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झूठे दावों का मायाजाल,15 साल प्रदे श बेहाल

आरोप नंबर 1
सरकार कृषि विकास दर, अलग कृषि बजट और किसानों को करोड़ो रुपए दे ने की बात कर, उनका
हितैषी बनने का नाटक कर रही है, उन्हें बहका रही है।
आरोप का आधार
अगर आप उनके हितैषी होते तो -
► सरकारी आकड़ों के अनुसार वर्ष 2004 से 2016 तक, हर रोज चार किसानों को आत्महत्या करने पर
मजबूर न होना पड़ता ।
► प्रदे श के किसान, यहाँ तक कि मुख्यमंत्री के गृह जिले के 24 गावों के किसान इच्छामृत्यु की माँग न कर
रहे होते ।
► प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और भावांतर योजना किसानों की बजाय बीमा कंपनियों, व्यापारियों और
दलालों को फायदा न पहुँचा रही होती।
► वर्ष 2013 के बाद प्रदे श में, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हैं के अनुसार, किसानों की आत्महत्या में 21 फीसदी
बढ़ोतरी न हुई होती ।
► मंदसौर में, क़र्ज़ माफी की माँग करते शांतिप्रिय किसान भाइयों पर निर्दयता से गोली न चलवाते और 6
किसानों की जान न जाती ?
► मंदसौर कांड के दोषियों पर कम से कम कड़ी कार्यवाही तो करते।
► किसानों को उनकी उपज का पूरा दाम, समय पर दिलाते।
► किसानों की आय दोगुना करने का वादा, और लागत मूल्य का डेढ गुना दे ने का वादा, दोनों ही वादे जुमला
साबित न होते।
► आंदोलित किसानों पर झूठे आपराधिक प्रकरण दर्ज न करते।
► किसानों को “बिजली चोर” बना उन पर हजारों झूठे मुकद्दमे में न दर्ज कराते।
► आज प्रदे श का किसान एक लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज तले न दबा होता। उसके कर्ज में लगातार
बढ़ोत्तरी न हो रही होती ।
► मुख्यमंत्री किसानों का ध्यान भटकाने के लिए “कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग” बनाने की
घोषणा मात्र, नहीं करते, बल्कि उसका पालन भी करते ।
► किसानों की विद्युत सब्सीडी विधानसभा से पारित होने के बाद, आपका मंत्री मंडल इसमें कटौती न
करता ।

(1)
► किसानों की फसल निर्यात करने के लिए “एपीडा” की तर्ज में प्रदे श में बोर्ड गठित करने की, मुख्यमंत्री,
तीन बार झूठी घोषणा न करते ।
► कृषि पंपों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में 4 हजार करोड़ का घोटाला न होता ।
► जब टीकमगढ़ में किसानों को कपड़े उतारकर थाने में पीटा गया, तब पुलिसवालों पर कार्यवाही होती।
► आप के पिछले 15 साल के कार्यकाल में करीब 1500 किसान आंदोलन न होते ?

आरोप नंबर 2
राज्य की भाजपा सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं है और उनके मंत्री अहंकार
में चूर हो किसानों को तुच्छ समझ उनका तिरस्कार करते हैं ।
इस आरोप के सत्यता उन्हीं की जुबानी सुन लीजिये -
► भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नन्द कुमार चौहान कहते हैं कि “किसान कि मौत की वजह कर्ज़
बताना फ़ैशन बन गया है“।
► तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री वेंकय्या नायडू ने भी कर्ज़ माफी को “फ़ैशन” बताया।
► भाजपा के गाडरवारा के विधायक गोविंद सिंह ने कहा कि “एक पान में बिक जाता है किसान”।
► कृषि मंत्री बोलते हैं कि “किसान आत्महत्या करे तो हम क्या कर सकते हैं”।
► माहिदपुर के विधायक बहादुर सिंह चौहान ने कहा कि “किसानों को जरूरत से ज़्यादा दे दिया है
इसलिए किसान अजिर्ण हो गए हैं, वे लालची हो गए हैं”।
► हुज़ूर विधानसभा के भाजपा विधायक ने कहा कि “प्रदे श में वही किसान मौत को गले लगा रहा है,
जिन्हें सब्सिडी नहीं मिलती, किसान लालची है’।
► भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चे के ज़िला मंत्री हकम सिंह अंजाना किसानों के लिए अपशब्द का
इस्तेमाल करते हुए बोलते हैं कि "किसान सबसे बेईमान, चोर जात है, उन्हें जूता मारो"।
► मुख्यमंत्री खुद को किसान पुत्र बताते हैं पर जब उनके ही मंत्री किसानों को सरेआम गलियाँ दे ते हैं, उन्हें
चोर कहते हैं, तब वो उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करते?

आरोप नंबर 3
किसानों का सगा बनने के लिए भावांतर योजना ला कर उन्हें ठगा गया हैं, असल में ये योजना, अन्य
योजनाओं की तरह ही दलालों और चहेते व्यापारियों को फायदा पहुँचाने के लिए बनाई गयी है ।
आरोप का आधार
हमारा ये आरोप भाजपा के मंत्री स्वयं स्वीकार कर रहे हैं।
► कृषि मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन ने कहा कि भावांतर योजना का फायदा उठा रहे हैं व्यापारी ।

(2)
► प्रदे श के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा भावांतर योजना जहाज पर बैठकर बनाई गई योजना है ।
► भावांतर में जब किसानों की उपज खरीदने का समय आता है तब प्लानिंग करके विक्रय होने वाली उपज
की कीमत जानबूझकर गिरा दी जाती है। जैसे ही बिक्री खत्म होती है तो उस उपज की कीमत बढ़ जाती
है। सोचिये ऐसा क्यों ?
► कृषि मंत्री बिसेन ने स्वयं यह माना कि भावांतर योजना से फसलों के दाम नीचे आ जाते हैं।
► सोयाबीन की एमएसपी 3050 रुपये थी लेकिन भावांतर में 1550 रुपये में बिकी। यहीं हाल उड़द के
साथ हुआ, सरकारी रेट था 5400 रुपये लेकिन व्यापारी ने 1735 रुपये क्विंटल में खरीदा। यहीं हाल मूंग
के साथ भी हुआ। प्याज और लहसुन भी इसका उदाहरण हैं ।
► भावांतर योजना घोटालों की योजना बन गई है। जगह-जगह बड़े पैमाने पर घोटाले हुये। मंडी बोर्ड के
प्रबंध संचालक फैज अहमद किदवई ने 19 फरवरी 2018 को पत्र भी लिखा ।
► प्रदे श की 15 मंडियों में मात्र 40 व्यापारियों की साँठ-गाँठ से बड़े पैमाने पर भावांतर राशि का घोटाला
किया गया।
► शुजालपुर मंडी में भावांतर योजना में 8 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ।
► घोटाले पर पर्दा डालने के लिए एक ऐसे व्यापारी के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया गया जो केन्या में था।

आरोप नंबर 4
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मे किसानों को फायदा पहुँचाने की आड़ में चुनिन्दा बीमा कंपनियों को
फायदा पहुँचाया गया ।
आरोप का आधार
► मध्य प्रदे श में किसानों ने 256.97 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में जमा करे लेकिन किसानों को मात्र
84.13 करोड़ रुपये दावे की राशि मिली।
► कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे दे श में 22 हजार 180 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में लिए गए
जबकि उन्हें मात्र 12 हजार 949 रुपये की क्लेम की राशि मिली। बाकि पैसा बीमा कंपनियों को मिला ।
► कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदे श में 2017 की रबी सीज़न में 26 लाख 72 हजार 373
किसानों ने फसल बीमा कराए थे। इनमें से 25 लाख 71 हजार 68 किसानों को क्लेम नहीं मिला।

(3)
आरोप नंबर 5
भाजपा सरकार हमारी माताओं और बहनों को सुरक्षा दे ने में पूर्णत: विफल रही है और ये सरकार
महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर भी नहीं है।
आरोप का आधार
► एनसीआरबी, केंद्र सरकार, की रिपोर्ट में मध्यप्रदे श, बलात्कार के मामले में पूरे दे श में अव्वल है। बहन,
बेटियों और भांजियों को सुरक्षा एवं सम्मान ना दिला सकने वाले असक्षम भाजपा सरकार पर लानत है।
► एनसीआरबी, केंद्र सरकार, की रिपोर्ट अनुसार 2016 में, मध्य प्रदे श में, हर दिन 13 बहनों के साथ
बलात्कार हुए हैं ये किसी भी सभ्य समाज और सरकार के लिए निहायत शर्म की बात है ।
► सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 12 साल में 46,317 बलात्कार हुए हैं । यानि के शिवराज सिंह के
भाजपा सरकार के पिछले 12 सालों में हर रोज़ औसतन 11 बहन बेटियों का बलात्कार हुआ है अर्थात
हर दो घंटों में, एक बहन बेटी की इज्जत लूटी जाती रही ।
► भाजपा के सत्ता में आने के बाद महिला अपराध में 249 % की वृद्धि हुई ।
► शिवराज सिंह की भाजपा राज में 25,566 महिलाएं अपहरण का शिकार हुईं। यानि पिछले 12 सालों में
हर रोज़ 5 बहन बेटियों का अपहरण होता रहा है ।
► इतना ही नहीं, मामा राज में 17,986 नाबालिग बच्चियां भी बलात्कार की शिकार हुई हैं।
► भाजपा राज में 93,479 महिलाएं छेड़छाड़ की शिकार हुई हैं।
► कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न होता है, उसमें मध्यप्रदे श चौथे स्थान पर है।
► एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट में मध्यप्रदे श बच्चों के लिए तीसरा सबसे असुरक्षित राज्य है। प्रदे श
के 9 जिलों से लगभग साढ़े सात हजार लड़कियां गायब हुई हैं।
► बच्चों के गुमशुदगी और अपहरण के मामले में मध्यप्रदे श चौथे नंबर पर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की हाल
ही में आई रिपोर्ट में यह बताया है कि दे श में सबसे ज्यादा बच्चे मध्यप्रदे श में गायब होते हैं।
► बुंदेलखंड और आदिवासी जिले महिला तस्करी के अड्डे बने हुए हैं।

आरोप नंबर 6
बलात्कारियों, असामाजिक तत्वों और गुंडों को भाजपा सरकार का संरक्षण प्राप्त है इसलिए वे बेख़ौफ़
अपराध को अंजाम दे ते है । गुंडों की भाजपा के नेताओं से साँठ-गाँठ है और पुलिस पर भाजपा सरकार
का दबाव।
आरोप का आधार
► राज्य अपराध अनुसंधान की रिपोर्ट भी यह कहती है कि प्रदे श में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित
शहर भोपाल है, जो प्रदे श की राजधानी है और जहां मामा मुख्यमंत्री रहते हैं। वर्ष 2004 से अब तक
घटनाये करीब 10 गुना बढ़ी है । क्या भाजपा सरकार अपनी पुस्तक 2003-2017, ‘‘दावे नहीं प्रमाण’’
में उपरोक्त आकड़ें दर्ज करेगी?
(4)
► केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, भाजपा की सरकार में बच्चियों और महिलाओं के अपहरण की घटनाओं
में 755% वृद्धि हुई ।
► एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट में अपराधियों को सजा दिलाने में मध्यप्रदे श पीछे है।
► 2004 में महिलाओं से सम्बंधित अपराध के लंबित मामलों की संख्या 6733 थी जो 2016 में बढ़ कर
85383 हो गयी, यानि करीब 1170% की वृद्धि हुई है ।
► असामाजिक तत्वों को कानून और पुलिस का डर ही नहीं है, अपराधी बेख़ौफ़ हैं ।
आरोप नंबर 7
सरकार की महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच है वो महिलाओं को बराबरी की नज़र से नहीं दे खती उन्हें
हीन समझती है। महिलाओं के नाम पर चलाये जाने वाली तमाम योजनायें इस रूढ़िवादी सोच पर पर्दा
डालने का प्रयास है।
आरोप के आधार
► प्रदे श में लिंग अनुपात में गिरावट आ रही है । सन 2001 में प्रति एक हज़ार लड़कों में लड़कियों की
संख्या 932 थी पर भाजपा के शासनकाल में ये सन 2011 में घटकर 918 हो गयी । इन आंकड़ों से ये
साबित होता है कि मध्य प्रदे श में बच्चियों को कोख में ही मार दे ने का अपराध धड़ल्ले से चल रहा है जो
कि सरकार की शह के बिना संभव ही नहीं है ।
► इस सोच के परिणाम स्वरुप आज भी प्रदे श में करीब 40% महिलाएं अशिक्षित हैं।

आरोप नंबर 8
प्रदे श में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई है। हजारों-करोड़ों खर्च करने के बाद भी न डॉक्टर
उपलब्ध है और न जनता को बेहतर इलाज मिल रहा है।
आरोप का आधार
► भाजपा की इस सरकार में बदनसीबी का आलम ये है कि जीते जी जनता को एम्बूलेंस नहीं मिलती और
मरने पर उनके लिए शव वाहन भी नसीब नहीं होता। आपने आत्मा के भटकने का जिक्र सुना होगा पर
अगर आप शिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदे श में है तो यहाँ आप शवों को भी भटकता पाएंगे, कभी
साइकिलों पर, तो कभी ठे लों पर, तो फिर कभी मोटरसाइकल पर, तो कभी कपड़े की पोटलियों में ।
► नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदे श में स्वास्थ्य की स्थिति झारखंड और छत्तीसगढ़ से भी
बदतर है।
► सेम्पल रजिस्ट्रे शन सर्वे ने जनवरी 2018 में अपनी रिपोर्ट में बताया कि मध्यप्रदे श के अस्पतालों में 36.4
प्रतिशत मरीज इलाज के अभाव में मर जाते हैं, इनमें से 33.7 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में, और 46.1
प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में।
► राज्य सरकार ने ही विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बताया कि मध्यप्रदे श में वर्ष 2015, 2016 और

(5)
2017 में, इन तीन सालों में, 63107 नवजात बच्चों की मौत हुई है। यानि इन तीन सालों में, हर रोज़,
57 परिवारों ने, शिवराज सिंह की भाजपा सरकार की लाचार स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण, अपने घर के
चिराग खोये है ।
► मध्य प्रदे श की खस्ता स्वास्थ्य व्यवस्था की एक झलक भिण्ड जिले के गोरमी तहसील से संचालित
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्पष्ट नज़र आती है । 42 गावों और 46 मंझलों टोलों की लगभग 2 लाख
आबादी के बीच स्थापित इस स्वास्थ्य केन्द्र में मात्र एक ही डॉक्टर है। पांच चिकित्सकों के पद स्वीकृत है
और चार पद खाली पड़े है। अस्पताल में एक भी नर्स कम्पांउडर नहीं है। प्रतिदिन 200 से 350 मरीज
इलाज के लिए आते है। लगभग 5 से 7 डिलीवरी प्रतिदिन होती है लेकिन एक भी महिला डॉक्टर नहीं
है।
► स्वाइनफ्लू, चिकनगुनिया, मलेरिया का आज भी बेहतर इलाज मध्यप्रदे श के अस्पतालों में नहीं है।
इंट्रीगेटेड डिसिज सर्विलांस प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदे श में स्वाइनफ्लू से सर्वाधिक मौते हुई
हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वाइनफ्लू के मरीज दे श में सबसे कम मध्यप्रदे श में थे लेकिन सबसे ज्यादा
मौते मध्यप्रदे श में हुई है।
► इंसानियत और सभ्यता की तमाम हदों को पार कर शिवराज सिंह की भाजपा सरकार ने मध्य प्रदे श
की जनता को शर्म के वो मंज़र दिखाए है, जहाँ प्रसव पीड़ा से कराह रही बहनों को गेट पर, कमोड पर,
अस्पताल के गलियारों में ही बच्चे को जन्म दे ने पर मजबूर होना पड़ा है ।
► एमवाय हास्पिटल इंदौर में ऑक्सीजन न होने के कारण 17 मरीजों की मौत हुई ।

आरोप नंबर 9
स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर हजारों करोड़ फूंक दिए गए और प्रदे श की जनता को कुछ नहीं मिला ।
आरोप के आधार
हमारे आरोपों की सत्यता पर मुहर, केंद्र की भाजपा सरकार के आंकड़े स्वयं लगते है ।
► नीति आयोग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मध्यप्रदे श में बाल मृत्युदर दे श में सबसे ज्यादा
है।
► प्रति हजार 62 बच्चे मध्य प्रदे श में जन्म लेने के बाद 5 वर्ष की आयु के पहले ही दम तोड़ दे ते हैं।
► नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मध्यप्रदे श को स्वास्थ्य के मामले में बीमारू राज्य बताया है।
► नीति आयोग यह भी कहता है प्रदे श में नवजात मृत्युदर, उड़ीसा के बाद पूरे दे श में मध्यप्रदे श में सर्वाधिक
है अर्थात दूसरे नंबर पर मध्यप्रदे श है।
► पूर्ण टीकाकरण कवरेज में भी मध्यप्रदे श सबसे निचले स्तर पर है।
► सेम्पल रजिस्ट्रे शन सर्वे, नीति आयोग और नेशनल फेमिली हैल्थ सर्वे-4 के अनुसार मध्यप्रदे श में 61
हजार बच्चे 28 दिन भी नहीं जी पाते।

(6)
आरोप नंबर 10
हज़ारों करोड़ रुपये के कुप्रबंधन का नतीजा है कि प्रदे श की स्वास्थ्य सेवाए ICU में हैं, ये जनता के पैसे
की सरासर बर्बादी है । आप ने अपने कुप्रबंधन से सरकारी स्वास्थ्य तंत्र को पंगु बना दिया है ।
आरोप का आधार
► ज्यादातर अस्पतालों में क्षमता से तीन तीन गुना ज्यादा मरीज एक ही समय में भर्ती होने लगे हैं फिर भी
सरकार ने क्षमता बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
► प्रदे श के 1172 प्रायमरी हेल्थ सेंटर मे से 503 बगैर डॉक्टर के चल रहे हैं। यह रिपोर्ट कैग की है जो
वर्ष 2016 में जारी हुई है, रिपोर्ट में मुताबिक डॉक्टर और स्टाफ की कमी के कारण 3 लाख 32 हजार
गर्भवती महिलाओं को टीके नहीं लगे।
► मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं और बेहतर ईलाज दे ना तो दूर बल्कि ड्रग ट्रायल के नाम पर उनके जान के
साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है और सरकार आंख बंद करके बैठी है। ड्रग ट्रायल से इंदौर में
33 मरीजों की मौत हो चुकी है। इंडियन मेडिकल काउसिंल ने इंदौर के 8 नामी डॉक्टरों पर तीन माह की
पाबंदी भी लगाई। ऐसे आपराधिक, अनैतिक और मरीजों की मौत होने वाले मामलें में भाजपा सरकार
ने लापरवाही कर डॉक्टरों को बचाने का ही काम किया है।
► बड़वानी आंखफोड़ कांड मध्यप्रदे श के इतिहास में एक ऐसा वाक़या हैं जिससे आने वाली पीढ़ियों की
आँखें शर्म से झुक जायेंगी। ये वो बदनुमा दाग है, एक ऐसा कलंक हैं जो शिवराज सिंह चौहान की भाजपा
ने मध्य प्रदे श की जनता पर थोपा है जो शायद ही तमाम तीर्थों की असंख्य परिक्रमाओं से धुल सकेंगें ।
यहाँ एक सरकारी अस्पताल में 86 मरीजों के आंख का ऑपरेशन हुआ जिसमें से 60 से अधिक मरीजों
की आंख फूट गई, ऐसे ही कांड प्रदे श के अन्य ज़िले विदिशा, सतना में भी हुए हैं। इन कांडों में तीन
मरीजों की मृत्यु भी हो गई है, पर शासन अपने अहंकार में चूर मस्त रही और इन लोगों के जीवन में अंधेरा
लाने वाले और उनकी रोशनी छीनने वालों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई।
► सरकार ने 108 एंबुलेंस का ठे का जिस कंपनी को दिया है और वह कंपनी राजस्थान, केरल, उड़ीसा,
झारखंड में ब्लैक लिस्टेड है। इस कंपनी पर घोटाले को लेकर राजस्थान में सीबीआई जांच भी चल रही
है। इस कंपनी को पूरे प्रदे श का ठे का दे दिया गया और यह सिर्फ और सिर्फ घोटाला कर रही है। मरीजों
को सुविधाएं नहीं दे रही है।
► प्रदे श में लिंगानुपात लगातार घट रहा है। प्रति हजार लड़कों के अनुपात में बेटियों की संख्या 10 के दर
से घट रही हैं।
► सरकारी अस्पतालों में अमानवीयता का एक उदाहरण है की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के गृह ज़िले रायसेन में
इंसान मरीजों को जानवरों के इंजेक्शन लगा दिये गए।
► कोई चाहे कितना भी झूठ बोले पर झूठ की एक सीमा होती है ये उस दिन सिद्ध हो गया जब मोदी जी की
केंद्र सरकार को मजबूर हो कर 31 जुलाई 2018 को राज्यसभा में मध्यप्रदे श की लाचार स्वास्थ्य सेवाओं
की असलियत उजागर करनी पड़ी । मोदी सरकार ने बताया कि-

(7)
● सुरक्षित प्रसव के लिए स्त्री एवं बाल रोग सर्जन विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1236 पदों में से 1056 पद
खाली पड़े हैं। यही कारण है कि हमारी बहनों को प्रसव के दौरान अपने नवजात से या स्वयं के प्राणों
की आहुति दे नी पड़ती है ।
● मोदी सरकार ने ये भी बताया कि नर्सिंग स्टाफ के 1413, रेडियोग्राफर के 136, फार्मासिस्ट के 218,
प्रयोगशाला तकनीशियन के 430 और प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र पर महिला स्वास्थ्य कर्मी के 2016
पद खाली हैं।
● प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 2174 स्वास्थ्य कर्मियों के पद खाली हैं उपकेंद्रों में 5458 पुरुष स्वास्थ्य
कर्मी के और स्वास्थ्य सहायक के 628 पद खाली हैं।
● प्रदे श के मेडिकल कॉलेजों में 22 से ज्यादा विभागों में प्रोफेसर नहीं हैं ।

आरोप क्रमांक 11
नवजात शिशुओं का निवाला, बच्चों का खाना और गर्भवती महिलायों का पोषण आहार खा गयी भाजपा
सरकार ।
आरोप का आधार
► पिछले 15 सालों में, भाजपा सरकार की अकर्मणता और भ्रष्टाचार ने प्रदे श के लाखों नौनिहालों को लील
लिया। प्रदे श में कुपोषण एनाकोंडा बनकर बच्चों की जान ले रहा है।
► भारत के निंयत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदे श में लगभग 8 लाख गर्भवती
महिलाएं कुपोषित पाई गईं।
► सरकार ने ही विधान सभा में यह जानकारी दी कि प्रदे श में कुपोषण से रोज मरने वाले बच्चों की संख्या
92 है। यह आंकड़ा 2016 में प्रतिदिन 74 बच्चों का था।
► रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया के सेंपल रजिस्ट्रे शन सर्वे की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि मध्यप्रदे श
में सबसे ज्यादा “शिशु मृत्युदर” है।
► रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदे श में जन्म के 7 दिन और 28 दिन में मरने वाले बच्चों की तादाद दे श में
सर्वाधिक है।
► पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में मध्यप्रदे श शर्मनाक दूसरे स्थान पर है।

आरोप क्रमांक 12
सरकार के मंत्रियों का निवेश के नाम पर विदे शी दौरे मात्र सैर सपाटे और मौज मस्ती बन कर रह गए तथा
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को सिर्फ विज्ञापन के रूप में, प्रदे श की जनता को बहकाने के लिए किया गया ।
आरोप का आधार
► आईटी पार्क में जरूरी सुविधाएं न होने के कारण 20 आइटी कंपनियों ने इंडस्ट्री लगाने से इंकार कर
दिया।
(8)
► सरकार ने उद्योगों के लिए 3037 औद्योगिक भूखंड विकसित किए जिनमें से 1100 से अधिक खाली
पड़े हैं।
► मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने अधिकारियों सहित निवेश लाने के नाम पर विदे शों में 93 दिनों
तक घूमे लेकिन उनकी इस यात्रा के बाद कितना निवेश आया आज भी यह आंकड़ें अंधेरे में ही हैं।
► जिन दे शों की यात्राएं कीं उन दे शों के निवेशकों ने निवेश करने में कोई रुचि नहीं दिखाई।
► सरकार की गलत नीतियों से प्रदे श में निवेश का माहौल खत्म सा हो गया है।
► एसोचेन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदे श में 30 प्रतिशत बड़े उद्योग बंद हो गए।
► निवेश करने वाली कंपनियों को उद्योग लगाने में पसीना आ जाता है। 22 विभागों के चक्कर लगाने के
बाद भी उन्हें एनओसी समय पर नहीं मिलती है, जबकि मुख्यमंत्री सिंगल विंडो सिस्टम का दावा करते
हैं।

आरोप क्रमांक 13
भाजपा सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए, अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए युवाओं के भविष्य के साथ
खिलवाड़ किया है । उन्हें वेंचर फाइनेंस के नाम पर ठगा है, सरकारी नौकरियों के नाम पर उनके साथ
छल किया तथा स्वरोजगार के नाम पर उन्हें झांसा दिया ।
आरोप का आधार
► पिछले 5 साल मे वेंचर फाइनेंस लिमिटे ड द्वारा युवा उद्यमियों को लाभ नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने 100
करोड़ का वेंचर केपिटल फंड बनाने की घोषणा की थी। इस फंड के लिए सरकार को 20 करोड़ दे ना था
लेकिन सिर्फ झांसा दे ने के लिए ऑफिस सेटअप हेतु 5 करोड़ दिए।
► सीएम ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, युवा इंजीनियर कांट्रेक्टस योजना बनाई, लेकिन बैंकों ने ऋण दे ने
से मना कर दिया, जिसके कारण युवाओं के सपने टू ट गए।
► सम्बंधित संस्था के एमडी और सीईओ ने सिर्फ इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि शिवराज सरकार ने उसे
कोई सहयोग नही किया।
► मध्यप्रदे श में निरंतर बेरोजगारी बढ़ रही है। 2015 में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 15.60 लाख थी,
जो दिसंबर 2017 में बढ़कर 23 लाख हो गई। सरकार मात्र 900 से कम बेरोजगारों को ही रोजगार दे
पाई।
► मध्यप्रदे श में सरकार के ही आंकड़ें बताते हैं कि दो सालों में राज्य में 53% बेरोजगार बढ़े हैं। ये मध्यप्रदे श
आर्थिक सर्वेक्षण की जानकारी है।
► राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो के अनुसार प्रदे श में हर दिन दो युवा बेरोजगारी के कारण आत्महत्या कर
रहे हैं और आत्महत्या करने के मामले में मध्यप्रदे श दे श में पहले नंबर पर है।
► बेरोजगारी के कारण आत्महत्या की घटनाओं में 20 गुना वृद्धि हुई है।

(9)
► पटवारी, चपरासी, पुलिस में भर्ती के लिए 10-10 लाख से अधिक युवाओं के आवेदन आ रहे हैं जो कि
हाईली क्वालीफाईड है।
► बेरोजगारी की हालात यह हैं कि पिछले वर्ष नवंबर में पटवारी परीक्षा में 9 हजार पदों के लिए 10 लाख से
अधिक आवेदन जमा हुए। जिन लोगों ने पटवारी बनने के लिए आवेदन किया उसमें 20 हजार से ज्यादा
आवेदन पीएचडी, डेढ़ लाख आवेदन बीई/एमई/एम.टे क., एक लाख से ज्यादा एमबीए योग्यता रखने
वाले थे।
► प्रशासनिक क्षेत्र में नियोजन की स्थिति को सर्वेक्षण में रेखांकित करते हुए बताया गया कि राज्य में
प्रशासनिक क्षेत्र में नियोजन की गणना अनुसार 31 मार्च 2016 में कुल कर्मचारियों की संख्या 7,44,137
रही जो गत वर्ष से 0.61 प्रतिशत कम रही।
► इसी तरह शासकीय कर्मचारियों की संख्या में 2.33 प्रतिशत की कमी रही और विकास प्राधिकरण और
विशेष क्षेत्र प्राधिकरण में 0.40 प्रतिशत की कमी रही।
► हमारे युवाओं को न तो प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार मिला और न ही निजी क्षेत्र में रोजगार मिला।
► जहां तक स्वरोजगार दे ने की स्थिति है कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद हक़ीक़त यह है कि बैंकों से
युवाओं को सरकार की योजनाओं के तहत लोन नहीं मिल रहा है। लेकिन, हां, व्यापम और पीएससी के
जरिए होने वाली नियुक्तियों के घोटाले जरूर सरकार की उपलब्धि है।
► पिछले 5 साल में व्यापम में जो परीक्षाएं ली हैं उसमें 86 लाख बेरोजगारों ने अलग-अलग परीक्षाओं में
350 करोड़ परीक्षा फीस दी है वहीं पी.एस.सी. ने परीक्षा दे ने वाले 12 लाख छात्रों ने 80 करोड़ रुपए
फीस के रूप में दिए हैं । इस तरह 98 लाख बेरोजगारों से भाजपा सरकार ने 430 करोड़ रुपए परीक्षा
शुल्क के रूप में वसूल कर कमाई कि है और परीक्षाओं में घोटाला हुआ है।
► आज जेलों में 64% कैदी युवा हैं जिसका मूल कारण बेरोजगारी है।

आरोप क्रमांक 14
बच्चे दे श के भविष्य होते है अगर उन्हें बुनियादी शिक्षा से वंचित रखा जाये तो ये सम्पूर्ण मानवता के
खिलाफ अपराध है. मध्य प्रदे श की सरकार ने ये अपराध किया है ।
आरोप का आधार
► सरकारी आंकड़ों के अनुसार आज प्रदे श में करीब 55% बालिकाएं आठवी के बाद नहीं पढ़ पा रही है।
► वर्ष 2017-18 में, सर्व शिक्षा अभियान में सरकार करीब 80% आवंटित राशि का उपयोग नहीं कर पाई।
► प्रदे श में आज 10 हजार ऐसे स्कू ल हैं जहां एक भी अध्यापक नहीं हैं।
► 18 हजार स्कू ल एक शिक्षक के भरोसे चल हैं।
► मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही 175 स्कू लों में शिक्षक ही नहीं हैं।
► प्रदे श में पठन-पाठन का स्तर 80 फीसदी से गिरकर 32 फीसदी हो गया है ।

(10)
► शिक्षा के अधिकार के तहत जो राशि मिली उसमें 19 करोड़ का घोटाला हुआ।
► सरकारी स्कू लों के निर्माण में 850 करोड़ रूपए में से 400 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ है।
► आज भी प्रदे श में हजारों ऐसी शालाएं है जो स्कू ल भवन के अभाव में पेड़ के नीचे, झोपड़ी में अथवा
सड़क पर चल रहे हैं।
► एएसईआर की रिपोर्ट के अनुसार 78 फीसदी स्कू लों में कक्षा 2 के छात्र किसी और कक्षा के साथ कमरा
साझां कर रहे हैं। यह प्रतिशत 2010 में 67 फीसदी था।
► मध्यप्रदे श में शिक्षा के अधिकार के तहत आरटीई कोटा, जिसमें सभी निजी और गैर सहायता प्राप्त
प्राथमिक स्कू लों में एक चौथाई सीट गरीब छात्रों की मुफ्त शिक्षा के लिए होना चाहिए। इसकी 70 फीसदी
सीटें आज भी खाली हैं।
► आज प्रदे श के 85 प्रतिशत स्कू लों में बिजली नहीं है, फिर भी बच्चों को कम्प्यूटर की शिक्षा दे ने का दावा
किया जा रहा है।

आरोप क्रमांक 15
भाजपा की सरकार ने प्रदे श को घाटे में धकेल दिया और कर्जे से लाद दिया है ।
आरोप के आधार
► शासन के बजट के अनुसार प्रदे श के ऊपर करीब 2 लाख करोड़ का कर्ज है ।
► इसके मुताबिक आज प्रदे श के हर युवा और बुजुर्ग पर करीब 32000 रुपये का कर्ज है।
► पिछले 14 साल में मध्यप्रदे श सरकार पर 6 गुना कर्ज बढ़ा है।
► आज प्रदे श के बजट का करीब 10% भाग ब्याज के भुगतान में खर्च हो रहा है । अगर बेहतर वित्तीय
प्रबंधन से ये पैसा बचा लिया जाता तो ये पैसा प्रदे श के विकास में काम आता ।
► आज प्रदे श में राजकोषीय घाटा निरंतर बढ़ता जा रहा है, वर्तमान में ये घाटा 30,000 करोड़ रुपये से
अधिक है । ये प्रदे श के सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 % है ।
► मध्य प्रदे श के इसी घाटे की पूर्ति के लिए डीजल, पेट्रोल, गैस, स्टाम्प ड्यूटी आदि पर कर/शुल्क अन्य
राज्यों की तुलना में ज्यादा है ।

आरोप क्रमांक 16
भाजपा की सरकार सम्पन्न राज्य होने का झूठा दावा कर रही है ।
आरोप के आधार
► नीति‍ आयोग ने बताया कि मध्यप्रदे श की स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे छोटे और पिछड़े
राज्यों से भी पीछे है।
► विधानसभा में वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर 37

(11)
रही है जबकि मध्यप्रदे श में यह औसत करीब 47 का रहा है जो कि अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है,
मातृमृत्यु दर का औसत मध्यप्रदे श में 24 राज्यों में सर्वाधिक रहा है।
► नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चन्द्र ने कहा कि मध्यप्रदे श उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़कों के
मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा पिछड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल
रहा है, अस्पतालों की दयनीय स्थिति है और कुपोषण बना हुआ है। मध्यप्रदे श कुपोषण और शिशु मृत्युदर
में बेहतर काम नहीं कर रहा है।
► नीति‍ आयोग ने यह भी बताया कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को पोष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है।
अस्पतालों की खराब व दयनीय स्थिति है और मध्यान्ह भोजन का सही ढं ग से वितरण न होने के कारण
प्रदे श में कुपोषण बना हुआ है।
► नीति‍ आयोग ने यह भी बताया कि प्रदे श में शिक्षा का स्तर ऐसा है कि पांचवी कक्षा के बच्चों को अक्षर
का ज्ञान ही नहीं है।
► वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि सामाजिक सूचकांकों में मध्यप्रदे श दूसरे
समृद्ध राज्यों से बहुत पीछे है।
► मध्यप्रदे श में सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि यहा 53% बेरोजगार बढ़े हैं।
► सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्यप्रदे श, दे श के प्रमुख 19 राज्यों के विकास सूचकांक तथा
असमानता, समायोजित मानव विकास सूचकांक में 16 वें और 19 वें पायदान पर है।
► भाजपा सरकार अपने तीसरे कार्यकाल को पूरा करने जा रही है। लेकिन आज भी प्रदे श के 33 जिलों के
23 हजार 270 गांवों के बाशिंदें पानी के लिए तरसते रहते है ।
► पीने के पानी के लिए, जान की परवाह न करते हुए, गहरे कुओं और खाइयों में बच्चे, बुजुर्ग एवं महिलाओं
तक को उतरना पड़ा । कई कई जगहों पर तो 5-5 किमी कि दूरी से सर पर पानी का घड़ा लाने पर मजबूर
हैं।
उक्त आंकड़े राज्य सरकार और केन्द्र की भाजपा सरकार के है, इन आकड़ों से ये स्पष्ट हैं कि आज भी
मध्य प्रदे श पिछड़े राज्य की श्रेणी में है। मुख्य मंत्री प्रचार, पाखंड, प्रपंच और पैसों के दम पर अपने झूठ
को सच साबित करने में जुटे हुए हैं ।

आरोप क्रमांक 17
भाजपा की सरकार सुशासन के झूठे दावे कर प्रदे श की जनता को बहका रही है ।
आरोप के आधार
► जनता की सुनवाई न होने के करीब 25 अवमानना के केस मुख्य सचिव पर चल रहे हैं।
► सरकारी कामकाज में स्पीकिंग आदे श न दे ने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई।
► ऐसे कई मामले हैं जहां जनता की सुनवाई न होने पर आत्महत्या तक की घटनाएं हुई है।

(12)
► प्रदे श की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने अपने एक चहेते अधिकारी को
आईएएस न बनाने पर जो पत्र मुख्यमंत्री को लिखा है उससे यह पता चलता है कि बड़े पदों पर चयन
अधिकारियों की पोस्टिं ग योग्यता पर नहीं बल्कि विचारधारा और सिफारिश पर होती है।
► अधिकारी ईमानदारी से काम करने में अपने को इस सरकार में असहज पा रहे हैं। कई ऐसे मामले हैं
जिनमें अधिकारियों ने नियमानुसार काम किया, घोटालों को उजागर किया तो उन्हें हटाकर अन्यत्र पदस्थ
कर दिया गया।
► ग्वालियर के विद्युत मंडल के ठे केदार ने 11 बार मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में गुहार लगाई पर उसकी
सुनवाई नहीं हुई, अंततः उसे जहर खाना पड़ा। ऐसे अनेक प्रकरण प्रदे श में हुए हैं जहां जनसुनवाई के
दौरान ही प्रदे श के नागरिकों ने जहर खाकर अपनी जान दे दी।
► खंडवा की जनसुनवाई में तो एक महिला फांसी का फंदा लेकर पहुंच गयी।
► इंदौर में एक शिकायतकर्ता ने सुनवाई न होने पर अपने ऊपर केरोसिन डाल लिया।
► तीन साल से लगातार आवेदन दे ने के बाद रपटा न बनने पर महिलाओं ने कलेक्टोरेट के गेट में ताला
लगाकर कहा कि जनसुनवाई की नौटं की बंद करो।
► रायसेन में सुनवाई न होने से एक किसान फांसी का फंदा लेकर पेड़ पर चढ़ गया।
► इंदौर में ही एक महिला ने जनसुनवाई में ही जहर खा लिया। ये है शासन - क्या इसे सुशासन कहते हैं?
► इंदौर में जिस अधिकारी को 75 करोड़ के आबकारी घोटाले में निलंबित किया था उसको दोषी पाया था
उसे बहाल कर दिया। हैरानी की बात है कि बहाली के आदे श में भी स्वीकारा है कि ये अधिकारी घोटाले
के दोषी है फिर भी बहाल कर दिया।
► प्रदे श में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि ग्वालियर में एक जनपद पंचायत के अध्यक्ष के पति से उसी जनपद
पंचायत का सीईओ काम करने के लिए रिश्वत ले रहा था।
► भ्रष्टाचार का आलम ये है कि 1 नवंबर 2017 को मंदसौर जिले के भानपुरा गरोठ क्षेत्र में 257 करोड़
रूपए की लागत से निर्मित नहर, उद्घाटन के 6 दिन बाद ढह गई।
► लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के मामले लंबित हैं। उन्हें अभियोजन चलाने की अनुमति ही नहीं मिल रही है।
► ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें लोकायुक्त ने रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा है लेकिन संबंधित विभाग कुतर्क
कर उन्हें बचा रहा है।
► ये घटनाएं बताती हैं कि भ्रष्टाचार को मिटाने में सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है। जीरो टालरेंस की बातें
करना सिर्फ नौटं की है।

(13)
आरोप क्रमांक 18
भाजपा की सरकार के मुखिया घोषणावीर मुख्यमंत्री है । वे प्रदे श की जनता को मात्र घोषणा कर बहकाने
का काम करते है ।
आरोप के आधार
► मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो 21 हजार घोषणाएं की हैं अगर उन्हें पूरा किया जाए तो मध्यप्रदे श
के अगले 70 साल का बजट भी कम पड़ जाएगा । मुख्यमंत्री ने इतनी घोषणाएं कर दी हैं कि वे अब खुद
भूल चुके हैं और वे अब उन्हीं घोषणाओं को दोहराने लगे हैं।
► सिंगरौली को सिंगापुर बनाने की घोषणा के बाद भी, वे दो बार वहां जाकर हवाई पट्टी बनाने की घोषणाएं
कर चुके हैं लेकिन वे अभी तक पूरी नहीं हुई।
► किसानों की फसल निर्यात करने के लिए “एपीडा” की तर्ज में प्रदे श में बोर्ड गठित करने की मुख्यमंत्री
ने तीन बार घोषणा की। लेकिन अभी तक इसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई।
► मैहर उपचुनाव के दौरान विधानसभा का उपचुनाव जीतने के लिए दस हजार करोड़ की घोषणा की थी।
मैहर को स्मार्ट सिटी बनाने को भी कहा था। क्या हुआ?
► बरगी दाहिना तट नहर के जरिए मुख्यमंत्री भाषणों में पिछले 10 वर्ष से जिले की जनता को नर्मदा का
पानी लाने का वादा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस योजना में अभूतपूर्व भ्रष्टाचार के कारण जिले
की जनता को आज तक नर्मदा का पानी नहीं मिल सका।
► वर्ष 2010 में मुख्यनमंत्री ने एक आदिवासी अंचल में रात बिताई थी। यहां उन्होंने स्टेडियम बनाने की
बात की थी लेकिन आज तक उस घोषणा की ओर दे खा तक नहीं गया।
► सतना से बेला फोर लेन एवं सतना से बमीठा टू लेन का कार्य 6 सालों से केवल भाषणों के जरिए कराया
जा रहा है उनके द्वारा की गई उक्त घोषणा भी अंधेरे में भटक रही है।
► सतना जिले की कोठी एंव रैगांव को पूर्ण तहसील के दर्जा दे ने एवं शासकीय महाविद्यालय खोले जाने की
बात 10 वर्ष पूर्व की गई थी, लेकिन वह घोषणा कागजों तक ही सीमित रही।
► जुलाई 2017 में मुख्य मंत्री द्वारा बरौंधा क्षेत्र में 5 हजार कपिल धारा कूप निर्माण की घोषणा की थी
लेकिन उसमें एक दर्जन भी स्वीकृत नहीं हुए।
► मुख्य मंत्री ने अप्रैल 2016 में पंचायत स्तर पर कुटीर उद्योग खोलने की घोषणा की थी लेकिन उक्त
घोषणा भी घोषणा बनकर रह गई ।
► बकिया बराज डैम के अप्रभावित किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक प्रदे श के मुख्य मंत्री
पिछले 6 सालों से दे रहे हैं लेकिन कुछ किसानों को छोड़कर किसी भी किसान को जमीन का मालिकाना
हक नहीं दिया गया।
► प्रदे श की जनता अब मुख्यमंत्री जी को घोषणावीर सिंह चौहान कहती है।

(14)
आरोप क्रमांक 19
प्रतियोगी परीक्षाओं के नाम से प्रदे श के युवाओं को धोखा दिया और व्यापम जैसे महाघोटाले के जनक
बने। इस तरह प्रदे श की भाजपा सरकार ने करीब 90 लाख युवाओं के सपनो पर पानी फेरा और उनके
भविष्य को अन्धकार में धकेल दिया।
आरोप के आधार
► डॉक्टर बनने के लिए प्रवेश की प्रतियोगी परीक्षा (PMT) में दलालों के माध्यम से कमाई की। इस घोटाले
की आंच मुख्यमंत्री के परिवार और निजी स्टाफ तक पहुंचने की खबरें भी निकलीं।
► बिचौलिए और दलालों की मदद से नकली छात्रों को परीक्षा में बैठा, परीक्षा दिलवाए गयी और प्रबंधन के
माध्यम से उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़-छाड़ की गई।
► उच्च न्यायालय के अनुसार व्यापम महाघोटाले में करीब 58 ऐसे लोगो की अप्राकृतिक मौत हुए जो इस
प्रकरण से जुड़े हुए थे।
► STF ने इसमें अभी तक 2500 गिरफ्तारियां की है पर उनमे से ज्यादातर सामान्य नागरिक है । सरकार
में बड़े बड़े ओहदों पर बैठे लोगों के नाम भी बाहर आये हैं पर सरकार उन्हें बचाने का काम कर रही है।
► व्यापम के माध्यम से सरकारी नौकरियों में भी प्रदे श के युवाओं के साथ छल किया । RTO, पुलिस ,
शिक्षा विभाग के लेखापाल और अन्य सरकारी सेवाओं की परीक्षा में भी नकली छात्रों को बैठा परीक्षा
दिलवाए गए और प्रबंधन के माध्यम से उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़-छाड़ कर अपात्र उम्मीदवारों का चयन
किया। जिनका चयन हुआ है उनमें से कुछ मुख्यमंत्री के ससुराल पक्ष के जिले के भी थे ।
► मुख्यमंत्री कार्यालय को 2009 में ये जानकारी मिल गयी थी कि घोटाला हो रहा है फिर भी 2010,
2011, 2012 तथा 2013 में फर्जीवाड़ा कैसे लगातार होता रहा ?
► मुख्यमंत्री ने स्वयं विधानसभा में 15 जनवरी 2014 को स्वीकार किया व्यापम घोटाला हुआ है ।

आरोप क्रमांक 20
अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में पेसा कानून और पांचवी अनुसूची के प्रावधान लागू न कर भाजपा सरकार
अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ जानबूझ कर उनको संवेधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है।
आरोप के आधार
► अनुसूचित जनजातियों को भी भाजपा सरकार ने अपनी अवसरवादी नीतियों से धोखा दिया। पेसा कानून
जो पांचवी अनुसूची में वर्णित एवं वहां के रहने वाले बाशिंदों को विशेषाधिकार दे ता है उसके प्रावधान
आज तक लागू नहीं किए। इसके कारण आदिवासियों का विकास अवरुद्ध हुआ और वे मुख्य धारा से
जुड़ने का अवसर चूक गए।

(15)
आरोप क्रमांक 21
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ जानबूझ कर आर्थिक रूप से कमजोर
बनाने और उनके रहवासी क्षेत्रों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर रही है।
आरोप के आधार
► आदिवासी उपयोजना और अनुसूचित जाति उपयोजना को समाप्त कर अनुसूचित जाति और जनजाति
के आर्थिक उत्थान को रोका ।
► प्लान और नॉन प्लान के कांसेप्ट को समाप्त कर मनमाने ढं ग से आदिवासी उपयोजना और अनुसूचित
जाति के मद के पैसों को दूसरे मदों में खर्च किया ।

आरोप क्रमांक 22
वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को पूरी तरह से लागू न कर भाजपा सरकार आदिवासियों के
व्यापक हितो पर कुठाराघात कर रही है ।
आरोप के आधार
► वन अधिकार अधिनियम के तहत वनवासियों के व्यापक हित के लिए जो प्रावधान रखे गए थे उसका
लाभ उन्हें नहीं दिया गया। उनको भूमि का मालिकाना हक नहीं दिया और न ही भूमि को कृषि योग्य
बनाने के लिए ठोस कार्यक्रम लागू किया ।

आरोप क्रमांक 23
प्रदे श की भाजपा सरकार कर्मचारियों एवं अधिकारियों के हितों का शोषण कर रही है ।
आरोप के आधार
► भाजपा सरकार का कर्मचारियों के प्रति रवैया के खिलाफ जो आक्रोश है वो शासकीय कर्मियों के हर वर्ग
के, हर स्तर पर, पूरे प्रदे श में दे खने को मिला है।
► महिला कर्मचारियों ने विरोध जताने के लिए मुंडन कराने जैसा कदम उठाया। कर्मचारियों से जो वादा
किया उसे निभाया नहीं गया। अध्यापक और पेंशनर इसके उदाहरण हैं।
► संविदाकर्मी, अतिथि शिक्षक, रोजगार सहायक सहित लगभग सभी शासकीय कर्मियों ने सरकार के प्रति
बेहद नाराजगी व्यक्त की, जिसका सीधा प्रभाव प्रदे श के सम्पूर्ण विकास पर पड़ा है ।
► पूरे प्रदे श में कर्मचारी आंदोलन चरम पर है। कह रहे हैं कि ‘‘कमल का फूल हमारी भूल’’ । आंगनवाड़ी
कार्यकर्ता, एएनएम, राजस्व अधिकारी, शिक्षाकर्मी, पेंशनर्स, दै निक वेतन कर्मचारी, मजदूर आदि सभी
आंदोलित हैं। सभी वर्ग असंतुष्ट हैं।

(16)
आरोप क्रमांक 24
प्रदे श की भाजपा सरकार नर्मदा डू ब प्रभावितों के साथ अन्याय कर रही है ।
आरोप के आधार
► भाजपा सरकार का नर्मदा डू ब प्रभावितों के साथ अग्रेंजों जैसा व्यवहार किया और पुनर्वास की मांग कर
रहे विस्थापितों का दमन किया। आज भी पुनर्वास की बांट जोह रहे हैं। पुनर्वास स्थलों का विकास नहीं
किया गया, जिससे वे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

आरोप क्रमांक 25
पिछले 15 सालो में भाजपा की सरकार ने घोटाले कर कर के घोटालों की सरकार चलाई है । इससे प्रदे श
की जनता का जो नुकसान हुआ है उनकी भरपाई नहीं हो सकती । घोटाले कर कर के भाजपा ने जो
अपराध किया है उसे प्रदे श जनता, महिलाएं, बच्चे- बच्चियां, किसान, युवा, व्यापारी और मजदूर कभी
माफ नहीं करेंगे ।

प्रमुख घोटालों का संक्षिप्त विवरण

ई-टें डर घोटाला
► कुछ एक चहेते ठे केदारों को ही ऊँचे दर पर ठे का दिया गया ।
► ऑनलाइन ई-टें डर प्रक्रिया शुरू करने के पहले यह दावा किया था कि इससे भ्रष्टाचार रुकेगा और
पारदर्शिता के साथ पात्र लोगों को, ठे के मिलेंगे लेकिन भाजपा के संरक्षण में पल रहे एक संगठित गिरोह
ने मध्यप्रदे श को घोटालों और भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया है।
► शिवराज सरकार के ई-टें डर के माध्यम से 40 हजार करोड़ का टें डरों में घोटाला किया गया । इन घोटालों
ने प्रदे श के विकास की नींव को हिलाकर रख दिया है।
► प्रमुख सचिव मानते हैं कि घोटाला हुआ है । तत्कालीन प्रमुख सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी, अपनी रिपोर्ट
में घोटाला होने की पुष्टि करते हैं। ईओडब्ल्यू के अनुसार भी इसमें घोटाला हुआ है ।
► ये कौन सी अदृश्य शक्तियां हैं जिन के कारण ई-टें डर महाघोटाले के दोषियों पर कार्यवाही नहीं हो पा रही
है।

(17)
सिंहस्थ घोटाला
► हिन्दुओं के आस्था के महाकुंभ सिंहस्थ को भी शिवराज सरकार ने भ्रष्टाचार से नहीं बख्शा।
► निर्माण कार्यों में घोटाला, ऊँचे दामों पर घटिया सामान खरीदी में घोटाला, मटका खरीदी में घोटाला,
स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में घोटाला, शौचालय निर्माण घोटाला, आदि में घोटाला करके भाजपा सरकार ने
दिखा दिया है कि उसकी भारतीय संस्कृति और हिन्दुत्व को लेकर जो दावे हैं वह कितने खोखले हैं।
► भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉक्टर मोहन यादव ने खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र
लिखकर बताया किस तरह घोटाला हो रहा हैं।

सोलर पंपों की खरीदी में 130 करोड़ रुपए का घोटाला


► कई निविदाकर्ता तकनीकी निविदा में टे स्ट रिपोर्ट होने की शर्त के लिए क्वालीफाईड नहीं थे, फिर भी
उनकी वित्तीय निविदा खोली गई। सीमान्त किसानो के लिए बना ये कायर्क्रम भी भाजपा के घोटालों की
भेंट चढ़ गया ।
► वर्ष 2016-17 में मप्र ऊर्जा विकास निगम ने प्रति पंप 15,700 रुपये अधिक की दर पर पंप क्रय किये।
मप्र ऊर्जा विकास निगम द्वारा वर्ष 2017-18 में भी 61,000 रुपये अधिक की दर पर प्रति पंप क्रय
किये। वर्ष 2018-19 में भी मध्यप्रदे श उर्जा विकास निगम द्वारा प्रति पंप 52,000 रुपये अधिक की दर
पर क्रय किया जा रहा है। अधिक कीमत में पंप क्रय कर प्रदे श के राजस्व को नुकसान पहुँचाने के बदले
कमीशन शिवराज सिंह की भाजपा सरकार में कौन खा रहा है?
► गरीब किसानों से अधिक वसूली के साथ-साथ राज्य शासन के खजाने से भी गबन किया जा रहा है जो
कि गरीब जनता का ही पैसा है।
► आंध्रप्रदे श और हरियाणा में मध्यप्रदे श की तुलना में 52000 से 61000 की कम लागत पर जो इकाईयां
पंप प्रदाय कर रही हैं उनमें से अधिकांश वही हैं जो मध्यप्रदे श में कार्य कर रहीं हैं और पंपों के तकनीकी
मापदण्ड भी पूरे दे श के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गयी हैं और वो एक समान हैं।
► मध्यप्रदे श में वर्ष 2016-17 में आमंत्रित की गई 3 वर्ष पुरानी दरों की वैधता बार-बार (2016-17,
2017-18 एवं 2018-19 तक) बढ़ाई गयी । ठे केदारों को अनुचित लाभ दे कर भ्रष्टाचार किया जा रहा
है । इनके इस भ्रष्टाचार के कारण गरीब किसानों का हितग्राही अंश भी अन्य राज्यों की तुलना में बहुत
अधिक हो गया है।

उद्यानिकी विभाग में चार सौ करोड़ का घोटाला


► उद्यानिकी विभाग में किसानों को ड्रिप अनुदान दे ने में 400 करोड़ का घोटाला हुआ है।
► कागजों में संतरों, मिर्च और टमाटरों की खेती हो गई है।
► 8 रुपए में मिलने वाले संतरों के पौधे 29 रुपए में खरीदे गए।

(18)
बुंदेलखंड पैकेज घोटाला
► बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 6 जिले सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया तथा पन्ना के विकास हेतु
“बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज” के नाम से वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा लगभग 4000 करोड़ रुपए
की राशि प्रदे श सरकार को दी गयी थी ।
► माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर मुख्य तकनीकी परीक्षक ने जांच में वन, पशुपालन जल संसाधन
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, पंचायत तथा ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, उद्यानिकी, कृषि, कृषि
विपणन बोर्ड, मप्र वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन आदि विभागों में भारी अनियमितता पाई
गई। जिसकी जांच रिपोर्ट शासन को प्राप्त हो चुकी है। शासन द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं
किया जाना बताता है कि शासन भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोगों को सरंक्षण दे रही है ।

प्याज घोटाला
► किसानों के नाम पर, प्याज सड़ने के नाम पर, इस सरकार ने प्याज खरीदी में 500 करोड़ रुपये का
घोटाला किया है।
► प्याज खरीदी में भ्रष्टाचार का प्रमाण यह है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में 58 हजार 797 मीट्रिक टन प्याज
का उत्पादन हुआ और प्याज खरीदी गई 76 हजार 634 मीट्रिक टन।
► मुख्यमंत्री के जिले में ही प्याज का इतना बड़ा घोटाला है तब पूरे प्रदे श में कैसा और किस तरह घोटाला
हुआ होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
► धार कलेक्टर ने भी प्याज खरीदी घोटाले के बारे में रिपोर्ट भेजी है कि किस तरह विपणन संघ नागरिक
आपूर्ति निगम ने प्याज खरीदी में 4 करोड़ का घोटाला किया।
► कई लाख क्विंटल प्याज का हिसाब ही नहीं मिला।
► भोपाल की करोंद मंडी से 20 हजार क्विंटल प्याज गायब हो गई।

दाल खरीदी घोटाला


► नरसिंहपुर, हरदा और रायसेन में हुई मूंग खरीदी में करोड़ों का घोटाला किया गया। जिसमे दाल की
उत्पादन क्षमता से दोगुनी दाल खरीदी गई।
► जबलपुर के राज्य सहकारी विपणन संघ ने 14 जुलाई 2017 को आयुक्त जबलपुर संभाग के निर्देश पर
जांच की और उन्होंने खरीदी प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता पाई जाने की रिपोर्ट की।

(19)
सरकारी खाद्यान्न घोटाला
► अनूपपुर स्थित मध्यप्रदे श वेयर हाउसिंग एवं लाजिस्टिक कार्पो. के गोदाम में 23 हजार क्विंटल चावल
और 2093 क्विंटल गेहूं कम मिला।
► बोरियों के ऊपर स्टेन्सिल से पंजाब एवं अन्य राज्य छपा था। इससे स्पष्ट है कि खाद्यान्न बाहर के प्रदे शों
से भी आया है।
► रायसेन जिले में 2013-14 से लेकर 2015-16 के बीच 144 खरीदी केंद्रों पर 36,322 क्विंटल गेहूं
गायब हो गया जिसकी कीमत शासकीय दस्तावेजों में लगभग 10 करोड़ दर्शायी गई है।
► मध्यप्रदे श में सिर्फ परिवहन स्तर पर लगभग 5 हजार करोड़ का गेहूं कमी घोटाला हुआ है।
► रीवा में भण्डारण केन्द्र चैरहटा के उमरी में 16 ट्रक धान के गायब होने का मामला भी उजागर हुआ है।

पेंशन घोटाला
► गरीबों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन में घोटाला हुआ है 4 लाख 29 हज़ार अपात्र लोगों को
पेंशन दी गयी ।
► इंदौर के नागरिक सहकारी बैंकों के माध्यम से बेनामी लोगों को पेंशन दी ।
► सरकार ने जैन जांच आयोग गठित किया जिसमे एक मंत्री का नाम सामने आया इसलिए सरकार ने जैन
जांच रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर रखी ही नहीं।

लाड़ली लक्ष्मियों के साथ घोटाला


► NSC (राष्ट्रीय बचत पत्र ) पहले दिए फिर बाद में वापस ले लिए ।

रेत /अवैध उत्खनन घोटाला


► पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार ने प्रदे श की खनिज संपदा माँ नर्मदा सहित अन्य नदियों में अवैध रेट
उत्खनन कर उनकी छाती को छलनी किया है।
► इस गंभीर अपराध को रोकने के लिए सरकारी अफसरों और कर्मचारियों ने कोशिश की तो उन्हें जान से
तक हाथ धोना पड़ा है। पिछले 15 साल में यह जनता की नहीं रेत माफियाओं की सरकार बन गई है।
► भाजपा के पूर्व मंत्री कमल पटे ल ने अपनी ही सरकार पर अवैध उत्खनन का आरोप लगाया। एनजीटी में
भी शिकायत की।
► पिछले 1 साल में ही 55 घटनाएं हुईं जिसमें रेत माफिया ने अवैध उत्खनन रोकने पर सरकारी अधिकारी/
कर्मचारियों पर गोली चलाई, उन्हें पीटा, और कुचलने का प्रयास किया गया ।

(20)
► मुख्यमंत्री के ही गृह जिले और विधानसभा क्षेत्र में एक तहसीलदार को बंधक बनाकर पीटा गया।
► एक महिला आईएएस अफसर को सरेआम धमकी दी गई।
► राजधानी में ही रेत के डम्फर पकड़े गए तो ड्रायवर ने कहा की सीएम हाउस बात कर लो नहीं तो ट्रांसफर
हो जाएगा।
► मुख्यमंत्री के क्षेत्र में 150 से अधिक राजसात वाहनों को रेत माफिया ने कलेक्टर कार्यालय के चपरासी
से मिलकर फर्जी आदे श से राजसात वाहनों को छु ड़ा लिया । जिसमे से 100 वाहन सीहोर जिले के थे।
► प्रदे श में पिछले 3 साल में अवैध खनन के परिवहन के 28 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।

PSC (लोक सेवा आयोग ) में चयन घोटाला


► भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पिछले सालों में चयन की इस प्रतिष्ठित संस्था की साख को ध्वस्त कर
दिया।
► डॉ जगदीश सागर ने पीएससी के 6 पदों के सौदे 95 लाख रूपए में किए।
► डिप्टी कलेक्टर पद के लिए 20 लाख रूपए की डील जगदीश सागर ने किए।
► जून 2014 में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की भांजी को भी अवैध तरीके से डिप्टी कलेक्टर के पद पर
चयन कराया इसके लिए पीएससी के नियमों को भी बदल दिये गए ।
► वेटनरी डॉक्टरों और प्रोफेसरों की भर्ती में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुईं।
► पीएससी कोचिंग सेंटर और परीक्षा केंद्रों की सुनियोजित साँठ-गाँठ से एक ही केंद्र के 17 उम्मीदवारों का
चयन किया गया।

बिजली घोटाला
► अनुमान है कि बिजली खरीदी के मामले पर पिछले सालों में दो लाख करोड़ के घोटाले हुए हैं।
► निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदने के लिए सरकारी पॉवर प्लांटों में जानबूझकर उत्पादन ठप्प रखा
गया।
► सरकार खुद प्रति यूनिट 2 रूपए 57 पैसे बिजली का उत्पादन कर सकती है लेकिन प्राइवेट कंपनी से वह
महंगी दर पर बिजली खरीद रही है।
► किसानों, गरीबों और आम उपभोक्ताओं को मनमाने बिजली के बिल दिए जा रहे हैं।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के भूखंड आवंटन में घोटाला


► जिन लोगों को अनुचित रूप से लाभ दिया जाना था, उनके आवेदन विज्ञप्ति प्रकाशन के पूर्व ही स्वीकार
हो चुके थे।

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डामर घोटाला
► पीडब्ल्यूडी वैसे तो घोटालों का विभाग है वर्ष 2015 में सीएजी ने पीडब्ल्यूडी में 136 करोड़ का डामर
घोटाला उजागर किया था। सीएजी की रिपोर्ट में उल्लेख था कि ठे केदारों द्वारा बिल पेश न करने के
बावजूद पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने 105 करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया था।
► 30 करोड़ से अधिक का भुगतान डामर की क्वालिटी की जांच के बिना ही किया गया।

नगरीय निकाय में घोटाला


► भोपाल नगर निगम का 200 करोड़ का डीजल और पार्टस खरीदी घोटाला ।
► साईकिल टें डर घोटाला ।
► शहडोल जिले के धनपुरी नगर पालिका में हाईमास्ट लाइट और एलईडी सिस्टम की खरीदी में जमकर
घोटाले हुये।

छात्रवृत्ति घोटाला
► पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति जनजाति के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण में भी भाजपा सरकार ने
बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की है। यह गड़बड़ी पकड़ में आई तो पता चला कि पिछले 12 वर्षों में 1000
करोड़ रुपये का घोटाला हुआ ।
► इंदौर में लोकायुक्त ने अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रवृत्ति में घोटाले के 39 प्रकरण 2014 में दर्ज किए इनमें
संबंधित 50 अधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती धाराएं लगाई गईं लेकिन किसी पर भी कोई कार्यवाही
नहीं हुई।
► सरकार ने विधानसभा में भी यह स्वीकार किया कि सतना और रीवा में 5 करोड़ 40 लाख रुपए से ज्यादा
का शिक्षण शुल्क का भुगतान किया गया।
► मात्र 9 जिलों की जांच में 15 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली।
► ग्वालियर में आदिमजाति कल्याण विभाग और बैंक अफसरों की मिली भगत से 62 लाख रुपए की
छात्रवृत्ति का घोटाला हुआ है।

पौधरोपण घोटाला
► गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने की महत्वाकांक्षा में 2 जुलाई 2017 को 6
करोड़ 67 लाख पौधे लगाने की नौटं की हुई। असलियत यह थी कि इतने पौधे प्रदे श में उपलब्ध ही नहीं
थे।

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► महंगे दामों पर बगैर टें डर किए प्रायवेट नर्सरी से एवं अन्य राज्यों से पौधे खरीदे गए।
► गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इनके पौधरोपण को फर्जी होने के कारण दर्ज करने से मना कर दिया।
► हमारे वन मंत्री के गृह जिले में 2 साल में 5800 हेक्टेयर जंगल कम हो गए ।

राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों में घोटाला


► व्यापमं महाघोटाले में पूरे विश्व में मप्र. की हुई बदनामी के बाद भी भाजपा सरकार ने कोई सबक नहीं
सीखा है।
► मेडिकल परीक्षा में नीट घोटाला,
► भोज मुक्त विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार,
► नेशनल ला यूनिवर्सिटी भोपाल में भी विद्यार्थियों के साथ छल किया तथा अयोग्य विद्यार्थियों को फर्जी
डिग्री जारी की
► राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और मनमानी नियुक्तियां।
सांची विश्वविद्यालय, हिन्दी विश्वविद्यालय, जिवाजी विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, ये सभी
एक लम्बी फेयर लिस्ट है जहां बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार की लापरवाही के
कारण म.प्र. की उच्च शिक्षा की पूरे दे श में छवि खराब हो रही है।
► सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षक वर्ग का अपमान किया तथा निर्माण कार्यों में खुलकर भ्रष्टाचार किया।

सरकारी अनुदान प्राप्त संस्थाओं में घोटाला


► सरकार से वेतन अनुदान लेकर भाजपा अपना प्रचार करा रही है। इसका प्रमाण यह है कि जन अभियान
परिषद द्वारा प्रत्येक पंचायत पर गठित प्रस्फु टन समितियों के माध्यम से भाजपा का प्रचार किया गया,
जिसमें पन्ना एवं बाबई के मेंटरों पर चुनाव आयोग ने कार्यवाही की एवं उन्हें निलंबित किया गया। ऐसी
ही स्थिति प्रदे श के अन्य जिलों की भी है।
► जन अभियान परिषद में अवैधानिक तरीके से 500 से अधिक समन्वयकों का नियमितीकरण किया।
► मुख्यालय भोपाल में पकड़ाए जाने पर एक टन भाजपा की प्रचार सामग्री जलायी गई।
► सी एम कम्यूनिटी लीडरशिप डेव्लपमेंट प्रोग्राम के माध्यम से करोड़ो रुपए का घोटाला किया और युवा
आदिवासियों के भविष्य को बर्बाद किया।
► ग्वालियर और भोपाल में स्थित मूक बधिर संस्थाएं जिनको शासन अनुदान दे ती है वहाँ बच्चियों के साथ
दुष्कर्म हुये और मुख्यमंत्री दे खते रहे क्योंकि उनके संचालक सीधे तौर से भाजपा से जुड़े हैं।

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शौचालय निर्माण में घोटाला
► 2-10-2018 को सरकार ने 62,78,516 शौचालय बनाने का दावा किया था पर माननीया केंद्रीय मंत्री
श्रीमति सुषमा स्वराज जी द्वारा गोद लिए गए गाँव ही खुले में शौच (ODF) मुक्त नहीं पाये गए। इसमें
हजारों करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है।

मध्य प्रदे श में भाजपा के शासनकाल में घोटालों की श्रंखला इतनी लंबी है कि
यदि उसे लिखा जाए तो विश्व का सबसे बड़ा महाग्रंथ बन जाएगा।

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