ.के प के अनुसार
''नवीनतम ा त कये जाने वाले एवं उपल ध लेख क समी ाओं क यह एक
यव था-प त है िजसम कसी यि त वशेष या उनके समू ह क आव यकताओं के अनु प
साम य एवं व तु ओं का चयन करना तथा उ ह अ भले खत करना, िजससे उन यि तय या
समू ह को सू चत कया जा सके िजनक आव यकताओं एवं अ भ चय से वे संबं धत होती है
।''
इस कार नवीनतम सा ह य क सू चना को अनुसध
ं ानकताओं तक पहु ँचाने के लये
कये गये यास को ''साम यक जाग कता सेवा'' या ''साम यक भ ता सेवा'' या ''साम यक

152
चेतना सेवा'' कहा जाता है। इस सेवा का मु ख उ े य उपयोगी सूचना के उपल ध न होने के
कारण, अनुसंधान काय म अकुशलता, वल ब तथा पुनरावृ त को रोकना है ।
व तु न ठ न- सह और गलत बताइये
1. डा. रं गनाथन के अनुसार साम यक जाग कता सेवा के अ तगत
(अ) एक नि चत समय म का शत लेख क सू ची तैयार क जाती है ।
(ब) वषय का चयन कसी उपयो ता क अ भ च के अनु प कया है ।
(स) उपयो ता वारा मांगे जाने पर ह सेवा दान क जाती है ।
2. ास के अनुसार साम यक जाग कता सेवा का उ े य
(अ) कसी सं था म कायरत लोग को नवागत सूचनाओं क तरफ यानाकषण करना
है ।
(ब) साम यक सू चना लेख का चयन एवं उनका सारण है ।।
(स) पु तकालय म आये येक लेख का अ भलेखन करना है । ।
(द) केवल यानाकषण स ब धी लेख को अ भ ल खत करना है ।

4. साम यक जाग कता सेवा के अ भल ण (Characteristics of


Current Awareness Service)
साम यक जाग कता सेवा क न न ल खत वशेषताएँ होती ह
(i) सामा यतया यह सेवा उपयो ताओं का यान साम यक या नवीन सूचना क ओर
आक षत करने के लए एक काशन के प म दान क जाती है ।
(ii) इस सेवा वारा कसी सू चना स ब धी सम या का नदान या कसी न, का उ तर
नह ं दया जाता अ पतु, नये वकास, तथा साम यक सू चना स ब धी जानकार दान
क जाती है ।
(iii) यह सेवा कसी एक वषय से स ब न होकर व तृत वषय से संबं धत होती है ।
(iv) इस सेवा वारा अ येयता या अनुसध
ं ानकता अपनी च के वषय के साथ-साथ अ य
संबं धत वषय के बार म जानकार ा त कर सकता है ।
(v) य क यह एक साम यक सेवा है इस लए इसे काशन के ा त होने के तु र त बाद
उपयो ता को दान कया जाता है ।
(vi) ार भ म थ
ं सूची के प म यह सेवा दान क जाती है तथा बाद म मांगे जाने पर
स पूण -पा य को उपयो ता को दान कया जाता है ।

5. साम यक जाग कता सेवा के व भ न चरण (Steps in Current


Awareness Service)
(i) साम यक जाग कता सेवा दान करने के न न ल खत चरण होते है
(ii) काशन क ाि त के, तु र त बाद उनका मवी ण (Scanning) उनक समी ा
(Review) करना ।

153
(iii) िजस संगठन या सं था को सेवा दान करनी है उसक आव यकता के अनु प सू चना
का चयन करना ।
(iv) इस कार से ा त क गई सू चना का सं था क आव यकता से मलान करना तथा
यह सु नि चत करना क या इससे सं था क सू चना स ब धी ज रत क पू त हो
सकती है ।
(v) चयन क गई सू चना को सु चा प से अ भले खत करना ।
(vi) चय नत सू चना के बारे म उपयो ता को उ चत मा यम वारा जानकार हा सल कराना।

6. जाग कता के तर के (Ways of Awareness)


सू चना सारण के े म साम यक जाग कता सेवा क एक मह वपूण भू मका है ।
साम यक जाग कता का ता पय है कसी वशेष े म समय-समय पर उपल ध सू चना वारा
सू चना ा तकता को अवगत कराना । यावसा यक प से जु ड़े अनुसध
ं ानकताओं वारा अपने
को अ यतन सू चना से जाग क करने क व भ न तर के ह जैसे:
(i) समान कार के अनुस धान काय म संल न लोग से यि तगत स पक, प - यवहार,
ई-मेल, इंटरनेट या अ य संचार मा यम वारा स पक करना; उनसे पूवमु त
(Preprints) साम ी मँगाना; संगो ठ , स मेलन कायशाला आ द म भाग लेकर वचार
का आदान- दान करना तथा अनुसध
ं ान प रणाम आ द के बारे म प रचचा करना ।
(ii) अपने वषय े म का शत प -प काओं, पु तक आ द का समय-समय पर
अवलोकन करना ।
(iii) ऐसी सं थाओं, पु तकालय या सू चना के क सेवाय ा त करना जो वां छत वषय
े म अ यतन सा ह य से अवगत कराते ह या साम यक लेख क अ त वषय सू ची
(Content List) को सा रत करते ह ।
(iv) ऐसी सं थाओं वारा सेवाय ा त करना जो गैर-पर परागत ोत जैसे तवेदन ,
मानक , एक व , शोध थ आ द से साम यक सू चना क जानकार उपल ध कराते
ह।
(v) उन सं थाओं का सद य बनकर सूचना ा त करना जो साम यक सू चना को थ
ं सूची
प म का शत करते ह तथा उ ह मु त या इले ो नक प म सा रत करते ह ।
कभी-कभी आव यकता पड़ने पर ये सं थाय पूण पा य (Full-text) भी उपल ध कराती
ह ।

7. साम यक जाग कता सेवा के आयोजन क व धयाँ (Methods of


Current Awareness Service)
साम यक जाग कता सेवा दान करने क अनेक व धयाँ ह । इनम से कु छ सामा य
प म योग म लायी जाने वाल व धय का वणन नीचे कया गया है
(i) नवीनतम काशन अथवा अ ध हत सू चना साम ी को ता लकाब कर उ ह बुले टन
के प म सा रत करना ।

154
(ii) डाक, स दे श वाहक, ई-मेल के मा यम से संबं धत उपयो ताओं को व ि त
(Notification) के प म सू चना उपल ध कराना ।
(iii) नवीनतम काशन एवं सू चना साम य का दशन करना ।
(iv) उपयो ताओं को पु तकालय या सू चना के म आमि त कर उ ह य प म
नवागत पु तक , लेख से अवगत कराना ।
(v) उपयो ताओं के काय थल पर जाकर उ ह साम यक सूचना क जानकार दान करना।
(vi) साम यक काशन के अ ध हण के तु र त प चात उनके मु य पृ ठ अथवा उनक
अ त वषय सू ची को पु तकालय वारा इंटरनेट पर खोले गये अपने होम पेज (Home
Page) पर रखना ।
(vii) थसूची का शत करना या उसे इले ो नक मा यम वारा उपयो ता तक पहु ँ चाना।
(viii) अनु म णकाओं तथा सार-सूची का नमाण एवं सारण करना ।
उपरो त व धय का आयोजन ह त-चा लत काशन या कं यूटर एवं संचार ौ यो गक
के मा यम वारा कया जा सकता है ।

8. साम यक जाग कता सेवा सारण के प (Forms of


Dissemination of Current Awareness Service)
साम यक जाग कता सेवा को न न प म सा रत कया जा सकता है:-
8.1. साम यक जाग कता बुले टन (Current Awareness Bulletin)
इस कार दान क जाने वाल सेवा के अ तगत पु तकालय या सू चना के वारा
अध हत नयी पठन-पाठन साम ी को ता लका ब कर उ ह मु त प म या इले ो नक
प म सा रत कया जाता है ।
8.2 अ ध ह त नवीन पु तक क सूची (List of New Addition)
अ धकतर पु तकालय अपने यहाँ अ ध ह त नवीन पु तक को सू चीब कर तथा उनका
अनु मणीकरण कर मु त प म या ई-मेल वारा या फर अपने होम पेज वारा इस कार
क सू चना सेवा, सा रत करते ह । सामा यतया इस कार क सू ची को वग कृ त प म तथा
वषय अनु म णका के साथ न मत कया जाता है ।
8.3. अनुस धान- ग त बुले टन (Research-in-progress Bulletin)
कसी े म कया जा रहा अनुसंधान काय कभी-कभी अ तद घ का लक होता है ।
इसके पूण होने म वष लग सकते ह । इस लए यह आव यक होता है क इस काय म हो रह
ग त के बारे म समय-समय पर जानकार उपल ध होती रहे । इस कार के बुले टन वारा
अनुसंधान काय तथा उनके प रणाम क सहभा गता व भ न अनुसंधान सं थाओं वारा क
जाती है ।
8.4 साम यक अंत वषय सेवा (Current Content Service)
पु तकालय एवं सू चना के वारा मंगाई जाने वाल प -प काओं म से उनके
अंत वषय (Content) को यथावत लेकर या पुन : संर चत (Composed) करके बहु-

155
त ल पकरण करके उपयो ताओं को सा रत कया जाता है । बहु त सी रा य तथा
अंतररा य सं थाएँ एवं नकाय इस कार क सेवाओं को वा णि यक प म सा रत करते ह
। इं ट यूट फॉर साइि ट फक इ फामशन, फलेडेि फया वारा व भ न वषय म 5 े णी म
साम यक अंत वषय सेवा का सारण कया जाता है ।
1. Current Contents: Physical Chemical and Earth Sciences
2. Current Contents: Social and Behavioural Sciences
3. Current Contents: Life Sciences
4. Current Contents: Clinical Medicine
5. Current Contents: Engineering, Computing and Technology
ठ क इसी कार इ सपेक(INSPEC) वारा कं यूटर तथा इलेि कल एवं इले ो नक
इ जी नय रंग के े म दो साम यक जाग कता सेवाएँ दान क जाती ह ।
1. Current Papers in Electrical and Electronics Engineering
2. Current Papers in Computers and Control
उपरो त साम यक जाग कता सेवाय इले ो नक तथा सीडी-रोम प म भी उपल ध ह
। इन सेवाओं को सीधे ऑनलाइन खोज वारा अ यतन सू चनाएँ ा त करके दान कर सकते
ह ।
8.5. समाचारप कतरन सेवा(Newspaper Clipping Service)
सू चना के नवीनतम ोत म से समाचारप एक मु ख ोत है । इसम वभ न
कार क अ यतन (Uptodate) सू चनाएँ का शत होती ह । ासं गक सूचनाओं को काट कर
या उ ह मवी क (Scanner) वारा मवी ण करके प का के प म दै नक, सा ता हक,
पा क या मा सक तौर पर सा रत कया जाता है । सू चना ौ यो गक के वकास के कारण
आज यह सु वधा इंटरनेट के ज रये भी सा रत क जा रह है । य क बहु त सारे रा य एवं
अंतररा य समाचारप इंटरनेट पर उपल ध ह इस लए इनको काटने क बजाय इनम से
वां छत सू चनाओं को डाउनलोड तथा वग कृ त करके इंटरनेट क साइट पर डाल दया जाता है
और वेब साइट के पते से उपयो ता वारा कसी भी समय इनका अवलोकन कया जा सकता
है । इस कार क सेवा म समय तथा म दोन क बचत होती है एवं सू चना भी अ यतन
प म ा त हो जाती है । डेसीडॉक (DESIDOC), रा य सू चना के (National
Informatics Centre) वारा सा रत सेवाएँ इस कार क सा रत सेवा के उ कृ ट उदाहरण
ह जो मु त तथा इले ो नक दोन प म उपल ध ह ।
इसके अ त र त अ य साम यक जाग कता सेवाओं म इंटरनेट आधा रत जाग कता
सेवा; सीडी-रोम आधा रत जाग कता सेवा, कं यूटर कृ त जाग कता सेवा; व भ न भाषाओं से
अनुवाद क गयी सू चनाओं का बुले टन ; तकनीक तवेदन , मानक , कं यूटर एक व से उ त

सारां शत एवं अनु मणीकृ त सेवाएँ आ द आती ह िज ह संर चत करके कसी उपयु त प म
(चाहे मु त प म या इले ो नक प म या इंटरनेट वारा) सा रत कया जा सकता है ।
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये ।

156
1. साम यक जाग कता सेवा का सारण
(अ) नवीन सू चना ोत वारा कया जाता है ।
(ब) मु त या इले ो नक प म कया जाता है।
(स) कसी नि चत समयाव ध म कया जाता है ।
(द) कसी सं था या उसम काय करने वाले लोग को उनके काय से स बि धत सू चना
वारा उ ह अवगत कराने के लए कया जाता है ।
2. साम यक जाग कता सेवा
(अ) कसी वशेष सम या के नवारण के लए दान क जाती है ।
(ब) थ
ं सू ची प म दान क जाती है ।
(स) कसी भी संचार मा यम वारा दान क जाती है ।
(द) पूण -पाठ के प म दान क जाती है ।

9. चय नत सू चना सारण सेवा क आव यकता (Need for


Selective Dissemination of Information Service)
सामा यतया वै ा नक एवं अनुसध
ं ानकता अपने स पूण अनुसंधान कालाव ध म कसी
एक वशेष े म काय करते ह । इस वशेष े को के ब दु मानकर वे अपने ान को
बढ़ाते ह तथा साम यक एवं अ यतन सू चना ा त करते ह । कभी-कभी उ ह अ य स बि धत
वषय म भी अ भ च हो जाती है । सामा य प रि थ तय म सभी अनुसंधानकताओं वारा
अपने को अ यतन रखने एवं अनुसंधान करने के लए लगभग समान समय उपल ध होता है ।
इनके स पूण समय का लगभग एक चौथाई भाग सू चना के आदान- दान म,
सेमीनार /संगोि ठय म भाग लेने म, भाषण दे ने म या अ य तर क से वचार के आदान- दान
म यतीत हो जाता है । सू चना यावसा यय वारा यह महसूस कया गया क अनुसंधानकता
के लए इस कार क कोई अ यतन सेवा दान क जाए िजससे उसके समय तथा म दोन
क बचत क जा सके तथा िजससे वह अ धक से अ धक सूचना ा त कर सके । इस कार
क सेवा को चय नत सू चना सारण सेवा (Selective Dissemination of Information
(SDI) Service) कहते ह ।

10. चय नत सू चना सारण सेवा क प रभाषा (Definition of


Selective Dissemination of Information Service)
चय नत सू चना सारण सेवा का योग थम बार सन ् 1958 म हंसीपटर लु न
वारा कया गया । इसके पूव पु तकालय वारा यह सेवा अनुसंधानकता को ह तचालन व ध
वारा उ ह उनके अनुसंधान काय से स बि धत े म का शत सू चना से अवगत कराने के
लए दान कया जाता था इसम वभ न सारण मा यम जैसे टे ल फोन, डाक या स दे श
वाहक वारा सूचना भेजी जाती थी । लु न ने इस सेवा को कं यूटर कृ त कया जो आज दान
क जाने वाल चय नत सू चना सारण सेवा के मू ल म ि थत है ।

157
लु न ने इस सेवा को इस कार प रभा षत कया
''चय नत सू चना सारण सेवा कसी भी सं था या नकाय वारा द त वह सेवा है
िजसम नवीन सू चनाओं को व भ न सू चना ोत से ा त कर, सं था या नकाय के उन भाग
तक सा रत कया जाता है जहाँ पर वतमान काय एवं अ भ च के संदभ म उनक उपयो गता
क संभावनाएं बल ह ।''
इस सेवा के अ तगत कं यूटर क सहायता से उपयो ताओं क आव यकताओं के
अनु प नवीनतम सू चना का चयन कर एक साम यक सेवा दान क जाती है । इस कार यह
सेवा भी साम यक जाग कता सेवा का एक नया एवं वक सत प है जो यि त- वशेष को
उसक अ भ च के अनुसार दान क जाती है। अथात इस सेवा म केवल उसी सू चना का चयन
एवं सारण कया जाता है िजसक उपयो ता को आव यकता होती है ।

11. चय नत सू चना सारण सेवा के अ भल ण (Characteristics


of Selective Dissemination of Information Service)
चय नत सू चना सारण सेवा के न न ल खत अ भल ण ह
(i) यह एक ऐसी सेवा है जो कसी यि त या समू ह को, जो कसी संगठन या नकाय
के अ तगत कायरत ह , यि तगत प म दान क जाती है ।
(ii) यह सेवा उपयो ता क आव यकताओं को यान म रखकर दान क जाती है ।
(iii) इस सेवा के अ तगत चयन कये गये लेख म से येक लेख का कोई न कोई
एक उपयो ता होता है ।
(iv) सू चना ा तकता क आव यकताओं के अनु प सेवा के दायरे तथा वषय म समय-
समय पर प रवतन कया जाता है ।
(v) सू चना ा त करने के ोत का चयन उपयो ता क राय से कया जाता है ।
(vi) इससे ाय: नवीन सूचना का सारण कया जाता है । पर तु मांगे जाने अ य सूचना
को भी चय नत सा रत कया जा सकता है।
(vii) यह सेवा एक नय मत अ तराल पर दान क जाती है।
व तु न ठ न- सह और गलत बताइये ।
1. चय नत सू चना सारण सेवा के अ तगत
(अ) सू चना का चयन कया जाता है ।
(ब) उपयो ता का चयन कया जाता है ।
(स) दोन का चयन कया जाता है ।
(द) केवल नवीन सूचना का चयन कया जाता है ।
2. चय नत सू चना सारण सेवा
(अ) एक साम यक जाग कता सेवा है ।
(ब) केवल का शत सू चना ोत वारा ह दान क जाती है ।
(स) कसी भी साम यक सू चना ोत वारा दान क जाती है ।

158
(द) उपयो ता क अ भ च के अनुसार दान क जाती है ।

12. चय नत सू चना सारण सेवा के व भ न चरण (Steps in


Selective Dissemination of Information)
चय नत सू चना सारण सेवा के चरण न न ल खत ह:
12.1 सूचना का चयन (Selection of Information)- कसी चय नत सू चना सारण
णाल म सू चना का चयन उपयो ता- ोफाइल (User Profile) या उपयो ता क अ भ च-
ोफाइल (User Intrest Profile) पर आधा रत होता है । यह ोफाइल उपयो ता क अ भ च
से संबं धत कसी वशेष े या वषय को अ भल त करती है । कसी चय नत सू चना
सारण सेवा क सफलता इस बात पर नभर होती है क उपयो ता- ोफाइल को कस तर पर
तैयार कया गया है । सू चना का चयन, उपयो ता से वचार वमश करके, वभ न ोत
वारा कया जाता है तथा यह भी सु नि चत कया जाता है क कतने काला तर पर सू चना का
सारण कया जाना चा हये। उपयो ता क अ भ च म प रवतन होने पर चयन क जाने वाल
सू चना एवं ोत म भी प रवतन कया जाता है ।
12.2. अ धसूचना (Notification)
इस या वारा चय नत सू चना सेवा के उपयो ता को नवीन सू चना के बारे म
अवगत कराना होता है । एक नि चत अव ध म सं हत चयन क गयी सूचना को मु त या
इले ो नक प म उपयो ता तक पहु ँ चाया जाता है । यह सू चना लेखनसूची, सार-सू ची या
ट पणीयु त लेखन सू ची के प म होती है ।
12.3 फ डबैक (Feedback)
उपयो ता को भेजी गई अ धसूचना के दो भाग होते ह । थम भाग: िजसम उपयो ता
क अ भ च से स ब धी सू चना होती है िजसे वह अपने पास रख लेता है तथा दूसरा भाग,
िजसे फ डबैक कहते ह: इसम उपयो ता अपनी त या य त करके वापस सेवा दान करने
वाल सं था को भेजता है । इस फ डबैक म भेजी गई सू चना का मू यांकन करके उसक
ासं गकता के बारे म वह अपनी राय भेजता है । इस फ डबैक म य त क गई त या के
आधार पर ह चय नत सूचना के ोत या इस हे तु खोज व ध म प रवतन कया जाता है ।
12.4 संशोधन (Modification)
उपयो ता वारा भेजी गई त या का व लेषण करके या यि तगत प से वचार
वमश करके भेजी गई अ धसूचना क साथकता को मापकर उपरो त अपनाये गये तर क म
समायोजन कया जाता है । कभी-कभी उपयो ता वारा कसी अ य प रयोजना म काय करने
के कारण उसक अ भ च एवं सू चना क उसक आव यकता म प रवतन आ जाता है । उसक
इस आव यकता क शत के लए भी उपयो ता क ोफाइल म प रवतन कया जाता है ।
संशोधन एक ऐसी या होती है जो उपयो ता वारा ा त सू चना क ासं गकता एवं
साथकता से स ब होती है और तब तक जार रहती है जब तक क भेजी गई सू चना
उपयो ता वारा स तोषजनक प से वीकार न कर ल गयी हो ।

159
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये ।
1. चय नत सू चना सारण सेवा के अ तगत-
(अ) सू चना का चयन उपयो ता क आव यकतानुसार कया जाता है ।
(ब) उपयो ता को कसी नि चत काला तर पर सू चत कया जाता है ।
2. फ डबैक वारा ा त लेख क ासं गकता--
(अ) उपयो ता वारा तय क जाती है ।
(ब) सेवा दान कता वारा तय क जाती है ।
3. चय नत सू चना सारण सेवा म व भ न चरण को--
(अ) केवल एक बार संशो धत कया जाता है ।
(ब) नर तर संशो धत कया जाता है ।

13. चय नत सू चना सारण सेवा के आयोजन क व धयाँ (Methods


of Selective Dissemination of Information Service)
चय नत सू चना सारण सेवा मू लत: दो कार से सा रत क जा सकती है:
13.1 ह त-चा लत व ध (Manual Method)
सू चना ौ यो गक म आये वकास से पहले चय नत सूचना उपयो ताओं को
ह तचा लत वध वारा दान क जाती रह है । आज भी छोटे -छोटे संगठन या नकाय
वारा जहाँ पर अनुसध
ं ानकताओं क सं या बहु त सी मत है तथा कं यूटर कृ त प म सू चना का
संसाधन एवं पुन ाि त नह ं होती वहाँ ह तचालन व ध का ह योग कया जाता है । इसम
सू चना का चयन, उपयो ता क ोफाइल, लेख का अ भलेखन, उपयो ताओं को अ धसू चत
करना उनसे फ डबैक ा त करना तथा सेवा क इन याओं म संशोधन आ द यि तगत प
से ह तच लत कये जाते ह । इस व ध म समय तथा म दोन का ास होता है तथा सेवा
दान करने म वल ब भी हो सकता है ।
13.2. इले ो नक व ध (Electronic Method)
वगत तीन दशक म कं यूटर , दूरसंचार एवं सू चना ौ यो गक म आई ां त के
फल व प यह सू चना अब इले ो नक व ध वारा दान क जाने लगी है । इससे सू चना का
अ ध हण, संसाधन, पुन ाि त, स ेषण, आ द कं यूटर एवं दूरसंचार वारा कया जाता है ।
बड़े-बड़े संगठन म जहाँ पर उपयो ताओं क सं या अ धक है तथा एक उपयो ता से दूसरे
उपयो ता के बीच क भौगो लक दूर भी काफ अ धक है, वहाँ पर इस व ध वारा सू चना का
सारण सु गमता से कया जाता है। इले ो नक वध वारा सूचना का चयन न न ल खत
ोत से कया जाता है :-
(i) इंटरनेट (Internet) पर उपल ध सू चना ोत वारा।
(ii) वा णि यक डेटाबेस (Commercial Databases) का ऑनलाइन (Online) वारा
अ भगम करके।
(iii) सीडी-रोम (CD-ROM) के प म उपल ध डेटाबेस का अ भगम करके ।

160
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये
1. चय नत सूचना—
(अ) केवल ह त-चा लत व ध वारा दान क जाती है ।
(ब) केवल इले ो नक व ध वारा दान क जाती है ।
(स) दोन व धय से दान क जाती है ।
(द) इंटरनेट एवं सीडी-रोम वारा दान क जाती है ।

14. चय नत सू चना सारण सेवा क याएँ (Processes of


Selective Dissemination of Information Service)
कसी पु तकालय या सू चना के वारा इस सेवा को ार भ करने के लए
न न ल खत याओं क आव यकता होती है:
14.1. उपयो ता क पहचान (Identification of User)
कसी भी पु तकालय या सूचना के को सं था के अ तगत कायरत उस या
उपयो ता-समू ह क पहचान करनी होती है िजसे चय नत सूचना सेवा दान क जानी है ।
हालां क साथ ह साथ उन स भा वत उपयो ताओं क भी पहचान करनी च हए जो इस सेवा को
ा त करने म अ भ च रखत ह ।
14.2. उपयो ता ोफाइल का नमाण (Construction of User-Profile)
उपयो ता- ोफाइल कसी उपयो ता या उपयो ता-समू ह क आव यकताओं के वषय का
कथन होता है िजसम वह सू चना ा त करने क अ भ च रखता है । इस ोफाइल वारा
उपयो ता क अ भ च, काय े तथा सू चना को कस प म ा त करना है, आ द सु नि चत
करना होता है । उसक सू चना आव यकताओं को मु ख श द (Keywords), संकेतको आ द के
प म अ भ य त कया जाता है । उपयो ता वारा वचार- वमश करके एक ा प म उसक
आव यकताओं को दज कया जाता है । साथ ह उसके वारा उपयोग क जा रह सार-सेवाओं,
अनु मणीकरण सेवाओं तथा स द भत कये गये कु छ लेख के बारे म भी जानकार हा सल
करनी होती है िजससे उसक मू ल एवं गौण आव यकताओं को समझने म आसानी होती है ।
नमू ने के तौर पर उपयो ता- ोफाइल, इसके नमाण क व ध तथा काय वाह को मश:
प र श ट-1 प र श ट-2 तथा प र श ट-3 म दशाया गया है ।
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये ।
1. उपयो ता- ोफाइल म
(अ) उपयो ता के बारे म तथा उसक अ भ च क सू चना होती है ।
(ब) मु ख श द, संकेतक आ द दशाये गये होते ह ।
(स) सू चना थ का ववरण होता है ।
(द) सं हत सू चना का ववरण होता है ।

161
14.3. सू चना ोत का चयन (Selection of Information Sources)
पु तकालय तथा सू चना के वारा व भ न कार के सूचना ोत का कया जाता
है । यह आव यक नह ं क सभी ोत से सू चना का चयन कया जाए । कभी-कभी उपयो ता
ह ोत क जानकार दान करता है पर तु कसी संशय क प रि थ त म उपयो ता वारा
इसे सु नि चत करके उ ह ता लकाब कर लया जाता है । उदाहरण के तौर पर उपयो ता को
कस कार क सूचना चा हए - ं सूची, स पूण -पाठ,
थ तेख, आंकड़े, मानक, एक व,
तकनीक तवेदन आ द। आजकल इंटरनेट और सीडी-रोम डेटाबेस भी चय नत सू चना सारण
सेवा के दो मु ख ोत म से ह और इनसे ा त सू चना भी साम यक एवं अ यतन होती है ।
14.4. डेटाबेस का नमाण (Creation of Database)
वा णि यक डेटाबेस को पु तकालय म अ ध हत करके यह सेवा सीधे उपयो ता को
दान क जाती है । इस दशा म यह आव यक नह ं होता क वा गमय प म सा रत येक
सू चना का स पूण पा य पु तकालय या सूचना के म उपल ध हो । इस लए थानीय डेटाबेस
का नमाण करके अ यतन एवं या शत प म सेवा दान क जा सकती है । इस कार
अध हत पु तक से सू चना का वा गमय प नय मत तौर पर एक रा य या अंतररा य
मानक ा प के अनुसार सं हत कया जाता है । कु छ च लत मानक ा प-सामा य संचार
ा प (Common Communication Format(CCF)), माक (MARC) आ द ह ।
सी.सी.एफ. को आई.एस.ओ. (ISO) 2709 के अनुसार ा पत कया गया है ।
14.5. अनु मणीकरण (Indexing)
वा गमय सूचना के सं हण के साथ-साथ येक अ भलेख (Record) को भी
अनु मणीकृ त कया जाता है । अनु मणीकरण के लए या तो मू ल लेख से मु य श द का
चयन करके यथावत अनु म णका का नमाण कया जाता है या इन मु य श द को कसी
थसारस (Thesaurus) वारा मानक कृ त करके उ वत कया जाता है । या या या सारांश म
आये सभी श द ( टापवड को छोड़कर) को लेकर कं यूटर वारा इ वटड फाइल (Inverted
File) का भी अनु मणीकरण कया जा सकता है । इन सार याओं म कौन सी या का
अनुकरण करना है इसका नधारण पु तकालय या सू चना के क अनु मणीकरण नी त
(Indexing Policy) पर नभर करता है ।
14.6. ोफाइल का मलान (Metching of Profiles)
एक पूव नधा रत काला तर के उपरा त उपयो ता क ोफाइल (Use Profile) का
मलान लेख ोफाइल फाइल (Document Profile) िजसे डेटाबेस भी कहते ह, से कया
जाता है । इसे उपयो ता क आव यक सू चना क खोज भी कहते ह ।
14.7. सू चना क खोज (Information Searching)
कसी कं यूटर कृ त चय नत सू चना सारण सेवा णाल म न न ल खत तर क वारा
वां छत सू चना क खोज क जा सकती है।
14.7.1. मु त-पा य खोज (Free-text Search)
(अ) बु लयन आपरे टर वारा खोज (Boolean Operators Searching)

162
इस कार क खोज म मु य श द वारा सू चना क खोज क जाती है । यह मु य
श द कसी भी प म स पूण पा य म कह ं भी हो सकता है । य द दो या दो से अ धक
मु य श द का आपस म संयोजन करके खोज करनी हो तो बू लयन आपरे टर (Boolean
Operators) का उपयोग कया जा सकता है । मूलत: ये तीन कार के होते है:-
(अ) ''तथा'' (AND) इसे (*) से दशाया जाता है ।
(ब) ''अथवा'' (OR) इसे (+) से दशाया जाता है ।
(स) ''न क'' (NOT) इसे (-) से दशाया जाता है ।
मान ल िजए दो खोज पद (Search Term) ''''A'' और ''''B''' ह । कसी डेटाबेस म
इ ह न न ल खत तर क से बू लयन आपरे टर का योग करके खोजा जा सकता है । इ ह वेन
डाय ाम वारा नीचे दशाया गया है:

केवल ''A'' केवल उन लेख क पुन ाि त होगी िजनम


केवल '''A'' पद व यमान है ।

केवल ''B' केवल उन लेख क पुन ाि त होगी िजनम


केवल ''B' पद व यमान है ।

'A' तथा ''B' इसम उन लेख क पुन ाि त होगी िजनम


अथात ''A' AND ''A' एवं ''B' दोन ह पद व यमान ह गे ।
''B' इस कार ा त लेख क सं या ''A' तथा
या A*B ''B' के अलग-अलग पद सं याओं से कम
होगी ।
''A' अथवा ''B' इस खोज म उन लेख क
"A' OR ''B' पुन ाि त होगी िजनम या तो ''A' पद ह ग
"A'+"B' या ''B' पद ह ग या ''A' तथा ''B' दोन ह
पद व यमान ह गे । इस कार ा त हु ए
लेख क सं या या तो ''A' के बराबर या
इससे अ धक हो सकती है । अथवा ''B' के
बराबर इससे अ धक हो सकती है ।

163
"A' न क "B" इस खोज म केवल उ ह ं लेख क
"A'NOT"B' "A'- पुन ाि त होगी िजनम केवल ''A' पद ह
"B' व यमान ह गे न क ''B' पद

"B' न क ''A' "B' इस कार ा त हुए लेख म केवल ''B'


NOT "A' ''B'-''A' पद ह व यमान ह ग न क ''A' पद ।
अथात आपरे टर एक छ न (Filter) क तरह
काय करता है जो अवांछनीय पद को
नकालकर ासं गक सू चना क पुन ाि त
करता है ।
बू लयन आपरे टर वारा खोज क जाने वाल या म दो या दो से अ धक खोज पद
को एक साथ कसी एक या तीन आपरे टर का संयोजन करके खोज क जा सकती है ।
अ धकांश कं यूट र कृ त चय नत सू चना सारण म बु लयन आपरे टर वारा ह खोज क जाती
है।
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये ।
1. वह बू लयन आपरे टर जो छ न का काय करता है--
(अ) ''तथा'' (AND)
(ब) ''अथवा'' (OR)
(स) ''न क'' (NOT)
14.7.2. ट क खोज
खोज पद को न न कार से ं केट (Truncate) करके उनक खोज डेटाबेस से क
जा सकती है।
(अ) पद ं केशन (Term Trucation)
कभी-कभी यह नह ं ात होता क आ या, सारांश., मु य-पाठ या अनु म णका म
खोज कये जाने वाले पद को प म अ भ य त कया गया है । मु त-पा य खोज या म
यह काय और भी क ठन हो जाता है । इस लए मु य द को न न कार से ं केट करके एक
या एक से अ धक पद बनाकर उ ह बू लयन आपरे टर क सहायता से खोज जा सकती है ।
(अ.1) वाम- ं केशन (Left Truncation)
इस कार क खोज व ध म कसी खोज पद के पहले कं यूटर वारा पहचाना जाने
वाला एक च ह लगाया जाता है । वाम- ं केशन म खोज पद से पूव लगे कसी अ र या च ह
वाले पद (Prefix) को कं यूटर पुन ा त कर लेता है । जैसे-
$COMPUTER
MICROCOMPUTER
MINICOMPUTER

164
अथात इस खोज म COMPUTER श द के पूवल न या उपसग (Prefix) के प म
आने वाले सभी पद जैसे MICROCOMPUTER, MONICOMPUTER आ द क पुन ाि त
हो जाती है । यहाँ पर $ च ह COMPUTER का उपसग है।
(अ.2) दांया ं केशन (Right Truncation)
य द खोजकता को यह न पता हो क खोज कया जाने वाला पद एक वचन है या
बहु वचन अथवा मु य श द के यय (Suffix) के प म अ य अ र या संकेत है तो खोज
पद को दांयी तरफ से ं केट कया जाता है, जैसे
COMPUTER$
COMPUTERS
COMPUTERISATION
COMPUTERIZATION
COMPUTERISED
COMPUTERIZED
अथात इस खोज या म कं यूटर उन सभी पद को पुन ा त करे गा िजनम
COMPUTER श द का कोई भी यय होगा ।
(अ.3) बाँया-दाँया केशन (Left –Right Truncation)
य द खोजकता को खोज पद का उपसग तथा यय दोन ह अ ात ह तो इस खोज
व ध को अपनाया जाता है । इसम मूल खोज पद से जु ड़े सभी उपसग एवं यय वाले सभी
पद क पुन ाि त होती है, जैसे
$COMPUTER
MINI COMPUTERS
MICRO COMPUTERS
इसम MINI और MICRO दोन उपसग के प म तथा यय के प म योग कया
गया । अतएव कं यूटर इन उपसग तथा यय वाले पद MINICOMPUTERS तथा
MICROCOMPUTERS दोन को ह पुन ा त करता है ।
14.7.3 सि नकट खोज (Proximity Search)
इस कार क खोज व ध का योग तब कया जाता है जब कसी वां छत लेख म
खोजे जाने वाले दो या दो से अ धक मु य श द आपस म एक दूसरे के सि नकट न ह । हो
सकता है क दोन मु य श द के बीच एक या एक से अ धक श द आया हो । जैसे
LASER और EYE SURGERY दो मु य श द के म य ASSISTED एक श द
आया है इस कार इसम LASER एवं EYE SURGERY को एक साथ खोज करने के लए
LASER (W) EYE SURGERY के प म खोज कया जाता है । यहाँ (W) को सि नकट
आपरे टर कहते ह । अथात ् कं यूटर उस लेख को पुन ा त करे गा िजसम LASER तथा EYE
SURGERY दोन एक दूसरे के नकट केवल एक श द के अ तर पर व यमान ह गे । ठ क

165
इसी कार दो श द के अ तराल को (2W) तथा तीन श द के अ तराल को (3W) वारा
य त करगे ।
इस कार क खोज क सु वधा CDS/ISIS सॉ टवेयर पैकेज म (F) तथा (G) दो
सि नकट आपरे टर दारा क जाती है ।
14.7.4. नयि त पद खोज (Controlled Term Search)
खोज पद का मलान पूण प से तभी स भव होता है जब खोजकता वारा यु त
खोज पद लेखक तथा अनु मणीकार वारा यु त पद म शत तशत मलान हो । अथात ्
लेखक, अनु मणीकार तथा खोजकता तीन ह यु त कये गये श द को कसी मानक श द
कोश वारा मानक कृ त करके योग कर । दूसरे श द म, तीन वारा कसी एक नयं त श द
कोश (Controlled Vocabulary) का इ तेमाल कया जाना च हये। पर तु यह आव यक नह ं
होता क लेखन या के दौरान लेखक पूण प से नयि त श द का ह योग करे । इस
कार अनु मणीकार को चा हये क वह अनु मणीकरण क या के दौरान श द का कसी
उपयु त नयं त श दकोश से चयन करके अनु म णका का नमाण करे िजससे खोज के समय
ठ क उसी श द का योग करने पर स पूण प से मलान क स भावना होती है । आज
लगभग येक व तृत या सू म े म वशेष कार के नयं त श द कोश या थसारस
(Thesaurus) उपल ध ह ,जैसे:-
(i) इ सपेक थसारस (INSPEC Thesaurus)
(ii) यूने को थसारस (UNESCO Thesaurus)
(iii) थसारस आफ साइि ट फक इ सी नयीरं ग ए ड टे नीकल ट स (Thesaurus of
Enginering and Scientific Terms)
(iv) नासा थसारस (NASA Thesaurus)
(v) वसारस आफ इ जी नय रंग एक साइि ट फक ट स (Thesaurus of Enginering
and Scientific Terms)
(vi) लेजर थसारस (Laser Thesaurus)
इन नयं त श द कोश म अवधारणओं (Concepts) को पद म अ भ य त करके
कसी मानक के अनु प नयं त कया जाता है । इसम व भ न पद म आपस म कु छ
स ब ध होते ह । कसी थसारस म एक साधारण वि ट (Entry) कु छ इस कार होती है ।
LASER
UF LIGHT AMPLIFICATION BY STIMULATED EMISSION OF
RADIATION
BT STIMULATED EMISSION DEVICES
NT ALEXANDRITE LASERS
CRYSTAL LASERS
RT AMPLIFIERS
SENLORS
166
LIGHT AMPLIFICATION BY STIMULATED EMISSION OF
RADIATION
USE LASER
उपरो त वि ट म सं त प से दशाये गये श द को न न ल खत प समझाया
गया है ।
UF (Used For) ''के लये योग कया गया''
USE (Use) '' योग कर''
BT (Broader Term) '' यापक पद'''' व तृत पद''
NT (Narrower Term) ''संक ण पद''
RT (Related Term) ''स बि धत पद''
इस कार थसारस म यु त पद को बू लयन आपरे टर वारा संयोिजत वां छत सू चना
क खोज क जाती है । बड़ी-बड़ी सू चना पुन ाि त णा लय वारा अपने ह थसारस का
नमाण तथा वकास कया गया है जैसे इ सपेक ने ''इ सपेक थसारस'' नासा ने ''नासा
थसारस'' आ द का नमाण कया है ।

15. सू चना का सारण (Dissemination of Information)


एक नि चत समयाव ध के अ तराल के बाद मलान क गई उपयो ता- ाफाइल और
लेख- ोफाइल से ा त प रणाम को मु त या इले ो नक प म सं हत कर लया जाता है
। इस ा त कार लेख तथा फ डबैक फाम को एक साथ उ चत मा यम वारा उपयो ता को
भेजा जाता है । फ डबैक फाम तथा ा त लेख के नमू ने मश: प र श ट-4 तथा प र श ट-5
म दशाये गये ह ।

16. उपयो ता वारा प रणाम व लेषण (Analysis of Result by


user)
ा त कये गये अ भलेख का व लेषण करके उपयो ता येक अ भलेख क
ासं गकता (Relevance) तथा अ ासं गकता (irrelevance) को चि नत करता है । साथ ह
अपनी कु छ त या एव सु झाव के साथ फ डबैक फाम को वापस साम यक सू चना सेवा
दानकता को भेजता है ।

17. सु धार एवं संशोधन (Correction and Modification)


उपयो ता वारा भेजे गये फ डबैक फाम का अ ययन एवं व लेषण करके यह पता
लगाया जाता है क भेजी गई सू चना क ासं गकता का तशत या है? इस अधार पर
उपरो त कसी भी या म ु ट का पता लगाकर उसम सु धार सेवाएँ एवं संशोधन कया जाता
है । इस कार संशोधन एक नर तर या है ।

167
18. सेवा का मू यांकन (Evaluation of Service)
कसी भी सेवा म तब तक सुधार नह ं कया जा सकता जब तक क उसम ु ट का पता
न लग सके। इस कार कसी भी सेवा म ु ट संशोधन के लए उसका मू यांकन आव यक
होता है । इस लए सा रत सेवा का समय-समय पर मू यांकन करना चा हए, िजसके
न न ल खत मानद ड ह:
 यथाथता या प रशु ता (Precision)
 पुन : आ वान (Recall)
 कलरव या शोर (Noise)
कसी आदश (Ideal) चय नत सू चना सारण सेवा म प रशु ता तथा पुन : आ वान
शत- तशत होना चा हए तथा इसे कलरव शू य या शोर वह न होना चा हये ।
व तु न ट न - सह और गलत बताइये
1. मु य श द तथा उससे जु ड़े यय क खोज करने के लए
(अ) वाम- ं केशन का योग कया जाता है ।
(ब) दांया ं केशन का योग कया जाता है ।
(स) बाँया-दाँया ं केशन का योग कया जाता है ।
2. दो या दो से अ धक मु य श द क खोज करने के लए
(अ) कसी एक बू लयन आपरे टर का योग कया जाता है ।
(ब) बू लयन आपरे टर के सि म ण का योग कया जाता है ।
(स) सि नकट आपरे टर का योग कया जाता है ।
3. नयं त पद वारा खोज व ध म मु य खोज श द
(अ) कसी थसारस वारा लया जाता है ।
(ब) कसी श द कोश वारा लया जाता है ।
(स) उपयो ता वारा दया जाता है ।
(द) सेवा दानकता वारा बनाया जाता है ।

19. सारांश (Conclusion)


इस इकाई के अ ययन के प चात आप ने साम यक जाग कता सेवा एवं चय नत
सू चना सारण सेवा के बारे म जानकार ा त क । इन सेवाओं क मु ख वशेषताओं,
आयोिजत करने के व भ न तर क , कसी अनुसध
ं ान सं थान म कायरत वै ा नक एवं
खोजकताओं के लए इनका मह व आ द के बारे म जानकार द गयी है । व भ न सं थाओं
वारा द त साम यक जाग कता सेवा एवं चय नत सूचना सारण सेवा के बारे म उदाहरण
स हत उ लेख कया गया हे । कं यूटर वारा सू चना क खोज क व भ न व धयाँ उपयो ता-
ोफाइल का नमाण, डेटाबेस का नमाण, ोफाइल का मलान, प रणाम का मू यांकन आ द
को सरल प म समझाने का यास कया गया है । मु त-पा य खोज एवं नयं त-पद खोज

168
म बू लयन आपरे टर के संयोजन का सोदाहरण वणन कया गया है । साथ ह अ य खोज
व धय , िज ह कं यूटर कृ त सेवा म योग कया जाता है, उनका भी योगा मक प से वणन
कया गया है । अ त म चय नत सूचना सारण सेवा के आउटपुट तथा फ डबैक का नमू ना
तु त कया गया है । जो अ ययनकताओं के लए अ य त साथक स होगा ।

20. अ यासाथ न (Question)


1. साम यक जाग कता सेवा से या अ भ ाय है? इसक आव यकता तथा इसके व भ न
अ भल ण का वणन क िजए ।
2. साम यक जाग कता सेवा कन- कन व धय वारा उपयो ता को दान क जाती है ।
3. वभ न कार क साम यक जाग कता सेवाओं का व तारपूवक वणन क रये ।
4. चय नत सू चना सारण सेवा क प रभाषा द िजए तथा कसी अनुसध
ं ान काय म इसक
आव यकता पर काश डा लए ।
5. साम यक जाग कता सेवा तथा चय नत सू चना सारण सेवाओं के म य आव यक
अ तर को समझाइये ।
6. चय नत सू चना सारण सेवा के मु ख अ भल ण का वणन क िजए ।
7. चय नत सू चना सारण सेवा दान करने के व भ न चरण का उ लेख क िजए।
8. चय नत सूचना सारण सेवा णाल क स पूण या का व तार स हत उ लेख
क िजए ।
9. न न ल खत पर ट पणी ल खये-
(क) उपयो ता- ोफाइल ।
(ख) बू लयन आपरे टर वारा खोज
(ग) ट खोज ।
(घ) सि नकट खोज ।
(ङ) नयं त पद खोज।

21. पा रभा षक श दावल


(1) उपयो ता ोफाइल उपयो ता के बारे म तथा उसक आव यकताओं का
(User Profile) कथन।

(2) खोज आ भ यि त खोज या का अि तम प िजसके व भ न खोज


(Search Expression) कथन को आपस म बू लयन आपरे टर वारा समायोिजत
कया जाता है ।
(3) खोज कथन खोज या म यु त येक कथन ।
(Search Statement)
(4) खोज पद एक या एक से अ धक श द का समू ह िजसे कं यूटर
(Search Term) वारा लेख- ोफाइल म खोजा जाता है ।
(5) ं केशन कसी मू लश द से जु ड़े उपसग या यय को खोजने के

169
(Truncation) लये ऐसी या िजसम एक आपरे टर का योग होता है
ओर खोज से समय कं यूटर वारा पहचाना जाता है ।
(6) थसारस नयं त पद क सू ची िजसे कसी मानक के अनु प
(Thesaurus) बनाया जाता है। और इसम अंत वषय को पद के प म
अभ य त करके पद के म य वभ न कार के
स ब ध था पत कये जाते ह।
(7) लेख ोफाइल लेख के बारे म सू चना सं ह । कसी कं यूटर कृ त
(Document Profile) चय नत सू चना सारण सेवा म यह डेटाबेस के प म
होती है ।
(8) फ डबैक सू चना णाल से ा त आउटपुट को उपयो ता वारा
(Feedback) व लेषण करके उसक ासं गकता एवं साथकता स
करने क या ।

22. व तृत अ ययनाथ थ-सू ची


Kemp, AC, Current Awareness Service, London, Bingley, 1979
Richards, D, Dissemination of Information, In Handbook of Special
Librarianship and Information Network. London. Aslib. 1992.
Rowley, J, the Electronic Library, London, Library Association,
1998
प र श ट-1
उपयो ता- ोफाइल का नमू ना (Sample of User Profile)
1. नाम :
2. शै क यो यता :
3. पद :
4. सं था का नाम :
5. सं था का पता :
6. दूरभाष सं. :
7. ई-मेल : 8. फै स :
9. अ भ च का वषय:
10. भाषा :
11. वषय स बि धत अ य मह वपूण जानकार का उ लेख कर:
1 :
2 :
3 :
4 :

170
12. उन सार-सेवाओं (Abstracting Service) एवं अनु मणीकरण सेवाओं (Indexing
Service) का उ लेख कर िजनका आप ाय: उपयोग करते ह
1:
2:
3:
4:
13. वषय स बि धत कुछ मु य श द
1 : 2 :
3 : 4 :
5 : 6 :
14. वषय से स बि धत कम से कम पाँच लेख क आ या (Title) ल खये जो आपको
अपने उपयोग के लए अ य त ासं गक तीत होते ह ।
1:
2:
3:
4:
5:
प र श ट-2
उपयो ता ोफाइल का नमाण (Construction of User Profile)
सेट खोज पद
S1 LASERS
S2 SOLID STATE LASERS
S3 SEMICONDUCTOR LASERS
S4 GALLIUM ARSENIDE LASERS
S5 GASS LASERS
S6 YAG LASERS
S7 YITTRIUM ALUMINIUM GARNET LASERS
S8 LOW POWER LASERS
S9 SURGERY
S10 EYE SURGERY
S11 CATARACT SURGERY
S12 (S1+S2+S3+S4+S5+S6+S7+S8)
S13 (S9+S10+S11)
खोज अ भ यि त (Search Expression)
S14 S12*S13
171
उपरो त ोफाइल वारा उन लेख क ाि त हो सकती है िजनम व भ न कार के
लेजर का उपयोग आँख क श य च क सा म कया गया हो ।
प र श ट-3
चय नत सू चना सारण सेवा म काय वाह
(Work flow in Selective Dissemination of Information Service)

172
SDI SERVICE
FEEDBACK FORM
From :SHRI S R. VADERA, SCIENTIST
Project: CONDUCTING POLYMERS
Please Mark (Y) for Articles Relevent to you.
SNo. Title of the Article Y or N Peripheral
1. Dihedral Sample Mount for OFF-Normal
RAM Performance Measurements Final
rept. Jun-Dec 98
2. DURIP-97: Ultrafast Nonlinear Optical
Spectroscopy Final rept. Jun 97-Aug 98
3. Quadrature Filter and Tensor Based
Automatic Target Detection in 3-D gated
Viewing (Kvadraturfilter och Tensorbaserad
Automatisk Maldetektering I 3-D
Avstandsgrinded Avbildning) Scientific rept
4. Conducting Polymers for Rader Absorbing
Composites Scientific Rept
5. Nordic Defence Material Co-operation on
Signature Management. Status Report
6. Requirement Document for Evaluation of
Environmentally Preferable Aircraft
Electrical connectors final rept.
7. Search and Rescue: Survival Training
8. Magnetic Hardening Studies and Novel
Techniques for Preparation of High
Performance Magnets Final rept. 1 Dec
92-31 Mar 95
9. 7TH International Symposium:
Nanostructure: Physics and Technology
Conference proceedings 14-18 Jun 99
10. Transient Transport in Nanostructure
Devices via the Quantum Liouville

173
Equation in the Coordinate Representation
Final Rept
11. Properties of ferroelectric polymers under
high pressure and shock loading
Note:
Keywords: (Please Include the following keywords in my profile if
not already included)
1. ................................... 6. ............................
2. ................................... 7. ............................
3. ................................... 8. ............................
4. ................................... 9. ............................
5. ................................... 10. ...........................
Date: (Signature of the Scientist)

SDI SERVICE
Project Code: DLJO5 May 2002 SDI No. 29
Record No. 1 of 11
Dihedral Sample Mount for Off-Normal RAM Performance
Measurement Final rept. Jun-Dec 98
R. B. BOSSOLI;
ADA 368455/XAB, Army Research Lab., Aberdeen Proving Ground,
MD.,, September 1999, 35p
Abstract: A novel sample mount has been designed for making
high angle of incidence radar absorbing material (RAM) sample
performance measurements. The sample mount allows for 47 degree
angle of incidence measurement of RAM millimeter-wave (MMW)
reflectivity (performance). Measurement are taken from 26-60 GHz and
75-100 GHz in the US. Army Research Laboratories (ARL) Weapons and
Materials Research Directorate (WMRD) Composites and Lightweight
Structure Brance (CLSB) anechoic chamber. RAM samples can also be
mounted in a full dihedral configuration for simulation of RAM
Performance in double bounce (corner)-type locations. Performance of two
commercial-type RAM materials was measured at close to normal and at
the 47 degree off-normal angles of incidence. A full dihedral covered with
174
one of the commercial RAMs was also tested. The mount will allow for
more realistic evaluation of ARL-and contractor-designed RAM and other
coatings to be utilized in low-observable Army and Department of
Defence (DOD) projects.
Record No. 2 of 11
DURIP-97: Ultrafast Nonlinear Optical Spectroscopy Final rept.
Jun 97-Aug 98
K.WAGNER;B.YELLAMPALLE ; S.WEAVER ; S. BLAIR;
ADA368435/XAB,Colorado Univ. at Boulder. Optoelectronic
Computing Systems Center.,, June 1999, 35p
Abstract : We have Developed an ultrafast optical nonlinear
spectroscopy facility with the motivation of studying spatio-nonlinear
optical process. The Ultrafast Optics Lab consists of a>20 GW peak
power sub 50fs 1 KHz pulsed amplified Ti: Sapphire laser system. The
laser system consists of an oscillator, a CW pump laser, regenerative
amplifier and pulsed pump laser. These high peak power pulses are
used in a parametric amplifier system which produce tunable radiation
from 580nm-2200nm with sub 50fs pulses. The facility developed also
includes several linear and nonlinear pulse characterization and
automation tools such as spectrometers, polarimeters, automated multi-
axis motor controller, autocorrelators, frequency resolved optical gating.
And tilted front plus autocorrelator. This report provides technical details
of the ultrafast optics facility and describes the ongoing experiments.
Record No. 3 of 11
Quadrature Filter and Tensor Based Automatic Target Detection
in 3-D Gated viewing (kvadraturfilter och Tensorbaserad
Automatisk Maldetektering i 3-D Avstandsgrindad Avbildning)
Scientific rept
H. OLSSON ; C. CARLSSON ;
PB99-173213/XAB, Foersvarets Forskningsanstan Linkoeping
(Sweden). Div. of Sensor Technology.,, April1999, 80p
Abstract : At Defense Reasearch Establishment of Sweden (FOA)
research is performed on gated viewing using Benefits from using gated
viewing with laser redar are penetration of obscurants (smoke,
175
camouflage nets, etc), better angular resolution for a certain aperture and
combined 2-D imaging and range measurement. The purpose of this
report is this report is to investigate ways of developing an automatic
target detection scheme for gated viewing images. Mainly the report
focuses on state-of-the-art 3-D image processing algorithms, but some
attention is also payed to statistically based target detection and texture
based target detection.
Record No. 4 of 11
Conducting Polymers for Absorbing Composites Scientific rept
J. D. HUUDUC ;
PB99-174799/XAB, Foersvarets Forskningsanstalf, Stockholm
(Sweden). Div. of Guidance and Control, Materials and Underwater
Sensores., Sweden, August 1998, 52p Abstract: Polypyrrole (PPy) was
deposited on glass fibre by oxidation (using FeC13) in water. The
influence of synthesis conditions on the conductivity of the fabrics,
structure of the deposited layer, ageing, infrared and electromagnetic
absorption of the fabrics was studied. Depending on synthetic Condition,
the thickness of PPy-layers varied between 50 nm and microgram. The
surface resistance ranged from 20 to 150,000 ohms per square. The use
of 9,10-anthraquinone-2sulfonic acid as dopin agent improved between 50
nm and microgram. The surface resistance acid as doping agent
improved the adhesion between the layer and the glass fibre, conductivity
and stability. Glass fibre fabrics were also coated with a new conducting
polymer, PEDT/PSS simply by dipping it in a polymer solution. The IR
reflectance of the coated fabrics with PPy and PEDT varied between
0.05 and 0.2 in the range 5000-500 cm(sub-1). The coated fabrics
showed a very flat microwave absorption between 6-18 GHz with an
attenuation down to -20 db in transmission.
Record No. 5 of 11
Nordic Defence Material Co-operation on Signature Management.
Status Report
J. E. SKJERVOLD ;
PB99-173759/XAB, Norwegian Defence Research Establishment,
Kjeller., Norway, August: 1997, 40p
176
Abstract: The Nordic co-operation is established in order to
achieve economical and practical benefits related to join specifications
and procurement of defense material. In the field of camouflage and
signature management similar climatic and background condition points
for different camouflage material. The identified short-term co-operation
projects are the new light-weight snag-free camouflage net and a mobile
camouflage system for BV 206. Long-term projects as camouflage in
international operation, smart materials and target specified camouflage
system are supposed to be promising for the Nordic co-operation.
Record No. 6 of 11
Requirements Document for Evaluation of Environmentally
Preferable Aircraft Electrical connectors Final rapt
T.NAGUY; G. SLENSKI; R. KEENAN ; G. CHILES:
ADA 366832/XAB, Air Force Research Lab., Tyndall AFB, FL.
Materials and Manufacturing Directorate., United State, November 1998,
36p
Abstract: This document describes the minimum reqirements and
desirable characteristics for an environmentally-preferable electrical
connectors should be made from material less hazardous than those
used in exiting connectors, but that still possess adequate gronding and
corrosion resistance. The hazardous materials of concern are the EPA-17
chemicals, including cadmium, that defines the nature of the problem. 2.
Section 2, Reqirements, established the general reqirements for an
environmentally preferable connector. 3. Section 3, Test Layout, describes
the order of the tests conducted on each connector. 4. Section 4,
Rationale for Requirement and characteristics, provides the rationale for
the Requirement and characteristics, provides the rationale for the
requirement that have been established in the document. 5. Section 5,
protocols, describes the procedures that will be used to evaluate
candidate connectors, Rgis document can be used as a basis fir a formal
test procedure.
Record No. 8 of 11
Search and Rescue ; survival Training

177
AFR 64-4 VI/XAB, department of the Air Force, Washington, DC.,
United States, July 1985.582p
Abstract : The regulation describes the various environmental
conditions affecting human survival, and describes individual activities
necessary to enable that survival. The elements of surviving (Mission,
conditions affecting survival , survivors needs); Psychological aspects of
survival (Contributing factors, emotional reactions, the will to
survive);Basic survival medicine (Survival medicine ,PW medicine); Facts
and conditions affecting a survivor (Weather, geographic principles.
Environmental characteristics, local people); Personal protection (Proper
body temperature, clothing, shelter, firecraft, equipment), Substances
(Food, waer); Travel (Landnavigarion, land travel, tough land travel and
evacuation techniques, water travel); Signaling and recovery (Signaling.
Recovery principles); Evasion (Legal and moral obligations factors of
successful evasion, camouflage); Induced conditions (Nuclear, biological,
and chemical).
Record No. 9 of 11
Magnetic Hardening Studies and Novel Technique for
Preparation of High Performance Magnets Final rept. 1 Dec 92-31
March 95
G.C HADJIPANAYIS:
ADA366044135/XAB, Delaware Univ., Newwark. Dept. of Physics
and Astronomy; United States, December 1998, 7P
Abstract: This study was focused on the research, fabrication and
characterization of novel hard magnetic materials with large magnetization
and anisotropy and high Curie temperature, which can be used for he
development of lss expensive and stronger permanent magnets.
Record No. 9 of 11
7TH International Symposium: Nanostructure: Physics and
Technology Conference proceedings 14-18 jun99
ADA 366044135/XAB. Loffe Physical- Technical Inst; Saint
Petersbug (Russia, 1999, 58Ip
Abstract: This Interdisciplinary conferences topics include : (1)
Physics of heterostructure with quantum wells and superlattices; (2)
178
transport phenomena in nanostructures; (3) 2D electron gas; (4) far
infrared phenomena in nanostructures; (5) physics of heterosltructures
with quantum wires and quantum dots; (6)single electron phenomena in
nanostructures; (7) nanostructure technology; (8) tunneling technology; (9)
excitons in nanostructures; (10) laser and optoelectronic devices base on
nanostructures; (11) nanostructures characterization and novel atomic
acale probing techniques; and (12) physics of silicon based
nanostructures and nanostructure devices.
Record No. 10 of 11
Transient Transport in Nanostructures Devices via the Quantum
Liouville Equation in the coordinate Reperesentation Final rept
H.L GRUBIN;
ADA366044135/XAB, Scientific Research Associates, Inc.,
Glastonbury, CT., United States, June 1999, 13p
Abstract : Through the use of numerical methods the quantum
Liouville equation in the coordinate representation has been implemented
for the study of semiconductor devices with nanoscale feature sizes,with
an emphasis on dissipation. We have successfully applied this algorithm
to the calculation of current in single and multiple barrier diodes, and
scientific Research Associates, Inc. is presently one of the few research
organizations numerically obtaining the quantum distribution functions for
both electrons and holes. This document summarizes work performed
under U.S. Navy, office of Naval Research Contact : N00014-93-C-0044.
Record No. 11 of 11
Properties of ferroelectric polymers under high pressure and
shock loading
F Bauer;
Structure under shock and impact IV; Proceedings of the 4 th
International Conferences SUS 96 Udine Italy July 1996
Southampton Unied Kingdom and Billerica MA Computational
Mechanices Publications, 1996, p 511-520.
Abstract: Ferroelectric polymers are the most recent class of
piezoelectric and pryoelectric materials developed. The most common
piezoelectric polymers are PVDF, based on the monomer CH2-CF2 and
179
copolymers PVDF with C2F3H. The effects of frequency, temperature,
and hydrostatic pressure on the dielectric properties, molecular
relaxations, and phase transition of PVDF and a copolymer with 30
percent trifluoroethylene are recalled. Pressure causes large slowing down
of the beta molecular relaxations as well as large increase in the
ferroelectric transitions temperature and melting points, but the
magnitudes of the effects are different for the different transition. A
unique application of these polymers as time – resolved dynamic stress
gauges based on PVDF studies under very high pressure shock
compression is presented, in particular piezoelectric reponse of shock
compressed PVDF film prepared with attention to mechanical and
electrical processing exhibits precise, well defined reproducible behavior
to 30 GPa. Studies to pressure of 30 GPa are available which show that
the piezoelectric reproducible behavior to 30 GPa are available which
show that the piezoelectric behaviuor is linearly dependent on volumetric
strain to a close approximation. The first record of detonation profile is
presented. P(VDF-TrFE) copolymers exhibit unique piezoelectric properties
over a wide range of temperature depending on the composition. Under
shock loading up to 15 GPa, unique piezoelectric response is observed
(Author)

180
इकाई- 12 : इंटरनेट एवं इसक सेवाएँ
(Internet and its Services)
उ े य
1. इंटरनेट के ऐ तहा सक प र य, उ व तथा वकास एवं इसक प रभाषा से अवगत
होना,
2. सू चना संसाधन क सहभा गता करने के लए इंटरनेट क उपयो गता एवं मह व को
समझाना,
3. इंटरनेट वारा ा त क जाने वाल सेवाओं के बारे म जानकार दान करना,
4. पु तकालय तथा सू चना के म इंटरनेट वारा सू चना का अ भगम करना ।

संरचना
1. वषय वेश
2. इंटरनेट या है?
3. ऐ तहा सक प र य
4. इंटरनेट का वकास
5. इंटरनेट सेवा
5.1. व ड वाइड वेब
5.2. ई-मेल
5.3. होम पेज
5.4. ई-कामस
5.5. फाइल ा सफर ोटोकोल
5.6. यूजनेट
6. खोज इ जन
7. वेब खोज
8. इंटरनेट सेवा दान क ता
9. इंटरनेट का पु तकालय म उपयोग
10. सारांश
11. अ यासाथ न
12. पा रभा षक श दावल
13. व तृत अ ययनाथ थ
ं सू ची

181
1. वषय वेश
सू चना व ान के े म ''इंटरनेट'' सबसे अ धक ाि तकार वकास के प म माना
गया है। इंटरनेट ने सू चना यवसा यय के लए कई चु नौ तय भरे वार खोल दए ह पे अभी
तक पु तकालय एवं सू चना के तक ह सी मत थे । इसके आगमन ने पु तकालय एवं
सू चना तकनीक से जु ड़े लाग क सोच एवं उनक सं कृ त म अभू तपूव प रवतन ला दया है ।
वैसे तो इंटरनेट के वकास एवं इसके वारा द त सेवाओं म िजस त
ु ग त से अ भवृ हो
रह है उसका आकलन एवं वणन करना इस इकाई म पूण नह ं हो सकता, फर भी पु तकालय
एवं सू चना व ान के नातक तर के व या थय क आरि भक जानकार के लए इंटरनेट का
वकास, इससे संबं धत सेवाएँ, तथा इंटरनेट सेवा दान करने वाल सं थाओं आ द के बारे म
इस इकाई म वणन कया गया है । आशा है क इस इकाई के अ ययन के प चात ् व याथ
इंटरनेट क सेवाओं का लाभ अपने पु तकालय एवं सूचना के म सू चना क खोज के लये
उठा सकेग एवं उनका समु चत उपयोग कर सकगे ।

2. इंटरनेट या है ? (What is Internet?)


इंटरनेट बहु त सारे नेटवक का एक व व यापी नेटवक है । यह सू चना स ेषण वन
एक सु पर हाइवे है िजसम सू चना को एक थान से दूसरे थान तक शी ा तशी भेजा तथा
ा त कया जाता है । यह नेटवक का एक ऐसा जाल-तं है िजसम भौगो लक प से दूर -दूर
ि थत असं य कं यूटर को आपस म जोड़कर उनके संसाधन क सहभा गता क जाती है । ये
जु ड़े हु ए कं यूटर आपस म एक सव सामा य भाषा (इंटरनेट ोटोकोल) वारा एक दूसरे को
सू चना स े षत करते ह । एक कं यूटर से दूसरे कं यूटर म सू चना को पैकेट के प म
इंटरनेट के मा यम से भेजा तथा ा त कया जाता है।
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये
1. इंटरनेट-
(अ) एक थानीय नेटवक है ।
(ब) नेटवक का एक व व यापी नेटवक है ।
(स) नेटवक का नेटवक है ।
2. इंटरनेट वारा सू चना को –
(अ) केवल भेजा जा सकता है ।
(ब) केवल ा त कया जा सकता है ।
(स) इससे जु ड़े सभी कं यूटर वारा आपस म संसाधन क सहभा गता क जा सकती
है ।

3. ऐ तहा सक प र य (Historical Background)


सन ् 1960 के दशक म अमे रका तथा सो वयत संघ के बीच शीतयु के कारण
अमे रक शासन ने सो वयत संघ वारा कसी भी ना भक य ह थयार के आ मण क
प रि थ त म अपने संसाधन को बचाने के लए सोचा क य न इन संसाधन को वके कृ त
182
कर दया जाये िजससे क कसी भी अ या शत घटना के घ टत होने पर उ ह सम प से
न ट होने से बचाया जा सके । इस कार अमे रका ने वके कृ त प से नेटवक बनाने क
दशा म यास ार भ कये िजसम क स पूण नेटवक पर कसी एक का स भु व न हो सके
। इस कार के नेटवक का स ांत था:
 नेटवक से स ब सभी कं यूटर का तर एक समान हो ।
 सभी क यूटर संदेश को पैकेट के प म ा त कर सके तथा उ ह सा रत कर
सक ।
इस कार अमे रक शासन के अ तगत वभ न र ा त ठान ने अपने अपने
कं यूटर नेटवक क थापना क जो दे श भर म व तृत प से फैले हु ए थे । कसी एक या
अ धक नेटवक के न ट होने क दशा म भी यह कं यूटर नेटवक सुचा प से काय कर सकता
है । सन ् 1969 म अम रका म थम ''पैकेट-ि व ड़ नेटवक'' (Packet Switched
Network) का उ व ायो गक तर पर कया गया । आर भ म ''एडवां ज रसच ोजे ट
एजे सी नेटवक'' (Advanced Research Project Agency Network) अपानेट
(ARPANET) के अ तगत अमे रका म दूर थ कं यूटर को अनुसंधान काय म उपयोग करने
के लए आपस म जोड़ा गया । मू लत: इसके वारा स ब कं यूटर के हाडवेयर, सॉ टवेयर,
ड क पेस तथा डेटाबेस क सहभा गता के लए बनाये गये अपानेट को '' डपाटमे ट ऑफ
डफे स एडवां ज रसच ोजे ट एजे सी” (Department of Defence Advanced
Research Project Agency), डापा (DARPA) के सौज य से कायाि वत कया गया ।
डापानेट का अ भगम केवल अमे रक र ा त ठान तथा अनुसध
ं ान से संबं धत
व व व यालय तक ह सी मत था ।
सन ् 1988 म नेशनल साइंस फाउं डेशन नेटवक (National Science Foundation
Network) एन.एस.एफ.एन. (N.S.F.N.) क थापना क गयी िजसम अमे रका ि थत 12
सु पर कं यूटर के को आपस म स ब कया गया ।
अ सी के दशक के अ त तक कई शै णक सं थाओं, वा णि यक तथा अनुसंधान
करने वाल सं थाओं के नेटवक को पर पर जोड़कर इंटरनेट क थापना क गयी । व भ न
कार के कं यूटर के बीच पर पर संचार का आदान- दान करना इस या म मु य सम या
थी। इसके लए आव यकता थी, ोटोकोल’ (Protocol) क । ारि भक तौर पर ांश मशन
कं ोल ोटोकोल (Transmission Control Protocol) तथा इंटरनेट ोटोकोल (Internet
Protocol) का वकास कया गया। ट .सी.पी./ आई. पी.(TCP/IP) केई यव था से लोकल
ए रया नेटवक (Local Area Network) को इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है ।इस कार लैन से
जु ड़े व भ न कार के डॉस (DOS), व डोज (Windows), मै कं टोश (Macintosh) तथा
यू न स (UNIX) वक टे शन से जु ड़े कं यूटर से इंटरनेट का अ भगम कया जा सकता है । ।
इंटरनेट का संयोजन तीन कार से ा त कया जा सकता है:-
(क) स पूण संयोजन (Full Connection) - इसम थायी प से दूर संचार लंक होता है
तथा कं यूटर का नाम एवं पता इंटरनेट के लए पंजीकृ त होता है ।

183
(ख) डायल-अप संयोजन (Dial-up Connection) -इसम अ थायी प से लंक होता है
तथा इंटरनेट को पूण प से अ भगम कया जा सकता है ।
(ग) गेटवे संयोजन (Gateway Connection) - इसम कसी अ य नेटवक के से या
कसी सेवा दान करने वाल एजे सी वारा कने शन ा त कया जा सकता है ।
व तु न ठ न-सह और गलत बताइये
1. इंटरनेट क उ पि त
(अ) अपानेट से हु ई ।
(ब) नेशनल साइंस फाउ डेशन से हु ई ।
(स) नासा से हु ई ।
2. इंटरनेट से जु ड़े कं यूटर म सू चना के आदान- दान के लए
(अ) अलग-अलग भाषाओं क आव यकता होती है ।
(ब) एक सवसामा य भाषा क आव यकता होती है ।
(स) कसी भाषा क आव यकता नह ं होती ।
3. इंटरनेट ोटोकाल / ांस मशन क ोल ोटोकोल (IP/TCP)--
(अ) एक ो ा मंग भाषा है ।
(ब) इंटरनेट से जु ड़े कं यूटर के बीच ोटोकोल था पत करने का एक मानक है ।
4. इ टरनेट कने शन व भ न कार से ा त कया जा सकता है--
(अ) स पूण संयोजन (Full Connection) वारा ।
(ब) डायल-अप संयोजन (Dial- up Connection) वारा ।
(स) थानीय संयोजन (Local Connection) वारा ।
(द) गेटवे संयोजन (Gateway Connection) वारा ।

4. इंटरनेट का वकार। (Development of Internet)


सू चना ौ यो गक (Information Technology) तथा संचार ौ यो गक
(Communication Technology) के संगम के कारण नई सह ा द के ारं भ म एक ां त
सी आ गयी है । इ क सवीं शता द क सबसे बड़ी उपलि ध है- उ नत सू चना नेटवक
''इंटरनेट'', िजसने लाख कं यूटर को आपस म जोड़कर सू चना के आदान- दान को अ य त
सरल बना दया है । इंटरनेट के कारण ान के चार- सार से लेकर आधु नक सामािजक
संरचना तथा आ थक वकास म मह वपूण प रवतन आ गया है । इंटरनेट के आ वभाव से लेकर
आज तक इसके वकास म मह वपूण ग त हु ई है । सन ् 1985 म एक सौ नेटवक से बढ़कर
1987 म 200, सन ् 1990 म 2000 से अ धक, 1994 म 30,000 से अ धक तथा आज यह
50,000 से अ धक नेटवक का एक जाल म बन गया है । सन ् 1983 से अब तक के
इंटरनेट के उपयो ताओं क सं या म अ या शत वृ हु ई है । अब यह सं या करोड़ म है ।
यह वृ : मू लत: तीन कारण से हु ई है । थम- सू चना संसाधन क उपल धता, वतीय-सूचना
ौ यो गक तथा संचार ौ यो गक के उपकरण के मू य म भार कमी तथा तृतीय -लोग क
184
सू चना के त जाग कता । शु आत म तो इंटरनेट क सु वधा केवल वक सत दे श , मू लत:
अमे रका म ह थी, पर तु 1996 के प चात ् वकासशील दे श म भी इसक सं या म काफ
वृ हु ई । आज सौ से अ धक दे श 14, करोडो लोग,1.2 करोड क यूटर के वारा अपने
सू चना संसाधन क सहभा गता तथा इंटरनेट का उपयोग कर रहे ह । इस सं या म दन
त दन लगातार अ भवृ हो रह है । व व- तर पर .59 तशत अ भवृ क तु लना म
भारतवष म इंटरनेट के कने सन म 164 तशत क दर से अ भवृ हो रह है । इस कार
से सन सात के दशक म केवल र ा वै ा नक वारा योग कया जाने वाला नेटवक आज
हमारे जीवन क मु य आव यकताओं म शा मल हो गया है ।

5. इंटरनेट सेवा (Internet Service)


इंटरनेट पर उपल ध सू चना संसाधन तथा इसके वारा दान क जाने वाल सेवाएँ
हमेशा प रवतनशील होती है । इस प रवतनशीलता के कारण इसके वारा द त सेवाओं एवं
संसाधन क सूची बनाना अ य त क ठन है । हालां क इंटरनेट क कु छ सामा य सेवाओं के बारे
म जानकार दे ने का यास कया गया है जो न न ल खत अनु छे द म व णत है:-
5.1. व ड वाइड वेब (World Wide Web)
सव थम सन ् 1989 म िजनेवा ि थत ि वटजरलै ड क ''यूरो पयन से टर फॉर
यूि लयर रसच'' (European Centre for Nuclear Research) योगशाला ने उसम
काय करने वाले वै ा नक के बीच लेख क आपसी सहभा गता के लए इसे वक सत कया ।
पर तु थम वा णि यक सा टवेयर सन ् 1991 म वक सत कया गया जो वतमान इंटरनेट के
अ भगम के लए लोक य हु आ । व ड वाइड वेब पृ ठ का एक सं ह है िजसे हाइपर टे ट
(Hyper Text) लंक वारा कं यूटर म सं हत कया जाता है । यह इंटरनेट का सबसे
आधु नक तथा अ य त ग तशील भाग है । हाइपर लंक वारा उपयो ता बना कसी ज टल
कं यूटर कमा ड का योग कये ह एक पृ ठ से दूसरे पृ ठ का अवलोकन कर सकता है । वेब-
ाउिजंग सा टवेयर (Web Browsing Software) वारा इंटरनेट से स ब सभी सूचना
पृ ठ तथा सू चना संसाधन का अ भगम कया जा सकता है । वेब ाउजर तथा कु छ अ य
रै खक एवं व न सॉ टवेयर वारा त वीर एवं छाया च आ द का अवलोकन तथा वण
कया जा सकता है । वेब ाउजर एक ऐसा ो ाम है िजसका उपयोग हो ट कं यूटर (Host
Computer) को स पक करने के लए कया जाता है । हो ट कं यूटर को सवर (Server)
तथा वेब ाउजर को लाय ट (Clientele) कहते ह । वेब ाउजर कु छ संगणक काय को
संचा लत करता है जब क अ य काय हो ट कं यूटर करता है । य क उपयो ता कं यूटर
( लाय ट) तथा हो ट कं यूटर (सवर) दोन ह कं यूटर आधा रत काय के लए संसाधन क
सहभा गता करते ह इस लए इसे लाय ट / सवर अनु योग भी कहते ह ।
कसी भी वेब साइट (Web Site) का अवलोकना अ भगम करने के लए उसका पता
(Address) जानना आव यक होता है । इस पते को कभी-कभी यूनीफाम रसोस लोकेटर
(यू.आर.एल.) (Uniform Resource Locator or URL) भी कहते ह । येक पते का

185
URL अ वतीय या अन य होता है । यू.आर.एल. को ाउजर न पर सबसे ऊपर क पंि त
पर लखा जाता है । एक साधारण वेब साइट पते को कु छ इस कार से दशाया जाता है:-
http://thomas.loc.gov
http का अथ है हाइपर टे क ांसफर ोटोकोल (Hyper Text Transfer Protocol)
। Loc का ता पय है लाइ ेर ऑफ कां ेस (Library of Congress) एवं thomas उस
मशीन का नाम है जो लाइ ेर ऑफ कां ेस म उपल ध है तथा सू चना ाि त के लए िजसका
अ भगम कया जा सकता है । इसी कार कु छ अ य वेब साइट के पते ह-
http.://www.thetimesofindia.com
http.://www.bbc.co.uk
http.://www.nasa.gov
http.://www.ibm.com
http.://www.harvard.edu.
वेब ाउजर के कुछ उदाहरण ह- ल न स (Lynx), नेट केपनेवीगेटर (Netscape
Navigator), इंटरनेट ए सपलोरर (Internet Explorer) आ द ।
व तु न ठ न-सह और गलत बताइये
(1) यू.आर.एल. का ता पय है-
(अ) यू नवेरसल र एवल लगुएज।
(ब) यूनीफाम रसोस लोकेटर।
(2) नेट केप नेवीगेटर तथा इंटरनेट ए स लोर--
(अ) वेब ाउजर ह ।
(ब) वेब साइट के पते ह।
(3) वेब ाउजर एक ो ाम है--
(अ) िजसका उपयोग हो ट कं यूटर से स पक करने के लए कया है।
(ब) इंटरनेट पर कसी वषय क खोज के लए कया जाता है।
5.2. ई-मेल (E-mail)
इले ा नक मेल या ई-मेल आज सबसे लोक य, स ता एवं अ य धक योग वाला
स दे श भेजने तथा ा त करने का मा यम बन गया है। बहु त अ धक सं या म लोग इस
मा यम का योग अपने - त के नजी तथा यावसा यक काय म करते ह। इस सेवा वारा
बना कसी अ त र त डाक भार के संदेश को एक कं यूटर से दूसरे कं यूटर तक भेजा जा
सकता है। ई-मेल वारा आप अपने संदेश को सरलता तथा अ तशी ता से लाख लोग को
दु नया के कसी कोने तक कसी भी समय भेज सकते ह। इस कार इंटरनेट उपयो ताओं के
म य कु छ ह ण म स दे श को एक थान से दूसरे थान तक भेजा या ा त कया जा
सकता है चाहे उनके बीच क दूर कतनी भी हो । इस या म संदेश को एक या एक से
अ धक पैकेट (Packets) म वभािजत करके ग त य थान तक भेजा जाता है। यह

186
सु नि चत करने के लए क भेजा गया स दे श ठ क कार से पहु ँ च,े इन पैकेट को ट .सी.पी. /
आई.पी. (TCP/IP) मानक के अनु प भेजा जाता है।
कसी कं यूटर नेटवक म कसी भी एक उपयो ता को त शासक (System
Administration) वारा एक ''उपयो ता नाम'' (User Name) दया जाता है जो क
अ वतीय या अन य होता है। ठ क इसी कार येक नेटवक जो इंटरनेट से स ब होता है
उसे भी एक अ वतीयक ''डोमेन नाम'' (Domain Name) दया जाता है ''उपयो ता'' तथा
''डोमेन नाम'' दोन @ च न वारा पृथक कया जाता है। इस कार इंटरनेट ''मेल पता''
(Mail Address) के दो भाग होते ह िज ह @ च न से पृथक कया गया होता है। इस पते
म @ च न से पहले के भाग को ''मेल बॉ स'' (Mail Box) कहते ह िजसम उपयो ता का
वैयि तक नाम होता है तथा @ च न के प चात आने वाले को (Domain) कहते ह। इस
कार इंटरनेट पर कोई भी ''ई-मेल पता'' न मत कया जाता है। य द कसी बड़े तं म िजसम
एक से अ धक कं यूटर का आपस म योजन होता है उसम डोमेन नाम से पहले ''मशीन नाम''
(Machine Name) भी जोड़ दया जाता है । पर तु कसी नेटवक म िजसम केवल एक ह
कं यूटर होता है उसम ''मशीन नाम'' क आव यकता नह ं होती। ''मशीन नाम'' तथा ''डोमेन
नाम'' को (.) च ह वारा पृथक कया जाता है और अ त म दे श के माम को कोड प म
लखा जाता है जैसे:-
user@machinename.domainname.domaintype.countrycode
अथात उपयो ता @ मशीन नाम. डोमेन नाम. डोमेन का कार दे श का कोड नाम (ई
-मेल पते म कसी अ र के प चात कोई र त थान नह ं होता) इस कार डोमेन नाम को
डोमेन के कार से suffix कया जाता है। ये डोमेन के कार संगठना मक डोमेन कहलाते ह।
नीचे क ता लकाओं म कु छ मु य संगठना मक डोमेन तथा भौगो लक डोमेन दशाये गये ह।
ता लका-1
मु य संगठना मक डोमेन
.com (Commerical organization) वा णि यक त ठान
.edu (Educational Instiution) शै णक सं था
.gov (Government Organisation) सरकार त ठान
.int (International Organisation) अ तरा य त ठान
.mil (Military Organisation) सै य त ठान
.net (Network/ Information Centre) नेटवक / सूचना के द
.org (Non- Profit Organisation) लाभ नरपे त ठान

187
ता लका- 2
मु य भौगो लक डोमेन
.au ऑ े लया .kr को रया
.ca कनाडा .se वीडन
.dk डेममाक .uk टे न
.fr ांस .us अमे रका
.ge जमनी
.in भारत
.jp जापान

ई-मेल पता का उदाहरण न न ल खत है: -


उपयो ता@डोमेननाम.सगठना मकडोमेन,भौगो लकडोमेन
nandwanahb@kou.edu.in
[nandwanahb उपयो ता HB Nandwana
kou डोमेन नाम कोटा ओपेन यूनीव सट
edu संगठना मक डोमेन शै णक सं थान
in भौगो लक डोमेन भारत
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये
1. ई-मेल वारा स दे श को- -
(क) कसी यि त वशेष को भेजा जा सकता है ।
(ख) भेजने के लए ई-मेल पते क कोई आव यकता नह ं होती ।
(ग) बहु त से यि तय को एक साथ भेजा जा सकता है ।
(घ) पैकेट म भेजा जाता है ।
(ङ) ा फ स, ो ाम तथा स पूण पा य साम ी के प म भेजा जा सकता है ।
(च) भेजने के लए कसी मानक क आव यकता नह ं होती।
(छ) श द संसा धत फाइल के प म भेजा जा सकता है ।
2. ई-मेल पते म होता है
(क) डोमेन नाम ।
(ख) भौगो लक डोमेन ।
(ग) मशीन नाम ।
(घ) संगठना मक डोमेन ।
(ङ) उपयो ता का स पूण पता ।
(च) पन कोड ।
(छ) डाक पता ।
(ज) वैयि तक नाम ।

188
5.3 होम पेज (Home Page)
आजकल साइबर पेस (Cyberspace) म अपना थान बनाने के लए कु छ संगठन,
त ठान, नकाय तथा लाभ वयं अपना होम पेज बनाते ह िजसका एक वतीय पता होता है
। इस पते के अ तगत उस नकाय क स पूण ग त व धय तथा काय-कलाप के बारे म
जानकार मल सकती है । ये नकाय हमेशा अपनी सू चनाओं को अ यतन करते रहते है ।
पु तकालय , शै क सं थान, तथा अ य सं थाओं के बारे म उनके संसाधन तथा उससे ा त
वाल सेवाओं के बारे म जानकार मलती है । कु छ मु ख नकाय / सं थाओं के होम पेज इस
कार ह-
संगठन / स थान होम पेज/पता
भारतीय जनगणना नदे शालय http://www.censusindia.net
इ ला(IFLA) http://www.ifla.org
भारत सा रता प रयोजना http://www.ilpnet.org
रा य सा रता मशन http://www.infoindia.net/nlm
5.4. ई-कामरा (E- Commerce)
ई-कामस या इले ा नक कामस का ता पय उस यापार से है िजसम य तथा व य
को वेब वारा कया जाता है । सू चना ौ यो गक के वकास के कारण आज स भव हो गया है
क इंटरनेट एवं व ड वाइड वेब के मा यम से यापार तथा व नमय णाल म शी ता आ गयी
है िजसम उपभो ता वारा उसे उसक इ छा से सामान का चयन, मू य सूची तथा भु गतान के
मा यम को तय कया जाता है । आज यह केवल भौ तक व तु ओं तक ह सी मत नह ं है
अ पतु परामश सेवा, समाचार, डिजटल माल, ं ी, सू चना स ब धी,
ान संबध च क सा, दूर
श ा, य, य, या ा संबध
ं ी आ द ववरण ई-कामस वारा कया जा सकता है । ई-कामस
वारा पु तक , प -प काओं। सीडी-रोम डेटा बेस को भी खर दा जा सकता है । सन ् 1995 से
ह Amazon.com इस दशा म काफ अ सर रहा है जो आज ई-कामस वारा 160 से भी
अ धक दे श म 62 लाख ाहक को अपनी सेवा दान करता है ।
5.5. फाइल ा सफर ोटोकोल (File Transfer Protocol) (FTP)
फाइल ा सफर ोटोकोल एक ऐसी स दे शाचार या है िजसम फाइल को दूर थ
कं यूटर से अपने कं यूटर म थाना त रत कया जाता है । इंटरनेट पर फाइल को कसी भी दो
कं यूटर के बीच था त रत कया जा सकता है । एफ.ट .पी. दो कार क अव थाओं म काय
करता है । एक वह िजसम फाइल ांसफर के लए आई डी (ID) तथा पासवड. (Password)
क आव यकता होती है तथा दूसरे कार को अ ात (Anonymous) एफ. ट .पी. कहते है
िजसम फाइल को (Download) तथा ांसफर करने के लए आई डी तथा पासवड क कोई
आव यकता नह ं पड़ती, इसे कोई भी इंटरनेट उपयो ता योग म ला सकता है । यह लायंट /
सवर अनु योग का एक उदाहरण है । इस या म थानीय कं यूटर म लायंट ो ाम होता

189
है जो अनुरोध करता है तथा दूर थ कं यूटर म सवर ो ाम होता है जो अनुरोध क गयी
फाइल को दान करता है । इसम ''एफ.ट .पी. लायंट ो ाम'' का योग करके दूर थ कं यूटर
को ''एफ.ट .पी. सवर ो ाम'' से स ेषण करके काय क सहभा गता क जाती है । ये दोन
ो ाम एक ह साथ काय करते ह। । इस या का उपयोग सॉ टवेयर ो ाम, ा फ स,
टे क (Text) आ द फाइल को थाना त रत करने के लए कया जाता है ।
5.6. यूजनेट (Usenet)
सन ् 1979 म नाथ कैल फो नया यू नव सट तथा यूक यू नव सट के छा ने दो
कं यूटर को जोड़कर स दे श का आदान- दान कया । इस यव थापन म एक कं यूटर से दूसरे
कं यूटर के बीच कसी एक वषय, तथा उसका उ तर, दोन आदान- दान कया जाता रहा जो
आगे चलकर यूजनेट (Newsnet) या नेट यूज (Netnews) के नाम से च लत हु आ । बाद
म 1996 म नेटवक यूज ांसफर ोटोकोल Network News Transfer Protocol)
(NNTP) को नेट यूज के वतरण के लए एक उपकरण क तरह इ तेमाल कया गया । हाल
के वष म यूजनेट के उपयो ताओं क सं या म अ या शत वृ हु ई है । यूज़नेट हारा कोई
यि त सू चना को बना कसी यय के एक समू ह के यि तय को भेज सकता है तथा उनसे
इस बारे म उनक राय जान सकता है । आज नेट यूज व व क सबसे व तृत बुले टन बोड
सेवा (Bulletin Board Service) मानी गयी है । कभी-कभी कोई समाचार यूज़नेट पर
टे ल वजन या समाचार प से पहले ह सा रत हो जाता है । इस कार से यूज़नेट दारा
सू चना क सहभा गता क जाती है । यूज़नेट के उपयो ताओं क सं या इतनी अ धक है क
अमु क सू चना कसे भेजी जाय, इसका यव थापन करना एक क ठन काय बन गया है ।
इस लए व भ न कार के यूज -समू ह (News-Group) बनाये गये जो न न ल खत ता लका
म दशाये गये ह ।
ता लका-3
यूज समू ह
वग (Group) ववरण(Description)
Comp क यूटर हाडवेयर, सॉ टवेयर, उनके अनु योग , ववरण आ द से संबि धत
यूज़ समू ह।
News नेट यूज़ वतरण तथा इसके सॉ टवेर से संबि धत चचा –म डल
Rec मनोरं जन (Recreation), आट आ द से संबि धत समू ह।
Sci व ान (Science) से संबि धत वषय पर चचा समू ह।
Soc सामािजक (Social) वषय पर चचा से संबि धत समू ह।
Talk खु ल प रचचा से संबि धत समू ह।
Misc उपरो त कसी भी यूज समूह म आने वाले वषय पर होने वाल चचा का
यूज समू ह

190
उपरो त यूज समू ह के अलावा भी वैकि पक यूज समू ह भी ह जैसे alt, info,
gnu, k12, आ द । उदाहरण के तौर पर केट का कोर जानने करने के लए
rec.cricket.scores यूज समू ह से सू चना ा त क जा सकती है ।
इस कार यूजनेट समाचार समू ह का एक ऐसा समूह है जो हजार लोग को कसी
एक सामा य वषय पर अ ययन करने तथा उन पर चचा करने क सु वधा दान करता है ।

6. खोज इ जन (Search Engine)


खोज इ जन का उपयोग वेब से कसी वां छत सू चना क ाि त के लए कया जाता है
। यह एक ऐसा ो ाम है जो वेब का मवी ण (Scanning) करता है । मु य श द को
खोजने वाला इ जन केवल वेबसाइट क आ या (Title) से श द को ढू ं ढ़ता है, अ पतु येक
पृ ठ के येक श द को भी खोजता है । यह सह पृ ठ से मु य श द का मवी ण कु छ
ह समय म करके उ ह पुन ा त करता है । इस कार क खोज म सह के अलावा काफ मा ा
म अ ासं गक (Irrelevant) सू चना भी ा त हो जाती है । एक ह खोज इ जन इंटरनेट पर
उपल ध सभी वेब सू चना खोजने के लए पया त नह ं होता । इस लए जब कभी एक इ जन से
अभी ट सू चना न ा त हो सके तो अ य खोज इ जन को भी उपयोग म लाना चा हए ।
न न ता लका म कु छ मह वपूण खोज इ जन का वणन कया जा रहा है ।
ता लका-4
खोज इ जन(Search Engine) वेब पता (Web Address)
अ ा व ता Alta Vista (http://altavista.digital.com)
इ फोसीक Infoseek (http://www.infoseek.com)
लाइकोस Lycos (http://www.lycos.com)
हॉटबोट Hotbot (http://www.hotbot.com)
ए साइट Excite (http://www.excite.com)
उपरो त खोज इ जन म साधारण तथा वशेष कार से खोजने के गुण मौजू द होते ह
। ाय: बू लयन आपरे टर (Boolean Operators) ए ड (AND), आर (OR) तथा नॉट
(NOT) म से एक या एक से अ धक आपरे टर के योजन से इन इ जन वारा खोज क जा
सकती है । इसके अ त र त कसी मु य श द का चयन करके तथा उसे ि लक (click) करके
भी वां छत सू चना ा त क जा सकती है ।

7. वेब खोज (Web Search)


वेब म अ य धक सं याओं म पृ ठ होते ह । इन पृ ठ म से हम मु यत: दो कार से
सू चना ा त कर सकते ह-
(अ) वषय नद शका वारा खोज (Searching through subject Directory)-
इस व ध म वषय के अ तगत सू चना का अवलोकन कया जाता है । इसम या ब कुल
टे ल फोन नद शका के येलो पेज (Yellow Page) क तरह होती है । याहू साइट (Yahoo
Site) इसका एक उ कृ ट उदाहरण है । इस कार क खोज म वेब ाउजर के पते वाले खाने
191
म http://www.yahoo.com है । इसमं वषय को पदान मक ढं ग से समा य से व श ट
प म यवि थत कया गया। खोजक ता इ ह न द ट थान पर ि लक (click) करके अभी ट
सू चना ा त कर कता है ।
(ब) मु य श द वारा खोज (Searching through Keyword) - इस कार क
खोज व ध म कसी मु य श द या कु छ श द के समूह को खोज के लए दया जाता है ।
य क कसी खोजकता के लए! _हमेशा यह मु ना सब नह ं होता क उसे कसी वशेष वषय
के बारे म व तृत जानकार हो । इंटरनेट म यह व ध काफ सरह मानी जाती है तथा
अ धकतर नये खोजकता इसी व ध का योग करते ह ।

8. इंटरनेट सेवा दानकता (Internet Service Provider)


इंटरनेट पर उपल ध सू चना संसाधन के भ डार को अ भगम करने के लए इंटरनेट सेड़
दान करने वाल कु छ रा य तथा अंतररा य सं थाएँ होती ह । ये सं थाएँ इंटरनेट को
आपको पसनल कं यूटर (P.C) से मोडेम (Modem) के मा यम से जोडती ह । इस लये
इंटरनेट सेवा दान करने वाल सं थाओं का चयन करना अ य धक मह वपूण होता है । इनका
चयन करते समय न न ल खत बात पर अव य यान दे ना चा हए :-
1. खाते (account) का कार ।
2. दान कये गये कने शन क ग त (speed)।
3. इंटरनेट से संयोजन का तथा उस पर आवत यय ।
4. अ य उपकरण पर अ त र त यय ।
5. अ त र त समय के कने शन का यय ।
6. कसी खराबी क दशा म सहायता क उप धता ।
7. बना अ त र त यय के े नंग दे ना आ द ।
अंतररा य तर पर इंटरनेट सेवा दान करने वाल सं थाओं म से नेटकॉम
(Netcom) आ टरनेट (Alternet), बारनेट (Barnet), आईनेट (Inet), कमु सव (Compu
Serve), डे क (Delphi) तथा इजीनेट (Easy Net) आ द मु ख ह । भारत वष म भी
इंटरनेट सेवा दान करने वाल सं थाओं क सं या म पछले कु छ वष म अ या शत वृ हु ई
है । इनक सं या म वृ के कारण इनक सेवाशत , सेवा शु क आ द म काफ कमी आई है ।
पहले यह सेवा केवल वदे श संचार नगम ल मटे ड (Videsh Sanchar Nigham Limited
(VSNL) वारा ह दान क जाती थी । परं तु आज अनेक नजी सं थाओं के आगमन से
इंटरनेट सु वधा तथा सेवाओं म गुणा मक वृ हु ई है ।
भारत वष म कु छ मु य इंटरनेट सेवा दान क ताओं तथा उन शहर के नाम सूची
नीचे क ता लका म द गयी है िजसम वे स य प से इंटरनेट सेवा दान करते ह ।

192
ता लका - 5
इंटरनेट सेवा दानक ता (Internet Service Provider)
इ टरनेट सेवा दानकता शहर
(Internet Service (city)
Provider)
1. डशनेट (डीएसएल) अहमदाबाद, बंगलोर, चे नई कोचीन, काल कट, हैदराबाद,
(Dishnet(DSL) मु बई, मैसू र, नागपुर , नई द ल , पुणे , वे म, नागपुर ।
2. स यम ऑनलाइन अहमदाबाद, बंगलोर, भोपाल, भु वने वर, चे नई, कोचीन,
(Satyam Online) कोलकाता, च डीगढ़, गोवा, हैदराबाद, जयपुर , मु बई, नागपुर
नई द ल, पुणे , वे म, इ दौर, लखनऊ, नागपुर ,
वाराणसी
3. वदे श संचार नगम अहमदाबाद, बंगलोर, भोपाल, भु वने वर चे नई, कोलकाता,
ल मटे ड काल कट, चंडीगढ़, गोवा, हैदराबाद, जयपुर , कानपुर , मु बई,
(Videsh Sanchar मैसरू , नागपुर , नई द ल , पुणे , वे म, दे हरादून,
Nigam Limited) गुवाहाट , हु वल , इ दौर, ज मु लखनऊ, नागपुर , पटना,
(VSNL) वशाखाप नम ।
4. म दा ऑनलाइन बंगलोर, चे नई, हैदराबाद, मु बई, नई द ल , पुणे ।
(Mantra Online)
5. जी ने क बंगलोर, मु बई, नई द ल ।
(Zee Next)
6. मनीपाल डेटा क ोल बंगलोर, मु बई, नई द ल , पुणे , बंगलोर, चे नई ।
(Manipal Data
Control)
7. बी पी एल नेट बंगलोर, चे नई, कोचीन, मु बई, नई द ल , पुणे ।
(bpl net)
8. स मा ऑनलाइन बंगलोर, चे नई, कोलकाता, हैदराबाद, मु बई, नई द ल,
(Sigma Online) पुणे ।
9. पै स फक इंटरनेट बंगलोर, चे नई, मु बई, नई द ल ।
(Pacific Internet)
10. लोबल ऑनलाइन हैदराबाद ।
(Global Online)
इनके अ त र त कु छ और भी इंटरनेट सेवा दानकता ह जैस:े -
माइले नयम इंटरनेट(Millennium Internet)
नेट-4 इि डया (Net4india)

193
ि व टमेल (swiftmail)
नेट ै कर (Net Kracker)
साइबर वेव (Cyber Wave)
नेट ै कर (Net Cracker)
के.एम.आर.ऑनलाइन (KMR Online)
व ती माट (Only Smart)
लाइड (Glide)
इंटरनेट सेवा दान करने वाल कु छ सं थाएँ जैसे वी.एस.एन.एल. एवं म ा ऑनलाइन
ई-मेल-से-पेजर तथा ई-मेल- से-मोबाइल सेवा भी दान करने लगी ह । वी.एस.एन.एल. पेज
लस (Page Plus) और पेज मेल (Page Mail) सेवा दान करता है िजससे ई-मेल वारा
सा रत संदेश को पेजर पर ा त कया जा सकता है । जब क म दा आनलाइन वारा इसे
कसी भी मोबाइल जैसे सेलु लर या पेजर पर ा त कया जा सकता है ।
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये
1. इंटरनेट सेवा दान क ता--
(अ) उपयो ता के पी.सी. तथा इंटरनेट के बीच संयोजन करते ह ।
(ब) इंटरनेट पर उपल ध सेवाओं को शु क लेकर उपयो ता को उपयो ता कराते ह ।
(स) संचार लाइने उपल ध कराते ह ।

9. इंटरनेट का पु तकालय म उपयोग (Applications of Internet


in Libraries)
पु तकालय एवं सू चना यवसाय से जु ड़े लोग के लए इंटरनेट एक वरदान सा बत हु आ
है । इसके उपयोग से सूचना पुन ाि त के े म ां त सी आ गयी है । आज इसके वारा
बड़ी सु गमता एवं शी ता से वां छत सू चना का अ भगम कया जा रहा है । इसके अ भगम के
कारण पु तकालय म काय-कलाप एवं उनके वारा द त सेवाओं म गुणा मक प रवतन आ
गया है । अधो ल खत अनु छे द म इसका सं त वणन कया जा रहा है ।
(क) पु तक का अ ध हण
इंटरनेट के अनु योग से पु तक का चयन एवं उनका अ ध हण अ य त सु गम हो
गया है एवं इसम समय क काफ बचत होती है । आज अ धकतर पु तक व ताओं ने अपने
का शत पु तक क स पूण सू ची इंटरनेट पर उपल ध करा रखी है । पु तकालय उनक पर के
मंगा सकते ह । इस दशा म अ णी Amazon।com साइट पर उपल ध अमेजन बुक टोर
उनके लेखक , वषय , मु य श द तथा आई.एस.बी.एन (ISBN) से खोज सकते ह । यह
सु वधा अभा तक भारत के 32 शहर म उपल ध है । पहले जो पु तक चार से छ: माह म
अध हत क जा रह थी वे अब इंटरनेट वारा दो से तीन स ताह म अ ध हत क जा
सकती ह । इससे न केवल समय क बचत होती है अ पतु अनाव यक कागजी कायवाह भी
कम करनी होती है । मु ख पु तक व े ताओं क सू ची (Catalogue) इंटरनेट पर उपल ध है

194
। यह नह ं शै णक सं थाओं दारा का शत लेख के बारे म भी सू चना इंटरनेट पर उपल ध
होती है । इसी कार तवेदन , मानक , एक व , शोध थ
ं , आ द के बारे म इंटरनेट पर
जानकर हा सल करके उ ह पु तकालय म अिजत कया जा सकता है।
कु छ पु तक व े ताओं के वेब साइट के पते इस कार ह: -
ए ववेब (Acq Web)
http://www.library.vanderbilt.edu/law/acqs/acqs.html
यह साइट काशको, पु तक व े ताओं, उनक पु तक के बारे म जानकार रे ता है ।
बज वेब ल ट (Biz Web List)
http://www.bizweb.com/keylists/publishing.bookseller.html
इस साइट पर हजार क सं या म पु तक व े ताओं के बारे म जानकार उपल ध है
तथा उनसे सीधे आडर दये जा सकते ह ।
सीडी-रोम (CD-ROM) संसाधन का साइट
http://www.state.me.us/msl/cdrom.html
यह सीडी-रोम संबि धत हाडवेयर व े ताओं, यो ता वग आ द के बारे म ज़ानकार
ा त करने क साइट है ।
ए वटॉक (ACQTALK),
http://www.library.vanderbilt.edu/law/acqs/bb/index.html
इस साइट का उ े य पु तक के अ ध हण स ब धी सम याओं के बारे म चचा तथा
उसका हल नकालने के बारे म जानकार दे ना है ।
अमेजन (Amazon) बुक टोर
http://www.amazon.com
इस साइट पर तीस लाख से भी अ धक पु तक के बारे म जानकार है ।
डी.के. एजे सीज (DK Agencies)
http://www.dkagencies.com.booksearch
यह एक भारतीय काशक क साइट है िजस पर उनके वारा का शत सभी पु तक
के बारे म जानकार हा सल क जा सकती है ।
(ख) तकनीक संसा धता (Technical Processing)
इंटरनेट के अ भगम वारा ा त कए गये पु तक या लेख क सू ची एल.सी. (LC)
या माक (MARC) के अनुसार बनायी जा सकती है तथा उ ह अंतररा य मानक के अनुसार
सम पता दान क जार सकती है । िजन पु तक क सूची इंटरनेट पर उपल ध होती है उ ह
डाउनलोड (Down Load) करके पु तकालय क सूची म, अपने कु छ थानीय प रवतन के
साथ, डाला जा सकता है । ठ क इसी कार अंतररा य वग करण णा लय के अनुसार
अध हत पु तक तथा लेख को वग कृ त भी कया जा सकता है । तकनीक संसाधन क
कु छ साइट न न ल खत ह ।
ओ.सी.एल.सी. (OCLC)

195
http://lcweb.loc.gov/marc
बआ ड बुकमा स (Beyond Bookmarks)
http://www.public.iastate.edu
(ग) प -प काओं का अ ध हण (Acquisition of Serials)
प -प काओं के काशक क ं सू चयाँ,
थ थ क आवृ तयाँ , वा षक स स शन
आ द के बारे म जानकार इंटरनेट पर उपल ध होती है । इन काशक क वेबसाइट पर इनके
वारा का शत प -प काओं के बारे म जानकार ा त करके उ ह मंगाया जा सकता है । इस
कार क व ध म समय का बहु त कम ास होता है ।
ई-मेल वारा काशक से सीधे यवहार कया जा सकता है । उ ह आडर तथा न
ा त होने वाल प -प काओं के बारे म जानकार भेजी जा सकती है । भेजा गया पैसा उ ह
ा त हु आ या नह ,ं काशक क सू ची से थ
ं ा मक सू चना आ द के बारे म जानकार बना
डाक भार क ह ा त क जा सकती है । अ धकतर काशक ने अपने वारा का शत
इंटरनेट एवं प -प काओं के बारे म सू चना इ टरनेट क वेब साइट पर उपल ध करा दया है ।
उदाहरणाथ-
लैकवेल साइ स जनल (Blackwell Science Journal)
http://www.blacksci.co.uk./online
ए से वयर साइ स (Elsevier Science)
http://www.alsevier.nl
जॉन वाइले ए ड स स (John Wiley & Sons)
http://www.wiley.com
लुवर ऑनलाइन (Kluwer Online)
http://www.wkap.nl/kaphtml/kodetails
नाइट रडर इ फामशन (Knight-Ridder Information)
http://www.dialog.com
नासा तकनीक तवेदन (NASA – Technical Report)
http://www.techreports.larc.nasa.gov
ि ं र वलाग (Springer Verlag)

http://www.link.springer.de
(घ) लेख वतरण (Document Delivery)
इंटरनेट पर उपल ध यह एक मह वपूण सु वधा है िजसने लेख वतरण तथा व भ न
पु तकालय के म य पु तक तथा लेख को इले ो नक प म आदान- दान के े को एक
नया आयाम दया है। कसी पु तकालय म उपल ध पु तक या लेख को इंटरनेट वारा उनके
ऑनलाइन पि लक ए सेस कैटालाग (Online Public Access Catalogue) वारा अ भगम

196
करके पता लगाया जा सकता है और उसक ाि त क जा सकती है। इस तरह से अंतररा य
तर पर भी लेख को मंगाया जा सकता है।
(ङ) सू चना सेवाएँ (Information Services)
साम यक चेतना सेवा (Current Awareness Service) तथा चय नत सूचना सेवा
(Selective Dissemination of Information Services) आ द इंटरनेट वारा अ य त
कम समय म उपयो ताओं को द जा सकती ह। इंटरनेट पर चुर सं या म डेटाबेस क
उपल धता के कारण उनका अ भगम करके सार- प से या पूण - प से सूचना क पुन ाि त
करके उसे सा रत कया जा सकता है ।
उपरो त सेवाओं के अ त र त इ टरनेट वारा व भ न पु तकालय के होमपेज या
उनके वारा बनाई गई वेब साइट का अ भगम कर पु तकालय तथा सू चना स ब धी सेवाएँ
ा त क जा सकती ह। व भ न पु तकालय एक यूज-समू ह बनाकर इंटरनेट वारा आपस म
प रचचा कर सकते है। तथा सामा य सम याओं का समाधान एवं संसाधन क सहभा गता कर
सकते ह। इ सडॉक, डेसीडॉक, न सात आ द ने अपनी सेवाएँ, सू चना उ पाद आ द को अपने
वेब साइट पर उपल ध कराई ह।
व तु न ठ न - सह और गलत बताइये
1. इंटरनेट का उपयोग पु तकालय वारा--
(क) पु तक , प -प काओं, लेख आ द का चयन करके उनको आडर करने के लए
कया जा सकता है ।
(ख) सू चना सारण के लए ई-मेल भेजा या ा त कया जा सकता है ।
(ग) लेख को इले ो नक प म मँगाया जा सकता है ।
(घ) आपस म संसाधन क सहभा गता क जा सकती है ।
(ङ) ई-कामस वारा बल का भु गतान कया जा सकता है ।
(च) पु तक का सू चीकरण तथा उ ह अपने अनुसार वग कृ त कया जा सकता है ।
(छ) सू चना सेवाएँ दान क जा सकती ह ।
(ज) अपने होम पेज बनाकर उपयो ताओं को अपनी सेवाओं के बारे म जानकार दान
कर सकते है ।

10.सारांश
इस इकाई म आपने इंटरनेट के उ व एवं वकास से स बि धत जानकार ा त क ।
इंटरनेट या है, आज के सूचना युग म इसक या मह ता है, कसी पु तकालय या सूचना
के म इंटरनेट का उपयोग करके सू चना को कस कार खोजा जा सकता है, इंटरनेट का
कने शन लेने के लए कन सं थाओं क आव यकता होती है, इंटरनेट यो ताओं को या- या
सेवाएँ दान क जा सकती ह आ द क जानकार इस ईकाई म द गयी है । दे श के कौन से
शहर म कस इंटरनेट सेवा दानक ता से इंटरनेट सेवा ल जा सकती है तथा शत के लए
कन- कन बात को यान म रखना चा हए आ द त य से आप को अवगत कराया गया है ।
ई-मेल, पेज, व ड वाइड वेब, यूजनेट , ई- कामस आ द के बारे म चचा क गयी है । अ त म

197
आपको इंटरनेट का पु तकालय अनु योग जैसे पु तक / प -प काओं का अजन, संसाधन क
सहभा गता, लेख का वतरण आ द के बारे म द गयी है िजसका आप यावसा यक प से
पु तकालय म योग कर सकते ह ।

11. अ यासाथ न
1. इंटरनेट या है? इसके उ व एवं वकास का वणन क िजए ।
2. इंटरनेट वारा या- या सेवाएँ ा त क जा सकती ह । व तारपूवक वणन क िजए ।
3. व ड वाइड वेब वारा सू चना को कस कार अ भगम कया जाता है ।
4. ई-मेल वारा सू चना को कस कार सा रत कया जाता है ।
5. रा य एवं अंतररा य इंटरनेट सेवा दान कताओं के बारे म वणन क िजए ।
6. पु तकालय म इंटरनेट का कस कार से उपयोग कया जा सकता है, वणन क िजए ।
7. न न ल खत के बारे म ट पणी ल खये-
(क) होम पेज
(ख) ई-कामस
(ग) खोज-इ जन
(घ) यूजनेट
(ङ) वेब खोज
(च) एफ.ट .पी.

12. पा रभा षक श दावल


(1) इंटरनेट (Internet) कं यूटर का एक ऐसा संयोजन िज ह इले ो नक प से
दूर संचार लाइन या अ य कार से वारा आपस म
ज़ोडकर सू चना का आदान- दान कया जाता है । इसे
नेटवक का नेटवक भी कहते ह ।
(2) इंटरनेट सेवा दान कता ऐसी सं था जो इंटरनेट तथा उपयोग के म य एक सेतु
(Internet Service का काय करती है तथा इंटरनेट क अ भगम सेवा

Provider) उपयो ता को दान कराती है ।

(3) एच.ट .ट .पी. (HTTP) यह हाइपर टे ट ा सफर ोटोकॉल (Hyper Text


Transfer Protocol) का सं त प है । इस संदेशचार
वारा कसी एक वेब पेज को दूसरे वेब पेज वारा जोड़ा
जाता है ।
(4) एचट ट पी. (FTP) यह फ़ाइल ा सफर ोटोकॉल (File Transfer
Protocol)का सं त प है ।यह एक ऐसा संदेशाचार है
अ तगत फाइल को एक कं यूटर से दूसरे कं यूटर म
थाना त रत जाता है ।
(5) लाय ट (Client) वह ो ाम जो थानीय कं यूटर पर चा लत कया जाता

198
है तथा डेटा क पुन ाि त (Retrieval), दशन
(Display) आ द के लए एक दूर थ हो ट कं यूटर के
साथ
स ेषण करता है
(6) खोज इ जन (Search ऐसा सॉ टवेयर जो उपयो ता को इंटरनेट पर उपल ध
Engine) कसी वशेष सू चना क खोज म सहायता करता है ।

(7) ोटोकोल (Protocol) नयम का एक ऐसा समु चय िजसके अ तगत एक


कं यूटर दूसरे कं यूटर से स दे शाचार वारा आपस म डेटा
का आदान- दान करते है।
(8) बुले टन बोड सेवा क यूटर तथा मोडेम (Modems) का संयोजन िजससे
बुले टन बोड सॉ टवेयर का उपयोग करके मेल भेजा जा
सकता है, कसी फोरम म प रचचा क जा सकती है तथा
इंटरनेट का अ भगम कया जा सकता है ।
(9) मोडेम (Modem) एक उपकरण जो कं यूटर को स ेषण लाइन वारा
जोड़कर डेटा को एक कं यूटर से दूसरे कं यूटर को
स े षत करता है ।
(10) यू.आर.एल. (URL) यूनीफाम रसोस लोकेटर (Uniform Resource
locator) का सं त प ।यह एक वेब पता है िजसम
एक संदेशाचार (Protocol), एक हो टनेम (Host
Name) एक नद शका (Directory) एक फाइल नाम
(File Name) होता है।
(11) 'यूज़नेट (Usenet) कं यूटर तथा नेटवक का एक संयोजन िजसम समाचार
तथा नये वषय पर नब ध आद क सहभा गता क
जाती है ।
(12) वेब बाउजर (Web यह एक लाय ट अनु योग है जो व ड वाइड वेब के
Browser) नेवीगेशन (Navigation) को सु गम बनाता है।

(13) व ड वाइड वेब इसे वेब या www या W3 भी कहा जाता है । यह


(World Wide Web) इंटरनेट पर उपल ध सू चना संसाधन के व भ न अ भगम
ब दुओं वारा खोजने या अ भगम करने का हाइपर टे ट
आधा रत एक तं है ।
(14) साइबर पेस (Cyber इले ो नक अ त र िजसम कं यूटर नेटवक म सूचना
Space) का वाह होता है।

(15) हो ट क युटर (Host इंटरनेट से स ब वह कं यूटर िजसम सू चना सं हत


Computer) होती है तथा जो सू चना सं ाहक का काय करता है तथा
आव यकता पड़ने पर वां छत सू चना को दूरसंचार लाइन

199
वारा याचक कं यूट र को भेजता है ।

13. व तृत अ ययनाथ ंथ सू ची


1. Singh, SP, Insternet and role of libraries,Journal of Library and
Information Science, 25,1; June 2000
2. Notess, Greg R, The Internet, In Encyclopedia of Library and
Information Science, Marcell and Dekker, New York, Vol.59, 1997,
p. 237
3. शंकर संह, क युटर और सू चना तकनीक, द ल , पूवाचल काशन, 2000
4. Thulasi, k and Rajasthan , TB, Web Resources for Internet use in
Libraries, In Kaul, HK, Ed. Library and Information Networking
(NACLIN 99), New Delhi, oct. 11-14, 1999. Pp. 73-91.
5. 5. Nair, R Raman ,Internet for Library and Information Services
New Delhi, Ess Ess Publications, 1999
6. Shankar Singh, World Wide Web: A hand book of libraries, New
Delhi, Ess Ess Publications,2000

200
इकाई – 13: भारत म संचार नेटवक
(Communication Networks in India)
उ े य
1. नेटवक क प रभाषा एवं इसक आव यकता से अवगत कराना,
2. संचार नेटवक एवं पु तकालय नेटवक के उ े य एवं इसक उपयो गताओं के मारे म
अ ययन कराना,
3. भारतवष म व भ न कार के संचार नेटवक एवं पु तकालय नेटवक के वषय म
जानकार ा त करना एवं इनके मु ख काय से प र चत होना,
4. इन नेटवक के मा यम से व भ न पु तकालय वारा संसाधन क पर पर सहभा गता
को व तारपूवक समझाना ।

संरचना
1. वषय वेश
2. नेटवक क प रभाषा
3. नेटवक क आव यकता
4. नेटवक के कार
5. नेटवक संरचना
6. संचार नेटवक
6.1 अरनेट
6.2 सरनेट
6.3 नकनेट
6.4 वघानेट
6.5 इंडोनेट
6.6 ोणा
6.7 टाइफैकलाइन
6.8 व म
7. सारांश
8. अ यासाथ न
9. पा रभा षक श दावल
10. व तृत अ ययनाथ ं सू ची,

1. वषय वेश
इस इकाई म आपको नेटवक क प रभाषा, वतमान युग म नेटवक क आव यकता,
इसके कार एवं संरचना आ द से प र चत कराया जायेगा । इसके साथ-साथ संचार नेटवक और

201
भारत म इनक ि थ त के वषय म भी काश डाला जायेगा । भारत म पूण पेण संचा लत
संचार नेटवक जैसे अरनेट, सरनेट, इंडोनेट के वषय म सं त जानकार उपल ध कराने का
यास कया गया है । इन संचार नेटवक के उ े य, इनके दारा द त सेवाएँ, इनक उपला हश
पर इस इकाई म काश डाला गया है ।

2. नेटवक क प रभाषा
नेटवक एक ऐसा पद है िजसम दो या दो से अ धक संगठन, सं था अथवा यं एक
ऐसी णाल के अ तगत काय कर सक, िजसम येक सहभागी अ य सहभा गय के संसाधन
का समु चत उपयोग करके लाभाि वत हो सके । इस पद को ाय: संसाधन क सहभा गता के
लए यु त कया जाता है । जॉन ि मथ ने नेटवक को न न ल खत प से प रभा षत कया
है: -
“नेटवक पद का योग एक बहु आयामी पद के प म कया जाता है, िजसम दो या दो
से अ धक सं थाओं के काय पर आधा रत सेवाएँ पार प रक प से संचा लत क जा सक ।
''अथात ् नेटवक कसी यव था अथवा शास नक सं था के अंतगत कायरत यि तय , संगठनो
या यं का एक समू ह होता है, जो आ त रक प से पर पर स ब होते है, एवम ् क ह ं
अथपूण उ े य क पू त के लए याशील होते ह ।
व तु न ठ न- सह एवं गलत बतलाइये
1. नेटवक से संसाधन क सहभा गता बा धत होती है ।
2. नेटवक तभागी सं थाओं को सु चा प से चलाने म सहायक होता है।
3. नेटवक णाल म पर पर सामंज य का सवथा अभाव दे खा जाता है ।
4. एक स म नेटवक णाल था पत करने हे तु कोई नि चत उ े य आव यक नह ं है ।

3. नेटवक क आव यकता
वतमान समय म सू चना के वकास क दर इतनी ती है क कसी भी सू चना के ,
पु तकालय अथवा यावसा यक त ठान आ द के लए यह कदा प स भव नह हो सकता क
वह यापक प से अथवा कसी वशेष े म अपने उपयो ताओं क जानकार उपल ध करा
सके । इस लए इस युग को सू चना युग क भी सं ा द गई है । कं यूटर व ान, जैव
ौ यो गक , रसायन ौ यो गक तथा अ य कई े म सू चना वृ क दर 20 तशत से
30 तशत तक है । अथात ् तीन से पाँच वष के अ तराल के प चात ् इन े म उपल ध
सू चना का आयतन दुगन
ु ा हो जाता है । एक अ ययन के अनुसार भारतीय पु तकालय वारा
अध हत कए गए सूचना संसाधन पर कु ल लगभग 500 करोड पये तवष का यय आता
है । िजनम से लगभग 200 करोड़ पये केवल वदे श से आया तत सू चना संसाधन पर खच
कया जाता है । सू चना संसाधन एवं काशन क सं या म वृ , मू य म वृ , मु ा फ त
क दर म वृ , भारतीय मु ा क तु लना म वदे शी मु ा क व नमय दर म वृ , पाठक क
बढ़ती सं या एवं उनक प रवतनशील, एवं बहु आयामी आव यकताएँ, पु तकालय के वा षक
बजट म नरं तर कटौती आ द कु छ ऐसे कारक ह जो पु तकालय एवं सू चना के को आपसी
202
सहयोग एवं संसाधन क सहभा गता क ओर े रत करते ह । चाहे वक सत दे श हो या
वकासशील दे श, संसाधन क सहभा गता के बना अपने पाठक या उपयो ताओं क सूचना
आव यकता क पू त करना कदा प संभव नह ं है । इ ह ं अप रहाय प रि थ तय के कारण
सू चना के , पु तकालय एवं लेखन के ने नेटवक क अ य त आव यकता को महसूस
कया । इन नेटवक को मु ख प से दो भाग म वभािजत कया जा सकता है ।
(क) संचार नेटवक
(ख) पु तकालय नेटवक
व तु न ठ न-सह एवं गलत बताय
1. संचार नेटवक का संबध
ं सफ सूचना सं ह तक ह सी मत है ।
2. व ान के े म 20 से अ धक वष म सूचना का आयतन लगभग दुगन
ु ा हो जाता
है।
3. वतमान युग को सूचना व फोट के युग क सं ा द जा सकती है ।
4. व ान व ौ यो गक के े म सू चना वृ दर 20-30 तशत वा षक है ।
5. संसाधन क सहभा गता वतमान युग क आव यकता हो गई है ।

4. नेटवक के कार
े के आधार पर नेटवक को तीन भाग म वभािजत कया जा सकता है :
(1) थानीय े नेटवक (Local Area Network)
(2) महानगर य े नेटवक (Metropolitan Area Network)
(3) व तृत े नेटवक (Wide Area Network)
1. थानीय े नेटवक:- थानीय े नेटवक (LAN:Local Area Network) नेटवक
क एक ऐसी णाल है िजसम एक तबं धत भौगो लक प र ध के भीतर डेटा के व नमय हे तु
कं यूटर एक-दूसरे से जुड़े होते है । यह तबं धत भौगो लक प र ध एक भवन, एक सं था
आ द या अनेक के अंतगत हो सकती है । इस कार क णाल म सभी कं यूटर केब स
(Cables) के मा यम से एक दूसरे से जु ड़े होते है तथा एक वशेष कार के सॉ टवेयर वारा
अंतसबं धत रहते है । दूर थ (Remote) एवं मेजबान (Host) दोन कार के कं यूटर को
आपस म डेटा के व नमय क सु वधा रहती है ।
वा तव म, थानीय े नेटवक एक तबं धत भौगो लक े म डेटा संचार क एक
ऐसी णाल है, िजसम बहु त से कं यूटर एक के य तं से जु ड़े होते है । इस कार के
नेटवक म डेटा के संख एवं अ य सार याओं को के य त (CPU) ह नयं त करता
है ।
थानीय े नेटवक के गुण :- थानीय े नेटवक के न न ल खत मु य गुण है:-
(क) डेटा के याकरण (Data Processing) क दर अपे ाकृ त ती होतै है जो
संचार सं ेषण के ग त वृ म सहायक होती है ।

203
(ख) यह कसी त ठान, सं थान, पु तकालय आ द के यि तगत वा म व वाल हो
सकती है ।
(ग) आँकड़ म एक पता (Uniformity) क संभावना अ धक रहती है ।
(घ) इस णाल म डेटा आगम और नगम कसी भी संब कं यूटर से हो सकता है ।
ले कन डेटा सं हण एवं उसका ोसे संग केवल के य कं यूटर से ह संभव है ।
2. महानगर य े नेटवक:- महानगर य े नेटवक (MAN : Metropolitan Area
Network) का े एक भवन या भवन के समू ह या सं था तक या त होता है । इस नेटवक
का सार कसी महानगर के स पूण भौगो लक े म होता है । यह नेटवक भी थानीय े
नेटवक (LAN) क ह तकनीक पर आधा रत है । व भ न पु तकालय नेटवक यथा कै लबनेट,
मा लबनेट, लकनेट, एडीनेट आ द इसी कार के नेटवक ह ।
3. व तृत े नेटवक:- व तृत े नेटवक (WAN : Wide Area Network) एक
ऐसी णल है, िजसम व भ न वाय त अंतसबं धत कं यूटर हे तु भौगो लक सीमा का कोई
तबंध नह ं होता है । रा य, े , शहर, दे श आ द क सीमा से परे इसका व तार
अंतररा य तर तक हो सकता है । थानीय े नेटवक (LAN) णाल के कं यूटर भी एक
गेटवे (Gateway) के ज रये इस णाल से जोड़े जा सकते है । व तृत े नेटवक म येक
कं यूटर चाहे वह मेजबान (Host) कं यूटर हो या दूर थ (Remote) भी अपने डेटा क
उपल धता सु नि चत कर सकता है । इस णाल म सभी लैन (LAN) तं अपना डेटा आगम-
नगम करने, उसे ोसेस करने एवं समय क साझेदार हे तु वतं होते है । इसके साथ लैन
(LAN) णाल से जु ड़ा कोई भी उपयोगकता अ य कसी, कं यूटर अथवा के य ो सेर से
सू चना सं ेषण हे तु वतं होता है।
व तु न ठ न
1. इंटरनेट न न ल खत म कस कार का नेटवक है ।
(क) व तृत े नेटवक
(ख) थानीय े नेटवक
(ग) महानगर य े नेटवक
2. कै लबनेट न न ल खत म कस कार का नेटवक है ।
(क) व तृत े नेटवक
(ख) थानीय े नेटवक
(ग) महानगर य े नेटवक
3. केब स क आव यकता कस कार के नेटवक हे तु आव यक है ।
(क) व तृत े नेटवक
(ख) थानीय े नेटवक
(ग) महानगर य े नेटवक

204
5. नेटवक संरचना (Network Topology)
नेटवक संरचना का ता पय नेटवक के मान च ण (Mapping of Network) से है ।
दूसरे श द म, नेटवक संरचना नेटवक क व भ न ईकाइय को पर पर जोड़ने क एक कला है
। इसे हम नेटवक का लू टं भी कह सकते है । संरचना के आधार पर नेटवक को
न न ल खत वग म वभािजत कया जा सकता है:-
1. तारक नेटवक (Star Network)
2. जालक नेटवक (Mesh Network)
3. बस नेटवक (Bus Network)
4. वलय नेटवक (Ring Network)
5. पदानु मी नेटवक (Hierarchical Network)
6. क म नेटवक (Schema Network)
7. वभािजत नेटवक (Distributed Network)
8. म ट ॉप नेटवक (Multidrop Network)
1. तारक नेटवक (Star Network) : इस कार के नेटवक म एक के य नोड या गृह
होते है िजससे बहु त से अ ध हणक ता कं यूटर जु ड़े रहते है । इस कार से येक कने शन
(Connection) हे तु अलग-अलग लाइन होती है । चू क इस णाल म सभी सहभागी कं यूटर
एक के य नोड से जु ड़े होते है, अत: डेटा क स यता एवं व वसनीयता का उ तरदा य व
के य नोड पर ह होता है । इस संरचना क न न ल खत वशेषताएँ है:-
(1) सभी अ ध णक ता कं यूटर एक ह के य णाल से जुड़े होते है, अत: सभी संदेश
उसी के य नोड को भेजे जाते ह एवं नणय लेने का अ धकार भी उसी के य नोड
को है ।
(2) येक नोड वतं प से के य नोड से जु ड़ा होता है, अत: काफ ल बे केब स क
आव यकता होती है ।
(3) य द के य नोड काय करना बंद कर दे ता है तो पूरा नेटवक ह ठ प हो जाता है ।
2. जालक नेटवक (Mesh Network) : - इस कार के नेटवक म बहु त से नोड एक
दूसरे से इस कार जु ड़े होते है क कभी-कभी डेटा सीधे तीसरे ट मनल जो काफ दूर है, को भी
भेजा जा सकता है । अथात ् इस कार क संरचना म कसी एक नोड के बंद होने से पूरे
नेटवक पर कोई भाव नह ं होता है ।
3. बस नेटवक (Bus Network) : - इस कार के नेटवक म बहु त से नोड एक के य
संचार पथ वारा एक दूसरे से जु ड़े रहते है । इसके अ त र त इस नेटवक म येक नोड दो-
दशाओं (Bi- directional) वारा सहभागी केब स से इस कार संबं धत रहते है क येक
नोड अ य सभी नोड़स से वतं प से जु ड़ा रहे । इस कार से कोई भी नोड कसी भी नोड
को सीधे डेटा भेज सकता है ।
इस नेटवक क न न ल खत वशेषताएँ है:-

205
(1) इस नेटवक के सभी नोड़स एक के य संचार पथ (Central Communication
Highway) वारा जु ड़े रहते है ।
(2) सं े षत सू चना सभी नो स वारा सु नी जा सकती है । इसके साथ-साथ य द संदेश
कसी वशेष नोड के लए होने पर इसक सूचना द जा सकती है ।
(3) कसी एक नो स के बंद होने से स पूण नेटवक पर कोई भाव नह होता है य क
येक नोड एक-दूसरे से वतं होता है ।
4. वलय नेटवक (Ring Network) : - इस कार के नेटवक म बहु त से नो स एक
दूसरे से वलय क संरचना बनाते हु ए जु ड़े रहते है, िजसम सू चना सं ेषण केवल एक ह दशा म
संभव है । इस कार क णाल म सू चना सं ेषण क ग त अ यंत ती होती है और के य
नोड वारा भेजी गई सू चना का कसी भी वलय टे शन पर अ भगम कया जा सकता है ।
चू ं क इस णाल म डेटा का सं ेषण एक लू प के प म होता है, अत: इसे लूप नेटवक (Loop
Network) भी कहते है।
इस कार क संरचना म येक नोड दो अ य नो स से जु ड़ा रहता है । वक नेटवक
का अ भक प (Design) इस कार कया जाता है क कसी एक नोड के बंद हो जाने पर भी
डेटा का अ भगम संभव हो । इस नेटवक क न न ल खत वशेषताएँ है:-
(1) सभी नो स को इस कार सजाया जाता है क स पूण नेटवक एक वृत या वलय का
आकार ले सके ।
(2) येक नोड अ य दो नो स से जु ड़ा रहता है । संदेश का सं ेषण वलय के चतु दक
एक नोड से दूसरे नोड म होता है ।
(3) येक नोड हे तु एक पता (Address) होता है और संदेश को मु य नोड दारा उसी
पते पर भेजा जाता है ।
(4) कसी भी एक नोड के बंद हो जाने से स पूण नेटवक के ठ प हो जाने से भय रहता
है । इस लए ऐसी यव था क जाती है क एक नोड के बंद हो जाने पर भी डेटा सं ेषण बंद
न हो ।
5. पदानु मी नेटवक (Hierarchical Network):- इस कार के नेटवक म वभ न
नोड एक मु य नोड से पदानु म म जु ड़े रहते है । इस तरह यह नेटवक एक वृ क संरचना
म होता है । इस नेटवक को हम तर य नेटवक भी कह सकते है । इस नेटवक का एक दोष
यह है क इसम कोई नोड कसी अ य े के नोड, से य प से पार प रक संबध

था पत नह ं कर सकता है ।
6. क मा नेटवक (Distributed Network):- यह मु यत: एक पु तकालय नेटवक है ।
इस कार के नेटवक म दो से अ धक कं यूटर जु ड़े रहते है । दो ट मनल म से एक ट मनल
उपयोगकताओं का होता है और दूसरा सूचना उपल ध कराने वाल का । इस नेटवक का
तपादन एलेन कै ट ने कया था ।

206
7. वभािजत नेटवक (Distributed Network):- इस कार के नेटवक म नोड य
या परो प से एक दूसरे से इस कार जु ड़े होते है क वे पार प रक संबध
ं था पत कर
सके।
8. म ट ॉप नेटवक (Multidrop Network):- इस कार के नेटवक म बहु त ट मनल
झू लते हु ये अव था म के य नोड से जु ड़े होते है ।
व तु न ठ न
1. न न ल खत म कौन का नेटवक मु य प से एक पु तकालय नेटवक ह:
(क) वलय नेटवक
(ख) तारक नेटवक
(ग) क मा नेटवक
(घ) वभािजत नेटवक
2. क मा नेटवक क संरचना दो:
(क) एलेन कै ट
(ख) केि वन मू र
(ग) एस.आर. रं गनाथन
(घ) एच. पी लु हन
3. वृ सी आकृ त कस नेटवक म दे खी जा सकती है:
(क) तारक नेटवक
(ख) पदानु मी नेटवक
(ग) बस नेटवक
(घ) म ट ॉप नेटवक
4. लू प नेटवक को अ य कस नाम से जाना जाता है:
(क) वभािजत नेटवक
(ख) वलय नेटवक
(ग) बस नेटवक
(घ) क मा नेटवक
5. ‘के य संचार पथ' का संबध
ं कस नेटवक से है:
(क) बस नेटवक
(ख) तारक नेटवक
(ग) वलय नेटवक
(घ) पदानु मी नेटवक

6. संचार नेटवक
सू चना के सारण म संचार नेटवक क भू मका अ यंत मह वपूण है । येक संचार
नेटवक का एक प रभा षक उ े य होता है । भौगो लक आधार पर ये थानीय, व तृत , े ीय,

207
महानगर य या रा य तर पर फैले हो सकते हँ । सभी कार के संचार नेटवक क या-
प त म कु छ न कु छ समानता होती है, जैसे आँकडो का सं ह, उनका स ेषण, संसाधन क
पर पर सहभा गता, आ द ।
भारतवष म दूरसंचार वभाग (Department of Telecommunication) वदे श
संचार नगम ल मटे ड (Videsh Sanchar Nigham Ltd.) एवं इले ँन स वभाग
(Department of Electronics) आ द मु य प से रा य एवं अंतररा य दूरसंचार सु वधा
के लए उ तरदायी ह । वतमान समय म याशील संचार नेटवक का सं त वणन आगे के
अनु छे द म कया गया है ।
(1) अरनेट (ERNET)
(2) सरनेट (SIRNET)
(3) नकनेट (NICNET)
(4) व यानेट (VIDYANET)
(5) इंडोनेट (INDONET)
(6) ोण (DRONA)
(7) टाइफैकलाइन (TIFACLINE)
(8) व म (VIKRAM)
6.1. अरनेट (ERNET: Education and Research Network)
अरनेट, एजुकेशन ए ड रसच नेटवक का सं त नाम है, िजसक थापना भारत
सरकार के इले ोन स वभाग (Departments of Electronics) दारा सातवीं पंचवष य
योजना के अंतगत 1986 म क गयी । शै णक एवं शोध समु दाय के लए था पत इस
कं यूटर नेटवक को भारत सरकार के अलावा संयु त रा वकास काय म (UNDP :
United Nations Development Programme) के तहत भी सहायता दान क जाती है
। अरनेट ने अपने ारि भक चरण म भारत के 8 उ च श ा सं थान को चु ना । ये सं थान
न न ल खत है:-

1. रा य सॉ टवेयर ौ यो गक के (NCST : National Centre for Software


Technology), मु बई
2. भारतीय व ान सं थान (IIS : Indian Institute of Science), बंगलोर;
3. भार तय ौ यो गक सं थान (IIT: Indian Institute of Technology),नई द ल ,
मु बई कानपुर , खड़गपुर एवं चे नई; तथा
4. इले ो न स वभाग, भारत सरकार (DOE : Department of Electronics), नई
द ल ।
अरनेट को वा त वक प से भारत म इंटरनेट लाने का ेय ा त है । इसके साथ-
साथ नेटव कग के े म दे श क रा य मता को चोट तक पहु ँ चाने का ेय भी अरनेट को

208
ह जाता है । अरनेट क उपलि धय को दे खते हु ए के य मं मंडल क सलाहकार स म त ने
इस नेटवक को नये ार भ कये जाने वाले व ान एवं ौ यो गक नेटवक हे तु आदश बनाने
का नणय लया है ।
ार भ म अरनेट से ल ड लाइन यु त ट सी पी/ आई पी (TCP /IP) एवं ओ आई-
आई पी (OSI-IP) से जु ड़ा जा सकता था । पर तु 1995 से सू चना पथ हे तु केवल ट सी पी
/ आई पी (TCP/IP: Tramission Control Protocol / Internet Protocol) का उपयोग
कया जा रहा है । अंतररा य अ भगम हे तु नई द ल , मु बई, बंगलोर एवं कोलकाता म
गेटवे (Gateway) क थापना क गई है, िजसक कु ल मता 664 मेगा बाइट है । वतमान
म अरनेट पर त दन सू चना आवागमन का भार 10 गगाबाइट से भी अ धक हो गया है ।
अरनेट के व तृत नेटवक को X.25 ोटोकॉल वारा अ भग मत कया जा सकता है । X.75
ोटोकॉल क मदद से अ य नेटवक के वारा अरनेट को अ भग मत कया जा सकता है ।
इस समय शोध एवं शै णक सं थान समेत 700 से अ धक सं थाएँ एवं 80,000 से
अ धक उपयोगकता िजनम 8,000 से अ धक वै ा नक शा मल ह, इस नेटवक से लाभाि वत हो
रहे है । इसके साथ-साथ व ड वाइड वेब (WWW. World Wide Web) के वारा 120 से
अ धक दे श के संसाधन का अ भगम भी अरनेट के मा यम से संभव है ।
उ े य:- इस नेटवक के न न ल खत उ े य ह:-
(1) शै णक एवं अनुसंधान सं थान हे तु एक रा यापी कं यूटर नेटवक क थापना;
(2) नेटव कग एवं संबं धत े म उ चतर शोध, अ भक प एवं वकास को ो सा हत
करना;
(3) मानव संसाधन वकास हे तु समय-समय पर शै णक व श ण काय म व आयोजन
करना; तथा
(4) व भ न परामशक काय म का आयोजन करना;
द त सेवाएँ:- अरनेट न न ल खत सेवाएँ दान करता है:-
(क) ई-मेल सु वधा;
(ख) फाइल थानांतरण (FileTransfer) क सु वधा;
(ग) बुले टन बोड सेवा;
(घ) व श ट डेटाबेस अ भगम क सु वधा;
उपि धयाँ:- अरनेट क उपलि धयाँ न न ल खत है:
(1) कं यूटर नेटव कग के े म सव थम योगा मक मता का वकास अरनेट के वारा
ह कया गया;
(2) व भ न तर पर मानव शि त का वकास;
(3) व भ न कार के मानक (ट सी पी/आई पी, ओ एस आई-आई पी) आ द का नमाण;
(4) नेटव कग के आधार एवं सेवाओं का वकास अरनेट के वारा कया जा रहा है;
(5) ती वेग वाले नेटवक का नमाण;

209
(6) डिजटल पु तकालय का वकास; तथा
(7) इले ो नक काशन को बढ़ावा दे ना ।
6.2. सरनेट (SIRNET: Scientific and Industrial Research Network)
सरनेट, साइं ट फक ए ड इंड यल रसच नेटवक का सं त नाम है, िजसक
थापना 1990 म वै ा नक एवं औ यो गक अनुसंधान प रष (CSIR) वारा क गई । इस
नेटवक से संबं धत प रषद क 40 योगशालाओं को जोड़ा गया है । इसका मु यालय नई
द ल ि थत इ सडॉक (INSDOC) म ि थत है । सरनेट प रयोजना को काय प म प र णत
करने का ेय रा य सॉ टवेयर ौ यो गक के (NCST) को जाता है । सरनेट मु य प
से अरनेट (ERNET) के चार तर य संरचना (Four Layer Architecture) पर ह आधा रत
है । इसके साथ-साथ अंतररा य डेटाबेस के अ भगम हे तु यह अरनेट पर ह नभर है ।
सरनेट के थम तर पर एक रा य नोड है जो इस नेटवक का आधार त भ है । इसके
वतीय तर पर नगर य नोड ह जो नगर के सू चना यातायात को नयं त करते ह । इस
नेटवक के तीसरे तर पर सी एस आई आर (CSIR) क वभ न योगशालाय है जो या तो
नगर य नोड से या सीधे राि य नोड से जु ड़ी हु ई है । सबसे अं तम, अथात ् चौथे तर पर
उपयोगक ताओ को रखा गया है । ये उपयोगकता भी नगर य नोड से या सीधे रा य नोड से
जु ड़ सकते ह । सरनेट संचार तं यू यू सी पी (UUCP) ोटोकॉल पर आधा रत है । सरनेट
के बंधन हे त,ु बंगलोर, चे नई एवं कलक ता म े ीय के था पत कये गये ह ।
उ े य:- सरनेट न न ल खत उ े य हे तु कायरत है:-
(1) फल ौ यो गक , चम ौ यो गक , ाकृ तक उ पाद, रसायन, रे डयो भौ तक एवं
औष ध वन प त से संबं धत ऑन लाइन डेटाबेस सेवाओं का बंधन करना;
(2) प रष क सभी योगशालाओं के बीच सू चनाओं के स ेषण को ती बनाना;
(3) प रष क वभ न योगशालाओं म अ ध हत वै ा नक उपकरण (Scientific
Instruments) का एक डेटाबेस तैयार करना;
(4) बुले टन बोड सेवा उपल ध कराना; तथा
(5) दूर-स मेलन (TeleConferencing) क सु वधा उपल ध कराना।
उपलि धयाँ:- सरनेट न न ल खत डेटाबेस का अ भगम दान करता है:-
(क) भारतीय वै ा नक प काओं क रा य संघ सू ची (NUCSSI: National Union
Catalogue of Scientific Serials in India),
(ख) भारतीय प काओं क साम यक अनु म णका (Current Contents of Indian
Journals), तथा
(ग) बहु लक एवं धाि वक व ान (Polymer and Material Science) का था मक
डेटाबेस
द त सेवाएँ:- सरनेट न न ल खत सेवाएँ दान करता है:-

210
(1) ई-मेल सेवा,
(2) कै स (CAPS:Contents, Abstracts and Photocopies) सेवा, तथा
(3) इं डाँक (INSDOC) के मा यम से व भ न डेटाबेस का अ भगम ।
6.3. नकनेट (NICNET: National Informaties Centre Network)
नकनेट नेशनल इनफॉरमे ट स से टर नेटवक का सं त नाम है, िजसक थापना
रा य सूचना के , योजना आयोग वारा 1977 ई. म क गई थी । सेटेलाइट आधा रत इस
कं यूटर कृ त सूचना णाल का ारि भक उ े य सरकार को योजनाओं के नमाण के लए
संबं धत नणय को लेने हे तु कं यूटर एवं संचार णाल क आधार शला दान करना है । अपने
ारि भक चरण म नकनेट ने साइबर 170/730 (Cyber 170/730) स टम के वारा नगर
के म य एक नेटव कग मॉडल तैयार कया । इसी चरण के अंतगत 1982 म हु ए ए शयाड खेल
और 1984 म द ल म हु ए गुट - नरपे स मेलन का सारण कया जा सका । अपने
वतीय चरण म नकनेट ने चार एन ई सी -1000 (NEC-1000) स टम का अ ध हण
कया िजसे नकनेट के मु यालय नई द ल और इसके े ीय के पुणे , हैदराबाद और
भु वने वर म था पत कया गया । इसके साथ दे श के 35 रा य एवं के शा सत दे श क
राजधा नय म एन डी 550 (ND-550) आ द कं यूटर को था पत कया गया । इन रा य
मु यालय को आई बी एम पी सी/ए ट (IBMPC/AT) के वारा िजला मु यालय से जोड़ा
गया । िजला तर पर लगभग 450 के क थापना करके इ ह एक सैटेलाइट चैनल वारा
माइ ो अथ टे शन (Micro Earth Station) से स ब कया गया है । रा य व ान के
ने िजला तर पर सू चनाओं के वकास हे तु डस नक (DISNIC:District Information
System of NIC) क थापना क । यह एक डेटा बक है, िजसम संबं धत मंडल के व वध
वषय , भौगो लक आँकड़े आ द होते ह । इसके अलावा नकनेट के वारा लेखा एवं बजट,
आयात- नयात ववरण, अथशा एवं सामािजक वषय, व यजीवन एवं वा नक , लघु उ योग,
वा ण य, नमाण उ योग आ द क सू चना उपल ध हो सकती है ।
इस समय इस सू चना नेटवक के अंतगत एक वत रत डेटाबेस ब धन णाल
(DDMS:Distributed Database Management System) को याि वत कया जा रहा
है ।
उ े य:-सभी सरकार नणय को याि वत करने के लए एवं सभी सरकार वभाग
को नेटवक के वारा एक मू न त य र पंह दूसरे से जोड़ने के लए था पत इस नेटवक के
न न ल खत उ े य है : -
(1) सरकार कं यूटर करण क ओर वृ त करना;
(2) े ीय, रा य तर य व रा य तर पर सू चनापूण सं कृ त को ो साहन दे ना;
(3) पूरे दे श म सू चनाओं के सरल व पार। उपल धता हे तु कं यूटर क थापना करना;
(4) संसाधन का ती एवं व वसनीय उपयोग सु नि चत करना;
(5) डेटा सं हण, संकलन एवं सारण के मानद ड को सु नि चत करना; था

211
(6) अंतररा य डेटाबेस के अ भगम हे तु सु वधा दान करना ।
उपलि धयाँ- नकनेट क न न ल खत उपलि धयाँ हँ:-
(क) सन ् 1982 म द ल म हु ए ए शयाड खेल का सारण;
(ख) सन ् 1984 म द ल म हु यी गुट नरपे शखरवा ता का सारण; तथा
(ग) एक अ भलेखागर य सू चना डेटाबक क थापना ।
इसके अलावा नकनेट न न कार क सू चनाओं को भी सा रत करता -
1. लेखा एवम ् बजट से संबं धत सू चना;
2. आयात- नयात, स पि त कर आ द से संबं धत सू चना; तथा
3. ऋण, नयोजन इ या द से संबं धत सू चना ।
6.4. व यानेट (VIDYANET)
व यानेट एक ता वत स ेषण/कं यूटर नेटवक है जो दे श क उ च तर य एवं
वश ट योगशालाओं/सं थाओं म कायरत वै ा नक एवं शोधा थय क सूचना आव यकता को
पूरा करे गी । अनुमानत : तीन वष म पूण पेण संचा लत हो सकने वाल इस नेटवक के थम
चरण म लगभग 10 भारतीय सं थान को शा मल का ताव है । ये सं थान न न ल खत
ह:-
1. अ खल भारतीय आयु व ान सं थान (All India Institute of Medical
Sciences)
2. भारतीय कृ ष अनुसंधान सं थान (Indian Agricultural Research Institute)
3. भारतीय ौ यतेगेक सं थान (India Institute of Technology)
4. भारतीय सांि यक य सं थान (Indian Statistical Institute)
5. रा य भौ तक योगशाला (National Physical Laboratory)
6. भाभा परमाि वक अनुसध
ं ान के (Bhabha Atomic Reserch Centre)
7. भारतीय भू-चु बक य सं थान (Indian Institute of Geomagnetism)
8. रा य सॉ टवेयर ौ यो गक के (National Centre for Software
Technology)
9. टाटा आधारभू त अनुसंधान सं थान (Tata Institute of Fundamental
Research)
आने वाले चरण म अहमदाबाद, बंगलोर, भोपाल, कोलकाता, एवं चे नई के शोध
सं थान को भी शा मल करने क योजना है ।
उ े य:- इस नेटवक के मु ख उ े य न ना ल खत ह:-
(1) इस नेटवक का सबसे मु ख उ े य है, दन- त दन शोध सू चनाओं है व नमय,
सहकार अनुसध
ं ान काय और संयु त प रयोजनाओं तथा काशान को एक दशा दान
करना;

212
(2) जैव ौ यो गक , अ तचालकता (Superconductivity) एवं सु परनोवा (Supernova)
अनुसंधान से संबं धत डेटाबेस का नमाण करना;
(3) एक गेटवे के मा यम से दे श एवं वदे श के व भ न सं थान के बीच सू चना सं ेषण
एवं व नमय क ग त को बढ़ाना;
(4) सं थाओं के कं यूटर को दूर-संचार मा यम से जोड़ना;
(5) ई-मेल क सु वधा दान करना;
(6) सहकार शोध काय को ो सा हत करना; तथा
(7) फाइल थानांतरण (File Transfer) क सु वधा दान करना ।
6.5. इ डोनेट (INDONET)
इ डोनेट भारत का कं यूटर आधा रत थम वा णि यक नेटवक है, िजसक थापना सी
एम सी (CMC: Computer Maintenace Corporation) ल मटे ड वारा क गई । यह
नेटवक एक कृ त सू चना बंधन एवं वत रत डेटाबेस णाल हे तु एक उ तम नेटवक है । अपने
ारि भक चरण म नेटवक को बंगलोर, अहमदाबाद एवं पुणे के अ भगम के के साथ मु बई,
कोलकाता एवं चे नई म ि थत आई द एम (IBM) 4361 कं यूटर , दभी म ि थत पी डी पी
(PND) 11/44 और हैदराबाद ि थत आर ओ बी (ROB) 1055 से जोड़ा गया । इस नेटवक
म आई बी एम (IBM) क स टम नेटवक संरचना एवं 2400/4800 बदस//सेकड वाल
लाइ स का योग कया गया है ।
इस नेटवक हे तु कोलकाता, मु बई एवं चे नई म संयु त के था पत कये गये है ।
सन ् 1991 तक इसके 100 के था पत कये जा चु के थे । यह कं यूटर नेटवक एक तारक
नेटवक (Star Network) संरचना पर आधा रत है, िजसे द ल से जोड़ा गया है । पैकेट
ि वचड (Packet Switched) तकनीक पर आधा रत इस नेटवक म सू चनाओं एवं आँकड़ का
थाना तेरण मु य राऊ टंग के से इंडोनेट के अ य के को होता है । आई बी एम (IBM)
ोटोकॉल के अ त र त यह नेटवक X. 25 ोटोकॉल का भी योग करता है । इंडोनेट का
मु बई के वदे श संचार नगम ल मटे ड के अंतररा य गेटवे से जु ड़ा है िजसके फल वराप
अ य दे श के सावज नक डेटा नेटवक को अ भग मत कया जा सकता है ।
इ डोनेट के लाभ :- इंडोनेट के न न ल खत लाभ ह:-
(1) इस नेटवक के योग से अंतररा य डेटाबेस का अ भगम ा त कर सकते ह,
(2) एक एक कृ त सू चना बंधन एवं वत रत डेटा स ेषण क सु वधा नेटवक को एक
मह वपूण भू मका दान करती है,
(3) इस नेटवक वारा टॉक-ए सचज, वदे शी मु ा व नमय दर आ द जैसी सू चना ा त
क जा सकती है,
(4) व भ न कार के यापा रक डेटाबेस एवं सॉ टवेयर के नमाण म यह नेटवक
सहायता दान करता है, तथा

213
(5) इस नेटवक को संयु त रा य अमे रका के टाइमनेट (TYMNET) कं यूटर नेटवक,
जमनी के डेटेट-पी (DATATP) एवं ांस के ांसपैक (TRANSPAC) से संब कया
गया है ।
6.6. ोण (DRONA: DRDO Rapid Online Network Access)
ोण, डी आर डी ओ (DRDO) रै पड ऑनलाइन नेटवक ऐ तेस का सं त नाम है
जो भारत सरकार के 'र ा अनुसध
ं ान एवं वकास संगठन' (Defence Research and
Development Organisation) वारा सू चना सारण हे तु न मत कया गया है । एक
रा य नेटवक होने के बावजू द इस नेटवक का उपयोग र ा अनुसध
ं ान एवं वकास संगठन क
वभ न योगशालाओं म ह कया जा सकता है । वतमान म संगठन क 54 योगशालाएँ इस
नेटवक से जु ड़ी ह ।
इस नेटवक के वकास का थम चरण अनुराग (ANURAG: Advanced
Numerical Research and Analysis Group), हैदराबाद म ार भ हु आ और वतमान म
अनुराग इस नेटवक के मु य हब (Main Hub) का काय कर रहा है । इस नेटवक म 6
मु य राऊ टंग के (Main Routing Centre) ह जो न न ल खत है:-
1. डेसीडॉक (DESIDOC: Defence Scientific Information and
Documentation Centre), द ल ।
2. डील (DEAL: Defence Electronics Appplication Laboratory), दे हरादून ।
3. आर ए ड डी (ई) (R&D(E): Research and Development(Establishment)
पुणे ।
4. डी आर डी एल (DRDL: Defince Ressearch and Development Lab.),
हैदराबाद ।
5. एल आर डी ई (LRDE), बंगलोर ।
6. मु यालय (HQrs: Headquarter), नई द ल ।
इन 6 राऊ टंग के के अलावा अ य सभी योगशालाओं को उप-राऊ टंग के का
दजा ा त है । येक उप- राऊ टंग के कसी-न- कसी मु य राऊ टंग के से जु ड़ा है ।
इस नेटवक के संचार म तेजी लाने हे तु आई एस डी एन (ISDN: Integrated
Service Digital Natwork) का योग कया गया है । एक मु य राऊ टंग के के अंतगत
8 से 10 आई एस डी एन । क सु वधा उपल ध है ।
उ े य:- ोण नेटवक के न न ल खत उ े य हँ:-
1. डी आर डी ओ क सभी योगशालाओं को र ा व ान पु तकालय डेटाबेस के
ऑनलाइन अ भगम क सु वधा दान करना;
2. संगठन के भीतर फाइल के ह तांतरण (File Transfer) को सरल एवं ती बनाना;
3. वभ न योगशालाओं के बीच नयी सू चना, ौ यो गक , अ /श उ पाद आ द हे तु
एक सेतु का काय करना;

214
4. डी आर डी ओ के अ धका रय एवं कमचा रय को मु त ई-मेल सेवा दार करना ।
द त सेवाएँ:- ोण नेटवक अपने उपयोगक ताओं को न न ल खत सेवाएँ उपल ध
कराता है ।
(क) ऑन-लाइन चै टंग (Chating) क सु वधा;
(ख) डी आर डी ओ म रोजगार अवसर क उपल धता क ऑन-लाइन सु वधा;
(ग) डी आर डी ओ के वै ा नक इंटरनेट के वारा अपना मेल भेज/ ा त कर सकते ह;
(घ) डी आर डी ओ क योगशालाओं क नद शका क ऑन-लाइन उपल ता;
(ङ) इले ा नक बुले टन बोड सेवा (Electronic Bulletin Board Services);
(च) सभी योगशालाओं के गृहपृ ठ (Home Page) के अ भगम क सु वधा;
(छ) डी आर डी ओ वारा का शत प काओं, समाचारप या अ य मु त तय क ऑन
लाइन अ भगम क सु वधा; तथा
(ज) ऑन लाइन पु तकालय डेटाबेस अ भगम क सु वधा
6.7. टाइफैकलाइन (TIFACLINE)
टाइफैकलाइन एक रा य नेटवक है, िजसक थापना सत बर 1991 म ऑन लाइन
ौ यो गक सू चना तं के प म क गई । टाइफैकलाइन क थापना व ान एवं ौ यो गक
वभाग के टे मालॉजी, इंफोमशन, फोरकाि टं ग ए ड असेसमट काऊं सल (TIFAC:
Technology Information, Forecasting and Assessement Council) वारा कया
गया । इस नेटवक का थम दशन दभी एवं बंगलोर के बीच 1990 म हु ए अंतररा य
कं यूटर संचार स मेलन (International Conference for Computer
Communication) म कया गया । ार भ म ायो गक तौर पर ार भ कये गये इस
नेटवक को बाद के वष म इंडोनेट के मा यम से संचा लत करने का योजन है ।
उ े य:- टाइफैकलाइन प रयोजना को ार भ करने के न न ल खत मु य उ े य ह:-
(1) इस नेटवक का सबसे मु ख उ े य दे श के व भ न सं थान एवं संगठन उपल ध
सू चनाओं को अवक लत करना;
(2) व ान एवं ौ यो गक के कसी भी े म व तृत सू चना उपल ध;
(3) व ान एवं ौ यो गक के े म सॉ टवेयर का नमाण करना;
(4) पूरक डेटाबेस का नमाण करना ।
पाइलट प रयोजनाय:- टाइफैकलाइन न न ल खत पाइलट प रयोजनाओं को याि वत
करने क ओर अ सर है:-
(क) डेटाबेस नमाण हे तु सॉ टवेयर का वकास;
(ख) कम से कम दो पूरक डेटाबेस का अ भगम; तथा
(ग) डायल-अप लाइन वारा यं से संब ता ।
उपलि धयाँ:- इस नेटवक क न न ल खत उपलि धयाँ है:

215
(1) भारतीय मानक यूरो (BIS) के दारा व व म वक सत मानक डेटाबेस का अ भगम
दान करना;
(2) दे श के पेटट (Patent) डेटाबेस का अ भगम दान करना; तथा
(3) इजीनेट (EASYNET) के मा यम से लगभग 850 डेटाबेस का अ भगम दान
करना।
6.8. व म (VIKRAM)
व म एक पैकेट-ि व छ डेटा सावज नक नेटवक है, िजसका वकास भारत सरकार के
दूरसंचार वभाग ने कया है । ार भ म इस नेटवक म 8 ि व चंग नोड एवं 12 दूर अ भगम
क को शा मल कया गया है िजसका ब ध के द ल म ि थत है । आठ नो स म से
चार महानगर ( द ल , मु बई, कोलकाता एवं चे नई) म ि थत ह, जो 64,000 ब स/सेकड
के जाल से जु ड़े है, जब क अ य नो स 9600 ब स/सेकड से जु ड़े ह । इस नेटवक हे तु
X.3,X.25,X.28,X.29,X.32 आ द ोटोकॉल ता वत कये गये ह ।
व तु न ठ न
1. न न ल खत म से कौन सा नेटवक अरनेट (ERNET) क आधार शला पर था पत
है:
(अ) सरनेट (SIRNET)
(ब) ोण (DRONA)
(स) व म (VIKRAM)
(द) नकनेट (NICNET)
2. न न ल खत म कौन सा नेटवक र ा वइग़न से संब धत है:
(अ) सरनेट (SIRNET)
(ब) अरनेट (ERNET)
(स) ोण (DRONA)
(द) टाइफैकलाइन (TIFACLINE)
3. दे श म ार भ क गई योजनाओं, लेखा एवं बजट आ द से संबं धत सू चनाओं क
ाि त हे तु आप कस नेटवक क सहायता लगे:
(अ) सरनेट
(ब) नकनेट
(स) अरनेट
(द) व यानेट
4. न न ल खत म कस नेटवक को भारत म नेटव कग का जनक माना जा सकता है:
(अ) अरनेट
(ब) व यानेट
(स) सरनेट

216
(द) ोण
5. न न ल खत म भारत का पहला यापा रक नेटवक कौन-सा है:
(अ) अरनेट
(ब) व यानेट
(स) व म
(द) इंडोनेट
6. आई एस डी एन (ISDN) से अ भ ाय है:
(क) इंटरनेशनल स वसेज डिजटल नेटवक
(ख) इं ेटेड स वसेज डिजटल नेटवक
(ग) इं डयन स रयल डाइरे ट नेटवक
(घ) इं डयन साइं ट फक डिजटल नेटवक

7. सारांश
अब तक आपको इस इकाई के मा यम से नेटवक क पीरभाषा एवं इनक आव यकता
से अवगत कराने का यास कया गया । इस इकाई म आपने भारत म संचा लत वभ न
संचार नेटवक के उ े य एवं उपल मधय के बारे म जानकार ा त क । व तृत अ ययन हे तु
ं सूची आगे द गई है, िजसम कु छ इंटरनेट साइट के पते भी दये गये ह ।

8.अ यासाथ न
1. नेटवक से या अ भ ाय है? वतमान युग म नेटवक क मह ता को व तारपूवक
समझाये ।
2. संचार नेटवक से आप या समझते है? भारत म कायरत संचार नेटवक के उ े य एवं
उपलि धय का व तारपूवक ववेचन कर ।
3. न न ल खत नेटवक के उ े य एवं याकलाप का वणन कर:
(1) अरनेट
(2) सरनेट
(3) ोण
(4) व यानेट
(5) टाइफैकलाइन

9. पा रभा षक श दावल
(1) े ीय नेटवक (Regional Network): वे नेटवक जो कसी भौगो लक े के तर
पर तथा उस े क सीमा म था पत कये जाते है । ।
(2) नेटवक (Network): दो या दो से अ धक संगठन , नकाय अथवा यं क एक ऐसी
णाल िजसके अंतगत येक सहभागी अ य सहभा गय के संसाधन का समु चत
उपयोग है ।

217
(3) रा य नेटवक (National Network) : वे नेटवक जो स पूण दे श क सीमा के
अंतगत था पत कये जाते ह, रा य नेटवक कहलाते ह ।
(4) व तृत े नेटवक (Wide Area Network) : वे नेटवक जो कसी भी कार क
भौगो लक सीमा से परे होते ह, अथात ् वैसे नेटवक सम त व व म कसी भी सं थान,
नकाय या संगठन दारा अ भग य ह, व तृत े नेटवक कहलाते ह ।
(5) थानीय नेटवक (Lcoal Area Network) : वे नेटवक जो थानीय तर पर
था पत कये जाते ह अथात ् इ ह कसी भवन अथवा प रसर क सीमा के अ तगत
था पत कया जाता है ।

10. व तृत अ ययनाथ ंथसू ची


1. लाल, सी एवं के कुमार, लेखन एवं सूचना व ान. 2 भाग, ई.एस.एस. काशन,
द ल , 2001
2. Kaul, HK, Library Resource Sharing and Networks, Virgo
Publications, New Delhi, 1999
3. Ramalingam, Library and Information Technology: Concepts to
Applications, Kalpaz Publications, Delhi: 2000
4. Sehgal, RL, An Introduction to Library Networks, Ess Ess
Publications, New Delhi; 1996
5. Chakraborty, Shalini, ets. Developing Database, Yojana, 44, 1, 23-
32
इंटरनेट साइट
(a) http://vision.doe.ernet.in/rd.htm
(b) http://vision.doe.ernet.in/about.htm
(c) http://hub.nic.in/intro.htrol
(d) http://hub.nic.in/services/index.htme

218
इकाई- 14: भारत म पु तकालय नेटवक: रा य नेटवक
(Library Networks in India: National Networks)
उ े य
1. पु तकालय नेटवक क प रभाषा एवं वतमान युग म इसक उपयो गता पर काश
डालना,
2. पु तकालय नेटवक को था पत करने म सहायक कारक एवं इसके लाभ से प र चत
होना,
3. भारत म याशील पु तकालय नेटवक के उ े य , याकलाप एवं इनक उयो गताओ
से अवगत होना,
4. कुछ ता वत पु तकालय नेटवक के वषय म सं त जानकार ा त करना।

संरचना
1. वषय वेश
2. पु तकालय नेटवक या है?
3. पु तकालय नेटवक क आव यकता
4. पु तकालय नेटवक को भा वत करने वाले कारक
5. पु तकालय नेटवक था पत करने हे तु आव यक चरण
6. पु तकालय नेटवक के लाभ
7. भारतीय प र े य म पु तकालय नेटवक
7.1. डेलनेट
7.2. कै लबनेट
7.3. मा लबनेट
7.4. बोनेट
7.5. एडीनेट
7.6. पुणेनेट
7.7. माइ लबनेट
7.8. इं पलबनेट
7.9. इन वस नेटवक
7.10 हे ि लस नेटवक
7.11. खगो लक पु तकालय नेटवक
7.12. लकनेट
8. सारांश
9. अ यासाथ न

219
10. पा रभा षक श दावल
11. व तृत अ ययनाथ थ
ं सू ची

1. वषय वेश
सू चना संबध
ं ी संसाधन क सहभा गता आज येक पु तकालय, चाहे वह छोटा हो या
बड़ा, सभी के लए अप रहाय हो गया है । पु तकालय आज कसी न कसी प म संचार
नेटवक से जु ड़े ह, िजंससे सू चनाओं क पर पर सहभा गता आसान हो सके । इस इकाई म
नेटवक से संबं धत उन सभी पहओं को दशाया गया है जो य या परो प से पु तकालय
से जु ड़े हुए ह । एक पु तकालयकम के लए यह आव यक है क वह नेटवक क संरचना,
इसक आव यकता, व भ न कार के नेटवक आ द के वषय म मूलभू त जानकार ा त करे ।
इसी को यान म रखकर इस इकाई म पु तकालय नेटवक के बारे म जानकार उपल ध कराने
का यास कया गया है । व तृत प से अ ययन हे तु इकाई के अंत म एक अ ययनाथ

ं सूची को शा मल कया गया है ।

2. पु तकालय नेटवक
पु तकालय नेटवक एक अ तसंब धत पु तकालय णाल है, िजसम वभ न
पु तकालय एवं सू चना के अपने संसाधन क सहभा गता हे तु पर पर एक-दूसरे से जु ड़े रहते
ह । वा तव म पु तकालय नेटवक, पु तकालय सहयोग एवं सहभा गता का एक अवयव है जो
सू चना, साम य एवं सेवाओं के व नमय के उ े य से कं यूटर के वारा जु ड़े रहते है । दूसरे
श द म, पु तकालय नेटवक एक व श ट कार क पु तकालय सहभा गता है, िजसे सहका रता
काय म एवं सेवाओं के के यकृ त वकास हे तु न मत कया जाता है, िजसम कं यूटर एवं
दूरसंचार णाल का योग, एक के य कायालय क थापना एवं नेटवक काय म को सु चा
प से चलाने हे तु श त अ धका रय क आव यकता होती है । व लयम कदज ने इसे इस
कार प रभा षत कया है-
'जब दो या दो से अ धक पु तकालय अपने संसाधन क साझेदार था पत करने का
नणय करते ह, पार प रक अ ध हण के काय म को वक सत करते ह और अपने अनुभव
एवं अ य साम य को एक साथ क त करते ह, िजससे एक कार क सहका रता क थापना
होती है, तो इसे पु तकालय नेटवक कहते ह ।

3. पु तकालय नेटवक क आव यकता


सूचना क ती वृ दर को दे खते हु ए न न ल खत कारण से पु तकालय नेटवक क
आव यकता महसू स होती है: -
(1) वतमान समय म कोई भी पु तकालय या सूचना के अपने पाठक को सभी उपल ध
वां छत सू चनाएँ दे ने म असमथ है । अत: तभागी पु तकालय के संसाधन क
पर पर साझेदार दारा पाठक के आव यकता क पू त एक सीमा तक क जा सकती
है।

220
(2) पु तकालय नेटवक के ज रये सू चनाओं का स ेषण इतना ती हो जाता है क दूर थ
पाठक को भी कु छ ह ण के भीतर वां छत सूचना ा त हो जाती है, जो पु तकालय
व ान के चतुथ नयम को संतु ट करता है ।
(3) इसके वारा डेटा ोसे संग का वके करण कया जा सकता है ।
(4) पु तकालय के वा षक बजट म होने वाल कमी के वक प के प म पु तकालय
नेटवक काय कर सकता है ।
(5) पु तकालय नेटवक, उपयोगक ताओ को एक भौगो लक सीमा से मु त करता है ।
(6) नेटवक के वारा सॉ टवेयर का अ धक-से-अ धक उपयोग संभव है ।

4. पु तकालय नेटवक को भा वत करने वाले कारक


पु तकालय नेटवक बहु त से बा य एवं आतं रक कारक से भा वत होते ह, िजनम से
कु छ मु य कारक न न ल खत ह:-
(क) तभागी पु तकालय एवं सं थाओं क इ छाशि त;
(ख) मानक एवं त प क सम पता पर सहम त;
(ग) श त मानवशि त;
(घ) संचार तकनीक क उपल धता;
(ङ) सॉ टवेयर एवं हाडवेयर म सामंज य;
(च) व तीय संसाधन क उपल धता; एवं
(छ) उ तम बंध स म त ।

5. पु तकालय नेटवक था पत करने हे तु कुछ आव यक चरण


एक भावशाल पु तकालय नेटवक था पत करने हे तु कुछ आव यक चरण इस कार
ह:-
(क) सभी तभागी पु तकालय एवं सू चना के के लए कं यूटर क उपल धता
सु नि चत करना;
(ख) तभागी पु तकालय /सूचना के के बीच ई-मेल के सु वधा क यव था करना;
(ग) मक एवं साव धक काशन के अ ध हण हे तु समान मानद ड था पत करना;
(घ) डेटाबेस का एक समान ा प तैयार करना;
(ङ) नि चत समयांतराल पर डेटाबेस को अपडेट करना; तथा
(च) पु तकालय म कं यूटर के अ धका धक योग को बढ़ावा दे ना ।

6. पु तकालय नेटवक के लाभ


पु तकालय नेटवक का मु य उ े य वां छत सू चनाओं को यूनतम समय म, प से
पाठक को उपल ध कराना है, जो मु य प से भागीदार पु तकालय के संसाधन क
उपल धता पर करता है । वतमान प रपे य म पु तकालय नेटवक के न न ल खत लाभ ह:-

221
(1) इसके वारा पु तकालय सेवाओं जैसे चय नत सू चना सारण सेवा (SDI: Selective
Dissemination of Information), साम यक जाग कता सेवा (CAS: Current
Awareness Service) आ द क भावशीलता म वृ क जा सकती है ।
(2) काशन क एक से अ धक तय के अनचाहे के अ ध हण पर नेटवक वारा
नयं ण कया जा सकता है ।
(3) पाठक क सेवाओं म व तार एवं सुधार कया जा सकता है ।
(4) अंतरपु तकालय ऋण णाल के अंतगत लेख क ह तांतरण सेवा का व तार कया
जा सकता है ।
(5) पु तकालय के सी मत बजट म इसक साम य का अ धका धक कया जा सकता है ।
(6) सू चना के बेहतर बंधन हे तु अ धका रय के बंध को बेहतर बनाया जा सकता है ।
(7) पु तकालय नेटवक के योग से पु तक , प काओं, धारावा हक एवं पुमु केतर साम ी
(Nonbook-materials) के व श ट थ
ं ा मक डेटाबेस के नमाण एवं अ भगम म
काफ सहायता मलती है ।

7. भारतीय प र े य म पु तकालय नेटवक


भारत म नेटव कं ग काय म का ार भ दो दशक से कु छ अ धक पुराना है, जब
इं डयन एयरलाइ स ने आर ण हे तु कं यूटर नेटवक का योग आर भ कया । पर तु
पु तकालय नेटवक वक सत करने क दशा म सबसे पहला कदम 1985 म नसात
(NISSAT: National Information System for Science And Techology) वारा
उठाया गया । इस काय म के तहत कै लबनेट (1996) डेलनेट (1988) पुणेनेट (1992),
एडीनेट (1993), बोनेट (1994) माइ लबनेट (1995) आ द पु तकालय नेटवक क थापना
नसात वारा क गई । सन ् 1988 म व व व ालय अनुदान आयोग ने इं पलबनेट
(INFLIBNET) नामक एक रा य सहकार पु तकालय नेटवक क थापना क । इन
शै णक एवं पु तकालय नेटवक के अलावा भी कु छ अ य नेटवक क थापना समय-समय
पर क जाती रह है, िजसम पाइस नेटवक, खगो लक पु तकालय नेटवक, लकनेट, डेसीनेट
आद मु ख ह । भारत म था पत अ धकांश पु तकालय का मु य उ े य लगभग एक ह
समान है । सभी पु तकालय नेटवक मु य प से संसाधन क पर पर भागीदार के उ े य से
ह था पत कये गये ह ।
7.1. डेलनेट (DELNET: Developing Library Network)
डेलनेट, डेवल पंग लाइ ेर नेटवक (पूव नाम: द ल लाइ ेर ज नेटवक) का सं त
नाम है, िजसे भारत का थम पूण संचा लत एवं पंजीकृ त पु तकालय नेटवक होने का गौरव
ा त है । ार भ म नसात (NISSAT: National Information System for Science
And Technologly) वारा ायोिजत यह पु तकालय नेटवक, लाइ रे नेटवक (Delhi
Library Network) के नाम से जाना जाता था । सत बर 2000 से इस नेटवक का नाम
बदल कर डेवल पंग लाइ ेर नेटवक रखा गया । डेलनेट का ार भ 1988 म हु आ, पर तु एक

222
पंजीकृ त सं था के प म इसने 1992 से काय आर भ कया । वतमान म यह पु तकालय
नेटवक रा य सू चना के (NIC: National Informatics Centre), योजना आयोग एवं
इं डया इंटरनेशनल सटर के सा न य म दे श का अ णी पु तकालय नेटवक बन गया है ।
कु छ 35 पु तकालय के बीच संसाधन क समु चत भागीदार हे तु ार भ कये गये
इस नेटवक म वतमान म 243 सद य पु तकालय है, िजनम 235 भारत म एवं 8 वदे श म
है । न ना कं त सारणी डेलनेट के सद य पु तकालय के भौगो लक वतरण को दशाती है:
कु ल सद य 243
भारत म 235
द ल 125
उ तर दे श 17
केरल 10
महारा 10
कनाटक 8
त मलनाडु 8
म य दे श 7
आं दे श 6
पि चम बंगाल 5
असम 4
बहार 4
ह रयाणा 3
हमाचल दे श 3
ज मू एवं क मीर 3
पांडीचेर 3
पंजाब 3
राज थान 3
गुजरात 2
उ तरांचल 2
अंडमान व नकोबार 1
असम 1
गोवा 1
मेघालय 1
उड़ीसा 1
भारत से बाहर 8
ीलंका 3
संयु त रा य अमे रका 2
नेपाल 1

223
ओमान 1
फल पींस 1
उ े य: - डेलनेट के मु य उ े य न न ल खत हँ: -
(1) पु तकालय नेटवक का वकास कर पु तकालय के बीच संसाधन क सहभा गता को
बढ़ावा दे नार;
(2) सू चना व ान एवं ौ यो गक के े म वै ा नक शोध को बढ़ावा दे ना एवं इस े
म नये सूचना तं का वकास करना;
(3) पु तकालय संसाधन एवं लेख का उ चत सं हण करना;
(4) नये-नये संदभ के क थापना करना;,
(5) व श ट डेटाबेस का वकास करना;
(6) यां क एवं व युतीय उपकरण के मा यम से सू चना सं ेषण क ग त को बढ़ाना;
(7) े ीय, रा य एवं अंतररा य तर पर अ य पु तकालय एवं सू चना नेटवक के साथ
सम वय था पत करना;
(8) र ल के क थापना करना और सू ची के के मा यम से खोज को सु गम बनाने
के लए सभी सहभागी पु तकालय क सभी कार क साम य का के य ऑन
लाइन संघ सू ची तैयार करना;
(9) सद य पु तकालय के म य तकनीक सूचनाओं के आदान- दान को! सु लभ बनाना ।
द त सेवाएँ:- डेलनेट अपने उपयो ताओं के समय व म को कम से कम करने हे तु
न न ल खत सेवाएँ उपल ध कराता है:-
(1) व भ न संघीय सू चय का नमाण एवं वकास;
(2) प काओं क संघ सू ची का नमाण;
(3) पु तक क संघ सू ची का नमाण;
(4) सीडी-रोम (CD-ROM) डेटाबेस का नमाण;
(5) लघु शोध प एवं शोध प के डेटाबेस का नमाण;
(6) समसाम यक शोध प काओं क सू ची तैयार करन ;
(7) साम यक भ ता एवं चयना मक सूचना सं ेषण को बढ़ावा दे ना ।
(8) िज ट (GIST) तकनीक का योग कर व भ न भाषाओं के काशन क एक डेटाबेस
तैयार करना; तथा
(9) ं ा मक डेटाबेस का नमाण व दे ख-रे ख करना ।

उपलि धयाँ:-
(1) डेलनेट ने सभी सद य पु तकालय को मु त ई-मेल सु वधा उपल ध काया है ।
वतमान म अरनेट के मा यम से अंतररा य तर पर ई-मेल के वारा अ भगम क
सु वधा उपलमु कराता है;

224
(2) डेलनेट ने डेल सस (DELSIS) नामक एक सॉ टवेयर का नमाण कया है; यह
सॉ टवेयर बे सस लस म लखा गया है;
(3) डेलनेट ने डे वनसा (DEVINSA) नामक एक डेटाबेस का नमाण कया है;
(4) डेलनेट ने पु तक क ऑनलाइन सू ची ार भ क है;
(5) पु तक क संघीय सूची को वक सत करने हे तु ल ीस (LIBRIS) न उपयोग कया
जा रहा है; तथा
(6) इसके अ त र त डेलनेट अपने सद य पु तकालय को न न ल खत सु वधाएँ भी
उपल ध कराता है;
(क) इंटरनेट अ भगम क सु वधा;
(ख) सी.सी.एफ. (CCF) एवं माक (MARC) ा प म पु तक क ढ़ू ं घीय सू ची को
उपल ध कराना;
(ग) व श ट भारतीय क सू ची तैयार करना;
(घ) सीडी-रोम (CD-ROM) डेटाबेस क सु वधा; तथा
(ङ) डेलसच (DELSEARCH) वारा ई-मेल क सु वधा ।
तभागी पु तकालय के लए नधा रत मानद ड:- डेलनेट ने सभी तभागी
पु तकालय के लए कु छ मानद ड नधा रत कये ह, जो न न ल खत ह:-
(1) येक सहभागी पु तकालय को वषय-शीषक एवं मु यश द दे ने अ नवाय ह;
(2) डेलनेट ने यूने को (UNESCO) वारा वक सत सी. सी. एफ (CCF) को मानक
ा प का दजा दया है । अत: येक तभागी पु तकालय को वषय-शीषक हे तु एक
टै ग (Tag) म मदान करने होते ह ।
(3) डेलनेट के भागीदार पु तकालय कसी भी वग करण प त का योग कर सकते है ।
डेलनेट सांि यक :- डेलनेट ने व भ न कार के डेटाबेस का नमाण कया है । इन
डेटाबेस म रकाड क कु ल सं या को न न ल खत सारणी के मा यम से दशाया गया है ।
पु तक क संघ सू ची (सी सी एफ) 8,77,772
पु तक क संघ सूची (माक) 27,231
समसाम यक काशन क संघ सूची 16,497
प काओं क संघ सू ची 10,623
सीडी-रोम (CD-ROM) डेटाबेस 1,214
व डयो रका डग क संघ सूची 2,278
व न रकॉ डग क संघ सूची 708
उदू पा डु ल पय का डेटाबेस 210
लघु शोध बंध एवं शोध बंध का डेटाबेस 16,587
व श ट भारतीय का डेटाबेस:(हू ज हू) 2,000

225
डे वनसा (DEVINSA) डेटाबेस 20,000
7.2. कै लयनेट (CALIBNET: Calcutta Library Network)
कै लबनेट, कलक ता लाइ ेर नेटवक का सं त नाम है । इस पु तकालय नेटवक को
भारत का पहला े ीय पु तकालय नेटवक होने का गौरव ा त है, पर तु एक पंजीकृ त सं था
के प म डेलनेट को थम पु तकालय नेटवक होने का दजा ा त है । इस नेटवक क
थापना 1988 म हु ई, पर तु एक पंजीकृ त सं था के प म इसे 1994 म मा यता मल ।
नसात हारा व तीय सहायता ा त इस पु तकालय नेटवक ने 1991 म मै ेयी
(MAITRAYEE) नामक सॉ टवेयर बनाया । इस समय 38 सद य पु तकालय इस नेटवक म
शा मल ह, िजसम केवल 13 सद य पु तकालय ह इसके वकास म मु य भू मका नभा रहे
ह।
कै लबनेट के अंतगत सव थम तभागी पु तकालय को कं यूटर कृ त कया जाता है ।
इसके प चात ् उस पु तकालय को नेटवक से जोड़ा जाता है । सभी तभागी पु तकालय पर पर
X.25 ोटोकॉल से जु ड़े हु ये ह । इस समय इ सडॉक (INSDOC) के कोलकाता ि थत े ीय
के म इसका मु ख कायालय था पत है और यह के ह इसक ग त व धय को नयं त
करता है ।
इस पु तकालय नेटवक म व ान एवं ौ यो गक के 38 पु तकालयो को दो चरण म
एक साथ संब करने क योजना है । थम चरण म जादवपुर व व व यालय समूह के सभी
सं थान राजाबाजार समू ह के कु छ के को शा मल कया गया । थम चरण म िजन
सं थान /संगठन के पु तकालय को शा मल कया गया है, वे न न ल खत ह:-
(क) बोस सं थान, कोलकाता
(ख) जादवपुर व व व यालय, जादवपुर
(ग) कलक ता व व व यालय, कोलकाता
(घ) रे डया भौ तक वभाग, कलक ता व व व यालय
(ङ) के य काँच एवं सरे मक अनुसध
ं ान सं थान
(च) कृ ष वइग़न का भारतीय संघ
(छ) इ सडॉक (INSDOC) े ीय के , कोलकाता
(ज) भारतीय रासाय नक जीव व ान सं थान
उ े य:- कै लबनेट के न न ल खत उ े य ह:-
(1) सभी तभागी पु तकालय के संसाधन क सहभा गता को बढ़ावा दे ना,
(2) लेख अ ध हण एवं धन लेखांकन म यं ीकरण का योग करना,
(3) धारावा हक नयं ण,
(4) कं यूटर कृ त सू चीकरण का वकास,
(5) तभागी पु तकालय वारा ा त डेटा फाइल को एक मानक ा प आई एस ओ
(ISO)-2709 म बदलना िजससे क सभी फाइल को कै लबनेट के के यकृ त डेटाबेस
म डाला जा सके ।

226
द त सेवाएँ:- कै लबनेट न न ल खत सेवाएँ दान करता है:-
(1) कॉनफाइल (Confile) सेवा: इस सेवा वारा प काओं क अनु म णकओं को उपल ध
कराया जाता है ।
(2) कै लब आडर (Calib Order): इस सेवा वारा पेटट क मू ल त उपल ध करायी
जाती है ।
(3) कॉन अलट (Con Alert): यह कै लबनेट क साम यक थ
ं ा मक सेवा है ।
(4) रे ो फाइल (Retro File): व श ट े म अनुसंधान क ि थ त से अवगत कराने
वाल सेवा।
(5) कै लब लंक (Calib Link): चार सद य सं थान के बीच ई-मेल सेमा उपल ध
कराना।
उपलि धयाँ:- इस नेटवक क कुछ उपलि धयाँ न न ल खत ह:-
(क) कै लबनेट ने अपना एक के यकृ त डेटाबेस तैयार कया है, जो कै लबनेट के यकृ त
डेटाबेस (CCD: Calibnet Centralized Detabese) के नाम से जाना जाता है ।
इस डेटाबेस म। सभी भागीदार पु तकालय के व श ट डेटाबेस को समा हत कया गया
है ।
(ख) इस डेटाबेस हे तु कै लबनेट ने संयु ता (Sanjukta) नामक एक सॉपटवेया बनाया है ।
सू चना सं हण एवं पुनः ाि त हे तु यह सॉ टवेयर अ यंत उपयोगी है ।
(ग) कै लबनेट ने सू चनाओं के ह तांतरण हे तु पारपार (PARPAR) नामक एक सॉ टवेयर
बनाया है । इस सॉ टवेयर क मदद से आस माक (USMARC) यूनीमाक
(UNIMARC) तथा सी.सी.एफ. (CCF) ा प वाले ऑकड़ो का व नमय कया जा
सकता है ।
7.3. मा लबनेट (MALIBNET : Madras Library Network)
मा लबनेट, म ास लाइ ेर नेटवक का सं त नाम है । इस पु तकालय नेटवक का
ार भ 1991 म इ सडॉक (INSDOC) के चे नई ि थत कायालय म हु आ, पर तु एक
पंजीकृ त सं था के प म इसने 1993 म काय करना ार भ कया । वतमान म इस नेटवक
म 50 सद य पु तकालय शा मल ह ।
उ े य:- इस नेटवक के न न ल खत उ े य ह:-
(1) पु तकालय व ान, लेखन, सूचना व ान एवं ौ यो गक आ द के े म होने वाले
नये-नये वै ा नक अनुसध
ं ान को बढ़ावा दे ना;
(2) चे नई एवं आसपास के पु तकालय व सू चना व ान के का एक व तृत नेटवक
तैयार करना;
(3) अ य े ीय, रा य एवं अंतररा य पु तकालय के साथ सम वय था पत करना;
तथा
(4) समय-समय पर कां स, से मनार व कायशालाओं का आयोजन करना ।

227
द त सेवाएँ:- मा लबनेट न न ल खत सेवाएँ दान करता है ।
(क) तभागी पु तकालय को नये अ ध हत कये गये काशन क सू ी उपल ध कराना;
(ख) सद य पु तकालय म उपल ध प काओं क सूची उपल ध कराना;
(ग) लेख के त प क उपल ता सु नि चत करना;
(घ) इ सडॉक (INSDOC) के मा यम से अंतररा य डेटाबेस क उपल धता सु नि चत
करना;
(ङ) कैप (CAP) सेवा का सार करना (अनु म णका, सार एवं त प क सेवा)
(च) पाठक क च को यान म राखकर वशेष डेटाबेस का नमाण ।
इन सेवाओं के अ त र त मा लबनेट कु छ अ य नःशु क सेवाय भी दान करता है, जो
न न ल खत ह:-
(1) भागीदार पु तकालय के बीच ई-मेल सेवा,
(2) मा लब काड सेवा, तथा
(3) कैप (CAP) सेवा ।
उपलि धयाँ: - मा लबनेट ने व भ न कार के डेटाबेस को तैयार कया है । वगत
वष म मा लबनेट वारा तैयार कये गये कु छ मु ख डेटाबेस न नु लि त ह
(क) लगभग 5200 साम यक काशन का डेटाबस
(ख) अनु म णका डेटाबेस
(ग) वाहन उ योग का वशेष डेटाबेस;
(घ) मे ड सनल (Medicinal) एवं ऐरोमे टक पादप का सार (MAPA: Medical and
Aromatic Plants Abstracts);
(ङ) पेटट (Patent) डेटाबेस; तथा
(च) बहु लक व ान डेटाबेस ।
7.4. बोनेट (BONET: Bombay Library Network)
बोनेट, ब बई लाइ ेर नेटवक का सं त नाम है । नसात (NISSAT) वारा
व तीय सहायता ा त इस पु तकालय नेटवक का ार भ 1994 म हु आ । इसका मु यालय
रा य सॉ टवेयर ौ यो गक के (National Centre for Software Technology),
मु बई म ि थती है ।
उ े य:- बोनेट क थापना का मु य उ े य, कम से कम यय पर, पु तकालय के
म य सू चना णाल का नमाण, ह वकास एवं उसका संचालन करना है । बोनेट के कु छ मु ख
उ े य को न न ल खत प म रे खां कत कया जा सकता है:
(1) सभी तभागी पु तकालय के म य संसाधन क भागीदार को बढ़ावा दे ना;
(2) अंतरपु तकालय याकलाप को ो साहन दे ना;
(3) तभागी पु तकालय के कं यूटर करण को ो साहन दे ना ।

228
इन उ े य के अ त र त पु तकालय क मय का श ण, बुले टन बोड सेवा, सूचना
पुन : ाि त म सहायता करना, छाया त सेवा दान करना, ऑनलाइन सूची बनाना, यं
पठनीय ा प म ऑनलाइन आपू त सेवा दान करना आ द बोनेट के ल य म शा मल ह ।
द त सेवाएँ:-
(क) अंतररा य डेटाबेस का सशु क ऑन लाइन अ भगम दान करना;
(ख) ई-मेल सु वधा दान करना
(ग) मानक के नधारण म परामश दे ना,
(घ) पु तकालय के बीच लेख के पर पर आदान- दान क सु वधा;
(ङ) र ट उपलटध कराने क सु वधा दान करना ।
7.5. एडीनेट (ADINET: Ahmedabad Library Network)
एडीनेट, अहमदाबाद लाइ रे नेटवक का सं त नाम है । नसात (NISSAT) वारा
ायोिजत इस पु तकालय नेटवक ने अ टू बर 1994 से एक पंजीकृ त सं था के प म काय
करना ार भ कया । वतमान म इं पलबनेट के अ तगत कायरत इस पु ताकालय नेटवक म
37 सद य पु तकालय ह । यह नेटवक न केवल सद य पु तकालय क ह सू चना आव यकता
को पूरा करता है, वरन ् अ य यवसाय से संबं धत सू चनाओं को भी उपल ध कराता है ।
उ े य:-
(1) अहमदाबाद एवं इसके आसपास के े के पु तकालय एवं सू चना के के संसाधन
क सहभा गता को बढ़ावा दे ना;
(2) सद य पु तकालय म उपल ध लेख क एक संघ सूची तैयार करना;
(3) सद य पु तकालय वारा अ ध हत क गयी साम यक/साव धक काशन क संघ
सू ची तैयार करना; तथा
(4) भ व य म व श ट वषय का डेटाबेस तैयार करना ।
द त सेवाएँ: - एडीनेट वारा द जा रह सेवाओं को दो वग म वभािजत कया जा
सकता है:
1. पु तकालय से संबं धत सेवाएँ ।
2. अ य सेवाएँ ।
1. पु तकालय से संबं धत सेवाएँ - एडीनेट अपने सद य पु तकालय के मा यम से
उपयो ताओं को न न ल खत सेवाएँ उपल ध कराता है;
(क) ऑनलइन सू चना अ भगम क सु वधा;
(ख) यवसा यक डेटाबेस के मा यम से साम यक भ ता सेवा क सु वधा;
(ग) प काओं क छाया त कराने क सु वधा; तथा
(घ) उपयोगी डेटाबेस के नमाण एवं यवसा यक डेटाबेस के अ ध हण वारा सेवा क
सु वधा उपल ध कराना आ द ।

229
2. अ य सेवाएँ :- पु तकालय से संबं धत सेवाओं के अ त र त एडीनेट अपने सद य
पु तकालय को न न ल खत सेवाएँ भी उपल ध कराता है:-
(क) ई-मेल सेवा - एडीनेट सभी तभागी पु तकालय को मु पत ई-मेल सेवा दान करता है
। इस हे तु इंि लबनेट ने एक ई-मेल सॉ टवेयर को अपने कं यूटर म लगाया है ।
(ख) बुले टन बोड सेवा - स भाषण /वा तालाप , कायशालाओं आ द यानाकषण हे तु
बुले टन बोड सेवा उपल ध कराता है ।
उपलि धयां-
(क) एडीनेट वारा वक सत पु तक सू ची म लगभग 95,000 रकॉड शा मल कये गये
ह।
(ख) सी डी एस/आई एस आई एस (CDS/ISIS) सॉ टवेयर का योग कर पलेकाओं के
4430 रकॉड को तैयार कया गया है ।
(ग) इसके अ त र त इंनि लबनेट सटर वारा तैयार क गई संघ सू ची म पु तक के
2,50,000 रकॉड, मक काशन के 28,500 व शोध बंध के 71,000 रकॉड भी
ऐडीनेट के मा यम से अ भग मत कये जा सकते ह ।
7.6 पुणेनेट (PUNENET: Pune Library Network)
पुणेनेट पुणे लाइ रे नेटवक का सं त नाम है । नसात (NISSAT) वारा व तीय
सु हायता ा त यह पु तकालय नेटवक पुणे व व व यालय, सी-डेक (C-DAC: Centre for
Development of Advanced Computing) और रा य रसायन योगशाला (NCL:
National Chemical Laboratory) का एक साझा काय म है । इस पु तकालय; नेटवक
क वशेषता है क भागीदार हे तु पु तकालय को कसी कार का सद यता शु क नह ं दे ना
पड़ता है । वतमान म 72 सद य पु तकालय इसम शा मल ह, पर तु इनम से केवल 20
पु तकालय ह डेटाबेस के वकास म अपना योगदान कर रहे ह ।
उ े य:- इस पु तकालय नेटवक के न न ल खत उ े य ह:-
(1) कं यूटर संचार नेटवक के ज रये पुणे एवं इसके आसपास के सभी पु तकालय को
अ तसबं धत करना;
(2) पाठक को समसाम यक सू चनाओं क ती उपल धता हे तु सू चना व नमय को सरल
एवं सु चा बनाना;
(3) तभागी पु तकालय के बीच संसाधन क सहभागीता को बढ़ावा दे ना; तथा
(4) पाठक वग क भ न- भ न अ भ चय के बीच सम वय था पत करना ।
द त सेवाएँ:- इस नेटवक पर न न ल खत सेवाएँ उपल ध ह:-
(1) ई-मेल एवं इंटरनेट सेवाएँ
(2) सीडी-रोम (CD-ROM) डेटाबेस सेवा;
(3) साम यक भ ता एवं चयना मक सूचना सं ेषण सेवा;
(4) जैव व ान के एवं रा य रसायन योगशाला के बीच रे डयो लंक सेवा ।

230
उपलालयाँ:- पुणेनेट ने व भ न कार के डेटाबेस का नमाण कया है । पुणेनेट पर
उपल ध कु छ मह वपूण डेटाबेस न न ल खत है:-
(क) सद य पु तकालय क पु तक का डेटाबेस - इस डेटाबेस म कुल 1,08,853 लेख
के आँकडे शा मल ह ।
(ख) साव धक काशन क संघीय सूची - इसम सद य पु तकालय म उपल ध 6425
साम य कयो के आँकड़े मौजू द है ।
(ग) पु तक व ताओं का डेटाबेस ।
(घ) पु तकालय एवं सूचना व ान यवसा यक का डेटाबेस ।
(ङ) पुणेनेट पु तकालय डेटाबेस ।
पुणे नेट डेटा वनमय हे तु अंतररा य मानक आई एस ओ- 2709 (ISO-2709) का
योग अपने डेटाबेस के मानक के प म करता है ।
भ व य क योजनाएँ:-
(1) व भ न मानक ा प (यथा सी. सी. एफ. (CCF), माक (MARC), एल सी माक
(LCMARC) आ द) का अपने डेटाबेस हे तु योग,
(2) सीडी-रोम (CD-ROM) डेटाबेस के योग को बढ़ावा दे ना;
(3) ओ सी आर (OCR: Optical Character Recognition) तकनीक को बढ़ावा दे ना;
(4) भारतीय भाषाओं के डेटाबेस का नमाण; और
(5) उल रच (Ulrich) लस डेटाबेस का नमाण ।
7.7. माइ लबनेट (MYLIBNET: Mysore Library Network)
माइ लबनेट, मैसू र लाइ ेर नेटवक का सं त नाम है । नसात (NISSAT) वारा
व तीय सहायता ा त इस पु तकालय नेटवक ने 19 मई 1995 से काय करना ार भ कया
। इसका नेटवक सेवा के के य खा य ौ यो गक अनुसंधान सं थान (Central Food
Technology Research Insitute) मैसरू के प रसर म है । वतमान म मैसरू शहर के
कर ब 166 महा व यलय/सं थान इस पु तकालय नेटवक के सद य ह । इसके अलावा मैसू र
शहर के आसपास 34 अ य महा व यालय भी इससे संब है ।
उ े य:- मैसू र लाइ रे नेटवक अपने न न ल खत उ े य हे तु सदै व य नशील है:
(1) सद य पु तकालय के बीच संसाधन क साझेदार ;
(2) सद य पु तकालय को ई-मेल सु वधा उपल ध कराना;
(3) सद य पु तकालय के बेहतर बंधन हे तु सॉ टवेयर का नमाण;
(4) औ यो गक सं थान के साथ सू चना आधार तैयार करना;
(5) समय समय पर से मनार , कायशालाओं, श ण काय म आ द का आयोजन करना;
तथा
(6) पु तकालय के कं यूटर करण हे तु सहायता दान करना ।

231
7.8. इंि लबनेट (INFLIBNET: Information and Library Network)
इंि तबनेट, इफोमशन ए ड लाइ ेर नेटवक का सं त नाम है । पु तकालय एवं
सू चना व ान के े म यह एक रा य सहकार नेटवक है । इस नेटवक का ार भ पुणे
व व श यालय के खगोल व ान एवं खगोल भौ तक वभाग म एक प रयोजना के प म
कया गया । सन ् 1991 म व व व यालय अनुदान आयोग ने इस प रयोजना को पु तकालय
एवं सू चना नेटवक के प म वक सत करने का न चय कया । इस नेटवक का मु यालय
गुजरात व व व यालय, अहमदाबाद म था पत ि या गया । वतमान म इस नेटवक को एक
वाय तशासी सं था का दजा ा त हो गया है ।
इस नेटवक म भारत के व व व यालय तथा अनुसंधान एवं वकास के के
पु तकालय को एक साथ कं यूटर के मा यम से इस कार संब कया जा रहा है िजससे सभी
तभागी पु तकालय के संसाधन क सहभा गता को बढ़ावा मल सके। अत: यह कहा जा
सकता है क यह एक बहु मु ख,ी काय यूख एवं सेवा नेटवक है ।
इं पलबनेट काय म हे तु ार भ म 150 व व व यालय के पु तकालय , 50
परा नातक के /सं थान और 200 अनुसंधान एवं वकास के का चयन कया गया ।
नेटवक संचा लत करने मेन व व व यालय अनुदान आयोग क भू मका:- इस नेटवक क
थापना व वकास म व व व यालय अनुदान आयोग ने एक मह वपूण भू मका नभाई है ।
भारत म नेटवक क धारणा को साकार प दान करने म यू जी सी (UCG) ने एक सफल
यास कया है । 22 अ ल
ै 1988 को यू जी सी के त काल न अ य ो. यशपाल क
अ य ता म हु ई बैठक म एक भावशाल रा य पु तकालय एवं सूचना नेटवक था पत करमे
पर जोर दया गया । इस काय म म सव थम संब वषय क मानवशि त के वकास पर
यान केि त कया गया था । इस ल य को यान म रखकर व भ न श ण पा य म का
आयोजन कया गया । ये श ण पादय म मु य जप से पु तकालय व ान से संबं धत
मानव शि त के कं यूटर शान को बढ़ावा दे ने हे तु आयोिजत कये जाते ह ।
नेटवक का रच प:- यह एक रा य सहकार नेटवक है, िजसम दे श के सभी उ च
श ा सं थान , रा य संगठन , अनुसंधान एवं वकास यथा डी आर डी ओं (DRDO), सी
एस आई आर (CSIR),आई सी एस एस आर (ICSSR) डी ओ ट (DOT), ए आई सी ट ई
(AICTE), आई सी ए आर (ICAR)., आ द को शा मल करने क योजना है । भारत का यह
मह वाकां ी रा य नेटवक चार तर पर संचा लत है । ये तर है: रा य, े ीय, मंडल य
व थानीय । रा य के इन सभी तर के के के बीच सम वय था पत करता है ।
भारत के चार दशाओं उ तर, द ण, पूव एवं पि चम म इसने अपने े ीय के क थापना
क है ।
उ े य:- इं पलबनेट के न न ल खत उ े य ह:-
(1) भारत म ि थत व व व यालय , महा व यालय , शोध सं थाओं आ द के अंतगत
कायरत पु तकालय , सू चना एवं लेखन के का एक रा य नेटवक था पत
करना;

232
(2) सू चना संसाधन के समु चत उपयोग हे तु सभी तभागी पु तकालय के बीच सम वय
था पत करना;
(3) कं यूटर योग के वारा पु तकालय का आधु नक करण करना;
(4) उ चत लेख क उपल धता सु नि चत करना;
(5) मानव शि त को श त करना िजससे पु तकालय के आधु नक करण को सह दशा
दान क जा सके;
(6) वभ न कार के सॉ टवेयर एवं मानक का नमाण करना,
(7) दे श के व भ न पु तकालय म मोनो ाफ, मक काशन व पु तकेतर साम ी क
ऑन लाइन संघीय सू ची तैयार कर पु तकालय के संसाधन का व वसनीय अ भगम
दान करता;
(8) थ
ं ा मक सू चना ोत का उ रण व सारांश के साथ बेहतर अ भगम दान करना;
(9) वै ा नक , इंिज नयर , शोधा थय , श ा वद , अ यापक , वधा थय को ई-मेल
सु वधा, बुले टन बोड सेवा, फाइल व नमय, व डय मं णाओं आ द के मा यम से
वै ा नक संचार, सु वधाएँ उपल ध कराना; तथा
(10) ऑनलाइन सेवा दान करने हे तु प रयोजनाओं, सं थाओं व वशेष जा डेटाबेस
तैयार करना ।
उपलि धयां:- वगत वष म इंि लबनेट क न न ल खत उपलि धयाँ रह ह:-
(क) सन ् 1999 तक 1०6 व व व यालय के पु तकालय को कं यूटर कृ त कया गया ।
(ख) एक कृ त पु तकालय बंध सॉ टवेयर (ILMS: Integrated Library Management
Software) का नमाण कया गया । इसके बाद SOUL सॉ टवेयर का नमाण कया
गया ।
(ग) मक काशन क अनु म णकाओं क सेवा (COPSAT: Contents wilth
Abstracts of Periodicals in Sc. & Tech.) दान क गई ।
(घ) अभी तक 28,000 मक काशन , 50,000 शोध बंध एवं लाख पु तक का
डेटाबेस तैयार कया जा चु का है ।
(ङ) सम पता के लए पु तक , धारावा हक , शोध बंध , लघु शोध बंध ये डेटा सं हण
हे तु एक मानक नवेश ा प (Standard Input Format) तैयार कया, िजसका
सभी तभागी पु तकालय योग करते ह ।
(च) इं पलबनेट तवष कै लबर (CALIBER: National Convention on
Automation of Libraries in Higher Education and Research
Institutions) का आयोजन करता है । इसम नेटवक काय म क वतमान ि थ त का
मू यांकन कया जाता है एवं भ व य के लए प रयोजनाएँ बनायी जाती ह ।
(छ) उपयोगक ताओं को थानीय तर पर सेवा उपल ध कराने हे तु 400 भू मका ट मनल
क एक खृं ला तैयार क गई है ।

233
7.9 इन वस नेटवक (ENVIS Network: Enviromental Information System
Network)
भारत म इन वस नेटवक क थापना भारत सरकार के पयावरण एवं वन मं ालय के
वारा दस बर 1982 म क गई । यह एक वके कृ त सू चना तं है, िजसम वभ न
पयावरण संबं धत वषय हे तु अलग-अलग के क थापना क गई है ।
उ े य:- इस नेटवक के न न ल खत उ े य है:-
(1) पयावरण व ान एवं ौ यो गक के े म सू चना सं ह एवं सार के के प म
काय करना;
(2) सू चना सं हण, सं लेषण, व लेषण, पुनः ाि त एवं सार हे तु आधु नक ौ यो गक को
बढ़ावा दे ना;
(3) पयावरणीय सू चना, ौ यो गक के े म होने वाले शोध, अ वेषण एवं वकास काय
म सहायता करना; एवं
(4) वकासशील दे श के बीच सू चनाओं के व नमय को बढ़ावा दे ना।
भारत म इन वस के मु य के समेत कु ल 21 के ह, जो व भ न सं थान ,
संगठन के अ तगत कायरत ह । इन के म कु छ मु ख के न न ल खत है:-
(1) के य दूषण नयं ण प रष नई दि ल
(2) औ यो गक वष व ान शोध के , लखनऊ
(3) भारतीय ख नक व यापीठ, धनबाद
(4) टाटा ऊजा शोध सं थान, नई दि ल
(5) जवाहर लाल नेह व व व यालय नई द ल
(6) व ड वाइड लाइफ फंड, नई द ल
इन वस के मु य के के न न ल खत काय ह:
(क) लेखन सेवा,
(ख) सू चना सेवा,
(ग) पयावरण सार (Parayavarn Absrtact) का काशन,
(घ) डेटाबेस का वकास; एवं
(ङ) पयावरण संर ण एवं बचाव के े म लगे गैर सरकार संगठन क नद शका का
नमाण।
इन वस के अ य उ े य म शा मल ह:-
(1) अ य सू चना तं के साथ सूचना व नमय हे तु संबध
ं था पत करना;
(2) इनफोटे रा (INFOTERRA) के काय हे तु मु य के के प म काय करना;
(3) इन वस के व भ न के के बीच सम वय था पत करना ।

234
7.10 हे ि लस (HELLIS: Network of Health Literature, Libraries and
Information Services)
इसे सं ेप म वा य व ान पु तकालय नेटवक कहते ह । वष 2000 को सभी के
लए वा य वष के प म मनाने क घोषणा क गई । इस प र े य म यह आव यक समझा
गया क एक ऐसा रा य सू चना तं ानेटवक होना चा हए, जो वा य संबध
ं ी सू चनाओं क
आव यकता, सं हण एवं व लेषण करके कम से कम समयाव ध म उपयो ताओं को उपल ध
करा सके । इसके पहले से ह भारत म वा य एवं च क सा व ान के े म एक
पु तकालय एवं सू चना नेटवक क आव यकता बहु त वष से महसूस क जा रह थी । इसी
उ े य को यान म रखते हु ए रा य च क सा पु तकालय ने समय-समय पर अनेक
कायशालाओं का आयोजन कया । इस सल सले म सबसे पहला यास अग त 1979 म कया
गया जब '' व व वा य संगठन'' के द ण-पूव ए शया के े ीय कायालय वारा भारत,
बांगलादे श, यनमार, इंडोने शया,
मंगो लया, नेपाल, ीलंका एवं थाईलै ड के मु ख च क सा पु तकालय के मु ख ,
शासक एवं मु ख उपयो ताओं क एक संगो ठ का आयोजन नई द ल म कया गया ।
इसके प रणाम व प द ण-पूव ए शया े के च क सा सा ह य, पु तकालय एवं सू चना
सेवाओं के गठन का ताव भी कया गया । फरवर , 1982 से इस नेटवक ने कायारं भ कया
। भारत म रा य च क सा पु तकालय (नेशनल लाइ रे ) को इस नेटवक का के ब दु
बनाया गया । सन ् 1986 म लखनऊ म हु ये से मनार म हे ि लस नेटवक के आधा रक-संरचना
क परे खा तैयार क गई । इन सभी कायशालाओं व सेमीनार क सं तु त के आधार पर हे ि लस
नेटवक म चार
तर य पु तकालय को शा मल कया गया ।
(क) रा य च क सा पु तकालय:- इस पु तकालय को भारत म हे ि लस नेटवक के के
ब दु के प म रखा गया है ।
(ख) े ीय च क सा पु तकालय :- स पूण दे श को 6 च क सा े म वभािजत कर उन
े के मु ख च क सा पु तकालय को इस तर पर रखा गया है । ये े है-
(1) उ तर े - एस. एम. एस. च क सा महा व यालय पु तकालय, जयपुर
(2) द णी े - एम. जी. आर. च क सा व ान व व व यालय, चे नई
(3) पूव े - अ खल भारतीय आरो य एवं जन वा य सं थान, को काता
(4) पि व म े - ांट च क सा महा व यालय, मु बई
(5) म य े - च क सा व ान सं थान, वाराणसी
(6) उ तर-पूव े - े ीय च क सा महा व यालय, इ फाल
(ग) संसाधन पु तकालय:- पूरे दे श म कुल 9 संसाधन पु तकालय को इस नेटवक हे तु चु ना
गया है । ये संसाधन पु तकालय कसौल , नागपुर , राँची, कटक, भोपाल, अहमदाबाद, गुवाहाट ,
लखनऊ एवं वधा म ि थत ह ।

235
(घ) थानीय पु तकालय:- इस पु तकालय एवं सू चना नेटवक म उपयु त पु तकालय के
अलावा कु छ थानीय च क सा व ान के पु तकालय को भी सि म लत कया गया है ।
रा य च क सा पु तकालय ने थसू चय के नयं ण हे तु सभी तभागी
पु तकालय के लए कु छ मानक तैयार कये ह । साथ ह यह समय-समय पर श ण
कायशालाओं का भी आयोजन अता है ।
7.11. खगो लक पु तकालय नेटवक (Networking of Astronomy Libraries)
भारत ार भ से ह खगोल व ान के े म अ णीय रहा है । अत: सू चना
ौ यो गक के इस युग म अ य वषय से संबं धत नेटवक क भां त खगोल व ान के
पु तकालय के एक नेटवक क आव कता महसूस क जा रह है । वतमान समय तक इस
कार का कोई पु तकालय नेटवक काय प म नह ं आया ह, पर तु इसका ा प तैयार कर
लया गया है ।
इस ता वत पु तकालय नेटवक म भारत के आठ वै ा नक सं थान के पु तकालय
को शा मल करने क योजना है । ये वै ा नक सं थान न न ल खत है:-
1. इं डयन इं ट यूट ऑफ ए ो फिज स पु तकालय
2. इंटर यू नव सट सटर फॉर ए ोनॉमी ए ड ए ो फिज स पु तकालय , पुणे
3. नेशनल सटर फॉर रे डयो ऐ ो फिज स पु तकालय, पुणे
4. फिजकल रसच लेबोरे ज पु तकालय, अहमदाबाद
5. रमण रसच इं ट यूट पु तकालय , बंगलोर
6. टाटा इं ट यूट ऑफ फ डामटल रसच पु तकालय, मु बई
7. उ तर दे श टे ट ऑबजरवेटर पु तकालय, नैनीताल
8. नजाम ऑबजरवेटर पु तकालय, हैदराबाद
इस ता वत पु तकालय नेटवक म तभागी पु तकालय क पु तक , प काओं, पूव -
काशन , सू चय , योजना नणय , साम यक घटनाओं से संबं धत काशन आ द को शा मल
करने क योजना है । वतमान म िजन छ पु तकालय को इस नेटवक म शा मल करने क
योजना है, उनक पु तक एवं प काओं क कु ल सं या मश 1,33,426 एवं 1,42,029 है ।
वतमान म तभागी पु तकालय अलग-अलग पु तकालय सॉ टवेयर का योग कर रहे ह ।
चार पु तकालय लब सस (LIBSYS) सॉ टवेयर का योग कर रहे है और बाक चार म से दो
ि लम (SILM) सॉ टवेयर का । दो तभागी पु तकालय अभी कं यूटर अनु योग क
वकासशील अव था म ह । भ व य म सभी तभागी पु तकालय को एक ह पु तकालय
सॉ टवेयर उपल ध कराने क योजना है ।
इस ता वत पु तकालय नेटवक हे तु तीन कार के नेटव कग मॉडल को वक सत
करने क योजना है:
1. सभी खगो लक य पु तकालय के गृह -पृ ठ (होम पेजस ्) को अ तसबं धत करना;
2. एक समि वत पु तकालय डेटाबेस का नमाण; तथा
3. सच इंजन (Search Engine) संरचना वारा संयोिजत (जोड़ने) करने क योजना ।

236
सभी खगो लक पु तकालय ने आपसी सम वय दारा फोसा (FORSA) नामक एक
फोरम का गठन ि या है। वतमान म 6 फोसा पु तकालय म इंटरनेट क सु वधा उपल ध है ।
7.12. लकनेट (LUCKNET: Lucknow Library Network)
लकनेट, लखनऊ लाइ रे नेटवक का सं त नाम है । यह लखनऊ के पु तकालय
एवं सू चना के का एक ता वत नेटवक है । इस पु तकालय नेटवक क थापना
पु तकालय के संसाधन क समु चत सहभा गता हे तु क गई है । इसके अंतगत भागीदार सभी
पु तकालय क संघ सूची, अव धक काशन क सू ची आ द म नमाण को ाथ मकता द
गई है ।
लखनऊ पु तकालय नेटवक को मु यत: महानगर य े नेटवक क ेणी म रखा जा
सकता है । चू ं क इस पु तकालय नेटवक के भागीदार,पु तकालय अलग-अलग पु तकालय
सॉ टवेयर का योग करते ह अत: डेटा का ह ता तरण एक मसा य काय है । इस लए यह
आव यक है क तभागी पु तकालय एक ह पु तकालय सॉ टवेयर का योग कर ।
उपरो त नेटवक के अ त र त अ य याशील व संभा वत नेटवक भी ह, िजनम से
कु छ न न ल खत ह:-
 हाइ लबनेट (HYLIBNET: Hyderabad Library Network), Hyderabad
 ने लबनेट (NELIBNET: North East Library Network), Assam
 सेलनेट (SAILNET) - ट ल अथा रट ऑफ इं डया ल मटे ड वारा ायोिजत नेटवक
 कोलनेट (COALNET) - कोयला उ योग से संबं धत नेटवक
 बकनेट (BANKNET) - ब कं ग से संबं धत नेटवक
 टू रनेट (TOURNET) - पयटन से संबं धत नेटवक
व तु न ठ न:-
1. डेलनेट का वतमान पूरा नाम :
(क) द ल लाइ ेर नेटवक
(ख) डेवल पंग लाइ ेर नेटवक
(ग) डिजटल लाइ रे नेटवक
2. न न ल खत म से कौन सा नेटवक वा य व ान से संबं धत है:
(क) इन वस नेटवक
(ख) हे ि लस नेटवक
(ग) माइ लबनेट
(घ) बोनेट
3. न न ल खत म कौन सा नेटवक नःशु क सद यता दान करता है:
(क) कै लबनेट
(ख) डेलनेट
(ग) पुणेनेट

237
(घ) मा लबनेट
4. सबसे पुराना पु तकालय नेटवक कौन सा है:
(क) कै लबनेट
(ख) डेलनेट
(ग) बोनेट
(घ) लकनेट
5. व व व यालय के पु तकालय से संबं धत नेटवक है:
(क) खगोलक पु तकालय नेटवक
(ख) इन वस नेटवक
(ग) ोणा नेटवक
(घ) इंि लबनेट
6. इंि लबनेट का मु यालय ि थ त है
(क) गुजरात व व व यालय, अहमदाबाद
(ख) द ल व व व यालय, द ल
(ग) काशी ह दू व व व यालय, वाराणसी
(घ) व व व यालय अनुदान आयोग, द ल
7. इंि लबनेट का मु य उ े य है:-
(क) व व व यालय के अंतगत आने वाले पु तकालय के बीच पर पर क सहभा गता
करना
(ख) भारत सरकार के कायालय /मं ालय के बीच पर पर सू चना का आदान- दान
करना।
8. डेलनेट का मु यालय ि थत है:
(क) योजना आयोग कायालय
(ख) इं डया इंटरनेशनल सटर
(ग) ौ यो गक भवन
(घ) रा य सू चना के
9. इनफोटे रा का संबध
ं है:
(क) हे ि सस नेटवक से
(ख) खगोलक पु तकालय नेटवक से
(ग) इन वस नेटवक से
(घ) व म नेटवक से
10. कैप सेवा न न ल खत म से कौन सा पु तकालय नेटवक दान करता है:
(क) मा लबनेट
(ख) माइ लबनेट

238
(ग) इंि लबनेट
(घ) कै लबनेट
11. कॉन अलट (Coan Alert) सेवा दान क जाती है:
(क) कै लबनेट वारा
(ख) बोनेट वारा
(ग) डेलनेट वारा
(घ) लकनेट वारा
12. मै ेयी (MAITRAYEE) सॉ टवेयर का वकास कया गया है
(क) इ सडॉक वारा
(ख) कै लबनेट दारा
(ग) इंि लबनेट वारा
(घ) डेलनेट वारा
13. संयु ता सॉ टवेयर का वकास ि या गया है:
(क) माइ लबनेट वारा
(ख) नकनेट वारा
(ग) हाई लबनेट वारा
(घ) कै लबनेट वारा
14. सी-डैक (C-DAC) का संबध
ं है:
(क) पुणेनेट से
(ख) बोनेट से
(ग) व म नेटवक से
(घ) व यानेट से

8. सारांश
इस इकाई म आपने पु तकालय तथा सू चना नेटवक के वषय म जानकार ा त क ।
पु तकालय नेटवक क प रभाषा, वतमान समय म पु तकालय नेटवक क आव यकता, इनक
उपयो गता आ द के वषय म इस इकाई म सं त जानकार उपल ध कराई गई है । व भ न
कार के पु तकालय नेटवक , इनक संरचना, भौगो लक े आ द को समझाने का यास
कया गया है । कु छ ता वत नेटवक के वषय म भी जानकार द गई है । व भ न कार
के पु तकालय नेटवक के उपयोग से संसाधन क सहभा गता कैसे क जा सकती है इसका भी
वणन इस इकाई म कया गया है ।

9. अ यासाथ न
1. पु तकालय नेटवक या है? वतमान समय म इसक आव यकता एवं उपयो गता का
उलेख क िजए ।
2. भारत म पु तकालय नेटवक के भ व य पर काश डा लए ।
239
3. न न ल खत नेटवक के उ े य एवं याकलाप का वणन कर:-
(क) माइ लबनेट
(ख) डेलनेट
(ग) पुणेनेट
(घ) हे ि सस नेटवक
(ङ) इन वस नेटवक
(च) कै लबनेट
(छ) मा लबनेट
(ज) एडीनेट
4. '' व व व यालय अनुदान आयोग भारत म उ चतर श ा हे तु उ तरदायी एक सं था है
।'' भारत म पु तकालय नेटवक के वकास हे तु इस आयोग के वारा कये गये काय
का उलेख क िजए ।
5. इंि लबनेट के उ े य , याकलाप एवं उपलि धय का व तारपूवक ववेचन क िजए ।

10. पा रभा षक श दावल


(1) इंि लबनेट (INFELIBNET): व व व यालय के संसाधन क पर पर सहभा गता हे तु
था पत नेटवक ।
(2) कै लबनेट (CALIBNET): भारत का पहला पु तकालय नेटवक जो कोलकाता महानगर
म था पत कया गया है ।
(3) पु तकालय नेटवक (Library Network): यह एक अ तसबं धत णाल है, िजसम
व भ न पु तकालय एवं सू चना के अपने संसाधन क सहभा गता हे तु पर पर, एक-
दूसरे जु ड़े रहते है ।
(4) डेलनेट (DELNET): डेवल पंग लाइ ेर नेटवक का सं त प है, जो वतमान म
अंतररा य नेटवक का थान ले चु का है ।

11. व तृत अ ययनाथ


1. Kaul, HK, Library Resource Sharing and Networks, Virgo
Publications, New Delhi, 1999
2. Subbarao, Sirigindi, Networking of Libraries and Information
Centres: Challenges in India, Library Hi-Tech, 19,2; 167-178;2001,
3. लाल, सी, एवं के कुमार, लेखन एवं सू चना व ान., 2 भाग., ई.एस.एस काशन,
द ल , 2001
4. इंटरनेट साइट:
(a) http://www.nic.in/delnet/
(b) http://www.inflibnet.act.in/

240
(c) http://www.mylibnet.org.in/
(d) http://Punenet/ernet.in/
(e) http://www.anglefire.com/in/malibnet/genesis.html/kk

241
242

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