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वर्षा ऋतु भषरत के चषर ऋतुओं में से मे री सबसे प्रिय ऋतु है

क्यंप्रक झुलसष दे ने वषली गमी के बषद ये रषहत कष एहसषस लेकर आती है

यह गमी के मौसम के बषद आती है , जय सषल की सबसे गमा ऋतु हयती है ।

भयंकर गमी, गमा हवषएँ (लू ), और तमषम तरह की चमडे की प्रदक्कतयं की वजह से मैं गमी के मौसम में कषफी परे शषन
हय जषतष हँ । हषलषँ प्रक, सभी परे शषप्रनयषँ वर्षा ऋतु के आने के सषथ ही दू र हय जषती है ।

वर्षा ऋतु जु लषई (सषवन) के महीने में आती है और तीन महीने तक रहती है ।

। भषरत में वर्षा ऋतु कष आगमन जु लषई महीने में हयतष है जब दप्रिण-पप्रिम मषनसून की हवषएँ बहनष शु रु हय जषती

वर्षा ऋतु आने पर धूप की तपन कम हय जषती है , लू नहीं चलती, हवष में तरषवट आ जषती है , धरती की प्यषस
बु झ जषती है , सूखे तषलषब और पयखरे जल से भर जषते हैं , मुरझषए पेड-पौधयं कय नयष जीवन प्रमल जषतष है और
हरे पेड-पौधे नहष-धयकर मस्ती में झूमने लगते हैं । है

बरसषत के मौसम में मलेररयष, डें गू , सदी-खषं सी, दस्त, उलटी, टषईफयइड, त्वचष
रयग,पीप्रलयष इत्यषदी अने क रयग फैलते है ।

प्रजस तरह हम बषररश से बचने के प्रलए छषते के इस्तेमषल करते है ठीक उसी तरह
बरसषत के मौसम मे फैलने वषली इन बीमषररययं से बचने के प्रलए हमें कुछ एहप्रतयषत रूपी
छषते कष इस्तेमषल करनष चषप्रहए।

पहली बषररश के सषथ ही दही, मट्ठे कष सेवन कम से कम एक मषह के प्रलये बंद कर दें .

ये इसप्रलए क्यंप्रक बरसषत प्रगरते हीसम िकषर के वषयरस, कीटषणु भी पनपने लगते हैं .
प्रजससे पशु ओं कष बरसषत के मौसम में, िकृप्रत की सब रचनषओं के सषथ सषथ हमषरष
पषचन भी कमज़यर हय जषतष है व पे ट में सं क्रमण कष खतरष बढ़ जषतष है .

इसप्रलए भयजन के बषद एक चम्मच समभषग अजवषईन, सययष (कषली कडवी सौंफ) व
सौंफ कष भु आ हुआ चूणा लेंहमेशष तषजे और स्वच्छ सब्जी / फल कष सेवन करे । ध्यषन रहे
की खषने से पहले फल / सब्जी कय अच्छे से स्वच्छ पषनी से धय कर सषफ कर ले। बषसी
भयजन,पहले से कटे हुए फल तथष दु प्रर्त भयजन कष सेवन न करे . हमेशष तषजष c vxगरम
खषनष खषए. इसप्रलए जरुरी है अप्रधक तलष, भु नष खषनष न खषयष जषए बल्की ऐसष भयजन
खषयष खषएं जय आसषनी से पच जषए.

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