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CBSE

Class 07 Hindi
NCERT Solutions
पाठ-20 िव लव गायन

1.1 'कण-कण म है या वही वर ..... कालकूट फिण क िचंतामिण'


'वही वर', 'वह विन' एवं 'वही तान'आिद वा यांश िकसके लए/िकस भाव के लए यु हए ह?
उ र:- उपयु पंि य का भाव जन जागरण तथा नव-िनमाण से है,अथात किव ांित के वर भारतभूिम के जन-जन म जा त
करना चाहता है तािक यापक तर पर प रवतन हो सके।

1.2 'कण-कण म है या वही वर ..... कालकूट फिण क िचंतामिण'


वही वर, वह विन एवं वही तान से संबं धत भाव का ' -गीत क ु तान है/िनकली मेर अं
े तरतर से' -पंि य से या कोई
संबध
ं बनता है?
उ र:- उपयु पंि य का संबध
ं किव क आवेशपूण,उ े जत मन: थित से है ,जो अपने श द से जनता म जा ित लाने का
यास कर रहा है पर तु इस यास म उसके कंठ से गीत बाहर नह आ पा रहा है जसके कारण वह और अ धक बेचन
ै हो उठा है।
यहाँ पर कहने का ता पय यह है िक किव क तान उसक अंतमन क गहराई से िनकली है जसे वह अ य लोग तक पहॅच
ं ाना चाहता
है।

2. नीचे दी गई पंि य का भाव प क जए -


'सावधान ! मेरी वीणा म ...... दोन ऐंठी ह।'
उ र:- उपयु पंि य का भाव यह है िक किव शोषक वग को सचेत करते हए कहता है िक अब उसके कंठ से कोमल वर के
बजाय ांित के वर मुख रत ह गे। ऐसे म यिद उसक उँ ग लयाँ या िमजराब टू ट भी जाएँ तो उसे उसक परवाह नह है। अथात् अब
किव क वीणा से कोमल वर क अपे ा ांित क आग उगलेगी, य िक जब बदलाव होता है तब पुरानी मा यताएॅं टू टती हैऔर नई
थािपत होती है,इस लए उनक परवाह नह करनी चािहए।

3. किवता के मूलभाव को यान म रखते हए बताइए िक इसका शीषक 'िव लव गायन' य रखा गया होगा?
उ र:- इस किवता म ांित लाने (िव लव) क बात मुखर हई है। किव ने अपने गीत के मा यम से ऐसी ही तान छे ड़ने क बात कर
रहा है जससे ांित आ जाए तािक जनमानस को नयी उमंग और सुख-शांित का एहसास हो।

• भाषा क बात
4. किवता म दो श द के म य (-) का योग िकया गया है, जैसे - ' जससे उथल-पुथल मच जाए' एवं 'कण-कण म है या वही
वर'। इन पंि य को पिढ़ए और अनुमान लगाइए िक किव ऐसा योग य करते ह?
उ र:- श द क पुन ि करके किवता म चम कार उ प करने के लए योजक िचहन (-) का योग िकया जाता है। ाय:किव उन

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श द पर िवशेष बल देने के लए एे सा योग करते ह।

5. किवता म (,-।) आिद जैसे िवराम िच का उपयोग कने, आगे-बढ़ने अथवा िकसी खास भाव को अिभ य करने के लए
िकया जाता है। किवता पढ़ने म इन िवराम िच का भावी योग करते हए का य पाठ क जए।
ग म आमतौर पर है श द का योग वा य के अंत म िकया जाता है, जैसे - देशराज जाता है। अब किवता क िन न पंि य को
दे खए -
'कण-कण म है या ......वही तान गाती रहती है,'
इन पंि य म है श द का योग अलग-अलग जगह पर िकया गया है।
किवता म अगर आपको ऐसे अ य योग िमल तो उ ह छाँटकर ल खए।
उ र:- 1. कंठ का है महानाश का
2. टू ट ह िमजराब
3. रोम-रोम गाता है वह विन

6. िन न पंि य को यान से दे खए -
'किव कुछ ऐसी तान सुनाओ......एक िहलोर उधर से आए,'
इन पंि य के अंत म आए, जाए जैसे तुक िमलानेवाले श द का योग िकया गया है। इसे तुकबंदी या अं यानु ास कहते ह।
किवता से तुकबंदी के अ य श द को छाँटकर ल खए।
उ र:- तुकबंदी वाले श द -
1. बैठी है - ऐंठी ह
2. इधर - उधर
3. - यु
4. फिण - मिण

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