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ह द

िं ी (ऐच्छिक) कोड सिंख्या – 002


कक्षा 11व िं – 12व िं (2018-19)
प्रस्तावना :
उच्चतर माध्यममक स्तर में प्रवेश लेने वाला ववद्यार्थी पहली बार सामान्य मशक्षा से ववशेष अनश
ु ासन
की मशक्षा की ओर उन्मख
ु होता है । दस वषों में ववद्यार्थी भाषा के कौशलों से पररचचत हो जाता है।
भाषा और साहहत्य के स्तर पर उसका दायरा अब घर, पास-पडोस, स्कूल, प्राांत और दे श से होता हुआ
धीरे -धीरे ववश्व तक फैल जाता है । वह इस उम्र में पहुुँच चक
ु ा है कक दे श की साांस्कृततक, सामाजजक,
राजनीततक और आचर्थिक समस्याओां पर ववचार-ववमशि कर सके, एक जजम्मेदार नागररक की तरह
अपनी जजम्मेदाररयों को समझ सके तर्था दे श और खुद को सही हदशा दे सकने में भाषा की ताकत
को पहचान सके। ऐसे दृढ़ भावषक और वैचाररक आधार के सार्थ जब ववद्यार्थी आता है तो उसे ववमशि
की भाषा के रूप में हहांदी की व्यापक समझ और प्रयोग में दक्ष बनाना सबसे पहला उद् दे श्य होगा।
ककशोरावस्र्था से यव
ु ावस्र्था के इस नाजुक मोड पर ककसी भी ववषय का चुनाव करते समय बच्चे और
उनके अमभभावक इस बात को लेकर सबसे अचधक चचांततत रहते हैं कक चयतनत ववषय उनके भावी
कैररयर और जीववका के अवसरों में मदद करे गा कक नहीां। इस उम्र के ववद्याचर्थियों में चचांतन और
तनर्िय करने की प्रवजृ त्त भी प्रबल होती है । इसी आधार पर वे अपने मानमसक, सामाजजक, बौद् चधक
और भावषक ववकास के प्रतत भी सचेत होते हैं और अपने भावी अध्ययन की हदशा तय करते हैं। इस
स्तर पर ऐजच्िक हहांदी का अध्ययन एक सज
ृ नात्मक, साहहजत्यक, साांस्कृततक और ववमभन्न प्रयजु ततयों
की भाषा के रूप में होगा। इस बात पर भी बल हदया जाएगा कक तनरां तर ववकमसत होती हहांदी के
अखखल भारतीय स्वरूप से बच्चे का ररश्ता बन सके।
इस स्तर पर ववद्याचर्थियों में भाषा के मलखखत प्रयोग के सार्थ-सार्थ उसके मौखखक प्रयोग की कुशलता
और दक्षता का ववकास भी जरूरी है । प्रयास यह भी होगा कक ववद्यार्थी अपने बबखरे हुए ववचारों और
भावों की सहज और मौमलक अमभव्यजतत की क्षमता हामसल कर सके।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से :
1. ववद्यार्थी अपनी रुचच और आवश्यकता के अनरू
ु प साहहत्य का गहन और ववशेष अध्ययन
जारी रख सकेंगे।
2. ववश्वववद्यालय स्तर पर तनधािररत हहांदी-साहहत्य से सांबचां धत पाठ्यक्रम के सार्थ सहज सांबध
ां
स्र्थावपत कर सकेंगे।
3. लेखन-कौशल के व्यावहाररक और सज
ृ नात्मक रूपों की अमभव्यजतत में सक्षम हो सकेंगे।
4. रोजगार के ककसी भी क्षेत्र में जाने पर भाषा का प्रयोग प्रभावी ढां ग से कर सकेंगे।
5 यह पाठ्यक्रम ववद्यार्थी को सांचार तर्था प्रकाशन जैसे ववमभन्न-क्षेत्रों में अपनी क्षमता व्यतत
करने का अवसर प्रदान कर सकता है ।

उद् दे श्य :
 सज
ृ नात्मक साहहत्य की सराहना, उसका आनांद उठाना और उसके प्रतत सज
ृ नात्मक और
आलोचनात्मक दृजटि का ववकास करना।
 साहहत्य की ववववध ववधाओां (कववता, कहानी, तनबांध आहद), महत्त्वपर्
ू ि कववयों और
रचनाकारों, प्रमख
ु धाराओां और शैमलयों का पररचय कराना।
 भाषा की सज
ृ नात्मक बारीककयों और व्यावहाररक प्रयोगों का बोध तर्था सांदभि और समय के
अनस
ु ार प्रभावशाली ढां ग से उसकी मौखखक और मलखखत अमभव्यजतत करना।
 ववमभन्न ज्ञानानश
ु ासनों के ववमशि की भाषा के रूप में हहांदी की ववमशटि प्रकृतत एवां क्षमता
का बोध कराना।
 साहहत्य की प्रभावशाली क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की ववववधताओां (धमि,
जातत, मलांग, वगि, भाषा आहद) एवां अांतरों के प्रतत सकारात्मक और सांवद
े नशील व्यवहार का
ववकास करना।
 दे श-ववदे श में प्रचमलत हहांदी के रूपों से पररचचत कराना।
 सांचार-माध्यमों (वप्रांि और इलेतरॉतनक) में प्रयत
ु त हहांदी की प्रकृतत से अवगत कराना और
नवीन ववचधयों के प्रयोग की क्षमता का ववकास करना।
 साहहत्य की व्यापक धारा के बीच रखकर ववमशटि रचनाओां का ववश्लेषर् और वववेचन
करने की क्षमता हामसल करना।
 ववपरीत पररजस्र्थततयों में भी भाषा का इस्तेमाल शाांतत के सार्थ करना।
 अमत
ू ि ववषयों पर प्रयत
ु त भाषा का ववकास और कल्पनाशीलता और मौमलक चचांतन के मलए
प्रयोग करना।

शिक्षण-यच्ु ततयााँ :
इन कक्षाओां में उचचत वातावरर्-तनमािर् में अध्यापकों की भमू मका सदै व सहायक की होनी चाहहए।
उनको भाषा और साहहत्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान दे ने की जरूरत होगी कक-
 कक्षा का वातावरर् सांवादात्मक हो ताकक अध्यापक, ववद्यार्थी और पस्
ु तक तीनों के बीच एक
ररश्ता बन सके।
 गलत से सही की ओर पहुुँचने का प्रयास हो। यानी बच्चों को स्वतांत्र रूप से बोलने, मलखने
और पढ़ने हदया जाए और कफर उनसे होने वाली भल ू ों की पहचान करा कर अध्यापक अपनी
पढ़ाने की शैली में पररवतिन करे ।
 ऐसे मशक्षर्-बबांदओ
ु ां की पहचान की जाए, जजससे कक्षा में ववद्यार्थी की सकक्रय भागीदारी रहे
और अध्यापक भी उनका सार्थी बना रहे ।
 मभन्न क्षमता वाले ववद्याचर्थियों के मलए उपयत
ु त मशक्षर्-सामग्री का इस्तेमाल ककया जाए तर्था
ककसी भी प्रकार से उन्हें अन्य ववद्याचर्थियों से कमतर या अलग न समझा जाए।
 कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की ववमभन्नताओां (मलांग, धमि, जातत, वगि आहद) के प्रतत
सकारात्मक और सांवेदनशील वातावरर् तनममित करना चाहहए।
 सज
ृ नात्मकता के अभ्यास के मलए ववद्यार्थी से साल में कम से कम दो रचनाएुँ मलखवाई
जाएुँ।
श्रवण तथा वाचन परीक्षा े तु हदिा ननदे ि
श्रवण (सन
ु ना) : वखर्ित या पहठत सामग्री को सन
ु कर अर्थिग्रहर् करना, वातािलाप करना, वाद-
वववाद, भाषर्, कववतापाठ आहद को सन
ु कर समझना, मल्
ू याांकन करना और अमभव्यजतत के ढां ग
को समझना।
वाचन (बोलना) : भाषर्, सस्वर कववता-पाठ, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायिक्रम-
प्रस्ततु त, कर्था-कहानी अर्थवा घिना सन
ु ाना, पररचय दे ना, भावानक
ु ू ल सांवाद-वाचन।

हिप्पण : वातािलाप की दक्षताओां का मल्


ू याांकन तनरां तरता के आधार पर परीक्षा के समय ही
होगा। तनधािररत 10 अांकों में से 5 श्रवर् (सन
ु ना) कौशल के मल्
ू याांकन के मलए और 5 वाचन
(बोलना) कौशल के मल्
ू याांकन के मलए होंगे।
श्रवण (सन
ु ना) कौिल का मल
ू यािंकन :
 परीक्षक ककसी प्रासांचगक ववषय पर एक अनच्
ु िे द का स्पटि वाचन करे गा। अनच्
ु िे द
तथ्यात्मक या सझ
ु ावात्मक हो सकता है । अनच्
ु िे द लगभग 250 शब्दों का होना चाहहए।
या
परीक्षक 2-3 ममनि का श्रव्य अांश (ऑडियो जतलप) सन
ु वाएगा। अांश रोचक होना चाहहए ।
कथ्य/घिना पर्
ू ि एवां स्पटि होनी चाहहए। वाचक का उच्चारर् शद्
ु ध, स्पटि एवां ववराम
चचह् नों के उचचत प्रयोग सहहत होना चाहहए।
 अध्यापक को सन ु ते-सन
ु ते परीक्षार्थी अलग कागज़ पर हदए हुए श्रवर् बोध के अभ्यासों को
हल कर सकेंगे।
 अभ्यास ररततस्र्थान-पतू ति, बहुववकल्पी अर्थवा सत्य/असत्य का चन
ु ाव आहद ववधाओां में हो
सकते हैं।
 अतत लघत्ू तरात्मक 5 प्रश्न पि
ू े जाएुँगे। (1x5 =5)

मौखिक अशिव्यच्तत (बोलना) का मल


ू यािंकन :
 चचत्रों के क्रम पर आधाररत वर्िन : इस भाग में अपेक्षा की जाएगी कक ववद्यार्थी
वववरर्ात्मक भाषा का प्रयोग करें ।
 ककसी चचत्र का वर्िन : चचत्र व्यजतत या स्र्थान के हो सकते हैं।
 ककसी तनधािररत ववषय पर बोलना : जजससे ववद्यार्थी अपने व्यजततगत अनभ
ु व का
प्रत्यास्मरर् कर सकें।
 कोई कहानी सन
ु ाना या ककसी घिना का वर्िन करना।
 पररचय दे ना। 2
अांक
(स्व/ पररवार/ वातावरर्/ वस्त/ु व्यजतत/ पयािवरर्/ कवव /लेखक आहद)
 कुल तीन प्रश्न पि
ू े जा सकते हैं। 1x3=3
हिप्पण :
1. परीक्षर् से पव
ू ि परीक्षार्थी को तैयारी के मलए कुि समय हदया जाए।
2. वववरर्ात्मक भाषा में वतिमान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है ।
3. तनधािररत ववषय परीक्षार्थी के अनभ
ु व-जगत के हों। जैसे - कोई चुिकुला या हास्य प्रसांगI
4. हाल में पढ़ी पस्
ु तक या दे खे हुए चलचचत्र (मसनेमा) की कहानी सनु ाना।
5. जब परीक्षार्थी बोलना आरां भ करे तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें ।

कौिलों के अिंतरण का मल
ू यािंकन
(इस बात का तनश्चय करना कक तया ववद्यार्थी में श्रवर् और वाचन की तनम्नमलखखत योग्यताएुँ हैं।)
श्रवण (सन
ु ना) वाचन (बोलना)
1 पररचचत सांदभों में प्रयत
ु त शब्दों और पदों को 1 केवल अलग-अलग शब्दों और पदों के प्रयोग
समझने की सामान्य योग्यता है ककां तु वह की योग्यता प्रदमशित करता है ककां तु एक
सस
ु ब
ां द् ध आशय को नहीां समझ पाता। सस
ु ब
ां द् ध स्तर पर नहीां बोल सकता।
2 िोिे सस
ु ब
ां द् ध कर्थनों को पररचचत सांदभों में 2 पररचचत सांदभों में केवल िोिे सस
ु ब
ां द् ध कर्थनों
समझने की योग्यता है । का सीममत शद्
ु धता से प्रयोग करता है ।
3 पररचचत या अपररचचत दोनों सांदभों में कचर्थत 3 अपेक्षाकृत दीघि भाषर् में अचधक जहिल
सच
ू ना को स्पटि समझने की योग्यता है । कर्थनों के प्रयोग की योग्यता प्रदमशित करता
है , अभी भी कुि अशद्
ु चधयाुँ करता है, जजससे
प्रेषर् में रुकावि आती है ।
4 दीघि कर्थनों की शख
ांृ ला को पयािप्त शद्
ु धता 4 अपररचचत जस्र्थततयों में ववचारों को ताककिक
से समझने के ढां ग और तनटकषि तनकाल ढां ग से सांगहठत कर धारा-प्रवाह रूप में प्रस्तत

सकने की योग्यता है । करता है । ऐसी गलततयाुँ करता है जजनसे
प्रेषर् में रुकावि नहीां आती।
5 जहिल कर्थनों के ववचार-बबांदओ
ु ां को समझने 5 उद् दे श्य और श्रोता के मलए उपयत
ु त शैली को
की योग्यता प्रदमशित करने की क्षमता है । वह अपना सकता है, ऐसा करते समय वह केवल
उद् दे श्य के अनक
ु ूल सन
ु ने की कुशलता मामल
ू ी गलततयाुँ करता है ।
प्रदमशित करता है ।

पररयोजना कायय - कुल अिंक 10


व्यजततगत रूप से हदया जाएगा - 5 अांक
1. ववषयवस्तु - 1 अांक
2. शब्द सीमा (1000 शब्द) - 1 अांक
3. भाषा शैली - 1 अांक
4. ववषय से सांबचां धत चचत्र तर्था आुँकडे - 1 अांक
5. प्रस्तत
ु ीकरर् - 1 अांक
 पररयोजना कायि के आधार पर मौखखकी – 5 अांक
कक्षा – बारहवीां में बाह् य परीक्षक द्वारा मौखखकी ली जाएगी।
 पररयोजना कायि हहांदी भाषा और साहहत्य से सांबद्
ां ध हो।
ह द
िं ी (ऐच्छिक) (कोड सिं. 002)
कक्षा – 11व िं (2018-19)
ििंड ववषय अिंक
(क) अपहित अिंि 16
1 अपहठत गद्याांश - - बोध (गद्याांश पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाांतरर्, 11
शीषिक आहद पर लघत्ू तरात्मक प्रश्न (2x4 लघत्ू तरात्मक प्रश्न+1x3
अततलघत्ू तरात्मक प्रश्न)
2 अपहठत काव्याांश पर आधाररत पाुँच लघत्ू तरात्मक प्रश्न) (1x5) 05
(ख) कायायलय ह द
िं ी और रचनात्मक लेिन 20
3 ककसी एक ववषय पर तनबांध (ववकल्प सहहत) 8
4 कायािलयी पत्र (ववकल्प सहहत) 5
5 जनसांचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार लघत्ू तरात्मक प्रश्न 4
(1x4)
6 व्यावहाररक लेखन (प्रततवेदन, कायिसच
ू ी, कायिवत्ृ त इत्याहद) पर एक प्रश्न (3x1) 3
(ग) पाठ्यपस्
ु तकें 44
(1) अिंतरा िाग - 1 32
(अ) काव्य िाग 16
7 एक काव्याांश की सप्रसांग व्याख्या (ववकल्प सहहत) 06
8 कववता के कथ्य पर तीन में से दो प्रश्न (2x2) 04
9 कववताओां के काव्य सौंदयि पर तीन में से दो प्रश्न (3x2) 06
(ब) गद्य िाग 16
10 एक गद्याांश की सप्रसांग व्याख्या (ववकल्प सहहत) 05
11 पाठों की ववषयवस्तु पर दो प्रश्न (3x2) (तीन में से दो प्रश्न) 06
12 ककसी एक लेखक/ कवव का साहहजत्यक पररचय 05
(2) अिंतराल िाग - 1 12
13 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न (ववकल्प सहहत) 4x1 04
14 ववषयवस्तु पर आधाररत दो तनबांधात्मक प्रश्न 08
4x2 (ववकल्प सहहत)
(घ) (क) श्रवर् तर्था वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कुल 100

नोि : तनम्नमलखखत पाठों से प्रश्न नहीां पि


ू े जाएांगIे
अांतरा (भाग - 1)  नए की जन्म कांु िली
प्रस्ताववत पस्
ु तकें :
1. अिंतरा, िाग - 1, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
2. अिंतराल, िाग - 1, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
3. ‘अशिव्यच्तत और माध्यम’, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशत (खांि - ख कामकाजी हहांदी
और रचनात्मक लेखन हे त)ु I

ह द
िं ी (ऐच्छिक) (कोड सिं. 002)
कक्षा – 12व िं (2018-19)
ििंड ववषय अिंक
(क) अपहित अिंि 16
1 अपहठत गद्याांश पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाांतरर्, शीषिक आहद पर लघत्ू तरात्मक 11
प्रश्न उपयत
ु त शीषिक (1x1) + लघु प्रश्न (2x 5)
2 अपहठत काव्याांश पर आधाररत पॉच लघत्ू तरात्मक प्रश्न (1x5) 05
(ख) कायायलय ह द
िं ी और रचनात्मक लेिन 20
3 ककसी एक ववषय पर तनबांध (ववकल्प सहहत) 08
4 कायािलयी पत्र (ववकल्प सहहत) 5x1 05
5 जनसांचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार अतत लघत्ू तरात्मक 04
प्रश्न (1x4)
6 रचनात्मक लेखन पर एक प्रश्न (3 x1) (ववकल्प सहहत) 03
(ग) पाठ्यपस्
ु तक 44
(1) अिंतरा िाग - 2 32
(अ) काव्य िाग 16
7 दो काव्याांशों में से ककसी एक काव्याांश की सप्रसांग व्याख्या 06
8 कववता के कथ्य पर दो प्रश्न (2x2) (तीन में से दो प्रश्न) 04
9 कववताओां के काव्य सौन्दयि पर दो प्रश्न (3x2) (तीन में से दो) 06
(ब) गद्य िाग 16
10 दो गद्याांशों में से ककसी एक गद्याांश की सप्रसांग व्याख्या ववकल्प सहहत 05
11 पाठों की ववषयवस्तु पर दो प्रश्न (तीन में से दो) (3x2) 06
12 एक लेखक/एक कवव का साहहजत्यक पररचय (5x1) 05
(2) अिंतराल िाग - 2 12
12 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न ववकल्प सहहत (4x1) 04
13 ववषयवस्तु पर आधाररत दो तनबांधात्मक प्रश्न (4x2) (तीन में से दो) 08
(घ) (क) श्रवर् एवां वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कुल 100
नोि : तनम्नमलखखत पाठों से प्रश्न नहीां पि
ू े जाएांगIे
अांतरा (भाग - 2)  अज्ञेय (यह दीप अकेला, मैंने दे खा एक बद
ांू )
 केशवदास (कववत्त /सवैया)

प्रस्ताववत पस्
ु तकें :
1. अिंतरा, िाग – 2, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
2. अिंतराल, िाग – 2, (ववववध ववधाओां का सांकलन), एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
3. ‘अशिव्यच्तत और माध्यम’, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशत (खांि - ख कामकाजी हहांदी और
रचनात्मक लेखन हे त)ु I
प्रश्नपत्र का प्रश्नानस
ु ार ववश्लेषण एविं प्रारूप
ह द
िं ी पाठ्यक्रम – 11व िं (ऐच्छिक) (2018-19)

ननर्ायररत समयावधर् : 3 घिंिे अधर्कतम अिंक : 100


क्र. प्रश्नों का प्रारूप दक्षता परीक्षण/ अधर्गम 1 2 3 4 5 6 8 कुल
सिं. पररणाम अिंक अिंक अिंक अिंक अिंक अिंक अिंक योग
1 अपहित बोर् अवधारर्ात्मक बोध, अर्थिग्रहर्, 8 4 - - - - - 16
(पिन कौिल) अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना,
शब्दज्ञान व भावषक प्रयोग,
सज
ृ नात्मकता, मौमलकताI
2 कायायलय ु ां का ववस्तार, अपने 4
िं ी सांकेत बबांदओ
ह द - 1 - 1 - 1 20
और रचनात्मक मत का अमभव्यजतत, सोदाहरर्
लेिन (लेिन समझना, औचचत्य तनधािरर्, भाषा
में प्रवाहमयता, सिीक शैली,
कौिल)
उचचत प्रारूप का प्रयोग,
अमभव्यजतत की मौमलकता,
सज
ृ नात्मकता एवां ताककिकताI
3 पाठ्य पस्
ु तकें प्रत्यास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध - 2 4 3 2 1 - 44
एवां व्याख्या, अर्थिग्रहर्
(भावग्रहर्) लेखक के मनोभावों
को समझना शब्दों का
प्रसांगानुकूल अर्थि समझना,
आलोचनात्मक चचांतन, ताककिकता,
सराहना, साहहजत्यक परां पराओां के
पररप्रेक्ष्य में मूल्याांकन, ववश्लेषर्,
सज
ृ नात्मकता, कल्पनाशीलता,
कायि-कारर् सांबांध स्र्थावपत करना,
साम्यता एवां अांतरों की पहचान,
अमभव्यजतत में मौमलकता एवां
जीवन मूल्यों की पहचान।
4 (क) श्रवर् तर्था वाचन - - - - - - - 10
(ख) पररयोजना - - - - - - - 10
कुल 1x12 2x6 3x5 4x3 5x3 6x1 8x1 100
= 12 = 12 = 15 = 12 = 15 = 6 = 8
प्रश्नपत्र का प्रश्नानस
ु ार ववश्लेषण एविं प्रारूप
ह द
िं ी पाठ्यक्रम – 12व िं (ऐच्छिक) (2018-19)

ननर्ायररत समयावधर् : 3 घिंिे अधर्कतम अिंक : 100


क्र. प्रश्नों का प्रारूप दक्षता परीक्षण/ अधर्गम 1 2 3 4 5 6 8 कुल
सिं. पररणाम अिंक अिंक अिंक अिंक अिंक अिंक अिंक योग
1 अपहित बोर् अवधारर्ात्मक बोध, अर्थिग्रहर्, 6 5 - - - - - 16
(पिन कौिल) अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना,
शब्दज्ञान व भावषक प्रयोग,
सज
ृ नात्मकता, मौमलकता I
2 कायायलय ु ां का ववस्तार, अपने 4
िं ी सांकेत बबांदओ
ह द - 1 - 1 - 1 20
और रचनात्मक मत का अमभव्यजतत, सोदाहरर्
लेिन (लेिन समझना, औचचत्य तनधािरर्, भाषा
में प्रवाहमयता, सिीक शैली,
कौिल)
उचचत प्रारूप का प्रयोग,
अमभव्यजतत की मौमलकता,
सज
ृ नात्मकता एवां ताककिकताI
3 पाठ्य पस्
ु तकें प्रत्यास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध - 2 4 3 2 1 - 44
एवां व्याख्या, अर्थिग्रहर्
(भावग्रहर्) लेखक के मनोभावों
को समझना शब्दों का
प्रसांगानुकूल अर्थि समझना,
आलोचनात्मक चचांतन, ताककिकता,
सराहना, साहहजत्यक परां पराओां के
पररप्रेक्ष्य में मूल्याांकन, ववश्लेषर्,
सज
ृ नात्मकता, कल्पनाशीलता,
कायि-कारर् सांबांध स्र्थावपत करना,
साम्यता एवां अांतरों की पहचान,
अमभव्यजतत में मौमलकता एवां
जीवन मूल्यों की पहचान।
4 (क) श्रवर् तर्था वाचन - - - - - - - 10
(ख) पररयोजना - - - - - - - 10
कुल 1x10 2x7 3x5 4x3 5x3 6x1 8x1 100
= 10 = 14 = 15 = 12 = 15 = 6 = 8

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