Professional Documents
Culture Documents
Deviyaan
Deviyaan
Deviyan
11 जनवरी 2017 08:29
अथ महा ा ईसरदास बारहठ कृत
दे िवयाणं ĭΘ
🌷🌷 छΪ अडल 🌷🌷
करता हरता mी ňींकारी,
काली कालरयण कौमारी,
शिशशेखरा िसधेसर नारी,
जग नीमवण जयो जडधारी॥१॥
धवां धवळगर धव धूं धवळा,
िï ा कुबजा कचjी कमला,
चलाचला चामुंडा चपला,
िवकटािवकट भूबाला िवमला॥
२॥
सुभगा िसवा जया mी अंबा,
प रया परήार पालंबा,
िपसाचणी साकणी ĸितबंबा,
अथ आरािधजै अवलंबा॥३॥
सं कािलका सारदा समया,
िjपुरां तारणी तारा jनया,
ओ ् सो ् अखया अभया,
आई अजया िवजया उमया॥४॥
🌷🌷 छΪ भुजंगी 🌷🌷
दे वी उκया खκया ईसनारी,
दे वी धारणी मुंड िjभुवΌधारी,
दे वी स दां iप ओम् iप सीमा,
दे वी वेद पार धरणी ĺहκा॥
१॥
दे वी कािलका मां नमो भĵकाली,
दे वी दू रगां लाघव चा रताली,
दे वी दानवां काळ सुरपाळ दे वी,
दे वी साधकं चारणं िस सेवी॥
२॥
दे वी ज णी भ णी दे व जोगी,
दे वी िनमला भोज भोगी िनरोगी,
दे वी मात जानेसुरी ŀΌ मेहा,
दे वी दे व चामुंड सं ाित दे हा॥
३॥
दे वी भंजणी दै त सेना समेता,
दे वी नेतना त ना जया नेता,
दे वी कािलका कुबजा कामकामा,
दे वी रे णुका सκला रामरामा॥
४॥
दे वी मालणी जोगणी म̃मेधा,
दे वी वेधणी सुर असुरां उवेधा,
दे वी कामही लोचना हामकामा,
दे वी वासनी मेर माहे स वामा॥
५॥
दे वी भूतडां अκरी वीस भुजां ,
https://www.onenote.com/webapp/pages?token=bJ1R3A9o7NxQtwvzlfatgN6J2tfM2xezlR_LJi0ZCrLXyqdxwK40LOwKrtYnckrIs65MCTGmz0SgDTItVs9YGD… 1/10
3/15/2017 OneNote Online
दे वी भूतडां अκरी वीस भुजां ,
दे वी िjपुरां भैरवी iप तूजां ,
दे वी राखस धौम रै रѓतiती,
दे वी दु ज ा िवक ा जκदू ती॥
६॥
दे वी गौर iपा अखां नЕिन ी,
दे वी सóला अóला
ńЕिस ी
दे वी ŀźिवमोहणी वोमवाणी,
दे वी तोतला गुंगला कि̃याणी॥
७॥
दे वी चΚघंटा महκाय चंडी,
दे वी वीहला अΌला व`व`ी,
दे वी जκघंटा वदीजै जडं बा,
दे वी साकणी डाकणी iढ
स ां ॥८॥
दे वी क कां हां कणी वीरकंवरी,
दे वी मात वागेसरी महागवरी,
दे वी दं डणी दे व वैरी उदं डा,
दे वी िवźया जया दै तां िवखˆा॥
९॥
दे वी खेचरी भूचरी भĵखेमा,
दे वी प णी सोभणी कलहĸेमा,
दे वी जκणी म आĩित ाला,
दे वी वािहनी मंj लीला िवसाला॥
१०॥
दे वी मंगला वीजला iप मкधे,
दे वी अ ला स ला वोम अкधे,
दे वी ń सूं उतरी िसव माथे,
दे वी सगरसुत हे त भगीरјथ
साथे॥११॥
दे वी हारणी पाप mी ह र iपां ,
दे वी पावनी पिततां तीथ भूपां ,
दे वी पु iपं दे वी ĸκ iपं,
दे वी ïκ iपं दे वी kκ iपं॥
१२॥
दे वी नीर दे ां अघ ओघ नासै,
दे वी आतमानंद िहयै îलासै,
दे वी दे वता ń तूं मां िनवासै,
दे वी सेवते िसव साiप भासै॥
१३॥
दे वी नाम भागीरथी नाम गंगा,
दे वी गंडकी गोगरा रामगंगा,
दे वी ससती जκना सरीिस ा,
दे वी िjवेणी िjэथली तापi ा॥
१४॥
दे वी िसΜु गोदावरी मही संगा,
दे वी गोमती धκला बाणगंगा,
दे वी नमदा सारजू सदानीरा,
दे वी ग का तुंगभĵा गंभीरा॥
१५॥
दे वी कावेरी तापी ï ा कपीला,
दे वी सोण सतलź भीमा
https://www.onenote.com/webapp/pages?token=bJ1R3A9o7NxQtwvzlfatgN6J2tfM2xezlR_LJi0ZCrLXyqdxwK40LOwKrtYnckrIs65MCTGmz0SgDTItVs9YGD… 2/10
3/15/2017 OneNote Online
दे वी सोण सतलź भीमा
सुसीला,
दे वी गोम गंगा दे वी वोम गंगा,
दे वी गु गंगा सुची iप अंगा॥
१६॥
दे वी िनझरण नवे सौ नदी नाला,
दे वी तोय ते तवां iप तुहाला,
दे वी मथुरा माइया मो दाता,
दे वी अवंती अजो ा अґघहाता॥
१७॥
दे वी कहां ¸ारामती कां ची काशी,
दे वी सातपुरी ĺहκा िनवासी,
दे वी रं ग रं गे रमै आप iपे,
दे वी घृत नैवेद ले दीप धुपे॥१८॥
दे वी रѓत बंबाळ गळमाळ i ं डा,
दे वी मूढ पाहारणी चंडमुंडा,
दे वी भाव ादे हं सते वकjे,
दे वी पाणपाणां पीये म̇ पjे॥
१९॥
दे वी सहń लखं कोटीक साथे,
दे वी मंडणी जु मैखास माथे,
दे वी चापडे चंड ने मुंड चीना,
दे वी दे वĵोही दु ĩ धमी दीना॥
२०॥
दे वी धुκलोचΌ होंकार धों ो,
दे वी जाडबा मg रѓतबीज सो ो,
दे वी मोिडयो माथ िनसुंभ मोडे ,
दे वी फोिडयो सुंभ जी कुंभ
फोडे ॥२१॥
दे वी सुंभ िनसुंभ दपाΜ छिलया,
दे वी दे व ń थािपया दै त
दिलया,
दे वी संघ सूरां तणा काज सीधा,
दे वी ïोड तैतीस उछाह कीधा॥
२२॥
दे वी दै त तां वंस गिमया,
दे वी नवेखˆ िjभुवन तूझ
निमया,
दे वी वΌ मg समाधी सुरјथ ŀΌी,
दे वी पूजते आसपूणा ĸसΌी॥
२३॥
दे वी वैस सुरјथ रा दीह विळया,
दे वी तवन तोरा िकया सोक
टिळया,
दे वी मारकंडे महापाठ बां ो,
दे वी लगो तव पाय नो पार
ला ो॥२४॥
दे वी स मी अЊमी नोम नुजा,
दे वी चौथ चौद पुनκ पुजा,
दे वी ससती ल मी महाकाली,
दे वी कΌ िवСु ĺहκा कमाली॥
https://www.onenote.com/webapp/pages?token=bJ1R3A9o7NxQtwvzlfatgN6J2tfM2xezlR_LJi0ZCrLXyqdxwK40LOwKrtYnckrIs65MCTGmz0SgDTItVs9YGD… 3/10
3/15/2017 OneNote Online
दे वी कΌ िवСु ĺहκा कमाली॥
२५॥
दे वी रѓत नीलमणी सीतरं गं,
दे वी iप अंबार िवiप अंगं,
दे वी बाल युवा ŀधवेस वाली,
दे वी िव रखवाल बीसाभुजाली॥
२६॥
दे वी वैСवी माहे सी ĺहκाणी,
दे वी इΚाणी चΚाणी रΌाराणी,
दे वी नारिसंघी वाराही िव ाता,
दे वी इला आधार आसूरहाता॥
२७॥
दे वी कौमारी चामुंडा िवजैकारी,
दे वी कुबेरी भैरवी ेमकारी,
दे वी मृगेस ŀ हЭी मइखै,
दे वी पंख केकी गħड िधरट
पंखे॥२८॥
दे वी रјथ रे वंत सारं ग राजे,
दे वी िवमाणां पालखी पीठ ŀाजे,
दे वी ĸेत आiढ आiढ प ं,
दे वी सागर सुमेi गूढ स ं॥
२९॥
दे वी वाहन नाम कै व वाळी,
दे वी ख शूळधरा ख राळी,
दे वी कोप रै iप मg काळजेता,
दे वी कृपा रै iप माता जणेता॥
३०॥
दे वी जѓतकता र भरता संहरता,
दे वी चराचर ज सब मg
िवचरता,
दे वी चारधाम эथल अЊ साठे ,
दे वी पािवये एक सौ पीठ आठे ॥
३१॥
दे वी माइ िहं गोळ पछκ माता,
दे वी दे व दे वािध वरदान दाता,
दे वी गंĵपां वास अब ĭामे,
दे वी थाण उिडयाण समसाण
ठामे॥३२॥
दे वी गढे कोठे िगरनार गोखे,
दे वी िसΜु वेला सवालाख सोखे,
दे वी कामi पीठ अґघोर कुंडे ,
दे वी खंखरे ĵुमे कІेर खंडे॥
३३॥
दे वी उ̃राजोगणी पर ऊजेणी,
दे वी भाल भħअŵ भजनेर भेणी,
दे वी दे व जालंधरी स दीपे,
दे वी कंदरे स रे वाव कुपे॥
३४॥
दे वी मेटलीमाल घूमे गर े,
दे वी काछ कनोज आसाम अंबे,
दे वी ń खंडे रसा िग र ìंगे,
दे वी पौन रै iप तुं गħड पाडे ,
दे वी गħड iप चjभुज चाड़े ॥
७७॥
दे वी माणसर iप मुगता िनपावे,
दे वी मराल iप मुगता तुं पावे,
दे वी वामणं iप बळराव भाडे ,
दे वी iप बळराव मेħ उपाडे ॥
७८॥
दे वी मेरगर iप सायर वरोळे ,
दे वी सायर iप िगरमेर बोले,
दे वी कूम रै iप तूं मेर पूठी,
दे वी वाड़वा iप तूं आग उठी॥
७९॥
दे वी आग रै iप सुर असुर ड रया,
दे वी ससती iप ते तेथ ध रया,
दे वी घडा रै iप अगस̃ दीधो,
दे वी iप अगЭ सामंद पीधो॥
८०॥
दे वी समुĵ iप ते हे म छिळया,
दे वी पां डवां हे म रै iप गिळया,
दे वी पां डवां iप ते ľाΈ भागी,
दे वी ľाΈ iप तूं राम लागी॥
८१॥
दे वी राम रै iप तूं भѓत तुठी,
दे वी भѓत रै iप वैकुंठ वूठी,
दे वी iप वैकुंठ परĺ वासी,
दे वी iप परĺ सब मg िनवासी॥
८२॥
दे वी ĺ तूं िवСु अज iĵराणी,
दे वी वां ण तूं खां ण तूं भूत ĸाणी,
दे वी मΌ तूं पवΌ तूं मोखमाया,
दे वी ïκ तूं kκ तूं जीव काया॥
८३॥
दे वी नाद तूं िबंदू तूं नЕिन ी,
दे वी सीव तूं स ő तूं ńЕिस ी,
दे वी बापडा मानवी कां ई बूझे,
दे वी ताहरा पार तूंहीज सूझै॥
८४॥
दे वी तूंज जाणे गित गहन तोरी,
दे वी त̃ iप गित तूंज मोरी,
दे वी रोग भव हारणी jािहमाम्,
दे वी पािह पािह दे वी पािह माम्॥
८५॥
🌷🌷 छΪ छ य 🌷🌷
रगता सेतारणा नमो मां ï ा नीला,
सीकोतरी आसुरी सुरी सुसीला
गरवीला,
दीघा लघु वपु 簑�ढा सबेही iप
िवiपा,
वकला सकला ŀजा उपावण आप
आपुपा,
घण पवन îतासण सूं ĸबल चामुंडा
https://www.onenote.com/webapp/pages?token=bJ1R3A9o7NxQtwvzlfatgN6J2tfM2xezlR_LJi0ZCrLXyqdxwK40LOwKrtYnckrIs65MCTGmz0SgDTItVs9YGD… 9/10
3/15/2017 OneNote Online
घण पवन îतासण सूं ĸबल चामुंडा
वंदूं चरण॥
किव पार तूझ ईसर कहे कािलका
जाणे कवण॥१॥
घम घमंत घूघरी पायं नेऊरी रणझण,
डम डमंत डाकली ताल ताली बजे
तण,
पाय िसंघ गळ अडै चï झळहळै
चउदह,
मळै ïोड तैतीस उदो सु रयंद
अणंदह,
अदभूत iप श ő अकल ĸेमदू त
पालितयं॥
गहगहै वार डमi डहक महκाय
आवितयं॥२॥
चढे िसंघ चामुंड कमल îं कारव
कкधो,
डरो चरं तो दे ख असुर भािगयो
अवкधो,
आिद श ő आपडे iक वािहये
रमंतां ,
खाळ रगत खळहळै ढळै िढं गोळ
धरं तां ,
हींगोळराय अठ दस हथी ľखै मैख
भुवनेЌरी॥
किव जोड पाण ईसर कहे ऊदो ऊदो
आसापुरी॥३॥
धΎवाद सिहत 👏 👏
टं कणकता: ह र िसंह चारण
उडवा रया
jुिट सुधार हे तु सुझाव आमंिjत 🌹
🌹
https://www.onenote.com/webapp/pages?token=bJ1R3A9o7NxQtwvzlfatgN6J2tfM2xezlR_LJi0ZCrLXyqdxwK40LOwKrtYnckrIs65MCTGmz0SgDTItVs9YG… 10/10