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अगर पैसे ना हो तो उम्र थोडी जल्दी बढ़ जाती है , तजुबाा थोरा ज्यादा हो जाता है | बस दो यादें बार बार घुम

जाती है ददमाग में जब भी पपाजी को याद करता हूँ | इस शब्द से भी एक बात याद आती है | हमारे सं स्कृत
के टीचर, जो हमारे घर पर भी आते थे पढ़ने को, जो एक बार बताए के पपा का मतलब होता है हाथी,
इसदलए पापा बोलो पपा नही|
ं बात समझ तो आई पर आज भी हम पपाजी ही बोलते हैं | एक बात जब मै
राूँ ची में था और पापा आए हुए थे क्ोंदक मुझे हॉस्टल बदलना था| पापा को मैंने बड़ा परे शान पाया था|
और पहे ली बार उनकी सफ़ेद दाढ़ी ददखी थी| मुझे लगा मेरे जीमेदारी उठाने का समय आ गया है | दू सरी बार
जब मै पटना मैं नौकरी कर रहा था, वो दिर आए थे,दकसी काम से और मैंने िले बार उनकी आं खों मैं
लाजा दे खख क्ोंदक उन्होने अपने पैंट मै पैख़ाना कर ददया था| और मुझे एहसास हुआ के मै जीमेदारी उठा नही ं
पाया| उन्होने कहा था –“तु म इस पररवार के ददशा और दशा के दनर्ाा रक हो|” ददल पे लगी पर ददल नही ं
लगा|

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