You are on page 1of 19

वाक्य शुद्धि

वाक्य भाषा की अत्यंत महत्वपर्


ू ण इकाई होता है | अतएव परिष्कृत भाषा के
लिए वाक्य शद्
ु धि का ज्ञान आवश्यक है | वाक्य िचना में संज्ञा, सवणनाम,
ववशेषर्, क्रिया, अव्यय से संबंदित या अन्य प्रकाि की अशद्
ु धियााँ हो सकती
है | इन्ही को आिाि बनाकि पिीक्षा में प्रश्न पछ
ू े जाते है |

नीचे कुछ उिाहिर् दिए गए है | प्रत्येक वाक्य में िं गीन अक्षिों में छपे शब्ि
अशद्
ु ि है जजनका शद्
ु ि रूप दिया गया है |

कुछ महत्वपर्
ू ण वाक्य शद्
ु धि

 अशुद्ि – दिल्ली से अनेक पत्र और पत्रत्रकाओं का प्रकाशन होता है |

शुद्ि - दिल्ली से अनेक पत्र-पत्रत्रकाओं का प्रकाशन होता है |

 अशद्
ु ि – बरु ाई सन
ु ते-सन
ु ते मेरा कान पक गया है |

शुद्ि – बरु ाई सन
ु ते-सन
ु ते मेरे कान पक गये हैं |

 अशुद्ि – वह नगर का सवोत्तम बदिया खिलाड़ी है |


शुद्ि – वह नगर का सवोत्तम खिलाड़ी है |
 अशद्
ु ि – उसने कहा कक मैं चार भाई हूँ |
शुद्ि – उसने कहा हम चार भाई है |
 अशुद्ि – राम ने आपके ऊपर मक़
ु िमा चलाया है |
शुद्ि – राम ने आप पर ककया है |
 अशद्
ु ि – सादहत्य और जीवन का घनघोर सम्बन्ध है |
शुद्ि – सादहत्य और जीवन का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है |
 अशुद्ि – यह कहानी जो है, वह सिु शशन की ललिी है |
शुद्ि – यह कहानी सिु शशन द्वारा ललिी गयी है |
 अशद्
ु ि – िे श की जजतनी िग
ु तश त पहले कभी नहीं हुई |
शुद्ि – िे श की इतनी िग
ु तश त पहले कभी नहीं हुई |
 अशुद्ि – सभा के प्रत्येक सिस्यों की यही राय थी |
शुद्ि – सभा के प्रत्येक सिस्य की यही राय थी |
 अशद्
ु ि – मैं पिने का तनत्य व्यायाम करता हूँ |
शुद्ि – मैं पिने का तनत्य अभ्यास करता हूँ |
 अशुद्ि – पाप बिती है तो वर्ाश नहीं होता |
शुद्ि – पाप बिता है, तो वर्ाश नहीं होती है |
 अशद्
ु ि – चक्की के िो पाटन में ककतना साबत
ु नहीं बचता |
शुद्ि – चक्की के िो पात में कोई साबत
ु नहीं बचता |
 अशुद्ि – सब चली-चलो का बेला है |
शुद्ि – सब चला-चली की बेला है |
 अशद्
ु ि – राम और श्याम बाहर िेल रहा है |
शुद्ि – राम और श्याम बाहर िेल रहे हैं |
 अशुद्ि – मरे राम, जलावे राम |
शुद्ि – मारे राम, जजलावे राम |
 अशद्
ु ि – मेरी रोम-रोम िील उठी |
शुद्ि – मेरा रोम-रोम खिल उठा |
 अशुद्ि – तुम्हारा गाूँव ककधर है ?
शुद्ि – तुम्हारा गाूँव कहाूँ हैं ?
 अशद्
ु ि – मैं मेरा कायश समाप्त कर चका है |
शुद्ि – मैं अपना कायश समाप्त कर चका है |
 अशुद्ि – कभी चाूँिनी की नाम सन
ु ा है |
शुद्ि – कभी चाूँिनी का नाम सन
ु ा है |
 अशद्
ु ि – पपयार और तघरणा मनष्ु य जीवन की परभावी संवेिनाएं हैं |
शुद्ि – प्यार और घण
ृ ा मनष्ु य जीवन की प्रभावी संवेिनाएं हैं |
 अशुद्ि – मैंने कल मम्ु बई जाने का है |
शुद्ि – मझ
ु े कल मम्
ु बई जाना है |
 अशद्
ु ि – मोहन का व्यवहार अच्छी नहीं |
शुद्ि – मोहन का व्यवहार अच्छा नहीं |
 अशुद्ि – फलों पर दहम त्रबन्िएु ूँ चमक रही हैं |
शुद्ि – फलों पर दहम बंिे चमक रही है |
 अशद्
ु ि – इस िक
ु ान पर आल और सब्जी नहीं लमलते |
शुद्ि – इस िक
ु ान में सजब्जयाूँ नहीं लमलती |
 अशुद्ि – माता-पपता का आिर रिना चादहए |
शुद्ि – माता-पपता का आिर रिना चादहए |
 अशद्
ु ि – घी बहुत अच्छी नहीं है |
शुद्ि – घी बहुत अच्छा नहीं है |
 अशुद्ि – वह कक्षा का सवशिेष्ठ अच्छा छात्र है |
शुद्ि – वह कक्षा का सवशिेष्ठ छात्र है |
 अशद्
ु ि – गललयों की चौड़ी करना आवश्यक हो गयी |
शुद्ि – गललयों को चौड़ा करना आवश्यक हो गया है |
 अशुद्ि – तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकती है |
शुद्ि – तुमसे कोई काम नहीं हो सकता |
 अशद्
ु ि – मै ऐसा करना पहले तनश्चय कर रिा था |
शुद्ि – मैंने ऐसा करना पहले ही तनश्चय कर रिा था |
 अशुद्ि – मैंने िो घड़ड़यों को िरीिा |
शुद्ि – मैंने िो घड़ड़याूँ िरीिीं |
 अशद्
ु ि – हम नई प्रकार की वस्तु िे िना चाहा |
शुद्ि – हमने नई प्रकार की वस्तु िे िना चाहा |
 अशुद्ि – यह लोग क्या करें गे ?
शुद्ि – ये लोग क्या करें गे ?
 अशद्
ु ि – आपका बातें बहुत मीठा है |
शुद्ि – आपकी बातें बहुत मीठी हैं |
 अशुद्ि – इसका बात को वे नहीं समझ सकते न बोल सकते हैं |
शुद्ि – इसकी बात को वे न तो समझ सकते हैं, न ही बोल सकते हैं |
 अशद्
ु ि – उसने अनेकों ग्रन्थ ललि डाला |
शुद्ि – उसने अनेक ग्रन्थ ललि डाले |
 अशुद्ि – वह सकुशल सदहत अपने घर पहुूँचा |
शुद्ि – वह सकुशल अपने घर पहुूँच गया |
 अशद्
ु ि – थोड़ी िे र बाि सन्यासी वापस लौट आये |
शुद्ि – थोड़ी िे र बाि सन्यासी लौट आये |
 अशुद्ि – कई सौ बरस तक भारत माता के गले में बेड़ड़याूँ पड़ी रहीं |
शुद्ि – कई सौ बरस तक भारत माता के पैरों में बेड़ड़याूँ पड़ी रहीं |
 अशद्
ु ि – हमारे िे श में बहुत सारे नदिया प्रमात्मा की िे न हैं |
शुद्ि – हमारे िे श में बहुत सारी नदियाूँ परमात्मा की िे न हैं |
 अशुद्ि – वह पवलाप करके रोने लगी |
शुद्ि – वह पवलाप करने लगी |
 अशद्
ु ि – यहाूँ अनाश्रधकार परवेश वजजशत है |
शुद्ि – यहाूँ अनश्रधकार प्रवेश वजजशत है |
 अशुद्ि – आिशश और यथाथश में , ज्योत्सना और अमा में क्या अंतर है ?
शुद्ि – आिशश एवं यथाथश तथा ज्योत्सना एवं अमा में क्या अंतर है ?
 अशद्
ु ि – उसका उद्िे श्य आपके आूँिों में आूँस बहाना नहीं था |
शुद्ि – उसका उद्िे श्य आपकी आूँिों से आूँस बहाना नहीं था |
 अशुद्ि – मेरे अध्ययन अस्थान पर ककसी की भी मन पढने को मचलेगी |
शुद्ि – मेरे अध्ययन स्थल पर ककसी का भी मन पिने के ललये मचलेगा |
 अशद्
ु ि – लसवा आपको छोड़कर कोई ऐसा बात नहीं कहेगा |
शुद्ि – आपके लसवाय कोई ऐसी बात नहीं करे गा |
 अशुद्ि – इसका मल्य नापा या तौला नहीं जा सकता है |
शुद्ि – इसका मल्य आूँका नहीं जा सकता है |
 अशद्
ु ि – इस काम में िे री होनी स्वाभापवक थी |
शुद्ि – इस काम में िे र होना स्वाभापवक था |
 अशुद्ि – यह बात एक उिाहरण से स्पष्ट ककया जा सकता है |
शुद्ि – इस बात को एक उिाहरण द्वारा स्पष्ट ककया जा सकता है |
 अशद्
ु ि – तम
ु ने अच्छा काम करा |
शुद्ि – तुमने अच्छा काम ककया |
 अशुद्ि – प्रयाग पवश्वपवद्यालय ने नेहरु जी को उपाश्रध पवतररत की |
शुद्ि – प्रयाग पवश्वपवद्यालय ने नेहरु जी को उपाश्रध प्रिान की |
 अशद्
ु ि – परीक्षा की प्रणाली बिलना चादहए |
शुद्ि – परीक्षा-प्रणाली बिलनी चादहए |
 अशुद्ि – जजसकी लाठी उसकी भैंस वाली कथा चररताथश होती है |
शुद्ि – जजसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चररताथश होती है |
 अशद्
ु ि – आप हमसे नहीं बोलो |
शुद्ि – आप मझ
ु से न बोलें |
 अशुद्ि – तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकता है |
शुद्ि – तुमसे कोई काम नहीं हो सकता है |
 अशद्
ु ि – आगामी अफसर कोलकाता से आ रहा है |
शुद्ि – अबकी बार अफसर कोलकाता से आ रहे हैं |
 अशुद्ि – बेकफजल बोल रहे हो |
शुद्ि – किज़ल बोल रहे हो |
 अशद्
ु ि – हर व्यजक्त को कोई न कोई िस्तकारी का काम सीिना चादहए |
शुद्ि – प्रत्येक व्यजक्त को कोई न कोई िस्तकारी सीिनी चादहए |
 अशुद्ि – तुम्हें पग – पग में कांटें लमलेंगे |
शुद्ि – तुम्हें पग-पग पर काूँटें लमलेंगे |
 अशद्
ु ि – राधा एक पवधवा स्त्री है |
शुद्ि – राधा पवधवा है |
 अशुद्ि – अनेकों स्त्री-परुु र् उसे िे िने गये |
शुद्ि – अनेक स्त्री-परुु र् उसे िे िने गये |
 अशद्
ु ि – वहां जाने से तम्
ु हे क्या लाभ प्राप्त होगा |
शुद्ि – वहाूँ जाने से तुम्हें क्या लाभ होगा ?
 अशुद्ि – िस जस्त्रयाूँ और पाूँच बालकों को भोजन िो |
शुद्ि – िस जस्त्रयों और पाूँच बालकों को भोजन िो |
 अशद्
ु ि – प्रेमचंद्र ने पयाशप्त मात्रा में उपन्यास/कहातनयां ललिे |
शुद्ि – प्रेमचंद्र ने पयाशप्त संख्या में कहातनयाूँ एवं उपन्यास ललिे हैं |
 अशुद्ि – ललिने में शद्ु धताई बरतो |
शुद्ि – ललिने में शद्ु धता बरतो |
 अशद्
ु ि – मैं आपका धन्यवाि करता हूँ |
शुद्ि – मैं आपको धन्यवाि िे ता हूँ |
 अशुद्ि – यह एक राजनीततक समस्या है |
शुद्ि – यह राजनीततक समस्या है |
 अशद्
ु ि – मैंने तम्
ु हे कल बोल दिया था |
शुद्ि – मैंने तुम्हें कल बता दिया था |
 अशुद्ि – मैं इस श्रचत्र को िरीिूँ गा |
शुद्ि – मैं यह श्रचत्र िरीिूँ गा |
 अशद्
ु ि – यह भोजन िस आिमी के ललये है |
शुद्ि – यह भोजन िस आिलमयों के ललये है |
 अशुद्ि – वह बहुत तनिश यी है |
शुद्ि – वह बहुत तनिश य है |
 अशद्
ु ि – हर एक ने कमीजें पहन रिी हैं |
शुद्ि – हर एक ने कमीज पहन रिी हैं |
 अशुद्ि – वह िण्ड िे ने योग्य है |
शुद्ि – वह िण्ड का पात्र है |
 अशद्
ु ि – मैं सारी पस्ु तकों का नाम ललि ललया है |
शुद्ि – मैंने सभी पस्ु तकों का नाम ललि ललया है |
 अशुद्ि – कल रात में वह सो न सका |
शुद्ि – कल रात वह सो न सका |
 अशद्
ु ि – मैंने कानपरु जाना है |
शुद्ि – मझ
ु े कानपरु जाना है |
 अशुद्ि – कमाल के पास में बैठो |
शुद्ि – कमाल के पास बैठो |
 अशद्
ु ि – अपना माता-पपता की सेवा करना चादहए |
शुद्ि – अपने माता-पपता की सेवा करनी चादहए |
 अशुद्ि – ताजमहल की शान तनराली है |
शुद्ि – ताजमहल की छटा तनराली है |
 अशद्
ु ि – प्रत्येक व्यजक्तयों को काम करना चादहए |
शुद्ि – प्रत्येक व्यजक्त को काम करना चादहए |
 अशुद्ि – राम और लक्ष्मण का जन्म अयोध्या में हुए थे |
शुद्ि – राम और लक्ष्मण का जन्म अयोध्या में हुआ था |
 अशद्
ु ि – मैंने उसकी प्रतीक्षा िे िी |
शुद्ि – मैंने उसकी प्रतीक्षा की |
 अशुद्ि – तुम कौन से गाूँव से आए हो |
शुद्ि – तुम ककस गाूँव से आए हो ?
 अशद्
ु ि – मैंने अपना काम परा करी ललया हूँ |
शुद्ि – मैंने अपना कायश परा कर ललया है |
 अशुद्ि – सीता िाना िायी |
शुद्ि – सीता ने िाना िाया |
 अशद्
ु ि – मैंने आगरा जाना है |
शुद्ि – मझ
ु े आगरा जाना है |
 अशुद्ि – हवाई जहाज से चेन्ने जाऊंगा |
शुद्ि – हवाई जहाज से चेन्नई जाऊूँगा |
 अशद्
ु ि – सररता साड़ी पहनकर आया |
शुद्ि – सररता साड़ी पहनकर आयी |
 अशुद्ि – माूँ िाट पर बैठा पपताजी िड़ी रही |
शुद्ि – माूँ िाट पर बैठी थीं, पपताजी िड़े थे |
 अशद्
ु ि – लड़का लसधा है |
शुद्ि – लड़का सीधा (सज्जन) है |
 अशुद्ि – रात में वह िब सोया |
शुद्ि – वह रात में िब सोया |
 अशद्
ु ि – उसका शािी में िाना िाया |
शुद्ि – उसकी शािी में िाना िाया |
 अशुद्ि – सन
ु ो! िवाई िाने का समय हो गया है |
शुद्ि – सन
ु ो ! िवा िाने का समय हो गया है |
 अशद्
ु ि – सीताजी जनकपरु की था |
शुद्ि – सीताजी जनकपरु की थीं |
 अशुद्ि – मेरे माूँ ने मझ
ु े िाना दिया |
शुद्ि – मेरी माूँ ने मझ
ु े िाना दिया |
 अशद्
ु ि – इस बार नदि नाव से पार की |
शुद्ि – इस बार नाव से निी पार की |
 अशुद्ि – आप जाओ
शुद्ि – आप जाइये
 अशद्
ु ि – मेरे को बल
ु ाया
शुद्ि – मझ
ु को बल
ु ाया
 अशुद्ि – वह घोड़े में सवार था
शुद्ि – वह घोड़े पर सवार था
 अशद्
ु ि – अनेकों बार िे ि चका हूँ
शुद्ि – अनेक बार िे ि चक
ु ा हूँ
 अशुद्ि – एक पानी का श्रगलास िीजजये
शुद्ि – एक श्रगलास पानी िीजजये
 अशद्
ु ि – उनका आूँसं बहने लगा
शुद्ि – उनके आूँस बहने लगे
 अशुद्ि – केवल चार रुपये मात्र िीजजये
शुद्ि – चार रूपये मात्र िीजजए
 अशद्
ु ि – वे बड़े सज्जन व्यजक्त हैं
शुद्ि – वे बड़े सज्जन हैं
 अशुद्ि – पवधायल के लड़के गें ि िेल रहे थे
शुद्ि – पवधालय के छात्र गें ि िेल रहे थे
 अशद्
ु ि – आपका भपवष्य उज्जवल है
शुद्ि – आपका भपवष्य उज्ज्वल है
 अशुद्ि – मैं घर ही हूँ
शुद्ि – मैं घर में हूँ
 अशद्
ु ि – ठण्डा घड़े का पानी पपलाइए
शुद्ि – घड़े का ठण्डा पानी पपलाइए
 अशुद्ि – आपका िशशन करने आया हूँ
शुद्ि – आपके िशशन करने आया हूँ
 अशद्
ु ि – पतत-पत्नी आई है
शुद्ि – पतत-पत्नी आये हैं
 अशुद्ि – ‘गोिान’ प्रेमचन्द्र की एक िेष्ठ उपन्यास है
शुद्ि – ‘गोिान’ प्रेमचन्द्र का एक िेष्ठ उपन्यास है
 अशद्
ु ि – हम हमारे िे श के महापरुु र्ों का अनस
ु रण करें
शुद्ि – हम अपने िे श के महापरुु र्ों का अनस
ु रण करें
 अशुद्ि – उसके बाि कफर राम का राज्यालभर्ेक हुआ
शुद्ि – उसके बाि राम का राज्यालभर्ेक हुआ
 अशद्
ु ि – एक फलों का माला चादहए
शुद्ि – फलों की एक माला चादहए
 अशुद्ि – पस्ु तक को जहाूँ से उठाओ, वहीीँ रि िो
शुद्ि – पस्ु तक जहाूँ से उठाओ, वहीीँ रि िो
 अशद्
ु ि – हम अपने पपता के सबसे बड़े लड़के हैं
शुद्ि – मैं अपने पपता का सबसे बड़ा लड़का हूँ
 अशुद्ि – मैं मेरी कलम से ललिता हूँ
शुद्ि – मैं अपनी कलम से ललिता हूँ
 अशद्
ु ि – यह भाग्यवान स्त्री है
शुद्ि – यह स्त्री भाग्यवान है
 अशुद्ि – अत्यश्रधक व्यस्तता स्वास्थ के ललये हातनप्रि है
शुद्ि – अत्यश्रधक व्यस्तता स्वास््य के ललये हातनकारक है
 अशद्
ु ि – केवल मात्र आपके िशशन पयाशप्त होंगे
शुद्ि – केवल आपके िशशन पयाशप्त होंगे
 अशुद्ि – मेरे मन के अंिर कोई बरु ी बात नहीं है
शुद्ि – मेरे मन में कोई बरु ी बात नहीं है
 अशद्
ु ि – मेरी पजनीय माूँ अब इस संसार में नही है
शुद्ि – मेरी पज्या माूँ अब इस संसार में नहीं हैं
 अशुद्ि – आपकी महान कृपा होगी
शुद्ि – आपकी महती कृपा होगी
 अशद्
ु ि – आूँिों से आूँस तनकाल पड़ा
शुद्ि – आूँिों से आूँस तनकल पड़े
 अशुद्ि – आपकी महान कृपा होगी
शुद्ि – आपकी महती कृपा होगी
 अशद्
ु ि – हवन सामग्री जल गया
शुद्ि – हवन सामग्री जल गयी
 अशुद्ि – उसे कह िो कक भाग जाय
शुद्ि – उससे कह िो कक भाग जाय
 अशद्
ु ि – वह पवलाप करके रोने लगी
शुद्ि – वह पवलाप करने लगी
 अशुद्ि – उसका प्राण तनकल गया
शुद्ि – उसके प्राण तनकल गये
 अशद्
ु ि – इस समय उसकी आयु चालीस वर्श की है
शुद्ि – इस समय उसकी अवस्था 40 वर्श है
 अशुद्ि – अश्रधकांश पवद्याथी शान्त रहे |
शुद्ि – अश्रधकतर पवद्याथी शान्त रहे |
 अशद्
ु ि – िोर्ी छात्रों ने अपने लसर नीचे को कर ललए |
शुद्ि – िोर्ी छात्रों ने अपना लसर नीचे कर ललया |
 अशुद्ि – िोर्ी छात्रों ने अपने लसर नीचे को कर ललए |
शुद्ि – िोर्ी छात्रों ने अपना लसर नीचे कर ललया |
 अशद्
ु ि – मैं अपनी बात को स्पष्टीकरण करना चाहता हूँ |
शुद्ि – मैं अपनी बात का स्पष्टीकरण िे ना चाहता हूँ |
 अशुद्ि – उनकी अपनी प्रिर बद्ु श्रध हर काम में प्रकट होती है |
शुद्ि – उनकी प्रिर बद्ु श्रध हर काम में प्रकट होती है |
 अशद्
ु ि – आप इस पत्र में हस्ताक्षर बना िीजजए |
शुद्ि – आप इस पत्र में हस्ताक्षर कर िीजजए |
 अशुद्ि – शेर को िे िकर उसका प्राण सि गया |
शुद्ि – शेर को िे िकर उसका प्राण सि गये |
 अशद्
ु ि – एक पानी का श्रगलास िीजजए |
शुद्ि – एक श्रगलास पानी िीजजए |
 अशुद्ि – मैं आपकी प्रततक्षा करता रहा |
शुद्ि – मैं आपकी प्रतीक्षा करता रहा |
 अशद्
ु ि – प्रत्येक प्राणी को स्वयं आत्मतनभशर होना चादहए |
शुद्ि – प्रत्येक प्राणी को आत्मतनभशर होना चादहए |
 अशुद्ि – मैं कपड़े नहीं दिया हूँ |
शुद्ि – मैंने कपड़े नहीं दिये हैं |
 अशद्
ु ि – वे िो नौ ग्यारह हो गया |
शुद्ि – वह नौ िो ग्यारह हो गया |
 अशुद्ि – आपका पत्र सधन्यवाि सदहत लमला |
शुद्ि – आपका पत्र लमला | धन्यवाि |
 अशद्
ु ि – इस समय आपकी आयु चालीस वर्श है |
शुद्ि – इस समय आपकी अवस्था चालीस वर्श है |
 अशुद्ि – िीकृष्ण के अनेकों नाम हैं |
शुद्ि – िीकृष्ण के अनेक नाम हैं |
 अशद्
ु ि – आपकी सौभाग्यवती कन्या का पववाह होने जा रहा है |
शुद्ि – आपकी आयष्ु मती कन्या का पववाह होने जा रहा है |
 अशुद्ि – मैं तुमको अनेकों बार कहा |
शुद्ि – मैंने तुमसे अनेक बार कहा |
 अशद्
ु ि – तम
ु मोहन को िे िे हो |
शुद्ि – तुमने मोहन को िे िा है |
 अशुद्ि – बच्चों से गुस्सा न करो |
शुद्ि – बच्चों पर क्रोध न करो |
 अशद्
ु ि – िस रूपया में क्या आता है ?
शुद्ि – िस रूपये में क्या लमलता है ?
 अशुद्ि – उसकी सौजन्यता से यह कायश हुआ है |
शुद्ि – उनके सौजन्य से यह कायश हुआ |
 अशद्
ु ि – तमाम िे शभर में ये बात फैल गयी |
शुद्ि – िे शभर में ये बात फैल गयी |
 अशुद्ि – मैं सप्रमाण सदहत कहता हूँ |
शुद्ि – मैं सप्रमाण कहता हूँ |
 अशद्
ु ि – भोजन बहुत सन्ु िर बना है |
शुद्ि – भोजन बहुत स्वादिष्ट (लजीज) बना है |
 अशुद्ि – मैं सौ रूपये का दटकट िरीिा |
शुद्ि – मैंने सौ रूपये का दटकट िरीिा |
 अशद्
ु ि – मझ
ु े नहीं मालम था कक यह आपकी पैत्रत्रक सम्पपत्त है |
शुद्ि – मझ
ु े नहीं मालम था कक यह आपकी पैतक
ृ सम्पपत्त है |
 अशुद्ि – उसने मोती का एक हार िरीिा |
शुद्ि – उसने मोततयों का एक हार िरीिा |
 अशद्
ु ि – हमें अपनी काम करना चादहए |
शुद्ि – हमें अपना काम करना चादहए |
 अशुद्ि – तनराशा छायी हुई है |
शुद्ि – तनराशा छायी है |
 अशद्
ु ि – अनेकों लोगों ने मझ
ु े पकड़ ललया |
शुद्ि – अनेक लोगों ने मझ
ु े पकड़ ललया |
 अशुद्ि – तततली के पास सन्ु िर पंि होते हैं |
शुद्ि – तततली के सन्ु िर पंि होते है |
 अशद्
ु ि – राकेश नया पोर्ाक पहनकर आया है |
शुद्ि – राकेश नई पोशाक पहनकर आया है |
 अशुद्ि – जब भी आप जाओ मझ
ु से लमलो |
शुद्ि – जब भी आप आइये मझ
ु से लमललए |
 अशद्
ु ि – गत रपववार को वह मंब
ु ई जाएगा |
शुद्ि – गत रपववार वह मंब
ु ई गया |
 अशुद्ि – उसने अपनी कमाई का अश्रधकांश भाग व्यथश गूँवा दिया |
शुद्ि – उसने अपनी कमाई का अश्रधकांश गूँवा दिया |
 अशद्
ु ि – व्यजक्त को अपने समय का अच्छा सिपु योग करना चादहए |
शुद्ि – व्यजक्त को अपने समय का सिपु योग करना चादहए |
 अशुद्ि – लमत्र कहाूँ थे ? इतने वर्ों के बीच दििाई नहीं दिए |
शुद्ि – लमत्र कहाूँ थे ? इतने वर्ों में दििाई नहीं दिए |
 अशद्
ु ि – मम्ु बई हमले का अपराधी मत्ृ यिु ण्ड के योग्य है |
शुद्ि – मम्ु बई हमले का अपराधी मत्ृ यिु ण्ड योग्य है |
 अशुद्ि – छात्रों ने मख्
ु य अततश्रथ को मान पत्र प्रिान ककया |
शुद्ि – छात्रों ने मख्
ु य अततश्रथ को मानपत्र अपपशत ककया |
 अशद्
ु ि – जीवन और पवज्ञान का घोर सम्बन्ध है |
शुद्ि – जीवन और पवज्ञान का घतनष्ठ सम्बन्ध है |
 अशुद्ि – वह एक अपराधी है |
शुद्ि – वह एक बड़ा अपराधी है |
 अशद्
ु ि – वह मझ
ु े िे िा तो चकरा गया |
शुद्ि – वह मझ
ु े िे िा तो चककत रह गया |
 अशुद्ि – एक लड़का, िो जवान और कई मदहलाएूँ आते हैं |
शुद्ि – एक लड़का, िो जवान और कई मदहलाएूँ आती है |
 अशद्
ु ि – मेरे पीछे तम्
ु हारा नम्बर है |
शुद्ि – मेरे बाि तम्ु हारा नम्बर है |
 अशुद्ि – ऐसी एकाध बातें और िे िने में आती हैं |
शुद्ि – ऐसी एकाध बात और िे िने में आती है |
 अशद्
ु ि – प्रत्येक आिलमयों को वहाूँ जाना चादहए |
शुद्ि – प्रत्येक आिमी को वहाूँ जाना चादहए |
 अशुद्ि – अगले वर्श हमने नौकरी शरू
ु की थी |
शुद्ि – पपछले वर्श हमने नौकरी शरू
ु की थी |
 अशद्
ु ि – यहाूँ प्रात:काल के समय का दृश्य बड़ा ही सहु ावना होता है |
शुद्ि – यहाूँ प्रात:काल का दृश्य बड़ा ही सहु ावना होता है |
 अशुद्ि – यह कपवता अनेकों भावों को प्रकट करती है |
शुद्ि – यह कपवता अनेक भावों को प्रकट करती है |
 अशद्
ु ि – आप अपने कथन का स्पष्टीकरण करने के ललए बाध्य है |
शुद्ि – आप अपने कथन का स्पष्टीकरण िे ने के ललए बाध्य है |
 अशुद्ि – इस कपवता में प्रयक्
ु त शब्ि केवल संकेत मात्र है |
शुद्ि – इस कपवता में प्रयक्
ु त शब्ि केवल संकेत हैं |
 अशद्
ु ि – मैंने बाजार से धागा, कंघी, िपशण और पस्ु तकें िरीिे |
शुद्ि – मैंने बाजार से धागा, कंघी, िपशण और पस्ु तकें िरीिीं |
 अशुद्ि – वे इंिौर के वजनिार पवद्वान है |
शुद्ि – वे इंिौर के प्रततजष्ठत पवद्वान है |
 अशद्
ु ि – आम और कलम शब्ि संज्ञा है |
शुद्ि – आम और कलम संज्ञा है |
 अशुद्ि – मझ
ु े आज मेरी बहन को इंिौर भेजना है |
शुद्ि – मझ
ु े आज अपनी बहन को इंिौर भेजना है |
 अशद्
ु ि – हम एक शपथ के नीचे इकठ्ठा हुए हैं |
शुद्ि – हम एक ध्वज के नीचे इकठ्ठे हुए है |
 अशुद्ि – उसे अनत्त
ु ीणश होने की आशा है |
शुद्ि – उसे अनत्त
ु ीणश होने की आशंका है |
 अशद्
ु ि – ये लोग परस्पर एक-िसरे से घण
ृ ा करते हैं |
शुद्ि – ये लोग एक-िसरे से घण
ृ ा करते है |
 अशुद्ि – राजेश्वर श्रचत्र िींच रहा है |
शुद्ि – राजेश्वर श्रचत्र बना रहा है |
 अशद्
ु ि – उसे बीना बजाना नहीं आता है |
शुद्ि – उसे वीणा बजाना नहीं आता |
 अशुद्ि – कमीज की अस्तीन फटी है |
शुद्ि – कमीज की आस्तीन फटी है |
 अशद्
ु ि – तनरपराधी को िण्ड नहीं िे ना चादहए |
शुद्ि – तनरपराध को िण्ड नहीं िे ना चादहए |
 अशुद्ि – वह पवलाप करके रोने लगी |
शुद्ि – वह पवलाप करने लगी |
 अशद्
ु ि – प्रेमचन्ि का िेष्ठतम उपन्यास ‘गोिान’ है |
शुद्ि – ‘गोिान’ प्रेमचन्ि का सवशिेष्ठ उपन्यास है |
 अशुद्ि – आप क्या अभी भोजन नहीं ककये हैं |
शुद्ि – क्या आपने अभी तक भोजन नहीं ककया है |
 अशद्
ु ि – मेरा अनग्र
ु ह है कक आप मेरे घर पर आने का आग्रह करें |
शुद्ि – मेरा आग्रह है कक आप मेरे घर आने का कष्ट करें |
 अशुद्ि – अपने को यहाूँ से जाने की कोई जल्िी नहीं है |
शुद्ि – मझ
ु े यहाूँ से जाने की कोई जल्िी नहीं है |
 अशद्
ु ि – तम
ु े मेरे तरफ इस तरह क्या िे ि रहे हो ?
शुद्ि – तुम मेरी तरफ इस तरह क्या िे ि रहे हो ?
 अशुद्ि – मैंने भगवद्गीता पिा है |
शुद्ि – मैंने भगवद्गीता पढी है |
 अशद्
ु ि – मैंने कल बम्बई जाना है |
शुद्ि – मझ
ु े काल बम्बई जाना है |
 अशुद्ि – तुम अपनी सपु वधानस
ु ार यह काम करना |
शुद्ि – तुम अपनी सपु वधानस
ु ार यह काम करो |
 अशद्
ु ि – उसको यहाूँ से गये केवल िस लमनट हुआ है |
शुद्ि – उसको यहाूँ से गये मात्र िस लमनट हुए हैं1 |
 अशुद्ि – पज्यनीय पपताजी को नमस्कार कहना |
शुद्ि – पज्य पपताजी को प्रणाम कहना |
 अशद्
ु ि – अब तम
ु आओगे तो मैं जाऊंगा |
शुद्ि – जब तुम आयोगे तब मै जाऊूँगा |
 अशुद्ि – मैंने करा |
शुद्ि – मैंने ककया |
 अशद्
ु ि – मैं आपको िद्धा करता हूँ |
शुद्ि – मैं आपका आिर करता हूँ |
 अशुद्ि – तुमने अपने स्वेच्छा से यह काम ककया है |
शुद्ि – तुमने स्वेच्छा से यह काम ककया है |
 अशद्
ु ि – मेरे को पस्ु तक चादहए |
शुद्ि – मझ
ु े पस्
ु तक चादहए |
 अशुद्ि – िो पड़डयां सेंक िो|
शुद्ि – िो पड़ड़याूँ बना िो |
 अशद्
ु ि – वह रूग्ण शय्या पर पड़ा हैं |
शुद्ि – वह रूग्ण अवस्था में पड़ा है |

You might also like