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या वशषण और उसक भद 

प ठ सब धत मसल 
या वशषता बता नेा लेालेश द 

िजन श द स या क वशषता का पता चलता ह उ ह या वशषण कहतेह। ि◌स 


- ि◌ह ि◌ीर-ि◌ीर चलता ह। इस ि◌ा य म चलता या ह और ि◌ीर-ि◌ीर उसक वशषता। 
इसक चार कार ह : 

था नाचक 
▪ 

ि◌ो अ वकार श द कसी या क यापार- थान का बो करातेह, 


उ ह था नाचक या वशषण कहतेह। 
▪ 

ि◌स- यहा, ि◌हा, कहा, ि◌हा, सामन, नीच, ऊपर, आग, भीतर, बाहर 
आदद। 
उदाहरण- कननका यहााँचल रह ह। इस ि◌ा य म "यहा" चल या क यापार- थान 
का बो करा रह ह। 

का लाचक 
▪ 

ि◌ो अ वकार श द कसी या क होनेका समय बतलातेह, उ ह 


का लाचक या वशषण कहतेह। 
▪ 

ि◌स- परस , पहल, पीछ, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार। 


पररमा णाचक 
▪ 

ि◌ो अ वकार श द कसी या क पररमाण अ था ननजचचत स या 


का बो करातेह, उ ह पररमा णाचक या वशषण कहतेह। 
 
ि◌स- ▪ 
बहत, अ धक,अ धका धक पणतया, सथा, कछ, थोडा, काफ , 
कल, यथ ट, इतना, उतना, कतना, थोडा-थोडा, नतल-नतल, एक-एक 
करक, आदद। 
र न ताचक 
▪ 

ि◌ो श द कसी या क र नत का बो कराए, ि◌ह र न ताचक 


या वशषण कहलातेह। 

कारक 
कारक
पर भाषा – कसी ि◌ा य, म हारा या ि◌ा याश 
म स ा या सनाम का या क साथ स बन ्ि◌ कारक कहलाता ह। 
▪ 

कता – न 
▪ 

कम – को 
▪ 

करण – से( ि◌ारा) 


▪ 

स दान – क ललए 
▪ 

अपादान – स 
▪ 

स बन ्ि◌ – का, क , क 
▪ 

अ धकरण – म, पर 
▪ 
सि बोन – ह, अर 

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