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॥दोहा

दोहा॥

जय गणप त सदगण
ु सदन, क ववर बदन कृपाल। व न हरण मंगल करण, जय जय ग रजालाल॥

॥चौपाई
चौपाई॥॥
जय जय जय गणप त गणराज।ू मंगल भरण करण शभ ु काजू ॥जै गजबदन सदन सख ु दाता। व व वनायक बु घ
वधाता॥व तु ड शु च शु ड सह ु ावन। तलक पु ड भाल मन भावन॥राजत म ण मु तन उर माला। वण मक ु ुट
शर नयन वशाला॥पु तक पा ण कुठार शल ू ं । मोदक भोग सग ु ि धत फूलं ॥1॥
सु दर पीता बर तन सािजत । चरण पादक ु ा मु न मन रािजत ॥ध न शवसव ु न षडानन ाता । गौर ललन
व व व याता ॥ऋ घ स घ तव चंवर सध ु ारे । मषू क वाहन सोहत घारे ॥कहौ ज म शभ ु कथा तु हार । अ त
शु च पावन मंगलकार ॥2॥
एक समय ग रराज कुमार । पु हे तु तप क हो भार ॥भयो य जब पण ू अनप ू ा । तब पहुं यो तम ु ध र घज पा
॥अ त थ जा न कै गौ र सख ु ार । बहु व ध सेवा कर तु हार ॥अ त स न है तम ु वर द हा । मातु पु हत जो तप
क हा ॥3॥
मल ह पु तु ह, बु घ वशाला । बना गभ धारण, य ह काला ॥गणनायक, गण ु ान नधाना । पिू जत थम, प
भगवाना ॥अस क ह अ तधान प है । पलना पर बालक व प है ॥ब न शश,ु दन जब हं तम ु ठाना। ल ख मखु
सख ु न हं गौ र समाना ॥4॥
सकल मगन, सख ु मंगल गाव हं । नभ ते सरु न, सम ु न वषाव हं ॥श भ,ु उमा, बहु दान लट ु ाव हं । सरु मु नजन, सत ु
दे खन आव हं ॥ल ख अ त आन द मंगल साजा । दे खन भी आये श न राजा ॥ नज अवगण ु ग ु न श न मन माह ं ।
बालक, दे खन चाहत नाह ं ॥5॥
ग रजा कछु मन भेद बढ़ायो । उ सव मोर, न श न तु ह भायो ॥कहन लगे श न, मन सकुचाई । का क रहौ, शशु
मो ह दखाई ॥न हं व वास, उमा उर भयऊ । श न स बालक दे खन कहाऊ ॥पडत हं, श न ग कोण काशा ।
बोलक सर उ ड़ गयो अकाशा ॥6॥
ग रजा गर ं वकल है धरणी । सो दख ु दशा गयो नह ं वरणी ॥हाहाकार म यो कैलाशा । श न क हो ल ख सत ु को
नाशा ॥तरु त ग ड़ च ढ़ व णु सधायो । का ट च सो गज शर लाये ॥बालक के धड़ ऊपर धारयो । ाण, म प ढ़
शंकर डारयो ॥7॥
नाम गणेश श भु तब क हे । थम पू य बु घ न ध, वन द हे ॥बु घ पर ा जब शव क हा । प ृ वी कर
द णा ल हा ॥चले षडानन, भर म भल ु ाई। रचे बैठ तम ु बु घ उपाई ॥चरण मातु पतु के धर ल ह । तनके सात
द ण क ह ॥8॥
तु हर म हमा बु घ बड़ाई । शेष सहसमख ु सके न गाई ॥म म तह न मल न दख ु ार । करहुं कौन व ध वनय
तु हार ॥भजत रामसु दर भद ु ासा । जग याग, ककरा, दवासा ॥अब भु दया द न पर क जै । अपनी भि त
शि त कछु द जै ॥9॥
॥दोहा
दोहा॥

ी गणेश यह चाल सा, पाठ करै कर यान। नत नव मंगल गह ृ बसै, लहे जगत स मान॥
स ब ध अपने सह दश, ऋ ष पंचमी दनेश।परू ण चाल सा भयो, मंगल मू त गणेश ॥

ी शव चाल सा
।। दोहा।।
।।दोहा ।।
ी गणेश ग रजा सव ु न, मंगल मल
ू सजु ान।कहत अयो यादास तम
ु , दे हु अभय वरदान॥
जय ग रजा प त द न दयाला। सदा करत स तन तपाला॥भाल च मा सोहत नीके। कानन कु डल
नागफनी के॥अंग गौर शर गंग बहाये। मु डमाल तन छार लगाये॥व खाल बाघ बर सोहे । छ व को
दे ख नाग मु न मोहे ॥1॥
मैना मातु क वै दल ु ार । बाम अंग सोहत छ व यार ॥कर शल ू सोहत छ व भार । करत सदा श न

यकार ॥नि द गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर म य कमल ह जैसे॥का तक याम और गणराऊ। या छ व
को क ह जात न काऊ॥2॥
दे वन जबह ं जाय पक ु ारा। तब ह दखु भु आप नवारा॥ कया उप व तारक भार । दे वन सब म ल तम ु हं
जह ु ार ॥तरु त षडानन आप पठायउ। लव नमेष महँ मा र गरायउ॥आप जलंधर असरु संहारा। सय ु श
तु हार व दत संसारा॥3॥
परु ासरु सन यु ध मचाई। सब हं कृपा कर ल न बचाई॥ कया तप हं भागीरथ भार । परु ब त ा तसु
परु ार ॥दा नन महं तम ु सम कोउ नाह ं। सेवक तु त करत सदाह ं॥वेद नाम म हमा तव गाई। अकथ
अना द भेद न हं पाई॥4॥
गट उद ध मंथन म वाला। जरे सरु ासरु भये वहाला॥क ह दया तहँ कर सहाई। नीलक ठ तब नाम
कहाई॥पज ू न रामचं जब क हा। जीत के लंक वभीषण द हा॥सहस कमल म हो रहे धार । क ह
पर ा तब हं परु ार ॥5॥
एक कमल भु राखेउ जोई। कमल नयन पज ू न चहं सोई॥क ठन भि त दे खी भु शंकर। भये स न दए
इि छत वर॥जय जय जय अनंत अ वनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥द ु ट सकल नत मो ह सतावै ।
मत रहे मो ह चैन न आवै॥6॥
ा ह ा ह म नाथ पक ु ारो। य ह अवसर मो ह आन उबारो॥लै शल ू श नु को मारो। संकट से मो ह आन
उबारो॥मातु पता ाता सब कोई। संकट म पछ ू त न हं कोई॥ वामी एक है आस तु हार । आय हरहु अब
संकट भार ॥7॥
धन नधन को दे त सदाह ।ं जो कोई जांचे वो फल पाह ं॥अ तु त के ह व ध कर तु हार । महु नाथ अब
चक ू हमार ॥शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण व न वनाशन॥योगी य त मु न यान लगाव। नारद
शारद शीश नवाव॥8॥
नमो नमो जय नमो शवाय। सरु मा दक पार न पाय॥जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है श भु
सहाई॥ॠ नया जो कोई हो अ धकार । पाठ करे सो पावन हार ॥पु ह न कर इ छा कोई। न चय शव
साद ते ह होई॥9॥
पि डत योदशी को लावे। यान पव ू क होम करावे ॥ योदशी त करे हमेशा। तन नह ं ताके रहे कलेशा॥
धप ू द प नैवे य चढ़ावे। शंकर स मख ु पाठ सन ु ावे॥ज म ज म के पाप नसावे। अ तवास शवपरु म
पावे॥10॥
कहे अयो या आस तु हार । जा न सकल दःु ख हरहु हमार ॥
॥दोहा
दोहा॥ ॥
न नेम कर ातः ह , पाठ कर चाल सा।तम ु मेर मनोकामना, पण ू करो जगद श॥
मगसर छ ठ हे म त ॠत,ु संवत चौसठ जान।अ तु त चाल सा शव ह, पण ू क न क याण॥

ी दग
ु ा चाल सा
नमो नमो दग ु सखु करनी। नमो नमो दग ु दःु ख हरनी॥ नरं कार है यो त तु हार । तहूँ लोक फैल
उिजयार ॥
श श ललाट मख ु महा वशाला। ने लाल भक ृ ु ट वकराला॥ प मातु को अ धक सह ु ावे। दरश करत जन
अ त सख ु पावे॥1॥
तमु संसार शि त लै क ना। पालन हे तु अ न धन द ना॥अ नपण ू ा हुई जग पाला। तमु ह आ द सु दर
बाला॥
लयकाल सब नाशन हार । तम ु गौर शवशंकर यार ॥ शव योगी तु हरे गण ु गाव। मा व णु तु ह
नत याव॥2॥
प सर वती को तम ु धारा। दे सबु ु ध ऋ ष मु नन उबारा॥धरयो प नर संह को अ बा। परगट भई
फाड़कर ख बा॥
र ा क र लाद बचायो। हर या को वग पठायो॥ल मी प धरो जग माह ।ं ी नारायण अंग
समाह ॥ ं 3॥
ीर स धु म करत वलासा। दया स धु द जै मन आसा॥ हंगलाज म तु ह ं भवानी। म हमा अ मत न
जात बखानी॥
मातंगी अ धम ू ाव त माता। भव ु ने वर बगला सख ु दाता॥ ी भैरव तारा जग ता रणी। छ न भाल भव
दःु ख नवा रणी॥4॥
केह र वाहन सोह भवानी। लांगरु वीर चलत अगवानी॥कर म ख पर ख ग वराजै ।जाको दे ख काल डर
भाजै॥
सोहै अ और शल ू ा। जाते उठत श ु हय शल ू ा॥नगरकोट म तु ह ं वराजत। तहुँलोक म डंका
बाजत॥5॥
शु भ नशु भ दानव तम ु मारे । र तबीज शंखन संहारे ॥म हषासरु नप ृ अ त अ भमानी। जे ह अघ भार
मह अकुलानी॥
प कराल का लका धारा। सेन स हत तम ु त ह संहारा॥पर गाढ़ स तन र जब जब। भई सहाय मातु तम ु
तब तब॥6॥
अमरपरु अ बासव लोका। तब म हमा सब रह अशोका॥ वाला म है यो त तु हार । तु ह सदा पज ू
नरनार ॥
ेम भि त से जो यश गाव। दःु ख दा र नकट न हं आव॥ यावे तु ह जो नर मन लाई। ज ममरण ताकौ
छु ट जाई॥7॥
जोगी सरु मु न कहत पक ु ार ।योग न हो बन शि त तु हार ॥शंकर आचारज तप क नो। काम अ ोध
जी त सब ल नो॥
न श दन यान धरो शंकर को। काहु काल न हं सु मरो तम ु को॥शि त प का मरम न पायो। शि त गई
तब मन प छतायो॥8॥
शरणागत हुई क त बखानी। जय जय जय जगद ब भवानी॥भई स न आ द जगद बा। दई शि त न हं
क न वल बा॥
मोको मातु क ट अ त घेरो। तम ु बन कौन हरै दःु ख मेरो॥आशा त ृ णा नपट सताव। मोह मदा दक सब
बनशाव॥9॥
श ु नाश क जै महारानी। सु मर इक चत तु ह भवानी॥करो कृपा हे मातु दयाला। ऋ ध स ध दै करहु
नहाला॥
जब ल ग िजऊँ दया फल पाऊँ । तु हरो यश म सदा सन ु ाऊँ ॥ ी दग
ु ा चाल सा जो कोई गावै। सब सख ु
भोग परमपद पावै॥10॥
दे वीदास शरण नज जानी। कहु कृपा जगद ब भवानी॥शरणागत र ा करे भ त रहे नःशंक , म आया
तेर शरण मातु ल िजये अंक।

ॐ नमो भगवते वासद ु े वाय नम


नम:
ॐ व वं व ण:ु वष कारो भत ू -भ य-भवत- भःु । भत ू -कृत भत
ू -भत
ृ भावो भत
ू ा मा भत ू भावनः ।। 1 ।।
पत
ू ा मा परमा मा च मु तानां परमं ग तः। अ ययः पु ष सा ी े ो अ र एव च ।। 2 ।।
योगो योग- वदां नेता धान-पु षे वरः । नार संह-वपःु ीमान केशवः पु षो मः ।। 3 ।।
सवः शवः शवः थाण:ु भत ू ा द: न ध: अ ययः । संभवो भावनो भता भवः भ:ु ई वरः ।। 4 ।।
वयंभःू श भ:ु आ द यः पु करा ो महा वनः ।अना द- नधनो धाता वधाता धातु मः ।। 5 ।।
अ मेयो षीकेशः प मनाभो-अमर भःु । व वकमा मनु व टा थ व ठः थ वरो व ु ः ।। 6 ।।
अ ा यः शा वतः कृ णो लो हता ः तदनः । भत ू ः ककुब-धाम प व ं मंगलं परं ।। 7।।
ईशानः ाणदः ाणो ये ठः े ठः जाप तः । हर य-गभ भ-ू गभ माधवो मधस ु द
ू नः ।। 8 ।।
ई वरो व मी ध वी मेधावी व मः मः । अनु मो दरु ाधषः कृत ः कृ त: आ मवान ।। 9 ।।
सरु े शः शरणं शम व व-रे ताः जा-भवः ।अहः संव सरो यालः ययः सवदशनः ।। 10 ।।
अजः सव वरः स धः स धः सवा द: अ यत ु ः । वषृ ाक प: अमेया मा सव-योग- व नःसत ृ ः ।। 11 ।।
वस:ु वसम ु नाः स यः समा मा सं मतः समः । अमोघः पु डर का ो वष ृ कमा वष ृ ाकृ तः ।। 12 ।।
ो बहु- शरा ब :ु व वयो नः शु च- वाः । अमत ृ ः शा वतः थाण:ु वरारोहो महातपाः ।। 13 ।।
सवगः सव व -भान:ु व वक-सेनो जनादनः । वेदो वेद वद-अ यंगो वेदांगो वेद वत ् क वः ।। 14 ।।
लोका य ः सरु ा य ो धमा य ः कृता-कृतः ।चतरु ा मा चतु यह:-चत ू द
ु :-चतभ ु जः
ु ।। 15 ।।
ािज णु भोजनं भो ता स ह ण:ु जगदा दजः । अनघो वजयो जेता व वयो नः पन ु वसःु ।। 16 ।।
उप ो वामनः ांश:ु अमोघः शु च: ऊिजतः । अतीं ः सं हः सग धत ृ ा मा नयमो यमः ।। 17 ।।
वे यो वै यः सदायोगी वीरहा माधवो मधःु । अ त-इं यो महामायो महो साहो महाबलः ।। 18 ।।
महाबु ध: महा-वीय महा-शि त: महा- यु तः। अ नद य-वपःु ीमान अमेया मा महा -धक ृ ।। 19 ।।
महे वासो मह भता ी नवासः सतां ग तः ।अ न धः सरु ानंदो गो वंदो गो वदां-प तः ।। 20 ।।
मर च:दमनो हं सः सप ु ण भज ु गो मः । हर यनाभः सत ु पाः प मनाभः जाप तः ।। 21 ।।
अम ृ यःु सव- क् संहः सन-धाता सं धमान ि थरः । अजो दम ु षणः शा ता व त ु ा मा सरु ा रहा ।। 22 ।।
गु ःगु तमो धामः स यः स य-परा मः । न मषो-अ- न मषः वी वाच प त: उदार-धीः ।। 23 ।।
अ णी: ामणीः ीमान यायो नेता समीरणः । सह -मध ू ा व वा मा सह ा ः सह पात ।। 24 ।।
आवतनो नव ृ ा मा संवत ृ ः सं- मदनः ।अहः संवतको वि नः अ नलो धरणीधरः ।। 25 ।।
सु सादः स ना मा व वधक ृ ् - व वभक ु ् - वभःु । स कता सकृतः साध:ु ज न:ु -नारायणो नरः ।। 26 ।।
असं येयो-अ मेया मा व श टः श ट-कृत ्-शु चः । स धाथः स धसंक पः स धदः स धसाधनः
।। 27।।
वष ृ ाह वष ृ भो व ण:ु वष ृ पवा वष ृ ोदरः । वधनो वधमान च व व तः ु त-सागरः ।। 28 ।।
सभु ज ु ो दध ु रो वा मी मह ो वसद ु ो वसःु । नैक- पो बह ृ द- पः श प व टः काशनः ।। 29 ।।
ओज: तेजो- यु तधरः काश-आ मा तापनः ।ऋ धः प टा रो मं :चं ांश:ु भा कर- यु तः ।। 30 ।।
अमत ृ ांशू भवो भानःु शश बंदःु सरु े वरः । औषधं जगतः सेतःु स य-धम-परा मः ।। 31 ।।
भत ू -भ य-भवत ्-नाथः पवनः पावनो-अनलः । कामहा कामकृत-कांतः कामः काम दः भःु ।। 32 ।।
यग ु ा द-कृत यग ु ावत नैकमायो महाशनः । अ यो य त प च सह िजत ्-अनंतिजत ।। 33 ।।
इ टो व श टः श टे टः शखंडी नहुषो वष ृ ः । ोधहा ोधकृत कता व वबाहु: मह धरः ।। 34 ।।
अ यत ु ः थतः ाणः ाणदो वासवानज ु ः । अपाम न धर ध टानम ् अ म ः ति ठतः ।। 35 ।।
क दः क द-धरो धय ु वरदो वायव ु ाहनः । वासद ु े वो बहृ द भान:ु आ ददे वः परु ं दरः ।। 36 ।।
अशोक: तारण: तारः शरू ः शौ र: जने वर: । अनक ु ू लः शतावतः प मी प म नभे णः ।। 37 ।।
प मनाभो-अर वंदा ः प मगभः शर रभत ृ ।मह ध-ऋ धो व ृ धा मा महा ो ग ड़ वजः ।। 38 ।।
अतल ु ः शरभो भीमः समय ो ह वह रः । सवल ण ल यो ल मीवान स म तंजयः ।। 39 ।।
व रो रो हतो माग हे त:ु दामोदरः सहः । मह धरो महाभागो वेगवान-अ मताशनः ।। 40 ।।
उ भवः ोभणो दे वः ीगभः परमे वरः । करणं कारणं कता वकता गहनो गह ु ः ।। 41 ।।
यवसायो यव थानः सं थानः थानदो- व ु ः । परर व परम प टः त ु टः प ु टः शभ ु े णः ।। 42 ।।
रामो वरामो वरजो माग नेयो नयो-अनयः । वीरः शि तमतां े ठ: धम धम वद ु मः ।। 43 ।।
वैकंु ठः पु षः ाणः ाणदः णवः पथ ृ ःु । हर यगभः श ु नो या तो वायरु धो जः ।। 44।।
ऋतःु सद ु शनः कालः परमे ठ प र हः । उ ः संव सरो द ो व ामो व व-द णः ।। 45 ।।
व तारः थावर: थाणःु माणं बीजम ययम । अथ अनथ महाकोशो महाभोगो महाधनः ।। 46 ।।
अ न व णः थ व ठो-अभध ू म-यप ू ो महा-मखः । न ने म: न ी मः ामः समीहनः ।। 47 ।।
य इ यो महे य च तःु स ं सतां ग तः । सवदश वमु ता मा सव ो ानमु मं ।। 48 ।।
सु तः सम ु ख ु ः सू मः सघ ु ोषः सख ु दः सु त । मनोहरो िजत- ोधो वीरबाहु वदारणः ।। 49 ।।
वापनः ववशो यापी नैका मा नैककमकृत । व सरो व सलो व सी र नगभ धने वरः ।। 50 ।।
धमगब ु धमकृद धम सदस रं -अ रं । अ व ाता सह ांश:ु वधाता कृतल णः ।। 51 ।।
गभि तने मः स व थः संहो भत ू महे वरः । आ ददे वो महादे वो दे वेशो दे वभद ृ गु ः ।। 52 ।।
उ रो गोप तग ता ानग यः परु ातनः । शर र भत ू भ ृ भो ता कपीं ो भू रद णः ।। 53 ।।
सोमपो-अमत ृ पः सोमः पु िजत पु स मः । वनयो जयः स यसंधो दाशाहः सा वतां प तः ।। 54 ।।
जीवो वन यता-सा ी मक ु ंु दो-अ मत व मः । अ भो न धरनंता मा महोद धशयो-अंतकः ।। 55 ।।
अजो महाहः वाभा यो िजता म ः मोदनः । आनंदो नंदनो नंदः स यधमा व मः ।। 56 ।।
मह षः क पलाचायः कृत ो मे दनीप तः । पदि दशा य ो महा ंग ृ ः कृतांतकृत ।। 57 ।।
महावराहो गो वंदः सष ु णे ः कनकांगद । गु यो गंभीरो गहनो गु त च -गदाधरः ।। 58 ।।
वेधाः वांगोऽिजतः कृ णो ढः संकषणो-अ यत ु ः । व णो वा णो व ृ ः पु करा ो महामनाः ।। 59 ।।
भगवान भगहानंद वनमाल हलायध ु ः । आ द यो यो तरा द यः स ह ण:ु -ग तस मः ।। 60 ।।
सध ु वा ख डपरश द
ु ा णो वण दः । द व: पक ृ ् सव क यासो वाच प त:अयो नजः ।। 61 ।।
सामा सामगः साम नवाणं भेषजं भषक । सं यासकृत ्-छमः शांतो न ठा शां तः परायणम ।। 62 ।।
शभु ांगः शां तदः टा कुमद ु ः कुवलेशयः । गो हतो गोप तग ता वष ृ भा ो वष ृ यः ।। 63 ।।
अ नवत नव ृ ा मा सं े ता ेमकृत ्- शवः । ीव सव ाः ीवासः ीप तः ीमतां वरः ।। 64 ।।
ीदः ीशः ी नवासः ी न धः ी वभावनः । ीधरः ीकरः ेयः ीमान ्-लोक या यः ।। 65 ।। व ः
वंगः शतानंदो नं द य तगणे वर: । विजता मा वधेया मा स क ति छ नसंशयः ।। 66 ।।
उद णः सवत:च ुरनीशः शा वति थरः । भश ू यो भष ू णो भू त वशोकः शोकनाशनः ।। 67 ।।
अ च मान चतः कंु भो वशु धा मा वशोधनः । अ न धोऽ तरथः यु नोऽ मत व मः ।। 68 ।।
कालने म नहा वीरः शौ रः शरू जने वरः । लोका मा लोकेशः केशवः के शहा ह रः ।। 69 ।।
कामदे वः कामपालः कामी कांतः कृतागमः । अ नद यवपु व ण:ु वीरोअनंतो धनंजयः ।। 70 ।।
म यो मकृत ् मा म म ववधनः । म वद ा मणो मी म ो ा मण यः ।। 71 ।।
महा मो महाकमा महातेजा महोरगः । महा तम ु हाय वा महाय ो महाह वः ।। 72 ।।
त यः तव यः तो ं तु तः तोता रण यः । पण ू ः परू यता पु यः पु यक तरनामयः ।। 73 ।।
मनोजव तीथकरो वसरु े ता वसु दः । वसु दो वासद ु े वो वसव ु सम ु ना ह वः ।। 74 ।।
स ग तः सकृ तः स ा स भू तः स परायणः । शरू सेनो यद ु े ठः सि नवासः सय ु ामन ु ः ।। 75 ।।
भत ू ावासो वासद ु े वः सवासु नलयो-अनलः । दपहा दपदो तो दध ु रो-अथापरािजतः ।। 76 ।।
व वमू तमहामू त:द तमू त: अमू तमान । अनेकमू तर य तः शतमू तः शताननः ।। 77 ।।
एको नैकः सवः कः कं यत-तत-प मनु मम । लोकबंध:ु लोकनाथो माधवो भ तव सलः ।। 78 ।।
सव ु ण वण हे मांगो वरांग: चंदनांगद । वीरहा वषमः शू यो घत ृ ाशीरऽचल चलः ।। 79 ।।
अमानी मानदो मा यो लोक वामी लोकधक ृ । सम ु ेधा मेधजो ध यः स यमेधा धराधरः ।। 80 ।।
तेजोवष ृ ो य ु तधरः सवश भ तृ ां वरः । हो न हो य ो नैक ंग ृ ो गदा जः ।। 81 ।।
चतम ु ू त: चतब ु ाहु: चतु यह:चत ू ग
ु तः । चतरु ा मा चतभ ु ाव:चतव ु द वदे कपात ।। 82 ।।
समावत -अ नव ृ ा मा दज ु यो दरु त मः । दल ु भो दग ु मो दग ु दरु ावासो दरु ा रहा ।। 83 ।।
शभ ु ांगो लोकसारं गः सत ु तं ु तंतव ु धनः । इं कमा महाकमा कृतकमा कृतागमः ।। 84 ।।
उ भवः सद ंु रः सद ंु ो र ननाभः सल ु ोचनः । अक वाजसनः ंग ृ ी जयंतः सव वज-जयी ।। 85 ।।
सव ु ण बंदरु ो यः सववागी वरे वरः । महा दो महागत महाभत ू ो महा नधः ।। 86 ।।
कुमद ु ः कंु दरः कंु दः पज यः पावनो-अ नलः । अमत ृ ांशो-अमत ृ वपःु सव ः सवतोमख ु ः ।। 87 ।।
सल ु भः सु तः स धः श िु ज छ त ु ापनः । य ोधो औदं ब ु रो-अ व थ:चाणरू ां नषद ू नः ।। 88 ।।
सह ा चः स तिज हः स तैधाः स तवाहनः । अमू तरनघो-अ चं यो भयकृत ्-भयनाशनः ।। 89 ।।
अण:ु बह ृ त कृशः थल ू ो गण ु भिृ नगणो ु महान ् । अधत ृ ः वधत ृ ः वा यः ा वंशो वंशवधनः ।। 90 ।।
भारभत ृ ्-क थतो योगी योगीशः सवकामदः । आ मः मणः ामः सप ु ण वायव ु ाहनः ।। 91 ।।
धनध ु रो धनव ु दो दं डो दम यता दमः । अपरािजतः सवसहो नयंता नयमो यमः ।। 92 ।।
स ववान साि वकः स यः स यधमपरायणः । अ भ ायः याह -अहः यकृत- ी तवधनः ।। 93 ।।
वहायसग त य तः सु चहुतभग ु वभःु । र व वरोचनः सय ू ः स वता र वलोचनः ।। 94 ।।
अनंतो हुतभु भो ता सख ु दो नैकजोऽ जः । अ न व णः सदामष लोक ध ठानम भत ु ः ।। 95।।
सनात ्-सनातनतमः क पलः क पर ययः । वि तदः वि तकृत वि त वि तभक ु वि तद णः ।।
96 ।।
अरौ ः कंु डल च व यिू जतशासनः । श दा तगः श दसहः श शरः शवर करः ।। 97 ।।
अ ू रः पेशलो द ो द णः मणां वरः । व व मो वीतभयः पु य वणक तनः ।। 98 ।।
उ ारणो द ु कृ तहा पु यो दःु व ननाशनः । वीरहा र णः संतो जीवनः पयवि थतः ।। 99 ।।
अनंत पो-अनंत ी: िजतम य:ु भयापहः । चतरु ो गंभीरा मा व दशो या दशो दशः ।। 100 ।।
अना दभभ ू वो
ु ल मी: सवु ीरो चरांगदः । जननो जनज मा द: भीमो भीमपरा मः ।। 101 ।।
आधार नलयो-धाता पु पहासः जागरः । ऊ वगः स पथाचारः ाणदः णवः पणः ।। 102 ।।
माणं ाण नलयः ाणभत ृ ाणजीवनः । त वं त व वदे का मा ज मम ृ यु जरा तगः ।। 103 ।।
भभ
ू वः व त तारः स वता पतामहः । य ो य प तय वा य ांगो य वाहनः ।। 104 ।।
य भत ृ ्-य कृत ्-य ी य भक ु ् -य साधनः । य ा तकृत-य गु यम नम नाद एव च ।। 105 ।।
आ मयो नः वयंजातो वैखानः सामगायनः । दे वक नंदनः टा तीशः पापनाशनः ।। 106 ।।
शंखभ ृ नंदक च शा गध वा गदाधरः । रथांगपा णर ो यः सव हरणायध ु ः ।। 107 ।।
सव हरणायध ु ॐ नमः इ त।

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