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वास्तु दोष समाधान
वास्तु दोष समाधान
> पररवतार कक ममृत व्यनक्तियन कक नचित उत्तर कक न्दिववतार पर इस तरह सक लरतानक चितानहए नक उनकता ममुख न्दिनक्षिण नन्दिशता कक तरफ हह ।
> अनतनथ कक्षि मम कमृ ष्ण बताल लवलता तथता अपनक पकरणता सहत कता नचित कता लरतानता चितानहए । घर कता ममुनखयता अपनव सवट कक पवछक पहताड़ अथवता
उड़तक पक्षिव कता नचित लरता सकतता हह ।
> घर कक पपूवर नन्दिशता मम सतात घहड़ह पर सवतार सपूयर न्दिकव कता नचित लरतानता चितानहए ।
> घर कक ममुनखयता दतार कह हमकशता सजता ससँवतार कर रखम तथता चितारन और बकल सक सजताएसँ ततानक आकतार मम वमृनद नजर आए ।
> ईशतान कहण मम शशौचितालय हह तह नशकतारव कमु त्तक कता नचित लरतानता चितानहए ।
> अनग कहण मम यज करतक हहयक ऋनष नवपजन कक नचितताकमृनत लरतानता चितानहए ।
> अनग कहण मम शयन कक्षि हह तह पपूवर - मध्य न्दिववतार पर शताओत सममुद कता नचित लरतानता चितानहए ।
ईशतान नन्दिशता न्दिहष
> ईशतान कहण वतास्तमु पमुरुष कता मनस्तष्क हहतता हह अत: इस कहण कक न्दिहषन कता ननवतारण करनक सक घर कक वतास्तमु न्दिहषन कता अनधिकताओशत: ननवतारण हह
जतातता हह -
> ईशतान क्षिकत कक उत्तरव यता पपूवर्गी न्दिववतार कटव हह तह उस कटक हहयक भतार पर एक बड़ता शवशता लरतानता चितानहए, इससक भवन कता ईशतान क्षिकत
पतवकतात्मक रूप सक बढ़ जतातता हह ।
> ईशतान कहण यनन्दि कटता हह तह ईशतान कहण कक न्दिववतार पर बमृहस्पनतन्दिकव, अपनक रमुरु यता ब्रहताता जव कता नचित अवश्य लरतानता चितानहए ।
> सताधिमु पमुरुषह कह बकसन सक बनव बफकर यता लडड कता पसतान्दि बतासँटनता चितानहए ।
> चिवनव नमटव कक पतात मम जल मम फपू लह कक पखमुनड़यता डतालकर रखक ।
> ईशतान कहण कक नन्दिवतार पर भहजन कक तलताश मम उड़तक हहए पनक्षियन कता नचित लरतानता चितानहए, पररवतार कक आलसव सन्दिस्य कमरशवल जतायमरक ।
> ईशतान कहण मम नवनधि पपूवरक बहरस्पनत यओत कक स्थतापनता करनव चितानहए ।
पपूवर नन्दिशता न्दिहष
> यनन्दि पपूवर नन्दिशता कटव हह तह पपूवर कक नन्दिवतार पर एक बड़ता शवशता लरतानता चितानहए
> घर कक पपूवर नन्दिशता मम सतात घहड़ह पर सवतार सपूयर न्दिकव कता नचित लरतानता चितानहए ।
> सपूयर्योन्दिय कक समय रतायतव मओत सतात बतार उचतारण करकक सपूयर भरवतान कह जल अनपरत करनता चितानहए
> यनन्दि पपूवर नन्दिशता मम नखड़कक न हह तह पपूवर नन्दिशता मम एक न्दिवपक रहज जलतानता चितानहए
> पपूवर नन्दिशता मम लताल पवलक रओर कता पयहर करनता चितानहए इससक नन्दिशता न्दिहष समताप हहतता हह
> पपूवर नन्दिशता सपूयर यओत कक स्थतापनता करनव चितानहए ।
आगकय नन्दिशता न्दिहष
> इस नन्दिशता मम लताल रओर एक बल्ब यता एक न्दिवपक इस पकतार सक जलतायक कक वह लरभर एक पहर (तवन घओटक ) जलतता रहक ।
> रणकश जव कक मपूनतर तस्ववर स्थतानपत करक ।
> इस नन्दिशता मम मनवपताओट लरतायक । सपूरजममुखव फपू ल , पतालक , तमुलसव, रताजर तथता अन्दिरक , हरव नमचिर मकथव , हल्न्दिव, पमुन्दिवनता, करव पत्तता
आनन्दि उरताय ।
> इस नन्दिशता कता न्दिहष करनक नलए रकशमव पररधितान, वस ससौंन्दियर कक वस्तमुए घर कक नसयन कह न्दिककर पसन रखक ।
> इस नन्दिशता मम शमुक यओत लरतानता चितानहए।
>इस नन्दिशता मम मतारुनतन्दिकव कक तस्ववर लरतायक। हनमुमतानजव कक तस्ववर भव लरता सकतक हह।
> यनन्दि खमुलता स्थतान हह तह ऐसक वमृक्षि लरतायक नजसकक पत्तक महटक हह।
> वतायमु न्दिकव यता चिनद न्दिकव कक कक मओतह कता जताप करक।
> तताज़ता फपू लह कता रमलता लरतायक
> मतासँ कता आन्दिर करक तथता चिरण छपूकर आशववतारन्दि लक।
> सहमवतार कह नशवनलओर पर जल चिढ़तायक।
> चिनद यओत कक स्थतापनता करक।