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उद् दे श्य :
सज
ृ नात्मक साहहत्य की सराहना, उसका आनांद उठाना और उसके प्रतत सज
ृ नात्मक और
आलोचनात्मक दृजटि का ववकास करना।
साहहत्य की ववववध ववधाओां (कववता, कहानी, तनबांध आहद), महत्त्वपर्
ू ि कववयों और
रचनाकारों, प्रमख
ु धाराओां और शैमलयों का पररचय कराना।
भाषा की सज
ृ नात्मक बारीककयों और व्यावहाररक प्रयोगों का बोध तर्था सांदभि और समय के
अनस
ु ार प्रभावशाली ढां ग से उसकी मौखखक और मलखखत अमभव्यजतत करना।
ववमभन्न ज्ञानानश
ु ासनों के ववमशि की भाषा के रूप में हहांदी की ववमशटि प्रकृतत एवां क्षमता
का बोध कराना।
साहहत्य की प्रभावशाली क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की ववववधताओां (धमि,
जातत, मलांग, वगि, भाषा आहद) एवां अांतरों के प्रतत सकारात्मक और सांवद
े नशील व्यवहार का
ववकास करना।
दे श-ववदे श में प्रचमलत हहांदी के रूपों से पररचचत कराना।
सांचार-माध्यमों (वप्रांि और इलेतरॉतनक) में प्रयत
ु त हहांदी की प्रकृतत से अवगत कराना और
नवीन ववचधयों के प्रयोग की क्षमता का ववकास करना।
साहहत्य की व्यापक धारा के बीच रखकर ववमशटि रचनाओां का ववश्लेषर् और वववेचन
करने की क्षमता हामसल करना।
ववपरीत पररजस्र्थततयों में भी भाषा का इस्तेमाल शाांतत के सार्थ करना।
अमत
ू ि ववषयों पर प्रयत
ु त भाषा का ववकास और कल्पनाशीलता और मौमलक चचांतन के मलए
प्रयोग करना।
शिक्षण-यच्ु ततयााँ :
इन कक्षाओां में उचचत वातावरर्-तनमािर् में अध्यापकों की भमू मका सदै व सहायक की होनी चाहहए।
उनको भाषा और साहहत्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान दे ने की जरूरत होगी कक-
कक्षा का वातावरर् सांवादात्मक हो ताकक अध्यापक, ववद्यार्थी और पस्
ु तक तीनों के बीच एक
ररश्ता बन सके।
गलत से सही की ओर पहुुँचने का प्रयास हो। यानी बच्चों को स्वतांत्र रूप से बोलने, मलखने
और पढ़ने हदया जाए और कफर उनसे होने वाली भल ू ों की पहचान करा कर अध्यापक अपनी
पढ़ाने की शैली में पररवतिन करे ।
ऐसे मशक्षर्-बबांदओ
ु ां की पहचान की जाए, जजससे कक्षा में ववद्यार्थी की सकक्रय भागीदारी रहे
और अध्यापक भी उनका सार्थी बना रहे ।
मभन्न क्षमता वाले ववद्याचर्थियों के मलए उपयत
ु त मशक्षर्-सामग्री का इस्तेमाल ककया जाए तर्था
ककसी भी प्रकार से उन्हें अन्य ववद्याचर्थियों से कमतर या अलग न समझा जाए।
कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की ववमभन्नताओां (मलांग, धमि, जातत, वगि आहद) के प्रतत
सकारात्मक और सांवेदनशील वातावरर् तनममित करना चाहहए।
सज
ृ नात्मकता के अभ्यास के मलए ववद्यार्थी से साल में कम से कम दो रचनाएुँ मलखवाई
जाएुँ।
श्रवण तथा वाचन परीक्षा े तु हदिा ननदे ि
श्रवण (सन
ु ना) : वखर्ित या पहठत सामग्री को सन
ु कर अर्थिग्रहर् करना, वातािलाप करना, वाद-
वववाद, भाषर्, कववतापाठ आहद को सन
ु कर समझना, मल्
ू याांकन करना और अमभव्यजतत के ढां ग
को समझना।
वाचन (बोलना) : भाषर्, सस्वर कववता-पाठ, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायिक्रम-
प्रस्ततु त, कर्था-कहानी अर्थवा घिना सन
ु ाना, पररचय दे ना, भावानक
ु ू ल सांवाद-वाचन।
कौिलों के अिंतरण का मल
ू यािंकन
(इस बात का तनश्चय करना कक तया ववद्यार्थी में श्रवर् और वाचन की तनम्नमलखखत योग्यताएुँ हैं।)
श्रवण (सन
ु ना) वाचन (बोलना)
1 पररचचत सांदभों में प्रयत
ु त शब्दों और पदों को 1 केवल अलग-अलग शब्दों और पदों के प्रयोग
समझने की सामान्य योग्यता है ककां तु वह की योग्यता प्रदमशित करता है ककां तु एक
सस
ु ब
ां द् ध आशय को नहीां समझ पाता। सस
ु ब
ां द् ध स्तर पर नहीां बोल सकता।
2 िोिे सस
ु ब
ां द् ध कर्थनों को पररचचत सांदभों में 2 पररचचत सांदभों में केवल िोिे सस
ु ब
ां द् ध कर्थनों
समझने की योग्यता है । का सीममत शद्
ु धता से प्रयोग करता है ।
3 पररचचत या अपररचचत दोनों सांदभों में कचर्थत 3 अपेक्षाकृत दीघि भाषर् में अचधक जहिल
सच
ू ना को स्पटि समझने की योग्यता है । कर्थनों के प्रयोग की योग्यता प्रदमशित करता
है , अभी भी कुि अशद्
ु चधयाुँ करता है, जजससे
प्रेषर् में रुकावि आती है ।
4 दीघि कर्थनों की शख
ांृ ला को पयािप्त शद्
ु धता 4 अपररचचत जस्र्थततयों में ववचारों को ताककिक
से समझने के ढां ग और तनटकषि तनकाल ढां ग से सांगहठत कर धारा-प्रवाह रूप में प्रस्तत
ु
सकने की योग्यता है । करता है । ऐसी गलततयाुँ करता है जजनसे
प्रेषर् में रुकावि नहीां आती।
5 जहिल कर्थनों के ववचार-बबांदओ
ु ां को समझने 5 उद् दे श्य और श्रोता के मलए उपयत
ु त शैली को
की योग्यता प्रदमशित करने की क्षमता है । वह अपना सकता है, ऐसा करते समय वह केवल
उद् दे श्य के अनक
ु ूल सन
ु ने की कुशलता मामल
ू ी गलततयाुँ करता है ।
प्रदमशित करता है ।
ह द
िं ी (ऐच्छिक) (कोड सिं. 002)
कक्षा – 12व िं (2018-19)
ििंड ववषय अिंक
(क) अपहित अिंि 16
1 अपहठत गद्याांश पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाांतरर्, शीषिक आहद पर लघत्ू तरात्मक 11
प्रश्न उपयत
ु त शीषिक (1x1) + लघु प्रश्न (2x 5)
2 अपहठत काव्याांश पर आधाररत पॉच लघत्ू तरात्मक प्रश्न (1x5) 05
(ख) कायायलय ह द
िं ी और रचनात्मक लेिन 20
3 ककसी एक ववषय पर तनबांध (ववकल्प सहहत) 08
4 कायािलयी पत्र (ववकल्प सहहत) 5x1 05
5 जनसांचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार अतत लघत्ू तरात्मक 04
प्रश्न (1x4)
6 रचनात्मक लेखन पर एक प्रश्न (3 x1) (ववकल्प सहहत) 03
(ग) पाठ्यपस्
ु तक 44
(1) अिंतरा िाग - 2 32
(अ) काव्य िाग 16
7 दो काव्याांशों में से ककसी एक काव्याांश की सप्रसांग व्याख्या 06
8 कववता के कथ्य पर दो प्रश्न (2x2) (तीन में से दो प्रश्न) 04
9 कववताओां के काव्य सौन्दयि पर दो प्रश्न (3x2) (तीन में से दो) 06
(ब) गद्य िाग 16
10 दो गद्याांशों में से ककसी एक गद्याांश की सप्रसांग व्याख्या ववकल्प सहहत 05
11 पाठों की ववषयवस्तु पर दो प्रश्न (तीन में से दो) (3x2) 06
12 एक लेखक/एक कवव का साहहजत्यक पररचय (5x1) 05
(2) अिंतराल िाग - 2 12
12 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न ववकल्प सहहत (4x1) 04
13 ववषयवस्तु पर आधाररत दो तनबांधात्मक प्रश्न (4x2) (तीन में से दो) 08
(घ) (क) श्रवर् एवां वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कुल 100
नोि : तनम्नमलखखत पाठों से प्रश्न नहीां पि
ू े जाएांगIे
अांतरा (भाग - 2) अज्ञेय (यह दीप अकेला, मैंने दे खा एक बद
ांू )
केशवदास (कववत्त /सवैया)
प्रस्ताववत पस्
ु तकें :
1. अिंतरा, िाग – 2, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
2. अिंतराल, िाग – 2, (ववववध ववधाओां का सांकलन), एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
3. ‘अशिव्यच्तत और माध्यम’, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशत (खांि - ख कामकाजी हहांदी और
रचनात्मक लेखन हे त)ु I
प्रश्नपत्र का प्रश्नानस
ु ार ववश्लेषण एविं प्रारूप
ह द
िं ी पाठ्यक्रम – 11व िं (ऐच्छिक) (2018-19)