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तकनीकी आलेख प्रतियोगिता-घरेलू उपकरणोों में एलईडी का प्रयोग
तकनीकी आलेख प्रतियोगिता-घरेलू उपकरणोों में एलईडी का प्रयोग
आज के आधुभनक व भिभजटलीकरण के युग में , जहां िौभतक सुख सुभवधाएं बढ़ी हैं वहीं ऊजाा की मां ग िी कई गुना
अभधकाभधक बढ़ी है । आज िारत का प्रभत व्यक्ति भवद् युत उपिोग स्तर लगिग 1122 भकलोवाट-घंटे (यूभनट) के स्तर तक
पहुँ च गया है जो हमारे दे श की आजादी के समय मात्र 16.3 भकलोवाट-घंटे (यूभनट) हआ करता था। मां ग बढ़ने के साथ साथ
ऊजाा उत्पादन िी उसी अनु पात में बढ़ता जा रहा है । भजसके सीधे अनु पात में काबान का उत्सजा न बढ़ा है , भलहाजा अब हमें
वैभिक स्तर पर काबान उत्सजान कम करने अथाा त ऊजाा की खपत कम करने अचानक से भचंता हो चली है ।
ऊजाा की खपत कम करने की जब बात आती है तो सबसे पहले अपने घरों व कायाा लयों में खपत कम करने के बारे में
भवचार आते हैं और इस कड़ी में ध्यान आता है ऊजाा दक्ष उपकरणों का। एक ऊजाा दक्ष लाइभटं ग का स्रोत भजसके बारे में
हम यहाुँ भवचार करें गे वह है एलईिी अथाा त लाइट एभमभटं ग िायोि या प्रकाश
उत्सजा क िायोि। एपोक्सी लेंस
केस बॉन्ड
वायर
ररफलेक्क्िव
सेमी कंडक्िर
केवविी
एलईडी क्या है ? डाइ
एनववल
पोस्ि
प्रकाश उत्सजान िायोि (लाइट एभमभटं ग िायोि) एक अधा चालक-
फ्लैि पोस्ि
िायोि होता है , भजसमें भवद् युत धारा प्रवाभहत करने पर यह प्रकाश उत्सभजा त
करता है । यह प्रकाश इसकी बनावट के अनु सार भकसी िी रं ग का हो सकता
ऐनोड कैथोड
है ।
एलईडी का चित्र
बल्ब के आभवष्कार के बाद से हाल ही के वषों तक उद्दीप्त बल्बों का ही सवाा भधक उपयोग भकया जाता रहा है । यहाुँ तक
भक आज िी गाुँ व-दे हात में , जहाुँ अिी भवद् युत खपत हे तु ऊजाा मीटर नहीं हैं और खपत का िु गतान एकमु श्त रकम से
भकया जाता है , सस्ती कीमत होने के कारण उद्दीप्त बल्बों का ही सवाा भधक प्रयोग भकया जाता है । इन बल्बों में खपत की गई
ऊजाा के 90% िाग ऊष्मा के रूप में बेकार हो जाता है । ये प्रकाश का सबसे अक्षम (inefficient) स्रोत होते हैं ।
उद्दीप्त बल्बों के बाद फ़्लोरोसेंट ट्यूबलाइट का प्रयोग बहतायत में भकया जाता है , ये उद्दीप्त बल्बों की अपेक्षा अभधक दक्ष
हैं , परं तु इनकी कीमतें उद्दीप्त बल्बों से अभधक है ।
(सन्तोष कुमार) स्टाफ संख्या 6142303
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(कॉम्पै क्ट फ़्लोरोसेंट लैम्प) Compact Fluorescent Lamp:
एलईिी लाइट, प्रकाश का सबसे दक्ष स्रोत है । एलईिी लाइट की महत्ता को दे खते हए, नीली एलईिी लाइट के आभवष्कार
के भलए वषा 2014 में महान वैज्ञाभनकों शुजी नाकामू रा (जापानी-अमे ररकी), इसामु अकासाकी (जापानी) व भहरोशी अमानो
(जापानी) को संयुि रूप से िौभतक भवज्ञान में नोबेल पुरस्कार भदया गया है । वषा 2017 के बाद से एलईिी के दामों में िारी
कमी आई है । इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है भक भजस एलईिी की थोक कीमत वषा 2014 में रु. 310/-
की हआ करती थी उसकी कीमत वषा 2016 में घटकर रु. 38/- तक रह गई है , अथाा त आज की भतभथ में भवगत तीन वषों
के मु क़ाबले कीमतें मात्र 10 प्रभतशत रह गई हैं । सवाा भधक दक्ष स्रोत होने व कीमते कम होने के कारण इनका प्रचलन शहरी
व ग्रामीण क्षे त्रों में बहत तेजी से बढ़ रहा है ।
एलईिी का जीवनकाल उद्दीप्त बल्ब व सीएफ़एल के मु क़ाबले काफ़ी अभधक होता है । यह भवद् युत की गुणवत्ता
के आधार पर औसतन 30,000 से 50,000 घंटे तक हो सकता है ।
इनकी शु रुआती कीमत अन्य स्रोतो के मु क़ाबले थोड़ी अभधक अवश्य होती है परं तु जीवनकाल अभधक होने के
कारण, दीघाकाल में एलईिी का उपयोग अभधक सस्ता पड़ता है ।
इनके उपयोग से ऊजाा की िारी बचत (लगिग 80 प्रभतशत तक) होती है ।
दू सरे फ्लोरोसेंट लै म्प की तरह एलईिी में पारा (मकारी) नहीं होता है । इस कारण इनसे पयाा वरण में या मानव
संपका में भवषै ले तत्व आने की संिावना कम होती है ।
अन्य प्रकाश स्रोतों की अपेक्षा एलईिी बहत कम भवभकरण उत्पन्न करते हैं । भजससे घर तथा वातावरण का तापमान
कम रहता है ।
अन्य प्रकाश स्रोतो के मु क़ाबले अभधक ऊजाा दक्ष होने के कारण एलईिी उपयोग से पयाा वरण को न्यू नतम हाभन
होती है ।
प्रकाश स्रोत
क्षमता - (वाट) 60 15 8
िलते-िलते
एलईिी का आभवष्कार एवं भवकास सम्पू णा मानव जाभत के भलए एक महत्वपूणा उपलक्ति है । कहावत है भक वायु, जल तथा
पृथ्वी हमारे पूवाजों से भमली सम्पभत्त नहीं है अभपतु ये हमारे बच्ों तथा आगामी पीभढ़यों की धरोहरें हैं । पृथ्वी पर उपलि
महत्वपूणा संसाधनों में से एक, भवद् युत ऊजाा का संरक्षण करते हए अपने पाररक्तथथभतकी तंत्र को स्वच्छ एवं शु द्ध रखना हमारा
परम धमा है । अतः इन बातों का ध्यान रखते हए न भसफा हमे अपने घरों/कायाा लयों में ही एलईिी का अभधक से अभधक
प्रयोग करना चाभहए अभपतु जो लोग इन बातों से अनभिज्ञ हैं उन्हे िी एलईिी बल्ब के इस्तेमाल हे तु प्रेररत करना चाभहए।